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पृष्ठ पंक्ति शुस
| पृष्ठ पंक्ति शुद्ध प्रमुख ११३ २१ मोते हैं
बोला है
२.३ ४ सदोषारहन्तुम सर्वदोषापरिहन्छन् ११४ २.हो जाती है
हो जाता है २०३ ५-विश्वानि.मो. मगधारा छन्द में ११४ २१ मही जातने नहीं जीतने
बोले ११६ १८ इन्द्रियजन्य इन्द्रियजम
दाता
२१६..एकद्वित्रमुहताना एकदिभिमुहूतांना १२८ २३ प्रतिमा को प्रतिमा को
२१८ - सवत्रा हो
समंत्रा हो १३.१७मातम
उत्तम क्षमा
२१६ ४ महानतसभित्था- महायतसमित्या१३३ १७ साधकानिस साधकानिश
वस्वादि
वश्यादि २१६ २२ तेलोक
लोक १३६ २४ पुरुषार्थों को सिद्धि पुस्तायों को सिद्ध १३७५ योबिमिः
योगिभिः २१६ २३ ज्ञान
शानं
२२२ १९ मुक में हत्वों में १३६१ कामहेतुकभय
पूह में, तत्वों में कामहेतुक, भय २२३ १२ जयते
जायते १४० कहलाती हैं ফরা ই
२२४ २ जनतस्वपवायमः अंग तत्व पदार्थभ्यः १४४ २ सिरि भक्ति सिद्ध भक्ति
२२० १० पवप्रक्षालन
पाद प्रशासन १४४ ६ सिद्धयेत्य
सिसत्य
२२८१५ सालका प्रकाश ज्वामाका प्रकाश १४४ २१ अनस प्रतिष्ठा प्रबल प्रतिमानों की
प्रतिष्ठा २३१ ८ निकोतस्य
निगोब तस्य १४४ २६ भक्कि
२३१ १५ नियोत
निगोद १४६ ९ सिद्धान्त के जानकार बोकर के निर्वाण
२३४ १४ नय बीमा भप से जीयों माचार्य के मरण
२३४ १७ मुखदुखादिमोगिनः
सुखदुःखादिभोमिनः १४६ १६ भक्तपः
भक्तयः २३७ २१ धनादिक
ध्यामादिक १४६ १३ कल्याण के
कल्याण
२३८ ४ बध्यते १५१ ७ मात्राय
माचार्य
२३८ र बघ १५२ . समाप्ति की
प्रारम्भ करने
२३८ १७ कारण मात्मा कारणों से प्रारमा १५८ २६ निगूोपि नियोपि. २३८ २७ तलवार से अब तक तसवार से
२३६ १० महन
महान् १७५ ४ रखने लिये रखने के लिये २३९ २४ तपोक्लात् ढपोजना ११७ २२ ममत्व सर्वथा ममत्व का सर्वमा २३१ २५ बद्धते
बढ़ते १९१ १२ झिम भित्र भिन्न-भिन्न २४१ ८ नायका
माषिका १९३ २६ प्रणिहिंसावतस्तेया प्राणिहिंसानतस्तेया | २४१ २५ कमयो महान् कर्मयो महान
गुरवः
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