Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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अध्याय-4
अष्टमंगल से सम्बन्धित मुद्राओं का स्वरूप
एवं मूल्य बौद्ध ग्रन्थों के आधार पर यह माना जाता है कि भगवान बुद्ध के चरण युगल पर अष्टमंगल के चिह्न थे। जो प्राणी मात्र के लिए शुभत्व का संदेश देते थे, जीव मात्र के लिए मंगल भाव प्रसरित करते थे। आज यह चिह्न विशेष धात, काष्ठ या मिट्टी आदि में उत्कीर्ण देखे जाते हैं। उनका सामान्य वर्णन इस प्रकार हैं1. मत्स्य- सुवर्णमत्स्य, जापान में मत्स्य को एक मांगलिक चिह्न के रूप में माना गया है अतः इस चिह्न को गृहद्वार आदि पर लगाते हैं। यह नदी आदि में जल बहाव के विपरीत गति करता है इसलिए इसे प्रगति का
सूचक भी मानते हैं। 2. छत्र- तीन लोक की सम्पदा को दर्शाने वाला और समस्त प्राणियों को
आश्रय देने वाला चिह्न छत्र कहलाता है। 3. शंख- यह मंगल कारक एवं विजय की घोषणा का सूचक होता है। 4. श्रीवत्स- एक प्रकार का मांगलिक चिह्न, भगवान विष्णु का हृदयस्थ
चिह्न, श्रीवत्स कहलाता है। 5. ध्वजा- यह विजय पताका की द्योतक होती है। 6. कलश- उत्कृष्ट मंगल का प्रतीकात्मक चिह्न, कलश है। इसे समग्र __परम्पराओं में मंगल का सूचक माना जाता है। यह तीन लोक की
रहस्यमयी संपदाओं से भी युक्त होता है। 7. पद्म- पद्म अर्थात कमल। यह प्रसन्नता एवं पवित्रता का चिह्न माना
जाता है। 8. चक्र- यह विजय का सूचक माना गया है।