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सप्तरत्न सम्बन्धी मुद्राओं का सोद्देश्य स्वरूप......97 7. उपरत्न- यहाँ 'उप' शब्द सेनापति या क्षत्रिय अर्थ में है जो युद्ध में सभी
शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है वह उपरत्न कहलाता है। 8. खड्ग रत्न- यह रत्न सात वैयक्तिक रत्नों में से एक है इसे अपराजय
का प्रतीक तथा जीवन और मृत्यु की शक्ति का सूचक माना गया है।
जैन परम्परा में चक्रवर्ती (दिग्विजयी) राजा के चौदह रत्न माने गये हैं जिनमें कुछ रत्न, इन सप्त रत्नों से मिलते-जुलते ही हैं। 1. चक्ररत्न मुद्रा __प्रस्तुत तान्त्रिक मुद्रा बौद्ध परम्परा में प्रचलित है। यह सप्तरत्न से संबंधित किसी अमूल्य चक्ररूपी भेंट की सूचक है। इसे महासत्ता के सातरत्न भी कहा जाता है। यह अंतरिक्ष के अतुलनीय अमूल्य खजाने का सूचन भी करता है। उपलब्ध ग्रन्थों के आधार पर यह मुद्रा वज्रायना तारा देवी की पूजा से सन्दर्भित है पूजा मन्त्र यह है- 'ओम् चक्ररत्न प्रतिच्चाहूम् स्वाहा।' विधि
बायीं हथेली के मध्य भाग पर दायें हाथ की अंगुलियों एवं हथेली भाग को इस भाँति रखें कि उनमें 90° का कोण बन सकें, इस विधि से चक्ररत्न मुद्रा बनती है।
चक्र रत्न मुद्रा