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36... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
बैठते थे, तब यह मुद्रा करते थे।
आज यह मुद्रा थेरपद बौद्ध थायलैण्ड, म्यनमार और श्रीलंका में अधिक प्रचलित है।
विधि
दायें हाथ को शिथिलता पूर्वक दायें जांघ पर रखें, अंगुलियाँ नीचे की तरफ भूमि का किंचित स्पर्श करती हुई रहें । बायां हाथ शिथिल तथा बायीं हथेली ऊपर की ओर अभिमुख जैसे ध्यान मुद्रा में रहती हैं उस तरह रखने पर भूमिस्पर्श मुद्रा बनती है। 3
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भूमिस्पर्श मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र - मूलाधार, स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व - पृथ्वी, जल एवं आकाश ग्रन्थि - प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र - शक्ति, स्वास्थ्य एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरुदण्ड, गुर्दे, पाँव, मलमूत्र अंग, प्रजनन अंग, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।