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'क्यों उसके बारे में ऐसी बातें कह रहे हैं?
"मैं सच कह रहा हूँ। उसे तुम्हारे भाई की चाह नहीं हैं।"
11 'मतलब ?"
"तुम्हारे साथ चलने का सा नाटक करेगी, पति को जहर देकर मार डालेगी, फिर यहीं आएगी।"
" छिः छिः ! यह क्या बात कर रहे हैं ? अपनी कसम, मेरी भाभी ऐसी कभी
नहीं ।
".
" बेचारी, अभी तुम क्या जानो, कच्ची हो। वह बदमाश है, उसने उसे अपनी रखैल बना रखा है।"
"वह बदमाश कौन है ?"
" वही हेगड़े, बड़ा शिवभक्त होने का नाटक रचा था आज भस्म धारण करके "
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अजी, तुम्हारी सारी बातें झूठ हैं। हम सब परसों गाँव जानेवाले हैं। आज सोमवती अमावस्या है। अच्छा पर्व है। इसलिए हमारी भाभी की भलाई के लिए हेगड़ेजी ने मन्दिर में विशेष पूजा की व्यवस्था की थी। वे तो उन्हें अपनी बेटी मानते हैं । "
वह ठहाका मारकर हँसने लगा। " तुम एक अनजान स्त्री हो। यह सब तुम्हारी समझ में नहीं आता। अपनी ही आँखों के सामने अपने पति की रखैल का आदरसत्कार होता रहा, उसे देखती चुपचाप खड़ी रही वह हेगड़ती । "
"मुझे तो आपकी बातों पर विश्वास ही नहीं होता।"
" एक काम करो, तुम्हें विश्वास होगा। कल तुम उसे बुला ही लाओ। तुम्हारे सामने ही साबित कर दूँगा। उस औरत को दूर रखकर तुम अपने भाई की जान बचा सकोगी ।"
"ऐसी बात हैं तो आपकी कसम, बुला लाऊँगी। मुझे घर पहुँचा दीजिए । आपका भला हो । "
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'अपने अनुभव से मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ । स्त्री मछली की तरह होती हैं, ढील देने पर फिसल जाती है। इसलिए मुझे तुम्हारा विश्वास ही नहीं हो रहा है।" "मैं ऐसी नहीं, एक बार वचन दिया तो निबाहूँगी।"
"मैं विश्वास नहीं करता। तुम मेरी पकड़ में रहोगी तो वह काम करोगी। तुम्हें पहले अपनी पकड़ में रखकर फिर तुम्हें घर पहुँचाऊँगा। सभी कल तुम अपनी भाभी को लाओगी। ठीक, तो चलो अब । " कहते हुए उसने कदम बढ़ाया। हेग्गड़ेजी में जिस मण्डप का जिक्र किया था वह अभी दिखा ही था कि कुछ आगे चलकर उसने उसे पुकारा, "अजी, सुनिए । "
28 महात्री शान्ला