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जैन धर्म-दर्शन : एक अनुशीलन
उस पक्ष (साध्यस्थल) में ही घटित हो, उसके बाहर नहीं, तो उसे अन्तर्व्याप्ति कहा जाता है। जैसे वस्तु अनेकान्तात्मक है, क्योंकि वह सत् है, इस हेतु के साथ जो व्याप्ति बनती है, वह समस्त वस्तुओं रूपी पक्ष में विद्यमान रहती है, उससे बाहर नहीं जाती, अतः अन्तर्व्याप्ति कहलाती है। जो व्याप्ति पक्ष (साध्य-स्थल) से बाहर भी घटित होती है, उसे बहिर्व्याप्ति कहा जाता है, जैसे धूम की अग्नि के साथ व्याप्ति पक्ष (साध्यदेश) के बाहर रसोईघर आदि में भी होने से वह बहिर्व्याप्ति है। __ परार्थानुमान में दूसरों को साध्य का ज्ञान कराया जाता है। दूसरों को साध्य का ज्ञान कराने के लिए केवल हेतु का कथन पर्याप्त नहीं होता। हेतु के अतिरिक्त पक्ष-वचन भी आवश्यक होता है । न्याय दर्शन में परार्थानुमान के लिए पाँच अवयवों का कथन आवश्यक माना गया है । वे पाँच अवयव हैं - प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, उपनय और निगमन। जैन दर्शन में पक्ष एवं हेतु - ये दो अवयव अधिक मान्य रहे हैं । इसलिए परार्थानुमान का लक्षण देते समय वादिदेवसूरि ने पक्ष एवं हेतु के कथन को परार्थानुमान कहा है। परार्थानुमान यद्यपि वचनात्मक (कथनात्मक) होता है, तथापि अनुमान की प्रतिपत्ति का निमित्त होने से इसे उपचार से परार्थानुमान कह दिया गया है । परार्थानुमान के दो अवयव स्वीकार करने में जैन दार्शनिक एकान्तवादी नहीं हैं । उनके मत में प्रतिपाद्य पुरुष की योग्यता के अनुसार अवयवों की संख्या निर्धारित हो सकती है । अत्यधिक व्युत्पन्न पुरुष को साध्य का ज्ञान कराने के लिए मात्र ‘हेतु' कथन भी पर्याप्त है और मन्दगति पुरुषों को ज्ञान कराने के लिए प्रतिज्ञा, हेतु आदि न्यायदर्शन में प्रतिपादित पाँचों अवयव आवश्यक हैं। जैनाचार्य भद्रबाहु की ‘दशवैकालिक नियुक्ति' में दश अवयवों का भी उल्लेख हुआ है, किन्तु उन्हें उत्तरवर्ती जैन नैयायिकों ने नहीं अपनाया है। __ जैन दार्शनिकों ने अनुमान-प्रमाण को व्यापक बनाने के लिए हेतु के अनेक भेद प्रतिपादित किए हैं। माणिक्यनन्दि के ‘परीक्षामुख' में हेतु के 22 भेदों एवं वादिदेवसूरि के 'प्रमाणनयत्तत्त्वालोक' में 25 भेदों का वर्णन है। मुख्य रूप से जो हेतु हैं, उनमें स्वभाव, कार्य, कारण, पूर्वचर, उत्तरचर एवं सहचर हेतुओं का नाम लिया जा सकता है । स्वभाव हेतु स्वभाव रूप होता है, यथा-समस्त वस्तुएँ अनेकान्तात्मक हैं, क्योंकि उनमें अनेक गुण-धर्म हैं । यहाँ पर अनेक गुणधर्मों की