________________
में दूर से चलकर क्यों आयी? गाड़ी में जाती। किसी को कहे बिना कहां गयी थी?"
वह बैठकर पल्ले से पसीना पोंछने लगी, फिर भी पसीना छूटता ही रहा। उसकी आँखों में डर समा गया था। बहन की यह हालत देखकर गंगराज ने कहा, "चामू, तुम जाओ, पहले हाथ-मुँह धोकर स्वस्थ हो आओ। फिर बातें करेंगे।"
उसे भी सुस्ताने के लिए समय मिला, पसीना पल्ले से पोंछती हुई चली गयी। गंगराज ने कहा, "दण्डनायकजी ने बहुत डरा दिया मालूम होता है।"
"वह इतने से डरनेवाली नहीं, बहिन आपकी ही तो है। आज दोपहर उसकी आप ही के यहाँ आने की योजना थी, इसी के लिए मैं आपके यहाँ आया था। इतने में वह किधर गयी सो मालम नहीं। किसी मे करे बिगायी थी इसलिए रमी से जानना होगा कि वह कहाँ गयी थी। इस वक्त आपका यहाँ पधारना उसके लिए अकल्पित बात है। इतना ही नहीं, जिस कठोर सत्य का सामना करना है उसने उसे नरम बना दिया है। सिर उठाकर इतरानेवाली आपकी बहिन के लिए अब शरम से सिर झुकाकर चलना असम्भव बात मालूम पड़ रही है।"
"उसने जो किया है उसे अपनी गलती मान ले तभी उसका हित होगा, नहीं तो यह बुरी प्रवृत्ति और भी बड़ी बुराई की ओर बढ़ सकती है, और मैं चाहता हूँ कि ऐसा न हो।"
"वह स्वभाव से तो अच्छी है, परन्तु उसमें स्वार्थ सबसे प्रथम है। इसीलिए जल्दबाजी में कुछ-का-कुछ कर बैठती है। जो किया सो गलत है, यह वह मानती नहीं। कई बार वह अपनी गलती को भी सही साबित करने लगती है। इस प्रसंग में भी उसने शायद यही किया हो। बच्चों की कसम खाकर सत्य कहने को नौबत आने से उसकी हालत दो पार्टी के बीच के दाने की-सी हो गयी है। लेकिन इससे उसकी भलाई भी होगी, और उसका दृष्टिकोण बदलने में सहायता भी मिलेगी।"
"गलती मनुष्य मात्र से होती है, परन्तु उसे सुधार लेना चाहिए और सुधार लेने के लिए मौका भी दिया जाना चाहिए।"
"यह सब हमें नहीं मालूम, आप कुछ भी मौका बना दें उसे यह मानना ही होगा कि उसके स्वार्थ ने उससे ऐसा कराया है।"
"क्या आप समझते हैं कि वह ठीक है?"
"ठीक तो नहीं कह सकता, क्षम्य जरूर कह सकता हूँ। मेरी भावना के पीछे मेरा अपना स्वार्थ भी हो सकता है, इसीलिए मेरे विचार को कोई मूल्य देने की जरूरत नहीं। जो काम हो चुका है सो तो हो ही चुका और इससे राज-परिवार को सदमा भी पहुंच चुका है। अब तो इसका दुष्परिणाम नहीं बढ़े, यह देखना ही आपकी जिम्मेदारी
"कितना बड़ा अपराध भी क्यों न हो, युवराज क्षमा कर देंगे। वे बड़े उदार हैं।
पढ़पहादेवी शान्तला :: 375