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मूलाबार प्रवीम]
॥ चतुर्थ अधिकार चार्य-इस मिशन अलसे वाहार्य महायम अत्यन्त वृद्ध हो जाता है, निमा का निजाम होना है, न्यामाकी हानि होती है और उत्कृष्ट जोग प्राप्त होता है । कोमल शाम्मासर सोने वो माम अत्माल करनेवाली मिमा व्याहसी है, और स्वप्न में बीय समिस हो जाने के प्रयाणा मनुष्यों का प्रयास नष्ट हो जाता है । समस्त प्रमादों में यह निद्रा मामाका सामान की प्रयत्न है माह मिमा मासका अमाद समरस मायों को सस्पा करणे माना है और अनेक आसयों का आमुल है ॥१-२८॥
भूम्मि शायास मिला शिका म्यास्यामास्कारमानालाकिन्यो गानेfinan जामं प्रकुरियो मुनीनाः ध्यान सिद्धये ॥
मर्मयाही खामकर वियों को मापासे यानकी सिद्धि के लिये प्रत्र पानकी माना बालात काम करने से जमा कचिन्म सामानों पर बैठने से और कठिन शय्यापर सन्ने से निद्धा कया जिजा करना चाहियो Arem
म्यान्म मिति के लिये किया विशय की आवश्यकताअली निवाािची योग्यता मेनुनिहायानाः । व्यानकि कुलरोकों को किया निजका सपः ॥२१॥
पाय- इसका मो कारण नाह है कि जो मच इस निना स्पोनिशाचिनी को जीतने में असमर्थ हैं उनके स्थान की शुद्धि कसे हो सकती है और बिना ध्यानको शुद्धि के उनका सत्सारण भी सजा पर्व ही समझना चाहिये ॥२०॥1
दिन में सिद्भा निकालने का निषेधविनामेति च कर्तव्यमा निariमालको कतिन् । विबसे सन्ति रोगादा ग्यासिमियान नाशिमो ॥
अर्थ-यही समझकर व्याव करनेवाले मुनियों को रोगनिक के होनेपर भी पान की खान्ति और शान को नान करनेवाला ऐसरे नि दिन में कभी नहीं लेनो चाहिये ॥२१॥
रपति के अपम मौर अन्तिम पहर में निदा लेने का निषेधजितु माध्याशिवाय च यशाना बोधिनायकाः । श्रान्समुहूतिको निमा सिस्वामफलकापियु १२२॥ कुर्वन्तु स्वमहायोदधामात्याधि हानये । पूर्ने परिणये बामे सति प्रावस्ययेपि भोः ॥२३॥
वर्ष- इसलिये हे पोधिराजों ! अपने महायोग से उत्पन इए परिश्रम को शांत करने या दूर करने के लिये शिक्षा मि वा तखते पर रात्रि के मध्य भाग में अंतर्मुहूर्त लक्क निशा लो । रात्रि के पहते भाग में चा राशि के पिछले भाग में उपत