Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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सप्तरत्न सम्बन्धी मुद्राओं का सोद्देश्य स्वरूप... 105
उपरत्न मुद्रा
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विपर्यय, विकल्प, डिप्रेशन आदि का निराकरण कर आन्तरिक समाधि प्रदान करती है। इससे उदर एवं मस्तिष्क सम्बन्धी रोगों का निवारण भी होता है। इस मुद्रा के प्रयोग से पिनियल एवं एड्रिनल ग्रन्थियों का स्राव सन्तुलित होता है जिससे क्रोधादि कषाय एवं कामवासनाएँ नियंत्रित होती हैं और ब्रह्म तेज में वृद्धि होती है।
8. खड्ग रत्न मुद्रा
यह मुद्रा जापानी और बौद्ध परम्परा में प्रयुक्त की जाती है। यह एक कीमती तलवार के उपहार की सूचक है। यह अपनी निजी विशेषता के कारण परमसत्ता के सप्तरत्नों एवं विश्व के अटूट खजाने को दर्शाती है। मूलतः यह मुद्रा शक्तिधारिणी वज्रायना देवी तारा की पूजा से सम्बन्धित है। इस संयुक्त मुद्रा में दोनों हाथ एक-दूसरे के स्वरूप से प्रतिबिंबित होते हैं। यह ठुड्डी के स्तर पर धारण की जाती है।