Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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136... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से अग्नि एवं जल तत्त्व संतुलित होते हैं। इनके संयोग से पित्त से उभरने वाली बीमारियाँ, मूत्र दोष, पाचन-तंत्र सम्बन्धी विकृतियाँ दूर होती है। • यह मुद्रा मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करती है जिससे आंतरिक एवं बाह्य जगत की शक्तियों का ऊर्ध्वारोहण होता है। वाणी में सिद्धि प्राप्त होती है तथा कब्ज, अपच गैस आदि रोग दूर होते हैं। एड्रिनल एवं कामग्रन्थियों को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा श्वसन प्रणाली, रक्त प्रणाली आदि को सशक्त करती है । स्वर सुधारने एवं व्यक्तित्व निर्माण में भी यह सहयोग करती है।
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23. कुण्ड ध्वज मुद्रा
इस मुद्रा का उपयोग वज्रायना देवी तारा की पूजा में किया जाता है। यह ध्वज मुद्रा विजय पताका की प्रतीक है। इसे छाती के स्तर पर धारण करते हैं।
कुण्ड ध्वज मुद्रा