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राज्य में विलीन नये-नये प्रदेशों की प्रजा में निष्ठा और दक्षता रूपित करने के लिए नये-नये मुख्य नगरों को चुनकर पोय्सल राजा उनमें रहा करते। इसी क्रम में उन्होंने सोसेकरु के बाद वेलापुरी को चुना था। इसी तरह, दक्षिण के चोल राजाओं के सीमाविस्तार को रोकने और अपने सुखी राज्य को विस्तृत करने के उद्देश्य से यादवपुरी को भी उन्होंने प्रधानमनमायामक प्रभाव नगर में एक दण्डनायक और उनके मातहत काफी सशक्त सेना रहा करती थी। वेलापुर की प्रधानता के कारण अमात्य कुन्दमराय का निवास वही था। सोसेऊरु का नेतृत्व चिण्णम दण्डनायक कर रहे थे।
फिलहाल राज्य की जिम्मेदारी अपने ऊपर अधिक पड़ने के कारण प्रभु ने राजधानी की देखरेख का उत्तरदायित्व प्रधान गंगराज और महादण्डनायक मरियाने पर छोड़ रखा था। महाराज की और राजधानी की व्यवस्था भी उन्हीं पर छोड़ रखी थी। मरियाने के लड़कों को दण्डनायक के पद पर नियुक्त कर उनकी हैसियत बढ़ायी गयी थी। उन्हें आवश्यक शिक्षण देने की जरूरत थी, इसलिए उन्हें तब तक दोरसमुद्र में ही रखा गया जब तक उनका शिक्षण पूरा न हो।
अब की बार एरेयंग प्रभु ने दोरसमुद्र से प्रस्थान करते समय माचण दण्डनायक को यादवुपरी की निगरानी करने को रखा : डाकरस दण्डनायक को वेलापुरी में नियुक्त कर वहाँ जाने का आदेश दिया।
मरियाने को यह परिवर्तन जचा नहीं, फिर भी वह कुछ कर नहीं सकता था। इस पर उसने महाराज को भी अपनी राय बता दी थी। परन्तु महाराज ने एक ही बात कही, "युवराज ने मेरी सम्मति लेकर ही यह परिवर्तन किया है।"
अपनी इस यात्रा की खबर तक न देकर युवराज के एकदम चल देने से दण्डनायक के घर में काफी तहलका मच गया था। अब इस परिवर्तन ने सुलगती आग पर हवा का काम किया।
पहादण्डनायक का मन रात-दिन इसी चिन्ता में घुलने लगा कि मेरे बेटों को मुझसे दूर रखने का यह काम मेरी शक्ति को कम करने के लिए किया गया है, युवराज ने इसीलिए यह काम किया है, मैंने कौन-सा अपराध किया था? मैं खा-पीकर बड़ा हुआ इसी राजघराने के आश्रय में, मेरी धमनियों में जो रक्त बह रहा है वह पोय्सल रक्त हैं। मुझसे अधिक निष्ठावान् इस राष्ट्र में कोई दूसरा नहीं। ऐसी हालत में युवराज के मन में मेरे बारे में ये कैसे विचार हैं?
चारव्वा ने जवाब दिया, "यह सब उस हेगड़े का जाल है। इन भस्मधारियों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।"
"तो यह सब उसी का प्रभाव हो सकता है। इसीलिए उल्लू बनाना मुहावरा चल पड़ा होगा। अन्न तो स्थिति हाथ से निकलती लगती है।"
"मैंने पहले ही कहा था कि उस हेगड़े का काम छुड़ा दो, नहीं तो उसका
पट्टमहादबी शान्तला :: 287