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जैन धर्म-दर्शन : एक अनुशीलन
निर्माण हो या सड़कों का, वायुयान का निर्माण हो या रॉकेट का, यह सब पुद्गलों का परिणमन है।
सन् 2010 एवं 2012 में फ्रांस एवं जेनेवा के निकट सर्न में संसार का एक बहुत बड़ा प्रोटॉन टकराव का प्रयोग हुआ। इसे हिग्सबोसोन अथवा गोड पार्टिकल प्रयोग के नाम से जाना जाता है। यह विश्व को चमत्कृत कर देने वाला प्रयोग था। इसमें एक सैकिण्ड में 600 मिलियन टकराव उत्पन्न किये गये। उससे जो ध्वनि उत्पन्न हुई उसका अध्ययन किया गया। इस अध्ययन से ज्ञात होता है कि पुद्गल की जिस गति एवं शक्ति का निरूपण जैन आगम व्याख्याप्रज्ञप्ति में हुआ है उसके प्रयोग की दिशा में वैज्ञानिकों ने कुछ कदम बढ़ाए हैं।
विज्ञान में फोटोन नाम तत्त्व स्वीकार किया गया है, जो स्वयं भारहीन होता है। परन्तु उसकी ऊर्जा और गति के कारण उसमें भार माना गया है। भौतिक शास्त्र में लेपटोन, न्यूट्रियोन, बैरीयोन आदि विभिन्न प्रकार की भौतिक संरचनाओं का उल्लेख प्राप्त होता है, जो स्कंधों के अर्न्तगत समाविष्ट हो सकती हैं। क्वार्क, ग्लोओन, क्वाण्टम आदि शब्द भी पुद्गलों की विभिन्न अवस्थाओं को समझाते हैं। सन्दर्भ:1. (i) पूरणगलनान्वार्थसंज्ञत्वात् पुदुगलाः । - तत्त्वार्थराजवार्तिक 5.1.24
(ii) गलनपूरणस्वभावसनाथः पुद्गलः ।- नियमसरतात्पर्यवृत्ति9 2. गोयमा! पंचविहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तंजहा-वन्नपरिणामे, गंधपरिणामे, रस परिणामे, फास
परिणामे, संठाण परिणाम।-व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 8, उद्देशक 1, सूत्र 1 3. गोयमा! पंचविहे पोग्गल-करणे पन्नत्ते, तं जहा-वण्णकरणे, गंधकरणे, रस करणे, फास करणे,
संठाणकरणे।- व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 19, उद्देशक 9 सूत्र 11 4. पुद्गलस्य स्पर्शरसगन्धवर्णाः मूर्तत्वमचेतनत्वमिति षट् ।- आलापपद्धति, 2 5. सदधयार-उज्जोओ, पभा-छायाऽऽतवो इ वा।
वण्ण-रस-गन्ध-फासा, पुग्गलाणं तु लक्खण।।-उत्तराध्ययन, 28.12 6. शब्दबन्ध सौपृक्यस्थौल्यसंस्थान भेदतमश्छायातपोद्योतवन्तश्च। - तत्त्वार्थसूत्र, 5.31 7. सद्दो बंधो सुहुमो थूलो संठाण भेदतमछाया।
उज्जोदादवसहिया पुग्गलदव्वस्स पज्जाया।।-बृहद्रव्यसंग्रह, गाथा 16 8. न जघन्यगुणानाम्। तत्त्वार्थसूत्र, 5.33