Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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- चउत्थगाहाए अत्थो
गा० २२ ] (४) पयडीए मोहणिज्जा विहत्ति तह हिदीए अणुभागे।
उकस्समणुक्कस्सं झीणमझीणं च हिदियं वा ॥२२॥ * पदच्छेदो। तं जहा-पयडीए मोहणिज्जा विहत्ति' त्ति एसा पयडिविहती।।
६३४ एत्थ पदं चउविहं, अस्थपदं पमाणपदं मज्झिमपदं ववत्थापदं चेदि । तत्थ जेहि अक्सरेहि अत्थोक्लद्धी होदि तमत्थपदं । वाक्यमर्थपदमित्यनान्तरम् । अक्खरणिप्पणं पमाणपदं। सोलहसयचोत्तीसकोडि-तेयासीदिलक्ख-अहहत्तरिसयअहासीदिअक्खरेहि मज्झिमपदं । जत्तिएण वक्कसमूहेण अहियारो समप्पदि तं ववत्थापदं सुवंतमिजंतं वा एदेसु पदेसु कस्स पदस्स वोच्छेदो ? ववत्थापदस्स अहियारसरूवस्स। पयडीए मोहणिज्जा विहत्ति' त्ति एत्थतण 'इदि' सद्दो एदस्स सरूवपयत्थ(-त.) यत्तं जाणावेदि तेण एसा पयडिविहत्ती पढमो अस्थाहियारो ति सिद्धो । * तह हिदी चेदि एसा हिदिविहत्ती २ ।
३५. हिदिविहत्ती णाम एसो विदियो अत्थाहियारो । सेसं सुगमं । मोहनीय प्रकृतिविभक्ति, मोहनीय स्थितिविभक्ति, मोहनीय अनुभागविभक्ति, प्रदेशविषयक उत्कृष्टानुत्कृष्ट, झीणाझीण और स्थित्यन्तिक ये छह अर्थाधिकार हैं।
* अब इस गाथाका पदच्छेद करते हैं। वह इस प्रकार है-'पयडीए मोहणिज्जा विहत्ति' इस पदसे प्रकृतिविभक्ति सूचित की है।
६ ३४. पद चार प्रकार है-अर्थपद, प्रमाणपद, मध्यमपद और व्यवस्थापद । उनमेंसे जितने अक्षरोंसे अर्थका ज्ञान होता है उसे अर्थपद कहते हैं। वाक्य और अर्थपर ये एकार्थवाची हैं । अर्थात् अर्थपदसे आशय वाक्यका है । आठ अक्षरोंसे निष्पन्न हुआ एक प्रमाणपद होता है। सोलहसौ चौतीस करोड़ तेरासी लाख सात हजार आठसौ अठासी अक्षरोंका एक मध्यमपद होता है। जितने वाक्योंके समूहसे एक अधिकार समाप्त होता है उसे व्यवस्थापद कहते हैं । अथवा, सुवन्त और मिगन्त पदको व्यवस्थापद कहते हैं।
शंका-यहां इन पदोंमेंसे किस पदका पृथकरण किया है ?
समाधान-अधिकारका सूचक जो ‘पयडीए मोहणिज्जा विहत्ति' यह व्यवस्थापद है, उसका ही यहां पृथक्करण किया है।
'पयडीए मोहणिज्जा विहत्ति त्ति' इसमें आया हुआ 'इति' शब्द इस पदके स्वरूपका ज्ञान कराता है। अतः यह प्रकृतिविभक्ति नामका पहला अधिकार है यह सिद्ध होता है। __* गाथामें आये हुए 'तह द्विदी चेदि' इस पदसे स्थितिविभक्तिका सूचन होता है।
३५. यह स्थितिविभक्ति नामका दूसरा अर्थाधिकार है। शेष कथन सुगम है।
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