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अरे मूरख, औरत को बैल नहीं, गाय कहो । तब सब हँस पड़े। वह हँसी अनसुनी कर ये दोनों जल्दी-जल्दी मन्दिर के अन्दर चली गयीं। फिर इसने कहा, अरे वह औरत हेग्गड़े की बहिन नहीं है। हमें तो आश्चर्य हुआ। बहिन न होती तो इनके घर में सातआठ महीने से क्यों रह रही होती। तब इसने कहा दुनिया बड़ी अजीब हैं, उसमें औरतमर्द का सम्बन्ध कैसा कैसा होता है, यह कहना मुश्किल है। हम लोगों में एक भावना यह हुई थी कि इन देवीजी के साथ हेग्गड़ेजी का कोई ऐसा सम्बन्ध बना है जो पहेलीसा लगता है। "
+1
'ठीक, और भी कुछ कहना है क्या ?"
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'कुछ नहीं मालिक!"
" ठीक।"
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बूग पीछे हटा और अपनी जगह जा बैठा। हरिहरनायक ने अभियुक्त को तरफ मुड़कर पूछा, "तो तुम्हारे कहने से यह मालूम पड़ता है कि श्रीदेवीजी हेगड़े की बहिन नहीं है?"
16.
“हाँ।"
" तो वे हेगड़े की क्या लगती हैं ?"
44 'क्या लगती हैं सो तो हेग्गड़ेजी को ही कहना हैं। यहाँ मेरी बात से भी अधिक विश्वसनीय बात उनकी है न, वे बड़े सत्यवान हैं न?" अभियुक्त ने कुछ गरम होकर
कहा।
" तो इन दोनों के सम्बन्ध के बारे में तुम्हारा क्या मन्तव्य है ?"
" उसे भी वे जानते हैं। मैं कहूँ तो वह केवल कहा मात्र हो सकता है। अगर वही कहें तो उसे सत्य का मान प्राप्त होता है। इसीलिए वे हो कहें, हालांकि मेरी बात सत्य ही है। ये हेगड़े की बहिन नहीं है।" उसके धीरज को देखकर लोग चकित हुए। शान्तला ने कुतूहल- भरी दृष्टि से पिता को देखा। उसे आश्चर्य भी हुआ। उसे कभी विश्वास नहीं हुआ कि उसके पिता झूठ भी बोल सकते हैं। हरिहरनायक ने हेगड़े से पूछा, "क्यों हेग्गड़ेजी, अभियुक्त के इस बयान का आप क्या जवाब देंगे ?"
हेगड़े मारसिंगय्या अपने स्थान से उठे और मंच की ओर कदम बढ़ाने लगे 1 "वहीं से कहिए ।" हरिहरनायक ने कहा ।
"न्यायपीठ का अपमान किसी से भी नहीं होना चाहिए। इसलिए मंच पर से ही उत्तर दूँगा।" मारसिंगय्या ने कहा। हेग्गड़ेजी का वक्तव्य सुनने के लिए सब लोग आतुर हो रहे थे। अपराधी का भी उत्साह बढ़ गया। उसने कान खड़े किये सुनने के लिए। मारसिंगया मंच पर चढ़े और युक्त स्थान पर खड़े हो गये। धर्मदर्शी ने प्रमाण वचन कहलाया । हरिहरनायक ने पूछा, "हेग्गड़ेजी, आपकी कोई बहिन है ?"
" सहोदर बहिन नहीं है।" लोगों की दृष्टि श्रीदेवी की ओर लग गयी।
पट्टमहादेवी शान्तला : 233