Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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118... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
वज धर्म मुद्रा सुपरिणाम
• वज्रधर्मे मुद्रा करने से वायु एवं आकाश तत्त्व संतुलित होते हैं। इससे वायु सम्बन्धी रोगों जैसे वायुशूल, कुपित वायु, गठिया, साइटिका आदि रोगों का उपशमन होता है। • अनाहत एवं विशुद्धि चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा आन्तरिक ज्ञान को उजागर कर साधक को महाज्ञानी, वाक्पटु, निरोगी, शोकहीन एवं दीर्घजीवी बनाती है। . थायमस एवं थायरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करते हुए शरीर के सभी अंगों के सम्यक संचालन, आंतरिक तंत्रों के नियंत्रण, कोलेस्ट्रोल, कैल्शियम, आयोडिन आदि के वर्धन तथा प्रतिरोधात्मक शक्ति के विकास में सहायक बनती है। 9. वज्र धूपे मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा बौद्ध परम्परा में प्रवर्तित अष्ट मंगल के चिह्नों में से एक है और ऐन्द्रिक सुख अभिलाषिणी 16 देवियों को सोलह प्रकार की सामग्री चढ़ाने की सूचक है। उनमें भी यह मुद्रा मुख्य रूप से वज्रायना देवी तारा की पूजा से सम्बन्धित है। पूजा मन्त्र यह है- 'ओम् वज्र धूपे हूम्।'