Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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78... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
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पेंग्-सोंग्-पिचरनचरथम् मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा के द्वारा अग्नि एवं वायु तत्त्व का संतुलन होने से गैस की नाना विकृतियाँ तत्क्षण दूर होती है। मानसिक स्थिरता एवं एकाग्रता का विकास होता है। स्नायुतंत्र शक्तिशाली बनता है तथा सिरदर्द, अनिद्रा, वायु विकार आदि दूर होते हैं। • मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा कवित्व शक्ति, वक्तृत्व, लेखन आदि कलाओं का विकास करती है तथा शान्तचित्त एवं निरोगी अवस्था के साथ दीर्घ जीवन देती है। • तैजस एवं विशुद्धि केन्द्र को जागृत कर यह मुद्रा व्यक्तित्व को प्रभावी एवं ओजस्वी बनाती है। • एक्युप्रेशर के अनुसार यह मुद्रा विजातीय तत्त्वों एवं रोग आदि से शरीर की रक्षा करती है। हिचकी, स्नायुओं की ऐंठन, थकान आदि को दूर करती है। यह असामाजिक वृत्तियों, अनियंत्रण, कपट वृत्ति आदि का भी उपशमन करती है।