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ausaint वैभव
वायव्य कोण से ३० मील दूर है। एक छोटे से टीले में भूमिगृह है । तीसरी गुफा है । इसका बरामदा ७५ फुट लम्बा है । बाईं ओरका भूमिगृह अपूर्ण ही रह गया जान पड़ता है । पड़साल में भी तीन द्वार हैं, जिनसे भीतर तीन खंडों में प्रवेश किया जाता है । प्रत्येककी लम्बाई चौड़ाई २४x२० है | दीवालोंपर पार्श्वनाथ तथा अन्य जिनोंकी ग्राम्य श्राकृतियाँ खचित हैं । यहाँका भास्कर्य नयनप्रिय नहीं है । बहुत-सा भाग नष्ट भी हो चुका है।
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अंकाई-टंकाई
सन् १६३७में मुझे इन गुफाओं के निरीक्षणका सौभाग्य प्राप्त हुआ था । यह स्थान बड़ा विकट और भयप्रद है । येवला तालुकेकी पहाड़ियों में इनकी अवस्थिति है । इनकी ऊँचाई ३१८२ फुट है । सुदृढ़ दुर्ग भी है । यहाँका प्राकृतिक सौंदर्य प्रेक्षणीय है । अंकाई में जैनों की सात गुफाएँ हैं । ये छोटी होते हुए भी शिल्पकलापेक्षया अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं । दुर्भाग्य से बहुत-सा भाग नष्ट हो गया है । यहाँ की बहुत कम जगह बची है, जहाँ सुन्दर आकृतियाँ न खुदी हों। प्रवेशद्वार तो बहुत ही शोभनीय है । तीर्थंकरकी मूर्ति उत्कीर्णित है। दूसरी गुफाके छोरोंपर भी मूर्तियाँ हैं । तीसरी गुफा दूसरी मंजिल समान है । आागेका कमरा २५–६ फुट है । एक छोरपर इन्द्र ( संभवतः मातंगयक्ष ) और इन्द्राणी ( सिद्धायिका ) दूसरे छोर पर है । इन्द्रकी आकृति इतनी विनष्ट हो चुकी है कि हाथीको पहिचानना भी कठिन है ।
चँवरधारीके अतिरिक्त गंधर्व और उनके परिचारक पर्याप्त हैं । ये सब दम्पती अपने-अपने वाहनोंपर हैं। मालूम पड़ता है कलाकारने जन्म-महोत्सव के भावोंको रूपदान दिया है। आदमकद जिनमूर्ति नग्न है ।
'केव टेम्पिल्स आफ इंडिया, पृ० ४६४,
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