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मूलाधार प्रदीप !
[षष्ठम अधिकार सब इसको पालन करते हैं तथा महा अत्यंत पवित्र है। अतएव कार्यो.को जीतने वाले मुनियों को मोक्ष प्राप्त करने के लिये प्रयत्न पूर्णक इस कामगुप्ति का पालन करना चाहिये १७५ : - :-:-: . . . ...... ... " १४
मा गिप्ति पालन करने का प्रसार ... ... ... ... ...... वित्रः सदगुप्तयोपैताधियानिधिनासदा। विधिनाशिवसम्विाः समकम्तिवारिकाः ॥ Fi ये तीनी गप्तियां कमी को नाश करनेवाली हैं, मोक्ष के सुखकी माता " है, और समस्त कर्मों को नाश करनेवाली हैं प्रतएवं मुनियों को विधि पूर्णक इनका पालन करना चाहिये ॥१७५८॥ " ..
. ... .... गुप्तियों से सुरक्षित मुनि ही कर्म शत्र से अपनी रक्षा कर सकता हैबलवुद्धियथाविश्वः शत्रुभिः स्वाश्रमानुपः । न नेतु शक्यतेगुप्तः प्राकारखातिकामटेः ॥१७५६॥ तथामुनि रोगप्तो मनोवाक्कायप्तिभिः । म जातु विकियां नेतु शक्यः करिसंचयः ॥१७६०॥ 15... अर्थ- जो राजा कोट. खाई और योद्वानोंसे अत्यंत सुरक्षित है उसको प्रत्यंत बलबान समस्त. शत्रु भी उसके घरसे बाहर नहीं ले जा सकते उसोप्रकार जो मुनि मन-. वचन-काय को. गुप्तियों से प्रत्यन्त, सुरक्षित है. उनकी आत्मा में कर्मरूप ससस्त शत्रु कभी किसी प्रकार का विकार उत्पन्न नहीं कर सकते १७५६.१५६०॥..........
कोन योगी असंयमादि बाणों से घायल नहीं होतामिसः संगरे या ब्रटी वार्णन मिाते । तथा योगी निग़प्तास्मा रागाधसंयमेषुभिः ॥१७६१॥ re! - अर्थ-जिसप्रकार युद्ध में कंचच पहनने वाला योद्धा कारणों से घायल नहीं होता उसीप्रकार मनोगप्ति, धनगुप्ति, कापंगप्तिकोधारण करनेवाला योमी असंयमान: दिक वाणों से कभी चलायमान नहीं हो सकता । १७६१।३ । ..... ... .
प्रष्ट प्रवचममातृका किसे कहते हैंसायसमितिभिः पेभिरिमा गुप्तयः परो । प्रोक्ता प्रवचनात्यष्टिमातरी हितकारिकाः ।।
" अर्थ-ये तीनों गुप्तियां तथा पांचों समितियां मिलकर पाठौं प्रवचनमातृका कहलाती है। ये आगे हो माताके समान हित करनेवाली है और सर्वोत्कृष्ट हैं ।।६२॥
. .. .. अष्ट, प्रवचनसातका नामका साथकता--. .... , . , . .., ॥ रक्षन्ति मातरो यदन्मलाविपर्शनारसूतान् । तथेमात्तिपत्रांश्चदुष्कर्मास्त्रवपांगुतः ॥१७६३॥ ...
•L. H सायसीमाताभः