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"शादी करनेवाले।" "माँ-बाप किसी अनचाहे के हाथ मांगल्य-सूत्र बंधवाने को कहें तो?" "वे सब सोच-समझकर ही तो निर्णय करते हैं।" "तो क्या वे समझते हैं कि बेटी के मन में किसको कामना है?"
"विवाह ब्रह्मा का निर्णय है, पति हम ही चुन लें या मां-बाप, निर्णय तो वहीं है। अच्छा, जब तुम्हारी शादी की बात उठेगी तब तुम अपनी इस फूफी की बात मान जाओगी न |"
"बाद में?" एक दूसरा ही प्रश्न करके शान्तला ने उसके सीधे से प्रश्न का उत्तर चतुराई से टाला।
"किसके बाद?" श्रीदेवी ने पूछा।
"वही, आपने कहा था न कि परमारों और चालुक्यों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी वैर बढ़ता ही गया, उसके बाद?"
"उसके बाद, अब धारानगर पर जो धावा किया गया, उसका मूल कारण यही
"उसके पीछे कोई और कारण भी होगा?"
"हाँ, था, बड़ी रानी चन्दलदेवी का स्वयंवर । भोजराज ने सोचा कि इस लड़की ने किसी दूसरे की ओर ध्यान दिये बिना ही हमारे वंश के परम शत्रु चालुक्य विक्रमादित्य के गले में माला डाल दी। उस राजा और लड़की को खतम किये बिना
उन्हें तृप्ति नहीं मिल सकती थी इसलिए इस घटना से निराश हुए कुछ लोगों को मिलाकर परमारों ने युद्ध की घोषणा कर दी। चाहे कुछ हो, मुझ-जैसी एक लड़को को युद्ध का कारण बनना पड़ा।"
"आप-जैसी लड़की के क्या माने, फूफी?"
श्रीदेवी तुरन्त चेत गयी, "हमारी वह बड़ी रानी, परन्तु इस युद्ध का असल कारण वह कदापि नहीं रहीं।"
"आपकी बड़ी रानी कैसी हैं फूफो?" "ओफ, बहुत गर्याली हैं, हालाँकि उनका मन साफ और कोमल है।" "क्या वे आपसे भी अधिक सुन्दरी हैं, फूफी?"
"अरे जाने दो। उनके सामने मेरा सौन्दर्य क्या है। नहीं तो क्या उनका चित्र देखकर ही इतने सारे राजा स्वयंवर के लिए आते?" ।
__ "वे राजकुमारी थी, इसलिए उनके सौन्दर्य को हद से ज्यादा महत्त्व दिया गया, वरना सुन्दरता में आप किससे कम हैं फूफी? जब आप मन्दिर जाती हैं तो बलिपुर की सारी स्त्रियाँ आप ही को निहारा करती हैं। उस दिन माँ ही कह रही थी, हमारी श्रीदेवी साक्षात् लक्ष्मी है, उसके चेहरे पर साक्षात् महारानी-जैसी कान्ति झलकती है।"
पट्टमहादेवी शान्तला :, 191