Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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74... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
पेंग्-खोट्-फोन् मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से अग्नि एवं जल तत्त्व प्रभावित होते हैं। यह मुद्रा जठर, तिल्ली, यकृत आदि में अग्निरस एवं पाचकरस को उत्पन्न करती है। शरीर को स्वस्थता देती है तथा यौन ग्रंथियों, चेताकोषों, मांस, अस्थिमज्जा आदि को रोग मुक्त रखती है। • मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा रक्त, शर्करा, जल आदि का नियंत्रण करती है तथा पेट के परदे के नीचे स्थित सभी अवयवों के कार्यों का नियमन करती है। • ऐक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार इससे बी.पी., पित्त, एसिडिटी, सिरदर्द आदि में फायदा होता है। पित्ताशय, लीवर, रक्त संचरण, रक्तचाप, शर्करा आदि का संतुलन होता है। नाभि को अपने स्थान पर लाने में यह मुद्रा बहुत उपयोगी हो सकती है।