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था। इतने बड़े सद्व्यवहार का भी उसने घोर दुरुपयोग किया। महाराज की बहन तो उसके आतिथ्य में अन्नपूर्णा की भाँति संलग्न थी और यह अधम उसे कामुक दृष्टि से देखने लगा। इस जघन्य अपराध के लिए उसे वह दण्ड दिया गया जिससे उसे वहीं कल्याण में ही, प्राण त्यागने पड़े। तबसे परमार-चालुक्य बैर बढ़ता हो गया और आज की इस स्थिति तक पहुंच गया है।"
"सुना है, राजा मुंज को सजधानी के बीच हाथी से कुचलवाया गया था, क्या यह सत्य है?"
"यह मुझे ठीक-ठीक मालूम नहीं।"
"हमारे गुरुजी ने बताया था कि उनकी तरफ के लोगों में भी कोई कहानी प्रचलित है।"
"वह क्या है? "शायद आपको भी मालूम होगी।" "नहीं, तुम्हें मालूम हो तो कहो।'
"राजा मुंज की पुष्ट देह और सशक्त व्यक्तित्व पर मोहित होकर चालुक्य राजा की बहन ने ही स्वयं उसे अपने मोहजाल में फंसा लिया था। बात प्रकट हो गयी तो उसके गौरव की रक्षा के हेतु दोप बेचारे मुंज पर लादकर उसे हाथी के पैरों से रौंदवा दिया गया।
"तुम्हारे गुरुजी तो समाचार संग्रह करने में बहुत ही चतुर हैं। हर विषय की छानबीन कर उसकी तह तक पहुँच जाते हैं।"
"फुफीजी, जब वे इतिहास पढ़ाते हैं तब ऐसे विषय अधिक बताया करते हैं, लेकिन तभी जोर देकर यह भी कहते हैं कि एक ही विषय के ओ दो भिन्न-भिन्न रूप होते हैं उनमें कौन ठीक है और कौन गलत, इस बात का निर्णय स्वयं करना चाहिए।"
"तुम बड़ी भाग्यशालिनी हो, अम्माजी। माँ अच्छी, बाप अच्छे और तुम्हें गुरु भी बहुत अच्छे मिले हैं।"
"अच्छी फूफी भी मिल गयी है।" "वैसे ही, तुम पाणिग्रहण भी एक अच्छे राजा से करोगी।"
"फूफी, सब बड़ी स्त्रियाँ यही बात क्यों कहा करती हैं ? प्रसंग कोई भी हो, आखिर में अच्छा पति पाने का आशीष जरूर देंगी जैसे स्त्री का एक ही काम हो, पति पाना। मुझे तो शादी-शादी, पति-पति सुनते-सुनते जुगुप्सा होने लगी है।"
"इस उम्र में ये बातें भले ही अच्छी न लगें परन्तु हम बड़ों का अनुभव है कि स्त्री का जीवन सुखमय सहधर्मिणी होकर रहने से ही होता है। इसी वजह से हम कहती हैं कि अच्छा पति पाओ। जिसका मतलब यह नहीं कि तुम कल ही शादी कर लो।"
"पति के अच्छे या बुरे होने का निर्णय कौन करेगा?"
190 :: पट्टमहादेवी शात्तला