Book Title: Pattmahadevi Shatala Part 1
Author(s): C K Nagraj Rao
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 373
________________ हैं । " कहती हुई चामव्वे ने पति मरियाने दण्डनायक की ओर देखा जिसने उसकी नजर बचाकर चुप्पी साधी उसे लगा कि अब परिस्थिति उसके अनुकूल बन रही है। उसे कुछ धीरज हुआ। उसने कुछ नये उत्साह से बातें शुरू कीं । " तुमने कहा था कि राजवंशियों के द्रोही दण्डनीय हैं, तो बड़े राजकुमार की मृत्यु का षड़यन्त्र रचनेवालों को सूली पर नहीं चढ़ाना चाहिए क्या ? बड़े राजकुमार कल सिंहासन के उत्तराधिकारी होंगे। जिससे उनका पाणिग्रहण होगा वही महारानी बनेगी। वे मेरी लड़की से प्रेम करते हैं इसलिए कल वही महारानी भी बनेगी। लेकिन ऐसी दशा में, हमारी यह आशा पूरी कैसे हो सकती जब ग्गगड़ती छोटे राजकुमार से अपनी लड़की का पाणिग्रहण करके अपने लिए रास्ता सुगम बना रही है। और इसके लिए उसने अपने वांछित मार्ग से हटाकर बड़े राजकुमार को खतम कर अपना ही साम्राज्य स्थापित करने की सोच रखी हैं। इसीलिए उसने यह सब किया है, भैया आप पुरुष लोग नहीं जान सकते उस हेगड़ती का यह षड्यन्त्र जिसने बड़े ही सज्जन कासा व्यन्त्रहार कर अपना काम साधने के लिए वाममार्ग का अनुसरण किया है जिसके प्रभाव से युवराज और राजकुमार उसके वश में आ गये हैं। भैया, तुम ही बताओ, बड़े राजकुमार युद्ध-रंग में जाकर कौन-सा बड़ा पहाड़ उठा लेंगे। सब कहते हैं कि बड़े राजकुमार से छोटे राजकुमार अधिक सशक्त और होशियार हैं। ऐसी हालत में तो छोटे राजकुमार को युद्ध-रंग में जाना चाहिए था और बड़े राजकुमार को राजधानी में हो रहना उचित था । परन्तु क्या हुआ है, तुम ही सोचो, भैया। बड़े राजकुमार जब इतनी सफाई से युद्ध नहीं कर सकते तो उन्हें युद्ध क्षेत्र में भेजकर छोटे राजकुमार को बलिपुर में रहने देने के क्या माने हो सकते हैं ? और वह भगवती तारा का रथ केवल एक बहाना है, भैया, बहाना, बहाना । हम जैन हैं, भगवती तारा बौद्ध देवी, जैनियों का उससे क्या सम्बन्ध ? अपना कार्य साधने के लिए युवराज और युवरानी की उदारता के दुरुपयोग की चरम सीमा है यह महत्त्वाकांक्षा रखने वाले ये छोटे लोग कुछ भी कर सकते हैं, किसी बात में वे आगा-पीछा न करेंगे। इसीलिए मैं भी अपने और अपनी बच्चियों के हित और सुख की रक्षा के लिए वामशक्ति के यहाँ गयी। किसी की बुराई के लिए नहीं, केवल अपनी रक्षा के लिए गयी, यह, बच्चों की कसम, सच है ।" गंगराज ने शान्ति से किन्तु प्रतिक्रिया व्यक्त किये बिना ही सब बातें सुनीं। चापव्वे ने उसकी दृष्टि में अपनी बातों की प्रतिक्रिया नहीं पायी तो निराश होकर एक दीर्घ श्वास लो और फिर कड़क आवाज में बोली, "भैया! मैंने सबकुछ खोलकर कह दिया है अगर मुझे अपनी स्त्रियों की रक्षा का कोई अधिकार हैं तो अब तक जो गुप्तच्चर मेरे पीछे रखते रहे उन्हें तुम हेगड़े और उसके परिवार के पीछे रखो और उन लोगों का रहस्य जानने की कोशिश करो। तब तुम्हें खुद भी मालूम होगा कि यह राजद्रोह कहाँ हुआ है।" पट्टमहादेवी शासला 370

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