Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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अष्टमंगल से सम्बन्धित मुद्राओं का स्वरूप एवं मूल्य... ... 121
• यह मुद्रा विशुद्धि चक्र एवं ललाट मुद्रा पर प्रभाव डालती है। जिससे व्यक्ति महाज्ञानी, कवि, शान्तचित्त, निरोगी, शोकहीन एवं दीर्घजीवी होकर आन्तरिक अनुभूतियों का विकास करता है । • इस मुद्रा से विशुद्धि केन्द्र एवं ज्योति केन्द्र सक्रिय होते हैं। इससे जीवन में क्रोधादि कषायों पर नियंत्रण होता है।
11. वज्र गीते मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा बौद्ध परम्परा में धारण की जाती है। इस मुद्रा का प्रयोग करते समय अष्ट मंगल के साथ सोलह आंतरिक द्रव्य चढ़ाये जाते हैं। यह रहस्यमयी सामग्री विषय सुख की सोलह देवियों में से किसी एक को अर्पित की जाती है, यद्यपि उनमें वज्रायना देवी तारा की पूजा करने का भाव मुख्य रहता है। पूजा मन्त्र यह है - 'ओम् अह् वज्र गीते हुम्।' दोनों हाथों में समान मुद्रा बनती है।
विधि
वज्र गीते मुद्रा
हथेलियाँ मध्यभाग में, तर्जनी ऊपर की ओर फैली हुई, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका हथेली की तरफ मुड़ी हुई रहें, फिर दोनों हाथों को समीप रखने पर वज्र गीते मुद्रा बनती है। 12