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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की...
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4. व्याख्यान मुद्रा
सामान्य जनता को धर्मोपदेश देना व्याख्यान कहलाता है। भगवान बुद्ध ने बोधि प्राप्ति के पश्चात जिस मुद्रा में धर्मोपदेश दिया वह व्याख्यान मुद्रा कही जाती है। इसे धर्मचक्र मुद्रा, चिन मुद्रा, वितर्क मुद्रा एवं संदर्शन मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है।
विधि
व्याख्यान मुद्रा
दायां हाथ ऊपर सामने की तरफ रखते हुए अंगूठे और तर्जनी के अग्रभाग को स्पर्श करें तथा शेष अंगुलियों को सीधा हल्का सा झुका हुआ रखना व्याख्यान मुद्रा है।
सुपरिणाम
• व्याख्यान मुद्रा आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए हृदय सम्बन्धी विकारों को दूर करती है। यह भावधारा को निर्मल करते हुए आन्तरिक आनंद को प्रकट करती है। • इसको करने से विशुद्धि चक्र जागृत होता है जो कि व्यक्ति के आन्तरिक ज्ञान विकास, मानसिक स्थिरता एवं शान्ति, आरोग्य एवं