Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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180... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
सुपरिणाम
• यह मुद्रा अग्नि एवं पृथ्वी तत्त्व का संतुलन करती है। इससे शरीर की कान्ति, स्निग्धता एवं सौन्दर्य में वृद्धि होती है। • यह मुद्रा मणिपुर एवं मूलाधार चक्रों को जागृत करते हुए रक्त, शर्करा, जल, सोडियम, फॉस्फोरस का नियमन करती है। • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार यह मुद्रा स्वप्नदोष, हस्तदोष, शारीरिक गर्मी, चर्बी, भोगेच्छा आदि को नियंत्रित करती है तथा रक्तचाप (B.P.) एसिडिटी, सिरदर्द आदि में राहत देती है।
4. अग्निचक्र शमन मुद्रा - 2
जापानी बौद्ध परम्परा में प्रस्तुत मुद्रा का दूसरा प्रकार भी वहाँ के पूजारियों और श्रद्धालुओं द्वारा अपनाया जाता है । यह मुद्रा किंचित अन्तर के साथ पूर्ववत ही बनती है।
विधि
इस मुद्रा में अंगुलियाँ हथेली की तरफ मुड़ी हुई और अंगूठा अंगुलियों के भीतर रहता है तथा दोनों मुट्ठियों को समीप लाते हुए कनिष्ठिका के ऊपरी जोड़ को स्पर्श किया जाता है।
अग्निचक्र शमन मुद्रा-2