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102... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन 5. हस्ति रत्न मुद्रा
सप्त रत्नों में से एक, यह तान्त्रिक मुद्रा बौद्ध परम्परा में प्रयुक्त की जाती है। यह मुद्रा अमूल्य हाथी को भेंट रूप में देने की सूचक है। यह पूर्ववत महासत्ता के सप्तरत्नों एवं अंतरिक्ष के अमूल्य खजाने को भी सूचित करती है। सामान्यतया वज्रायना देवी तारा की पूजाराधना हेतु इस मुद्रा का उपयोग किया जाता है। पूजा मन्त्र यह है- 'ओम् हस्ति रत्न प्रतिच्चाहूम् स्वाहा।' यह मुद्रा ठुड्डी के स्तर पर धारण की जाती है। विधि ___ दायीं हथेली को अधोमुख रखते हुए मध्यमा को छोड़कर शेष अंगुलियों एवं अंगूठे को हथेली की तरफ झुकायें तथा मध्यमा को बाहर की ओर प्रसरित रखें। बायें हाथ को दायीं हथेली के नीचे रखते हुए अनामिका को छोड़ शेष अंगलियों को मट्टि रूप में बांधे तथा मध्यमा को दायीं हथेली की तरफ अभिमुख करने पर हस्तिरत्न मुद्रा बनती है।
हस्ति रत्न मुद्रा