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पनप पनप
को समीकरण में एक पक्ष से दूसरे में ले ( गणित ) |
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अपन पौ-यापन पौ* – संज्ञा, पु० दे० (हि० अपना + पौ० प्रत्य० ) आत्मीयता, अपनत्व, आत्मभाव, आत्मगौरव, आत्मस्वरूप, गर्व, सम्बन्ध, संज्ञा, सुधि, होश, ज्ञान, अहंकार, मर्यादा, नप (दे० ) ।
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आपन सों श्रनपौ श्रापुही नसावे कौन
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-ऊ० श० ।
अपना -- सर्व० (सं० आत्मन् ) तिनका, ( तीनों पुरुष में ) स्वीय, स्वकीय, स्व । ( ब्र० भा० ) अपनो, आपनो ।
संज्ञा, पु० आत्मीय, स्वजन, सगा । ( ब्र० भा० ) पुनो, प्रापुनो, अपनो । स्त्री० अपनी (दे० ) आपनी, श्रपुनी । मु० - अपना करना - अपनाना, अपना बनाना, वश में कर लेना, अपना सा करना अपने सामर्थ्य या विचार के अनुसार करना, भरसक करना, अपने समान या उपयुक्त करना, अपना सा मुँह लेकर रह जाना- किसी कार्य में सफल न होने पर लज्जित होना, हार जाना, अपनी अपनी पड़ना - अपनी अपनी चिंता में व्यग्र होना, अपने तक (में) रखना -- किसी से न कहना । अपने में आनातैश, आवेश या जोश में थाना, क्रोध में श्राना, अपना देखना - स्वार्थ देखना, अपना पक्ष खो जाना । अपना पराया देखना- सोचना - मेरा-तेरा सोचना, भेदभाव देखना, रखना या सोचना । अपनी अपनी डफली, अपना-अपना रागप्रत्येक व्यक्ति का मनमाना कार्यं करना, अपनी खिचड़ी अलग पकानासमाज से पृथक होकर चलना, मनमानी करना, सब से खिलाफ़ जाना । अपने का मरना - अपने या अपने आत्मीय जनों के लिये यत्न करना । अपने में
अपनी
रहना - अपनी मर्यादा में रहना । अपनी पही हाँकना चलाना -- आत्मरलावा करना, अपनी ही करना । अपने अपने खाये लक्ष्मी-नारायन है(दे० ) अपना स्वार्थ सिद्ध होना ही प्रधान और उपयुक्त है, अपने स्वार्थ की पूर्ति करना ही प्रमुख बात है । आपन पेट हाऊ मै न देहौं काऊस्वार्थ प्रधान है अन्य पदार्थ की चिन्ता नहीं, स्वार्थी अपनी ही आवश्यकता की पूर्ति करता है परार्थ को नहीं देखता । अपना काम महा काम --- अपना श्रभीष्ट सर्वोपरि है । अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दीखताबिना स्वयमेव परिश्रम किये अपने अभीष्ट की सिद्धि नहीं होती । अपना रोना रोना-अपना ही दुख कहना, दूसरे की चिन्ता न करना प्रधानतया श्रपनी ही बात करना, अपने ही विषय में बात करना । अपनी ही गाथा गाना-- श्रपने ही सम्बन्ध में बात करना, अपनी ही कथा कहना । यौ० अपने आप - स्वयं, स्वतः: अपनाना - स० क्रि० ( हि० अपना ) अपने अनुकूल करना, अपनी श्रोर करना, अपना बनाना, अपनी शरण में लेना, अपने अधिकार में करना, ग्रहण करना, वश में करना, अपने पक्ष में करना, सहारा देना, सम्बन्ध जोड़ना |
अपनापन संज्ञा, पु० ( हि० अपना ) अपतायत, आत्मीयता, आत्माभिमान,
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खुद
स्वजनता ।
अपनाम - संज्ञा, पु० ( हि० सं० ) अपयश, शिकायत, बदनामी ।
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अपनायत संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० अपना ) अपनापन, आत्मीयता, श्रात्माभिमान, भाईचारा, नाता गोत । अपनी - सर्व ० ( हि० ) अपना का स्त्री लिंग रूप, (दे०) आपनी अपुनी, श्रपुनि, पनि ।