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मध्यप्रदेशका बौद्ध- पुरातत्त्व
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अवस्था प्रकट करते हैं । अंग चेष्टासे भरे हैं । फूल प्रफुल्लित और विकसित हैं । पक्षी उड़ रहे हैं, पशु अपनी स्वाभाविकता से कूद रहे हैं, लड़ रहे हैं या भार उठाये जा रहे हैं । डा० डुबेलने इस युग के विषय में लिखा है -
The Vakatakas reigned over an Empire that occupied a very Central Position and it is through this dynasty that the high Civilization of the Gupta Empire and the Samskrit Culture in particular, spread throughout the Deccan. Between 400 and 500 the Vakatakas occupied a prominent position, and that we may say that "In the History of the 5th Centuary is Centuary of the Vakatakas.
गुप्त-राजवंश के समय में बौद्धोंकी बड़ी उन्नति हुई थी । शिल्प- स्थापत्य और साहित्यका विकास उस समय खूब हुआ था । मध्यप्रान्त भी उस समय बौद्ध संस्कृतिसे प्रभावित था। चीनी यात्री श्यूआन् - चुआङ् ६३६ ई० में मध्य- प्रान्त में भ्रमण करते हुए, भद्रावती भी आया था । उस समय भद्रावती में उसे एक सौ संघाराम मिले, जिनमें १४ सौ भिक्षु रहते थे । उस समय वहाँका सोमवंशी राजा बौद्ध धर्मानुयायी था । उपर्युक्त चीनी यात्रीने अपने ग्रन्थमें प्रान्त और राजधानीका जो वर्णन किया है, वह ऐतिहासिक दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण है । वह लिखता है कि 'कोशल देशकी राजधानी सात मीलके घेरे में है । ५ विशाल पर्वतोंपर कुछ गुफाएँ, साधु और उनके सहयोगियों के निवासार्थ बनाई गई है' । प्रान्तमें बौद्ध धर्मके जो अवशेष पाये गये हैं, उनके आधारपर निःसंदेह कहा जा सकता है कि १२वीं शताब्दीतक बौद्ध धर्मका प्रचार, मध्यप्रान्त और बरार में था । कनिंघम सा० ने चाँदा जिलेके भाण्डक भद्रावतीको ही पाटनगर माना है । चाँदा जिलेमें यह स्थान, बरोरासे उत्तर में वें मीलपर अवस्थित
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Aho ! Shrutgyanam