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नय एवं निक्षेप
आधार पर तहसीलदार, पटवारी आदि कहना 'द्रव्य निक्षेप' के उदाहरण हैं। उपयोग रहित क्रिया को द्रव्य कहना भी द्रव्य निक्षेप का उदाहरण है।
4. भाव निक्षेप :- जब शब्द के अर्थ के अनुरूप ही क्रिया घटित हो रही हो, तो उसे 'भाव निक्षेप' से जाना जाता है। जैसे- अध्यापन क्रिया में संलग्न व्यक्ति को अध्यापक कहना, सेवा कार्य में संलग्न व्यक्ति को सेवक कहना आदि भाव निक्षेप के उदाहरण हैं । कोई सुन्दर नयनों वाली हो तो उसे सुनयना कहना चाहिए।
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शास्त्र में प्रयुक्त शब्द का समीचीन अर्थ खोजने के लिए निक्षेप का प्रयोग किया जाता है । दैनिक व्यवहार में भी यह निक्षेप प्रयोग में आता है ।
सन्दर्भ:
1. अभिप्राय इत्यस्य कोऽर्थः ? प्रमाणपरिगृहीतार्थैकदेशवस्त्वध्यवसायः अभिप्रायः । -धवला टीका, जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग-2, पृ. 513
2. नाप्रमाणं प्रमाणं वा नयो ज्ञानात्मको मतः ।
स्यात्प्रमाणैकदेशस्तु सर्वथाप्यविरोधतः ।। - वही
3. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 2, उद्देशक 1, परिव्राजक स्कन्धक का प्रकरण
4. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 12, उद्देशक 2
5. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 7, उद्देशक 2
6. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र ( भगवतीसूत्र ) - 18.10
7. स्थानांगसूत्र, स्थान 1
8. स्याद्वादप्रविभक्तार्थविशेषव्यंजको नयः । - आप्तमीमांसा, कारिका 106 9. नत्यि नएहि विहूणं सुत्तं अत्थो य जिणमए किंचि - विशेषावश्यकभाष्य, गाथा 762 10. धर्मधर्मिसमूहस्य प्राधान्यार्पणया विदः ।
प्रमाणत्वेन निर्णीतेः प्रमाणादपरो नयः ।। - तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, नय विवरण, श्लोक 11. सम्यगेकान्तो नय इत्युच्यते । सम्यगनेकान्तः प्रमाणम् ।
नयार्पणादेकान्तो भवति एकनिश्चयप्रवणत्वात्, प्रमाणार्पणादनेकान्तो भवति अनेकनिश्चयाधिकरणोत्वात्- तत्त्वार्थवार्तिक, 1.6
12. (i) यथा हि समुद्रैकदेशो न समुद्रो नाप्यसमुद्रस्तथा नया अपि न प्रमाणं न वा अप्रमाणमिति । - जैनतर्कभाषा, नयपरिच्छेद ।