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मन्दिर शिवजी का है, मालूम है न? इस चामुण्डराय का 'जगदेकमल्ल' विरुद था । इतना ही नहीं, बलिपुर के अपने प्रतिनिधि नागवर्म के द्वारा यहाँ जैन, बौद्ध, शैव, वैष्णव इन चारों मत-सम्प्रदायों के अनुयासियों के निवास के लिए गृह करानेवाले महानुभाव यही थे। उनका वह महान आदर्श सार्वकालिक है। मेरे गुरुवर्य ने यही बताया है। उनकी समन्वय दृष्टि, सहानुभूतियुक्त विचार-विनिमय को रीति और मत सहिष्णुता के बल पर व्यक्ति-स्वातन्त्र्य- ये सब सुखी जीवन के लिए उत्तम मार्ग हैं। गुरुवर्य ने यह बात बहुत स्पष्ट रूप से समझायी है।" शान्तला के हाथ में गजरा तब तक वैसा ही रुका रहा।
"परन्तु रावतजी की दृष्टि में इस दुरंगी चाल चलनेवालों के सम्बन्ध में अगर होशियार रहने का संकेत है तो उसका कोई कारण भी होना चाहिए न ?" बिट्टिदेव ने छेड़ा।
" राजकुमारजी का कहना ठीक ही लगता है। उस दिन राजकुमार के जन्मदिन के अवसर पर सबकी बातों से इस मायण की बातें निराली ही रहीं।" सिंगिमय्या ने कहा ।
"हाँ, हाँ, तभी तो उस दिन कवि जी ने कहा था कि उसपर वे सुन्दर काव्य लिखेंगे।" बिट्टिदेव ने सुर से सुर मिलाया।
" आनन्द - मंगल के समय उस कड़वी बात की याद नहीं करनी चाहिए।" मात्रण हाथ न आया लेकिन सिंगिमय्या को भी वह ठीक जँचा, "अच्छा, यह बात और कभी कह लेना । आज कुछ और कहो ! "
" धारानगरी पर विजय के बाद वहाँ आग लगाते वक्त हमारे प्रभु ने जो बुद्धिमानी दिखाई थी, उसका किस्सा सुनाऊँ?" मायण ने पूछा ।
" वह किस्सा सबको मालूम है।" सिंगिमय्या बोले ।
"मैं जो किस्सा बता रहा हूँ वह सबको मालूम नहीं। वह किस्सा अलग ही है। किस्सा युद्ध - रंग का नहीं। वह घटना शिविर में घटी थी। उस रात प्रभु के अंगरक्षक दल का उत्तरदायित्व मुझ पर था कुछ और चार-पाँच लोग मेरे आज्ञानुवर्ती थे। आधी
रात का समय था। प्रभु के शिविर के मुख्य द्वार पर मैं था । पूर्णिमा की रात थी वह। दूध-सी चाँदनी बिछी थी। तभी एक योद्धा वहाँ आया। किसी तरह के भय के बिना वह सीधा मेरे पास आकर खड़ा हो गया। उसे देखते ही मुझे मालूम हो गया कि वैरी के दल का है। मैंने भ्यान से तलवार निकाली। मुँह पर उँगली दबाकर वह मेरे कान फुसफुसाया, 'मैं महाराज भोजराज के ठिकाने का पता लगाकर आया हूँ। मैं तुम्हारी ही सेना का आदमी हूँ। लेकिन इस समाचार को पाने के लिए प्रभु से आज्ञप्त होकर शत्रुओं की पोशाक में आना पड़ा है।'
मैं
मैंने कहा, रात के वक्त किसी को अन्दर न आने देने की कड़ी आज्ञा है, तो
२५ शान्तला