Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की......47
का संचालन करती है। • मणिपुर एवं आज्ञा चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा ज्ञान ग्रंथियों को सक्रिय कर तीव्र बुद्धि, स्मरणशक्ति, शरीर एवं मस्तिष्क का विकास करती है। इससे मधुमेह, कब्ज, अपच, गैस आदि समस्याओं का समाधान भी होता है। • यह मुद्रा तैजस एवं दर्शन केन्द्र को प्रभावित करते हुए। इससे आध्यात्मिक, शारीरिक एवं मानसिक प्रगति में सहयोग, क्रोधादि कषायों का नियंत्रण एवं वासना भाव का उपशमन होता है। • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार यह मुद्रा रक्तचाप, शर्करा आदि का संतुलन करती है। यह अनैतिक वृत्तियों का नियंत्रण करके कवित्व, लेखन, करुणा आदि गुणों के निर्माण में भी सहयोग प्रदान करती है। 7. पेंग तवैनेत्र मुद्रा (बोधिवृक्ष को एकटक देखने की मुद्रा)
थायलैण्ड में यह मुद्रा ‘पेंग तवैनेत्र' के नाम से कही जाती है। भगवान बुद्ध के द्वारा धारण की गई 40 मुद्राओं में से यह सातवीं मुद्रा है। भगवान बुद्ध ने बोधिवृक्ष को देखने हेतु अथवा देखते समय इस मुद्रा का उपयोग किया था इसलिए यह बोधिवृक्ष दर्शन की सूचक है। यह संयुक्त मुद्रा खड़े होकर की जाती है।
ग
पेंग्-तर्वनेत्र मुद्रा