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सम्यग्दर्शन
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(ii) नियमसार, गाथा 99 में भी किंचित् पाठ भिन्नता के साथ उपलब्ध। 15. लब्धिसार, गाथा 4 16. लब्धिसार, गाथा 5 17. लब्धिसार, गाथा 7-9 18. लब्धिसार, गाथा 3 पर टीका 19. द्रष्टव्य- जिनवाणी, सम्यग्दर्शन विशेषांक आदि ग्रन्थ 20. सम्मइंसणलंभो वरं खु तेलोक्कलंभादो।- भगवती आराधना, गाथा 742 21. समद्दिठिस्स सुयं सुयणाणं, मिच्छद्दिट्स्सि सुयं सुय अन्नाणा-नन्दीसूत्र 44 22. नादंसणिस्स नाणं, नाणेण विणा न हुंति चरण गुणा।- उत्तराध्ययन सूत्र, 28.30 23. दंसणवओ हि सफलाणि, हुंति तवनाणचरणाइं।- आचारांगनियुक्ति, 2.21 24. आवश्यकसूत्र में प्रदत्त पाठ का अंश 25. आचारांगनियुक्ति, 220 26. सांख्यकारिका में इसे विवेकज्ञान भी कहा गया है तथा सांख्यतत्त्वकौमुदी में
'सत्त्वपुरुषान्यता-ख्याति' शब्द से भी अभिहित किया गया है। द्रष्टव्य, सांख्यकारिका, 21
पर तत्त्वकौमुदी। 27. नितान्तनिर्मलस्वान्तःसाधनचतुष्टयसम्पन्नः प्रमाता।- वेदान्तसार, अधिकारी लक्षण 28. साधनानि नित्यानित्यवस्तुविवेकेहामुत्रार्थफलभोगविरागशमादिषट्कसम्पत्तिमुमुक्षुत्वानि। ___-वेदान्तसार, अधिकारी वर्णन 29. द्रष्टव्य, सदानन्दकृत वेदान्तसार, अधिकारी वर्णन 30. सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते।
अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्त्विकम्।।-भगवद् गीता, 18.20