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उन्होंने उत्तर दिया, "नहीं, दण्डनायकजी इन विद्याओं को प्रोत्साहन नहीं देते। उनका मत है कि हमारे जैसे हैसियतवालों को इन विद्याओं में लगना नहीं चाहिए।" युवरानी ने कहा, "यदि आपकी इच्छा हो तो कहिए, मैं युवराज से ही दण्डनायक जी को कहलवाऊँगी।"
उत्तर में चामव्वा ने कहा, "मैं ही कहूँगी। युवरानीजी का आदेश है कि हमारी बच्चियों को संगीत और नृत्य सिखावें । "
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'मेरी इच्छा आपकी अनिच्छा हो सकती हैं।"
"न, न, आपकी इच्छा ही मेरी इच्छा है।"
"विद्या सिखाने के लिए हमारे नाम का उपयोग करें तो हमें कोई एतराज
नहीं।"
'आपकी सम्मति के बिना आपके नाम का उपयोग करें तो जो विश्वास आपने हम पर रखा है उसके लिए हम अयोग्य ठहरेंगे और आपके उस विश्वास को खो बैठेंगे। यह मैं अच्छी तरह समझती हूँ । चामव्वा ने कहा । "यही विश्वास राजघराने का भाग्य है। हमारे राज्य के अधिकारी वर्ग पर जो विश्वास है वह यदि विद्रोह में परिणत हो जाए तब वह राष्ट्रद्रोह में बदल जाएगा क्योंकि राजद्रोह प्रजाद्रोह में परिवर्तित हो जाएगा।"
"राज-काज के सभी पहलुओं को देख-समझकर उसी में मग्न दण्डनायकजी कभी-कभी यह बात कहते ही रहते हैं युवरानीजी, कि श्रीमुनिजी के आदेशानुसार, अंकुरित सल वंश के आश्रम में इस तरह का विश्वासघाती कोई नहीं है, इससे होय्सल राज्य का विस्तार होगा और इसके साथ यहाँ की प्रजा सुख-शान्ति से रहेगी, इसमें कोई शंका नहीं है। " चामव्या ने कहा ।
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"ऐसे लोग हमारे साथ हैं - यह हमारा सौभाग्य है। लोगों के इस विश्वास की रक्षा करना हमारा भी कर्तव्य है। यह एक दूसरे के पूरक हैं। अधिकार द्वारा या धन के द्वारा विश्वास की रक्षा करना सम्भव नहीं। अब राजभवन में सम्पन्न इस मांगलिक कार्य के अवसर पर सब मिले, किसी भेदभाव के बिना आपस में मिल-जुलकर रहने और एक-दूसरे को समझने का एक अच्छा मौका प्राप्त हुआ – यह एक बहुत अच्छा उपकार हुआ। हमारे पूर्वजों ने हम स्त्रियों पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी धोपी है। 'कार्येषु मन्त्री' कहकर हमें वह उत्तरदायित्व सौंपा है कि पुरुष लोगों को समयोचित रीति से उपयुक्त सलाह देती हुई उन्हें सन्मार्ग पर चलने में सहयोग देती रहें। वे सन्मार्ग से डिगे नहीं - यह देखना हम स्त्रियों की जिम्मेदारी है। इसलिए स्त्री का विद्या विनय सम्पन्न और सुसंस्कृत होना आवश्यक है। इस दृष्टि में हमारी हेग्गड़ती माचिकब्बे ने समुचित कार्य किया हैं - यह हमारी धारणा है। उनकी बेटी ने इस छोटी उम्र में जो सीखा है वह हमें चकित कर देता है। इस शुभ समारोह पर आयीं परन्तु समय व्यर्थ
4K :: पट्टमहादेवी शान्तला