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खण्डहरोंका वैभव
तिक शान्ति । यह पट्ट जाने-आनेवाले यात्रियोंके आरामके लिए कुर्सीका काम देता है ।
लक्ष्मणदेवालय जाते हुए मार्ग में विशाल जलाशय पड़ता है, उसके तीरपर हिन्दू देव - देवताओंके मन्दिरों में – झोपड़ियों में अवलोकितेश्वर, तारा, वज्रयान आदि तान्त्रिक नग्न मूर्तियाँ अवस्थित हैं । सिन्दूर से इस प्रकार लीप पोत दी गई हैं कि उसकी कला व भाव छिप से गये हैं । मूर्तियाँ लेखयुक्त हैं | लक्ष्मण देवालय के समीप ही भारतीय पुरातत्व विभागकी ओरसे साधारण व्यवस्था की गई है जहाँ सिरपुर से प्राप्त कतिपय अवशेष रखे तो गये हैं सुरक्षाकी दृष्टिसे, पर हैं पूर्णतः अरक्षित । बरामदा टूट-सा गया है । इसकी मरम्मत बहुत आवश्यक है ।
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धातु- प्रतिमाएँ
सिरपुरका सात्त्विक परिचय संविदित है । इसका महत्त्व सांस्कृतिक दृष्टिसे तो है ही, पर बहुत कम लोग जानते हैं कि यहाँपर न केवल पुरातन मन्दिर, शिला व ताम्रलिपियाँ ही उपलब्ध होती हैं, अपितु प्रान्तके सांस्कृतिक मुखको आलोकित करनेवाली अत्यन्त सुन्दर सुगठित व कलापूर्ण धातुप्रतिमाएँ भी प्राप्त होती हैं। यों तो भारत में अन्य स्थानों में भी तथाकथित मूर्तियाँ मिलती हैं, पर सिरपुरका धातु-मूर्ति-संग्रह अपने ढङ्गका अनोखा है । एक ही कालकी सुन्दरतम कला-कृतियोंका इतना बड़ा संग्रह मैंने तो मध्यप्रान्त में क्या बिहारको छोड़कर कहीं नहीं देखा है । प्राप्त प्रतिमाओंका परिचय इस प्रकार है और इनकी संख्या लगभग २५ है |
एक प्रतिमा ११॥ ४६ ॥ इंच है। मध्य भाग अंडाकृतिसूचक है । इसपर भगवान् बुद्ध, दक्षिण हस्त पृथ्वीकी ओर तथा वामगोदमें रक्खे हुए, विराजमान हैं । निम्न भागमें मंगल मुख हैं । मस्तक के पास दो भिक्षुत्रोंकी आकृति इस प्रकार बनी है; जैसी नालन्दा के खंडहरस्थित
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