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"मैं कर्नाटक का ही हूँ। यदि मेरा प्रश्न करना गलत हो तो मैं न्यायपीठ से क्षमा माँगता हूँ!"
"तो इन शिकायतों को मानते हो?" "सारी शिकायतें झूठ हैं।" "इसे झूठ साबित करने के लिए तुम्हारे पास कोई गवाह है?" "मैं यहाँ अकेला आया हूँ। मेरी ओर से गवाही कौन देगा?" "कोई हो तो कहो, उसे बुलवा हम लेंगे।"
"एक है, वह बलिपुर में ही पैदा होकर यहीं का पला हुआ है। वह कई बार मेरी मदद भी कर चुका है।"
"वह कौन है?" "बूतुग उसका नाम है। यह चिनिवारपेट मुहल्ले में रहता है।"
"हेग्गड़ेजी, उसे बुलवाइए।" हरिहरनायक ने कहा और हेग्गड़े ने लेंक को उसे बुलाने के लिए भेज दिया।
___ "अच्छा, अभियुक्त ! तुम खुद को निरपराध साबित करने के लिए कोई बयान देना चाहते हो इस न्यायपीठ के सामने?"
"अभी देना होगा या बाद में भी दिया जा सकेगा?"
"अगर वयान सत्य पर आधारित हो तो सदा एक-सा ही होगा। बाद का बयान सुनकर तौलकर उचित बयान देना चाहोगे तो इसकी स्वतन्त्रता तुम्हें होगी।"
"देरी से कहूँ तब भी सत्य सत्य ही होगा न?"
"ठीक, बाद में ही अपना बयान देना हेग्गड़ेजी, अब आप अपनी शिकायतों को साबित करने के लिए अपने गवाह बुलाइए।"
हेगड़े मारसिंगय्या ने रायण को ग्वालिन मल्लि को बुला लाने का आदेश दिया। इतने में लेंक बूतुग को ले आया। सरपंच से हेग्गड़े मारसिंगय्या ने कहा, "यही बूतुग है।"
"अच्छा, ग्वालिन मल्लि के आने से पहले बूतुग की गवाही ली जाएगी, वह शपथ ले।" और उसके विधिवत् शपथ ले चुकने पर उन्होंने अभियुक्त की ओर संकेत करके पूछा, "तुम इसे जानते हो?"
"हाँ, जानता हूँ?" "तुम लोगों में परस्पर परिचय कैसे हुआ, क्यों हुआ, यह सारा वृत्तान्त
बताओ।"
ऐसे ही एक दिन गांव के सदर दरवाजे के सामने पीपल की जगत पर मैं गूलर खाता बैठा था, तब यह आदमी पहले-पहल गाँव में आ रहा था। यह मेरे पास आया और पूछा कि इस गाँव का क्या नाम है। मैंने कहा बलिपुर । आखिर जिस गाँव की
पट्टमहादेगी शान्तला . :