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खण्डहरोंका वैभव
बैठा है | पीछे स्त्रियाँ पंखा और चंवर लेकर खड़ी हैं। अन्य परिचारक स्त्री और पुरुष कुछ बैठे हैं और कुछ खड़े हैं । राजाके सामने बायीं ओर एक बालक (राजकुमार) और वे मुसाहिब बैठे हैं । राजा हाथ उठाकर मानो ईरानी दूतसे कुछ कह रहा हो ।
राजाके सिरपर मुकुट, गलेमें बड़े-बड़े मोतियोंकी माला ( साथमें माणिक भी लगे हैं ), उसके नीचे जड़ाऊ कंठा, हाथोंमें भुजदण्ड और कड़े हैं । यज्ञोपवीत के साथपर पचलड़ी मोतियोंकी माला, प्रवर ग्रन्थियों के स्थानपर ५ बड़े मोती, कमर में रत्नजड़ित करधनी है । घुटने के ऊपरतक काछनी पहने है, सारा शरीर खुला हुआ है और दुपट्टा समेटकर तकिये के सहारे है । शरीर प्रचण्ड गोरा और पुष्ट है ।
पुरुष जो वहाँपर हैं, सभी एकमात्र धोती पहने हुए हैं । दाढ़ी और मूछें भी नहीं हैं । स्त्रियोंके शरीरपर साड़ी और स्तनोंपर पट्टियाँ बँधी हैं । राजाके सामने ईरानी दूत हाथ में मोतियोंकी माला लेकर भेंट कर रहा है । उसके पीछे दूसरा ईरानी हाथमें बोतलके समान वस्तु लिये खड़ा है। तीसरा हाथ में थाल लिये खड़ा है, चौथा बाहर से कुछ वस्तुएँ लेकर द्वारमें प्रवेश कर रहा है | उसके पास जो खड़ा है, उसके कमर में तलवार है । द्वारके बाहर कुछ ईरानियों के साथ अन्य दर्शक भी खड़े हैं, पास ही घोड़े भी । ईरानियोंके सारे शरीरपर वस्त्र हैं । सिरपर ईरानी टोपी, कमरतक अंगरखा, चुश्त पैजामा, पैरों में मोजे भी हैं। सबके दाढ़ी और मूछें हैं ।
दरबार में सुन्दर बिछायत है और फर्शपर सुन्दर फूल बिखरे हैं । सिंहासन के आगे पीकदानी और उसके पास ही एक चौकीपर पानदान और अन्य पात्र रखे हैं | दीवालें सुन्दर बनी हैं। ( Plate No. 5 )
अजण्टाकी चित्रकारोका निर्माण इतना सुचारु है, शैली शुद्ध और परिष्कृत है । नमूने और आदर्श विविध हैं । रंग प्रयोग इतना आनन्ददायक है कि इन चित्रोंकी बराबरी संसारके अन्य चित्र नहीं कर सकते । यहाँकी चित्रकारीमें जीवन है । मनुष्योंके चेहरे उनकी मानसिक
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