Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की...
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पेंग्-पैलोक् मुद्रा
सुपरिणाम
• यह मुद्रा अग्नि एवं जल तत्त्व को संतुलित करते हुए स्वाभाविक उग्रता, रुक्षता आदि का निवारण करती है। शारीरिक दुर्बलता, मोटापा, उष्णता आदि को कम करती है तथा सहिष्णुता, साहस, कोमलता, निडरता आदि गुणों का विकास करती है। • मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करते हुए इस मुद्रा से तनाव नियंत्रण, शक्तिवर्धन एवं चारित्र विकास होता है। यह पेट के परदे के नीचे स्थित सभी अवयवों के कार्य का नियमन भी करती है । • एक्युप्रेशर के अनुसार यह पित्ताशय, लीवर, रक्त परिसंचरण तंत्र, रक्तचाप एवं प्राणवायु का संतुलन करती है तथा आधा सीसी, मधुमेह, नाभि खिसकने आदि में लाभ पहुँचाती है।
वर्णित अध्याय से यह सुसिद्ध हो जाता है कि वर्तमान प्रचलित परम्पराओं में सर्वाधिक मुद्राओं का उल्लेख बौद्ध परम्परा के सम्बन्ध में प्राप्त होता है । भगवान बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित 5 मुद्राएँ एवं 40 अन्य मुद्राएँ बुद्ध