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म-म-मडोस सम्बन्धी मुद्राओं का प्रयोग कब और क्यों? ...169 'नमः सर्वतथागतेभ्यो विश्व मुखेभ्यः सर्वथा खम उद्गते स्फरणा इमम् गगन-खम स्वाहा।' विधि ____दोनों हाथों को मध्यभाग में रखें तथा अंगुलियों और अंगूठों को ऊपर की
ओर फैलाते हुए उनके अग्रभागों को स्पर्श करवायें, इस भाँति सर्व तथागतेभ्यो मुद्रा बनती है।
सुपरिणाम सर्व तथागतेभ्यो मुद्रा . • यह मुद्रा पृथ्वी एवं जल तत्त्व को प्रभावित करती है। इन दोनों के संयोग से रक्त आदि तरल पदार्थों का संचरण सम्यक प्रकार से होता है। शरीर बलिष्ठ, स्निग्ध एवं कान्तियुक्त बनता है। जड़ता एवं भारीपन नष्ट होता है। . इस मुद्रा से मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र प्रभावित होते हैं जो कि व्यक्ति की कार्यक्षमता में वर्धन करते हैं तथा इससे जिह्वा पर सरस्वती वास होता है। . काम ग्रन्थियों के स्राव को संतुलित कर यह मुद्रा स्वर सुधारती है, बाल बढ़ाती है और व्यक्तित्व विकास में सहयोगी बनती है।