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मध्यप्रदेशका हिन्दू पुरातत्त्व
बाबा लालदासजी
बाबा द्वारिकादासजी
बाबा गोदावरीदासजी
बाबा जयकृष्णदासजी
महन्त श्री मथुरादासजी (वर्तमान)
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'बाबा हनुमानदासजी' ने आश्रमकी नींव डाली । बाबा लालदासजीने समयकी गतिको देखते हुए, आश्रमका व्यय चलाने के लिए कुछ भूमि खरीदकर, आश्रमके नामपर कर दी, इसीसे यहाँ आनेवाले प्रत्येक अतिथिका बिना भेदके उचित स्वागत होता है । वर्तमान महन्त श्री मथुरादासजी बड़े योग्य और गुणग्राही सन्त हैं । आश्रमका प्राकृतिक सौन्दर्य प्रेक्षणीय है । तीनों ओर पहाड़ी लगी हुई है । आध्यात्मिक साधकोंके लिए यह स्थान अनुपम है । तपसी तालाब में जल इसलिए स्वच्छ रह सका कि न तो यहाँ साधुओं को छोड़कर कोई स्नान कर सकता है, न मछलियाँ ही पकड़ी जाती हैं । छत्तीसगढ़ में यह एक ही ऐसा जलाशय देखा, जहाँ मछलियोंको पूर्णतया अभयदान मिलता है । किसी कविने तपसी आश्रमकी महिमा इन शब्दों में गाई है
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शार्दूलविक्रीडित
मध्यप्रान्तविचित्ररम्यभवनं, पटू त्रिंशदुर्गाख्यया
डोंगरदुर्ग प्रसिद्ध नामनगरे, सान्निध्य शुभ मन्दिरम् । याम्ये कूलविनिर्मितेनरम्यम्, तपसीश्रमे माश्रायं प्रख्यातं बहुभिर्जनैश्च हृदयं रामाय तस्मै नमः ॥ इन्द्रवज्रा तपसीश्रमे निर्मितेऽरण्यमध्ये, चतुर्दिकं शोभितपुष्पवृक्षैः । नानामृगाकीर्णलताप्रसूनैः पुरातनो मानसरोवरः स्यात् ||१||
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