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68... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
सुपरिणाम
• यह मुद्रा अग्नि एवं जल तत्त्व को प्रभावित करते हुए यौन ग्रंथियों, चेताकोषों-मांस, रज, वीर्य, अस्थि, मज्जा को उत्पन्न कर शरीर को स्वस्थ बनाती है। इससे पाचन कार्यों में सहायता एवं शारीरिक कान्ति में वृद्धि होती है । • इस मुद्रा से मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र प्रभावित होते हैं जिससे आन्तरिक शक्ति एवं ऊर्जा में वर्धन होता है। मधुमेह, कब्ज, अपच, गैस एवं पाचन विकृतियाँ दूर होती है तथा जिह्वा पर सरस्वती का वास होता है। • एड्रीनल एवं गोनाड्स को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा शारीरिक तंत्रों का नियमन, शारीरिक एलर्जी से बचाव तथा व्यक्ति में साहस, निर्भीकता, सहनशीलता एवं आशावादिता आदि स्वाभाविक गुणों को बढ़ाती है।
23. पेंगू नकवलोक् मुद्रा (हाथी देखने की मुद्रा)
थायलैण्ड के बौद्ध अनुयायियों द्वारा की जाती यह मुद्रा 'ज्ञान लोलहस्त' के नाम से भी उल्लिखित है।
मुद्रा
पेंग् नकवलोक् मुद्रा