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खण्डहरोंका वैभव
पद्मपुर
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यह ग्राम गोंदिया तहसील में श्रमगाँव से १ || मील दूर है । महामहोपाध्याय वा० वि० मिराशीजीका मानना है कि महाकवि भवभूति यहाँ के निवासी थे । यहाँपर ग्राम के खेतों में भगवान् पार्श्वनाथ व ऋषभदेव तथा महावीर स्वामीकी मूर्तियाँ पाई जाती हैं। इन मूर्तियों का महत्त्व कलाकी दृष्टिसे बहुत है । वे खंडित हैं पर किसी समझदारने गारेसे ठीक कर जमा दी है ।
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आमगाँव
गांधी चौक में पीपल वृक्ष के निम्न भागमें जैन मन्दिर के एक स्तम्भका अवशेष पड़ा है। इसके चारों ओर खड़ी जिनमूर्तियाँ खुदी हुई हैं। यह अवशेष यहाँ क्यों और कैसे आया ! यह एक प्रश्न है । उत्तर भी सरल है । उपर्युक्त पद्मपुर भले ही आज यहाँ से १ || मील दूर हो, पर जिन दिनों वह उन्नतिशील नगर था, उस समय इतना भी दूरत्व न रहा होगा । कुछ अवशेष आमगाँव में ऐसे भी पाये गये हैं, जिनकी समता पद्मपुरीय कृतियोंसे की जा सकती है ।
कामठा
युद्धसमय में यहाँ वायुयानका केन्द्र था । यों तो कामठा दुर्ग भारती क्रांतिके इतिहासमें अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, परन्तु बहुत कम लोग जानते होंगे कि इतिहास और पुरातत्त्वकी दृष्टिसे भी कामठाका महत्त्व है । किसी समय यह बहुत बड़ा नगर था । यहाँके लोधी ( भूतपूर्व ) ज़मींदारका दुर्ग २०० वर्ष से भी प्राचीन है । कुछ वर्ष पूर्व दुर्गका एक हिस्सा परिवर्तनार्थ तुड़वाना पड़ा था । उस समय बड़े गड्ढे में – जिसपर दुर्गकी सुदृढ़ दीवाल बनी हुई थी – शिखराकृति दिखलाई पड़ी थी । कुछ अधिक खुदाई करनेपर ऐसा ज्ञात हुआ कि जिस प्रकार इस मन्दिरके ऊपर क़िला बना हुआ है, टीक उसीप्रकार मन्दिर
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