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दण्डनाथ और डाकरस दण्डनाथ भी यहाँ इस अवसर पर उपस्थित होंगे। इनमें डाकरस दण्डनाथ से हेगाड़े मारसिंगय्या का कुछ विशेष लगाव था। इसका कारण यह था कि उसके साले सिंगिमय्या और डाकरस दण्डनाथ के विचारों में साम्य था और दृष्टिकोण में अन्तर नहीं था। माचण दण्डनाथ कुछ अहंकारी था, उसने इसे पिता के गुणों का हो प्रभाव समझा था। यहाँ आने के बाद एक तरह से मारसिंगय्या ने गुप्तचर का काम किया था, यह कहें तो गलत नहीं होगा। उनकी गुप्तचरी का लक्ष्य केवल इतना पता लगाना था कि राजघराने से सम्बद्ध रहनेवाले और राजभवन के अधिकारी वर्ग में रहनेवाले लोगों में कौन कितनी निष्ठा के साथ काम करता है और उनकी निष्ठा कितनी गहरी है। युवरानी एचलदेवी के साथ जो विचार-विनिमय हुआ था उसके परिणामस्वरूप यह गुप्त आदेश मारसिंगय्या को प्रभु ने दिया था। प्रभु के इसी आदेश से चिण्णम दण्डनायक ने भी पता लगाने की कोशिश की थी, परन्तु वह सफल नहीं हुआ था। इस अवसर पर उपस्थित न पाकर मारसिंगय्या ने पूछा, "छोटे दण्डनायक कहाँ हैं, दिखते नहीं?"
"वे अलग रहते हैं। हमारी घरवाली का अभिमत है कि परिवार में सुखी रहना हो तो उन्हें स्वतन्त्र रखना चाहिए। इसलिए वे दोनों अपने-अपने परिवार सहित अलग-अलग रह रहे हैं। आज बुलाने का मेरा विचार था। परन्तु आज डाकरस के घर में उनके सास-ससुर की बिदाई है। माचण और उसकी पत्नी वहाँ गये हैं। यह पूर्वनिश्चित कार्यक्रम था। यों तो हम सबको वहाँ उपस्थित रहना चाहिए था।"
___ "ठीक ही तो हैं, वे तो समधी समधिन हैं। ऐसी हालत में यहाँ यह सब करने की तकलीफ क्यों उठायी?"
"समधी लोग आते-जाते ही रहते हैं। साल में, दो साल में यह होता ही रहता है। परन्तु आप लोगों का बार-बार आना-जाना नहीं हो सकता। हमारे युबराज और बड़ी रानीजी दोनों को आपके विषय में विशेष आदर और प्रेम है। आप लोगों के आगमन से हमारा घर भी पवित्र हो जाए, इसीलिए यह इन्तजाम किया है। मेरे दिमा!! में इस आयोजन की बात नहीं आयी थी, आखिर हम योद्धा ही ठहरे। यह सलाह और यह आयोजन हमारी घरवाली का है। वे ही इस सबकी सूत्र-धारिणी हैं।"
"योद्धाओं के दिल में भी प्रीति रहती है। आप ही कहिए, हेगड़ेजी।"चामचे ने कहा।
"मारो-काटो, वे सब बाहर की बातें हैं, घर के अन्दर की बातें कुछ और ही होती हैं।
___ "हाँ, हाँ, ऐसी बातें कर रहे हैं मानो बहुत भुगत चुके हैं।" चामव्या ने व्यंग्य किया।
"हाँ, सत्य कहें तो स्त्रियों के लिए वह आश्चर्य ही लगता है।" ये बातें
पट्टपहादेवी शान्तला :: ?77