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प्रश्न की जरूरत नहीं । प्रस्तुत सन्दर्भ में यह बहुत छोटा विषय हैं। यहाँ जो होना चाहिए उसमें उनकी अनुपस्थिति के कारण कोई अड़चन तो आयी नहीं। तब उनके न आने के बारे में चर्चा करके अपना मन क्यों खराब करें।" इतने में उसे बुलावा आया तो वह उपनयन वेदी की ओर चला गया। बल्लाल भी उसके पीछे-पीछे गया। मण्डप में हजारों लोग इकट्ठे हुए थे। स्वयं महाराज विनयादित्य की उपस्थिति से उत्सव में विशेष शोभा और उत्साह था।
राजमहल के ज्योतिषियों ने जो मुहूर्त ठहराया था, ठीक उसी में उपनयन सस्कार सम्पन्न हुआ | मातृ-भिक्षा हुई, सबने वस्त्र, नजराना आदि भेंट करना शुरू किया। करीब-करीब सब समाप्त होने पर था कि उपनयन मण्डप के एक कोने से गौंक एक परात लेकर ज्योतिषी के पास आया और उनके कान में कुछ कहकर चला गया। पुरोहितजी ने बलिपुर के हेग्गड़ेजी के नाम की घोषणा करते हुए वटु को वह भेंट दे दी। युवराज, युवरानी और विट्टिदेव की चकित आँखें गोंक की ओर उठीं। मरियाने और चामव्वे को घबड़ाहट सी हुई। बाकी सब ज्यों के त्यों बैठे रहे। बल्लाल की आँखें इधर-उधर किसी को खोज रही थीं।
अपने भैया को आकर्षित करने का बिट्टिदेव का प्रयत्न सफल नहीं हुआ। अचानक ही ब्रिट्टिदेव का चेहरा उत्साह से चमक उठा, जिसे ज्योतिषियों और पुरोहितों ने उपनीत धारण करने से आया हुआ समझ लिया ।
उपनयन के सब विधि-विधान समाप्त हुए, सभी आमन्त्रित मेहमान भोजन करने गये । गोंक ने भोजन के समय मारसिंगय्या को युवराज से मिलने की व्यवस्था की, यद्यपि मारसिंगय्या से सबसे पहले भेंट की इच्छा दण्डनायक की रही, जो पूरी न हो सकी। उसे इतना मालूम हो गया था कि शेग्गड़े अकेला आया है सपरिवार नहीं। उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया।
दण्डनायक के मन में विचार उठे, बलिपुर के हेगड़े के पास आमन्त्रण-पत्र नहीं गया, फिर भी वह यहाँ आया, अवश्य ही कुछ रहस्य है, इसका पता लगाना होगा। इन बातों में मुझसे अधिक होशियार चामव्वे हैं, मगर उसकी तो रात तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। उन्होंने एक बार हेगड़े को पकड़ लाने की कोशिश भी की मगर सफल नहीं हो सके।
भेंट नजराना देते वक्त जिन लोगों ने मारसिंगय्या को देखा था वे खुश थे। किसी भी तरह उससे मिलने की कोशिश करने पर भी असफल होने के कारण कुछ झुंझला रहे थे। लेकिन वह हमें देखे बिना कहाँ जाएगा, इस तरह की एक भ्रष्ट भावना थी बल्लाल में । जब उसे मालूम हुआ कि मारसिंगय्या जैसे आया वैसे ही किसी को पता
322 : पट्टमहादेवी शान्तला