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174... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन विधि
दोनों हाथों की अंगुलियों और अंगूठों को एक-दूसरे में अन्तर्ग्रथित कर देना, समन्त बुद्धनम् मुद्रा है।
समन्त बुद्धनम् मुद्रा सुपरिणाम
• अग्नि एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा शरीर एवं नाड़ी शुद्धि और कब्ज को दूर करती है। इससे पेट के विभिन्न अवयवों की क्षमता बढ़ती है, हृदय शक्तिशाली बनता है तथा उग्रता, कषाय, चिंता आदि का निर्गमन होता है। • मणिपुर एवं आज्ञा चक्र को सम्यक गति देते हुए यह मुद्रा मानसिक, वाचिक एवं कायिक शान्ति प्रदान करती है। यह स्वभाव को शांत, मृदु एवं मधुर भी बनाती है। • एड्रिनल एवं पिच्युटरी ग्रन्थियों को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास कर व्यक्ति को साहसी, सहनशील एवं आशावादी बनाती है।