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मालाकार प्रवीपा
[[ कार्य अधिमा मुख्य मामी हैं, वह और माणघदेवा मी कसको धारणा करती हैं. समस्त सुखों की पानि हैं और लोनों लोकों के स्वामी: तोमवार मी साशी संवा हस्ती हैं। इसलियों बुद्धिमानः पुरुषों को स्वर्ग मोक्ष प्राप्त करने के लियो मामा-मामी सुतसा पूर्वक यह नानत्मः वार भी करना हि ॥ भुमि श्रमामा को शान रखने के ोि और आत्माकी शुद्धता प्राप्त करने के लिए स्नान, जयममा, शालर का विना और मुख प्रक्षालना आदि समस्ता संकालों का त्याग कर देती हैं तथा पसीमा कप्तालिमका सो लिप्त हुए: सारीर को धारणा करते हैं उसका भागमा जितेन्द्रले सास्त मास की दूर कारनेवाला स्नाता नामका व्रत कहते हैं ॥१सय Recall
__ स्नामा त्यागासाणा का स्थापर - प्रत वसतारेण निस्वागुखाः ।जायातेप्रमियानाकसुरोधमलात सामादिमोहामा माया तामसामिाणिक सम्पूर्ण समशियः॥सा
आर्य-इसा अलाता नाम उत्तम मासे मुनियमों के निर्ममन अधिकारी मालको दूर करनेवाले। शुद्ध गुमा प्रभाव होते हैं। इस अस्लाम को रखाषा मोह आदि सब विकार नष्ट हो जाते हैं तथा अतिसादिक पूर्ण करताया को प्रगष्ट वास्तेकाले यता किया। प्राप्त होते रहते हैं: ARA॥
__ स्मामकारनेसेंमहर्तिपता मानेमजामपिजीनामापरिक्षयाः। तर पानी पररंगोमामा महाध्यिायः ततः स्नान जायतें मातरेर दुषितम्। सा पासमार्मास्तिमगुर माशिमाः॥4॥
अर्थ-सका भी। कारण यह हैं कि स्मात करतो से छहों वाणा के जीनों का घात होता है और जोया पासोति से पारमा पापाता। झाको सिमानामा करने में ब्रह्मचर्य को घात करनेवाला मला सगाप्राक होता है। प्रतएका स्मारकरसेंसी उत्पन्न हुए राका कारण बुद्धि के हत्यमों उनमें आत्मोकोनिसाकारमेकालें पापा कम रूपः महा मला प्राह हो हैं ॥ Raman
___सामात्यागामूलगुरपायातरंगाशुद्धिकताकारणाप्रस्मामावलभूषानामस्ताशुद्धि पावभोरेन। समामिला फार्मनारमामुत्तिामा
अर्थ-जोमुनि प्रस्तान मासे सुशोभिता है उनमें सगाविकात्याहो जाने में शहलाकों को नासाकराती और मोनाकोकोनसे सीमापारणा पती