________________
54... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
12. पेंगू फ्रातर्न एहि भिक्खु मुद्रा (अभिषेक मुद्रा)
यह मुद्रा थायलैण्ड में उपर्युक्त नाम से एवं भारत में 'अहायवरद ध्यान' मुद्रा नाम से प्रचलित है। थाई बौद्ध परम्परा में प्रवर्त्तित भगवान बुद्ध की 40 मुद्राओं में से यह बारहवीं मुद्रा है। है। इस मुद्रा को
विद्वानों के अनुसार यह भगवान बुद्ध की अभिषेक मुद्रा ध्यानासन या वीरासन में किया जाता है।
विधि
हु
दाहिने हाथ की अंगुलियाँ और अंगूठा एक साथ ऊपर की तरफ फैले और हल्का सा झुककर शरीर से 45° कोण बनाते हुए हथेली छाती के स्तर पर धारण की हुई रहे। बायीं हथेली ऊर्ध्वाभिमुख एवं अंगुलियाँ मध्यभाग की तरफ प्रसरित गोद में रखने पर पेंग् फातर्न मुद्रा बनती है। 15
पेंग्-प्रातर्न एहि भिक्खु मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा के प्रयोग से अग्नि एवं वायु तत्व संतुलित रहते हैं। इससे तिल्ली, जठर, यकृत, स्वाद तंत्र आदि स्वस्थ रहते हैं। शरीर का प्रमुख संरक्षण एवं सहकारी बल उत्पन्न होता है । • यह मुद्रा मणिपुर एवं अनाहत चक्र को