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'अब कुशल हैं, तन्दुरुस्त हैं। वे दारसमुद्र आएंगे। रास्ते में ही हमें समाचार है। " एयंग ने बताया ।
चुका
प्रस्थान के लिए सोमवार ठीक था, फिर भी क्षेमतन्दुल चौक उस दिन नहीं दिया जाता अत: दशमी, बृहस्पतिवार का दिन निश्चित किया गया। एरेयंग प्रभु ने आदेश दिया कि हेग्गड़ेजी भी साथ लें। लही रानीजी चन्दलदेवी ने हा प्रकट की कि हेगड़तीजी और शान्तला भी साथ चलें । हेग्गड़ती को दोरसमुद्र का नाम सुनते ही सारे अंगों में कोटे से चुभ गये। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, "वहाँ मेरा क्या काम है ? हमको पत्तों के पीछे छिपे फल जैसे रहना ही अच्छा है। "
हेगड़े ने कहा, "चन्द्रलदेवी की इच्छा और प्रभु का आदेश है. आपको चलना ही चाहिए।" तब हेग्गड़ती प्रतिवाद नहीं कर सकी।
गालने और लेक को अपने साथ कल्याण ले जाने के लिए उन्हें यहाँ से मुक्त कर वहाँ सेवा में नियुक्त करने की अपनी इच्छा चन्दलदेवी ने प्रकट की । चन्दनदेवी के लिए गाल्लब्धं ने जो काम किया था उसे सुनकर बहुत प्रभावित हो गयी थीं। पहले से भी व गालब्बे पर बहुत रीझ गयी थीं। उसकी निष्ठा ने उन्हें मोह लिया था । इस बारे में दोरसमुद्र में निश्चय करने का निर्णय किया गया।
हेगड़ेजी के घर की देखभाल की जिम्मेदारी रायण पर रखी गयो। लैक और गालब्बे के जाने के कारण मल्लि और ल्यारण्या कां हेगड़े के घर नौकर नियुक्त किया गया। बूतुग तो पहले ही नियुक्त हो चुका था। वह हेगड़े के परिवार का सदस्य हो
बन गया।
मिल
प्रस्थान के दिन बलिपुर के सभी मन्दिरों में रथोत्सव का आयोजन किया गया। युवराज और बड़ी रानीजी को यथोचित गौरव समर्पित किया गया। माचिकब्वे ने बड़ी रानी का क्षेमतल से आँचल भरा। युवराज एरेयंग प्रभु ने सबको साथ लेकर दोरसमुद्र की ओर प्रस्थान किया।
यह महान् सन्तोषजनक वार्ता केवल दोरसमुद्र में ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण पोसल राज्य में फैल गयी कि परमार राजा भोज को हराने के बाद धारानगर का किला धराशायी करके शहर को आतिश की भेंट करके पोय्सल युवराज एरेयंग प्रभु दोरसमुद्र लौट रहे हैं। मारी प्रजा के लिए यह बहुत ही आनन्द एवं उत्साह का विषय था । बलिपुर से दीरसमुद्र तक मार्ग में पड़नेवाले प्रत्येक गाँव में लोगों ने प्रभु परिवार का स्वागतसत्कार किया और भेंटें समर्पित की। एरेयंग प्रभु ने भेंटें स्वीकार कर कहा, "इस धन का विनियोग इस विजय के लिए जिन सैनिकों ने प्राणपण से युद्ध किया उनके परिवार के हित में किया जाएगा।"
पट्टमहादेवी शान्तला : 247