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मध्यप्रदेशका बौद्ध - पुरातत्त्व
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जिसका पुत्र प्रतापी प्रवरसेन (द्वितीय) हुआ (सन् ४४०) अजंटा के एक गुफा - लेखसे सिद्ध है कि अंतिम राजा हरिसेन (सन् ५२५ ) के आधीन गुर्जर, कलिंग, त्रिकूट, कोसल और आन्ध्र थे । कोसलका तात्पर्य छत्तीसगढ़ से है । कोशला मेकला मालवाधिपतिभिरभ्यर्चितशासनस्य
दक्षिण के चौलुक्योंने वाकाटक साम्राज्यको समाप्त किया । राजा पुलकेशी (सन् ११०) बड़ा प्रतापी व्यक्ति था । अजण्टा की गुफाएँ सदाकालसे बरारके अन्तर्गत रही हैं । उनके निर्माण में मध्यप्रान्तके राजाओंके भी सोत्साह भाग लिया था । अजंटा, वर्तमान कालमें वरारकी सीमासे सातवें मीलपर अवस्थित है । कुल मिलाकर २६ गुफाएँ हैं । इनमें कुछ चैत्य एवं विहार हैं । गुफाओंकी परिधि पूर्व से पश्चिमकी ओर ६०० गजमें है । यद्यपि इनका निर्माण एक ही समय में नहीं हुआ, प्रत्युत ईस्वी सन् पूर्व २०० से सन् ७०० तक होता रहा । ८-१२-१३ गुफाएँ सर्वप्राचीन हैं ।
६ और ७ पाँचवीं शताब्दी की हैं। संख्या १-५-१४-२६ गुफाओं का निर्माणकाल सन् ५००-६५० ईस्वी तकका है । १ संख्यावाली सबसे बादकी है । संख्या १६ में वाकाटक राजाका लेख उत्कीर्णित है ।
अधिकांश चित्र और मूर्तियाँ भगवान् बुद्ध के चरित्र से संबंध रखती हैं, जिनका वर्णन जातकों में आया है । १६ वीं गुफा में बुद्ध के ७ चित्र हैं । प्राणचक्र, विजयावतरण, कपिलवस्तु प्रत्यागमन, राज्याभिषेक, अप्सरा, महाहंस, गन्धर्व, मातृपोषा शिविके दातृत्व के भी दृश्य है । नं० १में राज1 नैतिक चित्र सम्राट् पुलकेशी विक्रमादित्यका है। पुलकेशीका सम्बन्ध ईरानके सम्राट् से था । इस गुफा में जो चित्र है, उसमें ईरानके दूत द्वारा पुलकेशीको नज़राना दिया गया है । यह रंगीन चित्र इस प्रकार है :
"पुलकेशी गद्दी बिछे हुए सिंहासनपर लम्बा गोलाकार तकिये के सहारे
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