Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान के जैन शास्त्र मराडारों = ग्रन्थ-सूची - [चतुर्थ भाग ] (जयपुर के बारह जैन ग्रंथ भंडारों में संग्रहीत दस हजार से अधिक ग्रंथों की सूची, १८० ग्रंधों की प्रशस्तियां तथा ४२ प्राचीन एवं अज्ञात ग्रंथों का परिचय सहित) भूमिका लेखकःडा. वासुदेव शरण अग्रवाल अध्यक्ष हिन्दी विभाग, काशी विश्व विद्यालय, वाराणसी सम्पादक:डा० कस्तूरचंद कासलीवाल एम, ए. पी-एच, डी., शास्त्री पं० अनूपचंद न्यायतीर्थ - साहित्यरत्न प्रकाशक :केशरलाल बख्शी मंत्री :प्रबन्धकारिणी कमेटी श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी महावीर भवन, जयपुर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ प्रकाशकीय २ भूमिका ३ प्रस्तावना ४ प्राचीन एवं अज्ञात ग्रंथों का परिचय विवरण ५ ६ विषय " * विषय-सूची ★ १ सिद्धान्त एवं चर्चा २ धर्म एवं आचार शास्त्र ३ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ४ न्याय एवं दर्शन ५. पुराण साहित्य ६ काव्य एवं चरित्र ७ कथा साहित्य व्याकरण साहित्य 29 ६ कोश १० ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ११ आयुर्वेद १७ काम शास्त्र १८ शिल्प शास्त्र १२ चन्द्र एवं अलंकार १३ संगीत एवं नाटक १४ लोक विज्ञान १५ सुभाषित एवं नीति शास्त्र १६ मंत्र शास्त्र DIS www 4431 4441 *** BFTI ---- **4 **** पत्र संख्या १-२ ३-४ ५-२३ २४-४५ ४६-५६ पत्र संख्या १–४७ 84-85 ६६-१२८ १२६-१४१ १४२ - १५६ १६०-२१२ २१३-२५६ २५.७-२७० २७१-२७८ २७६-२६५ २६६-३०७ ३०८-३१५ ३१६-३१८ ३१६-३२३ ३२४-३४६ ३४७-३५२ ३५३ ३५४ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्र संख्या ३५५-३५६ ३६०-३६७ ३७६-४५२ ५५७-७६६ १६ लक्षण एवं समीक्षा २० फागु रासा एवं नि शाहिल्य २१ गणित शास्त्र २२ इतिहास २३ स्तोत्र साहित्य २४ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य २५ गुटका संग्रह २६ अवशिष्ट साहित्य ७ ग्रंथानुक्रमणिका ८ ग्रंथ एवं ग्रंथकार है शासकों की नामावलि १० ग्राम एवं नगरों की नामावलि ११ शुद्धाशुद्धि पत्र GE-200 ८०१-८८४ ८८५-६२८ ६२६-१३० १३१-६३६ ६४०-४४३ PL Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्रकाशकीय * अथ सूची के चतुर्थ भाग को पाठकों के हाथों में देते हुये मुझे प्रसन्नता होती है । पथ सूची का यह भाग अब तक प्रकाशित ग्रंथ सूचियों में सबसे बड़ा है और इसमें १० हजार से अधिक प्रयों का विवरण दिया हुअा है। इस भाग में जयपुर के १२ शास्त्र भंडारों के प्रथों की सूची दी गई है। इस प्रकार सूची के चतुर्थ भाग सहिन अब तक जयपुर के १७ तथा श्री महावीरजी का एक, इस तरह १८ भंडारों के अनुमानतः २ हजार अंधी का विवरण प्रकाशित किया जा चुका है। नयों के संकलन को देखने से पता चलता है कि जयपुर प्रारम्भ से ही जैन साहित्य एवं संस्कृति का केन्द्र रहा है और दिगम्बर शास्त्र भंडारों की दृष्टि से सारे राजस्थान में इसका प्रथम स्थान है । जयपुर बड़े बड़े विद्वानों का जन्म स्थान भी रहा है. सभा इस ना होने वाले टोडरमल जी, जयचन्द जी, सदासुखजी जैसे महान विद्वानों ने सारे भारत के जैन समाज का साहित्यिक एवं धार्मिक दृष्टि से पथप्रदर्शन किया है | जयपुर के इन भंडारी में विभिन्न विद्वानों के हाथों से लिखी हुई पाण्डुलिपियां प्राप्त हुई है जो राष्ट्र गर्व समाज की अमूल्य निधियों में से हैं । जयपुर के पाटीदी के मन्दिर के शास्त्र भंडार में पं. टोडरमल जी द्वारा लिखे हुये गोम्मट्टसार जीवकांड की मूल पाण्डुलिपियां प्राम हुई है जिसका एक चित्र हमने इस भाग में दिया है। इसी तरह ब्राह्म रायमरुल, जोधराज गोदीका, खुशालचंद आदि अन्य विद्वानों के द्वारा लिखी हुई प्रतियां हैं। इस ग्रंथ सूची के प्रकाशन से भारतीय साहित्य पर्व विशेषतः जैन साहित्य को कितना लाभ पहुँचेगा इसका सही अनुमान तो विद्वान ही कर सकेंगे किन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि इम भाग के प्रकाशन से संस्कृत, अपभ्रंश एवं हिन्दी की सैकड़ों प्राचीन एवं अज्ञात रचनायें प्रकाश में आयी हैं । हिन्दी की अभी १३ वीं शताब्दी की एक रचना जिनदत्त चौपई जयपुर के पाटोदी के मन्दिर में उपलब्ध हुई है जिसको संभवतः हिन्दी भाषा की सर्वाधिक प्राचीन रचनाओं में स्थान मिल सकेगा तथा हिन्दी माहित्य के इतिहास में वह उल्लेखनीय रचना कहलायी जा सकेगी। इसके प्रकाशन की व्यवस्था शीघ्र ही की जा रही है । इससे पूर्व प्रद्युम्न चरित की रचना प्राप्त हुई थी जिसको सभी विद्वानों ने हिन्दी की अपूर्व रचना स्वीकार किया है। ___ उन सूची प्रकाशन के अतिरिक्त क्षेत्र के साहित्य शोध संस्थान की ओर से अब तक ग्रंथ सूची के तीन भाग, प्रशस्ति संग्रह, सर्वार्थसिद्धिसार, तामिल भापा का जैन साहित्य, Jainisru a key to true happiness, तथा प्रद्युम्नचरित पाठ ग्रंथों का प्रकाशन हो चुका है। सूची प्रकाशन के अतिरिक्त राजस्थान के विभिन्न नगर, कस्बे एवं गांवों में स्थित ७० से भी अधिक भंडारों की प्रध सूचियां बनायी जा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चुकी है जो हमारे संस्थान में हैं, तथा जिनसे विद्वान एवं साहित्य शोध में लगे हुये विद्यार्थी लाभ उठाते रहते हैं। ग्रंथ सूचियों के साथ २ करीब ४०० से भी अधिक महत्वपूर्ण एवं प्रचीन ग्रंथों की प्रशस्तियां एवं परिचय लिये जा चुके हैं जिन्हें भी पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की योजना है। जैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये हिन्दी पद भी इन भंडारों में प्रवुर संख्या में मिलते हैं । ऐसे करीब २०८८ पदों का हमने संग्रह कर लिया है जिन्हें भी प्रकाशित करने की योजना है तथा संभव है इस वर्ष हम इसका प्रथम भाग प्रकाशित कर सकें। इस तरह खोज पूर्ण साहित्य प्रकाशन के जिस उद्देश्य से क्षेत्र ने साहित्य शोध संस्थान की स्थापना की थी हमारा वह उद्देश्य धीरे धीरे पूरा हो रहा है। भारत के विभिन्न विद्यालयों के भारतीय भाषाओं मुख्यतः प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश हिन्दी एवं राजस्थानी भाषाओं पर खोज करने वाले सभी विद्वानों से निवेदन है कि वे प्राचीन साहित्य एवं विशेषतः जन साहित्य पर खोज करने का प्रयास करें। हम भी उन्हें साहित्य उपलब्ध करने में यथाशक्ति सहयोग दंगे। ग्रंथ सूची के इस भाग में जयपुर के जिन जिन शास्त्र भंडारों की सूची दी गई है मैं उन भंडारों के सभी व्यवस्थापकों का तथा विशेषतः श्री नाथूलालजी बज, अनूपचंदजी दीवान, पं० भवरलालजी न्यायतीर्थ, श्रीराजमलजी गोधा, समीरमलजी छाबड़ा, कपूरचंदजी रावका, एवं प्रो. सुल्तानसिंहजी जैन का आभारी हूं जिन्होंने हमारे शोध संस्थान के विद्वानों को शास्त्र भंडारों की सूचियां बनाने तथा समय समय पर वहां के ग्रंथों को देखने में पूरा सहयोग दिया है। श्राशा है भविष्य में भी उनका साहित्य सेवा के पुनीत कार्य में सहयोग मिलता रहेगा। हम श्री डा. वासुदेव शरणजी अग्रवाल, हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के हृदय से आभारी है जिन्होंने अस्वस्थ होते हुये भी हमारी प्रार्थना स्वीकार करके ग्रंथ सूची की भूमिका लिखने की कृपा की है । भविष्य में उनका प्राचीन साहित्य के शोध कार्य में निर्देशन मिलता रहेगा ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है। इस पंथ के विद्वान सम्पादक श्री डाः कस्तूरचंदजी कासलीवाल एवं उनके सहयोगी श्री पं० अनूपचंदजी न्यायतीर्थ तथा श्री सुगनचंदजी जैन का भी मैं आभारी हूं जिन्होंने विभिन्न शास्त्र भंडारों को देखकर लगन एवं परिश्रम से इस ग्रंथ को तैयार किया है । मैं जयपुर के सुयोग्य विद्वान श्री पं. चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ का भी हृदय से आभारी हूं कि जिनका हमको साहित्य शोध संस्थान के कार्यों में पथ-प्रदर्शन व सहयोग मिलता रहता है। ता० ३१-२-११ केशरलाल बख्शी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी, जयपुर के कार्यकर्ताओं ने कुछ ही वर्षों के भीतर अपनी संस्था को भारत के साहित्यिक मानचित्र पर उभरे हुए रूप में टांक दिया है । इस संस्था द्वारा संचालित जैन साहित्य शोध संस्थान का महत्वपूर्ण कार्य सभी विद्वानों का ध्यानहठान अपनी ओर खींच लेने के लिए पर्याप्त है। इस संस्था को श्री कस्तूरचंद जी कासलीवाल के रूप में एक मौन साहित्य साधक प्राप्त हो गए। उन्होंने अपने संकल्प बल और अद्भुत कार्यशक्ति द्वारा जयपुर एवं राजस्थान के अन्य नगरों में जो शास्त्र भंडार पुराने समय से चले आते हैं उनकी बान श्रीन का महत्वपूर्ण कार्य अपने ऊपर उठा लिया । शास्त्र भंडारों की जांच पड़ताल करके उनमें संस्कृत, प्राकृत अपभ्रंश, राजस्थानी और हिन्दी के जो अनेकानेक ग्रंथ सुरक्षित है उनकी का वर्गीकर और पालक पनी बनाने का कार्य बिना रुके हुए कितने ही वर्षों तक कासलीवाल जी ने किया है। सौभाग्य से उन्हें अतिशय क्षेत्र के संचालक और प्रबंधकों के रूप में ऐसे सहयोगी मिले जिन्होंने इस कार्य के राष्ट्रीय महत्व को पहचान लिया और सूची पत्रों के विधिवत् प्रकाशन के लिए आर्थिक प्रबंध भी कर दिया। इस प्रकार का मणिकांचन संयोग बहुत ही फलप्रद हुश्रा | परिचयात्मक सूची प्रथों के तीन भाग पहले मुद्रित हो चुके हैं। जिनमें लगभग दस सहस्त्र अधों का नाम और परिचय आ चुका है। हिन्दी जगत् में इन ग्रंथों का व्यापक स्वागत हुश्रा और विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले विद्वानों को इन ग्रंथों के द्वारा बहुत सी अज्ञात नई सामग्री का परिचय प्राप्त हुश्रा। ___ इससे प्रोत्साहित होकर इस शोध संस्थान ने अपने कार्य को और अधिक वेगयुक्त करने का निश्चय किया । उसका प्रत्यक्ष फल ग्रंथ सूची के इस चतुर्थ भाग के रूप में हमारे सामने है । इसमें एक साथ ही लगभग १८ सहस्त्र नए हस्तलिखित ग्रंथों का परिचय दिया गया है। परिचय यद्यपि संक्षिा है किन्तु उसके लिखने में विवेक से काम लिया गया है जिससे महत्वपूर्ण या नई सामग्री की और शोध कर्ता विद्वानों का ध्यान अवश्य प्राकष्ट हो सकेगा। प्रथ का नाम, प्रथकता का नाम, पंथ की भाषा, लेवन की तिथि, प्रथ पूर्ण है या अपूर्ण इत्यादि तथ्यों का यथा संभव परिचय देते हुए महत्वपूर्ण सामग्री के उद्धरण या अवतरण भी दिये गये हैं। प्रस्तुत सूची पत्र में तीन सौ से ऊपर गुटकों का परिचय भी सम्मिलित है । इन गुटकों में विविध प्रकार की साहित्यिक और जीवनोपयोगी सामग्री का संग्रह किया जाता था । शोध का विद्वान यथावकाश जब इन गुटकों की व्योरेवार परीक्षा करेंगे तो उनमें से साहित्य की बहुत सी नई सामग्री प्राप्त होने की श्राशा है। ग्रंथ संख्या ५५०६ गुटका संख्या १२५ में भारतवर्ष के भौगोलिक विस्तार का परिचय देते हुए १२४ देशों के नामों की सूची अत्यन्त उपयोगी है । पृथ्वीचंद चरित्र आदि वर्णक ग्रंथों में इस प्रकार की और भी भौगोलिक सूचिया मिलती है 1 उनके साथ इस सूची Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ का तुलनात्मक अध्ययन उपयोगी होगा । किसी समय इस सूची में 5 देशों की संख्या रूढ हो गई थी। ज्ञात होता है कालान्तर में यह संख्या १२४ तक पहुँच गई। गुटका संख्या २२ (ग्रंथ संख्या ५१०२) में नगरों की बसापत का संयत्वार व्यौरा भी उल्लेखनीय है । जैसे संवत् १६१२ अकवर पातसाह श्रामरो बसायो : संवत् १७१४ औरंगसाह पातसाह औरंगाबाद बलायो : संत्रम् १२४५ विमल मंत्री स्वर हुवा विमल बसाई.1 विकास की उन पिछली शतियों में हिन्दी साहित्य के कितने विविध साहित्य रूप थे यह भी अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण विषय है । इस सूची को देखते हुये उनमें से अनेक नाम सामने आते हैं। जैसे स्तोत्र, पाठ, संग्रह, कथा, रासो, रास, पूजा, मंगल, जयमाल, प्रश्नोत्तरी, मंत्र, अष्टक, सार, समुच्चय, वर्णन, सुभाषित, चौपई, शुभमालिका, निशाणी, जकडी, व्याहलो, बधावा, विनती, पत्री, भारती, बोल, चरचा, विचार, बात, गीत, लीला, चरित्र, छंद, छपथ, भावना, बिलोद, कल्प, नाटक, प्रशस्ति, धमाल चौढालिया, चौमासिया, बारामासा, बटाई, बेलि, हिंडोलणा, चूनडी, सम्झाय, बाराखडी, भक्ति, बन्दना, पच्चीसी, बत्तीसी, पचासा, बावनी, सतसई, सामायिक, सहस्रनाम, नामावली, गुरुवावरली, रतवन, संबोधन, मोडलो आदि । इन विविध साहित्य रूपों में से किसका कब आरम्भ हुआ और किस प्रकार विकास और विस्तार हुआ, यह शोध के लिये रोचक विषय है । उसकी बहुमू य सामग्री इन भंडारों में सुरक्षित है। राजस्थान में कुल शास्त्र भंडार लगभग दो सौ हैं और उनमें संचित प्रयों की संख्या लगभग दो लाख के आंकी जाती है। हर्ष की बात है कि शोध संस्थान के कार्यकर्ता इस भारी दायित्व के प्रतिजागरूक हैं। पर स्वभावतः यह कार्य दीर्घकालीन साहित्यिक साधना और बहु व्यय की अपेक्षा रखता है । जिस प्रकार अपने देश में पूना का भंडारकर इन्स्टीट्य ट, तंजोर की सरस्वती महल लाइब्रेरी, मद्रास विश्वविद्यालय की ओरियन्टल मेनस्क्रिप्टस लाइब्रेरी या कलकत्ते की बंगाल एशियाटिक सोसाइटी का ग्रंथ भंडार हस्तलिखित ग्रंथों को प्रकाश में लाने का कार्य कर रहे हैं और उनकें कार्य के महत्व को मुक्त कंठ से सभी स्वीकार करते हैं, आशा है कि उसी प्रकार महावीर अतिशय क्षेत्र के जैन माहित्य शोध संस्थान के कार्य की ओर भी जनता और शासन दोनों का ध्यान शीघ्र आकृष्ट होगा और यह संस्था जिस सहायता की पात्र है, वह उसे सुलभ की जायगी । संस्था ने अब तक आपने साधनों से बड़ा कार्य किया है, किन्तु जो कार्य शेष हैं वह कहीं अधिक बड़ा है और इसमें संदेह नहीं कि अवश्य करने योग्य है । ११ वो शतो से १६ वी शती के मध्य तक जो साहित्य रचना होती रही उसकी मंचित निधि का कुबेर जैसा समृद्ध कोष ही हमारे सामने आ गया है। अाज से केवल १५ वर्ष पूर्व तक इन भंडारों के अस्तिल्द का पता बहुत कम लोगों को था और उनके संबंध में छान बीन का कार्य तो कुछ हुआ ही नहीं था । इस सबको देखते हुगे इस संस्था के महत्वपूर्ण कार्य का व्यापक स्वागत किया जाना चाहिये । काशी विद्यालय ३-१२-१६६१ बासुदेव शरण अग्रवाल Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भस्तावना राजस्थान शताब्दियों से साहित्यिक क्षेत्र रहा है। राजस्थान की रियासतें यद्यपि विभिन्न राजाओं के अधीन थी जो आपस में भी लड़ा करती थीं फिर भी इन राज्यों पर देहली का सीधा सम्पर्क नहीं रहने के कारण यहां अधिक राजनीतिक उथल पुथल नहीं हुई और सामान्यतः यहां शान्ति एवं व्यवस्था बनी रही। यहां राजा महाराजा भी अपनी प्रजा के सभी धर्मों का समादर करते रहे इसलिये उनके शासन में सभी धर्मों को स्वतन्त्रता प्राप्त थी । जैन धर्मानुयायी सदैव शान्तिप्रिय रहे हैं। इनका राजस्थान के सभी राज्यों में तथा विशेषतः जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, उदयपुर, बूंदी, कोटा, अलवर, भरतपुर आदि राज्यों में पूर्ण प्रभुत्व रहा। शताब्दियों तक वहां के शासन पर उनका अधिकार रहा और वे अपनी स्वामिभक्ति, शासनदक्षता एवं सेवा के कारण सर्द ही शासन के सर्वोच्च स्थानों पर कार्य करते रहे । प्राचीन साहित्य की सुरक्षा एवं नवीन साहित्य के निर्माण के लिये भी राजस्थान का यातावरण जैनों के लिये बहुत ही उपयुक्त सिद्ध हुआ। यहां के शासकों ने एवं समाज के सभी वर्गों ने उस ओर बहुत ही रुचि दिखलायी इसलिये सैंकड़ों की संख्या में नये नये ग्रंथ तैयार किये गये तथा हजारों प्राचीन ग्रंथों की प्रतिलिपियां तैयार करया कर उन्हे नष्ट होने से बचाया गया । आज भी हस्तलिखित ग्रंथों का जितना सुन्दर संग्रह नागौर, बीकानेर, जैसलमेर, अजमेर, आमेर, जयपुर, उदयपुर, ऋषभदेव के ग्रंथ भंडारों में मिलता है उतना महत्वपूर्ण संग्रह भारत के बहुत कम भंडारों में मिलेगा। ताड़पत्र एवं कागज दोनो पर लिखी हुई सबसे प्राचीन प्रतियां इन्हों भंडारों में उपलब्ध होती हैं। यही नहीं अपभ्रंश, हिन्दी तथा राजस्थानी भाषा का अधिकांश साहित्य इन्हीं भन्डारों में संग्रहीत किया हुआ है। अपभ्रंश साहित्य के संग्रह की दृष्टि से नागौर एवं जयपुर के भन्डार उल्लेखनीय हैं । अजमेर, नागौर, आमेर, उदयपुर, डूंगरपुर एवं ऋषभदेव के भंडार भट्टारकों की साहित्यिक गतिविधियों के केन्द्र रहे हैं। ये भट्टारक केवल धार्मिक नेता ही नहीं थे किन्तु इनकी साहित्य रचना एवं उनकी सुरक्षा में भी पूरा हाथ था। ये स्थान स्थान पर भ्रमण करते थे और वहां से प्रन्थों को बटोर कर इनको अपने मुख्य मुख्य स्थानों पर संग्रह किया करते 1 शास्त्र भंडार सभी आकार के हैं कोई छोटा है तो कोई बड़ा । किसी में केवल स्वाध्याय में काम आने वाले ग्रंथ ही संग्रहीत किये हुये होते हैं तो किसी किसी में सब तरह का साहित्य मिलता है । साधारणतः हम इन ग्रंथ भंडारों को १ श्रेणियों में बांट सकते हैं । १. पांच हजार प्रथों के संग्रह वाले शास्त्र भंडार २. पांच हजार से कम एवं एक हजार से अधिक मंथ वाले शास्त्र भंडार Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -5 ३. एक हजार से कम एवं पांचसौ से अधिक ग्रंथ वाले शास्त्र भंडार ४. पांचसौ प्रथों से कम वाले शास्त्र भंडार इन शास्त्र भंडारों में केवल धार्मिक सहित्य ही उपलब्ध नहीं होता किन्तु काव्य, पुराण, ज्योतिष, आयुर्वेद, गणित आदि विषयों पर भी प्रध मिलते है । प्रत्येक मानव की संचि के विषय, कथा कहानी एवं नाटक भी इनमें अच्छी संख्या में उपलब्ध होते हैं । यही नहीं, सामाजिक राजनीतिक एवं अर्थशास्त्र पर भी ग्रंथों का संग्रह मिलता है। कुछ भंडारों में जैनेतर विद्वानों द्वारा लिखे हुये अलभ्य ग्रंथ भी संग्रहीत किये हुये मिलते हैं। वे शास्त्र भंडार खोज करने वाले विद्यार्थियों के लिये शोध संस्थान हैं लेकिन भंडारों में साहित्य की इतनी अमूल्य सम्पत्ति होते हुये भी कुछ वर्षों पूर्व तक ये विद्वानो के पहुँच के बाहर रहे । अब कुछ समय बदला है और भंडारों के व्यवस्थापक ग्रंथों के दिग्बलाने में उतनी आनाकानी नहीं करते हैं । यह परिवर्तन यास्तव में खोज में लीन विद्वानों के लिये शुभ है। आज के २८ वर्ष पूर्व तक राजस्थान के ६ प्रतिशत भंडारों को न तो किसी जैन विद्वान ने देखा और न किसी जैनेतर विद्वान ने इन भंडारों के महत्व को जानने का प्रयास ही किया । अब गत १०, १५ वर्षों से इधर कुछ विद्वानों का ध्यान आकृष्ट हुआ है और सर्व प्रथम हमने राजस्थान के ७५ के करीब भंडारों को देखा है और शेष भंडारों को देखने की योजना बनाई जा चुकी है। ये ग्रंथ भंडार प्राचीन युग में पुस्तकालयों का काम भी देते थे। इनमें बैठ कर स्वाध्याय प्रेमी शास्त्रों का अध्ययन किया करते थे। उस समय इन ग्रंथों की सूचियां भी उपलब्ध हुश्रा करती थी तथा ये ग्रंथ लकड़ी के पुट्ठों के बीच में रखकर सूत अथवा सिल्क के फीतों से बांधे जाते थे। फिर उन्हें कपड़े के वेष्टनों में बांध दिया जाता था। इस प्रकार ग्रंथों के वैज्ञानिक रीति से रखे जाने के कारण इन भंडारों में ११ वीं शताब्दी तक के लिखे हुये मंथ पाये जाते हैं। जैसा कि पहिले कहा जा चुका है कि वे ग्रंथ भंडार नगर कस्बे एवं गांवों तक में पाये जाते हैं इसलिये राजस्थान में उनकी वास्तविक संख्या कितनी है इसका पता लगाना कटिन है । फिर भी यहां अनुमानतः छोटे बड़े २०० भंडार होंगे जिनमें १११, २ लाख से अधिक हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह है। जयपुर प्रारम्भ से ही जैन संस्कृति एवं साहित्य का केन्द्र रहा है। यहाँ १५० से भी अधिक जिन मंदिर एवं चैत्यालय हैं । इस नगर की स्थापना संवत् १७८४ में महाराजा सवाई जयसिंहजी द्वारा क्री गई थी तथा उसी समय आमेर के बजाय जयपुर को राजधानी बनाया गया था। महाराजा ने इसे साहित्य एवं कला का भी केन्द्र बनाया तथा एक राज्यकीय पोथीखाने की स्थापना की जिसमें भारत के विभिन्न स्थानों से लाये गये सैकड़ों महत्वपूर्ण हस्तलिखित ग्रंथ संग्रहीत किये हुये हैं। यहां के महाराजा प्रतापसिंहजी भी विद्वान् थे । इन्होंने कितने ही ग्रंथ लिखे थे । इनका लिखा हुआ एक ग्रंथ संगीतसार जयपुर के बड़े मन्दिर के शास्त्र भंडार में संग्रहीत है। Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ वीं एवं १६वीं शताब्दी में जयपुर में अनेक उच्च कोटि के विद्वान् हुये जिन्होंने साहित्य की अपार सेवा की। इनमें दौलतराम कासलीवाल ( १८ वीं शताब्दी ) टोडरमल (१८ वीं शताब्दी ) गुमानीराम (१८, १६ वीं शताब्दी) टेकचन्ड (१८ वी शताब्दी) दीपचन्द्र कासलीवाल (१८ वीं शताब्दी) चन्द्र घांघड़ा ( १६ वी शताब्दी ) केशरीसिंह ( १६ वीं शताब्दी) नेमिचन्द पाटनी (१६ वीं शताब्दी नन्दलाल छाबड़ा] ( १६ वीं शताब्दी) स्वरूपचन्द्र बिलाला ( १६ वीं शताब्दी) सदासुख कासलीवाल (१ वीं शताब्दी ) मन्नालाल सिन्दूका (१६ वीं शताब्दी) पारसदास निगोल्या ( १६ वीं शताब्दी ) जैतराम (१६ वीं शताब्दी ) पन्नालाल चौधरी ( १६ वीं शताब्दी ) दुलीचन्द ( ११ वीं शताब्दी ) आदि विद्वानों के नाम उल्लेखनीय हैं। इनमें अधिकांश हिन्दी के विद्वान थे। इन्होंने हिन्दी के प्रचार के लिये सैकड़ों प्राकृत एवं संस्कृत प्रथों पर भाषा टीका शिखी थी। इन विद्वानों ने जयपुर में ग्रथ भन्डारों की स्थापना की तथा उनमें प्राचीन ग्रंथों की लिपियां करके विराजमान की। इन विद्वानों के अतिरिक्त यहां सैकड़ों लिपिकार हुये जिन्होंने श्रावकों के अनुरोध पर सैकड़ों मन्थों की लिपियां की तथा नगर के विभिन्न भन्डारों में रखी गईं । : ग्रंथ सूची के इस भाग में जयपुर के १२ शास्त्र भंडारों के प्रथों का विवरण दिया गया है ये सभी शास्त्र भंडार यहां के प्रमुख शास्त्र भंडार है और इनमें दस हजार से भी अधिक ग्रथों का संग्रह है । महत्वपूर्ण ग्रंथों के संग्रह की दृष्टि से अ, ज तथा ा भन्डार प्रमुख हैं । प्रथ सूची में आये हुये इन भंडारों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है । १. शास्त्र भंडार दि ० जैन मन्दिर पाटोदी ( अ भंडार ) यह भंडार दि० जैन पाटोदी के मंदिर में स्थित है जो जयपुर की चौकड़ी मोदीखाना में है । यह मन्दिर जयपुर का प्रसिद्ध जैन पंचायती मन्दिर है। इसका प्रारम्भ में आदिनाथ चैत्यालय' भी नाम था। लेकिन बाद में यह पाटोदी का मन्दिर के नाम से ही कहलाया जाने लगा। इस मन्दिर का निर्माण जोधराज पाटोदी द्वारा कराया गया था। लेकिन मन्दिर के निर्माण की निश्चित तिथि का कहीं उल्लेख नहीं मिलता। फिर भी यह अवश्य कहा जा सकता है कि इसका निर्माण जयपुर नगर की स्थापना के साथ "साथ हुआ था। मन्दिर निर्माण के पश्चात् यहां शास्त्र भंडार की स्थापना हुई। इसलिये यह शास्त्र भंडार २०० वर्ष से भी अधिक पुराना है । मन्दिर प्रारम्भ से ही भट्टारकों का केन्द्र बना रहा तथा आमेर के भट्टारक भी यहीं आकर रहने लगे | भट्टारक क्षेमेन्द्रकीति सुरेन्द्रकीति, सुखेन्द्रकीति एवं नरेन्द्रकीत्ति का क्रमश: संवत् १८१५, १. देखिये सब सूची पृष्ठ संख्या १६६ व ४६० Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२२, १८६३, तथा १८७ में यही पट्टाभिषेक' हुआ था। इस प्रकार इनका इस मन्दिर से करीब १०० वर्ष तक सीधा सम्पर्क रहा । प्रारम्भ में यहां का शास्त्र भंडार मारलं की देखरेख में रहा इनाङ्गिो शास्त्रों के संग्रह में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती रही । यहां शास्त्रों की लिखने लिखवाने की भी अच्छी व्यवस्था थी इसलिये श्रावकों के अनुरोध पर यहीं ग्रंथों की प्रतिलिपियां भी होती रहती थी। भट्टारकों का जब प्रभाव क्षीण होने लगा तथा जब वे साहित्य की ओर उपेक्षा दिखलाने लगे तो यहां के भंडार की व्यवस्था श्रावकों ने संभाल ली । लेकिन शास्त्र भंडार में संग्रहीत ग्रंथों को देखने के पश्चात् यह पता चलता है कि श्रावकों ने शास्त्र भंडार के ग्रंथों की संख्या वृद्धि में विशेष अभिरुचि नहीं दिखलाई और उन्होंने भंडार को उसी अवस्था में सुरक्षित रखा। हस्तलिखित ग्रंथों की संख्या मंदार में शास्त्रों की फुल संख्या २२५७ तथा गुटकों की संख्या ३०८ है। लेकिन एक एक गुट के में बहुत से प्रथों का संग्रह होता है इसलिये गुटकों में १८०० से भी अधिक ग्रंथों का संग्रह है। इस प्रकार इस भंडार में चार हजार ग्रंथों का संग्रह है। भक्तामर स्तोत्र एवं तत्वार्थसूत्र की एक एक नाडपत्रीय प्रति को छोड़ कर शेष सभी ग्रंथ कागज पर लिखे हुये हैं । इसी भंडार में कपड़े पर लिखे हुये कुछ जम्बूद्वीप एवं अढाईद्वीप के चित्र एवं यन्त्र, मंत्र आदि का उल्लेखनीय संग्रह हैं। मंडार में महाकवि पुष्पदन्त कृत जसहर चरिउ ( यशोधर चरित) की प्रति सबसे प्राचीन है जो संवन १४०७ में चन्द्रपुर दुर्ग में लिखी गई थी। इसके अतिरिक्त यहां १५ वी, १६ वी, १७ वी एवं १८ वीं शताब्दी में लिखे हुये प्रथों की संख्या अधिक है। प्राचीन प्रतियों में गोम्मटसार जीवकांड, तत्त्वाथ सूत्र (सं० १४५८ ) द्रव्यसंग्रह वृत्ति ( ब्रह्मदेव-सं० १६३५ ), उपासकाचार दोहा (सं० १५५५), धर्मसंग्रह श्रावकाचार ( संवत् १५४२ ) श्रावकाचार ( गुणभूषणाचार्य संवत् १५६२,) समयसार ( १५६४), विद्यानन्दि कृत अष्टसहस्त्री ( १७६१ ) उत्तरपुराण टिप्पण प्रभाचन्द (सं० १५७५ ) शान्तिनाथ पुराण ( अशगकवि सं. १५५२ ) ऐमिरगाह चरिए ( लक्ष्मण देव सं. १६३६ ) नागकुमार चरित्र ( मल्लिषेण कधि सं. १५६४) वशंग चरित्र (वर्तमान देव सं. १५६४) नवकार श्रावकाचार (सं० १६१२) धादि सैकड़ों मंथों की उल्लेखनीय प्रतियां हैं। ये प्रतियां सम्पादन कार्य में बहुत लाभप्रद सिद्ध हो सकती हैं। विभिन्न विषयों से सम्बन्धित ग्रंथ शास्त्र भंडार में प्रायः सभी विषयों के प्रथों का संग्रह है। फिर भी पुराण, चरित्र, काव्य, कथा, व्याकरण, आयुर्वेद के ग्रंथों का अच्छा संग्रह है। पूजा एवं स्तोत्र के ग्रंथों की संख्या भी पर्याप्त १. भट्टारक पट्टायलीः भामेर शास्त्र भंडार जयपुर वेष्टन सं० १७२४ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Annnnnnnnnnnnnnnnvaruva . .:..:........:::: 4 SHERE: १८.१८ MiA1 ॐ L पं० दौलतरामजी कासलीवाल कृत जीवन्धर चरित्र की मूल पाण्डुलिपि के दो पत्र nonnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है। गुटकों में स्तोत्रों एवं कधाओं का अच्छा संग्रह है । श्रायुर्वेद के सैकड़ों नुसखे इन्हीं गुदकों में लिखे हुये हैं जिनका आयुर्वेदिक विद्वानों द्वारा अध्ययन किया जाना आवश्यक है 1 इसी तरह विभिन्न जैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये हिन्दी पदों का भी इन गुटकों में एवं स्वतन्त्र रूप से बहुत अच्छा संग्रह मिलता है। हिन्दी के प्रायः सभी जैन कवियों ने हिन्दी में पद लिखे हैं जिनका अभी तक हमें कोई परिचय नहीं मिलता है। इसलिये इस दृष्टि से भी गुटकों का संग्रह महत्वपूर्ण है । जैन विद्वानों के पद श्राध्यात्मिक एवं स्तुति परक दोनों ही है और उनकी तुलना हिन्दी के अच्छे से अच्छे कवि के पदों से की जा सकती है। जैन विद्वानों के अतिरिक्त कबीर, सूरदास, मलूकराम, श्रादि कवियों के पदों का संग्रह भी इस भंद्वार में मिलता है। अज्ञात एवं महत्वपूर्ण ग्रंथ शास्त्र भंडार में संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी एवं राजस्थानी भाषा में लिखें हुये सैकड़ों अज्ञात ग्रंथ प्राप्त हुये हैं जिनमें से कुछ ग्रंथों का संक्षिप्त परिचय आगे दिया गया है। संस्कृत भाषा के मंथों में प्रतकथा कोष ( सकलकीर्ति एवं देवेन्द्रकीति ) आशाधर कृत भूपाल चतुर्विंशति स्तोत्र की संस्कृत टीका एषं रत्नत्रय विधि भट्टारक सकलकीति का परमात्मराज स्तोत्र, भट्टारक प्रभाचंद का मुनिसुत्रत छंद, आशाधर के शिष्य विनयचंद की भूपालचतुर्विशति स्तोत्र की टीका के नाम उल्लेखनीय हैं। अपभ्रंश भापा के ग्रंथों में लक्ष्मण देव कृत मिणाह चरिउ, नरसेन की जिनरात्रिविधान कथा, मुनिगुणभद्र का रोहिणी विधान एवं दशलक्षण कथा, विमल सेन की सुगंधदशमीकथा अज्ञात रचनायें हैं। हिन्दी भाषा की रचनाओं में रल्ह कविकृत जिनदत्त चौपई (सं. १३५४ ) मुनिसकलकीर्ति की कर्मचूरि वैलि (१७ वीं शताब्दी) ब्रह्म गुलाल का समोशरणवर्णन, ( १७ वीं शताब्दी) विश्वभूषण कृत पाय नाथ चरित्र, कृपाराम का ज्योतिप सार, पृथ्वीराज कृत कृष्णरुक्मिणीवेलि की हिन्दी गदा टीका, यूचराज का भुवनकीर्ति गीत, ( १७ वीं शताब्दी) विहारी सतसई पर हरिचरणदास की हिन्दी गद्य टीका, वथा उनका ही करिवल्लभ ग्रंथ, पद्मभगत का कृष्णरुक्मिणीमंगल, हीरकवि का. सागरदत्त चरित ( १७ वीं शताब्दी ) कल्याणकीति का चारुदत्त चरित, हरिवंश पुराण की हिन्दी गा टीका आदि ऐसी रचनाएं हैं जिनके सम्बन्ध में हम पहिले अन्धकार में थे । जिनदत्त चौपई १३ वीं शताब्दी की हिन्दी पद्य रचना है और अब तक उपलब्ध सभी रचनाओं से प्राचीन है । इसी प्रकार अन्य सभी रचनायें महत्वपूर्ण हैं। अंध भंडार की दशा संतोषप्रद है । अधिकांश ग्रंथ बेष्टनों में रखे हुये हैं। २. बाबा दुलीचन्द का शास्त्र भंडार ( क भंडार ) बाया दुलीचन्द का शास्त्र भंडार दि जैन बड़ा तेरहपंथी मन्दिर में स्थित है। इस मन्दिर में वो शास्त्र भंडार है जिनमें एक शास्त्र भंडार की ग्रंथ सूची एवं उसका परिचय प्रथसूची द्वितीय भाग में Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दे दिया गया है । दूसरा शास्त्र भंडार इसी मन्दिर में बाबा दुलीचन्द द्वारा स्थापित किया गया था इस लिये इस भंडार को उन्हीं के नाम से पुकारा जाता है। दुलीचन्दजी जयपुर के मूल निवासी नहीं थे किन्तु वे महाराष्ट्र के पूना जिले के फल्टन नाम: स्थान के रहने वाले थे। वे जयपुर हस्तलिखित शास्त्रों के साथ यात्रा करते हुये आये और उन्होंने शास्त्रों की सुरक्षा की दृष्टि से जयपुर को उचित स्थान जानकर यहीं पर शास्त्र संग्रहालय स्थापित करने का निश्चय कर लिया। ___इस शास्त्र भंडार में ८५० हरतलिखित ग्रंथ हैं जो सभी दुलीचन्दजी द्वारा स्थान स्थान की यात्रा करने के पश्चात् संग्रहीत किये गये थे । इनमें से कुछ अथ स्वर्य बाबाजी द्वारा लिखे हुये हैं तथा कुछ श्रावकों द्वारा उन्हें प्रदान किये हुये हैं। ये एक जैन साधु के समान जीवन यापन करते थे । प्रथों की सुरक्षा, लेखन आदि ही उनके जीवन का एक मात्र उद्देश्य था । उन्होंने सारे भारत की तीन बार यात्रा की थी जिसका विस्तृत वर्णन जैन यात्रा दर्पण में लिखा है । वे संस्कृत एवं हिन्दी के अच्छे विद्वान थे तथा उन्होंने १५ से भी अधिक प्रथों का हिन्दी अनुवाद किया था जो सभी इस भन्डार में संग्रहीत हैं। यह शास्त्र भंडार पूर्णतः व्यवस्थित है तथा सभी ग्रंथ अलग अलग वेष्टनों में रखे हुचे हैं। एक एक ग्रंथ तीन तीन एवं कोई कोई तो चार चार चेप्टनों में बंधा हुआ है। शास्त्रों की ऐसी सुरक्षा जयपुर के किसी भंडार में नही मिलेगी । शास्त्र भंडार में मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी के ग्रंथ हैं । हिन्दी के अंध अधिकांशतः संस्कृत ग्रंथों की भाषा टीकायें हैं। वैसे तो प्रायः सभी विषयों पर यहां प्रथों की प्रतियां मिलती हैं लेकिन मुख्यतः पुराण, कथा, चरित, धर्म एवं सिद्धान्त विषय से संबंधित ग्रंथों ही का यहां अधिक संग्रह है। भंडार में प्राप्तमीमांसात् कृति ( आः विद्यानन्दि ) की सुन्दर प्रति है। क्रियाकलाप टीका को संवत् १५३४ फी लिखी हुई प्रति इस भंडार की सबसे प्राचीन प्रति है जो मांडवगढ़ में सुल्तान गयासुद्दीन के राज्य में लिखी गई थी। तत्त्वार्थसूत्र की स्वर्णमयी प्रति दर्शनीय है । इसी तरह यहां गोम्मदसार, त्रिलोकसार आदि कितने ही प्रथों की सुन्दर सुन्दर प्रतियां हैं। ऐसी अच्छी प्रतियां कदाचित् ही दूसरे भंडारों में देखने को मिलती हैं। त्रिलोकसार की सचित्र प्रति है तथा इतनी बारीक एवं सुन्दर लिखी हुई है कि वह देखते ही बनती है । पन्नालाल चौधरी के द्वारा लिखी हुई डालूराम कृत द्वादशांग पूजा की प्रति भी ( सं० १८७६ ) दर्शनीय ग्रंथों में से है। १६ वी शताब्दी के प्रसिद्ध हिन्दी विद्वान् पं० पन्नालालजी संघी का अधिकांश साहित्य वहां संग्रहीत है । इसी तरह भंडार के संस्थापक दुलीचन्द की भी यहां सभी रचनायें मिलती हैं । उल्लेखनीय एवं महत्वपूर्ण मथों में अल्हू कवि का प्राकृतछन्दकोष, विनयचन्द की द्विसंधान काव्य टीका, वादिचन्द्र सूरि का पवनदूत काव्य, ज्ञानार्णव पर नयविलास की संस्कृत टीका, गोम्मटसार पर सकलभूषण एवं धर्मचन्द की संस्कृत टीकाये हैं। हिन्दी रचनाओं में देवीसिंह छाबडा कृत Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११ ) उपदेशरत्नमाला भाषा (सं० २०६६) हरिकिशन का भद्रबाहु चरित (सं० १७५७) छत्तपति जैसवाल की मनमोदन पंचविशति भाषा (सं० १६१६ ) के नाम उल्लेखनीय हैं। इस भंडार में हिन्दी पदका भी अच्छा संग्रह है । इन कवियों में माणकचन्द, हीराचंद, दौलतराम, भागचन्द, मंगलचन्द, एवं जयचन्द छाबडा के हिन्दी पद उल्लेखनीय हैं । ३. शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर जोबनेर ( ख भंडार ) यह शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर जोबनेर में स्थापित है जो खेजडे का रास्ता, चांदपोल बाजार में स्थित है। यह मन्दिर कब बना था तथा किसने बनवाया था इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन एक ग्रंथ प्रशस्ति के अनुसार मन्दिर की मूल नायक प्रतिमा पं० पन्नालाल जी के समय में स्थापित हुई श्री | पंडितजी जोबनेर के रहने तथा इनके रिले दुबे अल्यवान धर्मचक्र पूजा आदि बंध भी इस भंडार में मिलते हैं । इनके द्वारा लिखी हुई सबसे प्राचीन प्रति संवत् १६२२ की है। शास्त्र भंडार में ग्रंथ संग्रह करने में पहिले पंद पन्नालालजी का तथा फिर उन्हीं के शिष्य ० बख्तावरलाल जी का विशेष सहयोग रहा था । दोनों ही विद्वान ज्योतिष, आयुर्वेद, मंत्रशास्त्र, पूजा साहित्य के संग्रह में विशेष अभिरुचि रखते थे इसलिये यहां इन विषयों के ग्रंथों का अच्छा संकलन है । भंडार में ३४० मंथ हैं जिनमें २३ गुटके भी हैं। हिन्दी भाषा के ग्रंथों से भी भंडार में संस्कृत के ग्रंथों की संख्या अधिक है जिससे पता चलता है कि ग्रंथ संग्रह करने वाले विद्वानों का संस्कृत से अधिक प्रेम था । भंडार में १७ वीं शताब्दी से लेकर १६ वीं शताब्दी के ग्रंथों की अधिक प्रतियां हैं। सबसे प्राचीन प्रतिपद्मनन्दिर्पचवैिशति की है जिसकी संवत् १४७८ में प्रतिलिपि की गई थी। भंडार के उल्लेखनीय ग्रंथों में पं० आशाधर की आराधनासार टीका एवं नागौर के भट्टारक क्षेमेन्द्रकीर्ति कृत गजपंथामंडलपूजन उल्लेखनीय ग्रंथ हैं । आशाधर ने धाराधनासार की यह वृत्ति अपने शिष्य मुनि विजयचंद के लिये की थी । प्रेमी जी ने इस टीका को जैन साहित्य एवं इतिहास में अप्राप्य लिखा है। रघुवंश काव्य की भंडार मैं सं० १६८० की अच्छी प्रति है । हिन्दी ग्रंथों में शांतिकुशल का अंजनारास एवं पृथ्वीराज का रूक्मिणी विवाहलो उल्लेखनीय ग्रंथ हैं। यहां बिहारी सतसई की एक ऐसी प्रति है जिसके सभी पथ वर्णं क्रमानुसार लिखे हुये हैं। मानसिंह का मानचिनोद भी आयुर्वेद विषय का अच्छा ग्रंथ है। ४. शास्त्र भंडार दि. जैन मन्दिर चौधरियों का जयपुर ( ग भंडार ) यह मन्दिर बोली के कुआ के पास चौकड़ी मोदीखाना में स्थित है पहिले यह 'नेमिनाथ के मंदिर' के नाम से भी प्रसिद्ध था लेकिन वर्तमान में यह चौधरियों के चैत्यालय के नाम से प्रसिद्ध है। यहां छोटा Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१२सा शास्त्र भंडार है जिसमें केवल १०८ हस्तलिखित प्रथ हैं। इनमें ७५ हिन्दी के तथा शेष संस्कृत भाषा के ग्रंथ हैं 1 संग्रह सामान्य है तथा प्रतिदिन स्वाध्याय के उपयोग में आने वाले ग्रंथ हैं । शास्त्र भंडार करीव १४० वर्ष पुराना है। कालूरामजी साह, यहां उत्साही सज्जन हो गये हैं जिन्होंने कितने ही ग्रंथ लिखवाकर शास्त्र, भंडार में विराजमान किये थे । इनके द्वारा लिखवाये हुये ग्रंथों में पं. जयचन्द्र छाबड़ा कृत झामार्णव भाषा (सं. १८२२) खुशालचन्द कृत ग्रिलोकसार भाषा (सं०१५८४) दौलतरामजी कासलीवाल कृत आदि पुराण भाषा सं. १८८३ एवं छीतर टोलिया कृत होलिका चरित (सं. १८:३) के नाम उल्लेखनीय हैं। मंडार व्यवस्थित है। ५. शास्त्र भंडार दि. जैन नया मन्दिर वैराठियों का जयपुर (घ भंडार ) ___'घ' भंडार जौहरी बाजार मोतीसिंह भोमियों के रास्ते में स्थित नये मन्दिर में संग्रहीत है। यह मन्दिर बराठियों के मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। शास्त्र भंडार में १५० हस्तलिखित ग्रंथ है जिनमें वीरनन्दि ल चन्द्रप्रम चरित के प्रति सबसे प्राचीन है ! इसे संवत् १५२४ भादवा बुदी ७ के दिन लिखा गया था । शास्त्र संग्रह की दृष्टि से भंडार छोटा ही है किन्तु इसमें कितने ही ग्रंथ उल्लेखनीय है। प्राचीन हस्तलिखित प्रनियों में गुणभद्राचार्य कृत उत्तर पुराण (सं० १६०६,) ब्रह्मजिनदास क्रस हरिवंश दुराण (सं० १६४१,) दीपचन्द्र कृत ज्ञानदर्पण एवं लोकसेन कृत दशलक्षणकथा की प्रतियां उल्लेखनीय हैं। श्री राजहंसोपाध्याय की पच्छ्यधिक शतक की टीका संवन् १५७६ के ही अगहन मास की लिखी हुई है। ब्रह्मजिनदास कृत अठावीस मूलगुणरास एवं दान कथा (हिन्दी) तथा ब्रह्म अजित का हंसतिलकरास उल्ले. खनीय प्रतियों में हैं। भंडार में ऋषिमंदल स्तोत्र, ऋषिमंडल पूजा, निर्वाणकान्ड, अष्टान्हिका जयमाल की स्वर्णाक्षरी प्रतियां हैं। इन प्रतियों के वार्डर सुन्दर बेल बूटों से युक्त हैं तथा कला पूर्ण हैं । जो बेल एक बार एक पत्र पर आगई वह फिर आगे किसी पत्र पर नहीं आई है । शास्त्र भंडार सामान्यतः व्यवस्थित है। ६. शास्त्र भंडार दि. जैन मन्दिर संधीजी जयपुर ( उ भंडार ) संधीजी का जैन मन्दिर जयपुर का प्रसिद्ध एवं विशाल मन्दिर है । यह चौकड़ी मोदीखाना में महावीर पार्क के पास स्थित है । मन्दिर का निर्माण दीवान झू'थारामजी संघी द्वारा कराया गया था। ये महाराज जयसिंहजी के शासन काल में जयपुर के प्रधान मंत्री थे । मन्दिर की मुख्य चंवरी में सोने एवं काच का कार्य हो रहा है । यह बहुत ही सुन्दर एवं कला पूर्ण है । काच. का ऐसा अच्छा कार्य बहुत ही कम मन्दिरों में मिलता है। मन्दिर के शास्त्र भंडार में हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह है । सभी मंथ कागज पर लिखे हुये हैं। अधिकांश नथ १८ वी एवं १६ वीं शताब्दी के लिखे हुये हैं। सबसे नवीन प्रथ णमोकारकाव्य है जो संवत् १६६५ में लिखा गया था। इससे पता चलता है कि समाज में अब भी ग्रंथों की प्रति Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लिपियां करवा कर भंडारों में विराजमान करने की परम्परा है । इसी तरह आचार्य कुन्दकुन्द कृत पंचास्तिकाय की सबसे प्राचीन प्रति है जो संवत् १४८७ की लिखी हुई है। ग्रंथ भंडार में प्राचीन प्रतियों में भ. हर्षकीर्ति का अनेकार्धशत संवत् १६६७, धर्मकीति की कौमुदीकथा संवत् १६६३, पद्मनन्दि श्रावकाचार संवत् १६१३, भ, शुभचंद्र कृत पाण्डवपुराण सं. १६१३, बनारसी विलास सं० १७१५, मुनि श्रीचन्द कृत पुराणसार सं० १५४३, के नाम उल्लेखनीय हैं। भंडार में संवत् १५३० की किरातार्जुनीय की भी एक सुन्दर प्रति है । दशरथ निगोल्या ने धर्म परीक्षा की भाषा संवत् १७१८ में पूर्ण की थी। इसके एक वर्ष बाद सं. १७१६ की ही लिखी हुई भंडार में एक प्रति संग्रहीत है। इसी भंडार में महेश कथि कृत हम्मीररासी की भी एक प्रति है जो हिन्दी की एक सुन्दर रचना है 1 किशनलाल कृत कृष्णबालविलास की प्रति भी उल्लेखनीय है। शास्त्र भंडार में ६६ गुटके हैं। जिनमें भी हिन्दी एवं संस्कृत पाठों का अच्छा संग्रह है। इनमें हर्षकवि कृत चंद्रहसकथा सं० १७०८, हरिदास की ज्ञानोपदेश बत्तीसी (हिन्दी) मुनिभद्र कृत शांतिनाथ स्तोत्र ( संस्कृत ) आदि महत्वपूर्ण रचनायें हैं। ७. शास्त्र भंडार दि. जैन मन्दिर छोटे दीवानजी जयपुर ( च भंडार ) (श्रीचन्द्रप्रभ दि० जैन सरस्वती भवन) यह सरस्वती भवन छोटे दीवानजी के मन्दिर में स्थित है जो अमरचंदजी दीवान के मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है । ये जयपुर के एक लंबे समय तक दीवान रहे थे । इनके पिता शिवजीलालजी भी महाराजा जगतसिंहजी के समय में दीवान थे । इन्होंने भी जयपुर में ही एक मन्दिर का निर्माण कराया था। इसलिये जो मन्दिर इन्होंने धनाया था वह बड़े दीवानजी का मन्दिर कहलाता है और दीवान अमरचंदजी द्वारा बनाया हुआ है वह छोटे दीवानजी के मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। दोनों ही विशाल एवं कला पूर्ण मन्दिर हैं तथा दोनों ही गुमान पंथ थाम्नाप के मन्दिर है। भंडार में ८३० हस्तलिखित ग्रंथ है। सभी ग्रंथ कागज पर लिखे हुये हैं। यहां संस्कृत ग्रंथों का विशेषतः पूजा एवं सिद्धान्त ग्रंथों का अधिक संग्रह है । ग्रंथों को भाषा के अनुसार निम्न प्रकार विभाजित किया जा सकता है। संस्कृत ४१८, प्राकत ६८, अपभ्रंश ४, हिन्दी ३४० इसी तरह विषयानुसार जो अंथ है के निम्न प्रकार हैं। धर्म एवं सिद्धान्त १४७, अध्यात्म ६२, पुराण ३०, कथा ३८, पूजा साहित्य १५२, स्तोत्र १ अन्य विषय ३२०1 इन ग्रंथों के संग्रह करने में स्वयं अमरचंदजी दीवान ने बहुत रूचि ली थी क्योंकि उनके Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समकालीन विद्वानों में से नवलराम, गुमानीराम, जयचन्द छाबड़ा, डालूराम | मन्नालाल बिन्दूका, स्वरूपचन्द्र बिलाला के नाम उल्लेखनीय हैं और संभवतः इन्हीं विद्वानों के सहयोग से वे ग्रंथों का इतना संग्रह कर सके होंगे। प्रतिमासांत चतुर्दशी व्रतोद्यापन सं. १८७७, गोम्मटसार सं. १६, पंचतन्त्र सं. १ क्षेत्र चूडामणि सं० १८६१ आदि ग्रंथों की प्रतिलिपियां करवा कर इन्होंने भंडार में विराजमान की थी। —१४— भंडार में अधिकांश संग्रह १६ व २० वीं शताब्दी का है किन्तु कुछ ग्रंथ १६ वीं एवं १७ वीं शताब्दी के भी हैं । इनमें निम्न ग्रंथों के नाम उल्लेखनीय हैं । पूर्णचन्द्राचार्य पं० देव अमरकीर्ति पूज्यपाद पुष्पदन्त ब्रह्मनेमिदत्त जोधराज उपसर्ग हरस्तोत्र लब्धिविधानकथा पट्कर्मोपदेशरत्नमाला सर्वार्थसिद्धि यशोधर चरित्र नेमिनाथ पुराण प्रवचनसार भाषा चिन्तामणिजययाल सीमन्धर स्तवन गीत एवं आदिनाथ स्तवन अज्ञात कृतियों में तेजपाल कृत सुकुमाल चरित्र भाषा ( २० का ० १९१५ ) के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं । ८. दि० जैन मन्दिर गोधों का जयपुर (छ भंडार ! . का ० १५५३ सं० १६०७ सं० १६२२ सं० १६२५ सं० १६३० सं० १६४६ सं० १७३० ठक्कुर कवि 33 पल्द कवि सम्पएिश ) तथा हरचंद गंगवाल गोधों का मन्दिर घी वालों का रास्ता, नागोरियों का चौक जौहरी बाजार में स्थित है । इस मन्दिर का निर्माण १८ वीं शताब्दी के अन्त में हुआ था और मन्दिर निर्माण के पश्चात ही यहां शास्त्रों का संग्रह किया जाना प्रारम्भ हो गया था। बहुत से ग्रंथ यहां सांगानेर के मन्दिरों में से भी लाये गये । वर्तमान में यहां एक सुव्यवस्थित शास्त्र भंडार है जिसमें ६९६ हस्तलिखित ग्रंथ एवं १०२ गुटके हैं। भंडार में पुराण, चरित कथा एवं स्तोत्र साहित्य का अच्छा संग्रह है। अधिकांश ग्रंथ १७ वीं शताब्दी से लेकर १६ वीं शताब्दी तक के लिखे हुये हैं। शास्त्र भंडार में व्रतकथाकोश की संवत् १५८६ में लिखी हुई प्रति सबसे प्राचीन है । यहां हिन्दी रचनाओं का भी अच्छा संग्रह है । हिन्दी की निम्न रचनायें महत्वपूर्ण हैं जो अन्य भंडारों में सहज ही में नहीं मिलती हैं । हिन्दी 33 1 संस्कृत 33 33 अपभ्रंश संस्कृत 35 संस्कृत हिन्दी १६ वीं शताब्दी 31 12 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नेमीश्वर चौमासा चेतनगीत नेमीश्वर रास नेमीश्वर हिंडोलना द्रव्यसंग्रह भाव चतुर्दशीकथा - १५ मुनि सिंहनन्दि सुरितनकीर्ति 11 हेमराज डालूराम हिन्दी ހޤ 19 ** "J "" १७ च शताब्दी " 11 " "" " " २० का० १७१६ १७६५ उक्त रचनाओं के अतिरिक्त जैन हिन्दी कवियों के पर्दों का भी अच्छा संग्रह है। इनमें बूचराज, डीहल, कनककीर्ति, प्रभाचन्द्र, हुति शुभचन्द्र, मनराम एवं अजयराम के पद विशेषतः उल्लेखनीय है । संवत् १६२६ में रचित डूंगरऋषि की होलिका चौपई भी ऐसी रचना है जिसका परिचय प्रथम बार मिला है । संवत् १८३० में रचित हरचंद गंगवाल कृत पंचकल्याएक पाठ भी ऐसी ही सुन्दर रचना है । 1 संस्कृत ग्रंथों में उमास्वामि विरचित पंचपरमेष्ठी स्तोत्र महत्वपूर्ण है। सूची में उसका पाठ उद्धत किया गया है । भंडार में संग्रहीत प्राचीन प्रतियों में विमलनाथ पुराण सं= १६६६, गुणभद्राचार्य कृत धन्यकुमार चरित सं० १६५२, विदग्धमुखमंडन सं० १६-३, सारस्वत दीपिका सं० १६५७, नाममाला (धनंजय) सं. १६४३, धर्मं परीक्षा (अमितगति) सं. १६५३, समयसार नाटक (बनारसीदास) सं० १७०४ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । ६ शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर यशोदानन्दजी जयपुर ( ज भंडार यह मन्दिर जैन यति यशोदानन्दजी द्वारा सं० १८४८ में बनवाया गया था और निर्माण के कुछ समय पश्चात ही यहां शास्त्र मंडार की स्थापना कर दी गई । यशोदानन्दजी स्वयं साहित्यक व्यक्ति थे इसलिये उन्होंने थोड़े समय में ही अपने यहां शास्त्रों का अच्छा संकलन कर लिया। वर्तमान में शास्त्र भंडार में ३५३ ग्रंथ एवं १३ गुटके हैं। अधिकांश ग्रंथ १८ वीं शताब्दी एवं उसके बाद की शताब्दियों के लिखे हुये हैं । संग्रह सामान्य है । उल्लेखनीय ग्रंथों में चन्द्रप्रकाश्य पंजिका सं० २५६४, पं० देवीचन्द कृत हितोपदेश की हिन्दी गय टीका हैं। प्राचीन प्रतियों में था० कुन्दकुन्द कृत समयसार सं० १६१४, शाधर कृत सागारधर्मामृत सं० १६२८, केशवमिश्रकृत तर्कभाषा सं० १६६६ के नाम ल्लेखनीय हैं। यह मन्दिर चौडा रास्ते में स्थित है । १० शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर विजयराम पांड्या जयपुर (झ भंडार ) विजयराम पांड्या ने यह मन्दिर कब बनवाया इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता लेकिन मन्दिर की दशा को देखते हुये यह जयपुर बसने के समय का ही बना हुआ जान पड़ता है । यह मन्दिर Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१६पानी का दरीबा चों० रामवन्द्रजी में स्थित है। यहां का शास्त्र भंडार भी कोई ची दशा में नहीं है । बहुत से जीर्ण हो चुके हैं तथा बहुत सों के पूरे पत्र भी नहीं हैं। वर्तमान में यहां २७५ ग्रंथ एवं अह गुटके हैं। शास्त्र भंडार को देखते हुये यहां गुटकों का अच्छा संग्रह है । इनमें विश्वभूषण की नेमीश्वर की लहरी, पुण्यरत्न की नेमिनाथ पूजा, श्याम कवि की तीन चौवीसी चौपाई (र. का. २०५६ ) स्योजीराम सोगाशी की लग्नचन्द्रिका भाप के नाम उल्लेखनीय है । इन छोटी छोटी रचनाओं के अतिरिक्त रूपन्चन्द्र, दरिगह, मनराम, हर्मकीर्ति कुमुदचन्द्र आदि कवियों के पद भी संग्रहीत है साइ लोहट कृत लेश्या वेल एवं जमुराम का राजनीतिशास्त्र भाषा भी हिन्दी की उल्लेखनीय रचनायें हैं | ११ शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर पाश्र्श्वनाथ जयपुर ( ब भंडार ) दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ जयपुर का प्रसिद्ध जैन मन्दिर है। यह खवासजी का रास्ता ० रामचन्द्रजी में स्थित है। मन्दिर का निर्माण संवत् १८०४ में सोनी गोत्र वाले किसी श्रावक ने कराया था इसलिये यह सोनियों के मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां एक शास्त्र भंडार है जिसमें ४४० ग्रंथ एवं १८ गुटके हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या संस्कृत भाषा के ग्रंथों की है। माणिक्य सूरि कृत नलोदय काव्य भंडार की सबसे प्राचीन प्रति है जो सं० १४४५ की लिखी हुई है । यद्यपि भंडार में ग्रंथों की संख्या अधिक नहीं है किन्तु श्रज्ञात एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों तथा प्राचीन प्रतियों का यहां अच्छा संग्रह है। इन अज्ञान ग्रंथों में अपभ्रंश भाषा का विजयसिंह कृत अजितनाथ पुराण, कवि दामोदर कृत मिणाह चरिए, गुणनन्दि कृत वीरनन्दि के चन्द्रप्रभकाव्यकी पंजिका, (संस्कृत) महापंडित जगन्नाथ कृत नेमिनरेन्द्र स्तोत्र (संस्कृत) मुनि पद्मनन्दि कृत कमान काव्य, शुभचन्द्र कृत तत्ववर्धन (संस्कृत) चन्द्रमुनिकृत पुराणसार (संस्कृत) इन्द्रजीत कृत मुनिसुनत पुराण (हि०) आदि के नाम उल्लेखनीय है । यहां ग्रंथों की प्राचीन प्रतियां भी पर्याप्त संख्या में संग्रहीत हैं। इनमें से कुछ प्रतियों के नाम निम्न प्रकार हैं। सूची की क. सं. ग्रंथ नाम १५.३५ २.३५.० १-३६ १८३६ २०६५ २३२३ ११७३ पटपाहुड बद्धमानकाव्य स्याद्वादमंजरी : अजितनाथपुराण रोमिणाहचरिए यशोधर चरित्र टिप्पण सागारधर्मामृत ग्रंथकार नाम आ० कुन्दकुन्द पद्मनन्दि मल्लिपेण सूरि विजयसिंह दामोदर प्रभाचन्द्र आशाधर ले. काल १५१६ १५४८ १५२१ १५८० १५८२ १५८५ १५६५ भाषा স্ন० संस्कृत 39 अपभ्रंश " संस्कृत = Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूची की क्र. सं. प्रथ नाम मथ कार नाम ले. काल भाषा कथाकोश रिपेणाचार्य १५६७ संस्कृत ३७ जिनशतकटीका नरसिंह भट्ट १५६४ २२५ तत्त्वार्थरन्नप्रभाकर प्रभाचन्द १६३३ , क्षत्रचूडामणि वादीभसिंह १६०५ धन्यकुमारचरित्र श्रा० गुणभद्र १६०३ २११५ नागकुमार चरित्र धर्मधर - १६१६ इस भंडार में कपड़े पर संवत् १५१६ का लिखा हुश्रा प्रतिष्ठा पाठ है । जयपुर के भंडारों में उपलब्ध' कपड़े पर लिखे हुये ग्रंथों में यह ग्रंथ सबसे प्राचीन है। यहां यशोधर चरित की एक सुन्दर एवं कला पूर्ण सचित्र प्रति है । इसके दो चित्र मंथ सूची में देखे जा सकते हैं । चित्र कला पर मुगल कालीन प्रभाव है। यह प्रति करीब २०० वर्ष पुरानी है। २११३ १२ आमेर शास्त्र भंडार जयपुर ( ट भंडार ) आमेर शास्त्र भंडार राजस्थान के प्राचीन प्रय भंडारों में से है। इस भंडार की एक प्रथ सूची सन् १६४८ में क्षेत्र के शोध संस्थान की ओर से प्रकाशित की जा चुकी है । उस प्रथ सूची में १५०० प्रथों का विवरण दिया गया था । गत १३ वर्षों में भंडार में जिन ग्रंथों का और संग्रह हुआ है उनकी सूची इस भाग में दी गई है । इन प्रथों में मुख्यतः जयपुर के छाबड़ों के मन्दिर के तथा बाबू ज्ञानचंदजी खिन्दूका द्वारा भेट किये हुये ग'थ हैं । इसके अतिरिक्त भंडार के कुछ प्रथ जो पहिले वाली पंथ सूची में आने से रह गये थे उनका विवरण इस भाग में दे दिया गया है। इन प्रथों में पुष्पदंत कृत उत्तरपुराण भी है जो संवन १३६६ का लिखा हुआ है । यह प्रति इस सूची में आये हुये प्रथों में सबसे प्राचीन प्रति है। इसके अतिरिक्त १६ वी १७ वों एवं १८ वी शताब्दी में लिखे हुये प्रथों का अच्छा संग्रह है। भंडार के इन ग्रंथों में भट्टारक सुरेन्द्रकीर्ति विरचित छांदसीय क्रवित (हिन्दी), अ० जिनदास कृत चौरासी न्यातिमाला (हिन्दी), लाभवर्द्धन कृत पान्डवचरित (संस्कृत), लाखो ऋविकृत पार्श्वनाथ चौपाई (हिन्दी) आदि ग्रंथों के नाम उल्लेखनीय हैं। गुटकों में मनोहर मिश्र कृत मनोहरमंजरी, उदयभानु कृत भोजरासो, अमदास के कविन, तिपरदास कृत रुक्मिणी कृष्णजी का रासो, जनमोहन कृत स्नेहलीला, श्याममिश्र कृत रागमाला, विनयकीर्ति कृत अष्टाहिका रासो तथा बंसीदास कृत रोहिणीविधिकथा उल्लेखनीय रचनायें हैं । इस प्रकार आमेर शास्त्र भंभार में प्राचीन ग्रंथों का अच्छा संकलन है। Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथों का विषयानुसार वर्गीकरण ग्रंथ सूची को अधिक उपयोगी बनाने के लिये नथों का विषयानुसार वर्गीकरण करके उन्हें २५ विषयों में विभाजित किया गया है । विविध विषयों के ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि जैन प्राचार्यों ने प्रायः सभी विषयों पर अंध लिखे हैं । साहित्य का संभवतः एक भी ऐसा विषय नहीं होगा जिस पर इन विद्वानों ने अपनी कलम नहीं चला ई हो । एक ओर जहां इन्होंने धार्मिक एवं श्रागम साहित्य लिख कर भंडारों को भरा है यहां दूसरी ओर काव्य, चरित्र, पुराण, कथा कोश आदि लिख कर अपनी विद्वात्ता की छाप लगाई है । श्रावकों एवं सामान्य जन के हित के लिये इन प्राचार्यों एवं विद्वानों ने सिद्धान्त एवं श्राचार शास्त्र के सूक्ष्म से सूक्ष्म विषय का विश्लेषण किया है। सिद्धान्त की इतनी गहन एवं सूक्ष्म चर्चा शायद ही अन्य धर्मों में मिल सके। पूजा साहित्य लिखने में भी ये किसी से पीछे नहीं रहे । इन्होंने प्रत्येक विषय की पूजा लिखकर श्रावकों को इनको जीवन में उतारने की प्रेरणा भी की है। पूजाओं की जयमालाओं में कभी कभी इन विद्वानों ने जैन धर्म के सिद्धान्तों का बली उत्तमदा से वर्णन किया है । ग्रंथ सूची के इसही भाग में १५०० से अधिक पूजा ग्रंथों का उल्लेख हुआ है। धार्मिक साहित्य के अतिरिक्त लौकिक साहित्य पर भी इन आचार्यों ने खूब लिखा है। तीर्थकरों एवं शलाकाओं के महापुरुषों के पावन जीवन पर इनके द्वारा लिखे हुये बड़े बड़े पुराण एवं काव्य ग्रंथ मिलते हैं । ग्रंथ सूची में प्रायः सभी महत्वपूर्ण पुराण साहित्य के ग्रंथ आगये हैं । जैन सिद्धान्त एवं श्राचार शास्त्र के सिद्धामी को कथाओं के रूप में वर्णन करने में जैनाचार्यों ने अपने पारिष्टत्य का अच्छा प्रदर्शन किया है । इन भंडारों में इन विद्वानों द्वारा लिया हुआ कथा साहित्य प्रचुर मात्रा में मिलता है । ये कथायें रोचक होने के साथ साथ शिक्षाप्रद भी हैं । इसी प्रकार व्याकरण, ज्योतिप एवं आयुर्वेद पर भी इन भंडारों में अच्छा साहित्य संग्रहीत है । गुटकों में आयुर्वेद के नुसखों का अच्छा संग्रह है। सैकड़ों ही प्रकार के नुसखे दिये हुये हैं जिन पर खोज होने की अत्यधिक श्रावश्यकता है ।। इस बार हमने फागु, रासो एवं बेलि साहित्य के मंथों का अतिरिक्त वर्णन दिया है। जैन आचार्यों ने हिन्दी में छोटे छोटे सैकड़ों रासो ग्रंथ लिखे हैं जो इन भंडारों संग्रहीत हैं। अकेले ब्रह्म जिनदास के ४० से भी अधिक रासो ग्रंथ मिलते हैं । जैन भंडारों में १४ वीं शताब्दी के पूर्व से रासो ग्रंथ मिलने लगते हैं। इसके अतिरिक्त अध्ययन करने की दृष्टि से संग्रहीत किया ये इन भंडारों में जनेवर विद्वानों के काट्य, नाटक, व.था, ज्योतिष, आयुर्वेद, कोष, नीतिशास्त्र, व्याकरण आदि विषयों के ग्रंथों का भी अच्छा संकलन मिलता है । जैन विद्वानों ने कालिदास, माघ, भारवि आदि प्रसिद्ध कवियों के काव्यों का संकलन ही नहीं किया किन्तु उन पर बिस्तृत टीकायें भी लिखी है। प्रथ सूची के इसी भाग में ऐसे कितने ही काव्यों का उल्लेख आया है । भंडारों में ऐतिहासिक रचनायें भी पर्याप्त संख्या में मिलती हैं। इनमें भट्टारक पट्टावलियां, भट्टारकों के छन्द, गीत, चोमासा घणन, वंशोत्पत्ति वर्णन, देहली के बादशाहों एवं अन्य राज्यों के राजाओं के वर्णन एवं नगरों की बसापत का वर्णन मिलता है । Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -Ps विविध भाषाओं में रचित साहित्य राजस्थान के शास्त्र भंडारों में उत्तरी भारत की प्रायः सभी भाषाओं के ग्रंथ मिलते हैं । इनमें संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, राजस्थानी एवं गुजराती भाषा के मंथ मिलते हैं। संस्कृत भाषा में जैन विद्वानों ने वृहद् साहित्य लिखा है । आ० समन्तभद्र, कलंक, विद्यानन्द, जिनसेन, गुणभद्र, मान भट्टारक, सोमदेव, वीरनन्दि, हेमचन्द्र, आशाधर, सकलकीर्ति आदि सैकड़ों आचार्य एवं विद्वान् हुये हैं जिन्होंने संस्कृत भाषा में विविध विषयों पर सैकड़ों प्रथ लिखे हैं जो इन भंडारों में मिलते हैं। यही नहीं इन्होंने जैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये काव्य एवं नाटकों की टीकायें भी लिखी है । संस्कृत भाषा में लिखे हुये तिलक चम्पू, बीरनन्दि का चन्द्रप्रभकाव्य, वद्ध मानदेव का वरांगचरित्र आदि ऐसे काव्य हैं जिन्हें किसी भी महाकाव्य के समकक्ष बिठाया जा सकता है । इसी तरह संस्कृत भाषा में लिखा हुआ जैनाचार्यों का दर्शन एवं न्याय साहित्य भी उच्च कोटि का है । प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषा के क्षेत्र में तो केवल जैनाचार्यों का ही अधिकांशतः योगदान है । इन भाषाओं के अधिकांश ग्रंथ जैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये ही मिलते हैं । ग्रंथ सूची में अपभ्रंश में एवं प्राकृत भाषा में लिखे हुये पर्याप्त ग्रंथ आये हैं । महाकवि स्वयंभू, पुष्पदंत, समरकीर्ति, नयनन्दि जैसे महाकवियों का अपभ्रंश भाषा में उच्च कोटि का साहित्य मिलता है। अब तक इस भाषा के १०० से भी अधिक ग्रंथ मिल चुके हैं और वे सभी जैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये हैं । १ इसी तरह हिन्दी एवं राजस्थानी भाषा के ग्रंथों के संबंध में भी हमारा यही मत है कि इन भाषा की जैन विद्वानों ने खूब सेवा की है। हिन्दी के प्रारंभिक युग में जब कि इस भाषा में साहित्य निर्माण करना विद्वत्ता से परे समझा जाता था, जैन विद्वानों ने हिन्दी में साहित्य निर्माण करना प्रारम्भ किया था | जयपुर के इन भंडारों में हमें १३ वीं शताब्दी तक की रचनाएं मिल चुकी हैं। इनमें जिनदत्त चौपाई सर्व प्रमुख है जो संवत् १३५४ (१२६७ ई.) में रची गयी थी। इसी प्रकार भ० सकलकीर्ति, ब्रह्म जिनदास, भट्टारक भुवनकीर्ति, ज्ञानभूषण, शुभचन्द्र, छोहल, बूचरीज, ठक्कुरसी, पल्हू आदि विद्वानों का बहुतसा प्राचीन साहित्य इन भंडारों में प्राप्त हुआ है। जैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये हिन्दी एवं राजस्थानी साहित्य के अतिरिक्त जैनेतर विद्वानों द्वारा लिखे हुये ग्रंथों का भी यहां अच्छा संकलन है । पृथ्वीराज कृत कृष्णरुक्मिणी बेलि बिहारी सतसई, केशवदास की रसिकप्रिया, सूर एवं कबीर आदि कवियों के हिन्दीपद, जयपुर के इन भंडारों में प्राप्त हुये हैं । जैन विद्वान कभी कभी एक ही रचना में एक से अधिक भाषाओं का प्रयोग भी करते थे । धर्मचन्द्र प्रबन्ध इस दृष्टि से अच्छा उदाहरण कहा जा सकता है । १. देखिये कासलीवालजी द्वारा लिखे हुये Jain Granth Bhandars in Rajsthan का चतुर्थ परिशिष्ट । Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूची की क्र. सं. जैन विद्वान् ग्रंथ रचना के अतिरिक्त स्वयं ग्रंथों की प्रतिलिपियां भी किया करते थे। इन विद्वानों द्वारा लिखे गये ग्रंथों की पाण्डुलिपियां राष्ट्र की धरोहर एवं अमूल्य सम्पत्ति है। ऐसी पाण्डुलिपियों का प्राप्त होना सहज बात नहीं है लेकिन जयपुर के इन भंडारों में हमें स्वयं विद्वानों द्वारा लिखी हुई निम्न पाण्डुलिपियां प्राप्त हो चुकी हैं। ८४ १०४२ २६.२५ ३६५२ ५४३३ ५३८२ ५७२८ -२८ स्वयं ग्रंथकारों द्वारा लिखे हुये ग्रंथों की ५६५७ ६०४४ प्रकार कनककीर्ति के शिष्य सदाराम रत्नकर म्हश्रावकाचार भाषा गोम्मटसार जीवकांड भाषा नाममाला पंचमंगलपाठ शीलरासा मिध्यात्व खंडन मूल प्रतियां गुटका परमात्म प्रकाश एवं तत्त्रसार छयालीस ठाणा मंथ नाम पुरुषार्थ सिद्धयुपाय सदासुख कासलीवाल पं. टोडरमल पं० भारामल्ल खुशालचन्द काला जोधराज गोदीका बख्तराम साह टेकचंद ढालुराम ब्रह्मरायमल्ल लिपि संवत् १७०७ १६२० १८ वीं शताब्दी १६४३ १८४४ १७५० १८३५ १६१३ गुटकों का महत्व 1 शास्त्र भंडारों में हस्तलिखित ग्रंथों के अतिरिक्त गुटके भी संग्रह में होते हैं | साहित्यिक रचनाओं के संकलन की दृष्टि से ये गुटके बहुत ही महत्वपूर्ण हैं । इनमें विविध विषयों पर संकलन किये हुए कभी कभी ऐसे पाठ मिलते हैं जो अन्यत्र नहीं मिलते। ग्रंथ सूची में आये हुये बारह भंडारों में ८५० गुटके हैं। इनमें सबसे अधिक गुटके भंडार में हैं। अधिकांश गुटकों में पूजा स्तोत्र एवं कथायें ही मिलती हैं लेकिन प्रत्येक भंडार में कुछ गुटके ऐसे भी मिल जाते हैं जिनमें प्राचीन एवं श्रलभ्य पाठों का संग्रह होता है। ऐसे गुटकों का श्र, ज, अ एवं ट भंडार में अच्छा संकलन है । १३ वीं शताब्दी की हिन्दी रचना जिनदत्त चौपई भंडार के एक गुटके में ही प्राप्त हुई है। इसी तरह अपभ्रंश की कितनी ही कथायें, ब्रह्मजिनदास, शुभचन्द, चील, ठक्कुरसी, पल्छ, मनराम आदि प्राचीन कवियों की रचनायें भी इन्हीं गुटकों में मिली हैं। हिन्दी पदों के संकलन के तो ये एकमात्र स्रोत है। अधिकांश हिन्दी विद्वानों का पद साहित्य इनमें संकलित किया हुआ होता है । एक एक गुटके में कभी कभी तो ३००, ४०० पद संग्रह किये हुये मिलते हैं। इन गुटकों में ही ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध होती है | पट्टावलियां, छन्द, गीत, वंशावलि, बादशाहों के विवरण, नगरों की बसापत आदि सभी इनमें Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ --२१ही मिलते है । प्रत्येक शास्त्र भंडार के व्यवस्थापकों का फतव्य है कि वे अपने यहां के गुवकों को बहुत ही सम्हाल कर रखें जिससे वै मष्ट नहीं होने पार्षे क्योंकि हमने देखा है कि बहुत से भंडारों के गुटके बिना श्रेष्टनों में बंधे हुये ही रखे रहते हैं और इस सरह धीरे धीरे उन्हें नष्ट होने की मानों श्राक्षा देदी शास्त्र भंडारों की सुरक्षा के संबंध में : राजस्थान के शास्त्र भंडार अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं इसलिये उनकी सुरक्षा के प्रश्न पर सबसे प्रहिन्ने विचार किया जाना चाहिये । छोटे छोटे गांवों में जहां जैनों के एक-एक दो-दो घर रह गये हैं प्रहां उनकी सुरक्षा होना अत्यधिक कठिन है । इसके अतिरिक्त कस्बों की भी यही दशा है | वॉ भी जैन समाज का शास्त्र भंडारों की ओर कोई ध्यान नहीं है । एक तो आजकल छपे हुये ग्रंथ मिलने के कारण इस्वलिखित ग्रंथों की कोई स्वाध्याय नहीं करते हैं, दूसरे वे लोग इनके महत्व को भी नहीं समझते हैं। शानिये समाज को शिकार की सुशा के लिये ऐसा कोई उपाय ढूंदना चाहिये जिससे उनका उपयोग भी होता रहे तथा वे सुरक्षित भी रह सके । यह तो निश्चित ही है कि छपे हुए ग्रंथ मिलमे पर इन्हें कोई पढ़ना नहीं चाहता। इसके अतिरिक्त इस और रुचि न होने के कारण आगे आने वाली प्रतति तो इन्हें पढ़ना ही भूल जावेगी । इसलिये यह निश्चित सा है कि भषिष्य में ये प्रय केवल विद्वानों के लिये ही उपयोगी रहेंगे और वे ही इन्हें पढ़ना तथा देखना अधिक पसन्द करेंगे। ग्रंथ भंडारों की सुरक्षा के लिये हमारा यह सुझाव है कि राजस्थान के अभी सभी जिलों के कार्यालयों पर इनका पका एक संग्रहालय स्थापित हो तथा उप प्रान्त के सभी शास्त्र भंडारों के ग्रंथ सन संग्रहालय में संग्रहीत कर लिये जाएँ, किन्तु यदि किसी किसी उपजिलों एवं कस्बों में भी जैनों की अच्छी बरसी है तो उन्हीं स्थानों पर भंडारों को रहने दिया जावे । जिलेवार यदि संग्रहालय स्थापित हो जाये तो वहां रिसर्च स्कालर्स श्रासानी से पहुंच कर उनका उपयोग कर सकते हैं तथा उनकी सुरक्षा भाभी पूर्णतः प्रवन्ध हो सकता है। इसके अतिरिक्त राजस्थान में जयपुर, अलवर, भरतपुर, नागौर, कीटा, दी, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, डूगरपुर, प्रतापगढ़, बांसवान आदि स्थानों पर इनके बड़े घमें संग्रहालय खोल दिये जावें तथा अनुसन्धान प्रेमियों को उन्हें देखने एवं पढ़ने की पूरी सुविधाएं दी जायें तो ये इस्तलिखित के प्रथ फिर भी सुरक्षित रह सकते हैं अन्यथा उनका सुरक्षित रहना पद्य कदिन होगा। जयपुर के भी कुछ शास्त्र भंडारों को छोड़कर अन्य भंडार कोई विशेष अच्छी स्थिति में नहीं है। जयपुर के अंब तक हमने १६ भंडारों की सूची तैयार की है लेकिन किसी भंडार में वेष्टन नहीं हैं तो कहीं बिना पुट्ठों के ही शास्त्र रखे हुये हैं । इमारी इस असावधानी के कारण ही संकदो प्रथ अपूर्ण हो गये हैं । यदि जयपुर के शास्त्र भंडारों के ग्रंथों का संग्रह एक केन्द्रीय संग्रहालय में कर लिया जाये तो उस Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ समय हमारा वह संग्राहालय जयपुर के दर्शनीय स्थानों में से गिना जायेगा । प्रति वर्ष सैकड़ों की संख्या में शोध विद्यार्थी आयेंगे और जैन साहित्य के विविध विषयों पर स्वोज कर सकेंगे। इस संग्रहालय में शास्त्रों की पूर्ण सुरक्षा का ध्यान रखा जावे और इसका पूर्ण प्रबन्ध एक संस्था के अधीन हो । आशा है जयपुर का जैन समाज हमारे इस निवेदन पर ध्यान देगा और शास्त्रों की सुरक्षा एवं उनके उपयोग के लिये कोई निश्चित योजना बना सफेगा। ग्रंथ सूची के सम्बन्ध में ग्रंथ सूची के इस भाग को हमने सर्वांग सुन्दर बनाने का पूर्ण प्रयास किया है। प्राचीन एवं अज्ञात ग्रंथों की ग्रंथ प्रशस्ति एवं लेखक प्रशस्तियां दी गई हैं जिनसे विद्वानों को उनके कर्ता एवं लेखनकाल के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी मिल सके । गुटकों में महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है इसलिये घहुत से गुटकों के पूरे पाठ एवं शेष गुटको के उल्लेखनीय पाठ दिये हैं । ग्रंथ सूची के अन्त में ग्रंथानुक्रमणिका, ग्रंथ एवं ग्रंथकार, ग्राम नगर एवं उनके शासकों का उल्लेख ये चार परिशिष्ट दिये हैं। ग्रंथानुक्रमणिका को देखकर सूची में आये हुये किसी भी ग्रंथ का परिचय शीघ्र मालूम किया जा सकता है क्योंकि बहुत से ग्रंथों के नाम से उनके विपय के सम्बन्ध में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती | ग्रंथानुक्रमणिका में ४२०० प्रथों का उल्लेख आया है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि ग्रंथ सूची में निर्दिष्ट ६. सभी ग्रंथ मूल नथ है तथा शेष उन्हीं की प्रतियां हैं । इसी प्रकार मथ एवं ग्रंथकार परिशिष्ट से एक ही ग्रंथकार के इस सूची में कितने प्रथ आये हैं इसकी पूर्ण जानकारी मिल सकती है। प्राम एवं नगरों के परिशिष्ट में इन भंडारों में किस किस माम एवं नगरों में रचे हुये एवं लिखे हुये प्रथ संग्रहीत हैं यह जाना जा सकता है । इसके अतिरिक्त ये नगर कितने प्राचीन थे एवं उनमें साहित्यिक गतिविधियां किस प्रकार चलती थी इसका भी हमें आभास मिल सकता है । शासकों के परिशिष्ट में राजस्थान एवं भारत के विभिन्न राजा, महाराजा एवं बादशाहों के समय एवं उनके राज्य के सम्बन्ध में कुछ २ परिचय प्राप्त हो जाता है । ऐतिहासिक तथ्यों के संकलन में इस प्रकार के उल्लेख बहुत प्रामाणिक एवं महत्वपूर्ण सिद्ध होते हैं । प्रस्तावना में प्रश्र भंडारों के संक्षिप्त परिचय के अतिरिक्त अन्त में ४६ अन्नात प्रथों का परिचय भी दिया गया है जो इन मथों की जानकारी प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा। प्रस्तावना के साथ में ही एक अमात एवं महत्वपूर्ण प्रथों की सूची भी दी गई है इस प्रकार ग्रंथ सूची के इस भाग में अन्य सूचियों से ।सभी तरह की अधिक जानकारी देने का पूर्ण प्रयास किया है जिससे पाठक अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। ग्रंथों के नाम, ग्रंथकर्ता का नाम, उनके रचनाकाल, भापा आदि के साथ-साथ उनके आदि अन्त भाग पूर्णतः ठीक २ देने का प्रयास किया गया है फिर भी कमियां रहना स्वाभाविक है । इसलिये विद्वानों से हमारा उदार दृष्टि अपनाने का अनुरोध है तथा यदि कहीं कोई कमी हो तो हमें सूचित करने का कष्ट करें जिससे भविष्य में इन कमियों को दूर किया जा सके । Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२३ धन्यवाद समर्पण हम सर्व प्रथम क्षेत्र की प्रबन्ध कारिणी कमेटी एवं विशेषतः उसके मंत्री महोदय श्री केशरलालजी बख्शी को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने ग्रंथ सूची के चतुर्थ भाग को प्रकाशित करवा कर समाज एवं नैन साहित्य की हज करने बाले गारों महान् उपकार किया है। क्षेत्र कमेटी द्वारा जो साहित्य शोध संस्थान संचालित हो रहा है वह सम्पूर्ण जैन समाज के लिये अनुकरणीय है एवं उसे नई दिशा की ओर ले जाने वाला है । भविष्य में शोध संस्थान के कार्य का और भी विस्तार किया जावेगा ऐसी हमें आशा है। प्रथ सूची में उल्लिखित सभी शास्त्र भंडार के व्यवस्थापक महोदयों को एवं - विशेषतः श्री नथमलजी बज, समीरमलजी छाबड़ा, पूनमचंदजी सोगाणी, इन्दरलालजी पापड़ीवाल एवं सोहनलालजी सोगाणी, अनुपचंदजी दीवाण, भंवरलालजी न्यायतीर्थ, राजमलजी गोधा, प्रो. सुल्तानसिंहजी, कपूरचंदजी रांवका, आदि सज्जनों के हम पूर्ण आभारी हैं जिन्होंने हमें प्रथ मंडार की सूचियां बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दिया एवं अब भी समय समय पर भंडार के ग्रंथ दिखलाने में सहयोग देते रहते हैं। श्रद्धय पं० चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ के प्रति हम कृतज्ञांजलियां अर्पित करते हैं जिनकी सतत प्रेरणा एवं मार्ग-दर्शन से साहित्योद्धार का यह कार्य दिया जा रहा है। हमारे सहयोगी भा० सुगनचंदजी को भी हम धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकते जिनका पंथ सूची को तैयार करने में हमें पूर्ण सहयोग मिला है । जैन साहित्य सदन देहली के व्यवस्थापक पं. परमानन्दजी शास्त्री के मी हम हृदय से आभारी हैं । जिन्होंने सूची के एक भाग को देखकर आवश्यक सुझाव देने का कष्ट किया है। अन्त में आदरणीय डा. वासुदेवशरणजी सा. अपघाल, अध्यन हिन्दी विभाग काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी के हम पूर्ण आभारी हैं जिन्होंने ग्रंथ सूची की भूमिका लिखने की कृपा की है। डाक्टर सा. का हमें सदैव मार्ग-दर्शन मिलता रहता है जिसके लिये उनके हम पूर्ण कृतज्ञ है। महावीर भवन, जयपुर दिनांक १०-११-६१ कस्तूरचंद कासलीवाल अन्पचंद न्यायतीर्थ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२४-- प्राचीन एवं अज्ञात रचनाओं का परिचय १ अमृतधर्मरस काय - अविक धर्म पर यह एक सुन्दर एवं सरस संस्कृत काव्य है। काव्य में २४ प्रकरण में भट्टारक गुणचन्द्र इसके रचयिता है जिन्होंने इसे लोहट के पुत्र सावालदास के पठनार्थ लिखा था । स्वयं प्रकार ने अपनी प्रशस्ति निन्न प्रकार लिण्डी है पट्टे श्रीददाचार्य तत्पश्रीसहस्रकीति: तत्प? श्रीत्रिभुवनकीतिदैव तत्पष्ट श्री गुरुरलकीलि तस्पट्ट नी गुणचन्द्रदेवमविरचितमहामंथ कर्मक्षयार्थ लोहट सुत पंडित श्री सावलदास पठमार्थ ।। भाव्य की एक प्रति में भंडार में हैं । प्रति अशुद्ध है तथा उसमें प्रथम २ पृष्ठ नहीं हैं। २ आध्यात्मिक गाथा इस रचना का दूसरा नाम पट पद छःपय है । यह भट्टारकं लक्ष्मीचन्द्र की रचना है जो संभवतः गटारक सकलकीर्ति की परम्परा में हुये थे । रचना अपभ्रंश भाषा में निबद्ध है तथा उच्चकोटि की है।समें संसार की नश्वरता का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया गया है । इसमें २८ पद हैं। एक पद नीचे देखियेविरक्षा जाणीव पुणो विरसा सेवंति अप्पणो सामि, विरला ससहावरया परदव्य परम्मुद्दा विरला । ते. विरला जगि अस्थि जिकिचि परदन्छु ण इछाहि, ते विरला ससहाव करहिं रुइ णियमणि पिछहि ।। विरला सेवहिं सामि णित्त णिय देह वसंतड, विरला जाणहि अप्पु शुद्ध चेयण गुणवंतउ । मणु पत्तणु दुलह लहिवि सरयय कुलु उत्तमु जियउ, जिणु एम पयंपइ णिसुणि बुह गाह भरिण छप्पर किया । इसकी एक प्रति ज भंडार में सुरक्षित है । यह प्रति श्राचार्य नेमिचन्द्र के पढ़ने के लिये लिखी गई थी। ३ आराधमासार प्रबन्ध आराधनासार प्रबन्ध में मुनि प्रभाचंद्र विरचित संस्कृत कथाओं का संग्रह है। मुनि प्रभाचन्द्र देवेन्द्रकीर्ति के शिष्य थे 1 किन्तु प्रभाचन्द्र के शिष्य थे मुनि पानंन्दि जिनके द्वारा विरचित 'वर्द्धः मान पुराण' का परिचय आगे दिया गया है। प्रभाचन्द ने प्रत्येक कथा के अन्त में अपना परिचय दिया है 1 एक परिचय देखिये श्रीमूलसंघे घरभारतीये गच्छे बलात्कारगणोति रम्थे । श्रीकुदकुन्दास्यमुनीन्द्रवंशे जातं प्रभाचन्द्रमहायतीन्द्रः ।। Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२५देवेन्द्रचन्द्रार्कसम्मचितेन तेन प्रभा'चन्दमुनीश्वरेण । अनुमहाथै रचितः सुषाक्यः आराधनासारकथाप्रबन्धः ।। तेन क्रमेणव मयास्वशक्त्या श्लोकः प्रसिद्ध श्चनिगद्यते च । मार्गेण किं भानुकरप्रकाशे स्वलीलया गच्छति सर्वलोके ।। आराधनासार बद्भुत सुन्दर कथा मंथ है । यह अभीतक अप्रकाशित है । ४ कवि वल्लभ क भंडार में हरिचरणदास कृत दो रचनायें उपलब्ध हुई है। एक विहारी सतसई पर हिन्दी गद्य टीका है तथा दूसरी रचना कवि वल्लभ है । हरिचरणदास ने कृष्णोपासक प्राणनाथ के पास विहारी सतसई का अध्ययन किया था । ये श्रीनन्द पुरोहित की जाति के थे तथा 'मोहन' उनके आश्रयदाता थे जो बहुत ही उदार प्रकृति के थे। विहारी सतसई पर टीका इन्होंने संवत् १८३४ में समाप्त की थी। इसके एक वर्ष पश्चात् इन्होंने कविवल्लम की रचना की। इसमें काव्य के लक्षणों का वर्णन किया गया है । पूरे काव्य में २८४ पद्य है । संयत् १८५२ में लिखी हुई एक प्रति क भंडार में सुरक्षित है। ५ उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला भाषा देवीसिंह छाबडा १८ वीं शताब्दी के हिन्दी भाषा के विद्वान थे। ये जिनदास के पुत्र थे। संवत् १७६६ में इन्होंने श्रावक माधोदास गोलालारे के आग्रह त्रश उपदेश सिद्धान्तरत्नमाला की छन्दोबद्ध रचना की थी । मूल मंथ प्राकृत भाषा का है और वह नेमिचन्द्र भंडारी द्वारा रचित है। कवि नरवर निवासी थे जहां कूर्म वंश के राजा सिंह का राज्य था। उपदेश सिद्धान्तरत्नमाला भाषा हिन्दी का एक सुन्दर ग्रंथ है जो पूर्णतः प्रकाशन योग्य है। पूरे मंथ में १६८ पश्य हैं जो दोहा, चौपई, चौबोला, गीताचंद, नाराय, सोरठा आदि छन्दों में __निबद्ध है । कवि ने मंथ समाप्ति पर जो अपना परिचय दिया है वह निम्न प्रकार है वातसल गोती सूचरो, संचई सकल बखान । गोलालारे सुभमती, माधोदास सुआन १६०॥ चौपई महाकठिन प्राकृत की यांनी, जगत माहि प्रगट सुखदानी । या विधि चिंता मनि सुभाषी, भाषा छंद मांहि अभिलाषी ।। श्री जिनदास तनुज लघु भाषा, खंडेलवाल सावरा साखा । देवीत्यंध नाम सब भाष, कवित माहि चिंता मनि राखे । Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - सीता रा . श्री सिद्धान्त उपदेशमाला रतनगुन मंडित करी । सच सुकवि कंटा करदु, भूषित सुमनसोभित विधिकरी । जिम सूर्य के प्रकास सेती . तम बितान विलात है । इमि पढ़े परमागम सुयांनी विदत रुचि अवदात है ।। दोहा : .. सुखविधान नरवरपती, छत्रस्यंघ अवतंस । कीरति वंत प्रवीन मति, राजत कूरम वंश ॥१६४॥ " जाकै राज सुचैन सौं, विना ईति अरु भीति । रच्यो प्रथ सिद्धान्त सुभ, यह उपगार सुनीति ॥१६५।। सत्रहर अरु दएनवै, संवत् विक्रमराज ।। भादय बुदिएकादसी, शनिदिन सुविधि समाज ॥१६॥ पंथ कियो पूरन सुविधि नरवर नगर मंझार । जै समझ याको अरथ ते पावै भवपार ॥१६७।। चौबोला साजन यदि की तीज आदि सौ प्रारंभ्यो यह प्रध। भादव वदि एकादशि तक लौ परमपुन्य को पंथ ।। एक महिना आठ दिना मैं कियौ समापत प्रांनि । पदै गुने प्रकट चिंतामनि बोध सदा सुख दानि ॥१८॥ इति उपदेशसिद्धांतरत्नमाला भाषा ।। ६ गोम्मटसार टीका गोम्मटसार की यह संस्कृत टीका श्रा० सकलभूषण द्वारा विरचित है। टीका के प्रारम्भ में लिपिकार ने टीकाकार के विषय में लिखा है वह निम्न प्रकार है: "अथ गोम्मटसार मध गाथा बंध टीका करणाटक भाषा में है उसके अनुसार सकलभूषण मैं संस्कृत टीका बनाई सो लिखिये है । टीका का नाम मन्दप्रबोधिका है जिसका टीकाकार ने मंगलाचरण में ही उल्लेख किया है: Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनिं सिद्ध प्रणम्याहं नेमिचन्द्रजिनेश्वरं । टीकां गुम्मटसारस्य कुठें मंदप्रबोधिकां ॥ १ ॥ लेकिन अभयचन्द्राचार्य ने जो गोम्मटसार पर संस्कृत टीका लिखी थी उसका नाम भी मन्दप्रबोधिका ही है । 'मुख्तार साहब ने उसको गाथा नं० २० तक ही पाया जाना लिखा है, लेकिन जयपुर के ''भण्डार में संग्रहीत इस प्रति में आ सकल भूषण दिया है। इसकी विद्वानों द्वारा विस्तृत खोज होनी चाहिये । टीका के अन्त में जो टीकाकाल लिखा है वह संवत् १४७६ का है। विक्रमादित्यभूपस्य विख्यातों च मनोहरे । दशपंचशते वर्षे पड़भिः संयुतसप्ततौ (१५७६) टीका का आदि भाग निम्न प्रकार है: श्रीमदप्रतिहतप्रभावस्याद्वादश्ासन - गुहाअंतर निवासि प्रवादिमधसिंधुरसिंहायमानसिंहनंदि मुनींद्राभिनंदित गंगवंशललामराज़ सर्वज्ञायनेकगुणनामधेय - श्रीमद्रामल्लदेव महाबल्लभ - महामात्य पदविराजमान रणरंगमल्लसहाय पराक्रमगुस्सरत्नभूषण सम्यक्त्वरत्ननित्तयादिविविधगुणनाम समा सादितकीर्तिकांत श्रीमच्चा डराय भव्यपु डरीक द्रव्यानुयोगप्रश्नानुरूपरूपं महाकर्मप्राभृतसिद्धान्त जीवस्थानाख्यप्रथमखंडार्थसंग्रहं गोम्मटसास्नामधेयं पंचसंग्रहशास्त्र प्रारंभ समस्तसैद्धान्तिक चूडामरिण श्रीमन्नेमिचंद्रसैद्धान्तचक्रवर्ति तद् गोमटसार प्रथमावयवभूतं जीवकांडं विरचयस्तत्रादौम लगालनपुण्यावाप्ति शिष्टाचारपरिपालन नास्तिकतापरिहारादिफल जननसमर्थ विशिष्देष्टदेवतानमस्काररूपधर मंगलपूर्वक प्रकृतशास्त्रकथनप्रतिक्षा सूचकं गाया सूचकं कथयति । अन्तिम भाग नया श्रीवद्ध मानतान् वृषभादि जिनेश्वरान् । धर्ममार्गोपदेशत्वात् सर्व्वकल्याणदायिकान् ।। १ ।। श्रीचन्द्रादिप्रभतं च तत्या स्याद्वाददेशकं । श्रीमद्गुम्मटसारस्य कुर्वे शस्तां प्रशस्विकां ॥२॥ श्रीमत: शकराजस्थ शाके वर्त्तति सुन्दरे । . चतुर्दशशते चैक - चत्वारिंशत् - समन्विते ॥ ३ ॥१ विख्याते मनोहरे । वर्षे षडभि संयुतसप्ततौ ॥ ४ ॥ विक्रमादित्यभूपस्य दशपंचशते . १. देखिये पुरातन जैन वाक्य सूची प्रस्तावना पत्र : Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२८कार्तिके चाशिते पक्ष त्रयोदश्यां शुभ दिने । शुक्र च हस्तनक्षत्रे योगो च प्रीति नामनि ।। ५ ।। श्रीमच्छीमूलसंधे च नंद्याम्नाये लसद्गणे । बलात्कारे जगन्नमे गच्छे सारस्वताभिधे ॥६॥ श्रीमद शमा परम्पले भवत् । पन्नादिनंदि दित्याख्यो भट्टारकविचक्षणः ॥७॥ तत्पट्टाभोजमाः चंद्रांतश्च शुभादिक। तत्पदस्योभवच्छीमाम् जिनचंद्राभिधोगणी ।। ८॥ तत्प? सद्गुणैयु को भट्टारकपदेश्वरः । पंचाचाररतो नित्यं प्रभाचन्द्रो जितेन्द्रियः ।। ६ ॥ ततूशिष्यो धर्मचन्द्रश्च तत्क्रमांबुधि चंद्रमा । तदाम्नाये भवत भव्यास्ते वय॑ते यथाक्रम ॥१॥ पुरे नागपुर रम्ये राजो मझदखानके । पाटणीगोत्रके धुर्य खण्डेलवालान्वयभूषणे ॥११।। दानादिमिर्गुणयुक्तः लूणानामविचक्षणः । तस्य भार्या भवत् शस्ता लूणाश्री धाभिधानिका ॥१२॥ तयोः पुत्रः समाख्यातः पर्वताल्यो विचारकः ।। राज्यमान्यो जनैः सेन्यः संघमारधुरंधर ।।१३।। तस्य भार्यास्ति सत्साध्वी पर्वतश्रीति नामिका । शीलादिगुणसंपन्ना पुत्रत्रयसमन्विताः ॥१४॥ प्रथमो जिनदासाख्यो गृहभारधुरंधरः । तस्य भार्या भवत्साध्वी जौणादेविचक्षणा ॥१५॥ सानादिगुणसंयुक्ता द्वितीया ५ मुहागिणी। प्रथमायास्तु पुनः स्यात् तेजपालो गुणान्वितो ॥१६॥ द्वितीशे देवपत्ताख्यो गुरुभक्तः प्रसन्नधीः । पतिव्रता गुणयुक्ता भार्यादेवासिरीति च ॥१॥ . पितुर्भक्तो गुणयुको होलानामातृतीयकः । • होलादेया च तद्भार्या होलश्री द्वितीयिका ॥१८॥ लिखायि दत्त निखित सुभक्तितः । सिद्धान्तशास्त्रमिदं हि गुम्मट ॥ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्मादिचंद्राय स्वकर्मानये । हितोतये श्री सुखिने नियुक्तये ।।१।। चन्दनमलयागिरि कथा .. चन्दनमलयागिरि की कथा हिन्दी की प्रेम कथाओं में प्रसिद्ध कथा है। यह रचना मुनि भरसेन की है जिसका वर्णन उन्होंने निम्न प्रकार किया है मम उपकारी समगुरु, गुण अक्षर दातार, बंदे ताके चरण जुग, भद्रसेन मुनि सार ||३|| रचना की भाषा पर राजस्थानी का पूर्ण प्रभाव है । कुछ पद्म पाठकों के अवलोकनार्थ नीचे दिये जा रहे हैं:- . सीतल जल सरवर भरे, कमल मधुप झणकार । पणघट पाणी भरण कौं, बार बहुन पणिहार !! चंदन बिनु मलयागरी, दिन दिन सूरूत जात । ज्यौं पावस जलधार विनु, वनवेली कुर्मिलात ॥ अगानि माझि जरिवी भली, भलौज विष को पान ! शील खंदिवौ नहिं भलौ, काई कहु शील समान ।। न चंदन पावत देखि करि, ऊठि दियो सनमान ! उतरौ आपणौ धाम है, हम तुम होई पिछशन ॥ रचना में कहीं कहीं गाथायें भी उन त की हुई है। पद्य संख्या १८ है। रचनाकाल एवं लेखन काल दोनों ही नहीं दिये हुये हैं लेकिन पति की प्राचीनता की रष्टि से रचना १७वीं शताब्दी की होनी चाहिये । माषा एवं शैली की दृष्टि से रचना सुन्दर है। श्री मोतीलाल' मेनारिया ने इसका रचना काल सं. १६७५ माना है । इसका दूसरा नाम कलिकापंचमी' कथा भी मिलता है। अमीतक भद्रसेन की एक ही रचना उपलब्ध हुई है। इस रचना की एक सचित्र प्रति अभी हाल में ही हमे भट्टारकीय शास्त्र मंधार डूंगरपुर में प्राप्त हुई है। * बारूदत्त चरित्र यह कल्याएकीर्ति की रचना है । ये भट्टारक सकलकीर्ति की परम्परा में होने वाले मुनि देव. कीर्ति के शिष्य थे। कल्याणकीति ने चारुवस चरित्र को संवत् १६९२ में समाप्त किया था । रचना में १. राजस्थानी भाषा मौर साहित्य पृष्ठ सं० १६१ २. राजस्थान के जैन शास्त्र महारों की अथ सूची भाग २ पू० सं० २३६ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेठ चारुदत्त के जीवन पर प्रकाश डाला गया है। रचना चौपई एवं दूहा इन्द में है लेकिन राग भिम्त • भिन्न है। इसका दूसरा नाम चारुदत्तरास भी है। कल्याणकीर्ति १७ वीं शताब्दी के विद्वान थे। अब तक इनकी पार्श्वनाथ' रासोः (सं० १६६७ ) बावनी, जीरावलि पार्श्वनाथ स्तवनः (सं०) नवग्रह स्तवन (सं०) तीर्थकर विनती' (सं० १७२३) आदीश्वर' बधाचा आदि रचनायें मिल चुकी है। ६ चौरासी जातिजयमाल जिनदास १५ वीं शताब्दी के प्रसिद्ध विद्वान् थे। ये संस्कृत एवं हिन्दी दोनों के ही प्रगाढ विद्वान थे तथा इन दोनों ही भाषाओं में इनकी ६० से भी अधिक रचनायें उपलब्ध होती है। जयपुर के इन भंडारों में भी इनकी अभी कितनी ही रचनायें मिली हैं जिनमें से चौरासी जातिजयमाल का वर्णन यहां दिया जा रहा है। चौरासी जातिजयमाल में माला की बोली के उत्सव में सम्मिलित होने वाली ८४ जैन जातियों का नामोल्लेख किया है। माला की बोली बढाने में एक जाति से दूसरी जाति वाले व्यक्तियों में बड़ी उत्सुकता रहती थी। इस जयमाल में सबसे पहिले गोलालार अन्त में चतुर्थ जैन श्रावक जाति का उल्लेख किया गया है। रचना ऐतिहासिक है एवं इसकी भाषा हिन्दी (राजस्थानी ) है | इसमें कुल ४३ पथ हैं। ब्रह्म जिनदास ने जयमाल के अन्त में अपना नामोल्लेख निम्न प्रकार किया है। इसी चौरासी जाति जयमाला समाप्त | इति जयमाल के धागे चौरासी जाति की दूसरी जयमाल है जिसमें २६ पद्य हैं और वह संभवतः किसी अन्य कवि की है। } १० जिनदत्तचौपई —३०– जिनदत्त चौपई हिन्दी का आदिकालिक काव्य है जिसको रल्द कवि ने संवत् १३५४ (सन् १२६७) भादवा सुदी पंचमी के दिन समाप्त किया था । " से समकित तह बहू गुण जुत्तहं, माल सुणो तहमे एकमनि । अझ जिनदास भासं विबुध प्रकारों, पढई गुणे जे धम्मं धनि ||४३|| १. राजस्थान जैन शास्त्र भंडारों की ग्रंथ सूची भाग २ २. 2. ४. 37 " " 37 35 " भाग ३ " पृष्ठ ७४ १४ १०६ पृष्ठ १४१ पृष्ठ १५२ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 009 JODOOT "Docot 'DROrormoon Porn.todh भट्टारक सकलकी ति कृत यशोधर चरित्र की सचित्र प्रति के दो सुन्दर चित्र -INE २. Swimminin KO. arcelorM Keewzstroad ... यह सचित्र प्रति जयपुर के दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ के शास्त्र भएडार में संग्रहीत है । राजा यशोधर दुः स्वप्न की शांति के लिये अन्य जीवों की बलि न चदा कर स्वयं की बलि देने को तैयार होता है । रानी हाहाकार करती है। [ दूसरा चित्र प्रगले पृष्ठ पर देखिये | COe POCOD RecOM Com.000 Dowth. Doeer.00PC .000aman. Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चित्र नं० २ जिन चैत्यालय एवं राजमहल का एक दृश्य (मंश्र सूची क्र. सं. २२६५ टन संख्या ११४ ) Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३१ संवत् तेरह से चडवणे, भादव सुदिपंचमगुरु दिए । स्वाति नखत्त चंदु तुलहती, कवइ रल्हू पणवइ सुरसती ||२८|| fear थे तथा जाति से जैसवाल थे। उनकी माता का नाम सिरीया तथा afa to पिता का नाम आते था । जसवाल कुलि उत्तम जाति, वाईसह पाडल उतपाति । पंचकलीया आउट, कवह रल्हू जिणदत्त चरितु ॥ जिनवृत्त चौपई कथा प्रधान काव्य है इसमें कषिने अपनी काव्यत्व शक्ति का अधिक प्रदर्शन - न करते हुये कथा का ही सुन्दर रीति से प्रतिपादन किया है। ग्रंथ का आधार पं. लाखू द्वारा विरचित जित्तचरिङ (सं. (२७५ ) है जिसका उल्लेख स्वयं ग्रंथकार ने किया है । मइ जोड जिनदत्तपुरा, लाखू विरय भइलू पमाण ।1 ग्रंथ निर्माण के समय भारत पर अलाउद्दीन खिलजी का राज्य था । रचना प्रधानतः चौपाई छन्द में निबद्ध है किन्तु वस्तुबंध, दोहा, नाराच, अर्धनाराच आदि छन्दों का भी कहीं २ प्रयोग हुआ है। इसमें कुल पच ५५४ हैं । रचना की भाषा हिन्दी है जिस पर अपभ्रंश का अधिक प्रभाव है । वैसे भाषा सरल एवं सरस है। अधिकांश शब्दों को उकारान्त बनाकर प्रयोग किया गया है जो उस समय की परम्परा सी मालूम होती है। काव्य कथा प्रधान होने पर भी उसमें रोमांचकता है तथा काव्य में पाठकों की उत्सुकता बनी रहती है। काव्य में जिनदत्त मगध देशान्तर्गत बसन्तपुर नगर सेठ के पुत्र जीवदेव का पुत्र था । जिनेन्द्र भगवान की पूजा अर्चना करने से प्राप्त होने के कारण उसका नाम जिनदत्त रखा गया था। जिनदत्त व्यापार के लिये सिंघल आदि द्वीपों में गया था। उसे व्यापार में अतुल लाभ के अतिरिक्त वहां से उसे अनेक अलौकिक विद्यायें एवं राजकुमारियां भी प्राप्त हुई थीं। इस प्रकार पूरी कथा जिनदत्त के जीवन की सुन्दर कहानियों से पूर्ण है । ११ ज्योतिषसार जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ज्योतिषसार ज्योतिष शास्त्र का ग्रंथ है। इसके रचयिता हैं श्री कृपाराम जिन्होंने ज्योतिष के विभिन्न ग्रंथों के आधार से संवत् १७४२ में इसकी रचना की थी। कवि के पिता का नाम तुलाराम था और वे शाहजहांपुर के रहने वाले थे । पाठकों की जानकारी के लिये ग्रंथ में से दो उद्धरण दिये जा रहे हैं: 1 - केदरियों चौथो भवन, सपतमदसौं जान । पंचम अरु नोसौ भवन, येह त्रिकोण बखान ||६| तीजो पसटम ग्यारमों, घर दसम कर लेखि । इनकी उप कहते है, सर्व ग्रंथ में देखि ||७|| Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२५ वरष लग्यो जा अंस में, सोह दिन चित धारि । बा दिन उतनी घडी, जु पल श्रीते लमबिचारि ॥४॥ लगन लिखे ते गिरह जी, जा घर बैठो प्राय । ता घर के मूल सुकल को कीजे मित बनाय ।।४१॥ १२ ज्ञानार्णव टीका आचार्य शुभचन्द्र विरचित नामागोत्र संत नाम का सिद्ध मन्थो । नाभ्याय करने वालों का प्रिय होने के कारण इसकी प्रायः प्रत्येक शास्त्र भंडार में हस्तलिखित प्रतियां उपलब्ध होती हैं । इसकी एक टीका विद्यानन्दि के शिष्य श्रु तसागर द्वारा लिखी गई थी । ज्ञानार्णव की एक अन्य संस्कृत टीका जयपुर के श्र मंडार में उपलब्ध हुई है । टीकाकार है पं. नयविलास । उन्होंने उस टीका को मुगल सम्राट अकवर जलालुद्दीन के राजस्व मंत्री टोडरमल के सुत रिबिंदास के श्रवणार्थ एवं पठनाथें लिखी थी । इसका उल्लेख टीकाकार ने अन्य के प्रत्येक अध्याय के अंत में निम्न प्रकार किया है:-- इति शुभचन्द्राचार्यविरचिते ज्ञानार्णवमूलसूत्रे योगादीपाधिकारे पं. नयविलासेन साह, पासा तत्पुत्र साह टोडर तत्पुत्र साई रिषिदासेन स्मश्रवणार्थ पंडित जिनदासोयमेन काराप्तेिन द्वादशभावना प्रकरण द्वितीय · दीका के प्रारम्भ में भी टीकाकार ने निम्न प्रशस्ति लिखी है शास्वत साहिं जलालदीनपुरतः प्राप्त प्रतिष्ठोदयः । श्रीमान् मुगलवंशशारद-शशि-विश्वोपकारोद्यतः । नाम्नां कृष्ण इति प्रसिद्धिाभवम् स्तात्रधर्मोन्नतेः । तन्मंत्रीश्चर टोडरो गुणयुतः सर्वाधिकाराधितः ।।६।। श्रीमन टोडरसाह पुत्र निपुणः सदानचितामणिः । श्रीमत् श्रीरिषिदास धर्मनिपुणः प्राप्तोन्नत्तिस्वश्रिया । तेनाह समवादि निपुणो न्यायद्यलीलाबयः । श्रोतुं वृत्तिमता परं सुविषया शानाणेवस्य स्फुट ।।७।। उक्त प्रशस्ति से यह जाना जा सकता है कि सम्राट अकबर के राजस्व मंत्री टोडरमल संभवतः । जैन थे। इनके पिता का नाम साह पाशा था । स्त्रयं मंत्री टोडरमल भी कवि थे और इनका एक मजन "अब तेरो मुख देखू जिनंदा" जैन भंडारों में कितने ही गुटको में मिलता है। नबिलास की संस्कृत टीका का उल्लेख पीटर्सन ने भी किया है लेकिन उन्होंने नामोल्लेख के अतिरिक्त और कोई परिचय नहीं दिया है । पं. नयविलास का विशेष परिचय अभी खोज का विषय है। १३ मिणाह चरिए--महाकवि दामोदर. महाकवि दामोदर कृत णेमिणाह चरिए अपभ्रंश भाषा का एक सुन्दर काव्य है। इस काव्य में पांच संधियां हैं जिनमें भगवान नेमिनाथ के जीवन का वर्णन है । महाकवि ने इसे संवत् १२८७ में समाप्त किया था जैसा निम्न दुबई छन्द ( एक प्रकार का दोहा ) में दिया हुआ है: Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारहसयाई सत्तसियाई, विस्कमरायहो कालडं । पमारहं पट्ट समुद्धरणु, गरवर देवापालई ।।११।। दामोदर मुनि सूरसेन के प्रशिष्य एवं महामुनि क्रमलभद्र के शिष्य थे। इन्होंने इस ग्रंथ की पंडित रामचन्द्र के आदेश से रचना की थी । ग्रंथ की भाषा सुन्दर एवं ललित है । इसमें घत्ता, दुबई, वस्तु छंद का प्रयोग किया गया है । कुल पद्यों की संख्या १४५ है । इस काव्य से अपभ्रंश भाषा का शनैः शनैः हिन्दी भाषा में किस प्रकार परिवर्तन हुआ यह जाना जा सकता है । इसकी एक प्रति ज भंडार में उपलब्ध हुई है । प्रति अपूर्ण है तथा प्रथम - पत्र नहीं हैं। अति सं० १५८२ की लिखी हुई है। १४ तच्चवर्णन यह मुनि शुभचन्द्र की संस्कृत रचना है जिसमें संक्षिप्त रूप से जीवादि द्रव्यों का लक्षण वर्णित है । रचना छोटी है और उसमें फेवल ५१ पद्य हैं । प्रारम्भ में ग्रंथकर्ता ने निम्न प्रकार विषय वर्णन करने का उल्लेख किया है: तत्त्वातत्वस्वरूपझं सार्च सर्वगुणाकरं । वीरं नत्वा प्रवक्ष्येऽहं जीवद्रव्यादिलक्षणं ॥१॥ जीवाजीवमिदं द्रव्यं युग्ममाहु जिनेश्वरा | जीवद्रव्यं द्विधातत्र शुद्धाशुद्धविकल्पतः ।।२।। रचना की भाषा सरल है । ग्रंथकार ने रचना के अन्त में अपना नामोल्लेख निम्न प्रकार किया है:श्री कंजकीत्तिसह वैः शुभेदुमुनितेरितै । जिनागमानुसारेण सम्यक्त्यव्यक्ति-हेतवे ॥५०।। मुनि शुभचन्द्र भट्टारक शुभचन्द्र से भिन्न विद्वान है । ये १७ वीं शताब्दी के विद्वान थे । इनके द्वारा लिखी हुई अभी हिन्दी भाषा की भी रचनायें मिली हैं। यह रचना अ भंडार में संग्रहीत है । यह प्राचार्य नेमिचन्द्र के पठनार्थ लिखी गई थी। १५ तचार्थसत्र भाषा प्रसिद्ध जैनाचार्य उमास्वामि के तत्वार्थसुत्र का हिन्दी एयमें अनुवाद बहुत कम विद्वानों ने किया है। अभी क भंडार में इस ग्रंथ का हिन्दीपद्यानुवाद मिला है जिसके का है श्री छोटेलाल, जो अलीगढ़ प्रान्त के मेगांव के रहने वाले थे । इनके पिता का नाम मोतीलाल था। ये जैसवाल जैन थे तथा काशी नगर में आकर रहने लगे थे। इन्होंने इस ग्रंथ का पद्यानुवाद संवत् १९३२ में समाप्त किया था। छोटेलाल हिन्दी के अच्छे विद्वान थे। इनकी अब तक तत्त्वार्थसूत्र भाषा के अतिरिक्त और रचनायें भी उपलब्ध हुई है। ये रचनायें चौवीस तीर्थकर पूजा, पंचपरमेष्टी पूजा एवं नित्यनियमपूजा है। तत्त्वार्थ सूत्र का श्रादि भाग निम्न प्रकार है। Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोक्ष की राह बनायत जे । अरु कर्म पहाड करै चकचा, विश्वसुतत्त्व के ज्ञायक है तादी, लब्धि के हेत नौं परिपूरा। सम्यग्दर्शन चरित ज्ञान कहे, याहि मारग मोक्ष के सूरा, तत्व को 'अर्थ करो सरधान सो सम्यग्दर्शन मजहूरा ॥१॥ कवि ने जिन पद्यों में अपना परिचय दिया है वे निम्न प्रकार है:-- जिलो अलीगढ जानियो मेडूगाम सुधाम । मोतीलाल सुपुत्र है छोटेलाल सुनाम ।।१।। जैसवाल कुल जाति है श्रेणी वीसा जान | वंश इण्याक महान में लयो जन्म भू आन २॥ काशी मगर सुआय के संनी संगति पाय । उदयराज भाई लखो सिखरचन्द गुण काय ॥३॥ वंद भेद जानों नहीं और गणागण सोय । केवल भक्ति सुधर्म की वसी सुदृदय मोय ||४|| ता प्रभाव का सूत्र की छंद प्रतिज्ञा सिद्धि । भाई सु भधि जन सोधियो होय जगत प्रसिद्ध ॥५॥ मंगल श्री अहत है सिद्ध साध चपसार । तिन नुति मनवय काय यह मेटो विधन विकार ॥६ छंद बंध श्री सूत्र के किये सु वुधि अनुसार । मूलग्रंथ कू देखिके श्री जिन हिरदै धारिका कारमास की अष्टमी पहलो पक्ष निहार । अठसटि ऊन सहस्र दो संबत रीति विचार III । इति छंदशवसूत्र संपूर्ण । संवत् १६५३ चैत्र कृष्णा १३ बुधे । १६ दर्शनसार भाषा नथमल नाम के कई विद्वान हो गये हैं । इनमें सबसे प्रसिद्ध १८ वी शताब्दी के नथमल बिलाला थे जो मूलतः आगरे के निवासी थे किन्द बाद में हीरापुर (हिण्डौन) आकर रहने लगे थे। उक्त विद्वान के अतिरिक्त १६ वीं शताब्दी में दूसरे नथमल हुये जिन्होंने कितने ही ग्रंथों की भाषा टीका लिखी। दर्शनसार भाषा भी इन्हीं का लिया हुआ है जिसे उन्होंने संवत् १६२० में समाप्त किया था। इसका उल्लेख स्वयं कवि ने निम्न प्रकार किया है। बीस अधिक उगणीस सै शात, श्रायण प्रथम चोथि शनिवार । कृष्णपक्ष में दर्शनसार, भाषा नथमल लिखी सुधार १५६|| दर्शनसार मूलतः देवसेन का ग्रंथ है जिसे उन्होंने संवत् १६० में समाप्त किया था। नथमल ने इसी का पद्यानुवाद किया है। नथमल द्वारा लिखे हुये अन्य ग्रंथों में महीपालचरितभापा ( संवत् १६१८ ), योगसार भाषा (संवत् १६१६), परमात्मप्रकाश भाषा (संवत् १६१६), रत्नकरण्डश्रावकाचार भाषा (संवत् १९२०), पोडश. Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -34 कारणभावना भाषा ( संवत् १६२९ ) अहिका कथा ( संवत् १९२२), रत्नत्रय जयमाल ( संवत् (१९२४) उल्लेखनीय हैं । १७ दर्शनसार भाषा १८ वीं एवं १६ वीं शताब्दी में जयपुर में हिन्दी के बहुत विद्वान होगये हैं । इन विद्वानों मैं हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए सैकड़ों प्राकृत एवं संस्कृत के ग्रंथों का हिन्दी गद्य एवं पद्म में अनुवाद किया था | इन्हीं विद्वानों में से पं० शिवजीलालजी का नाम भी उल्लेखनीय है । ये १८ वीं शताब्दी के विद्वान थे और इन्होंने दर्शनसार की हिन्दी गद्य टीका संवत् १८२३ में समाप्त की थी। गद्य में राजस्थानी शैली का उपयोग किया गया है। इसका एक उदाहरण देखिये : सांच कहतों जीव के उपरिलोक दूखो वा तूपो । सांच कहने वाला तो कहे ही कहा जग का म करि राजदंड छोड देना है वा जूवा का भय करि राजमनुष्य कपडा पटकि देय है ? वैसे निंदने बाले निंदा, स्तुति करने वाले स्तुति करो, सांच बोला तो सांच कहै । १८ धर्मचन्द्र प्रबन्ध धर्मचन्द्र में मुनि धर्मचन्द्र का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। मुनि, भट्टारकों एवं बिद्वानों के सम्बन्ध में ऐसे बहुत कम उपलब्ध होते हैं इस दृष्टि से यह प्रबन्ध एक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक रचना है। रचना प्राकृत भाषा में हैं विभिन्न छन्दों की २० गाथायें हैं । प्रबन्ध से पता चलता है कि मुनि धर्मचन्द्र भः प्रभाचन्द्र के शिष्य थे। ये सकल कला में प्रवीण एवं आम शास्त्र के पारगामी विद्वान थे । भारत के सभी प्रान्तों के श्रावकों में उनका पूर्ण प्रभुत्व या और समय २ पर वे आकर उनकी पूजा किया करते थे । प्रबन्ध की पूरी प्रति ग्रंथ सूची के पृष्ठ ३६६ पर दी हुई है। १६ धर्मविलास धर्मविलास ब्रह्मजिनदास की रचना है । कवि ने अपने आपको सिद्धान्तचक्रवर्ति आ० नेमिara का शिष्य लिखा है। इसलिये ये भट्टारक सकलकीर्ति के अनुज एवं उनके शिष्य प्रसिद्ध विद्वान जिनदाल से भिन्न विद्वान हैं । इन्होंने प्रथम मंगलाचरण में भी आ० नेमिचन्द्र को नमस्कार किया है। कमलमायंड सिद्धणि तिहुपर्निद सद्पुज्जं । नेमिशसिं गुरुवीरं परणमीय तियशुद्धभोवमहणं ॥ १ ॥ ग्रंथ का नाम धर्मं चविंशतिका भी है। यह प्राकृत भाषा में निवन है तथा इसमें केवल २६ साधायें है। ग्रंथ की अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है । Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . इति त्रिविधसैद्धान्तिकचक्रयाचार्यश्रीनेमिचन्द्रस्य प्रियशिष्यब्रमजिनदासविरचितं धर्मपंचविशतिका नाम शास्त्रसमाप्तम् ।। २. निजामणि यहाँ प्रसिद्ध विद्वान् ब्रह्म जिनदास की कृति है जो जयपुर के 'क' भएडार में उपलब्ध हुई है । रचना छोटी है और उसमें केवल ५४ पद्य है । इसमें चौबीस तीर्थीकरों की स्तुति एवं अन्य शलाका महापुरुषों का नामोल्लेख किया गया है । रचना स्तुति परक होते हुये भी आध्यात्मिक है । रचना का आदि अन्त भाग निम्न प्रकार है: श्री सकल जिनेश्वर देव, हूं तझ पाय करू सेव ।। हवे निजामणि ऋहु सार, जिम क्षपक तरे संसार ।। १ ।। हो आपक सुणे जिनवाणि, संसार अथिर तू जाणि । इहां रहमा नहिं कोई थीर, हवे मन हद करो निज धीर ॥२॥ ग्या आदिश्वर जगीसार, ते जुगला धर्म निवार । ग्या अजित जिनेश्वर चंग, जिने कियो कर्म नो भंग ।। ३ ।। ग्या संभव भव हर स्वामी, ते जिनवर मुक्ति हि गामी । ग्या अभिनंदन आनंद, जिने मोड्यो भव नो कंद।।४॥ ग्या मुमति सुमति दातार, जिने रण मुमी जित्यो मार। ग्या पद्मप्रभ जगियास, ते मुक्ति तणा निवास ॥५॥ ग्या सुपाश्व जिन जगीसार, जसु पास न रहियो भार। ग्या चंद्रप्रभ जगीचंद्र, जिन त्रिभुवन कियो आनन्द ॥६॥ ए निजामणि कहि सार, ते सयल सुख भंडार । जे क्षपक सुणे ए चंग, ते सौख्य पाये अभंग ।। ५३ ।। श्री सकलकीन्ति गुरु ध्याउ, मुनि भुवनकीति गुणगाउ । ब्रझ जिनदास भणेसार, ए निजामणि भवतार |! ५४ ॥ २१ नेमिनरेन्द्र स्तोत्र यह स्तोत्र पादिराज जगन्नाथ कुत है । ये भट्टारक नरेन्द्रकीति के शिष्य थे तथा टोडारायसिंह | (जयपुर ) के रहने वाले थे। अब तक इनकी श्वेताम्यर पराजय (केबलि मुक्ति निराकरण ), सुख निधान, चतुर्विशति संधान स्वोपन टीका एवं शिव साधन नाम के चार प्रथ उपलब्ध हुये थे। नेमिनरेन्द्र स्तोत्र Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1381 उनकी पांचवी कृति है जिसमें दोडारायसिंह के प्रसिद्ध नेमिनाथ मन्दिर की मूलनायक प्रतिमा नेमिनाथ का न किया गया है। ये १७ वीं शताब्दी के विद्वान् थे । रचना में ४१ छन्द हैं तथा अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है: श्रीमन्नेमि नरेन्द्रकी तिरतुलं चित्तोत्सवं च कृतात् । पूर्षानेकमवार्जितं चकलुपं भक्तस्य वै जर्हतान् ॥ उद्ध. त्या पद एवं शर्मदपदे, स्तोतृनहो" '' शाश्वत् छी जगदीश निर्मलहृदि प्रायः सदा वर्ततात् ॥४१॥ उस्तोत्र की एक प्रति ञ भण्डार में संग्रहीत है जो संवत् १७०४ की लिखी हुई है। २२ परमात्मराज स्तोत्र भट्टारक सकलकीसि द्वारा विरचित यह दूसरी रचना है जो जयपुर के शास्त्र भंडारों में उपसब्ध हुई है | यह सुन्दर एवं भावपूर्ण स्तोत्र है । कवि में इसे महारुन शिखा है। शोध की मात्रा ल एवं सुन्दर है । इसकी एक प्रति जयपुर के के भंडार में संग्रहीत है। इसमें १६ पद्य हैं । स्तोत्र की पूरी प्रतिमंथसूची के पृष्ठ ४०३ पर दे दी गयी है । २३ पासचरिए पासचरिए अपभ्रंश भाषा की रचना है जिसे कवि तेजपाल ने सिवदास पुत्र धूलि के लिये fres की थी। इसकी एक अपूर्ण प्रति भण्डार में संग्रहीत है। इस प्रति में ५ से ७७ तक पत्र हैं जिन में आठ संधियों का विवरण है। आठवीं संधि की अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है इयसिरि पास चरित' इयं कइ तेजपाल सायं अणुसंणियसुहद्द घूघति सिवदास पुत्तरेण सग्गग्गवाल छीजा सुपसाएण लम्भए गुरां अरविंद दिखा श्रमसंधी परिसमत्तो ॥ तेजपाल ने प्र'थ में दुबई, घत्ता एवं कडवक इन तीन छन्दों का उपयोग किया है । पहिले फिर दुबई तथा सबके अन्त में कडबक इस क्रम से इन छन्दों का प्रयोग हुआ है । रचना अभी अप्रकाशित है । तेजपाल १४ वीं शताब्दी के विद्वान थे । इनकी दो रचनाएं संभवनाथ चरित एवं वरांग चरित पहिले प्राप्त हो चुकी हैं । २४ पार्श्वनाथ चौपई पार्श्वनाथ चौपई कवि लाखो की रचना है जिसे उन्होंने संवत् १७३४ में समाप्त किया था । Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ --३-- कवि राजस्थानी विद्वान थे तथा वणहटका ग्राम के रहने वाले थे । उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन था । पार्श्वनाथ चौपई में २६८ पद्य हैं जो सभी चौपई में हैं । रचना सरस भाषा में निबद्ध है। १५ पिंगल छन्द शास्त्र . छन्द शास्त्र पर माखन कवि द्वारा लिखी हुई यह यहुत सुन्दर रचना है । रचना का दूसरा नाम माखन छंद विलास भी है । माखन कवि के पिता जिनका नाम गोपाल था स्वयं भी कवि थे । रचना में दोमा गौगोला, :, कोरला, मदनमोहन, हरिमालिका संखधारी, मालती, डिल्ल, करहुंचा समानिका, मुजंगप्रयात, मंजुभाषिणी, सारंगिका, तरंगिका, भ्रमरावलि, मालिनी अादि कितने ही छन्दों के लक्षण दिये हुये हैं। माखन कवि ने इसे संवत् १८६३ में समाप्त किया था। इसकी एक अपूर्ण प्रति 'अ' भण्डार के संग्रह में है। इसका आदि भाग सूची के ३१० पृष्ठ पर दिया हुआ है। २६ पुण्यास्रवकथा कोश देकचन्द १८ वीं शताब्दी के प्रमुख हिन्दी कवि हो गये हैं । अबतक इनकी २० से भी अधिक रचनायें प्राप्त हो चुकी हैं । जिन में से कुछ के नाम निम्न प्रकार हैं: पंचपरमेष्ठी पूजा, कर्मदहन पूजा, तीनलोक पूजा (सं० १८२८) सुदृष्टि तरंगिणी (सं० १८३८ ) सोलहकारण पूजा, व्यसनराज वर्णन (सं० १८२७ ) पञ्चकल्याण पूजा, पञ्चमेरु, पूजा, दशाध्याय सूत्र गय टीका, अध्यात्म बारहखडी, आदि । इनके पद भी मिलते हैं जो अध्यात्म रस से ओतप्रोत है। टेकचंद के पितामह का नाम दीपचंद एवं पिता का नाम रामकृष्ण था। दीपचंद स्वयं भी श्रच्छे विद्वान थे । कवि खण्डेलवाल जैन थे । ये मूलतः जयपुर निवासी थे लेकिन फिर साहिपुरामें आकर रहने लगे थे । पुण्यास्रवकथाकोश इनकी एक और रचना है जो अभी जयपुर के 'क' भण्डार में प्राप्त हुई है । कवि ने इस रचना में जो अपनापरिचय दिया है वह निम्न प्रकार है:-- दीपचन्द साधर्मी भए, ते जिनधर्म विर्ष रत थए । तिन से पुरस तणु संगपाय, कर्म जोग्य नहीं धर्म सुहाय ।। ३२ ॥ दीपचन्द तन से तन भयो, ताको नाम हली हरि दीयो । रामकृष्ण ते जो तन थाय, हठीचंद ता नाम धराय ॥ ३३ ॥ सो फिरि कर्म उदै ते पाय, साहिपुर थिति कीनी जाय । तहां भी बहुत काल विन ज्ञान, खोयो मोह उदै तै पानि ।। x Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३१साहिपुरा सुभथान में, भलो सहारो पाप। धर्म लियो जिन देव को, नरभव सफल कराय।। नृप उमेद ता पुर विष, करें राज बलवान | तिन अपने भुजबलयकी, अरि शिर कीहनी श्रानि ।। ताके राज सुराज मैं ईनिमोति नहीं डा। अवलूपुर में सुस्वथकी तिष्ठे हरए जु आनि ।। करी कथा इस ग्रंथ की, छेद बंध पुर माहि । मंथ करन कळू बीचि में, श्राकुल उपजी नांहि ॥ ५३॥ साहि नगर साय भयो, पायो सुभ अवकास । पूरण ग्रंथ सुख त कीयौ, पुण्याश्रव पुण्यवास ।। ५४ ।। चौपई एवं दोहा छन्दों में लिखा हुआ एक सुन्दर ग्रंथ है । इसमें से कथानों का संग्रह है। कवि ने इसे संवत् १८२२ में समाप्त किया था जिसका रचना के अन्त में निम्न प्रकार उल्लेख है: संवत् अष्टादश सत जानि, उपरि बीस दोय फिरि नि । फागुण सुदि ग्यारसि निसमाहि, कियो समापत उर हुल साहि ।। ५५ ।। प्रारम्भ में कवि ने लिखा है कि पुण्यात्रब कथा कोश पहिन्ने प्राकृत भाषा में निबद्ध था लेकिन जब उसे जन साधारण नहीं समझने लगा तो सकल कीति आदि विद्वानों ने संस्कृत में उसकी रचना की | जब संस्कृत समझना भी प्रत्येक के लिए क्लिष्ट होगया तो फिर आगरे में धनराम ने उसकी बनिका की । टेकचंद ने संभवतः इसी व वनिका के आधार पर इसकी छन्दोबद्ध रचना की होगी। कविने इसका निम्न प्रकार उल्लेख किया है: साधर्मी धनराम जु भए, संसकृत परवीन जु थए । तो यह ग्रंथ आगर थान, कीयो वचनिका सरल बग्बान ।।। जिन धुनि तो विन अक्षर होय, गणधर सममै और न कोय । तो प्राकृत मैं कर बस्त्रांन, तब सब ही सुनि है गुणखानि ॥३॥ तम फिरि बुधि हीनता लई, संस्कृत वानी श्रुति ठई । फेरि अलप बुध ज्ञान की होय, सकल कीर्ति आदिक जोय ॥ तिन यह महा सुगम करि लीए, संस्कृत अति सरल जु कीए । २७ बारहभावना पं० रश्धू अपभ्रंश भाषा के प्रसिद्ध कवि माने जाते हैं । इनको प्रायः सभी रचनायें अपभ्रंश Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१० भाषा में ही मिलती हैं जिनकी संख्या २० से भी अधिक है। कवि १५ वीं शताब्दी के विद्वान थे और मध्यप्रदेश-ग्वालियर के रहने वाले थे । चारह भावना कवि की एक मात्र रचना है जो हिन्दी में लिखी हुई मिली है लेकिन इसकी भाषा पर भी अपभ्रश का प्रभाव है । रचना में ३६ पद्य हैं। रचना के • अन्त में कवि ने ज्ञान की अगाधता के बारे में बहुत सुन्दर शब्दों में कहा है: कथम कहाणी ज्ञान की, कहन सुनन की नाहि । आपन्ही मैं पाइए, जब देखै घट मांहि ॥ रचना के कुछ सुन्दर पञ्च निन्न प्रकार हैसंसार रूप कोई वस्तु नाही, भेदभाव अज्ञान । ज्ञान दृष्टि धरि देस्मिए, सब ही सिद्ध समान || धर्म करावौ धरम करि, किरिया धरम न होय । धरम जुजानत वस्तु है, जो पहचान कोय ॥ करन करावन ग्यान नहि, पढ़ि अर्थ घरखानत और 1 ग्यान दिष्ठि विन ऊपज, मोहा तणी हु कोर ।। रचना में राधू का नाम कहीं नहीं दिया है केवल प्रथ समाप्ति पर "इति श्री रइधू कृत बारह भावना संपूर्ण" लिखा हुआ है जिससे इसको रइधू कृत लिखा गया है। २८ भुवनकीर्ति गीत भुवनकीर्ति भट्टारक सकलकीर्ति के शिष्य थे और उनकी मृत्यु के पश्चात् ये ही भट्टारक की गद्दी पर बैठे। राजस्थान के शास्त्र भंडारों में भट्टारकों के सम्बन्ध में कितने ही गीत मिले हैं इनमें बूवराज एवं भ० शुभचन्द द्वारा लिखे हुये गीत प्रमुख हैं । इस गीत में बूचराज ने भट्टारक भुवनकीर्ति की तपस्या एवं उनकी यहुश्रु तता के सम्बन्ध में गुणानुवाद किया गया है। गीत ऐतिहासिक है तथा इससे मुवन कीति के व्यक्तित्व के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है । चूचराज १६ वीं शताब्दी के प्रसिद्ध विद्वान' थे इनके द्वारा रची हुई अबतक पांच और रचनाएं मिल चुकी हैं । पूरा गीत अधिकल रूप से सूची के पृष्ठ ६६६-६६७ पर दिया हुआ है। २६ भूपालचतुर्विंशतिस्तोत्रटीका महा पं० आशाधर १३ वीं शताब्दी के संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे । इनके द्वारा लिखे गये कितने ही प्रथ मिलते हैं जो जैन समाज में बड़े ही श्रादर की दृष्टि से पढ़े जाते हैं । आपकी भूपाल चतुर्विशतिस्तोत्र की संस्कृत टीका कुछ समय पूर्व तक अप्राप्य थी लेकिन अब इसकी २ प्रतियां जयपुर के अ भंडार में उपलब्ध हो चुकी हैं । आशाधर ने इसकी टीका अपने प्रिय शिष्य विनयचन्द्र के लिये १ विस्तृत परिचय के लिए देखिये डा० कासलीवाल द्वारा लिखित वचराज एवं उनका साहित्य-जन सन्देश शोधांक-११ Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ४१--- की थी। टीका बहुत सुन्दर है । टीकाकार ने विनयचन्द्र का टीका के अन्त में निम्न प्रकार उल्लेख दिया है: - उपशम इच मूर्त्तिः पूतकीर्त्तिः स तस्माद् । श्रजनि विनयचन्द्रः समचकोर कचन्द्रः ॥ जगद्मृतसगर्भाः शास्त्रसन्दर्भगर्भाः । शुचिचरित सहिष्णोर्यस्य धिन्वन्ति वाचः ॥ विनयचन्द्र ने कुछ समय पश्चात् आशाधर द्वारा लिखित टीका पर भी टीका लिखी थी जिसकी एक प्रति 'म' भण्डार में उपलब्ध हुई है। टोका अन्त में "इति विनयचन्द्रनरेन्द्रविरचितभूपाल' स्तोत्रसमाप्तम्" लिखा है । इस टीका की भाषा एवं शैली आशाधर के समान है । ३० मनमोदनपंचशती छत्त अथवा छत्रपति हिन्दी के प्रसिद्ध कवि होगये हैं। इनकी मुख्य रचनाओं में 'कृपण'जगावन चरित्र' पहिले ही प्रकाश में श्राचुका है जिसमें तुलसीदास के समकालीन कवि ब्रह्म गुलाल के जीवन चरित्र का अति सुन्दरता से वर्णन किया गया है। इनके द्वारा विरचित १०० से भी अधिक पद हमारे संग्रह में हैं। ये अवांगढ़ के निवासी थे। पं० बनवारीलालजी के शब्दों में छत्रपति एक आदर्शवादी लेखक थे जिनका धन संचय की ओर कुछ भी ध्यान न था । ये पांच आने से अधिक अपने पास नहीं रखते थे तथा एक घन्टे से अधिक के लिये वह अपनी दूकान नहीं खोलते थे । safar जैसवाल थे। अभी इनकी 'मनमोदनपंचशति' एक और रचना उपलब्ध हुई है। इस पंचशती को कषि ने संवत १६१६ में समाप्त किया था । कवि ने इसका निम्न प्रकार उल्लेख किया है: वीर भये सरीर गई षट सत पन वरसहि । प्रघटो विक्रम देत तनौ संवत सर सरसहि ॥ उनि इस पोडशहि पोष प्रतिपदा उजारी । पूर्वाषांड नत्र अर्क दिन सब सुखकारी ॥ घर वृद्धि जोगति इमथ समापित करिलियो । अनुपम असेष श्रानंद घन भोगत निवसत थिर थयो । इसमें ५१३ पद्य हैं जिसमें सर्वया, दोहा आदि छन्दों का प्रयोग किया गया है । कवि के शब्दों में पंचशती में सभी स्फुट कवित्त है जिनमें भिन्न २ रसों का वर्णन है— सकलसिद्धियम सिद्धि कर पंच परमगुर जेह । तिन पद पंकज को सदा प्रनम धरि मन नेह ॥ हि अधिकार प्रबंध नहि फुटकर कवित्त समस्त । जुदा जुदा रस बरनऊ स्वादो चतुर प्रशस्त | मित्र की प्रशंसा में जो पद्य लिखे हैं उनमें से दो पद्य देखिये । मित्र होय जो न करें चारि बात कौं । उच्छेद तन धन धर्म मंत्र अनेक प्रकार के it दोष देखि दा पीठ पीछे होय जस गावै । कारज करत रहे सदा उपकार के | Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१२साधारन रीति नहीं स्वारथ की प्रीति जाके । जब तव वचन प्रकासत पार के ॥ दिल को उदार निरवाहे जो पै दे करार । मति को सुठार गुनवीसरे न यार के ।।२१।। अंतरंग वाहिज मधुर जैसी किसमिस । धनखरचन को कुबेरांनि घर है। गुन के बधाय कू जैसे चन्द सायर कू । दुख तम चूरिवे कूदिन दुपहर है ॥ कान के सारिने बाद विभन्न है : मंत्र के सिखायचे • मानों सुरगुर है ॥ ऐसे सार मित्र सौ न कीजिये जुदाई कमी | धन मन तन सब वारि देना वर है ॥२१४।। इस तरह मनमोदन पंचशती हिन्दी की बहुत ही सुन्दर रचना है जो शीघ्र ही प्रकाशन योग्य है। ३१ मित्रविलास मित्रविलास एक संग्रह मंथ है जिसमें कवि घासी द्वारा विरचित विभिन्न रचनाओं का संकलन है । घासी के पिता का नाम बहालसिंह था । कवि ने अपने पिता एवं अपने मित्र भारामल के आग्रह से मित्र विलास की रचना की थी । ये भारामल संभवतः वे ही विद्वान हैं जिन्होने दर्शनकथा, शीलकथा, दानकथा प्रादि कथायें लिस्दी है । कवि ने इसे संवत् १७८९ में समाप्त किया था जिसका उल्लेख ग्रंथ के | अन्त में निम्न प्रकार हुआ है: कर्म रिपु सो तो चारों गति मैं घसीट फिरयो, ताही के प्रसाद सेती घासी नाम पायौ है। भागमल मित्र वो घहालसिंह पिता मेरो, तिनकीसहाय सेती ग्रंथ ये बनायौ है ।। या मैं भूल चूक जो हो सुधि सो सुधार लीजो, मोपै कृपा रष्ठि कीज्यो भाव ये जनायौ है । दिगनिध सतजान हरि को चतुर्थ ठान, 'फागुण सुदि चौथ मान निजगुण गायौं है ।। कवि ने मथ के प्रारम्भ में वर्णनीय विषय का निम्न प्रकार उल्लेख किया है:-- मित्र विलास महासुखदैन, चरनु बस्तु स्वाभाविक ऐन । प्रगट देखिये लोक मंझार, संग प्रसाद अनेक प्रकार ॥ शुभ अशुभ.मन की प्राप्ति होय, संग कुसंग तणो कल सोय । पुद्गल वस्तु की निरण्य ठीक, हम कू करनी है तहकीक ।। मित्र विलास की भाषा एवं शैली,दोनों ही सुन्दर है तथा पाठकों के मन को लुभावने वाली है । ग्रंथ प्रकाशन योग्य है। घासी कवि के पद भी मिलते हैं। ३२ रागमाला---श्याममिश्र राग रागनियों पर निबद्ध सगमाला श्याम मिश्र की एक सुन्दर कृति है। इसका दूसरा नाम | Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -४३-- कासम रसिक विलास भी है । श्याममिश्र आगरे के रहने वाले थे लेकिन उन्होंने कासिमखां के संरक्षएता में जाकर लाहौर में इसकी रचना की थी । कासिमखां उस समय यहां का उदार एवं रसिक शासक या | कवि ने निम्न शब्दों में उसकी प्रशंसा की है। कासमखान सुजान कृपा कधि पर करी । रागनि की माला करिवे को चित धरी । दोहा सेख खान के घंश में उपज्यौ कासमखांन । निस दीपग ज्यौं चन्द्रमा, दिन दीपक ज्यो मान !| कवि बरन छवि स्वान की, सौ वरनी नहीं जाय । कासमखांन सुजान की अंग रही छवि छाय ॥ रागमाला में भैरोंराग, मालकोशराग, हिंडोलनाराग, दीपकराग, गुणकरीराग, रामकली, ललितरागिनी. विलावलरागिनी, कामोद, नट, केदारो, पासायरी, मल्हार आदि रागरागनियों का वर्णन किया गया है। श्याममिश्र के पिता का नाम चतुर्मुज मिश्र था । कवि ने रचना के अन्त में निम्न प्रकार वर्णन किया है संवत् सौरहसे वरष, उपर बीते दोइ । फागुन बुदी सनोदसी, सुनौ गुनी जन कोइ ।। सोरठा पोथी रची लाहौर, स्याम श्रागरे नगर के । राजघाट है ठौर, पुत्र चतुरभुज मिश्र के I इति रागमाला ग्रंथ स्याममिश्र कृत संपूरण । ३३ रुक्मणिकृष्णजी को रासो ___ यह तिपरदास की रचना है । रासो के प्रारम्भ में महाराजा भीमक की पुत्री रुक्मिणी के सौन्दय का वर्णन है । इसके पश्चात् रुक्मिणि के विवाह का प्रस्ताव, भीमक के पुत्र रुक्मि द्वारा शिशु. पाल के साथ विवाह करने का प्रस्ताव, शिशुपाल को निमंत्रण तथा उनके सदलबल विवाह के लिये प्रस्ताव, रुक्मिणी का कृष्ण को पत्र लिख सन्देश भिजवाना, कृष्णाजी द्वारा प्रस्ताव स्वीकृत करना तथा Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -४४ सदलबल के साथ भीमनगरी की ओर प्रस्थान, पूजा के बहाने रुक्मिणी का मन्दिर की ओर जाना, रुक्मिणी का सौन्दर्य वर्णन, श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिणी को रथ में बैठाना, कृष्ण शिशुपाल युद्ध वर्णन, रूक्मिणी द्वारा कृष्ण की पूजा एवं उनका द्वारिका नगरी को प्रस्थान आदि का वर्णन किया गया है । रासो में दूहा, कलश, त्रोटक, नाराच जाति छंद आदि का प्रयोग किया गया है। रासो की भाषा राजस्थानी है । नाराच जातिछंद मोहती । घुघरी ॥ सोमती । आणंद भरीए सोहती, त्रिभवणरूप रुणं भरणंत नेवरी, सुचल चरण a man झाल, श्रवण हंस रतन हीर जडत जाम, खीर की अनोपंती ॥ मलमले ज चंद सूर, सीस फूल सोहए। या सिग बेणिरुले जेम, सिरह मणिज मोहए ॥ सोवन में रलदार, जडित कंठ मैं रुले । असंध जति जति सो नाकिउ जलाडुले ॥ ३४ लग्नचन्द्रिका यह ज्योतिष का मंथ है जिसकी भाषा स्योजीराम सौगाणी ने की थी । कवि श्रमेर के निवासी थे। इनके पिता का नाम कंवरपाल तथा गुरु का नाम पं० जैचन्दजी था। अपने गुरु एवं उनके शिष्यों के आग्रह से ही कवि ने इसकी भाषा संवत् १८७४ में समाप्त की थी। लग्नचन्द्रिका ज्योतिष का संस्कृत में अच्छा ग्रंथ है। भाषा टीका में ५२३ पद्म हैं। इसकी एक प्रति झ भंडार में सुरक्षित है । इनके लिखे हुये हिन्दी पद एवं कवित्त भी मिलते हैं: ३५ लब्धि विधान चौपई for विधान चौपई एक कथात्मक कृति है इसमें लब्धिविधान व्रत से सम्बन्धित कथा दी हुई है । यह व्रत चैत्र एवं भादव मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, द्वितीय एवं तृतीया के दिन किया जाता है । इस व्रत के करने से पापों की शान्ति होती है । चौपई के रचयिता हैं कवि भीषम जिनका नाम प्रथमबार सुना जा रहा है। कवि सांगानेर ( जयपुर ) के रहने वाले थे। ये खरडेलवाल जैन थे तथा गोधा इनका गोत्र था । सांगानेर में उस समय स्वाध्याय एवं पूजा का खूब प्रचार था। इन्होंने इसे संवत् १६९७ ( सन् १५६० ) में समाप्त किया था । Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है दोहा और चौपई मिला कर पद्यों की संख्या २०१ है। कवि ने जो अपना परिचय दिया है वड् निम्न प्रकार है: संवत् सोलहस सतरौ, फागुण मास जबै ऊतरौ । उजल पारिख तेरसि तिथि जांण, ता दिन कथा गढी परवाणि ।।६।। बरते निवाली मांहि विख्यात, जैनधर्स तसु गोधा जाति । यह कथा भीषम कवि कही, जिनपुरांण मांहि जैसी लही ||७|| सांगानेरी बस सुभ गांघ, मांन नृपति तस चहु खंड नाम । जहि कै राजि सुखी सब लोग, सकल वस्तु को कीजे भोग || जैनधर्म की महिमा बणी, संतिक पूजा होई तिपणी। भावक लोक बस सुजाण, सांझ संवारा सुण पुराण || पाठ विधि पूजा जिगोश्यर कर, रागदोष नहीं मन मैं घरै । दान चारि सुपात्रा देय, मनिष जन्म को लाही लेय ॥२०॥ कडा बंध चौपई जाणि, पूरा हवा दोइस प्रमाण । जिनवाणी का अन्त न जास, मयि जीव से लहे सुखवास ॥२०१॥ इति श्री लधि विधान की चौपई संपूर्ण । ३६ वर्द्धमानपुराण इसका दूसरा नाम जिनरात्रिव्रत महास्य भी है । मुनि पद्मनन्दि इस पुराण के रचयिता हैं। पह ग्रंथ दो परिच्छेदों में विभक्त है । प्रथम सर्ग में ३५६ तथा दूसरे परिच्छेद में २० पद्य है । मुनि पानन्दि प्रभाचन्द्र मुनि के पट्ट के थे । रचना संवा इसमें नहीं दिया गया है लेकिन लेखन काम के आधार से यह रचना १५ वीं शताब्दी से पूर्व होनी चाहिए । इसके अतिरिक्त ये प्रमाचन्द्र मुनि संभवतः वेही है जिन्होंने आराधनासार प्रबन्ध की रचना की थी और जो भ० देवेन्द्रकीति के प्रमुख शिष्य थे। ३७ विपहरन विधि यह एक आयुर्वेदिक रथमा है जिसमें विभिन्न प्रकार के विष एवं उनके मुक्ति का उपाय बतलाया गया है। विषहरन विधि संतोष वैद्य की कृति है। ये मुनिहरप के शिष्य थे । इन्होंने इसे कुछ प्राचीन ग्रंथों के आधार पर तथा अपने गुरु ( जो स्वयं भी वैद्य थे ) के बताये हुए ज्ञान के आधार पर हिन्दी पद्य में लिखकर इसे संवत् १७४१ में पूर्ण किया था। ये चन्द्रपुरी के रहने वाले थे। ग्रंथ में १२७ पोहर चौपई छन्द हैं। रचना का प्रारम्भ निम्न मकार से हुआ है: अथ विषहरन लिख्यते Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -४६ दोहरा-श्री गनेस सरस्वती, सुमरि गुर चरननु चितलाय । षेत्रपाल दुखहरन को, सुमति सुवुधि बताय॥ ___ चौपई श्री जिनचंद सुवाच वरखांनि, रच्यो सोभाग्य ते यह हरष मुनिजान 1 इन सीख दीनी जीव दया आनि, संतोष बैद्य लइ तिरहमान ।।२।। ३८ प्रतकथाकोश इसमें ब्रत कथाओं का संग्रह है जिनकी संख्या ३७ से भी अधिक है। कथाकार पं० दामोदर एवं देवेन्द्रकीर्ति हैं। दोनों ही धर्म चन्द्र सूरि के शिष्य थे । ऐसा मालूम पड़ता है कि देवेन्द्रकीर्ति का पूर्व नाम दामोदर था इसलिये जो कथायें उन्होंने अपनी गृहस्थावस्था में लिखी थी उनमें दामोदर कृत लिख दिया है तथा साधु बनने के पश्चात जो कथायें लिम्बी उनमें देवेन्द्रकीर्ति लिख दिया गया । दामोदर का उल्लेख प्रथम, घष्ठ, एकादश, द्वादश, चतुर्दश, एवं एकविंशति कथाओं की समाप्ति पर आया है। कथा कोश संस्कृत गद्य में है तथा भाषा, भाव एवं शैली की दृष्टि से सभी कथायें उच्चस्तर की हैं। इसकी एक अपूर्ण प्रति अ भंडार में सुरक्षित है । इसकी दूसरी अपूर्ण प्रति ग्रंथ संख्या २५४३ पर देखें । इसमें ४४ कथाओं तक पाठ हैं। ३६ व्रतकथाकोश भट्टारक सकलकीर्ति १५ वीं शताब्दी के प्रकांड विद्वान थे। इन्होंने संस्कृत भाषा में बहुत ग्रंथ लिखे हैं जिनमें आदिपुराण, धन्यकुमार चरित्र, पुराणसार संग्रह, यशोधर चरित्र, बद्ध मान पुराण आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । अपने जबरदस्त प्रभाव के कारण उन्होंने एक नई भट्टारक परम्परा को । जन्म दिया जिसमें ब० जिनदास, भुवनकीर्ति, ज्ञानभूषण, शुभचन्द जैसे उच्चकोटि के विद्वान हुये। प्रतकथा कोश अभी उनकी रचनाओं में से एक रचना है । इसमें अधिकांश कथायें उन्हीं के | द्वारा विरचित हैं। कुछ कथायें अभ्र पंष्टित तथा रत्लकीर्ति श्रादि विद्वानों की भी हैं । कथायें संस्कृत पद्य । में हैं । भ० सकलकीर्ति ने सुगन्धदशमी कथा के अन्त में अपना नामोल्लेख निम्न प्रकार किया है: असमगुण समुद्रान, स्वर्ग मोक्षाय हेतून | प्रकटित शिवमार्गान्, सद्गुरुन् पंचपूज्यान् ।। विस्तृत परिचय देखिये डा. कासलीवाल द्वारा लिखित बुचराज एवं उनका साहित्य-जैन सन्देश शोधांक मंक ११ Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -४५-- त्रिभुवनपतिभव्वरतीर्थनाथादिमुख्यान । जगति सकलकीर्त्या संस्तुवे तद् गुणाप्त्य ॥ प्रति में ३ पत्र ( १४३ से १४५ ) बाद में लिखे गये है। प्रति प्राचीन तथा संभवतः १७ वीं शताब्दी की लिखी हुई है । कथा कोश में कुल कथाओं की संख्या ५० है। ४० समोसरण १७ धीं शताब्दी में ब्रा गुलाल हिन्दी के एक प्रसिद्ध कवि हो गये है। इनके जीवन पर कवि छत्रपति ने एक सुन्दर काव्य लिखा है । इनके पिता का नाम हल्ल था जो चन्दवार के राजा कीर्ति के आश्रित थे | ब्रह्म गुलाल स्वांग भरना जानते थे और इस कला में पूर्ण प्रवीण थे। एक बार इन्होंने भुनि का स्वांग भरा और ये मुनि भी बन गये | इनके द्वारा विरचित अब तक = रचनाएं उपलब्ध हो चुकी है। जिसमें त्रेपन क्रिया ( संवत् १६६५ ) गुलाल पच्चीसी, जलगालन क्रिया, विवेक चौपई, कुपण जगावन चरित्र ( १६७१ ), रसविधान चौपई एवं धर्मस्वरूप के नाम उल्लेखनीय हैं। - 'समोसरण' एक स्तोत्र के रूप में रचना है जिसे इन्होंने संवत् १६६८ में समाप्त किया था। इसमें भगवान महावीर के समवसरण का वर्णन किया गया है जो ६७ पद्यों में पूर्ण होता है । इन्होंने इसमें अपना परिचय देते हुये लिखा है कि वे जयनन्दि के शिष्य थे। स रहसै अढसठिसमै, माघ दसै सित पक्ष । गुलाल ब्रह्मा भनि गीत गति, जयोनन्दि पद सित ॥६६॥ ४१ सोनागिर पच्चीसी यह एक ऐतिहासिक रचना है जिसमें सोनागिर सिद्ध क्षेत्र का संक्षिप्त वर्णन दिया हुआ है। दिगम्बर विद्वानों ने इस तरह के क्षेत्रों के वर्णन बहुत कम लिखे हैं इसलिये भी इस रचना का पर्याप्त महत्व है । सोनागिर पहिले दतिया स्टेट में था अब वह मध्यप्रदेश में है 1 कवि भागीरथ ने इसे संवन् १८६१ ज्येष्ठ सुदी १४ को पूर्ण किया था । रचना में क्षेत्र के मुख्य मन्दिर, परिक्रमा एवं अन्य मन्दिरों का भी संक्षिप्त वर्णन दिया हुआ है। रचना का अन्तिम पाठ निन्न प्रकार है....., मेला है जहा को कातिक सुद पतौ को, हाट हू बजार नाना भांति जुरि आए हैं। भावधर चंदन को पूजत जिनेंद्र काज, ___ पाप मूल निकंदन को दूर हू सै धाए है। गोठ जैउ नारे पुनि दान देह नाना विधि, सुर्ग पंथ जाइवे को पूरन पद पाए है। Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१६ कीजिये सहाइ पाइ आए हैं भागीरथ, गुरु के प्रताप सौन गिरी के गुण गाए हैं । दोहा जेठ सुदी चौदस भली, जा दिन रची बनाइ । संवत् अाद सिठ, संवत् लेड गिनाई ॥ सुनै जो भाव घर, भरे देइ सुनाइ । मनछित फल को लिये, सो पूरन पद की पाई ॥ ४२ हम्मीर रासो etail एक ऐतिहासिक काव्य है जिसमें महेश कवि ने महिमासाह का बादशाह अलाउनके साथ गड़ा, महिमासाह का भागकर रणथम्भौर के महाराजा हम्मीर की शरण में आना, बादशाह अलाउद्दीन का हम्मीर को महिमासाद को छोड़ने के लिये बार २ समझाना एवं अन्त में अलाउद्दीन एवं हम्मीर का भयंकर युद्ध का वर्णन किया गया है। कवि की वर्णन शैली सुन्दर एवं सरल है । रामो का और कहां लिखा गया था इसका कवि ने कोई परिचय नहीं दिया है। उसने केवल अपना नामोल्लेख किया है वह निम्न प्रकार है । मिले राषपति साही धीर ज्यौ नीर समाही । ज्यों पारिस कौ परसि वजर कंचन होय जाई ॥ अलादीन हमीर से हुआ न होम्यो होयसे । ऋषि महेस यम उचरं वं सभसदे तसु पुरवसे ॥ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञात एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों की सूची भाषा ग्रंथभंडार रचना काल व ग्रंथकार मा० गुणचंद्र यांतिदास धर्मचंद्रगणि लक्ष्मीसेन xx सं० ज गुरचंद्र सुरेन्द्रकीति १६वीं शतब्दी १८५१ सं. प्रभाचंद्र पं० माशाधर १३ वीं शताब्दी क्रमांक में, सू.क. ग्रंथ का नाम १. ४३८१ अनंतत्रतोद्यापनपूजा २. ४३६२ अनंतचतुर्दशीपूजा ३ २८६५ अभिधान रत्नाकर ४. ४३६१ अभिषेक विधि ५. ५EE अमृतधर्मरसकाव्य ६. ४४०१ अष्टाह्निकापूजाकथा ७. २५३५ आराधनासारप्रबन्ध ८, ६१६ आराधनासारवृत्ति ६. ४३५ ऋषिमण्डलपूजा १०. ४४८० कोजकाग्रतोद्यापनपूजा ११. २५४३ कथाकोश १२. ५४५६ कथासंग्रह १३. ४४४६ कर्मचूरनतोद्यापन १४. ३८२८ कल्याणमंदिरस्तोत्रटीका १५. ३८२७ कल्याणमंदिरस्तोत्रटीका १६. ४४६७ कलिकुण्डपार्श्वनाथपूजा १७. २७५८ कातन्त्रविभ्रमसूत्रावचूरि १८. ४४७३ कुण्डलगिरिपूजा १९. २०२३ कुमारसंभवटीका २०. ४४४ गजपंथामएडलपूजनविधान २१. २०२८ गजसिंहकुमारचरित्र २२. ३८३६ गीतधीतराग २३. ११७ गोम्मटसारफर्मकाण्डटीका २४. ११८ गोम्मटसारकर्मकाण्डदीका २५. ११ गोम्मटसारटीका २६. ५४३६ चंदनषष्ठीप्रतकथा २७, २०४८ मंद्रप्रमकाव्यपंजिका xxxxxx ___सं. सं० सं. म प म १३ वी १५ वो १६ वीं " " " ज्ञानभूषण ललितकीत्ति देवेन्द्रकीति ललितकीनि लक्ष्मीसेन देवतिलक पं० प्रामााधर प्रभाचंद्र चारित्रसिंह भ० विश्वभूषण कनकसागर भ. क्षेमेन्द्रकीति दिनपचन्द्रसूरि अभिनव चारुकीति कनकनन्दि ज्ञानभूषण सकलभूषण छत्रसेन মারি x x सं० सx सं० डx x सं० क x x x x x Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -५ ग्रंथकार सृमतिब्रह्म भ० सुरेन्द्रकीति कानककीत्ति भाषा पंधमंडार रचना काल सं० सं० चx शुभचंद्र सं० x सं० प्रx सं. डx X X X X X X X X देवेन्द्रकीति जिनचन्द्रसूरि मल्लिभूषण सुप्रतिसाद देवेन्द्रकीति पानद जगत्कात्ति विमलकोत्ति सं. ४ प्रभाचन्द्र 40 कमांक पं.सू.क. पंथ का नाम २८. ४५१२ चारित्रशुद्धिविधान २६. ४६१४ ज्ञानपंचविंशतिकात्रतोद्यापन । ३०. ४६२१ णमोकारपैंतीसीव्रतविधान ३१.. २१३ तत्वयर्णन ३२. ५४४६ ओपनकियोचापन ३३. ४७०५ दशलक्षणव्रतपूजा ३४. ४७०६ दशलक्षणव्रतपूजा ३५. ४७०२ दशलक्षणव्रतपूजा ३६. ४७२१ द्वादशत्रतोद्यापनपूजा ३७. ४७२४ द्वादशत्रतोद्यापनपूजा ३८. ४७२५ " , ३६, ७७२ धर्मप्रश्नोत्तर ४०. २१५२ नागकुमारचरित्रदीका ४१. ४८१ निजस्मृति ४२. ४८१६ नेमिनाथपूजा ४३. ४८२३ पंचकल्याणकपूजा ४४. ३९७१ परमात्मराजस्तोत्र ४५. ५४२८ प्रशस्ति ४६. १९१८ पुराणसार ४७. ५४४० भावनाचौतीसी ४८. ४०५३ भूपालचतुर्विंशतिटीका ४६. १०५५ भूपालचतुर्विशतिटीका ५७. ५.५७ मांगीतुगीगिरिमंडलपूजा ५१. ५३८१ मुनिसुत्रतछंद ५२. ९७६ मूलाचारटीका ५३. २३२३ यशोधरचरित्रटिप्पण ५४. २६८३ रत्नत्रयविधि ५५. २६३५ रूपमञ्जरीनाममाला ५६. २३५० वर्धमानकाव्य X X X X X X X X X सुरेन्द्रकीति सं० प १०७५ सकलकीर्ति दामोदर श्रीचंदमुनि भ. पवनन्दि भाशाबर विनयचंद विश्वभूषण प्रमाचंद्र १३ वीं शता १३वीं १७५६ सं. सं. हि प्र प्रा. सं० म वसुनंदि xxxxx सं. म प्रभाचंद्र माशावर रूपचंद मुनिपपनंदि सं० प १६४४ १३वों Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंथ का नाम क्रमांक नं. सू. के. ४७. ३२९५ वाग्भट्टालंकारटीका ५८. ५४४७ वीतरागस्तोत्र १६. ४२२५ शरदुत्सवदीपिका १०. ५८२६ शांतिनाथस्तोत्र ६१. ४१०७ शांतिनाथस्तोत्र १२. ५१६६ षणयति क्षेत्रपालपूजा ६.. ५४६ षष्ठयधिकशतकटीका ६४. १८२३ सप्तनयावबोध ६५. ५४६७ सरस्वतीस्तुति ६६. ४६४९ सिद्धचक्रपूजा ६७. २७३१ सिंहासनद्रा त्रिशिका ६५. २०१५ कल्याणक ६६. ३६३१ धर्मचन्द्र मन्थ ७०. १००५ यत्याचार ७१. १०३६ अजितनाथपुराण ७२, ६४५४ कल्याणकविधि ७३. ५४४ चूनडी ७४. २६८८ जिनपूजा पुरं दर विधानकथा ५४३६ जिन रात्रिविधानकथा ७५.. ७६. २०६७ W २०६८ मिणाहचरिङ मिणाहचरिय ७८.४६०२ त्रिंशत जिनच उबीसी ७६. ५४३१ दशलक्षणकथा 50. २६८८ दुधारसविधानकथा ८१. ४६८६ नन्दीश्वर जयमाल ८२. २६८८ निर्झरपंचमी विधानकथा ८३. २१०६ पासचरिय ८४. ८५. ५४३६ रोहिणीविधान २९४३ रोहिणी चरित -५१ मंथकार बादिराज भ० पद्मनंदि सिंहनंदि शुभस्वामी ਧੁਰਿਮ विश्वसेन राजोपाध्याय सुनिने सिंह आशाधर प्रभाचंद् क्षेमर मुनि समन्तभद्र धर्मचन्द्र मा० त्रसुनंद विजयसिंह विनयचंद " अमरकोति नरसेन लक्ष्मणदेव दामोदर महासिंह गुणभद्र विनयचंद कनककति त्रिनयनंद तेजपाल गुणभद्र देवनंदि भाषा प्रथभंडार रचना काल सं० १७२६ सं० सं० सं० सं० सं० सं० सं० स सं० Sto 1470 प्र३० अप० अप० 33 अप० अप० अप० प्रप० पप० प्रप० अपक अप० दुप प्रप अप० अप० भ 寫 寫 छ 寫 腐 घ 緊 प्र t स र म 寫 寫 म 冠 寫 商 寫 寫 腐 ञ 可 १५०५ म X प ट X X प्र 寫 x x X Xx X X x १३ वीं X x x X X X x x x X X १७ वीं X १२८७ X X X X X X X X १३ बी " Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक पं. सू. क्र. ग्रंथ का नाम ८६. २४३७ सम्भवजिणणाहचरिउ ८७. ५४५४ सम्यक्त्वकौमुदी २६८८ सुखसंपत्तिविधानकथा ५४३६ सुगन्धदशमीकथा ४३६१ अंजनारास ६१.४३४७ अक्षयनिधिपूजा $5. ८१. ६०. ६२. २५०८ अठारहना सेकी कथा ६२. ६००३ श्रनन्तकेछप्पय ६४. ४३५१ अनन्तत्रतरास ५. ४२१५ श्रईनकचौदा लिया गीत २५७६७ प्रादिव्यवारक ७. ५४२५ आदित्यवारकथा १८. ५३६२ आदीश्वरकासमवसरन EE. ५७३० श्रादित्यवारकथा १०० ५६१५ आदिनाथस्तवन १०१. १४८७ १०२. ३८६४ भारती संग्रह १०३. ३४०० उपदेशछत्तीसी १०४, ४४२८ ऋषिमंडलपूजा आराधना प्रतिबोधसार २५४० कठियारकानडरी चौपाई १०५. १०६. ६०५२ कवित १०७. ६०६५ कवित १०८. ५३६७ कर्मचूरव्रतवेलि १०६. ५६०८ कविवल्लभ ११०. ३५६४ कृपणछंद १११. ५४८७ कृष्णरुक्मिणीबेलि २५५७ कृष्णरुक्मिणीमंगल ११२. २१३. ५६१५ गीत ११४. ३८६४ गुरुबंद --५२ ग्रंथकार तेजपाल सहपाल विमलकीसि " धर्म भूषण ज्ञानभूषण ऋषिलालचंद धर्मचन्द्र अजिनदास विमलकीर्त्ति रायमल्ल वादिचन्द्र X सुरेन्द्रकी ति पह विमलेन्द्र की ति ब्र० जिनदास जिनह प्रा० सुरपनदि X मगरदास बनारसीदास मुनिसकलचंद हरिचरणदास चन्द्रकोति पृथ्वीराज पवमभगत पल्ह शुभचंद भाषा ग्रंथभंडार झ० अप० प्रप श्र० हि० १० हि० प० हि० प० हि०प० हि. १० हि०प० हि० प० हि०प० हि० प० हि०प० हि० ५० हि० प० हि०प० हि० ५० हि० प० हि० प० हि० प० हि०प० हि० ५० हि० प० हि० ए० हि० प० हि० प० हि०प० हि० प० च श्र 解 男 श्र 民 श्र भ C श्र ड अ भ च 頭 教 解 प्र 教 व ひ द श्र भ श्र 異 भ 等 भ रचना काल X X X X X X x X १५ श्रीं १६८१ X x १६६७ १७४१ १६ वीं X १५ वीं शताब्दो X X وی १० वीं शताब्दी १७ वीं शताब्दी १७ वीं शताब्दी X १६ वीं शताब्दी १६३७ १८९० १६ वीं शताब्दी १६ वीं शताब्दी Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रचना काल १७६५ १७७७ १८८० १९२६ १८४१ १७.१ x १६१३ x १६६२ १६ वीं शताब्दी १७ वीं पातादी कमांक .सू.क्र. ग्रंथ का नाम ११५. ५६३२ चतुर्दशीकथा १. ५४१७ चतुर्विंशतिपय forts, ४५२६ चतुर्विंशतितीर्थकर पूजा १५. ४५३५ चतुर्विंशतितीर्थकरपूजा १९. २५६२ चन्द्रकुमारकीवार्ता ११२०, २५६४ चन्दनमलयागिरीकथा १२. २५६३ चन्दनमलयागिरीकथा १२२. १८७६ चन्द्रप्रभपुराण १२३, १५७ चर्चासागर १२४. १५४ चर्चामार १२६. २०१८ चारुदत्तचरित्र १२६. ५६१५ चिंतामणिजयमाल १२७. ५६१५ चेतनगीत १२८, ५४०१ जिनचौबीसीभवान्तररास १२९. ५५०२ जिनदत्तचौपई १३०, ५४१४ ज्योतिपसार १३१. ६०६१ शानबावनी १३२. ५८२६ टंडाणागीत १३३, ३६६ तत्वार्थसूत्रटीका १३४. ३६८ तत्त्वार्थसूत्रटीका १३५. ३७४ तत्त्वार्थसूत्रटीका १३६. ३७८ तत्त्वार्थसूत्रभाषा १३७. ४६२७ तीनचौयीसीपूजा १३८. ६००६ तीसचौबीसीचौपई १३६. ५८८१ तेईसबोलविवरण १४०. १७३६ दर्शनसारभाषा १५. १७४० दशनसारभाषा १४२. ४२४५, देवकीकीढाल १४३. ४६८ द्रव्यसंग्रहभाषा -५३ ग्रंथकार भाषा ग्रंथभंडार डालूराम हि: प. छ गुणकीर्ति हि०प० अ नेमिचंदराटनी मुगनचंद हि०प० च प्रतापसिंह हि०प० चत्तर हि ५० प भद्रसेन हि. प. प्र होरालाल हि ५० क चम्पालाल हि ग. अ पं. शिवजीलाल कल्याणकीति हि० प. उक्कुरसी मुनिसिनंदि हि.प. विमलेन्द्रकीति हि प० रहकवि हि०प० प कृपाराम हि.प. मतिशेखर हि.प. बूपराज हि. प. कनककीति हि. ग इ पौडेजयवन्त हि. ग० छ राजमल्ल शिखरचंद नेमीचंदपाटणी श्याम हि ५० झ x हि. प. नपमल हि०प० क शिवजीसाल हि. ग. सूणकरणकासलीवाल हि• प० प्र बाबा दुलीचंद हि. ग. क १३५४ १७६२ १५७४ १६ वीं शतान्नी १८ वी , १८ वीं " १७वीं वीं , १६ वी , १८६४ १७४६ १६ वीं शताब्दी १९२. १९६६ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथकार HAMPAWA हि०१० क्रमांक मं.सू.क्र. अंथ का नाम १४४. ५८६१ द्रव्यसंग्रभाषा १४५, ५४०२ नगरों की बसारतका विवरण १४६. २६०७ मागर्मता १४७, ४२४६ नागनीसम्मान १४८, ८११ निजामणि १४६. ५४४६ नेमिजिनंदब्याहलो १५०. २१५८ नेमीजीकाचरित्र १५१. ५३६२ मिजीकोमंगल १५२. ३८६४ नेमिनाथछंद। १५३. ४२५४ नेमिराजमविगीत १५४. २६१४ नेमिराजुलव्याहलो १५५. ५४२९ नेमिराजुलविवाद १५६. ५६१५ नेमीश्वरकाचौमासा १५७. ५८२६ नेमिश्वरकाहिंडोलना १५८, ४२९ नेमीश्वररास १५६. ३६५० पंचकल्याणकपात १६०. २१७३ पांववचरित्र १६१. ४२५७ पद १६२, १४३९ परमात्मप्रकाशदीका १६३. ५५३० प्रघुघरास १६४. ५३६२ पार्श्वनाथचरित्र १६५. ४२६० पार्श्वनाथ चौपई १६६. ३८६४ पाश्चछन्द १६७. ३२७७ पिंगलछंदशास्त्र १६८. २६२३ पुष्यास्रवकथाकोश १६६ ५२५ बंधउदयसत्ताचौपई १७०, ५८९६ बिहारीसतराईटीका १७१. ५६०८ बिहारीसतसईटीका १७२, ४६७ भुवनकीर्तिगीत भाषा ग्रंथभंडार रचना काल हेमराज हि. या छ १५३३ हि. रा. x हिप विनयचंद हि १० व जिनदास हि०प० १५वीं शताब्दी नेतसी म १० वी , पारगन्द हि प्र. १८१४ विश्वभूषण १६६८ हि. १० १६वीं हीरानंद हि. प. गोपीकृष्ण हि०प० १८६३ छ. सना है। १७ वी मुनिसिंहनदि वी , मुनिरत्नकीति हि ५० मुनिरलकोत्ति हि.प. हरचंद १८२३ लावर्द्धन हि०प० १७६८ ऋषिशिवलाल हि०प० खानचंब कृष्णराय हि: प. विश्वभूषण १७ वीं पं० लाखो हि प. १५३४ म लेखराज हि०प० १६ वी , माखनवि टेकचद हि ५० के १९२० श्रीलाल हि. प. १८०१ कृष्णराय हि हरबरसादास हि प्र १८३४ ।। बूचराज हि ५० हि. ५० Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ xxA कर्माक प्र.स. क. ग्रंथ का नाम । १३. २२५४ मंगलकलशमहामुनिचतुष्पदी १७४, ३४६ मनमोदनपंचशती १७५. ५०४६ मनोहरमन्जरी १७६. ३८६४ महावीरछंद १७७. २६३८ मानतुगमानातचौपई १७. ३१८५ मानविनोद {७६. ३४६१ मित्रायलास १८०, १६४८ मुनिसुत्रतपुराण ११. २३१३ यशोधरचरित्र १५२, २३१५ यशोधर चरित्र १५१, ५११३ रत्नावलित्रविधान १४. ५५०१ रवित्रतकथा १८५. ६०३८ रागमाला १८६. ३४६४ राजनीतिशास्त्र १५७, ५३९८ राजसभारंजन १८८, ६०५५ रुक्मणिकृष्णजीकोरास १८१. २६८६ रैदव्रतकथा १६० ६०६७ रोहिणीविधिकथा १६१. ५६६६ लग्नचन्द्रिकाभाषा १९२. ६०८६ लब्धिविधानचौपाई १९६. ५६५१ लदुरीनेमीश्वरकी १६४. ६१०५ बसंतपूजा १९५. ५५१६ वाजिदजी के अडिल्ल १९६: २३५६ विक्रमचरित्र १९७. ३८६४ विजयकीतिछंद १६८, ३२१३ विषहरनविधि १६६. २६७५ वैदरभीविवाद २.०, ३७०४ षटलेश्याचेलि २०१, ५४०२ शहरमारोठ की पत्री -५५ ग्रंथकार भाषा पसंडार स्चास काल रंगविनमणि हि. ५० म १७१४ छत्रपति हि.प. मनोहरमित्र शुभचंद हि ५० म १६ को , मोहनविजय हि. ५० ब x मानसिंह हि.प. घासी हि०प० + १५ इन्द्रजीत हि. प. १५ गारवदासहि प. - ११ पन्नालाल हि. ग. १५२ ब. कृष्णदास हि०५० म १६ में। जयकोतिहि म १७वीं श्याममिश्र जसुराम हि० ५० गगादास हि०प० तिपरदास हि. प. पट 4. जिनदास हि प. १५ बों . बंसीदास हि. ५० ट १६९५ स्पोजीसमसोगारगी हि प. ज x भीषमवि हि०प०८ १६१५ विश्वभूषण हि. प. अजयराज हि.प. ट १८ वीं , बाजिद प्रभयसीम हि 40 हि०प० __हि.प. शुभचंद संतोषकवि पेमराज , १६ वी. १७४१ छ साहलोहट हि.प. हि. ग. भ x Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुणकीति क्रमांक ग्रं. सू. क्र. ग्रंथ का नाम २०२ ५४१७ शीलरास २०३ ५६४१ शीमारास २०४ ३६६६ शीलरास २०५ २७०१ श्रेणिकचौपई २०६ २४३२ श्रेणिकचरित्र २०७ ५३६२ समोसरण .२०८ ५५२८ स्यामबत्तीसी २०६ २४३८ सागरदत्तचरित्र २१. १२१६ सामायिकपाठभाषा २११ ३७०६ हम्मीररासो २१२ १९६४ हरिवंशपुराण २१३ २७४२ होलिका चौपई ग्रंथकार माषा ग्रंथभंडार रचना काल हि०प० अ १७१३ व रायमनादेवसूरि हि०प० १६ वों विजयदेवसूरि हिप १६वीं डू गावेद हि. ५० १६२६ विजयकीति हि०प० १८२० ब्र० गुलाल हि०प० नंददास हि. प. हीरकवि हि०प० १७२४ तिलोकचंद हि. प. महेशकवि हि०प० ___x हि ग० प्र १६७१ हि . १६२९ ड्रगरकवि Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ fhotu.0000 .06seasya COe. TECa .1000 Part ... COM Dom भट्टारक नकलकीति ऋत यशोधर चरित्र की सचित्र प्रति के दो सुन्दर चित्र LS यह सचित्र प्रति जयपुर के दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ के शास्त्र भएडार में संग्रहीत है। राजा यशोधर दुः स्थान की शांति के लिये अन्य जीवों की बलि न 'चढा कर स्वयं की बलि देने को तैयार होता है । रानी हाहाकार करती है। [दूसरा चित्र अगले पृष्ठ पर देखिये ] 00904MBDO A0000 woo. 1000000 ns.20000. dada Doma. A Corest.0000 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चित्र नं. २ 8.ACES HESH 280 R PRAKASH जिन चैत्यालय एवं राजमहल का एक दृश्य (ग्रंथ सूची क्र. सं. २२६५ वेष्टन मंख्या ११४) Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीराय नमः राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थसूची विषय - सिद्धान्त एवं चर्चा १. अर्थदीपिका - जिनभद्रमणि । पत्र सं० ५७ ६८ तक आकार १०४ इञ्च । भाषा प्राकृत। विषय-जैन सिद्धान्त र कान X लेखन काल X। अपूर्ण । वेष्टन संख्या २ प्राप्ति स्थान छ भण्डार । विशेष- गुजराती मिश्रित हिन्दी टम्बर टीका सहित है । २. अथप्रकाशिका - सदासुख कासलीवाल | पत्र सं० २०३ | श्र० ११३८ । भ० राजस्थानी (द्वारी गद्य) विषय- सिद्धान्त । १० काल सं० १६१४ | ले० काल x । पूर्ण । ० सं० ३ । प्रासि स्थान के भग्दार । विशेष - उमास्वामी कृत तत्त्वार्थ मूत्र विशद व्याख्या है। ३. प्रति सं० २ । पत्र [सं०] ११० । ले० काल X 1 ० सं ० ४८ । प्राप्ति स्थान भण्डार ४. प्रति सं० ३ । पत्र मं० ४२७ । ले० काल सं० १९३५ आसोज बुदी ६० सं० १८१६ प्राप्ति स्थान है भण्डार विशेष प्रति सुन्दर एवं प्राकर्षक है। ५. अष्टकर्म प्रकृतिवन" साठ कर्मो का वर्च्छन । र० काल X। ले० काल X पत्र सं० ४६० २६ इंच भा०] हिन्दी (गद्य) विषयअपूर्ण प्राप्ति स्थान व भार । विशेष – ज्ञानावरणादि श्राव कमों का विस्तृत वर्णन है। साथ हो गुणस्थानों का भी मन्द्रा विवेचन किया गया है। अन्त में व्रतों एवं प्रतिभाओं का भी वर्णन दिया हुआ है। ६. अष्टकर्म प्रकृतिवन" कर्मो का वर्णन १० काल X | ने० काल X। पूर्ण वे० सं० २५८ । प्राप्ति स्थान व भण्डार । - | पत्र [सं० ७ । भर० ६९५ इंच भा हिन्दी | विषय-आठ ७. प्रवचन ....... सं० २ । श्रा० १२०५३ इंच । मा० संस्कृत विषय - सिद्धान्न । ०का X नं० काल X। पूर्ण । जे० सं० १५५२ प्राप्ति स्थान अ भण्डार | Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मिटान्त पत्र चर्चा विशेष --पुत्र मात्र हैं। सूत्र संख्या ८५ हैं। शंन पत्र्याय है। इन । मा० मं:कुल । र कान ।। नव्याग्न्या ......"1 पथ मं०११। श्रा: १.x. ते. काल X । पूर्ण । ३० सं० १७६१ । प्राति आन द भावार । विशेष-ग्रन्थ का दूसरा नाम चतुर्दश सूत्र भी है। ६. पाचारांगसूत्र........... . ५३ । बा १४:४५ मा प्राकृत । विषय-पागम् । रः काल xie काल सं० १५२० । अपूर्ण । बे० सं० १०६ । प्रामि प्रधान अभाडार । विशेष--ठा पत्र नही है । हिन्दी में रब्बा टीका दी हुई है। १०. आतुरप्रत्याख्यानप्रकीणक..........। पत्र सं० २ । भा. १४ । भा. प्राकृत। विषय-पागम । र० काल · । ले० कान X । सं० २८ । प्रानि स्थान च भाडार । ११. श्राश्चत्रिभंगी-मिचन्द्राचार्य । पत्र सं. ३१ । प्रा० ११.४५ च । भा, प्राकृत ।। विषय-सिद्धान्त । र० काल X । ले. काल मं. १८१२ वैशाल सुदी ८ । पूर्ण । के सं० १०२। प्राप्ति स्थान : मडार। १२. प्रति सं० । पत्र सं. १३ । ले. काल । वै. सं. १८४३ प्राप्ति स्थान ट भण्डार । १३. प्रति सं०३। पत्र सं. २१ । ले. काल ४ । ३० सं० २६५ । प्राप्ति स्थान व भण्डार । १४. आप्रवत्रिभंगी".........। पत्र सं० ६ । प्रा० १२४५१ च ! भा. हिन्दी। विषय-द्धिान्त। र. काल X । ले. काल X। मं० २०१५ । प्राप्ति स्थान अ भष्डार । १५. आश्रयवर्णन...... ....! पत्र मं०१४प्रा० ११३:५६ ई भा. हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । १. काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । ० सं० १६. | प्राप्ति स्थान झ भण्डार। विशेष-प्रप्ति जीर्ण शीर्ण है। १६. प्रति सं०२ । पत्र सं० १२ । ले. काल X वे० सं० १६६ । प्रामि स्थान झ भण्डार १७. इस्क्रीसठाणाचर्चा सिद्धसेन सूरि । पत्र सं. ४ । मा० ११४४६ च । मा० प्राकृत। Fषय-सिद्धान्त । २० बाल x।ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १७६५ । प्राप्ति स्थान ट भण्डार । विशेष-ग्रन्थ का दूसरा नाम एकविंशतिस्थान-प्रकरण भी है। १८, उत्तराध्ययन..............."| पत्र सं. २५ । मा. १४५ इंच । भा. प्राकृत । विषयप्रायम। र० काल XI ले. काल X 1 अपूर्ण 1 वे सं.१८०। प्रासिस्थान अमाहार । विशेष-हिन्दी टब्बा टीका सहित है। Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] १६ उत्तराध्ययनभाचाटोका विषय- भाग २० काल X १ ० काल X विशेष-ग्रन्थ का प्रारम्भ निम्न प्रकार है। विषय - सिद्धान्त र काल X | ले० काल १००३ । २२४४ प्राप्ति स्थान उबीमे परमधार ।। १ ।। परम दयाल दया करू, उवीसे जिवर नमु धरम ग्यान दाता सुगुरु, अनिस ध्यान धरेस । वाणी वर देसी सरस विश्वन द्वार विघनेम ।। २ ।। उत्तराध्ययम च दs मित्र र अधिकार लप ग्रफल गुड वरणा, कहूं बात मति अनुसार ।। ३ ।। स्राधिकार अनुप । निश विकथा परिहरी सुरण ज्यों मालस मूद्र ।। ४ ।। साकेत नगरी का दर्गान है। कई डालें दी हुई हैं। २०. उदयसत्ता बंधप्रकृति वर्णन आमा पूरा काज । [ ३ १०x४ इ० हिन्दी । भण्डार । २१ कर्ममन्यसत्तरी १० काल X ७ काल सं १७८६ माह बुदी १० पूर्ण । विशेष कर्म सिद्धान्त पर विवेचन किया गया है। | पत्र ०५ ११५३ इंच । मा० संस्कृत । अपूर्ण ० सं० १८४० प्राप्ति स्थान ट भण्डार । | पत्र सं० २८ । मा० ६x४ इंच । भा० प्राकृत विषय सिद्धान्त । ० सं० १२२ । प्राप्तिस्थान में भण्डार । २२. कर्मप्रकृति - नेमिचन्द्राचार्य | पत्र सं० १२ । प्रा० १०३४४३ इंच | भा० प्राकृत । विषयसिद्धान्त होX | ले० काल सं० १६०१ मंगसिर सुंदी १० । पूर्ण । वे० सं० २६७ । प्रासिस्थान र भण्डार । विशेष-लू के पठनार्थं नागपुर में प्रतिनिधि की गई थी। संस्कृत में संक्षिप्त टीका श्री हुई है । प्रशस्ति संवत् १६८१ वर मिति भागसिर दि १० शुभ दिने श्रीमन्नागपुर पूर्णीकृता पांडे बाबू पठनायं लिखितं सुरजन मूर्ति सा० भदारोन प्रदत्ता । २३ प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । ले० काल २ ० ० ८५ प्राप्ति स्थान का भण्डार विशेष-संस्कृत में सामान्य टीका दी हुई है । २४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १७ । ले० काल x ० १४० प्राप्ति स्थान अ भण्डार । विशेष-संस्कृत में सामान्य टीका दी हुई है। Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ सिद्धान्त एवं चर्चा २५. प्रति मं.४। पत्र सं० १२ । ले० काल सं० १७६८ | अपूर्ण । बे. सं. १६६३ । श्र भण्डार । विशेष- भट्टारक जगतकीति के शिष्य वृन्दावन ने प्रतिनिपि करवाई थी। २६. प्रति मं. ५। पत्र सं० १४ । ले. काल सं० १८०२ फाल्गुन बुदी ७ । वे० सं० १.५ । के भण्डार। विशेष-दमकी प्रतिसिरि विद्यानन्द्रि के शिष्य अस्वैराम मलूकचन्द न रुटमल के लिये की थी। प्रतिक दोनों ओर तथा ऊपर नीचे संस्कृत में संक्षिप्त टीका है। २७. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ७७ । ले. काल मं० १६७१ पाषाद मृदी: । ३० म०२६ । व भण्डार । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । मालपुरा में श्री पानाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई लथा मं. १६८७ में मुनि नन्दीति ने प्रति का मंशोधन किया । २८. प्रति सं०७। पय मं० २६ । ले. काल सं० १८२३ यष्ठ बुदा १४ । ० म ०५४ । भण्डार । २६. प्रति सं० । पत्र सं० १३ । ने. काल में० १८१६ ज्येष्ठ मृदी ।। . गं । च। महार। २५. प्रति मं पत्र सं० ११ । स० काल x वे० सं० ११ । छ भण्डार । निष-संस्कृत में मंकेत दिये हये है। ० सं० २८६ । भण्डार । ३१. प्रति सं० १०। पत्र मं० ११ । बे. काल २ विशेष-~१५६ गाथायें हैं। ३२. प्रति सं०१६। पत्र सं० २१ । ले० काल मं० १७६३ वैशास्त्र बुदी ११ । वे० सं० १९२। ज। भण्डार । वियोष-अम्बावती में 40 हा महात्मा ने पं. जीवातम के शिष्य मोहनलान के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३३. प्रति सं० १२ । पत्र सं. १७ । ० काल । सं० १५३ । ब भण्डार । ३४. प्रति सं० १३ । पत्र मं० १७ 1 ले० का० सं० १६४४ कार्तिक मुर्दा १० । बै० म० १२६ । ष भण्डार। २५. प्रति सं०१४। पत्र में० १४ । ले. काल मं० १६२२। वे मं० २१५ । । भण्डार । विषेष-वृन्दावन में शब मूर्यसेन के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी। Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11 सिद्धान्त एवं चर्चा ] ६६. प्रति सं०१५। पत्र मं० १६ । ले. काल x । व. म. ४०५ । भार। ३७. प्रति सं०१६। पत्र सं. ३ से १८ । ले० कान X । अपूर्ण । वे० मं० २८० । म भण्डार । ३८. प्रति सं० १७ । पत्र सं० १७ । न.. कान - 1.40 20.०५ । ब भण्डार । २६. प्रति सं. १८ । पत्र में। १४ । ले. काल । ३. मं० १३. । र नष्ट । १८. प्रति मं०१६ । पत्र मं० ५ से १७ वकाल म. १७६० । प्रपूर्ण : व. मं ...! द भंकार। विशेष --वृन्दावती नगरी में पार्श्वनाथ चैत्यालय में श्रीमान बुपमिह के विजय राज्य में प्राचार्य उदयभूषण के शिष्य पं० तुलसीदाम के शिष्य ग्रिलाकभूषगा ने मंशोधन करके प्रतिलिपि को। प्रारम्भ फे तथा बीच के कव पत्र नहीं है। पति संस्कृत टीका सक्ति है। ५१. प्रति मं०२०) पत्र सं. १३ से ४३ । ले० कार । । अपूर्गा । ३० मं० १६८९ | ट भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है । गुतराती टीका सहित है। ४२. कर्मप्रनिटीका-टीकाकार सुमतिकीति। पत्र सं० २ से २२ । प्रा. १२.४५ च । भा. संस्कृत । विषय--सिद्धान्स । र काल x (ले० काल सं० १८२२ । ० सं० १२५२ । अपूर्ण । श्र भण्डार । विशेष--टीकाकार ने यह टीका भ० शानभूषण के सहाय्य से निखी थी। १३. धर्म प्रकृति................."। पत्र मं० १० | प्रा. Ex. उ'च । भा: हिन्दी । र काल .. । पूर्ण ! वे. ३९४ अ मण्डार । ४५. कर्मप्रकृतिविधान.... बनारसीदास 1 पत्र मं० १६ । आEx च । भान्दा पर । विषय-सिद्धान्त । र० कात Xले. काल । अपूर्ण । वे म०३७ । हु भण्डार । ४५. कर्मविपाकटीका-टीकाकार सकलकीति । पत्र सं. १४ । प्रा० १२४५ च । भा. मुग्नत। विषय-सिद्धान्त । र० काल X । ले० काल सं० १७६८ भाषाढ बुदी ५ । पूर्ण । व• सं० १५६ । भण्डार । विशेष-कर्मविपार के नलका प्रा० नेमिचन्द्र है। ४६. प्रति सं० २। पत्र सं० १७ । ले० काल . । दे मं. १: । ध भण्डार । विशेष--प्रति प्रादौम है। मं०१२। प्रा०११x६ च । भा. प्राकृत । विषय-सिद्धा! १. कान X । ले. काल X । मं. १०५ । छ भपहार । विशेष---गाथानों पर हिन्दी में अर्ध दिया हुआ है। Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६] ४. कल्पसिद्धान्तसप्र सागम । र० काल X | ले० काल x 1 पूर्ण [ सिद्धान्स एवं चर्चा ***** | पत्र सं७ ५२ । प्रा० १०२४ इंच भाग प्राकृत विषय ०६६। विशेष – श्री जिनसागर सूरि की भाशा से प्रतिलिपि हुई थी। गुजराती भाषा में टीका सहित है । अन्तिम भाग – मूलः सेां कारणं तें समय मित्ताणं पडि बुद्धा । अर्थ - तिरपद काल गर्भावहार कालs तिलइ समय गर्भापाए अकी पहिली श्रमा भगवन श्री महावीर विह्न ज्ञानेकरी सहित 5 जिहंता ते मी इमजि जागा नेहरियो म परियक्ताय । पीड सिलानी कूखह संक्रमावित्यई । अन जिगि क्लासह संक्रमावर ने वेला न जाई। अपहरणकाल अंत हर्न संविग्रह अन उपयोग का अंतर्मुहूर्त्त प्रमाणा । पर स्थनाउपयोग धिक महरा काल सूक्ष्म जानिब श्राचारांग मांहि कहिउप संहरण काल रिणि जाड पर ए पाठ सगलई नहीं । ते भरणी श्राबीनि हो । तिलानी कू खि श्राया पंछी जागइ । जिशी रात्रि श्रमण भगवंत श्री महाबीर देवासांदा ब्राह्मणी सुखशय्या मूर्ती कांई मूती कागती । यहं वउदार स्फाटं जिस्या पूर्व वर्णव्या तिस्या बउवह महास्वप्न त्रिशला क्षत्रियाणी पड माहाहा खासी लोधा । इसउ स्वप्न देखि जागी । जे भरणी कल्याण कारिया निरूपहहन । धन धान्य ना करसाहार । मंगलीक | स श्री कजिम घरि बाजह जीप घर पहुंता । हिवद त्रिशला भत्रियाणी जिरगड पुकारह सुपिना देखिस् ते प्रस वाचस्या । य श्री कल्प सिद्धान्तनी वाचना तराइ अधिकार | एवं भाग्यवंत वान यह शील पाल रूप तद भावना 'भावई एवंविध धर्म कर्त्त करई ते श्री देवगुरु तगुज प्रसाद देवन प्रधिकार विधि चैत्यालय पूज्यमान श्री पवनाथ तसा प्रसावि गुरुनी परंपराय सुविहित चक्रचूडामति श्री उद्योतनसूरि श्री वद्धमान सूरि थी। श्री जिनेश्वर सूरि । श्री अभयदेव सुरि युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरि श्रीमज्जिन कुदालसूरि श्री इकम्बर पातिसाहि प्रतिबोधकं युगप्रधान श्री प्रभाकर श्री मज्जिनसिंह सूरि तट्टे प्रभाकर भट्टारक श्री जिनसागर सूरिनी आना प्रवर्त। श्रीरस्तु । संस्कृत में इलोक तथा प्राकृत में कई जगह गाथाएँ दी हैं । ४८. कल्पसूत्र ( भिक्खु अभय ) ... .....! सज्जन ' विषय- श्रागम । २० काल X | ले० काल X | ० ० ६०६ । पूर्ण विशेष – हिन्दी टब्बा टीका सहित है । ४६. कल्पसूत्र - भद्रबाहु पत्र सं २. काल X | ० काल सं० २०६४ | मधु । पत्र नहीं हैं । ०४१ ० १०९४३ इख । भा० प्राकृत | महार १९६ । प्रा० १०x४ इंच भा० प्राकृत विषय-भागम ३६ । भण्डार । विशेष - २ रा तथा ३ रा पत्र नहीं है। गाथाओंों के नीचे हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है। ४०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ से ४०२ | लेकालX पूर्ण वे० सं० १९८७ । ट भण्डार विशेष – प्रति संस्कृत तथा गुजरानी छाया सहित है। कहीं २ वा टीका भी दी हुई है। बीज के कई Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] १. कल्पसूत्र मद्रबाहु १० का X का सं० १९९० ग्रामोज सुदी ६० ११०४२ इस ॥ भा० प्राकृत पूर्ण सं १८४६ । ८ भदार | 1 ५२. प्रति सं० २ प ० २७४ २० काल x । प्रपूर्ण विशेष-संस्कृत टीका सहित है। गाबाओं के ऊपर ये दिया हुआ है। ५३. कल्पसूत्र टीका - समय सुन्दरोपध्याय । पत्र मं० २५ । प्रा० ६.२४ इन्च भाषा-संस्कृत । - श्रागम र काल X | ले. काल सं० १७२५ कार्तिक । पूर्ण वे० सं० २ ख भण्डार | I विशेष—फसर धाम में की रचना हुई थी टीका का नाम बदलता है। मारक ग्राम में पं भाग्य विशाल ने प्रतिनिधि की थी। १० कल १८१६ ५४. कल्पसूत्रवृत्ति" - पत्र सं० १२६ ॥ श्र० ११०४६ इंच भा० इंच भा० प्राकृत विषय भण्डार ५५ कल्पसूत्र भाग १० काल X से काल विशेष-संस्कृत में टिप्पण भी दिया हुआ है। - 7 पूर्ण सं. ११७ क भण्डार य [ · विषय आगम । १८६४ भार ..... पत्र सं० १० से ४४० १६४४३ च भाषा प्राकृत विषयपूर्ण वे० सं० २००२ भण्डार क्षपणासारवृत्ति - माधवचन्द्र विद्यदेव पत्र [सं० ६७ मा १२८७६ । 4 संस्कृत विषय सिद्धान्त २० काल क सं ११२५ वि० सं० १२६०० काल सं १८१६ नेशास बुदी ११ । । विशेष-पंथ के मूलकर्ता ५७. प्रति सं० २। पत्र सं० ५८. प्रति सं० ३ । सं० विशेष भट्टारक सुरेन्द्रमति के पदार्थ जयपुर में प्रतिलिपि की गयी थी। ५६. क्षपणासार - टीका " विषय सिद्ध १० काल X ले० काल X वार्य है। १४४ ले० काल सं० १९५५ । वे० नं० १२० । के भण्डार २०२० का सं० १८४७ भाषा बुदी २८ भण्डार .....। पत्र सं० ६१ । प्रा० १२३४५ इंच भा० संस्कृत । पूर्ण ० ० ११८ भण्डार ६०. लपणा सारभाषा - पं० टोडरमल | पत्र सं ० २७३१ ० १३४८ विषय- सिद्धान्त २० काल सं० १८१८ माघ सुदी ५ ले० काल १९४६ पूर्ण ० सं० ११६ । भा०] हिन्दी | भण्डार विशेष – क्षपणासार के मूलकर्त्ता प्राचार्य नेमिचन्द्र हैं । जैन सिद्धान्त का यह अपूर्व ग्रन्थ है। महा टोडरमलजी की गोमट्टसार ( जीव-काण्ड धौर कर्मकाण्ड ) लब्धिसार पोर क्षपणासार की टीका का नाम सम्मज्ञान इन्द्रिका है। इन तीनों की भाषा टीका एक ग्रन्थ में भी मिलता है। प्रति उत्तम है। Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [सिद्धान्त एच चर्चा ६१. गुगास्थानवा ..............। पत्र सं० ४५ । प्रा. १२.४५ च । भा। प्रान्त । विषयसिद्धान्त । र० काल । ना काल X । पूर्ण । ० म ५.०३ । ष भधार ।। ६२. प्रति मं, २१ ले. काल X । वै० म० ५०४ । म भण्डार। ६३. गुणन्यानमारोहसूत्र-रलशेम्बर । पत्र सं. ५ । प्रा. १०४४ । भा० मन ।। विषय-सिद्धान्त । ९० काल : । ने काल X । पूर्ग । व० सं० १२५ । छ भण्डार । ६४. प्रति सं०२। पत्र मं० २१ । ले. कान सं० १७३५. प्रासान बुदो १। ०७१। छ भरा। विशेष-संस्कृत टांका महिन । . . ६५. गुणस्थान ....................! पत्र यं ३। प्राइ च। भा० हिन्दी । विषयसिद्धान्त । २० कान X । ले० बाल . । वै० म०१२६ । भाग । अाधार । . . . .६६ प्रति सं० । पय मं० २ मे २६ । क सं १३७ । द भण्डार । .. ... १७. प्रति सं. ३ । पत्र सं० २. म ५१ । मधुगं ! ले. का । वे० भ० १३. हु भण्डार । ६८. प्रति सं० ४ । पत्र मं० ७ ० काम. १६६३ | ये० मं० ५.३ । च भवार । .. प्रति सं५ । 'सं. १५ । ले.. का x | वे . मं० २३: भण्डार । ७०. प्रनि मः । पय मं• २२ ले. काल , । मं. ३४६ 1 म भपहर । ७१. गुणम्धानधर्चा-चन्द्रकीर्ति । पत्र मं | आ . x न । भाल महन्वा । विषय-मान्न । कान: 1. काल x दे. मं. ११६। ७२. गुणस्थानचर्चा एवं मोबोमठाणा चर्चा........"| पत्र सं० ८ 1 प्रा. १५ च । भा० । संस्कृत । विषम-सिद्धान्त । २० का.x1 न. का 1 अपूर्ग। वे म २०३१ । र भण्डार । ७२. गुगास्थानप्रकरण.........। पत्र सं. ६ । प्रा. ११५ च । भात संस्कृत । विषय-सिद्धान्न । २०.का । लेका .४ पूमा । ये सं १३८ । '४' भण्डार । 3. गुणस्थानभेद".......पत्र मं ३। प्रा.१४५ । गान गान । विषय-गिद्धान्त ।। २. काल : काल X । अपूर्ण । वे० सं० १५३। भवार। ७५, गुणस्थानमार्गणा.............। पत्र में० ४ मा ८/रच । भार हिन्दी । विषय-भिद्धान २० काल से काल X पूर्ण । वे मं० ५,३७१ च भण्डार । ७६. गणस्थानमार्गणारचना.............. | पत्र सं७ १८ । प्रा । भा• मंस्कृत ।। विषय-मिदान्त र काल ले. काल X । अपुर्ण । वै० मं. ७७१ च भण्डार । Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं पर्चा ] ७. गुणस्थानवर्णन गुम्बानवर्णन विषय-सिद्धान्त १० का ० / I काल अपूर्ण विशेष ---- १४ गुणस्थाना का वन है। २०. गोम्मटसार ( जीवकाण्ड प्राकृत विषय सिद्धान्त काल का भण्डार । भण्डार । ७६. प्रति सं० "ज्ञानामुनि [ + मं० २० १० १०४५ । भा० संस्कृत विषय सिद्धान्त । ७८ ७८ भण्डार च । १२८ भण्डार • | पत्र [सं०] १२ मे २१० १२५ । भा० हिन्दी । प्रपू० सं० १२६ भण्डार १३ क भण्डार । आ० नेमचन्द्र | नं. बाल सं० १७२० मं० ८६१। भण्डार प्रशस्ति---संवत् १५५७ वर्ष प्रवाह शुक्ल नवम्यां श्रमूलमंधे नथाम्नायं बलात्कारमले भरस्वतीगतं. श्री कुंकु दानायन्त्रय भट्टारक श्री धनन्दि वास्तव भट्टारक श्री सुभचंद्रदेवास्तपट्टे भट्टारक श्री जिनचंद्रदेवल मुनिया रत्नकीर्ति देवात्शिष्य मिचंद्र नामा तान्नाये सहलवालवं सा० दल्हाभा देहभासा माग्यो द्वितीय भरतीय ज प सं० १३० १३ उंच भा० 1 मायावत प्रति सं० २०७० काल ११६४ भण्डार पर प्रति स० ३ । पत्र १४ ० का ० १३२९० सं० १११ | भण्डार । ८३. प्रति स्वं ४ | १५५७ अपाद १५५० बषाद मुर्दा पूर्णा ० सं० ११० । । ०५ से ४० काल सं० १६२४ चैत्र सुदी अपूर्ण ० विशेष के प्रतिलिपि की थी। ५४. प्रति सं०५ ४. प्रति सं० ६ | सं० १५० काल x 1 वे० मं० १३६ । ख भण्ड ६. प्रति मं० ७ ० ३७२ ० १७३८ भाव सू० १८ लं. १००००१६ार विशेष प्रति टीका सहित है. श्री वीरदास ने श्रवबराबाद में प्रतिलिपि की थी। ५७. प्रति संप काम सं० २०६७ २०० आषाढ सुदी Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ सिद्धान्त एवं या ८. प्रति सं० । पप सं. ७७ निकाल सं. १८२९ चैत्र नदी ३ । वै० सं.७६ । च भण्डार । १. प्रति सं० १० । पत्र में० १.१२-१४१ १ ० काल - । कापूर्ण । ० सं०६०। च भण्डार । ४२. प्रति सं० ११ । त्रि सं० २० । ले. काल . । अपूर्गा । पं० ।। च भण्डार । ६१. गोम्मटसारटीका सकलभूषण । पत्र में. १४ । भा. १२३४७ च | भा. संक्त । विषय-सिद्धान्त । २० काल सं० १५७६ कात्तिक मत्री * । काल ग. १६.५। पूर्ण । ३. मं. ११.। के भण्डार। विशेष-बाबा दुलीचन्द नै पन्नालाल चौधरा में प्रतिलिपि कराई पनि : बंटी में बंधी है । ६२ प्रति म पत्र सं. १३१ । म काल वेपं० १३७ । * भण्डार। १.३. गोम्मट मारटीका---धर्मचन्द्र · पथ सं. ३३ । प्रा० १०.५५ च । भा० संवृत । विश्यसिद्धान्त । र. काल ४ । ले. काप ४ । पूर्ण । वे० सं० १३६ । क भार । विशेष...पत्र १३, पर प्राचार्य धर्मचन्द्र कृत दीका की प्रशस्ति का भाग। नागपुर मगर (नागौर। में महमदावां के शासनकाल में मालहा यादि चांववाद गोत्र वाले श्रावबा न भट्टारक धर्मनन्द का यह प्रति निखबर प्रदानकी थी। ४. गोम्मटसारस्सि-केशवची। पत्र सं. ५.३५ । मा० ... ध । भा• संस । राल X । पूर्ण । बे० सं० ३९१ | भण्डार । र काल विशेष...-मूल गाथा सहित जीवाद एवं कर्मकाण्ड की टीका है। प्रत अभयमन्द्र द्वारा गधित है। पं. गिरधर की भोथी है ऐसा निमा है। १५. गोम्मटसारवृति...... .... । पत्र सं. ६ से ६१२। पा. १०.४., इच। भा- संस्कृत । विषय-मिदास्त । र काल - लेख काल । अपूर्ण । वे मं० १२३८ । अभाधार । १६. प्रति म पत्र सं १४ । लेकाल . म. छ भण्डार। ६७. गोम्मटसार ( जीवकाण्ड ) भाषा-- भा हिन्दी । विषय-मिलान्त । र. काल । टोडरमल ! पत्र मं. २२१ मे १६८। पास कालमपूर्ण । ०७३ । अभावार। विशेष ...पंदित टोडरमलजी के स्वयं के च का लिावा इनायब है। जगढ़ कट। हथा है। गोका का नाम सम्यक ज्ञानचन्द्रिका है। प्रदर्शन-योग्य । १.८, प्रति सं० । रक सं. ल. काल X । अपूर्ण । ०.३७५ । अ भण्डार । Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं नर्चा ] ६, प्रति मं:२१ बर्ग: :: म. , मुदी १५ । वै० सं० १४१। के भण्डार १७. प्रति सं. ३ प म ११ । ले. काल X । अपूर्ण । ३० सं० १२६५ । अ भण्डार । १०१. प्रति सं०४ । पत्र. ५७६ । न काल सं १८५५ माघ सुदी १५। वे० सं० १८ गभवहार । योग . कालूराम माह तथा मन्नालाल कासलीवाल ने प्रतिलिपि करवायी थी २०, प्रमि सं | पत्र सं० २८ काल अपूर्ण । ० सं० १४९ I अण्डार । विशेष ...२०७४ मे प्रागे ५४ पबों पर गुशास्थान प्रादि पर यंत्र रचना है: १.3 प्रनि म.। पत्र मं०५३ । ले० काल म १५० । व भण्डार । विटीय-- केवल यंत्र नाही है। १४. गोम्मटसार-भाषा--पं० टोडरमल । पत्र में० २१३ । प्रा० १५४१. { । भा. हिन्दी ! विषय-मिद्धान्त । र काल में १८१८ माघ सुदी ५ । ले. काल सं० १९४२ भादवा सुदी ५३ पूर्ण । ० सं० १५१ । क भण्डार। विशेष-लन्धिसार तथा क्षपणासार की टीका है। गोशालाल सुंदरलाल पांख्या ने न की प्रतिलिपि करवायी। २०५ प्रतिमा पर मं० १९१० काल में १८५७ सावण मृदी ।। . सं. ५३८ । च भवार। २०६. प्रति मं त्र मं.६७१ मे 1984 | ल. काल ४ ।मपूर्ण 1. सं. १२६ ज असार । १७. प्रति सं०४ा पत्र सं. ८६८ । ले० काल मं० १८८७ वैशाख सुदी ३ । अपूर्ण । ३. सं. २२१८ । भण्डार। विशेष प्रति प्राकार एवं मुन्दर लिखा की है तथा दर्शनीय है। रुथ पत्रों पर बीच में समापुल पोलाकार दिये है। बीच के कृश पत्र नहीं है! १८. गोम्मटमारपीठिका-भाषा - टोडरमल | पत्र सं० ६२ । प्रा. १५४७ च । प्रा. हिन्दी । विषय-मिवान्न । १. काल । ने. कास I अपूर्ण । ० ० २३२ । म भण्डहर। . Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ ] संस्कृत विषय- सिद्धान्त का ६ १०६. गोम्मटमाटीका ( जीवकाण्ड ) ट मण्डार । विषय- सिद्धान्त । २० काल की गई। विशेष प्रदीपिका है। ११८. प्रति सं० २०१२ काल प्राकृत विषय सिद्धान्त डा. भण्डार " १११. गोम्मटसारमंपिं दोडरमल | १० काम काल पूर्ण ० सं० १२६ ११२ प्रति सं० २ । ११३. गोम्मटसार (कर्मकाण्ड * " पत्र नं २६२ 1 कापू ० सं० २० ग भण्डार יי ११५. गोम्मटसार (कर्मकाण्ड) टीका कलकनंद संस्कृत | विषय - भिद्धता से काल तुर्गा मूर्ती | भण्डार | ४०० साल नेमिचन्द्राचार्य सं० ११२ ११२ काल १८८५ सुदी ००१०१ । ज भण्डार | ८२ । ६० १५७ त मा० हिन्दी । १२० प्रति सं० ० ० १ ० काल [सिस गर्दा भा १४. प्रति संका अपू ११५. प्रति सं० ३ । पत्र १६ ० काल अपूस भा १५७. प्रति ० ४ प १० काम मं० १८४४ चैत्र १४ । अपू० १२० दिननिकी सहाय से टीका विगयी थी। ११. अनि सं० २ | | ० ० ५३६ । च भंडार | ११८. गोम्मटसर कर्मकाण्ड) टीका अट्टारकज्ञानपण भा० संस्कृत विषय- मिद्धान्त । काल । काल भण्डार । ० विशेष— भट्टारक सुरेन्द्रकानि के विद्वान थान में श्रध्ययनार्थ हरि नगर में ताल १ च भार १०११७ तक ) ० सं० ०४०११ २५० सं० 1 २४७ : भण्डार १२५ । छ काल सं० १६७३ सुदी ५० मं० १३६ । 1७४। Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] [१३ १२१. प्रति सं०३। पत्र सं० ५१ । ले० कान * ० ० २५ । स्व भण्डार । १२. नि सं०.! पत्र .० २१ ! न काल मं. १७५........ । . . ४६० । ब भण्डार । १२३, गोम्मटसार ( कर्मकाण्ड ) भाषा-पं० टोडरमल । पत्र मं० ६६४ । प्रा. १३,९८ रचे । भा० हिन्दी गद्य (ढारी) विषय-सिद्धान्त । र. वाल १६ वीं शताब्दी। 2. काल मे०१६४६येष्ठ सुदी ८ । पूर्ण । वे० सं० १३० । कभण्डार । विशेष प्रति उनम है। १२४. प्रति सं० २१ पत्र सं० २४७ । ले. काल X । वे. गं. १४८ 1 कु भण्डार । विशेष-- दृष्टि सहित है। १२५. गोम्मटसार (कर्मकाण्ड ) भाषा-हेमराज । पत्र मं० ५२१ प्रा. ४.५ इच । भा० . हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । र. काल सं० २०१७। न० काल सं० १७०८ पौष मुदी १० । पूर्ण । दे. मं. १०५ ।। श्र भण्डार । विशेष प्रश्न साह प्रानन्दरामजी खण्डेलवाल ने पूछया तिग ऊपर हेमराज ने गोम्मटमार को देश के भयोगशम माफिक पत्री में जबाव लिखने रूप चर्चा की वासना लिखी है। १२६. प्रति सं८२ । पत्र सं० ८५ । । ले. कान मं० १७१७ पासोज बुदी ११ । व. पं. १२६ । विशेष--स्वपउनार्थ रामपुर में कल्याण पहाडिया ने प्रतिलिपि करवायो थी। प्रनि जीर्ग है। हमराज १८ वी शताब्दी के प्रथम पद के हिन्दी गद्य के अच्छे विद्वान हये हैं। इन्होंने १० मे अधिक प्राकृत व भंस्कृन रचनामों का हिन्दी गद्य में रूपांतर किया है। १२७. गोम्मटसार ( कर्मकाण्ड ) टीका....... । पत्र सं. १६१ ग्रा० ११: विषय-सिद्धान्त । र० काल । ले० काल X| अपूर्ण। ये०सं०८३ च भण्डार । । भा० मस्कृत । विशेष प्रति प्राचीन है। १८. प्रति सं० । पत्र सं० ६८ । ले० कान मं ० मं० १६ भण्डार । १२. प्रति स पत्र मं०४८ । ले. काल । मह भण्डार । विशेष--अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है: इति प्रायः धीगुमट्टसारमूलाइटीकाच्च निकायकमेगाएकीय चिस्विंगा । श्री नमिचन्द्रमैदान्ती विरचितकर्मप्रकृतिग्रस्य टीका समाप्ताः। Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ ] [ सिद्धान्त एवं चर्चा । मा० शकत 1 विष १३०, गौतमकुलकलौतम स्वाभो । पत्र सं. २ । प्रा. १०.४५ सिद्धान्त । १० काल .. . काल पूर्ण । वै० म० १७६६। भण्डार। विशेष—प्रति गुजराती टीका सहित है २० पद्य है। १३१. गौतम कुलक........." । पत्र सं. १ । प्रा० १०x४ ईच । भा० प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल-X । लेकाल-X । पूर्ण । वे मं० १२४२ । अ भण्डार । विशेष-संस्कृत टीका सहित है। १३२. चतुर्दशसूत्र.......... | पत्र सं० १ । प्रा०४४ इच। भा० प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । र • काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे. मं• २९१ । भण्डार । १३३. चतुर्दशसूत्र--विनयचन्द्र मुनि । पत्र सं० २६ । मा० १०:४४ इन्च । भाषा- संस्कृत । विषय-प्रागम । र० नाल । ले० काल सं० १६८२ पाप बुदी १३ 1 पूगा 1400 १०२ । छ भण्डार । १३४. चतुर्दशांगवाह्यविवरण ....... .. | पर सं० ३ । प्रा. ११४६ ।। भा, संस्कृत । विषय-यायम । १० काल Xले. काल x 1 अपूर्ण ! वे सं० ५१४ । ख भण्डार। विशेष--प्रत्येक ग्रंग का पद प्रमाण दिया हृपा है। १३५. चर्चाशतक--द्यानतराय। पत्र सं० १.३ । प्रा. ११६४८ इंच । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषयसिद्धान्त । र० काल १८ वीं शताब्दी । ले. काल मं. १९२६ प्राषाढ बुदी ३ । पूर्म । वे० सं० १४६ । क भण्डार । विशेष-.-हिन्दी गद्य टीका भी दी है। १३६. प्रति सं० । पय सं० १९ले. कान सं० १९३७ फागुण सुदी १२। वे. सं. १५ । कभण्डार । १३७. प्रति सं०२। पत्र सं० ३० । लेक वात । वे सं० ४६ । अपूर्ण । स्व मण्डार । विशेष—या टीका सहित । १३८. प्रति सं०४। पा सं० २२। ले. काल मं. १६३१ मंगसिर सुदी २ । वे. सं० १७१ । दु. अण्डार। MR. प्रति सं । पत्र सं. १८ । ले. काल-x ० सं० १७२। ऊ भण्डार । १५८. प्रति सं प . काल से। १९३४ कातिक सूदी ८। वे. सं. १७३ । है भयहार। Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १५ सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष—नाले कागजों पर लिखी हुई है। हिन्दी गद्य में टीका भी दी हुई हैं । १४१. प्रति सं... पत्र सं० २२ । ले० कालसं. १९६८ | के. सं० २८३ । म भण्डार। विशेष-निम्न रचनायें और है । १. अक्षर बावनी -- यानतराय - हिन्दी २. गुरु विनती - भूधरदास - " ३. बारह भावना – नवल - , ४. समाधि मरण - १४२. प्रति सं. ८ । पत्र सं० ४६ । ले. काल ४ । प्रपूर्ण । ३० सं० १५६३ । ट भपार । विशेष—गुटकाकार है। १४३. चर्चावर्णन-पत्र सं. ८१ मे १.१४ । प्रा. १०३४६ इछ । भाषा हिन्दी विषय-सिदान्त । २० काल x | ले० काल 1 मपूर्ण : वे सं० १७० । भण्डार । १४४. चर्चासंग्रह...... | पत्र सं० ३९ । मा० १.१.६ इन। भाषा हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । २० काल । ले. काल ४ । अपूर्ण । वे सं. १७६ । छ भण्डार । १४५. चर्चासंग्रह...... । पत्र सं. ३ । प्रा० १२४५६ इञ्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी । विषय सिद्धांत ! २. काल ४ । ले. काल XI पूई । के० सं० २०५१ । भण्डार। १४६. प्रति सं०२। पत्र सं० १३ । ले. काल XI ० सं०८६ | ज भण्डार । विशेष-विभिन्न आचार्यों की संकलित चर्वानों का वर्णन है। १४४. पर्यासमाधान-भूधरदास । पत्र सं० १३० । प्रा. १०४५ ३२ । भाषा हिन्दी । विषयसिद्धांत । र० काल सं० १८७६ माघ सुदी ५ । ले. काल सं० १८६७ । पूर्ण । ० सं० ३८६ । म भण्डार । १४८. अति सं० २ । पत्र सं० ११० । ले. काल सं० १९०८ प्राषाढ बुदो ६ । वै० सं० ४४३ । म भण्डार । १५६. प्रति सं०३। पत्र सं० ११७ । ले. काल सं० १८२२ । वे० सं० २६ । म अण्डार । १५८, प्रति सं०४। पत्र सं०६६ । ल. काल सं० १९४१ वैशाख सुदो ५ । दे० सं० ५० । ख भंडार। १५१. प्रति सं०५ । 'पत्र सं० २० । ले० काल सं० १६६४ चैत सुवी १५ । ३० सं० १७४ भंडार । १५२, प्रति सं०६ । पत्र सं० ३४ से १६६ । ले. काल X । अपूर्ण । ३. सं. १३ । छ भण्डार ? Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६' ] [ सिद्धान्त एवं चर्चा १५३. प्रति सं० ७१ पत्र सं ७४ । ले० काल मं० १८८३ पौष सुदी १३ । ३० सं० १९७ । छ भण्डार । विशेष-जयनगर निवासी महात्मा बंदालाल ने सबाई जयपुर मे प्रतिलिपी की थी। १५४. चर्चासार पं० शिवजीलाल । पत्र मं० १३३ १ ० १०३५ । भाषा हिन्दी विषयसिद्धान्त । २० काल - X ले० काल X। पूर्मा । ० सं० १४६ । क भण्डार १५५. चर्चासार....१९२० भाषा-हिन्दी विषम-सिद्ध १० काल X अपूर्ण ० सं० १४० छ भण्डार । १५६. चर्चा सागर. काल X पूर्ण २००७८६ भण्डार | ३६० १३४५६ भाषा हिन्दी विषयन्ति । २० १४७. चर्चासागर - चंपालाल पत्र सं० २०४० १३८६६ सिद्धान्त । २० काल सं० १९१० । ० काल. सं० १९३१ । पूर्णा । वे० सं० ४३६ । प्र भण्डार । विशेष प्रारम्भ में १४ पत्र विषय सूची के अलग दे रखे हैं। १४५. प्रति सं० २ ० ४१०० का० मं० १९३० दे० मं० १४७ मं० ४१० ११२५६० १५६. चौदहगुणस्थानचर्चा-अखराज ( राजस्थानी ) विषय- सिद्धान्त । १० काल X | ले० काम X। पूर्ण वे० सं० २६२ २० काल X | ले० काल । पूर्ण वे० सं० २०३६ । अ भण्डार । १६०. प्रति सं० २ १ ०१-४१०० x ० सं० ६० भण्डार । १६१. चौदहमार्गणा.... ३प० सं० १० । भा० १२६५ श्च । भाषा प्राकृत विषय - सिद्धान्त । . १६२. प्रति सं० २ ० १२० काल ४ १६२. चौबीसठाणाचर्चा- नेमिचन्द्राचार्य विषय- सिद्धान्त १० काल X ० काल सं० १६२० ० ० भाषा-हिन्दी पद्य विषय ० ६ पत्र समुदी १० क भण्डार भ० हिन्दी गथ भण्डार । १६५५ । भण्डार ० १०३४३ भाषा प्राकृत क भण्डार पूर्ण वे० मं० १५७ अपूर्ण वे० सं० १५१ क भण्डार। १६४. प्रति सं० २०६० काल X १६५. प्रति सं०३ पत्र ०७० काल मं० विशेष पं० ईश्वरदास के शिष्य रूपचन्द के पठनार्थ मरायला ग्राम में ग्रन्थ की प्रतिलिपि की। १०१७ पौष बुदी १२० सं० १९० क भण्डार १६६. प्रति सं० ४ | पत्र सं० ३१ ले० काल सं० १६४६ कार्तिक बुद्धि ५ । ० सं० ५१ । ख भंडार | Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्न एवं चर्चा ] विशेष-प्रति संरकृत टीका महित है।थी मदमचन्द्र की शिष्या प्रार्या बाई शीलश्री ने प्रतिलिपि.कराई। १६७. प्रनि सं५ पत्र सं. २२ ले. काल सं० १७४० ज्येष्ठ बुदी १३ । वे० सं०५२। ख भण्डार । - माह व रगीय कर्म क्षयार्थ पं., प्रेम से प्रनिनिवि करवायी। १६. प्रति मं०६। पत्र मागे '४३ . काल X । यपूर्ण । ० मं. ५३ । ब भण्डार । विशेष-मरवृत त्राटीका महिन है। १४३ची गाथा ये ग्रन्थ प्रारम्भ है। ३७५ गाथा नव है। १६. प्रनि सं. श्रमं ५ः । न वान . 4.27 व भण्डार । विशेष-प्रति संम्वृत्त ठम्या टीका सहित है।टीका का नाम 'अर्थमार दिया है। प्रानन्दराम पनार्थ निगम लिया गया १७५. प्रनि मं०८। पय स. २५ । मे० का मं .६ नेत मृदो २१ . मं०१६। दुः भंडार। ११. प्रति सं०६ । पवन. .. काल x २० सं० १३५ । छ भण्डार । १७२. प्रति मं01 पत्र गं. काल XI वे मं० १३५ । छ भण्डार । १७३. प्रति सं०११ । पर सं० १.३ । ले० काल X । ये. म १४५ । छ भण्डार । विशेष-२ प्रतियों का मिधरण है। १७४. प्रति सं० १२ । पत्र मं० ७ । ने• काल XI वेल में० २६१ । ज भण्डार । १७५. प्रति सं०१३। पथ सं० २ गे २५ । जे कास्न मं० १६६५ । कानिक बुदी ५ । अपूर्ण । २० मं. १२१५ । भण्डार । विशेष-संस्कृत टीका सहित है । अन्तिम प्रशस्तिः-संवत् १६६५ वर्षे कानिक बुदि ५ बुद्धदायरे श्रीचन्द्रापुरी महास्थाने श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय मौनीम लागो ग्रन्ध संपूर्ण भवति । १७६. प्रति सं०१४ । स्त्र सं० ६३ । ले• काल मं० १८१४ चैत बुधि । ३० म.. १८१६ । र भण्डार । प्रशस्ति-संवत्सरे वेद समुद्र सिद्धि चंद्रमिने १०४८ चैत्र कृष्ण नवम्यां मोमवाभरे हवा देश अराष्ट्यपर भट्टारक श्री नरेन्द्रकीति नेदं विद्वद् छात्र मत्र मुखह्वयाध्यापन लिपिकृतं स्वशयेना चन्द्र तारवं स्थीयतामिदं पुरततं । १६. प्रति स०१५। पत्र गं०६६ । लेख का ० सं० १८४० माघ मुदी १५ । ३० म. १०। ₹ भपहार। विशेष रणवा नगर में भट्टारक सुरेन्द्रकीति तथा प्रान विद्वान् तेजपाल ने प्रतिलिपि को। १७८. प्रति सं०१६ । पत्र सं० १२ । मे० कान । ० सं १८८६ । ट भण्डार । Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५] पत्र चर्चा की नि--निद्रान । र० काल ४ । ले० काल १.७६, चतुर्विंशति स्थानक - नेमिचन्द्राचार्य प०४६ ११००५ उच्च भारत । नं १६५ सङ्कारः । संस्कृत टीका भी है। १०. चतुशिति गुग्गुम्थान पीटिका" त्रिपनि । १० काल X | लेकाल । १०२. चौबीस दाणा चर्चा १ प सं जिन र कान X ल० काल X। अपू० सं० ग्र भण्डार । १०४. चोवीस ठाणा चर्चा वृत्ति विषय- सिद्धान्त र काल ४ । ० का १४. प्रति सं २०१५ १८२ प्रति सं० २ । पत्र नं. ३२ ५१ । ० ११३ भारत । १६ १००० १६६६ अपूर्ण भन् विराम धारणानगरमध्ये लिखितं । १८. प्रति सं० ३ | पत्र गं० ६३ | ० काम भण्डार १५.६ 1 के भार ! सिद्धान्त एवं चर्चा | पत्र मं० १ १२५ ।। १६२५ करवायी संस्कृत टीका सहित है। चौबीस दागा चर्चा 1 भार २ मे २४ । १० १२.१ भा० संस्कृत विश्व१९६४ | अ भण्डार | १६. प्रति सं० २०३१ १७. प्रति ० ४ प गं ३० से. काल सं० २०१० कानिक बुदि पत्र सं० १२३ । ०४१३३५ ० ३२८ | अभदार | १४९ जेठ २० मं० 22 २५२ क भण्डार | भाषा सं ईश्वरदास के शिव के पास गिरधारी व द्वारा पत्र नं. ११२ भाषा हिंदी ४३० । श्र भण्डार । निकाल विसंगति में ग्रम्य का नाम 'क्योसमा प्रकरण भी है। १८. प्रति सं २०२० काल सं० २०२६ १४ भण्डार Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] ११. प्रनि मं३। पत्र सं० ५। ले- काल X। अपुग । व० सं० २ । अभाडार । १६. प्रति म ४१ पय मं. ११ । ले. कास । व. सं. २८२ । श्र भण्डार । १६१. अतिसं पत्र म.४. ले. काल वे सं० १५ भण्डाः । विशेष-हिन्दी में टीका दी हुई है। १. दिना.. . नाल । वे सं० १६१ । के भण्डार । १६४. प्रति सं । पत्र सं० १६ । ले. काल , । अपूर्ण । वे मं० १६२ । क भण्डार । १६५. प्रति सं८८ : प ३९ । ल बाल म. १६७६ । वै० म०२३1 न भण्डार । विशेष-वेनीराम की पुस्तक से प्रतिनीपि की गई। ६. छियालीस ठारमाचर्चा .............. | पत्र सं. १० । पा .४ रन । भाषा मग्न । विषय-मिलान । र० काल-X । ले कान में १८२६ प्रापाड बुदी १ । पूर्ग । ३ ० ० २६६ ! व भण्डार । १६७. जम्बूद्वीपफल... ..। पत्र म, ३२ । प्रा. १२.इन । भाषा संस्कृत । विषयसिद्धान्त ।काल । ले. काल सं. १८२८ चैत सुदी ४ । पूर्गा | ० सं० ११५ । अ भादार । । भाषा प्राकृत । १. काल । । ५४. जीएस्वरूप वान".""| पत्र सं.१४। प्रा०६X ल. काल: । अपूर्ण । वे० सं० १२१ । अभावार। विशेष—अन्तिम पत्रों में तस्व वर्मन भी है। गोम्मटमार में में लिया गया है। च । भाला प्राकृन । विषय १६. जीवाचारविचार".... ...... पत्र सं०५ ग्रा०६४ सिमान्त । र कान X ले काला प्रपूर्ण । - म. =३ | अभण्डार । ८. प्रति सं० २। पत्र मां. ८ । ले. काल सं० १.१८ मंगसिर बृदी ।। 4. मं. २०५। के भाडार । २०? जीवसमासादपण""...' पत्र सं. १६ मा ११४५ इच। भाषा प्राकृन । विवपजिन । र नाल x | ले० काल X । पूर्ण 1 20 २३५ । ब भण्डार । २८२. जीवसमासभाप............ | पत्र सं०२। ग्रार ११४५ ईत्र। भाषा प्राकृन। विषयनिदाट । र, बाल ले. काल सं० १८१८ । सं. ११७१ | ट भण्डार । २०३. जीवाजीवविचार......... | पत्र सं०६२ | प्रा. १२.५ इच। भाषा सम्रन । विषयगिद्धान्त । र कालले जाल। वे सं० २००४ । भण्डार । Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ सिद्धान्त एवं चर्चा २०४. जैन मदाचार मार्चण्ड नामक पत्र का प्रत्युत्तर–बाबा दुलीचन्द । पत्र मं० २५॥ प्रा० १२.७६ च । भाषा हिन्दी। विषय-चर्चा समाधान । र काल ० १९४६ । ले: काल । पूर्ग . ० सं०२०८ । क भण्डार । २७. प्रतिस-२ प ६ । न. व. वैमं० २१७ । के भण्डार । २०६. ठाणांगसूत्र .." । पत्र गं. ४ । प्रा० र. काल X ।ले. काल 1 अपूर्ण । वै० म. १६२। श्र भण्डार । ४ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय-प्रागम । । भाषा हिन्दी । 20७, तत्त्वकौस्तुभ-१० पन्नालाल सघी । पत्र मं०७२७ । प्रा. १२७ विषय-सिद्धान्त । २० काले० काल मं. १९८४ | पूर्ण। वे मा २७१ । क भण्डार। विशेष--यह ग्रन्थ तत्वार्थराजवातिक को हिन्दी गद्य टीका है। यह १० अध्यायों में विभन्न है। इस प्रति अध्याय तक हैं। में २०८. प्रति स०२। पत्र म०५४६ . बाल सं० १९१५ । वे. मं०२७२ । क भण्डार । विशेष-५वें अध्याय से १०वें अध्याय तक की हिन्दी टीका है । नवा अध्याय अपूर्ण है। म०२४० । र ६. प्रति सं०३।पत्र स० ४२८ । र काल मं० १९३४ ने बाल विशेष-राजवालिक के प्रथमाध्याय बी हिन्दी टीका है। २१०. प्रति सं०४ । पत्र सं० ४२८ में ७७६ 1 ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० २४१ । ह भण्डार । विशेष-तीसरा तथा चौथा अध्याय है। तीसरे अध्याय के २० पत्र अलग और हैं। ४७ अलग पत्रो में सूचीपत्र है। २११. प्रनि सं०५ | पत्र मं० १०७ में 6.3 | काल के सं० २४२ । है भण्डार । विशेष-५, ६, ७, ८, ९, १०३ अध्याय की भाषा टीका है। २१२. तत्वदीपिका-। पत्र सं० ३१ । प्रा० ११-४६३. भाषा हिन्दी गय । विषय-मिवान्न । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे सं० २०१४ । श्र भण्डार । १३. तत्त्ववर्णन- शुभचन्द्र । पत्र सं० ४ । प्रा० ० । भाषा गस्त । विषय-निदान २० काल X । लेख काल । पूर्ण । 40 सं० ७६ । ब भण्डार । विशेष-माचार्य नेमिचन्द्र के पठनार्थ लिखी गई थी। २१४. तत्वसार- देवसेन । पत्र म ६ । प्रा० ११,४५३ इन्च । भाषा प्राकृत । भिषय-मिझा-त । २० काल ४ । ले. काल सं० १७१६ पीप बुदी ।। पूर्ण । वेद मं० २२५ । विशेष- विहारीदाम ने प्रतिलिपि करवायी थी। Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा [ २१ १५. प्रति सं८२ प म १३ । ले काल । अपूर्ण । २० सं० २८६ । क भण्डार । विशंग-हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। अन्तिम पत्र नहीं है। २१६. प्रति सं३ . पत्र सं | ले. काल x व० सं० १८१२ । द भण्डार । २१७. नन्चमार भाषा-पन्नालाल चौधरी। पत्र in ४४ । प्रा० १.४५ इन्। भाषा हिन्दी । ना मिलान । र कान सं० १६३१ वैशाख बुदी ७ | १५ बाल , । 'पूर्ण । ३० म.. ५६७ । क भण्डाः । बिजप-देवगन कृत तस्वमार को हिन्दी टीका हे। २१८. प्रति सं० २१ पत्र H० ३६ । .. वाल X । वे० सं० २६ । क भण्डार । २१६. तत्वार्थदर्पण........। पथ सं३६ । प्रा० १३.५ । भाषा भम् । विय-गिदाः । यामः । न कान X । अपूर्ण । वे० म० १२६ । च भएकार । विग-नतल प्रथम अध्याय तकही है। २८, नत्त्वार्थबांध-पत्र सं० १८ । पा. २.७३ इच। भाषा मंग्लन . विषय-मिनाक : १c पाल ।. काल .. ।। ३. मं. १८७ । ज भरा । विग-पत्र हमश्रीबगेन त पालामानि दी हुई। २२१. तत्त्वार्थवाध-बुधजन । पत्र सं० १४५ । आ० ११.१ इछ । भाषा-हिन्दा पय । विषयगिद्धांत । २० काल में. १८७६ । ल. काल । पूर्ण । ० म० ३६७ । अभधार । १२२, तत्त्वार्थबोध ......! पत्र सं० ३६ 4 आ० १.:.५ इन्छ । भाषा हिन्दी छ । विषय- सिद्भान' । ० नाताल. काल । अपूर्ण । वै० म०.६६ । च भण्डार । २३. तत्वार्थदर्पण"..."1 पब मं० १० । प्रा० १३४५, इन। भाषा संस्कृत । विगय-भिडा । ० काल . । ले. काल ४ । अपूर्ण । वे० म० ३५ । । भण्डार । विशेष-प्रथम अध्याय तक पूर्ण, टीका महित। बन्ध योमतीलालजी भामा का भंट किया हुया है। २२४. तत्त्वार्थबोधिनीटीका-पत्र में० ४२ । प्रा० १३४५: च । भाषा गम्बूत। विषय-मिक्षात । २. काल ले. काल सं० १९५० प्रथम वैशाख मदि३ । पूगमं. ३: ।ग भण्डार । विशेष-यह मुन्ध गोमतीलालजी भीमा का है। इनोक. मं ५ । २२५. तत्त्वार्थरनप्रभाकर--प्रभाचन्द्र । ५ ००प्रा. १०६ भाका रख- । विषय-गिद्धान्त । र काल x 1 ले. काल १६७३ ग्रामोज बुर - 1 वर मं. ४ । ब भार । विदोष-प्रभाचन्द्र भट्रारक पर्मचन्द्र के शिष्य थे। 4. हरदेव के लिए नच बनाया था। संगही करने जोशी मंगाराम में प्रतिलिपि करवायी थी। २२६. प्रति सं०३। पत्र सं. १७| . काल सं० १६:३ आषाद दी १। . सं. १७। व भण्डार। Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कং] २७. प्रति सं० ३ विशेष पन्तिम पत्र नहीं है। प्रति सं० ४ । पत्र ०२ से ६१ । ले० काल X | अपूर्णा । वे० सं० १६३६ |ट भण्डार । विशेष- अन्तिम पुष्पिकाइविता रत्नप्रभाकर मुनि श्री धर्मचन्द्र शिष्य श्री प्रभाषन्द्रदेव विरनिदेव देव भावना मिले मोक्ष पदार्थकथनं दशम सूत्र विचार प्रकरण समाप्ता ॥ भण्डार २६. तत्त्वार्थराजभर्तिक- भट्टाकलंकदेव विषय- सिद्धान्त । काले काल मं० १८७८ । विशेष—इस प्रतिको प्रतिलिपि ० १२८ २३०, प्रति सं० २०२० - क भण्डार [ सिद्धान्त एर चर्चा ०७२ | ले० काय 11३७ । भण्डार है। विशेष-यह ग्रन्थ में है। में तथा दूसरे में ६०१ से १२०० पत्र है। आम है। मूल के नीचे हिन्दी अर्थ भी दिया है। २ । काल भण्डार ३६० २६० श्च भाषा संस्कृत निकाल X ।। । ० ० १०७ । अ भण्डार | प्रांत में जयपुर नगर में की गई थी । मं० १९४१ भावा गुदी मे २३७ ॥ २३१. प्रति सं० ३ । विशेष मात्र ही है। २५२ प्रति सं० ४ ० ५०० ०० १७४१०२४४ विशेष-जयपुर होरीलाल श्रमाने प्रतिभिषि की। में २३३. प्रति सं० ५ । नत्र सं० १० । ० काल । अपू ०६५६ । ङ भण्डार । २३४. प्रति सं० पत्र १७४२१००० १२७ । ६ । सं । चभण्डार २३५. स्वार्थराजधानिकभाषा पत्र सं० २ ० १२२८ इ । भाषा - हिन्दी गद्य | २४५ | ङ भण्डार । या । रकशल 1 ले काल X ११३७ २६. तार्थवृत्ति-००७ सिद्धान्त | रचनाकाल X | काल मं० २६५८ भाषा-संस्कृत विषयबुढो १३ पुस । ० सं० २५२ | क मण्डार 我 विशेष-वृद्धि । नमनुबोधवृत्ति है। तत्रार्थ मुअ पर यह उम टीका है। पं० योगदेव कुम्भनगर दिवासी थे। यह नगर बनारा जिले में है। २३७ प्रति सं० २०१४७ २२२ काल २३८. तत्त्वार्थसार—अमृत चन्द्राचार्य । ५० प्रा० १३४ २३८ क भण्डार विशेष इस ग्रन्थ मे ६१ययों में विभक्त है। उनमें ७ तत्वों का किया भण्डार । भाषा संस्कृत विषय Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धा एक चर्चा ] २३६. प्रति सं० २ | पत्र २४० प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३६ भण्डार । ४४ | ० काल X । ले० काल X २४१. प्रति सं० ४ | एक सं० २७ ले काल X | t २५० प्रति सं० ५ पत्र सं० ४२ विशेषस्तव दीवान ज्ञानचन्द की है । ले काल X ० ० २३१ । क मण्डार । ० सं० २४२ । कभार | वे० सं० ६५ । ख भण्डार | ० सं० २९ । भण्डार ० ४ ० का I ० ० १२२ । ४३. प्रति सं० ६ २४४. स्वार्थसार दीपक- २० मकलकीर्ति पत्र [सं०] ११ संस्कृत विषय-सिद्धान्त २० काल ४ ले कान पूर्ण । ० सं० २०४ | श्र भण्डार | 1 विषम मालकीति मे 'स्वार्थमारवीपक' में जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन किया है। १२ में विभक्त है। यह तस्वार्थ की टीका नहीं है जैसा कि इसके नाम से प्रकट होता है। ५५. प्रति सं० २ । पत्र मं०७४ | ० काल सं० १८२६ १ ० मं० २४० । क भण्डार ०६० का ० १०६४ मा २४६. प्रति ० ३ विशेष महात्मा होन्द ने प्रतिलिपि का । २४७. तवार्थसार दीपकभाषा - पन्नालाल चौधरी भाषा - हिन्दी गद्य | विषय - सिद्धान्त । १० काल सं० १६३७ ज्येष्ठ बुदी ७ -- [ २३ भार पा० ११४५ भाषा विशेष- जिन २ ग्रन्थों की गशालाल ने भाषा लिखी है सब की सूचा दी हुई है। २००२४१ क व सं० २०१० १२३४५ ले० काल X पूर्णा के मं२६६४ ) २४८ प्रति सं० २ ० २०७० काल x | ० सं० २४३ । कमण्डर २४६. तत्त्वार्थ सूत्र - उमाम्नाति । पत्र सं० २१ । प्रा० ७२३ भाषा-संस्कृत । विषम सिद्धान्त कालले काल सं० १४५८ श्रावण सुदी ६ पूर्ण वे० सं० २१६६ (क) अ भण्डार | --लाल एव हैं जिन पर (रजत) अक्षर है। प्रति प्रदर्शनी में रखने योग्य है। नत्वार्थ सूत्र नमाप्ति पर कार लोन प्रारम्भ होता है लेकिन यह पूर्ण है। प्रति०] १४५६ भावरण सुदी ६ २५० प्रति सं० २०१६ का ० १९२६००२२०० भार विशेषप्रति स्वर्णाक्षरों में है पत्रों के किनारों पर सुन्दर लें है। प्रति दर्शनीय एवं नर्शनी में रखने भोग्य है नवांग प्रति है। सं० २६२६ में जहरीलालजी जी श्री वालो ने व्रतोद्याने प्रति सिखा कर बढ़ाई। T २५१. प्रति सं० ३ ० ३७० काम०२२०२ । अदा विशेष प्रति तापनीय एवं प्रदर्शनी योग्य है। Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ ] [ सिद्धान्त एवं चर्चा २५२. प्रति मंद। पत्र म ११ ले. कालवे. मं. १५५.५ । अमटार । ५३. प्रति . ५ : पत्र में १० ।- काल मा १५८८ । ... २४६ | श्र भण्डार। २५४. प्रति सं०६ मं.३८ । ले. काल सं. १५८० म० ३३० । अ भगवार | २५५. प्रनि । । पत्र सं० । . काल X । अपूर्ण । . गं. ३४८ । अ भण्डार । २५६. प्रति मं०८ । पय म.१३ ल. काल सं। १८३७ । . रा. ३६२ । अ भण्डार । विशेष-हिन्दी में अर्थ दिया हया है। २५७. प्रति सं०६। पत्र मा ११ । लेकाला । वेल .. १.५५ । श्रमगडार । २५८. प्रति सं ग पत्र सं. १५ । न. काल X । वै. मं॥१. | अ भण्डार । विशेष—हिन्दी टवा टीका सहित है । 4. अमीचंद ने अलवर में प्रतिलिपि की । २५. प्रति सं-११ । पत्र यं ले कान । वे. मं. ६५ | अभाडार । २६०, प्रति मं० १२ । पत्र मं० २८ । ले काम | अपूर्गा । ३. मं. ७७५. अ भगकारः । विशेष-पत्र १७ में २७ तन नहीं है। २६१. प्रति सं०१३ | पत्र सं०६ से ३: । ले. काल ४ | अपूर्म । वन सं.- अभयार. २६२. प्रति मं.१४। य.. ३६ न. काल मं. १८६२। वे.. मं. ४७। अभण्डार । विम–संस्कृत टीका सहित । २६३ प्रति सं०१५ । पत्र सं० २० । न. काल . । दे. सं ४ । अभण्डार । २६४. प्रति सं०१६ । पत्र में० २५ । न. वाल मं .. चैत्र बुटी ३ । ३० सं० १९ । विशेष-गंक्षिप्त हिन्दी अर्ध दिया हया है। १५. प्रति मा७१ पत्र मं.२४ . काल , । म भण्डार । २६६. प्रति सं०१८ | एत्र ११ २६७. प्रति सं०१६ । पत्र में १६ २२ . काल: । अपूर्ण । वे० सं० १२१ । अभण्डार . कालन, ११ । वे म १२४४ । अभण्डार । '२६८. प्रति सं.२०। पत्र में २८ नेपाल , । वै० म० १२७५ । अ भण्डार । २६६. प्रति सं०२१ । पत्र में । . वाल : । वे सं० १५३१ । अ भण्डार । २७०. प्रति सं २२ । पय गं. ५ पल काल वे सं० २१४३ श्र भाटार | २७१. प्रति स०२३ । पत्र सं १२ । ल. काल । ३० ग. २१५९ । असण्टा । ७२. प्रति सं० २१। पत्र सं०६८। ले• काल गं. ११४, कनिक मुदी । वेद मं. २००६ । यमपाडार । विशेष –गंम्वत हिवरा महित है । फूलचंद विदाक्या ने प्रतिलिपि कहे। Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] १० | ले० काल मं० १६ वे. सं० २००७ । श्र भण्डार २७३. प्रति सं० २५ | २७४ प्रति सं० २६ | पत्र सं ० है । ले० काल । अपूर्ण । ० मं० २०४१ । भण्डार । विशेष-संस्कृत टिप्पर सहित है । २७५. प्रति सं० २७ पत्र [सं० ० काल सं० १८०४ ज्येष्ठ सुदी २२० मं० २४९ भण्डार विशेष प्रति स्वर्णाक्षरों में है। महजहानाबाद से बन्द बाकलीवाल के पुत्र थी ऋषभदाम वाले श्री नूलचन्द बलराम ने जैसिंहपुरा में इसकी प्रतिलिपि कराई थी। प्रति प्रदर्शनी में रखने योग्य है । ७६. प्रति सं० २८ पत्र [सं० २१ । ले० काल सं० १६३६ भादवा सुदी ४० मं० २५८ ॥ क. भण्डार । ग भण्डार । - २७७ प्रति सं० २६ | पत्र सं० १० | ले० काल X | वै० सं० २५६ । क भण्डार । २७८ प्रति सं० ४० पत्र [सं०] ४५ २७१ प्रति सं० ३१ । पत्र सं० २० । ० काल मं० १९४५ दादी ७ वे० नं० २५० भण्डार ० काल X दे० सं० २५७ भण्डार २८० प्रति स० ३२ प ० १० विशेष - महुवा निवासी पं० नानगरामने प्रतिलिपि की थी। २५१ प्रति सं० ३३ प ० १२० काल X००३८ रा भार विशेष-सवाई जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। पुस्तक विम्मनलाल मालीवाल की है। । ० काल X 1 वे० [सं० ३६ भण्डार। २८२ प्रति सं० २४ पत्र [सं० २३. प्रति सं० ३५ । पत्र मं० ३५ । पत्र सं० जे० काल X ० ० ३७ । ग भण्डार [ २५ १० | ले० काल मं० १८६१ मात्र बुदी ४० सं० ४० । २८४. प्रति स० ३६ | पत्र [सं०] ११ | ले० काल X | वे० सं० ३३ । ध भण्डार । २८५ प्रति सं० २७ प ० ४ ० ४ ० ० ३४ घ भण्डार विशेष-- हिन्दी टकना टीका सहित है। २०६. प्रति सं० ३८ पत्र ०७० काल ४० [सं० ३५ घ भण्डार २८७ प्रति सं० ३६ । पत्र सं० ५८ । ने० काल X विशेष – प्रति संस्कृत टीका सहित है। प० १३० काल X २८८ प्रतिसं० ४० २४ प्रति सं० ४१ २०. प्रति सं० ४२ पत्र ०८ से २२० कान प ० ११ १० काम X वे० सं० २४६ २६१. प्रति सं० ४३ । पत्र सं० २६ । ले० काल X | ० सं० २५० । विशेषतामर स्तोत्र भी है। अपूर्ण । ० सं० २४६ । भण्डार । सं० २४७ भार पू० मं० २४० भण्डार भण्डार भण्डार | Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६] न्त्र भण्डार | - २६२. प्रति सं० ४४ ६३. प्रति सं० ४५ [सं० १५ ०६६ विशेष सूत्रों के ऊपर हिन्दी में अर्थ दिया हुवा है। पत्र. सं० २० ले काल x 1 २६४. प्रति सं० ४६ २६५. प्रति सं० ४७ पत्र सं० ३६ । ले० काल x 1 पत्र सं० १२ । ले० काल सं० २६६. प्रति सं० ४८ २६७. प्रति सं० ४६ | पत्र. सं० ३७ । ले० काल पत्र सं० २०० काल X पत्र सं० ७ । ले० काल x प्रपूर्ण २६८ प्रति सं० ५० २६. प्रति सं० ५१ । ३०० प्रति सं० २२. पत्र [सं० से १६ ० काल X ३०१. प्रति स० ५३ | पत्र ०६ | ले० काल । प्र ३०२ प्रति सं० ५४ पत्र सं० ३२ ते० काल X ० सं० २६१ | मष्टा पूर्ण ० ० २६० । ङ भण्डार | । 1 विशेष प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। ३०३. प्रति सं० ५५ | पत्र सं० १६ ० काल X अपूर्ण वे० सं० २६२ । ३०४. प्रति सं० ५६ पत्र [सं०] १७ ले० काल X ० सं० २६३ ३०५. प्रति सं० ५७ | पत्र सं० १८ | ले० काल X ० सं० २६५ । भण्डार । विशेष - केवल प्रथम अध्याय ही है। हिन्दी अर्थ सहित है। ३०६ प्रति सं० ४८ | पत्र ०७० काल ०० १२६ । च भण्डार | विशेष प्रक्षिप्त हिन्दी धर्म भी दिया हुआ है। १६०२५१ काल X ०२५२ भण्डार ३०७. प्रति ०५६ | पत्र सं० ६ | ले० काल X ३० प्रति सं० ६० पत्र सं० १७० काल सं - ० सं० २५३ १९२१ । [ सिद्धान्त एवं चर्चा भार ० भण्डार | सं० २४४ । भण्डार कार्तिक बुदी ४० सं० २५५ र सं० २५६ । भण्डार | सं० २५७ क भण्डार २४८ | ङ भण्डार | ० सं० २५६ ॥ भण्डार विशेष ३१२ प्रति सं० ६४ । पत्र सं० १९० काल । ० सं० २३३ ३९३. प्रति खं० ३४ | सं० २१ मे २५ | लेकाX | अ ३१४. प्रति ० ६६० १४० अपूर्ण । ० सं० १२३ । च भण्डार । १८६२ फागुन १३००१२२ विशेष मुरलीधर प्रवाल जायरा ने प्रतिनिधि की। ३०६. प्रति सं० ६१ ॥ पत्र [सं०] ११ ने० काल सं०] १६५२ ज्येष्ठ सुदी १ वे० [सं०] १३१ च । ३१०: प्रति सं० ६२ । पत्र सं० ११ । ले० काल सं० १८७१ जेठ सुदी १२ । ० सं० १३२ । च भंडार | ३११. प्रति सं० ६३ पत्र सं० १९० का ० १९३६ ० सं० १३४ । भण्डार सेठी ने प्रतिलिपि करवायी। भण्डार । भण्डार च भण्डार ० सं० १३५. । च भगडार | १३६ चार ३१५. प्रति सं० ६००४२० काल X ० सं० १२७ च भण्डार " Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष-- टम्बा टीका सहित । १ ला पत्र नहीं है । ३१६. प्रति सं०६। पत्र सं०६४। ले। काल सं० १९६६।०.१३८ । च भण्डार। विशेष---हिन्दी टवा टीका सहित है। ३१७. प्रति सं०६६ | पत्र सं. ६४ । ने काल सं० १६६३ । वै० सं० ५५० । र भाडार । विशेष--हिन्दी टब्बा टीका सहित है। ३१८. प्रति सं०७०। पत्र सं०१० । मे० कालx० सं० १३६ छ अण्डार । विदोष---प्रथम पत्रों में तत्वार्य सूत्र के प्रथम, पंचम तथा दाम अधिकार हैं। इमस ग भनामा प्ता है। ३१६. प्रति सं० १ | पत्र सं० १७ । ले० काल । वे सर १३६ । छ भण्डार । ३२०, प्रति सं०७२ । पत्र सं० १४ । ले० काल * ० सं ३ । ज भण्डार | ३२. प्रति संच ७३ | पत्र सं० ६ । ले. काल सं० १९२२ फागुन सुदी १५ । वै० म० ८८ | ज भण्डार। ३२३. प्रति सं०७४। पर संहालः कालबे० सं० १४२ | भ भण्डार । ३२३. प्रति सं०७५ | पत्र मं० ३१ । ले. काल X ० सं० ३०५ । म भण्डार । ३२४. प्रति सं० । पत्र सं० २६ । ले. काल X । वै० म० २७१ । भद्धार । विशेष---पन्नालाल के 'पउनार्थ लिखा गया था। ३३५. प्रति सं. ७७ । पत्र सं० २० । लेक कालसं० १६२९ चैत सुदी १४ । वे, मं०७३। भंडार विशेष-मण्डलाचार्य श्री चन्द्रकीति के शिष्य ने प्रतिलिपि की थी। ३३६. प्रति सं०७८ | पत्र सं० ११ । ले. काल X | सं० ४४८ । ब भाडार । ३३७. प्रति से० ७६ । पत्र सं० ३४ । ले० कान । सं० ३४ । विशेष प्रति टन्या टीका सहित है। ३३८. प्रति सं०८०। पत्र मं० २७ । ले. काल X । ये मं० १६१५ द भण्डार । ३३६. प्रति सं.८१1 पत्र सं० १६ । ले० काल । ० सं० १६१६ । ८ भण्डार । ३४०. प्रति सं.२ | पव सं० २० । लेः काल X । वे स. १६३१ । ट भाष्कार । विशेष-हीरालाल विदायक्या ने गोरूलाल पांड्या से प्रतिनिधि करवायी । पुस्तक विमोचन छात्रा राजा भी की है। ३४१, प्रति सं८८६। पत्र सं० ५३ । लेः काल सं० १९३१ । व. सं. १६४२।ट भार.२ । विशेष—प्रति हिन्दी टन्त्रा टीका सहित है । ईसरदा बाल ठाकुर प्रतापसिंहजी के जयपुर प्रागमन के समय सवाई रामसिंह जी के शासनकाल में जीवणलाल काला ने जयपुर में हजारीलाल के पटनार्थ प्रतिनिपि का।। ३५२. प्रति सं८८४ । पत्र म० ३ से १८ । ले कान्न ४. । अपूर्ण । वे मं० २.६१ । Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ ] [ सिद्धान्त एवं चर्चा विशन- -चतुर्थ अध्याय मे है । इसके. प्रागे कतिफुगर पूजा, पार्श्वनाथपूजा, क्षेत्रपालपूजा, क्षेत्रपालस्तोत्र तथा चिन्तामगिजा है। ३४३. तत्त्वार्थ सूत्र टीका अतसागर । पत्र संs ३५६ । प्रा० १२४५ इन्छ । भाषासंस्कस 1 विषयमिद्धान्त । र.. काल X । ले. काल सं० १७३३ प्र० श्रावण मुदी ७ वे० सं० १६० । पूर्ण । श्र भण्डार । विशेष-श्री श्रुतसागर सूरि १६वीं शताब्दी के संस्कृत के पाछे विद्वान थे। इन्होंगे ३८ से भी भिम ग्रंथों की रचना की जिसमें टीकाएं तथा छोटी २ कथाएं भी हैं। श्री श्रुतसागर के गुरु का नाम विद्यानंदि था जो भद्रारक पयनंदि के प्रभिष्य एवं देवेन्द्रकीति के शिष्य थे। ३४४, प्रति सं० २ | पत्र सं० ३१५ । ले० काल मं० १७४८ फागन मुदी १४ । अपूर्ण । वे. में २५५ । क भण्डार । विशेष-३१५ से प्रागे के पर नहीं हैं। ३४५. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३५३ । ले० काल-x 1 दे. सं० २६६ । भण्डार 1 ३४६ प्रति सं०४। पर सं० ३५३ । से. काल- x ० सं० ३३० । ब भण्डार । ३४७. तत्त्वार्थसूत्र वृत्ति-सिद्धसेन गणि। पत्र सं० २४८ । प्रा०.४४१ इंच। भाषामम्पन । विषय-सिद्धान्त । र० कालX ।ले. कास-X । अपूर्ण । बै० सं० २५३ । क भण्डार । विशेष-तीन अध्याय तक ही हैं। प्रागे पत्र नहीं हैं। तत्वार्थ सूत्र की विस्तृत टीका है। ३४६. तत्त्वार्थसूत्र वृत्ति .............. 1 पत्र सं० १३ । मा० ११४५ इन। भाषा-संस्कृत । विषयमिदान्त 1 २० काल-X । ले. काल-सं० १६३३ फागुण बुदी ५ । पूर्ण । ० सं०५८ । अ भण्डार। विशेष-मालपुरा में श्री कनककोति ने मरने पठनार्थ मु. जेसा से प्रतिलिपि करवायी।। प्रशस्ति-संवत् १९३३ वर्ष फागण मामे कृष्ण पक्षे पंचमी तिथी रविवारे श्रीमालपुरा नगरे । भ. श्री ५ श्री श्री श्री चंद्रकीति विजय राज्ये ० कमलकीति लिसापितं प्रात्मा) पठनीया तू मु० जेसा केन विखितं । ३४६. प्रति सं० २१ पत्र सं० ३२० । ले. काल सं० १६५६ फागुण मुवी १५ । तीन अभ्याय तक पूर्म । वे. मं० २५४ । क भण्डार विशेष-बाला बना शर्मा ने प्रतिलिपि की थी। टीका विस्तृत है। २५०. प्रति सं. ३ । पत्र सं० ३५ मे ५६३ । ले० काल-। प्रपूर्ण । वे० सं० २५६ 1 क भण्डार । विशेष--टीका विस्तृत है। ३५१. प्रति सं०४१ पर • ६३ । ने० काल सं. १७८६ । ३० सं० १०४५ । अ भण्डार ।। ३५२. प्रप्ति सं०५। पत्र सं० २ से २२ । ले० काल-X । अपूर्ण : वे सं० ३२६ । 'म' भण्डार । ३५३. प्रति सं०६ । पत्र सं० १९ 1 ले. काल-X । अपूर्ण । वे० सं० १७६३ । 'ट' भण्डार । ३५४. तत्वार्थसूत्र भाषा-पं. सदासुख कासलीवाल । पत्र सं. ३३३ । पा० १२३४५ ३ । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-सिद्धान्त । र• काम मं. १६१० फागुण बुदि १० । ले० काल-X । पूर्ण। • सं० २४५ । कभण्द्वार । Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चचो ] क भण्डार । क भण्डार । ग्द भण्डार । विशेष --- यह तत्वार्थत्र पर हिन्दी गद्य में सुन्दरीका है। ३५५. प्रति सं २ पत्र सं० १५१० काल सं० १९४३ श्रावण मुदी १५० सं० २४६ । ३५६ प्रति ० ३ ० १०२० कान सं० १९४० मंगसिर बुदी १३ ० ० २४० । ३५० प्रति सं० ४ ० २६० सं० १९९५ यावर बुदी ६० । [२ ३५५ प्रति सं० ५ विशेष – पृष्ठ ६० तक प्रथम अध्याय की टीका है। ३५.६. अति सं० ६ । पत्र सं० २०३ | ले० काल सं० १९३५ माह मुदी २६०. प्रति सं० ७ पत्र ० ३ ० का ० १६६३ ०० २७०१ ३६१. प्रति सं००१०२० का ० सं० २७१ । ३६२. प्रति सं० मं० १२८ | ले० काल सं० १९४० चैत्र बुदी = विशेष म्होरीलालजी सिका ने प्रतिलिपि करवाई। ३६३. प्रति सं० १० । पत्र सं० २७ ले० काल सं० २३३६ । वे० मं० ५७३ । च भण्डार विशेष मांगीलाल धमाल ने यह ग्रन्थ लिखवाया। ३६४. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ४४० काल सं० १२५५ वे० [सं० १०५ भण्डार । विशेष आनन्दचन्द के पठनार्थ प्रतिलिपि की गई। पत्र मं० १००० काल प्र०सं० ४२ ॥ - ० मं० ३३ । भार भण्डार ३६५. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ७१ ० काल १९१५ भाषा सुदी ६ ० सं० ११ झ भण्डार । विशेष- मोवीलाल गंगवाल ने पुस्तक पढाएँ । कहने से वैष्णव रामप्रसाद ने प्रतिलिपि को । भण्डार ० ० २७२ | भार ३६६. तत्त्वार्थ सूत्र टीका - पं० जयचन्द छाबड़ा । पत्र मं० ११८ | आ० १२७२ | भाषा हिंदी (नध) । र० काल सं० १८५६ । ले० काल । पूर्ण । ० सं० २५१ । क भण्डार ف ३६७. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६७ ले काल ० १८४६ । वे नं ० ५७२ । च भद्रा । ३६८. तत्त्वार्थ सूत्र टीका - पांडे जयवंत पत्र मं०६६ । • १३४६ इञ्च । भाषा - हिन्दी (गद्य) । -सिद्धान्त १० काल X ० काल सं० २०४६ ० सं० २४१ छ भण्डार विशेष—प्रलिम पाठ निम्न प्रकार है : केक जीव घोर तप करि सिद्ध छे केक जीव उर्द्ध सिद्ध छे इत्यादि । इति श्री उमास्वामी विरचित सूत्र की बालाबोधि टीका पांडे जयवंत कृत संपूर्ण माता श्री सवाई के Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० ] [ सिद्धान्त एवं चर्चा ३६६. तत्त्वार्थसूत्र टीका आठ कनककीर्ति पत्र सं० १४५० १२३४५२३ भाषा हिन्द इव । भण्डार । २९९ विशेषतत्वार्थसूत्र की भुतसावरी टीका के आधार पर हिन्दी टीका लिखी गयी है। १४५ ते (ग) विषय नहीं है । ३५० प्रति सं० २ । पत्र सं० १०२ । ने० काल X | वे० सं० १३८ । झ भण्डार । ३०१ प्रति सं० ३ ० १६१ ० ० १७५२ चैत्र सुदी १२० सं० २०२ । ] भण्डर विशेष-लालसोट निवासी ईश्वरलाल अजमेरा ने प्रतिलिपि की थी। ३७२ प्रति सं० ४ पत्र सं० १९२ ० काल X ० ० ४४६ । भण्डार । ३७३ प्रति सं०५ ० १३० से० काल मं० १६९९ ० ० ११३८ । र । विशेषचैव धमीजाला ने ईसरदा में शिवनारायण जोशी से प्रतिनिधि करवायी । ४८० १२०८२ भाषा-हिन्दी २०६१ भण्डार ३७५ तस्यार्थसूत्र टीका - पं० राजमझ पत्र ०४ (विषयसिद्धान्त १० काल X ० काल पूर्ण वे० सं० 1 छोटीलाल जैसवाल पत्र २११६ ३७५ तत्वार्थसूत्र भाषा पथ विषय- सिद्धान्त 1र० काल सॅ० १६३२ 1 मासोज बुद्दी ८ । ले० काल सं० १९५२ आसोज सुदी ३ पू ० सं० २४४ । भण्डार । I विशेष- मथुराप्रसाद ने प्रतिलिपि की छोटीलाल के पिता का नाम मोतीलाल था यह मनीगढ़ जिला के मंत्र ग्राम के रहने वाले थे। टीका हिन्दी पद्य में है जो अत्यन्त सरल है । ३७६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २० । ले० काल X १० सं० २६७ | भण्डार । भार ३७७. प्रति सं० ३ ० १७ ले काल X [सं० २६८ ३७८ तस्वार्थसूत्र भाषा – शिखरच चिव-सिद्धान्त १० काल सं० २०६६० काल सं० १९५३ पूर्मा ० पत्र सं० २७० १०३४७ इव भागा-हिन्दी पथ ० २४८ क भण्डार पत्र सं० ६४ श्र० १२७ । भाषा हिन्दी विषय-विद्वान २० काल | ले० काल X पूर्ण । ० सं ० ४३९ | ३७६. तवार्थसूत्र भाषा ३८० प्रति सं० २ । पत्र सं० २ से ४६ । ले० काल सं० १८५० वैशख बुदी १३ । प्रपूर्ण सं ६७ । व भण्डार | ३५१ प्रति सं० ३ पत्र सं० १६ ० का ० ३ भण्डार विशेष— द्वितीय अध्याय तक है। ३२. प्रति सं० ४१ प ० ३२ | ले० काल सं १९४१ फागुरा बुदी १४० सं०६६ । भण्डार ३३. प्रति सं० ५ पत्र सं० ६ ० X ३० सं० ४१ गा ३८४ प्रति सं ६ | पत्र ० ४६० मे २०१३ | ले० काल सं० । अपू० सं० २६४ भण्डार | Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] ३८५. प्रति सं० । पत्र सं० ८० | २० काल-x। ले. काल सं० १९१७ । ने० सं०५७१ । बभण्डार। विशेष-हिन्दी टिप्पण सहित । ३८६, प्रति सं०८ पत्र सं० ५३ । ले. काल ४ | . सं० ५७४ । च भण्डार । विगेष-पं. सदासुखजी की वनिका के अनुसार भाषा की गई है। ३८७. प्रति सं० । पत्र सं० ३२१ ले काल X । वे० सं० ५७५ । च भण्डार । ३८८. प्रति सं० १० । पत्र सं० २३ । ले. काल ४ ० सं० १५५ । छ भण्डार। ३८६तत्त्वार्थसूत्र भाषा....."।। पत्र सं० ३३ । मा० १०४ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयसिद्धान्त । र० काल X । ले काल X । अपूर्ण । वे० सं० ८८६ | विशेष-१५वां तथा ३३ से मागे यत्र नहीं है । ३०. तस्वार्थसूत्र भाषा..........." | पत्र सं० ६० से १.८ । प्रा० ११४४. इन । भाषा-४ । हिन्दी । र कास XI ले. काल सं० १७१६ । भपूर्ण । वे० सं० २०८१ । अ भण्डार । प्रशस्ति-संवत् १७१६ मिति थावण सुदी १३ पातिसाह औरंगसाहि राज्य प्रवर्त्तमाने इदं सत्त्वार्थ शास्त्र सुजामात्मेक अन्य जन मोधाय विदुषा जयवंता कृतं साह जगन"... "पढनार्थ बालाबोध वचनिका ता। किमयं सूत्राणा। मूलसूत्र अतीव गंभीरतर प्रवर्तत तस्य अर्थ केनापि न प्रवबुध्यते । इदं वचनिका दीपमालिका कृता कश्चित भव्य इमां पठति शानो-धोतं भविष्यसि । लिखापितं साह विहारीदास खाजानची सावडावासी आमेर का कर्मक्षय निमित्त लिखाई साह भाला, गोधा की सहाय से लिखी है राजश्री जैसिंहपुरामध्ये लिखी जिहानाबाद । ३६१. प्रति सं०२ । पत्र सं० २६ । ल० कान सं० १८६० । वे० सं० ७० १ ख भण्डार। विशेष-हिन्दी में टिप्पण रूप मे यर्थ दिया है। ३६२. प्रति सं०३ । पत्र सं० ४२ । र काल ले. काल सं० १६०२ पासोज बुढी १० । वेल सं: १६८ । म भण्डार। विशेष-टब्या टीका सहित है। हीरालाल कासलीवाल फागी वाले ने विजयरामजी पांड्या के मन्दिर के वास्ते प्रतिलिपि की थी। ३६३. त्रिभंगीसार-नेमिचन्द्राचार्य । पत्र सं० ६६ । प्रा०६:४४, इच। भाषा-प्राकृत । विषयसिद्धांत । र० काल X काल सं० १८५० सावन सुदी ११ । पूर्ण । वे० सं० ७४ । ख मण्डार । विशेष-लालचन्द टोया ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की। ३६४. प्रति सं०२ पत्र सं० ५.८ | ले. काल सं० १९१६ । अपूर्ण । वे० सं० १४६ | च भण्डार। विशेषजौहरीलालजी गोधा ने प्रतिलिपि की । ३५. प्रति सं०३ । पत्र सं. ६६ । ले. काल सं० १८७६ कार्तिक सुदी ४ । ० सं० २४ । म भण्डार । विशेष-भ० क्षेमकीति के शिष्य गोवर्द्धन ने प्रतिलिपि की थी। Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ सिद्धान्त एवं चर्श ३६६. त्रिभंगीसार टीका-विवेकनन्दि । पत्र म०४८ मा १२४५६ इन। भाषा-संस्कृत । विषमसिद्धान्त 1 र. काल X 1 ले. काल मं० १८२४ । पूर्गा । ये० सं० २८० | क भण्डार । विशेष-पं. महाचन्द्र ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। २०७. 11 : । ले. काल x ० सं० २८१ । के भण्डार 1 ३६८. प्रनि सं. ३ | पत्र सं० १६ से ६५ । ले. काल । अपूर्ण । वे० सं० २६३ । छ भण्डार । ३६६ दशकालिकसूत्र... | पत्र मं० १८ । प्रा० १०६x४, इव | भाषा-प्रावृत । विषय--ग्राम र काल X1 ले० काल । अपूर्ण । २० सं० २२५१ । अ भण्डार । ४००. दशकालिकसूत्र टीका"......... ! पत्र सं० १ ये ४२ । प्रा० १०६४४ इश्च । भाषा भंस्कृत । विषय-आगम । र० काल XI ले० काल X । अपूर्ण । वे० मं० १०६ । छ भण्डार । । ४-१. द्रव्यसंग्रहनेमिचन्द्राचार्य । पत्र सं० ६ । प्रा० ११४.४ इञ्च । भाषा-प्रावृत्त । १.७ कान , । .. ल. काल सं० १६३५ माघ सुदो १० । पूर्ण। वे सं० १८५ । अ भण्डार । प्रशस्ति-संवत् १६३५ वर्षके माघ मासे शुक्लपक्षे १० तिथौ । ४०२. प्रति सं०२। पत्र सं०१२ | ले. काल बै० सं० २६ । श्र भण्डार । ४०३. प्रति सं०३1 पत्र मं० ४ । नेक बाल सं० १८४१ ग्रामोज बुदी १३ ।व. २० १३१० 1 अ भण्डार ४०४. प्रति सं०४ । पत्र संभ से है । ले• काल । अपूर्ण । वे० सं० १०२५ । अ भण्डार । विशेष-व्या टीका सहित । ४०५. प्रति सं०५। पत्र सं०६। ले० काल XI ० म० २६२ श्र भण्डार । ४०६. प्रति सं०६। पत्र सं० ११ । ले० काल सं० १५२२ । वे मं० ३१२ । क भण्डार । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित । ४०५, प्रति सं०७। पत्र सं० १० । ले० काल सं० १८१६ भादवा मुदी ३ । पै० म० ३१३ । क भण्डार ४८, प्रति सं०८ । पत्र सं. 1 ले० काल सं० १८१५ पौष सुदी १० । ० सं० ३१४ । क भण्डार । ४०१प्रति सं । पत्र सं०६ । ले. काल सं० १४ श्रावण बुदि १० सं० ३१५ क मण्डार ।। विशेष-संक्षिप्त संस्कृत टीका सहित । ४१०. प्रति सं०१०। पत्र सं०१३ । ले. काल सं० १.१७ ज्येष्ठ बुदी १२० सं. ३१५ । क भण्डार । ४११. प्रति सं०११। पत्र सं०६।ले. काल x .म. १६ । क भण्डार । ५१२. प्रति सं०१२। पक सं०७। ले. काल x 1 बे० सं० ३११। क भण्डार । वियोष-गाथामों के नीचे संस्कृत में छाया दी हुई है ।। ४१३. प्रति सं०१३ । पत्र सं० ११ । ले० काल सं० १७८६ ज्येष्ठ बुदी = | वे ०६६ । ख भण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हये हैं। टोंक में पार्श्वनाथ चैत्यालय में गरसी के जिम्म पैमराज के पठनार्थ प्रतिलिपिहई। Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त चयों ] [ ३३ ४१४. प्रति मंः १४ । पत्र सं० १२ । ले० काल सं० १.११ । वे मं० २६५ | ख भण्डार । ४१५. प्रति सं०१५। पत्र सं. ११ । ले. कालरा ये सं. ४ । घभण्डार । विशेष- मं:कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं। ४१६. प्रति सं०१६ | पद सं० २८ । ले० काल X । अपूर्ण | वे मं०४२ । भण्डार । ४१७. प्रति सं०१७ । पत्र में ३ | नेकालx० सं० ४३ | व भण्डार। विशेष-हिन्दी टया टीका सहित है । ११८. प्रति स:१८ । पत्र सं. ५। ले. काल XI वैस सं० ३१२ । भण्डार । विमोष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हैं। ४१६. प्रति सं०१६ । पत्र मं०७ । ले. काल 1 वै० म० ३१३ । कु भण्डार । १२०. प्रति सं०२० | पत्र सं. . काल XI. सं. ३१४ भण्डार । ४२१. प्रति सं०२५। पत्र सं. ३५ । ले. कालX | वे सं० ३१६। ह भण्डार । विशेष-संस्कृत और हिन्दी अर्थ सहित है। ४. प्रति सं.०२। पत्र में लेकालXI. सं० १६७ । चभण्डार । विपोष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हैं। ४२३. प्रति सं०२३। पत्र सं० ५। ले० काल X1. स. १६६ । च भण्डार । ४२४. प्रति सं० २४ । पत्र सं० १५ । ले० काल सं० १८६६ द्वित प्रापाढ़ सु२ । ३० गं० १२२ । छ भण्डार। विशेष-हिन्दी में वालावबोध टीका सहित है । पं. चतुमज ने नागपुर नाम में प्रतिलिपि की थी। ४२५. प्रति सं० २५ । पत्र सं०४ । ले० काल सं० १७८२ भादत्रा बुदी । सं ११२ । छ भण्डार । विशेष--हिन्दी टवा टीका सहित है। ऋपभमेन खतरगच्छ ने प्रतिलिपि की थी। ४०६. प्रति सं०२६ । पत्र सं०१३। ले० कालXI वे सं.१०६ ज भण्डार । विशेष-टव्वा टीका सहित है। ४२७. प्रति सं० २७ । पत्र मं० ४ । ले० काल X| ०० १२७ । भण्डार | ४२८. प्रति सं०२% | पत्र सं० १२ । लेस कालX । वे० सं० २०६ । का भण्डार । विशेष-हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। ४२६. प्रति सं० २६ । पत्र मं० १० । ले० काल वे नं. २६४ । । भगटार । ४३०. प्रति सं०३० । पत्र सं०.७ । लेक काल XI वे सं० २७५ । ब भण्डार । ४३१. प्रति सं०३१ । पत्र सं० २१ । ले. काल x व० म० ३७८ । । भण्डार । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है। ४३२. प्रति सं०३२। पत्र सं०१०। लेकाल सं० १७५५, पौष मुदी ३। ० सं०६४ । त्र भण्डार। Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ सिद्धान्त एवं चर्चा . बिशेष—प्रति टवा टीका सहित है । सीलोर नगर में पार्श्वनाथ चैत्यालय में भूलसंघ के अंवावती पट्ट के अनारक जगतकीति तथा उनके पट्र में भ० देवेन्द्रकीत्ति के प्राम्नाय के शिप्य मनोहर ने प्रतिलिपि की थी। ४३३. प्रति सं०३३ पत्र सं० १५ । ले. काल | वे० सं० ४६५ । बभण्डार । विशेष-३ पत्र तक द्रव्य संग्रह है जिसके प्रथम २ पत्रों में टीका भी है। इसके बाव 'सजनयिसबस्नभ' मस्तिषेपामार्य कृत दिया हुआ है। ४३५. प्रति सं०३४१ पत्र सं० ५। लव काल सं०११२२ । वे सं. १९४१ ।ट भण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं। ४३५. प्रति सं०३५ । पत्र सं० २ से ६ । ले. काल सं० १७८४ । अपूर्मा । ३. सं. १५४५ । ट भण्डार1 विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। ४३६. द्रव्यसंग्रहवृत्ति-प्रभाचन्द्र । पत्र सं. ११ । प्रा० ११:४५६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धान्त । २० काल ४ ले० काल सं. १८२२ मंगसिर बुदीह। पूर्ण । वे० सं० १०५३ । अ भण्डार । विशेष-महानन्द ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। ४३७. प्रति सं० २ । पत्र सं० २५ । ले० काल सं १९५६ पौष सुदी ३ । वै० सं० ३१७ । क भण्डार । ४३८. प्रति सं०३। पत्र सं० २ से ३२ । ले. काल सं० १७३..। अपूर्ण । दे० सं० ३१७ । भण्डार विशेष प्राचार्य कनककीति ने फागपुर में प्रतिलिपि की थी। ४३६. प्रति सं०४। पत्र सं० २५ । ले. काल सं १७१४ द्विः पावरण बुदी ११ । ० सं० १६८। च भण्डार। विशेष--यह प्रति जोधराज गौदीका के पनार्थ रूपसी भांवसा जाबनेर वालों ने सांगानर में लिखी । ४४. व्यसंग्रवृत्ति ब्रह्मदेव । पत्र सं० १०८ । प्रा० ११४५ इंछ । भाषा- संस्कृस । विषय-- सिद्धान्त । र० काल । ले. काल सं० १६३५ पासीज बुदी १० । पूर्ण । ये० सं०६:। विशेश- इस ग्रन्ध की प्रतिलिपि राजाधिराज भगतदास विजयराज मानसिंह के शासनकाल में मालपुरा में श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालय में हुई थी। प्रशस्ति-शुक्लादिपक्षे नवमदिने पुष्गनक्षः सोमवासरे संवत् १६३५ वर्षे आसोज मदि १- शुभ दिने राजाधिराज भगवंतदास बिजमराज मानसिंघ राज्य प्रवर्तमाने माल्हपुर वास्तव्ये श्री चंद्रप्रभनाथ चैत्यालये श्री मूलाचे नशाम्माये बल र कारगरणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुदकुदाचार्यान्वये भ० श्रीपयनंदिदेवास्तत्पट्ट भ० श्री शुभचन्त्र देशातल्लो भा श्री जिनचन्द्र देवास्तत्पट्ट मंश्री प्रभाचन्द्र देवास्तत्सिल्य मं० श्री धर्मचन्द्रदेवास्तत्सिय मं• श्री नलितकीतिदवारतसिप्य मं श्री चन्द्रकीत्ति देवास्तदाम्नाए खंडेलबालान्वये मंगवालगावे सा. नानिम द्वि. पदारथा। मा. नानिग भार्या नायकदे तत्त्व सा. खामा तद्भार्या हूँ । प्र. म्वमिसिरि । हरमद तत्पुत्र कमा तद्भार्या करणाद। वि. सा. पदारथ तद भार्या पिदिम तत्पुत्र सा. गोद तद्भार्या मारादे तत्पुवापंच प्र. वीका, द्वि नराइण, तृ. उदा, जर्थ विरम ६. दसरथ । प्र. विका भार्या विक्रम दे एतेषां सा, कमा इदं सास्त्र लिख्याप्य प्राचार्य श्री सिंघनंदए घटापितं । Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2 सिद्धान्त एवं चर्चा ] भण्डार । भण्डार । ४४१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४० | ले० काल X ४४२ प्रति सं० ३ ० सं० १२४ | अ भण्डार | । पत्र सं० ७८ ले० काल सं० १०१० कार्तिक बुदी १३ १ ० सं ३२३ । क ४४३. प्रति सं० ४ ४४४. प्रति सं० ५। पत्र सं० १४६ । ले० काल सं० ०६० काल सं० १५०० | वे० सं० ४४ । छ भण्डार । १७८४ अषाढ बुदी ११ । ० स० १११ । छ ४४५. द्रव्यसंग्रहीका ० काल सं० १७३१ माघ बुदी १३ | ० सं० ५१०१ व भण्डार । स्वात्मायें । [ ३५ " पत्र सं० ५८ । प्रा० १०४४२ इ । भाषा-संस्कृत । १० काल X विशेष — टीका के प्रारम्भ में लिखा है कि प्रा० नेमिचन्द्र ने मालवदेश की धारा नगरी में भोजदेव के शासनकाल में श्रीपाल मंडलेश्वर के प्रथम नाम नगर में सोमा नामक श्रावक के लिए द्रव्य संग्रह की रचना की थी । ००८५८ अ भण्डार । ४४६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २५ | ले० काल X अ विशेष-- टीका का नाम वृहद् द्रव्य संग्रह टीका है । ४४७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २६ | ले० काल सं० १७७८ पौष सुदी ११ । वे० सं० २६५ | अ भण्डार । ४४५, प्रति सं०४ | पत्र सं० २६ । ले० काल सं० १६७० भादवा सुदी ५ । ० विशेष --- नागपुर निवासी खंडेलवाल जातीय सेठी गोत्र वाले सा ऊदा की मार्या पन में प्रतिलिपि कराकर बढाया । सं० ८५ । ख भंडार | दलदे ने पल्य व्रताया ४४६ प्रति सं० ६६ । ले० का० सं० १६०० चैत्र बुदी १३ । वे० सं० ४५ । घ भण्डार । " पत्र सं० ११ । ० १०३x४३ इ । भाषा - हिन्दी । विषय ४५० द्रव्यसंग्रह भाषा सिद्धान्त । २० काल x । ले० काल सं० १७७९ सावरा बुदी १३ । पूर्ण । ० सं० ८६ । विशेष --- हिन्दी में निम्न प्रकार अर्थ दिवा हुआ है । गाथा - दव - संगहमिसां मुसिराहा दोस-संचयचुदा सुदपुष्पा । सोपर्यंतु तमुत्तधरे लेमिचंद मुखिया भणिय जं ॥ अर्थ - भो मुनि नाथ ! भो पंडित कैसे हाँ तुम्ह दोष संचय नुति दोषनि के जु संचय कहिये समूह तिनते जु रहित हो | मया नेमिचंद्र मुनिना भरिणतं । यत् द्रव्य संग्रह इमं प्रत्यक्षी भूत में हो नेमिचंद मुनि तिन जु क सहु द्रव्य संग्रह शास्त्र | ताहि सोधयंतु । सौ धौ हूँ कि किसी हूं। तनु सुप्त धरेण तन कहिये धोरों सौ सूत्र कहिये । सिद्धांत ताक हु धारक ह्यो । अन्य शास्त्र करि संयुक्त ही जु नेमिचंद्र मुनि तेन को जुद्रव्य संग्रह शास्त्र ताकी भो. पंडित सोधी । अ भण्डार | इति श्री नेमिचंद्राचार्य विरचितं दृध्य संग्रह बालबोध संपूर्ण । संवत् १७७१ शाके १६३६ प्र० श्रावण मास कृणोतुयोदश्यां १३ बुधवासरे लिप्यकृतं विद्याधरे ४५१ प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ । ले० काल ४ । सं० २६३ । श्र भण्डार Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ ] [ सिद्धांत एवं चर्चा ४५२ प्रति सं.३। पत्र मं. २ मे १६ । ले० काल सं० १८३५ ज्येष्ठ सुदी । ये० सं०७७४ । अ भण्डार। है। विशेष—हिन्दो मामान्य है। ४५३. प्रति मं८४ पत्रमः ४% | R० काल सं १८१४ मंगगिर बुदी ६ । वेसः ३६३।श्र भण्डार विशेष- घ श्री रामचन्द्र की टीका के प्राधार पर भाषा रचना की गई है। ४५४. प्रति सं०५। पत्र नं० २३ । लेकाल' मं० १५५७ पासोज सूदी - 110 सं० १८ । भण्डार ४५५. प्रति सं०६। पत्र मं० २० । लेकालx० गं० ४४ । ग माहार । १५६. प्रति सं०७ । पत्र सं० २७ । ले. काल सं० १७४३ श्रावण युदी १३ । वे. म १११ । छ भण्डार। प्रारम्भ- बालानामुपकाराय रामचन्द्ररण सभाषया । द्रव्यसंग्रहशास्त्रस्य व्याख्यानेशो वितन्यते ।।१।। ४५६. द्रव्यसंग्रह भाषा--पर्वतधर्मार्थी । पत्र में० १९ । मा० १३४५३ च । भाषा-गृजराती। लिपि हिन्दी । बिषय-छह श्यों का सामा० काले कारनाम।। ० सं० २१/२६२ छ भण्डार । ४५८. द्रव्यसंग्रह भाषा-पन्नालाल चौधरी। पत्र सं० १६ । प्रा० ५१६ च । भाषा-हिन्दो । विषय-छह द्रव्यों का वर्णन । र० बाल ले. काल पूर्ण । ० ४२ च भण्डार । ४५. द्रव्यसग्रह भाषा-'जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० ३१ । प्रा० १११४५: इच । भाषा-हिनी गद्य । विषय-ग्रह द्रव्यों का वर्णन। र० काल मं० १८८३ सावन बृदि १४ । ले० काल XI पूर्ण । वै० म० १.१२ । अ भण्डार। ४६०, प्रति सं०२। पत्र सं० ३९ । लेक काल मं० १०६३ सावरण वुदी १४ । वे मं. ३२१ । क भण्डार। * १६१. प्रति सं३ । पत्र सं० ५.१ । ले. वाल ० सं० ३१८ । क भण्डार । ४६२. प्रति सं०४। पत्र सं४३ । ले. काल मं. १८६३ सं० १९५% | र भण्डार। विशेष—पत्र ४२ वो आगे द्रव्यसंग्रह पथ में है लेकिन वह अपूर्ग है । ४६२. द्रव्यसंग्रह भाषा-जयचन्द छाबडा । पत्र सं० ५। माः १२४५ इष्ट । भाषा हिन्दी (पद्य) बिययन्नाह द्रव्यों का वर्णन । २० काल X।ले. वाल X । पूर्ण । वै. सं. ३२२ क भण्डार । ५६३. प्रति सं० २ । पत्र सं०७।ले. काल सं० १९३६। वे मं० ३१८ | 5 भण्डार । ४६४. प्रति सं०३। पत्र सं० ३० । ले. काल सं० १९३३ । वे. मं० ३१६ 1 ए भण्डार । विशेष—हिन्दी गद्य में भी अर्थ दिया हमा है। ४६५. प्रति सं०४ पत्र सं. ५। ले। काल सं १८७६ कातिक बुयी १४ । ३० म. ५६१। च भण्डार। विशेष- सदासुस्त्र कामलीवाल ने जयपुर में प्रतिलिपि की है। Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा! १६६. प्रति मं०५ | पत्र सं• ४७।२० काल ४ । वे० गं० १६४ । म भण्डार । विशेष-हिन्दी गद्य में भी अर्थ दिया गया है। ४६७. प्रति सं०६ । गथ मं० ३७ | ले. काल / वे० से०२४० । म भण्डार । ४६. द्रव्यसंग्रह भाषा-बाबा दुलीचन्द । पत्र सं०३८ । प्रा० ११.५ इन्च । भाषा-हिन्दी गछ । दिप-- नन्ह द्रव्यों का वर्णन । र० कान में० १६६६ प्रामाज सुदी १० । ने. काल X । पूर्ण । वे० म. ३२० । के भण्डार | विशेष—जयचन्द सावदा को हिन्दी टीका के अनुसार बावा दुलीचन्द ने इसकी दिल्ली में भाषा नवा श्री । १६६. द्रव्यस्वरूप वर्णन ! पत्र गं० ६ मे १६ नक। प्राः १२४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-ग्रह अन्यों का लक्षण वर्णन । र. काल ४ । ले० काल मं० १६.५ गायन बुदी १२ । अपूर्गा । 2. सं० २११७ । ८ भंगा। ५७०. चल......." | पत्र मं० २८ । प्रा० १३४८ छ। भाषा-प्राकृत । विषय-जैनागम । 70 काल ले , वाल - | अपूर्ण । ३० मं० ३५.० । के भण्डार । ४७१. प्रति सं० २! पत्र मं० १ से १८ । ने. काल :: । अपूर्ण । वे.. 40:५१ । के भण्डार । विशेष-संस्थान में सामान्य टीका भी दी हुई है। ७२. प्रति मं.३ पत्र सं० १२। ले० कालx० मा २५२ । क भवद्वार। ::७३, नन्दीसूत्र........ | पन म । प्रा० १२४४६ इंच । भाषा--प्राकृन । विषय-प्रागम।:कान //ले. काल मं० १५६० । वे.. मं० १८४८ । र भण्डार । प्रशस्ति-० १५६७ वर्ष श्री खरतरगच्छ यि जयराज्ये श्री जिनचन्द्र मूरि पं. नयममुद्रगगि मामा दा? नम्म् शिष्य वी. गुणलाभ गरिणभि निलेखि । ४७४. नवतत्त्वगाथा........| पत्र सं० । मा० ११.६ २७। भाना-प्राकृन । विषय- नन्दी का वर्गान । र. काल ले. काल गं. १८१३ मंगसिर बुदी १४ । पुर्ण । विशेष-पं. महानन्द्र के पठनार्य प्रतिलिपि की गयी थी। 2.७५. प्रति सं. २। पर सं० १० । २० काल सं० १८२३ । पूर्ण । • १०५० । अ भण्डार । त्रिशष-हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है। ४४६. प्रति सं०३। पत्र मे० ३ से ५ । ले० काल - | अपूर्ण । वे म.१७ । च भण्डार । विधोप-हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है। ४७७. नवतत्त्व प्रकरण-लक्ष्मीवल्लभ । पत्र सं० १४ । प्रा०६३-४ इन् । भाषा-हिन्दी । विषयतत्वों का वर्णन। र० काल सं. १७४न काल सं० १८. ० सं० । भण्डार । विशेष-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है। राघवचन्द शक्तावत ने शक्तिमिह के मासनकाल में प्रतिलिपि को । Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ ] [ सिद्धान्त एवं चर्चा १८. नवतत्त्ववर्णन.........."| पत्र सं० ५। पा. ८३४४६ च । भाषा हिन्दी । विषय-जीव प्रजोक प्रादि । तत्त्वों का वर्णन । र० काल लेकाल X । पूर्ण । ३० सं० ६०१ । म भण्डार । विशेष—जीव अजीव, पुण्य पाप, तथा प्राधव तत्व का ही वर्णन है। ४७६. नवतत्त्व बचनिका-पन्नालाल चौधरी | पत्र सं५ | . १२.४५६ भाषा हिन्दी । विषय- तत्वों का वर्णन · काल सं. १९६४ सापक जी ।। : । पूर्ग। वे मं.. ३६४ । र भण्डार। ४८०. नवतत्त्वविचार..."। पत्र सं. ६ में २४ । मा ६x४ इश्व | भाषा हिन्दी । विषय-६ तत्वों का वर्णन । २० काल XI ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० २५६ । न भण्डार । ४८१. निजस्मृति--जयतिलक। पत्र मं. ५ में १३ । प्रा० १०५.४ इन। भाषा संस्कृत । त्रियसिद्धान्त । २० काल' X । ले० काल । अपूर्ण । ३. सं. २३१ । ट भण्डार । विशेष-अन्तिम परिपका इत्यागमिकाचार्यश्रीजयतिलकरचितं निजस्मृत्ये बंध-स्वामित्वाख्यं प्रकरगामतचतुर्थः। संपूयं ग्रन्थः । ग्रन्थाग्रन्थ ५६. प्रमाणं । केतरांतरां थी तपागच्छीय डित रत्नाकर पंडित श्री श्री श्री १०८ श्री श्री श्री सौभाग्यविजयगणितरिय मु. सिंघविजयेन । पं. धन्नालाल ऋषभचन्द की पुस्तक है। ८२. नियमसार--श्रा० कुन्दकुन्द । पत्र सं०१० । यात १०:४रश्च । भाषा-प्राकृत । बिषय-- सिद्धांत । र काल Xले. काल XI पूर्ण । व० सं०५३। घ भण्डार । विशेष प्रति संस्कृत टीका सह्नित है। ४८३. नियमसार टीका--पद्मप्रभमलधारिदेव | पत्र सं. २२२ । यात १२९४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-सिद्धान्त । १० काल X । ० काल मं० १६३८ माघ बुदी है। पूर्ण । ३० सं० ३८० । क भण्डार । ४८४. प्रति सं०२ । पय ८७ । ले० काल सं० १८६६ । ये. सं. ३७१ । भण्डार । ४५. निरयावलीसूत्र...".....' । पत्र सं १३ से ३६ । आ. १.४ इञ्च । भाषा--प्राकृत । विषयपागम । २. कान XI ले. काल ४ । अपूर्ण । व. सं. १८६ । घ भण्डार । ४८६. पञ्चपरावर्तन ........."। पत्र सं० ३ । प्रा० ११४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र... कार । लेख काल X । पूर्ण । वैर सं० १८३८ । अ भटार । विशेष जीवों के द्रव्य क्षेत्र प्रादि पचपरिवर्तनों का वर्णन है । ४८७ प्रति सं०२ पत्र मं.७।ले. काल । ३० ४१३ । के भण्डार । ४८८. पश्वसंग्रह-यानेमिचन्द्र । पत्र सं० २६ से २४८ । प्रा० १२.९५६ इन । भाषा-प्राकृन संस्कृत विषयसिद्धान्त । र० काल | लेकाचा अपूर्ग । बैं: म.४.० । भण्डार । Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त राषं चर्चा ] [ ३६ ४८६. प्रति सं०२ । सं० १२ । ले. काल स० १६१२. कात्तिक दो ८ । के सं० १३८ । न्य भण्डार। विशेष-उबयपुर नगर में रत्नविरिण ने प्रतिलिपि की थी । कहीं कहीं हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। YO. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २०७ । ले. काल x० सं० ५०६ । । भण्डार । ४६१. पत्रसंग्रहवृसि-अभयचन्द । पत्र सं० १२० । प्रा० १२४६ ३४। भाषा-संस्कृत । विषासिद्धांत । २० काल । ले० काल X । अपूर्ण । बै० सं० १०८ | अ भण्डार । विशेष-मबम अधिकार तक पूर्ण । २४-२५का पत्र नवीन लिखा हुआ है। ४२. अलि सं०२।पत्र सं० १०६ से २५० । ले. काल X । अपूर्ण वि० सं० १०६ अ भण्डार । विप–षिल जीव काण्ड है। . ४६३. प्रति सं०३। पत्र सं० ४५२ से ११५ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ११० । अ भण्डार । विशेष-कर्मकाण्ड नवमां अधिकार तकः । वृत्ति-रचना पार्श्वनाथ मन्दिर चित्रकूट में साधु तांगा के सहयोग से की थी। १४. प्रति सं०४। पत्र सं० १८६ से ७६३ तक 1 ले. काल सं० १७२३ फागुन सुवा २। अपूर्ण । वे. सं०७८१ । म भण्डार । विशेष-वृन्द्रावती में पार्श्वनाथ मन्दिर में प्रौरंगशाह ( पोरंगजेब ) के शासनकाल में हाडा वंशोपन राक श्री भावसिंह के राज्यकाल में प्रतिलिपि हुई थी। ४६५. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४३० । ले० काल सं० १८६८ माघ बुदी २ । वे० सं० १२७ 1 क भन्दा ४६६. प्रति सं०६। में० ६२४ । ले. काल सं० १९५० वैशाख मुदी ३ । वे० सं० १३१ । क भण्डार ४६७. प्रति सं०७। पत्र सं. २ से २०६ । रे० काल 1 अपूर्ण ।ये. मं० १४७। भण्डार । बिपोष-बीच के कुछ पत्र भी नही है । ४EC. प्रति सं०। पत्र सं० ७४ से २१४ । ले० काल X । अपूर्ण । ये० सं० ८५ । च भण्डार । YEK. पंचसंग्रह टीका-अमितगनि ! पत्र सं० ११४ । प्रा० ११४५: इछ । भाषा संस्कृत । विजय-सिद्धान्त । र० काल सं० १०७३ ( शक)ले. काल सं० १८०७ । पूर्ण । वै० सं० २१४ । भण्डार। विशेष-ग्रन्थ संस्कृत गद्य और पत्र में लिखा हुआ है । ग्रन्धकार का परिचय निम्न प्रकार है। थीमाथुरारणामनमा तीनां संघोऽभवद वृत विमूषितानाम् । हारो मोपना मनतापहारी सूत्रानुसारी शशिरश्मि शुभ्रः ॥ १ ॥ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० ] [मिद्धांत एवं चची माधयमनयशोगशानीयः शुद्धसमोऽजनि तत्र जमीयः । भूयसि सत्यवतीय शशांकः श्रीमति सिंधूपतावनकः ॥ २॥ थिध्यस्तस्य महात्मनोऽमितगतिमोक्षार्थिनामग्रगी। रेसम्छास्त्रमशेषकर्मसमितिघ्रख्यापनापाकृत ॥ वीरस्येव जिनेष्वरस्य गरणभूमध्यीपकारोद्यतो। दूरिस्मरदंतिदारसाहरिः श्रीगौतमोऽनुत्तमः ।।३।। यदत्र सिद्धान्त विरोधिवद्ध ग्रा'निराकृत्यतदेतदायैः । गृह्ण ति लोका हा पकारियन्नाव निराकृत्य फलं पवित्र ।।४।। अनश्वर केवलमर्चनीयं यास्थिर तिष्ठसिमुक्तपको । सावध रायामिदमयमा म्यानभं कार्मनिरासकारि।। घिसमयधिकेन्दना सहसं शकविदिपः । ममूर्तिकापुरे जातमिदं शास्त्र मनोरमं ।।५।। दत्यमितगतिकृता नैणसार तपागच्छे । 100 प्रति सं०। पत्र . २१५ । . काल सं० १७९६ माघ बुदी १ । २. सं. १८७। अभा ५.१. प्रति सं०३1 पत्र सं० १९०१ लेक काल १७२४ । वे. मं० २१९ । अभण्डार । विशेष--जीर्ण प्रति है। ५०२. पञ्चसंग्रह टीका--- पथ म २५ । प्रा० १२४५: । भाषा-गरवृत । बिपय-मिदान । र. काल X । ले० काल । अपूर्ण । व० सं० २६६ । भण्डार । ५०३. पंचास्तिकाय-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र सं० ५३ । पाइन्छ । भाषा प्रवृत्त । विषत्रसिद्धान्त । र कालले. काल रो- १७०३ । पूर्ग । ० मं० १.३। अभण्डार। ५०१. प्रति सं० २। पत्र मं० ४३ । ल काल मं० १९४७ । वे. सं० ४०४ । भण्डार । ५.०५. प्रति मं०३ । 'पप सं० । ल• काल - । ये० २ ४०२ । क भण्डार । ५०६. प्रति सं०४ । पत्र ७ १३ । ने. काल म०१८६६ । के० सं० ४०३ । क भाडार । ५७. प्रति सं०५। पत्र म० ३२ . काल x1. सं. २ क भण्डार विशेष-द्वितीय स्कन्ध तक है। गाथायां पर टीका भी दी है। ५०८. प्रति सं०६। पत्र सं० १८ । जे काल . सं. १८७ ज भण्डार । ५६१. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ११ । ले. काय गं. १७२५ आषार युदो ५ । ३०म० १६६ । च भंडार | विशेष-बावती में प्रतिलिपि हा श्री। Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान एवं चर्चा ] लु भण्डार । १० प्रति सं०८०२५० काम० से १२६ क भण्डार । ४४१. पंचास्तिकाय टीका अमृतचन्द्र सूरि । पत्र सं० १२४ । प्रा० १२३७ ० १६३८ ० ० १४ पूर्ण ० ० ४०५ क भण्डार १२. प्रति सं० २ मंत्र मं० १०५ ० का ० १४०७ ५१३. प्रति सं० ३ ५१४. प्रति सं० ४ ५.१५. प्रति सं० ५ प्रशस्ति-पुरी वास्तव्ये मा सुन कुलभूयाद पत्र ०७२ ० नं० २०२ च भण्डार ० का ४ ० ० ० का ० १९५६० मं० २०३ च भण्डार ० ७५० काल सं० १५४१ कालिक बुदी १४ ५१5 पचास्तिकाय भाषा-पं० हीरानन्द विषय- गिद्धान्त २० काल मं० १७०० ज्येष्ठ सुदी भण् टेवाला सा. फहरी भार्या धमला तयोः पुत्रानुतस्य भाय तस्माद या हंसराज तस्य आता देवपति एवं पुस्तक पंचाग्निकायात्रिवि ०६३ ० ११/ विमल जिनेश्वर प्रामुपाय, मुनिसुव्रत कू सतगुरु सारद हिरदे धर्म बंघ उदय ० ६११ ०७१ काल X। पू । विशेष-जहानाबाद में आदर जहांगीर के समय में प्रतिलिपि हु ५१७. पचास्तिकाय भाषा-पांडे हेमराज पत्र मं० १७५ बा २१७ भाषा हिन्दी ग मित्रांत २० काल ले० काल X | पू 1 वे० मं० ४०६ । भण्डार । १८. प्रति सं० २०१३५० ५१६. प्रति सं० ३ ५२०. प्रति सं० ४ ५२१. प्रति सं० ५ ५.२२ प्रति सं० ६ सं० १२४७४० क भण्डार ० १४९० काल X ० [सं० ४०३ भण्डार पत्र मं० १५०० का ० ० १४४ | ० काल सं० १३६ । १० का १९५४ ० सं० १९३६ भाषा ० ५.२३. पञ्चास्तिकाय भाषा - बुधजन । प विपत्र- सिद्धांत । र० काल सं० १२० काल X1 भण्डार | १००० ४०२ । ० ६२२ च भण्डार । ११:५३ [ भाषा संस्कृत ४०७१ भण्डार मीस नवाय । मत्ता उच ॥ १ ॥ १२० । भण्डार ४ ० ० ६२१ ५२२. पुण्यतत्त्वचर्चा - पत्र मं० प्र १०३४२ ० का ० १८६१ | ० काल X | पूर्ण ० सं० २०४१ । भण्डार उदय सत्ता चौपई-श्रीलाल पत्र ०६०१२४६ विषय- मित्रान्त र काल सं० १०१ । ले० काल । ० सं० १९०४ । पूर्ण भण्डार । ५२५. विशेष प्रारम्भ। ४१ - भागा हो गय नापा संस्कृत विषय गिवान । नागा-हिन्दी प Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ ] अन्तिमबंध उ सत्ता बसा ग्रन्थ विभंगीसार काल जागा मू प्रमुद्ध सुधारमु नारण, बुद्धि में साहिब राम मुझकू बुध दई, नगर पचेवर मांही सही । मुझ उतपत दगी के माहि, नगरपवर माहिगयो, पादिना भोकर बखाए । १२ ॥ श्रावक कुल गंगवाल कहाहिं ।। १३ ।। पायति भयो, नैस्पचन्द के शिप्स म भयो । दर्शा दियां ॥ १४ ॥ शीतल जिनकू करि परिणाम स्वपर कारण से कई बखा ।। १४ ।! मंत्रा का कला, वासी उप उत सुरास प्रथ सम होय, तुभ्य बंध बुधि - ॥ १६ ॥ इति श्री उदे बंध सत्ता समझा ।। इससे आगे भीषीस ठाणा की चौपाई है प्रारम्भदेव धर्म गुरु ग्रन्थ पत्र बंदों मन वच काय पठानि परि ग्रन्थ की रचना कहूंगा 13 अन्तिम विधि जस गुणस्थान की रचना सार ह भूल चूक जो होय तो यदि मंगसिर कृष्ण की [सितम् एवं चर्चा निधार लावा नगर अभार । उगाहीसे ग्ररु पांच के साल जाय श्रीलाल ॥ ॥ इति सम्पूर्ण ५०६. भगवतीसूत्र-पत्र सं० २०० ११००५ ३ इच भागाप्राविषय-आगम १०८ पूर्ण वे० सं० २२०७ । भण्डार | २२७. भाषत्रिभंगी - नेमिवधार्यपत्र सं० २१० १९८५ भाष चित्र | काल X ० काल X। पूर्ण व सं० ५५६ के भण्डार विशेष-प्रथम पत्र दुबारा लिखा गया है। ४. प्रति सं०२ पत्र सं० ५४ १ ० का रूप से सन्य की प्रतिलिपि ५२६. भवदीपिका भाषा काल पूर्ण ५३०. मरणकरंडिका पत्र सं २६४४ ना विपि काले काल । पूर्णं । ० सं०६ 1 पत्र [सं० २०२७ भाषा हिन्दी वियसिद्धान्त । ०५६७ । भण्डार ० १८११ माघ गुदी ५० में की थी। Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ४३ वियांप-प्राचार्य शिनकोटि की प्राराधमा पर समिति का टिया है। ५३१. मागणा व गुणस्थान वर्णन- पन सं० ३-५५ । प्रा. १४.५ इञ्ज । भाषा प्राकृत । विषयरिजोस । १० काल Y. ने काल X । अपूर्ण । ३० सं० १७४२ 1 ट भण्डार । ५.३२. मार्गणा समास- पथ सं० ३ स १८ । प्रा० ११६.५५.८५ । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त इ. काट ले. काल : 1 अपूर्ण । वै० सं० २१४ट भण्डार । विशेष . संस्कृत टीका तथा हिन्दी अर्थ सहित है। ५३३, रायपसेणी सूम्र--| पत्र सं० १५.३ । प्रा० १.४४, इ । भाषा-प्राकृत । विपव-प्रामम । र • काल । ले. काल : प्रामोज मुठी १०।०० २०३२।दभार । विशेष----गुजराती मिश्रित हिन्दी टीका सहित है। समसागर के शिप्य लालसागर उनके शिष्य मकलसामर ने स्वपठनार्थ डीका की 1 गायानों के ऊपर छाया दी हुई है। ५३४. लब्धिसार नमिचन्द्राचार्य । पन सं० ५७ 1 प्राः १२.४५ इन्च । भाषा-प्राकृत । विषयगिजांत । २० काल X ।ले. काल : । अपूर्ण । ने. सं. ३२१ । च भण्डार । विशेष--५७ से प्रागे पत्र नहीं है । संस्कृत टीका सहित है । ५३५. प्रति सं• २ | पथ सं० ३६ । ले. काल x | अपूर्ण । वे० सं० ३२२ । य भण्डार । ५६६. प्रति सं०३। पत्र सं० १५ । से० कास सं०१८४६ । वे० सं० १९०० । भण्डार । ५.३७, लब्धिसार टीका-पत्र सं० १५७ । प्रा० १३४८ इञ्च । भाषा संस्कृन । विषय-सिद्धान्त । २" काल XI ले काल मं० १९५६ । पूर्ण । ० सं० ६३५ । क भण्डार । ५.३रू. लब्धिसार भाषा-५० टोडरमल । पत्र सं० १० । मा० १३४८ ४३ । भाषा-हिन्दी । तिपय-मसान । १० काल ४ ले. काल १६४९ । पूर्गा । वै० सं० १५६ क भण्डार । १३१. प्रति सं८२। पथ सं० १६३ | कालXI के.सं म भण्डार । ५४०. लघिसार क्षपणासार भाषा-- टोडरमल । पत्र में० १०. । प्रा० १५.६६ । भलाहिंदो गः । विषम-सिद्धान्त । र कान ४ । ० काल X । पूर्ण । बे० सं० १७६ । ग भण्डार । ५४१. लम्धिसार क्षपणासार संदृष्टि-पंटोडरमल । पत्र सं०४६ । पा० १४१५। भाषाहिन्दी । विषय-सिद्धास | २० काल सं० १५५६ चैत बुधी ५ । ये गं । ग भण्डार । विशेष-कालूराम साह ने प्रतिलिपि की थी। ५४२. लिपाकसूत्र- प० सं० २ से ३५ । प्रा० १२४४ इश्च । भाषा प्राकृत । विषय-पागम । १० काल । । ले काल ४ । अपूर्ण 1 व० सं० २१३१ । ट भण्डार । ४४. विशेषससात्रिभंगी-श्रा नेमिचन्द्र । पत्र मं० ६ । प्रा. ११४४ । भाषा-प्राक्त । विषय-सिद्धांत । २० काल xले काल X । पूर्ण । ३० सं० २४३ । अ भण्डार । Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ ] भण्डार | सिद्धान्त एवं चर्चा ५४४. प्रति सं० २०३ । कान मं ३४६ प्र भण्डार ५४५ प्रति सं० ३ | पत्र मं० ४७ | ले० काल मं० १००२ ग्रासोज बुद्दी १३ । अपूर्ण । ० ० ८५४। विशेष ३० से ३४ तक पत्र नहीं हैं। जयपुर में प्रतिलिपि हुई । ५४५ प्रति स० ४ । पत्र सं० २० । ० काल । अपूर्ण । ०६५ भण्डार। ही है। विशेष --- केवल प्राभव ५४७ प्रति सं० ४ । पत्र सं० २७३ | ० काल पुणे के मं० ७६० । अ मण्डार | विशेष दो तीन प्रतियों का सम्मिश्रण है । ५४८. पटलेश्या बनत्र १ । १४ । भाषा हिन्दी च । विषय सिद्धांत | २० काल है । ले० काल । पूर्ण वे० मं० १६० | अ भण्डार | विशेष-षट लेश्याओं पर दोहे हैं। ४६. पाधिक शतक टीका राजहंसोपाध्याय । पत्र मं० २१० १०५ संस्कृत | विषय - सिद्धांत २० काल मं० १५७६ भादवा ले० काल सं० १५७६ अगहन बुदी ६ पूर्ण १३५ । घ भण्डार । विशेप - प्रशस्ति निम्न प्रकार है। श्रीमज्जाभियोगो गीत्रावतंत्रिके, सुभावकशिरोरत्न देल्हाख्यों ममभूत्पुरा ।। १ ।। वजन - जलधिचन्द्रस्तत्तनूजो विद्रो विवुधकुमुदचन्द्रः सर्वविद्यासमुद्रः । जयति प्रकृतिभद्रः प्राज्यराज्ये समुद्रः, खल हरिणा हरीन्द्रों रायबन्द्रो महन्द्रः ॥ २ ॥ गजन्माजिनजैनभक्त परोपकारकाक्तः नदा सदाचारविचारविज्ञः मोहगराज मुकृतीकूलनः ॥ ३ ॥ श्रीमाल - भूपाल कुलप्रदीप ममेदिनी मल्ल पावतीयादमाधान तयूतुरन्यून गुणप्रधान ॥ ४ ॥ भार्याद्यगुरार्या कमाई पतिव्रता कमलेव हरेस्नस्य याम्यामांगे विराजते ।। ४. १ तत्पुषाद्यचंद्रास्ति भव्यश्चन्द्र इवापरः निर्भयो लिंक निकुरंगः कलानिधिः । नयनया नया विरचिता श्रीराजहंसाभिद्योपाध्यावै गनषष्टिकस्य विमलावृत्तिः शिघूना हिन्हा तंत्र मुनिषचंद्र सहिते मावाच्यमाना बुधे । मामे भाद्रपदे सिकंदरपुरे नंधारि भूतले ।। ७१ स्वच्द्रं ग्खरतरगच्छं श्रीमान दत्तरिनाने जिनतिलकर शिष्य श्रीहर्षातिल कोऽभून् ॥ = ॥ स्थेन कृतेयं पाठकमुख्येन राजमेन षष्यधिकदा प्रकटीका नंद्याच्चिरं मयां ॥ ६॥ इति यधिकशतप्रस्थ टीका कृतां श्री राजहंसांगाव्यायैः ॥ समयहंसन लि० ॥ संवत् १५७६ समये अनादि रविवासरे श्री मियादान लेखि | ५५० श्लोकवातिक-आ० विद्यानन्द । पत्र मं० सिद्धांत । १० काल ५ ० काल १८४४ श्रावग्ग बुदी ७ पूर्ण नापा पं० १२६५ श्र० २०७३ | भा० संस्कृत - ० [सं० ७०७ | क भण्डार ॥ H Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा [ ४५ निशेष—यह तस्वार्थसूत्र की वृहद टीका है पा चौधरी ने इसकी प्रतितिधि की थी। ग्रनोन में बंधा हुआ है। हिन्दी अर्थ सहित है । ५५२. प्रति सं० २०१० का भण्डार तत्त्वार्थमूत्र के प्रथम अध्याय की की टीम है। पूर्ण ५५२ प्रति सं० ३ | पत्र ५५३. संप्रहणी सूत्र''''''' ....... र० काल X | ले० काल ८ । । ० सं० २०२ भण्डार । विशेष ०८०० काल पत्र ३ मे २०१०४ ०६, ११, १६ से २०,२३२५ नहीं है। चित्र है। चित्र सुन्दर एवं दर्शनीय है । ४, २१ और २ पत्र को छोड़कर सभी पत्रों पर चित्र हैं। ५५४. प्रति सं० । पत्र सं० १० | ले० काल । ० मं० २३३ । छ भण्डार | ३११ गाथायें हैं । ५५४. संग्रहणी वालावबोध शिवनिधानगण पत्र सं० ७ से ५३ मा १०६४६ भाषामात-हिन्दी विषय श्रागम १० कन X ले० काल ३० सं० १००१ 1 भार । विशेष- प्रति प्राचीन है । ० ३७९ । च भण्डार । सं० ११५ । ल भण्डार । च भाषा प्राकृत विषय श्रागम। ५५६, सत्ताद्वार - पत्र सं ३ से ७ तक । श्र० ८३४६ । भाषा संस्कृत विषय- मिद्धांत ० काल X | ले० काल X | प्रपूर्ण । ० सं० ३६१ । च भण्डार | ५५७. सत्तात्रिमंगी - नेमिचन्द्राचार्यं । पत्र सं० २ ४० । ० १२:६ च । भाषा प्राकृत | विषय सिद्धान्त र कान X ० का ० ० १८४२ । भण्डार । ५५५. सर्वार्थसिद्धि पूज्यपाद पत्र [सं० ११०० १२००६ भाषा संस्कृत विषय-सिद्धांत | उच्च र० काल X | ले० काल सं० १८७६ । पूर्ण । ० सं० ११२ । भण्डार ५५६. प्रति सं० २ ० ३६६ ० काल सं० १९४४।००७६८ क भण्डार ५६०. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ० काल x 1 पू । ० सं० ८०७ | ङ भण्डार । ५६१. प्रति सं० ४० १२२० काल X ५६२. प्रति सं० ५ ० ७२० काल X ० ० ३७७ च भण्डार विशेष चतुर्थ प्रध्याव तक ही है। ५६३. प्रति सं० ६ १३ ब्रह्म नाथू ने भेंट में दिया था । ० ० ३७८ च भण्डार ०१-१३३, २००-२२० सं० १६२५ माघ मुदी ५० निम्नकाल और दिये गये हैं सं० १६९३ माघ शुक्ला ७-६ कालाडेरा में श्रीनारायण ने प्रतिलिपि की थी। सं १७१७ कात्तिक मुदी Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ ] [ सिद्धान्त एवं चर्चा ५६४. प्रति सं०७। पत्र सं १८२ । लेकाल X । वै० सं० ३८२ १ च भण्डार । ५६५. प्रति सं०८ ! पत्र रां० १५८ । ले. काल 1 ३० सं० ८४ : छ भण्डार । २६. प्रति शंका १३. . ० हाल ८८३ ज्येष्ठ बुदी २१ वे० सं० ८५। छ भनाः । ५६७. प्रति सं०१० । पत्र सं० २७४ । ले० काल सं० १७०४ वैवान्त त्रुन्दी है । वे० सं० २१६ । अ भण्डार। ५६८. सर्वार्थसिद्धि भाषा-जयचन्द छाबडा । पत्र सं.० ६४३ । प्रा० १३४०: इञ्च । भाषा हिन्दर विषय-सिद्धान्त । र० काल सं० १८६१ चैत मुदी ५ । ले. काल सं० १९२६ कात्तिक सुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० १६.६ क भण्डार । ५६६. प्रति सं०२। पत्र सं० ३१८ । ले० काल X। ० सं० २०८ । भण्डार। ५०० प्रति सं०३। पर सं० ४६७ । ले० काल सं० १९१७ । वे० सं०७०५ | च भण्डार । ५७१. प्रति सं०४। पत्र सं० २०० । ले. काल सं० १८८३ कात्तिक बुदी २ । बेल सं० १६७ । ज भण्डार। ५७२. सिद्धान्तअर्थसार-पं० रइधू । पत्र सं० १६ । पा. १३४६ उंच । भाषा अपभ्रश । विषयसिद्धान्त । २० काल - ले. काल सं० १९५६ । पूर्गा 1 वे० सं० ७६६ । फ भण्डार ।। विशेष—यह प्रति सं० १५६३ वाली प्रति से लिखी गई है। ५७३. प्रति सं०२ पत्र सं १६ । ल वालसं. १८६४ । वै० म०७४ । च भण्डार । चिशेष—यह प्रति भी सं० १५६३ वालो प्रति से ही लिखी गई है। ५७४. सिद्धान्तसार भाषा-पत्र सं० ७५। प्रा० १४४७३। भाषा हिन्दी । विषम-निदान । र. काल । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० ७१६ । च भण्डार । ५७५. सिद्धान्तलेशसंग्रह... | पत्र सं०६४ | Exञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-निद्धांत । र० काल X । ले. काल ४ । अपूर्ण | वे० सं० १४४८ । अ भण्डार । विशेष--वैदिक साहित्य है । दो प्रतियों का सम्मिश्रण है। ५७६. सिद्धान्तसार दीपक सकलकीर्ति । पत्र सं० २२२ । ग्रा० १२४५ रन । भाषा मान । विषय -गिद्धान्त । र० काल X! ले. काल पूर्ण | ने. सं. १६१ । ५७७. प्रति सं०२। पत्र सं० १८४ । ने० कार सं० १८२६ पौष बुदी । वे नं. १६८ : अभंडार विशेष-पं० बोलचन्द के शिष्य पं. किशनपास के वाचनार्थ प्रतिलिपि की गई थी। ५७८ प्रति सं० ३ । पत्र सं. १५५ । ले. काल सं० १७६२ । वे मा० १३२ । अ भण्डार । st. प्रति सं४। पत्र मुं० २३६ । ले० काल सं. १८३२ । वै. मं. २ क महार। विशेष –सन्तोषराम पाटनी ने प्रतिलिपि की थी। Y८० प्रति मं५। पत्र सं० १७% | ले. काल सं० १८१३ । शाव सुदी 10 - १२६ । च भण्डार. Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] भण्डार । विशेष माहजहानाबाद नगर में लाला शोभापति ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवाई थी। ५८१ प्रति सं० ६ । पत्र सं० १७३ | ले० काल सं० १८२० बैशाख ख़ुदी १२ । ० मं० २१२ | विशेष कही कहीं कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं। ५८२ प्रति सं० ७ ० ७५ १२४ ० काल २२३. सिद्धान्तसार दीपक पत्र [सं० ६ ० १२३ २० काल XX | ले काल X। पूर्ण । वे० सं० २२४ । ख भण्डार | विशेष – केवल ज्योतिलांक वर्शन वाला १४वां अधिकार है। ५४. प्रति सं० २०१०४ ० ० पूर्ण [ २७ ० ५२५ ख भण्डार ५८४ सिद्धान्तसार भाषा -- नथमल बिलाला । पत्र सं सिद्धान्त १० का ० १८८५ मे काल X पूर्व ० ० १२४ ५६६ प्रति सं० २१ पत्र सं० २५० | लेकाल४ । विशेष- रचनाकाल ''भण्डार की प्रति में है। ०२५२ भण्डार भाषा संस्कृत विषय सिद्धान्त । । श्र० १३३४५ च भाषा हिंदी भण्डार ५० कु भण्डार | ५७. सिद्धान्तसारसंग्रह-आ० नरेन्द्रदेव प ० १४० १२४ भाषा मं विषयसिद्धान् काल X ० का ० ० ११२५ अण्टार विशेष --- तृतीय अधिकार तक पूर्ण तथा चतुर्थ अधिकार है। १८८ प्रति सं० २ पत्र [सं० १०० । ० काम गं० २०६६।१०० १९४ | भष्टा ५८६ प्रति सं० ३ ० ५५ ० का ० १८२० मंसिर ८०० १५० भंडार विशेष पं० रामचन्द्र ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की थी। ५६०. सूत्रकृतांग । प० १५ से ५६० १०४२ भाषाप्रम २०० पू० मं० २३३ भण्डार विशेष प्रारम्भ के १५ पत्र नहीं है प्रति टीका सहित है बहुत से दीमक मन में सदायें हैं तथा ऊर दी टीका है। इति श्री Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2 विषय- धर्म एवं आचार शास्त्र ५६१. अाईसमूलगुणवर्णन पत्र सं० २ । ० १०३०५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय मुनिवर का पूर्ण वेष्टन मं० २०३० | अ भण्डार । ५.३२. अनगारधर्मामृत - पत्र आशाधर । पत्र मं० ३७७ ० ११३२.२ इच। भाषा संस्कृत । विषय- निधर्मवन । २० काल सं० १३००० काल सं० १७७७ माघ सुदी १ । पूर्ण | ० सं० २३१ 1 भण्डार 1 विशेष—प्रति स्वज्ञ टीका सहित है । बोली नगर में श्रीमहाराजा कुलसिहजी के शासनकाल में माही रामचन्द्रजी ने प्रतिलिपि करवायी थी । सं १८२६ में पं० सुखराम के शिष्य पं० केशव ने ग्रन्थका संशोधन किया था। २९ मे १६१ तक तीन पत्र है। का भण्डार । ० ५६३. प्रति सं० २ । १ ५.१.४. प्रति सं० ३ । पत्र मं० १२३ | लेकाल सं० १८ । न भण्डार | १७५] ले० काल मं० १६५३ कार्तिक सुदी ५० सं० १ ५६४. प्रति सं० ४ पत्र सं० ३७ का ४०० ४६७ । अ भण्डार | विशेष-प्रति प्राचीन है । पं० माधय ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की श्री । ग्रन्थ का दूसरा नाम 'धर्मामृतमुक्ति संग्रह भी है। ५६६. अनुभवप्रकाश - दीपचन्द कासलीवाल | पत्र सं० ४४० | आकार १२५५३ इञ्च । भाषा - हिंदी (राजस्थानी ) गद्य । विषय-धर्म । ० काल सं० १७८१ पीप बुदी ५ ले काल सं० १८१४ | अपूर्णा मं १ 1 भण्डार । I ४६७ प्रति सं० २ | पत्र सं० २ मे ७४ । ले० काल । अपू । ० सं० २१ । भण्डार ५६. अनुभवानन्द ---| पत्र सं० ५६ । धा०१३३४९ उच्च | भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय - धर्म । र० कान X / ० काल पूर्ण ० ० १३ | कु भण्डार | अमृतधर्मे रकान्य-गुणचन्द्रदेव । पत्र सं ६ ये ६६ । प्रा० १०६x४३ भाषा-संस्कृत | विषय - श्राचारशास्त्र | २० काल X। ले० काल सं० १६५ पौष सुदी १ । अपू । ० मं० २३४ । ञ भण्डार । विशेष – प्रारम्भ के दो पत्र नहीं हैं । अन्तिम पुष्पिकाः- इति श्री गुगाचाद्रदेव विरचित श्रमृतधर्म र काव्य व्यावर्णनं श्रावकव्रतनिरूाां चतुविदाति प्रकार मंपू । प्रशस्ति निम्न प्रकार है- पट्ट श्री कुंदकुंदाचार्य तर श्री सहस्रकांति तत्पट्ट त्रिभुवनको तिदेव भट्टारक पट्ट श्री पद्मनंदिदेव भट्टारक श्री जसकांतिदेव श्री किनिदेव श्री गुरनकीलित श्री ५ युगान्द्रदेव भट्टाएक Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र 1 [ ४६. १६८५ वर्षे वैरागरामे चौधरी चन्द्र बिरनि महाग्रन्थ कर्मक्षवार्थ लोहसुन पंडित श्री सावलदास पठनार्थं । अन्तिममा प्रकाशन धर्मउपदेशकनार्थ | त्यामागे यसरि दिन १ शुक्रवारे निज जगमनि परसरामु संमराज भ्राता गंज महामित्र ६००. आगमविलास - धानतशय पत्र मं० ७१ १ दिपर-धर्म | ० काल मे १७८३ | वाल गं १६२ | पूर्गा शुभं भवतु | 7 .1 विशेष रचना वन सम्बन्धी ० १०३८६३ शास्त्र | २० नाव . | काल ४२ | क भण्डार | सितं" ग्रन्थ प्रशस्ति के अनुसार द्यानतराय के पुत्र ने उक्त ग्रन्थ की मूल प्रति को भानू को बेवा गाउ मूल प्रति जगतराय के हाथ में शासन्ध रखना थानतराय ने प्रारम्भको किन्तु बीच जाने के कारण जगतराय ने मंत्रत् १७८४ में मैनपुरी में ग्रन्थ को पूर्गा किया। श्रागम विलाम में कवि रचनाओं का संग्रह है। ६०१. प्रति सं० २ । ६०२. आचारसार – वीरनंदि पत्र मं० ४६ | | ० ० १२७ । भण्डार | ! | भाषा हिन्दी (प) १०१ । ले काल नं० १६५४ । १२४ ३ । भाषण ६०३. प्रति सं० २०१०१० X १० मं० ४४ | क भण्डार | प्रपूर्गा जै० अपूर्वा । ०४. अतिसं० ३ । पत्र ० १०६ ० काल ६०५ प्रति सं० ४ । पत्र [सं० ३२ से ७२ | ले बाल ६०६. आचारसार भाषा पन्नालाल चौधरी पत्र नं० २०३०११ विषय-याचारशास्त्र । २०२२८६५ कार ६० प्रति सं० २० २६२ | काल ४६ | भंडार | ६०८. आराधनागार - देवसेन० २०० ११८ भाषा प्राकृत विषय-धर्म । २० दार | ४ भण्डार I ४८५ । भण्डार । भाषा काल जनादी ००० १७० ६०६. प्रति सं० २०४० काल त्रिप्रति संस्कृत टीका सहित है ६१० प्रति सं० ३ ०१० X ७० ६७ अ भण्डार ६११. प्रति सं० ४७० २०८ भर । ६१. प्रति सं० ५ | ६१६. आराधनासार भाषा - पन्नालाल चौधरी धर्म | काल मं० १६३१ चैत्र I । २२० ॥ अभार | काल ८ ० ० २१५१ । भार ! १६० १०.२५ २ भाषा हिन्दी । ०६३ भण्डार Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५० ] हिन्दी गदा विषय-धर्म १० काल २०वीं तालीका विशेष लेखक प्रशस्ति का अंतिम पत्र नहीं है। ६१४. प्रति सं० २ १ पत्र सं० ४० | ले० काल X। ६१५. प्रति सं० ३ पत्र ५२० का ६१६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २४ | बाल x विशेषगाथायें भी हैं। अ भण्डार | ६१७ आराधनासार भाषा पत्र० १६० ११५ इञ्च भाषा-हिन्दी कालकाल X। पूर्ण सं० २१२१ । भण्डार । I ६१८. आराधनासार बच्चनिका - बाया दुलीचन्द ० २२० १२६६ भाषा गटार । भण्डार १०३४ पत्र मं । श्रा १०२४३ इंच भाषा मंकृत। ० मं० १० १ ख भण्डार । ६१६. आराधनामार वृत्तिपं श्राशावर निगय-धर्म र काल १३वी शताब्दी । ले० काल पूर्ण विशेष-मुनिन्द्र के लिए रचना को भी ६०. आहार के दियालीस दोष वर्गान - मैया भगवतीदास पत्र [सं० २ ० ११७ | । भाषा-हिन्दी विषय-१० का ० १०५०० का पूर्ण ० ० २०४ भण्डार टीना का नाम धाराधनामार दर्पगा है। २८ ६२१. उपदेशरत्रमाला – धर्मद्रासमणि पथ सं० २०० १००३ । भाषाविषय धर्म । २७ कान X. । ले० का ० १७५५ कार्तिक दी पूर्ण भण्डार | ६२२. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४ | ० काल ४ । ० सं० ३४० 1 अ भण्डार । विशेष—प्रति प्रश्चीम एवं संस्कृत टीका सहित है। सं० ६ ० ० ६ ०७५ । N [ धर्म एवं आचार शास्त्र क भण्डार क भण्डार भण्डार | ६२३. उपदेशरत्रमाला - सकलभूषण । पत्र सं० १२६ । प्रा० ११४३ | भाषा-संस्कृत । 1 २० काल १६२७ वा गुदी ६० सं० १७६७ श्रावण सुदी १४१ । ६२६. प्रति मं । विशेष-जयपुर नगर में श्री गोपीराम बिलाला ने प्रतिलिपि करवाई थी। ६२४. प्रति सं० पत्र सं० १३ ० १२ ६२४. प्रति सं० ३ श्र मं० १६६ | ले० का का ४ | ० सं० २७ । भण्डार काल सं० १७२० श्रावादी ४०२८ अ १६कानिक गुदी १२ | पूर्ण । ० ८५ नही है। प्रशस्ति में निम्वार है—पुर की समस्त श्री ज्ञान कल्याण निमित्त शास्त्र को श्री सना निर्मित भार में रखवाया।" Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ६.७ प्रति सं०५। पत्र सं० २५ से १२३ । ले० काल । ० सं० ११७५ । अ भाटार । ६२८. प्रति सं०६। पत्र सं० १३८ । ले० काल X । वै० सं० ७७ । के भण्डार। ६२६. प्रति सं०७ 1 पत्र सं. १२६ | ले. काल X । ० सं० ८२ । भण्डार । ६३०. प्रति सं०८। पत्र सं० ३६ मे ११ । ले. काल : । अपूर्ण । वे० सं० ८३ । ह भण्डार ! ६३१. प्रति सं०६ । पय सं० ६४ स १४५ । ले. काल X । अपूर्ण । बे० सं० १०६ । छ भण्डार। ६३२. प्रति सं० १८ | 4 मं० ७२ । ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० १४६ । छ भण्डार । ६३३. प्रति सं० ११ , पत्र सं० १६७ । ले. काल गं० १७२७ ज्येष्ठ बुदी ६ . सं० ३१ । भार ६३४. प्रनि सं०१६ । पत्र सं० १८१ । ले. काल x | वे सं० २७० । ब भण्डार । ६३५. प्रति सं १३ । पत्र में० १.५ । ले० काल सं० १७१८ फागुण सुदी १२ । वे सं० ४५२ । च भण्डार। ६६६. उपदेशसिद्धांतरत्नमाला-भंडारी नेमिचन्द्र । पत्र सं० १६ ! या० १२९७५ इच। भाषाप्रान । बिजय--धर्म । र• काल XI ले काल सं० १९४३ प्राषाढ़ सुदी ३ । पूर्ण । वे० सं० ७८ | क भण्डार । विशेष-संस्कृत में टीका भी दी हुई है। ६३७. प्रति सं०२। पत्र मं० ल. काल/ . सं.७६ | क भण्डार । ६३८. प्रति सं पत्र सं. १८ । लेक कालम० १८३४ । बे० सं० १२५ । घ भण्डार । विशेप-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं। ६३६. उपदेशसिद्धान्तरत्रमाला भाषा-भागचन्द । पत्र सं० २८। प्रा० १२४८ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-धर्म। रकाल सं० १९१२ पापा बुदी २ ले काल: पूर्ग 1 ३० सं०७५६ । श्र भण्डार । विशेष-...गन्ध को मं० १९६७ में कालूराम पाल्याका ने खरीदा था। यह ग्रन्थ पद कर्मोपदेशमाला का हिन्दी अनुवाद है। ६४०. प्रति सं०२। पत्र सं. १७१।.. बाल मं. १९१९ ज्येष्ठ मुवी १३ । वे मं० । भण्डार ६५१. प्रमि सं०३: पत्र मं० ४६ 1 ल• काल ! ३० मं० -१ । के भण्टार । ६४२ प्रति सं०४ । पब सं. ७३ । ले. काल मं० १९४३ साबगा दी। वै० म० ८२ । कभंडार । ६४३, प्रति सं०५। पत्र मं. ७ । ले० काल ४ | ३० मं०६३ क भण्डार । ४४. प्रति सं०६। पत्र सं. १ । ल. कालाव.सं. ४ क भण्डार । ४५. प्रति सं. । 'पय सं० ४५ । ले. काल x | वे. सं ८७ | अपूर्प । क भण्डार ! ६४६. प्रति सं०८ पत्र सं०५८ । ले. काल XIवे. मं० ८८ हु भनटार । ६४७. प्रति सं० । पत्र सं १९ ला काल - I वे० म: ५। भण्डार । ६४८. उपदेशरत्नमालाभापा- बाचा दुलीचन्द । पत्र सं० २० । प्रा० १.१.७ इन्। भाषा-हिन्दी । विनय-भर्म । र.काल १९६४ फाग्ररग सूदी। पुण्य । मः क भण्डार। Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ ] [ धर्म एवं आचार शास्त्र ६४६. उपदेश रत्रमाला भाषा - देवीसिंह छाबड़ा सं० २०११ हिन्दी र काल मं० १७६६ भादवा बुदी १ । ले० काल ४ । पू० मं०६६ भण्डार | | पत्र भाषा विशेष – नरवर नगर में ग्रन्थ रचना की गई थी। ६५० प्रति सं० २०१६ ० का ० ० ६५१. प्रति सं० ३ । ० १ | ले० काल २००८ ६५२. उपसर्थ विवरण-पाचार्य पत्र सं ११०४ धर्म | र काल । पूर्मा । ० नं० ३६० र भण्डार ४३. उपासकाचार दोहा-- आचार्य लक्ष्मी पद देश | विषय -शव धर्म वर्गान २० काल । ले० काल मं० १५५५ कार्तिक अ भण्डार । स्वस्ति संवत् १५५५ वर्ष तक सुदी १५ सीमे श्री मूलचे पिनार्थ हा बायकाचार वा मनपछि संख्या २२४ है। विशेष का भी नार्थ प्रतिलिपि गीत प्ररित निम्न प्रकार है ६५४. प्रति सं० । पत्र मं० १४० ६५५ प्रनि सं० ३ । पत्र मं० ११. काल - ६६१. कुशल खंडन काल मं० १३० । ० का क भण्डार क भण्डार २७० ११०५ १२ । 1 पे १ ० ० २४८ 1 ० ० १७ । ६५६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १५ । ले० काल X | वे० मं० २६८ । ६५७. प्रति सं० ५ प ६५. उपासकाचार . ०१२३६ विषयाव ० ७७० काल पत्र नं ६५ धर्म वर्णन न X ले० काल X पूर्गा १५ परिच्छेद तक ) ० ० ८९ । चभण्डार ६४६. उपासकाध्ययन" ....... पत्र मं० १११४-३४१ | ० ११४५ च । भाषा-संन । इम विषय-धाचार शाख० काल X००० २०९ | भष्टा । I सरस्वती गच्छ बलकारगणं भ० विद्यानंदी समाप् I ६६०. ऋद्धिशतक स्वरूपचन्द्र बिलाला पत्र संस्था | १०३८५ भाषा-हिन्दी विय धर्म । र० काल ०५६०२ ज्येष्ठ मुझे ९ । काल नं० १६०६ वैशाख बुदी ७ पूर्गा २० भा · I विशेष हीरानन्द की प्रेरणा में सवाई जयपुर में इस ग्रन्थ की रचना की गई। जयलाल भण्डार ० ४११ । अ भण्डार भाषा २२३ ॥ भार भण्डार । ० नं० ६२५ के भण्डार | २०१३ भाषा-हिन्दी विपत्र-प Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ ५३ ६६२. प्रति सं०२१ पत्र सं० ५२ । ले। कात ४।० सं. १२७ । भण्डार । ६६३. प्रति सं०३ । पत्र सं. ३८ । ले० काल x I वे० सं० १७६ | छ भण्डार ६६४. केवलज्ञान का व्यौरा..." | पत्र सं० १ । मा० १२३४५६ । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । र• काल M० काल X । अपूर्ण । ० ० २९७ । व भण्डार । ६६५. क्रियाकलाप टीका-प्रभाचन्द्र। पत्र सं० १२२ । मा० ११३५ । भाषा- मस्कन । विषमश्रावक्र धर्म वर्मान । र० काल Vले. काल X । पूर्ण। ये० स० ४३ । अभण्डार । ६६६. प्रति सं०२। पत्र सं० ११७ । ले. काल सं० १९५६ चैत्र मुदी १ । ये नं. ११५। का । ६६७. प्रति सं०३ । पत्र सं०७४ । ले. काल सं १७६५ भादवा गुदी ४ । ३. मं• २५ । च भण्डार । विशेष प्रति सवाई जयपुर में महाराजा जयसिंहजी के शासनकाल में चन्द्रप्रभ नेत्यालय में लिखी गई थी। ६६८. प्रति सं३। पत्र सं० २०७ । ले० काल में. १५७७ बैशाख बुदी ४ । ३. सं १८८७।। भण्डार। कि- शिरि ' it EvZशस्ति छप चुकी है। ६६६. क्रियाकलाप..."। पत्र सं पा . ext इन्च । भाषा-संस्कृत । विश्व-श्रावक श्रम चम्गेन २० काल . ) ले. काल X । अपूर्ण । ० मं० २७७ । छ भण्डार । ६०. क्रियाकलाप टीका....! पत्र सं. ११ । मा० १३४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-श्रामक धर्भ वर्गात । र० कान X । ले. काल सं. १५३६ भादवा बुदी ५ । पूर्ण | वे० सं० ११६ । क भण्डार । विशेष—प्रपास्ति निम्न प्रकार है--- राजाधिराज मांडीगढदुर्ग श्री मुलतामगयामुद्दीनराज्ये बन्देरीदेषेमहागरखानध्याप्रीयमाने सरे माम वास्तव्य कायस्थ पदमसी तत्पुत्र श्री राधी लिस्लिनं । ६७१. प्रति सं०२ ! पत्र सं० ४ से ६३ | ले० काल । अपूर्ण । के गरु १.७ । ज भण्डार । ६७२. क्रियाकलापत्ति......पत्र मं.६६ । प्रा० १.४ इच। भाषा-प्रावृत । विषय-भार धर्म वर्मान । र कान X | ले० काल सं. १३६६ फागुण सुबी ५ । पूर्ण | सं० १८७७ । ट भण्डार । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है एवं क्रिया कलाप वृत्ति समाप्ता। छ। छ । छसा. पूना पत्रण छाजूकेन निखितं इलोकानामष्टादनशतानि ॥ पूरी प्रशस्ति 'प्रशस्ति संग्रह' में पृष्ठ १७ पर प्रकाशित हो चुकी है। ६७३. क्रियाकोष भापा-किशनसिंह । पत्र सं. १ । मा० ११:५५ इन। भाषा-हिन्दी परा । विषय-श्रावक धर्म वर्णन । र• काल सं० १७८४ भादवा सुदी १५ । ने काल । पूर्ण । ३. मं... 1 अ भन्मा । ६७४. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२६ । ले० काल भं० १८३३ मनमिर मुदी ६ । वम ४२६ । छ भण्डार। Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५] भण्डार छ भण्डार भण्डार । [ धर्म एव आचार शास्त्र भार ० सं० भंडार ६७५. प्रति सं० ३। पत्र मं० ४२० काल ६७६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ५०० काल सं० विशेष-योलालजी साह ने प्रतिलिपि करवामी श्री । ६७ प्रति सं० ५ प ० १६ से ११५ ० का ० १६०८ अपू० सं० १३० अपूर्ण वे० सं० ७५८ 4 ६. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६७ ले काल x | वे० सं० १३१ । ङ भण्डार । ६७६. प्रति सं० ७ पत्र [सं०] १००० का ६६०. गणासार... काल : 1 पूरी 1 मं० ५३५ । च भण्डार 1 १८८५ आषाढ़ बुदी १० । ६० प्रति सं० ८०१४२० काल सं० १०५१ मंसिर १०० ११५ । ६५९. प्रति सं० २० का ० १९५६ ६०० १९६ छ विशेष- प्रति किशनगढ़ के मन्दिर की है। ६५२ प्रति सं० १० पत्र [सं० ४ से १० काल : ब ६३. प्रति सं० १९ । पत्र सं० १ से १४ । ले० काल X अपूर्ण नहीं है। काल ४० १८४६ । भण्डार विशेष— ० ० ५३४ । चभण्डार विशेष ६८४. क्रियाकोश.... ० ५०० अपूर्ण १० सं० २०६ पक्ष से० १ ० कोल ४ । ले० काल । पूर्ण वे० सं० १७१६ | अ भण्डार । २०] कास X ले० काल X ६८४. कुगुस्ल I ६६. समायन्तीसी - जिनचन्द्रसूरि पत्र [सं० ३० ९६४ र भाषा - हिन्दी विषयधर्म। १० काल ४० काल पूर्गों ० सं० २१४१ भार । ६७. क्षेत्र समासप्रकरण पत्र सं० ६ | श्री० १०४ । भाषा प्राकृत विषय-धर्म । काल X: 1 ले० काल सं० १७०७ पूर्ण । वे० सं० २६ । भण्डार ६ प्रति सं० २ प ० ७ ० का ० सं० प्र भण्डार ६६६. क्षेत्रसमासटीका टीकाकार हरिभद्रसूरि ष ० ७ ० ११४ विषय-८० काल पूर्ण ने०सं० ० अ भण्डार । पत्र ० ० ११३५३ ० ० ३०४ ज मटार ० सं० २०८७ | द भण्डार । १०५ भाषा-हिन्दी विषयानधर्म अ भण्डार ६४६ भाषा-हिन्दी विषय-धर्म । २० I हिन्दी विषय-धर्म २० काम० ६६१ पसरा प्रकर४ ११४४ भाषा-प्रकृति-धर्म २० Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र } प्रारम्भ–सावजजोगविरइ उकित्तण गुपचाउ अडिवत्ती । रबलि अस्सम निदणावण तिगिच्छ गुण धारणा चव ।।१।। चारित्तस्म विसोही कीरई सामाईयण किलदह्य । सानज्जे परजोगा बज्जा सेवणतणउ ॥२॥ दसण्यारविसोही चउरीसा इन्द्रामा विजय । पनवस गुणा कित्ता स्वैर जिरणवरिदार ॥३॥ अन्तिम-मदसाभावाचद्धा तिव्वरगु भात्राउ कुणई ताव । प्रसुहाऊ निर बंधउ कुमाई निवाउ मंदाउ ।। ६० ।। ता एवं कायश्च देहि निच्छपि संकिलेसंमि। होई तिक्काल सम्म प्रसंकिल संमि सुगइफन ।। ६१ ।। बजरंगो जिगाधम्मो नका वजरंगसरणा मबि नकर्म । चउरंगभवच्छेउ भकज हादा हारिउ जम्मो ।। ६२ ॥ इ अजीव पमीयमहारि वीरभद्द समेव अवयग्गं । झाए गुति संझम वझं कारणं निबुइ सुहारणं ।। ६३ ।। इति चरसरण प्रकरणं संपूर्ण । लिखितं गणिवीर विजयन मुनिहर्षविजय पनार्थ । ६६६. चारभावना"..."। पत्र सं.९ । मा. १.१४६ | भाषा-संस्कृत । विसय-धर्म । २० कालx न. काल ४ । पूर्ण : के. सं० १७६ । कृ भण्डार । विशेष—हिन्दी में अर्थ भी दिया हुपा है । ६६६. चारित्रसार-श्रीमच्चामुद्वराय । पत्र सं. ६६ । प्रा. ६.४६ च । भाषा-संस्कृत | विषवप्राचार धर्म । र• काल X| ले. काल सं० १५४५ वैशाख जुदी ५ । पूर्ण । वै० सं० २४२ । श्र भण्डार । विशेष--प्रशस्ति निम्न प्रकार है इति सकलागमसंयमसम्म श्रीमज्जिनमनभट्रारव. श्रीपादपद्मप्रासादासारित चतुरमुयोगपारावार पारगधर्मविजयथीमच्चामुण्डमहाराजविरचित भावनासारमंगहे चरित्रसार अनागारधर्मसमाप्तः ।। ग्रन्ध संस्था १८५.० ।। रां० १५४५ वर्षे बैशाख बन्दी ५ भौमवासरे श्री मूलसंधे नंछाम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगन्ये श्रीददाचार्यान्वयं भट्टारकश्रीपानंदिदेवाः तत्सदृ भट्टारक श्रीशुभचन्द्रदेवाः तत्प? भट्टारकश्रीजिनचन्द्र देवाः तत् शिष्य आचार्य श्री निरत्नकीतिः तदानाम्नाले खण्डेलवालान्वये अजमेरागोत्रे सह चान्त्रा भार्या मन्दावरी तयोः पुत्राः साह टावर भार्या नमी साह अन भार्या दामातयोः पत्र साह प्रत ( उदा भार्या का समोः पत्र: से योता भार्या होली तयोः गुत्री रणमल क्षेमराजशा. डाकुर भार्या स्वेत्त तयोः पुत्र हरराज । सा. जालप साह नजा भार्या व्यमिरियपौत्रादि प्रभूतानां एतेषां मध्ये सा. अजुन इदं चारित्रसार मात्र लिम्वाप्य सत्पात्राय पार्यसारंगाय प्रदत लिखितं ज्योतिगुगाा। Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ এম এ আকাং যাও। ६४. प्रति संकपत्र सं. १४५। ले. काल सं० १९३५ अाचार सूदो सं० १५६ । के भण्डार । विशेष-बार दुलीचन्द ने लिखवाया। ६६५. प्रति सं०३! पत्र सं० २७। ले. काल सं० १५८५ मंगसिर चुदी २ १ ० सं० १७० । र भण्डार। ६६६. प्रति सं०४ । पत्र में०५५ । ल. कान X । वे० गं० ३२ । ब भण्डार । विशेष-कहीं कहीं कठिन शब्दों के पथ भी दिये हुये हैं। ६६७. प्रति सं०५। पत्र सं० ६३ । ले० काल मं० १७२३ कार्तिक मुदी ८ । वै० सं० १३५ । म भण्डार। विशेष-हीरापुरी में प्रतिनिपि हुई। ६८. चारित्रसार भाषा-मन्नालाल | पत्र सं० ३७ । मा० १२४६ ) भाषा-हिन्दी(गद्य)। विषय-धर्म ।। र काल में १८७१ । ० बाल ४ । अपूर्ण । बे० मं० २७ 1 ग भण्डार। ६६. प्रति सं० २ | पत्र मं० १६८ । ले. काल सं० १८७७ आसोज मृदी है। वे सं० १७८ । कु भण्डार ५. प्रति सं०३। पत्र सं० १३८ । ना काल सं० १९६० कात्तिक बुदी १३ । वै. मं० १६ । *भण्डार। १. चारित्रसार.....| पत्र सं० २२ से ७६ । प्रा० ११४५ । भाषा-संस्कृप्त । विमत्र-माचारपत्र र० काल X ० काल सं० १६४३ ज्येष्ठ बुदी १० । अपूर्ण । बे० सं० २१६४ 1 ट भण्डार । विशेष--प्रशस्ति निम्न प्रकार है म. १६४३ वर्ष शाके १५०७ अमर्तमाने ज्येष्ठभासे कृष्णपक्षे बाम्बा लिथी मामवासरे पालिसाह थी प्रकबरराज्ये प्रवर्तते पौधी निखिनं माधौ पुत्र जोसी गोदा लिखितं मालपुरा। ०२. चौवीस दण्डकभाषा-दौलतराम । पत्र सं० । प्रा०६x४२ । भाषा-हिन्दी । विषयधर्म । र० काल १८वौं शताब्दि । ले० काल मं० १८४७ । पूर्ण । दे० सं० ४५७ । अ भण्डार । विशेष-लहरीराम ने रामपुरा में पं० निहालचन्द के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ७.३. प्रति सं०२ पत्र सं०६नकाल x० सं०१६ अभधार । ७०४. प्रति सं०३१ पत्र मं० ११ ले. काल सं० १९३७ फागुण मुदी ४ | वै० म० १५४ ।कभंडार। ७२५. प्रति सं०४१ पत्र सं. ६ । ले० कालX वे० सं० १९.। भण्डार । ७६. प्रति सं०५। पत्र सं० ३ । ले० काल ४ । वै० सं० १६१ । भण्डार । ५७. प्रति सं०६। पत्र में ले कालx.सं. १९२। भण्डार । ७०८. प्रति सं गपत्र सं०६।ले. काल मं० ११५ । ने० मं०७३५१ च भार । Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं श्राचार शाम ०६. प्रति सं०८। पत्रमा ले. काल XI ० सं०७३६ । घ भण्डार । ७१०. प्रति संह। पत्र में । ले. काल XI सं० १३६ । छ भण्डार । विष-५० पद्य हैं। ७१. चौरामी श्रासादना" ...| पत्र मं० १ । प्रा० x अ । भाषा-हिन्। ६षय-धर्म । • काल: । ले. काल ४ । पूर्ण । वे० मे ८५३ । भण्डार | विशेष-जन मदिरों में वर्ननीय ८४ क्रियानों के नाम हैं। ७१२. प्रति सं० २ । पत्र गं० १ । ले। वाल 1 वे पं० ४४७ । अ भण्द्र र । ७१३. चौरासी आसादना..."। पत्र में० १ १ मा० १०४३" ! भाषा-मस्वत । विगम-धर्म :: , वाला न.. काल X । पूर्ण । ० म० १२२१ । अ भण्डार । विशेष-प्रति हिन्दी व्या टीवा सहित है। ७१४. चौरासीलाब उत्सर गुग' ! 'पत्र सं० १ । प्रा० ११६x४ । भाषा-हिना । विनधर्म । ल । ले० काल ... | पुर्ग . गं. १२३३ । श्र भण्डार । विगंप-१८००० शीन के भेद भी दिये हुए हैं। ७१५. चौमट ऋद्वि वर्णन" | पत्र सं० । प्रा० १०x४ इश्व । भाषा-प्राइम । विषय-ध । र.. काल » । ले० काल - पूर्ण ! वे मं० २५१ । ब भण्डार । ७१६. छहढाला-दौलतराम । पत्र सं० ६ । प्रा० १०४ च । भाषा-हिन्दी । विय- दम । कान १८वी शताब्दी । ले. काल ४ । पूर्ग । वै० सं० ७२२ । भण्डार । ७ ७. प्रति मं० २ । पत्र १३ । ले. काल सं १९५७ । के० नं. १३२५ । अ भण्डार । ७१८. प्रति सं०३ ० २।ले. काल म. १६६१ बैशाख दो ३ | वे० ० १५५ । कभं: विशेष—प्रति हिन्दी टीका महित है। ७१. प्रति सं पन मं०१६ । ले० काल, । ने. सं. १९६ | भण्डार 1 बिशेष---इसके अतिरिक्त. २२ परीपन, पंचमंगलपाठ, महावी रम्तोत्र एवं मंकटहरगाधिनती अादि भी ७२० छहदाला-बुधजन । पवन ११ । प्रा. १.४७ २० काल सं० १९५९ । नरकाल: पूर्मा । २० सं०१६ भण्डार । । भाषा-हिन्दी गय । चिय-यम । ७२१. छेदपिराड-इन्द्रनादि । पत्रमं०३६ । या० .५ इच। भापा-प्राकृत | विषय-प्राय : भास्थ | र० काल : I पूर्ण । वे० मा १८२ । क भण्डार । ७२२. जैनागारप्रक्रियाभाषा-बा० दुलीचन्द | पन सं० २४ । प्रा. १२.५ इच । भश्वा-हिता विषय--श्रावक धर्म वर्गन । र० कान मं. १९३६ । नेपाल प्रवर्ग। वं. मं. 51 क भण्डार । Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . - ५ ] [धर्म एवं आचार शास्त्र ७२३. प्रति सं०२ । पथ सं० ५५ । ल काल सं० १९६६ भासोज सुदी १० । व० सं० २०९ । क भण्डार। ७२४. ज्ञानानन्द श्रावकाचार-साधर्मी भाई रायमल्ल । पत्र सं० २३१ । ग्रा० १३४८ ह । भाषा-हिन्दी । विषय-याचार शास्त्र । र काल १५वीं शताब्वी। ले० काल XI पूर्ण । वेत सं० २३३ । क भण्डार। ७२५. प्रति सं० २ । पत्र सं० १५६ । ले. काल X। वे० सं० २६६ । झ भण्डार । ६. प्रति सं०२ 1 पत्र सं० ५० । ले० काल X । अपूर्ण । ० सं० २२१ । कु भण्डार । ७२७. प्रति सं०३ । पत्र सं० २३२ । ले. काल सं० १९३२ श्रावण सुदी १४ । ० सं० २२२ । ड भण्डार । ७२८, प्रति सं०४ । पथ सं० १०२ से २७४ | ले० काल xi० सं० ५.६७. । च भण्डार ! २६. प्रति सं०५ | पत्र सं० १०० । ले। वाल X । अपूर्ग 1 वै० सं० ५६८ । च भण्डार। ७३६. ज्ञानचिंतामणि-मनोहरदास | पत्र सं० १० । प्रा० १३४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय- धर्म । र • काल X ले. काल X 1 अपूर्ण । वे० सं० १५५३ । अगष्टार । विशेष—५ मे ८ तक पत्र नहीं है। ७३१. प्रति सं०२। पत्र सं० ११ । ले. काल सं० १८६४ श्रावण सुदी ६ | वे० सं० ३३१ गभंडार ७३२ प्रति सं० ३। पत्र सं० ८ । ले. काल । वै० सं० १८७ | च भण्डार । विशेष--१२८ सन्द है। ४३३, तत्त्वज्ञानतरंगिणी-भट्टारक झानभूपण । पत्र सं० २७ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-धर्म । र काल सं० १५६० 1 ले. काल सं० १९३५. धागा सुदी ५ । पूर्ण । वै० सं० १८६ | अ भण्डार । ७३४. प्रति सं०२। पत्र सं. २६ । लेक काल सं. १७६६ चैत बुदी ८ । १० सं० ३३३ । अ भंडार । ७३५. प्रति सं०३१ पत्र सं. ३६ । ले. काल सं० १९३४ ज्येष्ठ बुदी ११। वे० सं० २६६ । क भंडार ७३६, प्रति सं०४। पत्र सं० ४७ । ले. काल सं० १८१४ । व० सं० २६४ । क भण्डार । ७३७. प्रति सं०५। पत्र सं०७० | ले. काल X ० सं. २४३ । ७. भण्डार । दिशेष-प्रति हिन्दी अर्थ सहित है । ४३८. प्रति सं०६। पत्र मं० २६ । ले० काल सं० १७८० फागुण सुदी १५ । वै० सं० ५१३ । ब भण्डार। ७३६. त्रिचणचार-भः सोमसेन । पत्र सं० १.७ । प्रा. ११४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत | विषयमानार-धर्म । र ः काल सं० १६६७ । लेक काल सं० १८५२ भादवा बुदी १० । पूर्ण । वे सं० २८८ । अ भाडार ! विशेष—प्रारम्भ के २५ पत्र दुमरी लिपि के है । ७४८. प्रति सं० २ । पत्र सं० २१ । ले. काल सं. १८३८ कात्तिक सुदी १६ । वे सं० २१ । छ भण्डार। विगंप--पंडित वखतराम और उनके शिष्य शम्भुनाथ ने प्रतिलिपि की थी। Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] ७४१. प्रति सं० ३ ७४६. त्रिवर्णाचार ० काल X 1 ले० काल । पू पत्र सं० १४३ ने० काल X सं० २०८ मण्डार या० १०३४४६ इच। भाषा संस्कृत विषय-प्राचार | पत्र सं० १८ । ०० ७८ ख भण्डार । ७५३. प्रति सं० २ ४५. त्रेपन क्रिया का वर्णन का X | ले० काल x | | ० सं० २०४ । च भण्डार । पत्र सं० १५ ले० काल X वे० सं० २०५ पूर्ण भण्डार भण्डार । सं० ३ । प्रा० १०६ इच। भाषा - हिन्दी । विषयथावक की क्रियामा ७२.५. त्रेपनक्रियाकोश- दौलतराम पत्र ०८६०१२४६६ भाषा - हिन्दी विषय श्राचार। २० काल सं० १७६५ | से० काल ४० मं० ५६५ | भण्डार | ७८६. सडकपाठ-पत्र सं० २३ | ०८३ (माचार ) ० ४ ० काल X १६६० ७४. दर्शनप्रतिमास्वरूप | पत्र सं० १६ । २० काल X। काल पूर्ण ० ० ३९१ | अ भण्डार | २० काल गं० १६७३ यासोज बुदी ३ | ० ० १०६ । भण्डार । [ ५६ | भाषा-संस्कृत विषय वैदिक साहित्य भण्डार | विशेष - श्रावक की ग्यारह प्रतिमाओं में से प्रथम प्रतिमा का विस्तृत वर्णन है । ११६ ११ इ | भाषा - हिन्दी विषय-धर्म 1 1 ४८. दशभक्ति पत्र ० ५९ ० १२X४ । भाषा-संस्कृत विषय धर्म १० का विशेष प्रकार की भक्तियों का वर्णन है। भट्टारकथनंदि के मान्माय वाले बेलवा जातीय सा ठाकुर वंश में उत्पन्न होने वाले साह भीखा ने चन्द्रकीति के लिए मौजमाबाद में प्रतिलिपि कराई । सदा ७४६. दशलक्षण धर्मन - पं कासलीवाल | भाषा - हिन्दी | विषय - धर्म । २० काल X। काल सं० १६३० । पूर्ण विशेष – रत्नकरण्ड श्रावकाचार की गद्य टीका में रो है । ७५०. प्रति सं० २ । पद्म सं० ३१ । ले० काल X १ ० सं० २९६ | ङ भण्डार | ७५१ प्रति सं० ३ । पत्र सं० २५० काल x | ० सं० २६७ । भण्डार । ७५२ प्रति सं० ४०३२ का X ० ० १५६ छ भण्डार ३५३. प्रति सं० ५१ पत्र सं० २४ । ले० काल सं० ०४१० १२६ सं० २६५ । भण्डार 1 विशेष-श्री गोविन्दराम जैन शास्त्र लेखक ने प्रतिलिपि की। ७५४. प्रति सं० ६ पत्र ३०० विशेष — अन्तिम ७ पत्र बाद मे लिखे गये हैं । १९९३ कात्तिक सुदी ६ १ ६ । नं १९४१ ० ० १०६ । भण्डार Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ धर्म एवं आचार शास्त्र ५. प्रति । पत्र मं० ३४। ले. कालXI1वे. मं १८४ । छ भण्डार । ७७६. प्रति सं | परमं ३० । लक काल 1 अपूर्ण 1 वै० म० १९ । छ भण्डार । ७५७. प्रति सं० । पत्र मं० ४२ । ले. काल x वे मं० १७०६ ।ट माडार । ७५. दशलक्षणधर्भवर्णन । पत्र में० २८ । प्रा. १२२५७६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । त्रिप-धर्म । २० काल लेत काल X । पूर्ण । वै० सं०५८७ । च भण्डार | axe. प्रति सं० २ । पत्र सं० 1 ले. काल ४। वे० सं० १६१७ । ट भण्डार । विशेष- जाने प्रतिनिरिमीगी। ७६०, दानपंचाशत-पएनदि। पत्र सं० । पा. ११५४ । भाषा-संस्कृत। विपव-म । २० काल xले. काल | 20. ३२५ । भण्डार। विशेष—अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार हैश्री पद्मनंदि मुनिराश्रित मुनि पूरमदान पंचागत ललितवर्ण श्रयो प्रकरगा ॥ इति दान पंचागत ममाप्त ।। ७६१. दानकुल".... पण सं०७ | प्रा.१०.४, इल | भाषा-प्राकृत | विषय-धर्म । र, काल-1 ल काल मं. १७५६ | पूर्ण। वे ८३३ | श्र भण्डार । विशेष-गुजराती भाषा में अर्थ दिया हग्रा है। लिपि मागरी है। प्रारम्भ में ४ पत्र तक चत्यबंदनत्र भाग्य दिया है। ७६२. दानशीलतपभावना-धर्मसी। पत्र मं० १ । आ ४, इश्व । भाषा-हिन्दी । विपरधर्म । र० काल । ले. काल X । पूर्ण । ० सं० २१५३ । ट भण्डार । ७६३. दानशीलतपभावना..."| वन सं०६ । प्रा० १०x४. इन। भाषा-संस्कृती विषय-धर्म । र" काल : ले. काल X । अपूर्ण । वे मं• ६३६ । अ भण्डार । विशेष--४५ पत्र नहीं हैं । प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। ७६४. दानशीलनपभावना ." | पत्र सं०१। प्रा०x४ इन। भाषा-हिन्दी। विपय-मम | र कान X | ले. काल X | पूर्ण । ३० सं० १२६६ । अमटार। विशेष—मोती और कांकड़े का संबाद भी बहुल मुन्दर रूप में दिया गया है। ७६५. दीपमालिकानिय....."! पत्र २०१२। प्रा० १२४६ इख। भापा-हिन्दो। विषय-धर्म । २० काल x 1 ले० काल X । पूर्गा । वे० नं ३०६ । क भाडार । विमेष-लिपिकार मालाल व्यास । ७६६, प्रति मं०२१ पत्र सं० ८ ! ले० काल । पूर्गा । चे० मं० ३०५ । क भण्डार । ६७. दोहापाहुड-रामसिंह । पत्र मं० २० । साः ११४८ इञ्च । भाषा-अपभ्रश । विपय-प्राचार भास्त्र । र काल १० वीं शतान्दि । लेक काल । पूर्ण 1 वेत यं० २०६२ । अभार । विशेष—कुल ३३३ दोहे हैं। ६ मे १६ ता पत्र नहीं है। Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] ७६८ धर्म चाहना I काल ३२८ ६९. धर्मपरिशतिका ब्रह्मजिनदास पत्र [सं० ३ ० १९६४३ - । विषय-धर्म १० का १५वीं शताब्दी से काम मं० १८२७ पीप बुदीपू ० ० ११० I विशेष ग्रन्थ प्रशस्ति की पुष्पिका निम्न प्रकार है डात वातिकचक्रवत्यचार्य श्रीनेमिचन्द्रस्य शिष्य श्री जिनदास विरचितं प्रपंचविशतिका [ ६१ | पत्र सं०ग्रा० । भाषा - हिन्दी | विषय-धर्म । १० काल X भण्डार 1 भण्डार | नामशास्त्रं समाप्तम् । श्रीचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ७७०. धर्मप्रदीप्रभाषा – पन्नालाल संघी । पत्र सं० २४ । १२७ । भाषा - हिन्दी २० ३ X पूर्गा ० ० ३२६ । र । विशेष-संस्कृतमूल नभा उसके नोचे भाषा दी हुई है। ७७१. प्रति सं० २०६४० सं० १९६२ पासोज नदी १४ | ००३५७ भाषा हिन्दी । छ भण्डार विशेष ग्रन्थ कामरा नाम दशावतार नाटक है। ७७२. धर्मप्रश्नोत्तर - त्रिमलकीर्त्ति पत्र सं० ५० [२०] काल ४ । ले० काल ० १८१६ फागुन मुदी ५ व भण्डार विशेष – १११६ प्रश्नों का उत्तर है। ग्रन्थ में ६ परिच्छेद हैं। परिच्छेदों में निम्न विषय के प्रश्नों के उतर है— १ दशलाक्षणिक धर्म प्रस्नोत्तर | २. धावक प्रश्नोतर वर्णन ३. रत्नत्रय प्रश्नोतर | ४ तरच महा वर्णन । ५. कर्म विपाक पृचहा । ६. सज्जन चित्त वल्लभ पृच्छा । मङ्गलाचरण :- तीर्थेयान् श्रीमतो विश्वान् विश्वनाथा जगरून् । अनन्तमहिमाठात् वंदे विश्वहितकारकान् ॥ १ ॥ चोखचन्द के शिष्य राजमल ने जयपुर में शांतिनाथ वैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ले काल मं० १६३० | पूर्ण । ० सं० ४०० | भण्डार । विशेष-ग्रन्थ का नाम हितोपदेश भी दिया है। ७०४. धर्मप्रश्नोत्तरी २० काल X। ० काल सं० १९३३ ७७३. धर्मप्रश्नोत्तर | पत्र सं० २७ | श्र० ८ X४ । भाषा हिन्दी विषय-धर्म र काल X | I फतेहवाल ने हिन्दी गद्य में लिखा है। ० १०३२४४ । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म | पत्र मं० ४ से ३४ | ०८६ | भाषा - हिन्दी विषय- धर्म । अर०सं०५३ भडार | विशेष पं० खेमराज ने प्रतिलिपि की। पत्र मं० १७७ ७५. धर्मप्रश्नोत्तर श्रावकाचारभाषा - चम्पाराम ० १२: उच्च | भाषाहिन्दी | विषय - धावकों के प्राचार का वर्णन है । २० काल सं० १८६८ | ले० काल सं० १८६० । पूर्गा ० मं० ३८ । ङ भण्डार । Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ धर्म एवं आचार शास्त्र __ १६. धर्मप्रश्नोत्तराषकाचार...! पत्र सं० १ नं ३५ । पा० ११६४५५ इभ । भाषा-संस्कृत । विषय-धावक धर्म वर्णन । १० काम -: काल X । अपूर्ण । वे० सं० २३७ । झ भण्डार । ७५७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३५, ले. काल 1 वे सं० २६ । ब भण्डार | ७८, धर्मरत्नाकर--संग्रहकर्ता प• मंगल | पत्र सं० १९१ । मा० १३४७ हन्छ । भ.पा-संस्कृत । विषय-धर्म । र० काल सं० १९८० 1 ले. काल ४ । पूर्ण | वे० सं० ३४० । अ भण्डार । विशेष-लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है सं० १६५० वर्षे काष्ठारांचे नवतट ग्राम भट्टारक श्रीभूषरण शिष्य पंडित मङ्गल कृत शास्त्र रत्नाकर नाम मास्त्र संपूर्ण । संग्रह अन्य है। ७७६. धर्मरसायन-पानंदि । पत्र सं० २३ । प्रा० १२४५ इञ्च | भाषा--प्राकृत | विषय-धर्म । र. काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ३४१ । क भण्डार । ७०. प्रति संकपत्र सं० ११ । ल काल मा १९४७ गाख बुशे ५। ३० सं० ४३ अभण्डार । १. धर्मरसायन....... पत्र सं । प्रा० ११:४५६ | भागा-संस्कृत। विषय-धर्म । र, काल ले. काल पूर्ण । ० सं० १६६५ । श्र भण्डार ! ७८२. धर्मलक्षण...."। पथ सं० १ । पा० १०४४ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय--धर्म । र• काल X । से काल XI पूर्ण । वे सं० २१५५ । ट भण्डार । ७८३. धर्मसंग्रहश्रावकाचार-4 मेधावी । पत्र सं० ४ । प्रा० १२१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-श्रावक धर्म वर्णन | २७ का सं० १५४१ । लेक काल सं० १५४३ कात्तिक सुनी ५ । पूर्गा । वे० सं० १६६ । अभण्डार। विशेष प्रति बाद में संशोधित की हुई है। मंगलाचरण को काट कर दूसरा मंगलावरण लिखा गया है। तथा पुरिका में शिष्य के स्थान में अंतवासिना शब्द जोड़ा गया है। संखक प्रशस्ति निम्न है--- श्री विक्रमादित्यराज्यात संवत् १५५२ वर्षे कात्तिक सुदी ५ गुरुविने श्री व मानचैत्यालयविराजमाने श्रीहिसार पैरोजापत्तने सुलतानश्रीबहलोलसाहि राज्यप्रवर्त्तमाने श्री मूखसंघे मंद्याम्नाये सारस्वतगछे बलात्कारगण भट्टारक श्रीपानंदिदेवाः । तत्पल कुवलयका विकासनकचन्द्र श्री गुभवन्द्रवाः । तत्प? पदतर्क चक्रवत्तिकृतसवाः भट्टारक श्री जिन चन्द्रदेवाः तशिष्य मंडलाधार्य मुनि श्री रत्नकीतिः तस्य शिष्यो दिगम्बर मूतिर्मुनि श्री विमलकीत्ति पंडितश्रीमोहाख्यः सदाम्माये खंदेसवालान्य ये भौंसा गोवे परमथानक.साधु साधूनामा तस्याद्या भार्या देवगुरुपादारविंद सेवनतसरा साची लानिमशिका तयो श्रावकाचारोत्पती साभोजा केशोभिधानी । साधूनाम्नो, द्वितीय भार्या छाही इति नाम्नी । तन्नंदनी निमित्तज्ञानविशारदसाधुसावलाभिधेयः अथ साधुभोजापत्नीपातिव्रत्याविशुणनिलयाभोलसिरि संज्ञा । तयोः प्रथमपुत्रः साधुषामोस्य । तद्भादिवगुरुचरणारविचंचरीका साध्वी धनौः। द्वितीय पुषः श्री गिर• नारिगिरी श्री नेमीश्वर यात्राकारक संघपति रूल्हा नामा। तस्य गेहिनी शीलशालिनी नही इति संज्ञिका । तयोज्येष्ठ पुत्रश्चतुबिधवान वितरणकल्पवृक्षः शान्तिदासः तस्य भामिनी अनेकारणमालिनी साध्वी हि सिरि नाम Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] [ ६३ धेयाः । द्वितीय पुत्रः पंचाणुव्रतप्रतिपालको नेमिदासः तस्य भार्या विहिताने धर्मकार्या गुणसिरि इति प्रसिद्धिः तत्पुत्रो चिरंजीविनी संसार चंदराय चंदाभिवानी | अथ साधु केसाकस्य ज्येष्ठा जावातील | दिगुर| रत्नखानिः साध्वी कमल भी द्वितीयकनियमानुसानकारिका परमधाचिकासाध्वी सुवरीनामा तत्तनूजः सम्यक्त्वालंकृतद्वादशवतरालकः । संघपति ङ्गगराह । तत्कलम नानाशील विनयादिगुणपात्रं साधु लाड़ी नाम धेयं । तयोः सुतो देवपूजादिप क्रिया कमलिनी विकासनेकमाम जिनदासः तन्महिलाधम्मक कर्म श्रीरतिनाम । एतेषां मध्येसंत्रपति रूल्हा भार्या जही नाम्ना निजपुत्र शांतिदासनमिवासयो न्योपार्जितवितेन इदं श्री धर्मसंग्रह पुस्तकपंचक पंडित धीमी हास्यस्योपदेशेन प्रथमतो लोके प्रवर्तनार्थं लिखापितं भव्यानां पढनाय । निजज्ञानावरणकर्मक्षयार्थं माचन्द्रार्कादिनंदतात् । च भण्डार | ३४५ क भण्डार । ० सं० ३४२ | ङ भण्डार | ७४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६३ | लेकालX 1 ७५ प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७० १ ले काल सं० १७८६ ७६ प्रति सं० ४ ० ६३ | ले० काल सं० १८८६ चैत सुदी १२ । ० [सं०] १७२ । च भण्डार । ७८७ प्रति सं० ५। पद्म सं० ४= से ५५ ले कास सं० १६४२ वैशाख सुद ३ । ० सं०] १७३ । ७. प्रति सं० ६ | पत्र सं० ७८ | ले० काल सं० १८५६ माघ सुदी ३ | ० सं० १०८ । छ भंडार । --- भरतराम के शशिस ने अतिलिपि करवाई । ७८. धर्मसंप्रदश्रावकाचार पत्र [सं० ६६ / ०११२४४६ । भाषा-संस्कृत विषय धावक धर्म र काल X 1 ले० काल X : ० सं० २०३४ । भण्डार । विशेष- प्रति दीमक ने खा ली है। ७६०. धर्मसंप्रहृश्रावकाचार पत्र सं० २ से २७ । श्रा० १२९५ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषयजे० सं० ३४१ । भण्डार । आत्रक धर्म । र० काल X | ले० काल X। पूर्ण ७६१. धर्मशास्त्रप्रदीप | पत्र सं० २३ । ० ६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विपय-वैदिक साहित्य रवा ले० काल । अपूर्ण । ० सं० १४६६ । अ भण्डार | ७६२. धर्मसरोवर - अंबराज गोदीका । पत्र सं ३६ । आ० ११३७३ भाद विषय- देवा । र० काल सं० १७२४ प्रमाद सुदी 55 | ले० काल सं० १६४७ 1 पूर्ण । वे० सं० ३३४ क भंडार विशेष - नागबड, धनुपवद्ध तथा चक्रबद्ध कविताओं के मित्र हैं। प्रति सं० २ के आधार में रचना संवत् है ७६३. प्रति सं० २० काल सं० १७२७ कार्तिक शुद्दी ५ | वै० सं० २४४ ॥ क भण्डार | विशेष-- प्रतिलिपि सांगानेर में हुई थी । ७६४. धर्मसार - पंः शिरोमखिदास पत्र [सं० ३९ । श्वा० १३४७ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय भण्डार । धर्म । २० काल सं० १७३२ बैशाख सुदी ३ । ले० काल X पूर्ण । ० सं० ७६५. प्रति सं० २ । पत्र से० ४७ | ले० काल सं० १९८५ १०४० । अ भण्डार । कारण बुदो ५ वे० सं० ४६ । ग विशेष- श्री शिवलालजी साह ने सवाई माधोपुर में सोनपाल भोंसा से प्रतिलिपि करवाई । Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ ] [ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ७६६. धर्मामृतसूक्तिसंग्रह- आशाधर | पत्र सं० ६५ । प्रा० ११४४ इन। भाषा-संस्कृत । विषयप्राचारएन धर्म 1 10 काल सं० १२६६। ले० काल सं०१७४७ पासोज बुदो २ । पूर्ग। वे० सं० २६५। विशेष-संवत् १७८७ वर्षे यासौज सूदी २ बुधवासरे अयं द्वितोय गागरधर्म स्कंधः पद्यान्यत्रपट मतव्यधिकानि चत्वारिठालानि ।।४७६ ॥ छ ।। अंतमहंतमश्लेषी रस मुछियं सिमापन्ता 11 इति असंख्य जीवानिद्दिग सम्बदरसी ॥ दुग्धा गाथा ।। संगर कडू मिथीमूगचोगमसू कम्मासं । एक सई विदलं दज्जोपब्वापयत्रेण ॥१॥ विदलं जी भी पछा मुहं च पत्तं च दोविधो विज्जा । प्रहह्मावि मत्र पत्तो भुजिज्जं गोरसाईय ।। २॥ इति विदल गाथा ।। श्रो॥ रचना का नाम 'धर्मामृत' है । यह दो भागों में विभक्त है । एक सागाधर्मामृत तथा दूसरा अनागार मृत । ७. धर्मोपदेशपीयूषश्रावकाचार-सिंहनंदि । पत्र मं० ३६ । प्रा० १०५४४३ इन्न । भाषामंस्कृत । विषय-आचार शास्त्र । र० काल X| ले. काल सं० १७८५ माघ सुदी १३ : पूर्गा 1 वे. सं० ४८ । व भण्डार। ___GEE. धर्मोपदेशश्रावकाचार-अमोघवर्ष । पत्र सं० ३३ । आ० १०:४५ इञ्च। भाषा-मंस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । र० काल ४ | ले. काल सं० १७८५ माघ गुदी १३ । पूर्ण। वे० सं० ४८ । घ भाडार । विशेष-कोटा में प्रतिलिपि की गई थी। ७६६. धर्मोपदेशश्रावकाचार-ब्रह्म नेमिदत्त । पत्र सं० २६ । पा०१०४४, इश्च । भाषा-मस्कृत्त । विषय-प्राचार शास्त्र । २० कासले कालxयपूर्ण । व० सं० २४५ । छ भण्डार । अन्तिम पत्र नही है। ८००. प्रति सं०२। पत्र सं०१५ । ले०काल मं० १८६६ ज्येष्ठ मदो 31 सं०५० । जबष्टार । विशेष-भवानीचन्द ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ०१. प्रति सं०३ । पत्र में० १८ | ले० काल X ० सं० २३ । ब भण्डार । ८०२. धर्मोपदेशश्रावकाचार"..."। पत्र मं० २१ 1 मा. ex४३ इन्च । भाषा-संस्कृन । विषयआचार शास्त्र । २० काल X । ले० काल X | प्रपूर्ण | ये० सं० १७४ । विशेष-प्रति प्राचीन है। ८०३. धर्मोपदेशसंग्रह- सेवाराम साह । पत्र सं० २१८ । पा० १२४८ इन्। भाषा-हिदी 1 विषय-धर्म । २० काल सं० १८५८ । ले. काल X । दे० सं० ३४३ । विशेष-ग्रन्थ रचना सं० १८५८ में हुई किन्तु कुछ यश सं० १८६१ में पूर्ण हुआ। ४. प्रति सं०२। पत्र सं० १६० । ले. काल X ० सं० ५९७ । च भण्डार । ८०५. प्रति सं०३। पत्र सं० २७६ । ले. काल x ० सं० १८९५ । ट भण्डार । Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र - [ ६५ ०६. नरकदुःणवर्णन-भूधरदास । पत्र सं० ३ । १० १२४५६ इश्च । भाषा-हिन्दी पद्य 1 विषय-नरत्र के दुखों का वर्णन । र वान ४. । म काल ४ । पूर्गा । वे मा ३६४ । 'अ भण्डार। विशेष-भूधर कृत पार्बपुरागा में से है। ८८७. .प्रति सं० २ । पत्र सं० १० ले० काल . | वे० सं० १६६ । अ भण्डार । ०८. नरकवर्णन..."पत्र मं० ८ । पार ११.५५ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-नरको का वर्णन । र . काल । ले० काल सं० १८७६ । पूर्ण । ० सं० ६० । च भण्डार । विशेष---सदासुख कासलीवाल ने प्रतिलिपि की । ८०६. नयकारश्रावकाचार""""| पत्र सं० १४ । प्रा० १.३४ । भाषा-प्राकृत । विषयश्रात्रकों का प्राचार वर्णन । २० काल ।ले. काल सं० १६१२ बैशाख मुदी ११ । पूर्ण । वै० सं० ६५ । भण्डार विशेष-श्री पावनाय' चैत्यालय में संटेलवाल मात्र बाली बाई तील्ह ने श्री आर्यिका विनय श्री का भेंट किया। प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६१२ वर्षे देशास्त्र सुदी ११ दिने श्री पार्श्वनाथ चैत्यालये श्री मूलसंधे सरस्वती गच्छे बलात्कार गरणे श्रीकुदकुदाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्मनंदि देवा तत्प? भ० श्री शुभचन्द्रदेवाः तत्पर्ट्स मा श्री प्रभाचन्द्रदेवा तनशिष्य मण्डलाचार्य श्री धर्मचन्द्रदेवा तशिष्यमण्डलाचार्य श्री ललितकीर्तिदेवा तदाम्नाये खंडेलवालान्तये मोनी गोत्रे बाई तोल्हु इदं शास्त्रं नवकारे श्रावकाचारं ज्ञानादरणी कर्मक्षयं निमित्त प्रजिका दिनसिरीए दर्न । १०. नष्टोदिष्ट.....पत्र सं० ३ । प्रा० ८४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । २० काल । लेक काल XI पूर्ण | वे० सं० ११६३ । अ भण्डार । ११. निजामणि~ जिनदास । पत्र सं० २ । मा. EX४ इन । भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । र० काल । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ३६८ । क भण्डार । ८१२, नित्यकृत्यवर्णन""...। पत्र सं० १२ । पा० १२४५३ इश्च । भाषा-हिन्दी । विस्य-धर्म । र. काल XI ले. काल XI पूर्ण | वे सं० ३५८ 1 भण्डार । ८१३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६ । ले. काल X । वै० सं० ३५६ । कु भण्डार | ८१४. निर्मात्यदोषवर्णन–चा दुलीचन्द ! पत्र सं० ६ । प्रा. १०२४८३ भापा-हिन्दी । विषयभावक धर्म वर्णन ! २० काल X मे० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० ३८१ । क भण्डार । ८१५. निर्वाणप्रकरण......"| पत्र सं० ६२ । प्रा०६५-८६ इच। भाषा-हिन्दी गद्य ! विषय-धर्म । र० काल X । ले० काल सं १८६६ बैशाख बुदी ७ । पूर्गा । वे. सं० २३१ । ज भण्डार । विशेष-गुटका साइज में है । यह जैनेतर ग्रन्थ है तथा इसमें २६ सर्ग है। १६. निर्वाणमोदकनिर्णय नेमिदास ! पत्र सं० ११ । प्रा० ११३४७३ इन 1 भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-महावीर-निर्धारण के समय का निर्णय | २० काल X । ले. काल X पूर्ण । के० सं०१७ | ख भण्डार । Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ } [ धर्म एवं आधार शास्त्र ८१७. पंचपरमेष्ठी गुए। पत्र सं० ५ । प्रा० ७५३ | भाषा - हिन्दी | विषय-धर्म | ० बाल X | ले" काल × । पूर्ण । वे० सं० १३२० | भण्डार | ८१८, पंचपरमेष्ठी गुणवर्णन - बालूराम । पत्र सं० ७३ । ०४३४४३ । भाषा - हिन्दी गय | विषय-परिहंत, सिद्ध, प्राचार्य, उपाध्याय एवं सर्व साधु पंच परमेष्ठियों के गुणों का वर्णन | २० काल सं० १८६५ फागुण १०६ पाद बुदी १२ | पूर्ण । वे० सं० १७ | झ भण्डार 1 विशेष - ६० वें पत्र से वशानुप्रेक्षा भाषा है । ८१९. पद्मनंदिपंचविंशतिका - पद्मनंदि । पत्र सं० ५ से ८३ । ग्रा० १२३४५ इझ | भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । ० काल X | ले० काल सं० १५८६ खेत सुदी १० । प्रपूर्ण । वे० सं० १९७१ । अ भण्डार । विशेष – लेखक प्रशस्ति प्रपूर्ण है किन्तु निम्न प्रकार है श्री धर्म मन्द्रास्तवाम्नाये वैद्य गोत्रे खंडेलवालान्थये रामसरिवास्तव्ये राव श्री जगमाल राज्यप्रवर्तमाने साह सोनपाल *} २६. प्रति सं० २ । पत्र [सं० १२६ | ले० काल सं० १५७० ज्येष्ठ सुदी प्रतिपदा । वे० सं० २४५ | अ भण्डार | विशेष – प्रशस्ति निम्नप्रकार है-संवत् १५७० वर्षे ज्येष्ठ सुदी १ रवी श्री मूलसंघे बलात्करगणे सरस्वती न श्री कुरंदकुदाचार्यान्वये भ० श्री सकलकीर्तिस्तच्छिष्य भ० भुवनकीर्तिस्तच्छिव्य भ० श्री ज्ञानभूषण तच्चिप्य ब्रह्म तेजसा पठायें | लुलि ग्रामे वास्तव्ये व्या० शवदासेन लिखिता । शुभं भवतु | १६८५ वर्षे लिखा है । विषय सूची पर "सं २१. प्रति सं० ३ पत्र [सं० ६ । ले० काल X | ० २२. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ६० से० काल सं० २३. प्रति सं० ५ | पत्र सं० १५१ । ले० काल x २४. प्रति सं० ६ | पत्र [सं० ५१ | ले० काल ४ । विशेष – प्रति संस्कृत टीका सहित है 1 ६२५ प्रति सं० ७ । पत्र सं० ५६ । ले० काल सं० १०४ माघ सुदी ४० सं० १०२ । ख भण्डार 1 भण्डार ० ५२ । भण्डार । १०७२ । ० सं० ४२२ । क भण्डार ० ० ४२० । क भण्डार । ० सं० ४२१ । क भण्डार | विशेष - भट्ट बल्लभ ने अवंती में प्रतिलिपि की थी । ब्रह्मवर्माष्टक तक पूर्ण । ८२६. प्रति सं० ८ । पत्र सं० १३६ | ले० काल सं० १९७८ माघ सुदी २ ० ० १०३ व प्रशस्ति निम्नप्रकार है-- संवत् १५७८ माघ सुदी २ बुधे श्रीमूलसंचे सरस्वतीच्छे बलात्कारगो श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्मनंदि देवास्तपट्टे भट्टारक श्री सकलकीत्तिदेवास्तत्पदे भट्टारक श्री भुवनकीति देवारतप्राचार्य श्री ज्ञान कोति देवास्स शिष्य द्याचार्य श्री रत्नकीर्तिदेवास्तच्चय आचार्य श्री यशःकीर्ति उपदेशान हूंबड 39% Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] [ ६० ज्ञातीय बागड़देशे सागवाड़ शुभस्थाने श्री प्रादिनाथ चैत्यालये बड़ ज्ञातीय गांधी श्री पोपट भार्या श्रमस्तियोः सुत गांधी कार्थं लिखाप्य इयं पंचविंशतिका दत्ता । रामाभारा भण्डार । भण्डार । भदार । २७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २०५ । ले० काल सं० १६३८ घाषात् सुदी ६ ० ० ५६ भण्डार विशेष बैराठ नगर में प्रतिलिपि की गई थी । भण्डार २५. प्रति सं० १० | पत्र सं० ४ ० काल X 1 प्रर्ख । ० सं० ४१८ | भण्डार २६. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ५१ से १४६ । ले० काल X। अपू । वे० सं० ४१६ । २०. प्रति सं० १२ | पत्र सं० ७६ । ले० काल । अपूर्ण ० सं० ४२० । ङ भण्डार । ८३१. प्रति सं० १३ | पत्र सं० ८१ । ले० काल X। अपूर्ण ० सं० ४२१ । भण्डार । ३२. प्रति सं० १४ [ पत्र सं० १३१ । ले० काल सं १६८२ पीप बुदी १० । ० सं० २६० । न भण्डार विशेष — कहीं कहीं कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं । = ३३. प्रति सं० १५ । पत्र सं० १९८ । ले० काल सं० १७३२ सावरण सुदी ६ । वे० सं० ४६ न विशेष – पंडित मनोहरदास ने प्रतिलिपि कराई 1 ३४. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १३७ | ले० काल सं० १७३५ कार्तिक सुदी ११० सं० १०८ । अ ३५. प्रति सं० १७ । पत्र सं० ७ ले० काल सं० २६४ । भण्डार | विशेष – प्रति सामान्य संस्कृत टीका सहित है । ८३६. प्रति सं० १८ । पत्र सं० ५८ । ले० काल सं० १५८५ बैशाख सुदी १ ० सं० २१२० । ट विशेष – १५८५ वर्षे बैशाख सुदी १५ सोमबार श्री कष्टाचे मात्रा के ( माथुररन्दे ) पुष्कर भट्टा श्री चन्द्रदेव । तत्। ६२७. पद्मनंदिपंचविंशतिटीका धर्म | १० काल X | ले काल सं० १६४० भादवा बुदी ३ । प्रपूर्ण पत्र सं० २०० । ० १३४५ इख भाषा-संस्कृत विषयसं० ४९३ । भण्डार विशेष प्रारम्भ के ५.१ पृष्ठ नहीं हैं । पद्मनंदिपशीसीभाषा - जगतराय | पत्र सं० १५० | श्रा० ११३५६ इच । भाषा - हिन्दी पच । २० काल सं० १७२२ फागुण सुदी १० । ले० काल । पू । ० सं० ४१६ | क भण्डार 1 1 विशेष ग्रन्थ रचना मोरङ्गजेब के शासनकाल में सागर में हुई थी । ८३६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७६ । २० काल सं०] १३५= | विशेष – प्रति सुन्दर है | सं० २६२ अ भण्डार । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८ ] धर्म एवं आनार शास्त्र ८४०. पद्मनंदिपजीसी भाषा - मन्नालाल खिन्दूका | पत्र ० ६४१ । श्रा० १२:२३ इञ्च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय-धर्म । २० काल सं० १९१५ मंगसिर बुद्दी ५ | ले० काल Xx पूर्ण ० सं० ४१६ । क भण्डार विशेष- इस ग्रन्थ की वचनिका लिखना ज्ञानचन्द्रजी के पुत्र जौहरीलालजी ने प्रारम्भ की थी। 'सिद्ध स्तुति' तक लिखने के पश्चात् ग्रन्थकार की मृत्यु हो गई। पुनः मन्नालाल ने ग्रन्थ पूर्गा किया। रचनाकाल प्रति मं० ३ के आधार से लिखा गया है। ४१. प्रति सं० [सं० ४१० । ० काल X | ० ० ४१७ | क भण्डार ४२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३५७ । ले० काल सं० १६४४ चैत बुदी ३ । वे० सं० ४१७ | भण्डार । | पत्र सं २७ । प्रा० ११४७३ | भाषा - हिन्दी विषय८४३. पद्मनंदिपचीसीभाषा ... धर्म । र० काल X 1 ले० काल X। अपूर्ण । ० ० ४१० क भण्डार | ८४४. पद्मनंदिश्रावकाचार - पद्मनंदि । पत्र सं० ४ से ५३ । भा० ११३५३ । विषय-याचार ज्ञास्त्र | १० काल X | ले० काल सं० १६१३ । अपूर्ण । ० सं० ४२= | ङ भण्डार ८४४. प्रति सं० २ । पत्र सं० १० से ६६ । ले० काल X 1 अपूर्ण । ० सं० २१७० | ट भण्डार ४६. परीषद्दवर्णन इख । भाषा - हिन्दी । विषय- धर्म । २० ..... | पत्र [सं० ६ । आ० १०३२५ सं० ४४१ | भण्डार | विशेष स्तोत्र आदि का संग्रह भी है। काल × । ले० काल X। पूर्ण । वे० ४७. पुच्छीसेरा" काल X 1० सं० १२७० 1 पूर्ण । पत्र सं० २ । प्रा० १०४ । भाषा - प्राकृत विषय-धर्म र० काल X 1 भण्डार ८४. पुरुषार्थसिद्धच पाय - अमृतचन्द्राचार्य । पत्र सं० १६ । प्रा० १३६ ४५३ इल । भाषा-संस्कृत विषय- धर्म । र० काल X | ले० काल सं० १७०७ मंगसिर सुदी ३ । ३० सं० ५३ | अ भण्डार विशेष-प्राचार्य कनककीति के शिष्य सदाराम ने फागुपुर में प्रतिलिपि की थी । ४६. प्रति स० २ । पत्र सं० १ १ ० काल X ।। ० सं० ५५ । छ भण्डार | ५० प्रति सं० ३ । पत्र ० ५६ । ले० काल सं० १८३२ ० सं० १७८ का भण्डार । ५१. प्रति सं० ४ । पत्र मं० २८ । ले० काल सं० १९३४ | वे० सं० ४७१ । क भण्डार ! विशेष- पलोकों के ऊपर नीचे संस्कृत टीका भी है। ८५२ प्रति सं० ५ । पत्र सं ८ । ले० काल X। वे० सं० ४७२ । ऊ भण्डार । ५५३. प्रति सं० ६ । पत्र सं० १४ से० काल X ० ० ६७ । छ भण्डार विशेष प्रति प्राचीन है । ग्रन्थ का दूसरा नाम जिन प्रवचन रहस्य भी दिया हुआ है । * Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र भण्डार । [ ६६ ५४. प्रति सं० ७ पत्र ० ६ ० का ० १०१७ भादवा बुदी १३ २० मं० ६८ छ भण्डार । विशेष प्रति वा टीका सहित है तथा जयपुर में लिखी गई थी। ५५. प्रति सं० पत्र सं० १० । ० काल X ० ० ३३१ । ज भण्डार | ४६. पुरुषार्थसिद्धनापाटी १९६५ भाषाभण्डार | ० ० ४०५ | हिन्दी | विषय-धमं । र० काल सं० १८२७ | ले० काल मं० १८७६ गुर्गा ० १०५ ० का ० १९५२ ० ० ४०३ ० १४ ० का ० १८२७ मंगसिर मुदी २० मं० १९८ भण्डार ५७. प्रति सं० २ प्रति सं० ३ I ८५६. पुरुषार्थसिद्ध यु. पायभाषा - भूधरदान 1 पत्र मं० ११६ । प्रा० ११३८ । भाषाहिन्दी विषय-धर्म २० का ० १२०१ भादवा गुदी १०० काल ६० १९५२ पूर्ण २००८७३ क ६०. पुरुषार्थसिद्धपाय चनिका -- भूधर मिश्र । पत्र मं० १३६ । आ० १३.७ इच्च | भाषाहिन्दी विपत्र-धर्म । २० काल सं० १८७१ । ले० काल । पू । ३० सं० ४७२ क भण्डार | ! ८६१. पुरूषार्थानुशासन - श्री गोबिन्द भट्ट पत्र ०६८ से ६७० १०x६ संस्कृत विषय धर्म २० का ० सं० २०५३ बुदी ११ पूर्ण ० ० ४५ विशेष- प्रशस्ति विस्तृत दी हुई है। श्योजीराम भांवसा ने प्रतिलिपि की थी। ६२. प्रति सं० २०७६०काल X ६३. प्रति सं० ३ । पत्र ०७१ ० काल X १० नं ० १७६ अ भण्डार ४०० क भण्डार । ६४. प्रतिक्रमण * पत्र सं० १३ । ग्रा० १२५३ की आलोचना । २० काल X | ले० काल X। श्रपूर्ण । वे सं० २३१ । ی | भाषा - प्राकृत च भण्डार | भाषाभण्डार विषय किये हुये दोषों ० ० २३२ च भण्डार । इञ्च । ८६५. प्रति सं० २०१० X पू ६६. प्रतिक्रमण पाठ ३६०६३ भाषा प्राकृत विषय किये हुये | पत्र दोषों की धानोमा र० काल । ० का ० १०९९ पूर्ण वे० मं० ३२ ज भण्डार । ६७. प्रतिक्रमणसूत्र पत्र मं० ६ की पालना २० काल X ले० काल । पूर्ण ३०० L ० ६५ ६३ । भाषा प्राकृत विषय किये हुये २२६६ भण्डार ८६. प्रतिक्रमण ...... पत्र [सं० २ से १८ प्रा० ११४५ इ भाषा-संस्कृत विषय किये हुये दोषों की आलोचना २० काल ५ ० का ० मं० २०६६ ट भण्डार - 1 २२० १२४ भाषा-प्राकृत ८६१. प्रतिक्रमणसूत्र - ( वृत्ति सहित ) ... | पत्र सं० संस्कृत । विषय किये हुए दोषों की प्रालोचना । १० काल X | ले० काल । पूर्ण । ० सं० ६० । श्र भण्डार । Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४. ] वर्मयं याचार शास्त्र ७५, प्रतिमाउत्थापक उपदेश-रूप । पत्र सं० ४७ | प्रा. ६४४ दृश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । र काल | लेल काल में. १८२५ । प्रहरी । ते ११२ । ख अटार । विशेष-भोरजाबाद में रचना की गयीं थी। ७१. प्रत्याख्यान... | पत्र । प्रा० १०५४. इश्च । भाषा-प्राकृत | विषय-धर्म । १० पाल | काल । पूर्गा । जे० सं० १७७२ । टे भण्डार' ! ७. प्रश्नोत्तरभाषकाचार" " | पन ०२५ । ग्रा० ११४८ इञ्च । भाा-संस्कृता । विषय-माचार मात्र । र. लाल | ल. काल X । अगा । ये० सं० १६१५ । भण्डार । विशेष--प्रति हिन्दी अात्या महित है। ७६. प्रश्नोत्तरश्रावकाचारभाषा–बुलाकीदा। पत्र स.१६८ | प्राः ११४५ इन भाषाहिन्दी सम । दिपाय-यापार शास्त्र । २० काल सं. १७४७ बैशा सुट्टी २ । ले: काल सं. १८५१ सिर मुखी। ३. सं. १२।ग भपकार । विशेष--यालालजी के पुत्र छालालजी साह ने प्रतिलिपि कराया। इस अन्य का, भाग जहानाबाद तथा नीबाई, भाग पानीपत में लिखा गया था। __ तीन हिस्से या ग्रन्थ को भय जहानाबाद । चौथाई जलपध विषै वीतराग परमाद ।' १. प्रति संक। पत्र सं० ५६ । ले. काल सं. र सावरण सधी ५ । ५० सं०६३। न भण्डार। विशेष—इयोलाल जी साह ने सवाई माधोपुर में प्रतिनिधि कराकर चौथरिया के मन्दिर अन्य चढ़ाया। ८७५. प्रति सं०३। पत्र स. १५ । काल सं. १८६४ यंत्र सदी 23वे: स. १२१।क भण्डार ! विशेष-० १८२६ फागुण गुदी १३ को ब-बतराम गोधा ने प्रतिलिपि की था पार उस प्रति में इस की नकल उतारी गई है। महात्मा सीताराम के पुत्र वावचन्द ने इसको प्रतिलिपि को। ८७६. प्रति सं:४। पत्र सं. २१ । लेक काल । ० सं०६४ | अर्ग। च माहार । ७४. प्रति सं५ । पत्र सं० १०५ । ले० काल सं० १९६६ माघ सुदी १२। वे० सं० १६१ । छ भण्डार | ७. प्रति सं०६। पत्र . १२५ । ले. काल सं० १८८३ पोप बूमी १४० सं० १९ । क भण्डार। ८६. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार भाषा-पन्नालाल चौधरी। पत्र ० ३४८ । मा० १२.४५ रश्च । भापा-हिन्दी गय । विषय-प्राचार शास्त्र । र काल सं० १९३१ पौष दुदी १४ । ले. काल सं १९३८ । पूर्ण । ० सं० ५१८ । क भण्डार । ८८०. प्रति सं०२। पत्र सं०४.० । ले काल सं. १९३९ : ०५.१५ । के भाटार । Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ७१ धर्म एवं प्राचार शास्त्र । ८१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २३१ ले ४६ ले० कान ४ | अपूर्ण | थे. मेर ६४६ । च भण्डार । ८. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार | पत्र सं० ३३ । प्रा० ११३४५. इञ्च 1 भाषा-हिन्दी गछ। विषय आवार शास्त्र । र• काल X । ले. काल सं० १८३२ । पूर्ण । वे सं० ११६ १ ख भण्डार | .विशेष—प्राचार्य राजकीति ने प्रतिलिगि की थी । ३. प्रति गं गा . [ is : 1 प्रपूर्ण | वे सं० ६.७ | च भण्डार । म. प्रति सं३ पत्र सं० ३.० । ले० काल X 1 प्रवर्ण । ये० सं० ५१ । हु भण्डार। सम५. अनि सं०४ । पत्र सं० ३०७ । ले. काल X । अपुर्ण । ० सं० ५.१६ । उ भण्डार । 4. प्रश्नोत्तरोपायकाचार -मः सकलकीर्ति । पत्र सं० १३१ | प्रा. ११४४ इन्च । भागसंसत । विषय-धर्म | र० काले काल ० १६६५ फारण गुदी १० । पूर्ण | वे सं०१४२ । अ भण्डार । विगैष-ग्रन्थाग्रन्थ संख्या २६०० । प्रशस्ति-संवत् १६६५ वर्प फागृण सुदो १० सोमे विराडदेगे पनवाड़नगर श्री चन्द्रप्रमचंत्यालये श्री काष्ठासंथे नंदोतटगच्छ विद्यागरो भट्टारक श्री राम नान्य ये भ० श्रीलक्ष्मीरोनदेवास्तस्पट्ट भ. श्री भीमसेनदेवास्तसभा श्री सोमकोतिवास्तत्र भ. श्री विजयसेनदेवास्तत्व श्रीमदुदयसेनदेवा भ० श्री त्रिभुवनक्रान्तिदेवास्तपट्टे में श्री रत्नभूषणदेवास्तपट्टाभरण मत जयकीतिस्तच्छिप्योपाध्याय श्री वीरचन्द्र लिखितं । RE७ प्रति सं०२ पसं. १७१। ले. काल सं० १६६६ पौष सुदो १।. सं. १७४। श्र भण्डार। ८. प्रति सं. ३ । पय सं० ११७ | ले. काल सं० १८८१ मंगसिर मुदी ११ । ३० सं० १६७ | अ भण्डार। विशेष—महाराजाधिराज सवाई जयसिंहजी के शासनकाल में जंतराम साह के पुत्र श्योजीलाल की भायां ने प्रतिलिपि कराई। ग्रन्थ की प्रतिनिधि जयपुर में अंबाबती(आमेर ) बाजार में स्थित मादिनाथ चैत्यालय के नीच ती तनसागर के शियमबालाल के यहां सवाईराम गोधा ने की थी। यह प्रति जैतरामजी के पड़ों में (१२ दिन पर) श्याजोरामजी ने पाटोदी के मन्दिर में सं० १८१३ में भेंट की। मा. प्रति म ४ पत्र सं० १२४ । ले. काल सं० १६७४ | थे० सं० २१७ । अ भण्डार । ८. प्रति सं०५ | पत्र सं. २१६ | ले. काल सं० १६७६ प्रासाज बुदो ५ । वे सं. २११ । अ भाडार | विगेस–मान गोधा में प्रतिलिपि कराई थी। प्रशस्ति-संबन १६७६ व प्रासोन बदि यानिवासर रोहणी नक्षये मोजाबादनगर राज्यश्रीराजाभावसिंध राज्यपवर्नमाने थी मूलसंघे नंद्याम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टारकश्रीपधनंदिदेवातत्पट्ट भट्टारकधीशुभचन्द्रदेवातपट्टे भट्टारकश्रीजिनचन्द्रदेवालपट्टे भट्टारव श्रीप्रभाचन्द्रदेवातत्पट्टे भट्टारकधीचन्द्रकीतितत्पर्ट भट्रारकश्रीदेवेन्द्रका तिस्तदाम्नाये गोधा गोत्रे जानक-जनसंदोहवल्पवृक्ष श्रावकाचारचरण-निरत-चित साह श्री धनराज Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गर्व भागार मात्र तद्भार्या सीलतोय-लङ्गिणो विनय-बागेश्वरी धनसिरि तयोः पुत्राः अयः प्रथमपुत्रधर्मधुराधरा धीरसाह श्री सा तदायां दानमोलगुग्गभूषणभूषितगात्रानाम्ना गूजरि नयोः पुत्र राजसभा शृगारहारस्वप्रतापदिनकरमुकुलिकतशत्रुमुखकुमुदाकर स्वज..... निसाकरयालादित कुवलयदानगुण अल्वीकृतकल्पपादप श्री पंचपरमेष्टिचितम पविधिसचिन सकलगुरिंगजनविश्रामस्थान माह श्री नानूतन्मनोरमाः पंच प्रथमनारंगदे द्वितीया हरखमदे तृतीया सुजानदे चतुर्था सलालदे पंचम भार्या लाडी । हरखमदेजभितपूना: त्रयः स्वकुलनामप्रकाशने कचन्द्राः प्रथम पुत्र साह पावावर्ण तद्भार्या अहंकारदेपुत्र नाथु । दुनीभार्यालाडमदे पुत्र केसबदाम भार्या कपुरदे द्वितीय पुत्र चिः लूणकरण भार्या ' प्रथमललतादे पुष रामकर्ण द्वितीय लाडमदे । तृतीय पुद्र चि० वलिकर्ग भार्या बालमदे | चतुर्थ पुत्र चि० पूर्णमल भार्या पुरवदे । साह धनराज द्विती पुत्र साह श्री जोधा तद्भार्या जौणादेतयोः पुत्रास्त्रयः प्रथमपुत्रधार्मिक साह करमचन्द तद्भार्या सोहागदे तयो पुत्र निक दयालदास भार्या दाउमदे । द्वितीपुत्र साह धर्मदास तादि । प्रथम भार्या धारादे द्वितीय भार्या लाउमदे तयो पुत्र साह हंगरसी तद्भार्या दाडिमदे तत्पुत्रौ द्वे'। प्र० पु. लक्ष्मीदास द्विः पुत्र चि० तुलसीदास | जोधा तृतीय पुत्र जिणचरणकमन्नमधुर साह पदारथ त.द्रार्या हमीरदे । साह धनराज तृतीय पुत्र दानगुरणधेयांससफल जनानन्दकारकस्वचमप्रतिपालनसमर्थमोपकारकसाहथीरतनसी सद्भार्या प्रथम भार्या रानादे द्वितीय भार्या नौलादे तयो पुत्राश्चत्वारः प्रथम पुत्र क्षुपाल तद्भार्या मुप्वारदे तयोःपुत्र चि. भोजराज तद्भार्या भावलदे । धीरतनमी द्वितीय पुत्र साह गेगराज तझायां गौरादे तयोपुषाः त्रयः प्रथम पुत्र चि० साल द्वि० पुत्र चि. निधा नृतीय पुत्र चि० मलहृदी । साह रतनसी नृतीय पुत्र साह भरथा तद्भार्या भावलदे चतुर्थ पृथ चि० परतत तद्भार्या पाटमदे । एतेषां मध्ये सिंघवी श्री नामू भार्या प्रथम नारंगद । भट्टारकश्श्रीचन्द्रकीत्ति शिष्य प्रा० श्री शुभचन्द्र इदं शास्त्रं व्रतनिमित्तं घटापितं कर्मक्षयनिमित्त । शानवान ज्ञानदाने""" ८६१. प्रति सं०६। पत्र सं० ४६ मे १६४ । ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० १९८३ । अ भण्डार । १२. प्रति सं७१ पत्र सं. १३० । ले काल में १-१२। अपूर्गा । वे० सं० १०१६ । अभण्डार । विशेष--प्रशस्ति अपूर्ण है । बीच के कुछ पत्र नहीं हैं | पं. केदारीसिंह के शिष्य लालचन्द ने महात्मा गंभुराम म सवाई अयपुर में प्रतिलिपि करायी | ८. प्रति सं०८। पत्र सं०१६५ले० काल सं० १९८२ । ने. सं. ५१६ । के भण्डार | ६४. प्रति सं पत्र सं० ८१ । ले. काल सं० १९५८ । ० सं० ५२० । क भण्डार । ५. प्रति सं०१०। पत्र सं० २२१ । ले० काल सं० १६७७ पौष मुदो ।० सं० ५१७ । क भण्डार । ८१६. प्रति सं११ । पत्र सं. ११० । ले. काल सं. १८८० सं० ११५ । ख भण्डार । विशेष-पं. रूपचन्द ने स्वपटनार्थ प्रतिलिपि की थी। ६७. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ११६ । ले. काल X | ये० सं० ६४ । ख भण्डार । ८. प्रति सं०१३ । पत्र सं० २ मे २६ । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० ५१७ । रु भण्डार । CEL. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ६६ । ले० काल X । अपूर्ण । वेल सं० ५१७ । कु भण्डार । ६००. प्रति सं०१५। पत्र म १२६ । ले. काल . सं० ५२० | ह.भण्डार । Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] ११. प्रति सं०१६। पत्र सं० १८५ | ले० काल | वे० सं० १०६ छ भण्डार 1 विशेष प्रति प्राचीन है । अन्तिम पत्र बाद में लिखा हया है। १०२. प्रति स १७ । पत्र में ७३ । ले. बाल सं० १८५६ मात्र मुदो ३ । ३० सं० १०८ | छ भण्डार 1 ६० प्रति सं०१८ । पत्र सं० १०४ । ने. काल सं० १७७४ फासुग्ण बुद्दी = | के. १०६ । विशेष—पांचोलाय में चातुर्मास योग के समय पं. सोभागविमान ने प्रतिलिपि को थीम. १८२५ ज्येष्ठ बुदो १४ को महाराजा पृथ्वीसिंह के पालनकाल में घासीराम छाबड़ा ने सांगानेर में नीची के मन्दिर में चढ़ाई। ६०४. प्रति सं०१६ । पम सं० १६. | ले. काल मं० १८२६ मंगमिर बुदी १४ । ३ नं. ३ । बभण्डार । ६.०५. प्रति सं०६०१ पत्र सं० १३२ । ले० काल 1 सं. २२३ । र भण्डार । १०. प्रति सं० २१ । पन सं० १३१ । ले काल सं० १७५६ मंगसिर बुदी = । वे० सं० ३० । बिष-महात्मा धनराज ने प्रतिलिपि की धी। ६८६, प्रति सं०२२ । पत्र सं० १६४ । ने० काल मं० १६७४ ज्येष्ठ मुदी २ । वे मं० ३७५ । भण्डार। १५८. प्रति सं० २३ । पत्र गं. १७१ । न काल सं० १६८८ पाप रादी ५ । वे मा ३४३ । र भण्डार। विशेष---भारव देवेन्द्रनानि तदाम्नाथे खंडेलवालान्वये पहाला साह श्री नान्हा इदं पुस्तकं लिखापिनं । ११. प्रति सं०२४। एष सं० १३१ । ले० काल X 1 वे० सं० १८७३।८ मण्डार । १७. प्रश्नोत्तरोद्धार - " | पत्र संख्या ५० । आ०-१०:४१ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषयमाचार शास्त्र । र० काल-X I ले बाल-भं० १९०५ सावन बुदी ५ । अपूर्ण व.० १६६ । छ भण्डार । विदोष-चूरू नगर में स्वौजीराम कोठारी ने प्रतिलिपि कराई। ११. प्रशस्तिकाशिका-बालकृष्ण। पत्र संख्या १६ । पा. ४ इन्च । भाषा-मन । विषय-धर्म । र काल-Xले. बाल-सं० १९४२ कार्तिक दी = I ० ० २७८ | छ भण्डार। विशेष-बस्तराम के शिष्य शंभु ने प्रतिलिपि की थी। भारम्भ-नत्वा गणपति देवं सर्व विघ्न विनाशनं । गुरु च' करणानाचं ब्रह्मानंदाभिधानकं ।।१।। प्रशस्तिकाशिका दिल्या वानवामोन रम्यते । सर्वेषामुपकाराय लेखनाय त्रिपाठिना ॥२॥ चतुर्णामपि वर्णानां क्रमनः कार्यकारिका । लिस्यते सर्वविवाथि प्रबोधाय प्रशस्तिका ।।३।। Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . .:. . - आचार शास्त्र यस्या लेखन मात्रेसा विद्याकातिगोपि न । प्रतिष्ठा लभ्यते शीतमनायासेन धीमता ॥४॥ १२. प्रातः क्रिया..." । पत्र सं० ४ । मा० १२४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । दिपाय-याचार । २० काल-X । ले० काल-X1 पूर्ण । व० सं० १६१६ 1 ट भण्डार । ११३. प्रायश्चित प्रथ..... | 4 सं. ३ । प्रा० १३४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विपर्व-विर हुए दोषों की माला चना । २० काल-X । ले: काल-X । अपूर्मा ! वे० सं० ३५२ । व भण्डार । ११४ प्रायश्चित विधि-कलंक देव । पत्र सं०१७। श्रा. ६x४ मुश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-किये हुए दोषों को पालोचना । र काल-x। ले० काल-X पूर्ण 1 बे० सं. ३५.२ | अ भण्डार । ११५. प्रति सं०२। पत्र सं. २६ । लेकाल-X . मं० ३५२ । अभण्डार । विशेष --१. पत्र में प्रामे अन्य ग्रयों के प्रयपिचत पाठों का संग्रह है। ६१६. प्रति सं०३। पत्र सं० ५। ले. काल गं. १६३४ र बुदी १ ० .११.व भार । विशेष-4 पन्नालाल ने जोबनेर के मंदिर जयपुर प्रतिलिरि की थी। ६१७. प्रति सं०४ । ले० कारल-X । व० सं० ५२३ । ड भण्डार । ६१८. प्रति सं०५। ले. काल-सं० १७४४ । वे० सं० २४४ | च भण्डार । विशेष-प्राचार्य महेन्द्रकीति ने बावती (अंबावती) में प्रतिलिपि की । 11. प्रति सं५ । ल काल-सं० १७६६ । ३० सं० । भण्डार । विशेष-बगरू नगर में पं० हीरानंद के शिष्य पंचोखचन्द ने प्रतिलिपि की थी। १२०. प्रायश्चित विधि...."। पप सं०५६ । प्राइ च। भाषा–कांस्कृत | विषय-किन हा दोषों की बालोचना । २. काल-X1 ले. काल सं १८०५ । अपुगे । ३० सं०-१२८ । अ भण्डार । विशेष--२२ वां तथा २६ वां पय नहीं है। ६२१. प्रायश्चित विधि........| पत्र सं०६ | ग्रा• x४: श्च । भाषा-संस्कृत । शिपय-किग हो दोपों का पश्चाताप । र० काल-X । ने० काल-X । पूर्ण । वैर सं० १२८१ । अ भण्डार । १२२. प्रायश्चित विधि-भ० एकसंधि । 'पत्र सं. ४ : प्रा० १०४ इञ्च । भापा-मम्न । विपगविहए दोषों की मालोचना । र० काल-Xले काल-XI पूगे । ३० म. ११.७ अभण्डार । ६२३. प्रति सं०२ । पत्र सं० २ । ले० काल--X । ३० मं० २.४५ ॥ च भण्डार । विशेष-प्रतिष्ठासार का दशम अध्याय है। १२४. प्रति सं०३।ले. काल सं० १७६६ । वे० सं०३३ । ब भण्डार । ६२५. प्रायश्चित शास्त्र-इन्द्रनन्दि । पत्र सं। १४ । प्रा० १०.४ । भाषा-प्राक्त । विषय-किये हुए दोषों का पश्चाताप । र काल-X । ल काल- पूर्गा 1 वे० सं० १६३ । अ भण्डार । ६२६. प्रायश्चित शास्त्र | पत्र सं० । प्रा० १.४४६ इन। भाषा-गुजराती ( लिपि Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -धर्म एवं प्राचार सा ]. - . .. ... ... ... - देवनागरी) विषय-किये हुए दोषों को पालोचना र काल-X1 ले० काल-X । अपूर्ण | वे सं० १९६८ । ट भण्डार ६७. प्रायश्चित समुच्चय टीका-नंदिगुरु । पत्र सं० ८ । प्रा० १२x६ । भाषा-संस्कृत । विषयकिये हुए दोषों की आलोचना। २० काल-XI ले. काल-सं० १६३४ चैव बुदी ११ । पूर्ण | वे० मं० ११८ । व भण्डार । ८ प्रोपोप भर । पत्र सं. १ । प्रा० १०४५ इन्न । भाषा-हिन्दी । विषय-प्राचार शास्त्र । २० कान-X । ले० काल-X । वे सं० १४७ 1 पूर्ण । छ भण्डार । २६. बाईस अभक्ष्य पणेन-बाबा दुलीचन्द । पत्र सं. ३२ । प्रा० १०६४६३ रञ्च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय-धावकों के नखाने योग्य पदार्थों का वर्णन । र काल-सं० १९ बैशाख मदी। ले० काल-। पूर्ण । वे० सं० १३२ । क भण्डार । ३० वाईस अभक्ष्य वर्णन XI पत्र सं०६ । ग्रा० १०४७ ! भाषा-हिन्दी। विषय-श्रावको के न खाने योग्य पदार्थों का वर्णन । र० काल ले. काल ! पूर्ण । वेल सं. ५३३ । ब भण्डार । विशेष प्रति संशोधित है। ६३१. बाईस परीपह वर्णन-भूधरदास । पत्र सं०६। प्रा. ६x४ १५ । भाषा-हिन्दी ( पद्म ) । विषय-मुनियों द्वारा सह्न किये जाने योग्य परीषहां का वर्णन | र० कान १८ वी शताब्दी | ले. काल : I पूर्ण । पं० सं० ६६७ | अ भण्डार | ६३२. याईस परीपह ....'' X I पत्र सं० ६ । प्रा० EX1 भापा-हिन्दी । विषय-मुनियों के सहने योग्य परीषहों का वर्णन । र० क.ल X 1 ले. कान X । पूर्ण | वे० सं० ६६७ | सु भण्डार । ६३३. बालाविबेध (णमोकार पाठ का अर्थ ).X| पत्र सं० २। प्रा० १०x४,भाषा प्राकृत, हिन्दी | विषय-धर्म । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० २८६ छ भण्डार | विशेष—मुनि मारिणक्यचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ६३४. धुद्धि विलास-बखतराम साह । पत्र सं० ७५ । प्रा. ७४६ | भाषा-हिन्दो । विषय-प्राधार शास्त्र । र• काल सं० १८२७ मंगसिर सुदी २ । लेक काल सं० १८३२ । पूर्ण । वै. सं. १८८१ | ट मण्डार । ६३५. प्रति सं०२। पत्र सं०७४ । ले. काल सं. १९६३। ० सं० १९५५ । द भण्डार । विशेष-बखतराम साह के पुत्र जीवणराम साह ने प्रतिलिपि की थी। ६३६. ब्रह्मचर्यत्रत वर्णन ... ... पत्र सं०४। प्रा० ५४५ | भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल X1 ले. काल ४ । वै० पूर्ण । वे० सं० २३१ । भा भण्डार । ६३७. बोधसार... ' X । पत्र सं०.३७ । आ. १२४५ भापा-हिन्दी विषय-धर्म । र० काल । ले- काल सं० १९२८ । काली सुदी ५ । पूर्ण । ० सं० १२५ । ख भण्डार । विशंप-ग्रन्थ बोसपंथ की आम्नाय की मान्यतानुसार है। Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६] १३. भगवद्गीता (कृष्णार्जुन संवाद) हिन्दी विषय वैदिक साहित्य २० काल ६३६. भगवती आराधना विषय-मुनि धर्म बर्तन १० का X ले० काल ६४० प्रति सं० २ प ० ११२ से० काल X वे० [सं०] ५५० ] भण्डार । विशेष-पत्र ६६ तक संस्कृत में गाथाओं के ऊपर पर्यायवाची शब्द दिये हुए है । अ भण्डार । ६४४. भगवती आराधना टीका- अपराजितसूरि श्रीनंदिगण पत्र सं० ४३४ ० १२४६ इश्श्र्च 1 भाषा-संस्कृल । वियय-मुनि धर्म वर्णन | र० काल X। ले० काल सं० १७९३ मात्र बुदी ७ दुर्गा २७६ भण्डार | मंत्र ६४५ प्रति सं० २०३१५ ० का ० १५२० वैशाल बुदो ९०३३१ । भण्डार । [ धर्म एवं आभार शास्त्र पत्र मं० २२ से ४६०९३४५ च । भाषामे० काल । धपूर्ण ३० सं० १२६७ भण्डार शिवाचार्य | पत्र से० ३२१ | श्र० ११३५३ च भाषा प्राकृत पूर्ण वे ० ५४१ क भण्डार ६४१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १०३ । ले० काल X | ० मं० २५६ चनण्डार | विशेष प्रारम्भ एवं अन्तिम पत्र बाद में लिखकर लगाये गये है। ६४२ प्रति सं० ४ । २६५२०X००२६० भार विशेष – संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं । भण्डार । ६४३. प्रति सं० ५ | पत्र सं० ३१ ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० १३ । अ भण्डार | विशेष नहीं २ संस्कृत में टोका भी दी है। ६४६. भगवती आराधना भाषा - पं० सदासुख कासलीवाल ११ ० ६०७ १२०३ | भाषा - हिन्दी | विषय-धर्म र काल सं० १६०८ । ले० काल X। पूर्ण 1 वे० सं० २४८ | क भण्डार । ४७. प्रति सं० २०६३०० काल सं० १९५५ माह बुदी १२ ० ० ५६० ॥ ६४. प्रति सं० ३ । पत्र [सं०] ७२२ । ले० काल सं० १९९१ जेष्ठ सुदो वे सं० ६६५ । न ६४६. प्रति सं० ४ | पत्र सं० ५७ से ५१६ | ले० कान मं० १६२८ वैशाख सुदी १०१ । वे० सं० २५३ । ज भण्डार । विशेष—यह ग्रन्थ हीरालालजी बगडा न है । मिती १९४२ माघ सुदी १० को आचार्य जी के कर्म व्रत के उद्यारन में पढ़ाई। ६५०. प्रति सं० ५ | पत्र ० ५६ | ले० काल X। अपूर्ण ६५१. प्रति सं० ६ पत्र मं० २२५० काल पूर्ण ० मं० ३०५ । ज भण्डार 1 ०११६७ भार Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] [ ७७ ६५१. भावदीपक -- जोधराज गोदीका । पत्र सं० १ से २७७ । भा० १०४५३ हा भाषाहिन्दी | विषय- श्रर्म । २० काल X | ले० काल x 1 अपूर्ण । ० सं० ६५६ । च भण्डार । ६५२ प्रति सं० २ । पत्र सं० ५६ १ ० काल सं० १८५७ पौष सुदौ १५ । अपूर्ण । ० सं० ६५६ । च भण्डार । ३५२ वे० ० २५४ । ज भण्डार । ५४. भावनासारसंग्रह - धामुण्डराय । पत्र सं० ४१ । ग्रा० ११४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय- धर्म । र० काल- ४ | ले० काल सं० १५१६ श्रावण बुदी ८ पूर्ण । वे० सं० १५४ | श्रश्र भण्डार | विशेष-संवत् १५१६ वर्ष श्रावण बुदी अष्टमी सोमवासरे लिखितं बाई धानी कर्मक्षयनिमित्तं । ६५५. प्रति सं० २ । पत्र मं० ६४ १ ० काल मं० १५३१ फागुण बुदी 55 वे मं० २११६ । ट भण्डार । ६५६. प्रति सं० ३ । पत्र सं०७४ | ले० काल -X | अपूर्ण । वे० सं० २१३६ । ट भण्डार । विशेष – ७४ से आगे के पत्र नहीं हैं | ६५७. भावसंग्रह - देवसेन | पत्र सं० ४६ । ० ११४५ इन्च भाषा प्राकृत विषय धर्म र० काल -X | ले० काल-सं. १६०७ फागुण बुटी पूर्ण वे० ० २३ भण्डार विशेष ग्रंथ कर्ता श्री देवसेन श्री विमलसेन के शिष्य थे। प्रशस्ति निम्नप्रकार है: संवत् १६०७ वर्षे फागुरा यदि ७ दिने बुधवासरे विशाखा नक्षत्रे श्री प्रादिनाव चैत्यालये तक्षकगढ महादुर्गे महाराज श्री रामचंद्र राज्यप्रवर्तमाने श्री मूलसंबे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्री कुरंदकुदाचार्यन्विये भट्टारक श्री पद्मनंदिदेवा तप ६५८. भट्टारक श्री जिनचन्द्रदेवा'''''''''''' । काल सं० १६०४ भादवा सुदी १५ | वे० मं० ३२६ । भण्डार । प्रति सं० ३ | पत्र सं० १७३ । २० काल X। ले० काल - सं० १९०४ कार्तिक मुदी १० । क भण्डार । भट्टारक श्री शुभचन्द्रदेवास्त प्रति सं० २ । पत्र सं० ४५ । ले० विशेष – प्रशस्ति निम्नप्रकार है: संवत् १६०४ वर्षे भाद्रपद सुदी पूर्णिमातियो भौमदिने शतभिषा नाम नक्षत्रे धृतनाम्नियोगे रिका समसाहिराज्यप्रवर्त्तमाने सिकंदराबाद शुभस्थाने श्रीमत्काष्ठासंबे माथुरान्वये पुष्करगणे मट्टारक श्रीमलकीत्ति देवाः भट्टारक श्रीभद्रदेवा: तत्पठ्ठे भट्टारक श्रीमानुकीति तस्य शिक्षणी वा० मोमा योग्य भावसंग्रहाम्य शास्त्रं प्रदनं । ६५६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २८ । काल-X | वे सं० ३२७ अ भण्डार | ६६० प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४६ । ले० काल-सं० १५६४ पौष सुदी १० सं० ५५८ ॥ विशेष - महात्मा राधाकृष्ण ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • धर्म एवं आचार शास्त्र ६९. प्रति सं० ५ ० ७ ४५ ० काम सं० १९६४ फागुण बुदी ५ अपूर्ण ०२१६३ । भण्डार ६२. प्रति सं० ६ पत्र [सं०] ४० से० का ० १५७९ ११० सं० २१६६ 1 ट भर । विशेष- प्रशस्ति निम्नप्रकार है: संवत् १५७१ वर्षे भाषा दि ११ भादित्यनारे पेरीजा माहे ६३. प्रति सं० ७० ६ ० का पूर्ण विशेष-६ से पत्र नहीं है। भागे २६४. भावसंग्रह - भुनमुनि प ० ५६ ग्रा० १२४५३ च भाषा प्राकृत विषय००१०२२० सं० २१ । भण्डार * २० काल X विशेष – बीसवां पत्र नहीं है । ६४. प्रति सं० २ ० १०० ६६६. प्रति सं० ३ पत्र [सं०] ५६ ० का । — श्री मूलचे पंडितजिदान लिखापितं । वे० सं० २१७६ ट भण्डार विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। ६६७. प्रति सं० ४ | पत्र सं० १० । ० काल - । वै० सं० १८४१ | ट भण्डार । x ० सं० १३३ ० १७८३०० ५६६ विशेष-कहीं २ संस्कृत में अर्थ भी दिये हैं । १६. भावसंग्रह - पं वामदेव पत्र ० २७० १२५ भाषा-संस्कृत धर्म र काल - X। ले० काल सं० १८२८ । पूर्ण वे० सं० ३१७ । भण्डार । ये हैं प्रति प्राचीन है । ६६६. प्रति सं० २०१४ ले काल-X अपूर्ण वे० सं० १३४ विशेष भण्डार भण्डार V भण्डार नामदेव की पूर्ण प्रदरित दी हुई है। २ प्रतियों का मिश्रा है। अन्त के पृष्ठ पानी से भ ६७०, भावसंमद्द ८० काल -X | ले० काल -X | वे० सं० विशेषप्रति प्राचीन है। ६०१. मनोरथमाला २० काल -X | ले० काल - X पूर्ण । ० सं० ५७० ३ भण्डार | १०२. मरकतविलास-पन्नालाल I श्रावक धर्म वर्णन १० काल X ० काल-प्रपूर्ण पत्र सं० ६१० १२x६३ दश भाषा - हिन्दी विषय० [सं० ६६२ भण्डार | पत्र ५८० १४४५३ भाषा हिन्दी (पथ) विषय- धर्म । र० काल-सं० १८२१ पौष सुदी ५ । से० काल सं० १०६२ । पूर्णं । ० सं० ५७७ के भण्डार ६०३ मिध्यात्वन-बलतराम पत्र ० १४० ११५३ भाषा-संस्कृत विषय-धर्म १३५ । ख भण्डार | १४ से आगे पत्र नहीं है। पत्र० १० ८४ भाषा-हिन्दी विषय-धर्म ६श्च । T Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] [ ७६ ६.७४. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७० । ले. काल-X । ० सं०६७ । ग भण्डार । पासि सं. १ प .: ., कना-पं१०.२४ । वे सं० ६६ । च भण्डार । ६७६. प्रति सं०४। पत्र सं० ३७ से १०५ । ले. काल-४ । अपूर्ण । ते. सं० २०१६ । भण्डार । विशेष--प्रारम्भ के ३७ पत्र नहीं हैं। पत्र फटे हुये हैं । ७. मित्यावखंडन ..... | पत्र सं० १७ । प्रा० ११४५ इन्न । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल-X | ले काल-- । अपूर्ण | वे मं० १४६ । ख भण्डार । विशेष-१७ से प्रागे पत्र नहीं है। ६७. प्रति सं० २। पत्र सं. ११.१ले. काल-X । अपूर्ण 1 बे० से ५६४ । हु भण्डार । Est. मूलाचार टीका आचार्य वसुनन्दि । पत्र सं० ३६८। प्रा० १२४५६ च । भाषाप्राकृत संस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र। र० काल-! ले. काल-सं० १५२६ मंगसिर बी ११। वै. सं. २७५। अभण्डार । विशेष--जयपुर में प्रतिलिपि की थी। ६६०. प्रति सं०२। पत्र सं० ३७३ । ले. काल-X । बे० सं०५८० । क भण्डार 1 ४१. प्रति सं०३ । पत्र सं० १५.१ । ले० काल-X । अपूर्ण 1 वे० सं० ५६८ । भण्डार । विशेष—५१ से भागे पत्र नहीं है । ६८२. मूलाचारप्रदीप-सकलकीर्ति | पत्र सं. १२६ । प्रा० १२६४६ इञ्। भाषा-संस्कृत । विषय-आचारशास्त्र । २० काल--X | लेल काल-सं० १८२८ । पूर्ण । वै० सं० १६२ । विशेष—प्रतिलिपि जयपुर में हुई थी। ६८३. प्रति सं.२ । पत्र सं० ८५ । ले० काल-X । वै० सं० ८४६ । श्र भण्डार । ६४. प्रति सं०३ | पत्र सं० ८१ । ले० काल-X । वे० सं० २७७ । च भण्डार । १५५. प्रति सं०४। पत्र सं० १५५ 1 ले काल-X । वै० सं०६८ । छ भण्डार । ६८६. प्रति सं० ५। पत्र सं०६३ । ले० काल-सं० १८३० पोग सुदी २। बै० सं० १३ । ब भण्डार । विशेष.40 चोखचंद के शिष्य पं. रामचन्द ने प्रतिलिपि की हो । १८७, प्रति सं०६ । पत्र सं० १८. । ले. काल-सं० १८५६ कातिक बुदी ३ । बे० सं० १०१। ब भण्डार। विशेष- महात्मा सर्वमुख ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। ८८. प्रति सं०७ । पत्र सं. १३७ । ले. काल-सं० १९२६ चैत बुदी १२ । वै० सं० ४५५ । ब भण्डार । च मुलाचारभाषा-ऋषभदास। पत्र सं० ३० से ६३ | आ० १.४८ इश्व । भाषा-हिन्दी । विषय-प्राचार शास्त्र । र काल-सं० १८८८ । ले० काल-सं. १८६१ । पूर्ण । वे० सं० ६६१ । च भण्डार । Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८० [ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ६०. मूलाचार भाषा..."। पत्र सं० ३० मे ६३ । मा० १०.४८ इधा भाषा-हिन्दी । विषयप्राचार शास्त्र । र० काल-x। ले० कान-X1 अपूर्ण । वे. सं० ५६७ । ६६१, प्रति सं०२। पत्र सं०१ से १००, ३४६ से ३६० । मा० १०.x८ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-प्राचार शास्त्र । र० काल-x।ले. काल-X| प्रपूर्ण । वे० सं० १९८ । भण्डार । ६२. प्रति सं० ३। पत्र सं० १ से ८१, १०१ से ३०० 1 से० काल- मपूर्ण । वे० सं० ६०० । ६६३. मौतपैट्टी-बनारसीदास । पत्र सं० १ । प्रा० ११३४६३ इश्व । भाषा-हिन्दी | विषयधर्म । २० काल-X । ले. काल-X । पूर्ण । वै० सं० ७६५ । अ भण्डार । ६४. प्रति सं०२। पत्र सं ४ | ले० काल-X । वे० सं० ६.२ । भण्डार । ६४. मोक्षमार्गप्रकाशक-4 टोडरमल । पत्र मे० ३२१ । प्रा० १२.४८ इन्च । भाषा-दारी (राजस्थानी) गद्य । विषय-धर्म । र० काल-X । ले. काल-२०१९५४ श्रावण मुदी १४ । पूर्ण । ० सं० ५८३।। क भण्डार1 विशेष-कारी शब्दों के स्थान पर शुद्ध हिन्दी के गद भो लिखे हये हैं। ४६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २८२ । ले. काल-सं० १९५४ । वे० सं० ५८४ । क भण्डार । ६७. प्रति सं० ३ 1 पत्र सं० २१२ । ले० काल-सं० १९४० । वै० सं० ५६५ । क भण्डार । ६६८. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २१२ । ले० काल-यं० १८१८ बैशाख बुदी है ! वे. गं ६८ ! ग भण्डार । विणेष-छाजूलाल साह ने प्रतिलिपि कराई थी। REE. प्रति सं०५ । पत्र सं० २२८ । लेस काल-X । वै. सं. ६७३ । ऊ भाडार 1 १०००. प्रति सं०६ । पत्र सं० २७६ । ले. काल-X । ये० सं० ६५५ । च भण्डार । १०.१. प्रति सं०७ 1 पत्र सं० १०१ से २१६ | ले. काल-X । अपूर्ण । . मं. ६५.६ ।। च भण्डार। १८०२. प्रति सं० । पत्र सं० १२३ से २२५ । ले. काल--X । अपूर्ण । वे सं० ६६० । च भण्डार। १००३. प्रति संबई पत्र सं० ३५१ 1 ले. काल-X वे० म० ११६ । म भण्डार । १००४. यतिदिनचर्या-देवसूरि । पत्र सं० २१ । मा० १-१X४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषयआचार शास्त्र । र. काल-X ।ले. काल-सं० १६६८ चैत सुदी है । पूर्ण | के सं० १९२६ । ट भण्डार । विशेष-अन्तिम पृयिका निम्न प्रकार है-- इति श्री मुविहितशिरोमणिश्रीदेवमूरिविरचिता यतिदिनचर्या संपूर्ण । प्रशस्तिः-संवत् १६६८ वर्षे चैत्रमासे शुक्लपक्षी नवमीभौमवासरे श्रीमनपामच्छाधिराज भट्टारक श्री श्री ५ विजयसेन सूरीश्वराय लिखितं ज्योतिसी उधन श्री शुजाउलपुरे। १००४. यत्याचार-प्रासुनंदि । पत्र सं०६ । प्रा. १२३४५३ ३ । भाषा-प्रावृत्त । विषय Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ ८१ भनि धर्म वर्गन । र० काल-X । ले० काल-X । पूर्ण । वे. मं० १२० । श्र भण्डार । १८८६. रत्नकरण्डश्रावकाचार--श्राचार्य समन्तभद्र । पत्र सं०७ । प्रा० १.३४५३ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-पाचारशास्त्र । ९० काल-x। ले० काल-X वे० सं० २००६। भण्डार । विशेष—प्रथम परिच्छेद तक पूर्गा है । नथ का नाम उपासकाध्याय तथा उपासकाचार भी है । १००७. प्रति सं०२। पत्र मं०१५। ले. काल- X ० सं० २६४ । श्र भण्डार । विदोष-कहीं कहीं संस्कृत में टिप्पणियां दी हुई है । १६३ श्लोक हैं। १००८. प्रति सं०३ | पत्र सं० १६ 1 ले० काल-X । वे० सं० ६१२ । क भण्डार । २००६. प्रति सं०४। पत्र सं० २२ । ले० काल-सं० १६३८ माह सुदी १० । वेलनं १५६ । स्व भण्डार। विशेष-कहीं २ संस्कृत में टिप्पण दिया है। १०१०. प्रति सं०५ । पत्र में० ७७ । ने काल-X । देव सं० ६३० । क भण्डार । १५११. प्रति सं०६। पत्र सं १४ । ले० काल-X । अपूर्ण । व० सं० ६३१ । छु भण्डार । विशेष--हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। ५८१२. प्रति सं०७ । पत्र सं० ४८ । ले० काल-X । अपूर्ण । वे सं० ६३३ । हु भण्डार । १०१३. प्रांत सं० ६ । पत्र सं० ३५-५६ । ले० काम अपूर्ण । वे० सं० ६३२ । कमाण्डार । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है। २०१४. प्रति सं०६। पत्र सं० १२। ले० काल-x ० सं० ६३४ । ज भण्डार। विशेष--ब्रह्मचारी सूरजमल ने प्रतिलिपि की थी। १०१५. प्रति सं० १० । पत्र सं० ४० । ले० काल-X । के० सं० ६३५ । छ भण्डार । विशेष-हिन्दी में पन्नालाल संघी कृत टीका भी है। टीका सं० १९३१ में की गयी थी। १०१६. प्रति सं०११। पत्र सं० २६ । लेकाल-X । वै० सं० ६३७ । कु भण्डार । विशेष-हिन्दी टवा टीका सहित है । १०१७. प्रति सं०१२। पत्र सं. ४२। ले० काल-सं. १९५० । वे मं० ६३८ । ( भण्डार । विशेष—हिन्दी टीका सहित है | १०१८. प्रति सं० १३ । पर सं० १७ । ले. काल-~। वे० सं० ३३६ । उ भण्डार । १०१६. प्रति सं० १४ । पत्र सं. ३८ । . काल-X1 अपूर्ण । ० सं० २६१ । च भण्डार । विशेष-केवल अन्तिम पत्र नहीं है । संस्कृत में सामान्य टीका दी हुई है। १०२०. प्रति सं०१५ पत्र सं.२०ले काल-X | अपूर्ण । वे सं० २६२। च भण्डार । १.२१. प्रति सं० १६ । पत्र सं० ११ । ले० काल-X । वे० सं० २९३ । च भण्डार । १०२२. प्रति सं०१७ । पत्र सं० ६ । ने० काल-X । वै० सं० २६४ । च भण्डार । Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २] [धर्म एवं आचार शास्त्र २०२३. प्रति सं० १८ ! पत्र सं १३ । ले० काल- ।० सं० २६५ । च भाडार । १०२५, प्रति सं० १६ । पत्र सं. ११ । ले. काल- । वै० सं०७४ । च भण्डार । १०.५, प्रति सं.२० । पत्र सं० १३ । ने. काल ४ | ० सं० ७४२ । च भण्डार । १०२६. प्रति सं० २१ । पत्र सं० १३ ! ले. काल-४ । ये. सं० ७४३ । च भण्डार । १०२७. प्रति सं०१२ | पत्र सं० १० । से० कान-४ | वे० सं० ११. । छ भण्डार । १२.८. प्रनि सं० २३ । पत्र सं० १० । ले. काल-५ | वै० सं० १४४ । ज भण्डार । १०. प्रति सं० २५ । पत्र सं० १६ । ले० काल-- । अपूर्ण । वे म. १२ । म भण्डार । १६३६ प्रति सं० २५ । पत्र सं० १२ । ले काल-रा० १७२१ ज्येष्ठ मुदी ३ । वे. नं. १५८ । भार। १०३१, रनकरण्डश्रावकाचार टीका-प्रभाचद । पत्र सं० ४३ । ग्रा० १०५४५३ इन। भामासंस्कृत | विषय-प्राचार. शास्त्र । र, काल-X । ने० काल-सं० १८६० श्रावण युदी। पूर्गा। . सं. ३१३ । महार | १.३३. प्रति सं २१ पत्र सं. २२ 1 ले. कास-- । वै० सं० १.६५ । अ भण्डार । १८६३. प्रति सं०.३। पत्र सं० ३१-५३ । ले: काल-x | अपूर्ण । वे सं० ३८० । श्र भगतार । १.३५. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३६.६२ । लेः काल-X । अपूर्ण । ० सं० ३२६ । म भण्डाः । विशेष- इसका नाम उपासकाम्ययन टीका भी है। १.३५. प्रति सं०५। पथ सं० १६ | ले. काल-X । के० सं० ६३६ । छ भण्डार । १०३६, प्रति सं०६। पय सं०४८ । ० काल-मं० १७७६ फागुमा सुदी ५ । वे० सं० १७४ । डा भण्डार। विशेष-मदारक सुरेन्द्रकीति की प्राम्नाय में खंडेलवाल ज्ञातीय भौसा गोत्रोत साह छनमलजी के वंदाज गाह चन्द्रभाग की भार्या ल्हीडी ने गथ की प्रतिलिपि कराकर भावार्य चन्द्रकीति के शिष्य हर्षकीत्ति के दि कमजय निमित्त भेंट की। १८३७. रखकरण्डश्रावकाचार-पं० सदासुख कासलीवाल । पत्र सं० १०४२ । मार १२x६, इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषय-याचार शास्त्र | र० काल सं० १९२० चैत्र बुदी १४ । ल• काल सं० १९४१ 1 पूर्ण। वै. मं० १६ 1 क भार । विशेष-~-यय २ वेष्टनों में है । १ से १४५.५ तथा ४५६ से १०४२ तक है । प्रति सुन्दर है। १८३८. प्रति सं०२। पत्र मा ५६६ । ले. काल-X: अपुरी । वे० सं० ६२० । क भण्डार । १८३६. प्रति मं०३ | पत्र सं० ११ से १७९ । ले० काल-X । अपूर्ण । वे सं० ६४२ । क भण्डार । १०४०. प्रति सं०४। पर सं० ४१६ । ले काल-यासोज बुदि ८ सं. १९२१ 1 ये० सं०६६६ । का भण्डार। १०४१. प्रति सं०५। पब मं० ३१ । ले० काल-: । अपूर्ण । वे० सं० ६७० । च भण्डार । विशेष--नेमीचंद कालख दाल ने लिखा और सदासुखजी डेडाकाने लिस्नाया-यह अन्त में लिखा हुया है. Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एव प्राचार शास्त्र] १.१२. प्रति सं०६। पत्र सं० ३४६ । ले० काल-४ । वे० सं० १८२ । छ भगद्वार । विशेष-"इस प्रकार मूलमध के प्रसाद ने सदासुखदाम देडात्रा का अपने हस्त नै लिविध समाप्त किया।'' अन्तिम पृष्ठ पर हेमा लिखा है। १०५३. प्रति सं० । पत्र सं० २२१ । ले. काल-सं० १९६३ कार्तिक बुदी । वे मं. १९८ । छ भण्डार । 1-४४. प्रति सं०८1 पत्र सं०५३६ । ले: काल-सं० १९५० वैशाख गुदा। वे सं. म. भण्डार । विशेष—इस ग्रथ की प्रतिलिपि स्वयं सदामुखजी के हाथ में लिखे हुए मा १६१६ के ग्रथ से सामोद में प्रतिलिपिजी गई है। महासूख सेठी ने इसकी प्रतिलिपि की थी। १०४५. रखकरण्श्रावकाचार भापानथमल । पत्र सं० २४ । ग्रा. ११४५ इन। भाषाहिन्दी पद्य । विषय-याचार शास्त्र । २० काल-मः १६२० माघ सुदी ६ । लेस कान- । वेमं. ६२२ । पूर्ण । क भण्डार । १०४६. प्रनि सं०२। पत्र सं. १०१ ले काल-X । वे० सं० ६२३ । क भण्डार । १.४ प्रति सं०३ । पत्र सं० १५ । लेस काल-XI. सं. ६२१ । क भण्डार | १८४८ रनकरण्डश्रावकाचार-संघी पन्नालाल । पत्र सं०४४ । प्रा. १०३४७ इन्च । भाषाहिन्दी गद्य | विषय-याचार शास्त्र । र० काल-सं. १६३१ पौष बुदो ७ । न काल-सं. १९५३ मंगसिर मुदी १०। पूर्गा । ३० स. ६१४ । के भण्डार । १०४६. प्रति संक। पत्र सं. ४ । ले. काल-X । ० स ६१४ । के भण्डार । १०५. प्रति सं० ३। पत्र सं० २६ । ले० काल-X । ने.सं. १८६ । छ भण्डार । १०४१. प्रनि सं४ । पत्र सं० २७ । ले० काल-४ । ने० म. १८६ । छ भण्डार । १०५२. रनकरण्ड श्रावकाचार भाषा...'""! पत्र सं० १०१। प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी गा। विषय-याचार शास्त्र | 10 काल-सं० १९५७ । लेकाल-XI पूर्वा । वेसं. ६१७ । क मण्डार । १८५३. प्रति सं०२ । पत्र सं०७० | ले. कास-सं० १६५३ । ३० सं०६१६ । क भण्डार | १८५४. प्रति सं८ ३ । पत्र सं. ३५ । ले० काल-४ । ने० सं० ६१३ । के भण्डार । १०४५. प्रति सं४ । पत्र सं० २५ से १५६ । ले. काल-X । अपूर्ण । व० सं०६४० | क भण्डार | १०५६. रत्नमाला-- प्राचार्य शिवकोटि । म सं० ४ | मात १६x४. | भाषा-संस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । २० काल-X । ले काल-X । पूर्गा | बे० सं०७४ । छ भण्डार । विशेष—प्रारम्भ:सर्वज्ञ सर्ववागीशं वीरं मारमदायहं । प्रणमामि महामोहशांतये मुक्तिप्राप्तये ॥१॥ Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ ] [ धर्म एवं प्राचार शास्त्र सारं यत्सर्वसारेषु वंद्य यद दिसेष्वपि । अनेकांनमयं वंदे तदर्हत् वचनं मदा ॥२॥ अन्तिम-यो नित्यं पठति श्रीमान रत्नमालामिमांपरा । सशुद्धचरणो नृतं शिवकोटित्वमाप्नुयात् ।। इति श्री समन्तभद्र स्वामी शिष्य शिलकोट्याचार्यविरचिता रत्नमाला समाप्ता । १०५७. प्रति सं० २१ पत्र सं० ५। ले० काल-X1 अपूर्ण । वे० सं० २११५ । ट भण्डार । १०५८. रयणसार-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र सं०१०। प्रा० १.१४५: इन् । भाषा-प्राकृन । विषय-प्राचार शास्त्र । र० काल-xले. काल-सं १९८३ । पूणे । ३० सं०६४६ । श्र भण्डार । १०५६. प्रति सं०२। पत्र सं० १० । ले० काल-X । वे० म० १८१० । द भण्डार 1 १०६०. रात्रि भोजन त्याग वर्णन"""। पत्र सं० १६ । प्रा० १२४ इञ्च | भाषा-हिन्दी। विषम-प्राचार शास्त्र । २० काल-x ले० काल-~। पूर्ण । ३० सं० ४८० । कर भण्डार । १०६१. राधा जन्मोत्सव.."। पत्र सं. १ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--धर्म । र० काल-X । ले० काल-X1 पूर्ण । वे० सं० ११५१ 1 अ भण्डार | १०६२, रिकविभाग प्रकरण..."| पत्र सं० २९ । मा० १३४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषयशास्त्र । र० काल-X । ले काल-x पूर्ण 1 वे० सं० २७ । ज भण्डार । १०६३. लघुसामायिक पाठ"""! पत्र सं० २। आ० १२४.७ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । र काल-X । ले. काल-सं० १८१४ । पूर्ण । ३० सं० २०२१ । श्र भण्डार । विशेष—प्रशस्तिः १८१४ अगहन सुदी १५ सनै बुन्दी ना नेमनाथ चैत्याले लिखित श्री देवेन्द्रकत्ति प्राचारज मोरोज के घट्ट स्वयं हस्ते। १०६४. प्रति सं०२१ पत्र सं० १ । ले. काल-X1 वे० सं० १२४३ । अ भण्डार । १०६५. प्रति सं.३ | पत्र सं० १ । ने. काल- x ० सं० १२२० । अ भण्डार ।। १०६६. लधुसामायिक......| पत्र सं० ३ । प्रा० ११:४५३ हज 1 भाषा-संस्कृत-हिन्दी 1 विषयधर्म | २० काल-X । ने. काल-X । पूर्ण 1 वे० सं० ६४० । क भण्डार । १०६७, लाटीसंहिता-राजमझ पत्र सं०७ मा ११४५ इञ्च । भाषा-संस्तृत 1 विषय-माचार शास्त्र । २० काल-सं० १६४१ 1 ल० काल-x1 पूर्ण । वे० सं० ८८ । १०६. प्रति सं०२। पत्र सं०७३ । ने० काल-सं० १८६७ पैदाल दी....... रविवार व. सं. ६६५। ऊ भण्डार । १०६१. प्रति सं०३। पत्र सं.५४ ले काल-सं० १९६७ मंगसिर बुदी ३। वे. सं. १९६६ कभण्डार। Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र च भण्डार | विशेष – महात्मा शंभुराम ने प्रतिलिपि की थी । १०७० हिन्दी प । विषम-धर्म । २० काल- ४ । ले० काल - X पूरं विशेष – पार्वपुराण में से है । १०७१, प्रति सं० २ । पत्र ०४ ० काल सं० १६८५ पौष सुदी २ । ३० सं० ६३२.० क भण्डार । [ ** नाभि चक्रवर्ति की भावना - भूधरदास | पत्र सं० २ । ० १०५ इश्च । भाषा। वे सं० ६६७ | भण्डार | i २०७२. वनस्पतिसत्तरी -- मुनिचन्द्र सूरि । पत्र सं० ५ । मा० १०२४३ इञ्च । भाषा - प्राकृत | विषय-धर्म | र० काल -X I ले० काल - X | पूर्ण 1 ० सं० ८४१ १ अ भण्डार । भण्डार | २०७३ वसुनंदिभाषकाचार - श्र० बलुनंदि । पत्र सं० ५६ । ० १०३५ प्राकृत विषय श्रावक धर्म । २० काल -X | ले० काल - सं० १६६२ पौष सुदी ३ । पूर्वी | वे० सं० २०६१ विशेष ग्रंथ का नाम उसकाध्ययन भी है। जयपुर में श्री विरागदास बाकलीवाल ने प्रतिलिपि करायी । संस्कृत में भाषान्तर दिया हुआ है। १६७४. प्रति सं० २ | पत्र ०५ से २३ । ले० काल-सं० १६११ पौष मुद्दी ६ । प्रपूर्ण ० सं० ४ | अ भण्डार । ञ भण्डार । । भाव विशेष - सारंगपुर नगर में पाण्डे दासू ने प्रतिलिपि की थी । १०७५. प्रति सं० ३. । पत्र सं० ६३ । ले० काल सं० १८७७ भादवा बुदी ११०० ६५२ । विशेष – महात्मा संभूनाथ ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी । गाथाओं के नीचे संस्कृत टीका भी दी है। १०७६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४४ । ले० काल -X | वे० सं० ८७ । भण्डार विशेष - प्रारम्भ के ३३ पत्र प्राचीन प्रति के हैं तथा शेष फिर लिखे गये हैं । १०७७. प्रति सं० ५ पत्र सं० ५१ १०७८. प्रति सं० ६ । पत्र सं० २२| 1 ले० काल -X | वे० सं० ४५ । छ भण्डार ले० काल-सं० १५६८ भादवा बुद्धी १२ । ० सं० २६६ विशेष – प्रशस्ति - संवत् १५६८ वर्षे भादवा बुदी १२ गुरु दिने पुष्यनत्रत्रे ममृतसिद्धिनाम उपयोगे श्रीपथस्थाने मूलसंघे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री. प्रभाचन्द्रदेवश तस्य शिष्य मंडलाचार्य धर्मकीर्ति द्वितीय मंडलाचार्य श्री धर्मचन्द्र एतेषां मध्ये मंडलाचार्य श्री धर्मकीति तत् शिप्य मुनि वीरनंदि इदं शास्त्रं लिखापितं । पं० रामचन्द्र ने प्रतिलिपि करके सं० १८६७ में पार्श्वनाथ ( मोनियों) के मंदिर में चढाया । १०७६. वसुनंदिश्रावकाचार भाषा -- पन्नालाल | पत्र सं० २१० । ० १२३४७ च । भाषाहिन्दी गद्य | विषय - प्राचार शास्त्र । १० काल सं० १६३० कार्तिक बुदी ७ । ले० काल सं० १९३८ माह बुझे ७ । पूर्ण | वे० सं० ६५० | क भण्डार | Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६ । १०० प्रति सं० २ | ले० काल सं० १९३० । ० सं० ६५१ | क भण्डार । १०८१. वार्त्तासंग्रह ..... ० काल ४ । ले० काल X अपूर्ण वे० सं० १५७ । छ भण्डार । १० काल X ले कान च भण्डार । पत्र [सं० २५ से ६७ | भा० ६४३ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय-धर्म | १०२. विजनबोधक पत्र] सं० २७० १२३ भाषा-संस्कृत विषय-धर्म । पूर्ण १० सं० ६७६ क भण्डार धर्म एवं आधार शास्त्र - विशेष हिन्दी अर्थ सहित है ४ अध्याय तक है। १०५२. प्रति सं० २। पत्र सं० ३५२ ० काल X अपूर्ण ० सं० २०४० ट भण्डार । विशेष-प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। पत्र क्रम से नहीं है और कितने ही बीच के पत्र नहीं हैं। दो प्रतियां का मिश्रण है । १०८४. विजनबोधक भाषा-संधी पन्नालाल पत्र सं० ०६०० १४४७३ च भाषासंस्कृत, हिन्दी विषय-धर्म २० काल सं० १६६६ मा सुनी ५० काल X | पू ० ० ६७० ङ भण्डार | I २०२५ प्रति सं० २०५४३ ० का ० १६४२ पासी सुदी ४००६००. विशेष—बाजूलाल साह के पुत्र नन्दलाल ने अपनी माताजी के व्रतोद्यापन के उपलक्ष में ग्रन्थ मन्दिर दीवान श्रमरचन्दजी के में बढ़ाया । यह ग्रन्थ के द्वितीयखण्ड के प्रत्त में लिखा है १०८६. विद्वज्जनबोधकटीका २० काल X | ले० काल X पूर्ण । वे० सं० ६६० क भण्डार । विशेष-प्रथमखण्ड के पावें उल्लास तक है। पत्र सं० ४४ | श्र० ११३४७ इञ्च भाषा - हिन्दी विषय-धर्म । I ट भण्डार । भण्डार । १०००. विवेकविलासं 1 पत्र ०१ ० १०३८२ इस भाषा हिन्दी विषय पाचार वे० काल सं० १८ चैत २००८२ म भण्डार पत्र सं० १६० १०x४ । भाषा प्राकृत विषय-धर्म २० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० २१४५ । ट भण्डार । शारत्र १० का ० १७७० फागुण सुदी १०. बृहस्यविक्रम I T ० सं० २१५६ १० प्रति सं० २० काल X १०६०. प्रति सं० ३० काल X २०६१. वृत्प्रतिक्रमण ० १६ १० सं० २१७६ पा० ११४४६ र धर्म । र० काल X 1 ले काल X पूर्ण । ० सं० २०३ । श्र भण्डार । १०३२. प्रति सं० २०१४ | ० का भाषा-संस्कृत प्राकृत विषय F ० ० १५६ भण्डार । Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] २०३३. प्रतिक्रमण पत्र ० २१०१०२४ भा काल X। ० काल × । पूर्ण । ० सं० २१२२ । ट भण्डार । १०६४.००४ भाषा हिन्दी विश्व-धर्म कालX | ० X पूर्ण ३०० ११६ । भण्डार १०६४. त्रतनामावली काल सं० १९०४ | पूर्ण । वे० सं० २६५ । ख भण्डार | पर सं० ५ ल काल X। पूर्ण 1 वे० सं० २०५७ | अ भण्डार । २०६६. व्रतसंख्या | पत्र सं० १२ श्र० ८३४४ । भाषा-संस्कृत विषय-धमं । र विशेष – १५१ व्रत एवं ४१ मंडल विधानों के नाम दिये हुये हैं । १०६०. प्रतसार..... पत्र [सं० १ ० १००४ ० काल । पूर्ण वे० सं० ९८१ । अ भण्डार I विशेष - केवल २२ पद्य हैं । १६. प्रतोद्यापनायकाचार काचार शास्त्र | र० काल X। ले० काल १०६६. व्रतोपवासन ० ११४५ भागा-शिदी विषय १० । शास्त्र | र० काल X | ले० काल X | श्रपूर्ण । वे० सं० ३३८ विशेष—५० से भागे के पत्र नहीं है । ११००. व्रतोपवासवर्णन पत्र सं० ४ १ शास्त्र | र० काल X | ले काल X | अपूर्णां । ० सं० ४७८ ११०१. प्रति सं० २०५० काल 1 [ भाषा-संस्कृत विषय धर्म ० १३००५ दृ भाषा-संस्कृत| । विषय | पत्र [सं०] ११६ । पूर्ण । ० सं० ९३ । भण्डार । | पत्र सं ० ५७ ॥ श्र० १०४५ ६ | भाषा - हिन्दी विव-प्राचार भण्डार 1 काल । ले० काल सं० १९४० । पूर्ण ० सं० २०२ । ११०१. पश्यविधान- पन्नालाल विजय चार शास्त्र | २० काल सं० १९३२ । ले० काल सं० अण्डार । ११०२. षट्यावश्यक ( लघुमामायिक ) - महाचन्द भण्डार । ० १२९४ इञ्च । भाषा संस्कृत त्रिप्राचार अ भण्डार । पूर्ण वे० मं० ४७६ भण्डार I पत्र सं० ३ विषयावर २० पत्र सं० १४० १४०७२ १९३४ बैशाख बुझे । पू । भाषा ०७४ ११०४. प्रति सं० २०२७० काल सं० १२३२०७४। ११०५. प्रति सं० ३ | पत्र सं० २३ | ० काल X | वे० मं० ४७६ भण्डार विशेषज्जननीक के तृतीय पश्चम उल्लास का हिन्दी अनुवाद है। Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ] आचार शास्त्र ११८६. पट कपिदेशरत्नमाला ( छकम्मोवस्म )-महाकवि अमरकीति । पत्र मं० ३ से ७१ । मा० १०३४.४३ च । भाषा-अपभ्रंश । विषय-प्राचार गास्त्र । र० काल मं० १२४७ । नेक काल में० १६२२ पत्र मुदी १३ । व० सं० ३५६ । च भण्डार ] विशेष-नागपुर नगर में खण्डेलवालान्वय पाटनीगौत्रवाले श्रीमतीहरषम ने ग्रन्थकी प्रतिलिपि करवायी थी। ११०७. घटकर्मोपदेशरनमालाभाषा-पांडे लालचन्द । पत्र संख्या १२६ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-प्राचार शास्त्र । २० काल सं० १८१८ माघ मुदी ५ । लेक काल सं० १८४६ शाके १७०५ भादवा मुदी १० । पूर्ण | वे० सं० ४२६ । अ भण्डार । विशेष-ब्रह्मचारी देवकरण ने महात्मा भूरा से जयपुर में प्रतिलिपि करवायी। ११८८ प्रति सं०२। पत्र सं० १२८ । ले० काम सं० १९६६ माघ मुदी ६ । वे० सं० १७ । भण्डार। , विशेष-पुस्तक पं. मदासुख दिल्लीवालों को है। ११०६. षट्संहननवर्णन-मकरन्द पद्मावति पुरवाल । पत्र सं० । प्रा० १.१४४६ ३ । भाषा-हिन्दो । विषय-धर्म । र० काल सं० १७८६ । ले. काल XI पूर्ण | वे० सं० ७१५ । क भण्डार । १११०. षड्भक्तिवर्णन......। पत्र सं० २२ से २६ । प्रा० १२४५६ इन। भाषा-संस्कृत | विषयधर्म | र० काल X| ले० काल X । प्रपूर्ण । दै० म० २६६ । म भण्डार । ११११. घोडशकारणभावनावर्णनवृत्ति--पं० शिवजिदरूण । पत्र : ४६ । प्रा. ११४५ इछ । भाषा-प्राकृत, संस्कृत ! विषय-धर्म | २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । ० सं० २००४ । ख भण्डार । १११२. षोडषकारणभावना-पं० सदामुख । पत्र सं० ८० | मा० १२४७ इछ। भाषा - हिन्दी गद्य । विषय-धर्म । २० काल-1 ले० काल XI. सं. ६६८ | श्र भण्डार । विशेष--रत्नकरण्डश्रावकाचार भाषा में से है। १११३. षोडशकारणभावना जयमाल-नथमल । पत्र सं० २८ 1 प्रा० ११:४७: इन। भाषाहिन्दी । विषय-धर्म । र० काल सं० १९२५ सावन सुदी । । ले. काल XI पूर्ण । ३० सं० ७१६ । क भण्डार । १११४. प्रति सं० २ । पत्र सं० २४ । ले. काल । ० सं० ७४६ 1 भण्डार । १११५. प्रति सं०३१ पत्र सं० २४ । ले. काल । वे० सं० ७४६ । ल भण्डार । १११६. प्रति सं०४ । पत्र सं० १० । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० ७५० । भण्डार । १११७. षोडशकारणभावना...| पर सं०६४ । प्रा० १३३४५३ इन । भाषा-हिन्दी । विषयधर्म । २० काल - । ले. काल सं० १६६२ कात्तिक सुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० ७५३ । घर भण्डार । विशेष-रामप्रताप व्यास ने प्रतिलिपि की थी। १११८. प्रति सं०३। पत्र सं०६१। लेकाल । वे० सं०७५४ । छु भण्डार । Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आधार शास्त्र ] १११६. प्रति सं० ३ ० ६३० काल ४०० ७५५ । इ भण्डार । ११२०. प्रति सं० ४ । पत्र मं० ३० । ० काल | पूर्ण । ० सं० १६ । विशेष—३० से भागे पत्र नहीं है। १९२१. पोपकारणभावना धर्म | २० काल X | ले० काल X | पूर्ण । ० सं० ७२१ (क) के भण्डार विशेष- संस्कृत मे संकेत भी दिये है । ११२२. शीलनववाद काल X | ले० काल x | पूर्ण । ० सं० १२२६ | | सं० २७० १२६७२ भाषा ११२३. आप डिकम्मणसूत्र ० १ भण्डार | | सं० ६ । पूर्ण । ० मं० १०१ ध भण्डार । जसवन्त के पौत्र तथा मानसिंह के पुत्र दीनानाथ के पठनार्थ प्रतिलिपि को गई थी १० X ले० काल X [ १०४४३ च भाषा हिदी वियधर्म रखना 1 1 ० १०४ । भाषा प्राकृत विषय-धर्म र० काल X | ले० काल विशेष टीका सहित है । भाषा ११२४. आवकप्रतिक्रमणभाषा - पन्नालाल चौधरी पत्र ० ५०० ११६० हिन्दी | विषय - धर्म । र० काल सं० १९३० मा बुदी २ | ले० काल X| पूर्ण | मं० ६६८ । भण्डार | विशेष- बाबा दुलीचन्दजी की प्रेरणा से माथा की गयी थी। ११२५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७५ ले० काल : ० ० ६६७ । कमण्डार ११२६. श्रावकधर्मदर्शन ११२७. प्रति सं० २ | पत्र ११२५. आवकप्रतिक्रम २७ काल x | ले० काल सं० १८२३ प्रासोज बुदी ११ । वे० सं० १११ । छ भण्डार । विशेष प्रति हिन्दी टब्बा टीका सहित है ११२६. २० काल X | ले० काल पूर्ण वे० मं० १५१ । भण्डार । | पत्र सं० १० । डा० १०३४५ ३श्च । भाषा-संस्कृत | विषय - श्रापक ३० सं० २४६ | भण्डार | ०७ | ले० काल । पूर्ण । ० सं० ३४७ । च भण्डार | सं० २५० १०÷४५ भाषा-प्राकृत विषय धर्म मीरा ने महिपुर में प्रतिलिपि की थी। चक्रमविक्रमण " पत्र सं० १५० १२४६ र भाषा-संस्कृत विषय-धर्म ० काल 1 ले काल सं० १६३४ । पूर्ण वे० सं० १६० । विशेषपंपालाल ने जयपुर में प्रतिनिधि की थी। ११३०. सावकप्रायश्चित - वीरसेन पत्र ० ७ ० १२४६ ६ भाषा-संस्कृत विषय-धर्म | Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ] धर्म एवं प्राचार शास्त्र ११३१. श्रावकाचार-अमितिगति । पत्र सं०६७ । मा० १२४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयप्राचार शास्त्र । र० काल X| ले० काल X पूर्ण | वे० सं० ६९४ | क भण्डार । विशेष-कहीं कहीं संस्कृत में टीका भी है। ग्रन्थ का नाम नरामनार भी है। ११३२. प्रति सं०२ । पत्र सं० ३६ । से काल X! प्रपूर्ण । वे० सं० ४४ । च भण्डार । ११३३. प्रति सं०३। पत्र सं०६३ । ले० काल ४ | अपूर्ण । वै० सं० १०८ । भण्डार । ११३४. श्रात्रकाचारउमास्वामी। पत्र सं० २३ 1 प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयमाचार शास्त्र । र० काल x | ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २८६ । अ भण्डार । ११३५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३७ । ले० काल सं० १९२६ प्राषाढ़ सुदी २ । बैत सं० २६० । अ भण्डार। ११३६. श्रावकाचार-गुणभूषणाचार्य 1 पत्र सं० २१ । आ० १.६x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । २० काल•X । लेकाल मं० १५६२ बैशाख बुदी ४ । पूर्ण । वै० सं० १३८ । अ भण्डार । विशेष-प्रशस्ति : संवत् १५६२ वर्षे वैशाख बुदी ४ श्री मूलसंघे बलात्कारगरणे सरस्वतीगच्छे श्री कुदकुंदाचार्यान्वये भ० श्री पद्मनन्दि देवास्तत्प? भ. श्री शुभचन्द्र देवास्तपट्टे भ० श्री जिनचन्द्र देवास्तत्व? भ० श्री प्रभाचन्द्रदेवा तदाम्नाय संदेलवालान्वये सा. गोरे सं० परवत तस्य भार्या रोहातत्पुत्र नेता तस्य भार्या नारंगदे | तत्तुत्र मलिदास तस्य भार्या प्रमरी दुतीय पुत्र उर्या तस्य भार्या वारवी तत्पुत्र नथमल दुतोय खीवा सा० नरसिंह महादास एतेषांमध्ये इदंशास्त्र लिखायतं कर्मक्षयनिमित्त श्रावकाचार 1 अजिका पदमसिरिज्योम्य बाई नारिंग घटापितं । . ११३७. प्रति सं० २। पत्र सं० ११ । ले. काल सं० १५२६ भादवा बुदौ १ । वै० सं० ५.१ । ब भण्डार 1 प्रयस्ति--संवत् १५२६ वर्षे भाद्रपद १ पक्षो श्री मूलसंधे भा थी जिनचन्द्र व नरसिथ खंडेलवालान्वये सं झालय भत्री जैश्री पुत्र हाम्प लिखाबदतु । ११३८. श्रावकाचार-पद्मनन्दि । पत्र सं० २ से २६ । प्रा० ११:४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयप्राचार शास्त्र । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । ३० सं० २१०७ । विशेष-३९ से धागे भी पत्र नहीं है। ११३६ श्रावकाचार-पूज्यपाद । पत्र सं० ६ । माse:४६ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-पात्रार शास्त्र । र० काल ४ | ले. काल सं० १८५४ बैशाख सुदी ३ । पूर्ण । बै० सं० १०३ । ब भण्डार 1 विशेष-ग्रन्थ का नाम उपासकाचार तथा उपासकाध्ययन भी है। ११४०. प्रति सं०३। पत्र संक११. ले. काल सं० १९६० पौष बुदी १५ । - सं. । है. भण्डार। Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] ११४१. प्रति सं०३। पत्र सं० ५ । ले. काल सं० १८८४ आषाढ़ बुवी २ । के० सं० ३ । च भण्डार १९४२, प्रति सं०४। पत्र सं० । ले. काल सं० १८०४। भादवा सुदी ६ । व. म. १०२ । छ भण्डार । २१४३. प्रति सं०५1 पब सं०७ । ले. काल । ० सं० २१५१ । ट भण्डार । ११४४. प्रति सं०६ । पत्र सं०६ । ले. काल । ० सं० २१५ । र भण्डार । ११४५. श्रावकाचार-सकलकीति । पत्र सं०६६ । प्रा० ८६४६ इञ्च । भाषा संस्कृट । दिनप्राचार शास्त्र । र० काल X । ले. काल X | मपूर्ण | २० सं० २०८८ । अ भण्डार । ११४६. प्रति सं० २१ पत्र सं० १२३ । ले. काल सं० १८५५ । वै० सं० ६६३ । क भाटार । ११४७ श्रावकाचारभाषा--५० भागचन्द 1 पत्र सं० १८६ । पा० १२४८ इश्च । भाषा-हिन्दी गद्य | विषय-प्राचार शास्त्र | काल से. १९२२ याबाट मदीद ले. काल पर्ग 1 वे सं.२८ । विशेष-अमितिगति थावकाचार की भाषा टीका हैं। अन्तिम पत्र पर महावीराष्ट्रक है। ५१४८. श्रावकाचार" | पत्र संख्या १ से २१ । प्रा. ११४५ इ । भाषा-संस्कृत | विषय-प्राचार शास्य । र० कालxले० काल X| अपूर्ण । वे० सं० २१८२१द भण्डार । विशेष—इससे प्रागे के पत्र नहीं हैं। १२४६. श्रावकाचार""'" | पत्र सं०७ | प्रा० १.६४ इन | भाषा-प्राकृत । विषय-प्राचारमात्र। र० काल X I ले. काल X । पूर्ण । व० सं० १०८ । छ भण्डार । विशेष-६० नाथायें हैं। ११५२. श्रावकाचारभाषा" .."| पत्र सं० ५२ से १३१ । मा. चभाषा-हि-दी। विशप्राचार शास्त्र | १० काल x | ले. काल X| अपूर्ण । व० सं० २०१४। श्र भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। ११५१. प्रति सं०२। पत्र सं० ३। लः काल X । अपूर्ण । वे० सं० ६६६ । क भार 1 ११५२. प्रति सं०६ । पत्र में० १११ से १७४ । ले. काल । अपूर्ग । . सं ०६ । इभाना : ११५३. प्रति सं०४। पत्र सं० ११६ । ले. काल सं० १६६४ भादवा बुदी १ । । । ... । ह भण्डार। विशेष—गुणभूपण कृत श्रावकाचार की भाषा टीका है। संबा १५२६ मंत सुदी ५ रविवार को यह ram जिहानाबाद जैसिंहपुरा में लिखा गया था। उस प्रति मे यह प्रतिलिपि की गयी थी । ११५४. प्रति सं०५ | पत्र सं० १० । ले. काल । अपूर्ण । वे ६८२ । च भण्डार । Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ धर्म एवं आचार शास्त्र ११५५. श्रुतज्ञानवर्णन ": " । पत्र मं० ८ । प्रा० ११:४७:३७ । भाषा-हिन्दी । विषय-अर्थ । र.. ii। काल X । पूर्ण 1 वे सं० ७.१ । क भण्डार । १६५६. प्रति सं०२। पत्र सं. ८।ले. काल । वे नं.७०२ । क भण्डार । ११५७. समश्लोकीगीता"""! पत्र सं०२। प्रा० ६x४ इश्च | भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । २० *. TEA 4 | लेकाल XI पूर्ण | वे मं० १७४० । ट भण्डार । १२५८. समकितढाल-बासकरण । पत्र सं० १ । प्रा० ६६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । ६. काल/ ले० काल सं० १८३५ । पूर्ण । वे० सं० २१२६ । अभण्डार। ११५६. समुद्धातभेद..."। पत्र सं० ४ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । " काल X । ले० काल x 1 अपूर्ण । वे० सं० ७८८ । भण्डार | ११६०. सम्मेदशिखर महात्म्य-दीक्षित देवदत्त । पत्र सं० ८१ । प्रा० १६:५६ इन। भाषाकारकून । र० काल सं० १६४५ । ले० काल सं० १८८० । पूर्ण । वे० सं० २८२ । अ भण्डार । ११६२. प्रति सं०२। पत्र सं० १४७ । ले. काल X । वे० सं० ७६५ । भण्डार । ११६२. प्रति सं०३ । पत्र सं० ४० । ले० काल X । अपूर्ण । वै० म० ३७५ । च भण्डार । ११६३. सम्मेदशिखरमहात्म्य-लालचन्द । पत्र में० ६५ ! प्रा० १३४५ । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-धर्म । रक काल सं० १८४२ फागुण सुदी ५ । ले० काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ६६० । क भण्डार । विशेष--भट्टारक धी जगतकीत्ति के शिष्य लालचन्द ने रेवाड़ी में यह ग्रन्थ रचना की थी। ११६४. सम्मेदशिखरमहात्म्य-मनसुखलाल ! पत्र म. १०६ । मा० ११४५३ हज | भाषाहिन्दी । विषय-धर्म । र• काल X | से० काल सं० १९४१ पासोज बुदी १० । पूर्ण ! व० सं० १०५६ | अ भण्डार । विशेष-रचना संवत् सम्बन्धी दोहा बान वेद शशिगये विक्रमार्ज तुम जान । अश्वनि सित बशमी सुगुरु ग्रन्थ समापत ठान ।। लोहाचार्य विरचित ग्रन्थ की भाषा टीका है। ११६५. प्रति सं०२। पत्र सं० १०२। ले० काल मं० १८८४ चेत मुदी २ । वे० सं०७ । गभण्डार। ११६६. प्रति सं०३ 1 पत्र सं० ६२ । ले. काल सं० १८२७ त सुदी १५ | वे० सं० २६ । ऊ भण्डार। विशेष-श्योजीरामजी भावसाने जयपुर में प्रतिलिपि की। १२६७. प्रति सं०४। पत्र सं० १४२ । ले० काल मं० १९११ पौष बुद्दी १५ । ० सं० २२५ भार। ५१६८. सम्मेदशिखर विलास--केशरीसिंह । पत्र मं० ३। प्रा. ११६४७ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । र० काल २०वीं शताब्दी।ले. कालXI पूर्ण । थे. मं. ७६ भण्डार । Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चर्म एवं प्राचार शास्त्र] [ ३ . ११६६. सम्मेदशियर बिलास- देवाब्रह्म ! पत्र सं० ४ । प्रा. ११३४७१ इच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-धर्म । र० काल १८वीं शताब्दी । ने• कान - । पूर्ण । ० सं० १६१ । ज भण्डार । ५१७. संसारस्वरूप वर्णन "| पर मं० ५ । प्रा० ११.४४. च । भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । .. काल ! to काल । पूर्ण | देत सं० ३२६ । । भण्डार । ११७१. सागारधर्मामृत-पं भासावर | पत्र . . । भाषा-संस्कृत । विश्य-श्रावकों के प्राचार धर्म का वर्णन | २. काल सं० १२९६ । ले. काल में १७६८ भादया बुदी । पूर्गा | वसं. २२८ । अभण्डार | विशेष—प्रति स्वोपज गंस्कृत टीका सहित है। श्रीका का नाम भन्यकुमृदचन्द्रिवा है। महाराजा गवाई गर्वागहनी के शासनकाल में पामेर में महात्मा मानजी ने प्रतिलिनि वीपी।। ११७२. प्रति सं । पत्र गं. २०६। ले. काल मं०१५-१ फागुण सुदी १ ० ० ७. क. भण्डार विशेष-महात्मा राधाकृष्ण किशनगढ़ बाल ने सबाई जयपुर में प्रतिलिपि की। ११७३. प्रति सं०३ । पत्र सं० ५६ । ले० काल X। ० म० ७७४ | क भण्डार । ११७४. प्रति सं०४ । पत्र सं० ४७ । ले० काल X । व मं० ११७ । । भण्डार | विशेष-~-प्रति मंस्कृत टीका सहित है। . ... ... .११४५. प्रति सं०५। पत्र मं० ५७ 1 ले. काल X । वे० सं० ११ | घ भण्डार | . विशेष-४ गे ४० तक के पत्र विसी प्राचीन प्रति के हैं, बाकी पत्र दुबारा लिखाकर ग्रन्थ पूरा किया गया है। ११७६. प्रति सं०६। पत्र गं. १५६ । ने काल मं० १९१ भारया बुदी ५। वै० ० ७८ | द भन्डार । विशेष प्रति स्वोपज्ञ टीका महित है। सांगानेर में नोनदराम ने नेमिनाथ चैत्यालय में स्वपठनार्थ प्रतिलिपि का थो। ११७७. प्रति सं० ७ । पत्र ६१ । ले. काल में १६२८ फागुण सुदी १० । वे मं० १४६ । ज भाद्वार। विशेष—प्रति टन्दा टीका सहित है । रचियता एवं लेखक दोनों की प्रशस्ति है । ११५८, प्रति सं० पसं० १४. | ले. काल X.1 वै० सं०१। भण्डार । विशेष—प्रति प्राचीन एवं शुद्ध है। १५७६, प्रति सं० । पत्र मं० ६६ । ले० कान सं. १५६५ फागुण मृदी २ ! वे० सं० १1 अगहार । .... विशेष-प्रभामित-खण्डलवालान्थ्ये यजमेरागो। पांडे डीडालन इदं धर्मामलनामोपाध्ययनं याचा नमिचन्द्राय दत्तं । भ. प्रभाचन्द्र देवस्ता शिष्य मा.धर्मचन्द्राम्नाय । Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ धर्म एवं श्रारार शास्त्र ११०. प्रति सं० १० । र सं० ४६ । ले कान X। मपूर्ण | ३० सं० १८ । अ भण्डार । ११८१. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १४१ । ले. काल ४ । वै० सं० ४४९ । म भण्डार । विशेष-स्वोपज्ञ टीका सहित है। ११८२. प्रति सं: १२१ पत्र सं० १६ । ले. काल । ० संच ४५० 1 अ भण्डार | विशेष-यूलमात्र प्रति प्राचीन है। ११३. प्रति सं०१३ । पत्र सं० १६६ । नल काल सं० १५६४ फागुण सुवो १२ । वै० सं० ५०० । प्रभभार। विरोप-प्रमास्ति---संवत् १९९४ वर्षे फाल्गुन सुदो १२ रविवासरं पुनर्वमुनक्षत्रे श्रीमूलसंभे मन्दिसंघे बलात्कारगणे सरस्वतीगम्छे श्री कुन्दकुम्बाचार्यान्वये भ० श्री पद्यमन्दि तत्पर्ट श्री शुभचन्द्रदेवातत्प? भ० श्री जिमचन्द्र देवातस्पट्ट भ० श्री प्रभाचन्द्रदेवतशिष्यमण्डलाचार्य श्री धर्मचन्द्रदेवास्तवमुख्यशिष्याचार्य श्री नेमिचन्द्रदेवास्तैरियं धर्मामृतनामाशावरश्रावकाचारटीका भव्धकुमुवाधिकानाम्नी लिखापिसात्मपठनार्थं ज्ञानावरमादिकर्मभयार्थं च । ११८४. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ४० ! ले. काल X 1 अपूर्ण । वे सं० ५.७६ । म भण्डार ! विशेष-संमत टिप्पण सहित है । १९८५. प्रसि संब१५। पत्र ले. कास प्रर्गा वेलस.१६६ ट भण्डार । ११८६. प्रति सं०१६ । पत्र सं० २ मे २२ । ले. काल सं० १५६४ भावना सुवी १ । अपूर्ण । वे संख्या २११० । ट भण्डार। विशेष--प्रथम पत्र नहीं है । लेखक प्रशस्ति पूर्ण है। ११८७. सातव्यसनस्वाध्याय""""पत्र सं०१। मा० १.४५ भाषा हिन्दी । विषय-धर्म | र कलि ले काल सं० १७५० । पूर्ण । वे सं० १५७३। . विशेषरूपमञ्जरी भी दी हुई है जिसके पाठ पा हैं। १. माधुविनका.....! पत्र सं. ६ । प्राEx20 । भाषा-प्राकृत । विषय-प्राचार शास्त्र । २० काल x | ले० काल x। पूर्ण । वैत सं.२७४। विशेष---श्रीमतयोमणे श्री विजयदानसूरि विमपराज्ये ऋषि रूपा लिखितं । ११८. सामायिफपाठ-बहुमुनि । पत्र सं. १६ । मा० ८.४५. इच्छ । भाषा-प्राकूल, संस्कृत | विषयधर्म 1 र काल ४ । ले। काल X । पूर्ण। वे० सं० २१३१ | अ भण्डार । विशेष-प्रन्सिल पुष्पिका मिन्न प्रकार हैइति श्रीबद्दमुनिविरचितं सामयिकपाट संपूर्ण । १६६०. साम्पयिकपा"..... | स्त्र सं० २५ । पा० ६ इन। भाषा-प्रावृत्त । विषय-धर्म । २. काल ले. काल अपूर्ण व सं २०६६ अ सार । । Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] ११६१, प्रति सं२ । पत्र सं० ४६ । ले. काल Xi पूर्ण । वे० सं० १६३ । भण्डार । विवा... संस्कृत में दीका भी की हुई है। १३. प्रति सं०३। पत्र सं० २। ले० काल । ० मे ७७६ क महार। ११६३. सामायिकपाट " ...'! पत्र सं० ५० । प्रा० ११:४१ भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । र• काल Xले. काल सं० १६५६ कात्तिक बुदी २ । पूर्ण । वे० सं० ७७६ | अ भण्डार ! ५१६४, प्रति सं०२ । पत्र सं० ६८ । ले० काल सं० १९६१ । वे० सं० ७७७ | अ भम्हार । विशेष उदयचन्द ने प्रतिलिपि की भी । ११६. प्रति सं. ३ । पथ सं. ५ | ले काल X । अपूर्ण । ० सं० २०१७ । म भण्डार । ११६६. प्रति सं४ापत्र सं० २६ । ले० काल | दे० सं० १०११ । श्र भण्डार । ११६७ प्रति सं |९: । स 2017 के ११६८. प्रति सं०६ । पन सं० ५४ । ले. काल सं० १९२० कात्तिक दी २।२० सं० ६५| न भण्डार । विशेष---अवार्य विजमकोक्ति ने प्रतिलिपि की थी। ११९१. सामायिक पाठ..."[ प सं० २५ 1 ग्रा० १०x४ भाषा-प्राकृत, संस्कृत । विष धर्म । २० काल X । ले० बाल सं० १४३३ ! पूर्ण । के मं०१४। अगर । १२०८. प्रति सं० । पत्र सं०६। से० काल मं० १७६२ ज्येष्ठ सुदी ११ । ० सं०८१५। भण्डार। १२०१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १० । नेक काल X । प्रपूर्ण । के० सं० ३६० । च मम्दार । धियोप–चत्रों को चूहों ने वालिया है। १२४६. प्रति सं०४। पत्र सं..1 काल ४ । थपूर्ण । ० म० ३६१ । च मदार । १२९६. प्रति सं०५। पत्र सं८ २ से १६ । ले० काल X । अपूर्ण । व० सं० ८ १३ । * भण्डार । १९०४. सामायिकपाठ (लघु)। पत्र सं० १ । प्रा० .x५ । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म : १. काल : | जे. काल X । पूर्ण । वे० सं० ३८८ 1 च भण्डार । १२८४. प्रति सं । पत्र सं. १ । ल. काल 140 सं० ३८६ च भाडार । १६. प्रति सं०३। पत्र. ३ ले.कालदे०सं० ७१३ भण्डार । १२. सामायिकपाठसापा-मध महानन्द । पत्र सं०६ | पा. ११४५३ इथ। भावा-हिन्दी । विपद-धर्म । २० मानले कासX । पूर्ण । के० सं० ७७८ । च भण्डार । विध-जोशीलाल कृत मालोचना पास भी है। १२५८. मति सं प ल - काल सं० १६४ सावन बुद्दी ३ वसं. १६४१ । र भार। Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . [ धर्म एवं आचार शास्त्र १२०६. सामायिकपाठभाषा--जयचन्द छावना । पत्र मं० ५२ । प्राः १२:४५ इन्न । भाषाहिन्दी गद्य विषय-धर्म 1 र० काल X । ले. काल सं० १९३७ । पूर्ण । ३० मं० ७८० । अ मण्डार । १२१०. प्रति सं०२। पत्र मं. ४ । ले. काल सं० १९५६ । वे० सं० ७१ । 'अ भण्डार । १२११. प्रति सं०३1 पत्र सं० ४६ । ले. काल । ० सं०७२ | प्रभाटार । १२१२. प्रति सं८४ । पय मं० ४६ । ले० काल वे० सं० ७८३ । 'अ भण्डार । १२१३. प्रति सं० । पत्र सं० २६ । ले. काल मं० १९७१ : वे. मं० ८१७ । श्र भण्डार | विशेष-श्री केशरलाल गोया ने जयपुर में प्रतिलिपि की श्री। १२१४. प्रति सं०६। पत्र नं. ३६ । ले० कान १६७४ फागुगा सुदी । के० सं० १८। ज भण्डार। ..१२१५. प्रति सं० । पत्र सं . ४५ । न काल सं० १९११ प्रायोज नदी में । वे ०५६ । क भण्डार । १२१६. सामायिकपाठभाषा-भ. श्री तिलोकचन्द । 'पत्र सं० ६४ । प्रा. १५४५ इ । भाषाहिन्दी । विषय-धर्म । २० काल सं. १८६२ 1 ले. काल X 1 पूर्ण । ० मं० ७१० । च भण्डार । १२१७. प्रति सं० २। पत्र सं० ७५ । ले. काल सं० १८६१ मावन बुदी १३ । बै० सं० ७१३ । च भण्डार। १२१८. सामायिकपाठ भाषा "पत्र सं० ४५ | प्रा० १२४६ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-- धर्म । र काल X । ले० काल सं० १७६८ ज्येष्ठ भुदी २ । पूर्ण । वे सं० १२८ । म भण्डार । विशेष-जयपुर में महाराजा जयमिहणी के शासनकाल में जती नैरणसागर त पागन्छ वान ने प्रतिलिपि की थी। १२१६. प्रति सं०२। पत्र सं० ५८ । ले० काल रो० १७४० बैशास्त्र सुदी । ० मं. ६ । च भण्डार। विशेष--महात्मा सांवलदास नगद वाल ने प्रतिलिपि की श्री। संस्कृत अथवा प्राकृत छन्दों का प्रथं दिया हुआ है। १२२०: सामायिकपाठ भाषा...."। पत्र सं० २ से ३ । प्रा० ११३४५: इच। भापा-हिन्दी । विषय-धर्म । र काल X । ले० काल । अपूर्ण । ० सं० ८१२ । ऊ भण्डार। . १२२१. प्रति सं०२१ पत्र सं०६। ले० काल X । बे० सं० ८१६ । च भण्डार । . १२२२. प्रति सं०३ । पत्र में०१५। ले० काल X| अपूर्ण । वे सं० ४८६ । कु, भण्डार | १२२३. सामायिकपाठभाषा..."] पत्र सं० ६७ । प्रा० ६४५३ इक। भाषा-हिन्दी (हारी ) विषय-धर्म । रचनाकाल !ने काल सं० १७६३ मंगसिर मृदी ८ रा ० सं० ७११ । च भण्डार । Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ७ धर्म एवं प्राचार शास्त्र सारसमुषत्र-कुलभद्र। पथभ०१५। प्रा० ११.४, इशा भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । २. काल : । काल मं० १६०७ पौष बुदी ४ । ३० मं० ४५६ । अ भण्डार । विशेष----मंडलाचार्य धर्मचन्द के शिष्य ब्रह्मभाऊ बोहरा ने ग्रन्थ को प्रतिलिपि करवायी थी । १२२५. साक्यधम्म दोहा-मुनि रामसिंह । पत्र सं० ८ । प्रा० १०.४४ इच। भाषा-अपभ्रंश 1 विषय-प्राचार शास्त्र | र० काल । ले. काल - गं० १४१ । पूर्ण | अ भण्डार । विशेष----प्रति अति प्राचीन है। १२२६. सिद्धों का स्वरूप.....! पत्र सं० ३८ । आ र३ टश्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल ले. काल XI पूर्ण । वै० सं० २५४ । भण्डार । २०२७. समष्ट्रि तरंगिणीभाषा-टेकचन्द । पत्र मं. ४.५। प्रा. १५६ र । भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । २० काल सं. १८३८ सावण सुदी ११ । ले० काल मं. १८६१ भादवा गुदी ३ । पूर्ग । वे० मं.. अ भण्डार। विशेष अन्तिम पत्र फटा हुया है। १२२८. प्रति सं०२ 1 पर मं० ८० 1 ने नाल । ० मं | अ भण्डार । १९९६. प्रति संकपत्र सं. ११ काल ०१४४० नं ८९१ | कभण्डार । १२३०. प्रति सं२४। पत्र सं० ३६१ । लेन काल मं. १८६३ । 2. सं. ६२ । ग भण्डार । विशेष दयोलाल साह ने प्रतिलिपि की थी। १२३१. प्रति सं०५। पत्र सं० १०५ से १२३ । ल. काल : 1 अपुर्ण । वे मं. १२७ । घ भण्डार । १२३२. प्रति सं०६ । पत्र सं. १६६ । ले. काल X ० में • १२८ । घ भण्डार । १२३३. प्रति मं०७ । पत्र म० ५.४५ | न० काल सं० १८१८ आसोज मृदी ६ । बै० म० ८६८ 1 ८ भण्डार। विशेष-२ प्रतियों का मिश्रण है। १२३४. प्रति सं० । पत्र में ५०० । न० कान मं. १९६० कानिक. बुदी ५ । वे : र भण्डार। १२३५. प्रति सा पत्र म... | . काल पत्र म... कालपा । अपूर्ण । बे० सं० ७२२ । च भण्डाः । १२३६. प्रति सं०१० । पत्र मं० ४३. | ले. काल सं० १९४६ चेन दुदी - । के. मं० ११। भण्झ र। १२३७. प्रति सं० ११ । पत्र मा ५३५ । न्ने काल सं० १८३६ फागुण दी। वैमं० २६ । म. भण्डार | १२३८. सुदृष्टितरंगिणीभाषा .."। 'पट मं०५१ में ५५ । मा० रन । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल X । ले. काल । अपूर्ण । न. ६६७ । सभण्डार । Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८ ] [ धर्म एवं आचार शास्त्र : १२३६. सोनगिरपचीसी-भागीरथः । पय सं ८ | प्रा. ५१४४६ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषयधर्म । र० काल सं० १८६१ ज्येष्ठ सुदी १४ । ल• काल म १४७ । छ भण्डार । १२४०. सोलहकारणभावनावान-पं० सदासुन्न । गय सं० ४६ । प्रा० १२:= १ । भापाहिन्यी । विषय-धर्म | २७ काल / । नेक काल :<। पूर्ण । ३० स० ७२६ । च भण्डार | .१२४१. प्रति । पदम .३ । ले: पान - । वे सं० १ । छ भण्डार ।। १२४२. प्रति सं३ । पत्र सं०५७ । ले० काल सं० १९२५ सावगा बुर्दा ११ । पै० म० १८ । छ भण्डार। बिशेषसवाई जयपुर में गीलाल पांड्या ने फार्म के मन्दिर में प्रतिलिपि की थी। .१२४३. प्रति सं०४। पत्र मं० ३१ त ६६ ० का नं० १९५८ माह मृदी । अपूर्मा । वेल में १६० । छ भण्डार। विशेष प्रारम्भ के ३३ पत्र नहीं हैं । सुन्दरलाल गया ने चाटम में प्रतिलिपि की थी। १२४४. सोलहकारणभावना एवं दशलक्षण धर्म वर्शन--4 सदासुख । पत्र मं० ११८ | साइन ११x६ इन्ज । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । र- काल 31 ल• काल यं० १९४१ मंगसिर मुवी १३ । पूर्ग 1 वे. सं. १४ ग भण्डार। १२४५. स्थापनानिर्णय.... पप सं० ६ ! आ. १२... श्च । भाषा-संस्कृत । त्रिपय-धर्म । र.. काल ले. काल x पूर्ण । वे० सं ० | हु. भण्डार 1 विशेष—विद्वज्जनबांधक के प्रथम कांड का प्रथम उल्लास है। हिन्दी या महित है। १२४६. स्वाध्यायपाठ.......। पब सं. २ ०१x१ इञ्च | भाषा-प्राकृत, मंस्कृल । विषय-धर्म । १० काल : | ले. काल । पूर्ण | वे मं० ३३ । ज भण्डार । १२४७. स्वाध्यायपाठभाषा....." ! पत्र सं०५ | प्रा० ११६४७३श्च । भाषा-हिन्दौ । विल्यधर्म ! र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० १४२ । क भण्डार । १२४८. सिद्धान्तधर्मोपदेशमाला पत्र सं० १२ 1 श्रा० १६-३ भाषा-प्राकृल । विपयधर्म । र.. नास ४ । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २२१ । ख भण्डार । १२४६. हुण्डावसर्पिणीकालोष-माणकचन्द । पत्र सं०६ । भाषा-हिन्दी । विषय-श्रमं । र. काय : । न काल सं० १९३७ । पूर्ण । वे० सं० ५५५ । क भण्डार । विशेष... बाबा दुलीचन्द ने प्रतिलिपि की थी। Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय--अध्यात्म एवं योगशास्त्र १२५०. अध्यात्मतरंगिणी-सामदेव । पत्र नं. १ । प्रा. ११:५५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- अध्यात्म । र काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । के सं० २.१ क भण्डार | १२५१. प्रनि सं०२। पत्र । ले. काल सं. १६३., भादया बुदी ६ । ०० . भण्डार। विशेष : अपर नीने तथा पत्र के दोनों ग्रोर संस्कृत में टीका निखी हई है। १०५२. प्रति सं० ३ । पत्र सं०६ । न. काम्न मं० १९३८ प्रापाद बुर्दा १०१. सं. २ । जे भधार । विशेष- प्रति संस्कृत टीका हित है । निनुभ फतलाल ने प्रतिलिपि की थी। १२५३. अध्यात्मपत्र-जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं०१७ | प्रा० Exe इछ। भाषा-हिन्दी (गम)। ५. काल १४नीं शताया । ले. काल : 1 पूर्ण । ० म १७ क भण्डार । १२५४. अध्यात्मवत्तीसी-बनारसीदास । पर सं० २ | प्रा० ६x४२ । भावा-हिन्दी { 'पग)। विषय-ग्रगारम । र, कान १७वीं शताब्दी । ले० काल ४ । पूर्ण | वे सं० १३६६ । अ भण्डार । १२५५. अध्यात्म बारहखड़ी -कवि सूरत । पत्र सं• १५ । प्रा० ५३.४ 11 भाषा-हिन्दी (पद) । विपर-अभ्यारम । र • काल १७वीं मानान्दी । खे. काल । पूर्ण । वे० सं० ६ । क भण्डार । १२५६. अष्टगहुई–कुन्दकुन्दाचार्य । पन सं० १० मे २७ । प्रा० १०४५. इच। भाषा-प्राकृन । जन प्रध्यात्य । २० काल लेक काल । अपुगा । के० सं० १०२३ । म भण्डार । विशेष-प्रत्ति जीर्ण है। १ मे १ तथा २४-२५या पन नहीं है। १२५७, प्रति सं०२पय रां. ४८ । ले० काससं० १९४३१ व० सं० ७ । क भण्डार । १२५८. अष्टपाइभाषा-जयचन्द छाबड़ा । पत्र मं० ४३० | प्रा. १२४७१ । भाषा-हिन्दी (गद्य । विषय-अध्यात्म । २. काल सं० १८६७ भादवा सुदी १३ । ने. काल पूर्ण । दे० सं० १३1 के भण्डार । विशेष—मूल ग्रन्थकार प्राचार्य कुम्वकुंद हैं । १२५६. प्रति सं०२। पत्र सं० १७ स २४ । ल. काल X| अपूर्ण । वे म क भण्डार | १२६०. प्रति सं०३। पत्र सं० १२६ । ले० काल 1 वे० में० १५ । क. भवार । १२६५, प्रति सं२४। पत्र सं० १६७ । ले० काल , । ये० सं० १६ 1 क भण्डार । १९६२. प्रति सं०५। पत्र सं० ३३४ । ल. काल सं० १६२६ । २० सं० । क भन्दार । १८६६. प्रति सं०६। पत्र तं १ | ले काल में. १९३० सं०३ । भन्सार । Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Foo भण्डार | भण्डार रत्र किसी अन्य प्रति के हैं । मण्डार १२६४. प्रति सं० ७ १० १६५०० १६५ प्रति मं० [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र भर | ०१२३०० १२३६१५००३८ विशेष-८१ पद प्रयोग प्रति मे १२३ फिर दिखाये है तथा १२४ से १६३ तक के १२६६ प्रति सं० ६ ० २४६ । ले० बाल मं० १३५१ श्रीपाद बुदी १४ । ३६ १२६७ प्रति मं० १० पत्र मं० १६७०० ५०८ १२६८. प्रति सं० ११ । पत्र मं० १४५० बाल १८५० मा १२६६. आत्मध्यान- बनारसीदास पत्र मं० १० २६८ | भाषा-हिन्दी ( ) | विषय-सचिन १०००० १२७६ भदार १२०० आत्मप्रबोध कुमारकविभाषा-संस्कृत विषयअध्यात्म | र काल । ले० काल X। पू । ० सं० २५= | भण्डार | १२७१. प्रति सं० २ १२७२. आत्मसंबोधनकाध्य प्रध्यात्म | १० काल X 1 ले० काल x | ० १४० काल x | ००३५० (क) का भण्डार | | पत्र सं० २७ | श्र० १००४ | ० सं० १०५४ । श्र भण्डार । व भण्तर | बुद्ध १०.३८ । १२७३. प्रति सं० २ १ पत्र सं० ३१ १ ० काल ०५२ | पार | १२७८. आत्मसंबोधनकाव्य-ज्ञानभूषण पत्र गं० २२६०१०२ 13 श्रीमनाथवानये । श्रीमूलानये भ० श्रीभद्रात श्रीजिनचन्द्रदेव तत् लिखितं योति (पी) श्री गंया तत्पुत्र महेम लिखितं । च | भाषा - परश | विपन संस्कृत विषय अध्यात्म र काल X ० काल 1 मं० १६२७ भण्डार १२७५. आत्मावलोकन - दीपचन्द कासलीवाल | पा ११५ [हिन्दी] (ग) विषय पध्यात्म । २० का ० का ० १७७४ फागुन बुदी विशेष-वृन्दावन में दमाराम लच्छीराम ने चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि को थी । १२७६. आत्मानुशासन - गुणभद्राचार्य पत्र [सं० ४२० १०.१ पियध्याय २० का ० का ० सं० २२६२ । पूर्मा जी भण्डार । वर्षे नाके ............ सरस्वतीच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वय भट्टारकी प्रभाचन्द्रदेवा विष्पमंडलाचार्य श्रीधर्मचन्द्र विशेष प्रशस्ति- *******..... भाषा 1 भाषा टार L Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] ५२४७. नि ! ७.: १४ १६ बाद बुद्दी ८ । वे.. २९६ 1% भण्डार। १२. प्रति सं०३ । पत्र मं० २७ । न० काल सं० १८६० सावरण मुदो ४। वे सं० ३१५ । म भण्डाः । "१२७६. प्रति सं०४ पत्र मे० ३१ । ले. काल । बै० सं० १२६८ । अ भन्डार | विशेष प्रति जीर्ण एवं प्राचीन है। २०. प्रति सं०५१ पत्र सं०३५ ला बालपण । वै० म० २७० । भण्डार। १२८१. प्रति म०६। पत्र सं. ३८ । न काल x . सं०७६२ । अ भण्डार । १२८२. प्रति सं ७ । पत्र मं० २५ । ने. काल X 1 वे० म० ७६३ | अ भण्डार । १२८६. प्रति सं० । पत्र सं० २७ ले काग्न । अपूर्गा । ये मं० २०८६ । भ भण्डार १२८४. प्रति सं०६ । पत्र म० १.७ । ले० काल मं० १६४०३० ४७ । के भण्डार | १२८४. प्रति मं१0 | पत्र सं० ४१ । ल. काल सं० १८८८ । ३. म क भण्डार । १२८६. प्रति : ११ । पत्र में० ३६। ले० कास ४ ० सं० १५ । क भण्डार । १२८७. प्रति सं० १२ । पत्र मं० ५३ । ले० काल मं. १८७२ चैत मुदो ५ । ३० म०५३। माधार । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है । पहिल सम्बत का हिन्दी अर्श्व तथा फिर उसका भावाध भी दिया हुआ है। १२८८. प्रति सं० १३ । पत्र सं. २३ । ले. कान सं० १७३० भादवा मुदी १२ 1 वै० म० ५.४ । क भण्डार । विघोषालान बाकलीवाल ने प्रतिलिपि की थी। १२८१. प्रति सं०१४। पत्र सं० २६। ले० काल मं. १६७० फागुन तुदी २ । व० ० २६ । च भण्डार। विशेष... हितगपुर निवासी चौधरी मोहल ने प्रतिलिपि करवामी थी। १५१८. प्रति सं०१५। पत्र सं. ५। ले. काल मं० १९६५ मंगसिर मुदी.५ ००।प भण्डार । विशेष—मंडलाया धर्मपद के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी थी। ६१.. प्रात्मानुशासनटीका-प्रभाचन्द्राचार्य । पत्र सं० ५७.1 मा० ११.४.५ । । भाषा-संस्कन । विषय-अध्यात्म । र, काल XI ने काल सं० १८८२ फागुण सुदी १० । पूर्ण । व० सं० २७ । च भण्डार । ..१२१२. प्रति सं०२ । पम सं० १०३ । ने. काल सं० १६.१ | व. सं. ४ क भण्डार | . .१२६३. अति- ३ पल में ८४। ले०काल.मं० १.६८५ मंसिर मुदी १४। १३ । रे भण्डार। Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ ] भण्डार । प्रहार | भण्डार विशेष-सवाई जयपुर १२६५. प्रति सं० विशेष तिहू १२६६. आत्मानुशासनभाषा - पं० टोडरमल । पव सं० ८७ ग्रा० (ग) विषय अध्यात्म । २० काल । ले० काल सं० १८६० ६ पूर्मा । ० ० २७१ । भण्डार । ० १०६ ० काल सं० १२० । ० ० ३२६ अ भण्डार । १२१७. प्रति सं० २ विशेष- प्रति सुन्दर है । १२६८. प्रति सं० ३ पत्र मं० १४८० काल | बै० सं० २१६ १२६६. प्रति सं० ४ | पत्र सं० १२६ । ले० काल सं० १९६३ । १३०० प्रति सं० ५ प ० २३६ । १० काम सं १९३० D विशेष प्रभावन्दाचार्य कृत संस्कृत टीका भी है। १३०१. प्रति सं० ६ पत्र सं० २०५ ले० काल सं० १९४० । ० सं० ५१ १३०२. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ११८ | ० काल सं० १८६९ कार्तिक मुदी विशेष-वृन्दावती नगर में प्रतिलिपि हुई। १२६४. प्रति सं० ४ पत्र ० ४२० काल १८३२६००५० न । से भण्डार 1 -NA -- [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र में प्रतिलिपि हुई। [सं०] ११० से० का ० २६१६ बाद १०० ३१ । प्रवास गर्न गोवीय ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवायी। ३० मं० २१४ । व भण्डार । १४७ इ | भाषा - हिन्दी प्र १३११. प्रति सं० १६ पत्र सं ० ० काल X १३१२. प्रति सं० १७०० काल सं० १०४ श्र भण्डार ० सं० ४३४ । भण्डार दे० [सं०] १० क भण्डार १२०३ प्रति सं० ८ प ७० काल अ० [सं० ५५ भण्डार | १३०४. प्रति सं० ६ | पत्र सं० ८ से १०२ | लेकालX | अपूर्ण वे० सं० ५६ भण्डार १३०५. प्रति सं० १० पत्र [सं०] १०० काल x अपूर्ण वे० सं० ५७ भण्डार २३०६. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १५१ । ले० काल सं० 1 १९३३ ज्येष्ठ बुदी ८००५ कु विशेष प्रति संशोधित है। १३०७. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ६७ | काल x पूर्ण ० ० ५६ । भण्डार | १३०८. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ६१ से १६५ । ले० काल X | अपूर्ण । बै० सं० ६० । ङ भण्डार ! १३०६. प्रति सं० १४ पत्र से० ७१ से २०६० काल X ५०० २१२ । चभण्डार १३१०. प्रति सं० १५ | पत्र सं० ६६ से १४३ । ले० काल सं० १९२४ कार्तिक मुदी २ । अपूर्ण | क भण्डार | । वै ० [सं० ५१५ वाढ बुदी २ च भार ० ० २२२ ज K Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] १३१४. आध्यात्मिकगाथा- भ० लक्ष्मीचन्द । पत्र [सं० ६ ० १०५४ | भाषा प्रपभ्रंभ | विषय-प्रभ्य र काल ८ ० का ० ० १२४ भण्डार । I I १३१४. कार्त्तिकेयानुप्रेक्षा स्वामी कार्त्तिकेय पत्र मं० २४ | ० १२.४५ । भाषा प्राकृतं । विषय-प्रध्यात्म १० काल x ० काल सं० १६०४ पूर्ण सं० २६१ अ भन्दा । १३१६. प्रति सं० २०३६०००६२८ अ भण्डार विशेष-संस्कृत में पर्यायवाचीदिये हैं। १०२ गवायें हैं। ३३ ०सं० ३१४ भण्डार भण्डार | भद्रा । भण्डार विशेष – रायनन्द साहब ने स्वार्थ प्रतिलिपि की थी। १३१२ प्रति सं० १८० १४० काल मं० २९२४ ट भण्डार विशेष १४ से पाने पत्र नहीं है। भण्डार । १३१७. प्रति सं० ३ पत्र विशेष- २८३ गाथायें है। १३१८. प्रति सं० ४ प विशेष संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हैं । १३०३. प्रति सं० ४० ४० १६००८४५ भण्डार ० ६०० का ० ० ८४४ | भष्टा विशेष संस्कृत में पर्यायवाची शब्द है। '१३२८. प्रति सं० ६ । पत्र मं० २० | ने० काल १२२१. प्रति सं० ७ पत्र मे० ३४ ० काल १३२०. प्रति सं० ८ प ० ० ० का [ १०३ ० मपू । ००३१ | पूर्ण ० ० ११४ १६४२ सावदी ४०० ११६ क भण्डार 1 भार २३२३. प्रति सं० २०२० से ०५१०११७ इ १३२४. प्रति सं० १० ० ० ० का ० १८२२ पौष वदी १००० ११६ विजय हिन्दी अर्थ भी है। मुनि रूपचन्द ने प्रतिलिपि की थी। १३२४. प्रति सं० ११ | सं० २०० काल सं० १६३६०० ४३७ । च भण्डार १३२६. प्रति सं० १२ । पत्र मं० २३ । ले० काल अपूर्ण ० सं० ४३८ १ च भण्डार | 4 १२२७. प्रति सं० १२ पत्र मं० ३९ ० का ० १०६ वादी०४२६ c २३२ प्रति सं० १३० १२० १६२० मा ८० मं० ४४० । च | काल सं मात्र मुद Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ ] सार बडार । मण्डार | १३२६. प्रति सं० १४ । पत्र ०६ ० काल - १६५६०४४२ विशेष संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं । १३३०. प्रति सं० १५० ४६० मं० १८६१ मा वृदी १०००० श्रृ अध्यात्म । ५० काल X | ले काल । अपूर्ण ปี १३३७. प्रति सं० २०६१ १३३१. प्रति मं० १६ | पत्र ०६३ | ० का ० १०७ | ज भण्डार ya Prieina eco fa १३३०. प्रति सं० १७ | पत्र मं० १२० काल १२३३. प्रति सं० १८०० १३३४. प्रति मं० १६० १००० काल विशेष-११ ते ७४ १०० मे पाये के पत्र नहीं है १३३५. प्रति सं० २०३८६४ विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । १३३६. कार्त्तिकेयानुप्रेक्षा टीका भण्डार 1 [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र भण्डार | I ११८ भ्रष्ट्रार १२२ कार्त्तिकेयानुप्रेक्षाटीका - शुभचन्द्र पत्र सं० २१०० ११३८१ भाषा-संस्कृत विषय- श्रध्यात्म र० काल मं० १६०० मात्र बुदी १० ले० काल सं० १८५४ । पूर्वा । ००४३ क भण्डार १३३६. प्रति सं० २ । १ १२४०. प्रति सं० ३ १४४१. प्रति सं० ४ अ० सं० २६ | भण्डार ०० १२५ भण्डार पू० मं० २०६१ भण्डार का २० भार पत्र सं० ५४ | ०१०२.४० भाषा-संस्कृत । विषय० सं० ७३२ भण्डार | I ११०० काल पूर्ण १२४४. कार्त्तिकेयानुप्रेक्षा भाषा [हिन्दी] (ग) विषय-प्रध्यात्म १० नान मं० ८४६ । मण्डार ० ४६ । ने० काल ४ । ३० सं० ११५ | अपूर्ण भण्डार । ० २५००० ४४१ भण्डार पत्र से० ५१ मे १७२००१८३२००४८० १३४२. प्रति मं० ५ एक सं० २१७ ० का ० २०२२ २०७६ विग मनाई जयपुर में माधोसिंह के शासनकाल में चन्द्र न्यालय मे पं० पवन के रामचन्द ने प्रतिलिपि की थी । १३४३. प्रति सं० ६ प ० २४०० सं० २०६६ दी ८०० १०५ ब जयचन्द छाबड़ा पत्र [सं० २३०० ११.२६ भाषा१८२५ सवदी १०२६०० = Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] अध्यात्म | २० काल X | ले० काल X | ० सं० १९८३ | ट भण्डार | १३४५. प्रति सं० २ । पत्र सं० २८१ । ने० काल X | ३० सं० २४६ । ख भण्डार | १३४६. प्रति सं० ३ | पत्र सं० १७६ । ले० काल सं० १८८३ | वे० सं० १५ | ग भण्डार | विशेष – कालूराम साह ने प्रतिलिपि करवायी थी । १३४७. प्रति सं० ४ । पत्र [सं०] १०६ । ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० १२० | १३४८. प्रति सं० ५ | पत्र सं०] १२६ | ने० काल सं० १८८४ ० मं० १३४६. कुशलागुबंधिश्रज्भुयां पत्र सं० ८ । आ० १०४ विशेष—प्रति हिन्दी टव्या टीका सहित है । इति कुशला चिभुवां समत्तं । इति श्री चतुशरण टवार्थ । इसके अतिरिक्त राजमुन्दर तथा विजयदान सूरि विरचित ऋषभदेव स्तुतियां और हैं। भण्डार । [ १०५ गई । १३५०. चक्रतिक बारह भावना" | पत्र [सं० ४ १ प्रा० १०३४५ भाषा - हिन्दी (पद्य) | विद्रव्यात्म | १० काम XX। पूणे । ० सं० ५४० | च भण्डार । भण्डार । १२१ भण्डार | । भाषा प्राकृत विषय १३५१. प्रति सं० २ । पत्र मं० ३ ० काल X | ये० सं० ५४१ | च भण्डार | १३५२. चतुर्विधध्यान पत्र सं० २ श्र० १०४ २० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण । ० सं० १५१ झ भण्डार | ० १२४६ इच । भाषा - हिन्दी भाषा - हिन्दी (पद्य) | विषय - १३५३. विविलास - दीपचन्द कासलीवाल | पत्र सं० ४३ | (ग) विषय - अध्यात्म । २० काल X | ले० काल सं० १७७२ | पूर्ण | वे० सं० २१ । घ भण्डार । १३५४. जोगीरासो-- जिनदास | पत्र सं० २ । प्रा० १०३४३ अध्यात्म | २० काल X 1 ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ५६१ । भण्डार । १३५५. ज्ञानदर्पण -- साह दीपचन्द | पत्र सं० ४० श्र० १२३४४३ | भाषा - हिन्दी (पद्य) | विषय- अध्यात्म | र० काल X| ले० काल ४ । वे० सं० २२६ । क भण्डार । १३५६. प्रति सं० २ | पत्र सं० २५ | ले० काल सं० १८६४ सात्रा सुदी ११ । वे० मं० ३० घ । भाषा संस्कृत विषय- योग | विशेष – महात्मा उम्मेद ने प्रतिलिपि की थी। प्रति दीवान प्रमरचन्दजी के मन्दिर में विराजमान को १३५७. शानचावनी - बनारसीदास । पत्र सं० १० | मा० ११४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषयअध्यात्म | २० काल Xx | ले० काल Xx | पूर्ण वे० सं० ५३१ । भण्डार | १३५८. ज्ञानसार- मुनि पद्मसिंह पत्र सं० १२ । प्रा० १०३५३ व अध्यात्म | २० काल सं० १०६६ सावा मुदी है। • काल X। पूर्ण । ० सं० २१८ | भाषा - प्राकृत विषयभण्डार । Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ धर्म एवं माचार शास्त्र विशेष-रचनाकाल वाली गाथा निम्न प्रकार है सिरि विक्कमसब्दाबे दशसयछासी जुपमि बहमारोह सावरणसिय णवीए अंवयणपरीम्मकार्य मेधं ।। १३५६. ज्ञानावि-शुभचन्द्राचार्थ । पत्र सं० १०५ | प्रा० १२३४५, इन। भाषा-संस्कृत । विषय-योग । र० काल X । ले. काल सं० १६७६ चैत्र बुद्दी १४ । पूर्गा । वे० सं० २.१४ 1 9 भण्डार । विशेष---जेराट नगर में श्री चतुरदास ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवायी थी। १३६०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १०३। ले० कास सं० १६५९ भादवा सुदी १३ । के० सं० ४२ । अ भण्डार १६६१. प्रति सं०३। पत्र सं० २०७। ले. काल मं० १९४२ गोल सुर्दा ८ व० सं० २२० । क भण्डार। १३६२. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २६० । ले. काल X 1 अपूर्ण । वे० सं० २२१ । क भण्डार । १३६३. प्रति सं०५ । पत्र सं० १०८ । ले० काल ४ | सं० २२२। क भण्डार | १३६४. प्रति सं०६ । पत्र सं० २६४ । से. काल सं० १५३५ मापाळ सुदी ३ । २० सं० २३४ । क भण्डार। विशेष—अन्तिम अधिकार की टीका नहीं है। १३६५, प्रति सं० ७ । पत्र सं० १० से १२ । ले० काल ४ । अपूर्ण । ० सं० ६२ । भण्डार । विशेष—प्रारम्भ के पत्र नहीं हैं । १३६६. प्रति सं० 1 पत्र सं १३१ । लेक काल | 0 सं. ३२ । ध भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। १३६७. प्रति सं० । पत्र सं० १७६ से २०१ । ले. काल ४ । अपूर्ण । वै. सं० २२३ । कु भण्डार । १३६८. प्रति सं०१०। पत्र सं० २१८ । ले. काल ४ . सं. २२४ । अपुर्ण | भण्डार । विशेष-प्रन्तिम पत्र नहीं है । हिन्दी टीका सहित है। १३६ प्रति ११ प सं० १०६ । ले. कान XI सं० २२५ । भण्डार । १३४८, प्रति सं० १२ । पत्र सं० ४ । ले. काल X । अपूर्ण । व० सं० २२५ । भण्डार । १३७१. प्रतिसं० १३ । पत्र सं० १३ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० २२६ । भण्डार । विशेष—प्राणायाम अधिकार तक है। १३७६. प्रति सं०१४। पत्र सं० १४२ । स० काल सं. १८८६ । वै० सं० २२७ । म भण्डार । १३७३. प्रति सं० १५ । पत्र सं० १४० । ले० काल मं. १६४८ प्रासीज बुदी ८ | . सं० १२४ । भण्डार। विशेष-सक्षमीचन्द्र वैद्य ने प्रतिलिपि की थी। Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र J भण्डार । भण्डार । १३७४. प्रति सं० १६ । पत्र सं १३५ । ले० काल x | ० सं० ६५ छ मण्डार | विशेष- प्रति प्राचीन है तथा संस्कृत में संकेत भी दिये हैं। १३७५ प्रति सं० १७ | पत्र मं० १२० काल सं० १६६८ माघ सुदी ५ । वे० सं० २८२ छ [ too विशेष – बारह भावना मात्र है। । १३७६. प्रति सं० १८ । पत्र सं० २७ । ले० काल सं० १५८१ फागुण सुदी १० सं० २५ | ज प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १५८१ वर्षे फागुण सुदी १ बुधवार दिने । अथ श्रीमूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वती गच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्रीपद्मनविदेषा तत्पट्ट भट्टारक श्रीशुभचन्द्रदेवा तलट्टे जितेन्द्रिय भट्टारक श्रीजिनचन्द्रदेव तत्पट्ट सकल विद्यानिधानयमस्वाध्यायच्यान तत्पर सकल मुनिजनमध्यलब्धप्रतिष्ठाभट्टारक श्रौप्रभाववदेवा । प्रवेर गण स्थानत् । कुरमवंशे महाराजाधिराज पृथ्वीराजराज्ये स्वण्टेलवालान्वये समस्तगोठ पंचायत शास्त्रं ज्ञानाय लिखापितं त्रेपनक्रियावर्तनितंबा भण्डार । १३०७. प्रति सं० १६ | पत्र सं० ११५ । ले० काल X ।। ० सं० ६० । भण्डार । १३७८. प्रति सं० २० । पत्र सं० १३७६. प्रति सं० २९ । पत्र सं १०४ | ले० काल X ० ३ से ७३ | ले० काल सं० १५३ | व्न भण्डार ! सं० १०० | का भण्डार । १५०१ माघ चुदी ३ 1 अपूर्ण । ० सं० विशेष – ब्रह्मजिनदास ने श्री अमरकीति के लिए प्रतिलिपि की थी। ३०. प्रति सं० २२ | पत्र सं० १३४ ले० काल सं० १७८८ । वे० सं० ३७० | व्य भण्डार ! १३८१. प्रति सं० २३ पत्र सं २१ ले काल सं० १६४१ । बै० सं० १६६२ । ट भण्डार । विशेष—प्रति हिन्दी टोका सहित है। १३८२ प्रति सं० २४ । पत्र सं० ६ । ले० काल सं० १६०१ | अपूर्ण वे० सं० १६६३ ट भण्डार विशेष—प्रति संस्कृत गद्य टीका सहित है । १३८३. ज्ञानार्णवगद्यटीका— श्रुतसागर । पत्र सं० १५ | मा० ११४५ इख | भाषा संस्कृत विषय- योग १० काल । ले० काल । पूर्ण । ० सं० १९ । श्र भण्डार । १३५४. प्रति सं० २ । पत्र सं १७ । ले० काल x | ० सं० २२५ । के भण्डार । १३८५. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ६ । २ काल मं० १८२३ माघ सुदी १० १० सं० २२६ क १३८६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २ से ६ काल X अपूर्ण ० ० २१ भण्डार । Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र १३८७. प्रति सं५। पत्र सं० १. ले. काल सं० १७४ । जीर्ण । वे० सं० २२८ । कु भण्डार । विशेष--मौजमाबाद में प्राचार्य कनककीति के शिष्य पं. मदाराम ने प्रतिलिपि की थी। १३०८. प्रति सं.६। पत्र मं० २ से १२ ले कालXI अपूर्ण । बे० सं० २२६ । भण्डार | १३८६. प्रति सं०७। पत्र सं० १२ । से० काल सं० १७८५ भादवा। वे० सं० २३० । भण्डार । विधोष- समचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। १३३०, प्रति सं०८ । पत्र सं०६ । ले. काल X । वे मं० २२१ । ब भण्डार । १३६१. ज्ञानावटीका-०नय विलास । पत्र सं० २७४ । प्रा०१३x इन। भाषा-संस्कृत । विषय-मोग । र० काल X| ले० काल XI पूर्ण । ० सं० २२७ । क भण्डार । वियोष- अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है । इति शुभचन्द्राचार्यविरचितयोगप्रदीपाधिकार पं० नविनामेन साह पाशा तत्पुष साह टोडर तत्कूलकमलदिवाकरसाहषिदासस्य श्रवणार्थ व जिनदासों धर्मनाकारापिता मोक्षप्रकरण समाप्तं । १३१२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३१६ । ले. काल - ।। वे० सं० २२८ । क भण्डार | १३६३. ज्ञानार्या नदी का भाषा---लाम्धिीमता: : : १८ : दा० ११४६, इ1 भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-योग । २० काल मं० १७२८ आसोज मुदी १० । ल० काल सं० १७३० वैशाख सुदी ३ । पूर्ण । वे. सं० ११४/छ भण्डार । १३६४. मानावभाषा-जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं०६६३ । प्रा० १३४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) विषय-योग । २० काल मं० १८६६ माघ मुदी ५ । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० २२३ । क भण्डार । १३६५. प्रति सं०२ | पत्र में ४२० । ले. काल । वे० सं० २२४ । क भण्डार । १३६६. प्रति सं०३ । पत्र सं० ४२१ । ले. काल सं. १८८३ सावरण बुदी ७ । वै० म० ३४ । महार। बरामजी माह ने सोनपाव विशेष-शाह जिहानाबाद मे संतूलाल की प्रेरणा से भाषा रचना की गई। कालूरामजी माह ने सोनपाल । भांयसा से प्रतिलिपि करके चौधरियों के मन्दिर में चढ़ाया। १३६७.प्रति सं४। पत्र सं० ४०० । लेकाल . सं० ५६५। च भण्डार । १३४८. प्रति सं०५ | पत्र सं० १०३ से २१६ । ले. काल । अपूर्ण । वे० सं० ५६६ । च भण्डार । १३६१. प्रति सं०६। पत्र सं० ३६१ । ले० काल सं० १९११ प्रासोज बुद्दी ८ । अपूर्ण । ३० मं० ५६६। म भण्डार विदोष-प्रारम्भ के २६० पत्र नहीं हैं। १४००, तत्त्वबोध पत्र में. ३ । प्रा० १०४५ इन। भाषा-संस्कृत | विषम-अध्यात्म | २० काल ले. काल मं० १८८१ | पूर्ण । बे० सं० ३१० जभण्डार । Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म पर योगशास्त्र ] [ ११ १४.१. त्रयोविंशतिका...... | पत्र मं० १३ । प्रा० १०३४४ रन । भाषा-संस्कृत । विषय-मध्यात्म। २० काल X । ले० काल X । पूर्ण 1 वे सं० १४० । च भण्डार । १४८२. वाहइभाग.......। पथ * २६ ! प्रा० १.३४८. इ! भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषयभभ्यारम । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । ये० सं० १८३ । छ भण्डार । विशेष-अष्टपाहुड का एक भाग है । १४०३. द्वादशभावना दृष्टान्त..."। पत्र सं० १ । प्रा० १०x४५ इच। भाषा-गृजराती । विषयअध्यात्म।र० काल ले. काल सं० १७.७ बैशाख खुदी १ ० सं० २२१७ | श्र भण्डार। विशेष-जालोर में श्री हंसकुशल ने प्रतापकुशल के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। १४०४. द्वादशभावनाटीका..." पत्र सं० १। आ. ११४८ इञ्च। भाषा-हिन्दी । विषय-प्रध्यान्म। र काल - ल. काल - | अपूर्ण । ये० मं० १६५५ । ट भण्डार । विणेप-कुन्दकुन्दाचार्य कृप्त मूल गाथा भी दी हैं। १४०५. द्वादशानुप्रेक्षा".....! पत्र सं० २० । मा० १.३४४ छ । भाषा-प्राकृस | विषय-अध्यात्म । रस काल X । लेस काल ५ । अपूर्ण 1 वे० सं० १९८५ । ट भण्डार । १४०६. द्वादशानुप्रेक्षा-मकलकीर्ति । पत्र सं० ४ । प्रा० १०२४५ इश। भाषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । र० काल XI ले. कास पूर्ण | बे० सं०६४ । भण्डार। १४०६. द्वादशानुप्रेता......"। पत्र सं १ । प्रा० १०x४इछ । भाषा-संस्कन । विषय-मध्याम । र० काल X । ले० कान X । पूर्ण । वे सं० ८४ | अ भण्डार । १५:८, प्रति सं० २। पत्र मं० । ले० काल X। वे० सं० १६१ । म भण्डार । १४.६. द्वादशानुप्रेक्षा-विस्त । पत्र सं ८३ । प्रा० १२३४५ ३।। भाषा-हिन्दा (पा) । विषय--अध्यात्म । २० काल सं० १६.७ भादवा बुदी १३ । ले० काल x पूर्मा | वै० म० ३६ । क भण्डार । १४१०. द्वादशानुप्रेक्षा-साह आलू । पत्र सं० ४ | प्रा० ६३४४, इन्न । भाषा-हिन्दी । विषयअध्यात्म । र कान । ले. काल X । पुर्ण । ० सं० १६०४ । ट मण्डार । १४१५. द्वादशानुप्रेक्षा....."| पत्र सं० १३ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । र० काल ले. काल पूर्ण । ० सं० ५२८ । कु भण्डार । १४१२. प्रति सं०२। पत्र सं० ७ । लेक काल.X । ० सं०६३ । म भण्डार । १४१५. पञ्चतत्त्वधारणा...."। पत्र सं०७। प्रा० ६३४४५ इछ। भाषा-संस्कृन्त । विषय-योग) २० काल X । ले० काल - पूर्ण । ० सं० २२३२ श्र भण्डार । Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१. ] [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र .. .१४१५. पन्द्रइतिथी ....."1 पत्र सं० ४। प्राः १.४५ इन्। भाषा-हिन्दी। विदय-अध्यामा २० नाल ले. काल X । पुर्ण । वे० सं० ४३° ! अण्डार । . विशेष-भूघरदास कृत एकीभावस्तोत्र भाषा भी है। ५४१५. परमात्मपुराण-दीपचन्द 1 पत्र सं० २४ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (ग)। विषय-नच्यात्म | र० काल ४ । लेख वाल सं० १८६४ सावन मुदी ११ । पूर्ण । घ भण्डार । विशेष-महात्मा उमेद में प्रतिलिपि की थी। १४१६. प्रति सं०२ । पत्र सं० २ से २२1 ले. काल मं. १८४३ ग्रासोज बुदी २ अपूर्ण । मेर ६२६ । भण्डार । १४.७. परमात्मप्रकाश-योगीन्द्रदेव । पत्र सं० १३ से १४४ । मा० १०५, इन | भागाअपभ्रंश विषय-अध्यात्म 1 र० काल १०वीं शताब्दी । ले० काल सं० १७९६ पासोज मदी। अपूर्ण । .. सं. २०५३| अभण्डार। विशेष-स्खुशालचन्द चिमनराम ने प्रतिलिपि की थी। १४१८. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । ले० काल सं० १९३५ । वे० सं० ४४५ । क भण्डार । विशेष-संस्कृत में टीका भी है। १४१६. प्रति सं०३। पत्र सं० ७९ 1 ल० काल सं० १९०४ श्रावणा बुदो १३ । वे० ५७ । च भण्डार । संस्कृत टीका सहित है। विशेष-ग्रन्थ सं० ४००० श्लोक । अन्तिम पृष्ठों में बहुत बारीक लिपि है। १४.८. प्रति सं०४। पत्र सं० १५ । ले. काल ४ । अपूर्ण । के० सं० ४३४ । हु भण्डार । १५२१. प्रति सं०५ । पत्र सं० २ मे १५ 1 ले० काल X । अपूर्ण । व० सं० ४३५ । भण्डार । १४२२. प्रति सं०६। पत्र सं० २५ । से. काल :: । अपूर्गा । वे० सं० २०६ । च भण्डार विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हैं। १४२३. प्रति सं०७ पत्र सं० १९ |ले. काल X| अपूर्ण । ० सं० २१ । च भण्डार । १४२४. प्रति सं०८ । पत्र सं० २४ । ले० काल सं० १८३० बैसाख बुदी ३१ वे संत ८२ । अ भण्डार । विशेष-जयपुर में शुभचन्द्रजी के शिष्य बोखचन्द तथा उनके शिष्य पं. रामचन्द्र ने प्रतिलिपि की। संस्कृत में पर्यायवाची शब्द भी दिये हुए हैं। १४२५. परमात्मप्रकाशटीका-अमृतचन्द्राचार्य । पत्र सं० ६६ से २४५ । प्रा० १०१X ] भाव-संस्कृत | विषय-अध्यात्म | र० कालx | ले० कालxअपूर्ण । व० सं० ४३३ । हु भण्डार । १४२६. प्रति सं.२ पत्र सं० १३६ 1 ले. काल Xवे. सं.४५३ । म भण्डार । Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] भण्डार । [ १११ १४२७. प्रति सं० २ ० १४१ | काल मं० १७९७ पौष सुदी ५। सं० ४५४ | विशेष मायाराम ने प्रतिनिधि की थी। १४२८. परमात्मप्रकाशटीका महादेव विषय-यध्यात्म र काल X | ले० काल न सं० १६४ ० ११८५ इ । भाषा-संस्कृत | पूर्ण वे० सं० १७९ | श्र भण्डार १४२६ प्रति सं० २ | पत्र सं० ८ से १४६ ० काल X | अपूर्ण वे० सं० ८३ । छ भण्डार । विशेष प्रति सचित्र है ४४ चित्र हैं। १४३०. परमात्मप्रकाशटीक भाषा-संस्कृत विषय | पत्र सं० १६३ | ० ११३७ अध्यात्म १० काल X ले० काल सं० १९४०१२ पूर्ण २००४४७ क भार १४३१. परमात्मप्रकाशटीका ० ११४५३ इथ भाषा-संस्कृत विषय f पत्र सं० ६७ प्रध्यात्म १० काल X। ले० काल सं० २०६० कात्तिक सुदी ३ पूर्ण ३० सं० २०७ १४३२ प्रति सं० २ । पत्र सं० २६ से १०१ । ले० काल X | अपूर्गा । १४३३. परमात्मप्रकाशटीका पत्र सं०] १७० पा० ११३५ मध्यात्म० का ० का ० १६६ मंगसिर सुदी १३ पूर्ण ० ० ४४६ दिया है। विशेष लेखक प्रशस्ति कटी हुई है। विजयराम ने प्रतिलिपि की थी । १४३४. परमात्मप्रकाशभाषा -दौलतराम पत्र सं० ४४४० ११४६ भाषा-हिन्दी विषय अध्यात्म | १० काल १८वीं शताब्दी । ले० का ० १६३८ । पूर्ण । ० सं० ४४६ क भण्डार ! स्कूल टीका भी दी हुई है। विशेष मूल तथा अह्मदेव कुल १४३५. प्रति सं० २ । पत्र सं २२० से २४२ । ले० काल X | अपू १४३६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २४७ १ . काल सं० १६५० | ० १४३७. प्रति सं० ४ । पत्र स० ६० मे १९६ | ले० काल X | अपूर्ण १४३८. प्रति सं० ५। पत्र सं० ३२४ । ले० काल x ३ ० सं० १६२ । छ भण्डार | १४३६. परमात्मप्रकाशवाला घोधिनी टीका-खानचन्द पत्र सं० २४१ ० १२५ भाषा हिन्दी विषयात्म० का ० १९३६ पूर्ण वे० [सं० ४४० सवार विशेष—यह टीका मुल्तान में श्री पार्श्वनाथालय में लिखी गई थी इसका उल्लेख स्वयं टीकाकार ने I द भण्डार | सं० २०८ । च भण्डार । भाषा-संस्कृत विषय क भण्डार — ० ० ४३६ | कु भण्डार | ० ४३७ | ङ भण्डार | वे० सं० ६३८ । चभण्डार । १४४०. परमात्म प्रकाशभाषा नथमल सं० २१०११३७ विषय- अध्यात्म | र० काल सं० १६१६ चैत्र बुदी ११ । ले काल X | पूर्ण । ७ ० ४४० १४४० प्रति सं० २ | पत्र सं० १८ । ले० काल सं० १६४८ | ६० सं० ४४१ १४४२. प्रति सं० २ ० ३ ०X०० ४४९ भाषा - हिन्दी (पथ) | क भण्डार | । क भण्डार | भण्डार Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र १४४३. प्रति सं०४ । पत्र सं० २ मे १५ ले कान मं. १९३७ । वै० सं०४४३ । क भण्डार । १४४४. परमात्मप्रकाशभाषा--सूरजभान ओसवाल । 'पत्र सं० १५४ । प्रा० १२:४८ इ । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-अध्यात्म । र० काल सं० १४३ प्राषाढ़ बुदी ७ । ले० काल सं० १९५२ मंगसिर बुदी १० । पूर्ण । ० सं० ४४४ । क भण्डार । १४४५. परमात्मप्रकाशमापा पत्र सं० ६५ । प्रा. १३४५ बछ। भाषा-हिन्दी । विषयअध्यात्म | र० काल x R० कान X वे० से०११६० । भण्डार । १५४६. परमात्मप्रकाशभाषा'..."। पर सं० ५६ । प्रा० ११४८ इन्छ । भाषा-हिन्दी। विषयअध्यात्म 1 र. कानXI ले. काल x पूर्ण । ० सं० ६२७१च भण्डार । १४४७. परमात्मप्रकाशभाषा"..."। पत्र सं०६३ से १२८ । ग्रा० १०x४ इश। भाषा-हिन्दी। विषम-अध्यात्म । र० काल X1 ले. काल X | अपूर्ण । वे० सं० ४३२ । भण्डार। . १४४८. प्रवचनसार--प्राचार्य कुन्दकुन्द । १५ सं० ४७ 1 प्रा० १२४४३ इश। भाषा-प्राकृत । विषय-अध्यात्म | २० काल प्रथम शताब्दी । ले. काल सं० १९४० माघ सुदी ७ । पूर्ण । बै० म० १०८ । क भण्डार । विशेष--संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हये हैं। १४. प्रति सं०२ । पत्र सं०३८ । ले. काल X० मं०५१०। ति सं०३१ पत्र सं० २०० काल मं०१८६६ भादवा बुद्दी ५ । वै० म० २३८ 1 च भण्डार। १४५१. प्रति सं०४। पत्र सं० २८ । ले. काल XI अपुग ।। वे० सं० २३९ । च भण्डार । विशेष प्रति मंस्कृत टीका सहित है। १४५२. प्रति सं०५। पत्र सं० २२ । ने. काल सं० १८३७ वैशाख बुदी ६ । वे० सं० २४० । च महार। विशेष---परागदास मोहा वान ने प्रतिनिपिकी थी। १४५३. प्रति सं०६1 पत्र सं०१३। ले. काल x वे सं० १४८ । ज भण्डार । १४५४. प्रवचनसारटीका-अमृतचन्द्राचार्य । पत्र सं० १७। प्रा० ९४५ इछ। भाषा-संस्कृत । विषय-मध्यात्म । २० काल १०वीं शताब्दी । से० काल X । पूर्ण । वे. म. १०६ । अ भण्डार । विशेष-टीका का नाम तत्त्वदीपिका है। १४४५. प्रति सं०२। पत्र मं० ११८ । ले. काल | वै० सं० ८५२ । भण्डार । १४ ६. प्रति सं०३। पत्र सं० २ से २० । ले. काल X । मपूर्ण । वै० सं०७८५ । अ भण्डार ! १४५७, प्रति सं०४। पत्र सं० १०१ । ले० काल X । वे० सं० ८१ अ भण्डार । १४५८, प्रति सं०५। पत्र सं० १० । ले. काल मं. १८६८।०सं०५०७! भण्डार । विशेष—महात्मा देवकर्मा ने जयनगर में प्रतिलिपि की थी। Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] [ ११३ १४७६. प्रति सं०६ । पत्र मं०२३६ 1 ले. काल मं. १९३८ । ये. भ. ५०६ । क भण्डार । १४६०. प्रति सं०७। पत्र मं० ८५ | ले. काल X । वे सं० २६५ : के भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। १४६१. प्रति सं० । पत्र में० २०२ । न• काल सं० १७४७ फागुण बुदी ११ । ० म० ५११।। भण्डार । १४६ प्रति संह। पत्र ५६२ । ले. काल म १९८० भादवः बुदी ३ मं०१ । ज भण्डार। विशेष- फतहलाल ने प्रतिलिपि की थी। १४६३. प्रवचनसारटीका...... | पय मं० ४१ । प्रा० ११४६ च । भाषा-हिन्द । विपअन्याम | काल X | ले. काल X | अपूर्ण । ३. म. ५१० । कु भण्डार ।। विशेष ---प्राकृत में मुल मन में छाया तथा हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है। १४६४. प्रवचनमारटीका .."| श्रम० १२१: प्रा० १५.५ इव । भाषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । र काल X । ने. काल सं० १८१५.७ प्राषाढ़ बुदो ११ । पूर्ण । वे म. ५०६ | क भण्डार । १४६५. प्रयचनसारप्रामृतवृत्ति..."। पत्र मं०५१ ने १३१ । प्रा. १२.३ इञ्च | भाषा-संस्कृत। विषय- अध्यात्म । र, काल X ० कान सं० १७१५ । अपुर्ग । ३. सं. ७८३ । अ भण्डार। विशेष-प्रारम्भ के ५१ पत्र नहीं है। महाराजा जयसिंह के शासनकाल में मेवा में महात्मा हरिवपण ने प्रतिनिधि की थी। १४३६, प्रवचनमारभाषा-पांड हेमराज । पत्र में २३ मे १७५ । श्रा० १२.४५३, ४ । भाषाहिन्दी (गद्य) । विषय-अध्यात्म । काल सं १० माघ मी ५ । नेक काल म. १७२५ प्रवर्ग | मं० ४३२ । असार । विशेष—सांगानेर में मोमवाल गूजरमल ने प्रतिलिपि की थी। १४६६ प्रति सं.२। पत्र में २६७१ ले. काल सं० १९४३ | ३० म०५१३ | क भण्डार | १४६८, प्रति सं ३ । पत्र म १७३ । न. काल X: ० म ५१२ । क भण्डार । १४६६. प्रनि सं.४३ पत्र में० १.१ । ले. काल ० १९२७ फागुण बुदी ११० म०६३ । ध विशेष—40 परमानन्द ने दिल्ली में प्रतिलिपि की थी। १४४. प्रति सं: ५। पत्र सं० १७६ । ले० कान सं० १७४३ पौष गुदी २ । वै० म० ५१३ । र भण्डार । १४७१. प्रति सं०६। पत्र सं० २४१ । ले० काल सं. १८६३ / वे. मं. ६४१ च भण्डार | Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ ॥ । अध्यात्म एवं योगशास्त्र १४७२. प्रति सं७। पत्र सं. १८४ | ले. काल सं० १८८३ कात्तिक बुदी २। वे० सं० १९३ | छ भण्डार ! विशेष-लवाणा निवासी अमरचन्द के पत्र महात्मा गणेश ने प्रतिलिपि की थी। १४७३. प्रवचनसारभापा-जोधराज गोदीका । पत्र सं० ३८ | मा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-मध्यात्म | रस काल सं० १७२६ । ले० काल सं० १७३० भाषाढ सुदी १५ । पूर्ण । वसं० ६४४ । च भण्डारी १४७४. प्रवचनसारभाषा-वृन्दावनदास । पत्र मं० २१५ । मा० १२:४५ इन। भाषा-हिन्दी। विषय-अध्यात्म । र. कालरले. काल सं० १९३३ ज्येष्ठ बुदी २ पूर्ण । वे० सं० ५११ । क भण्डार । विशेष-ग्रन्थ के अन्त में वृन्दावनदास का परिचय दिया है। २४७५. प्रवचनसारभाषा.... 14 सं०८ | Ri० ११४६ इव । भाषा-हिन्दी 1 विषय-अध्यात्म । १० काल ४ । ले० काल X । अपूर्ण 1 वे० सं० ५१२ । हु भण्डार । १४७६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३० । न० काल X । पपूर्ण । व. सं. ६४२ । च भण्डार । विशेष--अन्तिम पत्र नहीं है। १४७७. प्रवचनसारभाषा "। पत्र सं० १२ | प्रा० ११:५४३ इन्च | भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषयअध्यात्म । २० काल | ले. काल | अपूर्ण। वै० सं० १९२२ । ट भण्डार । १४७८, प्रवचनसारभाषा..."। पत्र सं० १४५ मे १८५ । मा० ११:४७१ इश । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-अध्यात्म ! २० काल : ले० काल सं० १८९७ । अपूर्ग । वे० सं० ६४५ । च भण्डार | १५७६. प्रवचनसारभाषा".." पत्र सं० २३२ | प्रा०११४५ इश्च | भाषा-हिन्दी (गब)। विषयअध्यात्म | र० काल ले. काल सं० १९२६ । । सं. ६४३ | च भण्डार । १४८०, प्राणायामशास्त्र "| पत्र में प्रा .X४ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-योगशास्त्र। २० काल X| काल XI पूर्ण | ३० सं० १५६ । अ भण्डार | : इस भाषा-हिन्दी | विषय-अध्यात्म । १४८१. बारह भावना-रइधू । पत्र ०५ 1 आ ले. कालXI पूर्सा । वै. सं. २४१ । छ भण्डार । र० बाल विशेष—निपिकार मे रहधू मृत बारह भावना होना लिखा है। प्रारम्भ-ध्रुववस्त निश्चल सदा अध्रुभाव परजाय । स्तंदरूप जो देखिये पृदगल' तणो विभाव' ।। अन्तिम प्रकथ कहाणी ज्ञान की कहन सुनन की नाहि । मापनही में पाइये जब देखें घटमांहि ॥ इति श्री रघु कृत बारह भावना संपूर्ण । Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५ ] [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र १४२२. बारहभाषना..."] पत्र सं० १५ । पा० १४५ इन। भाषा-हिन्दी | विषय-चिन्तन । र. काल ले. काल | अपूर्ण । ० सं० ५२६ । भण्डार । १५८३. प्रति सः । पत्र सं. १ ० काल- दे० सं०६८ । म भण्डार । ४८४. बारहभावना-भूधरदास । पत्र सं० १.पा.६x४ इख । भाषा-हिन्दी । विषय-चितन । ₹ कालXIले. काल X| वे० सं० १२४७ · बभण्डार । विशेष ---पावपुराण से उद्धृत है। १४८५. प्रति सं०२। पत्र सं० ३ । ले. काल X| वे मं० २५२ । ख भण्डार । विशेष—इसका नाम समयत्ति की बारह भावना है। १४८६. बारहभावना-नवलकवि | पत्र सं० २ | प्रा० ५६ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय-चितन । र काल x | ले. काल XI पूर्ण । वै० सं० ५३० | ( भण्डार । १४८७. बोधामृत-प्राचार्य कुंदकुंद्र । पत्र सं० ७ । प्रा. ११४४३ इन्छ । भाषा-प्राकृत । विषयअध्यात्म । र: । ले स X | पू: ५.० ५.२५ । विशेष-संस्कृत टीका भी दी हुई है। १४८८, भववैराग्यशतक..."। पत्र सं० १५ । मा० १०४६ इञ्च | भाषा-प्राकृत । विषप-अध्यात्म । र० काल X । ले काल' सं० १८२४ फागुण सुदी १३ । पूर्ण । व० सं० ४५५ । म भण्डार । विघोष-हिन्दी अर्थ भी दिया है। १४८६. भावनाद्वात्रिंशिका..."| पत्र सं० २६ । प्रा० १०x४, इन्न । माषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । र काल X । ले. काल X I पूर्ण । वे० सं० ५५७ । क भण्डार । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह और है । यतिभावनाष्टक, पचनन्दिपं पविशतिका और तस्वार्थ सूत्र । प्रति स्वर्णाक्षरों में है। १४६०. भावनाद्वात्रिंशिकाटीका.....पत्र सं० ४६ । प्रा० १०४५ इन | भाषा-संस्कृत | विषरअध्यात्म | र.. काल र. • काल X । पूर्ण । ये० सं० ५६८ । छन भण्डार । १४६१. भावपाहु-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र सं०६ । प्रा० १४४५, इश्च । भाषा-प्राकृत | विषय-- अध्यात्म । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ३३० । ज भण्डार । विशेष—प्राकृत गाधामों पर संस्कृत श्लोक भी हैं। १४६२. मृत्युमहोत्सव....। पत्र मं० १ 1 प्रा० ११:४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्म। र० काल ले. काल XI पूर्ण | व० सं० ३४१ । श्र भण्डार ! १४६३. मृत्युमहोत्सवभाषा-सदासुख । पथ सं० २२ । प्रा० १३४५. इन | भाषा-हिन्दी । विषयअध्यात्म । र० काल सं. १९१८ भाषात सुदी ५ । ले. काल X । पूर्ण । ० सं० ८० । घ भण्डार। १४६४. प्रति सं०२१पत्र सं० १३ ले कान-ने० सं०६०४ भण्डार । Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] विषय- योग। २० काल X। ले० काल X ० ० १८४ छ भण्डार १४६४. प्रति सं० ३ । पत्र [सं०] १० । ० काल X १४६६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ११ । ले० काल X १ ० सं० १८४ । छ भण्डार | १४६७. प्रति सं० ५ पत्र सं० १० ० का X ० ० १६५ भण्डार १४६८. योगबिंदुप्रकरण - आ० हरिभद्रसूरि । पत्र मं० १ ० १०४ च । भाषा-संस्कृत | काल X | ले० काल । पूर्ण । ० सं० ६१५ । ॐ भण्डार 1 १५००. योगशास्त्र - हेमचन्द्रसूरि पत्र [सं० २५ योग । १० काल X | ले० काल x । पूर्ण | वे० सं० ८६३ । भण्डार | १५०१. योगशास्त्रपत्र सं० ६४ | ० १०x४ पूर्ण काल X वे० काल सं० १७०५ भाषा बुदी १० | भण्डार । १४६६. योगभक्ति पत्र सं० ६ | श्रा० १२४५ इव । भाषा प्राकृत विषय योग २० भण्टार | विशेष – हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है । १५०२. योगसार - योगीन्द्रदेव २०४६ २ भाषा-संस्कृत विषय 1 पै० सं० २६ का भण्डार [ ११६ भाषा-संस्कृत विषय यां अध्यात्म । २० काल X। ले० काल सं० १५०४ प्रपूर्ण वे० सं० ८२ । अ भण्डार विशेष सुखराम छाबड़ा ने प्रतिलिपि की थी। १५०३. प्रति सं० २ पत्र ०१७० कलमं० १९३४ ० सं० २०६ भण्डार | विशेष संस्कृत छाया सहित है। १५०४. प्रति सं० ३। एष सं० १५० काल X १० सं० ६०७ क भण्डार I विशेष हिन्दी पर्व भी दिया है। २५०५. प्रति सं० ४ पत्र से० १२ ले० काम० ११३ १५०६. प्रति सं० ५ | १५०७. प्रति सं० ६ । पत्र [सं०] ११ । से० काल सं० १८८२ ० ० ६९६ सं० २६ । ले० काल X | ० सं० ३१० । छ भण्डार | चैत्र सुदी ४० सं० २०२ ॥ च १५० प्रति सं० ७ पत्र १०० फाल सं० १००४ मसाज बुदी ३ ० [सं० ३३६ पत्र सं० १२० १४४ भाषा-भ्रंश विषय १५०६. प्रति सं० ८०५० काल X ० सं० ५१६ | भार १४१०. योगसारभाषा–नन्दराम पत्र [सं०] १७० १२३४३ श्रध्यात्म | २० काल सं० १६०४ | ले० काल x पूर्ण ० सं० ६११ | के भण्डार | विशेष - मागरे में ताजगञ्ज में भाषा टीका लिखी गई थी । १५११. योगसारभाषा - पन्नालाल चौधरी पत्र सं० ३३ (ग) विषयध्यात्म २० काल सं० १९३२ सावन सुदी ११ ले० कान 1 भार भाषा-हिन्दी विषय ! मा १२० पूर्ण ० मं० २०९ भाषा - हिन्दी भण्डार .. x Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] [ १९७ १५१२. प्रति सं० २१ पत्र सं० ३६ । ले. काल X| वे सं० ११० । क भण्डार । १५१३. प्रति सं०३। पत्र सं० २८ । ले. काल XI ० म०६१७ । भण्डार। १५१५. योगसारभाषा-पं० बुध जन । पत्र सं० १० । प्रा० ११४७३ इन 1 भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-अध्यात्म । २० काल सं० १८९५ सावण सुदी २ । ले. काल X पूर्ण | वे० सं० ६०८ । क भण्डार । १५१५. प्रति सं० २। पत्र सं० । ले. काल ४ | ३० सं० ७४१ १ च भण्डार । १५१६. योगसारभाषा "| पत्र सं० ६ । प्रा० २१४६१ । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषयअभ्यात्म । २० काल X | ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं०६१८ | भण्डार । १५१७. योगसारसंग्रह.......1 पत्र सं० १८ । आ० १०x४, इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-योग । र काल X । ले. काल सं० १७५० कात्तिक सुदी १० । पूर्ण | वे० सं० ७१ । ज भण्डार । १५१८. रूपस्थध्यानवणेन..."। पत्र सं० २१ प्रा. १०४५, न । भाषा-संस्कृत | विषय-योग। र० काल xल. काल X । पूर्ण । वे० सं० ६५६ । उ भण्डार । 'धर्मनाथस्तुवै धर्ममयं सद्धर्मसिद्धये । धीमतां धर्मदातारं धर्मचक्रप्रवर्तकं ॥ १५१६. लिंगपाहुइ-आचार्य कुन्दकुन्द । पत्र सं० ११ । प्रा० १२४५३ इश्व । भाषा-प्राकृत । विषय--अध्यात्म । र० काल X| ले० काल सं० १८६५ । पूर्ण | ३० सं० १०३ । छ भण्डार । विदोष-शील पाहुड तथा गुरावली भी है। १५२०. अति सं० २ । पत्र सं० २ ले० काल X । अपूर्ण । व० सं० १६६ । म भण्डार | १५२१. वैराग्यशतक-भर्तहरि । पत्र सं० । प्रा० १२४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । र. काल X|ले. काल X| पूर्ण । वे० सं० ३३६ | च भण्डार ! १५२२. प्रति सं०२। पत्र सं० ३६ । ले० काल सं० १८८५ मावण बुदी ६ । दे० सं० ३३७ । च भण्डार । विशेष-बीच में कुछ पत्र कटे हुये हैं। १५५३. प्रति सं०३ । पत्र सं० २१ । लेक काल X । वे० सं० १४३ | १ भण्डार । १५२४. षटपाहुड (प्राभूत)-प्राचार्य कुन्दकुन्द । पत्र सं० २ से २४ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-अध्यात्म । र० काल XI ले. काल X | अपूर्ण | वे० सं० ७॥ श्र भण्डार | १२२५. प्रति सं०२ । पत्र सं० ५२ । ले. काल सं १८५४ मंगसिर सुदी १५ । ३० सं० १८६। म भण्डार । १५२६. प्रति सं०३ । पत्र सं० २४ । ले. काल सं० १८१७ माघ बुदी ६ । वे० सं० ७१४। के भण्डार। विशेष-नरायणा ( जयपुर ) में पं. रूपचन्दजी ने प्रतिलिपि की थी। Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११] भण्डार । भण्डार | भण्डार [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र १५२७. प्रति सं० ४ ० ४२ ले० कास सं० २०१७ काशिक बुदी ७० [सं०] १६५ भण्डार 1 विशेष-संस्कृत पचों में भी अर्थ दिया है। १५२८. प्रति सं० ५ पत्र [सं०] | ले० काल X वे० सं० २८० ख भण्डार । २५२६. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ३५ | ले० काल X | वे० सं० १९७ । ख भण्डार | १५३०. प्रति सं० ७ 1 पत्र सं० ३१ से ५५ । ले० काल x | अपूर्णा । वे० सं० ७३७ | ङ भण्डार | [सं० २६० काल X अपूर्ण ० ० ७३८ । भण्डार । १५३. प्रति सं० १५३६. प्रति सं०६ । पत्र सं० २७ ६५ । ले० कान X I अपूर्णा । ० सं० ७३६ । भण्डार । भण्डार ; ६०१२१००पाल X ० [सं० ७४० १५३४. प्रति सं० ११ पण सं० ६३ ले० काल X ००३५७ च विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है। १५३५. प्रति सं १२ | पत्र सं० २० | ले० काल सं० १५१६ चैत्र बुदी १३ । ० सं० २८० । अ १५३६. प्रति सं० १३ | पत्र सं० २६ | ले० काल X | बै० सं० १८४६ |ट भण्डार । १५२७. प्रति सं० १४० ५२० काल सं० २०१५ । ० सं० १८४७ ट भण्डार विशेष-जयनपुर में पार्श्वनाथ वैत्यालय में प्र० सुखदेव के पहगार्थ मनोहरदास ने प्रतिनिधि की थी। १५३. प्रति सं० ४५ | पत्र ०१ से ८३ का पूर्णा ० सं० २०८५ भण्डार विशेष निम्न प्राभूत है- दर्जन सूप पारित्र पारिष प्रभूत की ४५ गाया से धागे नहीं है। प्रति प्राचीन एवं संस्कृत टीना सहित है। 1 १५३२. पट्पाटीका १० काल x | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ५६ अ भण्डार । १५४० प्रति सं० २० ४२० काल X १४४१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४१ । ले० काल सं० सं०] ५१ ० १२x६ भाषा-संस्कृत विषयप्रध्यात्म ० ० ७१३ क भण्डार १५०० फागुरण सुदी ८ वे० सं० १९६ । विशेष १० स्वरूप के पनार्थ भावनगर में प्रतिलिपि हुई। २५४२. प्रति सं० ४ पत्र ०६४ ० का ० १८२५ ज्येष्ठ सुदी १०० सं० २५८ न L J Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] । ११६ १५४३. पटपाहुबटीका-श्रुतसागर । पत्र सं० २६५ । मा० १.३४५ इछ । भाषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । २. काल X | ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ७१२ । के भण्डार । १५४५. प्रति सं०२। पत्र सं० २६६ । ले. काल सं० १८६३ माह बुदी ६ । वे सं० ४१। . भग्वार। १५४५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १५२ । ले० काल सं० १७६५ माह बुदी १० । वे मं० ६२३ छ भण्डार। विशेष-नरसिंह अग्रवाल ने प्रतिलिपि की थी। • ५४३. प्रति स. ४ 1 पत्र सं० १११ । ले० काल सं० १७३६ द्वि० चैत्र सुदी १५ । वे० सं०६ । म विशेष-श्रीलालचन्द के पठनार्थ पामेर नगर में प्रतिलिपि की गई थी। १५४७. प्रति सं०५ 1 पत्र सं० १७१। ले. काल सं० १७६७ श्रावरण सुदी । व० सं० ६८ । म भण्डार ! चिपोष-विजय तीतूक को वसली विजय हुदे ने पं० गोरधनदास के लिए गृप की प्रतिलिपि करायी थी। १५४८ संबोधअक्षरधावनी-दयानतराय ! पध सं० ५। पा. १९४५ इ । भाषा-हिन्दी । विषयमध्यात्म । २० काल x I ले. काल XI पूर्ण । के० सं० ६६० । च भण्डार । १५५६. संबोधपंचासिका-गौतमस्वामी । पत्र सं ४ । पा० ८४४इस । भाषा-प्राकृत । विषयअध्यात्म | २० काल X| ले. काल सं० १८४० वैशाख सुदी ४ । पूर्ण । वे० सं० ३६४ । च भण्डार । विशेष---बारणपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ५५५०. समयसार-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र सं० २३ । पा. १०४५ ५। भावा-प्राकृत । विषयअध्यात्म । २० काल ४ । लेन काल सं. १५६४ फागुण सुदी १२ । पूर्स । वृत सं० २६३ सर्व भवंति 1 वै० सं० १०१। अ भण्डार 1 विशेष--प्रशस्ति-संवत् १५६४ वर्षे फाल्गुनमासे शुञ्जपक्षे १२ द्वादशीतिपो रौवासरे पुनर्वमुनक्षत्रे श्री मूलसंथे नंदिसंधे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारकश्रीपमनन्दिदेवास्ता? भ० श्री शुभचन्द्रवास्तत्पट्टे भ० श्रीजिनचन्द्रदेवास्तस्पट्ट भ. श्री प्रभावन्द्रदेवास्तच्छिष्पमंडलाचार्यश्रीधर्म चन्द्रदेवास्तत्मुख्यभिप्याचार्य श्रीनेमिचन्द्रदेवास्तरिमानि नाटकसमयसारद्रतानि लिखापितानि स्वपठनार्थं । १५४१. प्रति सं०२ । पत्र सं0 10 1 ले. काल X । वे० सं० १५६। म भण्हार । १५५२. प्रति सं०३। पत्र सं. २९ । ले. कालx० सं० २७३। अभण्डार। विशेष-संस्कृत में पर्यायान्तर दिया हुआ है । दीवान नतिभिराम के पठनार्थ अन्य की प्रतिलिपि की गई थी। १५५३. प्रति सं०४। पत्र सं० १६ । ले. काल सं० १९४२ । वे० सं० ७३४ । के भनार । Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० ] भण्डार । भष्टार । [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र १५५४. प्रति सं५ । पत्र ०५६ | ले० काल X | ० ० ७३५ । क गण्डार विशेष - गाधामों पर ही संस्कृत में अर्थ है । १५५५ प्रति सं० ६ | पत्र सं० ७० | ले० काल ४ । दे० सं० १०८ छ भण्डार १५५६. प्रति संघ ७ । पत्र सं० ४६ । ले० काल सं० १८७७ वैशाख बुदी ५ | वे० सं० ३६६ । च भण्डार 1 विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं । १५५७ प्रति सं० ८ पत्र सं० २६ । ले० काल X। अपूर्ण । ० सं० ३६७ । च भण्डार 1 1 विशेष- दो प्रतियों का मिश्रण है। प्रति संस्कृत टीका सहित है। १५५८ प्रति सं० ६ । पत्र सं० ५२ । ले० काल ४ । वे० सं० ३६७ क । छ भण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये है । १५५६. प्रति सं० १० | पत्र सं० ३ से १३१ । ले० काल । अपूर्ण । ३० सं० ३६८ । भण्डार । विशेष-संस्कृत टीका सहित है। १५६०. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ८५ ३ ले० काल X। प्रपूर्ण । वे० सं० ३६८ क ! च भण्डार । विशेष-संस्कृत टीका सहित है। १५६१. प्रति सं० १२ । यत्र सं० ७ । ले० काल X | वे० सं० ३७० । च मण्डार । १५६२. प्रति सं० १३ | पत्र सं० ४७ । ले० काल X | वे० सं० २७१ । च भव्हार । विदोष -संस्कृत टीका सहित है । १५६३. प्रति सं० १४ | पत्र सं० ३३ 1 ले० काल सं० १५२३ पौष बुद्दी ६ | वे० सं० २१४० ट १५६४. समयसार कलशा - अमृतचन्द्राचार्य । पत्र सं० १२२ ॥ श्र० ११४४३ च । भाषा संस्कृत । विषय - श्रध्यात्म | र० काल X | ले० काल सं० १७४३ श्रासोज सुदी २ । पूर्ण । ० सं० १७३ | अ भण्डार । प्रशस्ति- संवद १७४३ वर्षे आसोज मारो शुक्रा द्वितिया २ तिथी गुरुवासरे श्रीमत्कामा नगरे श्रीश्वेताम्बरशालायां श्रीमद्विजयगच्छे भट्टारक श्री १०८ श्री कल्याणसागरसूरिजी तत् शिष्य ऋषिराज श्री जयवंतजी तत् शिष्य ऋषि लक्ष्मणेन पठनाम लिपियक शुभं भवतु । १५६५. प्रति सं० २ | पत्र सं० १०४ । ले० काल सं० १६६७ भाषाक सुदी ७ | वे० सं० १३३ | न विशेष - महाराजाधिराज जयसिंहजी के शासनकाल में शामेर में प्रतिलिपि हुई थी। प्रशस्ति निम्न प्रकार हैसंवत् १६६७ वर्षे प्रषाढ़ यदि सप्तम्यां शुक्रवासरे महाराजाधिराज श्री जैसिहजी प्रतापे धंबावतीमध्ये लिखा मंत्री श्री मोहनदासजी पठनार्थं । लिखितं जोशी घालिराज | L Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एष आचार शास्त्र ] [ १२१ १५६६. प्रति सं०३| पत्र सं.१९ । ले. काल . सं० १९२। श्र भण्डार। १५६७. प्रति सं४ । पत्र सं० ४१. काल - सं० ११६ मा १५६८. प्रति सं०५। पत्र सं० ७६ । ले० काल सं० १९४३ । वे सं० ७३६ । क भन्नार | विशेष-सरल संस्कृत में टीका दो है तथा नीचे श्लोकों की टीका है। १५६६. प्रति सं.६ पत्र सं० १२४ । ले० काल X । वे० सं० १७३७ । क भण्डार । १५७८. प्रति सं०७| पत्र सं० ६४। ले. काल सं० १८६७ भादवा सुदी ११1० से. ७३ | क भण्डार। विशेष-जयपुर में महात्मा देवकरण ने प्रतिलिपि की थी। १५७१. प्रति सं०८। पथ मं० २३ । ले. काल XI वे० सं०७३६ | अभण्डार । विशेष-संस्कृत टीका भी दी हुई है। १५७२. प्रति सं० । पत्र सं० ३५ | ले. काल X| वे० सं०७४ | अ भण्डार । विशेष----कलशों पर भी संस्कृत में टिप्पण दिया है। १५७३. प्रति सं०१०। पत्र सं० २४ । ले० कालx० सं०११ | घ भण्डार । १५७४. प्रति सं० ११ ! पत्र सं० ७६ । ले० काल ४ । अपूर्ण 1 वे० सं० ३७१ । च भण्डार । विशेष---प्रति संस्कृत टीका सहित है परन्तु पत्र ५६ से संस्कृत टीका नहीं है केवल श्लोक ही हैं। १५७५. प्रति सं०१२ | पत्र सं० २ से ४७ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३७२ । च भण्डार । १५७६. प्रति सं०१३ । पत्र सं० २६ । ले. काल सं० १७१९ कात्तिक मुदो २। वे सं० ६१ । छ भण्डार 1 विशेष-उज्जैन में प्रतिलिपि हुई थी। १५७७. प्रति सं०१४ । पत्र सं०५३ 1 ले. काल । ० सं०५७ । भण्डार । विशेष प्रति टोका सहित है ।। १५७८८, प्रति सं०१५। पत्र सं० ३८ । ले. काल सं० १६१४ पौष नुदो ८ । ० सं० २०५ । ज भण्डार। विशेष---बीच के ६ पत्र नवीन लिखे हुये हैं। १५७६. प्रति सं०१६ । पत्र सं०५६ 1 ले. काल ४ | ३० सं० १६१४ । र भण्डार । १५८०. प्रति सं०१७ | पत्र सं० १७ । ले० काल सं० १८२२ । ३० सं० १६६२ । ट भन्दार । विशेष--ब्र० नेतसीदास ने प्रतिलिपि की थी। १५८१. समयसारदीका (आत्मख्याति) अमृतचन्द्राचार्य । पत्र सं० १३५ । प्रा० १.xxs भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्म । २० काल ४ ले० काल सं० १८३३ माह बुदो ह । पूर्ण | के.सं. २ म भण्डार। Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ । प्रध्यात्म एव यामशास्त्र १५८२. प्रति सं०२। पत्र सं० ११६१ ले० काल सं० १७.३ । वे० सं० १७४ । श्र भण्डार । विशेष---प्रशस्ति-संयत् १७०३ मार्गसिर कृष्णएष्ट्या तिथौ बुद्धबारे लिखितेयम् | १५८३ प्रति सं:३। पत्र सं० १०१। ले. कालवे० सं०३अभण्डार । १५८३. प्रति सं०४। पत्र सं० १० से ४६ | ले. काल X । वे सं० २००३ । अ भण्डार । १५८५. प्रति सं०५। पत्र सं० २६ । ले. काल सं० १७०३ बैशाख बुदी १० । वे० सं० २२६ । अ भण्डार। विशेष—प्रशस्ति :-सं० १७०३ वर्षे बेशाख कृष्णादशम्यां तिथौ लिखितम् । १५८६. प्रति सं०६। पत्र सं० ३१६ । ले. काल सं० १९३८ । वै. सं. ७४० । भण्डार । १५८७ प्रति सं० । पत्र सं० १३८ । लेक काल सं० १९५७ । वे० सं० १७४१ । क भण्डार। १५८८. प्रति सं०८। पत्र सं० १०२ । ले. काल सं० १७०६ । ० सं० ७४२ । क भण्डार 1 विशेष—भगवंत दुबे ने सिरोज ग्राम में प्रतिलिपि को थी। १५८६. प्रति सं०६ । पत्र सं७ ५३ । ले. काल X 1. सं. ७४३ । क भण्डार । १५६०. प्रति सं० १० । पत्र सं० १६५ : ले. काल X । वै० सं० ७४५ । क भण्डार । विशेष—प्रति प्राचीन है। १५६१, प्रति सं०११ । पत्र सं० १७६ | ले. काल सं० १६४४ वैशाख सुदो ५ । ३० सं० १०६ । घ भण्डार विशेष—प्रकबर बादशाह के शासनकान में मालपुरा में लेखकः सूरि ताम्बर मुनि जैसा ने प्रतिनिधि को थी। नीचे निम्नलिखित पंक्तियां पौर लिखी हैं 'पांडे खेतु सेठ तत्र पुत्र पांडे पारसु पाधी देहुरे । धाली सं० १६७३ तत्र पुत्रु बीसाखानन्द कबहर । बीब में कुछ पत्र लिखवाये हुये हैं। १५६२. प्रति सं० १२ । पर सं० १९८ । ले० काल सं. १६१८ माघ सुदी १ । वे० सं० ७५ । ज भण्डार। विशेष-संगही पत्रालाल ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की श्री। ११२ से १७० तक नीले पत्र हैं। १५६३, प्रति सं० १३/ पत्र सं० २५ । सं० काल सं० १७३, मंगसिर सुदी १५ । वै० सं० १०६ । म भण्डार। १५६४. समयसार वृत्ति'""| पत्र सं० ४ | प्रा०८:५३इन । भाषा-प्राकृत । विषय-अध्यात्म | २. काल । ले० काल X । मपूर्ण । ० सं. १०७ | घ भण्डार । १५६५. समयसारटीका..."। एष सं० ८१ । प्रा० १.४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ध्यात्म । १० कालxले. काल XI अपूर्ण । वे सं. ७६६ I भण्डार | Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 新 अध्यात्म एवं योगशास्त्र ] १५९६. समयसारनाटक-मनारसीदास पव सं० ६७ । विषय - अध्यात्म १० काल सं० १६६३ आसोज सुदी १३ । ले० काल सं० भण्डार । भण्डार 'अ भण्डार | भण्डार । भण्डार | भण्डार | भण्डार | सु भण्डार 1 विशेष पत्रों के बीच में सदागुस कासलीवाल वृत हिन्दी गद्य टीका भी दी हुई है। टीका रचना सं १९१४ कार्तिक सुदी ७ है। १६०२ प्रति सं० ७ १५६७. प्रति सं० २०७२ | ले० काल सं० १५२७ फागुनदी ६० सं० ४०६ | म [ १२३ । । भाषा - हिन्दी । पा० १६४५ इंच १८३८ । पूर्ण विशेष भाग में प्रतिलिपि हुई थी। पूर्ण ० सं० १०६६ । अ मण्डार । १५६८ प्रति सं० ३ । पत्र सं० १४ । ने० काल X १५६६. प्रति सं० ४ । पत्र सं ० ४२ | ले० काल । प्रपूर्ण वै० सं० ६८४ । भण्डार | १६०० प्रति सं० ४ पत्र [सं० ४ से ११५ | बे० काल स० १७०६ फागुण सुदो ४ ० सं० ११२० t १६०१ प्रति सं० ६ प ० १०४ | ले० काल सं० १६३० ज्येष्ठ बुदी १५ । ३० सं० ७४६ क १६०३. प्रति सं० ८ विशेष प्रारम्भ के ३ पत्र नहीं है। वे० सं० ४०६ प १६०४. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ८७ | ले० काल सं० १८८७ माघ सुदी ८ | ० १६०५. प्रति सं० १० सं० २६२ ० काल मं० १६२० बैशाख सुदी १ विशेष-प्रति गुटके के रूप में है। लिपि बहुत सुन्दर है। अक्षर मोटे हैं तथा एक पत्र में ५ लाइन और प्रति लाइन में १८ अक्षर हैं। पद्यों के नीचे हिन्दी अर्थ भी है। विस्तृत सूचीपत्र २१ पत्रों में है। यह ग्रन्थ तनसुख सीका है। ० १११० काल सं० १९५६ ० ० ७४७ क भण्डार ० ४ से ५ । ले० काल X वे० सं० २०८ भण्डार 3 ० ८४ | ग भण्डार ० ० ८५ ग १६०६. प्रति सं० ११ प ० २० से १११०१७१४० सं० ७६७ विशेष रामगोपाल कायस्थ ने प्रतिलिपि की थी। १६०७. प्रति सं०] १२ पत्र सं० १२२ । ले० काल सं० १९५१ मेष सुदी २००७६८ विशेष म्होरीलाल ने प्रतिलिपि कराई थी। १६०८. प्रति सं० १३ | पत्र सं० १०१ । ले० काल सं० १९४३ मंगसिर १३ । ३० सं० ७६२ । Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ ] ७७० | ङ भण्डार । क्रु भण्डार । मण्डार ! भण्डार । विशेष लक्ष्मीनारायण ब्राह्मण ने जयनगर में प्रतिलिपि की थी। १६०३. प्रति सं० १४ पुष भण्डार | विशेष- हिन्दी गद्य में भी टीका है। महार १६१०. प्रति सं० १५० १०० काल X अपूर्ण ० [सं० ७७१ १६११. प्रति सं० १६ । प । धपूबै० सं० ३५७ १६१२. प्रति सं० १७ 1 पत्र विशेष पांडे नानगराम मे १६१४. प्रति सं० १३ १६१४. प्रति सं० २० १६१६. प्रति सं० २१ १६१७ प्रति सं० २२ । ० १६० से० काल सं० १९७७ प्रथम सावदी १३ | ० सं० [सं०] १२ (अ)छ भम्दार ! I ० २ से २२ काल ० ६७ ० काल सं० १६१३. प्रति सं० १८ पत्र [सं० २० १० काल सं० १०२४ मंगसिर बुदी १० सं० ६१२ च राम गोधा से प्रतिलिपि कराई पत्र नं० ६० से० काल X अपूर्ण पत्र सं० ४१ से १३२० काल पत्र [सं०] पत्र मं १६१५. प्रति सं० २३ पत्र सं० अध्यात्म एवं योगशास्त्र १२ २६ भण्डार १७६३ मादा सुदी १५०० ७०२ । 1 मे० काल X १० [सं० ले० काल x ० ० ४० से ५० से० काल सं० ३० सं० ६९१ च भण्डार X १६२५. प्रति सं० २० ४११ ० १६२६. प्रति सं० ३ पत्र सं० २१६० बाल X पूर्ण वे० सं० १६.५ (क) ६९५ (ख) च भण्डार ६६५ (ग) च भण्डार । १७०४ ज्येष्ठ सुंदी २ १६१६. प्रति सं० २४० १५३ ले० काल सं० १७ घाषा बुद्धी २ ० ० ३ ज पूर्णा वे० विशेष भिण्ड निवासी किसी कायस्थ ने प्रतिलिपि की थी। पूर्ण ० सं० १५२९ भण्डार । 1 १६२० प्रति सं० २५ । पत्र सं० ४ से ८१ ले कस X १६२१. प्रति सं० २६ । पत्र मं० १६ ले० काल पूर्ण ३०० १७० ट भण्डार १६२२. प्रति सं० २० पत्र सं० २३७ | ले० काल सं० १७४६ । २० सं० १९०६ विशेष- प्रति राजभलकृत गद्य टोका सहित है । ट भण्डार | १६२३. प्रति सं० २८ । पत्र सं० २० ते० काल X ३० सं० १८६० ट भण्डार १६२४. समयसारभाषा - जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० ५१३ । ० १३X६ इच । भाषा - हिन्दी (ग) विषय अध्यात्म १० काल से० १०६४ कार्तिक ख़ुदी १० ले० काल सं० १९४६ पूर्ण २० सं० ७४८ क भण्डार । १० सं० ७४९ क. भण्डार २०० ७५० क मण्डार । Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यात्म एवं योगशास्त्र ] १६२७, प्रति सं०४। पत्र सं. ३२५ । लेस काल सं. १८८३ | वे० सं. ७५२ क भण्डार । विशेष—सदासखजी के पुत्र श्योनन्ट ने प्रतिलिपि की थी। १६२८. प्रति सं | पत्र रो० ३१७ ।ले. काल सं. १८७७ आषाड बुदी १५ | वे० सं० १११ । घ भण्डार । विशेष—बेनीराम ने लखनऊ में नवाब गट्टीह बहादुर के राज्य में प्रतिलिपि की। ५६२६, प्रति सं०६। पत्र मं० ३७५ । ले० काल सं० १९५२ । वे० सं० ७७३ । ऊ भण्डार । १६३०. प्रति सं० ७ । पत्र सं० १०१ से ३१२ । ले० काल X वे० सं० ६१३ च भण्डार | १६३१. प्रति सं०८। पत्र सं. ३०५ । लेकाल X| वे० सं० १४३ । ज भण्डार । १६३२. समयसारकलशाटीका " .."! पत्र सं० २०० से ३३२ | प्रा. ११९४५ ! भाषा-न्दिा। विषय-अध्यात्म । २० काल । ले० काल सं० १७१५ ज्येष्ठ बुदी ७ । अपूर्ण । वे० सं० ६२ छ भण्डार 1 विशेष-बंध मोक्ष सर्व विशुद्ध ज्ञान और स्याद्वाद चूलिका ये चार अधिकार पूर्ण हैं | दोष अधिकार नहीं हैं । पहिले नलगा दिये हैं फिर उनके नीचे हिन्दी में अर्थ है । समयसार टीका श्लोक सं० ५.४६५ है। १६३३. समयसारकलशाभाषा..." | पथ सं०६२। प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषय-अध्यात्म । र कालxले० काल X । अपूर्ण । वै० सं०६९१ च भण्डार । १६३४. समयसारवचनिका"" | पत्र सं० २६ । ले० कालx० सं०६६४ | च भण्डार। १६३५. प्रति सं० २ | यत्र सं० २५ । ले. काल X | वे० सं० ६६४ (क) च भण्डार । १६३६. प्रति सं८ ३ । पत्र सं० ३८ | ले. काल ४ । वे० सं० ३६६ । च भण्डार । १६३७. समाधितन्त्र-पूज्यपाद । पत्र सं० ५१ । प्रा० १२६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-योग शास्त्र । २० कालXI ले० कालXI पूर्ण | बै० सं०७५६ । क भण्डार ।। १६३८. प्रति सं.२१ पत्र सं० २७ । ले. कालx। वे० सं० ७५८ | कभण्डार | १६३६. प्रति सं० ३ । पत्र सं. १६ । ले. काल सं० १९३० बैशाख सुदी ३ । पूर्ण । वे० सं० ७५६ । कभण्डार। १६४६. समाधितन्त्र.....""। पर सं० १६ । प्रा० १०x४ इख । भाषा-संस्कृत । विषय-योगशारत्र | र० काल X I ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ३६४ | ब भण्डार । विशेष-हिन्दी अर्थ भी दिया है। १६४१. समाधितन्त्रमाषा""""! पत्र सं० १३८ से १६२। प्रा० १०x४ इश्च । भाषा-हिन्द (गद्य) । विषय-योगशास्त्र । २० काल ४ | ले. काल X । अपूर्ण | बे० सं० १२६० | थ भण्डार । विशेष—प्रति प्राचीन है। बीच के पत्र भी नहीं हैं। १६४२. समाधितन्त्रभाषा-माणकचन्द्र। पत्र सं०२६ । प्रा० ११४५ इश। भाषा-हिन्दी विषय-योगशास्त्र । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ४२२ । अ भण्डार | विशेष—गूल ग्रन्थ पूज्यपाद का है। ए Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ ] १६४५ प्रति सं० ४ | पत्र सं० २० से० काल X ३० सं० ७६ क भण्डार १६४६. समाधिभाषा- नाथूराम दोसी पत्र सं० ४१५ ०१२३४७ विषय-योग | १० काल सं० १९२३ चैत्र सुदी १२ ले० काल सं० ११३८ प सं० २१० । ० काल X ० १६० । । २० सं० ७६१ ३० सं० ७६२ क भण्डार १६४७. प्रति सं० २ १६४. प्रति सं० ३ प ० का ० १९५३ द्वि० ज्येष्ठ बुरी १० ० ० ७६० भण्डार | भण्डार । १६४३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७५ । ले० काल सं० १९४२ | वे० सं० ७५५ । के भण्डार | १६४४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २८ । ले० काल X | ये ० सं० ७५७ क भण्डार विशेष-- [हन्दी अर्थ ऋषभदास निगोत्या द्वारा शुद्ध किया गया है। दु भण्डार । ० सं० १९७ च भण्डार १६४६. प्रति सं० ४ पत्र सं० १०५० काल x १६५०. समाधितन्त्रभाषा - पर्वतधर्मार्थी । पत्र सं० १८७ | श्र० १२३४५ इञ्च । भाषा गुजराती लिपि हिन्दी | विषय - योग । १० काल X | ले० काल x | पूर्ण । वे० सं० ११३ । घ भण्डार 1 विशेष के कुछ पत्र दुबारा लिखे गये है। सारंगपुर निवासी पं० उधरण में प्रतिलिपि की थी। १६५१. प्रति सं० २ | पत्र सं० १४८ | ले० काल सं० १७४१ कार्तिक सुदी ६ । ० सं० ११४ | घ भण्डार । - [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र १६५२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ५१ । ले० काल X 1 भ्रपूर्ण वे० सं० ७८१ ह भण्डार | १६५३. प्रति सं० ४ प [सं० २०१० काल X ० ० ७६२ मण्डार । १६५४. प्रति सं० ५ | पत्र सं० १७४ | ले० काल सं० १७७१ | वै० सं० ६१८ | च भण्डार विशेष समीरपुर में पं० नानगराम ने प्रतिलिपि की थी। १६४५. प्रति सं० ६ । पत्र सं० २३२ । ० काल पूर्ण ० ० १४२ । छ भण्डार १६५६. प्रति सं० ७ पत्र [सं०] १२४ ० काल सं० २०३४ पौष ११००४४ ॥ ज । सुदी ! विशेष पाण्डे भोसात काला ने केसरलाल जोशी से बहिन नाथी के पठनार्थ सीभोर में प्रतिलिपि कर वामी श्री । प्रति सुटका साइज है । 1 १६५७. प्रति सं० पत्र सं० २३०० का ० १७०६ पाद सुदी १३ ० ० ५ १६५८. समाधिमरण २० काल | ० का ४ पूर्ण वे० सं० १९२९ । । भाषा - हिन्दी । क भण्डार पत्र सं० ४ । प्रा० ७६४६३ इश्च । भाषा प्राकृत विषय-प्रध्यात्म | मन्याम र काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ४४२ । श्र भण्डार । १६६०. प्रति सं० २ । पत्र [सं० ४ ० काल X १६६१. प्रति सं० ३ | पत्र सं० २ | ले० काल X १६५६. समाधिमरणभाषा-थानतराय पसं० २०४ भाषा - हिन्दी २० सं० ७७६ ० भण्डार ० ७५३ | अ भण्डार | 4 Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म एवं योगशास्त्र 1 [ १२७ १६६२. समाधिमरणभाषा - पन्नालाल चौधरी पत्र सं० १०१ । प्रा० १२०५ इ । माष:हिन्दी विषय अध्यान १० काल X से० काल सं० १६३३ । पूर्ण वे० ० ७६६ क भण्डार । I विशेष- बाबा दुलोचन्द का सामान्य परिचय दिया हुआ है। टीका बाबा दुसोबन्द की प्रेरणा ने की गई थी। | । १६६३. समाधिमरणभाषा-सूरचंद पत्र सं० ७० ७१५ भाषा - हिन्दी | विषयअध्यात्म | र० काल x । ले० काल X | वे० सं० १४७ । भण्डार । पत्र सं० १३ अध्यात्म | र० काल X | ले० काल Xx | पूर्ण । वे० सं० ७८४ ङ भण्डार | १६६५. प्रति सं० २०११ १६६४. समाधिमरणभाषा पा० १३३५ इस भाषा हिन्दी विषय 1 १६६६. समाधिमरणस्वरूपभाश श्रध्यात्म | २० काल भण्डार । भण्डार । भण्डार | भण्डार । १८०४४३१ । १६६७ प्रति सं० २ प सं० २५ ते० काल सं० १९८३ मंगसिर बुदी ११ विशेष— कालुराम साह ने यह अन्य लिखवाकर चौधरियों के मन्दिर में चढाया । १६६८. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २४ । ले० काल सं० १८२७ ० [सं० ६९६ च भण्डार | १६६६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १९ । ले० काल सं० १९३४ भादवा सुदी १ । ३० सं० ७०० | च १६७० प्रति सं० ५ पत्र सं० १७ ० का ० १८०४ भारवा बुंदी ८ ० ० २३६ १६७१. प्रति सं० ६ सं० २० | ले० काल सं० १८५३ पौष बुदी १० सं० १०५ ज विशेष – हरवंश लुहाड्या ने प्रतिलिपि की थी । I १६७२ समाधिशतक पूज्यपादप सं० १९० १२५ ४ भाषा-संस्कृत विषयअध्यात्म | वाल X | ले० काल X। पूर्ण । ३० सं० ७६४ । भण्डार | १६०३. प्रति सं० २ | पत्र सं० १२ | ले० काल X | वे० सं० ७६ । ज भण्डार विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। १६७४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७ ले काल सं० १९२४ बैशाख बुडी ६ । बै० सं० 33 | ज भण्डार 1 ० ० १८०३० सं० १७३७ ट भण्डार ! पत्र सं० २५ मा० १०३५ इञ्च भाषा हिन्दी विषय भण्डार | ג 1 वे० सं० ८६ ग विशेष-संगही पाताल ने स्वपनार्थ प्रतिलिपि की थी। १६७५. समाधिशतकटीका - प्रभाचन्द्राचार्य | पत्र सं० ५२ | ० १२५ इ | भाषा-संस्कृत | विषय- प्रध्यात्म | १० काल X | ले० काल सं० १९३५ श्रावण सुदो २ । पूर्ण वे० सं० ७६३ । क भण्डार । १६७६. प्रति सं० २ ० २०० काल X००७६५ क भण्डार | 1 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अध्यात्म एवं योगशास्त्र १६७७, प्रति सं ३ | पत्र सं० २४ | काल सं० १६५८ फागुण बुदी १३ | ० ० ३७३ | च 4 विशेष – प्रति संस्कृत टीका सहित है। जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । १६७५ प्रति सं० ४ | पत्र सं० ७ | ले० काल X | वे० सं० ३७४ | च भण्डार । १६७६. प्रति सं० ५ | पत्र सं० २४ । ले० काल X | ० ० ७८५ | ङ भण्डार | १६८० तिकटीका...... सं०] १५ । श्र० १२५३ श्रध्यात्म | र० काल X | ले० काल । पूर्ण । ० सं० ३३५ । १६८१. संबोध पंचासिका - गौतमस्वामी । पत्र सं० विषय- अध्यात्म | २० काल X | ले० काल x 1 र्मा । ० सं० ७८६ १२६ भण्डार | १६ । प्रा० ६६४ इञ्च । भाषा प्राकृत | भण्डार | | भाषा-संस्कृत विषय विशेष – संस्कृत में टीका भी है । १६८२. सबोधपंचासिका - रइधू १ पत्र सं० ५ । श्र० ११६ | भाषा-अपना ० काल X • काल सं० १७१६ पौष सुदी ५ | पूर्ण । वे० सं० २२६ | श्र भण्डार ! विशेष - पं० बिहारीदासजी ने इसकी प्रतिलिपि करवायी थी । प्रशस्ति संवत् १७१६ वर्षे मिती पौस बंदि ७ सुभ दिने महाराजाधिराज श्री जैसिहजी विजयराज्ये साह श्री हंसराज तजुपुत्र साह श्री गेगराज्ञ तत्पुत्र त्रयः प्रथम पुत्र साह राइमलजी । द्वितीय पुत्र साह श्री वलिक तृतीय पुत्र साह देवसी । जाति साबडा साह श्री रायमलजी का पुत्र पवित्र साह श्री बिहारीदासजी लिखायते | दोहा - पूरव श्रावक को कहे, गुण इकवीस निवास | सो परतखि पेखिये, अंगि विहारीदास ॥ लिखतं महात्मा हूं गरसी पंडित पदमसीजी का चेला खरतर गच्छे वासी मौजे मौहाणात् मुकाम दिल्ली मध्ये । १६८३. संबोधशतक - द्यानतराय । पत्र सं ३४ । श्र० ११७ इव ! भाषा - हिन्दी । विषयअध्यात्म | २० काल x | ले० काल । पूर्ण । वे० सं० ७६६ । ङ भण्डार | विशेष - प्रथम २० पत्रों में चरचा शतक भी है। प्रति दोनों ओर से जली हुई है । १६५४. संबोधसत्तरी । पत्र सं० २ से ७ । आ० ११४४३ इश्च । भाषा - प्राकृत | विषय - श्रध्यात्म । २० काल । ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० ८८ अ भण्डार । १६८५. स्वरोदय''''''' पत्र सं० १६ | श्रा० १०x४३ इव । भाषा - संस्कृत | विषय - योग | २७ काल X 1 ले० काल सं० १०१३ मंगसिर सुदी १५ । पूर्ण । ० सं० २४१ । ख भण्डार विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है। देवेन्द्रकीति के शिष्य उदयराम ने टीका लिखी थी । १६८६. स्त्रानुभवदर्पण—नाथूराम | पत्र सं० २१ । ग्रा० १३४८ ३ इञ्च । भाषा हिन्दी (पद्य) | विषय-अध्यात्म | २० काल सं० १६५६ चैत्र सुदी ११ । ले० काल X १ पूर्ण । ० सं० १५७ | छ भण्डार | १६८७. हठयोगदीपिका पत्र सं २१ | श्रा० ११X५३ इश्न | भाषा संस्कृत विषय - बांग ! २० काल X- । ० काल X अपूर्ण सं० ४४४ । च भण्डार | Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-न्याय एवं दर्शन १६८८. अध्यात्मकमलमार्तण्ड-कवि राजमल्ल | पत्र सं० २ से १२1 मा. १०x४. च । भाषा-संस्कृत ! विषय-जैन दर्शन । र० काल X| ले. काल X| अपूर्ण । वै० सं० १६७५ । अ भण्डार । १६८६. अष्टशती-अकलंकदेव । पत्र सं० १७ । प्रा० १२४५३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयजैन दर्शन | २० काल XI ले. काल सं० १७९४ मंगसिर बुदी ८ । पूर्ण । के० सं० २२२ । अ भण्डार । विशेष-देवागम स्तोत्र टीका है । पं० सुखराम ने प्रतिलिपि की थी। १६६०, प्रति सं० २ । पत्र सं० २२ | ले. काल सं० १८७५ फागुन सुदी ३ । वे० सं० १५६ । ज भण्डार । १६६१. अष्टसहस्री-आचार्य विद्यानन्दि । पत्र सं० १६७ । प्रा० १०x४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषम-जनदर्शन | र० काल' X । ले० काल सं० १७६१ मंगसिर सुदी ५ । पूर्ण | वे० सं० २४४ । अ भण्डार । विशेष—देशागम स्तोत्र टीका है । लिपि मुन्दर है । अन्तिम पत्र पीछे लिखा गया है । पं. गोलचन्द ने अपने पठनार्थ प्रतिलिपि कराई। प्रशस्ति श्री भूरामल संघ मंडनमणिः, श्री कुन्दकुन्दान्वये श्रीदेशीगरणगच्छपुस्तकविधा, श्री देवसंघाग्रणी संवत्सरे संद्र रंध्र मुनींदुमिते (१७६१) मार्गशीर्षमासे शुक्लपक्ष पंचम्यां लिषौ चोखचदेश विदुषा शुभं पुस्तकमष्टसहस्त्र्याससप्रमाणेन स्वकीयपठनार्थ मायत्तीकृतं । पुस्तकमष्टसहस्न्या व चोखचंद्रेण धीमता। ग्रहीतं शुद्धभावेन स्वकर्मक्षपहेतये ॥१॥ १६६२. प्रति सं० २। पत्र सं० ३६ | ले. काल X । अपूर्ण | ने. सं. ४० | क भण्डार | १६६३. आप्तपरीक्षा--विद्यानन्दि | पत्र सं० २५७ । प्रा० १२४४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयजैन न्याय । र० काल X । ले० काल सं० १६३६ कात्तिक सुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ५८ । क भण्डार । विशेष---लिपिकार पन्नालाल चौधरी । भीगने से पत्र चिपक गये हैं। १६६४. प्रति सं० २। पत्र सं० १४ । ले. काल XI वे० सं० ५६ । क भण्डार । विशेष—कारिका मात्र है। १६३५. प्रति सं०३1 पत्र सं० ७ । ले. कालx० सं०३३ । अपूर्ण | च भण्डार । Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० । [ न्याय एवं दर्शन १६६६. प्राप्तमीमांसा-समन्तभद्राचार्य । पत्र सं० ८४ | मा० १२:४५ दश । भाषा-संस्कृत । विषय-जैन न्याय । र० कल XI ले. काल सं० १६.३५. प्राषाढ़ सुदी ७ । पूर्ण । वै० सं० ६० । क भण्डार । विशेष--इस ग्रन्थ का दूसरा नाम 'देवागमस्तोय सटीक प्रष्टशती' दिया हुआ है । १६ प्रति संकपत्र सं०१०१ले० काल | वे० सं०६१ | कभण्डार । विशेष--प्रति संस्कृत टीका सहित है। १३४८, प्रति संग ३ 1 पत्र सं० ३२ । ले० काल X ० सं० ६३ । क भण्डार । १६६६. प्रति सं५ ४ । पत्र सं० १८ । ले. काल X1 वे सं० ६२ 1 के भण्डार | १५००, आप्तमीमांसालंकृति-विद्यानान्द । पत्र सं० २२६ । प्रा. १९४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । र• काल X । ले. काल सं० १७६६ भादवा सुदी १५ । वे० सं० १४ । विशेष-इसो का नाम अष्टशती भाष्य तथा प्रष्टसहस्री भी है । मालपुरा ग्राम में महाराजाधिराज राजसिंह जी के शासनकाल में चतुर्भुज ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवायी थी। प्रति काफी बड़ी साइज की है। १७०१. प्रति सं. २ | पत्र सं० २२५ । ले. कालx1 वे० सं० १६६ | क भण्डार । वियोष-प्रति बड़ी साइन की तथा सुन्दर लिखी हुई है । प्रसि प्रदर्शन योग्य है । १७०२. प्रति सं०३ । पत्र सं० १७२ । मा० १२४५ इन। ले. काल सं० १७८४ यावरण सुदी १०। पूर्ण । वे० सं० ७३ | कु भण्डार । १७०३. आप्तमीमांसाभाषा--जयचन्द छाबड़ा। पत्र सं० १२१ प्रा० १२४५ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-न्याय । र. काल सं० १८६६ । ले० फाल १८६० । पूर्ण । वे० सं० ३६५ अ भण्डार।। १७०४. आलापपद्धति–देवसेन । पत्र सं० १० । प्रा० १०३४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषयदर्शन । १० काल x I ले. काल XI पूर्ण । व० सं० ५० । अ भण्डार । विशेष-१ पृष्ठ से ४ पृष्ठ तक प्राभूतमार ४ से ६ तक सप्तभंग ग्रन्थ और हैं। प्राभूतसार-मोह तिमिर मार्तड रियजनन्दिपंच शाक्तिकदेवने कथितं । १७०५. प्रति सं० २१ पत्र से०७ । ले. काल सं० २०१० फागुरण बुद्धी ४ । ३० सं० २२७० । अ विशेष प्रारम्भ में प्राभुतसार तथा सप्तभंगी है। जयपुर में नाथूलाल बज ने प्रतिलिपि की थी। १७६६. प्रति सं०३ । पत्र सं. १६ । ले. काल X । दे० सं० ७६ । छ भण्डार । १७०७. प्रति स०४। पत्र सं० ११ | ले. काल ४ | अपूर्ण । व० सं०३६ 1 च भण्डार । २७०८. प्रति सं०५१ पत्र स० १२ । ले. काल ४।० सं० ३१ च भण्डार । १७८. प्रति सं. ६ । पत्र सं० १२ । ले० काल X । वै० सं० ४ । ब भण्डार । विदोष-मूलमय के प्राचार्य नेमिनन्द के परुमार्थ प्रतिलिपि की गयी थी। Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एव दर्शन 1 [ १५१ १७१०. प्रति स० पत्र [सं०] ७ से १५० सं० २०५ ००२१५ भण्डार । १७११. प्रति सं०० १० से० काल X १० सं० १५२१ट भण्डार विशेषप्रति प्राचीन है। १७१२. ईश्वरवाद ००१००४ भाषा-संस्कृत विषय दर्शन १० काल X। पू । वे० सं० २ भण्डार 1 fate – किसी न्याय के ग्रन्थ से उद्धृत है । - १७१३. गर्भपडारचक्रदेवनंदि । पत्र ० ३ १७१४. ज्ञानदीपक दर्शन । २० काल X | ले० काल x । पूर्ण । ० सं० २२७ ।झ भण्डार । पत्र सं० २४ । काल X | ले कॉल x पूर्ण वे० ० ६१ । ख भण्डार । विशेष स्वाध्याय करने योग्य अन्य हैं। १७१५. प्रति सं= २ प १७१६. प्रति सं० ३ । पत्र १५६२ | ट भण्डार | ० १९४४ | विषय विशेष - श्रन्तिम पुष्पिवन निम्न प्रकार है। ० १२९५ ३ | भाषा-हिन्दी विषय न्याय । २० सं० ३२ । ० काल X | ० सं० २३ । सं० २७ से १४ । ले० काल सं० १०५६ इस ज्ञानीक त पढी सुखो चितधार सब विद्या को मूल ये या विन सकल असार इति ज्ञानदीपक नामा न्यायश्रुत संपूर्ण । १७१७. ज्ञानदीपकवृत्ति २० काल X | से० काल पूर्ण ० ० २७६ छ भण्डार | X । | | | विशेष प्रारम्भ भण्डार । त बुदी पू० सं० पत्र सं०मा० भाषा-संस्कृत विषय न्याय | 1 नमामि पूर्णचिद्रपं नित्योदितमनावृतं । सर्पाकाराभाषमा शक्त्या लिभितमीश्वरं ।।१४ ज्ञानदीपमादाय वृत्ति कृत्वा । स्वरस्नेहन संयोज्ज्वलत्तराधरैः॥२॥ १७ प्रकरण ... पत्र [सं० ४०० १०४ र भाषा-संस्कृत विषय १० | 1 काल X | ले० काल X | पूर्ण । ० सं० १३५८ | अ भण्डार | १७१६. तर्कदीपिका काल X | लेकाल० १८३२ मा सुदी १३ । ० सं० २२४ ॥ जभण्डार पत्र सं० १५ ० १४४३६ भाषा-स्त विषयन्न्याय र० I Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ ] न्याय एवं दर्शन १७२८. तर्कप्रमाण पत्र सं० ८ से ५० 1 प्रा० ६.४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय। - र. काल । ले. काल X 1 अपूर्ण एवं जीर्ण । वे० सं० १६४५ । अ भण्डार । १७२१. तर्कभाषा-केशव मिश्र । पत्र सं० ४४ । प्रा० १०x४, हन । भाषा-संस्कृत । विषयम्याव 11 काल x 1 ले. काल x व० सं० ७१ । ख भण्डार । १७२२. प्रति सं० २ । पत्र सं० २ से २६ 1 ले. बाल सं० १७४६ भादवा बुदी १० 1 वे० सं० २७३ । छः भण्डार । १७२३. प्रति सं०३। पत्र सं०६ । प्रा. १०४४ इश्व । ले काल सं० १६६६ ज्येष्ठ बुदौ २।० सं० २२५ । ज भण्डार ] १७.४. तर्कभाषाप्रकाशिका-बालचन्द्र । पत्र सं• ३५ । प्रा० १०४३ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-त्याय । २० काल X । ले० काल ४ | ० सं० ५११ । म भण्डार । १७२५. तर्करहस्यदीपिका–गुणरत्रसूरि । पत्र सं० १३५ । मा० १२४५ इश् । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । र काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० २२६४ | अ भण्डार । विशेष—यह हरिभद्र के षड्दर्शन समुच्चय की टीका है । ५७२६. तर्कसंग्रह ---अन्नभट्ट । पत्र सं०७ । प्रा० ११६४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ८०२ 1 म भण्डार । १७२७. प्रति सं०२। पत्र सं. ४ ३ ले० फाल सं० १८२४ भादत्रा बुद्धी ५। वे० सं० ४७ । ज भण्डार) विशेष–रावल मूलराज के शासन में लच्छीराम ने जैसलपुर में स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। १७२८. प्रति सं०३। पत्र सं०६ । ले. काल सं० १८१२ माह सुदी ११। वे० सं० ४८ । ज भण्डार। विशेष-पोथी माणकचन्द सुहाड्या की है । 'लेखक विजराम पौष बुदी १३ संवत् १८१३' यह भी लिखा १७२६. प्रति सं८४ । पत्र सं० ८ । ले० काल सं० १७६३ चैत्र सुदी १५ । ३० सं० १७६५ । ट भण्डार। विशेष--पामेर के नेमिनाथ चैत्यालय में भट्टारक जगतकीति के शिष्य ( छात्र ) दोदराज ने स्वपउनार्थ प्रतिलिपि की थी। १७३०. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४ । ले० काल सं० १८४१ मंगसिर बुदी ४ । ३० सं० १७६८ | . भण्डार। विशेष–चेला प्रतापसागर पठनार्थ । १७३१. प्रति सं०६। पत्र सं० १ । लेख काल सं० १८३९ 1 वे० सं० १७९९ प ट भण्डार । विशेष--सवाई माधोपुर में भट्टारक सुरेन्द्रकीति ने अपने हाथ से प्रतिलिपि को। Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन ] [ १३३ नोट- उक्त ६ प्रतियों के अतिरिक्त तर्कसंग्रह की का भण्डार में तीन प्रतियां ( ० सं० ६१३, १८३६, २०४९ ) ङ भण्डार में एक प्रति ० सं० २७४ ) च भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १३६ ) ज भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० ४६, ४६, ३४० ) ट भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० १७६६, १८३२ ) और हैं । १७३२. तर्कसंग्रहका र० काल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० २४२ । ञ भण्डार । र० काल X ३ ले० काल x 11 भण्डार | पत्र [सं० । श्रा० १२६४५ इव । भाषा संस्कृत | विषय - न्याय | १७३३, तार्किक्रशिरोमणि- रघुनाथ । पत्र सं०८ श्र० ८x४ इ | भाषा-संस्कृत विषय-त्या | १५० | अ भण्डार | १७३४. दर्शनसार - देवसेन । पत्र सं० ५ । श्रा० १०३४३ र० काल सं० ६६० गाव सुदी १० । ले० काल x । पूर्ण । वे० सं० १८४८ | विशेष— ग्रन्थ रचना धारानगर में श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय में हुई थी । १७३५. प्रति सं० २ | पत्र सं० २१ ले० काल सं० १८७१ माघ सुदी ५ । ० सं० ११६ । छ की थी। च । भाषा - प्राकृत । विषय-दर्शन | भण्डार | विशेष – पं० बखाराम के शिष्य हरवंश न वेदिना चत्कालय ( गोधा के मन्दिर ) जयपुर में प्रतिलिपि ० काल x | वे० सं० २०२ । ज भण्डार । १७३६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७ १ विशेष --- प्रति संस्कृत दव्वा टीका सहित है । १७३७. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २ । ले० काल X | वै० सं० ३ । १७३८. प्रति सं० ५ | पत्र सं० ३ । ले० काल सं० १५५० भादवा बुद्दी | वे० सं० ५ र भष्ठार विशेष – जयपुर में पं० सुखरामजी के शिष्य केसरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी । भण्डार । 5 १७३६. दर्शनसारभाषा - नथमल । पत्र सं ८ । प्रा० ११X५ इव । भाषा - हिन्दी पद्य । विषमदर्शन | र० काल सं० १६२० प्र० श्रावण बुदी ४ । ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० २६५ । क भण्डार | १०४०. दर्शनसारभाषा - पं० शिवजीलाल । पत्र सं० २८१ (गद्य) | विषय - दर्शन । २० काल सं० १६२३ माघ सुदी १० । ले० काल सं० १६३६ | पूर्ण । भण्डार | ० ११४० श्च । भाषा - हिन्दी ० सं० २६४ । क १७४१. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२० । ले० काल X | ० सं० २८६ । भण्डार । १७४२. दर्शनसारभाषा | पत्र सं० ७२ । ० ११३४५ इव । भाषा - हिन्दी विषय वर्शन । २० काल X | ले० काल । अपूर्ण ० सं० प० 1 ख भण्डार | १७४३. द्विजबचनचपेटा । पत्र सं० ६ । आ० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-याय ८० काल X | ले० काल X वे० सं० ३५२ / ञ भण्डार | Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४ ] [ न्याय एवं दर्शन १७४४. प्रति सं०६। पत्र संख ४ । ले० काल x वे० सं० १७६८ | द भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। १७४५. नयचक्र—देवसेन । पत्र सं० ४५ | मा० १.३४७ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सात नयों का वर्णन । र० काल X! ले. काल सं० १६४३ पौष सुदी १५ । पूर्ग । वे० सं० ३३५ | क भण्डार | विशेष-ग्रन्थ का दूसरा नाम सुखबोधार्थ गाला पद्धति भी है । उक्त प्रति के अतिरिक्त क भण्डार में तीन प्रतियां ( वे० सं० ३५३, ३५४, ३५६ ) च छ भण्डार में एक एक प्रति (वे. सं० १७७ व १०१) और हैं। १७४६. नयचक्रमापा-हेमराज | पत्र सं. ५१ । प्रा० १२:४४, इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-सात नयों का वर्णन । र० काल सं० १७२६ फागुण सुदी १ । लेत काल सं० १९३८ । पूर्ण 1 वे. सं. ३५७। क भण्डार । १७४७. प्रति सं०२। पत्र सं०६२ | ले० काल सं० १७२६ । ३० स० ३५८ । क भण्डार । विशेष-७७ पत्र से तत्त्वार्थ मूत्र टीका के अनुसार नय वर्णन हैं। नोट-उक्त प्रतियों के अतिरिक्त स, छ, ज, झ भण्डारों में एक एक प्रति ( वे० सं० ३४५, १८७, ६२३, ८१ ) क्रमशः और हैं। १७४८. नयचक्रभाषा..." | पत्र सं० १०६ । पा. १०३४४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । र० काल X । ले० काल सं० १९४८ आषाढ बुदी ६ । पूर्ण | वे० सं. ३५६ । क भण्डार । १७४६. नयभावप्रकाशिनीटीका-निहालचन्द अप्रवाल। पत्र सं. १३७ | प्रा० १२४७ इन । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषय-न्याय। र० काल सं०१६६७ । ले. काल सं० १९४४ । पुणे । ने. सं०३६. । क मण्डार। विशेष—यह टीका कानपुर कैंट में की गई थी। १७५०. प्रति सं०२। पत्र सं० १०४ । ले. काल X । वे० सं० ३६१ । क भण्डार १७५१. प्रति सं०३। पत्र सं० २२४ । लेल काल सं० १६३८ फागुण मुदी ६० सं० ६६२ । क. भण्डार। विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि की गयी थी। १४५२. न्यायकुमुदचन्द्रोदय-भट्ट अकलंकदेव ; पत्र सं० १५ । ग्रा० १०३४४३ इ । भाषासंस्कृत । विषय-दर्शन | १० काल ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५७ । अ भण्डार । विकोष- पृष्ठ १ से ह सक न्यायकुमुटचन्द्रोदय ५ परिच्छेद तथा शेष पृष्ठों में भट्टाकलं कशशांकानुस्मृति पवमन प्रवेश है। ५७५३. प्रति सं.२ । पत्र सं० ३८ | ले. काल सं० १८६४ पौष सुदी ७ । वै० सं० २७० । छ भण्डार विशेष—सवाई राम ने प्रतिलिपि को थी। Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दशन ] १७५४. न्यायकुमुदचन्द्रिका-प्रभाचन्द्रदेव । पत्र सं. ५८८ | प्रा. १४.४५ । भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय । र० काल XI ले. काल सं० १९३७ । पूर्ण । वे० सं० ३६६ | क भण्डार । विशेष-भट्टाकलंक कृत न्यायकुमुदचन्द्रोदय की टीका है। १७५५, न्यायदीपिका-धर्मभूषण्यति । पत्र सं० ३ से | प्रा० १०xri s। भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । र० काल XI ले. काल XI पूर्ण । ५० सं० १२०७ मा । नोट-उक्त प्रति के अतिरिक्त क भण्डार में २ प्रतियां (वे. सं० ३.७, ३६८) घ एवं च भण्डार में एक २ प्रति ( वे० सं० ३४७, १८० , च भण्डार में २ प्रतियां (वे. सं० १८०, १८१ ) तथा ज भण्डार में एक प्रति (ने. सं. ५२ ) और है। १७५६. न्यायदीषिकाभाषा-सदासुख कासलीवाल । पत्र सं० ७१ । प्रा. १४x७६ इछ । भाषाहिन्दी | विषय-दर्शन । र० काल सं० १६३० । ले. काल सं १९३८ बैशाख सुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ३४६ । कु भण्डार १७५७. न्यायदीपिकाभापा-संघी पन्नालाल । पत्र सं० १६० प्रा० १२३४७, इच। भाषाहिन्दी । विषय-न्याय । र काल सं० १९३५ । लेक काल सं० १९४१ । पूर्ण । वे० सं० ३६ । क भण्डार । १७५८, न्यायमाला-परमहंस परिव्राजकाचार्य श्री भारती तीर्थमुनि । पत्र सं० ८६ से १२७ । प्रा० १०३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । र० काल -। ले० काल सं० १९७३ सावरण बुद्दी ५। अपूर्ण। दे० सं० २०९३ | अ भण्डार | १६५६. न्यायशास्त्र"."पत्र सं० २ से ५२ | मा० १०१X इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । र• काल X । ले. काल पूर्ण । वै० म० १६५६ । अ भण्डार । १७६०, प्रति सं० २। पत्र सं. ४ । ले. काल - । अपूर्ण | वे० सं० १९४६ । अ भण्डार | विशेष—किसी न्याय ग्रन्थ में उद्धृत है। १४६१. प्रति सं८ ३ । पत्र सं० ३ । ले० काल ४ । पूर्ण ! • गं .. ५.५ । ज भण्डार । २७६२. प्रति सं०४। पत्र सं० ३। ले० काल x | प्रपूर्ण । वे० सं० १८६८ | ट भण्डार | १७६३. न्यायसार-माधव देव ( लक्ष्मण देव का पुत्र ) पय सं० २८ मे ८७ । पा० १.४४% इस 1 भाषा संस्कृत । विषय-न्याय । रक काल सं० १७४६ । अपूर्ण । वे० सं० १३४३ अ भण्डार । १७६५. न्यायसार...'पत्र सं० २४ । था- १०४.५ इ । भाषा- संस्कृत । विषय-न्याय । १. काल X । ले. काल XI पूर्ण । सं० ६१६ । अ भण्डार । विशेष—पागम परिच्छेद तर्कपूर्ण है। १७६५. न्यायसिद्धांतमञ्जरी-जानकीनाथ । गत्र सं० १४ से ४६ 1 मा. kix३: इन | भाषासस्कृत | विषय-न्याय । १० काल | ले. काल सं० १७७४ । अपूर्ण । ३. सं. १५७८ । अ भण्डार । Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ ] [ न्याय एवं दर्शन १७६६. न्यायसिद्धांतमञ्जरी - भट्टाचार्य चूडामणि । पत्र सं० २८ । श्र० १३६ च । भाषासंस्कृत विषय-न्याय । २० काल X। ले० काल X। पू । ० सं ० ५३ | ज भण्डर । विशेष—सटीक प्राचीन प्रति है। १७६७. न्यायसूत्र काल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० १०२९ । श्र भण्डार । । पत्र सं० ४ । प्रा० १०x४३ इ | भाषा-संस्कृत विषय याय १२० विशेष - हेम व्याकरण में से न्याय सम्बन्धी सूत्रों का संग्रह किया गया है । माशानन्द ने प्रतिलिपि की थी 1 १७६८. पट्टरीति - विष्णुभट्ट | पत्र सं० २ से ६ | श्र० १०३४३३ श्च । भाषा-संस्कृत । विषयन्याय 1 र० काल X | ले० काल X | | ० सं० १२६७ | अ भण्डार विशेष-प्रतिम पुष्पिका इति साधर्म्य वैधर्म्य संग्रहोऽयं कियानपि विष्णुभट्ट पट्टरीत्या बालव्युत्पत्तये कुतः । प्रति प्राचीन १७६६. पत्रपरीक्षा – विद्यानंद | पत्र सं० १५ १ ० १२३४६ इञ्च । भाषा संस्कृत | विषय - न्याय | १० काल x 1 ले० काल X। अपूर्ण वे० सं० ७८६ १ अ भण्डार १७७० प्रति सं० २१ पत्र सं० ३९ । ले० काल सं० १९७७ असोज बुदी ६ । वे० सं० १६४६ । द भण्डार । विशेष शेरपुरा में श्री जिन चैत्यालय में लिखमीचन्द ने प्रतिलिपि की थी। १७७१. पत्रपरीक्षा – पात्र केशरी । पत्र सं० २७ । श्रा० १२३४५ इश्व । भाषा-संस्कृत विषयन्याय 1र० काल x । ले० काल सं० १२३४ आसोज सुदी ११ । पूर्ण 1 ० सं० ४५७ क भण्डार । १७७२ प्रति सं० २ | पत्र सं० २० | ले० काल X | वै० सं० ४५८ के भण्डार विशेष-संस्कृत टीका सहित है। १७७३. परीक्षामुख – माणिक्यनंदि । पत्र सं० ५ । प्रा० १०५ च । भाषः - संस्कृत । विषयन्याय । रः काल × 1 ले० काल X 1 पूर्ण । वे० सं० ४३६ | भण्डार । १७७४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ९ | ले० काल सं० १८६६ भादवा सुदी १ । वे० सं० २१३ । च भण्डार 1 १७७५ प्रति सं० ३ । पत्र सं० २७ से १२६ | ले० काल X | अपूर्ण वै० सं० २१४ । च भण्डार । विशेष-संस्कृत टीका सहित है । १७७६. प्रति सं० ४ । पत्र [सं० ६ । ले० काल x | ० सं० २०१ । छ भण्डार | १७७७ प्रति सं० ५। पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १९०६ १ ० सं० १४५ । ज भण्डार । . A लेखन काल भ्रष्टै व्योम क्षिति निधि भूमि ते भाद्रमास ) १७. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६ । ले० काल X ३० सं० १७३८ | ट भण्डार ★ Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन 1 १७७६ परीक्षामुख भाषा - जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० २०६ । मा० १२७३ (गद्य) | विषय -याम १० काल सं० १८६३ आषाढ़ सुदी ४० काल सं० १६४० । पू । भण्डार । भण्डार । भार १७८० प्रति सं० २ । पत्र सं० ३७ । ले० काल x | वे सं० ५५० विशेष प्रति सुन्दर अक्षरों में है। एक पत्र पर हाशिया पर सुन्दर बेलें हैं । धन्य पत्रों पर हाशिया में केबल रेखायें ही दी हुई हैं। लिपिकार ने ग्रन्थ अधूरा छोड़ दिया प्रतीत होता है । १७८१ प्रति सं० ३ | पत्र सं० १२४ । ले० काल सं० १६३० मंगसिर सुदी २ ० सं० ५६ [ १३७ । भाषा - हिन्दी भण्डार ० सं० ४५१ | १२. प्रति सं० ४ | पत्र सं० १२० | मा० १०३४५६ | ले० काल सं० १८७८ श्रावरण बुदी ५ | पूर्ण | वे० सं० ५०५ क भष्टार । १७६३. प्रति सं० ५ । पत्र सं० २१८ | ले काल X १७८४. प्रति सं० ६ । पत्र सं० १९५ | से० काल सं० १७८५ पूर्वमीमांसार्थप्रकरण - संग्रह - लोगा क्षिभास्कर पत्र सं० भाषा-संस्कृत | विषय - दर्शन । २० काल X। ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ५६ | ज भण्डार | वे० सं० ६३६ | च भण्डार 1 १६१६ कार्तिक बुदी १४० सं० ६४० ॥ प्रा० १२३४६६ । १७७६. प्रमाणनयतन्त्रालोकालंकारटीका - रत्नप्रसूरि । पत्र सं० २०८०१२४३ भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । र० काल X | ले० काल X। पूर्गा | वे० [सं०] ४६६ । क भण्डार । विशेष – टीका का नाम 'रत्नाकरावसारिका' है । मूलकर्ता वादिदेव सूरि हैं। I १७८७ प्रमाणनिर्णय । पत्र मं० ६४ । प्रा० १२३४५ उच्च | भाषा-संस्कृत विषय दर्शन । २० काल X | ले० काल । पूर्ण । ० सं० ४६७ ॥ * भण्डार | १७८८. प्रमाणपरीक्षा- - भ० विद्यानंदि । पत्र सं० ६६ श्रा० १२४५ इछ । भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय र काल X | ले० काल सं० १९३४ ग्रासोज सुदी ५। पू । ० सं० ४६८ | क भण्डार | १७५६ प्रति सं० २ । पत्र [सं० ४८ । ले० काल X ० सं० १७६ । ज भण्डार | विशेष – प्रति प्राचीन है । इति प्रमाणु परीक्षा समाप्ता । मितिराषाढ मासस्यपक्षेश्यामलके तिथौ तृतीयाक प्राणाय परीक्षा लिखिता बबु ||१|| १२३४७ इञ्च । भाषा - हिन्दी १७३०. प्रमाणपरीक्षा भाषा - भागचन्द | पत्र सं० २०२ । मा० (गद्य)विषय –याय २० काल सं० १६१३ | ले० काल सं० १६३८ | पूर्ण ० १७६१. प्रनि सं०.२ पत्र सं० २१६ | ले० काल X | वे० सं०] ५०० क भण्डार । । ० ४६६ | क भण्डार | १७६२. प्रमाणप्रमेयकलिका- नरेन्द्रसेन पत्र ०६७ १० १२x४३ इश्च । भाषा-संस्कृत | विषय- स्वायर० काल x । ले० काल सं० १६३८ पूर्णा : वे० सं० ५०१ । क भण्डार । Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ ] [ न्याय एवं दर्शन १७६३. प्रमाणमीमांसा-विद्यामन्दि । पत्र सं० ४० । श्रा० ११३४७३ इव । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय ! र० काल ४ ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ६२ । क भण्डार । १७. प्रमाजीसा .....! .. १२। प्रा० ११:४८ इच। भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय | २० काल X I लेकाल सं. १६५७ थावरण सुदी १३ । पूर्ण ! ० सं० ५०२ । क भण्डार । १७६५. प्रमेयकमलमाण्डि -प्राचार्य प्रभाचन्द्र। पत्र सं० २७६ । मा० १३४५ इश्न 1 भाषासंस्कृत 1 विषय-दर्शन | र० काल X 1 ले. काल X । अपूर्ण | दे० सं० ३७८ | अ भण्डार । विशेष--पृष्ठ १३४ तथा २७६ से प्रागे नहीं है। १७४६. प्रति सं० । पत्र सं० ६३८ । नेक काल सं० १९४२ ज्येष्ठ बुदी ५ । ० सं० ५०३ । क भण्डार। १५६७. प्रति सं० ३। पत्र सं० ६६ । ले। काल X । अपूर्णा । थे० सं० ५०४ । क भण्डार । १७६८. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ११८ । ले० काल ४० सं० १९१७ । द भण्डार | विशेष-५ पत्रों तक मंरकृत टोका भी है। सर्वज्ञ सिद्धि मे सुदेहबादियों के खण्डन तक है। ५७६१. प्रति सं०५। पत्र सं० ४ से ३४ । मा० १०४४ इश्च । ले० काल X । अपूर्ण । वे० मं० २१४७ ।ट भण्डार । १८००. प्रमेयरमाला-अनन्तवीर्य । पत्र सं० १५६ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । वियगन्याय । २० काल - ले. काल सं० १९३४ भादवा सुदी ७ । वै० सं० ४५२ । क भण्डार | विशेष-परीक्षामुख की टीका है। १८८१. प्रति सं०२। पत्र सं. १२७ । ले.काल सं० १९८ | वे० सं० २३७ । 'व भण्डार । १८०२. प्रति सं८३ । पत्र सं० ३३ । ले० काल मं० १७६७ माघ बुधो १० ! ये मं० १.१ । छ अष्टार। विशेष--तक्षकपुर में रत्नऋषि ने प्रतिसिपि की थी। १८०३. बालबोधिनी-शंकर भगति । पत्र सं० १३ । प्रा. +x४ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय- न्याय । २० काल ४/ले. काल X 1 पूर्ण । के० सं० १३१२ | श्र भण्डार। १८०४. भावकीपिका-कृष्ण शर्मा । पत्र सं० ११ । प्रा० १३४६५ इच। भाषा-संस्कृत । विषयन्याय । र. काल X 1ले. काल ४ | अपूर्ण । वे० सं० १८६५ । ट भण्डार । विशेष-सिद्धांतमञ्जरी की व्याख्या दी हुई है। ०५. महाविद्याविडम्बन"....! पत्र सं० १२ से १९ । प्रा.१०३x इव। भाषा संस्कृत 1 विषय-न्याय | २० काल । ले. काल सं० १५५३ फागुण सुदी ११ । पपूर्ण । वे सं० १९८६ । अ भण्डार । विशेष--संवत् १५५३ वर्षे फापण सुती ११ सोमे अचह श्रीपसनमध्ये एतत् पत्राणि लिस्वितानि सम्पूर्णानि । . . Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन ] १८०६. युक्त्यनुशासन-प्राचार्य समन्तभद्र । पत्र सं० । । मा० १२६७१ भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । र० काल X । ल. काल' X पूर्ण | ये० सं० ६०४ । क भण्डार । १८०७. प्रति सं० २। पत्र सं० ५। ने० काल । ६०५ । क भण्डार। १८०८, युक्त्यनुशासनटीका-विद्यानन्दि । पत्र सं० १८८ | प्रा० १२६४५ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । २० काल ले. काल सं० १९३४ पौष सुदी ३ । पूरणं । वे मं० ६०१ । के भण्डार । विशेष-बाबा दुलीचन्द ने प्रतिलिपि कराई थी। १८०६प्रति सं०२। पत्र सं० ५६ । ले. काल X| वे० सं० १०२ । क भण्डार | १६१०. प्रति सं. ३ । पत्र सं० १४२ । ले० काल सं० १९४७ । के. सं० ६०३ । के भण्डार । १८११. वीतरागस्तोत्र- या हेमचन्द्र | पत्र सं० ७ । प्रा० ११६x४१ इन। भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । २० काल ४ | ले० काल सं० १५१२ पासोज सुदो १२ । पूर्ण ! वे० सं० २५२ | अमदार ! विशेष-चित्रकूट दुर्ग में प्रतिलिपि की गई थी। संवत् १५१२ वर्षे पासोज सुदी १२ दिने श्री चित्रकूट दुर्गऽलिखतः । १८१२. धीरद्वात्रिंशतिका-हेमचन्द्रसूरि । पत्र सं० ३३ | प्रा० १२४५. इश्श | भाषा-संस्कृत | विषय - दर्शन | र0 काल ४ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३७७ | अ भण्डार । विशेष-३३ से प्रागे पत्र नहीं है। १८१३. पडदर्शनबार्ता.....। पत्र में० २८ । आ. ८४६ इन। भाषा संस्कृत । विषय-दर्शन । २. काल । ले. काल X| अपूर्ण । वे० सं० १५१ । र भण्डार । १८१४. पदर्शनविचार....) पत्र सं० १० । प्रा० १.१४ । भाषा-संस्कृत । विपरदर्शन | र० काल x | ले० काल सं० १७२४ माह बुदो १० । पूर्ण । ये० सं० ७४२ । भण्डार । विशेष-सांगानेर में जोधराज गोदीका ने स्थपठनार्थ प्रतिलिपि की पो 1 श्लोकों का हिन्दी अर्थ भी दिया हमा है। १८१५. षड्दर्शनसमुच्चय-हरिभद्रसूरि। पत्र सं० ७ । मा० १२३४५ इच। विषय-दर्शन । र. काल ले. काल x पूर्ण 1 वे० सं०७०१ । के भण्डार । १८१६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४ । ले० काल ४ | ० सं०६८ 1 घ भण्डार । विशेष--प्रति प्राचीन शुद्ध एवं संस्कृत टीवा सहित है। १८१७. प्रति सं०३। पत्र सं० ६ । लेक काल X । वे० सं०७४३ । ममार। १८१८, प्रति संब४ । पत्र सं० से. काल में० १५७० भादवा सुधी २ । वे. मं. ३६ | ब भण्डार । १८१९. प्रति सं०५। पत्र सं० ७ । से. कान X । वे० सं० १०६४ । ट मटार । १८२८. पदर्शनसमुपवृत्ति-गणरतनसूरि । पत्र सं० १५५ । मा० १३xt माषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । २० काल X1 ले. कास सं० १९४७ वि. भादवा सुदी १३ 1 पूर्म । ३. सं. ११ भण्डार । Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४. ] [ न्याय एवं दर्शन १८-१. षडदर्शनसमुच्चयदीका....! पत्र सं० १० । प्रा० १२३४५ ईघ । भाषा-संस्कृत । विषयदर्शन । र काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० १० । क भण्डार । १८२२. संक्षिप्तवेदान्तशास्त्रप्रक्रिया....." | पत्र सं० ४६ । प्रा० १२४५३ ईच 1 भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । १० काल X । ले. काल सं० १७२७ । वे० सं० ३६७ । ब भण्डार । १८२३. समनयावदोष-मुनि नेत्रसिंह ! पर सं० ६ । मा १०४ व 1 भाषा-संस्कृत । विषयदर्शन ( मप्त नयों का वर्णन है)। र० काल X । ले. काल सं० १७४५. । पूर्ण । वै. सं० ३४६ । अ भण्डार । प्रारम्भ विनय-मुनि-नयख्याः सर्वभावा भूविस्था । जिनमतकृतिगम्या नेतेरेषां सुरम्याः ॥ उपकृतगुरुपादास्सेव्यमाना सदा में । विदधतु सुकूपांते ग्रन्थ प्ररम्यमारणे ।।१।। मावदेवं प्रणम्पादौ सप्तनयावबोधक मं श्रुत्वा येन मार्गेण गच्छन्ति सुधियो जनाः ॥१॥ इसके पश्चात् टीका प्रारम्भ होती है । नीयते प्राप्यते प्रथोंऽनेनेति नयः रणोत्र प्रारणे इति वचना । अन्तिम तत्पुण्यं मुनि-धर्मकर्मनिधनं मोक्षं फलं निर्मलं । लम्ब येन जनेन निश्चयनयात् श्री नेसिंघादितः ।। स्यावादमार्गाश्रयिरपो जनाः ये भोप्यंति शास्त्रं सुनयानकोथं ! मोच्चंति चैकांतमत सुदोषं मोक्षं गमिष्यति सुखेन भन्याः ॥ इति श्री सप्तनयावयोधं शास्त्रं मुनिनेतृसिहेन विरचितं शुभं पेयं ॥ १८२४. सप्तपदार्थी | पत्र सं० ३६ । मा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-जैन मतानुसार सात पदार्थों का वर्णन है । ले० काल X1 र० काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० १८८ । ब भण्डार । १८२५. सप्तपदार्थी-शिवादित्य । पत्र सं. | प्रा० १०५४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विपक-- दोषिक न्याय के अनुसार सात पदार्थों का वर्णन | २० काल. x ! ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० १९९३ । ट भण्डार ।। विशेष---जयपुर में प्रतिलिपि की थी। १८२६. सन्मतितर्क-मूलकर्ता सिद्धसेन दिवाकर । पत्र सं० ४८ । प्रा० १०४४३ इच : भाषासंस्कृत । विषय-न्याय । २० काल ४ ।ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ६०३ । अ भण्डार। १३२७. सारसंग्रह-चरदराज । पत्र सं० २ से ७३. ५ मा० १०६x४३ इंच। भाषा-मस्का । विषयदर्शन । र• काल X | ले. काल ४ । अपूर्ण ! वे० सं० ८२१ । उ भण्डार । १७२८. सिद्धान्तमुक्तावलिटीका-महादेवभट्ट । पत्र सं० १८ ! मा० ११४४ । भाषासंस्कृत । विषय-न्याय | र• काल X । ले. काल सं० १७९६ । वै० सं० १९७२ । भण्डार । वित्र--नेतर ग्रन्थ है। Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन ] [ ११ १२. स्याद्वादचूलिका '! पत्र सं० १५ 1 प्रा० ११३४५ च । भाषा-हिन्दी (गय) । विषयदर्शन । र• काल x | ले० काल सं० १६३० कात्तिक बुदी ५ । ३० सं० २१६ । ब भण्डार । विशेष मागवाड़ा नगर में ब्रह्म तेजपाल के पठनार्थ लिखा गया था ! समयसार के कुछ पाठों का आ है। १८३०. स्याद्वादमञ्जरी -मल्लिषेपणासूरि । पत्र सं० । प्रा० १२३४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । र० काल X । ले. काल XI पूर्ण : व० सं० ६३४ । श्र भण्डार । १८३१. प्रति सं०२ | पत्र सं० ५४ से १०६ । ले. काल सं. १५२१ माघ सुदी ५ । अपूर्ण ! वे मं. ३६६ । अ महार। ५८३२. प्रति सं३ । पत्र नं०३। मा० १२४५३ च । ले० काल x पूर्ण। वै० सं० ८६१ । श्र भण्डार। विजय...नवल कारकाभान है। १८३३, प्रति मं | पत्र सं० ३० । ले० कालअपूर्ण । ने.सं. १९०ब भयार। HAPTERS Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय- पुराण साहित्य १८३४. अजितपुराण-पंडिताचार्य अरुणमणि। पत्र सं० २७३ । प्रा० १२४५३ रन । भाषासंस्कृत | विषय-पुराल । र० काल सं० १७१६ । ले. काल सं० १७८६ ज्येष्ठ सुदी है । पूर्ण 1 ३० सं० २१८ । भण्डार। प्रशस्ति-संवत् १७८६ बर्षे मिती जेष्ट सुवरी १ । जहानाबादमध्ये लिखापितं प्राचार्य हर्षकीत्तिजी मयाराम स्वगठनार्थ । १८३५. प्रति सं०२ । पत्र सं०६६ ! ले. काल X । अपूर्ण । ० सं० १७ । भण्डार। विशेष-१६ पर्व के ६४वें श्लोक सका है। १८३६. अजितनाथपुराण-विजयसिंह । पत्र सं० १२६ । प्रा० EXY इन्न । भाषा-अपभ्रश । विषय-पुराण । र० काल सं० १५.५ कात्तिक सुदी १५ । ले. काल सं० १५८० चैत्र सुदी ५ । पूर्ण । ० सं० २२८ । च भण्डार । विशेष-सं० १५८० में इब्राहीम लोदी के शासनकाल में सिकन्दराबाद में प्रतिलिपि हई थी। १८३७. अनन्तनाथपुराण-गुणभद्राचार्य । पत्र सं० ८ । पा० १०५x५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । २० काल XI से काल सं० १८८५ भादवा सुदी १० 1 पूर्ण | ३० सं० ७४ । न भण्डार । विशेष-उत्तरपुराण से लिया गया है । १८३८. आगामीत्रेसठशलाकापुरुषवर्णन... पत्र सं० ८ स २१ । प्रा० १२३४६ इन्च । भाषाहिन्दी । विषय-पुराण । २० काल ४ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३६ । अ भण्डार । विशेष-एकसौ उनहत्तर पुण्य पुरुषों का भी प्रदर्शन है। १.३६. श्रादिपुराण-जिनसेनाचाये। पत्र सं० ५२७ । मा० १०३४५ इ! भाषा-संस्कन । विषय-पुराण । र० काल X 1 ले. काल सं० १८१४ । सूर्ण । ० सं० १२ । ब भण्डार । विशेष--जयपुर में पं० खुशालचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। १८४८ प्रति सं०२१ पत्र सं० ५०६ । ले० काल सं० १६६४ । ० सं० १५४ । भण्डार । १४१, प्रति सं०३ । पत्र सं० ४० । ले. काल X । अपूर्ण । वे सं० २०४२ । अ भण्डार । १८४२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४८१ । ले० काल सं० १९५० | वे सं० ५६ 1 के भण्डार । १८४३. प्रति सं:४। पत्र सं० ४३७ । ले. काल ४० सं० ५७ । क भण्डार । विशेष-देहली में सन्तलाजी की कोठी पर प्रतिलिपि हई थी। Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] भण्डार | भण्डार । [ १४३ १८४४. प्रति सं० ५३ पत्र सं० ४७१ । ले० काल सं० १६१४ बैशाख सुदी १० जे० सं० ६ भण्डार । अप्कार । विशेष हायरस नगर में टीकाराम ने प्रतिलिपि की थी। १८४५. प्रति सं० ६ | पत्र सं० ४६१ विशेष मेठ चराम ने ब्राह्मणानगर से पुत्र पद के नार्थ प्रतिलिपि करायो । प्रशस्ति काफ़ी बड़ी है। भरतखण्ड का नक्शा भी है जिस पर सं १७८४ जेठ सुदी १० लिखा है। वहीं कहीं कठिन शब्दों का संस्कृत में अर्थ भी दिया है । १८४६. प्रति सं० ७ 1 पत्र [सं० ४१६ | ले काल X। जीर। ० सं० १४६ । १६४७. प्रति सं० । पत्र सं० १२६ । ले० काल सं० १६०४ मंगासर बुदी ले० काल सं० १९९४ चैत्र सुदी ५ वें सं० २५० ज भण्डार । ० सं० २५२ । बै 1 १८४५. प्रति सं० ६ पत्र सं.० ४१० | ले० काल सं० १८०४ पौष बुदी ४ । ० सं० ४५१ म विशेष—सागर ने प्रतिलिपि की थी । अपूर्ण वै सं० १६८८ट भण्डार १८४६ प्रति सं० १० । पत्र मं० २०६ । ले० काल विशेष – उक्त प्रतियों के अतिरिक्त अ भण्डार में एक प्रति ० सं० २०४२ ) क भण्डार में एक प्रति ( वे० [सं० ४४ ) ङ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ६६ ) च भण्डार में ३ अपूर्ण प्रतियां ( ० ० ३०, ३१, ३२) ज सरकार में एक प्रति ( ब्रे० सं० ६८६ ) और है । १८५० श्रादिपुराण टिप्पण - प्रभाचन्द्र । पत्र सं० २७ श्रा० ११३५५ इख भाषा-संस्कृत । विषय-पुरा र० काल X। ले० काल X अपूर्ण । बै० सं० ८०१ । श्र भण्डार । १८५१. प्रति सं० २ | पत्र सं० ७६ । ले० काल X। प्रपू । वे० सं० ८७ १८५२. आदिपुराण दिग्पण - प्रभाचन्द्र । पत्र सं० ५२ से संस्कृत विषय-पुराण । र० काल X ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० २६ । च भण्डार 1 विशेष – पुष्पदन्त कृत प्रदिपुराण का टिप्न है । १८५३. आदिपुराण - महाऋषि पुष्पदन्त | पत्र सं० ३२५ । ग्रा० १०५ विषय - पुराण | १० काल x । ले० काल सं० १६३० भादवा सुदी १० । पूर्ण । वे० सं० ५३ १८५४ प्रति सं० २। पत्र सं० २०६ । ० काल - X / अपूर्ण ० सं० २ छ भार । विशेष में कई पत्र नहीं है। प्रति प्राचीन है। साह व्यहराज ने पंचमी व्रतोपनार्थ कर्मक्षय निर्मित यह ग्रन्थ लिखाकर महात्मा खेमचन्द को भेंट किया। १८५५ प्रति सं० ३ ० १०३ मे० काल x 1 ०५४ । भण्डार | ६२ । ० १०२X४३ इम । भाषा | भाषा-अपभ्रंश । क मण्डार । Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ ] [ पुराण साहित्य १८५६. प्रति सं४ पत्र मं० २६५ 1 ले. काल सं. १७१६ । वे संत २६३ | भण्डार । विशेष-कहीं कहीं कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हुये हैं। १८५७. आदिपुराण-पं० दौलतराम । पत्र सं० ४०० । मा० १५४६३ इ । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पुराण | र० काल सं १८२४ । लेक काल सं० १८८३ माघ सुदी ७ ! पूर्ण । वे० सं० ५ । ग भण्डार | गोष--. ताईनेपि कराई थी। १८५८. प्रति सं.२ पत्र सं०७४ । ले० काल ४ ० सं० १४६ छ भण्डार । विशेष-प्रारम्भ के तीन पत्र नवीन लिखे गये हैं। १८५६ प्रति सं०३। पत्र मं० ५०६ । ले. काल सं० १८२४ प्रासोज बुदी ११ । ० ० १५२ । छ भण्डार। विशेष...-उक्त प्रतियों के अतिरिक्त ग भण्डार में एक प्रति ( ये० सं०६). भण्डार में ४ प्रतियां (वे. मं०६७, ६८, ६६, ७.) च भण्डार में २ प्रतियों (वै० सं० ५१५, ५१६) छ भण्डार में एक प्रति (के० सं० १५५) तथा म भण्डार में २ प्रतियों ( वै० सं० ८६, १४६ ) और हैं। ये सभी प्रतियां प्रपूर्ण हैं। १८६०. उत्तरपुराण-गुणभद्राचार्य। पत्र सं० ४२६ । प्रा० १२४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयपुगण । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । व० सं० १३० । अ भण्डार। १८६१. प्रति सं०२। पत्र मं० ३८३ । ले. काल सं. १६०६ पासोज सुदी १३ । बै० म० ८ । घ 'भधार। विशेष---बीच में २ पृष्ठ नये लिखाकर रखे गये हैं | काष्ठासंघो माथुराश्रयी भट्टारक श्री उद्धरसेन की बड़ी । प्रशस्ति दी हुई है । जहांगीर बादशाह के शासनकाल में चौहाणाराज्यान्तर्गत पलाउपुर ( अलवर ) के तिजारा नाममा ग्राम में श्री प्रादिनाथ पयालय में श्री गोरा ने प्रतिलिपि की थी। ५८६२, प्रति सं८३ । पत्र सं० ५४० । ले. काल सं० १६३५ माह मुदी ५ । ३. सं. ५६. | . भार। विशेष-संस्कृत में संकेतार्थ दिया है। १८६३, प्रति सं४। पत्र सं. ३०६ । लेक काल सं० १९२७ । दे० सं० छ भण्डार । विशेष-मवाई जयपुरमें महाराजा पृथ्वीसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई। मा हेमराज ने संतोषराम के शिष्य खतराम को भेंट किया। कठिन शब्दों के संस्कृत में मर्थ भी दिये हैं। १८६४. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४५३ | ले. कान सं० १८८८ सावण सुरी १३ १ ० सं० । छ भद्वार। विशेष सांगानेर में नोनदराम ने नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। १५. प्रति सं०६! पत्र सं० ४४ | ले. काल सं. १६६७ चैत्र बुवी । ।सं. ८३ । महार। विशेष--मट्टारक जयकीति के शिष्य बाफल्याणसागर में प्रतिलिपि की थी। Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ १४५ १८६६. प्रति मं ७ । पत्र सं० ३६६ । ले. काल मं. १७०६ फागुण सुदी १० । ३० सं० ३२४ । म भण्डार । विशेष—पांडे गार्टन ने प्रतिलिपि की थी । कहीं कहीं कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हुये हैं। १५६७. प्रति नं. ८ | पत्र सं० ३७२ । ले० कान सं० १७१८ भादवा सुदी १२। वे० सं० २७२ । भण्डार । " रा . विशेष-उक्त प्रतियों के अतिरिक्त श्र, कौर भण्डार में एक-एक प्रति (वे. मं० २४,७३,७७) और हैं । सभी प्रतियां प्रपूर्ण हैं। १८३८. उत्तरपुराण टिप्पण–प्रभाचन्द्र । पत्र सं० ५७ 1 प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । २० काल सं० १०८० । ले कान सं० १५७५ भादवा सुदी ५ । पूर्ण । वे० सं० ५४ । अ भण्डार । विशेष पुष्पदन्त कृत उत्तरपुराण का टिप्पण है। लेखक प्रशस्ति श्री विक्रमादित्य संवत्सर दोरखामशीत्यधिक सहवं महापुराणविषमादविबरणमागरमेनसद्धांतान् परिज्ञाय मूलटिणरणकांबावलोक्य कृतमिदं समुच्चयटिप्पणं । अज्ञपातभीतेन श्रीमद् बलात्कारगणश्रीसंघाचार्य सत्कवि शिष्यण श्रीचन्द्रमुनिना निज दोहाभिभूतरिपूराज्यविजयिनः श्रीभोजदेवस्य ।।१०२॥ इति उत्तरपुराणटिप्पणक प्रभाचन्द्राचार्मविरचितंसमाप्तं ॥अथ संवत्सरेस्मिन् श्री नृपविक्रमादित्मगतान्द मंवत् १५७५ व भादवा सुदी ५ बुधदिने कुरुजांगलदेशे सुलितान सिकंदर पुत्र मुलितानप्राहिमुराज्यप्रवर्तमाने थी काठासंथे माथुरान्वये पुष्करगरणे भट्टारक श्रीमुणभद्रसूरिदेवाः तदाम्नाये जैसवालु चौ० जगसी पुत्रु चौ. टोडरमल्लु इदं उत्तरपुराण टीका लिखारितं । शुभं भवतु । मागल्यं दति लेखक पाठकयोः । १८६६ प्रति सं पत्र सं० ६१ | ले. कालx० सं० १४५। म भण्डार। विशेष---श्री जयसिंहदेवराज्ये श्रीमसारानिवासिना परापरमेष्टिप्ररणामोपाजितामलपुनि रानाविलमन कलंकेन श्रीमत् प्रभाचन्द्र पंडितेन महापुराण टिभरएक सप्तश्यधिक सहस्रत्रय प्रमाणं कृतमिति । १८७०. प्रति सं०३ । पत्र सं० ५६ । लेस काल x | वे सं० १८७६ । ट महार । १८७१. उत्सरपुराणभाषा-खुशाल चन्द,। पत्र सं० ३१० । प्रा० १९४८ इछ । भाषा- हिन्दी पच । विषय-पुराण । र० काल सं० १७८६ मंगसिर मुदी १० । ले० काल सं० १६२८ मंगसिर मुदी ५ । पूर्ण । वे० सं० ७४ । क भण्डार। विशेष--प्रशस्ति में खुशालचन्द का ५३ पद्यों में विस्तृत परिचय दिया हमा है । बस्तावरताल ने जयपुर में प्रतिलिपि की दी। १८७२. प्रति सं० २। पत्र सं० २२० ले. काल सं० १८८३ वैशाम सुदी ३ । ० सं०७। ग अण्डार। विशेष-कासूराम साह ने प्रतिलिपि करवायी थी। Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ j [ पुराण साहित्य १८७३. प्रति सं० ३। पत्र सं० ४१५ । ले. काल सं० १८६६ मंगशिर सुदी १ 1 व० सं० । घ भण्डार। १८७४. प्रति सं०४। पत्र सं० ३७४ । ले० काल सं० १८५८ कात्तिक बुदी १३ । ३० सं० १८ ! भण्डार। १८७५. प्रति सं८५। पत्र सं० ४०४ । ले. काल सं० १८६७ 1 वे० सं० १३७ 1 म भण्डार । विशेष---च भण्डार में तीन अपूर्ण प्रतियां ( वे० सं० ५२२, ५२३, ५२४ ) प्रौर हैं। १८७६. उत्तरपुराणभाषा-संघी पन्नालाल । पत्र सं० ७६३ । प्रा० १२x६ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पुराण | र० काल सं० १९३० पापाढ़ सुदी ३ । ले. काल सं० १९४५ मंगसिर बुदी १३ । पूर्ण । वे. सं०७५ । क भण्डार । १८७७. प्रति सं०३ पत्र सं० ५३५ । ले. काल | अपूर्ण । ० सं० ० । व भण्डार । विशेष-५३४वां पत्र नहीं हैं 1 कितने ही पत्र नवीन लिखे हुये हैं। १८७८. प्रति सं०४ । पत्र सं० १६६ । ल0 काल X ० सं० ८५ । ॐ भकार। विशेष-प्रारम्भ के १६७ पत्र नीले रंग के हैं। यह संशोधित प्रति है। सभण्डार में एक प्रति । वे. सं० ७६ ) घ भण्डार में दो प्रतियां ( वे० सं० ५२१, ५२५ ) तथा छ भण्डार में एक प्रति प्रौर है। १८७६. चन्द्रप्रभपुराण-हीरालाल । पत्र से० ३१२ प्रा० १३५५ इंश्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयपुराण । २० काल सं० १६१३ भादवा बुदी १३ । ले. काल XI पूर्ण । वै० सं० १७६ । क भण्डार। १८८०. जिनेन्द्रपुराण-भट्टारक जिनेन्द्रभूषण । पत्र सं० ६९० | प्रा० १६x६ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-पुराण । र० का X । ले. काल सं० १८४२ फागुण बुदी ७ । वे० सं०६४ । ब भण्डार । विशेष-जिनेन्द्रभूषण के प्रशिष्य ब्रह्महर्षसागर के भाई थे। १६५ अधिकार है । पुराण के विभिन्न विषय हैं। १८८१. त्रिषधिस्मृति-महापंडित श्राशाधर । पत्र सं० २४ मा १२४५३इन्छ । भाषा-संस्कृत। विषय-पुराण । २० काल सं० १२६२ । ० काल सं० १८१५ ाक सं० १६८० । पूर्ण । ० सं० २३१ । श्र भण्डार। विशेष-नलकच्छपुर में श्री नेमिजिनचैत्यालय में ग्रन्थ की रचना की गई थी। लेखक प्रशस्ति विस्तृत १८८२. त्रिषष्ठिशलाकापुरुषवर्णन"" ...| पत्र सं० ३७ । मा० १०१४५, इस । भाषा-संस्थत । विषय-पुराण । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १६६५ । ट भण्डार । विशेष-३७ से पागे पत्र नहीं है। १८८३. नेमिनाथपुराण-भागचन्द । पत्र सं० १६६ । मा० १२:४८ इन्। भाषा-हिन्दी मय । विषय-पुराण । २० काल सं० १९०७ साबन बुदी ५ । ले. काल X । पूर्स । वे० सं० ६ । छ भण्डार । Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य । १८८४. नेमिनाथपुराण--- जिनदास । पत्र सं० २९२ । प्रा० १४४५: इ 1 भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । र० काल ४ । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं०९ । छ भण्डार । १८१५. नेमिपुराग (हरिवंशपुराण)-प्रम नेमिदतं । पत्र सं० १६० । मा० ११४४ इन् । भाषासंस्कृत । विषय-पुराण । र० काल X । ले. कालं सं० १६४७ उपेष्ठ सुंदी ११ । पूर्ण । जीर्ण । वे सं० १४६ 1 अ भण्डार | वियोष-लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है। संवत् १६४७ वा ज्येष्ठ सुदी ११ बुधवासरे श्री मूलसंधे नंद्याम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुन्दकुन्दा. चार्यान्वये भट्टारक श्रीपद्मनन्दि देवातत्स? भा श्रीशुभचन्द्रदेवा तत्प? भ. श्रीजिनचन्द्रदेवा तत्सट्टे भ० श्रीप्रभाचन्द्रदेवा वितीय शिष्य मंडनाचार्य श्री रत्नफीतिदेवा तशिष्य मंडलाचार्य श्रीभुवनकीतिदेवा तशिष्य मंडलाचार्य श्रीधर्मकीत्तिदेवा द्वितीयशिष्य मंडलाचार्य श्री विशालकोसिदेवा तशिष्य मंउलाचार्य श्रीलक्ष्मीचन्द्रदेवा तत्व मंडलाचार्य श्रीसहनकात्तिदेवा तत्पट्ट मंडलाचार्य श्री श्री श्री नेमचन्द तदाम्नाये मगरवालान्वये मुगिलगोत्रे साह जीणा तस्य भार्या ठाकुरही तयो पुत्राः पंच । प्रथम पुत्र सा. खेता तस्य भार्या छानाही | सा. जीणा द्वितीय पुत्र सा. जेता तस्य भार्या वाधाही तयो पुत्राः वय प्रथम पुत्र सा. देवास तस्य भार्या माताही तयोः पुत्रात्रयः प्रथमपुत्र चि० सिरवंत द्वितीयपुत्र चि० मांगा तृतीयपुत्र चि. चतुरा । द्वितीयपुत्र साह पूना तस्य भार्यागुजरहो तुतायपुत्र सा. सीमा तस्य भार्या मानु | सा जोणा तस्य नृतीयपुत्र सा. सातु तस्य भार्या नान्यगही तयो पुत्रो द्वौ प्रथम पुत्र सा. गोविदा तस्य भार्या पदर्थही तयो पुत्र चि० धर्मदास दि. पुत्र चि. मोहनदास । सा. जोगातरय चतुर्थपुत्र सा. मल्लू तस्य भार्या नीबाही तयोपुत्राः अय प्रथमपुत्र सा. उत्मा तस्य भार्या धनराजही तयोपुत्र वि दूरगदास द्वितीयपुत्र सा, महोदास तस्यभार्या उदाही तृतीयपुत्र सा. टेमा तस्य भार्या मोरवरणही । सा. जीणा तस्य पंचमपुर सा. साधू तस्यभार्या होलाही तोपुत्र चि० साबलदास तस्यभार्या पूराही एतेषां मध्ये सा, मलतेनेदं शास्त्र हरिवंशपुराणाख्यं शानावरणीकर्मक्षनिमित्त मंडलाचार्य श्री श्री श्री लक्ष्मीचन्दतस्यशिष्या प्रजिका शांति थी योग्य घटापितं ज्ञानावरपीकर्मक्षयनिमित्तं । १८.६. प्रति सं०पत्र सं० १२७ । ले. काल सं० १६६३ प्रासोज सुदी ३ । के० सं० ३८७ 1 भण्डार1 विशेष-लेखक प्रशस्ति वाला पत्र बिलकुल फटा हुआ है। १८५७. प्रति सं०३ / पत्र सं० १५७ । ले० काल सं० १६४६ माघ चुदी १ । के सं० १९६। भण्डार। विशेष—यह प्रति मम्बावती (भामेर ) में महाराजा मानसिंह के शासनकाल में नेमिनाथ चैत्यालय में लिखी गई थी। प्रशस्ति प्रपूर्ण है। . १८८. प्रति सं० ४ : पत्र से० १८८ । ले. काल सं० १८३४ पौष दुदी १२ । ३० सं० ३१ । व भण्डार | विशेष--इसके अतिरिक्त म भण्डार में एक प्रति (३० सं. २३८ ) 9 भण्डार में एक प्रति (वे. मं. ५२) तथा भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३१३ ) और हैं। Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . १४८ ] [ पुराण साहित्य १८८६, पद्मपुराण-रविषेशाचार्य । पत्र सं• E5६ | प्रा० ११:४५ इञ्च । भा-संस्कृत । विषय- पुराण २० काल X ! ले. काल से० १७०८ चैत्र सुदी ८ । पूर्ण । वै. सं. ६३ । अ भण्डार । विशेष-टोडा ग्राम निवासी साह खोबमी ने प्रतिलिपि कराकर पं० श्रीहर्ष कल्याण को मेंट किया। १८६०. प्रति सं०२। पत्र सं० ५६५ । ले० काल सं० १८८२ मासोज वुदी ६ । ० सं० ५२ । म भण्डार विशेष—जैतराम साह ने सवाईराम गोधा से प्रतिलिपि करयाई थी। १८६१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४४५ । से. काल सं० १८८५ भादवा बुदी १२ । ३० सं . ४२२ ! सभण्डार । १८६.२. प्रति नं. ४ । पत्र सं: ७६८ । ले० काल सं. १८३२ सावरण मुदी १. के सं १८२ । म भण्डार। बिणेष-पौधरियों के चैत्यालय में पं. गोरधनदास ने प्रतिलिपि की थी। १८४३. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४८१ । ले० काल मं० १७१२ मासोज मुद्री ...। वेल सं० १८३ । म भण्डार] विशेष....प्रग्रवाल जातीय किसी धावक ने प्रतिलिपि को थी। इसके अतिरिक्त क भण्डार में एक प्रति ( ० म०४२६) तथा भण्डार में दो प्रतियां । वेव म०४२३, ४२५) और हैं। १८६४. पद्मपुराण (रामपुराण)-भट्टारक सोमसेन । पत्र सं० ५२० । श्रा• ६१४५ इन्न । भाषासंस्कृत । विषय-पुराण । २० काल पाक सं० १६५६ श्रावण सुदी १३ । ले० काल मं० १८६ ग्राषाढ सुदी १५ । पूर्ण । थे० सं० २४ । अ भण्डार । १५. प्रति सं०२पत्र सं० ३५३ । ले० कान सं. १८२५ ज्येष्ठ बुदी। वे. सं० ४२५ । क मण्डार । विशेष योगो महेन्द्रकीत्ति के प्रसाद से यह रचना की गई ऐमा स्वयं लेखक ने लिखा है। लखक प्रवास्सि कटी हुई है। ५८६६. प्रति संक३। पत्र सं० २०० । ले० काल सं० १८३६ शाल सुदी ११ | ni० । छ महार1 विष प्राचार्य रत्नकीति के शिष्य नेमिनाथ ने सांगानेर में प्रतिलिपि को थी। १८१७. प्रति सं०४। पत्र सं. २५७ १ ले काल सं० १७६४ पासोज बुदी १३ । वे० सं० १२ । न माहार। विपोष-सांगानेर में गोधों के मन्दिर में प्रतिनिपि । Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] न्य भण्डार 1 [ १४६ १८६८ प्रति सं० ५ पत्र सं० २५७ ० काल सं० १७९४ पासीज नदी १३ ० सं० ३१२ । विशेष — सांगानेर में गोधों के मन्दिर में मदुराम ने प्रतिलिपि की थी । इसके अतिरिक्त भण्डार में २ प्रतियां ( ० २०४ ) तथा भण्डार में एक प्रति ( ० ० ५६ ) और हैं। छ १८६१. पद्मपुराण - भ० धर्म की ति पुराणा । २० काल सं० १८३५ कार्तिक सुदी १३ । भण्डार | ० ४२५, ४२६) भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० पत्र सं० २०७० १६४६ भाषा-संस्कृत विषय० ० ३ । छ भण्डार 1 विशेष—जीवनराम ने रामगढ़ नगर में प्रतिलिपि की थी। १६०० पद्मपुराण ( उत्तरखरड )... पत्र [सं० १७९ ०१४४६ भाषा-संस्कृत विषय-पुरास १० काल X ने० काल X अपू ० सं० १६२३ट भण्डार 1 विशेष—वैव पद्मपुराशा है बीबके कुछ पत्र होने काट दिये हैं। मन्त में श्रीकृष्ण का वर्णन भी है। १६०२. पद्मपुराणभाषा - पं० दौलतराम पत्र सं० ४६६ ० १४८७ । भाषा हिन्दी गद्य २० का ० १०२३ माघ सुदी १ ० काल सं० १९९५ पूर्ण पे० [सं० २२०४ अ भण्डार । पुत्र विशेष – महाराजा रामसिंह के शासनकाल में पं. शिवदीनखी के समय में मोतीलाल गोदीका के घमरवन्द्र ने हीरालाल कासलीवाल से प्रतिलिपि कराकर पाटोदी के मन्दिर में चढ़ाया। ११०२. प्रति सं० २०५४१ ० का ० १८८२ प्रासोज सुदी १० सं० ५४ ग विशेष जैतराम साह मे सवाईराम गोधा से प्रतिलिपि करवायी थी। भण्डार १६०३. प्रति सं० ३ पत्र सं० ४५१ ० का ० १८६७० सं० ४२७ विशेष-इन प्रतियों के अतिरिक्त भण्डार में दो प्रतियां (१० सं० ४१०, २२०३) क और ग भण्डार में एक एक प्रति ( ० सं० ४२४५३) घ भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ५५ ५६) च और ज भण्डार में दो तथा एक प्रति ( ० सं० ६२३, ६२४ व २५२ ) तथा भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं० १६,८८) और हैं । भाषा - हिन्दी पद्य । १६०४. पद्मपुराणभाषा- खुशालचन्द । पत्र सं० २०६ | ० १०४५ इस विषय - पुराण | र० काल सं० १७८३ । ले० काल x पूर्ण । वे सं० १०८७ | भष्वार | ७५२ | अ भण्डार | श्री १६०५. प्रति सं० २ । पत्र सं० २०६ से २६७ ले० काल मं० १८४५ सावण बुबी 35 वे० सं० विशेष---- ग्रन्थ की प्रतिलिपि महाराजा प्रतापसिंह के शासनकाल में हुई थी । इसी भण्डार में ( ० सं० ३४१ ) पर एक प्रपूर्ण प्रति और है । Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० ] [ पुराण साहित्य १६०६. पाण्डवपुराण-भट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं० १७३ । प्रा. ११४५ इश्व । भाषा--संस्कृत । विषय-पुराण । र० काल सं० १६०८ । ले. काल सं० १७२१ फागुण बुदी ३ । पूर्ग । वे० सं० ६२। अभण्डार। विशेष-ग्रन्थ की रचना श्री शाकयाटपुर में हुई यी । 47 १३५ तथा १३७ बाद में मंः १८८६ में पुनः सिम्बे गये है। १६०७. प्रति सं०२ । पत्र सं० ३०० । ले० काल सं० १८२६ । वे सं० ४६५ । क भण्डार । विशेष--ग्रन्थ ब्रह्मश्रीपाल की प्रेरणा से लिखा गया था। महामन्द्र ने इसका संशोधन किया । १६०८. प्रति सं०३ । पत्र सं० २०२ । ले काल सं० १६१३ चैत्र बुदी १ । ० सं० ४४५ | F भण्डार। वियोष-एक प्रति ट भण्डार में ( थे० सं० २०६० ) और है। १६०६. पाण्डवपुराण-म० श्रीभूषण । पत्र सं० २४६ | प्रा० १२४५५ इन । भाषा-संस्कृत। विषय-पुराण । र० काल सं० १६१० । ले० काल सं० १८०० मंगसिर दुदी ६ पुर्ण । वै० म० २३७ । अ भण्डार। . विशेष-लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। पत्र बडकरणे हैं। १६१०. पाण्डवपुराण- यशःकीर्ति । पत्र सं० २४० ! श्रा० १०x४३३ भाषा-माया । विषम-पुराण । २.० काल X । ले० काल x। अपूर्ण । वै० सं० ६६ । म भण्डार । १६११. पाण्डवपुराणभाषा-चुलाकीदास । पत्र सं० १४६ । प्रा० १३XE इंच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पुराण । २० काल सं० १७५४ । ले. काल सं० १८१२ । पूर्ण । वे० सं० ४६२ । अ भण्डार । विशेष-अन्तिम ५ पत्रों में बाईस परीषह वर्णन भाषा में है। श्र भण्डार में इसकी एक अपूर्ण प्रति ( वे० सं० १११८ ) और है । १६१२. प्रति सं० २! पत्र सं० १५२ । ले. काल सं. १८८६ | वे नं० ५५ 1 ग भण्डार । वियोष-काजूराम साह ने प्रतिलिपि करवायी थी। १९१३. प्रति सं०३। पत्र सं० २०. ले. काल x वे० सं०४४६ 1 जु भण्डार । १६१४. प्रति सं०४ । पत्र सं० १४६ । ले० काल ४ । ० सं० ४४७ । भण्डार १६१५. प्रति सं०५। पत्र सं० १५७ । ले. काल सं० १८६० मंगसिर बुदी १० । वे० सं० ६२६ । च भण्डार । १६१६. पाण्डवपुराण-पन्नालाल चौधरी। पत्र सं० २२२ । पाल १३४, इव । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय--पुराण । र• काल सं० १९२३ बैशाख दुदी २। से. काल सं० १६३७ पोष बुद्धी १२ पूर्ण वे. सं० ४६३ | क भण्डार । १९१७. प्रति सं० २ । पत्र संस ३२० ( ले. काल सं० १६४६ कात्तिक मुदी १५ । ३. सं. ०६४ । क भण्डार। विशेष-रामरत्न पाराशर ने प्रतिलिपि की थी । भण्डार में इसकी एक प्रति (वे० सं० ४४८ ) और है । Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ १५१ १६.१८. पुराणसार श्रीचन्द्रमुनि पत्र सं० १०० प्रा० १०३५ । भाषा-संस्कृत विषय| १० काल सं० १०७७ | ले० काल सं० १६०९ आषाढ़ सुदी १३ । पूर्ण । ० सं० २३९ । भण्डार | विशेष-यामेरामगढ़) के राजा भारामन के शासनकाल में प्रतिनिधि हुई थी। १६१६. प्रति सं० २०६६ ० का ० १५४३ फाला बुदी १० वे० सं० ४७१ क भण्डार । १६२० पुराणसारसंग्रह - भ० सफलकीति पत्र मं० १५६ ० १२८५३ भाषासंस्कृत । विषय-पुराण । १० काल x : ले० काल सं० १५५६ मंगसिर बुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ४६९ | क भण्डार । १६२१. बालपद्मपुराण पं० पन्नालाल बाकलीवाल । पत्र सं० २०३ ० ८५३ । भाषाहिन्दी पद्य विषय-पुराण । २० काल । ले० काल सं० १९०९ चैत्र सुदी १५ । पूर्ण । वे० सं० ११३८ । अ भण्डार । विशेष- लिपि बहुत सुन्दर है। कलकते में रामग्रधीन ( रामादीन ) ने प्रतिलिपि की थी । १६२२. भागवत द्वादशम् स्कंध टीका २० काल ले० काल अपूर्ण वे० सं० २१७८ ट भण्डार विशेष-पत्रों के बीच में मूल तथा ऊपर नीचे दीका दी हुई है । १६२३. भागवतमहापुराण ( सप्तमस्कंध ) संस्कृत | विषय - पुरा । २० काल X | ले० काल X १६२४ प्रति सं० २ (पष्टम स्कंध ) न भण्डार | ―― ० सं० २०९० | द्र भण्डार | टहार। पत्र ३१ ० १४९०३ भाषा-संस्कृत । पत्र ० ६७ मा० १४३०१ भाषापूर्ण वे० सं० २०६८ | ट भण्डार । | पत्र सं० ६२ । ले० काल X अपूर्ण वे० सं० २०२९ । 1 विशेष बीच के कई पत्र नहीं हैं। १६२५. प्रति सं० ३ । ( पश्र्चम स्कंध ) | पत्र [सं० ८३ | ले० काल सं० १८३० चैत्र सुदी १२ । विशेष चौबे सरूपराम ने प्रतिलिपि की थी। १६२६. प्रति सं० ४ ( अष्टम स्कंध )... पण सं० ११ से ४७ । ले० काल X पूर्ण ० सं० २०६१ । ट भण्डार १६२७ प्रम मं० ५ (तृतीय स्कंध पत्र ०६७ २० काल x पूर्ण ३० सं० २०६२ ॥ विशेष - ६७ से प्रागे पत्र नहीं है । ० सं० २०० से २०६२ तक ये सभी स्म भीर स्वामी संस्कृत टीका सहित है। १६२८. भागवतपुराण | पत्र सं १४ से ६३ | ० १०३४६६ । भाषा-संस्कृत विषयपुरा | १० काल X 1 से० काल X। भपूर्ण । ० सं० २१०६ | ट भण्डार | विशेष - ६०वां पत्र नहीं है। Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२ ] पुराण साहित्य ११२६. प्रति सं०२१ पत्र सं. १६ । ले. काल X ० सं० २११३ । भण्डार । विधोप-तीर स्वीच सोय भम्पायक की टीका पूर्ण है। १६३०. प्रति सं० ३१ पत्र सं० ४० से १०५ । ले. काल X । अपूर्गा । वे० म० २१७२ । ट भण्डार । विशेष-तृतीय स्कंध है। १६३१. प्रति सं०४1 पत्र सं०६ । ले० काल-प्रपूर्ण । ये० सं० २१७३ । द भण्डार । विशेष---प्रथम स्कंध के द्वितीय अध्याय तक है। १६३२. मल्लिनाथपुराण सकलकीत्ति । पत्र सं० ४२ । प्रा० १२४५ इन्न । भाषा-संस्कृत | विषयअरित्र । १० काल ले. काल १८५५ । वे० सं० २०८ | अ भण्डार । वियोष-इसी भण्डार में एक प्रति { वे० सं० ८३६ ) और है | १६३३. प्रति सं २। पत्र सं० ३७ । ले० काल सं० १७२० माह मुदी १४ । ३० म. ५.७१ । क भण्डार । १९३४. प्रति सं०३1 पत्र सं०४७ । ले. काल सं. १९६३ मंगसिर बूदी ६ । वे.. ५७२ । विशेष-उदयचन्द लहाड़िया ने प्रतिलिपि करके दीवारण अमरचन्दजी के मन्दिर में रखो। १९३५. प्रति सं०४ । पत्र सं० ४२ । ले० काल सं० १८१० फागुण सुदी ३ । वै० म० १३६ । स्व भण्डार। १६३६. प्रति सं०५ | पत्र सं० ४५ । २० काल सं० १८८१ साबण मृदी ८ । वे सं० १३८ । स्व भण्डार। १६३७. प्रति सं०६ । पत्र सं० ४५ । ले. काल म. १८६१ सावरण मुदी ८ | दे० सं० ५८५ । र भम्हार। विशेष---जयपुर में शिवलाल गोधा ने प्रतिलिपि करवाई यी। २६.३८. प्रति संकपत्र सं० ३१ । ले. काल सं० १५४६ । वै० सं० १२ छ भण्डार । १९३६. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ३२ । ले० काल सं० १७८६ चैत्र सुदी ३ । दे० सं० २१ । म. भवहार । १६४०. प्रति सं०६ । पत्र मं० ४० । ले० काल सं० १८६१ भादवा बुदी । । ० सं० १५२ | स भण्डार। विषेष---शिवलाल साह ने इस ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवाई थी। १६४१. मक्षिनाथपुराणभाषा--सेवाराम पाटनी। पत्र सं० ३६ । प्रा० १२४७३ च । भाषाहिन्दी गरा । विषय-मरित्र । २० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ६८८ ! अ मण्यार । १९४२. महापुराण ( संक्षिप्त ).......। पत्र सं० १७ । प्रा० ११४४० दश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- पुराण | र० काल ।ले. काल x अपूर्ण | बै० सं०५८६ । भण्डार | Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___पुराण माहित्य ] [ १५३ १६४३. महापुराण-जिनसेनाचार्य । पत्र से० ७०४ । प्रा० १४४८ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-- पुरागा। र० कालxले. बाल XI पूर्ण । वे० सं० ७७ । विशेष-ललितकीसि वृन टीका महित है। घ भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( वे० सं० ७८ ) और है । ४४. महापुराण-महाकवि पुष्पदन्त । पत्र सं० ५१४ । प्रा० ६४४३ 18 । भाषा-अपभ्र' । विषय-पुराण । २० काल x | ले० काल X । अपूर्ण । ० सं० १०१ । श्र भण्डार | विशेष-श्रीच के कुछ पत्र जीर्ण होगये हैं। १६४५. मार्कण्डेयपुराण"..."पत्र सं० ३२ । प्रा० ९X३ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । २० कान XI ले. काल सं०१८२६ कात्तिक बुदी ३॥ पूर्ण 1 ने० सं० २७३ । छ भण्डार । विशेष—ज भण्डार में इसकी दो प्रतिर्या ( ३० सं० २३३, २४६, ) और हैं। १३४६ युनिमबतपुराण-ब्रह्मचारी कृष्णदास । पत्र सं० १०४१ प्रा० १२४६ इन्। भाषामंस्कृत । विषय-पुराणा । र० काल सं० १६८१ कात्तिक सुदी १३ । ले. काल सं० १८६६ । पूर्ण । वे० सं० ५७८ । क भण्डार । १६४७. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२७ । ले० काल ४ | वे० सं० ७ । छ मण्डार । विशेष—कवि का पूर्ण परिचय दिया हुआ है। १६४८, मुनिसुव्रतपुराण-इन्द्रजीत | पत्र सं० ३२ । प्रा० १२४६ इछ । भाषा-हिन्दी पद्य | विषयपृराण । १० काल सं० १८४५ पोष बुदी २ । ले काल सं० १९४७ भाषाढ बुदी १२ । वे० सं० ४७५ । ब भण्डार । विद्योष-रतनलाल ने वटेरपुर में प्रतिलिपि की थी। १६४६. लिंगपुराण""""पत्र सं० १३ । प्रा० ६x४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-जेनेतर पुराण । + र. कान X । ले. काल ४ ! पूर्ण । वे० सं० २४७ । ज भण्डार । १६५०. बर्द्धमानपुराण सकलकीर्ति । पत्र सं० १५१ । मा० १.६४५ इ० । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । र० काल X । लेन काल सं० १८७७ प्रासोज सुदौ ६ । पूर्ण । वे० सं० १० । भण्डार। विशेष- जयपुर में महात्मा शंभुराम ने प्रतिलिपि की थी। १६५१. प्रति सं०२। पत्र सं० १३० । ले. काल १८७१ । वे० सं० ६४६ । क मण्डार । १६५२. प्रति सं०३। पत्र सं० ८२। ले. काल सं० १८६८ सावन सुदी ३ । वे० सं० ३२८ । घ भण्डार। १६५३. प्रति सं. ४ । पत्र सं० ११३ । ले० काल सं० १८६२ । २० सं० ४ । भण्डार | विशेष—सांगानेर में पं० नोनदराम ने प्रतिलिपि की पी । १६५४. प्रति सं०५। पत्र सं. १४३ | ले० काल सं० १८४६ : के.सं. ५छ भण्डार। Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पुराण साहित्य : . .१६५५. प्रति सं०६ । पत्र सं० १४१ । ले० काल सं० १७१५ कात्तिक बुदी ४ । दे० सं० १५ । अ भण्डार। १६५६. प्रति सं०७। पत्र सं० ११६ । ले० काल X11० सं० ४६३ । त्र भण्डार | विशेष-प्रा. शुभचन्द्रजी, चोखचन्दजी, रायचन्दजी वी पुस्तक है । ऐसा लिखा है । १६५७. प्रति सं०८ | पत्र सं० १.७ 1 ले काल सं० १८३९ । वे सं० १८६१ । र भण्डार | विशेष-सवाई माधोपुर में भ. सुरेन्द्रकीति ने पादिनाथ चैत्यालय में लिखवायी थी। १६५८. प्रति सं० 1 पत्र सं० १२३ । ले. काल सं १६६८ मारवा सुदी १२। वे० सं० १८९३ । टभण्डार। विशेष-बागडे महादेश के सागपत्तन नगर में भ सकलचन्द्र के उपदेश से हंबरमातीय बजियाणा गोत्र वाले साह भाका भार्या बाई नायके ने प्रतिलिलिपि करवायी थी। ___इस ग्रन्थ को घ और च भारक एय. प्र ( , १९९% भ र में २ प्रतियां (व० सं० ३२, ४६ ) और हैं। १६५६. वर्धमानपुराण-६० केशरीसिंह | पत्र सं० ११८ । भा० ११४८ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पुराण । र० काल सं० १८७३ फागुण सुदी १२ । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ६४७ । विशेष-बालचन्दजी छाबड़ा दीवान जयपुर के पौत्र झानचन्द के भामह पर इस पुराण की भाषा रचना की गई। च भण्डार में तीन अपूर्ण प्रतियां (वे० सं० ६७४, ६७५, ६७६ ) छ भण्डार में एक प्रति (ले० मं. १५६ ) मौर हैं। १६६०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७८ । ले. काल सं० १७७३ । वेन सं. ६७० । क्व भण्डार । १६६१. वासुपूज्यपुराण..."| पत्र सं०६ मा १२३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पुराण । र० काल X । लेस काल X । पूर्ण । वे० सं० १५८ । छ भण्डार । १६६२. विमलनाथपुराण---अाकृष्णदास । पत्र सं० ७५ 1 मा० १२४५१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । र० काल सं० १६७४ । ले० काल सं० १८३१ बैशाख सुदी ४ । पूर्ण । ० सं० १३१ । अ भण्डार । १६६३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११० । ले. काल सं० १८६७ चैत्र बुदी ८ । ३० सं० ६६ । ष भण्डार। १६६५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १०७ । ले. काल सं० १६६६ ज्येष्ठ बुदी ६ । के० सं० १८ । अण्डार । विशेष—प्रन्धकार का नाम व कृष्णजिष्णु भी दिया है । प्रशस्ति निन्न प्रकार है संवत् १६६६ वर्षे ज्येष्ठमासे कृष्णपक्षे श्री षेमलासा महानगरे श्री आदिनाथ चैत्यालये श्रीमत् काहासंबे नंदीतटगच्चे विद्यागणे भट्ठारक श्री रामसेनान्वये एतदनुक्रमेगा भ० श्री ररमभूषण तत्प? म० थी जयकीर्ति ब. श्री । Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] मंगलायज स्थविरावार्य श्री केशवसेन तत् शिष्योपाध्याय श्री विश्वकीत्ति तत्गुरु भा. श्री दीपजी ब्रह्म श्री राजसागर मुक्त लिम्बित स्वशानावर्ग, कर्मक्षयार्थ । भ० श्री ५ विश्वसेन तत् शिष्य मंडलाधार्य श्री ५ जयकोत्ति पं. दीरचन्द पं. मयाचंद युक्त पात्म पठनाई । १६.६५. शान्तिननाथपुराण--महाकवि अशग । पत्र सं० १४३ । मा० ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराणा । र० काल शक संवत् ६१० | ले. काल सं० १५५३ भादवा बुदी १२ । पूर्ण। वे० सं० ६६ । अ भण्डार। विशेष-प्रशस्ति---संवत् १५५३ वर्ष भादवा वदि बारीस रखी अह श्री गंधारमध्ये लिखितं पुस्तक लेखक पाठकया चिरंजीयात् । श्री मूलसंघे श्री कुंदकुन्दाचार्यान्वये सरस्वती गच्छे बलात्कारगणे भट्टारक श्री पवनंदिदेवास्तत्प? भट्टारक श्री मुभचन्द्रदेवास्तत्पद भट्ठारक जिनचन्द्रदेवादिष्प मंडलाचार्य श्री रत्नकीतिदेवास्तच्छिष्य ब. लाला पनार्ष ईवड न्यातीय श्रे• हापा भार्या संपूरित श्रुत श्रेष्टि धना मं० थावर सं० सोमा घेष्टि धना तस्य पुत्र वीरसाल भा. वनादे नयो पुत्रः विद्याधर द्वितीयः पुत्र धर्मधर एतैः सर्वेः शान्तिपुराणं लखाप्य पात्राय दत्तं । जानवान शानदानेन निर्मयोऽभयदानतः । प्रारदानात् सुखी नित्यं निधी भेषजाद्भवेत ॥१॥ १६६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४४ । ले. काल सं. १८६१ । ने० सं० ६८७ । क भण्डार । विशेष—इस ग्रन्थ को क स और द भण्डार में एक एक प्रति ( वै० सं० ७०४, १६, १९३५ ) और है। १६६७. शान्तिनाथपुराण-खुशालचन्द । पत्र सं० ५१ । प्रा० १२३४८ इच। भाषा-हिन्दी पद । विषय-पुराण । र• काल X । ले. काल XI पूर्ण । ३० सं० १५७ । छ भण्डार । विशेष-उत्तरपुरारा में से है। ट भण्डार में एक अबूर्ण प्रति { वे० सं० १८६१ ) पौर हैं। १६६८. हरिवंशपुराण-जिनसेनाचार्य । पत्र सं० ३१४ । मा० १२४५ १. । भाश-संसत । विषय-पुराण । र० काल शक सं० ७०५ । ले. काल सं० १८३० माघ सुदी १ । पूर्ण । वे० सं० २१६ । अ भण्डार । विशेष---२ प्रतियों का सम्मिश्रण है। जयपुर नगर में पं०डूगरसी के पठना प्रत्य की प्रतिलिपि को गई थी। इसी भण्डार में एक पूर्ण प्रति ( वे सं० २६८ ) मौर है। १६६६. प्रति सं०२ । पथ सं० ३२४ । ले० काल मं० १८३६ । ३० सं० ५२ । क मपार । १६७०. प्रति सं०३ । यथ सं० २६७ । से० काल सं० १८६. ज्येष्ठ सुदी ५ । ३० सं० १३२ । व वहार। विशेष-गोपाल नगर में ब्रह्मगंभोरसायर ने प्रतिलिपि की थी। Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ ] [ पुराण साहित्य १६७१. प्रति सं० ४ पत्र सं० २४२ से ५१७ । ले० काल सं० १६२५ कात्तिक सुदी २ । । मं० ४४७ । च भण्डार विशेष-श्री पूरणमल ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ४४९ ) घोर है । १६.०२. प्रति सं० ५ । पत्र सं० २७४ मे ३१३, ३४१ ते ३४३ | ० काल सं० १६६२ कार्तिक बुदी १३ । मपूर्ण वे० सं० ७६ । छ भण्डार । १६७२ प्रति सं० ६ | पत्र सं० २४३ । ले० काल सं० १६५३ चैत्र बुदी २ १ ० सं० २१० । अ भण्डार । विशेष - महाराजाधिराज मानसिंह के शासनकाल में सांगानेर में श्रादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी 1 लेखक प्रशस्ति अपूर्ण है । उक्त प्रतियों के अतिरिक्त च भण्डार में एक प्रति वे० सं० ४४९ छ भण्डार में दो प्रतियां ( ( ७६ में } और है । ११७४. हरिवंशपुराण --- ब्रह्मजिनदास | पत्र सं० १२८ श्र० ११३४५ इञ्च । भाषा–संस्कृत | विषय - पुराण । २० काल X। से० काल सं० १८५० पूर्ण ० सं० २१३ । भण्डार । मन्दिर में प्रतिलिपि करवाकर विराजमान किया गया। विशेष ग्रन्थ जोधराज पाटोदी के बनाये हुये प्राचीन पूर्ण प्रति को पीछे पूर्ण किया गया। भण्डार । विशेष- देवपल्ली शुभस्थाने पार्श्वनाथ चैत्यालये काष्ठासंघे नंदीतटग विद्यागी रामसेनान्वये श्राचार्य कल्याणकीर्तिना प्रतिलिपि कृतं । भण्डार | के शिष्य थे। १६७५. अति सं० २ | पत्र सं० २५७ | ले० काल सं० १६६१ भासीज बुदी ६ ० मं० १३१ | च भण्डार । १६७६, प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३४६ | ले० काल सं० १८०४ | ० सं० १३३ | घ भण्डार | विशेष- देहली में प्रतिलिपि की गई थी। लिपिकार ने महम्मदशाह का शासनकाल होना लिखा है । १६७७. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २६७ | ले० काल सं० १७३० १ ० सं० ४४८ | च भण्डार | १३७८ प्रति सं० ५ । पत्र सं० २५२ | ले० काल सं० १७८३ कार्तिक सुदी ५ ० सं० ६६ । म विशेष - साह मल्लूकचन्दजी के पठनार्थ बोली ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी । ०जिनदास म० सकलकी सि १६७६. प्रति सं० ६ पत्र सं० २६८ | ले० काल सं० १५३७ पोप बुंदी ३० सं० ३३३ | च विशेष- प्रशस्ति- सं० १५३७ वर्षे पौष बुद्दी २ सोमे श्री मूलसंघे बात्कारगणे सरस्वती श्री . Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ० कल्कीतिदेवा भ० तीतिदेव श्री अनभूषगोम शिष्यमुनि जयनंदि पठनार्थं । हूब ज्ञातीय....... भण्डार | और है। १६८१. हरिवंशपुराण - श्री भूषण | पत्र सं० ३४५ श्रा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय - गुरा । १० काल x । ले० काल X। अर्गा ० ४९१ | अ भण्डार । १६८२. हरिवंशपुराण - भ० सकलकीप्ति | पत्र मं० २७१ । प्रा० ११३८५ विषय - पुराण | र० काल X | ० काल सं० १६५७ चैत्र सुदी १० | पूर्ण । वे० मं० ८५० विशेष – लेखक प्रशस्ति फटी हुई है। १९८३. हरिवंशपुराण-धवल । पत्र मं० ५०२ मे ५२३ । विषय - सुरागार काल X | ले० काल X | | ० सं० १९९६ | अ भण्डार | १६८४. हरिवंशपुराण - यशः कीर्त्ति । पत्र सं० १६६ । ० १०३४३ । भाषा - अपभ्रं । विषय- पुरागा १० काल X ले० काल सं० १५७३ | फागुरण सुदी । पूर्ण वे० सं० १८ | विशेष -- तिजारा ग्राम में प्रतिलिपि की गई थी । अथ संवत्सरेस्मिन् राज्य संवत् १५७३ वर्षे फाल्गुण शुद्धि ६ रविवासरे श्री तिजारा स्थाने बलात्रलखो राज्य श्री फाष्ट प्रपूर्ण १९८५. हरिवंशपुराण - महाकवि स्वयंभू । पत्र सं० २० । मा० ६x४३ भाषा-अपभ्रंश विषयपुराण र कालं X | ले० काल x । अपूर्ण वे० मं० ४५० । च भण्डार । १६८६. हरिवंशपुराणभाषा - दौलतराम पत्र मं० १०० से २०० प्रा० १०८ भाषाहिन्दी गद्य विषय पुरा । र० काल सं० १८२६ चैत्र सुदी १५ । ले० काल x | पूर्णा । ० मं० ६८ । ग मण्डार | छ भण्डार । १६८०. प्रति सं० ७1 पत्र सं ० ४१३ | ले० काल सं० १६३७ माह बुदी १३ । वे० सं० ४६१ अ वशेष — ग्रन्थ प्रशस्ति विस्तृत है। उक्त प्रतियों के अतिरिक्त क रू एवं अ भण्डारों में एक एक प्रति ( ० सं० ८५१, २०६, ९७ भण्डार । च । भाषा - संस्कृत | क भण्डार । ० १०x४३ । भाषा-अपभ्रंश | प्रति सं० २ । पत्र मं० ५६६ | ले० काम सं० १९२६ भादवा सुदी ७ वे० सं० १०६ (क) १६. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ४२५ । ले० काल सं० १९०८ | वे० सं० ७२८ । स मन्हार । १६८६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ७०६ । ले० काल सं० १६०३ भासोज सुदी ७ ० सं० २३७ विशेष - उक्त प्रतियों के अतिरिक्त छू भण्डार में तीन प्रतियां ( ० सं० १३४, १५१ ) ङ तथा म भण्डार में एक एक प्रति ( ० सं० ६०६, १४४ ) और हैं। Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८] [ पुराण साहित्य १६६०. हरिवंशपुराणभाषा- खुशालचन्द्र । पत्र सं० २०७ । ० १४९७ इञ्च भाषा - हिन्दी विषय-पुराण २० काल सं० १७८० वैशाख सुदी ३ ले काल सं० १८६० पूर्ण । ० सं० ३७२ । श्र भण्डार । छ भण्डार । विशेष है। १६६१. प्रति सं० २ । सं० २०२ । ० काल सं० १८०५ पौध बुदी अपूर्ण वे० सं० १५४ । ८ विशेष - १ से १७२ तक पत्र नहीं हैं। जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । १६६२. प्रति सं० ३ | पत्र सं० २३४ । ले० काल X | ० सं० ४६६ । व्य भण्डार । विशेष --- प्रारम्भ के ४ पत्रों में मनोहरदास कृत नरक दुख वर्णन है पर अपूर्ण है । १६६३. हरिबंशपुराणभाषा पत्र सं० १५० । ० १२४५३ । भाषा - हिन्दी | विषय पुराण । १० काल X | ले० काल X। अपू । वे० सं० २०७ । ङ भण्डार । विशेष एक अपूर्ण प्रति । (सं० ६०८ और है। १६६४. हरिवंशपुराणभाषा ....... | पत्र सं० ३८१०८३४४२ च । भाषा - हिन्दी गद्य ( राजस्थानी ) | विषय - पुराण । २० काल x | ले० काल सं० १६७१ असोज बुदी पूर्ण । ० सं० १०२२ । म अ भण्डार । विशेष – प्रथम तथा अन्तिम पत्र फटा हुआ है । श्रदिभाग--अथ कथा सम्बन्ध लीखीयइ छई । तेणं कारणं तेणं समएवं समरणी भगवंत महावीरे रायगेहे समोसरीये तेहीज काल, तेही ज समउ, ते भगवंत श्री वीर व मानं राजग्रही नगरी भावी समोसा । ते किसा छड़ वीतराग चतोस प्रतिसइ करी सहित, परंतीस वचन वारणी करी सोभित, चउदसह साध छतीस सहस परवया । अनेक भाविक जीव प्रतिबोधता श्री राजग्रही नगरी आवी समोसरया । तिवारई वनमाली श्रावी राजा श्री सेणिक कनह । वारणी दिधी । सामी आज श्री वर्द्धमान मात्री समोसरथा छइ । सेणीक ते बात सांभली नई बधामणी श्रापी । राजा आपण महाहवत कउ वांदवांनी सामग्री करावर लाभ। ते कि सामां गलीसां" । कीउ । पछि श्रानंद भेरि उछली जय जयकार वद यज । भवीक लोक सघलाइ प्रानंद परियया । धन धन कहतां लोक सबलाई वांदिवा चाल्या । पछइ राजा एक सिवाक हस्ती सिणगारी उपरि छइ । मायई सेत छत्र धराप । उभइ पास चामर ढालइ | बंदी ज कई वार करइ छई | मंगिया जरा वडिद बोलइ छ । पांच शब्द बाजिय बाजते । चतुरंगिनी सेना सजकरी । राय रांगा मंडलीक मुकबधनी सामंत चउरासिया ......। एक अन्य उदाहरण- पत्र १६८ ती सध्या न हेमरथ राजा राज पाले दई । तेह राजा नइ धारणी राखी छ । तेह नउ भाव धर्म उरई । तेनी कुषि ते कुंमर पराइ ठानी। तेह नउ नाम बुधुकीत जाणिव ते पुरणु कुमर जाये सिस समान घई । इम करता ते कुंमर जोबन भरिया । तिवार पिताई तेह नई राज भार थाप्यज तिवारई तेग जाना सुख भोगता काल यतिक्रमदं वह । वली जिस न धर्मं घर कर छइ । Y Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ १५ पत्र संख्या ३७१ नागश्री जे नरक गई थी । तेह नी कथा सांभलउँ । तिणी नरक माहि थी। हे जीवनीकलिपः । पछई मरी रोइ सर्प थयउ । सयंम्भू रमणि दीपा माहि । पछाइ ते तिहां पाप करिवा लागउ ! पछई बली तिहां चको मरस पाम्यो । बीजे नरक गई तिहा तिन सागर आयु भोगवी । छेदन भेदन तापन दुख भोगवी । वली तिहा थकी ते निकलियउ। ले जीव पछइ चंपा नगरी माहि चांडाल उइघरि पुत्री उपनी तेहा निचकूल अवतार पाम्य । पछते एक बार वन मांहि तिहां उबर वीणीवा लागी। अन्तिम पाठ पत्र संख्या ३८०-८१ श्री नेमनाथ तिन विभवरण तारणहार तिसी सामी बिहार क्रम कीय। पछाई देस विदेस नगर पाटणना भवीक लोक प्रबोधीया। बलीनिणी सामी समकित ज्ञान चारित्र तप संपनीय दान दीयउ। पछह गिरनार पाया। तिहा समोसरया । पछह षणा लोक संबोध्या । पछइ सहस बरस पाउषउ भोगवीनई दस धनुष प्रमाण देह जाणवी । ईगी पर वणा दीन गया। पाइ एक मासउ गरयउ | पछइ जगनाथ जोग धरी नई। समो सरण त्याग कीयउँ । तिवारइ से घातिया कर्म षय करो चउदमई गुणठाणइ रह्या । तिहा यका मोष सिसि पया । तिहा भाठ गुण सहित जाणवा । वली पांच सई छत्रीस साध साथ मूति गया । तिरणी सामी प्रचल ठाम लाघउ । तेना मुखनीउपमा दोषी न जाई । ईसा सूखनासवी भागी थया। हिवइ रोक था सुगमार्थ लिखी छुइ'। जे काई विरुद्ध बात लिखागी होई ते मोध तिरती कीज्यो । वली सामनी साखि । जे काई मइ मापणी बुध थकी। हरवंस कथा माहि अघ कोउ स लौखीयर होइ। ते मिछामि दुकह था ज्यो | संबत् १६७१ वर्षे आसोज मासे कृष्णपक्षे अष्टमी तिथी। लिखितं मुनि कान्हजी पाउलीपुर मध्ये । विज......शिष्यरणी मार्या सहजा पठनार्थ । Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६५. चकलङ्क चरित्र - नाथूराम पत्र सं० १२ । प्रा० १२९७ इ । भाषा - हिन्दी | विषय - जैनाचार्य कलङ्क की जीवन कथा । २० काल X ० काल X। पूर्ण । ० सं० ६७६ । भण्डार । १६६६. अकलङ्कचरित्र " पत्र सं० १२ । श्रा० १२६६ हा भाषा - हिन्दी गद्य विषयचरित्र । र० काल X | ले • काल x | पूर्ण । दे० सं० २ क भण्डार । १६४७. अमरुशतक | पत्र सं० ६ । १०५४३ च । भाषा संस्कृत । विषय-काव्य । २० : काल X | ले० काल । पूर्ण ० सं० २२६ । ज भण्डार । . २६६८. उद्धवसंदेशाख्यप्रबन्ध पत्र [सं० ८. मा० ११३४५ इन्च भाषा-संस्कृत विषयवे० सं० ३१६ | अ भण्डार । । काव्य । १० काल X ] मे० काल सं० १७७६ | पूर्ण १६६६, ऋषभनाथचरित्र - भ० सकतकीर्त्ति पत्र सं० ११६ ० १२५ इश्च | भाषा–संस्कृत | विषय- प्रथमं तीर्थङ्कर प्राधिनाथ का जीवन चरित्र । २० काल x । ले० काल सं० १५६१ पौष बुढी ऽऽ । पूर्णा । वे सं० २०४० १ अ भण्डार । विशेष ग्रन्थ का नाम नादिपुराण तथा वृषभनाथ पुराण भी है। काव्य एवं चरित्र प्रशस्ति - १५६१ वर्षे पोष बुद्धी ऽऽ रवी । श्री मूलसंबे सरस्वतीमध्ये बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यास्वये भ० श्री ६ प्रभाचन्द्रदेवाः भ० श्री ६ पद्मनंदिदेवाः भ० श्री ६ सकलकीर्तिदेवाः भ० श्री ६ भुवनकीत्तिदेवाः भ० श्री ६ प्रभाचन्द्रदेशः भ० श्री ६ बिजयकीत्तिदेवाः भ० श्री ६ शुभचन्द्रदेवाः म० श्री ६ सुमतिकी सिंदेवा: स्थविराचार्य श्री ६ चंदकीत्तिदेवास्तुशिष्य श्री ५ श्रीवंत ते विप्य ब्रह्म श्री नाकरस्येदं पुस्तकं पठनार्थं । मण्डार । मण्डार । २००० प्रति सं० २ | पत्र सं० २०६ | से० काल सं० १८८० । ० सं० १५० | अ भण्डार | इस भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १३५ ) और है। २००१ प्रति सं० ३ । पत्र सं. १६० । ० काल एक सं० १६६७ | ० ० ५२ । क भण्डार । एक प्रति ये० सं० ६६६ की और है । २००२ प्रति सं० ४ । पत्र सं० १६४ | ले० काल सं० १७१७ फागुण बुदी १० । वे. सं० ६४ । २००३. प्रति सं० ५। पत्र सं० १८२ | ले० काल सं० १७५३ ज्येष्ठ गुदी ६ ० सं० ६५ । Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] छ भण्डार [ १६१ २००४. प्रति सं० ६ | पत्र सं० १७१ । ले० काल सं० १८५५ प्र० श्रावण सुदी ८ वे० सं० ३० । विशेष – चिमनराम ने प्रतिलिपि की थी। २००५. प्रति सं० ७ 1 पत्र सं० १८१ । ले० काल सं० १७७४ : ० सं० २८७ । न भण्डार । इसके अतिरिक्त व भण्डार में एक प्रति (वै० सं० १७६ ) तथा ट भण्डार में एक प्रति ( ० मं० २१८३ ) और हैं। २००६ ऋतुसंहार कालिदास | पत्र सं० १३ | ० १०X३३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य | २० काल X | ले० काल सं० १६२४ प्रासोज सुदी १० । वे० सं० ४७१ । न भण्डार । विशेष- प्रशस्ति--संवत् १६२४ वर्ष अवनि सुदि १० दिने श्री मलधार गच्छे भट्टारक श्री श्री श्री मानदेव सूरि तत् शिष्यभावदेवेन लिखिता स्वहेतवे | २००७. करकण्डुचरित्र -मुनि कनकामर । पत्र सं० ६१ । प्रा० १०३ ५ इञ्च । भाषा-प्रपभ्रंश | विषय- चरित्र र काल x । ले० काल सं० १५६५ फागुगा बुदी १२ | पूर्ण । ० सं० १०२ । क मण्डार । विशेष— लेखक प्रशस्ति बाला अन्तिम पत्र नहीं है । २०. करकण्डुचरित्र - भ० शुभचन्द्र । पत्र सं० २४ । प्रा० १०५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - चरित्र र काल सं० १६११ । ले० काल सं० १६५६ मंगसिर सुदी ६ । पू । ० सं० २७७ भण्डार विशेष- प्रशस्ति-संवत् १६५६ वर्षे मांगसिर सुदि ६ भीमे सोत्रा ( सोजत ) ग्रामे नेमनाथ चैत्यालये श्रीमत् काष्ठासं भ० श्री विश्वसेन तलट्टे भ० श्री विद्याभूषण तशिष्य भट्टारक श्री श्रीभूषण विजिरामेस्तद्विष्य प्र० नेमसागर स्वहस्तेन लिखितं । आचार्यावराचार्य श्री श्री चन्द्रकी तिजी तत्त्शष्य प्राचार्य श्री हर्षकीत्तिजी की पुस्तक | 1 २००६. प्रति सं० २ १ पत्र सं० ४६ । ले० काल X | वे० सं० २०४ । न भण्डार । पत्र सं० २१ । श्र० ६४६ इ । भाषा - हिन्दो | विषय -काव्य (शृङ्गार) र० काल X | लेकालX | श्रधू वे० सं० ११३ | ङ भण्डार । २०१०. कविप्रिया - केशवदेव | २०११. कादम्बरीटीका ---पत्र सं० १५१ से १८३ | श्र० १०३४४ । भाषा संस्कृत | विषय-काव्य | १० काल X | ने० काल X | पूर्ण | वे० सं० १६७७ । श्र भण्डार | २०१२. काव्यप्रकाशसटीक काव्य । १० काल X | ले० काल X: प्रचूर्ण । वे० सं० १६७८ । अ भण्डार | विशेष – टीकाकार का नाम नहीं दिया है । पत्र ०८३१ ० १०३४४३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय २०१३. किरातार्जुनीय - - महाकवि भारवि । पत्र मं० ४६ । प्रा० १०३४४१६' | भाषा-संस्कृत | विषय - काव्य र० काल X। ले० काल X १ अपूर्ण 1 ० सं० २०२ । भण्डार Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ } व्य एवं चरित्र २०१४. प्रति सं०२ । पत्र सं० ३१ से १३ । ले. काल X । अपूर्ण । ० सं० ३५ । स्व भण्डार। विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है। २०१५. प्रति सं०३। पत्र सं० ८७। ले० काल सं० १५३० भादवा बुदी ८ । वे० सं. १२२ । ॐ भण्डार। २०१६. प्रति सं०४। पत्र सं० ६६ । ले. कास सं० १९४२ भादवा बुदी । वे० सं० १२३ 1. भण्डार। विशेष-सांकेतिक टीका भी है। २०१७. प्रति सं०५१ पत्र . ६७ ले० काल सं० १८१७ | वे० सं० १२४ । हु भण्डार । विधोप-जयपुर नगर में माधोसिंहजी के राज्य में ६० गुमानीराम ने प्रतिलिपि करवायी थी। २०१८. प्रति सं०६ । पत्र सं० ८६ । ले० काल x 1 बे० सं० ६६ । च भण्डार । २०१६. प्रति सं०७1 पत्र सं० १२० । ले. काल ४ ० सं०६४ । छ भण्डार । विशेष प्रति मल्लिनाथ कृत संस्कृत टीका सहित है। इनके अतिरिक्त अ भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ६३८ ) ख भण्डार में एक प्रति ( वै० सं० ३५ ) च भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०७- ) तथा छ भण्डार में तीन प्रतियां ( ० सं० ६४, २५१, २५.२ ) और है। २०२०. कुमारसंभव-महाकवि कालिदास । पत्र सं० ४१ । मा० १२४५६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-काम्य । २० काल x 1 ले. काल सं० १७८३ मंगसिर सुदी २ । पूर्ण 1 वे सं० ६३६ | श्र भण्डार । विशेष-पृष्ठ चिपक जाने से अक्षर खराब होगये हैं। २०२१. प्रति सं०२। पत्र सं० २३ । ले. काल सं० १७५७ । वे० सं० १८४५ । जीर्ग । अ भण्डार । २०२२. प्रति सं०३1 पत्र सं० २७ । ले. काल X । व० सं० १२५ । हु भण्डार । मष्टम सर्ग पर्यंत । इनके अतिरिक्त अ एवं क भण्डार में एक एक प्रति (वे० सं० ११८५, ११३ ) च भण्डार में दो प्रतियां ( वे० सं०७१, ७२ ) अ भण्डार में दो प्रतियां ( वे० सं० १३८, ३१ ) तथा ट भण्डार में तीन प्रतियां ( वे सं० २०५२, ३२३, २१०४ ) और हैं । २.२३. कुमारसंभवदीका-कनकसागर । पत्र सं. २२। आ. १०x४, च। भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । र० काल ४ । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० २०३८ । श्र भण्डार । विशेष प्रति जीर्ण है। ०२४. क्षत्र-चूड़ामणि यादीभसिंह। पत्र सं० ४२ । प्रा० ११४४३ इन। भाषा-संस्कृत । . विषय-काव्य । र० काल सं० १६८७ सावरण बुदौ । पूर्ण । वै० सं० १३३ । भण्डार । विशेष--इसका नाम जोर्वधर चरित्र भी है। २०२५. प्रति सं० । पत्र सं० ४१ । ले. काल सं० १६१ भादत्रा बुदी है। ये ५७ ७३ । च भण्डार। विशेष—दीवान प्रमरचन्दजी ने मानूलाल वैद्य के पास प्रतिलिपि की थी। Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ १६३ च भण्डार में एक प्रपूर्ण प्रति ( वे० सं०७४') और है। २०२६. प्रति सं० ३१ पत्र सं० ४३ । ले. काल सं० १६०५ माघ सुदी । ० सं० ३३२। ब भण्डार २०२७. खण्डप्रशस्तिकाव्य..."। पत्र सं० ३ । प्रा० x५३ इंच | भाषा-संस्कृत । विषव-काव्य । र० काल X । ले. काल सं० १८.१ प्रथम भादवा बुदी ५ । पूर्ण । वे मं० १३१४ । अ भण्डार । विशेष-सवाईराम गोधा ने जयपुर में अंबावती बाजार के प्रादिनाथ चैत्यालय ( मन्दिर पाटोदी ) में प्रतिलिपि की थी। ग्रन्थ में कुल २१२ श्लोक हैं जिनमें रघुकुलमणि श्री रामचन्द्रजी की स्तुति की गई है । वैसे प्रारम्भ में रघुकुल की प्रशंसा फिर दशरथ राम व सीता आदि का वर्णन तथा रावण के मारने में राम के पराक्रम का वर्णन है। अन्तिम पुरिरका-इति श्री खंडप्रशस्ति काव्यानि संपूर्ण । २०२८, गजसिंहकुमारचरित्र-विनयचन्द्र सूरि । पत्र सं० २३ । प्रा० १.१४४६ इन्छ । भाषामंस्कृत | विषय-चरित्र । र० काल XI ले. काल X : मपूर्ण: । वै० सं० १३५ । ऊ भण्डार । विशेष–२१ व २२वा पत्र नहीं है । २०२६. गीतगोविन्दु--जयदेव । पत्र सं० २। मा० ११६४ा भाषा-संस्कृत । विषपकाम । र• काल X । लेख काल X । अपूर्ण । ० सं० १२२ । क भण्डार । विशेष-भालरागटन में गौड़ ब्राह्मण पंडा भैरबलान ने प्रतिलिपि की थी। २०३०. प्रति सं० २। पत्र सं० ३१ से काल सं. १८४४ ० सं० १५२६ ट मण्डार । विशेष-भट्टारक सुरेन्द्रकोसि ने प्रसिलिपि करवायी थी। इसो भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( ० सं० १७४६ ) और है। २०३५. गोतमस्वामीचरित्र-मंबलाचार्य श्री धर्मचन्द्र । पत्र सं० ५३ । मा० x इछ । भाषासंस्कृत विषय-चरिध । २० कास्न सं० १७२६ ज्येष्ठ सुदी २ । खे• काल X । पूर्ण । के० सं० २१ । अभयार। २०३२. प्रति सं०२। पत्र सं. ६. 1 से काल में० १८३६ कात्तिक सुदी १२।३० सं० १३२।क भण्डार । २:३३. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६० । ले. काल सं. १८१४ । वे० सं० ५२ । छ भन्डार । २०३४. प्रति सं०।। पंष २०५५ से. काल म० १६०६ कार्तिक सुनी १२ । २० सं० २१ । म भण्डार। २०३५. प्रति सं०५। पत्र सं० ३० । ले. काल X | ३० सं० २५४ । म भवार । २०३६. गौतमस्वामीचरित्रभाषा-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० १०८ । पा० १३xx । भाषा- . हिन्दो । विर्षय-परित्र । २० काल ।से. काल से."मंगसिर बुवी ५ । पूर्ण । मे० सं० १३३ । क महार । विशेष-मूलअन्यकर्ता प्राचार्य धर्मचन्द्र हैं। रचना संवत् १४२६ दिया है जो ठीक प्रसीव नहीं होता। Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ ] २०३७. घटकपकाव्य घटक पत्र सं० ४ ० १२४५३ काव्य | १० काल X | ले० काल सं० १८१४ । पूर्ण । ० सं० २३० | अ भण्डार | विशेष – पम्पापुर में आदिनाथ चैत्यालय में ग्रन्थ लिखा गया था। अ और प भण्डार में इसकी एक एक प्रति ( ० सं० १५४८, ७५ } और है । २०३६. चन्दनाचरित्र - भ० शुभचन्द्र । पत्र सं० ३६ ० १०५३ विषय-परित्र र० काल सं० १६२५ ० का ० १८३३ भादवा बुदी ११ । पूर्ण भण्डार । " भण्डार | भण्डार भण्डार भण्डार भण्डार क भण्डार । भण्डार । [ काव्य एवं चरित्र भाषा-संस्कृत विषय २०३६. प्रति सं० २ | सं० २४ मे० काल सं १८२५ माह बुदी ३१ वे० सं० १७२ क भाषा-संस्कृत | वे० सं० १८३ | अ १०४०. प्रति स० ३ । पत्र सं० ३३ ० काल सं० १०२३ द्वि० श्रावण २० मं० १६७ १ इसी भण्डार में एक प्रति ( २०४३. प्रति सं० ६ २०४१. प्रति सं० ४ पत्र सं० ४०० सं० १०१७ गए तुदी १००२४ म विशेष-- सांगानेर में पं० सवाईराम गोधा के मन्दिर में स्वपठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी । २०४२ प्रति सं० २७ ले० काल सं० १८६१ भादवा सुदी २०४४. चन्द्रप्रभचरित्र - वीरमदि । पत्र सं० १२० | मा० १२८५ च । भाषा-संस्कृत विषयचरित्र १० काल X ले० काल सं०] १५८६ पौष सुदी १२ पूर्ण वे० सं० ६१ अ भण्डार I विशेषस्ति पूर्ण है। २०४५ प्रति सं० २०१६ ० काल सं० १६४१ मंगसिर बुदी १० । ० सं० १७४ 1 ० सं० ५८ | छ ० ० ५७ ) और है। ० १०० १८३२ मंगसिर बुदी १० सं० १० ब : २०४६. प्रति सं० २०८ काल सं० १५२४ भादवा बुदी १० । ३० सं० १६ विशेषन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार है श्रीमत्वेडल पंजे विवुध सुनिजनानंदमंदे प्रसिद्ध रूपानामेति साधुः सकलकल मतक्षालनेक प्रवीण मव व्यस्तस्यपुत्रे जिनवर बचना राधको दानत्यास्तेनेदं चाकाम्यं निजकरलिखितं चन्द्रायस्य साथै सं० १५.२४ वर्षे भाना । बदोः ७ ग्रन्थ लिखितं कर्मक्षयानिमित्तं । 4 Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] भण्डार । [ १६५ २०४७ प्रति सं० ४ । पत्र सं० ५७ से ७४ । ले० काल सं० १७६५ | अपूर्ण वै० सं० २१७७ । ट विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १५८५ वर्षे फागुण बुदी ७ रविवासरे श्रीमूलसंघे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री नंददेषा तत् भट्टारक श्री देवेन्द्रको सिदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री त्रिभुवनकीत्तिदेवातट्टे भट्टारक श्री सहसकोनि वातशिष्य य० संजयंति इदं शास्त्रं ज्ञानावरणी कर्मक्षया निमित्तं लिखामिया ठीकुरदारस्थानी .. साधु लिखितं । इन प्रतियों के अतिरिक्त श्र भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० २४६ ) च भण्डार दो प्रतियां (०० १०८८) अ भण्डार में तीन प्रतियां (वे० सं० १०३, १०४, १०५ प एवं ट भण्डार में एक एक प्रति ( ० सं० १९४, २१६० ) और हैं। २०४८. चन्द्रप्रभकाव्यपंजिका - टीकाकार गुणनन्दि । पत्र सं ० ८६ ॥ मा० १०x४ इंच | भाषासंस्कृत । विषमकाव्य । २० काल x । ले० काल X | वे० सं० ११ का भण्डार । विशेष – मूलकर्ता प्राचार्य वीरनदि । संस्कृत में संक्षिप्त टीका दी हुई है । १८ सर्गो में है । २०४६. चंद्रप्रभचरित्रपञ्जिका - पत्र सं० २१ | आ० १०३४ ह | भाषा-संस्कृत विषयचरित्र | १७ काल X | ले० काल सं० १५६४ प्रासोज सुदी १३ । ० सं० ३२५ । ज भण्डार ! २०५०. चन्द्रप्रभचरित्र - यशः कीर्त्ति । पत्र सं० १०६ । मा० १०३२४३ । माषा-पत्र श तीर्थकर चन्द्रप्रभ का जीवन चरित्र । २० काल ४ । ले० काल सं० १६४१ पौष सुदी ११ । पूर्ण । वेल् मे०६६ । अ भण्डार विशेष – प्रथ संवत् १६४१ वर्षे पोह श्रुदि एकादशी बुधवासरे काव्ठासंधे मा ........... ( अपूर्ण ) २०५१. चन्द्रप्रभचरित्र - भट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं० ६५ | मा० ११४४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय-चरित्र | र काल X | ले० काल सं० १८०४ कार्तिक बुदी १० | पूर्ण । वे० सं० १ । अ भण्डार । विशेष – बसवा नगरे चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्राचार्यवर श्री मेरूकीति के नंदराम ने बनार्थ प्रतिलिपि की थी । शिष्य पं० परशुरामजी के शिष्य २०५२ प्रति सं० २ | पत्र सं० ६६ | ने० काल सं० १८३० कार्तिक सुदी १० । वे० सं० ७३ । क भण्डार । २०५३ प्रति सं० ३ । पत्र मं० ७३ । ले० काल सं० १०६५ जेठ सुदी ६ वे० सं० १६६ | इस प्रति के अतिरिक्त ख एवं ट भण्डार में एक एक प्रति (वै० सं० ४८, २१६९ ) और है । २०५४. चन्द्रप्रभचरित्र - कवि दामोदर ( शिष्य धर्मचन्द्र ) । पत्र सं० १४६ | मा० १०६४ भाषा-संस्कृत | विषय - चरित्र । २० काल सं० १७२७ भादवा सुदी ६ ले० काल सं० १८८१ सावा बुंदी ६ । पूर्ण ० सं० १९ । भण्डार । भण्डार Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ काव्य एवं परित्र विशेष-मादिभागॐनमः । श्री परमात्मने नमः । श्री सरस्वत्यै नमः। श्रियं चंद्रप्रभो नित्मां चंद्रदश्चन्द्र लांछनः । अघ कुमुदचंद्रोवद्रप्रभो जिनः बियात् ॥१॥ कुझामनवचो चूड जगतारणहेतवे । तेन स्ववाक्यसूरोस्नै मयोतः प्रकाशितः ॥२१॥ युगादी येन तीर्थशाधर्मतीर्थः प्रवत्तितः । तमहं वृषभं वंदे वृषदं वृषनायकं ॥३॥ चक्री तीर्थकरः कामो मुक्तिप्रियो महाबली । शांतिनायः सदा शान्ति करोतु नः प्रशांति कुत् ॥४॥ अन्तिम भागभन्नेत्राचल ( १५२१ ) शारापरक प्रमे वर्षेऽतीते नयमिदिवसेमासि भाद्रे सुयोगे । रम्ये ग्रामे विरचिमिदं श्रीमहाराष्ट्रनाम्नि नाभेयश्वप्रवरभवने भूरि शोभानिवासे ॥६५|| रम्यं चतुः सहस्राणि पंचवशयुतानि वे अनुष्टुपैः समाख्यातं श्लोकैरिदं प्रमारणतः ।।६।। इति श्री मंडलसूरिश्रीभूषण तत्पट्टगच्छेशा श्रीधर्मचंद्रशिष्य कवि दामादरविरचिते श्रीचन्द्रप्रम परिते निर्वाण गमन वर्णनं नाम सप्तविशति नामः सर्ग ॥२७॥ इति श्री चन्द्रप्रभवरित समाप्त । संवत् १८४ श्रावरण द्वितीय कृष्णपके नवम्यां तिथौ सोमवासरे सवाई जयनगरे जोधराज पाटोदी कृत मंदिर दिसतं पं. चोक्षचंद्रस्य शिष्य सुगरामजी तस्य शिष्य फस्यागणदासस्य तत् शिष्य थुशालचंद्रेण स्वहस्तेनपूर्णोकतं ॥ २०५५. प्रति सं०२। पत्र सं० १६२ । ले० काल सं० १८६२ पौष बुदी १४ । वे० सं० १७५ । क भण्डार। २०५६. प्रति सं०३ । पत्र सं० १.१ । ले. काल सं० १८३४ अषाढ सुदी २ । वै. सं. २५५ । म भण्डार। विशेष-५० चोखबन्दजी शिष्य पं० रामचन्द ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की थी। २०५५. चन्द्रप्रभत्ररित्रभाता-जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० ६६ | मा० १२६x६ । भाषा-हिन्दी । विषय-परित्र । २० काल १६वी असावी । ले. काल सं. १६४२ ज्येष्ठ मूदी १४ । वे० सं० १६५ । क भण्डार । बिगोष-केवल दूसरे सर्ग में पाये हुये माप प्रकरण के इलोकों की भाषा है। इसी भण्डार में तीन प्रतियां ( ३० सं० १६६, १६७, १६८ ) पौर हैं। Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काध्य एवं चरित्र ] [ १६५ २०५८. चारुदत्तचरित्र-कल्याणकीति 1 पत्र सं० १६ । प्रा. १७६४४, इन। भाषा-हिन्दी । विषय-सेठ चारुदत्त का चरित्र वर्णन । र० काल सं० १६६२ । ले. काल सं.० १७३३ कात्तिक बुदी ६ । मपूर्ण । वे सं०८७४।श्र भण्डार । विशेष –१६ से भागे के पत्र नहीं हैं । अन्तिम पत्र मौजूद है । बहादुरपुर ग्राम में पं० अमीचन्द ने प्रति लिपि की थी। आदिभाग-... ॐ नमः सिम्यः श्री सारवाई नमः॥ प्रादिजिनमादिस्वनु प्रति श्री महावीर । श्री गौतम गएर ननु वलि भारति गुणगंभीर ।।१।। श्री मूलसंघमहिमा घणो सरस्वतिगछ शृंगार । श्री सकलकत्ति गुरु अनुक्रमि नमुश्रीफ्ननंदि भवतार ॥२॥ तस गुरु भ्राता शुभमति श्री देवकीर्ति मुनिराय । चारुदत्त श्रेष्ठीतणो प्लबंध रौं नमी पाय ।।३।। .......... महारक सुखकार ॥ मुखकर सोभागि मति विचक्षण वदि वारा केशरी। भट्रारक श्री पपनंदिवरणकंज सेवि हरि ॥१०॥ एसह रे गछ मायक प्रगमि करि देवकीरति रे मुनि निज गुरु मन्य परी। धरिचित चरो नमि कल्याणकीरति इम भागौं । चारुदत्तकमर प्रबन्न रचना रघिमि पावर परिण ॥११॥ रायदेश मध्यि रे भिलो चास निज रचनामि के हरिपुर निहसि हसि अमर कमारनितिहां धनपति विस विलसए । प्रासाद प्रतिमा गित प्रतिकार मुक्त संचए ॥१२॥ सुकृत संमि रेवत बह पारि हान महोदवरे जिन पूजा कर करि उद्दव गान गंव चन्द्र जिन प्राचादए । नाजन सिमर सोहामण श्वान कनक करना विश्वास ॥ मंडप मभि समयमा मोहि थी जिन बिबरे मनोहर जन सोहि । Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ ] ।' मोहि जिनमन प्रति उन्नत मानस्तंभविशालए । ति विजयभद्रविक्षात सुन्दर जिनसासन रक्षपालए ||१४|| तहां चोमासि रे रचनां करि भण्डार । दोहा - भण्डार । सोलबार पिरे प्रासो अनुसरि । अनुसार सो शुक्ल पंचमी श्रीगुरु चरणरुदय धरि । कल्याणकीरति कहि सज्जन भरणो भावर करि ॥ १५ ॥ --शादर ब्रह्म संघ जीतरि विनय सहित सुखकार । 'ते देखि चारुदत्त तो प्रबंध रच्यो मनोहार ॥१॥ भरि सुरि भादर करि याचक निंदिय दान | इंद्री तो पद ते लहि अमर दीपि बहुमान || २ || इति श्री चारुदत्त प्रबंध समाप्तः ॥ विशेष – संवत् १७३३ वर्षे कार्तिक वदि ६ गुरुवारे लिखितं बहादुरपुरग्रामे श्री चिंतामनी चैत्यालये भट्टारक श्री ५ धभूषण तत्पष्ठ्ठे भट्टारक श्री ५ देविंद्रकोति तत् शिष्य पंडित श्रमीचंद स्वहस्तेन लिखितं । श्री रस्तु ॥ २०५६. चारुदत्तचरित्र - भारामह्न पत्र सं० ५० I छ भण्डार । चरित्र | २० काल मं० १८१३ सावन बुद्धी ५ । ले० काल X। पूर्ण २०६०. चारुदत्तचरित्र - उदयलाल । पत्र सं० १२ । मा० १२३८ इव । भाषा - हिन्दी गद्य विषय - चरित्र र० काल सं० १६२६ माघ सुदी १ । ले० काल ४ । ये० सं० १७१ २०६१. जम्बूस्वामीचरित्र ० जिनदास । पत्र सं० १०७ । विषय - चरिव १० काल X। ले० काल सं० १६३३ । पूर्ण वे० सं० १७१ । २०६२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११९ । ले० काल सं० १७५६ फागुण बुदी ५ ० सं० २५५१ अ ० १२४४३ भण्डार [ काव्य एवं चरित्र ॥ प्रा० १२४८ भाषा-हिन्दी विषयवे० सं० ६७८ अ भण्डार | २०६३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ११४ । ले० काल सं० १८२५ भादवा सुदी १२ १ ० सं० १८४ | क ख भण्डार में एक प्रति ( ० ० ५५ ) और है । २०६४ प्रति सं० ४ | पत्र [सं०] ११२ । ले० काल X | वे० सं० २६ । घ भष्टार । | भाषा-संस्कृत | विशेष – प्रति प्राचीन है। प्रथम २ तथा प्रतिम पत्र नये लिखे हुये हैं । २०६४ प्रति सं० ५ । पत्र सं० १५५ । ले० काल X। ० सं० १९९ | महार विशेष - प्रथम तथा पन्तिम पत्र नये लिखे हुये हैं । i Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ १६ २०६६. प्रति सं०६। पत्र सं० १०४। ले० काल सं० १८६४ पौष बुदी १४ । वे० सं० २०... भण्डार। २ ६७. प्रति सं० : 1 पत्र सं० ५७ । ले. काल सं० १८६३ चैत्र बुदी ४ । ३० सं० १०१ । च भण्डार। विशेष—महात्मा शम्भूराम ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी। २०६८, प्रति सं० । पत्र सं० १०१ । ले० काल' सं० १८२५ । वै० सं० ३५ । छ भण्डार । २०६६ प्रति सं० । पय सं. १२३ । ले० काल X । वे० सं० ११२ । न भण्डार । २०७२, जम्बूस्वामीचरित्र-पं० राजमल्ल । पत्र सं० १२६ | पा० १२३४५३ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । १० काल सं० १६३२ । लेक काल X । पूर्ण । वे० सं० १८५। क भण्डार । विशेष—१३ सर्गों में विभक्त है तथा इसकी रचना 'टोडर' नाम के साधु के लिए की गई थी। २०७१. जम्बूम्वामीचरित्र-विजयकीर्ति । पत्र सं० २० । मा० १३४८ इन्। भाषा-हिन्दी पा | विषय-चरित्र । र० काल सं० १८२७ फागुन बुदी ७ । ले० काल XI पूर्ण । वे० म०४०१ ज भण्डार । २०७२. जम्यूग्वामीचरित्रभाषा-पन्नालाल चौधरी। पत्र सं० १८३ । मा० १४३४५६ इच। भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-चरित्र । र० काल सं० १९३४ फागुण सुदी १४ । ले. काल सं० १६३६ । वे० सं० ४२७। श्र भण्डार । २०७३. प्रति सं० २१ पत्र सं० १६६ । ले० काल X । ० सं० १८६ । के भण्डार । २०७४. जम्यूस्वामीचरित्र-नाथूराम । पत्र सं० २८ । मा० १२६४८ - । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-चरित्र | २० काल X । ले. काल X । ये० सं० १६९ । छ भण्डार । २०७५. जिनचरित्र......पत्र सं• ६ से २० । प्रा० १०x४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र. काल । ले० काल X । अपूर्ण | वे० सं० ११०५ । अ भण्डार । २०७६. जिनदत्तचरित्र--गुणभद्राचार्य । पत्र सं० ६५ । मा० ११४५ इन्छ । भाषा संस्कृत | विषयचरित्र | र० काल X । ले. काल सं० १५६५ ज्येष्ठ बुदी १ । पूर्ण । वे० सं० १४७ | अ भण्डार । २०७७, प्रति सं०२। पत्र सं० ३२। ले० काल सं० १८१६ माघ सुदी ५ । वे० सं० १८६ । क विशेष लेखक प्रशस्ति फटी हुई है। २०५८. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६६ । ले. काल सं. १८९३ फागुण सुदी १ । ० सं० २.३ । * २०७४ प्रति सं०४पत्र सं०५३ । ले० काल सं० १९.४मासोज सूदी २। वे०सं० १.३ । च यम्हार। Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० । [ काव्य एव चरित्र २०६०. प्रति सं०५। पत्र सं० ३४। ले. काल सं० १८०७ मंगसिर सुदी १३। ० सं० १०४। भद्वार। विशेष-पह प्रते.५० चोखचन्द एवं रामद की थी ऐसा उल्लेख है। छ भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( वे० सं० ७१ ) और है। २०८१. प्रति सं०६ । पत्र सं० ५७ । ले० काल सं० १९०४ कार्तिक मुदी १२ । ३० सं० ३६ । न भण्डार। विशेष-गोपीराम बसवा वाले ने फागो में प्रतिलिपि की थी। २८८२. प्रति सं०७ 1 पत्र सं० ३८ । ले. काल सं० १७८३ मंगसिर बुदी ६ । वे० सं० २४३ । म भण्डार1 विशेष—मिलाय में पं. गोदन ने प्रतिलिपि.की थी। २०८३. जिनदत्तचरित्रभाषा-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० ७६ | प्रा० १३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्यं । विषय-परित्र । र० काल सं० १९३६ माघ सुदी ११ । ले. काल ४ । पूर्गा । वे० सं० १६० । क भण्डार । २८८४. प्रति सं० २ । पत्र सं० १० ! ले. काल ४ । ये० सं० १९१ । क भण्डार । २०६५. जीवंधरचरित्र--भट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं० १२१ । मा० ११४४ इ 1 भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र। र० काल सं० १५६६ । ले० काल सं. १८४० फागुण सुदी १४ । पूर्ण । वै० सं० २२। श्र भण्डार इसो भण्डार में २ अपूर्ण प्रतियां (वे. सं० ८७३, ८६९) और हैं। २०५६. प्रति सं०२। पत्र सं०७२ । ले० काल सं. १८३१ भादवा बुरी १३ । ३० सं० २०६३ क भष्टार। विशेष- लेखक प्रशास्ति फटी हुई है। २०५७. प्रति सं०३ । पत्र सं०६७ ० काल सं० १८६८ फागुण बुवी छ । ३० मं॥ ४१ । छ वियोग-सबाई जयनगर में महाराजा जगतसिंह के शासनकाल में नेमिनाथ जिन चैत्यालय ( गोषों का मन्दिर ) में वखतराम कृपाराम ने प्रतिलिपि की थी। २०८८. प्रति सं०४।१त्र सं० १.४। ले० काल सं० १८८० ज्येष्ठ वुदी ५ । ये० सं० ४२ | छ भण्डार। २०८६. प्रति सं० ५। पत्र ०१ । के काल सं. १८३३ वैशाख सुदी २ । ३० म० २७ । ज भण्डार। २०६०. जीबंधाचरित्र-नथमल विसाला । पत्र सं. ११४ । मा० १२x६३ हुन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-परित्र । र० काल सं० १८४० । ले. काल सं० १८५६ । पूर्ण । वै० सं. ४१७ । श्र भण्डार । Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र 1 [ में २०६१. प्रति सं०२। पत्र सं० १२३ । ले. काल सं० १९३७ चैत्र नुदी । वे० सं० ५५६ व भण्डार। २०६२. प्रति सं०३ । पत्र सं० १०१ मे १५१। ले. काल ४ । अपूर्ण । ३० सं० १७४३ । ट भण्डार। २०६३. जीबंधर चरित्र---पन्नलाल चौधरी । पत्र सं० १७० । प्रा० १३४५ छ । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-चरित्र । र० काल सं० १९३५ । ले काल ४ ! पूर्ण । वै० सं० २०७ । क मण्डार । २०६४. प्रति सं८ २ । पत्र सं० १३५ । ले. काल XI a सं० २१४ । ऊ भण्डार । विशेष—अन्तिम ५५ पत्र चूहों द्वारा खाये हुये हैं। २०६५. प्रति सं०३। पत्र सं० १३२ । ले. काल ४ ० सं० १६२ । छ भण्डार । २०६६. जीवंधरचरित्र''."| पत्र सं० ४१ । प्रा० ११३४८, रश्च । भाषा-हिन्दी गई । विषामरित्र । र० काल x | ले. काल X । अपूर्ण | वे० सं० २०२६ । अ भण्डार । २०६७. मिपाहचरि–कविरत प्रबुध के पुत्र लक्ष्मण देव | पत्र सं० १४ । पा० ११४४, इ.। भाषा-अपभ्रश | विषय-चरित्र । र० काल X| ले. काल . १५३६ शक १४०१ + पूर्ण । वै० सं० ६६ । अ भण्डार। २०६८. मिणाहचरिय-दामोदर | पत्र सं० ४३ । प्रा० १२४५ इच। भाषा-अपभ्रंश । विषयकाव्य । र० काल सं० १२८७ । ले० काल सं० १५८२ भादवा सुदी ११ । वे मं० १२५ । ब भण्डार । विशेष—चंदेरी में प्राचार्य जिन चन्द्र के शिष्य के निमित लिखा गया। २०६६. श्रेसठशलाकापुरुषचरित्र....। पत्र मं० ३६ से ६१ । प्रा० १०:४४ च । भाषा प्राकृत | विषय-चरित्र । र. काल X । ले० काल X । भपूर्ण । ३० सं० २०१० । अ भण्डार । ३०००. दुर्घटकाव्य...! पत्रं सं० ४ । प्रा० १२४५६ इच। भाषा-संस्कृत | विषय-काव्य । १० काल X । ले० काल x | वे सं० १८५१ । ट भण्डार ।। ३००१. द्वाश्रयकाव्य-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं. ६ | मा० १०x४६ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयकाब्ध11 र• काल X । से- काल X । पूर्ण । वे० सं० १८३२ । ट भण्डार । ( दो सर्ग हैं) ३००२. द्विसंधानकाव्य-धनञ्जय । पत्र मं० ६२ । मा० १.१४५३ इन। भाषा-संस्कृत । विषयकाच्य । र काल X । ले० काल ४ | अपूर्ण । ३० सं० ८५३ । अ भण्डार । विशेष—बीच के पत्र टूट गये हैं। ६२ से प्रागे के पत्र नहीं हैं। इसका नाम राषव पाण्डवीय काम्य ३००३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३२ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३३१ । क भण्डार । ३००४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ५६ । ले० काल मं० १५७७ भादवा बुदौ ११ । वे० सं० १५८ I भण्डार। विशेष--गौर गोत्र वाले श्री खेऊ के पुत्र पदारथ ने प्रतिलिपि की थी। Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १७२ ] [ काव्य एवं चरित्र ३००५. द्विसंधानकाव्यटीका-विनयचन्द । पत्र सं० २२ । प्रा० १२३४५६ इन्च | भाषा-संस्कृत। विषय-काव्य । २० काल X । ले. काल ४ | पूर्ण। ( पंचम सर्ग तक ) ० सं० ३३० । क भण्डार | द्विसंधानदीप:- निन्द। पृष्ठ- ३६१ | विषय-काव्य । भाषा-संस्कृत । र. काल ४ । ले. काल सं० १९५२ कात्तिक सुदी ४ । पूर्ण । वै० सं० ३२६ । क भण्डार । विशेष—इसका नाम पद कौमुदी भी है। ३००७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३५८ । ले० काल सं० १८७५ माघ सुदी ६ । वै० सं० १५५ । क. भण्डार । ३००८. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७० | ने० काल सं० १५०६ कात्तिक सुदी २। वे० सं० ११३ । ब महार। विशेष-लेखक प्रशस्ति अपूर्ण हैं । गोरावल (ग्वालियर ) में महाराजा गरेंद्र के शासनकाल में प्रतिलिपि की गई थी। ३००६. द्विसंधानकाव्यटीका....."पत्र मं० २६४ । प्रा० १०२४८ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषयकाम । २० काल X 1 ले० काल X । पूर्ण । धे० सं० ३२८ । क मण्हार | ३०१५. धन्यकुमारचरित्र-श्रा गुणभद्र । पत्र सं० ५३ । भा० १०४५ इन् । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल X।ले. काल x | पूर्ण । ३० सं० ३३३ । क भण्डार। ३०११. प्रति सं० २। पत्र सं० २ से ४५ ! ले० काल सं० १५६७ पासोज सुदी १० । अपूर्ण । वे० मं० ३२५ । भण्डार । विशेष-दूदू गांव के निवासी खण्डेलवाल जातीय ने प्रतिलिपि की थी। उस समय दूद्र (जयपुर) पर घटसोराय का राज्य लिखा है। ३०१२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३६ | ले. काल सं० १६५२ द्वि. ज्येष्ठ बुदी ११ 1 वे० सं० ४३ । छ अवार। विशेष-ग्रन्थ प्रशस्ति दी हुई है । भामेर में आदिनाथ रैत्यालय में प्रतिलिपि हुई। लेखक प्रशस्ति मपूर्ण है। ३०१३. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३५ । ले. काल सं० १६०४ । वे० सं० १२८ । ब भण्डार । ३०१४. प्रति सं०५ | पत्र सं० ३३ 1 मे० काल X । वै० सं० ३६१ । ब भण्डार । ३०१५. प्रसि सं०६। पत्र सं० ४ ले. काल सं० १६०३ भादवा सुदी ३ । वै० सं० ४५८ । १ भण्डार विशेष प्राथिका खींकायों ने ग्रन्य को प्रतिलिपि करके मुनि श्री कमलकीप्ति को भेंट दिया था। ३०१६. धन्यकुमारचरित्र-भ० सालकीत्ति 1 पत्र सं० १०७ । प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरिव । र• काल x Vले. काल >< | अपूर्ण । बे० सं० ६३ । श्र भण्डार । विशेष-पतुर्थ अधिकार सक है Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र । ३०१७. प्रति सं०२ । पत्र सं. ३६ । ले० काल सं० १८५० माषाढ़ बुदी १३ । वै० सं० २५७ । म भण्डार। विशेष–२६ मे ३६ तक के एक बार में लिखबार में पूकिमाया है : ३०१८. प्रति सं०३। पत्र सं० ३३ । ले• काल सं० १८२५ माघ सुदी १ । ० सं० ३१४ । अ भण्डार। ३०१६. प्रति सं०४। पत्र सं० २७ । ले. काल सं० १७. श्रावण सुदी ४ । प्रपूर्ण । ० म. ११०४ । अ भण्डार । विशेष.--१६वा पत्र नहीं है। म. मेघसागर ने प्रतिलिपि की थी। २०२०. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४१ । ले. काल सं० १८१३ भादवा बुदी ८ । वे० सं० ४४ । छ भण्डार | विशेष—देवगिरि । दौसा) में 4 बख्तावर के पठनार्थ प्रतिलिपिहई। कठिन शब्दों के हिन्दी में प्रर्ष दिये हैं। कुल ७ अधिकार हैं। ३०२१. प्रति सं०६। पत्र सं. ३१ । ले. काल X 1 वे० सं० १७ । । भण्डार । ३०२२. प्रति सं०७। पत्र सं०७८ । ले. काल सं० १९९१ वैशाख सुदी ७। वे सं० २१६७ । र भण्डार। विशेष--संवत् १६६१ वर्षे वैशाख सुदी ७ पुष्यनक्षत्रे वृधिनाम जोगे गुरुवासरे नंद्याम्नाये बलात्कारगरणे सरस्वती गच्छे...." ३०२३. धन्यकुमारचरित्र-० ने मिद च । पत्र सं० २४ । प्रा० १९x४३ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र | र० काल XI लेकाल X : पूर्ण । वै० सं० ३३२ । क भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। ३०२४. प्रति सं.२। पत्र सं० ५२ 1 से० काल सं० १९०१ पौष बुदी ३ | वे० सं० ३२७ । । भण्डार। विशेष-फोजुलाल टोंग्या ने प्रतिलिपि को थी। ३८२५. प्रति मं०३। पत्र सं. १८ । ले० काल सं० १७९० धावण सुदी ५ । पे० सं० ६६ । म + भम्हार। विशेष-भट्टारक देवेन्द्रकीति ने अपने शिष्य मनोहर के पठनार्थ अन्य की प्रतिलिपि की थी। ३०२६. प्रति सं०४ । पत्र सं० १६ । ले० काल सं० १८१६ फागुण बुढी । . मा ८७ । । मण्डार। विषेष-सवाई जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। २०२७. धन्यकुमारचरित्र-खुशालचंद । पत्र सं० ३० । पा. १४४७ । भाषा-हिन्दी पत्र । विषय-चरित्र । र० काल ४ । से. काल x पूर्ण । वे० सं० ३७४ । म भन्दार । Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ ] काव्य एवं चरित्र ३०२८. प्रति सं. २ | पत्र सं० ३८ । से. काल ४ | ० सं० ४१२ । श्र भण्डार । २०२६. प्रति सं३। पत्र सं० ६२ । ले. कालXI. सं० ३३४ । क भण्डार । ३०३०. प्रति सं०४। पत्र सं० ३१ । ले. काल ।. सं. ३२६ । भण्डार। ३०३१. प्रति सं०५। पत्र सं०४। ले. काल सं० १६६४ कात्तिक बुदी। वे० सं०५६३11 भबहार) ३०३२. प्रति सं०६ | पत्र सं०१८ । ले. काल सं. १८५२ । वै० सं० २४ | म भण्डार । ३.३३. प्रति सं ७१ पत्र सं. ६६। ले. कालXI. सं. ४६५ । ब भण्डार 1 विशेष-संतोषराम छाबड़ा मौजमाबाद वाले ने प्रतिलिपि की यो । ग्रन्थ प्रशस्सि काफी विस्तृत है। इनके मंतिरिक्त च भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ५६४) तथा छ और म भण्डार में एक एक प्रति { वे० सं० १६८ व १२ ) और हैं । . . ३८३४. धन्यकुमारचरित्र...! पत्र सं० १८ । प्रा० १०४, उच्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । १० काल x | ले. काल X । अपूर्ण | वे० सं० ३२३ । के भण्डार । ३०३५. प्रति सं० २ । पत्र सं० १८ । ले. काल । प्रपुरग। वे सं. ३२४ । ॐ भण्डार । ३२३६. धर्मशर्माभ्युदय-महाकवि हरिचन्द। पत्र सं० १५३ । मा० १०:४५: इन। भाषामंस्कृत । विषय-काप । २० काल X । ले. काल x 1 पूर्ण । वे० सं०६१ । अ भण्डार । .. ३.३.. प्रति सं०२ । पत्र सं.१८७ । ले. काल सं० १९३८ कात्तिक सुदी ८ । थे० सं० ३४८ । क भण्डार। विशेष-नोचे संस्कृत में संकेत दिये हुए हैं। ३०३८. प्रति सं०३। पर.सं. २५। ले. काल x। वे० सं० २०३ । ब भण्डार । विशेष—इसके अतिरिक्त अ तथा क भण्डार में एक एक प्रति ( बे० सं० १४१, ३४६ ) और है। ३०३६., धर्मशर्माभ्युदयटीका-यश कीचि । पत्र सं० ४ से ६६ । मा० १२४५ इन। भागसंस्कृत | विषय-काव्य । २० काल X| ले. काल X । पपूर्ण । वे० सं० ८५६ । भण्डार । बिशेष-टीका का नाम 'संदेह बात दीपिका' है। । ३०४०: प्रति सं०.२ । पत्र सं० ३०४ । ले० काल सं० १९५१ भाषाढ बुदी ! । पूर्ण | वे० सं० ३४७ । के भण्डार। विशेषनक भण्डार में एक प्रति ( ३० सं०.३४६ ) की और है। . . ३२४१. नलोदयकाच्य--माणिक्यसूरि । पत्र सं० ३२ से ११७ । मा० १.४४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । २० काल । ले० काल सं० १४४५ प्र० फागुन बुदो । अपूर्ण । वै० सं० ३४२ । र भण्डार। पत्र सं० १ से ३१ ५५, ५६ तथा ६२ से ७२ नहीं है । दो पर बीच के प्रौर हैं जिन पर पत्र सं० नहीं है । ... विशेषइसका नाम 'नलायन महाकाव्य' तथा 'कुबेर पुरान' भी है। इसकी रचना सं.-१४६४ के पूर्व हुई थी। जिन रत्नकोष में ग्रन्यकार का नाम मारिसक्यसूरि तथा मारिसक्यवेव दोनों दिया हुमा है । . . . Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ १४ प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- संवत् १४४५ वरें प्रथम फान वदि ८ शुक्र लिखितमिद थीमदराहिलपत्तने । ३०४२. नलोदयकाव्य-कालिदास । पत्र सं0 है। प्रा० १२४६३ च । भाषा-संस्कृत । विषयकाव्य । २० काल X ! ले. काल सं० १८३१ : वे० २०११।। मज । ३०४३. नवरत्नकाव्य"..."। पत्र मं० २ । पा. ११४५३ इंच 1 भाषा संस्कृत । विषय-काव्य : २० काल X । ले. कास XI पूर्ण । ये० सं० १०१२ | अ भण्डार | विशेष-विक्रमादित्य के नवरत्नों का परिचय दिया हुआ है। ३ ४५. प्रति.सं०२ । पत्र सं० १ । ले. काल X । ० सं० १९४६ । भण्डार । ३:४५. नागकुमारचरित्र-मल्लिषण सूरि । पत्र सं० २२ । प्रा. १०६x६३ इंच । भाषा-संस्कृत। विषय-चरित्र । र० काल XI ले० काल सं० १५६४ भादवा मुदी १५ । पूर्ण । वे सं• २३४ । श्र भण्डार । विशेष लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। संवत् १५६४ वर्ष भादवा सुदी १५ सोमदिने श्री मूलसचे नंद्याम्नाये बलात्कारपणे सरस्वतीगच्छे कुंदकुंदाबार्यान्वये भ० थी पमनंदिदेवा त० भ० श्री शुभचन्द्रदेवा त० म० श्री जिनचन्द्रदेवा त० भ० श्री प्रभाचन्द्रदेवा तदाम्नाये चण्डेलवालान्वये साह जिणदास सद्धार्या जमणादे त साह सांगा द्वि. सहसा नूर चुडा सा० सांगा भार्या सहवये दि. शृंगारटे सृ० सुरताणदे त. सा. यासा, धरणपाल अासा भार्या हंकार, धणपाल भार्या धारादे । दि० मुहागदे 1 सहसा मार्या स्वरूपदे ता मा० पासा द्वि० महिपाल। पासा भार्या सुगुणादे द्वि० पाटमदे त• काल्हा महिपाल 'महिमाद । चुडा भार्या चांदरगदे तस्याव सा० दासा तद्भार्या दाडिमदे तस्यपुत्र नरसिंह एतेषां मध्ये प्रासा भार्या अहंकारदे इदंशास्त्र.. निमंडलाचार्य श्री धर्मचंदाय । ३०४६. प्रति सं०२ । पन सं० २५ 1 ले. काल सं० १८२६ पौप सुदी ५। ये० सं० ३६५ । " भण्डार 1 ३०४७. प्रति सं. ३ । पत्र सं० ३५ १ ले. काल सं० १८०६ चैत्र बुदी ५ । ३० सं० १० । ष भण्डार। विशेष—प्रारम्भ के पत्र नवोन लिखे हुये हैं। १० से १६ तथा ३२वां पत्र किसी प्राचीन प्रति के हैं। अन्त में निम्न प्रकार लिखा है। पांडे रामवन्द के माथे पथराई पोयो । संवत १८०६ चैत्र वदी ५ सनिवासरे दिल्ली । ३०४८. प्रति सं०४ । पत्र सं० १७ । ले० फाल मं० १५८. । ३० सं० ३५३ । भण्डार । ३०४६. प्रति सं०५। पत्र सं. २५ । लेक काल सं० १६४१ माघ बुद्दी । व. म. YEE । म अपवार। विशेष--तक्षकग में कल्याणराज के समय में प्रा० भोपति ने प्रतिलिपि कराई थी। . , ३०५०, प्रति सं०६। पत्र सं० २१ । ले० काल - । अपूर्ण । वे० सं० १९०७ । भण्डार Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ ] [ ३०५१. नागकुमारचरित्र - पं० धर्मघर पत्र सं० ५५ ग्रा० १०३२४ इंच विषय-परि १० काल सं० १५११ श्रावण सुदी १५ । ने० काल सं० १९१६ बैशाख सुदी १० २३० । व्ा भण्डार | — ३०५०. नागकुमारचरित्र पत्र सं० २२० १९८५ इंच भाषा संस्कृत विषय चरि २० काल X ५ ले० काल सं० १८६१ मादना बुदौ ८ । पूर्ण । ० सं० ८६ । ज भण्डार । ३०५२. नागकुमारचरितटीका टीकाकार प्रभाचन्द्र सं० २ से २०० १०x४६ इंच भाषा-संस्कृत विषय-परि १० का X से बाल X ० सं० २०८ भार I विशेष प्रति प्राचीन है। घन्तिमा निम्न प्रकार है- - ३०५४. नागकुमारचरित्र - उदयलाल | पत्र ० ३६ चरित्र । ५० काल X। ले० काल X पुरीं । वे० सं० ३५४ | ङ भण्डार | श्री जयसिचदेवराज्ये श्रीमद्वारानिवासिनी परमेष्टिमागोपार्जितमलपुष्यनिराक्ताखिलकलंकेन श्रीमत्प्रभाचन्द्र पंडितेन श्री मत्पंचमी टिप्पण वृत्तमिति । ३०५५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३५ | ले० काल X | वे० सं० ३५५ | ङ भण्डार । पत्र [सं० ४५ ३०५६. नागकुमारचरित्रभाषा चरित्र | र० काल X | ले० काल X | पूर्ण । ० सं० ६७७ । २०५७ प्रति सं० २ पत्र ० ४० से० का काव्य एवं चरित्र भाषा-संस्कृत । पू० सं० १८५१ मागे नेमली के नर भए दिये हुये है। ० १३० इथ भाषा-हिन्दी विषय I नेम तस तात सघर मध्ये रे रह्या ज रूड भावो । चरत पाल्ये सात सारे सहस बरसना याच ॥ सहस वरसना भावज पूरा जिरवर करुटी भीडी । आठ कर्म कीधा बकरा पांच स तास सात पूरा जी । मंवत १५ चिठोत्तर फागुण मास भंकारी | सुद पंचमी सनीसर रे कीधो चरित उदारो ॥ कोमो चरत उदार भादा इस जाली थाड़ो बन २ समुद गिरानंदा ऋष जैम नह नेम जिरगंदा ।। ५२ ।। इति श्री नेमजी को चरित्र समाप्त श्री श्री भोजराज जी लिखतं कल्याणजी राजगढ मध्ये प्रा० १३४६ इथे भाषा हन्दी विषयभण्डार | ० सं० १७३ छ भण्डार ३०५८. नेमिजी का चरित्रआसन्द पत्र सं० २ से ५ । पा० ६x४३ भाषा - हिन्दी विषय चरित्रं । २० काल सं० १८०४ फागुण सुदी ५ | ले० काल सं० १८५१ अपूर्ण १० मं० २२५७ । भण्डार विशेष-अन्तिम भाग Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [130 " पत्र ० ७० ६४४६ भाषा-हिन्दी विषयपरिष ० ३५४ भण्डार २१६०. नेमिदूतकाव्य – महाकवि विक्रम | पत्र सं० २२ । ० १३८५ इव । भाषा-संस्कृत : विषय-काय र० काल X ० काम X पू० सं० २९१ क भरदार विशेष – कालिदास कृत मेघदूत के क्लोकों के अन्तिम चरण की समस्यापूर्ति है । २१६१. प्रति सं० २ ० ७ ० X ३० मं० ३७३ । म भण्डार । २१६२. नेमिनाथचरित्र - हेमचन्द्राचार्य पत्र सं० विषय-काव्य | र० काल X | ले० काल सं० १५८१ पी सुदी १ विशेष-प्रथम पत्र नहीं है। काव्य एवं चरित्र ] २१४६. नेमिनाथ के दशभव ० कान X से० काल सं० १६१८ २१६३. ते मिनिर्शण – महाकवि वाग्भट्ट । पत्र सं० १०० विषय- नेमिनाथ का जीवन वन । १० काल X | ले० काल x | पूर्ण वे० सं० ३६० २ क भण्डार २१६४. प्रति सं० २ । सं० ५५ । ले० काल सं० १८२२ ० ० ३६० क भण्डार विशेष—एक पूर्ण प्रतिक भण्डार में ( ० सं० ३८२ ) और है। २४६५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३५ । ले० काल X अपूर्ण । ० सं० ३८२ । भण्डार | २६६६. नेमिना f २ से ७८ । म्रा० १२x४३ इ । भाषा-संस्कृत । अपूर्ण ३० सं० २१३२ । ट भण्डार । काय १० काल x | ले काल x 1 अपूर्ण वे० सं० २९ । म भण्डार । S विशेष – ६२ से भागे पत्र नहीं हैं। प्रारम्भ काल X | काल ८०२५० १९६४ इंच भाषा विषय त्वामेश्वरं वितुष्ट कुमार पंजिका ॥ धरि-हर्षक २१६७. १० काल X पूर्ण १० सं० २०१६ भन्दार विशेष- पंचम सर्ग तक है। प्रति सटीक एवं प्राचीन है। २१६८. पद्मचरित्रसार प्रा० १३०५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | वनू ते एका प्रति पं० श्री राकोतिगरिन बिह पत्र सं० २३०० १०३८ भाषा-संस्कृ पत्र सं० १ ० १०४६ ४५ भाषा-हिन्दी विभय चरित्र । १० अपूर्ण । ० सं० १४७ । छ भण्डार विशेष-पपुराण का संक्षिप्त भाग है। २.१६६. पर्यायाकल्प २०० काल सं० १९९६ धपूर्ण ३०० १०५ विशेष—१२ वा वा २५ से ११ तक नहीं का प्रशस्ति मं० १६८६ वर्षे मूलतारामध्ये सुधावक सोनू तन् वधू हरमीत ०१०१०११३४संस्कृत विषय 1 भण्डार I धध्याय है। मृता Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * १८ ] [ काव्य एवं चरित्र २१७०. परिशिष्टपर्व......"। पत्र सं० ५.८ से ८० | प्रा० १०x४ इच। भाषा-संस्कृत । विषय- चरित्र । र० काल 1ले० काल सं० १६७३ । प्रपूर्ण । वे० सं० १६६० | अ भण्डार । विशेष-६१ ३ ६२वा पत्र नहीं है । वीरमपुर नगर में प्रतिलिपि हुई थी। २१७१. पवनदूतकाव्य-वादिचन्द्रसूरि । पत्र सं० १३ । प्रा० १२४५: च । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । र० काल ४ । ले० काल सं० १६५५ । पूर्ण । ३० सं० ४२५ । क भण्डार । विशेष- सं० १९५५ में राव के प्रसाद से भाई दुलीचन्द के प्रवलोकनार्थ ललितपुर नगर में प्रतिलिपिहई। २१७२. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ । ले. काल X । वे० सं० ४५६ । क भण्डार । २१.३. पाण्डवचरित्र लाल बर्द्धन । पत्र सं० ६७ | प्रा. १०३ च । भाषा-हिन्यो पद्य । विषय-चरित्र । र. काल सं० १७६८ । ले. काल सं० १८१७ । पूर्ण । वे सं० १९२३ । र भण्डार । २१७४. पार्श्वनाथचरित्र-बादिराज सूरि । पत्र सं० ६६ । प्रा० १२४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषा-पाश्र्वनाथ का जीवन चरित्र । २० काल दाक सं०६४७ ले. काल सं० १५७७ फागण दी है। पूर्ण । अत्यन्त जीर्ण । ० सं० २२५८ | श्र भण्डार | विशेष-पत्र फटे हुये तथा गले हुये हैं । ग्रन्थ का दूसरा नाम पार्श्व पुराणा भी है। प्रशस्ति निम्न प्रकार है यवत् १५७७ वर्षे फाल्गुन बुदी १ श्री मूलसंधे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे मंद्याम्ना भट्टारक धी पनदि तत्पट्टे भट्टारक. श्री शुभचंद्रदेवास्तत्प? भट्टारक श्रीजिनचन्द्रदेवास्तारपट्ट भट्टारकोप्रभानन्द्रदेवास्तवाम्नाये साधु गोत्रे माह काधिल तस्य भार्या कोवलदे तयोः पुत्रः चतुर्विधदान कल्पवृक्ष: साह बछा तस्य भार्या पदमा तयोः पुत्र पंचाइए। तस्य भार्या बातापदे तयो पुत्रः: "साह दूलह एसे नित्यं प्रणमति । २५७५. प्रति सं० २१ पत्र सं० २२ । से० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १०७ । म्व भण्डार । विशेष-२२ मे मागे पत्र नहीं हैं। २५७६. प्रति सं० ३ । पत्र मं० १०५ । ले० काल सं० १५६५ फाल्गुण सुदी २। व०म० २१८ । च मधार । विदोष- -लेखक प्रशस्ति वाला पत्र नहीं है। .. २१७६. प्रति सं०४। पत्र सं० ३४ । ने० कास्न सं० १८७१ चैत्र सुदी १४ । व० मं० २१६ 1 च भण्डार।। २१४६. प्रति सं०५ पत्र सं०६५। ले. काल सं० १६८५ भाषाढ़ । वै० सं० १६ । छ भण्डार । २१. प्रति सं०६ । पत्र सं० ६७ । ले० काल सं० १७८५ । वै० म० १०५ । बभण्डार । विशेष-वृन्दावती में प्राधिनाथ देत्यासय में गौद्धन ने प्रतिलिपि की थी। Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] २१८०. पार्श्वनाथचरित्र-भट्टारक सकलकीर्ति । पत्र सं० १२० । मा० ११४५ इच । भाषासंस्कृत । विषय-पार्श्वनाथ का जीवन वर्णन । र० काल १५वीं शताब्दी । ले. काल सं. १८८८ प्रथम वेगास मुरी ६. पूर्ण । ने० सं० १३ अ भण्डार। २१३१. प्रति सं०२ । पत्र सं० ११० । ले. काल सं. १८२३ कात्तिक बुदी १० । वै० मं ।। कभण्डार। २१८२. प्रति सं०३ | पत्र सं० १६१ । ले० काल सं० १७६१1 वे० सं०७० । घ भण्डार । २१८३. प्रति सं०४ । पत्र सं० ७५ से १३६ । ले० काल सं० १८०२ फागुण बुदी ११ । अपूर्ण । ३० सं० ४५६ । भण्डार । विशेररि: संवत् १८०२ वर्षे फाल्गुनमासे कृष्णपक्ष एकादशी बुधे लिखितं श्रीउदयपुरनगरमध्येसुश्रावक-पुण्यप्रभावन षोदेवगुरुभक्तिकारक श्रीसभ्यस्त्वमूलवादशवतधारक सा. श्री दौलतरामजी पठनाय । २१८४. प्रति सं०४। पत्र सं० ५२ से २२६ । ले० काल सं० १८५४ मंगसिर मुदी २ । अपूर्ण 1 के सं. २१६ । च भण्डार । विशेष प्रति दीवान संगही ज्ञानचन्द की थी। २१. प्रति सं०६ पत्र सं० ९ | ले काल सं.१७८५ प्र० बैशाख मुदी । वै० सं० २१७ | च भण्डार1 विशेष-प्रति खेमकर्मा ने स्वपठनार्थ दुर्गादास से लिखवायी थी। २१८६. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ११ । ले० काल मं० १८५२ श्रावरण सुदी है । घे० मं०१५ । ब भण्डार। विशेष-40 श्यौजीराम ने अपने शिष्य नौनदराम के पठनार्थ गंगाविषण से प्रतिलिपि कराई। २१८७. प्रति सं०८ । पत्र सं० १२३ । ले० काल X। पूर्ण । वे मं० १६ । ब भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। २१८८. प्रति सं० । पत्र सं० ६१ से १४४। ले० काल सं० १७८७ । अपूर्ण । .सं. १६४। ट भण्डार। विशेष—इसके अतिरिक्त श्र भण्डार में ३ प्रतियां (वे. सं.१०१३, १२७४, २३६) कतबा घ भण्डार में एक एक प्रसि ( वे० सं० ४६६, ५० ) तथा व भण्डार में ४ प्रतियां ( वे० सं० ४५६, ४५६, ४५७, ४५८) ब तथा द भण्डार में एक एक प्रति (वे० सं० २०४, २१८४ ) और हैं। २१८६. पार्श्वनाथचरि---रइधू । पत्र संत ८ से ७६ 1 प्रा० १.x । माषा-अरन । विषय-चरित्र । २० काल ४ । ले. काल ४ । अपूर्ण । वै० म० २१२७ । ट भण्डार। २१६०. पार्श्वनाथपुराण-भूधरदास | पत्र सं० १२ मा० १.६x६ । भावा-स्लिी । रियमपावर्षनाथ का जीवन वर्णन । र० काल सं.१७८६ आषाढ सुदी ५ । ले. काल म-१५३ पूर्ण ।.सं. ३५६ । श्र भण्डार। Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० ] [ काव्य एवं चरित्र २१६१. प्रति सं० २१ पत्र सं०८६ | ले. काल सं० १९२६ । वे सं० ४४७ 1 अ भण्डार । विशेष-तोन प्रति और हैं। २१४२. प्रति सं०३। पत्र सं०६२ । ले० काल सं० १८६० माह जुदी । ३० सं० ५७ । म भण्डार1 २१६३. प्रति सं४। पत्र सं०६३ ले. काल सं. १८६१ । दे० सं०४५ । भण्डार । २१६४. प्रति सं०५ । पाना : ! ले. ना.. ५: - भण्डार । २१६५. प्रति सं०६/ पत्र सं० १२३ । ले. काल सं० १९८१ पौष सुदी १४ । बै० सं० ४५३ । , भण्डार। २१६६. प्रति सं०७। पत्र सं० ४६ से १३० । ले० काल सं० १९२१ साबन बुदी ६ | वे० सं० १७५ । छ भण्डार। २१६७. प्रति सं०८ पत्र सं०१००। लेकाल सं० १५२०।०सं० १०४ । म भण्डार । २१६८. प्रति संक। पत्र सं० १३० । ले. काल सं. १८५२ फागुण बुदी १४ । वे० सं० १० । ब भण्डार । विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। सं० १९५२ में लूणकरण गोधा ने प्रतिलिपि की। २१६६. प्रति सं० १० । पत्र सं० ४६ से १५४। ले. काल सं० १९०७ । अपूर्ण । वे० मं० १८४ । ब भण्डार। २२००. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ६२ । से. काल सं० १८६६ प्राषाढ खुदी १२ । बै० सं०५८ । र भण्डार। विशेय-फतेहलाल संघी दीवान ने सोनियों के मन्दिर में मं० १६४० भादवा सुदी ४ को बढ़ाया। इसके अतिरिक्त अ भण्डार में तीन प्रतियां (वे० सं० ४५५, ४०६, ४४७ ) गड तथा व भण्डार में एक एक प्रति ( वे० सं० ५६, ७१ ) ॐ भण्डार में तीन प्रतिया ( ० सं० ४४६, ४५२, ४५४ ) च भव्हार में ५ प्रतियां ( वे० सं० ६३०, ६३१, ६३२, ६३३, ६३४ ) ब भण्डार में एक तथा ज भण्डार में २ (दे० २० १५६, १. २) तथा द भण्डार में दो प्रतियां (३० सं० १९१९, २०७४ ) और हैं । २२०१. प्रद्युम्नचरित्र-६० महासेनाचार्य । पत्र सं० ५८ : प्रा० १.१४४६. इनभाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल X । लेस काल X । मपूर्ण । वे० सं० २३६ । च भण्डार । ०२. प्रति सं० २। पत्र सं० १.१। ले. काल X । वे० सं० ३४५ । ब भण्डार । २२८३, प्रति सं०३ । पत्र सं० ११८ | ले. काल सं० १५६५ ज्येष्ठ नुदी ।। ये मं० ३४६ । ब भण्डार। विदोष---संवत् १५६५ वर्षे ज्येष्ठ बुवी चतुर्थीदिने गुरुवासरे सिदियोगे मूलनक्षत्रे श्रीमूलसंधे नंयाम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुंदकुंदाचार्यान्वये भ० श्रीपद्मनंदिदेवास्तत्प? भ० श्रीशुभचन्द्रदेवास्तत्पट्टे भ० श्रीजिनमेंद्र Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ १८१ देवास्तत्पट्ट भा श्री प्रमावन्द्रदेवास्तछिप्य मंडन्नाचार्य श्रीधर्मचन्द्रदेवास्तदाम्नाये रामसरनगरे श्रीचंद्रप्रभचैत्यालय खंडेलबालान्वये कांटरावालगो सा० वीरमस्तद्रभार्या हरषखू । तत्पुत्र सा० वेला तद्भार्या वोल्हा तत्पुत्रो द्वो प्रथम माह दामा द्वितीय साह पूना ! सा० दामा तद्भार्या गोगो तयाः पुचः सा पोथि तला होस । पूना झापा कोइल तयोः पुत्रः सा० खरहय एतेषां मध्ये जिनपूजापुरंदरेण सा० चेलाख्येन इदं श्री प्रद्युम्न शास्त्रलिखाप्य ज्ञानावरणी कर्म क्षयार्थ निमित्तं सत्पात्रायमं श्री धर्म इन्द्राय प्रदतं। २२०४. प्रद्युम्नचरित्र-आचार्य सोमकीन्ति । पत्र सं० १९५ । मा० १२४५३ ह । भाषा-संस्कृत | विषय-चरित्र । र० काल सं० १५३० । ले. काल सं० १७२१ । पूर्ण । ३० सं० १५५ । अ भण्डार । विशेष-रवना संवत् 'क' प्रति में से है। संवत् १७२१ वर्षे मासौज बदि शुभ दिने लिखितं पावर { भामेर ) मध्ये लिखापि प्राचार्य श्री महोवंद्र कीतिजी | लिखितं जोसि श्रीधर ।। २२.५. प्रति स० २१ पत्र सं० २५५ । ले. काल सं. १८८५ मंगसिर सुदी ५ | वे सं० ११३ १ ख भण्डार। विशेष—लेखक प्रशस्ति अपूर्य है। भट्टारक रत्नभूषण की ग्राम्नाय में कासनीवाल गोत्रीय गोवटीपुरी निवासी श्री राजलालजी ने कर्मोदय के ऐलिंचपुर प्राकर हीरालालजी से प्रतिलिपि कराई। २२०६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १२६ । ले. काल X । मपूर्ण । वे० सं० ६१ । ग भण्डार । २२०७. प्रति सं०४ । पत्र सं० २२४ । ले० काल सं० १८०२ । वे० सं० ६१ । घ भण्डार । विशेष-हांसी ( झांसी ) वाले भैया श्री हमाल अग्रवाल श्रावक ने ज्ञानावर्णी कर्म क्षयार्थ प्रतिलिपि करवाई थी । पं0 जयरामदास के शिष्य रामचन्द्र को सम५ श की गई । २२०८ प्रति सं०५ । पत्र सं० ११६ से १६५ । ले० कास सं० १८६६ सावन सुदी १२ । व० सं. '०७I भण्डार । विशेष—लिख्यतं पंडित संगहीजी का मन्दिर का महाराजा श्री सवाई जगससिंहजी राजमध्ये लिखी परित गोनदासेन प्रात्मार्थ । २२८६. प्रति सं०६। पत्र सं० २२१ । से. काल सं० १८३३ श्रावरण बुदी ३ । मं. १६ | F भाडार। विशेष—पंडित सबाईराम ने सांगानेर में प्रतिलिपि को थी । ये मा. रत्नकीनिजी के शिष्य थे। २२१०. प्रति सं०७ । पत्र सं० २०२। से० काल सं० १८१६ मार्गशीर्ष सुदी १.१. . १ । अभडार। विशेष-.-बखतराम ने स्वपठनार्थ प्रतिनिपि की थी। Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ ] [ काव्य एवं चरित्र २२११. प्रति सं०८ । पत्र सं० २७४ । ले. काल सं० १८०४ भादवा बुदी है । वै० म० ३७४ । अ महार। विशेष—अगरवन्दजी चांदवाड़ ने प्रतिनिधि करवायी थी। इसके अतिरिक्त अ भण्डार में तीन प्रतियां ( वै. सं० ४१६, ६४८, २०६६ तथा इ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५०८ ) और है। २२१२. प्रद्युम्नचरित्र . । पथ सं० ५० । मा० ११४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल X 1 ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० २३५ । च भण्डार । २२१३. प्रद्युम्नचरित्र-सिंहकवि । पत्र सं० ४ से ८६ । प्रा० १०६x४: इंच । भाषा--अपभ्रंश । विषय-मरित्र । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण | वे० सं० २००४ । अ भण्डार । २२१४. प्रद्युम्नचरित्रभाषा-मन्नालाल । पत्र सं० २०१ । मा १३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषय-चरित्र । रकाल सं० १६१६ ज्येष्ठ बुदी ५ । ले. काल सं० १९३७ बैशाख बुदौ ४ । पूर्ण । ० सं० ४६४| क भवार २२१५. प्रति सं० २। पत्र सं० ३२२ । ले० काल सं० १९३३ मंगसिर सुदी २ । वै० सं. ५०६ । छ भण्डार। २२१६, प्रति सं०३। पत्र सं० १७० । ले० काल X । ० सं० ६३८ । च भण्डार । विदोष-रचयिता का पूर्ण परिचय दिया हुपा है। २०१७. प्रद्युम्नचरित्रभाषा.....! पत्र सं० २७१ । मा० ११:५७, इश्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषयचरित्र । २० काल X । ले० कान मं. १६१६ । पूर्ण । वे० सं० ४२० । अ भण्डार । २२१८. प्रीतिकरचरित्र-न नेमिदत्त । पत्र सं० २१ । प्रा० १२४५५ इंच । भाषा-गंम्वत । बिपग-चरित्र । रत काल X । ले० काल . १८२७ मंगसिर बुवी ८ । पूर्ण वे० सं० १२६ । अ भण्डार । १६. प्रति सं.२ । पत्र सं० २३ । ले. काल सं० १८६४ । वे० सं०५३०। क भण्डार । २२.८. प्रति सं०३१ पत्र सं. ३४ । लेकाल-प्रपूर्ण वे० सं० ११६ । ख भण्डार । .. . विशेष–२२ से ३१ पत्र नहीं हैं। प्रति प्राचीन है। दो सौन तरह की लिपि है। २१. प्रति सं०४। पत्र मं० २० । ले. काल सं० १८१० वैशाख । वे० सं० १२१ । ब भण्डार । २.२२. प्रति सं.५। पत्र सं० २५ । ले. काल सं० १६७६ प्र० श्रावण मुको १० । वे० सं० १२२ । ख भण्डार । २२०३. प्रति सं०६। पत्र सं० . १४ । ले. काल सं० १८३१ श्रायण सुदी ७ । ३० सं० ११ । भण्डार । विशेष- खोखचन्द के शिष्य पं. रामचन्दजी ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। इसकी दो प्रतियां व भण्डार में ( वे म.. १२०, २८६ ) और हैं ।। Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ १८३ . २०२४. प्रीतिकरचरित्र-जोधराज गोदीका। पत्र सं० १० १० ११x इ । भापा-हिन्दी । विषय-वरित्र । २० नाल सं. १७२१ । ले. काल XI पूर्ण । वै० सं० ६८२ । अ मण्डार । २२२५. प्रति सं०२ । पत्र सं. ११ । ल. काल ४। ये० सं० १५६ 10 महार । २२२६. ति सः ३ पत्र सं० २0६३ । नेक काल X । अपूर्ण । 2सं० २३६ । भण्डार । २२२७. भद्रबाहुचरित्र-बिनन्दि । पत्र से २२ | मा० १२४५६ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । र काल Xले. काल सं०१८२७ । पूर्ण । ० सं० १२८ । अ भण्डार। २२२८. प्रति सं । पत्र सं० ३४ | ले: काल x 1. सं० ५५.१ । क भण्डार । २२८६. प्रति सं०३। पत्र सं० ४७ । ले० काल सं० १६७४ पौष मुदी । वे० सं० १३० । ख भण्डार। विशेष-प्रथम पत्र किसी दूसरी प्रति का है। ३ . प्रति सं०४ । पत्र सं० ३४ । ले० काल सं० १७०६ बैशाख बुदो ह । वे० सं० ५५८ । च मण्डार। विशेष-..-महात्मा राधाकृष्ण (कृधागढ) किशनगढ़ वालों ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी। २.३५. प्रति सं०५ पत्र सं. ३१ । ले० काल मं० १५१९ । वे० सं० ३७। छ भण्डार। विशेष-बखतराम ने प्रतिलिपि की थी। २२३२, प्रति सं० [पत्र सं० २१ । ले. काल सं० १७६३ पासोज सुदी १० । सं० ५१७ । २ भण्डार। विशेष-होमकीति ने बोली ग्राम में प्रतिलिपि की थी। २२३३. प्रति मं. ७ । पत्र सं० ३ से १५ । ले. काल X| अपूर्ण । ३० सं० २१३३ ! ट मण्डार । २२३४. भद्रबाहुचरित्र-नवलकवि । पत्र सं०४८ । प्रा० १२:४८ इक। भाषा-हिन्दी | विषयचरित्र । र० काल Xt काल सं० १९४८ | पूर्ण । ३० सं० ५५६ | 5 मण्डार । २२३५. भद्रबाहुचरित्र-चंपाराम । पत्र सं• ३८ | प्रा. १२३४८ इन्न । भाषा-हिन्दी गद्य । विषयचरित्र । २० काल सं० श्रावण सुदी १५ । ले० काल ४।० सं० १६५१ छ भण्डार । २२३६. भद्रबाहुचरित्र "पत्र सं० २७ । पा० १३४८ इश । भाषा-हिन्दी। विषय-वरिष । २० काल X । ले० काल XI पूर्ण | वे० सं०६८५ । अ भण्डार | २२३७. प्रति सं.२) पत्र सं०२८ मा० १३४८ इंश्च । माषा-हिन्दी विषय-चरित्र ।र०कास। ने० काल x। पूर्ण । वे सं० १६५ । छ भम्हार | . २२३८. भरतेशवैभव "..."| पत्र सं० ५ । प्रा०.११४४ । भाषा-हिन्दी पच । विषा-परिन । २० काल । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० १४६ ! छ भण्डार । Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ ] काव्य एवं चरित्र ] २२३t. भविष्यदत्तचरित्र-५० श्रीधर । पत्र सं० १०८ | मा० taxxइछ । भाषा-संस्कृत ! विषय-चरित्र । र० कालXI ले. काल XI पूर्ण । दे० सं० १०२ | श्र भण्डार । वि--- कराहगा है। संस्कृत में संक्षिप्त टिप्पण भी दिया हमा है। २२४०. प्रति सं० २१ पत्र सं. ६४ | ले. काल सं० १६१४ माघ बुदी । ये० सं० ५५३ । क भण्डार। विशेष—ग्रन्थ की प्रतिलिपि तक्षकगढ़ में हुई थी । लेखक प्रशस्ति वाला मन्तिम पत्र नहीं है । २२४१. प्रति सं०३ । पत्र सं• ६२ । से काल सं० १७२४ बैशाख बुदी है । वे० सं० १३१ । ख भण्डार। विशेष—मेडता निवासी साह श्री ईसर सोगारणी के घंश में से सा० राडचन्द्र की भार्या रणादे ने प्रतिनिति करवाकर मंडलाचार्य श्रीभूषण के शिष्य रूपचन्द को कर्मक्षयार्थ निमित्त दिया। २२४०. प्रति सं०४। पत्र सं० ७० । ले० काल सं० १६६२ जेठ सुदी ७। वे० सं० ७५ । घ . भण्डार1 विशेष-मजमेर गढ मध्ये लिखितं अर्जुनसुत जोसी सूरदास । दूसरी ओर निम्न प्रशस्ति है। हरसार मध्ये राजा श्री सावलदास राज्ये खण्डेलवालान्चय साह देव भार्या देवलदे ने ग्रन्य की प्रतिलिपि करवायी थी। २२४३. प्रति सं०५ । पत्र सं० ३५ । ले. काल सं० १८३७ मासोज सुवी ७ । पूर्ण । ३० सं० ५६५ । भण्डार। विगेष-लेखक पं० गोवर्दनदास । २२४४. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ८६ । ले० काल X I वे० सं० २६३ । च भण्डार । २२४५. प्रति सं०७। पत्र सं० ५० । ले० काल - ० सं०५१ । प्रपूर्ण छ भण्डार । विशेष--कहीं कहीं कठिन शब्दों के मर्थ दिये गये हैं तथा अन्त के २५ पत्र नहीं लिखे गये हैं। २२४६. प्रति सं० । पत्र सं० ६५ । ले० काल सं० १६७७ पाषाद सुदी २ । बै० सं० ७७ । व्य भण्डार। विशेष–साधु लक्ष्मण के लिए रचना की गई थी। २२४७. प्रति सं० । पत्र सं० ६७ । ले. काल सं. १६६७ प्रासोज सुदीह। ० सं० १६४४ भण्डार । विशेष—पामेर में महाराणा मानसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी। प्रशस्ति का प्रतिम पत्र नहीं हैं। २९४८. भविध्यदत्तचरित्रभाषा-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० १००। मा० ११३xs: इंच । भाषा-हिन्दी (गद्य) | विषय-वरिख । २० काल सं. १९३७ | ले. काल सं० १९५० । पूर्ण । ० सं० ५५४ । क भण्डार Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काम्य एवं परित्र ] [ १८५ २२४६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११५ । ले. काल वे० सं० ५५५ । क भण्डार । २२५०. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १३८ । ले० काल सं १९४७ । ३० सं० ५५६ । क भण्डार । २२५१, भोज प्रबन्ध-पंडितप्रवर बहाल । पत्र सं० २६ । प्रा० १२:४५ इंच। भाषा संस्कृत । विषय-काव्य । २० काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ५७७ । क भण्डार । २२५२. प्रति स०२ । पत्र सं० ५२ । लेक काल सं० १७११ मासोज बुदी ६ । वे० सं० ४६ । पपूर्ण। भ भण्डार । २२५३. भौमचरित्र-भ रत्नचन्द । पत्र सं० ४३ । प्रा० १०४५ इन। भाषा-संस्कृत | विषयचरित्र । १० काल X I ले. बाल सं० १८४६ फागुण बुदी १ । पूर्ण । वे. सं• ५६४ । क भण्डार। २२५४. मंगलकलशमहामुनिचतुष्पदी-रंगविनयगरिण । पत्र सं० २ से २४ । मा १०x४ इ। -भाषा-हिन्दी (राजस्थानी) विषय-चरित्र । र काल सं० १७१४ श्रावण सुदी ११ । ने हाल १० मा २०० ८४ | अभधार । विशेष--चौतोड़ा ग्राम में श्री रंगविनयगरण के शिम्य दयामेरु मुनि के वाचनार्थ प्रतिलिपि की गयी पो।। राग धन्यासिरी एह वा मुनिवर निसदिन गाईयइ, मन सुधि ध्यान लगाइ । पुण्य पुरूषणा गुग धुरगतां छतां पातक दूरि पुलाइ ॥१॥॥ रातिबरित्र थकी ए चउपई कीधी निज मति सारि । मंगलकलसमुनि सतरंगा कह्मा गुरण प्रातम हितकारि ॥२॥ १० ॥ गछ खरतर युग पर गुण प्रागलउ श्री जिनराज सुरिंद । तसु पट्टधारी सूरि शिरोमणी श्री जिनरंग मुरिणय ।।४।एक || तासु सीस मंगल मुनि रायनउ चरित कहेज स सनेह । रंगविनय वाचक मनरंग सु जिन पूजा फल एह ॥५।। ए० ॥ नगर अभयपुर प्रति रलियामरणउ जहां जिन पहनउसाल । मोहन मूरति बीर जिणंदनी सेबक जन सु रसाल ॥६॥ ए.॥ जिन अनइवलि सोयत पणी जूणा देवल ठाम । जिहां देवी हरि सिख गेह गहइ पूरइबंछित काम जाए निरमल नीर भरपउं सोहरं पाणु ऊझ महेश्वर नाम। माप विधाता पनि प्रवती कीचड की मत्ति काम || जिहां किरण श्रावक सगुण शिरोमणी धरम मरम नउ जाए । श्री नारायण्वास सराहियइ मानद जिरावर भार ६ ए. ।। Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ ] ___ [ काव्य गवं चरित्र . प्रासू तराइ प्राग्रह ए चउपई कीधी मन उल्लास । मधिवउ उछउ जे इहाँ भालियउ मिछा दुक्कड़ तास ॥१०॥ ए. ॥ शासा नायक वीर प्रसाद थी चपी बडीय प्रमाण । भसिस्य सुरिणम्य जे नर भावसु धारयई तासु कल्याण ॥११॥ ए." ए संबंध सरस रस गुण भरयउ माय मति अनुसारि । धरमी जण गुण गावरण मन रली रगविनय सुखकार ।।१२।। ए०॥ एह वा मुनिवर निसि दिन गाईयइ सर्व गाथा दूहा ।। ५३२ ।। इति श्री मंगलकलसमहामनिचउपही संपूर्तिमगमत लिखिता श्री संवत् १७१७ वर्षे श्री मासोज सुदी विजय इसमी वासरे श्री चांतोडा महाग्रामे राजि श्री परतापसिंहजी विजयराज्ये वाचनाचार्य श्री रंगविनयगणि शिष्य पण्डित दयामेरु मुनि आत्मश्रेयसे शुभं भवतु । कल्माणमस्तु लेखक पाठकयोः । २२४५. महीपालचरित्र-चारित्रभूषण । पत्र सं० ४१ | मा० ११६४५, इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २. काल सं० १७३१ थावण सुदी १२ (छ)। ले० काल मं० १८१८ फागुण सुदी १४ । पूर्ण । वे सं० १९५ | अ भण्डार । विशेष-जोहरीलाल गोदीका ने प्रतिलिपि करवाई। २२४६. प्रति सं०२ । पत्र सं. ४६ । ले० काल ४।० सं० ५६१ । - भण्डार । २.५७. प्रति सं०३ । पत्र'सं. ४२ । ले० काल सं. १९२८ फाल्गुण सुदी १२ । थे. में० २७१ । च भण्डार। विशेष-रोड्राम वैद्य ने प्रतिलिपि की थी। २२५८. प्रति सं०४। पत्र सं० ५५ । ले० काल X I ० सं० ४६ । छ भण्डार । २२५६. प्रति सं० ५। पत्र सं० ४५ | ले. काल X| ये० सं० १७० । छ भण्डार । २९६. महीपालचरित्र-भक रखनन्दि । पत्र सं. ३४ । मा० १२४५६ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र ! २० काल X । ले० काल सं० १८३६ भादवा बुदी ६ । पूर्ण । वे मे० ५७४ । क भण्डार 1 २२६१. महीपालचरित्रभाषा नथमल । पत्र सं०६२। पा० १३४५ च । भाषा-हिन्दी गछ । विषय-चरित्र । १० काल सं० १६१८ । से० काल सं० १९३६ श्रावण सुदी ३ । वे० सं० ५७५ । क भण्डार । विशेष- मूलकर्ता चारित्र भूषण । २२६२. प्रति सं०२। पत्र सं. ५ | ले० काल में० १९३५ । मे० सं० ११२ । र भण्डार । विशेष—प्रारम्भ के १५ नये पत्र लिखे हुये हैं। कवि परिचय-नयमल सदासुख कासलीवाल के शिष्य थे । इनके पितामह का नाम दुलोनाद तपा पिता का नाम विवचन्द था। Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरि भण्डार । भण्डार । २२६४. मेघदूत - कालिदास । पत्र सं० २१ भण्डार । २० काल X | ले० काल X। प्रपूर्ण वे० सं० ६०१ । २०६५ प्रति सं० २ | पत्र सं० २२ | ले० काल X ३ ० सं० १६१ । ज भण्डार । विषप्रति प्राचीन एवं संस्कृत टीका सहित है। पत्र जीर्ण है । X अपूर्ण वे० सं० १६८६ ट भण्डार [ १८ २०६३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ५७ | ० बाल सं० १९२६ श्रावण सुदी ७ पूर्ण सं० ६६३ १ भण्डार । 1 भण्डार । २२६८. मेघदूतटीका - परमहंस परिव्राजकाचार्य । पत्र सं० ४८ | प्रा० १०२४ इश्च । भाषासंस्कृत । विषय-काव्य । २० काल सं० १५७१ भादवा सुदी ७ । पूर्ण । वे० सं० ३६६ ॥ न भण्डार । भण्डार । ० १२५३ २७ । भाषा-संस्कृत विषय-काव्य । २२६६. यशस्तिलक चम्पू – सोमदेव सूरि । पत्र सं० २५४ | श्र० १२५ ४६ इ । माषा-संस्कृत गद्य पद्य विषय-राजा यशोधर कर जीवन दर्शन र० काल शक सं० ८८१ । ले० काल X। मपूर्ण वै० सं० *५१ । श्र भण्डार विशेष – कई प्रतियों का मिश्रा है तथा बीच के कुछ पत्र नहीं हैं । २२७० प्रति सं० २ । पत्र सं० ५४ । ले० काल सं० २२७१. प्रति सं० ३ | पत्र - ३५ । ले० काल सं० २२६९ ३९ विशेष - प्रति प्राषोन एवं संस्कृत टीका सहित है। २२६७. प्रति स० ४ । पत्र सं० १८ । ले० काल सं० १८५४ येशा मुदी २ | वे० सं० २००५ २ १६१७ | वे० सं० १९८२ । १५४० फागुण सुदी १४ विशेष- करमी गोवा ने प्रतिलिपि करवाई थी। जिनदास करमी के पुत्र थे । २२७२ प्रति सं० ४ । पत्र सं० ६३ । ले काल X ० ० ५९१ । के भण्डार | २२७३. प्रति सं० ५३ पत्र [सं० ४५६ ० काल सं० १७५२ मंगसिर बुदी ६ भण्डार । ० सं० ३५६ । अ २२७५. यशस्तिलकथम्पू टीका -- श्रुतसागर । यंत्र सं० ४०० | मा० विषय-काव्य । १० कान X ले० कान सं० १७६९ भामोज सुदी १० । पूर्ण । ० विशेष- मूनकर्ता सोमदेव सूरि । r वे० सं० ३५१ न विशेष दो प्रतियों का मिश्रण है। प्रति प्राचीन है। कहीं कहीं कठिन शब्दों के अर्थ दिये हुये हैं । मंदावती में नेमिनाथ चैत्यालय में भ० जगत्कोति के शिष्य पं० दोदराज के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। २२०४. प्रति सं० ६ पत्र सं० १०२ से ११२ । ले० काल x | अपूर्ण वे० सं० १८६०८ | 2 १२४६ इंच | साषा-संस्कृत | ० १३७ मण्डार Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १] २२७६. यशस्तिनकचम्पूटीका" | पत्र सं० ६४६ | मा० १२३४७ वे० सं० ४८८ | क भार । काव्य । १० काल X। ले० काल सं० १०४९ | पूर्ण २२७७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६१० | ले० काल X | वे० सं० ५८६ क भण्डार 1 २२७५ प्रति सं० ३ | पत्र सं० ३८१ । ले० बाल X वे० सं० ५६० क भण्डार । २२७६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४०३ से ४५२ | ले० काल सं० १६४५ अपूर्ण वे० सं० ४८७ | क भण्डार । २२८०. यशोधर चरित - महाकवि पुष्पदन्त । पत्र सं० ८२ । ० १०४ इञ्च । भाषा-पपभ्रंश । विषय - चरित्र । २० काल X | ले० काल सं० १४०७ प्रासोज सुदी १० | पूर्ण । वे० सं० २५ । भण्डार | विशेष—संवत्सरेस्मिन १४०७ वर्षे अश्वनिमासे शुक्लपक्षे १० बुधवासरे तस्मिन चन्द्रपुरीदुर्गे होली पुरविराजमाने महाराजाधिराजसमस्त राजाबली सेव्यमाण खिलजीवंश उद्योतक सुरित्राणमहमूदसाहिराज्ये तद्विजयराज्ये श्रीकाष्ठासंबे मायुरान्वये पुष्करगणे भट्टारक श्री देवसेन देवास्तट्टे भट्टारक श्री विमलसेन देवास्त भट्टारक श्रीधर्मसेन देवास्त भट्टारक श्री भावसेन देवास्तत्पट्टे भट्टारक श्री सहस्रकीति देवास्तत्पट्टे श्रीगुणकीर्ति देवास्तत्पट्ट भट्टारक श्री यशःकीत्ति देवास्तपट्टे भट्टारक मलयकोति देवास्तच्छिष्य महात्मा श्री हरिषेण देवास्तस्याम्नायं प्रयोतकान्वयं मीतलगोत्रे साधु श्रीकरमसी सद्भार्यामुनखा तयोः पुत्रास्त्रयः जेष्ठः सा मैवाल द्वितीयः सा. पूना तृतीयः सा. झामण | साधु मैरणपाल भायें बाऊ भूराही मा. कारण पुत्र जगमल मोमा एतेषांमध्ये हदं पुस्तकं ज्ञानावरलीकर्म्म क्षयार्थं वाइ वधो इ यशोषरचरित्रं लिखाप्य महात्मा हरिषेणदेवा, दत्तं पठनायें । लिखितं पं० विजयसिंहेन । व भण्डार । [ काव्य एवं चरित्र भाषा-संस्कृत विषय पूर्ण है। महार । भण्डार । २२८१ प्रति सं० २ । पत्र सं० १४५ । ले० काल सं० १९३६ । वे० सं० २६८ | के भण्डार । विशेष – कही कहीं संस्कृत में टोका भी दी हुई है। २२८२ प्रति सं० ३ | पत्र सं० ६० से ६८ | ले० काल सं० १६३० भादो ...। श्रपूर्ण । वे सं० २८८ विशेष-प्रतिलिपि आमेर में राजा भारमल के शासनकाल में नेमीश्वर चैत्यालय में की गई थी। प्रशस्ति २२५३. प्रति सं० ४ | पत्र [सं० ६३ । ले० काल सं० १८६७ प्रासोज सुदी २ । बै० सं० २०६१ च २२८४. प्रति सं० ५ । पत्र ०८६० काल सं० १६७२ मंगसिर सुदी १० । वे० सं० २०७१ न २२६४. प्रति सं० ६ | पत्र ०८६ ले० काल ४ । वे० सं० २१२६ । भण्डार २२६६. यशोधर चरित्र - भ० सकलकीति | पत्र ० ५१ ० १०६५ । भाषा-संस्कृत । विषय-राजा यशोधर का जीवन वर्णन ८० काल X | ले० काल x । पूर्ण । वे० सं० १३४ । अ भण्डार । Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ २५ २२८७. प्रति सं०२। पत्र सं. ४६ । से. काल xi० सं० ५६६ । क भण्डार । १२८८. प्रत सं. पत्र में० २ से ३७ । ले. काल सं० १७६५ कात्तिक मुदी १३ । अपूर्ण । । सं० २८४ च भण्डार। २५८८. प्रति सं. ३ पथ सं० ३८ । ले० काल सं० १९६२ पासोज सुदी ६ । ० सं० २८५ । च भण्डार । विशेष-40 नोनिधराम ने स्वपठनार्थ प्रतिनिपि की थी। २२६०. प्रति म०४ । पथ सं० ५६ । ले. काल सं० १८५५ पासोज मुदी ११ । वे सं० २२ | छ भण्डार। २२६१. प्रति सं०५। पर सं० ३८ । ले. काल सं. १८६५ फागुण सुदी १२० सं० २३ । च भण्डार। २२१२. प्रति सं०६ । पव सं० ३५ । से. कात X । ० सं० २४ । छ मण्यार । विशेष प्रति प्राचीन है। २२६२. प्रति सं०७। पत्र सं ४१। ले. काल सं० १७७५ मेष बुदी ६।३० सं० २५ । विशेष—प्रशस्ति- संवत्सर १७७५ वर्षे मिली चैत्र दुरी ६ मंगलबार । भट्टारक-मिरोरत्न भट्टारक श्री श्री १०८ श्री देवेन्द्रकी सिजो तस्य प्राशाविधायि माचर्य श्री सेमकीति । पं. भोसकन्द ने बसई ग्राम में प्रतिलिपि की प्रीअन्त में यह और लिखा है संवत् १३५२ घेलो भाँसे प्रतिहा कराई लाडणा में सक्स्पिो ल्होडमाजण उपको । २२६४. प्रति सं०८ । पत्र सं. २ से ३८ । ले. काल सं० १७० भाषाढ बुदी २ । अपूर्ण । वे सं. २६ | ज भण्डार। २२६५. प्रति सं परसं० ५५ | ले. कालx०सं०१४। म प्रभार। विशेष-प्रति सचित्र है । ३७ चित्र हैं, मुगलकालीन प्रभाव है । 4. गोवर्दनजी के शिष्य पं० टोडरमल के लिए प्रतिलिपि करवाई थी। प्रति दर्शनीय है। २२६६. प्रति सं०१०। पत्र सं० ५५ । मे० कास सं० १७६२ जेष्ठ सुदी १४ । अपूगी। वे हैं.' ve. अण्डार। विशेष—प्राचार्य शुभषन्द्र ने टोंक में प्रतिलिपि की थी। अ भण्डार में एक प्रति { वे० सं० १०४ ) क भण्डार में दो प्रतियां ( ३० सं० ५९६, ५६७ ) पौर हैं। - २२१७. यशोधरचरित्र-कायस्थ रानाभ ने पत्र में ७० । मा० ११xv | भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल X । ले. काल सं० १८३२ पौष वदी १२ । २० सं० ५६२ । क भन्डार । Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० ] भण्डार । विशेष- यह ग्रन्थ मसिरो से प्राचायं भुवनकीर्ति की शिष्या प्रार्थिका मुक्तिधी के लिए वयासुन्दर से लिखवाया तथा बैशाख सुदी १० सं० १७६५ को मंडलाचार्य श्री प्रनन्तकोत्तिजी के लिए नाथूरामजी ने समर्पित किया । ! विशेष -- मानसिंह महाराजा के शासनकाल में श्रामेर में प्रतिलिपि हुई। · २३०१. प्रति सं० ५ १ पत्र सं ० ५३ । ले० काल सं० १०३३ पौष सुदी १३ । वे० सं० २१ । छ भण्डार | - [ काव्य एवं चरित्र ० सं० १५२ । ख २२६८ प्रति सं० २ । प्रति सं० ६८ ० बाल सं० १५९५ सावन सुदी १३ । २२६६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ५४ । ले० काल X | वे० सं० ८४ । घ भण्डार । विशेष --- प्रति नवीन है । ०३०० प्रति सं० ४ । पत्र सं० ८५ । ले० काल सं० १६६७ । वे० सं० ६०६ । रू भण्डार । विशेष – सवाई जयपुर में पं० वखतराम ने नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी । २३०२ प्रति सं० ६ । पत्र सं० ७६ । ले० काल सं० भादवा बुदी १० । वे० सं० ६६ । ञ भण्डार । विशेष - टोडरमलजी के पठनार्थ पांडे गोरधनदास ने प्रतिलिपि कराई थी। महामुनि गुणकीप्ति के उपदेश मे ग्रन्थकार ने ग्रन्थ की रचना की थी । भष्हार । २३०३. यशोधरचरित्र - वादिराजसूरि पत्र सं० २ से १२ । विषय- चरित्र । र० काल X। ले० काल सं० १८३६ । अपूर्ण । वे० से० ८७२ । 1 ० ११५ | भाषा-संस्कृत । भण्डार । ५६५ । क भण्डार | २३:४. प्रति सं० २ । पत्र सं०] १२ । ले० काम १८२४ । वे० सं० २३०५, प्रति सं० ३ | पत्र सं० २ से १६ । ले० काल सं० १५.१५ । श्रपूर्ण वे० सं० ८३ घ विशेष—खक प्रशास्ति प्रपूर्ण है । २३०६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २२ । ले० काल x | वे० सं० २१३८ । द भण्डार विशेष – प्रथम पत्र नवीन लिखा गया है। २३०७. यशोधर चरित्र - पूरणदेष | पत्र से० ३ से २० प्रा० १०४४९ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-परि । १० काल X | ले० काल X | अपूर्ण जीर्स । वे० मं० २८१ । च भण्डार । २३०८. यशोधरचरित्र – वासवसेन । पत्र सं० ७१ । भा० १२९४३ इव । भाषा - संस्कृत] | विषय चरित्र । १० काल सं० १५६५ माघ सुवी १२ । पूर्ण वे० सं० २०४ । छा भण्डार विशेष प्रवास्ति संवत् १५५ वर्ष माघमासे कृष्णपक्षे द्वादशीदिय से बृहस्पतिवासरे मूलनक्षत्रे राव श्रीमाल राज्यप्रवर्तमाने रावत श्री सेतसी प्राता सांखीण नाम नगरे श्रीशांतिनाथ जिखचैत्यालये श्रीमूल संवेदलात्कारगणे सरकवतो गच्छे A. Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] नंद्याम्नाये श्रीकुंदकुंदाचायनये भट्टारक श्रीपयनं व देवास्तत्पट्ट भ. श्री शुभच देवास्तापर्ट भ० थी जिगा चन्द्रदेवास्तसट्ट भ. श्री प्रभावन्द्रदेवास्तदाम्माये खंडेलवालान्तये दोशीगोने सा. सिहुणा तद्भार्या तोली तयोपुत्रास्त्रयः प्रथम भा. ईसर द्वितीय टोहा तृतीय सा. ऊल्हा ईसरभार्या अपिणी तयाः पुत्राः चत्वारः प्र० मा० लोहट द्वितोय सा भूरगा तृतीय सा ऊधर चतुर्थ सा. देवा सा. लोहट भार्या ननिताद तयोः पुत्राः पंच प्रथम धर्मदास द्वितीय सा. धौरा तृतीय लूणा चतुर्य होला पंचम राजा सा. भुणा भार्या भगासिरि तयोपत्र नगगज साह ऊधर भा उसिरी तयोः पुषी दो प्रथम लाला द्वितीय खरहथ- सा० देवा भार्या द्योसिरि तयों पुत्र धनिउ त्रि० धर्मदाम भार्या धर्मश्री चिरंत्री धीरा भार्या रमायी सा. टोहा भार्य तु वृहद्धीला लघ्वी सुहागदे तत्पुत्रदान पुण्य शीलवान सा. नाल्हा तद्भार्या नयरणवी सा० अल्हा भार्या वाली तयाँ: पत्र सा. डालू तद्भार्या डलसिरि एतेषांमध्ये चतुर्विधदान वितरणाशक्तनत्रिपंचाशतश्रावकस कया प्रतिपालण सामधानेन जिरणपूजापुरंदरेण सद्गुरुपदेश निर्वाहवेन संघपति साह श्री टोहानामधेयेन इदं शास्त्रं लिखाप्य उत्तमपात्राय घटापितं शानावर्णी कर्मक्षम निमित्तं । २३०६, प्रति मं । पत्र सं० ४ से ५४ । ले. काल X । अपूर्ण । ० सं० २.७३ । अ भण्डार । २३१८. प्रति सं०३। पत्र सं. ३५ । ले. काल सं० १६६० बैशाख बुदी १३ । वे. मं० ५६३ । भण्डार। विशेष-मिश्र केशव ने प्रतिलिपि की थी। २३११, यशोधरचरित्र...... | पत्र सं०१७ से ४५ । भा० ११४४६ । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । रत काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० १९९१ | अ भण्डार । २३१२. प्रति सं०२। पत्र सं० १५ । ले काल X1 वे सं० ६१३ | क भण्डार । २३१३. यशोधरचरित्र-गारवदास । पत्र सं० ४३ । प्रा० ११४५ इन। माषा-हिन्दी पत । विषय-चरित्र । . २० काल सं० १५८१ भादवा सुदी १२ । ले. काल सं० १९३० मंगसिर सुदी ११ । पूर्ण | ३० सं० ५६६। विशेष-कवि कफोतपुर का रहने वाला था ऐसा लिखा है। २३१४. यशोधरचरित्रभाषा-खुशालचंद । पत्र सं० ३७ । भा० १२४५२ छ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । २० काल सं० १७८१ कात्तिक सुदी ६ । से० काल सं० १७६६ मासोज सुदी १ । पूर्ण । ३० सं० १०४६ | अभण्डार। विशेष-प्रशस्ति___ मिती प्रासौच मासे शुरूपः तिथि पद्धिवा धार सनिवासरे सं० १७६६ लिनवा । घे कुशलोजी तन माष्येन लिपिकतं पं० खुस्पालचंद श्री घृतधिलोलजी के देहुरे पूर्ण कर्त्तव्यं । दिवालो,जिनराज को देखस दिवालो जाय। ... निसि दिवालो बलाइये कर्म विवाली थाप । श्री रस्तु । कल्याणमस्तु । महाराष्ट्रपुर मध्ये परिपूर्ण । Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ ] काम्य एवं चरित्र २३१५. यशोधरचरित्र-पन्नालाल | पत्र. ११२। प्रा. १३४५ छ । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-परित्र । र काल सं० १९३२ सावन बुद्दी ! ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० ६०० ! क भण्डार । विशेष-पुष्पदंत कत पशोधर परिष का हिन्दी अनुवाद है। २३१६, प्रति सं०२। प्रत्र सं०७४ । ले. काल X । वे० सं० ६१२ । जु भण्डार | २३१७. प्रति सं०३ । पत्र २०५२। ले. काल - ०६५ । स भण्डार । ३२१८. यशोधरचरित्र.....। पत्र सं० २ से ६३.। मा ३४४३ इन। भाषा-हिन्दी । विषयचरित्र । र० काल XI लेकाल X । अपूर्ण । वे० सं० ६११ । * भण्डार । २३१६. यशोधरचरित्र--श्रुत सागर । पत्र सं०६१। पा. १२४५६ र भाषा संस्कृत विषयचरित्र । २० काल X । ले. काल सं० १५६४ फागुण सुदी १२ । पूर्ण । वे० सं० ५६४ क अग्हार । .... ५३२०, यशोधरचरित्र-भट्टारक ज्ञानकीत्ति । पत्र सं०६३ । पा० १२४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल सं० १६५६ । ले० काल सं० १६६७ मामोज बुदी र । पूर्ण । वै० सं० २६५ । अ भण्डार । विशेष--संवत् १६६० वर्षे प्रासौजमासे कृष्णपक्षे नवम्यातिथी सोमवासरे प्रादिनायचैत्यालये मोजमाबार वास्तव्ये राजाधिराज महाराजाश्रीमाधिराज्यपवर्तत श्रीमूलसंधेबलात्कारगणेमंद्याम्नायेसरस्वतीगच्छे श्रीकुंबईदाचार्यान्वये तस्तस्प? भट्टारक श्रीपद्यनंदिदेवातत्पट्ट भट्टार · श्री शुभचन्द्रदेवा तत्प? भट्टारक श्री जिनचन्द्रदेवा तस्₹ श्रीचन्द्रकोत्ति देवास्तदाम्नाये खंडेलवालये पान्यांड्यागोगे साह होरा तस्य भार्या हरषमदे । तयो पुत्राचस्वार । प्रथम पुत्र साह नानू तस्यभार्या नौलावे पुत्र त्रयः प्रथमपुत्र साह नाडु तस्य भार्या नायकदे तमोपुत्रा द्वौ प्रघम पुत्र चिरंजीद गीरपर। द्वितीयपुर साह लोहिय तस्य भार्या बहुरंगदे तस्य पुत्रा त्रय प्रयमपुत्र चिरंजी स्थिरपाल द्वितीय पुत्र जैसा। तृतीयपुत्र । तृतीय पूरण तस्यभार्या कपूरदे | साह हीरा । द्वितीयपुत्र बोहप खस्यमा बावरणदे । तस्यपुत्रा दो अधमपुत्र साह गुजर तस्यभार्या गारवदे । द्वितीयपुत्र चिरंजी छाजू । हीरा तृतीयपुत्र साह पचाइण । होरा चतुर्थपुत्र साह नरादरण तस्स भार्या नैणादे तस्यपुत्र साह दुरंगा एतेषांमध्ये बोहित्य सेनेदंशास्त्र यशोधरकरित्रकर्मक्षयनिमित्तं भट्टारक श्रीचन्द्रकीर्तितशिष्य प्रार्य लासचंद मोग्य घटाषितं । २३२९. प्रति संकपत्र सं०४८ । ले. काल सं० १५७७ । बे० सं०६०६ महार। विशेष-ब्रह्म मतिसागर ने प्रतिलिपि की थी। २३२२. प्रति सं०३ । पत्र सं० ४८ । ले. काल सं० १६५१ मंगसिर बुबी २ । ३० सं० ६१० I . भण्डार। विशेष-साह छीतरमल के पठनार्थ जोशी जगनाय ने मोजमाबाद में प्रतिलिपि की थी। हु भण्डार में २ प्रतिा (२० सं० ६७७, ६०८ ) और है। २३२३. यशोधरचरिअटिप्पणा-प्रभाचंद । पत्र सं० १२ : पा० १०६x४ | भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल XI ले. काल सं० १५८५ पौष बुदी ११ । पूर्ण । व० सं० ३७६ । अ भार । Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ १६३ विशेष--पुष्पदंत कृत यशोधर चरित्र का संस्कृत टिप्पण है। बादशाह बाबर के शासनकाल में प्रतिलिपि की गई थी। २३२४. रघुवंशमहाकाव्य-महाकवि कालिदास । पत्र सं० १४४ । पा० १२३४५६ इ । भाषासंस्कृत । विषय-काव्य । र० कान X । ले• काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० ६५४ । 'अ भण्डार। विशेष—पन सं० ८२ ले १०५ तक नहीं है । पंचम सर्ग तक कठिन शब्दों के अर्थ संस्कृत में दिये हुये हैं। २३२५. प्रति सं० २। पत्र सं० ७० । ले० काल सं. १८२४ काती बुदी ३ । के० सं० ६४३ । श्र भण्डार। विशेष-कडी ग्राम में पांच्या देवरसम के पार्थ जैतसी ने प्रतिलिपि की थी। २३:६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १२६ । ले काल सं० १८४४ । वे० सं० २०६६ । म भण्डार । २३२७. प्रति सं०४ । पत्र सं १९१ । ले. काल सं० १६८० भादवा मुदी ८ । सं० १५४ । स भण्डार। २३२८. प्रति सं०५। पत्र सं० १३२ । ले. काल सं० १७८६ मंगसर सुदी ११ । वे. सं० १५५ । व भण्डार। विशेष हाशिये पर चारों भोर शब्दार्थ दिये हुए हैं। प्रति मारोठ में पं० अनन्तकीति के शिष्य उदयराम ने स्वपठनार्थ लिखी थी। २३२६. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६६ मे १३४ । ले० काल सं० १५९६ कात्तिक बुद्दी ६ । पूर्ण । वे. मां० २४२ १ छ भण्डार। २३३०, प्रति सं० । पत्र सं० ७५ | ले. काल सं० १८२८ पौष नुदी ४। वे सं० २४४ । छ अण्डार। २६३१. प्रति सं०८ । पत्र सं ६ से १७३ । ले. काल सं. १७७३ मंगसिर सुरी ५ । मपूर्ण । वे. म. १९९५द भण्डार । विशेष प्रति संस्कृत टीका.सहित है. तथा टीकाकार उदयहर्ष हैं। इनके अतिरिक्त श्र भण्डार में ५ प्रतियां ( ० सं० १.०२८, १२९४, १२६५, १८७४, २०६५ ) अण्डार में एक प्रति (व० सं० १.४५ [क] ) । भण्डार में प्रतियां (वे. सं० ६१६, ६२०, ६२१, ६२२, ६२३, ६४, ६२५) । च भण्डार में दो प्रतिमा ० सं० २६६, २९छोर र भग्वार में एक एक प्रतिसं { बे० सं. २६३, १६६६ ) और हैं। २३३२. रघुवंशदीका-मजिनाथसूरि ! पत्र सं. २३२ । प्रा० १२४५, इत्र । भाषा संस्कृत | विषय-काव्य । र काल ४ । ले. काल x | सं० २१२ । ज भण्डार। २६३३. प्रति सं०२। ०१८ से १४० काल . अपूर्ण । ० ५.१६८। ब भण्टार । Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ ] [ काव्य एवं चरित्र २३३४. रघुवंशटीका - पं० सुमति विजयगरि । पत्र सं० ६० से १७६ ० १२५३ । भाषासंस्कृत | विषय - काव्य । २० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० ६२७ । विशेष टीकाकाल निर्विग्रहं रस शक्ति संवत्सरे फाल्गुनसितैकादश्यां तिथौ संपूर्णा श्रीरस्तु मंगल सदा कर्तुः टीकामा: । विक्रमबुर में टीका की गयी थी। २३३५. प्रति सं० २१ पत्र सं० ५४ से १४७ । ले० काल सं० १८४० चैत्र सुदी ७ अपूर्ण वे० सं० ६२ । भण्डार १०३४५ इश्स | भाषा-संस्कृत | बिषय विशेष-मानी के विप्य पं० राम ने ज्ञानीराम के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। विशेष – ह भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ६२९ ) और है । २३३६. रघुवंशटीका - समयसुन्दर । पत्र सं ६ | श्र० काव्य । १० काल सं० १६६२ । ले० काल X | अपूर्ण वे० सं० १८७५ | विशेष — समयसुन्दर कृत रघुवंश की टीका व्याक है । एक अर्थ तो वही है जो काव्य का है तथा दूसरा श्रर्थ जैनदृष्टिकोण से है । भण्डार । २३३७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ से ३७ । ले० काल X 3 अपूर्ण । वे० सं० २०७२ ट भण्डार । २२३८. रघुवंशटीका- गुण विनयगणि । पत्र सं० १३७ । प्रा० १२२५३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-काव्य र० काल X 1 ले० काल X1 वे० सं० ८६ । म भण्डार । विशेष – खरतरगच्छीय वाचनाचार्य प्रमोदमाणिक्य के शिष्य संख्यवमुख्य श्रीमत् जयसोमर के शिष्य सुविनयगरि ने प्रतिलिपि की पी। २३३६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६६ । ले० काल सं० १८६५ । वे० सं० २६ । भण्डार | इनके प्रतिरिक्ता भण्डार में दो प्रतियां ( वे० सं० १३५०, १०८१ ) और हैं। केवल व् मण्डार की प्रति ही गुणविनयरिंग की टोका है। २३४०. रामकृष्ण काव्य - - दैवज्ञ पं० सूर्य । पत्र सं० ३० । ० १०९५ च । भाषा-संस्कृन विषय-काव्य । २० काल X। ले० काल X 1 अपूर्ण । वे० सं० २३४१. रामचन्द्रिका - केशवदास । पत्र सं० काव्य । २० काल X | ले० काल सं० १७६६ धावण बुदी १५ २०५ । १७६ | भण्डार । श्र० ६४५३ पूर्ण | ० ० ६५५ । भाषा - हिन्दी विषय भण्डार | २३४२. वरांगचरित्र-- भ० वर्द्धमानदेव पत्र सं० ४६ । श्र० १२४५ इव। भाषा-संस्कृत । विषयराजा बरोग का जीवन चरित्र । र० काल X। ले० काल सं० १५६४ कार्तिक सुदी १० पू० सं० २२१ । अ भण्डार । विशेष-प्रशस्ति ० १५६४ वर्षे पाके १४५६ कालिंगमासे शुकपक्षे दशमीदिवसे नैश्चरवासरे घनिष्टानभ गंढयोगे आषां नाम महानगरे रात्र श्री सूर्यशेरि राज्यप्रवर्तमाने कवर श्री पूरणमलता श्री शान्तिनाथ जिन चेस्यालये श्रीमुस Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ १६५ मंधे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये भ० श्रीपद्मनंदि देवास्तत्पट्टे म० श्रीशुभचन्द्रदेवास्तपट्टे भ० श्री जिगवंद्र देवास्तत्पट्टे भ० श्री प्रभाचन्द्रदेव स्तच्छिष्य भ० श्रीधर्मचन्द्रदेवास्तदाम्नाये खण्डेलवालान्वये शावागोत्रे संघार्षिपति सरह श्री रामल तद्भार्या रेणादे तयो पुत्रास्त्रयः प्रथम सं. श्री खीचा तद्भायें द्वे प्रथमा सं० खेमलदे द्वितीयो सुहागदेवास्त्रयः प्रथम वि० सधारण द्वि० श्रीकरण तृतीय धर्मदास । द्वितीय सं० वैरणा सद्भायें प्रथमा विमलादे द्वि० नौला । तृतीय सं. डूंगरसी तद्भार्या दाढ्योदे एतेसां मध्ये सं. विमलादे ददं शास्त्रं लिखाप्य उत्तमपात्राय दतं ज्ञानावरण कर्मक्षय निमित्तम् । I २३४३. प्रति सं० २ | पत्र सं० ६५ । ले० काल सं० १८६३ भादवा चुदी १४ । वे० सं० ६६६ । २३४४. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ७४ । ले० काल सं० १८६४ मंगसिर मुदी ३० सं० ३३० च २३४५ प्रति सं० ४ | पत्र सं० ५८ । ले० काल सं० १८३६ फागुण सुदी १ ० सं० ४६ भण्डार । भण्डार 1 भण्डार । भण्डार । विशेष-जयपुर के नेमिनाथ चैत्यालय में संतोषराम के शिष्य वस्तराम ने प्रतिलिपि की थी। २३४६. प्रति सं० ५ । पत्र सं० ७१ । ले० काल सं० १८४७ बैशाख सुदी १ ० सं० ४७६ विशेष-सांगावती (सांगानेर ) में गोधों के चैत्यालय में पं० सबाईराम के शिष्य नौनिषदराम ने प्रति लिपि की थी। मण्डार । २३४७. प्रति सं= ६ । पत्र सं० ३८ ३ ले० काल सं० १८३१ भाषाव सुदी ३ । वे० सं० ४९ । ब विशेष - जयपुर में चंद्रप्रभ चैत्यालय में पं० रामचंद ने प्रतिलिपि की थी। २३४५. प्रति सं० ७ | पत्र सं० ३० से ५६ | ले० काल x | अपूर्ण । जे० सं० २०५७ ट भण्डार । विशेष सगँ से १३वें सर्ग तक है । २३४४. वरांगचरित्र - भर्तृहरि । पत्र सं ० ३ से १० । ० १२३४५६ भाषा-संस्कृत विश्वमचरित्र 1 र० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । वे० मं० १७१ ख भण्डार विशेष - प्रारम्भ के २ पत्र नहीं है । २३५०. वर्द्धमानकाव्य - मुनि श्री पद्मनंदि । पत्र सं० २० | श्र० १०२४ इच। भाषा-संस्कृत | विषय-काव्य । २० काल x | ले० काल सं० १५१८ । पूर्ण । वे० सं० ३६६ अ भण्डार । इति यो वर्द्धमान कथावतारे निराश्रित महात्म्य प्रदर्श के मुनि श्री पद्मनंदि विरचिते सुखनामा दिने श्रं बद्ध मश्ननिर्वाणगमन नाम द्वितीय परिच्छेदः Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ काव्य एवं चरित्र २३५१. वर्द्धमानकथा-जयमित्रहल । पत्र सं०७३ | मा8:४५, इन्न । भाषा-अपभ्रश | विषयकाव्य । २० काल' Xले. काल सं० १६६५ वैशाख सुदी ३ । पूर्ण | वे० सं० १५३ । अ भण्डार । विशेष-.- ल... सं० १६५५ बरथै बैशाख सुदी ३ शुक्रवारे मृगसीरनखिो मूलसंघे श्रीकुंवहुंदाचार्यालये तत्पट्ट भट्टारक धो पुरणभद्र लत्प? भट्टारक श्रीमल्लिभूषण तत्प? भट्टारक श्रीप्रभाव तत्पट्ट भट्टारक श्रीचंदकीतिः विरचित श्री नेमदत्त प्राचार्य अंबावतीगठ महादुर्गातः श्रोनेमिनाथ चैत्यालये कुछाहावंस महाराजाधिराज महाराजा श्री मानस्पंधराज्ये अजमेरागोत्रे सा. धीरातार्याचारादे तत्पुत्र बस्वार प्रथम पुत्र......"। ( अपूर्ण) २६५२. प्रति सं०२। पत्र सं० ५२ | ले० काल ४ । वे० सं० १९५३ । ट भण्डार । २३५३. वर्द्धमानचरित्र..."। पत्र सं० १६८ से २१२ । मा० १०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल ४ | ले. काल X| अपूर्ण । वे० सं० ६८६ । अ भण्डार । २३५४. प्रति सं० २ | पत्र सं० ६१ । ले. काल X । अपूर्ण : वे० सं० १९७४ । अ भण्डार । २३५५, वर्द्धमानचरिध-केशरी सिंह । पत्र सं० १८५। प्रा० ११४५. इं। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । र० काल सं. १८६१ ले. काल सं० १८६४ सावन बुदी २१ पूर्ण । वे० सं० ६४८ । क भण्डार । विशेष-सदासुखजी गोथा ने प्रतिलिपि की थी। २३५६. विक्रमचरित्र वाचनाचार्य अभयसोम । पत्र सं. 1 से ५ । मा. १०x४ इच। भाषाहिन्दी । विषय-विक्रमादित्य का जीवन । र० काल सं० १७२४ । ले. काल सं० १७८१ श्रावण बुदो ४ ।' अपूर्ण । के। सं. १३९ ब भण्डार । विशेष-उदयपुर नगर में शिष्य रामचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। २३५७. विदग्धमुखमंडन-बौद्धाचार्य धर्मदास । पत्र सं० २० । मा० १०३४५ इन। भाषासंस्कृत । विनय-काव्य । २० कालःX । ले. कासः सं० १८५१० । पूर्ण ।'वे. सं० ६२७ । प्र भण्डार | २३५८. प्रति सं० २ । पत्र सं० १८ । ले० काल X।'• सं० १०३ रें। अ भण्डार । २३५६. प्रति सं० ३ । पम सं० २७ । ले० काम सं० १८२२ । वे० सं० ६५७ । क भण्डार । विशेष--जयपुर में महाचन्द्र ने प्रतिलिपि की पी।। २३६०. प्रति सं०४। पत्र सं० २४। ले. काल सं० १७२४ । वे० सं०६५८। कभण्बर । विशेष-संस्कृत में टीका भी दी है। २३६१. प्रति सं०५ | पंत्र सं० २६ । ले• काल XI वे० सं० ११३ । छ भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है । प्रथम व भन्तिम पत्र पर गोल मोहर है जिस पर लिखा है 'श्री जिन सेवक साह वादिराम जाति सोगामी पीमा सुत। Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] भण्डार भण्डार । भण्डार । [ १६० २६ प सं० ४७ । ले० काल सं १९१५ चैत्र सुदी ७ । वे० सं० ११५ भण्डार । विशेष-गोधों के मन्दिर में प्रतिलिपि हुई थी । २३६३. प्रति सं० ७ १ पत्र सं० ३३ । ले० काल सं० १८८१ पौष बुद्धी ३ | ० सं० २७८ ज विशेष-संस्कृत टिप्पर सहित है। २३६४. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ३० | ले० काल सं० १७५९ मंगसिर बुदी ८० सं० २०१ | अ विशेष—- प्रति संस्कृत टीका सहित है । २३३५. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ३८ | ले० काल सं० १७४३ कार्तिक बुदी २ । ३० सं० ५०७ । न विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित है। टीकाकार जिनकुशलसूरि के शिष्य क्षेमचन्द्र गरि हैं । इनके प्रतिरिक्त छ भण्डार में २ प्रतियां ('० सं० ११३, १४६ ) व भण्डार में एक प्रति (३० सं० ५०७ ) और है । २३६६. विदग्धमुखमंडनटीका - बिनयरन । पत्र सं० ३३ । प्रा० १०३४३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-- काव्य । टीकाकाल सं० १५३५ । ले० काल सं० १६८३ प्रासोज सुदी १० । ० सं० ११३ । छ भण्डार | २३६७. विहारकाव्य - कालिदास । पत्र सं० २ । प्रा० १२४५३ इंच भाषा-संस्कृत । विषयकाव्य । र० काल X | ले० काल सं० १६४६ । बै० सं० १८५३ । भण्डार | विशेष - जयपुर में खण्द्रप्रभ चैत्यालय में भट्टारक सुरेन्द्रकीत्ति के समय में लिखी गई थी। ; २३६८. प्रधुम्नप्रबंध - समयसुन्दर गरि । पत्र सं० २ से २१ । मा० १०३४३ इंच भाषाहिन्दी | विषय - श्रीकृष्ण, शंबुकुमार एवं प्रम्न का जीवन । १० काल X। ले० काल सं० १६५६ । मपूर्ण वे मं ७०१ । छ भण्डार | विशेष – प्रशस्ति निम्न प्रकार है । संवत् १६५६ वर्षे विजयदशम्यां श्रीस्तंभतीर्थे श्रीवृहत्सरतरगच्छाधीश्वर श्री दिल्लीपति पातिसाह जलालद्दीन मन रसाहिप्रदत्तयुग प्रधानयदवारक श्री ६ जिनचन्द्रसूरि सूरश्वराणां (सूरीश्वराणा ) साहिसमक्ष स्वहस्तस्थापिता प्राचार्यश्रीजिनसिंह किराया ( सूरीश्वराणां ) शिष्य मुल्य पंडित मकलचन्द्रगणि तच्छिष्य वा० सममसुन्दरगणिना श्रीचैसलमेर वास्तश्ये नानाविध शास्त्रविचाररसिक लो० सिवरीज समभ्यर्थनया कृतः श्री शंयप्रद्यम्नप्रबन्धे प्रथमः खंडः । Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ ] [ काव्य एवं चरित्र २३६५. शान्तिनाथचरित्र-अजितप्रभसूरि । पत्र सं० १६६ । मा० ९३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-चरित्र । र० काल X । ले. काल X । मपूर्ण । बे० सं० १०२४ । अ भण्डार । विशेष-१६६ से पागे के पत्र नहीं हैं। २३७०. प्रति सं०२। पत्र सं० ३ से १.५। ले. काल सं० १७१४ पौष बुदी १४ । प्रपूर्ण : वे मं० १९२० भण्डार । २३७१. शान्तिनाथचरित्र-भट्टारक सकलकीति ! पत्र सं० १६५ । मा० १३४५३ इन्छ । भाषासंस्कृत । विषय-परित्र । र० काल X । ले. काल सं० १७८६ चैत्र सूदी ५ । प्रपूर्ण । ० सं० १२६ | अ भण्डार । २३७२. प्रति सं०२। पत्र सं० २२८ । ने० काल X । वे० सं० ७०२ । ॐ भण्डार | विशेष-तीन प्रकार की लिपियां हैं। २३७३. प्रति सं०३१ पत्र सं० २२१ । ले. काल सं. १८६३ माह बुदी। सं. ७.३। भण्डार। विशेष—सिखितं गुरजीरामलाल सवाई जयनगरमध्ये वासी नेवटा का हाल संघही मालावता के मन्दिर लिली लिखाप्यत चंपारामजी छाबडा सवाई जयपुर मध्ये । २३७४. प्रति सं०४ । पत्र सं० १८७ । ले० काल सं० १८६४ फागुण बुदी १२ । वे सं० ३४१ । अण्डार। विशेष—यह प्रति श्योजीरामजी दीवान के मन्दिर की है। २३७५. प्रति सं०४ । पत्र सं० १५६ । ले. काल सं० १७६६ कार्तिक सुधौ ११ । • सं० १४ । छ मण्डार। विशेष-सं. १९०३ जेठ बुदी के दिन उदयराम ने इस प्रति का संशोधन किया था। २३७६. प्रति सं०६ । पत्र सं० १७ से १२७ । ले. काल सं० १८८८ पेशास सुदी २ । अपूर्ण । के. सं० ४६४ | ब भण्डार । विशेष-महात्मा पन्नालाल ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी। इनके अतिरिक्त छ, न तथा ट भण्डार में एक एक प्रति ( बे० सं० १३, ४८६, १९२६ । और है। २३४५, शालिभद्रचौपाई-मतिसागर | पत्र सं० । पा० १.१४४ इ 1 भाषा-हिन्दी । विश्यचरित्र । २० काल सं० १६७८ पासीज बुदी ६ । ले. काल X । अपूर्ण । ये० सं० २१५४ । अ भण्डार। विशेष--प्रथम पत्र प्राधा फटा हुआ है। २३७८. प्रति सं० २। पत्र सं० २४ । ले. काल X । ० सं० ३६२ । ब भण्डार । २३७६. शालिभद्र चौपाई ...'पत्र सं० ५ । प्रा० ८४६ श्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र | र. काम x Iले. काल ४ ! प्रपूर्ण । ३० सं० २३० । विशेष-रचना में ६० पद्य हैं तथा प्रशुद्ध लिखी हुई है । अन्तिम पाठ नहीं है । Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं परित्र ] [ १५ प्रारम्भ-- थी सासरण नायक सुमरिये वर्तमान जिनचंद । मलीइ बिघन दुरोहरं प्रापै प्रमानंद ॥१॥ २३८०. शिशुपालवध-महाकवि माघ । पत्र सं० ४९ 1 प्रा० ११६४५ इ. । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । र० काल X | ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १२९३ | भ भण्डार । २३८१, प्रति सं०२। पत्र सं० ६३ । ले. काल X| सं० ६३४ म भण्डार । विशेष—पं लक्ष्मीचन्द के पठनार्थ प्रतिलिपि की गई थी। २३८२. शिशुपालवध टीका-मल्लिनाथसूरि । पत्र सं० १४४ प्रा० ११३४५: । भाषासंस्कृत । विषय-काव्य । र० काल X ।ले. काल X । पूर्ण । वे सं० ६३२ । अभार । विशेष- सर्ग हैं। प्रत्येक सर्ग को पत्र संख्या अलग अलग है। २३८३. प्रति सं.२। पत्र में ल ग २४ । ज भण्डार । विशेष—केवल प्रथम सर्ग तक है। २३८४. प्रति सं०३ पत्रसं०५३ | ले. कालx० सं० ३३७। ज भण्डार । २३८५. प्रति सं०४ । पत्र सं० ६ से १४४ । ले. काल सं० १७६६ | मपूर्ण । ० म.. १.४५. : म भण्डार। २३८६, श्रवणभूषण-नरहरिभट्ट । पत्र सं० २५ । प्रा० १२३४५ इन | भाषा-संस्कृन । विषरभाव्य । २० काल X |ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ६४२ । अ भण्डार । विशेष-विदग्धमुखमंडन की व्याख्या है। प्रारम्भ-मों नमी पार्श्वनाथाय | हेरवंक्र किमंच किम् तव कारता तस्य चांद्रीकला कृत्यं कि भारजन्मनोक्त मन पार्दतारू रे स्यादिति तातः । कुम्पति गृह्यतामिति विहायाह मन्यां कलामाकारी जयति प्रसारित कर स्तंबरमयामणी ॥१॥ यः साहित्यसुधेदुर्नरहरि रल्लालनंदनः । कुरुते संशवण भूषणव्यां विदग्धमुखमंडणव्याख्या ॥२॥ प्रकाराः संत वह्वो विदग्धमुखमंडने । तथापि मत्कृतं भावि मुख्य भुवरण- भूषणं ॥३॥ अन्तिम पुष्पिक:- इति श्री नरहरभट्टविरचिते श्रवणभूषणे चतुर्थः परिन्छेदः संपूर्ण । Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० ] [ काव्य एवं चरित्र २३८७. श्रीपाल चरित्र - ० नेमिदत्त । पत्र सं० ६८ ॥ श्र० १०३४५ इंच | भाषा-संस्कृत विषयचरित्र | र० काल सं० १५८५ । ले० काल सं० १६४३ । पूर्णे । वे० सं० २१० | अ भण्डार । विशेष - लेखक प्रशस्ति मपूर्ण है। प्रशस्ति थाम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्ये श्रीकुंदभ० श्री जिनचन्द्रदेव तत् भ० प्रभाचन्द्र देवा मंडलाचार्य श्री रत्नकीर्तिदेवा तर्तशष्य मं० भुवनकीत्तिदेवा तशिष्य मं. धर्मकोत्तिदेवा द्वितीय शिष्यमंडलाचार्य विशालकी तिदेवा तत् शिष्य मंडलाचार्य लक्ष्मीचंददेवा तदन्वये मं० सहसकीत्तिदेवा तदन्वये मंडलाचार्य नेमचंद तदाम्नाये खंडवालाम्यये श्वासा वास्तव्ये दगडा गोत्रे सा० लीला त भण्डार । भण्डार | ङ भण्डार । विशेष- मालवदेश के पूर्खासा नगर में आदिनाथ चैत्यालय में ग्रन्थ रचना की गई थी। विजयराम ने तक्षकपुर ( टोडारायसिंह ) में अपने पुत्र चि० टेकचन्द के स्वाध्यायार्थ इसकी तीन दिन में प्रतिलिपि की थी। यह प्रति पं० सुखलाल की है। हरिदुर्ग में यह ग्रन्थ मिला ऐसा उल्लेख है । २३६०. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २६ । ले० काल सं० १८६५ आसोज सुदी ४ ० सं० १९३ । ख भण्डार | संवत् १६४३ वर्षे श्राषाढ सुदी ५ शनिवासरे श्रीमूलसंधे श्री शुभचन्द्रदेवास भण्डार 1 भण्डार | * २३ प्रति सं० २ | पत्र सं० ६६ | ले० काल सं० १५४६ । वे० सं० ६२६ | क भण्डार । ४२ । ले० काल सं० १८४५ ज्येष्ठ सुदी ३ । वे० सं० १६२ | ख २३८६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० विशेष-केकड़ी में प्रतिलिपि हुई यो । २३६१. प्रति सं० ५ । पत्रं सं० ४२ से ७६ | ले० काल सं० १७६१ सावन सुदी ४ | ० सं० 1 विशेष-—- वृन्दावती में राम बुधसिंह के शासनकाल में ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई थी। २३६२. प्रति सं० ६ | पत्र सं० ६० । ले० काल सं० १८३१ फार बुदी १२ । ३० सं० ३ छ विशेष --- सधाई जयपुर में श्वेताम्बर पंडित मुक्तिविजय ने प्रतिलिपि की थी । २३६३. प्रति सं० ७ । पत्र [सं० ५३ । ले० काल सं० १८२७ चैत्र सुदी १४ । वे० सं० ३२७ । ज विशेष-सवाई जयपुर में पं० ऋषभदास ने कर्मक्षयार्थ प्रतिलिपि की थी। २३६४. प्रति सं० पत्र सं० ४४ । ले० काल सं० १५२६ माह सुदी विशेष- पं० रामचन्दजी के शिष्य सेवकराम ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी । २३६४ प्रति सं० ६ । पत्र सं० ४८ ले० काल सं० १६४४ भादवा सुदी ५ ० सं० २१३६ | ट ८० सं० । भण्डार 3 Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] विशेष—इनके प्रतिरिक्त एक एक प्रति ( ० सं० ७२१, ३६ तथा ५५ ) और हैं। २.३५.६. श्रीपालचरित्र- भ० सफलकीर्ति पत्र सं० ५० ११४४३ इत्र भाषा-संस्कृत । विषय-परिव० काल x ले० काल क ० १६५३ । पूर्ण ० ० १०१४ I I महार विशेष- ब्रहाचारी मागुकदमे प्रतिलिपि की थी। २२६०. प्रति सं० २ पत्र सं० ३२८ ले० काल सं० १७६५ फागुन बुदी १२० सं०४० अण्डार । भण्डार । [ २०१ भण्डार में २ प्रतियां (वै० सं० २३३, २५१) * छ तथा कम भण्डार में भण्डार । भण्डार ने प्रतिलिपि की थी। ११२ । ज भण्डारं । विशेष—हरलाल ने बाम में प्रतिनिधि की थी। २४००. श्रीपालचरित्र - पत्र सं० १२ से ३४ । मा० ११४ | भाषा-संस्कृत ! विषयचरि २० काल X से काल X पूर्ण १० सं० १९६३ अ भडार भच्छार । विशेष-सारपुर में मंडलाचार्य रत्नकीति के प्रशिष्य २३६८ प्रति सं० ३ । पत्र सं० २८ । से० काल X | वे० सं० विशेष- यह प्रन्थ चिरंजीलाल मोठ्या ने सं० १९६३ की दवा बुद्धी २३६६. प्रति सं० ४ पत्र सं० २२ (६० से ८८ ) ले० काल X पूर्णा १० सं० १७ झ । । । । २४०१. श्रीपालचरित्र...... पत्र [सं०] १७ | भा० ११३४५ भाषा-प्रपश विषय वरित्र । १० काल X। ले० काल X पूर्ण ० सं० १९६६ । मण्डार सं०४०७ । २४०२. श्रीपाल चरित्र-परिमाण सं० १४४ ० ११० इंच भाषा - हिन्दी (पद्य) विषय० सं० १९५१ भाषा बुढी ते काल सं० १९३३ । पूर्ण वे० २४०३. प्रति सं० २ | पत्र सं० १६४ | ले० काल सं० १८६८ ० ० ४२१ अ भण्डार । २४-४. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ५२ से १४४ | ले० काल सं० १८५६ ० मं० ४०४ पूर्ण को चढ़ाया था। विशेष- महात्मा ज्ञानीराम ने जयपुर में प्रतिलिपि को थी। दीवान शिवचन्दजी ने ग्रन्थ लिखवाया था। २४०५. प्रति सं० ४ पत्र सं० २६ । ले० काल सं० १८८९ पाँच बुदी १० ० ० ७६ ग विशेष ग्रन्थ भाव में धानममंज में लिखा था २४०६. प्रति सं० ५ प सं० १२४ | ० काल सं० १८६७ बैशाख सुदी १ ० ० ७१ विशेष- महात्मा कानूराम ने सवाई जयपुर में प्रतिनिधिको थी। Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ ] भण्डार मदार ! भण्डार 1 भण्डार । विशेष --- गुटका साइज है। हिरमोड में प्रतिलिपि हुई थी । अन्तिम ५ पत्रों में कर्म प्रकृति वर्णन है जिसका लेखनकाल सं० १७१३ पासोज खुदी १३ है। सांगानेर में पुद्धी भदूराम ने कान्हजीदास के पठनार्थ लिखा था। २४१०. प्रति सं० पत्र सं १३१ काल सं० २०६२ सावन बुदी ५। १० सं० २२० क मान किया। मण्डार । काव्य एवं चरित्र ] २४०७ प्रति सं० ६ पत्र [० १०१ १० काल सं० १८५७ माडोज बुदी ७ २० सं० ७१ विशेष- दो प्रतियों का मिश्रण है । विशेष- इनके अतिरिक्त भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० १०७७, ४१८ ) घ ० सं० १०४ ) क भण्डार में तीन प्रतियां ( ३० सं० ७१४, ७१८, ७२०) छ, म और प्रति ० ० २२५ २२९ और १६१३) मीर है। २४११. श्रीपाल चरित्र ० X से काल सं० २०११ पूर्ण वे० सं० १०३ घ महार भण्डार 1 विशेष अभयराम गोधा ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। - २४०८. प्रति सं० ७ पत्र सं० १०२ । ले० काल सं० १९९२ माघ बुदी २ ० ० ६०३ च भण्डार । २४०३. प्रति सं०८ पत्र [सं० ८५० काल सं० १७२० पौष सुदी २० सं० १७४१ द भण्डार में एक प्रति भहार में एक एक पत्र सं० २५ मा० ११३८ । भाषा - हिन्दी गद्य । विषय-चरित्र । विशेष-श्रमीचन्दजी सौगाणी तरेला वालों को बहूने लिखवाकर विजेरामजी पांख्या के मन्दिर में विराज २४१२. प्रति सं० २। पत्र सं. ४२ ले० काम X। वे० सं० ७०० क भण्डार । २४१३. प्रति सं० ३। पत्र स० ४२ २० २४१४. प्रति सं० ४ पत्र [सं० ६१० काल सं० १९३० फागुण मुदी ६ ० ० ८२ ग सं० १९२६ पौष सुदी १० सं० ८० ग २४१५. प्रति सं० ५ ० ४२० काल सं० १६३४ फागुन डुदी ११३० सं० २५९ विशेष- मन्नालाल पापडीवाल ने प्रतिलिपि करवायी थी । २४१६. प्रति सं० ६ पत्र [सं० २५० काल X ० ० ६७४ । भण्डार २४१७. प्रति सं० ७ पत्र [सं०] ३३० फाल सं० १९३९ । २०० ४४० महार । Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं परित्र ] [ २०३ २४१८. श्रीपालचरित्र..."। पत्र सं० २४ । प्रा० ११३४८ - । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । र० काल X । से• काल मपूर्ण । ३० सं० ६७५ | विशेष--२४ से मागे पत्र नहीं हैं। दो प्रतियों का मिश्रण है। २४१३. प्रति सं.२। पत्र सं० ३४ से. काल X ० सं०८१ गभणार । विशेष-कालूराम साह ने प्रतिलिपि को पो।। २४२०. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३४ । मे० काल X । अपूर्ण । के० सं० ६८४ । च भव्हार । २४२१. णिकचरित्र...| पत्र सं० २७ से ४८ । मा० १०x४२ । भाषा-प्राकृत । विषयपरिव । २० काल X । ले. काल X । प्रपूर्ण । वै० सं० ७३२ । भण्डार | २४२२. श्रेणिकचरित्र-म० सकमकीत्त । पत्र सं० ४६ | मा० ११४५ इ.। भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल Xले० काल X । अपूर्ण । ० सं० ३५६ । च भण्डार । २४२३. प्रति सं०२ । पत्र सं० १०७ । ले. काल सं० १८३७ कात्तिक सुदी ।मपूर्ण | वे० सं० २७ । छभण्डार । विशेष-दो प्रतियों का मिश्रण है। २४२४. प्रति सं०३ । पत्र सं०७० । ले० काल XI ० सं० २८ । छ भण्डार। विशेष-दो प्रतियों को मिलाकर ग्रन्थ पूरा किया गया है । २४२५. प्रति सं०४। पत्र सं० ८१ । ले. काल सं० १८१८ । वे० सं० २६ । भण्डार । २४२६. श्रेणिकपरित्र-भ: शुभचन्द्र । पत्र सं०८४ । मा० १२४५ इंच । भाश-संस्कृत | विषयचरित्र । २० काल - I ले. काल सं० १८०१ ज्येष्ठ बुदी ७ । पूर्ण । वे० सं० २४६ । म भण्डार । विशेष-टोक में प्रतिलिपि हुई थी। इसका दूसरा नाम मविष्यत् पमनाभपुराण भी है २४२७. प्रति सं० २१ पत्र सं० ११६ । से० काल सं० १७०८ चैव चुदी १४ । ३० सं० १६४ । भण्डार २४२८, प्रति मं०३। पत्र सं० ११८ । ले. काल सं० १९२६ । वे० सं० १०५ । घ भण्डार । २४२६. प्रति सं०४। पत्र सं० १३१। ले. काल सं० १९०१।०सं०७३५। छ भण्डार । विशेष—महात्मा फकीरदास ने लखपोती में प्रतिलिपि की थी। २४३०. प्रति सं०५१ पत्र सं. १४६ ले. काल सं० १८६४ प्राषाड सुरी १० । ३० सं० ३५२ 1 - भण्डार। २४३१. प्रति सं०६ । पत्र सं०७२ | ले. काल सं० १८६१ श्रावण बुदी १ : ० सं० ३५३ । भण्डार। Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० ] [ काव्य गवं चरित्र विशेष-जयपुर में उदयचंद सुहाड़िया ने प्रतिलिपि की थीं। २४३२. श्रेणिकचरित्र-भट्टारक विजयकीति । पत्र सं० १२६ । प्रा० १०x४५ इंच । भाषा--हिन्दी । विषय-धरित्र । र० काल सं० १८२० फागुण धुदी ७ । ले० काल सं० १९०३ पौष मुदी ३ । पूर्ण | वे सं० ४३७ । अभण्डार । विशेष—ग्रन्थकार परिचय विजयकीत्ति भट्टारक जान, इह भाषा कीधी परमाण । संवस पठारास वीस, फागुण बुदी सातै सु अगोस ।। बुधवार इह पूरण भई, स्वाति नक्षत्र वृद्ध जोग सुथई । गोत पाटणी है मुनिराय, विजयकोति भट्टारक पाय । ससु पटधारी श्री मुनिजानि, बहुजात्मातसु गोत पिछाणि । त्रिलोकेन्द्रकीतिरिषिराज, निसप्रति साधय मातम काज । विजयमुनि शिषि दुतिय सुजाण श्री वैराड देश तसु प्राण । धर्मचन्द्र भट्टारक नाम, ठोल्या गोत वरण्यो अभिराम । मलयखेर सिंघासण मही; कारंजम पट सोभा सही। २४३३. प्रति सं०३। पत्र सं० ७६ । ले० काल सं. १८५३ ज्येष्ठ सुदी ५ । ३० • ६३ । ग भण्डार। विशेष-महाराणा श्री जयसिंहजी के शसिमकाल में जयपुर में सवाईराम गोधा ने प्रादिनाथ नैत्यालय में प्रतिलिपि की थी । मोहनराम चौधरी पांच्या ने ग्रन्धं लिखवाकर पौधरियों के चैत्यालय में चढ़ाया । २४३४. प्रति सं०३ । पत्र सं० २६ । से काल ० सं० १६३ । छ भण्डार। २४३५. अणिकश्चरित्रभाषा.....। पत्र सं० ५५ । प्रा० १६४५६ च । भाषा-हिन्यो । विषयपरिव । र० काल X । ले० काल X मपूर्ण । वे० सं० ७३३ । र भण्डार । २४३६. प्रति सं०२ । पत्र सं०३३ से १५ । से० काल X । अपूर्ण । वे० सं० ७३४ । ॐ भण्डार । २४३७. संभाजणणाचरिउ (संभवनाथ चरित्र ) तेजपाल | पत्र सं० ६२ । प्रा० १.१.५ इंच । भाषा-अपभ्रश । विषय-परित्र । र. काल Xले. काल सं० ३६५ । च भण्डार । २४३८, सागरसंचरित्र हीरकवि । पत्र सं. १८ से २० । मा० १०४४६ च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । र० काल सं० १७२४ पासोज सुदी १.१ ले काल सं० १७२७ कार्तिक बुदी १ । अपूर्ण । वेसं. १३५ । म भण्डार । विशेष-प्रारम्भ के १७ पत्र नहीं हैं। Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित्र ] [ २०५ डाल गवतालोसमो गुरुवानी-- संवत् वेद युग जारणीय मुनि शशि वर्ष उदार ।। सगुणा नर सांभलो०॥ भेदपाद माहे लिख्यो निजइ दशमि दिन सार ॥ ५ ।। सुगुण. गइ जालोरइ युग तस्यु लिखीजए अधिकार । म: विधि योगद ही मामीटर्म तिनमान ।। भाद्रव मास महिमा घणी परण करयो विचार। भविक नर सांभलो पचतालीस काले सही गाथा सातसईसार ॥ ७॥. लूकइ गच्छ लायक यती वीर सीह जे माल । गुरु झांझण श्रुत केवली थिवर गुरणे चोसाल 1॥ ८ ॥ सु. समरथपिवर महा मुनी मुंदर का उदार । लत शिष भान धरी भरण्इ सुगुरु तराई आधार मु० उछौ अधिक्यों कह्यो कपि चातुरीम किलोल। मिथ्या दःकृत ते होज्यो जिन साखइ बजसाल ।। १.॥सू० सजन जन नर नारि जे संभली लहर उल्हास । नरनारी धर्मातिमा पंडित म करो को हास ।। ११ ।। सु. दुरजन नइ न सुहायई नहीं प्राबइ कहे दाय । माखो चंदन नादरा प्रसुचितिहां चलि जाय ।। १२ ।। सु० प्यारों लागद संतनद पामर चित संतोष । बाल भली २ सेभली चित्रे थो दाल रोष ।। १२ । सु. श्री गम् नायक सेजसी जब लग प्रतपो भाग। होर मुनि मासीस घर हो ज्यो कोहि कल्याण ॥ १४ ॥ सु० सरस बाल सरसी कथा सरसो सह अधिकार । होर मुनि गुरु नाम धी पाणंद हरष उदार ।। १५ । सु० इति श्री ढाल सागरदत्त चरित्र संपूर्ण । सर्व गाथा ७१७ संवत् १७२७ वर्षे कात्तिक बुरी १ दिने सोमवासरे लिखतं श्री धन्यजो ऋषि श्री केशवजी तत् शिष्म प्रवर पंडित पूज्य ऋषि श्री ५ मामाजातदंतेवासी निकित मुनिसावलं पात्मायें । जोधपुरमध्ये । शुभं भवतु । २४३६. सिरिपामचरिय-५० तरच ! पर सं० ४७ । प्रा०६x६ इंच। भाषा-पभ्रंश । विषय-राजा श्रीपाल का भीवन वर्णन । र० काल X । ले. काल सं० १६१५ कार्तिक सुदी ६ । पूर्ण । ३० सं० ४१. अभण्डार। विशेष...-प्रन्तिम पत्र जी है। तक्षकगढ नगर के मादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हाई की। Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । २०६ ] [ काव्य एवं चरित्र २४४०. सीताचरित्र-सि रामचन्द .. | मा १२४८ इन्च । भाषा-- हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । र० काल सं० १७१३ मंगसिर सुदी ५ । ले० काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ७०७ । विशेष-रामचन्द्र कवि बालक के नाम से विख्यात थे। २४४१. प्रति सं०२१ पत्र सं.१५. ले. काल x1वे. सं०११ग भण्डार । २४४२. प्रति सं०३ । पत्र सं० १६६ । मे० काल सं० १८८४ कात्तिक दुधी । । वै० सं० ७१६ । च भण्डार। विशेष--प्रति सजिल्द है। २४४३. सुकुमालचरित-श्रीधर । पत्र सं० ६५ । प्रा० १०४४३, इञ्च । भाषा-अपभ्रंश | विषयसुकुमाल मुनि का जीवन बर्णन । र० काल ४ । ले० काल X 1 अपूर्ण । वे० सं० २५८ ।भण्डार । विघोष-प्रति प्राचीन है। २४४४. सुकुमालचरित्र-भ सकलकीति । पत्र मं० ४४ । प्रा० १०x४३ इङ्ज । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल X । ले० काल सं० १६७० कार्तिक सुदी ८ । पूर्ण । बे० सं०६४ | अ भण्डार | विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६७. शाके १५२७ प्रवर्तमाने महामांगल्यप्रदकात्तिकमासे शुक्लपक्ष प्रष्टम्यां तिथी सोमवासरे नागपुरमध्ये श्रीचंद्रप्रभचैत्पालये श्रीमूलसंधै बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुंदकुंदाचार्यान्मये भट्टारकश्रीपअनंदिदेवा तत्प₹ भ० श्रीशुभचंद्रदेवा तत्प? भ० श्रीजिनचंद्रदेवा तत्प? भ. श्री प्रभाष देवा मंडलांचा श्रीभुवनकौतिदेवा तत्प? में० श्रीधर्मकीत्तिदेवा ततादृ' मं० श्रीसहयोतिदेवा तत्प? मुंडलाचार्य श्रीनेमचंद्रदेवा तस्पट्टे मंडलाचार्य श्रीयशीतिः तदाम्नाये खण्डेलवालान्वये भौसागोत्रे सा. सोनु तस्यभार्या सोनश्री तयो पुत्र सा. फलहू तस्यभार्या फूलमदे तयो पुत्रा पट् । प्रथम पुत्र सा० नरसिंह तस्यभार्या नरसिंधदे । द्वितीयपुत्र सा, वरसिंह तस्यभार्या बहुरंगदे तयोः पुत्र सा. ठाकुर तस्थभार्या ठाकुरदे । तृतीयपुत्र सा. खेता तस्यभार्या खेटलदे तयोः पुत्री द्वौ प्रथमपुत्र सा, रणमल तस्यभार्या रयणादे तयोः पुत्री द्वी प्र० वि० कावरा द्वितीय पुत्र चि० घनेर । द्वितीय पुत्र मा. पट्टा तस्यभार्या पाटमदे तयोः पुत्री द्वौ प्रथम पुत्र वि० नायू दिपुत्र चि० उदयसिंघ । चतुर्थ पुत्र सा. रूपा तस्यभार्या रूपलदै । पंचमपुत्र सा. तेजा तस्यभार्या तेजलदे । तयोः पुत्री हो प्रधमपुत्र चि० वळू द्वितीयपुत्र सुलतान । षष्टमपुत्र सा. भौवा तस्यभार्या व प्रथमा भावलदे द्वितीय भीवनदे। तया पुत्रा चारः प्रथम पुत्र सा. नानिग तस्यभन्या । प्रथमा नभगवे हितोया नौलावे तयोः पुन विक उदयसिंघ । सा. भावा । हिताय व सा. हेमा तस्यभार्या हेमलदे । सृतीषपूध शिल तुर्थ पुष थि० पूरण । श्तेषानो सा. भीवा तम्यभार्या माध्वी भीवलदे तयेदं शास्त्रं सुजुमालचरिश्राख्यं ज्ञानावरणी कर्मक्षयनिमितं लिहाय सत्ता प्रदर्स। २४४ प्रति सं० २ । पत्र सं० ४८ | मे० काल सं० १७८५ । घे० सं० १२५ । अं भण्डार । २४४६. प्रति सं० ३ । पत्र• ४२ । ले. कान सं० १८६४ ज्येह बुंदौ १४ । ३० म० ४१२ । च भण्डार। Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काश्य एवं चरित्र ] [ २०० विशेष महामा राधाकृष्ण ने जयपुर में प्रतिलिपि की भी। २४४०, एति सं०४ : पय में० २६ । ले. काल सं० १८१६ ! वे० सं० ३२ । छ भण्डार । वियोष-कहीं कहीं संस्कृत में कठिन शब्दों के वर्ष भी ये हुए है। २४४८. प्रति सं०५ | पत्र सं०.३४ । ले. काल सं० १८४६ ज्येष्ठ बुदी ५ । वे० सं० ३४ । छ भण्डार । विशेष—सांगानेर में सवाईराम ने प्रतिलिपि की थी। २४४६. प्रति सं०६। पत्र सं० ४४ । ले. काल सं० १८२६ पौष बुदी । वे० सं० ८६ । न भण्डार! विशेष—पं० रामचन्द्रजी के शिष्य सेवकराम ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। इनके अतिरिम भक, छ, म तथा म भण्डार में एक एक प्रति ( ० सं० २६५, ३३, २, ३३.४ ) और हैं। २४५८. सुकुमालचरित्रभाषा-पं० मायूलाख दोसी। प्रब सं० १४३ । पा० १२३४४३ इन्। भाषा-हिन्दी गद्य | विषय--चरित्र । २० काल सं० १६१ समबन मुकी ७ । ने कान सं. १९२७ चैत्र सुदी १४। पूर्स । वे० सं०८०७। क भण्डार । विशेष---प्रारम्भ में हिन्दी पद्य में है इसके बाद दनिका में है। २४५१. प्रति सं० २ । पत्र मं EिE | वे सं+ ८६१ । कसबार। २४५२. प्रति सं०३ । पाल xi सं. * मार । २४५३. सुकुमालचरित्रहरचंद गंगालाल र १५३ 14.txt. । भाषा-हिन्दी पद्य । • विषम-वस्त्रि. । २०: कास सं. १९१८ । नेश का सं. १९२६ कात्तिक सुस १५ । पूर्ण । वे. सं० ७२० । च भण्डार। २४५४. प्रति सं० २१ पत्र सं०९५४.। ले गाल. सं. १६३० । वे० सं०.५२४ 19 भाडार । २४५५. सुकुमालचरित्र..."। पत्र सं० ३६ . sx५ इ. बाषा-पिदी। विनय-परिन । २० काल X । ले. काल. सं० १६३३ । पूर्गा । वै० सं० ६६२ । भण्डार। , विशेष-~-फतेहलान भांवसा ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। प्रथम २१ पत्रों में तत्त्वार्थसूत्र है। २४५६. प्रति सं०२। पत्रसंग ६० से ७९ । ले X । सं ०६ । भण्डार । २४५५. सुमनिसानकरिनामा | फन सं | Nexsi...। भाषा संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल सं० १७०० प्रायोज सुदी १० मे काल सं० १७१४ । पूर्स । के सं० १९८ । अ भण्डार घिकोष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है। Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ + २०८ } [ काव्य एवं चरित्र संवत् १७१४ फाल्गुन सुदी १० मोजाबाद ( मोजमाबाद ) मध्ये श्री आदीश्वर चैत्यालये लिखितं पं. दामोदरेण। २४५८. प्रति सं०२। पत्र सं० ३१ । ले. काल सं० १८३० कात्तिक मुदी १३ । ये सं० २३६ । न भण्डार। २४५६. सुदर्शनचरित्र-भ० सकलकीर्ति । पत्र सं०६७ । प्रा० ११४४३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल - ले. काल सं० १७१५ । अपूर्ण । वे० सं० ८ । अ भण्डार । विशेष-५६ से ५८ तक पत्र नहीं हैं। प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- संबत १७७५ वर्षे माघ शुक्लकादश्यांसोमे पुष्करशातीयेन मिश्रजयरामेणेदं सुदर्शनचरित्रं लेखक पाठकयोः शुभं भूयात् । २४६०. प्रति सं०२ । पर सं० २ से ६४ ] ले. काल x | अपूर्ण | वै० सं० ४१५ । च भण्डार । २४६१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २ से ४१ । ले० काल X । अपूर्ण । व० सं० ४१६ । च भण्डार | २४६२. प्रति सं०४ । पत्र सं० ५० । से० काल X । ० सं० ४६ | छ भण्डार । २४६३. सुवर्शनचरित्र अझ नमिदास । पत्र सं० २६ । १० ११४५ ५ 1 भाषा-संस्कृत । विषयपरित्र । २. काल XI ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० १२ । अ भण्डार । २४६४. प्रति सं०२। पत्र सं १६ । ले. काल x। वे० सं० ४ । अ भण्डार । विशेष-प्रशस्ति अपूर्ण है। पत्र ५६ से ५८ तक नवीन लिखे हुए हैं। २४६५. प्रति सं०३ । पत्र सं० ५८ | ले. काल सं० १६५२ फागुण बुदी ११ । बे० सं० २२६ । ख भण्डार। विशेष साह मनोरथ ने मुकुंददास से प्रतिलिपि कराई थी। नीचे- सं० १६२८ में अषाढ बुधो को प० तुलसीदास के पठनार्थ ली गई। २४६६. प्रति सं०४।पत्र सं. ३८ । से- काल सं. १५३० चैत्र बुरी । वे० सं० १२ । म भण्डार। विशेष--रामचन्द्र ने अपने शिष्य सेवकराम के पठनार्य लिखाई। २४६७. प्रति सं०५ । पत्र सं० ६७ । ले० काल X । ० सं० ३३५ | 4 भण्ड ! २४६८. प्रति सं०६ । पत्र सं०७१ । ले. काल सं० १९६५ फागुन सुदी २12. सं. २१६० 1 2 महार। विशेष-लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " काव्य एवं चरित्र ] [ २०६ २४६६. सुदर्शनचरित्र - मुमुत्तु विद्यानंदि । पत्र सं० २७ से ३६ १ मा० १२३६ च । भाषासंस्कृत | विषय - चरित्र । १० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० ८६३ । भण्डार | २४७० प्रति सं० २ । पत्र सं० २१८ । ले० काल सं० १८१८ | ० सं० ४१३ च मण्डार । २४७१. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ११ । ले० काल X | अपूर्ण । ३० सं० ४१४ । च भण्डार २४७२, प्रति सं० ४ । पत्र [सं० ७७३ ले० काल सं० १६६५ भादवा बुदी ११ वे० सं० ४८ । छ भण्डार । विशेष- प्रशस्ति निम्न प्रकार है अथ संवत्सरेति श्रनृति ( श्री तुरति ) विक्रमादित्यराज्ये गतान्द संवत् १६६५ वर्ष भाद त्रुदि ११ - वासरे लघुपपतिराज्य मुद्राधिपतिश्री मन्साहिसलेम राज्यप्रवर्त्तमाने श्रीमन् काष्ठाधे माथुरगखे पुष्करगणे लोहाचार्यान्वये भट्टारक श्रीमलयकोतिदेवास्तत्पट्टे श्रीगुणभद्रदेवातस्पट्टे भट्टारक श्री भानुकीर्त्तिदेवा तट्टे भट्टारक श्री कुमारश्रेणिस्तदाम्नाये इक्ष्वाकवंदो जैसवालान्वये ठाकुराणिगोत्रे पालंव मुभस्थाने जिन चैत्यालये आचार्यगुणकीर्तिना पठनार्थ लिखितं । २४०३. प्रति सं० ५ | पत्र से० ७७ । ले० काल सं० १८६३ येशाल बुदो ४ । वे० सं० ३ | झ भण्डार ! विशेष - चित्रकूटगढ़ में राजाविराज राणा श्री उदयसिंहजी के शासनकाल में पार्श्वनाथ चैत्यालय में भ० जिनचन्द्रदेव प्रभाचन्द्रदेव प्रादि शिष्यों ने प्रतिलिपि की । प्रशस्ति अपूर्ण है । २४७४. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ४५ से० काल X | वे० सं० २१३६ । भहार । | पत्र [सं० ४ से ५ । मा० ११३२५ २४७५. सुदर्शनचरित्र चरित्र । र० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० १९६८ । अ भण्डार २४७६. प्रति सं० २ | पत्र सं० ३ से ४० ले काल X | अपूर्ण दे० सं० १६६५ | भण्डार | विशेष –पत्र सं० १, २, ६ तथा ४० से भागे के पत्र नहीं हैं । २४७७ प्रति सं० ३ | पत्र सं० ३१ | ले० काल X २४७८. सुदर्शनचरित्र | पत्र सं० ५४ | भा० र० काल x | ले० काल X पूर्ण वे० सं० १६० । छ भण्डार | अपूर्ण वे० सं०] ८५६ | भण्डार | १३४८ इञ्च । भाषा - हिन्दी गद्य | विषय - चरित्र । 4 भाषा-संस्कृस । विषय २४७६. सुभौमचरित्र - भ० रतनचन्द पत्र [सं०] ३७ । प्र० ८३४ च । भाषा-संस्कृत | विषय- सुभौम चक्रवत्ति का जीवन चरित्र ८० काल सं० १६६३ भादवा सुदी ५ । ले० काल मं० १५५० | पूर्ण । ० सं० ५५ भण्डार । विशेष – विदुध तेजपाल की सहायता से हेमराज पाटनी के लिये ग्रन्थ रखा गया। पं० सवाईराम के शिव्य नीराम के पठनार्थ गंगाविष्णु ने प्रतिलिपि को थी । हेमराज व भ० रतनचन्द्र का पूर्ण परिचय दिया हुआ है | Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१० ] भण्डार | २४८१. हनुमच्चरित्र - ब्रः अजित | पत्र [सं० १२४ । प्रा० विषय- चरित्र | र० काल X | ले० काल सं० १६८२ बैशाख बुदी ११ । पूर्ण | विशेष-- भृगुकच्छपुरी में श्री नेमिजिनालय में ग्रन्थ रचना हुई । भण्डार । भण्डार । [ काव्य एवं चरित्र २४८० प्रति सं० २ । पत्र सं० २४ । ले० काल सं० १८४० बैशाख सुदी १० सं० १५१ । न प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६८२ वर्षे वैशाखमासे बाहुलपक्षे एकादश्यां तिथौ काव्यवारे निखापितं पंडित श्री शावल शास्त्रं लिखितं जोधा लेखक ग्राम वैरागरमध्ये | ग्रन्थाग्रन्थ २००० १ २४८२ प्रति सं० २ । पत्र सं० ८५ । ले० काल सं० १६४४ चैत्र बुदी ५ ० सं० १४६ | अ भण्डार । विशेष-हेमराज पाटनी के लिये टीजराज की सहायता से ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई थी । भण्डार १०३x४५ इव । भाषा-संस्कृत । ० सं० ३० | अ भण्डार । लिपि करवायी थी। १८२६ । ० सं०८४८ | भण्डार | २४८३. प्रति ० ३ । पत्र सं० २३ | ले० काल सं० २४. प्रति सं० ४ | पत्र सं० ६२ । ले० काल सं० १६२८ वैशाख सुदी ११० सं० ४ क २४८४. प्रति सं० ५ | पत्र सं० ५१ ले० काल सं० १८०७ ज्येष्ठ मुदी ४ । ३० नं० २४३ | विशेष-तुलसीदास मोतीराम गंगवाल ने पंडित उदयराम के पठनार्थ कालाहरा ( कृष्णाग्रह ) में प्रति २४८६. प्रति सं० ६ । पत्र [सं० ८२ | ले० काल सं० १८८२ । ० सं०६६ १ ग भण्डार | २४८७. प्रति सं० ७ | पत्र सं० ११२ | ले० काल सं० १५८४ | वे० सं० १३० । घ भण्डार । विशेष लेखक प्रशस्ति नहीं है । २४८८ प्रति सं० पत्र सं० ३१ | काल X अपूर्ण । ० सं० ४४५ | भण्डार | विशेष — प्रति प्राचीन है । २४५६ प्रति सं०६ | पत्र सं० ५६ | ले० काल X ५० छ भण्डार | विशेष—प्रति प्राचीन है । २४६० प्रति सं० १० १ ०६७ ० काल सं० १६३३ कात्तिक सुदी ११ । वे० सं० १०८ क विशेष लेखक प्रशस्ति काफी विस्तृत है । मट्टारक पद्मनंदि की आम्नाय में खंडेलवाल ज्ञातीय साह गोत्रोत्पन्न साधु श्री वोही के वंश में होने वाली बाई महलल ने सोलहकारण व्रतोद्यापन में प्रतिलिपि कराकर चढाई 1 Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . काव्य एवं चरित्र ] [ २११ २४६१. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १०१ । ले० काल सं० १६२६ मंगसिर सुदी ४ । ३० सं० ३४७ । म भण्डार। विशेष-ब० डालू लोहवाल्मा सेठी गोत्र वाले ने प्रतिलिपि कराई। २४६२. प्रति सं०१२। पत्र सं० ६२ । ले० काल सं० १६७४ । वे० सं० ५१२ । न भण्डार | २४६३. प्रति सं० १३ । पन मं० २ से १०५ । ले. काल सं० १६८८ माघ सुदी १२ । अपूर्ण । वे० गं. २१४१ । ट भण्डार। विशेष-पत्र १,७३, व१०३ नहीं हैं लेखक प्रशस्ति बड़ी है। इनके अतिरिक्त झ और अ भण्डार में एक एक प्रति ( वे सं० १७७ तथा ४७३ ) पौर है । २४६४. हनुमचरित्र-ब्रह्म रायमल्ल । पत्र सं० ३९ । प्रा० १२४८ इन । भाषा-हिन्दी । विषयचरित्र । र० काल सं० १६१६ बैशाख बुदी है । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ७.१ । म भण्डार । २४६५. प्रति सं०२ | पत्र सं० ५१ । ले० बाल सं० १८२४ । ३० सं० २४२ । ख भण्डार । २४६६. प्रति सं. ३ | पत्र सं० ७५ । ले. काल सं० १५.३ सावरण बुदी ६ ० सं०६७। ग भण्डार। विशेष--साह कालूराम ने प्रतिलिपि करवायी थी। २४६७. प्रति सं०४ । पत्र सं० ५.१ । ले. काल सं० १८८३ मासोज सुदी १० । वे० सं० १०२ । हु भण्डार। विशेष-सं० १९५६ मंगसिर बुदी १ शनिवार को सुवालालजी बंकी वालों के घड़ों पर संघीजी के मन्दिर में यह ग्रन्थ भेंट किया गया। २४६८. प्रति सं० ५। पत्र सं० ३० । ले. कारन सं० १७६१ कात्तिक सुदी ११ । वे० सं० १०३ । छ भण्डार। विशेष-वनपुर ग्राम में घासीराम ने प्रतिलिपि की थी। २४६६. प्रति सं०६। पत्र सं०४२ । ले. काल x ० सं० १६६ । छ भण्डार । २५८२. प्रति सं०७ । पत्र सं० ६४ । ले. काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० १४१ । म भण्डार । विशेष-अन्तिम पत्र नहीं है। २५०१. हाराबलि-महामहोपाध्याय पुरुपोत्तमदेव । पत्र सं० १३ । पा ११४५ इञ्च . भाषासंस्कृत | विषय-काव्य । र० काल X । लेख काल XI पूर्ण । वे० सं० ८५३ । क भण्डार। २५०२. होलीरेणुकाचरित्र-पं० जिनदास । पत्र सं० ५६ । प्रा० ११४५ इच 1 भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल सं० १६०८ । ले० काल सं० १६०८ ज्येष्ठ सुदी १० । पूर्ण । ये मं० १५ ! अ भण्डार । विशेष--रचनाकाल के समय की ही प्राचीन प्रति है अत: महत्वपूर्ण है । लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ ] काव्य एवं चरित्र स्वस्ति श्रीमते शांतिनाथाय । संवत् १६०८ वर्षे ज्येष्ठमासे शुकपक्षे दरामीतियों शुक्रवासरे हस्तनक्षत्रे श्री रणस्तंभदुर्गस्य शाखानगरे शेरपुरनाम्नि श्रीशांतिनाथजिनचेस्यालये श्री पालमसाह माहियालम श्रीसल्लेमसाहराज्यमवर्तमाने श्रीमूलसंघे बलात्कारगणे नंद्याम्नाये सरस्वतीगच्छे श्रीकुंवकुंदाचार्यान्वये भ० श्रीपानं विदेवास्तत्प? भ० श्रीशुभचन्द्रदेवास्तत्पट्ट भ० श्रीजिनचन्द्रदेवास्तत्प? श्रीप्रभाषन्द्रदेवास्तच्छिष्य मा श्रीधर्मचंद्रदेवास्तवाम्नायेखंडेलवालान्द ये सेठीगोत्रे सा• सोल्हू तद्भार्या फूला तत्पुत्रास्त्रयः प्र. सा, पचायण वि. सा. डीडा तृतीय सा. करमा। सा. पचायण भार्या वोल्हा तत्पुत्र सा. दामोदर तद्भाय . प्र. खेमी द्वि० नौलादे तत्पुत्रास्त्रयः प्रथम सा. नेमा द्वितीय सा. बोथू नृतीय सा० तेजा। सा. नेमा भार्या चतुरा। सा, बोथु भार्या सवीरा सा. डीडा भार्या गौरा तत्पुत्र सा. हेमा तद्भार्य के प्रथम थीरणि द्वितीय सुहागद तत्पुत्रास्त्रयः प्रथम सा. भीखु द्वितीय सा. चतुरा नृतीय सा. भोवालु | सा. करमा भायां टरमी तत्पत्री द्वौ प्र. सा. धर्मदास द्वि० सा. जसवंत। सा. धर्मदास भायो सिगारदे जसवंत भार्या जसमादे तत्व चिरंजीवी ईसरदास एतेषांमध्ये जिनपूजापूरंदरेण उत्समगुणगरालंकृतगात्रेण सा. कर्शनामध्ये येनेदंशास्त्रलिखाप्य प्राचार्य श्री ललितकीर्तये घटापितं दशलक्षणवतोबपनार्य । २५०३, प्रति सं०२। पत्र सं०२० । ले. काल X ० सं० ३६ | अ भण्डार । २५०४. प्रति सं०३पत्र सं०५४। ले. काल सं० १७२६ माघ मुदी ७। वे०सं० ४५.१ । च .भण्डार। विशेष—यह प्रति पं० रायमल्ल के द्वारा वृन्दावतो (बून्दी ) में स्वपठनार्थ चन्द्रप्रभु बत्यालय में लिखी गई थी ! कवि जिनदास रणथंभौरगढ़ के समीप नवलक्षपुर का रहने वाला था । उसने शेरपुर के शान्तिनाथ चैत्यालय मे सं० १६०८ में उक्त ग्रन्थ की रचना की थी। २५०५. प्रति सं०४१ पत्र सं. ३ से ५५ । ले० काल X| अपूर्ण । वे० सं० २१७१ । ट भगहार । विशेष प्रति प्राचीन है। Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य २५०६. कलकदेवकथा"""""| पत्र सं० ४ । पा. १०x४१ इच। भाषा-मस्कृत । विषय-कथा। र० काल X । ले. काल Xt अपूर्ण । वे० सं० २०५६ । ट भण्डार । २५०७. अक्षयनिधिमुष्टिकाविधानप्रतकथा.......! पत्र सं० ६ । प्रा० २२४६ छ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा ! र० काल X 1 ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १८३४ । भण्डार ! २५०८. अठारहनाते की कथा-ऋषि लालचन्द । पत्र सं० ४२। प्रा० १०५ इन। भाषाहिन्दी । विषय-कथा । र. काल सं० १८०५ माह सुदी ५ ले. काल सं १८८३ कासिक बूदी ८ । वे सं० १६८ | भभण्डार । विशेष-प्रन्तिम भाग संबत अठारह पचहीतर १८०५ जी हो माह गुदी पांचा गुरुवार । भग्णय मुहरत सुभ जोग हो । ह वीगार ॥ बाल गन ॥४६॥ श्री चीतोड तल्हटी राजियो, जी हो ऋषि जीनेश्वर स्याम । श्री सीध दोलती दो घणो जी हो सीध की पूरी जै हाम ।। माहा मुनिः धनः ।१४७०॥ सलहटी भी सींगराज सो, जी हो बहुलो छय परीवार । बेटा बेटी पोतरा जी हो प्रनधन अधीक अपार ॥माहा मुनि धन ४१|| श्री कोठारी काम का धगी, जी हो छाजड़ सा नगरा सेठ ।। था रावत मुरारणा गोखरू दीपता जी हो और वाण्या हेछ । माहा मुनी धन ।।४७२।। श्री पुन्य मग छगीडयो महा जी हो श्री विजयराज वांसारण । पाट घणार भांतर जो हो गुण सागर गुरण वारण || माहा मुना० धन ॥४०३।। सोभागी सीर मेहरो जी हो साग सुरी कल्याण । परवारा पूरी सही जी हो सकल वातां सु बीयाण ॥ माहा मुनी धनः ।।४।। श्री बीजयेग, गीडवोमणी जी हो श्री भीम सागर सुरी पाट । श्री तीलक सुरंद वीर जीवज्यो जी हो सहरागुणों का था ।। माहा मुनी धन० ।४।। साध सकल में सोभतो जी हो ऋषि लालचन्द मुसोम । अठारा नता चोथी की जी हो ढाल भरणी इगतीस 11 माहा मुना० धनर ।।८७६।। ईती भी धर्म उपदेस पाठारा नाता चरीत्र संपूर्ण समाता ॥ Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ ] [ कथा साहित्य लिखतु चेली सुवकुबर जो प्रारज्या जी श्री १०८ श्री श्री श्री भागाजी तत् सखणी जी श्री श्री डमरजा श्री रामकुवर जी। श्री सेवकुबर जी श्री चंदनणाजी श्री दुल्हडी भरणतां गुरगता संपूर्ण । संवत् १८८३ वर्षे साके वर्षे मिती प्रासोज (काती) वदी ८ में दिन वार सोमरे । ग्राम संग्रामगडमध्ये मंपूर्ण, घोमासो तीजो कीधो ठाणा ६॥ की धो छो जदी लखीदछ जी । श्री श्री १०८ श्री श्री मासत्या जी क प्रसाद लखेड छ सेबुलो ।। श्री श्री मासत्या जी वाचवाने परथ । पारझा जी वाचवान भरथ ठारखा ।। ६॥ २५८६. अनन्तचतुर्दशी कथा—ब्रह्म ज्ञानसागर । पत्र सं० १२ । प्रा० १०४५ इछ । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र० काल Xले. काल XI पूर्ण | वे० सं० ४२३ । अ भण्डार । २५१०, अनन्त चतुर्दशीकथा मुनीन्द्रकीर्ति । पत्र सं०५ । प्रा० १६४५. इव । भाषा--प्राकृत । विषय-वथा । र• काल X । लेख काल ४ । पूर्ण : वे० सं० ३ । च भण्डार । २५११. अनन्तचतुर्दशीकथा...'| पत्र सं. ३ । भा० ६x६ इ | भाषा-संस्कृत । विषय-कथा। र काल X । ले० काल X 1 पूर्ण । ३० सं० २०५ । म भण्डार । २५१२. अनन्तत्रतविधानकथा-मदनकीर्ति । पत्र सं० ६ । प्रा० १२४५ ३० । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X ।ले. काल XI पूर्ण । ० सं० २०५५ । ट भण्डार । २५१३. अनन्तप्रतकथा--श्रुतसागर । पत्र सं०७। आ१०४४ च । भाषा-संस्कृत | विषयवथा । २० काल X । ले० कास x पूर्ण । ० सं०६ । स्य भण्डार । विशेष-संस्कृत पद्यों के हिन्दी अर्थ भी दिये हये हैं। इनके अतिरिक्त ग भण्डार मैं १ प्रति ( ० सं०२) भण्डार में ४ प्रनियां ( वै० सं० ८, ९, १०, ११) छ भण्डार में १ प्रति ( वै० सं०७४ ) और हैं । २५१४. अनन्तप्रतकथा-भ० पद्मनन्दि । पत्र सं०५ | प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयकया। र० काल X । ले काल सं० १७८२ सावन बुदो १ । वै० सं०७४ । छ भण्डार । २५१५.अनन्सव्रतकथा "! पत्र सं.४ प्रा० ७.४५ वा भाषा-संस्कृत । विषय-नाया। काल XI ले वालXI अपूर्ण | ने म७। कु भण्डार । २५१६. प्रति सं०२ ! पत्र सं० २ । ले० काल X । अपूर्ण | वे० सं० २१८० । ट भण्डार । २५१७. अनन्त व्रतकथा...। पत्र सं० १० । प्रा०६४ ३ ३ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा (जै तर) र० काल X । ले० काल मं० १८३८ भादवा मुदी ७ । वै० सं० १५७ । छ' भण्डार । २५१८. अनन्तव्रतकथा- खुशालचन्द । पत्र सं० ५। प्रा० १०४४३ इक्छ । भाषा-हिन्दी । विषयकथा । २० काल ले. काल सं० १९३७ पासोज बुदी ३ । पूर्ण । वे० सं०६९ | अभण्डार | Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २१५ कथा-साहित्य __२५१६. अंजनचोरकथा"...] पत्र सं. ६ । मा०x४ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषय- कथा । २० काल x। ले० काल X। अपूर्ण। वे० सं० १६१४।ट भण्डार। २५२०. अपादएकादशीमहारग्य"" ""पत्र सं० २। मा १२४६ इन्च भाषा-संस्कृत । विषयक्या। र काल x | ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ११४६ । अ मण्डार । विशेष—यह जैनेतर ग्रन्थ है। २५२१, अष्टांगसम्यग्दर्शनकथा-सकलकीर्ति । पत्र सं० २ से ३६ । आ० ७६x६ इन् । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । २० कालं X | ले. काल X । अपूर्ण : वे० सं० १६२१ । ट भण्डार | विशेष---कुछ बीच के पत्र नहीं हैं। पार्टी अगों की अलग २ कथायें हैं। २५२२. अनागोपाख्यान-५० मेधावी । पत्र सं० २८ । मा० १२३४५६ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र• काल X ।ले. काल X । पूर्ण । ० सं० ३१८ । अ भण्डार । २५२३. अष्टालिकाकथा-भ० शुभचंद्र । पत्र सं० ८ । प्रा. १०४४६इ। भाषा-संस्कृत । विषयकथा | र० काल X । ले. काल XI पूर्ण । बे० सं० ३०० | अ भण्डार। विशेष-श्र भण्डार में ३ प्रतियां ( वै० सं० ४८५, १००, १०७२) ग भण्डार में १ प्रति ( ० सं० ३ ) हु भण्डार में । प्रतियां (. ४१, २, ४३, ४४ च भण्डार में ६ प्रातयां (व० सं० १५, १६, १७, १८, १६, २० ) तथा छ भण्डार में १ प्रति ( वे० सं०७४ ) और हैं। २५२४. अष्टालिकाकथा-नथमल ! पत्र सं० १८ । प्रा० १०६४५ ६ | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-- कथा । र० काल सं० १९२२ फागुण सुदी ५ । ले० काल - I पूर्ण । ० ० ४२५ | श्र भण्डार । विशेष-पत्रों के चारों ओर बेल बनी हुई है। इसके पतिरिक्त क भण्डार में ४ प्रतियां ( वे० सं० २७, २८, २६, ७६३) ग भण्डार में १ प्रति (के. सं०४) भण्डार में ४ प्रतियां ( वे० सं० ४५, ४६, ४७, ४) च भण्डार में ४ प्रतियां ( ० ० ५०६, ५१०, ५११, ५१२ ) तथा छ भण्डार में १ प्रत्ति (ले० सं० १७६ ) और हैं। इसका दूसरा नाम सिंचन व्रतकथा भी है। २५२५. अष्टाह्निकाकौमुदी...."| पत्र सं० ५। प्रा० १०x४ भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल ४ ! ले. काल । अपूर्ण | वे० सं० १७११ । ट भण्डार । २५२६. अष्टाहिकात्रतकथा" पत्र सं० ४३ । मा०४६ मा भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं०७२ । छ भण्डार । विशेष छ भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १४५.) की पौर है। - Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ ] [ कथा-साहित्य २५२७. अष्टाह्निका श्रतकथासंग्रह - गुणचन्द्रसूरि । पत्र सं० १४ । प्रा० १३४६६ च । भाषा - संस्कृत । विपय - कथा | ८० काल X | ले० काल X। पूर्ण वे० सं० ७२ । छ भण्डार । २५२८. शीकरोहिणी कथा - श्रुतसागर । पत्र सं० ६ । ० १०३५ च । भाषा-संस्कृत । विषय - कथा | र० काल X | ले० काल सं० १५६४ । पूर्ण बै० सं० ३५ । छ भण्डार । २५२६. अशोकरोहिणी व्रतकथा | पत्र सं० विषय—कथा | र० काल X | ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० ३६ । ऊ भण्डार 1 १८ | श्र० १०३०५ च । भाषा - हिन्दी गद्य । २५३०. अशोक रोहिणी व्रतकथा | पत्र सं० १० । भा० ५२४६ इंच भाषा - हिन्दी गद्य । २० काल सं० १७८४ पौष बुदी ११ । पूर्ण । ० सं० २८१ । भण्डार | | ङ भण्डार । २५३१. आकाशपंचमीव्रतकथा -- श्रुतसागर | पत्र सं० ६ १ विषय - कथा र० काल x | ले० काल सं० १६०० श्रावण मुदी १३ । पूर्ण । २५.३२. काशपंचमीकथा | पत्र सं० से २१ कथा | १० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । ३० सं० ५० २५३३. आराधना कथा कोष । पत्र सं० विषय-कथा । र० काल X | ले० काल X। अपूर्ण । वे० सं० विशेष – ख भण्डार में १ प्रति ( तथा दोनो ही प्रपूर्ण हैं । ११८ से ३१७ | ० १२५३ इव । भाषा - संस्कृत | १९७३ | अ भण्डार | ० सं० १७ ) तथा ट भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० २१७४ ) और है २५३४. आरधनाकथाकोश ० ११३६० इंच । भाषा-संस्कृत | ० सं० ५१ | भण्डार | ० १०४ इंच भाषा-संस्कृत विषय- पत्र सं० १४४ । ० १०३४५ इंच भाषा संस्कृत । विषय कथा । १० काल X | ले० काल x | अपूर्ण । वे० सं० २६६ । भण्डार । विशेष -- ८४वी कथा तक पूर्ण है। प्रन्थकर्ता का निम्न परिचय दिया हैं । प्रत्येक कथा के अन्त में परिचय दिया गया है। श्री मूलसंधे दरभारतीये गच्छे बलात्कारगणेति रम्ये । श्री कुंदकुंदास्यमुनींद्रो जातं प्रभाचन्द्रमहायतीन्द्रः ॥५॥ देवेंद्रचंद्रार्कसम्मचितेन तेन प्रभाचन्द्रमुनीश्वरेगा । अनुहार्थं रचित सुवाक्यैः आराधनासार स्थाप्रबन्धः || ६ || तेन क्रमेणैव मया स्वशक्त्या श्लोकैः प्रसिद्ध श्वनिगद्यते सः | मार्गेन किं भानुकर प्रकाशे स्वलीलया गच्छति सर्वलोकः ॥७॥ २५३५. श्राराधनासारप्रबंध - प्रभाचन्द्र । पत्र ० १५६ । श्री० १९९४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा | र० काल X | ले० काल X 1 अपूर्ण वे० सं० २०६५ । ट भण्डार । विशेष --- ५६ से आगे तथा बीच में भी कई पत्र नहीं हैं । * Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ]. [ २१७ २५३६. श्रारामशोभाकथा....! पत्र सं०६ । मा० १०x४३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-कथा । र० काल x 1 ले. काल X पूर्ण । वे० सं० २३६ । ब भण्डार । विग- नाम्न प्रकारें हैं। प्रारम्भ--- अन्यदा श्री महावीरस्वामी राजगृहेपुरे समवासरदुद्याने भूयो मुण शिलाभिषे ॥१॥ सद्धर्ममूलसम्यक्त्वं नेमल्यकरणे सदा। यतध्वमिति तीर्थेशा वक्तिदेवादिपर्षदि ।।२।। देवपूजादिश्रीराज्यसंपदं सुरसंपदं । निर्वाणकमलांचापि लभते नियतं जनः ॥३॥ पन्तिम पाठ यावची सुते राज्य नाम्ना मलयसुंदरे । क्षिपामि सफलं तावत्करिष्यामि निजं जनु ।।७५|| सूरि नत्वा गृहे गत्वा राज्य क्षिप्त्वा निजांगजे । पारामशोभयायुक्ते राजावतमुपाददे ।।७।। अधीत सर्वसिद्धातं संविग्नमुणसंयुतं । एवं संस्थापयामास मुनिराजो निजे पवे ॥७७।। गीतार्थाय तथारामशोभायै गुणभूमथे । प्रवत्तिनोपदं प्रादात् गुरुस्तद्गुणरंजितः ॥८॥ संबोध्य भविकान सूरि: कृत्वा तैरनशनं तथा । विपद्यावपि स्वर्गसंपदं प्रापतुर्वरं ॥६॥ ततश्च्युला क्रमादेतौ नरता सूदता वरान् । भयान् कतिपयान प्राप्म शास्वती सिद्धिमेष्यत 1॥८॥ एवं भोस्तीर्थकद्भक्तः फलमाकर्ष सुंदरं । कार्यस्तत्करणेपनो युष्माभिः प्रमदात्सदा ॥१॥ ॥ इति जिनपूजा विषये प्रारामशोमाकथा संपूर्ण । संस्कृत पद्य संस्था २६१ है। २५३७. उपांगललितव्रतकथापन सं० १४ मा० २१४४ इच | भाषा-संस्कृत । विषपकृषी (जैनेतर) कालखक कालXपूर्ण : वे० सं० २१२३ । अभण्डार । Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ कथा-साहित्य २५३८. ऋण संबंधकथा — अभयचन्द्रमणि । पत्र ०४ ० १०x४३ इंच भाषा - प्राकृत विषय - कथा | र० काल X | ले० काल सं० १६९२ ज्येष्ठ बुदी १ । पूर्ण । ३० सं० ८४० । अ भण्डार । विशेष – आणंदरायगुरुणा सीसेरा अभयचंदग रिणरणाय माहरणचन्द्रपुत्राणं कहा कि ग्यारघनरसए ११२ ॥ इति रिर संबंधे छ ॥१॥ श्री श्री पं० श्री श्री प्रासदिविजय मुनिभिर्लेखि | श्री किहरोरमध्ये संवत् १६६२ वर्षे जेट वदि १ दिने । २५.३६. औषधदानकथा - ० नेमिदत्त | पत्र सं० ६ । भा० १२४६ इंच | भाषा-संस्कृत विषय। र० काल X | ले० काल X अपूर्ण । ० सं० २०८१ । ट भण्डार । विशेष – २५ तक पत्र नहीं हैं। २१८ ] २५४०, कठियारका नढरी चौपई - मानसागर । पत्र सं० १४ | विषय - कथा | ० काल सं० १७४७ | ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १००३ । विशेष – आदि भोग अन्तिम — ० १०४३ इव । भाषा - हिन्दी | भण्डार । श्री गुरुभ्योनमः ढाल जंबूद्वीप मकार एहनी प्रथममुनिवर श्रार्यसुहस्तिकि इक अवसरह नयइ उजेरणी ग्राबियारे । चरा करण व्रतधार गुणमरिण आगर बहु परिवार परिवस्थाए ॥१॥ वन वाड़ी विश्राम लेइ तिहां रह्या दोइ मुनि नगर पठाविया ए । ानक मांग का मुनिवर मान्हूता भद्रानई घरि भाविया ए ॥ २१॥ सेनानी कहे ताम्र शिष्य तुम्हे केहनास्ये काजे श्राव्या इहां ए । प्रार्य सुहस्तिना सीस अम्हे छां श्राविका उद्याने गुरु है तिहाए ॥ ३॥ सत्तर सेताले सबै म तिहां कीधी चौमास ॥ मं० ॥ सदगुरु ना परसाद थी म. पूगी मन की घास || मल है। मानसागर सुख संपदा म जति सागरगरि सोस । मं० ॥ साधुतरा गुणगावतां म. पूगी मनह जगीस || दिग पट कथा कोस थी म रचीयो ए अधिकार अद्धि को उल्लो भाषीयो मं. भिला दुकड़ कार ॥ नवमी काल सोहामजी मं० गौडी राम सुरंग । सागर कहे सांभलो दिन दिन बधतो रंग ॥ १० ॥ इति श्री सोल विषय कठीयार कानड़री जोई संपूर्ण । Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य } [२१६ २५४१. कथाकोश-हरिषेणाचार्य । पत्र सं० ४६१ । प्रा० १०४४३ इच । भाषा-संस्कृत । विषयकथा | र• काल सं. ९८६ । ले० काल सं. १५६७ पौष सुदी १४ । वै० सं० ८४ । ब भण्डार । वियोष-संधी पदारथ ने प्रतिलिपि करवायी थी। २५४२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३१८ ! मा० १०४५६ च । ले० काल १८३३ भादवा बुदी 55 | वे. सं० ६७१ । क भण्डार। २५४३. कथाकोश-धर्मचन्द्र | पत्र सं० ३६ से १०६ । पा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-वधा । र० काल ४ । ले० काल सं० १७९७ प्रषाढ बुदी ६ । अपूर्ण । के० सं० १६६७ । अ भण्डार । विशेष-१ से ३६, ५३ से ७० एवं ८७ से ८९ तक के पत्र नहीं हैं। लेखक प्रशस्ति संबत् १७९७ का प्रासाबमासे कृष्णपक्षे नवम्मा शनिबारे अजमेराख्ये नगरे पातिस्याहाजी महमदस्याहजी महाराजाधिराज राजराजेश्वरमहाराजा श्री उभंसिंहजी राज्यप्रवर्त्तमाने श्रीमूलसंघेसरस्वतीगच्छे वलात्कारगणे नंद्याम्नाये कुंदकुंदाचार्यान्वये मंडलाधार्य श्रीरत्नकोत्तिजी तत्पट्ट मंडलाचार्य श्रीविद्यानंदिजी तत्पट्ट मंडलाचार्य श्रीश्रीमहेन्द्र कीतिजी तत्पट्ट मंडलाचार्यजी श्री श्री श्री १०८ श्री अनंतकीतिजी तदाम्नाये ब्रह्मचारीजी किसनदासजी तत् शिष्य पंडित मनसारामेरा व्रतकथाकोशाख्यं शास्त्रलिखापितं धम्मोपदेवदानार्थ ज्ञानावरणीकर्मक्षया मंगलभूयाच्चविधसंघानां । २५४४. कथाकोश (आराधनाकथाकोश)-० नेमिदत्त । पत्र सं० ४६ से १६२ । प्रा० १२६४६ इंन । भाषा-संस्कृत। विषय-कथा । र० काल XI ले. काल सं० १८०२ कात्तिक दुदो ६ । मपूर्ण। वे० सं० २२६६ । श्र भण्डार ! २५४५. प्रति सं २ । पत्र सं० २०३ । ले. काल सं० १६७५. सावन बुदी ११ । ० सं० १८ । क भण्डार। विशेष लेखक प्रशस्ति कटी हुई है। इनके अतिरिक्त भण्डार में १ प्रति ( ये० सं०७४ } च भण्डार में १ प्रति ( ० सं० ३४) छ भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ६४, ६५) और हैं। २५४६. कथाकोश'....."पत्र सं २५ । प्रा० १२४५३ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । नेक काल X 1 अपूर्ण । वे० सं०५६ १ च भण्डार । विशेष- च भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं० ५७, ५८ ) ट भण्डार में २ प्रतियां (व० सं० २११७ २११८ )ौर हैं। २५४७. कथाकोश....! पत्र सं० २ से १८ । मा० १२४५३ इंच । भाषा-हिन्दी 1 विषय-कया । २० काल । ले. काल X 1 अपूर्ण । ० सं०६६। 3 भण्डार । Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० ] [ कथा-साहित्य २५४८. कथारबसागर-नारचन्द्र पत्र सं० ५। प्रा० १०x४. इ | भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र०काल से काल - पूर्ण । ० सं० १२५४ । अ भण्डार । विशेष---बीय प त्र हैं। २५४६. कथासंग्रह-प्रहाज्ञानसागर | पत्र सं० २५ । मा० १२४६ इन्। भाषा-हिन्दी । विषयकथा । र० काल X । ले० काल सं० १८५४ बैशाख बुदी २ । पूर्ण । वे० सं० ३६८ । श्र भण्डार । नाम कथा पद्य संख्या [१] त्रैलोक्य तीन कथा [२] निसस्याष्टमी कथा [३] जिन रात्रित कथा ७ से १२ [४] अष्टाह्निका व्रत कथा १२ से १५ [५] रक्षबंधन कथा १५ से १९ [६] रोहिणी व्रत कथा १६ से २३ [७] माविल्यवार कथा २२ से २५ विदोष-१८५४ का बैशाखमासे कृष्णपक्षे तिथौ २ गुरुवासरे । लिख्यं तं महात्मा स्यंभुराम सवाई जयपुर मध्ये | लिखायतं चिरंजीव साहजी हरचंदजी जाति भौंसा पठनार्थ । २५५०. कथासंग्रह.."। पत्र मं० ३ से १ । प्रा० १.४४ इश्क। भाषा-प्राकृत हिन्दी । विषयकथा | र काल X । ले० काल ४ ० सं० १२६३ । प्रपूर्ण : अ भण्डार । २५५१. कथासंग्रह..."| पत्र सं० १४ । मा० १२४७६ इंच । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय था। २० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं०६९ | क भण्डार । विशेष-द्रत कथायें भी हैं । इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १०० ) और है। २५५२, कथासंग्रह..."| पत्र से०७८ पा१०९४५ इन। भाषा-संस्कृत | विषय-कथा। र. काल | काल पूर्ण । बे० सं० १४४ | श्र भण्डार । २५४३, प्रति सं० २। पत्र सं० ७६ । ले० काल सं० १५७ । वे० सं० २३ । ख भण्डार । विशेष--३४ कथाओं का संग्रह है। २५५४. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६ 1 ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं २२ १ व भण्डार । विशेष-निम्न कथायें हो हैं। १. पोडशकारसाकथा प्रभदेव । २. रत्मत्रयविधानकथा--रस्नकोति । Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ २२१ हु भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०१७ ) और है । . २५५५. कयवन्नाचौपई-जिनचंद्रसूरि । पत्र सं० १५ । मा००४ इंच। भारा-हिन्दा ( राजस्थानी ) । विषय-कथा । र० काल सं० १७२१ ।ले. काल सं० १७८९ । पूर्ण । वे० सं० २४ । म्व भण्डार 1 विशेष-चयन विजय ने कृष्णगढ में प्रतिलिपि की थी। २५५६. कर्मविपाक... 1 पत्र सं० १८ । मा० १०x४ इंच | भाषा--संस्कृत । विषय-कया । र. काल - I ले. काल सं० १८१६ मंगसिर बुदो १४ । वे० सं० १.१ । ब भण्डार । isit-अन्तिम पिका निम्न प्रकार है। इति श्री सूर्या रुगसंवादरूपकर्मविपाक संपूर्ण । २४५७. कवलचन्द्रायणवतकथा"*"। पब सं०४। प्रा० १२४५ डा। भाषागंस्कृत । विषमकथा । १७ काल ४ । ले० काल - १ पूर्ण । ३० सं० ३०५ । अ भण्डार । विशेष-क भण्डार में एक प्रति ( बे० सं० १.१ ) तथा ब भण्डार में एक प्रति ( ० सं०४०२) और है। २५५८. कृष्णरुक्मिणीमंगल-पदमभगत । पत्र सं० ७३ । प्रा० ११३४५६ ईच । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा । र० काल X । ले. काल सं० १८६० । ० सं० ११६० । पूर्ण । अ भण्डार । विशेष--धी गमोशाय नमः । श्री गुरुभ्यो नमः । प्रथ कमरिण मंगल लिखत । यादि कीयो हरि पदमयोजी, दोयो विवाण खिनाय । कीरतकरि श्रीकृष्ण की जी, लीयो हजुरी बुलाय॥ पावा लाग्यो पदमयोजी, जहां बड़ा रूकमणी जादुराय । कपा करी हरी भगत पे जी, पीतामर पहराय ।। पाग्यादि हरि भगत ने जी, पुरी दुवारिका माहि । समरिण मंगल सुरणे जी, ते अमरापुरि जाहि ।। नरनारियो मंगल सुरणे जी, हरिचरण चितलाय । थे नारी इंद्र की अपरा जी, 4 नर बैंकुठ जाय ।। व्याह बेल भागीरपि जी गीता सहसर नाव । गावतो प्रमरापुरी जी पाव(ब)न होय सब गाय ।। चोले राणी रुकमरिण जी, सुणज्यो भगति सुजाण । या किया रति केशो तरणी जी, येसडीर करोजी बखाण ।। वो मंगल परगट करो जी, सत को सवद विचारि । बीडा दीयो हरी भगत नै जी, कथीयो कृष्ण गुरारि ।। Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ ] [ कथा-साहित्य गुरु गोबिंद ने बिनया जी, अभिनासी जी देव । नन मन तो पागधरा जी, कराजी गुरो की जी सेव ।। गुरु गोविंद बताइया जी, हरी चाय ब्रमंड । पुरु गोबिंद के सरने प्राये, होजो कुल की लाज सब पेली । कृष्ण कृपा ते काम हमारो, भरता पदम यो तेली। पत्र ४० - राग सिंधु । ससिपाल राजा बोलियो जी सुरिण जे राज कवार। जो जादु जुध प्रायसी, तो भोत बजाऊ सार ।। ये के सार धार करु वरखा, बाण बहे अपार । गोला नालि अनेक छूटे सारग्यां री मार ॥ डाहलतरिण फोजे भली पर ग्राप सुगिज्यों राज्य के बार। भूप वतलाझ्याइजी... अन्तिम माता करी ने प्रमुजी रो भारितो भोमि दान दत होय। श्रवण सत गुर सामसो, दोष न लागे कोय।। श्रीकृष्ण को व्याहली, सुर्ण सकल बितलाय । हरि पुरव सब कामना, भगति मुकति फलदाय ।। द्वाराति मानन्द हुबा, मुनिजन देत प्रसीस । जन पिय सामलिया, सोगासरण जगदीस ।। स्कमरिण जी मंचल संपूर्स ।। संवत १८७० का साके १७३५ का भाद्रपदमासे शकपक्ष पंचम्या चित्राभीमनक्षत्रे द्वितीयचरणे तुलाग्ने सभाप्तोर्य ।। शुभं ।। २५५६. कौमुदीकथा--आचार्य धर्मकीर्सि। पत्र सं० ३ से ३४ । प्रा. ११४४ इन्न । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । २० काल X1 ले. काल सं० १६६३ । अपूर्ण । वे० सं० १३२ । भण्डार । विशेष ब्रह्म डूगरसी ने लिखा। बीच के १६ से १८ तक के भी पत्र नहीं हैं। २४६०, स्याज गोपीचंदका.....! पत्र सं १६ । मा० ६x६३ इच। भाषा-हिन्दी पत्र । विषयकथा । २० काल Xले. नाल -1 पूर्ण । वे० सं० २५५ । म भण्डार। विशेष-अंत में और भी रागिसियों के पकः दिये हुये हैं। २५६१. चतुर्दशीविधानकथा.....) पत्र सं० १५ । आ० ८४७ च । भाषा-संस्कत । विषय-कथा । २० काल ४।ले. काल पूर्ण । वे० सं०७। च भकार । Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साधि५ ] २५६२. चंद्रकुंवर की वार्ता--प्रतापसिंह । पत्र सं० ६ । प्रा० ११४४३ च । भाषा--हिन्दी गद्य । विषय-कथा । २० काल XI ले. काल सं० १८४१ भादवा । पूर्ण । वै० सं० १७१ । ज भण्डार । विशेष- पद्य हैं। पंडित मन्त्रालाल ने प्रतिलिपि की थी। अन्तिम प्रतापसिंघ घर मन बसी, कविजन सदा सुहाइ । जुग जुग जीवों नंदकुवर, बात कही कविराय ।। ६६ । २५६३. चन्दनमलयागिरीकथा भद्रसेन । पत्र सं० ६। मा० ११४५३ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-कथा। २० काल xले. काल X । पूर्ण । वे० सं०७४ | छ भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। आदि अंत भाग निम्न प्रकार है। प्रारम्भ स्वस्ति श्री विक्रमपुरे, प्रणामों श्री जगदीस । सन मन जीवन सुख करण, पूरत जगत जगीस ||१|| वरदाइक श्रुत देवता, मति विस्तारण मात । प्रणमौं मन धरि मोद सौं, हरे विघन संघात ॥२॥ मम उपकारी परमगुरु, गुण मक्षर दातार | बंदे ताके चरण जुग, भद्रसेन मुनि सार ॥३॥ कहाँ चन्दन कहां मलयगिरि, कहां सायर कहां नीर । कहिये ताकी वारता, सुरगो सबै पर वीर ॥४॥ अन्तिम कुमर पिता पाइन छुचे, भीर लिये पुर संग । मांसुन की धारा छुटी, मानो न्हावरण गंग ॥१६॥ दुख जुमन में सुख भयो, भागी विरह विजोग । आनन्द सौं व्यारों मिले, भयो यपूरव जोग ।। १८७॥ गाहा करूहवि चंदन राया, कच्छव मलयागिरिविते । कच्छ जोहि पुण्यवान होई, वितता संजोगो हबइ गव ॥१॥ कुल १५८ पच हैं। ६ कत्तिका है। २५६४. चन्दनमलयागिरिकथा-चतर । पत्र सं० १० । मा० १.१४४ इB | भाषा-हिन्दा । विषय-कथा ! २० काल सं० १७०१ । ले. कान । पूर्ण | वे० मं० २१७२ 1 अ भण्डार । अन्तिम डाल-वाल एहवी साधनुम् । कठिन माहावरत राख ही व्रत राखीहि सोइ चतर सुजाण ।। अनुकरमह मुख पामीयाजी, पाम्यो प्रमर विमाण ॥१॥ गुणवंना माधनम् ।। Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४ । [ कथा-साहित्य गुरण दान सील तप भावना, व्या रे परम प्रधान ।। सुधइ चित्त जे पालइ जी पासी सुख कल्याण ॥ २॥ गुणः ।। सतियाना गुण गावता जो जावह पातिग दूर ।। भली भावना भावजी जाइ उपसरग दूर ॥ ३ ॥ गुण ।। संमत सत्रासइइकोत्तरह जी कीधो प्रथम अभास ।। जेनर नारी सांभलो जी तस मन होइ उलास ॥४॥ गुण ॥ राखी नगर तो पावणो जी वसईतही सरावक लोक ।। देव गुगरानी नाद ना निक। ५ ।। गुण ॥ गुजराति गच्छ जागीय जी श्री पूज्य जी जसराज ॥ मानारद करो सोभतो जी सं........वीरज रूपराज ॥ ६ ॥ गुण. । तस गछ माहि सोभता जी सोभा थिवर सुजाण ।। मोहला जी ना जस घणा जी सीव्या बुद्धि निधान ।। ७ ।। गुण ।। बीर वचन कहइ दीरज हो तस पाटे धरमदास ॥ भाऊ पिवर परवागीयइ जी पंडित गुरपहि निवास ।। ८ ।। गुरग । तस सेवक इम वीनवर जी चतर कहइ चितलाय ।। गृणभरणता पुरसता भाबमूजी तस मन पंछित थाय ।। ६ ।। गुरण• ॥ ॥ इति श्रीचंदनमलयागिरिचरित्रसमारतं ।। २५६५. चन्दनधिकथा---० श्रुतसागर। पत्र सं० ४ । प्रा० १२४६ इ । भाषागत । विषय-कथा । २० कथा । र० काल X1ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १७० । क भण्डार । विशेष- भण्डार में एक प्रति वे० सं० १६६ की और है। २५६६. चन्दनषष्ठिकथा पत्र सं० २४ । मा० ११४५ इच । भाषा-संस्कृत । बिषय-कश्या । २. काल ले. काल XI पूर्ण । ० सं०.१८ । ध भण्डार । विशेष—अन्य कथायें भी हैं। २५६७. चन्दनधित्रतकथाभाषा-खुशालचंद फाला। पत्र सं० ६ । मा० ११४४६ च । विषयकथा 1 काल X । से काल X । पूर्ण । वे० सं० १५६ । क भण्डार । २५६८. चंद्रहंसकी कथा-टीकम । पत्र सं०७० । प्रा. ६x६ च । भाषा-हिन्दी । विषय-वथा । २. काल सं० १७०८ । ले० काल सं० १७३३ । पूर्ण । वे सं० २० । घ भण्डार । विशेष—इसके अतिरिक्त सिन्दूरप्रकरण एकीभाष स्तोत्र मादि और है । Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य 1 [ २५ २५६६. चारमित्रों की कथा-- अजयराज । पत्र सं० ५। मा० १०६४५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र० काल सं० १७२१ ज्येष्ठ सुदी १३ । ले. काल सं० १७३३ । पूर्ण | वे० सं० ५५३ । च भण्डार । २५७२. चित्रसेनकथा...."। पत्र सं० १८ । प्रा० १२४५६६। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल ४ । ले. काल सं० १८२१ पौष दुदो २ । पूर्ण । वे० सं० २२ । र भण्डार । विशेष-श्लोक संख्या ४६५ । २५७१. चौधाराधनाउयोतककथा-जोधराज । पत्र सं० ६२ । प्रा० १२,४७१ च । भाषाहिन्दी । विषय-कधा। र० कालxले. काल सं० १९४६ मंगसिर सुदी। पूर्ण । ३० सं० २२ । घ भण्डार । विशेष-सं० १५०१ की प्रति से लिखी गई है। जमनालाल साह ने प्रतिलिपि की थी। सं० १८०१ चाकसू" इतना और लिखा है। मूल्य- ५) ) 11) इस तरह कुल ५ लिखा है। २५७२, जयकुमारसुलोचनाकथा....."; पत्र सं० १६ । प्रा. ७४८; इच । भाषा-हिन्दी | विषयकथा । र० काल XI ले० काल x 1 पूर्ण । वे० सं० १७६ । छ भण्डार । २५७३. जिनगुणसंपत्तिकथा...... | पत्र सं० ४ । मा० १.१४५ इन्च । भाषा संस्कृत । विषयकथा । र० काल X । ले० काल सं० १७८५. चैत्र बुदी १३ । पूर्ण । ३० सं० ३११ । अ भण्डार । विशेष-कभण्डार में (वे. सं. १८) की एक प्रति मौर है जिमकी जयपुर में मांगीलाल बज ने प्रतिलिपि की थी। २५७४. जीवजीतसंहार--जैतराम । पत्र सं० ५। प्रा० १२:५८ इंच | भाषा-हिन्दी पद्य । विषयकथा | २० काल X । ले. काल XI पूर्ण । व० सं० ७७६ । अ भण्डार । विशेष—इसमें कवि ने मोह और चेतन के संग्राम का कथा के प में वर्णन किया है। २५७५. ज्येजिनबरकथा........| पत्र सं० ४ । प्रा०१३४४ इच । भाषा-संस्कृत । विश्य था। र० कान X । ले. काल X | पूर्स । ३० सं० ४८३ । म भण्डार 1 विशेष—इसी भण्डार में (व० सं०४४) की एक प्रति और है। २५४६. ज्येष्ठजिनवरकथा---जसकीति । पत्र सं० ११ से १४ । प्रा० १२४५३ च । भाषाहिन्दी । विएम-कथा । १० काल X । ले. काल सं० १७३७ भासौज बुढो ४ । अपूर्ण । वे० सं० २०८५ । म भण्डार। विशेष-जसकीत्ति देवेन्द्रकीति के शिष्य थे। २५७७. ढोलामारुवशी चौपई -कुशल लाभगणि । पत्र सं० २८ । प्रा० २४४ ३५ । भाषाहिन्दी ( राजस्थानी ) । विषय-कथा । र० काल X I ले कान X । पूर्ण । वे० सं० २३८ । उ भन्दार । Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२६ } [ कथा-साहित्य प्रा० ६x८ इंच । भाषा - हिन्दी | ० सं० १५६१ | ट भण्डार । २५७८. ढोलामारुणीकीबात | पत्र सं० २ से ७० विषय - कथा | र० काल X | ले० काल सं० १९०० भाषाक सुदी ८ अ विशेष – १, ४, ५ तथा ६ठा पत्र नहीं है। हिन्दी गद्य तथा दोहे हैं। कुल ६८८ दोहे हैं जिनमें ढोलामारू की बात तथा राजा नल की विपत्ति प्रादि का वर्णन है । अन्तिम भाग इस प्रकार है मारूजी पोहरने कागद लिखि प्रोहित ने सीख दीनी । ई भाति नरवल को राज करें । मारुरूजी की कूख कंवर लिछमरण स्यंत्र जी हुबा । मालवण की क्रू स्त्रि कंबर वीरभाग जी हुवा। बॉय कंवर ढोला जी क हुवा। ढोला जो की मारूत्री को श्री महादेव जी की किरपा सु अमर जोड़ी हुई । लिछमण स्पंघ जी कंवर सुं श्रौलाद कुछाहा की चाली । कोला राजा रामस्थंच जो ताई पीढ़ी एक सौदस हुई। राजाधिराज महाराजा श्री सवाई ईसरीसिंहजी तोडी पीढ़ी एक सौ चार हुई || E इति श्री ढोलामारुजी रानी की बाला संपूरण । मितीस सुदी बुधवार संग १६०० का लिलाराम चांदवाड की पोथी सु उतार लिखितं रामगंज में | पत्र ७७ पर कुछ श्रृंगार रस के कवित्त तथा दोहे हैं। बुधराम तथा रामचरण के कवित्त एवं गिरधर की कुंडलियां भी हैं । २५७६. ढोलामारुणी की बात कथा । र० काल X | ले० काल X। अपूर्वं । वे० सं० १५६० ट भण्डार । | पत्र सं० १ । प्रा० ६३६ । भाषा - हिन्दी पद्य | विषय - विशेष - ५२ पद्य तक गद्य तथा पद्य मिश्रित हैं। बोष बीच में दोहे भी दिये गये हैं २५८० णमोकारमंत्रकथा । पत्र सं० ४२ से ७१ । ० १२३०६ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय कथा । १० काल X। ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० २३७ | ङ भण्डार । विशेष – रणमोकार मन्त्र के प्रभाव की कथायें हैं। २५५१. त्रिकाल चौबीसीकथा ( रोटती जकथा ) - पं० श्रदेव | पत्र सं० २० १९३५ उच्च भाषा-संस्कृत विषय कथा र काल X | ले० काल सं० १५२२ । पूर्ण ३० सं० २६६ ॥ श्र भण्डार | विशेष- इसी भण्डार में १ प्रति ( ३० सं० ३०८ ) की और है । २३८२. त्रिकाल चौबीसी ( रोटतीन ) कथा - गुरणनन्दि पत्र सं० २ । भाषा-संस्कृत | विषय - कथा | र० काल X | ले० काल मं० १६६६ । पू । ० सं० ४८२ । ० १०३४४ इंच | भण्डार | Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २७ विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १३३७) ख भण्डार में एक प्रति ( वै० म० २५४ ) हु. भण्डार में तीन प्रतियां ( वे० सं० ६६२, ६६३, ६६४) और हैं । २५८३. त्रिलोकसारकथा"..."| पत्र सं० १२ । प्राः १०३४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र० काल मं० १६२७ । ले. काल सं० १८५० ज्येष्ठ सुदी ७ । पूर्ण । ३० सं० ३८७ । अ भण्डार | विशेष-लेखक प्रशस्ति सं० १८५० शाके १७१५ मिती ज्येष्ठ शुक्ला ७ रविदिने लिस्वायितं ५० जी श्री भागचन्दजी माल कोर्ट पधारमा ब्रह्मचारीजी शिवसागरजा चेलान लेवा । दक्षण्याकेर उं भाई के राडि हुई सूरदार तकूजी भाग्यो राजा जी को फते हुई । लिखितं गुरुजी मेघराज नगरमध्थे । २५८१, दत्तात्रय.."। पत्र सं० ३६ । प्रा० १३३४६, इच 1 भाषा-संस्कृत | विषय-कया। र० काल x | ले. काल सं० १९१५ । पूर्ण । वे० सं० ३४१ । अ भण्डार | २५८!- दर्शनकथा--भारामाद ! पत्र मं० २३ । प्रा० १२४७: इन। भाषा-हिन्दी पन्छ । विषयकया। र० काल ४ | ले. काल X । पूर्ण ! वे० सं० ६८१ । अ भण्डार । विशेष-इसके अतिरिक्त श्र भण्डार में एक प्रति । वे० सं०४१४) कभण्डार में १ प्रति (वे. मं. २६३ ) छ भण्डार में १ प्रति ( ० सं० ३६) च भण्डार में १ प्रति (वे० सं० ५८६ ) तथा ज भण्डार में ३ प्रलिया ( वे सं० २६५, २६६, २६७ ) पौर हैं। २५८६. दर्शनकथाकोश'..."। पत्र सं० २२ से ६० । प्रा० १०३४४३ इ । भाषा-संस्कृत । विषयकया। र० काल X ।ले. काल X | अपूर्ण । ३० सं० ६८ । छ भण्डार | २५८७. दशमोंकी कथा".."। पत्र सं० ३६ । प्रा० १२४५१ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० काल X I ले. काल सं० १७४६ | पूर्ण । वै० सं० २६० । क भण्डार | २५८८ दशलक्षणकथा-लोकसेन । पत्र सं० १२ । प्रा० ६३४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषमकथा । र० काल X । ले. काल सं० १८६० । पूर्ण । वे० सं० ३५० । श्र भण्डार । विशेष-ब भण्डार में दो प्रतियों ( वे० सं० ३७, ३८ ) और हैं । २५८६. दशलक्षणकथा......पन सं० ५ । प्रा० ११४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल Xले. काल X । पूर्ण । ० म०३१३ । अभण्डार। त्रियोष-छु भण्डार में १ प्रति (३० सं० ३०२ ) की और है। २५६०. दशलक्षणात्रतकथा-श्रुतसागर । पत्र सं. ३ : प्रा० ११८५ इंच । भावा-संस्कृत । विषकथा । २० काल ४। ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० ३०७ । श्र भण्डार । Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८ ] [ कथा-साहित्य २५६१.दानकथा-भारामल्ल । पत्र सं० १८। पान ११:४८ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयकथा ।र. काल XI ले. काल XI पूर्ण । वे० मं० ४१६ | अ भण्डार। विशेष—इसके अतिरिक्त अ भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० ६७६ ) क भण्डार में १ प्रति ( ० सं. ३०४ ) मु. भण्डार में १ प्रति ( वै० सं०३०४)छ भण्डार में १ प्रति ( ० सं० १८० ) तथा ज भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० २६८ ) और है। २५६२. दानशीलतपभावनाका चोनाल्या-समयसुन्दरगणि ! पत्र सं० ३ । प्रा० १०४४६ इंच। भागा-हिन्दी । विषय-कथा । २० काल x 1 ले. काल - । पूर्ण । वे० सं० ८३३ । अ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति { वे० सं० २१७६ ) की प्रौर है। जिस पर केवल दान गील तर भावना ही दिया है। २५६३. देवराजयच्छराज चौपई-सोमदेवसूरि । पत्र सं० २३ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-कथा । २० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ३०७ । ऊ भण्डार | २५६४. देवलोकनकथा... ..| पत्र सं. २ से ५ । प्रा० १२४५३, इंच । भाषा-संस्कृत : विषयवथा । २० काल Xलकाल सं० १८५३ कात्तिक सुदी ७ । अपूर्ण । ३० सं० १९६१ १ अ भण्डार । २५६५. द्वादशत्रतकथा-पं०अनदेव पथ सं०७ मा Ex५३इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषयकथा | र० काल X 1 ले० काल XI पूर्ण । ३० सं० ३२५ । के भण्वार । विशेष-छ भण्डार में दो प्रतियां ( ० सं०७३ एक ही वेष्टन ) भोर हैं। २५६६. द्वादशवतकथासंग्रह---ब्रह्मचन्द्रसागर । पत्र सं० २२ । मा० १२४६१ छ । भाषा-हिन्दी। र काल - ले. काल सं० १९५४ बैशाख सुधी४। पूर्ण । वे सं० ३६९ । श्र भण्डार । विशेष—निम्न कथायें और हैं। मौन एकादशीकथा--- ब. ज्ञानसागर भाषा- हिन्दी । श्रुतस्कंधव्रतकथाकोकिलापंचमोकथा- जहां , हिन्दी र० काल सं० १७३६ जिनगुणसंपत्तिकथा – अशानसागर भाषा- हिन्दी। रात्रिभोजनकथा२५६७. द्वादशत्रतकथा...| पत्र सं• ७ । प्रा० १२४५ इञ्छ। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० लेक काल पूर्ण । बे० सं० २०० | अभण्डार। विशेष-4. अभ्रदेव की रचना के प्राधार पर इसकी रचना की गई है। काल Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य । अ भण्डार में ३ प्रतियां । वे० सं० १७३. ४३६ तथा ११.) और हैं। .. २५६८. धनदत्त सेठ की कथा..."पत्र सं० १४ । मा० १२६-७६ इंच । भाषा-हिन्दी । विषयकथा । र० काल सं० १७२५ । ले. काल X । ३० स ६५३ अभण्डार । .. २५६६. धन्नाकथानक.। पत्र स६ श्री. १६४५ इन्च । भाषा-संस्कृन । विषय-कथा । १० काल X | ले. काल X । पूर्ण । वे ' से भार . नासालिभदोपहे" पत्र सं०२४। प्रा० ८४६ इन्च भाषा-हिन्दी। विषय-कया। र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १६७७ १ ट.भण्डार |. . ... . विशेष—प्रति सचित्र है । मुगलकालीन कला के ३८ सुन्दर चित्र हैं। २४ से प्रागे के पत्र नहीं है । प्रति अधिक प्राचीन नहीं है। २६०१. धर्मबुद्धिचौपई-लालचन्द । पत्र सं० ३७ १ मा० ११६४४ र । विषय-कथा । भाषाहिन्दी पञ्च । र० काव सं० १७३९ । ले. काल सं० १८३० भाददा सुदी १ । पूर्ण_1.३० सं० १५ । ख भण्डार । _ बिशेष-खरतरगच्छपति जिनबन्दसूरि के शिष्य विजेराजगणि ने यह दाल कही है । ( पूर्ण परिचय दिया २६०२. धर्मबुद्धिपापधुद्धिकथा पथ सं०१३। श्री ११४५ । भाषा संस्कृत । विषयकथा | र० काल X । ले० काल सं० १८३५ । पूर्णः। । सं०११ ख भण्डार।'' २६०३. धर्मबुद्धिमन्त्रीकथा-वृन्दावन । पत्र सं० २४ । प्रा. ११४५३ इन्छ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-काया । र० काल सं० १८०७ । ले. काल सं० १९२७ सावरण बुदी २ । पूर्ण । वे. मं० ३३६ । क भण्डार । नंदीश्वरकथा--भ० शुभचन्द्र । पत्र सं० ८ । मा० १२x६ इन्न । भाषा-संस्कृत | विषय-कथा | र. काल X1 ले काल ४ । पूर्ण । ३० स० ३६२ ... .. . E विघोष-सांगानेर में ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई थी। छ भण्डार में १ प्रति ( ० सं०७४.) ० १७८२ की लिम्बी हुई और है। २६०५. नंदीश्वरविधानकथा--हरिषेण पत्र से १३| प्रा. ११३४५ इन्छ। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले. काल Xrपूर्ण सं क भण्डारे ।..: २६०६. नंदीश्वरविधानकथा पत्र सं०३ मा० १०१४म । भाषा-संस्कृत | विषयकथा । २० काल XI ले. काल ४ । पूर्ण ।' से 3-१७७३ ।भण्डार २६०७. नागमता....। पत्र सं १. १२४५, ६ । भाषा-हिन्दी (राजस्थानी) । विषय PF - Ests था। र० काल XI ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ३६३ श्र भण्डार M Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० ] [ कथा-साहित्य बिशेष प्रादि अंत भाग निम्न प्रकार है। श्री नागमंता लिख्यते नगर हीरापुर पाटरग भरणीयइ, माहि हर केशरदेव । नमरिण करइ वर नाम लेई नई, करइ तुम्हारी सेव ।।१।। करह तुम्हारी सेवनई, वसिगराइ तेडावीया । काल ककोडनई तित्यगितंयर, प्रवर वेग बोलावीया ॥२॥ नाद वेद पारणंद अधिका, करइ तुम्हारी सेव । नगर हीरापुर पाटण भरणीयह, माहि हर केशरदेव ।।३।। राउ देहरासर बइठठ, प्राणे निरमल नीर । ईक गयउ भागीरथी, समुद्रह पइलइ तीर ॥४॥ नीर लेई उंक मोकल्यउ लागी प्रति घणवार । मा सवारथ पडीउ लोभइ, समुद्र परलेपार ॥५॥ सहस्र अध्यासी जिहां देवता, जाई तिणवनि पइठ । मंगा तणउ प्रवाह लु पायउ, राउ देहरा सरवई छन ।६। राम मोकल्या छ वाडीये, माणे सुर ही जाइ । प्राणे सुरही पातरी, आणे सुरही भाइ ।।७।। माणे सुरही भाइ नर, मारणे सुगंधी पातरी। माकतुल छीनइ पाषची, करि कण बोर सुरातडी 1140 जाइ बेउल करणउ, केवडो राइ मात्र कुंव जु सारी । पुष्फ करंडक भरीनर, माथो राइमो कल्याछई बाढी ।।" एक कामिरिण प्रवर बाली, विछोही भरतार । जंक तणह शिर बरसही, ताल्हण प्रमी संचारि॥ ताल्हरण प्रमीय संचारि, मुझ प्रिय मरइ प्रसूटइ । भाजि लहरि विष धंघालिउ, ताल्ह धवल नई ऊठ रदन करइ मुख वाह हउं सु सनेहा टाली। बिछोही भरतार एक कामिणि अरु माली ॥३।। हाकKडा कल बाजही, बहु कांसी झमकार । Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २३१ चंद्र रोहिणी जिम मिलिउ, लिम धण मिली भरतार नह।। तित्य गिरांगाउ तूठ बोलक, प्रमीयविष गयउ मंडी। संक तणइ शिर उ, उठिउ नाह हुई मन संती ।। मूध मंगलक वाजइ,........... बहु कासी झमकार डाक छडा कल वाजइ ।। इति श्री नागमंता संपूर्णम् । ग्रन्थाग्रन्थ ३००७ पोषी या मेरुकीति जी को ।। कथा के रूप में है । प्रति अशुद्ध लिखी हुई है। २६०८, नागश्रीकथा-ब्रह्मनेमिदत्त । पत्र सं०१६। मा० ११३४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विपरकपा । २० काल' X । ले० काल सं० १८२३ चैत्र सुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ३६६ । क भण्डार | विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३६७ ) तथा ज भण्डार में १ प्रति ( ३० सं० १०८ ) को पौर है। ज भण्डार वालो प्रत्ति की गरूढमलजी गोधा ने मालपुरा में प्रतिलिपि की थी। २६०६, नमीका...गिरि । म, २ ७५ । प्रा० ७३४६ इंच । भाषा-हिन्दी। विषयपथा। २० काल सं० १७७३ सावण सुदी ६ । ले. काल सं० १७८५ पौष बुदी ७ । पूर्ण । वे० सं० ३५६ । क भण्डार1 विशेष-जोयनेर में सोनपाल ने प्रतिलिपि की थी । ३६ पत्र से पागे भद्रबाहु चरित्र हिन्दी में है किन्तु - २६१०. निःशल्याष्टमीकथा.....पत्र सं० १ । या १०४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले० काल X पूर्ण । वे० सं० २११७ । अ भण्डार । २६११. निशिभोजनकथा--ब्रह्मनेमिहत्त । पत्र सं० ४० से ५५ । मा० ८६४६, इ. । भाषासंस्कृत ! विषय-कथा । र काल ४ | ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० २०८७ । अ भण्डार । विशेष---व भण्डार में १ प्रति ( ३० सं० ६.) को मौर है जिसकी कि सं० १८०१ में महाराजा ईश्वर सिंहजी के शासनकाल में जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। २६१२. निशिभोजनकथा | एक सं० २१ । भा० १२४५, इन। भाषा-हिन्री पच। विषयकथा । १० कात X । • काल । पूर्ण । बे० सं० ३८३ । क भण्डार । २६१३, नेमिव्याहलो....। पत्र सं. ३ । प्रा० १०x४ इंच। भाषा-हिन्दी विषय-कथा । २० काल X । ले० काम X | अपूर्ण । ० सं० २२५५ ! अ भण्डार । Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ मादित्य विशेष-भारम्भ- 1.. . .... .. नरसरीपुरी रावयाहु समयति जय राम बातो : 4 : rms: तस नंदन श्री नेमजी सांवल वर सरीरो ।। धन धन अदें छी ज्या तेव राजसदरसरण करता। दालंदरनासे जीन मो सो सोरजी हुतो ॥ समदत्रजजी रो नंद प्रतेरो ले प्रावण जी । सविली हूँधी रो नमे कल्याण सु पावणो जी ।। प्रति अशुद्ध एवं जी . .. | i f -- २६१४. नेमिराजलब्याईलो गोपीकृष्ण । पत्र साच्च । भाषा-हिन्दी | विषय-कथा । २० काल सं. १६६३ सार्पण बुदी। कले। प्रपूर्ण ।' . '२३५० । 'अ भण्डार । श्री जिण चरण कमल नमो नमो प्ररणगार । मनावर बाल तणे व्याय यह सुलदीय iii . . . . ..... . . . . . . . हादसती मगरी भनी सोरठ से मझोर-1.. . ...... . : ... ... ... . .. ..इन्फारी सा अपमा. मुंदर बहु विस्तार र ।। चौडा नो जीजण लिहा लांबा बारा जारण । ... I t Fin. F HITSकप्रिरमाहिरेवाहर यसरप्रमाण- Tअन्तिम .. राजल नेम तणो व्याहलो जी गावसी जो नरनारी ........ भरण गुण सुगसी भलो जी पावसी सुख प्रपार ।। . कलश- प्रथम सावरण चोध सुकली वार मंगलवार ए। ' in IXE सेवेत प्रैठारी वरसतरम .in । श्री मेम राजल कसन गोपी तास चरत वखानही ... | iPi Ft .. ....... ... ... *मृतार चोखा सहि काहि भाषी :कही कथा प्रमाण ए. इति श्री नेम राजल विमानसो संपूर्ण ii HinF !!' - इससे. मागे नव भवजी डेल. वो है वह अपूर्ण है। . ... २६१५. पंचाख्यान-विष्णु शर्मा पत्र 'सं० । प्रा १२६५६ । भाषा-संस्कृति | विषयबखा। रक कामे RIXI पूर्ण ० सं०२००६ । 'श्र भण्डार | k th. " विशेष-केवल ६३वा पत्र है | भण्डारा में मति ( सं.ixotiपूर्ण और है . . .F , Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २३३ २६५६. परसरामकथा "पत्र सं०६। ग्रा० १०:४१ इन। भाषा-संस्कृत ! विवर-कया। २० काल X । ले. काल XI पूर्ण ! वै० सं० १०१७ । अ भण्डार। २६१७ पल्यश्धिानकथा-खुशालचन्द । पत्र सं० २१ । मा० १२४५ इन्न । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-क्रया । रत काल सं० १७८७ फागुन बुदी १० 1 पूर्ण । वे० सं० २० । म भण्डार । २६१८. पल्पविधानवतोपाख्यानकथा-श्रुतसागर | पत्र सं० ११७ । प्रा० ११:४५ च । भाषागंस्कृत | विषय-कथा । रस काल ४ | ले० बाल X । पूर्ग । वे० सं० ४५४ ! फ भण्डार । विशेष –व भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १०६ ) तथा ज भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० ८३ ) जिसका ले काल सं० १६१७ शाके है और है। २६१६. पात्रदान कथा-ब्रह्म ने मिदत्त । पत्र सं. ५ । प्रा० १९x४३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । २० काल : । ले० काल X । पूर्ण । ३० रहे। २७८ | अ भण्डार । विशेष – ग्राभेर में 40 मनोहरलालजी पाटनी में मिली थी। २६२८. पुण्याअवकथाकाश-मुमुनु रामचन्द्र। पत्र सं० २०० । प्रा० ११४४च । भारा- त। विषय-कथा । र० काल X: ले० काल XI पूर्ण । ० सं०४६ | फ भण्डार । विशेष— भण्डार में एक प्रति (वै० सं० ४६७ ) तथा छ भण्डार में २ प्रतियां ( के० सं० ६६, ७०) और हैं किन्तु तीनों हो अपूर्ण हैं। २६२१. पुण्याश्रन्त्र कथाकोश-दौलतराम | पन सं. २४८ । प्रा० ११:५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी गछ । विपप-कथा । रक काल सं० १७७७ भादवा सुदी ५। ले० काल सं० १७८८ मंगसिर बुद्दी ३ । पूर्ण । वे० मं. ३७० । भण्डार। विशेद-अहमदाबाद में श्री अभयसेन ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में ५ प्रतियां ( . सं. ४३३, ४०६, ८६५, ८६६, ८६७ ) तथा डा भण्डार में ६ प्रतियां ( वे० सं० ४६३, ४६४, ४६५, ४६६, ४६८, १६६ ) तथा च भण्डार में १ प्रति (३० सं० ६३५ ) छ भण्डार में १ प्रति ( ० सं० १७७ ) ज भण्डार में १ प्रति ( वे नं. १३ ) म भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० २६५) तथा ट भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १९४६ ) और है। २६२२. पुण्याश्रवकथाकोश.....'| पत्र सं०६४ । प्रा० १६४७६ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-दया। २० काल ले. काल सं० १९८४ ज्येष्ठ नुदी १४ । पूर्ण । वे० सं०५८ | ग भण्डार | विशेष—कालूराम साह ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि खुशालचन्द के पुत्र सोनपाल ने कराकर चौधरिया के मंदिर में चलाई। इसके अतिरिक्त ल भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ४६२ ) तथा ज भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २६. ) [ अपूर्ण ] और हैं। Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ कथा-साहित्य २६२३. पुण्याश्रवकथाकोश-टेकचन्द । पत्र सं० ३४१ । पा० ११:४८ इश्च । भापा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा । र• काल सं१६२८ | ले. काल ४ । पूर्व । व० सं० ४५७ । क नण्डार . २६२४. पुण्याश्रवकथाकोरा की सूची...| पत्र सं० ४ । प्रा० ३४५.इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषम-कथा । र० काल x | लेस काल x 1 पूर्ण । वे. सं० ३४६ । म भण्डार । २६.५. पुष्पांजलीत्रतकथा-श्रुतकीत्ति । पत्र सं० ५। प्रा० ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयकथा । २० काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ६५६ | श्र भण्डार । विशेष- भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १९) और है। २६२६. पुष्पांजलीव्रतकथा-जिनदास | पत्र सं० ३१ । आ० १.४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र. काल X । ले० काल सं० १६७७ फागण बुदी ११ । पूर्ण । वे० सं० ४७४ । के भण्डार । विशेष—यह प्रति बागड़ देश स्थित घाटसल नगर में श्री वासुपूज्य चैत्यालय में ब्रह्म ठाकरसी के शिष्य गणदास ने लिखी थी। २६२७. पुष्पांजलीप्रतविधानकथा..." | पत्र सं० ६ मे १० । मा १०४४, इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल'XI ले. काल x अपूर्ण 1 वे० सं० २२१ । च भण्डार । २६२८, पुष्पांजलोवतकथा-खुशालचन्द । पत्र सं०६ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कया । २० काल Xले. काल सं० १६४२ कात्तिक बुदी ४ । पुर्ण । वे० सं० ३०० । ख भण्डार । विदोष-ज भण्डार में एक प्रति (वै० सं० १०६ ) की और है जिसे महात्मा जोशी पन्नालाल ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। २६२६. चैतालपञ्चीसी.....'। पत्र सं ५५ । प्रा० ३४४ ३श्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले. काल X । प्रपूर्ण । वे सं० २५० । च भण्डार । २६३०. भक्तामरस्तोत्रकथा-नथमल | पत्र सं०८६ | प्रा० १०६४५ इंच । भाषा-हिादी । विपयकथा । २० काल सं० १८२६ । ले० काल सं० १८५६ फाल्गुण बुदी ७ 1 पूर्ण । वे० सं० २५५ । दुः भण्डार | विशेष-च भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ७३१ ) और है। २६३१. भक्तामरस्तोत्रकथा-विनोदीलाल | पत्र सं० १५७ | पा० १२:४७: रञ्च । भाण-हिन्दी ‘रय | विषय-कथा । २० काल सं० १७४७ साबन सुदी २। ले. काल स. १६४६ । अपूर्ण । वै० सं० २२०१ । अ भण्डार। विशेष-वीच का केवल एक पत्र कम है। इसके अतिरिक्त छ भण्डार में २ प्रतियां (वै० सं० ५५३, ५५४) ब भण्डार में २ प्रलियां ( ३. मं० १८१, २२८ ) तथा म भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १२९) की और हैं । Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ K कथा साहित्य ] [ २३५ २६३२. भक्तामर स्तोत्रकथा – पन्नालाल चौधरी | प ० १२८ | श्रा० १३४५ इश्व | भाषाहिन्दी | विषय -कथा र काल सं० १६३१ फागुण सुदी ४ । ले० काल सं० १९३८ | पूर्ण । ३० सं० ५४० | क भण्डार । २६३३. भोजप्रबन्ध पत्र सं० १२ से २५ | कथा । १० काल X। ले० काल X। श्रपूर्ण वे० सं० १२५६ । श्र भण्डार । विशेष—ङ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५७६ ) की ओर है । २६३४. मधुकैटभव (महिषासुरबध ) .. विषय - कथा । र० काल X ले० काल X 1 अपूर्ण । ३० २६३५. मधुमालतीकथा - चतुर्भुजदास पत्र सं० ४८ I कथ | | २० काल X | ले० काल सं० १९२८ फागुण बुदी १२ पूर्ण वे० सं० ५५० ड भण्डार । विशेष पसं० ६२८ । सरदारमल गोधा ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की श्री अन्त के ५ पत्रों मे स्तुति दी हुई है। इसी भण्डार में १ प्रति [ अपूर्ण ] ( ० सं० ५८१ ) तथा १ प्रति ( ० सं० ५८२ की [ पूर्व ] और हैं। ११३४४३ । भाषा संस्कृत विषय | पत्र सं० २३ । ०३४४३ च । भाषा संस्कृत । सं० १३५३ | श्र भण्डार | ० ६६५ च । भाषा - हिन्दी | विषय २६३६. मृगापुत्रच उढाला 1 पत्र [सं० ॥ श्र० ६३४ इञ्च । भाषा - हिन्दी विषय कथा | कॉल X | ले० काल X। पूर्ण वे० सं० ८३७ | त्र्यं भण्डार | विशेष - मृगारानी के पुत्र का चौढाला है । २६३७. माधवानलका – आनन्द | पत्र सं० २ से १० । प्रादि श्रा० ११८४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय— कथा | र० काल x | ले० काल ४ । श्रपूर्ण वे० सं० १८०६ |ट भण्डार २६३८. मानतुंगमानवतिचौपई - मोहनविजय । पत्र सं० २६ । श्र० १० X ४३ श्च । भाषा - हिन्दी पद्य विषय कथा | र० काल X | ले० काल सं० १८५१ कार्तिक सुदी । पूर्ण ० सं० ५३ । छ भण्डार विशेष - श्रादि प्रतिभाग निम्न प्रकार है ऋषभ जिद पदांबुजे, मधुकर करी लीन । आगम गुण सोइसवर प्रति भारद थी लीन ॥। १॥ यान पान सम जिनकम, तारण भवनिधि तोय | प्राथ तय तारै अवर, नेहतं प्रपति होइ ॥ २॥ भावे प्रभु भारती, वरदाता सुविलाम । बावन प्रणयर की भरयौ अवय खजानो जास ॥ ३ ॥ Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३६ ] [ कथा-साहित्य शुक्र करया केई शनि थका, एह यीजे हनी शक्ति । किम मूकाइ तेहना, पद नीको विषे भक्ति ।।४ । मन्तम- पूर्ण काय मुनी वंद्र नुप बर्प, बुद्धि मास शुचि पक्षे है । ( प्रागे पत्र फटा हुअा है ) ४७ शान हैं । २६३६. मुक्काबलियतकथा-श्रुतसागर | पत्र सं० ४ । आ. ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा : १७ काल X । ले. काल सं० १८७३ पौष वुदो ५ । पूर्ण | वे० सं० ७४ 1 छ भण्डार । विशेष—यति दयाचंद ने प्रतिलिपि की थी। २६४८. मुक्तावलित्रतकथा-सोमप्रभ। पत्र सं० ११ । प्रा० १०३४४३ इंच । भाषा संस्कृत । विषय-वथा । २० काल xले काल सं० १५५ सावन गुदी २। ०७४ 1 छ भण्डार । विशेष—जयपुर में नेमिनाथ चैत्यालय में कानूलाल के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी । २६४१. मुकावलिविधानकथा...। पत्र सं ६ से ११1 प्रा० १०x४३ च । भाषा-अपभ्रया। विषय-कथा । २० काल X| ले० काल सं० १५४१ फाल्गुन सुदी ५ । अपूर्ण । वे० सं० १९६ । भण्डार । विशेष-संवत् १५४१ वर्षे फाल्गुन सुदी ५ श्रीमूलसंचे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्रीयुदाकुंदाचार्यान्वये भट्टारिक श्रीपद्मनंदिदेवा तत्पट्टे भट्टारिक घोशुभचंद्रदेवा तत्सिष्य मुनि लिनचन्द्रदेवा खंडेलवालान्वये भायसागोये संघवी खेता भार्या होली तत्पुत्राः संघवी चाहड, प्रासल, कालू, जालप, लखमरण तेषां मध्य संचवी कालू भार्या कोलसिरी तत्युत्रा हेमराज रिषभदात तैने रौ साह हेमराज भार्या हिमसिरी एवं रिदं रोहिणीमुक्तावली कथानकं लिखापतं । ६४२. मेघमालावतोद्यापनकथा. - | पत्र सं ११ । प्रा० १२४६३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-वाया 1 र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण | वै० सं० २१ । अ भण्डार : विशोष-च भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २७६ ) और है । २६४३. मेघमालाव्रतकथा " | पत्र २०५ | प्रा० ११४५, इच। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल ४ | ले. काल X । पूर्ण । ३० सं०.३७६ । श्र भण्डार । विशेष—छ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०७४ ) को यौर हैं । २६४४. मेघमालाग्रतकथा-- खुशालचंद । पत्र सं०५ । प्रा० १०१४४१ इ'च । भाषा-हिन्दी। विधव-कथा। र. काल । ले० काल XI पूर्ण । दे० सं. ५८१ । क भण्डार। २६४५. मौनित्रतकथा-गुणभद्र । पत्र सं० ५। प्रा० १२४५३ इंच । भाषा-संस्कृत ! विषयकथा। र. कालXIले. काल ४ । पूर्ण | ये० सं०४४१ । म भण्डार । Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य । २६५६. मौनिव्रतकथा......"पत्र सं० १२ । प्रा० ११३४५. हव। भाषा-संस्कृत । विषय-काया । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वै० सं० ८२ घ भण्डार । २६४७. यमपालमातंश का...."। प .. . ग भाषा-संस्कृत। विषयकथा । र काल ४ : ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १५१ ! ख भण्डार । विशेष—इस कथा से पूर्व पत्र १से तक पग्ररथ राजा दृष्टांत कथा तथा पत्र १० मे १६ तक पंच नमस्कार कथा दी हुई है । कहीं २ हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। कथायें कथाकोश में से ली गई हैं। २६४८. रक्षाबंधनकथा-नाथूराम । पत्र सं० १२। मा० १२३४८ इच। भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-कथा । १० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । बे० सं० ६६११ अ भण्डार । २६४६रक्षाबन्धनकथा.......। पत्र प्रा० १०.४५ इंच। भाषा-संस्कृत | विषय-कथा। र काल X लेख काल स १८३५ सावन सुधी २ । ३० सं०७३ । छ भण्डार । २६५८. रत्नत्रयगुणकथा-पं० शिवजीलाल । पत्र सं० १० । मा० ११३४५३ च । भाषा संस्कृत । विषय-कथा । २० काल .x | ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० २७२ 1 अ भण्डार । विशेष—ख मण्डार में एक प्रति ( वे० सं. १५७ ) भौर है। २६५१. रजत्यविधानकथा--श्रुतसागर । पथ सं० ४ । प्रा० ११:४६ च । भाषा-संस्कृत | विषय-कथा । र• काल X । ले. काल सं० १९०४ श्रावण बुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० ६५२ । भण्डार । विशेष-छ भण्डार में एक प्रति ( वे सं०७३)ौर है। २६५२. रमाबलिव्रतकथा—जोशी रामदास । पत्र सं० ४। मा० ११४४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र• काल X । ले० काल सं० १६६६ । पूर्ण । वे० सं० ६३४ । के भण्डार । २६५३. रविनतकथा-श्रुतसागर । पत्र सं० १८ । प्रा० ६२x६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-कवा । २० काल ... | ले. काल. X । पूर्ण | वे० सं० ३६ । ज भण्डार । २६५४. रवित्रतकथा-देवेन्द्रकीति । पत्र सं० १८ । प्रा० ६४३ इंच | भाषा-हिन्दी | विषयकथा । २० काल सं० १७८५ ज्येष्ठ सुदी ६ । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २४० । छ भण्डार । २६५५. रविव्रतकथा-भाऊकवि । 'पत्र सं० १० । मा० ६३४६.३ इच । भाषा-हिन्दो पद्य । विषयनया । 1. काल X । ले० काल सं० १७६५ । पूर्वा । वे० सं० १० अ भण्डार । विशेष-छ भण्डार में एक प्रति १०.४),ज भण्डार में एक प्रति (के.सं.४१), भण्डार में एक प्रति ( वेलसं. ११३) तथा ट भण्डार में एक प्रति ( ० ० १७५०) और हैं। Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ ] २६५६. राठौञ्चरतनमहेशदशोत्तरी [ राजस्थानी ] विषय - कथा ॥ २० काल सं० १५१३ वैशाख शुक्ला ६ । ले० काल x 1 अपूर्ण । भण्डार । दाहा [ कथा साहित्य पत्र सं० ३ से ५ । प्रा० ६३४ ६ च । भाषा - हिन्दी ० ० ६७७ । अ विशेष-प्रन्तिम पाठ निम्न प्रकार है सावित्री मया श्रीया मार्गे साम्ही भाई । सुंदर सोचने, इंदिर लइ बधाइ ||१|| कराई थी । हूया बदलि मंगल हरष वधीया नेह नवल । सूर रतन सतीयां सरीस, मिलीया जाइ महल ||२|| श्री सुरनर फुरउधरे, वैकुंठ कीधावास । राजा रथायस्तरणी, जुग प्रविवल जस वास ॥३॥ पथ वैशाखह तिथि नवमी पनरौतरं वरस्स । बार शुक्ल डोयाविद, हृोंदू तुरक बहस्स ||४१ जोडि भो खिडीयो जगे, रासो रतन रसाल । सूरा पूरा संभल, भउ मोटा भूपाल ||५|| दिल्ली राउ वाका उजेसी रासा का च्यार तुगर हिसी कपि बात कैसी ॥ इति श्री राठोडरतन महेस दासीत्तसरी वर्षानिका संपूर्ण । २६५७. रात्रिभोजनकथा - भारामा । पत्र सं० विषय - कथा | र० काल X | ले० काल X | पूर्ण वे० सं० ४१५ | अ भण्डार | २६५८. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ । ले० काल X | बे० सं० ६०६ च भण्डार । विशेष—इसका दूसरा नाम निशिभोजन कथा भी है। २६५६. रात्रिभोजनकथा - किशनसिंह पत्र सं० विषय - कथा | २० काल सं० १७७३ श्रावण सुदी ६ । ले० काल सं० क भण्डार । प्रा० ११३८ इंच | भाषा - हिन्दी पद्य | २४ | श्र० १३४५ इंच । भाषा - हिन्दी पद्य । १६२८ भादवा बुदी ५। पूर्ण । वे० सं० ६३५ । विशेष-ग भण्डार में १ प्रति और है जिसका ले० काल सं० १८८३ है। कालूराम साह ने प्रतिलिपि २६६०. रात्रिभोजन कथा " १० काल X | ले० काल X 1 मपूर्ण । ० सं० २६६ । ख भण्डार | विशेष-न भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १११ ) और है । | पत्र सं० ४) मा० १०३४५ इंच । भाषा संस्कृत विषय क्या । > Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २३६ २६६१. रात्रिभोजनचौपई.."|पत्र सं०२। प्रा० १.४४३ इशा भाषा-हिन्दी विषय-कथा । र० काल ४ । ले. काम X | पूर्ण । वे० सं० १३१ । श्र भण्डार 1 २६६२. रूपसेनचरित्र....."। पत्र सं० १७ । पा० १०४४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले० फाल ४ । पूर्ण । वै० सं० ६६० । र भण्डार | २६६३. रैदनतकथा--देवेन्द्रकी न्ति । पत्र सं० ६ । मा० १०४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा। र• काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ३१२ । अ भण्डार । २६६४. प्रति सं०२। पत्र सं० ३ । ले. काल सं० १८३५ ज्येष्ठ बुदी ।। वे सं० ७४ । छ मण्डार। वियोष-लश्कर ( जयपुर ) के मन्दिर में केशरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी। इसके अतिरिक्त अ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १८५७ ) तथा छ भण्डार में एक प्रति (वे. मं. ६.६१ ) की और हैं। २६६५. रैवतकथा...""। पत्र सं० ४। मा० ११४४ इंच। भाषा-संस्कृत। विषय-कथा । र० काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं०६३६ । क भण्डार । विशेष- भण्डार में १ प्रति ( वै० सं० ३६५ ) की है जिसका ले० काल में० १७८५ मासोज सुदी २६६६. रोहिणीब्रतकथा-श्राचार्य भानुकीत्ति । पत्र सं० १ । आ० ११:४५३ च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । २० काल x | ले० काल सं० १८८८ जेष्ठ सुदी १ । वे० सं० १०८ । अ भण्डार ।। विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५६७ ) छ भण्डार में । प्रति ( ० सं०७४ ) तथा ज भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १७२ ) और है। २६६७. रोहिणीब्रतकथा...."| पत्र सं० २ । प्रा० ११४८ इंच । भाषा-हिन्दो । विषय-कया । र. काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ६६२ । अ भण्डार । विशेष— भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० ६६७ ) तथा म भण्डार में १ प्रति ( ० सं० ६५ ) जिसका ले. काल सं० १९१७ बैशाख सुदी ३ पौर हैं। २६६८. लब्धिविधानकथा-40 अभ्रदेव । पत्र सं० १ । प्रा. ११४४३ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल XI ले. काल सं० १६०७ भादया सुदी १४ । पूर्ण । ० सं० ३१७ । च भण्डार । विशेष—प्रशस्ति का संक्षिप्त निम्न प्रकार है--- भवत् १६०७ वर्षे भादवा सुदी १४ सोमवासरे श्री आदिनाथचैत्यालये तक्षकगढमहादुर्गे महाराज Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० ] श्रीरामचंद राज्यप्रवर्तमाने श्री मूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वती गच्छे कुंदकुदाचार्यान्वये खण्डेलवालान्वये अजमेरागोत्रे सा. पद्मा तदभाव केलमदे सा. कालू इदं कथा दत्तं । २६६६. रोहिणी विधानकथा २० काल X | ले० काल । पूर्ण १ ० सं० ३०१ । चभण्डार | | पत्र सं० ८ | आ० १०x४३ ख | भाषा-संस्कृत | विषय - कथा | कथा | ले० काल X | २० काल x 1 पूर्ण । वे० सं० १८५० १ अ भण्डार | विशेष – दलीक स० २४३ है । प्रति प्राचीन है । २६७१. वारिषेणमुनिकथा - जोधराजगोदीका | पत्र सं० ५ । भा० EX५ इंच । भाषा - हिन्दी | भण्डार | विषय - कथा | ० काल X | ले० काल सं० १७६६ । पूर्ण ० ० ६७४ | विशेष- चूहामल विलाला ने प्रतिलिपि की गयी थी । २६७२. विक्रमचौबीलीचौपई - अभयचन्दसूरि । पत्र सं० १३ | हिन्दी | विषय-कथा | र० काल सं० १७२४ प्राषाढ बुदो १० । ले० काल X भण्डार | २६७०, लोकप्रत्याख्यानध मिलकथा | पत्र [सं० ७ १ श्र० १०५ इंच । भाषा-संस्कृत विषय विषय- कथा र० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण वे० ० ३१० । भण्डार । | दोहा - २६७४. विष्णुकुमारमुनिकथा कथा । र० काल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० १७५ । ख भण्डार ! [ कथा - साहित्य मंडलाचार्य धर्मचन्द्राये मंडलाचार्य धर्मचन्द्राय विशेष—मतिसुन्दर के लिए ग्रन्थ की रचना की थी । २६७३. विष्णुकुमारमुनिकथा - श्रुतसागर । पत्र [सं० ५ । प्रा० ११५५ इंच भाषा-संस्कृत । ० काल X | ले० काल | पूर्ण वै० सं० २२५४ । विशेष- मादि भन्तभाग निम्न प्रकार है ० ९x४३ इंच । भाषा । ० सं० १९२१ ट पूर्ण । पत्र सं० ५ प्रा० १०x४२ इव । भाषा संस्कृत विषय २६७५. वैदर भी विवाह - पेमराज | पत्र सं० ६ | श्र० १०४४३६' | भाषा - हिन्दी विषय था । भण्डार । जिण धरम नाही दीपसा करो धरम सुरंग । सो राधा राजा राइ ढाल भवहु रंग ॥१॥ रंग बिरारत्य न भावसी किंवता करो विचार । पता सवि सुख संपजे रस भान हा भाव ॥ सुख मामले हो रंग महल में निस भार पोटी सेजजी । दोष प्रनता उभ्या जामदार चिथोराय मेहजी ॥ Τ Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य [ २४१ अन्तिम -:: .. कवनाथ् सुपारण छ.दरभी वैवार। ' -. . . . .--: सुख अनंता भोगिया बैले हुवा अरणगार ॥ . ... ... दान देई चारित लोयौ होवा तो जय जयकार । . ... ....... .. ... .. पेमराज गुरु इम भरणी, मुक्त गया तत्काल ।। . . . . . . .:::. . भणे गुणे जे सांभली वैदरभी तणो विवाह । ..: :::-::- : “भएरण तास वे सुख संपजे पहत्या मुकतं मझार : इति बैदरभी विवाह संपूर्ण ॥ ":. : अन्ध जीर्ण है। इसमें काफी साने लिखी हुई हैं।" .. २६७६. व्रतकथाकोश-श्रुतसागर । पत्र सं० ७६ । प्रा० १२४५३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-- कया। २. कोलले 'कॉल - । पंपूर्ण । वे सं०८७८ । अ भण्डार । __. २६७. प्रति सं० २। पत्र सं० १ । ले. काल सं० १६४७ कात्तिक सुदी ३ । वे० सं०६७ । छ भण्डारः। ::. ... .... . ... . .... . . . प्रशस्ति-संवत् १६४७ वर्षे कात्तिक सुदि ३ बुधवारे इदं पुस्तक लिलामत थीमदुकाष्ठासंधे नंदीतरगच्छे विद्यागणे भट्टारक श्रीराममनान्वये तदनुको भट्टारक श्रीसोमकीति तत्पट्ट भ०. यशःलत्ति तत्पी भ७ श्रीउदयमेन तत्पट्टाधारणधीर म० श्रीविभुत्रनीति तशिष्य ब्रह्मचारि श्री नरबत इदं पुस्तिका लिखाप्तिं खंडेलवालजातीय कासलीवाल गोत्रे साह केशव भार्या लाडी तत्पुत्र ६ वृहद पुत्र जीनो भार्या जमनादे । द्वि० पुत्र खेमसी तस्य भार्या खेलदे तृ. पुत्र इसर तस्य भार्या अहंकारदे, चतुर्थ पुत्र नानू तस्य भार्या नायकदे, पंचम पुत्र साह वाला तस्य भार्या बातमदे, षष्ठ पुत्र लाला तस्य भार्य जलतादे, तेषांमध्ये साह वालेन इदं पुस्तक कथाफोशनामधेयं ब्रह्म श्री नदी जानावर्णीकर्मक्षयाई लिखाप्य नदत्तं । लेखक लषमम खेतांबर । .. . . संवत् १७४१ वर्षे माहा सुदि ५ सोमवासरे भट्टारक श्री ५. विश्वसन तस्य शिष्य मंडलाचार्य श्री ३ जयकौति पं० दोपचंद पं० मयाबंद युक्त । २६०८, प्रति से- ३ । रत्र सं०७३ से १२६ । ले. काल १५८६ कासिक सुदी २ । अपूण । वे० सं० ७४ । छ भण्डार .. .. . .:. २६५६. प्रति संक। पत्र सं० २० । ले. काल सं० फागुण 'चुदी है । वे० सं० ६३ । छ भण्डार।. . . . .. :: .. इनके अतिरिक्त क भण्डार में २ प्रतियां (दे०सं० ६७५, ६५६) इ भण्डार में १ प्रति [.३० सं० १५८) तथा ट भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० २०.५३, २१०० ) और हैं । .. .. .. २६८०. व्रतकथाकोश-पं० दामोदर । पत्र सं०.६ । प्रा० १२४६ इच। भाषा-संस्कृत । बिफ्यकथा । र काल X । ले० काल ४ ! पूर्ण । वैः सं९..६७.३.३.क भण्डार १ . Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 २४२ ] [ फथा-साहित्य २६८१. ब्रतकथाकोश-सकलकीर्ति । पत्र सं० १६४ । प्रा. ११४५ श्च । भाषा संस्कृत । विषय- कया। र० काल । ले. काल X | अपूर्ण । वै० सं० ६७६ | श्र भण्डार । विशेष-छ भण्डार में १ प्रति ( ० सं०७२) को और है जिसका ले. काल सं० १८६६ सावन बुदो ५ है । श्वेताम्बर पृथ्वीराज ने उदयपुर में जिसकी प्रतिलिपि की थी। २६८२. ब्रतकथाकोश-देवेन्द्रकीति । पत्र सं. ८६ १ मा० १२४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-- कथा ।र. काल X । ले० काल X । अपूर्ण । बे० सं० २७७ । अ भण्डार । __विशेष-बीच के अनेक पत्र नहीं हैं । कुछ कथायें पं० दामोदर की भी हैं। क भण्डार में १ प्रपूर्ण प्रति ( वै० सं०६७४ ) और है। २६:३. व्रतकथाकोश'....."। पत्र सं० ३ से १.० । प्रा० ११४५३ इंच ! भाषा-संस्कृत अपभ्रंका। विषय-कथा । २० काल X । ले काल सं० १६७६ फागुण बुदी ११ । अपूर्ण । ० सं० ८७६ । श्र भण्डार | विशेष-मीच के २२ से २५ तथा १५ से इह तक के भी पत्र नहीं हैं। निम्न स्थानों का संग्रह है १. पुष्पांजलिविधान कथा ....| २. श्रवणद्वादशीकथा-चन्द्रभूपण के शिष्य पं० अभ्रदेव संस्कृत पत्र ३ से ५ , , ५ मे ८ अन्तिम-चंद्रभूषशिष्येण कथेयं पापहारिणी। सस्कृता पंडिताश्रेण कृता प्राकृत सूत्रतः ।। ___ ३. रत्नत्रयविधानकथा-पं० रत्नकोत्ति ... संस्कृत गद्य पत्र से ११ ४. षोडशकारणकथा-घं० अभ्रदेव .... , ११ से १४ ५. जिनरात्रिविधानकथा".... , १४ से २९ २६३ पद्य है। ६. मेघमालावतकथा......। , २६ मे ३१ ७. दशज्ञाक्षणिककथा-लोकसेन । ३१ से ३५ ८. सुगंधदशमीव्रतकथा." " " ३५ से ४० द, त्रिकालचउवीसीकथा-अनदेव। .... है ४० से ४३ १०. रत्नत्रयविधि-आशाधर प्रारम्भ-- श्रीवर्तमानमानस्य गौतमादीश्चसद्गुरुम् । रत्वषयविधि यक्ष्ये यथाम्नायविशुद्धये ॥१॥ अन्तिम प्रशस्ति- साधो मस्तिबागबंशसुगरणः सज्जैनचूडामणेः । मालाख्यस्यमुतः प्रतीतमहिमा श्रीनागदेवोऽभवत् ॥१॥ Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य 1 [ २४३ यः शुक्लादिपदेषु मालवपतेः नानातियुक्त शिवं । श्रीसल्लक्षणयास्वमाश्रितवसः का प्रापयन्नः श्रियं ॥२॥ श्रीमत्केशवसेनार्यवर्थवाक्यादुपेयुषा । पाक्षिकथावकीभावं तेन मालवमंडले ।। सल्लक्षणपुरे तिष्ठन गृहस्थाचार्यकुंजरः । पंडिताशाधरो भक्त्या विज्ञप्त: सम्यगेकदा पाशा प्रायेगा राजकार्येऽवरुखम्मथितस्य मे। भाद्र किचिदनुष्टयं तमादिश्यतामिति ॥१॥ ततस्तेन समीक्षो वै परमागमविस्तरं। उपविष्टसतामिष्टस्तस्यायं विधिसत्तमः ॥५॥ तेनान्पश्च यथाशक्तिर्भवभीतैरनुष्ठितः । यो बुधाशाधारण सद्धम्मर्थिमथो कृतः ।।६।। विक्रमार्कच्यशीत्यग्रद्वादशाब्दशतात्यये । दशम्यापश्चिमे कृष्णे प्रथतां कया ॥७॥ पत्नी श्रीनागदेवस्थ नंद्याद्धम्मण नायिका। यासीद्रत्नत्रयविधि चरतीना परस्मरी ॥८॥ इत्याशावरविरचिता रत्नत्रयविधिः समाप्तः ॥ ११. पुरंदरविधानकथा....! १२. रक्षाविधानकथा...." १३. दशलक्षएजयमाल-रइधू । १४. पल्यविधानकथा ......। १५. अनथमोत्रतकथा-पं० हरिचंद्र । संस्कृत पद्य ५१ से ५४ गद्य ५४ मे ५६ अपभ्रश ५६ से ५८ संस्कृत पद्य ५८ से ६३ अपभ्रंश ६३ से ६६ मगरवाल यर सि उत्पाई हरियंदेश । भत्तिए जिरायणपररावेवि पडिउ पद्धडिया देण ॥१६॥ ६६ से १ ७१ से ७५ १६. चंदनषष्ठीकथा१७. मुखावलोकनकथा १८. रोहिणीचरित्र- १६. रोहिणीविधानकथा- संस्कृत अपन'श देवनंदि , १ से ८५ Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ ] . [ कथा साहित्य २०. अक्षयनिधिविधानकथा - संस्कृत ५५ से ८६ २१. मुकुटसप्तमीकथा - अभ्रदेव' ८८ से ८९ २२. मौनत्रतविधान रत्नक्रीति : संयत राज संरकृत गद्य ६ से १४ २३. रुक्मणिविधानकथा सन्नसेन :... - संस्कृत पद्म १०० [मपूर्ण ] . संवत् १६०१ वर्षे फाल्गुण वदि १ सोमवासरे श्रीमूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे कुंदकुंदाचार्यान्वये....." २६८४. व्रतकथाकोश19 पंचे सं०-५५२ मा० १२४५ इश्च | भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ६५ छ भण्डार : : ... . २६८५. व्रतकथाकोशे खुशालचंद। पत्र सं०८६ | प्रा. १२३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयकथा । रत काल सं० १७५७ फागुन बुदी १३ । ले. काल x पूर्ण से, ३६७ । अ भण्डार । - 14 : .... ..: विशेष-१६ काथा इसके अतिरिक्त घ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०६१ ) ङः भण्डार में १ प्रति ( ये० सं० २६ ) तथा छ भण्डार में १ प्रति ( बे० सं० १७८ ) और हैं। . २६८६. व्रतकथाकोश..| पत्र में ५। मा० १०५.६ इंस्य । भाषा - हिन्दी। विषय-कथा । २० काल X । ले. काल ४ । अपूर्ण । व० सं० १८३५ ट भण्डार । विशेष-निम्न कयामों का संग्रह है-- नाम ... कर्ता ... .. . ..... . विशेष ज्येष्ठजिनवरव्रतकथा- खुशालचंद २० काल सं० १७८२ आदित्यवारकथा- "भा कवि लघुरविव्रतकथा- ज्ञानसागर सप्तपरमस्थानप्रतकथा- खुशालचन्द मुकुट सप्तमीकथा • काल सं० १७८३ अक्षयनिधिवतकथाघोडशकारणव्रतकथा- ":...:.::...... मेघमालाव्रतकथा--":." : ": :::: चन्दनषष्ठीब्रतकथा- , लन्धिविधानकथाजिनपूजापुरंदरकथादश तणकथा Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २४५ नाम कर्ता विशेष पुष्पांजलिव्रतकथा- खुशालचन्द आकाशपंचमीकथा- " मुक्तावलीत्रतकथा २७ काल सं० १७५५ एष ३६ से ५० तक तीमत लगी जर्न है। २६८७ व्रतकथासंग्रह"..."। पत्र सं० ६ से ६० । प्रा० ११३४५३ इछ। भाषा-संस्कृत । विषयकया । र० काल X | ले. काल XI अपूर्ण । वै० सं० २०३६ । ८ भण्डार । विशेष-६० से प्रागे भी पत्र नहीं हैं । २६८८. ब्रतकथासंग्रह....."| पत्र सं० १२३ । प्रा० १२४४ इयभाषा-संस्कृत अपभ्रश | विषयकथा । र० काल X । ल• काल सं० १५१६ सावण बुदी १५ । पूर्ण । वे० सं० ११० । ब भण्डार । विशेष-निम्न कथानों का संग्रह है। भाषा अपह नाम कर्ता सुगन्धदशमीत्रतकथा'......। अनन्तत्रतकथा """" रोहिणीत्रतकथा- ४ निर्दोषसप्तमीकथा- x दुधारसविधानकथा-मुनिविनयचंद । सुखसंपत्तिविधानकथा-विमलकीर्ति । निझरपञ्चमीविधानकथा-विनयचंद्र । पुष्पांजलिविधानकथा-पं० हरिश्चन्द्र । श्रवणद्वादशीकथा-पं० अभ्रदेव । षोडशकारणविधानकथा- , श्रुतस्कंधविधानकथा- , रुक्मिणी विधानकथा- छत्रसेन । प्रारम्भ जिनं प्रणम्य नेमीशं संसारागवतारकं । रूक्मिणिपरितं वक्ष्ये भव्यानां दोधकारखं ।। अन्तिम पुष्पिका- इति छत्रसेन विरचिता मरदेव कारापिता रूक्मिणि विधानकथा समाप्त । Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ कथा-साहित्य संस्कृत अपनश २४६ ] पल्यविधानकथा- ४ दशलक्षणविधानकथा-- लोकसेन चन्दनषष्ठीविधानकथा-- ४ जिनरात्रिविधानकथा- x जिनपूजापुरंदरविधानकथा-अमरकीति त्रिचतुर्विशतिविधानजिनमुखावलोकनकथा- x शील विधानकथा- x अजयविधानकथासुखसंपत्तिविधानकथा । । । । । । । । । । संस्कृत xxxx लेखक प्रशस्ति-संवत् १५१६ वर्षे श्रावरण जुदी १५ श्रीमूलसंधै सरस्वतोगच्छे बलात्कारगरणे भ० पीपधनंदिदेवा तत्पट्ट भ० थीशुभचन्द्रदेवा तत्पट्ट मा श्रीजिनचन्द्रदेवा । भट्टारक श्रोपपनंदि शिष्य मुनि मदनकीत्ति शिष्य व नरसिंह निमित्तं । खंडेलवालान्वये दोसीगोत्रे संघो राजा भार्या देउ सुपुत्र छोला भार्या गणोपुत्र कातु पदमा धर्मा प्रात्मः कर्मक्षयार्थ इदं शास्त्र लिखाप्य ज्ञान पात्रादत्तं । २६८६. ब्रतकथासंग्रह....। पत्र सं० १८ । प्रा० १२४७६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । ० सं० १०१ । क भण्डार । विशेष-निम्न कथाओं का संग्रह है। द्वादशत्रतकथ- पं०अभ्रदेव । संस्कृत कवलचन्द्रायणव्रतकथाचन्दनषष्ठीव्रतकथा-- खुशालचन्द । हिन्दी नंदीश्वरनतकया संस्कृत जिनगुणसंपत्तिकथाहोली की कथा- छीतर ठोलिया हिन्दी रैदप्रतकथा- ब्रजिनदास रत्नावलित्रतकथा-- गुणनंदि २६६०. ब्रतकथासंग्रह-नक महतिसागर । पत्र सं० २७ । मा० १०४४३ | भाषा--हिन्दी । विषयकथा । र० काल लेकाल XI पूर्ण। दे० सं० ६७७ । क भण्डार । । । । । । । । Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २५७ २६६१. प्रतकथासंग्रह..."1 पत्र सं०४ । प्रा० EX४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र काल XI पूर्ण । ० सं० ६७२ । क भण्डार । विशेष— रविवत कथा, अष्टालिकाबलकथा, षोडसाकारणाप्रतकथा, दशलक्षवतकथा इनका संग्रह है षोडशकारणवतकथा गुजराती में है। २६६२. व्रतकथासंग्रह. पत्र सं० २२ से १०४ ) मा ११४५३ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषयकथा । २० काल । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ६७८ । क भण्डार | विशेष-प्रारम्भ के २१ पत्र नहीं हैं। २६६३. षोडशकारणविधानकथा-पं० अभ्रदेव । पत्र सं० २६ । प्रा० १०६x४३ इन्छ । भाषासंस्कृत । विषय-क्या । र काल ४ । ले० काल सं० १६६ भादवा सुदी ५ । वे० सं० ७२२ । क भण्डार । विशेष—इसके अतिरिक्त माकाश पंचमी, रक्मिागीकथा एवं अनंतव्रतकथा के कर्ता का नाम पं. मदनकीति ट भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० २०२८ ) और है। २६६४. शिवरात्रिउद्यापनविधिकथा- शंकरभट्ट | पत्र सं० २२ । आ० ६x४ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा (जनेतर) । २० काल X । ले. काल X 1 अपूर्ण । वे० सं० १४७२ । अ भण्डार । विशेष-३२ मे मागे पत्र नहीं हैं। स्कंधपुराण में से है । २६६५. शोलकथा--भारामल्ल । पत्र सं• २० । प्रा० १२४७३ इन्च | भाषा-हिन्दी पद्य । २० कालxले. काल X । पूर्ग | ० सं० ४१३ । अभण्डार । विशेष-इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं०६६६,१११६)क भण्डार में एक प्रति ( ० सं०६९२) घ भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १०० ), ऊ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ७०८), छ भण्डार में एक प्रति (वे. सं० १५०), ज भण्डार में एक प्रति ( ले . सं. १९६७ ) पौर हैं। २६६६. शीलोपदेशमाला-मेरुसुन्दरगणि । पत्र सं० १३१ १ मा EXY इच। भाषा-गुजराती लिपि हिन्दी । विषय-कथा । र० काल XI ले. काल X । अपूर्ण । ३० सं० २६७ । छ भण्डार । विशेष--४३वीं कथा ( धनश्री सक प्रति पूर्ण है)। २६१७. शुकसाप्तति " "| पत्र सं० ६४ । प्रा०६३xx च । भाषा-संस्कृत ! विषय-कथा । र० काल | ले. कालX अपूर्ण । वे० सं० ३४५ च भण्डार । विशेष-प्रति प्राचीन है। २६६८, श्रावणद्वादशीपाख्यान"...."। पत्र सं० ३.प्रा. १०३४५६ इच । भाषा-संस्कृत । दिएलकथा ( जेनेतर)। र कालले काल x पूर्गा । वे सं०८.० | अ भण्डार । Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ ] [कथा-साहित्य २६६६. श्रावणद्वादशी ....."| पत्र सं०६८ । प्रा० १२४५ इन भाषा-संस्कृत गरा | विषयकथा । र० काल X । ले० काल x | अपूर्ण । वे० सं० ७११ । छ भण्डार । २७००, श्रीपालकथा..... पत्र सं. २७ । प्रा. ११४७१च । भाषा-हिन्दी। विषयकथा । र० वाल ४ | ले. काल सं० १६२६ बैशाख बुदी ७ । पूर्ण । वे० सं० ७१३ | भण्डार | विशेष-- इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ७१४ ) और है । .:. शिकलोपई--गार सं० ११ : पा. १४४: इंच । भाषा-हिन्दी। विषयकथा । २० काल सं० १८२६ । पूर्ण ! वे० सं० ७६४ । न भण्डार । विशेष--कवि मालपुरा के रहने वाले थे । प्रथ श्रेणिक चौपई लीखते पादिनाथ बंदी जगदीस | जाहि चरित थे होई जगीस ।। दूजा बंदो गुर निरगंथ | भूला भव्य दीखावण पंथ ॥१| तीजा साघु सबै का पाइ । चौथा सरस्वती करी सहाय । जहि सेया ये सब बुधि होय । करी चौपई मन सुधि जोई ।।२।। माला हमने करौ सहाई । भस्यर होरण सवारो पाई। श्रेणिक चरित बात मै लही। जैसी जाणी चौपई कही ।।३।। राणी सही चेलना जारिण । धर्म जैनि वै मनि आणि । राजा धर्म चलावै बोध । जैन धर्म को काट खोध ॥m पत्र ७ पर-दोहा-- जो भूठी मुख थे कहै, प्ररणदोस्या दे दोस। जे नर जासी नरक मैं, मत कोइ मारणो रोस ।।१५।। चौपई कहै जती इक साह सुजाण । वामण एक पढ्यो अति प्राणि । जइ को पुत्र नहीं को प्राय । तवै न्यौल इक पाल्यो जाय ॥५२॥ बैटो करि राख्यो निरताइ ! दुवैउ पाव एक पं आइ । वांभरपी सही जाइयो पून । पली थावै जागि अउत ॥५३।। एक दिवस वांभण विचारि । पाणी नैना चाली नारि । पालण वालक मेल्ही तहां । न्यौल बचन ए भाख जहां || Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २५६ कथा-साहित्य ] अन्तिम भेद भलो जागो इक सार | जे सुएिसी ते उतर पार। हीन पद प्रक्षर जो होय । जको समारो मुरिणयर लोय ॥२८६।। मैं म्हारी बुधि मारू कही । गुणियर लोग सवारो सही। जे ता तणो कहै निरताय । सुरगता सगला पातिग जाइ ॥२६॥ लिखिवा चाल्यौ सुख नित लहो, जै साधा का गुरग यो कहाँ । यामै भोलो कोइ नही, वेद चौपइ कही ।।११।। यास भलो मालपुरो जाणि । टोक मही सो कियो वखाण । जठे असे माहाजन लोग । पान फूल का कीजे भोग ॥१२॥ पौरिण छतीसौं लीला करें | दुख घे पेट न कोइ भरं । राइस्यंत्र जो राजा बसाणि । चौर चवाहन राखे माणि ।।३।। जीव दया को प्रधिक मुभाव । सबै मलाई साथै हाय । पलिसाहा बंदि दीन्ही छोडि । बुरी कही भवि मुरौ बहोडि ।।६।।1 धनि हिंदवारणो राज वखाणि । जह मैं सीसोद्यो सो जागि। जीव दया को सदा वीचार । रति तरणी राखं प्राधार ।।६।। कीरति कहो कहा लगि जाणि । जीव दया सह पाले मारिण । इह विधि सगला कर जगीस । राजा जीज्यो सौ अरु बोस ।।६।। एता बरस मै भोलो नहीं । बेटा पोता फल ज्यो सही । दुखिया का दुख टाल आय। परमेस्वर जी करे सहाय II७|| इ पुन्य तणो कोइ नहीं पार | वैदि खलास करे ते सार। बाकी बुरी कहे नर कोइ । जन्म प्रापणो चाले खोइ ।।९।। संवत् सौलह से प्रमाण । उपर सही इतासौ जाण। निन्याएवं कला निरदोष । जीव सबै पावै पोष ।।६।। भाद्रव सुदी तेरस सनिवार । कडा तीन से पट अधिकाय । इ सुणता सुख पासी देह । पाप समाही कर सनेह ।।३००। इति श्री श्रेणिक चौपइ संपूरण मीती कात्तिक सुदि १३ सनीसरवार ककें सं० १८२६ काडी ग्रामे लोम्मत वखतसागर बांचे जहने निम्सकार नमोस्तं पांच ज्यो जी। २७८२. सप्तपरमस्थानकथा-पावार्य चन्द्रकीत्ति । पत्र सं० ११ । प्रा० ६३४४ इंच। भाषासंस्कृत । विषय-कथा। र० काल X। ले. काल सं० १६८६ आसोज बुदी १३ । पूर्ण । ० सं० ३५० । न भण्डार । Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० ] [ कथा-साहित्य २७०३. सप्तव्यसनकथा--आचाये सोमकीति। पत्र सं०४१। प्रा० ११X । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र काल सं० १५२६ माघ सुदी १ । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० ६ । अ भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन है। २७०४. प्रति सं०२। पत्र सं० ६४ । ले. काल सं० १७७२ श्रावण बुदी १३ । वे० सं० १००२ । श्र भण्डार। प्रशस्ति-- सं० १७७२ वर्षे थावणमासे कृष्णपक्षे त्रयोदश्यां तिथौ प्रवासरे विजैरामेण लिपियों अकबरपुर समीपेषु केरवाग्रामे । २७०५. प्रति सं०३। पत्र सं०६५। ले. काल सं० १८६४ भादवा मुदी ६। वे० सं० ३६३ । घ भण्डार विशेष-वटा निवासी महात्मा हीरा ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। दीवाणा संगही अमरचंदजी खिन्दूका ने प्रतिलिपि दीवारण स्पोजीराम के मंदिर के लिए करवाई। २७०६. प्रति सं०४। पत्र सं० ६४ । ले. काल सं० १७७६ माघ सुदी १ । वे० सं० ६६ । म भण्डार। विशेष---१० नरसिंह ने श्रावक गोविन्ददास के पठनार्थ हिण्डौन में प्रतिलिपि की थी। २७०७. प्रति सं०५। पत्र सं० ६५ । ले. काल सं० १६४७ मामोज सुदी । वे सं० १११ । ब भण्डार। २७०८, प्रति सं०६ । पत्र सं० ७७ । ले० काल सं० १७५६ कात्तिक बुदी ।। सं• १३६ । म भण्डार। विशेष-40 कपूरचंद के वाचनार्थ प्रतिलिपि की गयी थी। इनके अतिरिक्त व भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १०६) छ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ७५ ) और हैं। २७०९. सप्तव्यसनकथा-भारामज । पत्र सं० ८६ । मा० ११६४५ च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषम-कमा । र० काल सं. १८१४ आश्विन सुदी १० । पूर्ण । ० सं० ६८८ 1 च भण्डार । विशेष पर चिपके हुये हैं। अंत में कवि का परिचय भी दिया हुआ है। २७१०, सप्तव्यसनकथाभाषा" पत्र सं० १.१ मा० १२४८ च । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा। २० कालxले. कालपूर्स | बै० सं०७६३ । भण्डार। विशेष-सोमकीति कृत समव्यसनकया का हिन्दी अनुवाद है। च भण्डार में एक प्रति (वे.सं. १) और है। Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] २७११. सम्मेदशिखरमहात्म्य-लालचन्द । पत्र सं० २६ । प्रा० १२४५३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० काल सं. १८४२ | ले. काल सं० १८८७ प्राषाढ बुदी। ० सं० ८८ । ग भण्डार । विशेष-लालबन्द भट्टारक जगतकीत्ति के शिष्य थे | रेवाड़ी ( पक्षाब) के रहने वाले थे और वहीं लेखक ने इसे पूर्ण किया। २७१२. सम्यक्त्वकौमुदीकथा--गुणाकरसूरि । पत्र सं० ४८ । प्रा. १०x४ च । भाषा संस्कृत । विषय-कथा | र० काल सं० १५०४ । ले० काल x : पूर्ण । वे० सं० ३७६ । च भण्डार । २७१३. सम्यक्त्वकौमुदीकथा-खेता । पत्र सं० ७६ | प्रा० १२४५३ ईच। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा | र० काल X । ले० काल सं० १८३३ माघ सुदी ३ । पूर्ण । वे० सं० १३६ । श्र भण्डार । विशेष—म भण्डार में एक प्रति (वे. सं० ६१ ) तथा न भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३०) और है। २७१४. सम्यक्त्त्व कौमुदीकथा...."पत्र सं० १३ से ३३ । प्रा० १२४४३ इंच। भाषा-सस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले० काल सं० १६२५ भाव सुदी ६ । अपूर्ण । ये० सं० १६१० । द भण्डार । प्रशस्ति--संवत् १६२५ वर्षे शाके १४६० प्रवर्त्तमाने दक्षिणायने मार्गशीर्ष शुक्लपक्षे षष्ठम्यां शनी .............श्रीकुंभलमेरूदुर्गे रा० श्री उदयसिंहराज्ये श्री सरतरगच्छे श्री गुरणलाल महोपाध्याय स्वबाचनार्थ लिखारिता सौवाच्यमाना चिरं नंदनात् । २७१५. सम्यक्त्वकौमुदीकथा.....! पत्र सं० ८६ । मा० १०३४४ च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा ! र० काल XI ले. काल सं० १६०० चैत सुदी १२ । पूर्ण । वै० सं०४१। ब भण्डार । ___ विशेष-संवत् १६०० में खेटक स्थान में शाह आलम के राज्य में प्रतिलिपि हुई। बा धर्मदास अग्रवाल गोयल गोत्रीय मालागापुर निवासी के बंश में उत्पन्न होने वाले साघु श्रीदास के पुत्र प्रादि ने प्रतिलिपि कराई । लेखक प्रशस्ति ७ पृष्ठ लम्बी है। २७१६. प्रति सं० २१ पत्र सं० १२ से ६० । ले० काल सं० १६२८ बैशाख सुदी ५ । अपूर्ण । वे० सं. ६४ । अ भण्डार। श्रीडूंगर ने इस ग्रंथ को रायमल को भेंट किया था। अथ संवत्सरेस्मिन श्रीनृपतिविक्रमादित्यराज्ये संवत् १६२८ वर्षे पोषमासे कृष्णपक्षपंचमीदिने भट्टारक श्रीभानुकोत्तितदाम्नाये अगरवालान्वये मित्तलगोत्रे साह दासू तस्य भार्या भोली तयोपुत्र सा. गोपी सा. दीपा । सा. गोश तस्प भार्या वीवो वयो पुत्र सा. भावन साह उबा सा. भावन भार्या वूरदा पाही तस्य पुत्र तिपरदाश ! साह उवा तस्य भार्या मेघनही तस्मपुत्र डूंगरसी सास्त्र सम्यक्त कौमदी नच ब्रह्मबार रायमल्लवयात् पठनार्थ मानावर्णी कर्मभयहेतु । शुभं भवतु । लिखितं जीवात्मज गोपालदाय । श्रीचन्द्रप्रभु चैत्यालये अहिपुरमध्ये । Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ ] [ कथा-साहित्य २७१७. प्रति सं०२। पत्र सं०६८ । से० काल सं० १७१६ पौष बुदी १४ । पूर्ण । वै० सं० ७६९। छ भण्डार। २७१८. प्रति सं० ३ 1 पत्र सं०५४। ले. काल सं० १८३१ माघ सुदी ५१ वे० सं० ७५४ । क भण्डार। निशेष.-मामय गाद ने जगार नगर में प्रतिलिपि की थी। इसके अतिरिक्त अ मण्डार में २ प्रतियां ( दे० सं० २०६६, ८६४ ) घ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ११२), ङ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ८०० ), छ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०८७), म भण्डार में एक प्रति (वे० सं० ६१), ब भण्डार में एक प्रति (वे० सं० ३०), तथा ? भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं० २१२९, २१३० ) [ दोनों अपूर्ण ] पौर हैं। २७१६. सम्यक्त्वकौमुदीकथाभाषा-विनोदीलाल । पत्र सं० १६० । प्रा० ११४५ इंच । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-कथा । र० काल सं० १७४६ । ले० काल सं० १८६० सावन बुदी ६ । पूर्ण 1 1० सं० ८७ । ग भण्डार। २७२०. सम्यक्त्वकौमुदीकथाभाषा-जगतराय । पत्र सं० १५१ । प्रा० ११४५३ च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-कथा । र• काल सं० १७७२ माघ सुदी १३ । ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० ७५३ । क भण्डार। २७२१. सम्यक्त्वकौमुदीकथाभाषा-जोधराज गोदीका । पत्र सं० ४७ । प्रा० १०५४७३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा रकाल सं० १७२४ फागुण नुदी १३ । ले० काल सं० १८२५ प्रासोज बुदी ७ 1 पूर्ण । वै० सं० ४३५ । अ भण्डार । विशेष---नसागर ने श्री गुलाबचंदजी गोदीका के वाचनार्थ सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी। सं. १८६८ में पोथी की निछरावलि दिवाई ५० खुश्यालजी, पं. ईसरदासजो गोरीका सू हस्ते महात्मा फताह माई रु० १) दिया। २७२२. प्रति सं० २। पत्र सं० ४६ । ने० काल सं० १८६३ माघ बुदी २ । वे० सं० २११ । स्त्र भण्डार। २७२३. प्रति सं०३ । पत्र सं०६४ । ले. काल सं. १८५४ । वे सं० ७६८ | छ भण्डार । २७२४. प्रति सं०४ । पत्र सं० ६७ । ले. काल सं० १८६४ । वे० सं० ७०३ । च भण्डार । २७२५. प्रति सं०५। पत्र सं० ५५ । ले० काल सं० १८३५ चैत्र बुवी १३ । वै० सं० १. । झ भण्डार। इनके अतिरिक्त च भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ७०४ ) द भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १५४३ ) पौर है। Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २५३ पत्र सं० १७४ | श्रा० १०३८७३ इंच । भाषा - हिन्दी । २७२६. सम्यक्त्वकौमुदीभाषा' विषन - कथा | २० काल X। ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ७०२ । छ भण्डार । २७२७. संयोगपंचमीकथा - धर्मचन्द्र । पत्र सं० ३ कथा | र० काल X | ले० काल सं० २०२७ । ३६ विशेष— भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ८०१ ) और है । २७२८. शालिभद्रधन्नानी चौपई - जिनसिंहसूर | पत्र सं० ४९ | मा० ६२४ इंच | भाषा - हिन्दी । विषय - कथा । र० काल सं० १६७८ आसोज बुदी ६ । ले० काल सं० १५०० चैत्र सुदी १४ । अपूर्ण । वे० सं० ८४२ । भण्डार / विशेष - किशनगढ़ में प्रतिलिपि की गई थी । २७२६. सिद्धचक्रकथा " ० ११३५३ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय - अप | पत्र सं० २ से ११ । प्रा० १०४३ इंच | भाषा - हिन्दी । विषय-कथा । भण्डार | ११ से ६१ । मा० ७८४ च । भाषा - हिन्दी । विषय र० काल X | ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० ८४३ | २७३०. सिंहासन बीसी | पत्र सं० कथा | ८० काल X | ले काल X | अपूर्ण । वे० सं० १५६७ ट भण्डार । विशेष – ५ प्रध्याय से १२वें अध्याय तक है । २७३१. सिंहासनद्वात्रिंशिका - दक्षेमंकर मुनि । पत्र सं० २७ । मा० १०४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय - राजा विक्रमादित्य की कथा । र काल X | ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० २२७ । ख भण्डार 1 विशेष – प्रति प्राचीन है । भन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार है । श्रीविक्रमादित्य नरेश्वरस्य चरित्रमेतत् कविभिनिबद्ध । पुरा महाराष्ट्र परिष्ट्रभाषा मयं महाश्चर्यकरं नराणां ॥ क्षेमंकरेण मुनिना वरपद्यगद्यबंधे नमुक्तिकृतसंस्कृतब धुरेण । विश्वोपकार विलसत् गुणकीर्तिनायक बिरादमरपंडित हेतु ॥ २७३२. सिंहासनद्वात्रिंशिका " | पत्र सं० ६३ | प्रा० ६x४ इंच | भाषा-संस्कृत विषय कथा । ८० काल X | ले० काल सं० १७९८ पौष सुदी ५। पू । वे० सं० ४११ | च भण्डार | विशेष – लिपि विकत है । २०३३. सुकुमालमुनिकथा | पत्र सं० २७ । प्रा० ११३७३ इंच कथा । र० काल X | ले० काल सं० १८७१ माह खुदी ९ । पू । वै० सं० १०५२ । भण्डार | विशेष - जयपुर में सदासुखजी गोधा के पुत्र सवाईराम गोधा ने प्रतिलिपि की थी। भाषा - हिन्दी गद्य विषय Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ ] २७३४. सुगन्धदशमीकथा २० काल X 1 ले० काल । पूर्ण वे० सं० ८०१ । क भण्डार [ कथा-साहित्य | पत्र सं० ६ । आ० ११६x४६ च । भाषा संस्कृत । विषय-कथा 1 विशेष – उक्त क्या के अतिरिक्त एक और क्या है जो प्रपूर्ण है। | २७३५. सुगन्धदशमी व्रत कथा - हेमराज । पत्र सं० ५ । श्रा० ६३७ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय -- कथा । र० काल X | ले० काल सं० १९८५ श्रावण मुझे ५। पूर्ण । वे० सं० ६९५ | अ भण्डार | विशेष – भिण्ड नगर में रामसहाय ने प्रतिलिपि की भी ' प्रारम्भ - अथ सुगन्धदशमी व्रतकथा लिख्यते चौपाई श्रन्तिम दोहा वर्द्धमान बंदी सुखदाई, गुर गौतम वंदी चितलाय । सुगन्धदशमीव्रत सुनि कथा, वह मान परकाशी मथा ॥११॥ पूर्व रानवाह योग लेकिनगिराम । नाम चेलना गृहपटरानी, चंद्ररोहिणी रूप समान । नृप सिंहासन बैठी कदा, वनमाली फल हमामी तदा ||२|| सहर गहे लोउ तिम वास, सब श्रावक व्रत संयम धरे हेमराज कवियन यों कही, जैनधर्म को करेंप्रकास ॥ दान पूजा सी पातिक हरे । दिस्वभूषन परकासी सही 1 सोनर स्वर्ग अमरपति होय, मन वच काय सुनै जो कोम ॥ ३८ ॥ इति कथा संपूरणम् श्रावण शुक्ला पंचमी, चंद्रवार शुभ जान । श्रीजिन भुवन सहावनी, तिहां लिखा धरि ध्यान ॥ संवत् विक्रम भूप को, इक नव भाठ सुजान | ताके ऊपर पांच लखि, लीजे चतुर सुजान ॥ देश भदावर के विषै भिड नगर शुभ ठाम | ताही में हम रहत हैं, रामसाय है नाम || २७३६. हृदयवच्छ सावलिंगाकी चौपई-मुनि केशव । पत्र सं० २७ । आX४३ इंच भाषाहिन्दी | विषय - कथा | २० काल सं० १६६७ | वि० काल सं० १८३७ | वे० सं० १६४१ | द भण्डार विशेष कटक में लिखा गया। २७३७. सुदर्शनसेकी ढाल ( कथा ) ....... | पत्र सं०- ६ । प्रा० ९३x४३ इंच भाषा हिन्दी । विषय - कथा | र० काल X + ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० ८६१ । श्र भण्डार | 7 Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा-साहित्य ] [ २५५ २७३८. सोमशर्मावारिषेणकथा".."| पत्र सं०७। मा० १.४३ च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र काल X । ले० काल' XI पूर्ण । ३० सं० ५२३ । न भण्डार । २७३६. सौभाग्यपंचमीकथा-सुन्दरविजयगणि । पत्र सं० ९ । मा० १०x४ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल सं० १६६६ । ले. काल सं० १८११ । पूर्ण । वे० सं० २६६ । श्र भण्डार । विशेष-हिन्दी में अर्थ भी दिया हुआ है। २७४०. हरिवंशवर्णन ) पत्र सं० २० । मा० १०१४४३ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-कपा। २० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ८३६ । श्र भण्डार । २७४१. होलिकाकथा......"| पत्र सं० २ । मा० १०२४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र. काल X । ले० काल सं १९२१ ! पूर्ण । वे० सं० २६३ | म भण्डार । २७४२, होलिकाचौपई-टूगरकवि । पत्र सं. ४ | प्रा० Ex४ इंच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयकथा । र० काल सं० १६२८ क्षेत्र बुदी २ । ले. काल सं० १७१८ । अपूर्ण । वे० सं० १५७ । छ भण्डार । विशेष -- केवल अन्तिम पत्र है वह भी एक ओर से फटा हुआ है । अन्तिम पाठ निम्न प्रकार हैसोलहसइ गुणतीसइ सार चैत्रहि बदि दुतिया बुधिवार । नयर सिकंदरावाद."गुणफरि प्रागाध, याचक मंडण श्री खेमा साध 11८४|| तासु सीस नगर मति रली, भण्वु चरित्र गुण सांभली । जे नर नारी सुणस्यइ सदा तिह घरि बहलो हुई संपदा ॥१५॥ इति श्री होलिका चउपई । मुनि हरचंद लिखितं । संवत् १७१८ वर्षे ........आगरामध्ये लिपिकृतं ।। रचना में कुल ८५ पञ्च हैं । चौथे पत्र में केवल ८ पद्य हैं वे भी पूरे नहीं हैं। २७४३. होलीकीकथा-छीतर ठोलिया। पत्र सं० २ । प्रा० ११३४५३ । भाषा-हिन्दी । विषय-नथा। र० काल सं० १६६० फागुण सुदी १५ । ले० काल । पूर्ण। वे० सं० ४५८ | अ भण्डार । २७४४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४ । ले० काल सं० १७५० १ ० सं० ८५६ । क भण्डार। विशेष-लेखक मौजमानाद [ जयपुर ] का निवासी था इसी गांव में उसने ग्रंथ रचना की थी। २७४५. प्रति सं८३ । पत्र सं० ८ । ले. काल सं० १८८३। वे० सं० ६६ । ग भम्हार । विशेष—कालूराम साह ने गय लिखवाकर चौधरियों के मन्दिर में बढ़ाया। २७४६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४। ले० कास सं० १८३० फरपुरण बुदरी १२ । ३० सं० १६४२ 12 भण्डार। विशेष-10 रामचन्द्र ने प्रसिन्निपि की थी। Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . २५६ ] [ कथा-साहित्य २७४७: होमचा---जिन परसूति र १ च । भाषा-संस्कृत । विषय- कथा X । र० काल X । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ७४ भण्डार। विशेष---इसी भण्डार में इसके अतिरिस ३ प्रतियां वे० सं० ७४ में ही पौर हैं। २७४८. होलीपर्वकषा..."| पत्र सं० ३ । प्रा० १०x४३ । भाषा-संस्कृत। विषय-कथा । २० काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ४४६ । श्र भण्डार । २७४६ प्रति सं०२। पत्र सं० २१ ले०काल सं० १८०४ माघ सुदो ३। वे०सं० २८२ । व भण्डार। विशेष-इसके अतिरिक्त भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं०९१०,१११ ) और है। Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण-साहित्य २७५०. अनिटकारिका..."| पत्र सं० १ । प्रा० १०३४५६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २०. काल XI ले० काल X1 पूर्ण । वै० सं० २०३५ । अ भण्डार । २७५१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४ । ले. काल X । ० सं० २१४६ । ट भण्डार । २७५२, अनिटकारिकाषचूरि..."। पत्र सं० ३ । प्रा०.१३४४ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र० काल XI ले० काल:X । पूर्ण । वे० सं० २५० । ब भण्डार । २७५३. अव्ययप्रकरण.."। पत्र सं०६ । मा० ११५४५३ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र: काल X । ले० काल XI पूर्ण | वे० सं० २०१८ | अ भण्डार । २४४४. अव्ययार्थ...."। पत्र सं० ८ । मा० ८४५६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल X । ले० काल सं० १८४८ । पूर्ण । वे० सं० १२२ । म भण्डार । २७५५. प्रति सं० २ । पत्र सं. २ । ले. काल । भपूर्ण । वे० सं० २०२१ । द भण्डार । विशेष-प्रति दीमक ने खा रखी है। २७५६. उणादिसूत्रसंग्रह-संग्रहकर्ता-उज्ज्वलदत्त । पत्र सं० ३८ । प्रा० १०४५ इंच। माषासंस्कृत । विषय-श्याकरण । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ३० सं० १०२७ । अ भण्डार। बिशेष-प्रति टीका सहित है। २७५७, उपाधिव्याकरण......"। पत्र सं. ७ । प्रा. १०x४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल ४ । ले० काल x पूर्ण । वे० सं० १८७२ । अ भण्डार । २०५८. कातन्त्रविभ्रमसूत्रायचूरि-चारित्रसिंह । पत्र सं० १३ । प्रा० १०३४४३ इंच । भाषासंस्कृत | विषय-व्याकरण । र० काल x | ले. काल सं० १६६६ कात्तिक सुदी ५ । पूर्ण । ३० सं० २४७ । अ भण्डार । विशेष-मादि अन्त भाग निम्न प्रकार है नत्वा जिनेंद्र स्वगुरुच भक्त्या तत्सत्प्रसादाससुसिदिशक्त्या। सत्संप्रदायादवरािमेतां लिखामि सारस्वतसूत्रयुक्त्या ॥१॥ Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ ] [ व्याकरण-साहित्य प्रायः प्रयोगादुर्जे याः किलकांतंत्र विभ्रमो । येषु मो मुह्मते श्रेष्ठः शाब्दिकोऽपि यथा जड़ः ॥२॥ मातंत्रसूत्रविसरः खलु सा : यत्राति प्रसिद्ध इह नाति खरोगरीयात् ॥ स्वस्थेतरस्ये च सुबोधबिबर्द्धनार्थी । ऽस्त्वित्यं ममात्र सफलो लिखन प्रयासः ।। अन्तिम पाठ बारणाश्चिषडिदुमिते संन्वति धवलक्कपुरवरे समहे । श्रीखरतरगणगुष्करसुदिवापुष्टप्रकाराणां श्रीजिनमाणिक्याभिधसूरोणां सकलसार्बभौमाना । पट्टे करे विजयिषु श्रीमज्जिनचंद्रसूरिराजेषु ॥२१॥ गोति वाचकमतिभष्ट्रगणेः शिष्यस्तदुपास्त्यवाप्तपरमार्थः । चारित्रसिहसापुर्यदधदवरिणमिह सुगमां ॥३॥ यलिहितं मतिमायाबनृतं प्रश्नोतरेत्र किंचिदपि । तत्सम्यक् प्राजवरे; शोध्यं स्वपरोपकाय ॥४॥ इति कार्तविभ्रमावचूरिः संपूर्णा लिखनतः । प्राचार्य श्रीरत्नभूषणस्तच्छिष्य पंडित केशवः सेनेयं लिपि कृता प्रात्मपठनार्थं । शुभं भवतु | संवत् १६६६ वर्षे कात्तिक सुदी ५ तियो । २०५६. कातन्त्रटीका..."] पत्र सं० ३ । प्रा० १०२४४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । र० काल Xलेकाल X । अपूर्ण । वे० सं० १६०१ । ८ भण्डार । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। २७६०, कातन्त्ररूपमालाटीका--दौर्गसिंह । पत्र सं० ३६४ । प्रा० १२६४४, इच । भाषासंस्नुत । विषय-व्याकरण |र. काल x | ले. काल सं० १९३७ । पूर्ण । वै० सं० १११ । क भण्डार | विशेष टीका का नाम कलाप व्याकरण भी है। २७६१. प्रति सं०२। पत्र ०१४ । ले० काल अपूर्ण । ० सं० ११२ क भण्डार । २७६२. प्रति सं०३ । पत्र सं० ७७ । ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० ६७ । च भण्डार । २७६३ कातन्त्ररूपमालावृत्ति..."। पत्र सं० १४ से ८९) मा ६x४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | र० काल x | ले. काल सं० १५२५ कात्तिक सुदी ५ । अपूर्ण । के० सं० २१४४ । ट भण्डार | Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण साहित्य ] . . प्रशस्ति--संवत् १५२४ वर्षे कातिक सुदी ५ दिने श्री टोंकपत्तने सुरवाणामलावदीनराज्यप्रवर्त्तमाने श्री मूलसंधे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टारक श्रीपञ्चनंदिदेवास्तत्प? भट्टारक श्रीशुभचंद्रदेवातपट्टे भट्टारकोजिनचन्द्रदेवात्सशिष्य ब्रह्मतीकम निमितं । खंडेलवालान्वये पाटणीगोत्रे सं० धन्ना भार्या धनश्री पुत्र सं. दिवराजा, दोदा, मूलाप्रभृतयः एतेषांमध्ये सा, दोदा इदं पुस्तक ज्ञानावरगीकर्मक्षयतिमितं लिखाप्य जानपात्राय दतं । २७६४, कातन्त्रव्याकरण-शिवर्मा । पत्र सं० ३५ । प्रा० १०x४१ इंच । भाषा-संस्कृत विषय व्याकरण । र० काल ४ ।ले. काल X । अपूर्ण । ० सं० ६६ 1 च भण्डार । २७६५. कारकप्रक्रिया'"""पत्र सं० ३। प्रा०१०३४५ इंच। भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । र० काल x | ले० काल X । पूर्ण | वे० सं० ६५५ । श्र भण्डार । २७६६. कारकविवेचन.....'| पत्र सं. ८ । प्रा० ११४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X। ले० काल ४ ! पूर्ण । वे० सं० ३०७ । ज भण्डार । २७६७, कारकसमासप्रकरण ) पत्र सं० ५ । मा. ११४४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । २० काल - I ले. काल XI पूर्ण । वे० सं०६३३ | अभण्डार । २७६८. कृदन्तपाठ ...." | पत्र सं० ६ । प्रा. ११४५ इंच। माषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । २० काल ४ । ले० काल X | अपूर्ण | वे० सं० १२६६ । अ भण्डार । विशेष-तृतीय पत्र नहीं है। सारस्वत प्रक्रिया में से है। - २७६६. गणपाट-वादिराज जगन्नाथ । पत्र म० ३४ 1 प्रा० १०२४४६ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल -। ले० काल X । पूर्ण । ० सं० १७८० । द भण्डार। २७७०. चंद्रोन्मीलन ... | पत्र सं० ३० । मा० १२४५, इच। भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण। २० काल X । ले० काल सं० १८३५ फागुन बुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ६१ । ज भण्डार । विशेष-सेवाराम ब्राह्मण ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। २४७१. जैनेन्द्रव्याकरण-देवनन्दि | पत्र सं० १२६ । प्रा० १२४५३ इंच। भाषा-संस्कृत । विषम व्याकरण | र० काल X । ले० काल सं० १७१० फागुण सुदी १ । पूर्ण । ३० सं० ३१ । विशेष-ग्रथ का नाम पंचाध्यायी भी है। देवनन्दि का दूसरा नाम पूज्यपाद भी है । पंचवस्तु तक। सीलपुर नगर में श्री भगवान जोशी ने पं० श्री हर्ष तथा श्रीवल्याण के लिये प्रतिलिपि की थी। संवत १७२० मासोज सूदी १० को पुनः श्रीकल्याण व हर्ष को साह श्री नूरपर घेरवाल द्वारा भेट की गयी थी। Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० ] [ व्याकरण साहित्य २७७२, प्रति सं०२ । पत्र सं० ३१ । ले० काल सं० १६६३ फागुन सुदो है । वे सं० २१२ । का भण्डार। २७७३. प्रति सं० ३१ पत्र सं०६४ से २१४ : ले. काल सं० १६६४ माह बुदी २ । अपूर्ण । बे० सं० २१३ । क भण्डार। २७७४. प्रत सं०४ । पत्र सं०६७ । ले० काल सं० १८६६ कात्तिक सुदी ३ । ३० सं० २१० । के भण्डार। विशेष—संस्कृत में संक्षिप्त संकेतार्थ दिये हुये हैं । पन्नालाल भौंसा ने प्रतिलिपि को थी। २७६५. प्रति सं५। पत्र सं० ३० ! ले. काल सं.१९०८ | ० सं० ३२८ | ज भण्डार । २४४६. प्रति सं०६। पत्र सं० १२५ । ने० काल सं० १८८७ वंशाख सुदी १४ । वे० सं० २०० । ब भण्डार। 'विशेष- इनके अतिरिक्त च भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १२१) ब भण्डार में २ प्रतिया ( वे० सं० ३२३, २८८ ) और हैं । ( वे० सं० ३२३ ) बाले ग्रन्थ में सोमदेवमूरि कृत शब्दाब चन्द्रिका नाम की टोका भी है। २७७७ जैनेन्द्रमहावृत्ति-अभयनंदि । पत्र सं० १०.४ से २३२ । प्रा० १२३४६ इन। भाषासंस्कृत | विषय-व्याकरण | र० काल ४ | ले. काल X । अपूर्ण | वे० सं० १०४२ । अ भण्डार । ६७४८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६९० । ले० काल सं० १९४६ भादया बुदी १० । वे० सं० २११ । क भण्डार । विशेष—पन्नालाल चौधरी ने इसकी प्रतिलिपि की थी। .२७७६. तद्धितकिया ! पत्र सं० १६ । प्रा० १.४५ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X | ले. काल X । पूर्ण | के० सं० १८७० । अ भण्डार । २७८०. धातुपाठ-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं०१३। मा० १०४४ इञ् । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र० काल X । ले० काल सं० १७६७ श्रावण सुदी ५ । वे० सं० २९२ । छ भण्डार । २७८१. धातुपाठ..."| पत्र सं. ५१। मा० ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल X| लेकाल X | अपूर्ण | वे० सं० ६६० । अ भण्डार । विशेष—धातुओं के पाठ हैं। २७८२. प्रति सं०२ । पत्र सं० १७ । ले० काल सं० १५६४ फागुण सुदी १२ । बै० सं० ६२ । स्त्र भण्डार विशेष-यापार्य नेमिचन्द्र ने प्रतिलिपि करवायी थी। इनके अतिरिक्त अ भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १३०३) तथा ख भण्डार में एक प्रति (दे० सं० २६.) और हैं। Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याकरण- साहित्य ] [ २६१ सं० २२ । १२४५१ | भाषा-संस्कृत विषय-व्याकरण । २७८३. धातुरूपावलि २० काल X | ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० ६ । न भण्डार । विशेष - शब्द एवं धातुत्रों के रूप हैं । २७८४. धातुप्रत्यय २० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० २०२८ । ट भण्डार । विशेष - हेमशब्दानुशासन की दाब्द साधनिका दी है । २०५४. पंच संधि... " पत्र सं० २ से ७ । प्रा० १०x४ च । भाषा-संस्कृत | विषय - व्याकरण | पत्र सं० ३ । श्र० १० X ४ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | १० काल X | ले० काल सं० १७३२ । प्रपूर्ण | वे० सं० १२६२ । भण्डार ० १२X४ इ | भाषा-संस्कृत | २०६६. पंचिकरणवार्त्तिक- सुरेश्वराचायें । पत्र सं० २ से ४ | विषय- व्याकरण | र काल x | ले० काल X अपूर्ण वे० सं० १७४४ । ट भण्डार । " । पत्र सं० ४ १ ० १०३४३ ६ | भाषा-संस्कृत | विषय - व्याकरण २७८७ परिभाषासूत्र" १० काल X | ले० काल सं० १५३० । पूर्ण । वे० सं० १६५४ । ट भण्डार | विशेष – अंतिम पुष्पिका निम्न प्रकार है- इति परिभाषा सूत्र सम्पूर्ण ॥ प्रशस्ति निम्न प्रकार है सं० १५३० वर्षे श्रीखरतरगच्छेश्री जयसागर महोपाध्यायशिष्यश्री रत्नचन्द्रोपाध्यायशिष्यर्भातला भगणिना लिखिता वाचिता च । २७८८. परिभाषेन्दुशेखर – नागोजीभट्ट । पत्र सं० ६७१ ० EX३३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयव्याकरण | र० काल X। ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ५८ । ज भण्डार । २६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५६ । ले० काल X | वे० सं० १०० । ज भण्डार । २७६०. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ११२ । ले० काल X | वे० सं० १०२ । ज भण्डार । विशेष - दो लिपिकर्त्ताओं ने प्रतिलिपि की थी। प्रति सटीक है। टीका का नाम भैरवी टीका है । | पत्र सं० १४३ | आ० १२४५ इव । भाषा संस्कृत 1 विषय - व्याकरण | २७६१. प्रक्रिया कौमुदी २० काल X १ ले काल X। श्रपूर्ण । बे० सं० ६५० । श्र भण्डार विशेष - १४३ से भागे पत्र नहीं हैं । २७६२. पाणिनीयव्याकरण - पाणिनि । पत्र सं० ३६ । ग्रा० ८३३ इ । भाषा-संस्कृत विषय व्याकरण | र० काल X | ले० काल X। प्रपूर्णा । ० ० १६०२ । भण्डार | विशेष प्रति प्राचीन है तथा पत्र के एक ओर ही लिखा गया है। Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । व्याकरण-साहित्य २७४३. प्राकृतरूपमाला--श्रीरामभद्र सुत वरदराज । पत्र सं० ४७ । प्रा० .XY इनभाषा प्राकृत | विषय-व्याकरण । २० काल x। लेक काल सं०१७२४ माषाह बुद्दी । पूर्ण। वे० सं० ५२२ । । भण्डार। विशेष-प्राचार्य कनककीति ने द्रव्यपुर (मालपुरा) में प्रतिलिपि की थी। २७६४. प्राकृतरूपमाला...."। पत्र सं०३१२४६ । भाषा-प्राकृत | विषय-व्याकरण । २० काल ले० काल X । अपूर्ण । ने० सं० २४६ । च भण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हैं। २७६५. प्राकृतव्याकरण--चंडकवि । पत्र सं०६ | मा० १११४५३ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-- व्याकरण । र० कालXले. काल पूर्ण । व० सं० १६४ | अभण्डार। विशेष-ग्रन्थ का नाम प्राकृत प्रकाश भी है । संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश पशाचिकी, मागधी तथा सौरसेनी आदि भाषामों पर प्रकाश डाला गया है। २७६६. प्रति सं० २। पत्र सं० ७ । ले. काल सं० १८६६ । वै० सं० ५२३ 1 क भण्डार । २७६७. प्रति सं०३ । पत्र सं० १६ । ले० काल सं० १८२३ 1 वे० सं० ५२४ । क भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५२२ ) और है । २७६८ प्रति सं०४। पत्र सं०४० ले. काल सं० १८१४ मंगसिर सुदी १५। वे० सं. १.5 छ भण्डार। विशेष-जयपुर के गोधों के मन्दिर नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। २७६६. प्राकृतव्युत्पत्तिदीपिका-सौभाग्यगणि । पत्र सं० २२४ । प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण | २० काल X| ले. काल सं० १८६६ प्रासोज सुदी २ । पूर्ण । वे० सं० ५२७ । क भण्डार | २८००. भाप्यप्रदीप–कैय्यट । पत्र सं० ३१ । प्रा. १२६x६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र. काल X 1 ने काल X । अपूर्ण । ० सं० १५१ ( ज भण्डार । २८०१. रूपमाला"...! पत्र सं०४ से ५० । प्रा. १४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल ४ । ने. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३०६ । च भण्डार । विशेष-धातुषों के रूप दिये हैं । इसके अतिरिक्त इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं० ३०७, ३०८ ) और हैं । २८०२. लघुन्यासवृत्ति""| 'पत्र सं० १२७ । पा० १०x४६ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र० काल ले. काल X| अपूर्ण । ० सं०१७७४ भण्डार । Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * व्याकरण-साहित्य ] २० काल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० १६४८ | द भण्डार | २८०४. लघुशब्देन्दुशेखर" व्याकरण | र० काल X | ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० २११ | ज भण्डार । विशेष – प्रारम्भ के १० पत्र सटीक हैं । २८०५. लघु सारस्वत — अनुभूति स्वरूपाचायें । पत्र सं० २३ । श्र० ११X५ छ । भाषा-संस्कृत । विषय - व्याकरण | र० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ६२६ । अ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं० ३११. ३१२, ३१३, ३१४ ) और हैं। । पत्र सं० २० | ० ११३५३ २६०६. प्रति सं० २ । [ २६३ २८०३. लघुरूपसर्गवृत्ति" " पत्र सं० ४। श्रा० १०३४५ इश्च । भाषा-संस्कृत विषय - व्याकरण | ३११ । च भण्डार | भण्डार | भण्डार । पत्र सं० २१५ | मा० ११३४५३ इच। भाषा-संस्कृत विषय भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में दो प्रतियां (वै० सं० ३१३, ३१४ ) और हैं । २०८. लघुसिद्धान्तकौमुदी- -बरदराज पत्र सं० १०४ । श्रा० १०९४३ । भाषा - संस्कृत । विषय - व्याकरण | र० काल X। ले० काल X | पूर्ण । ० सं० १६७ । ख भण्डार | । ले० काल ४ । पूर्ण वे० सं० २८०७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १८६२ भाद्रपद शुक्ला ८ | वे० सं० ३१३ च २०६ प्रति सं० २१ पत्र ० ३१ | ० काल सं० १७५६ ज्येष्ठ बुदी ५ । वे० सं० १७३ । ज विशेष – प्राठ अध्याय तक है। च भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० ३१५, ३१६ ) और हैं । २८१०. लघुसिद्धान्तकौस्तुभ व्याकरण । १० काल X। ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० २०१२ । ८ भण्डार । विशेष – पाणिनी व्याकरण की टीका है । २५११. वैय्याकरणभूषण- कौनभट्ट | पत्र सं० ३३ । श्र० १०४ | भाषा-संस्कृत । विषयघ्याकरण | र० काल X। ले० काल सं० १७७४ कार्तिक सुदी २ पूर्ण । ० सं० ६८३ भण्डार । २६१२. प्रति सं० २ । पत्र सं० २०४ | ले० काल सं० १६०५ कार्तिक बुदी २ । वे० सं० २८१ । " पत्र सं० ५१ । प्रा० १२४५ ई इ । भाषा-संस्कृत विषय । २८१३. वैय्याकरणभूषण | पत्र सं७७ । प्र० १०३४५ इव व्याकरण | र० काल X | ले० काल सं० १६६६ पौष सुदी ८ पूर्ण बैं० सं० ६८२ । भाषा - संस्कृत । विषय मण्डार | Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ ] . [ व्याकरण-साहित्य २८१४. प्रति सं०३। पत्र सं०४। ले. काल सं. १९६६ चैत्र बुदी ४| व० सं० ३३५। च भण्डार। विधोष—मारिणक्यचन्द्र के पठनार्थ ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई थी। २८१५. व्याकरण"""| पत्र सं० ४६ । प्रा० १०३४५ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण। र० काल ४ । ले. काल XI पूर्ण | वे० सं० १०१ । छ भण्डार । २८१६. व्याकरण्टीका..."| पत्र सं० ७ । प्रा० १०x४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयन्ध्याकरण । र काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० १३८ । छ भण्डार । २०१७. व्याकरएभाषाटीका... | पत्र सं० १८। मा० १०४५ इन्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी। विषय-व्याकरण । २० काल XI ले. काल ४ 1 अपूर्ण | व० सं० २६८ । छ भण्डार । २८१५. शब्दशोभा--कवि नीलकंठ । पत्र सं०४३ । प्रा० १.३५५ । भाषा-संरक्त । विषयव्याकरण । २० काल सं० १६६३ । ले. काल सं० १८७६ । पूर्ण । वे० सं० ७०० । भण्डार । विशेष-महात्मा लालचन्द ने प्रतिलिपि की थी । २८१६. शब्दरूपावली....। पत्र सं० ८६ । प्राsex४ इन। भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | २० काल ४ । ले० काल' x पूर्ण । ३० सं० १३६ । म भण्डार । २८२०. शब्दरूपिणी प्राचार्य वररुचि । पत्र सं० २७ । प्रा० १०:४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-व्याकरण । र० बाल XI ले. काल' X । पूर्ण । वे० सं० ८१२ । अ भण्डार । २८२१. शब्दानुशासन-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० ३१ । आ० १०४४ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषम-व्याकरण | र० काल X । ले. काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० ४८८ । ब भण्डार । २८२२. प्रति सं०२।। पत्र सं० १० । प्रा० १०३४४३ इन्च | लेकाल x | अपूर्ण । वे० सं० १९८६ । भण्डार। वियोष-क भण्डार में ६ प्रतियां (घे० सं० ६८१, ६८२, ६८३, ६६३, (क) ६८४, ५.२६ ) तथा अ भण्डार में एक प्रति (वे० सं० १९८६ ) और हैं। २८२३. शब्दानुशासनवृत्ति-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० ७९ मा० १२४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । बे० सं० । २२६३३ श्र भण्डार | विशेष—प्रन्थ का नाम प्राकृत व्याकरण भी है। २८२४. प्रति सं०२ । पत्र सं० २० । ले० काल सं० १८६६ चैत्र बुदी ३ । ३० सं० ५२५ । क भण्डार। विशेष-मामेर निवासी पिरामदास महा बाले ने प्रतिलिपि की थी। Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ध्याकरण-साहित्य ] [ २६५ २०२५. प्रांत स० ३ । पत्र सं० १६ । ले० काल सं० १८६६ चैत्र बुदी १ । वे ० सं० २४३ । च भण्डार। विशेष—इसौ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३३६ ) मौर है। २८२६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ८ । ले० काल सं० १५२७ चैत्र बुदो ८ । वेसं० १६५० । ट भण्डार। प्रशस्ति-संवत् १५२७ वर्ष चैत्र वदि ८ भौमे गोपाचलदुर्गे महाराजाधिराजवीकीतिसिंहदेवराजप्रवर्तमानसमये श्री कालिदास पुत्र श्री हरि ब्रह्म... २५२७. शाकटायन व्याकरण-शाकटायन । २ मे २० । प्रा० १५४५, इशा भाषा-मम्कन । विषय-व्याकरण । र० काल ४ | ले. काल X| अपूर्ण । ० सं० ३४० । च भण्डार । २८२८. शिशुबोध-काशीनाथ । पत्र सं०६ । प्रा० १.४३ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | र० काल X । ले. काल सं० १७३६ माघ सुदी २ । वे० सं० २८७ । छ भण्डार । प्रारम्भ--भुदेवदेवगोपाल, नवागोपालमीश्वरं । क्रियते काशीनाथेग, शिशुवोधविशेषतः ॥ २८२६. संज्ञाप्रक्रिया....... पत्र सं० ४। मा० १.३४४३ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २८५ । छ भण्डार । २८३० सम्बन्धविवक्षा 'पत्र सं० २४ । प्रा० ६६४४६, इंश्च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र• काल X| ले. काल'XI ० सं० २२७ । ज भण्डार । २८३१. संस्कृतमञ्जरी..."| पत्र सं० ४ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण। र० काल X । ले० काल सं० १८२२ । पूर्ण । वे० सं० ११९७ ५ अ भण्डार । २८३२. सारस्वतीधातुपाठ""""| पर सं० ५। प्रा० १०३४४३ इन्न । भाषा-संस्कृत । विपनम्याकरण । र० काल X । ल० काल X । पूर्ण | वे० सं० १३७ । छ भण्डार । विशेष—कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हुये हैं। २८३३. सारस्वतपंचसंधि" .."| पत्र सं० १३ । मा० १०४४ इञ्च । भाषा-संम्वृत | विषय-व्याकरण । र. काल ४ । ले. काल सं० १८५५ माघ सुदी ४ । पूर्ण । वे० सं० १३७ । छ भण्डार । २८३४. सारस्वतप्रक्रिया-अनुभूतिस्वरूपाचार्य । पत्र सं० १२१ से १४५ । प्रा० ८३४४. इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण } २० काल X । खे काल सं० १८४६ । अपूर्ण । वे० सं० १३६५ । अ भण्डार | २८३५. प्रति सं०२| पत्र सं०६७। ले. काल सं० १७.१ । वे० सं०१०१। अभण्डार । Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ ] म्हार । भण्डार | भण्डार | [ व्याकरण- साहित्य २८३६, प्रति सं० ३ । पत्र सं० १५१ । ले० काल सं० १८६६ । वे० सं० ६२१ । अ भण्डार २६३० प्रति सं० ४ पत्र [सं०] ६३ ० काल सं० २०६१ २० [सं० ६५२ का भण्डार । विशेष चीखनंद के शिष्य कृष्णदास ने प्रतिलिपि की थी। 1 २३. प्रति सं० ५। पत्र सं० ६० से १२४ | जे० काल सं० १८३८ अशी वे० सं० १८४ | भण्डार । बाई ( बरसी ) मगर में प्रतिनिधि हुई थी। - २८३६. प्रति सं० ६० ४६० सं० २०५२ २० सं० १२४९ भण्डार विशेष – चन्द्रसागरगणि ने प्रतिलिपि की थी । २८४० प्रति सं० ७ । पत्र सं० ४७ | ले० काल सं० १७०१ । ० सं० ६७० । श्र भण्डार | पत्र सं० ३२ से ७२ | ले० काल सं० १८५२ | अपूर्ण । दे० सं० ६३७ ॥ अ २०४१ प्रति सं० ८ २८४२ प्रति सं० ३ ० २३० काल पूर्ण वे० सं० १०५५ भण्डार संस्कृत टीका सहित है। विशेष—दक २०४३. प्रति सं० १० | पत्र सं० १६४१ ले० काल सं० १८२१ । ३० सं० ७६० । क भण्डार । विशेष मिनराम के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी । २८४४ प्रति सं० ११ पत्र सं १४६ | ले० काल ०१०२०१००७६ २८४५. प्रति सं० १२० १ संधि तक है। भण्डार । ० का ० १८४६ माघ सुदी १४ । ३० स० २६८१ विशेष— पं० जगरूपदास ने दुसोबन्द के पंठनार्थ नगर हरिदुर्ग में प्रतिलिपि को भी केवल निमर्ग २५४६ प्रति सं० १३ प ० ६५ २० काल सं० २०६४ बावा सुदी ५। ३० सं० २६६ ख २८४७ प्रति सं० १४ प [सं० ६६ ० का ० १७५ १०० १२७ भार । नार्थ प्रतिलिपि हुई थी। विशेष—दुर्गाराम शर्मा के मटार २८४८ प्रति सं० १५ पत्र सं० २७ ले काल सं० १९१७ । २००४ विशेष - गणेशलाल पांख्या के पठनार्थ प्रतिलिपि की गई थी। दो प्रतियों का सम्मिश्रण है । २८४६. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १०१ । से० कांत सं० १८७९० सं० १२५ भण्डार विशेष—इसके अतिरिक्त भंडार में १० प्रतिमां ० ० ६०७ १५२, ५०६, १०२, १००२, x Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्याकरण-साहित्य । १०३४, १३१३, ६५३, १२८६, १२७२, १२३२, १९५०, १२५०, १८८०, १२६१, १२९८, १२८४, १३०१, १३.२ ख भण्डार में ७ प्रतियां ( वे सं० २१५, २१५ [अ], २१६, २१७, २१८, २१६, २६८ ) घ भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० १११, १२०, १२१ ) भण्डार में १५ प्रतियां ( ३० सं० ८२१, ८२२, ८२३, ८२५, ९२६, ५२७, २८, २९, ८३१, से ८३८, ८३६ ) च भण्डार में ५ प्रतिया ( वे० सं० ३६६, ४००, ४०१, ४०२, ४०३ ) छ भण्डार में ६ प्रतियां ( ० सं० १३६, १३७, १४०, २४७, २५४, ६७) म भण्डार में ३ प्रतियां (वे सं० १२१, १४०, २२२) ब भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० २० ) तथा ट भण्डार में ५ प्रतियां ( ० सं० १९८८, १६, २१००, २०७२, २१०५ ) मौर हैं। उक्त प्रतियों में बहुत सी अपूर्ण प्रतियां भी हैं। २८५०. सारस्यतप्रक्रियाटीका महीभट्टी। पत्र सं. ६७ । प्रा. ११४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र• काल XI ले० काल सं० १८७६ । पूर्ण | वे सं० ८२४ । भण्डार । विशेष—महात्मा लालचन्द ने प्रतिलिपि की थी। २८५१ संज्ञाप्रक्रिया पत्र सं०६। प्रा० १७३४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X । ले० काल ४ ! पूर्ण । ३. सं. ३० भण्डा : २८५२. सिद्धहेमतन्त्रवृत्ति-जिनप्रभसूरि । पत्र सं० ३ । मा० ११४४३ इन्। भापर-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल । ले. काल सं० १७२४ ज्येष्ठ मुदी १० । पूर्स | वे सं. "| ज भण्डार । विशेष---संवत् १४९४ की प्रति से प्रतिलिपि की गई थी। २८५३. सिद्धान्तकौमुदी-भट्टोजी दीक्षित । पत्र सं० ८ | प्रा० ११४५३ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | र० काल ४ । ले. काल X| मपूर्ण । वे० सं० १४ । ज भण्डार । २८५४. प्रति सं० २ । पत्र सं० २४० १ ले कास XI ० सं० ६६ । ज भण्डार । विशेष-पूवार्द्ध है। २०५५. प्रति सं०३ । पत्र सं० १७६ | ले. काल X I वे० सं० १०१ । ज भण्डार । विशेष-उत्तरार्द्ध पूर्ण है। इसके अतिरिक्त ज भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं०६५, ६६ ) सया ट मबार में २ प्रतियां (वे. मं. १९३४, १९६६ ) और है। २०५६. सिद्धान्तकौमुदी । पत्र सं० ४३ 1 मा. १२६४६ इंच ! भाषा-संस्कृत । विषयच्याकरण । र० काल X । अपूर्ण । ० सं० १४७ । भण्डार | Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ व्याकरण साहित्य विशेष अतिरिक्त अ, च तथा द भण्डार में एक एक प्रति ( वे० सं० २४८, ४०७, २७२ ) और है। २८५७. सिद्धान्तकौमुदीटीका ..."। पत्र सं० ६५ । प्रा० ११३४६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण 1 र० काल XI ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० ६५ । ज भण्डार । विशेष-पत्रों के कुछ अंश पानी से गल गये हैं। २८५८. सिद्धान्तचन्द्रिका-रामचंद्राभम | पथ सं० ४। पा०९४५३ इन । भाषा-संस्कृत्त । विषय-व्याकरण | र. काल | ले. काल x पूर्ण । वै० सं० १९५१ । अ भण्डार । २८५६. प्रति सं० २१ पत्र सं २ ले काल र. .! . . १९५० । या भण्डार । वियोष—कृष्णगढ में भट्टारक सुरेन्द्रकीति ने प्रतिलिपि की थी। २५६०. प्रति सं०३१ पध सं० १०१। ले. काल सं. १८४७ । ० सं० ११५३ | अ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में १० प्रतियां ( वे० सं० १६३१, १९५४, १९५५, १६५६, १६५७, १६५८, ६०८, ६१७, ६१८, २०२३ ) भोर है । २८६१. प्रति सं० ४ । पत्र सं ६४ । मा० ११६४५३ इंच । ले. काल स० १७८४ अषाढ बुदी १४ । वे० सं० ७८२ क भण्डार | २८६२. प्रति सं०५ । पत्र सं०५७ । ले० काल सं० १९०२ । वे० सं० २२३ । रख भण्डार । विशेप-इसी भण्डार में २ प्रतियां | वे सं० २२२ तथा ४०८ौर हैं। २८६३. प्रति सं०६ पत्र सं० २९ । ले. काल सं० १७५२ चैत्र बुदी । वे० सं०९.1छ भण्डार । विशेष- इसी वेष्टन में एक प्रति प्रौर है। ५८६४. प्रति सं०७ । पत्र सं. ३६ | ले० काल सं० १८६४ श्रावरण बुदो ६ । वे० सं० ३५२ । ज भण्डार र विशेष--प्रथम वृत्ति तक है । संस्कृत में कहीं शब्दार्थ भी हैं । इसी भष्टार में एक प्रति ( दे० सं० ३५३) और है। इसके अतिरिक्त अ भण्डार में ६ प्रतियां ( वे सं• १२८५, १९५४, १९५५, १९५६, १९५७, ६०८, ६१७, ६१८ ) ख भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० २२२, ४०८ ) छ तथा ज भण्डार में एक एक प्रति ( वे० सं.१०, ३५३ और है। अ भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० ११७७, १२६६, १२६७) मपूर्ण | च भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ४०६, ४१० ) छ भण्डार में एक प्रति (व० सं० ११६ ) तथा ज भण्डार में ३ प्रतियां ( ३० सं० ३४५, ३४८, ३४९ ) और हैं । ये सभी प्रतियां अपूर्ण है। Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण-माहिन्य ] [ २६६ २८६५. सिद्धान्त चन्द्रिकाटीका-लोकेशकर । पत्र सं०१७ । पा० ११३xx इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-याकरण । र. काल xले. काल x पूर्ण । ० सं० १०१ । क भण्डार । विशेष--टीका का नाम नत्वदीपिका है। से ११ । खे० काल x अपूर्ण । वै. सं० ३४७ 1ज भण्डार । २८६६. प्रति सं२। पत्र सं० विशेष प्रति प्राचीन है। २८६७. सिद्धान्तचन्द्रिकावृत्ति-सदानेन्दगरिण | पत्र सं. १७३ | प्रा. ११४४, ७ । भाषासंस्कृत | विषय-ध्याकरण । र काल । ले० काल x | वे० सं० ८६ । छ भण्डार । विशेष-टीका का नाम सुबोधिनीवृत्ति भी है। २८६८, प्रति सं० २। पर सं० १७८ | वे० काल सं० १८५६ ज्येष्ठ वुदी ७१ ० सं० ३५१ ! ब भण्डार। बिशेष- महाचन्द्र ने चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। २८६६. सारश्वतदीपिका-चन्द्रकीतिसूरि । पत्र सं० १६० । मा० १०x४ इंच । भाषा संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० करन सं० १६५६ । ले. काल x | पूर्ण । वे० सं० ७६५ । अ भण्डार । २८७८. प्रति सं८२ पत्र सं० ६ से ११६ । ले. काल सं० १६५७ । वे० सं० २६४ । छ भमार । विशेष-नन्द्रकोत्ति के शिष्य हर्षकीति ने प्रतिलिपि की थी। २८७१. प्रति सं. ३ । पत्र सं०७२ । लेकाल सं० १८२८ । के. सं० २८३ । छ भण्डार । विशेष---मुनि चन्द्रभारण खेतसी ने प्रतिलिपि की थी | पत्र जीर्ण हैं । २८७२. प्रति सं० ५। पत्र सं० ३ । ले० काल सं० १६६१ । वे० सं० १९४३ । ट भण्डार । विशेष--इनके अतिरिक्त अ च पोर ट भण्डार में एक एक प्रति (वे० सं० १०५५, ३६ तथा २०६४) पोर है। २०७३. सारस्वतदशाच्यायो....." । पत्र सं० १० | प्रा० १०६x४६ इच। भत्या संस्कृत । विषषध्याकरण । र.. . ले. काल सं० १७६८ पैशाख बुदी ११ । वे० सं० १३७ 10 भण्डार । विशेष-प्रोत संस्कृत टीका सहित है। कृष्णदास ने प्रतिलिपि की थी । २८७५. सिद्धान्तचन्द्रिकाटीका । पत्र संत १६ । मा० १०x४, इछ । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण | २७ काल | ले. काल X । अपूर्ण । ० सं० २४ । भण्डार | Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७. ] [ व्याकरण साहित्य २८७५. सिद्धान्तविन्तु-श्रीमधुसूदन सरस्वती । पत्र सं• २८ । मा० १०३४६ इच । भाषासंस्कृत | विषय-व्याकरण । २० काल X| ले. काल सं० १७४२ पासोज बुद्दी १३ । पूर्ण । वे० सं० ८१७ । अ भण्डार । विशेष- इति श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीविश्वेश्वर सरस्वती भगवत्पाद शिष्य थीम धुसूदन सरस्वती विरचितः सिद्धान्तविदुस्समाप्तः ॥ संवत् १७४२ वर्षे प्राश्विनमासे कृष्णपक्षे त्रयोदश्यां बुधवासरे भगरूनाम्निनगरे मिश्र श्री श्यामलस्य पुत्रेण भगवन्नाम्ना सिद्धान्तविदुरलेखि । शुभमस्तु ।। २८७६. सिद्धान्तमंजूषिका-नागेशभट्ट । पत्र सं० ६३ । मा० १२:४५३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X । से० काल X । अपूर्ण । ० सं० ३३४ । ज भण्डार | २८७७. सिद्धान्तमुक्तावली-पंचानन भट्टाचार्य । पत्र सं० ७० । प्रा० १२४५३ च । भाषासंस्कृत । विषय -व्याकरण | २. काल xले. काल सं० १८३३ भादवा बुदी ३ । वै० मं० ३.८ । ज भण्डार । २८७८. सिद्धान्तमुक्तावली...| पत्र सं०७० । प्रा० १२४५३ इच । भाषा-संस्कृत | विषयव्याकरण । २० काल X । ले. काल सं० १७०५ चैत सुदी ३ । पूर्ण । वे० सं० २८६ । ज भण्डार । २८७६. हेमनीवृत्ति ...."| पत्र सं० ५४ । प्रा० १०४५ इंच ! भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र० काल XI ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १४६ । म भण्डार । २८८०, हेमव्याकरणवृत्ति-हेमचन्द्राचार्य। पत्र सं० २४१ प्रा० १२४६ इंच। भाषा-संस्कृत। विषय-व्याकरण । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १८४४ | ट भण्डार । २८१. हेमीव्याकरण-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० ८३ । प्रा० १०x४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरगा । र० काल X । से० काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० ३५८ । विशेष-बीच में अधिकांश पत्र नहीं हैं। प्रति प्राचीन है। Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोश २२. अनेकार्थध्वनिमंजरी --महोक्षपण कवि । पत्र सं० ११ । प्रा० १२५५३ इंच | भाषासंस्कृत | विषय - कोश । र० काल X | ले० काल X | वे० सं० १४ । ४ भण्डार | २८८३. अनेकार्थध्वनिमञ्जरी । पत्र [सं०] १४ | ० १०९४ इंच भाषा-संस्कृत विषय कोश | र० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० १९९५ | २ भण्डार विशेष- तृतीय अधिकार तक पूर्ण है। २४. अनेकार्थमञ्जरी - नन्ददास | पत्र सं० २१०६६४३ च । भाषा-संस्कृत विषय कोश | १० काल X | ले० काल x । अपूर्ण । ० सं० २१८ | भण्डार । २८६४. अनेकार्थशत—भट्टारक हर्षकीत्ति पत्र सं० २३ । प्रा० १०३२४३ इंच | भाषा-संस्कृत | विपथ - कोश | र० काल X | ले० काल सं० १६६७ बैशाख बुदी ५ । पूर्ण वे० सं० १५ । छ भण्डार २८८६. अनेकार्थसंग्रह – हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० ४ । प्रा० १०५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषयकोवा । र० काल X | - ले० काल सं० १६६६ प्रषाढ बुदी ४ पूर्ण २७. अनेकार्थसंग्रह | पत्र [सं० ४११ मा० वे० सं० ३८ | क भण्डार | १० X ४ भण्डार । इंच भाषा संस्कृत । विषय- कोश | २० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ४ । च मण्डार विशेष – इसका दूसरा नाम महीपकोश भी है। २. अभिधानकोष - पुरुषोत्तमदेव पत्र सं ० ३४ १ विषय-कोश | १० काल X | ले० काल X। पूर्ण वे० सं० १९७१ | अ भण्डार । २८८६. अभिधानचिंतामणिनाममाला - हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० ६ ० ११४५ इ ंच | भाषासंस्कृत । विषय- कोश | ८० काल ४ । ले० काल X। पूर्ण । ० ० ६०५ | अ मण्डार विशेष ---केवल प्रथमकाण्ड है । २८६०. प्रति सं० २ । पत्र सं० २३५ । ले० काल सं० १७३० आषाढ सुदी १० । ३० सं० ३६ । ० ११३६ इ'च । भाषा-संस्कृत | विशेष-स्वोपज्ञ संस्कृत टीका सहित है। महाराणा राजसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी । Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ ] [ कोश २८६१. प्रति सं०३। पत्र सं० ६६ । ले० कास सं० १८०२ ज्येष्ठ सुदी १५ । वे० सं० ३७ । क भण्डार। विशेष-स्वोपशवृत्ति है। २८१२. प्रति सं.४। पत्र सं० ७ से १३४ । ले. काल सं० १७६० प्रासोज सुदी ११ । अपूर्ण । के. सं० ५। व भण्डार। २८४३. प्रति सं०५। पत्र सं० ११२ 1 लै. काल सं० १९२६ प्राषाढ बुदी २। वै० सं० ८५ । ज भण्डार। २६१. प्रति सं०६ । पत्र से ५६ । ले० काल सं. १६१३ बैशाख सुदी १३ । वै० सं० १११ । ज भण्डार । विशेष-4' भीमराज ने प्रतिलिपि की थी। २८६५. अभिधानरमाकर--धर्मचन्द्रगरिंण । पत्र सं० २६ । मा० १०x४१ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-कोश । र० काल / ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० १२७ । भण्डार । २८६६. अभिधानसार-- शिवजीलाल । पत्र से० २३ । प्रा० १२४५६ इंच । भाषा संस्कृत । विषय-कोण । २० कास x 1 ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० । ख भण्डार । विशेष---देव काण्ड तक है। २७. अमरकोश-अमेरसिंह । पत्र सं० २६ । प्रा० १२४६ च । भाषा-संस्कृत | विषय-कोश | २० काल X । ले० काल सं० १८०० ज्येष्ठ सुदी १४ । पूर्ण । वै० सं० २०७५ । 'अ भण्डार । विशेष- इसका नाम लिंगानुशासन भी है। २८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३० । से० काल सं० १८३५ । वे० सं० १९११ । अ भण्डार । २८६६. प्रति सं०३ । पत्र सं०५४ । ले. काल सं० १९११ । वै० सं० ६२२ । अ भण्डार । २६००. प्रति सं-४ 1 पत्र सं० १८. से ६१ । ले. काल सं० १८५२ पासोज सुदी १ । प्रपूर्ण । वे. ० ६२१ | अ भण्डार । २६०१. प्रति सं० ५। पत्र सं० १६ । ने काल सं० १८१४ 1 1० सं० २४ । क भण्डार । २६०२. प्रति सं०६ । पत्र सं० १३ से ६१ । ले. काल सं० १८२४ । वै० सं० १२ 1 अपूर्ण । ख भण्डार। Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फोश ] [ २७३ २६०३. प्रति सं०७। पत्र सं० १६ । ले. काल सं० १८१८ पासोज मुदी ६ । ३० सं० २४ । . भण्डार। विशेष -प्रथमकाण्ड खब है। अन्तिम पण फटा हुप्रा है। २१.४ प्रति मं । पय मं०७७ । ले. काल मं. १८८३ ग्रामोज मुदी ३ । ०५० २७१ र भण्डार। विशेष जयपुर में दीवारण अमरचन्दजी के मन्दिर में मालीराम साह में प्रतिलिपि की थी। २६.०५. प्रति सं पन्न सं० २४ । ले. काल सं १८१८ कात्तिक युदी ८ । वे० सं० १३६ । छ भण्डार। विशेष-ऋषि हेमराज के पठनार्थ ऋषि भारमल्ल ने जयदुर्ग में प्रतिलिपि की थी। सं० १८२२ माषाढ सुदी २ में ३) म० देकर पं. रेवतीसिंह के शिष्य रूपचन्द ने श्वेताम्बर जती से ली। २०६. प्रति म १८ । पत्र सं० ६१ से १३१ । ले. काल सं० १८३० मापाड बुदी ११ । अपूर्ण । ० सं० २६५ | छ भण्डार । विशेष--मोतीराम ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। २६२७ प्रनि मं० ११ । पत्र सं ८ । ले० काल सं० १८८१ बैशाख सुदी १५ | वे० सं० ३४४ | ज भण्डार। विशेष-कहीं २ टीका भी दी हुई है। २६८८. प्रति मं०१२। पत्र सं.४६ | ले. काल सं० १७९६ मंगसिर सूदी ५ । वे० सं०७।ब भण्डार1 विशेष-नके अतिरिक्त अ भण्डार में २१ प्रतियां (के सं: ६३८, २०४, ७६१, ६२३, १९६६, ११६२, ६०६, ६१७, १२८६, १२८७. १२०८, १२९०, १९५६, १६६०, १३४२, १८३६, १५५८, १५५६, १५६० १८५१, २१.५ ) के भण्डार में ५ प्रतियां (वे० सं० २१, २२, २३, २५, २६) ब भण्डार में ५ प्रतियां (. सं ६, १०, ११, २९६ २६६ ) छ भण्डार में ११ प्रतियां ( ३० सं० १६, १७, १८, १९, २०, २१, २२, २३, २४, २५, २६ ) र भण्डार में ७ प्रतियां ( ० सं० ८, ६, १०, ११, १२, १३, १४) छ भण्डार में ४ प्रतियां (वै० सं० १३६ १३६, १४१, २४ [व] ) ज भण्डार में ४ प्रतियां { ३० सं० ५६, ३५०, ३५२, ६२ ) म भण्डार १प्रति ( वे० से.१५), तथा ट भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं० १८.०, १८५५, २१०१ तथा २०७६) पौर हैं। Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७४ ] विषय - कोश | र० काल X 1 ले० काल [ फोश २०६. अमरकोषटीका - भानुजी दीक्षित | पत्र सं० ११४ ० १०४६ इच्च । भाषा-संस्कृत | । पूर्गा ० सं० ६ । च भण्डार | विशेष – बघेल वंशोद्भव श्री महीधर श्री कीत्तिसिहदेव की प्राज्ञा से टोका लिखी गई । ० ० ७ । च भण्डार । भण्डार । भण्डार । २६१०. प्रति सं० २ । पत्र सं० २४१ | ले० काल २६११. प्रति सं० ३ | पत्र विशेष – प्रथमखण्ड तक है । २११२. एकाक्षरकोश - तपक । पत्र सं० ४ १ ० ११४५३ इव | भाषा-संस्कृत विषय कोश । २० काल X | ले० काल x | पूर्ण वे० सं० १२१ क भण्डार | ० ३२ | ले० काल X । भ्रपू | ० सं० २०६६ । ट भण्डार । २६१३. प्रति सं० २ । पत्र सं० २ । ले० काल सं० १८८६ कात्तिक सुदी ५० सं० ५१ | च २६१४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २ । ले० काल सं० १६०३ चैत बुदी ६ । वे० मं० १५५ १ ज विशेष – पं० सदासुखजी ने अपने शिष्य के प्रतिबोधार्थ प्रतिलिपि की थी। २६१५. एकारीकोश -- वररुचि । पत्र सं० २ कोश १ १० काल X | ले. काल X। पूर्ण ० सं० २०७१ । २६१६. एकाक्षरीकोश' " पत्र सं० १० प्रा० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । ० मं० १३०० । भण्डार । श्र० १२३४५६ इंच भाषा-संस्कृत | विषय - भण्डार । ११४५ इंच भाषा-संस्कृत विषय कोश । १० | पत्र सं० ४ ० १२३४६ इंच भाषा संस्कृत । विषय-कोश | २६१७. एकाक्षरनाममाला २० कांल X 1 ले काल सं० १६०३ चैत्र बुदी । पूर्ण । ० सं० ११५ । ज भण्डार | विशेष - सवाई जयपुर में महाराजा रामसिंह के शासनकाल में भ० देवेन्द्रकी र्ति के समय में पं० मदासुखजी के शिष्य फतेलाल ने प्रतिलिपि की थी। २६१८. त्रिकाण्डशेषसूची ( अमरकोश ) -- अमरसिंह । पत्र सं० ३४ । प्रा० १११X५१ इंच । भाषा-संस्कृत विषय कोश । र० काल X। ले० काल X। पूर्ण । ० सं० १४१ । न भण्डार | विशेष - प्रमरकोश के काण्डों में श्राने वाले शब्दों की श्लोक संख्या दी हुई है। प्रत्येक श्लोक का प्रारम्भिक अंश भी दिया हुआ है। इसके अतिरिक्त इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( बै० सं० १४२, १४३, १४५ ) और हैं । Xx 조 Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोश ] [ २७५ २६१६. त्रिकाण्डशेषाभिधान-श्री पुरुषोत्तमदेव । पत्र सं० ४३ । प्रा० ११४५ च । भाषासंस्कृत । विषय-कोवा । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । ० सं० २८० । क भण्डार । २६२०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४२ । ले० काल X । वे० सं० १४४ । प भण्डार | २६२१. प्रति सं०३ । पत्र सं० ४५ [ ले. काल सं० १९०३ भासौज खुदी हैं । वे० सं० १८१ । वशेष जयपुर के महाराजा रामसिंह के शासनकाल में पं सदासुखजी के शिष्य फतेहलाल ने प्रतिलिपि की य. । २१... नाला-पाय । पE : ! १४ च । भाषा-संस्कृत विषय-कोश । र० काल xले. काल XI पूर्ण 1 ० सं०४७ | अ भण्डार । २६.२३. प्रति सं० २। पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १८३७ फागुण सुदी १ । वे० सं० २८२ । म भण्डार । विशेष--पाटोदी के मन्दिर में खुशालचन्द ने प्रतिलिपि की थी। इसके अतिरिक्त श्र भण्डार में ३ प्रतियां ( ३० सं० १४, १०७३, १०८६ ) और हैं। १२४. प्रति सं०३ । पत्र सं० १५ । से० काल सं० १३०६ कातिक बुदी । ० सं०६३ । ख भण्डार। विशेष- भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३२२ ) प्रोर है। २६२५. प्रति सं४। पत्र सं. १९। ले. काल सं० १६४३ ज्येष्ठ सुदी ११ । ० सं० २४६ । भण्डार। विशेष-40 भारामल्ल ने प्रतिलिपि की थी। इसके अतिरिक्त इसी भण्डार में एक प्रति ( सं० २६६) तथा ज भण्डार में ( . सं. २७६) की एक प्रति प्रौर है। २४२६. प्रति सं० ! पत्र सं० २७ । ले. काल सं० १८१६ । वे० सं० १८५ । म भण्डार । २४२७, प्रति सं०६ । पंत्र सं० १२ 1 ले. काल सं० १८०१ फागुण सुदी १ । ० सं० ५२२ । ब भण्डार। २६२८. प्रति सं०७। पत्र सं० १७ से ३६ । ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० १६०८ । ट भण्डार । विशेष—इसके अतिरिक्त श्र भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० १०७३, १४, १०८६ ) , छ तपा अ भण्डार में १-१ प्रति { वे सं० ३२२, २६६, २७६ ) और हैं । Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६ ] २६२६ नाममाला" - पत्र सं० १२ । काल X | ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० १९२८ | ट मण्डार । [ कोश ० १०५ 1⁄2 इंच । भाषा-संस्कृत विषय-कोष । र २६३०, नाममाला – बनारसीदास | पत्र सं० १४ | ० ८८५ च । भाषा - हिन्दी । धिय कोश / १० काल x | ले० काल । पूर्ण ० सं० ६४ । ख भण्डार | २५.३१ बीज जोड़ा)" १० काल X | ले० काल | पूर्ण । ० सं० २००४ | विशेष – विमलहंसगरण ने प्रतिलिपि की थी । काल XX | ले० काल सं० १८५३ फागुण सुदी ११ । पूर्ण विशेष चन्द्रभान बज ने प्रतिलिपि की थी । २३५४३ भाषा - हिन्दी । विषय-कोश । भण्डार । २६३२. मानमञ्जरी - नंददास । पत्र सं० २२ । श्रा० ८५६ इंच | भाषा - हिन्दी विषय कोश | १० ० सं० ५६३ । भण्डार । भण्डार | २६३३. मेदिनीकोश | पत्र सं० २४ | पा० १०३४४३ इंच भाषा संस्कृत । विषय कोश । २० बाल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ५६२ । क भण्डार | २६३४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११६ । ले० काल X | ० सं० २७८ । च भण्डार । २६३५. रूपमञ्जरीनाममाला - गोपालदास सुत रूपचन्द | पत्र ०८ प्रा० १०४५ इश्व | भाषा - संस्कृत | विषय - कोश । २० काल सं० १६४४ । ले० काल सं० १७८० चैत्र सुदी १० । ० सं० १८७६ । भण्डार । कोश | १० काल X | ले० काल सं० १८२८ ज्येष्ठ बुदी विशेष-सवाईराम ने प्रतिलिपि को थी । विशेष – प्रारम्भ में नाममाला की तरह श्लोक हैं । २६.२६. लघुनाममाला — हृर्षकी लिसूरि । पत्र सं० २३ | ० ६६३ भाषा-संस्कृत विषय। पूर्ण । ० सं० ११२ । ज भण्डार २६३७. प्रति सं० २ । पत्र सं० २० | ले० काल x ० सं० ४६८ | भण्डार | २६३८. प्रति सं० ३ । पत्र ०८ से १६, ३७ से ४५ । ले० काल X अपूर्ण । नं० सं० १५८४ । ट २६३६. लिंगानुशासन-पत्र सं० ५ । मा० १०४४३ | भाषा संस्कृत | विषय -कोश | १० काल X | ले० काल X। श्रपूर्ण वै० सं० १६६ । ख भण्डार विशेष - ५ से श्रागे पत्र नहीं हैं। ४ Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोश 1 [ २७७ २६४०. लिंगानुशासन - हेमचन्द्र । पत्र सं० १० प्रा० १०९४३ इश्च । भाषा-संस्कृत विषय कोश | १० काल X 1 ले काल x 1 पूर्ण । वे० सं० ६० । ज भण्डार | विशेष – कहीं २ शब्दार्थ तथा टीका भी संस्कृत में दी हुई है । २६४१. विश्वप्रकाश-- वैद्यराज मद्देश्वर । पत्र सं० १०१ । विषय- कोश । १० काल x | ले० काल सं० १७६६ श्रासोज सुदी ६ । पूर्ण । प्रा० १९४३ | भाषा-संस्कृत | ० सं० ६६३ । क भण्डार । २६४२ प्रति सं० २ | पत्र सं० १६ । ले० काल X। वे० सं० ३३२ ॥ क भण्डार २६४३. विश्वलोचन - धरसेन । पत्र सं० १० १०३४४३ इश्व | भाषा-संस्कृत विषय कोश । २० काल x | ले० काल सं० १५६६ । पूर्ण वे० सं० २७५ । च भण्डार | विशेष – प्रत्य का नाम मुक्तावली भी है । २६४४. विश्वलोचनकोशकीशब्दानुक्रमणिका । पत्र सं० २६ । प्रा० १०४४३ इंच | भाषा८७ | श्र भण्डार | संस्कृत 1 विषय-कोश | र काल X | ले० काल X। पूर्णं । बै० सं० पत्र सं० ६ । प्रा० ११४४३ च । भाषा संस्कृत विषय कोश । २० २६४५. शतक काल X ले० काल X | अपूर्ण | वे० सं० ६६८ | भण्डार । २६४६. शब्दप्रभेद व धातुप्रभेद - सकल वैद्य चूडामणि श्री महेश्वर । पत्र १०४५२ इंच । भाषा - संस्कृत विषय-कोश १० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० २६४७. शब्दरत्न" "। पत्र सं० १६६ । प्रा० ११९५ इश्व भाषा संस्कृत काल X | ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० ३४६ । ज भण्डार | २६४८. शारदीनाममाला | पत्र सं० २४ से ४७ । प्रा० १०३४३ भाषा-संस्कृत | विषय-कोश । र० काल X | ले० काल x । श्रपूर्ण । वे० सं० २८३ । श्र भण्डार | २६४६. शिलोच्कोश- कवि सारस्वत | पत्र सं० १७ । श्र० १०३२४ इच। भाषा-संस्कृत | विश्रम-कथा | र० काल X | ले० काल x । पूर्ण । ( तृतीयखंड तक ) ० सं० ३४३ । च भण्डार | विशेष- रचना ममरकोश के श्राधार पर की गई है जैसा कि कवि के निम्न पद्यों से मकट है। कवेरमसिंहस्य कृतिरेषाति निर्मला । श्रीचन्द्रतारकं भूयान्नाम लिंगानुशासनम् । पद्यानिबोधयत्यवः शास्त्राणि कुरुते कविः तसौरभनभस्वंतः संतस्तन्वन्तितद्गुणाः ॥ सं० १६ । प्र'० २७७ । ख भण्डार | विषय- कोश । १० Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८ ] लूनेष्वमरसिहेन, नामलिगेषु शालिषु । एष वाङ्गमयवप्रेषु शिलों क्रियते मया ॥ [ कोश २६५०. सर्वार्थसाधनी - भट्टवररुचि । पत्र सं० २ से २४ । प्रा० १२४५ इश्च । भाषा संस्कृत । विषय - कोश | र० काल X | ले० काल से० १५६७ मंगसिर बुदी ७ । अपूर्ण वे० सं० २१२ । भण्डार | विशेष --- हिसार पिरोज्यकोट में रुद्रपल्ली यगच्छ के देवसुंदर के पट्ट में श्रीजिनदेवसूरि ने प्रतिलिपि को थी । --ope Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान २६५१. अरिहंत केवली पाशा"......"। पत्र सं० १४ । प्रा० १२४५ इंच । भाषा- संस्कृत । वषय-ज्योतिष । र० काल सं० १७०७ सावन सुदी ५। ले. काल ४। पूर्ण । वे० सं० ३५ । क भण्डार । विशेष-ग्रन्थ स्चना सहिजानन्दपुर में हुई थी। २६५२. अरिष्ट कर्ता......." } पत्र सं० ३ । पा० ११४४ च । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष • कालxल. काल पूर्ण। वे० सं० २५६ । ख भण्डार। विशेष-१० श्लोक हैं। २६५३. अरिष्टाध्याय......| पत्र सं० ११ । पा० ४५। भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल X| ले० काल सं० १८६९ वैशाख सुदी १० । पूर्ण । वे० सं० १३ । स्व भण्डार । बिशेष-4 जीवणराम ने शिष्य पनालाल के लिये प्रतिलिपि की। पत्र से प्रागे भारतीस्तोत्र दिया हुआ है। २६५४. अषजद केवली... | पत्र सं० १० । मा० EXY इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-शकुन शास्त्र । र. काल X। लेकाल XI पूर्ण 1 वे० सं० १५६ । न भण्डार। २६५५. उच्चमह फल " । पत्र सं० १. मा० १०३४७३ ई । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष र० काल XI मे० काल XI पूर्ण । वे० सं० २६७ । ख भण्डार | २९५६, करण कौतूहल........। पत्र सं० ११ । प्रा० १०३४४, इष । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल X । ले. काल X। पूर्ण । वे० सं० २१५ । अ भण्डार । ___२६५७. करलक्षण..." । पत्र सं० ११ । मा० ०२४५ ५ । भाषा-प्राकृत । विषय-ज्योतिष । २० काल XI ले० काल XI पूर्ण | वे० सं० १०६ । क भण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुए हैं । मारिएक्यचन्द्र ने वृन्दावन में प्रतिलिपि की । २६५८. कपूरचक्र-| पत्र सं० १। मा. १४३४११ च | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले० काल सं० १८६३ कार्तिक बुदी ५ । पूर्ण । ० सं० २१६४ | अ भण्डार । विशेष-चक्र भवन्ती नगरी से प्रारम्भ होता है, इसके चारों ओर देश चक्र है तथा उनका फल है। पं. खुशाल ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० । [ ज्योतिष एवं निमितज्ञान २६५६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १ । ले० काल सं० १८४० । वे० सं० २१६६ श्र भण्डार । विगोष-मिश्र धरणीधर ने नागपुर में प्रतिलिपि की थी। २६६०. कर्मराशि फल ( कर्म विपाक ).....। पत्र सं० ३१ । प्रा० ५९x४ च | भाषा-संस्कृत विषय-ज्योतिष । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण ४ । ३० सं० १६५१ । अ भण्डार | २६६१. फर्म विपाक फल"..."| पत्र सं० ३ । मा० १०x४६ च । भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ३० सं० १३ । अ भण्डार । विषोप- राशियों के अनुसार कर्मों का फल दिया हुआ है। २६.६२. कालज्ञान- पत्र सं० १। प्रा० ६x च । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । र० काल X। ले० काल X । पूर्ण | वे० सं० १८१८ | अ भण्डार । २६१३. कालज्ञान..."। पत्र सं० २ । प्रा. १०:४६ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ११८६ । अ भण्डार । २६६४. कौतुक लीलावती"""पत्र सं० ५। प्रा० १०२४४६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र० काल XI ले० काल सं. १८६२ । वैशाख सुदी ११ । पूर्ण । वे० सं० २६१ । ख भण्डार । २६६५. क्षेत्र व्यवहार".." पत्र सं० २० । प्रा०६४६ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल ४।ले. काल X1 अपूर्ण । वे० सं० १६६७ । ट भण्डार । २६६६. गर्गमनोरमा...! पत्र सं०७। प्रा० ७३४५६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल X । दे. काल सं० १८८८ । पूर्ण | वे० सं० २१२ । म भण्डार । २६६७. गर्गसंहिता-गर्गऋषि ! पत्र सं० ३ । प्रा० ११४५३ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष १० काल X ।लेकाल सं० १८८६ । अपूर्ण । वे० सं० ११६७ ॥ श्र भण्डार । २६५८. ग्रह दशा वर्णन":"। पत्र सं० १८ । मा• EXY इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष। र काम-ले. काल सं १८४६ 1 पूर्ण के० सं० १७२७ । द भण्डार । विशेष--ग्रहों की दशा तथा उपयशानों के अन्तर एवं फल दिये हुए हैं। २६६६. ग्रह फल...."। पत्र सं०६। प्रा० १०२४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । ० सं० २०२२ । ट भण्डार । "२६७०. प्रहलाघव-गणेश देवा । पत्र सं० ४ | प्रा० १.१४५३ इच। भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र काल - I ले. काल । अपूर्ण 1 वे० सं० ४४ । ख भण्डार । Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ज्योतिष एवं निमितझान ! [ २८१ २६७. चन्द्रनाडीसूर्य नाडीकवच.! पत्र सं०५-२३ । प्रा. १०४४ च । भाषा-संस्कृत । २० काल X । से. काल X | अपूर्ण । वे० सं० १६५ । क भण्डार | विशेष—इसके मागे पंचव्रत प्रमाण लक्षण भी हैं। २६७६. चमत्कारचिंतामणि पत्र सं० २-६ मा १०४४३ इच। भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काल XI लेकाल सं०४ | १८१८ फागुण बुदी ५ । पूर्ण । वे० सं० ६३२ । अ भण्डार । २६८. चमत्कारचिन्तामणि..."। पत्र सं० २६ । प्रा० १०x४ इंच। भाषा संस्कृत । विषयज्योतिष | २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वै० सं० १७३० । र भण्डार । २६८१, छायापुरुषलक्षण"..."| पत्र सं० २ । आ. ११४४१ च । भाषा-संस्कृत ! विषयसामुद्रिक शास्त्र | र० काल - I ले. काल X| पूर्ण । वे० सं० १४४ । छ भण्डार । विशेष–नौनिधराम ने प्रतिलिपि की थी। २८८२. जन्मपत्रीप्रहविचार"....."। पत्र सं० १ । प्रा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-- ज्योतिष । र० काल ४ | ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० २२१३ । म भण्डार । २९८३. जन्मपत्रीविचार पत्र सं० ३ । आ० १२४५१ रन । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । बे० सं० ६१० । अ मण्डार । २६८४. जन्मप्रदीप-रोमकाचार्य । पत्र सं० २-२० । मा० १२४५५ च । भाषा-संस्कत । विषयज्योतिष । र० काल X । ले० काल सं० १८३१ । अपूर्ण । वे० सं० १०४८ | अ भण्डार । विशेष --शंकरभट्ट ने प्रतिलिपि की थी। २६८५. जन्मफल - ..! पत्र सं० १ । प्रा० ११५४५३१५ । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल x 1 ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० २०२४ । अ भण्डार । २६८६ जातककर्मपद्धति..." श्रीपति । पत्र सं० १८ । प्रा० ११४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल ४ । ले. काल सं० १६३८ वैशास्त्र सुदो १ । पूर्ण । ० सं० १० । अ भण्डार । २६८७. जातकपद्धति-केशव | पत्र सं०१०। मा० ११४५३ च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-ज्योतिष २० काल X । ले• काल ४ । पूर्ण । वे० सं० २१७ 1 ज भण्डार । २६८८. जातकपद्धति....""| पत्र सं० २६ । मा० Ex६ | भाषा-संस्कृत। र० काल XI ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १७४६ । ४ भण्डार । विशेष प्रति हिन्दी टोका सहित है। Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८२ ] [ ज्योतिष एवं निनिसहान २६. जातकाभरण-देवझढिराज । पत्र सं० ४३ । प्रा० १०३४४म । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल Xले. काल सं० १७३६ भादवा सुदी १३ । पूर्ण । वै० सं० ८९७ | अ भण्डार । विशेष-नागपुर में पं० सुखकुशलगणि ने प्रतिलिपि की थी। २५ प्रतिम . १६ : जे काल सं० १८४० कार्तिक मुदी ६६ . सं० १५७ । ज भण्डार। विशेष-भट्ट गंगाधर ने नागपुर में प्रतिलिपि की थी। २६६१. जातकालंकार"..... पत्र सं० १ से ११। ग्रा० १२४५ च । भाषा-संस्कृत | विषयज्वोतिष । र० काल x 1 ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १७४५ । भण्डार । २५१२, ज्योतिषरत्नमाला...."पत्र सं० ६ से २४ । प्रा० १०३४४६ च । भाषा-संस्कृत | विषयज्योतिष । र० काल X 1 ले० काल X । पपूर्ण । वे० सं० १९८३ | अ भण्डार । २६६३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३५ । ले. काल ४ । ० सं० १५४ १ ज भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है । २६६४. ज्योतिषमणिमाला"""केशव । पत्र सं० ५ से २७ । ग्रा० Ex४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल x। ले० काल XI पूर्ण । बे० सं० २२०५ । अ भण्डार । REE५, ज्योतिषफलमंथ..."। पत्र सं० ९ । मा० १.xv१ च । भाषा-संस्कृत्त । विषय-ज्योतिष र० काल ४ । ले. काल XI पूर्ण । बे० सं० २१४ । ज भण्डार । २१६६. ज्योतिषसारभाषा--कृपाराम । पत्र सं० ३ से १३ । प्रा० ६३४६ इन ] भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-ज्योतिष । र० काल x। ले. काल से० १८४१ कात्तिक बुदी १२ । अपूर्ण । वे० सं० १५१३ । भण्डार। विशेष-फतेराम वैद्य ने नोनिधराम बज की पुस्तक से लिखा। मादि भाग--(पत्र ३ पर) अथ केंदरिया त्रिकोण घर को भेद केंदरियो चोथो भवन संपतम दसमो जाम । पंचम अरु नोमों भवन येह त्रिकोण बखान ॥६॥ तीजो षसटम ग्यारमो पर दसमो वर सेखि । इन को उपचे कहत है सबै ग्रप में देखि ।।७।। Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २८३ ज्योतिष एवं निमितज्ञान ] अन्तिम मन्तिम वरष लग्यो जा ग्रंस में सोई दिन चित धारि । वा दिन उतनी घडीजू पल बीते लग्न विचारि ॥४०।। लगन लिखे ते गिरह जो जा घर बैठो भाय। ता घर के फल सुफल को कीजे मित बनाय ।।४१|| इति श्री कवि कृपाराम कृत भाषा ज्योतिषसार संपूर्ण । २६६७. ज्योतिषसारलमचन्द्रिका-काशीनाथ । पत्र सं० १३ । प्रा. Ex४ इंच। भाषासंस्कृत विषय-ज्योति । २० काल ४ | ० काल सं० १८६३ पौष सुदी २ । पूर्ण । वै० सं० ६३ । म्व भण्डार 1 २६६८. ज्योतिषसारसूत्रटिप्पण-नारचन्द्र । पत्र सं० १६ ! मा० १०x४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । ० सं० २८२ । न भण्डार । विशेष—मूलग्रन्यकर्ता सागरचन्द्र हैं । २६६६. ज्योतिषशास्त्र "। पत्र सं० ११ । मा० ५४४ इछ । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । ३० सं० २०१ । भण्डार । ३०००. प्रति सं०२। पत्र सं० ३३ । ले. काल ४ ० सं०५२१ । ब भण्डार । ३००१. ज्योतिषशास्त्र | पत्र सं० ५ । प्रा० १०४५ हन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल 1 ले. काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० १९८४ ट भण्डार । ३००२. ज्योतिषशास्त्र"..."। पत्र सं० ५८ । प्रा. ९५६१ । भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष । र० काल ४ | ले. काल सं० १७६८ ज्येष्ठ सुदी १५ । पूर्ण । ३० सं० १११५ | अ भण्डार ! विशेष-ज्योतिष विषय का संग्रह ग्रन्थ है। प्रारम्भ में कुछ व्यक्तियों के जन्म टिप्पण दिये गये हैं इनकी संख्या २२ है। इनमें मुख्यरूप से निम्न नाम तथा उनके जन्म समय उल्लेखनीय है-- महाराजा विवानसिंह के पुत्र महाराजा जयसिंह जन्म सं०१७४५ मंगमिर महाराजा विकानसिंह के द्वितीय पुत्र विजयसिंह जन्म सं० १७४७ चैत्र सुदी ६ महाराजा सवाई जयसिंह की राणी गौंडि के पुत्र सं० १७६६ रामचन्द्र { जन्म नाम झांभूराम ) सं० १७१५ फागुण सुदी २ दोलतरामजी (जन्म नाम बेगराज) सं० १७४६ प्राषाढ बुदी १४ Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४ ] ज्योतिष एवं निमित्तान ३००३. ताजिकसमुच्चय..."। पत्र सं० १५॥ प्रा० ११४४२ इंच। भाषा-संस्कृत 1 विषयज्योतिष । १० काल X । ले० काल सं. १८५६ । पूर्ण । वे० सं० २५५ । ख भण्डार विशेष बहा नरायने में श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय में जीवणराम ने प्रतिलिपि की थी। ३००४ तात्कालिकचन्द्रशुभाशुभफल"..."1 पत्र सं. ३ । मा० १०:४४: इछ । भाषा-संस्कृत । विषय- ज्योतिष 1 र० काल X1 ले० काल x | पूर्ण । ३. स. १२२॥छ भण्डार | ३८०५ त्रिपुरबंधमुहूर्त......। पत्र सं० १ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल ४ | ले. काल । पूर्ण । वै० सं० ११८८ । अ भण्डार । ३००६. त्रैलोक्यप्रकाश... पत्र सं० ११ । मा० ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल - I ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ६१२ । अ भण्डार | विशेष–१ से ६ तक दूसरी प्रति के पत्र हैं । २ से १४ तक नाली प्रति प्राचीन है। दो प्रतियों का सम्मिश्रण है। ३.०७. दशोउनमुहूर्त......! पत्र सं० ३ । प्रा० ३५४ इ. 1 भाषा-संस्कृत। विषय-ज्योतिप । १० काल X । ले. काल x | पूर्ण । ० सं० १७२५ । अं भण्डार । ३०८८. नक्षत्रविचार".."। पत्र सं० ११ | प्रा० ६४५: ५ञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-योतिष । २० काल X । ले. काल सं० १८६५ । पूर्ण । ३० सं० २७६ । म भण्डार । विशेष--छींक प्रादि विचार भी दिये हुये हैं। निम्नलिखित रचनायें और है सज्जनप्रकाश दोहा-- कवि ठाकुर हिन्दी [ १० कविस ] मित्रविषय के दोहे हिन्दी [ ४४ दोहें हैं ] रक्तगुजाकल्प हिन्दी [ले. काल सं० १६६७] विशेष—साल चिरमी का सेवन बताया गया है किसके साथ लेने से क्या असर होता है इसका वर्णन ३६ दोहों में किया गया है। ३००६. नक्षत्रवेधपीडाज्ञान......) पत्र सं० । मा० १०.४४६ छ । भाषा-संस्कृत । विषय-- ज्योतिष । र० काल XI पूर्ण । वे० सं. ८६४ । अ भण्डार । ३.१०. नक्ष सत्र पत्र सं० ३ से २४ । प्रा० ६४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष | १० काल X । मे० काल सं० १८०१ मंगसिर सूची ८ । अपूर्ण । वे सं० १५३६ । अ भण्वार Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ] [ २५ ३०११. नरपति जयचर्या नरपति । पत्र सं० १४८ | मा० १२३४६ इंच | भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष | २० काल सं० १५२३ चैव तुदी १५ । ले. काल x 1 अपूर्ण । वे० सं० ६४६ | अ भण्डार | दिशेर---.४ मे १२ तक पा रहीं हैं। ३०१२, नारचन्द्रज्योतिषशास्त्र-नारचन्द्र । पथ सं० २६ । प्रा. १०x४, इछ । भाषा-संस्मत । विषय-ज्योतिष | र० काल XI ले. काल सं० १८१० मंगसिर बुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० १७२। म भण्डार । ३०१३. प्रति सं०२१ पत्र सं० १७ । ले. काल ४ ० सं० ३४५ । अ भण्डार । ३०१४. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३७ । ले० काल सं० १९६५ फागुण सुदी ३ । वे० सं० ६५ | स्त्र भण्डार। विशेष—प्रत्येक पंक्ति के नीचे अर्थ लिखा हुमा है । ३०१५. निमित्तज्ञान (भद्रबाहु संहिता)-भद्रबाहु । पत्र सं० ७७ । श्रा० १०२४५ इन्छ । भाषामंस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल X ।ले. काल XI पूर्ण । व० सं० १७७ । अ भण्डार। ३०१६. निषेकाध्यायवृत्ति....। पत्र सं० १८ । प्रा० ८४६, इन। भाश-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १७४८ । द भण्डार | विशेष.--१८ मामे पत्र नहीं हैं। ३०१७, नीलकंठता जिक-नीलकंठ । पत्र सं० १४ । प्रा० १२४५ इच। भाषा-संस्कृत | विषयज्योतिष । २० कान ४ | ले. काल X । प्रपूर्ण । वै० सं० १.५ | अ भण्डार । ___३०१८. पञ्चागप्रबोध......'पत्र सं० १० । मा० ८४४ रच | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० १७३५ । ट भण्डार । ३०१६. पंचांग-चरडू । छ भण्डार । विशेष--निम्न वर्षों के पंचांग हैं। संवत् १८२६, ५२, ५४, ५५, ५६, ५८, ६१, ६२, ६५, ७१, ७२, ७३, ७४, ७६, ७७, ७८, ७६, ६०, ६०, ६१, ६३, ६७, ६ | ३०२०. पंचांग.....। पत्र सं० १३ । प्रा० ७३४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल Xले. काल सं० १९२७ । पूर्ण । वे० सं० २४७ । ख भण्डार 1 ३०२१. पंचांगसाधन-गणेश ( केशवपुत्र )। पत्र सं० ५२ । मा ६४५ च । भाषा-संस्कृतः । विषय-ज्योतिष । र० काल Xले. काल सं० १८८२।२० सं० १७३१ । र मण्डार। Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८६ ] [ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ३०२२. पल्यविचार"..."; पत्र सं० ६ । प्रा० ६३४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-शकुन शास्त्र । र० काल x 1 ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ६५ । ज ० . ३८२३. पल्यविचार......"| पत्र सं० २ मा०x४३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-दाकुनशास्त्र । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण | वे० सं० १३६२ । अ भण्डार । ३०२४, पाराशरी"..." ! पत्र संस ३ । प्रा० १३४५३ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ३३२ । ज भण्डार।। ३०२५, पाराशरीसज्जनरंजनीटीका"..."| पत्र सं० २३ । प्रा० १२४६ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-योतिष । २० काल X । ले. काल सं० १८३६ पासोज सुदी २ । पूर्ण ३० सं० ६३३ । अ भण्डार । ३०२६. पाशाकेवली-गर्गमुनि । पत्र सं० ७ | आ० १०२४५ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-निमित्त शास्त्र । २० काल XI मे काल सं० १८७१ । पूर्ण । वे० सं० ६२५ । अ भण्डार । विशेष—ग्रन्थ का नाम शकुनावली भी है । ३०२७. प्रति सं०२1 पत्र सं०४।ले. काल सं०१७३८ । जीर्ण वै० सं०६७६ 1 अ भण्डार । विशेष-ऋषि मनोहर ने प्रतिलिपि की थी। धीचन्द्रसूरि रचित नेमिनाथ स्तवन भी दिया हुआ है। ३०२८. प्रति सं० ३ 1 पत्र सं० ११ । ले० काल x वे० सं० ६२३ । श्र भण्डार । ३०२६. प्रति सं०४१ पत्र सं० । ले. काल सं० १८१७ पौष सुदी १। ये० सं० ११८ ! छ भण्डार। विदोष-निवासपुरी ( सांगानेर ) में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में सवाईराम के शिष्य नौनगराम में प्रतिलिपि की थी। ३०३०. प्रति सं०५। पत्र सं० ११ । ले० काल ४ । बे० सं० ११८ । छ भण्डार । ३०३१. प्रति सं०६। पत्र सं० ११ । ले० काल सं० १८६६ बैशाख बुद। १२ | वे० सं. ११४ । छ भण्डार। विशेष-दयाचन्द गर्ग ने प्रतिलिपि की यी। ३०३२, पाशाकेवली-ज्ञानभास्कर । पत्र सं० ५ । मा ६४५: इञ्च । भाषा-गस्तृत । विपयनिमित्त शास्त्र | र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० २२० । घ भण्डार । ३०३३. पाशाकेवली...""| पत्र सं० ११ । प्रा० ६x४१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-निमित्तशास्त्र । २० काल ४ । ले. काल X1 पूर्ण । वै० सं० १६४६ । बभण्डार । ३०३४, प्रति सं०२ । पत्र सं०६ । ले० काल सं० १७७५ फागुण बुदी १० । बे० सं० २०१६ । अ भण्डार। विशेष पांडे दयाराम सोनी ने आमेर में मल्लिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष एवं निमितमान ] [ २८७ इसके अतिरिक्त अ भण्डार में ३ प्रत्तियां ( ० सं० १०७१, १०८८,७६) ख भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १७८) छ भण्डार में ३ प्रतियां (वे० सं० ११६, ११४, ११४) ट भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १८२४ ) और है। ६०३५. पाशाकेवली....... | पत्र सं० ५ । प्रा० ११३४५ इन्च | भाषा-हिन्दी विषय-निमित्तशास्त्र । र काल । ले. काल सं०१८४१ । पूर्ण । वे० सं० ३६५ । अ भण्डार । विशेष—40 रतनचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ६०३६. प्रति सं०२। पत्र सं० ५। ले० कालx० सं० २५७/ज भण्डार। ३०३७. प्रति सं०३। पत्र सं० २६ । ले. कालx० सं० ११६।बभण्डार । ३०३८. पाशाकेबली "। पत्र सं० १ । मा० ९४५ इन्च | भाषा-हिन्दो । विषय-निमित्त शास्य । २० काल - ले. काल XI पूर्ण | वे० सं० १८५६ । अभण्डार । ३.३६. पाशाकेवली".""। पत्र सं० १३ । प्रा० ३४५३ इञ्च | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-निमित्त शास्त्र । र० काल X । ले. काल सं० १८५० । अपूर्ण । वे० सं० ११८ । छ भण्डार । विशेष-विशनलाल ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी । प्रथम पत्र नहीं हैं । ३०४८. पुरश्चरणविधि......"पत्र सं० ४ । प्रा० १०x४६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० का X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ६३४ | श्र भण्डार | विशेष प्रति जीर्ण है। पत्र भोग गये हैं जिससे कई जगह पड़ा नहीं जा सकता। ३०४१. प्रश्नचूडामणि......। पत्र सं० १३ । आ० Ex. इश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-क्योतिष । र काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । ये० सं० १३६६ । अ भण्डार | २०४२, प्रति सं० २। पत्र में० १९ । ले० काल सं० १८०८ असोज नुदी १२ । पपूर्ण | ३० सं० १४५ | छ भण्डार। विशेष--तीसरा पत्र नहीं है विजेराम अजमेरा चाटसु वाले ने प्रतिलिपि की थी। ३०४३, प्रश्नविद्या | पत्र सं०२ से। पा० १०४४ इश्च | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १३३ । छ भण्डार । ३०४४. प्रश्न विनोद.। पत्र सं० १६ । मा० १०x४३ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । र० काल X । पूर्ण । वे० सं० २८४ । छ भण्डार । ३०४५. प्रश्नमनोरमा-गगे। पत्र सं० ३ । प्रा० १३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-ज्योतिप । २. काल ४। ले. काल सं० १६२८ भादवा सुदी ७ । वे० सं० १७४१ । द भण्डार । Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८ ] [ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ३०४६. प्रश्नमाला..... पत्र सं १० । प्रा० ६४५३ च । भाषा-हिन्दी। विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० २०६५ । अ भण्डार । ३८४७. प्रश्नसुगनावलिरमल...... | पत्र सं०४ | मा० ६३४५ इच । भाषा-हिन्दी । विषयज्योतिष । र० काल ४ | ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ४६ । म भण्डार | ३०५८. प्रश्नावति..... | पत्र सं० ७ । प्रा० ६४३: च । भाषा-संस्कृत | विषय ज्योतिष । र० काल X । ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० १८१७१ अ भण्डार । विदोष-अन्तिम पत्र नहीं हैं। ३०४६. प्रश्नसार"..."| पत्र सं० १६ । प्रा० १२३४६ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-शकुन बास्त्र । २० काल ४ ले. काल सं० १९२६ फागुण बुदी १४ । वे० सं०. ३३६ 1 ज भण्डार । ३०५०. प्रश्नसार-हयग्रीव | पत्र सं० १२ । प्रा. १६४५६ च । भाषा-संस्कृत | विषय- शकुन भास्त्र । इस काल ४ | ले. काल सं० १९२९ । वे सं० ३३३ । ज भण्डार । विशेष—पत्रों पर कोष्ठक बने हैं जिन पर अक्षर लिखे हुये हैं उनके अनुसार शुभाशुभ फल नितलता है ३९५१. प्रश्नोत्तरमाणिक्यमाला-संग्रहकर्ता अ० ज्ञानसागर । पत्र सं० २७ । प्रा० १२४५३ इच । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । २० काल X 1 ले० काल सं० १८६० । पूर्ण। वै० सं० २६१ । व भण्डार। ३०५२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३७ । ले० काल सं० १८६१ चैत्र बुदी १० | प्रपूर्ण । वै० सं० ११० । विशेष—अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है । इति प्रश्नोत्तर माणिक्यमाला महाग्रन्थे भट्टारक श्री चरणारविंद मधुकरोपमा प्र० शानसागर संग्रहीते श्री जिनमाश्रित प्रथमोभिकारः॥ प्रथम पत्र नहीं है । २०५३. प्रश्नोत्तरमाला 'पत्र सं० २ से २२ । प्रा० ७३४४३ च । भाषा-हिन्दी । विषययोतिष । र० काल X । ले. काल सं० १८६४ । प्रपूर्स । वै० सं० २०६८ । अ भण्डार । विशेष-श्री बलदेव बालाहेडी वाले ने बाबा बालमुकुन्द के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३०५४. प्रति सं०२१ पत्र सं० ३६ । ले० काल सं० १९१७ आसोज सुदी 1 वे० सं० ११४१ ख भण्डार। ३०५५. भवानीवाक्य.....! पत्र सं० ५। श्रा. Ex५६ इंच। भाषा-हिन्दी। विषय-ज्योतिष । २० काल X I ले० काल X । पूर्स थे० सं० १२८२ | अ भण्डार । विशेष-सं० १९०५ से १९६६ तक के प्रतिवर्ष का भविष्य फल दिया हया है। Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ] [ २८८ ३०५६. भडली"...""। पत्र सं० ११ । मा. १४६ ईच । भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष । १० काल X । ले० काल x • पूर्ण । वे० सं० २४० । छ भण्डार । विदोष-मेघ गर्जना, बरसना तथा बिजली प्रादि चमकने से वर्ष फल देखने सम्बन्धी विषार दिये हुये हैं । ३०५७. भाष्वती--पद्मनाभ । पत्र सं० ६ । प्रा० ११४३३ च । भाषा--संस्कृत | विषय-मोतिष । र० काल X। ले. काल X पूर्ण । वे० सं० २६४ । च भण्डार । ३.५८. प्रति सं० २ । पप सं० ७ । ले. काल ४।३० सं० २६५ । च भण्डार । ३७५६, भुवनदीपिका.... । पत्र सं० २२ । मा० ७६४४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २॥ काल । ले० काल सं० १९१५ । पूर्ण | ये० सं० २४१ । ज भण्डार । २०६०, भुवनदीपक-पद्मप्रभसूरि । पप सं० ५६ । प्रा० १.१४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र० काल X । ले. काल x I पगई। वे मं० ८६५ | अभार ! विशेष -प्रति संस्कृत टीका सहित है। ३०६१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७ । लि. काल सं० १८५६ फागुण सुदी १० । वे० सं० ६१२ । म भण्डार। विशेष-खुशालचन्द ने प्रतिलिपि की थी । ३०६२. प्रति सं. ३ पत्र सं० २० । ले० काल ४ । के० सं० २६६ । प भण्डार। . विशेष--पत्र १७ से प्रागे कोई अन्य ग्रन्थ है जो अपूर्ण है। ३०६३. भृगुसंहिता"..."। पत्र सं० २७ 1 प्रा० ११४७ च 1 भाषा-संस्कृप्त । विषय-ज्योतिष । २० काल X 1 ले. काल । पूर्ण । वे० सं० ५६४ । ऊ भण्डार । विशेष—प्रति जीर्ग है। ३०६४. मुहूत्तचिन्तामणि ...""। पत्र सं० १६ । मा० ११४५३च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० जाल 1 ले० काल सं० १८५६ । अपूर्ण । दे० सं० १४७ । स्व भण्डार । ३०६५. मुहूर्तमुक्तावली...| पत्र सं०६ । पा. १०४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काच ४ । ले. काल सं० १८१६ कार्तिक बुदी ११ । पूर्ण । व० सं० १३६४ । अ भण्डार । ३७६६. मुहूर्तमुक्तावली-परमहंस परिव्राजकाचार्य । पथ सं० ६ । पा० ६६४६९ च । भाषासंस्कृत । विपय ज्योतिष । र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० २०१२ । अ भण्डार । विशेष—सब कार्यों के मुहूर्त का विवरण है । ३०६७ प्रति संकपत्र सं०६। ले. काल सं. १८७१ वैशाख बी १ ० सं० १४० । ख भण्डार । Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६. ] [ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ३०६८ प्रति सं० ३ । पत्र सं०१७ ! ले. काल सं० १७८२ गर्गशीर्ष चुदी ३ । ज भण्डार । विशेष-सथारणा नगर में मुनि चोखचन्द ने प्रतिलिपि की थी । ३०६६. मुहूर्तमुक्तावलि "। पत्र सं० १५ से २६ | प्रा३४४ इंच। भाषा-हिन्दी, संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० १४६ । ख भण्डार । ३०७०, मुहूर्तमुक्तावली....."] पत्र सं० ६ : प्रा० १०x४३ घ । भाषा-संस्कृत । विषय--ज्योतिष । र० काल x 1 लेख काल सं. १८१६ कार्तिक बुदी ११ । पूर्ण । वे० सं० १३९४ । अ भण्डार । ३०७१. मुहूर्तदीपक-महादेव । पत्र सं० । प्रा० १०४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिार । र० काल । ले० काल सं० १७६७ वैशाख बुदी ३ । पूर्ण । ० सं० ६१४ । अ भण्डार ।। विदोष--पं० हंगरसी के पठनार्थ प्रतिलिपि की गई थी। ३०७२. मुहूर्तसंग्रह..."। पत्र सं० २२ । प्रा० १.१४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिम । र० काल XI ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० १५० । ख भण्डार । ___ ३०७३. मेघमाला""""| पत्र सं० २ से १८ । प्रा० १.६४५. इच । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र० काल -1 ने० काल X । अपूर्ण । वे० सं० ८६६ | अ भण्डार । विशेष-वर्षा पाने के लक्षणों एवं कारणों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है । श्लोक सं० ३४६ हैं। ३०७४. प्रति सं०२ । पत्र सं० ३५ । ले० काल सं० १८६२ । वे० सं० ६१५ । अ भण्डार | ३०७५. प्रति सं३ । एत्र सं० २८ । ने० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० १७४३ । ट भण्डार। ३२४६. योगफत"। पत्र सं. १६। प्रा०१:४३३ इच। भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिपर. काल ४ । ले० काल X| अपूर्ण । वे० सं० २८३ | च भण्डार । ३०७४, रत्नदीपक-गणपति । पत्र म २३ । प्रा० १२४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय- ज्योतिष । २० काल ले०काल सं०१८२८ । पूर्ण । वे० सं०१६०ख भण्डार। २०७८. रत्नदीपक .....'! पत्र सं० ५। पा० १२४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल x : ले. काल सं. १८१० । पूर्ण । वे० सं० ६११ ! अ भण्डार । विशेष-जन्मपत्री विचार भी है । ३०७६. रमलशास्त्र-पं.चिंतामणि | पत्र सं०१५। ग्रा ८४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयज्योतिष । र० काल X । ले० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० ६५४ । छ भण्डार । २०६०. रमलशास्त्र ! पप सं० १६ । मा०६x६ इन। मापा-हिन्दी । विषम-निमित्त शास्त्र २० कालxले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ५३२ ।ब भण्डार । Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ] | २८.१ ३८१. रमलशान " पत्र सं. ५। भा०११X५ इन्च भाषा-हिन्दी गद्य 1 विषय-निमित्तशास्त्र। २० काल x।ले० काल सं० १८६६ । वे० सं० ११८ । छ भण्डार । विशेष-आदिनाथ चैत्यालय में आचार्य रतनकोत्ति के प्रशिष्य सवाईराम के शिष्य नोनदराम ने प्रतिलिपि की थी। ३०१२. प्रति सं० २ । पत्र सं० २ से ४४ । ले. काल सं० १८७८ प्राषाढ बुदी ३ । अपूर्ण । वे० सं० १५६४ पट भण्डार। ३०८३. राजादिफल"" पथ सं०४ मा०x४ इशा भाषा-संस्कृत। बिषय-ज्योतिष | १० काल X । ले. काल सं० १८२१ 1 पूर्ण । ने० सं० १६२ । ख भण्डार । ३०८४. राहुफल...."! पत्र सं० ८ । प्रा० १३४४ इछ। भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष । २० काल X । ले० काल सं० १८०३ ज्येष्ठ सुदी - 1 पूर्ण । वे० सं० ६६६ | च भण्डार । ३०८५. रुद्रज्ञान .....पत्र सं० १ । प्रा० ६३४४ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय - शकुन शास्त्र । २० काल X | ले० काल सं० १७५७ चैत्र ! पूर्ण । वे० सं० २११६ । अ भण्डार | विशेष—देवणाग्राम में लालसागर ने प्रतिलिपि की थी। ३०८६. लमचन्द्रिकाभाषा पत्र सं० ८ । पा. ८४५ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष । र काल ४ | ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३४८ | भ भण्डार । ३०-७, लमशास्त्र-बर्द्धमानसूरि | पत्र सं० ३ | प्रा० १०x४३ इंच | भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काल ४ाले. काल XI पूर्ण | ३० सं० २१६ । ज भण्डार । ३८, लघुजातक-भट्टोत्पल । पत्र सं० १७ । भा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काल | ले. काल X । ० सं० १६३ । ब मण्डार | ३.८६. वर्षबोध'.......पत्र सं० ५० | प्रा० १.४५ इंच 1 भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष २० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वे. सं० ८९३ । अ भण्डार । विशेष-प्रन्तित्र पत्र नहीं है । वर्षफल निकालने की विधि दी हुई है। ३४०. विवाहशोधन... | पत्र सं० २ । भा. ११४१ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष २० काल ४ । ले० फाल X । पूर्ण । वे० सं० २१६२ 1 अ भण्डार । ३०६१. वृहज्जातक-भट्टोत्पल । पत्र सं० ४ । प्रा० १०३४४ इन। भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र काल X । ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० १८०२ । ट भण्डार । विशेष----भट्टारक महेन्द्रकीत्ति के शिष्य भारमल्ल ने प्रतिलिपि की थी। Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ ] { ज्योतिष एवं निमित ज्ञान ३०६२. षट्पंचासिका - वराहमिहर पत्र सं० ९ ० ११४४३ इख भाषा-संस्कृत विषयज्योतिष | ८० काल X | ले० काल सं० १७६६ | पूर्ण | ० सं० ७३६ | ङ भण्डार | ३०६३. पटपंचासिकावृत्ति- -भट्टोत्पल | पत्र सं० २२० १२८५ । भाषा संस्कृत विषयज्योतिष | २० काल X | ले० काल सं० १७८८ | अपूर्ण | वे० सं० ६४४ | का भण्डार विशेष-हेमराज मिश्र ने तथा साह रामन ने प्रतिलिपि की थी। इसमें १, २, ८, ११ पत्र नहीं हैं । ३८६४. शकुन विचार ...." शास्त्र । २० काल X १० काल Xपू ३०६५. शकुनावली काल x 1 ले० काल X। पूर्णा । वे० सं० २५८ | भण्डार | विशेष-- ५२ अक्षरों का यंत्र दिया हुआ है। ३०६६. प्रति सं० २० ४ ० काल सं० १०६६ | ० सं० १०२० | अ मण्डार | विशेष- पं० सदासुखराम ने प्रतिलिपि की थी ! ३०६७. शकुनावली - गर्ग । पत्र सं० २ से ४ । ज्योतिष । र काल X | ले० काल x । प्रपूर्ण ० सं० २०५४ विशेष – दसका नाम पाशावली भी है | पत्र सं० ५ | श्रा० ६३४४३ इव । भाषा - हिन्दी गद्य | विषय - शकुन ० सं० १४८ छ भण्डार । पत्र सं० २ श्र० ११४५ इव । भाषा-संस्कृत । विपय-ज्योतिष | र० १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - भण्डार ३०६८ प्रति सं० २ | पत्र सं० ६ १ ले० काल X ३० सं० ११६ । भण्डार विशेष- श्रमरचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ३०६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १० । ले० काल सं० १८१३ मंगसिर सुंदी ११ । अपूर्ण । ० सं० २७६ | अ भण्डार ३१०० प्रति सं० ४ | पत्र सं० ३ से ७ | ले० काल X। प्रपूर्ण ३१०१. शकुनावली - अबजद पत्र सं० ७ | श्रा० ११४५ भण्डार । वे० सं० २०६ | ट भरदार | इंच । भाषा - हिन्दी । विषय- दशकुन मास्त्र | र० काल X | ले० काल सं० २०६२ साजन सुदी ७ । पूर्ण | वे० सं० २५८ | ज भण्डार ३१०२. शकुनावली ...." । पत्र [सं०] १३ | श्र० ८३४ इंच | भाषा - पुरानी हिन्दी | विषय - शकुन शास्त्र । ८० काल X | ले० काल ४ । अपू । ० सं० ११४ | भण्डार ३९०३. प्रति सं० २१ पत्र सं० १६ । ले० काल सं० १७८१ सावम बुदी १४ । वै० ० ११४ १ छ ५ Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ] चक्र हैं जिनमें २० नाम दिये हुये हैं ३१०१ सं० ३ ३१०५. शकुनावली २० काल ४ । ० काल सं० १५१० | अपूर्ण ० सं० १२५८ अ भण्डार | ०२ मा० १२४ ६ २१०६. शकुनावली. पत्र २० काल X ० काल सं० २००८ प्राोज बुदी ६ पूर्व I ० सं० १९६६ विशेष- पातिगाह के नाम पर रमलशास्त्र है । ३१०७. शनश्चिरदृष्टिविचार | पत्र सं० १ ज्योतिष | २० काल X | लेकालX | पूर्ण । वे० सं० १८४६ | अ भण्डार विशेष द्रावण राशि में मे शनिभर दृष्टि विचार है। ३१०६. शीघ्रबोध- काशीनाथ विषय- ज्योतिष र० काल X ० काल X पत्र सं० ११ से २० भण्डार । । २.१.३ विशेष- रामचन्द्र ने उदयपुर में राशा संग्रामसिंह के शासनकाल में प्रतिनिधि की भी २० मार पत्र ५ मे भागे प्रश्नों का फल दिया हुआ है। भण्डार | य मं० १४ | ०० ० ३४० | म भण्डार । पत्र ०५ से ८ श्र० ११९५ इ'च । भावा-हिन्दी विषय- ज्योतिष | भाण-हिन्दी पद्य विषय कुन मा । ० १२४५ श्च । भाषा-संस्कृत | विषय - भा० ०२४३ भाषापंस्कृत पूर्ण वे० सं० १६४३ | अ भण्डार ३१०६. प्रति सं० २ | पत्र सं० ३१ | ले० काल सं० २८३० । ० सं० १८६ | स्व भण्डार | विशेष-पं माणिकचन्द्र ने घोढीग्राम में प्रतिलिपि की थी । ३११०. प्रति सं० ३ ० २८ ले० काल ०१०४० मागोजी ६०० १२८ विशेष-संपतिराम विन्दुका ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की श्री । ३१११. प्रति सं० ४ । पत्र ०७१ ० का ० १८६६ मा १४ मं २५५/ विशेष आ० रत्नफीति के शिष्य पं० सवाईराम ने प्रतिलिपि की थी। इनके अतिरिक्त भण्डार में ४ प्रतिमा ३० सं० २०४, १०५६ १५५१, २२०० ) भण्डार में प्रति ( ० [सं०] १५०) छ, म त द भण्डार में एक एक प्रति वे० मं० १३८, १६२ तथा २११६ ) और हैं। पत्र सं० ७ १ ० ६३४४ इत्र | भाषा-संस्कृत | विषय - ज्योतिष | ३११२. शुभाशुभयोग २० । ० का ० १०७२ पौष सुदी १० पू० सं० १०८ भण्डार | विशेष-पं० हीरालाल ने जोबनेर में प्रतिनिधि को भी ३११३. संक्रांतिफल काल X | ले० काल X पूर्ण । वे सं० २०१ । ख भण्डार | पत्र [सं० १ ० १०२४ इंच भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष । २० Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ ] [ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ३११४. संक्रांतिफल...."। पत्र सं० १९ । मा०६x४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । १० काल ४ । ले. काल सं० १६०१ भादवा बुदी ११ । वै० सं० २१३ | ज भण्डार ३१५. संक्रांतिवर्णन"... । पत्र सं० २ | प्रा० ९x४ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल' X । ले० कास XI पूर्ण | वे० सं० १६४६ | अ भण्डार ३११६. समरसार--रामवाजपेय । पत्र सं० १८ | प्रा० १३४४ च । भाषा-संस्कृत | विषयज्योतिष | र. काल - | ले. काल सं० १७१३ । पूर्ण । ० सं० १७३२ । द भण्डार विशेष- योगिनोपुर ( विल्ली ) में प्रतिलिपि हुई । स्वर शास्त्र से लिया हुआ है। ३११७. संवत्सरी विचार....."| पत्र सं० ८ । प्रा० ६x६३ इंच। भाषा हिन्दी गद्य । विषयज्योतिष । २० काल xले. काल X| पूर्स | ० सं० २८६ मा भण्डार विशेष-सं. १९५० से सं० २००० तक का वर्षफल है। ३११८. सामुद्रिकलक्षण.... 1 पत्र सं० १८ । प्रा० ६४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-निमिस शास्त्र । स्त्री पुरुषों के अंगों के शुभाशुभ लक्षण आदि दिये हैं । १० काल X । ले० काल सं० १५६४ पौष सुवी १२ । पूर्ण । वे० सं० २६१ । ब भण्डार ३११६. सामुद्रिकविचार""""। पत्र सं० १४ । श्रा० ५६x४ । भाषा-हिन्दी 1 विषय-निमित । शास्त्र | र० काल । ले. काल सं० १७६१ पौष बुदी ४ । पूर्ण । वै० सं• ६८ । ज भण्डार । २१२०. सामुद्रिकशास्त्र-श्रीनिधिसमुद्र | पत्र सं० ११ । प्रा० १२४४३ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-निमित्त । २० काल ले. काल पूर्ण । ० सं० ११६ भण्डार। विशेष-अंत में हिन्दी में १३ शृङ्गार रस के दोहे हैं तथा स्त्री पुरुषों के अंगों के लक्षण दिये हैं। ३१२१. सामुद्रिकशास्त्र....."। पत्र सं० ६ । आ. १४४४ । भाषा-प्राकृत । विषय-निमित।। २० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ७८४ । अ भण्डार । मिशेष--पृष्ठ ८ तक संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हैं। ३१२२. सामुद्रिकशास्त्र"""। पत्र सं० ४१ | मा ६x४ इच । भाषा-संस्कृत | विषम-निमित्त । र० काल x 1 ले० काल सं. १८२७ ज्येष्ठ सुदी १० । अपूर्ण । वे० सं० ११०६ । अ भण्डार । विशेष-स्वामी चेतनदास ने गुमानीराम के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी । २, ३, ४ पत्र नहीं हैं । ३१२३. प्रति सं०२। पत्र सं० २३ । ले. काल सं. १७६० फागुणा बुदी ११ । अपूर्ण । पे० सं० १४५ । छ भण्डार। विशेष--बीच के कई पत्र नहीं हैं । Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ] [ २६५ ३१२४. सामुद्रिकशास्त्र पत्र सं० ८ | मा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-निमित्त । २० काल ४ | ले. काल सं० १८८० | पूर्ण | व० सं० १६२ । अ भण्डार । २१२५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । ले. काल ४ | अपूर्ण । वे० सं० १९४७ । भण्डार 1 ३१२६. सामुद्रिकशास्त्र | पत्र सं० १४ | आ. ६x६ च । भाषा-हिन्दी पद्य | विषय-मिमिप्त । र० काम ४ । ले. काल सं० १६०८ पासोज बुदी ८ । पूर्ण । व० सं० २७७ । म भण्डार | ३१७, मापसी...." Y से १३४! पा. १२४४ | भाषा-अपभ्रंश | विषयज्योतिष । र० काल X । ले० काल सं० १७१६ भादवा बुदी ८ | अपूर्ण | वे सं० ३६३ । च भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में ४ अपूर्ण प्रतियां (वे० सं० ३६४, ३६५, ३६६, ३६७) और हैं। ३१२८. साराषली.... पण सं० १ । मा० १९४३३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल x | ले० काल x | पूर्ण । ३० सं० २०२५ । श्र भण्डार | ३१२६. सूर्यगमनविधि । पत्र सं० ५ । मा० ११३४४३ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । २. काल X । ले. काल ४ | पूर्ण ! वे० सं० २०५६ । अ भण्डार । विशेष - जैन ग्रन्धानुसार सूर्यचन्द्रगमन विधि दी हुई है 1 फेवस गणित भाग दिया है। ३१३.. सोमउत्पत्ति ... पत्र सं० २ । मा० १४४ इच । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । र. काल X । लेन काल सं० १९०३ । पूर्ण । वै० स. १३८६ | अ भण्डार | ३१३१. स्वप्नविचार.....| पत्र सं० १ । पा. १२४५३ च । भाषा-हिन्दी | विषय-निमित्तशास्त्र । र० काल X । ले. काल सं० १८१० । पूर्ण । ० सं० ६०६ | अ भण्डार । ३१३२. स्वानाध्याय" ...| पत्र सं० ४। प्रा. १-X४१ च । भाषा-संस्कृत । विषय-निर्मित शालय । र० काल X | ० काल ४ । पूर्ण । ० सं० २१४७ । भण्डार | ३१३३. स्वप्नावली-देवनन्दि । पत्र सं० ३ | प्रा० १२४७६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-निमित्त शास्त्र । र० काल x I ले वाल सं० १६५८ भावया सुदी १३ । पूर्ण । वे० सं० ८३६ । क भण्डार । ३१३४. प्रति सं० २। पत्र सं ३ । ले० काल X । ० सं० २३७ । क भण्डार । ३१३५. स्वप्नावलिः | पत्र सं० २ | प्रा० १०४७ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-निमित्तशास्त्र | र०कालxले० काल-प्रपुरगं । ने. सं. ८३५ । क भण्डार । ३१३६. होराज्ञान | पत्र सं० १३ । आ०१०४५ इंच | भाषा-संस्कृत। २० कालX ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० २०४५ | अ भण्डार । Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय - आयुर्वेद ३१३७. अजीर्णरसमञ्जरी --------पत्र [सं० ५ । प्रा० २१५५३ इव भाषा संस्कृत श्रायुर्वेद | ८० काल X | ले० काल सं० १७८ | पूर्ण वे० सं० २०५१ । भण्डार ३१३. प्रति सं० २१ पत्र ०७० काल । ० ० १३६ । छ भण्डार | विशेष प्रति प्राचीन है । ३१३६. अजीर्णमञ्जरी - काशीराज पत्र सं० ५ आयुर्वेद 1र० काल x | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० २८६ । ख भण्डार । ० १०३४५ इस भाषा संस्कृत विषय - ३१४०. अद्भुतसागर' ० काल X | ले० काल X। अपूर्ण । वे सं० १३४० । का भण्डार । ३१४१. अमृत सागर - महाराजा सवाई प्रतापसिंह पत्र सं० ११७ से १६४ ॥ श्र० १२० इंच | भाषा - हिन्दी] | विषय - श्रायुर्वेद र० काल । ले० काल X। स० २९ । भण्डार विशेष-संस्कृत ग्रन्थ के आधार पर है । ३१४२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५३ । ले० काल X। श्रर्मा । ० ० ३२ । भण्डार । विशेष-संस्कृत मूल भी दिया है। पूर्ण और हैं। भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ३०, ३१ ) ३१४३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १४ से १५० | ले० काल । अपूर्ण । ० सं० २०३६ । भण्डार ३१४४. श्रर्थप्रकाश -- लंकानाथ | पत्र ०४७ | ० १०३८ इच भागा-संस्कृत त्रिप आयुर्वेद १० काल X | ० का ० १९६४ ला ख़ुदी ४ युगों । भण्डार | विशेष - आयुर्वेद विषयक ग्रन्थ है । प्रत्येक विषय को शतक में विभक्त किया गया है। ३१४५. आत्रेयवैद्यक ऋषिपत्र०४२ श्र० १०८४३ इंच | नापा संस्कृत विषय ०४० । ० ११४४६ इंच भाषा - हिन्दी विषय आयुर्वेद आयुर्वेद २० काल x ० काल सं० १८०७ भादवा बुदी १४० मं० २० छ भण्डार | ३१४६. आयुर्वेदिक नुस्खों का संग्रह ....। पन सं० १३ । बा० १०४५ इत्र भाषा - हिन्दी | विषय - प्रायुर्वेद | र० काल X | ले० काल X | श्रपूर्ण । ० सं० २३० । छ भण्डार । 2 ३१४७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४ । ले० काल X | ० सं० ६३ १ ज भण्डार | * Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद ] [ २६७ ३१४८. प्रति सं०३। पत्र सं० ३३ से ६२ । ले० काल ४ | अपूर्ण । वे० सं० २१८१ । द भण्डार । विशेष-६२ से भागे में नहीं है. ३१४६. आयुर्वेदिक नुस्खे....." । पत्र सं० ४ से २० । मा० ८४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयपायुर्वेद । र० काल X | ले. काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० ६५ । क भण्डार । विशेष—पआयुर्वेद सम्बन्धी कई नुस्खे दिये हैं। ३१५०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४१ | ले० काल X । वे० सं० २५६ | स्व भण्डार । विशेष-एक पत्र में एक ही नुस्खा है। इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( वे० सं० २६०, २९६, २६६) मौर हैं। ३१५१. आयुर्वेदिकमंथ पत्र सं० १६ 1 मा० १०३४५. इस ! भाषा-संस्कृत । विषय-मायुर्वेद । २० काल X 1 ले. काल ४ । पपूर्ण 1 दे० सं० २०७६ । ट भण्डार | २१५२. प्रति सं०२। पत्र सं० १८ से ३० । ले० काल ४ । अपूर्ण । ३० सं० २०६६ : ट भण्डार । ३१५३. अयुर्वेदमहोदधि- सुखदेव । पत्र सं० २४ । प्रा० ९३४४३ इन। भाषा-संस्कृत । विषयप्रायुर्वेद । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० ३५५ । न भण्डार । ३१५४. कक्षपुट-सिद्धनागार्जुन । पत्र मं०४२ | मा० १vx५ हम ! भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद एवं मानवशास्त्र । २. काल XI ले० काल XI पूर्ण । ३० सं० १३ । घ भण्डार । विशेष—ग्रन्थ का कुछ भाग फटा हुआ है। ३१५५. कल्पस्थान ( कल्पव्याख्या !."। पत्र सं० २१ । प्रा० ११३४५६ । अषा-संस्कृत । विषय-प्रायुर्वेद । २० काल X । ले. काल सं० १७०२ । पूर्ण । वै० सं० १८९७ 1 ट भण्डार । विशेष----सुश्रुतसंहिता का एक भाग है । मन्तिम पुष्पिका निन्न प्रकार हैइति सुश्रुतीयायां संहितायां कल्पस्थानं समान्त.॥ ३१५६. कालज्ञान.."। पत्र सं० ३ से १६ । प्रा० १०x४४ इंच। भाषा-संस्कृत हिन्दी | विषयमायुर्वेद | र. काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० २०७८ | अ भण्डार । ३१५७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । ले० काल X ० सं० ३२ । ख भण्डार । विपोष-केवल अष्टम समुद्देश है। ३१५८. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १० । ले. काल सं० १८४१ मंगसिर सुदी ७ । वे० सं० ३३ । स्व भण्डार। विशेष-भिरुद् ग्राम में खेमचन्द के लिए प्रतिलिपि की गई थी। कुछ पत्रों को टीका भी दी हुई है । Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ आयुर्वेद . । २६८ ] ३१५६. प्रति सं०४। पत्र सं०७। ले. कालx० सं० ११८ । छ भण्डार । ३१६. वि . | Ric ले. काल X । बे० सं० १९७४ । ट भण्डार । ३१६१. चिकित्सांजनम् उपाध्यायविद्यापति । पत्र सं० २० । पा० ६४८ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-मायुर्वेद । र० काल ४ । ले० काल सं० १९१५ । पूर्ण । ० सं० ३५२ । म भण्डार । ३१६२. चिकित्सासार पत्र सं० ११ १ मा० १३४६३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-प्रायुर्वेद । र० काल X(ले० काल । अपूर्ण | वे० सं० १८० । भण्डार । ३१६३. प्रति सं०२१ पत्र सं० ५-३१।।ले. कास अपूर्ण | वे० सं० २०७६ | ट भण्डार । ३१६४. चूर्णाधिकार"""। पत्र सं० १२ । मा० १३४६३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण 1 ३० सं० १८१६ । र भण्डार । ३५६५. ज्वरलक्षण..."! पत्र सं० ४ | मा० ११४४ इन्च । भाषा हिन्दी । विषय-अयुभेद । र. काल X । ले. काल x | अपूर्ण । वे० सं० १८६२ । र भण्डार । ३१६६. ज्वरचिकित्सा..."| पत्र सं० ५ । प्रा० १०:४१ईच । भाषा-संस्कृत | विषय-प्रायुर्वेद । २० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण | ये० सं० १२३७ । अ भण्डार । ३१६७. प्रति सं० २। पत्र सं० ११ से ३१ । ले. काल x 1 अपूर्ण | वे० सं० २०६४ । द भण्डार । ३१६८. ज्वरतिमिरभास्कर-चामुंडराय। पत्र सं० ६४ । प्रा० १०५६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-मायुर्वेद । १० काल X| ले. काल सं० १८०६ माह सुदी १३ । वे० सं० १३०७ । अ भण्डार । विशेष--माधोपुर में किशनलाल ने प्रतिलिपि की थी। ३१६६, त्रिशती-शाजधर | पत्र सं०३२ मा० १०१४५६च | भाषा-संस्कृत । विषय-मायुर्वेद । र काल X । ले. काल X । वे० सं० ६३१ । श्र भण्डार । ३१७०. प्रति सं०२। पत्र सं० ६२ । ले० काल सं० १९१९ । ३० सं० २५.३ १ ब भण्डार । विशेष—पद्य सं० ३३३ है। ३१७१. नहनसीपाराविधि..."। पत्र सं० ३ | प्रा० ११४५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-आयुर्वेद । २० कास XI ले. काल X)पूर्ण । ३० सं० १३०१ । भण्डार । ३१७२. नाडीपरीक्षा........पत्र सं० ६ । मा० ११५५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । २० काल XI से काल । पूर्ण । ये० सं० २३० । छ भण्डार । Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मायुर्वेद ] [ २५ ३१७३ निघंटु.."। पत्र सं० २ से ८८ । पत्र सं० ११४५। भाषा-संस्कृत । विषम-मायुर्वेद । र. काल XI ले. काल x। अपूर्ण | वे० सं० २०७७ । अ भण्डार । ३१७४. प्रति सं०। पत्र सं० २१ से ८६ । ले० काल XIमपूर्ण । ० सं० २०१४ । अ भण्डार । ३१७५. पंचप्ररूपण.1 पत्र सं० ११ । प्रा० १०x४३ इच। भाषा-संस्कृत | विषय-मआयुर्वेद । १० काल x | ले० काल सं० १५५७ । अपूर्ण । ० सं० २०८० . ट भण्डार । विशेष-केवल ११वां पत्र ही है । ग्रन्थ में फुल १५८ श्लोक हैं। प्रशस्ति--सं० १५५७ वर्षे ज्येष्ठ बुदी ८ । देवगिरिनगर राजा सूर्यमल्ल प्रदर्तमाने . माहू लिखितं कर्मक्षयनिमित्तं । ७० जालप जोन पटनार्थ दत्तं । ३१७६. पथ्यापथ्यविचार पत्र सं० ३ से ४४ | मा. १२४५ भाषा-संस्कृत । विषय प्रायुर्षद। र० काल ले. काल | प्रपूर्ण । वै० सं० १९७६ । ट भण्डार । विशेष-इलोकों के ऊपर हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है। विषरोग पथ्यापथ्य अधिकार सक है। १६ से माने के पत्रों में दीमक लग गई है। ३१७७. पाराविधि.... पत्र सं० १। प्रा० ६२४४३ इंच । भाषा-हिन्दी। विषय-मायुर्वेद । १० काल ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० २९६ । ख भण्डार । ३१७८. भावप्रकाश-मानमित्र । पत्र सं० २७५ । पा. १०१४४३ इच। भाषा-संस्कृत ! विषयमावद । रत काल X । ले० काल सं० १८६१ पैशाख सुदी । । पूर्ण | ने० सं० ७३ । ज भम्हार । विशेष—अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है। इति श्रीमानमिश्रलटकमलमपश्रीमान मिश्रभावविरचितो भावप्रकाशः संपूर्ण । प्रशस्ति-संवत् १८८१ मिती बैशाख शुक्षा : शुक्र लिखितमृषिणा फतेवन्द्रण सवाई जयनगरमध्ये। ३१७६. भाषप्रकाश..."। पत्र सं० १९ । पा. १०३४४ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-प्रायुर्वेद । २० काल XIले. काल XI पूर्ण । ० सं० २०२२ । अ भण्डार। विशेष-अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार हैइति श्री जगु पंडित तनयदास पंडितकृते विसतिकायां रसायन वा जारण समाप्त । ३१८०. भाषसंग्रह ....पत्र सं० १० । प्रा० १०३४६३ इस भाषा-संस्कृत ! विषय-मायुर्वेद है २० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० २०५६ ! ट भण्डार | . Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०० [ आयुर्वेद ३१८१. मदनविनोद-मदनपाल । पत्र सं० १५ से ६२। भा० ८३४३३ इ० । भाषा-संस्कृत। विषय-आयुर्वेद । र० काल ४ । ले• काल सं० १७६५ ज्येष्ठ सुदी १२ | अपूर्ण। के० सं० १७६८ । जीर्ण । प्र भण्डार। विशेष-पत्र १५ पर निम्न पुष्पिका हैइति श्री मदनपाल विरचिते मदन दिनोदे अपादिवर्गः । पत्र १८ पर- यो राज्ञां मुखतिलक कटारमलस्तेन श्रीमदननपेण निर्मितेन मन्येऽस्मिन् मदनविनोदे बटादि पंचमवर्गः। लेखक प्रशस्ति ज्येष्ठ शुक्ला १२ मुरी तहिने लि'"""शामजी विश्वकेन परोपकारार्थं । संवत् १७६५ विश्वेश्वर सन्निधौ..." मदनपालविरचिते मदनविनोदे निघंटे प्रशस्ति वर्गश्चतुर्दशः ॥ ३१८२. मंत्र व औषधि का नुस्खा..."। पत्र सं० १ । प्रा० १०४५ इंच । भाषा-हिन्दी | विषयभापुर्यद | २० काल - । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २६८ | स्व भण्डार । विशेष---तिल्ली काटने का मन्त्र भी है। ३१८३. माधननिदान-माधव । पत्र सं० १२४ । प्रात ६x४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । २० काल XI ले. काल - I पूर्ण । वै० सं० २२६५ | अ भण्डार । ३१८४. प्रति सं० २। पत्र सं० १५४ | ले. काल X| अपूर्ण । वे० सं० २००१ । द भण्डार । विशेष-५० शानमेरु कृत हिन्दी टीका सहित है। प्रन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है इति श्री पं० ज्ञानमेरु विनिर्मितो बालबोधसमासोक्षराधों मधुनोष परमार्थः । 4. धन्नालाल ऋषभचन्द रामचन्द की पुस्तक है। इसके अतिरिक्त अ भण्डार में ३ प्रतियां (वे० सं० ८०८, १३४५, १३४७ ) ख भण्डार में दो प्रतियां ( वे० सं० १४३, १६५ ) तथा ज भण्डार में एक प्रति { वे० सं०७४ ) मौर है। ३१८५. मानविनोद-मानसिंह । पत्र सं. १७ । प्रा० ११३४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । र० काल ४। ले० काल X| अपूर्ण 1 बे० सं० १४ । ख भण्डार । प्रति हिन्दी टीका सहित है । ६७ से मागे पत्र नहीं हैं ३१८६. मुष्टिज्ञान-ज्योतिषाचार्य देवचन्द । पत्र सं० २ | मा १०x४, इस 1 भाषा-हिन्दी । विषय-मायुर्वेद ज्योतिष । २० काल X । ले० काल XI पूर्ण | वे० सं० १८६१ । म भण्डार। Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वे ] [ २०१ ३१५७. योगचिन्तामणि - मनूसिंह । पत्र सं० १२ से ४८ श्र० ११४५ इक्च्च | भाषा-संस्कृत | विषम आयुर्वेद । १० काल x | ले० काल X | अपूर्णा । वे० सं० २१०२ । ८ भण्डार | विशेष-पत्र १ से ११ तथा ४८ मे आगे नहीं हैं । द्वितीय अधिकारी का निम्न प्रकार है- इति श्री वा रत्नराजगरण अंतेवासि मन्नृसिंहकृते योगचितामणि बालावबांधे चूर्णाधिकारो द्वितीयः 1 ३१६. योगचिन्तामणि । पत्र [सं० ४ ! श्रा० १३x६ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - श्रायुर्वेद ! २० काल X | ले० काल । अपूर्ण । वे०स० १८०३ | द भण्डार | ३१८६. योगचिन्तामणि" [ प [सं०] १२ से १०५ । श्र० १० १४३ च भाषा-संस्कृत | विषय - प्रायुर्वेद | र० काल X | ले० काल सं० १५५४ ज्येष्ठ बुदी ७ । श्रपूर्ण । ० सं० २०८३ । ट भण्डार । विशेष – प्रति जी है । जयनगर में फतेहचन्द के पनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ३१४०. योगचिन्तामणि । पत्र [सं० २०० प्रा० १०x४३ ख । भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । २० काल X | ले० काल x । भ्रपूर्ण । वे० सं० १३४६ | भण्डार विशेष-- दो प्रतियों का मिश्रा है। ३१६१. योगचिन्तामशिबीजक पत्र सं० ५ आयुर्वेद | र० काल Xx | ले० काल X 1 पूर्ण । वे० सं० ३५६ । ञ भण्डार | ३१६२. योगचिन्तामणि -- उपाध्याय हर्षकीर्त्ति । पत्र सं० १५८ संस्कृत विषय-प्रायुर्वेद । २० काल X | ले० काल । पूर्ण वे० सं० ६०४ | 1 I विशेष --- हिन्दी में संक्षिप्त अर्थ दिया हुआ है । ३१६३. प्रति सं० २०१२ | | ० ० २२०६ | अ भण्डार । विशेष-- हिन्दी या टीका सहिन है । ३१६४. प्रति सं० ३ | पत्र सं० १४१ | ले० काल सं० १७८१० सं० १९७८ । श्र भण्डार ! ३१६५. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १५६ | ले० काल सं० १८३४ श्राषाढ बुदी २ ० ० ८८ I भण्डार 1 ये प्रतिलिपि की थी । भण्डार । ० ६३४३ इंच | भाषा-संस्कृत विषय श्र० १०६x४३ इंच | भाषा भण्डार विशेष – हिन्दी टवा टीका सहित है । सांगानेर में गोधों के चैत्यालय में पं० ईश्वरदास के चेले की पुस्तक ३१६६. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १२४ । ले० काल सं० १७७६ वैशाख सुदी २ । ३० सं० ६६ | ज विशेष-मालपुरा में जीवराज बैद्य ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२ ] [ पार्षद ३१६७. प्रति सं०६ । पत्र सं० १०३ । ले० काल सं. १७६६ ज्येष्ठ युदौ ४ । पूर्ण । पे० सं० ६९। ज HERE विदोष-प्रति सटीक है । प्रथम दो पत्र नहीं हैं। ३१६८. योगशत-वररुचि । पत्र सं० २२ । प्रा. १३४८ इज 1 भाषा-संस्कृत 1 विषय-प्रायुर्वेद । र० काल X । ले० काल सं० १९१० श्रावण सुदी १० । पूर्ण । वे० सं० २००२ । ट भण्डार । विशेष-आयुर्वेद का संग्रह नथ है तथा उसकी टीका है । चंपावती ( चाटसू ) में पंच गिव चन्द ने व्यास सुत्रीलाल से लिखवाया था। ३१६६. योगशतटीका पत्र सं० २१ । प्रा० ११३४३३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । २० काल x | ले० काल XI पूर्ण | वे० सं० २०७६ | अ भण्डार । ३२००. योगशतक""""[ पत्र सं.७। प्रा०१०६x४ इश्व। मापा-संस्कृत विषय-मायूर्वेद । र. काल X1 काल सं० १६०६ । पूर्ण | वे० सं० ७२ । ज भण्डार । विशेष-५० विनय समुद्र ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। प्रति टीका सहित है। ३२०१. योगशतक""| पत्र सं० ७८ । प्रा. ११३४४२ इच। भाषा-हिन्दी। विषय-प्रायुर्वेद । २० काल X 1 ले० काल X । पूर्ण । बे० सं० १५३ । स्त्र भण्डार । ३२०२. रसमञ्जरी-शालिनाथ । पत्र सं० २२ । प्रा० १०४५३ इच्छ। भाषा-संस्कृत | विषयप्रायुर्वेद । र० काल X । ले० काल x 1 अपूर्ण 1 वे सं० १८५६ | ट भण्डार। ३२०३. रसमञ्जरी-शाङ्गधर । पत्र सं० २६ । मा० १०३४५६ इंच। भाषा-संस्कृत | विषय-- प्रायुर्वेद । २० काल X । ले. काल सं० १६४१ सादन बुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० १६१ । ख भण्डार । विशेष-4 पन्नालाल जोबनेर नियासी ने जवपुर में चिन्तामरिणजी के मन्दिर में शिष्य जयचन्द्र के पलनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३२०४. रसप्रकरण....पत्र सं० ४ । पा० १०:४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-प्रायुर्वेद 1 र कारन X । ले. काल X । अपूर्गा 1 ३० सं० २०३५ । जीर्ण । ट भण्डार । __ ३२०५. रसप्रकरण".."| पत्र सं० १२ । प्रा० Ex४३ ई'च | भाषा-संस्कृत ! विषय-प्रायुर्वेद । २० काल - I लेव काल x। अपूर्ण | वे० सं० १३६६ ! अ भण्डार । ३२.६. रामविनोद रामचन्द्र । पत्र सं० २१६ । प्रा० १.३४४३ इंच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-प्रायुर्वेद । १० काल से १६२० । ले. काल X । अपूर्ण | वे० सं० १३४४ । अ भण्डार । विशेष-शाङ्गधर कृत वैद्यकसार अन्य का हिन्दी पद्यानुवाद है। Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद ] [ ३०३ ३३०७. प्रति सं० २१ पत्र सं० १६२। ले० काल सं० १८५१ वैशाख सुदी ११ । वे० सं० १६३ र भण्डार। विशेष-जीवणन्दालजी के पनार्थ भैसलाना ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी। ३२०८. प्रति सं० ३१ पत्र सं० ८३ । ले० काल X । वे० सं० २३० । छ भण्डार । ३२.६. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३१ 1 लेकाल x | अपूर्ण । वे० सं० १८८२ । र भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में २ प्रतियां अपूर्ण ( वे० सं० १६६६, २०१८, २०६२ ) और हैं । ३२१०. रासायिनिकशास्त्र " ...| पत्र सं० ५२ । प्रा. ५६४६१ इन। भाषा-हिन्दी | विषयभायुर्यद । र० काल ४ | ले. काल । अपूर्ण । वे० सं० ६६८ । च भण्डार । ३२११. लदमरणोत्सव - अमरसिंहात्मज श्री लक्ष्मण । पत्र सं० २ से २६ । प्रा० ११६४५ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । र० काल X । ले० काल X 1 अपूर्ण । बे० सं० १०८४ । अ भण्डार । ३२१२. लङ्घनपथ्यनिर्णय....."। पत्र सं० १२ । मा० १०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- पायुयद । र० काल ४ व. काल सं० १८२२ पौष सुदी २ । पूर्ण । वे० सं० १९६ | ख भण्डार । विशेष - पं० जीबमलालजी पन्नालालजी के पठनार्थ लिखा गया था। ३२१३. विषहर नविधि-संतोष कघि । पत्र सं० १२ । प्रा० १६४५ इश्च । भाषा-हिन्दी । विश्यमायुर्वेद । २. काल सं० १७४१ । ले० काल सं० १८६६ माघ सुदी १० । पूर्ण । दे० सं० १४ । छ भण्डार । सिस रिष वैद पर खंडाने जेष्ठ सुकल रूदाम 1 चंद्रापुरी संवत् गिनौ चंद्रापुरी मुकाम ॥२७॥ संपत यह संतोष कूत तादिन फयिता कीन । सशि भनि गिर विच विजय तादिन हम लिख लीन ॥२८॥ ३६१४. वैद्यकसार.......पत्र सं० ५. से ५४ । प्रा० ६x४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पायुर्वेद । १० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ३० सं० ३३४ । च भण्डार । ____३२१५. वैद्यजीवन-लोलिम्बराज 1 पत्र सं० २१ 1 प्रा० १२४५३ इग्छ । भाषा-संस्कृत ! विषयमायुर्वेद । १० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण | वे० सं० २१५७ । श्र भण्डार | विशेष -५वा विलास तक है। ३२१६. प्रति सं०२१ पत्र सं. २१ से १२। ले. काल सं० १५३। वे० सं० १५७१। म मुण्डार। Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०४ ] [ आयुर्वेद ३२१७. प्रति सं०३। पत्र सं० ३१ । ले. काल सं० १८७२ फागुण १० सं० १७६ । ख भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में दो प्रतियां (. सं० १८०, १८१ ) और है। ३९१८. प्रति सं०४ । पत्र सं०६१ । ले. काल x। प्रपूर्ण | थे० सं० ६८१ । भण्डार । ३२१६. प्रति सं०५ । पत्र सं० ५३ । ले. काल x Iवे. सं० २३० । छ भण्डार । ३२२०. वैद्यजीवनमन्ध... | पत्र सं० ३ मे १५ । प्रा० १.४४ इच । भाषा-रिवृत्त । विषयआयुर्वेद । १० काल ४ ले काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३३३ | च भण्डार । विशेष—अन्तिम पत्र भी नहीं है । ३२२१. येयजीवनटीका-रुद्रभट्ट । पत्र सं० २५ । आ. १०४५ इञ्च । भाषा- संस्कृत । विपयपायुर्वेद | र० काल ले. काल X! मपूर्ण | वे० सं० ११६६ । श्रमण्डार । विशेष-इसी भण्डार में दो प्रतियां ( ० सं० २०१६, २०१७) मौर हैं। ३२२२. वैद्यमनोत्सव- नयनसुख । पत्र सं० ३२ | मा० ११४५६ इश्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-प्रायुर्वेद । र० काल सं० १६४६ आषाढ सुदी २॥ ले. काल सं० १८५३ ज्येष्ठ मुदी १ । पूर्ण | 4. सं. १८७६ । भभण्डार । ३२२३. प्रति सं० । पत्र सं० १६ । ले. काल सं० १८०६ । वे० सं० २०५६ ! अ भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( व० सं० ११६५ ) और है । ३२२४. प्रति सं०३ । पत्र सं २ से ११ । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं०६८० | ॐ भघडार । ३२२५. प्रति सं०४ । पत्र सं० १८ । ले. काल सं० १८६३ 1 वे० सं० १५७ । छ भण्डार । ३२२६. प्रति सं०५।पत्र सं०१६ | ले. काल सं० १९६६ साबरण बुदी १४ । वे सं० २००४ । ट भण्डार। विशेष----पाटगा में मुनिसुवत चैत्यालय में भट्टारक सुखेन्द्रवीति के शिष्य पं० चम्पाग्राम में स्वयं प्रतिनिधि की थी। २० काल ३२२७. वैद्यवल्लभ....."पत्र सं० १६ । प्रा० १.३४५ इ । भाषा-संस्कृत । विपय-आयुर्वेद । । ले० काल सं. १९०१ पूर्ण | वे० सं० १५७१ । विशेष-सेवाराम ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी। ३२२८. प्रति सं।२१ पत्र सं०६।ले. काल X । दे० सं० २६७ । ख भण्डार । Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आयुर्वेद 1 [ ३०५ ३२२६. वैद्यकसारोद्धार-संग्रहकर्त्ता श्री हर्षकीर्त्तिसूरि । पत्र सं० १६७० १०४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय- श्रायुर्वेद । २० काल X | ले० काल सं० १७४९ मायोज बुदी ८ पूर्ण । वे० सं० १८२ | ल भण्डार । विशेष – भानुमती नगर में श्रीगजकुशलरिंग के शिष्य गरिण सुन्दरकुशल ने प्रतिनिधि की थी । प्रति हिन्दी अनुवाद सहित है | भण्डार | ३२३० प्रति सं० २ । पत्र सं० ४६ । ले० काल सं० १७७३ मात्र विशेष - प्रति का जीर्णोद्धार हुआ है । ३२३१. बँधामृत - माणिक्य भट्ट पत्र सं० २०१० १X५ इंच भाषा संस्कृत | विषय - आयुर्वेद 1 र० काल X | ले० काल सं० १६१६ | पूर्ण | वे० सं० ३५४ । न भण्डार । विशेष - माणिक्यभट्ट अहमदाबाद के रहने वाले थे । ३२३२. वैद्यविनोद पत्र सं० १८३ । प्रा० १०३४८३ इञ्च । भाषा - हिन्दी विषय प्रायुर्वेद | २० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण । वे० सं० १३०६ | श्र भण्डार । | ० सं० १४६ न ३२३३. वैद्यविनोद - भट्टशंकर | पत्र सं० २०७ । आ० ८२४४३ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - आयुर्वेद | र० काल x | ले० काल x | अपूर्ण २७२ । भण्डार । विशेष – पत्र १४० तक हिन्दी संकेत भी दिये हुये हैं । ३२३४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३५ । ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० २३१ । छ भण्डार | ११२ । ० काल सं० १८७७ । ० सं० १७३३ | ट भण्डार ३२३५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० विशेष— लेखक प्रशस्ति संवत् १७५६ बैशाख मुदी ५ बार चंद्रवासरे वर्षे शाके १६२३ पातिमाहजी नौरंगजीबजी महाराजाजी श्री जयसिंह राज्य हाकिम फौजदार खानाखाजी के नायबरूप्लमखां स्याहीजी श्री स्मायानमजी की तरफ मियां साहबजी अब्दुल फतेजी का राज्य श्रीमस्तु कल्याणक । सं० १८७७ शाके १७४२ प्रवर्तमाने कार्तिक १२ गुरुवारलिखि मिश्रलालजी कस्य पुत्र रामनारायणे पार्थं । ३२३६. प्रति सं० ४ | पत्र सं० २२ से ४८ । ले० काल X | अपूर्ण । ३० सं० २०७० | ट भण्डार । ३२३७. शाङ्ग घरसंहिता - शार्ङ्ग घर । पत्र सं० ५८ | प्रा० ११X५ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय - श्रायुर्वेद | र० काल X | ले० काल X | प्रपूर्ण 1 वे० सं० १०८५ । श्र भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० ८०३, ११४२, १५७७ ) और हैं । Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०६ ] ३२३८ प्रति सं० २ । पत्र [सं०] १७० । ले० काल x ० सं० १८५ । ख भण्डार | विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० २७०, २७१ ) और हैं । ३२३६. प्रति सं० ३१ पत्र सं० ४-४० | ले० काल x । प्रपूर्ण । वे० सं० २०८२ । ट भण्डार । ३२४०. शान घरसंहिता टीका - नाढमल्ल | पत्र सं० ४१३० ११४४३ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय - प्रामुर्वेद । १० काल X 1 ले० काल सं० १८१२ पौष मुदी १३ । पूर्ण । वे० सं० १३१५ । अ भण्डार ! विशेष - टीका का नाम शाङ्गधरदीपिका है । यन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है वास्तयान्वयप्रकाश वैद्य श्रीभावसिंहात्मजेनाढयल्लेन विरचितायाम शाल धरदीपिकासरखण्डे नेत्रप्रसादन कर्मविधि द्वात्रिंशोरध्यायः । प्रति सुन्दर है । [ आयुर्वेद ३२४१. प्रति सं० २ । १ ० १०५ | ले० काल X | वे० सं० ७० | ज भण्डार । विशेष-प्रथमखण्ड तक है जिसके ७ प्रध्याय हैं । प्रा० १०९४३ इंच | भाषा ३२४२. शालिहोत्र ( अश्वचिकित्सा ) - नकुल पंडित | पत्र सं० संस्कृत हिन्दी | विषय- प्रायुर्वेद । २० काल X 1 ले० काल सं० १७५६ | पूर्ण । वे० सं० १२३६ | अ भण्डार विशेष - कालाडहरा में महात्मा कुशलसिंह के आत्मज हरिकृष्ण ने प्रतिलिपि की थी । ३२४३. शालिहोत्र ( अश्वचिकित्सा ) - पत्र सं० १८ 1 प्रा० ७३४ विषय- श्रायुर्वेद | र० काल x । ले० काल सं० १७१८ श्राषाढ सुदी १ । पूर्ण जी । भण्डार । र० काल X | ले० काल । प्रपू । ० सं० १६०७ । भण्डार । विशेष – सन्तान उत्पन्न होने के सम्बन्ध में कई नुस्खे हैं । ३२४४. सन्तानविधि-पत्र सं० ३०० ११४४३ इव । भाषा - हिन्दी | विषय-वायुर्वेद | । भाषा-संस्कृत । ० सं० १२८३ | श्र ३२४५. सन्निपातनिदान पत्र सं० ८ श्रा० १०x४३ इंच | भाषा-संस्कृत विषय आयुर्वेद । - विशेष – हिन्दी अर्थ सहित है । २० का ४ | ० काल X। पूर्ण । ० सं० २३० | छ भण्डार | ३२४६. सनिपातनिदान चिकित्सा-वाइडदास | पत्र सं० १४ | श्रा० १२४५ इंच | भाषासंस्कृत | विषय - आयुर्वेद | र० काल X। ले० काल सं० १५३९ पौष सुदी १२१ पूर्ण । वै० सं० २३० । छ भण्डार । Z 7 Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद ] ३२४७. सन्निपातकलिका"."पत्र सं०५] प्रा० ११.४५, इच। भाषा-संस्कृत । विषय - ।। २७ X काल सं. १८७३ । पूरा । वे० सं० २८३ ख भण्डार। विशेष-सौमनपुर में पं. जीवरणदास ने प्रतिलिपि की थी। ३२४८. सतविधि"....पत्र सं० ७ १ प्रा० ८३.४ च । भाषा-हिन्दो। विषय-प्रायुर्वेद । र काल X । ने० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १४१७ । अ भण्डार | ३२४६. मर्चज्यरसमुच्चय दर्पण"...."पत्र सं० ४२ । आ. Ex३ च । भाषा-संस्कृत । विषयमायुवेद । २० काल ४ । ले. काल सं० १८०१ । पूर्ण । वे० सं० २२६ । ब भण्डार । ३२५०. सारसंग्रह..... | पत्र सं० २७ से २५७ । प्रा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । र० काल X H० काल सं० १७४७ कार्तिक । पपूर्ण । ० ० ११५६ | अ भण्डार । विशेष-हरिगोविंद ने प्रतिलिपि की थी। ३२५५. सालोत्तररास...."' पर सं०७३ । प्रा० EXY इच। भाषा-हिन्दी। विषय-मायुर्वेद | २० काल । ले. काल सं. १८४३ यासोज बुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ७१४ । अ भण्डार । ३२५२. मिद्धियोग..."! पथ सं० ७ से ४३ । पा. १०x४३ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-मायुर्वेद । र० काल ले. काल X । अपूर्ण । बे० सं० १३५ 1 अ भण्डार । ३२५३. हरडैकल्प"..."। पत्र सं० ४ । या० ५३४४ च । भाषा-हिन्दी। विषय-पायुर्वेद । र. काल ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० १८१६। अभण्डार | विध-माल कांगडी प्रयोग भी है । (अपूर्ण) Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-छंद एवं अलङ्कार ३२५४. अमरचंद्रिका....! पत्र सं० ७५ । प्रा० ११४४ च । भाषा-हिन्दी पद्य । वषय-टुंद प्रसङ्कार । २. काल X ले. काल X । अपुर्ण | के० सं० १३ । ज भण्डार । विशेष चतुर्थ अधिकार तक है। ३२५५. अलंकाररबाकर-दलिपतराय बंशीधर | पत्र सं० ५१ । मा० ३४५६ इन । भाषाहिन्दी । विषय-मलङ्कार । र० काल । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ३४ । भण्डार । ३२५६. अलङ्कारवृत्ति-जिनबर्द्धन सूरि । पत्र सं० २७ । प्रा० १२४८ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-रस अलङ्कार । र० काल Xले. काल XI पूर्ण | वे० सं० ३४ । क भण्डार । ३२५७. अलङ्कारटीका "! पत्र सं० १४ । प्रा० ११४४ इच । भाषा-संस्कृत 1 विषय-अलङ्कार । र० काल X | ले. काल X1 पूर्ण । वे० सं० १६८१ । ट भण्डार । ३२५८. अलङ्कारशास्त्र..."" पत्र सं०७ से ११२ | ग्रा० ११३४५६च । भाषा-संस्कृत । बिषयअलङ्कार । २. काल ले. कालX अपूर्ण । वे० सं० २००१ । श्र भण्डार । विशेष प्रति जीर्ण शीर्स है। बीच के पत्र भी नहीं हैं। ३२४६. कविकटी...."पत्र सं०६। मा० १२४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-रम मल टुार । र० काल । ले. काल X । अपूर्ण । ३० सं० १८५० द भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका महित है। ३२६०. कुवलयानन्द"""पत्र सं० २०। श्रा० ११४५ दया भाषा-संस्कृत | विषय-प्रलदुर । र० काल ४ । ले० काल XI पूर्ण 1 वे० सं० १७८१ । ट भण्डार । ३२६१. प्रति सं०२१ पत्र सं० ५। ले. काल X1 वे० सं० १७८२ १ र भण्डार । ३२६२. प्रति सं० ३१ पत्र सं. १: 1ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० २०२५ । ट भण्डार । ३२६३. कुरलयानन्द-अप्पय दीक्षित । पत्र सं० ६० । प्रा० १२४६ इन्न । भाषा-संस्कृत । विपत्रअलङ्कार 1 २० काल XI ले. काल सं० १७४३ 1 पूर्ण । वे० सं० ६५३ | श्र भण्डार । विशेष-सं० १८०३ माह बुदी ५ को नैणसागर ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी । Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बंद एवं अलङ्कार ] 1 ३६ ३२६४. प्रति सं. २१ पत्र सं० १३ ! ले० काल सं० १५६२ । वे० सं० १२६ 1 + भरद्वार । विशेष-जयपुर में महात्मा पनालाल ने प्रतिलिपि की थी। ३२६५, प्रति सं. ३ । पत्र सं० ८० । ल० काल सं० १९०४ वैशाख सुदी १ । ० सं० ३१४ । अ भण्डार। विशेष-4. सदासुख के शिष्य फतेहलाल ने प्रतिलिपि की थी। ३२६६, प्रति मं४। पत्र सं० ६२ । ले. काल सं० १०६ | वे० सं० ३०६ ! ज भण्डार । ३२६७. कुवलयानन्दकारिका....." | पत्र सं० ६ | मा० १०x४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषषमलकार : २० काल X । ले० काल सं० १८१६ आषाद सुदी १३ । पूर्ण । ० सं० २८६ । छ भण्डार । विशेष-10 कपणदास ने स्वरठनार्थ प्रतिलिपि की थी । १७२ कारिकायें हैं। ६२६८. प्रति सं०२। पत्र सं० ५। ले. काल X । वे० सं० ३०६ । ज भण्डार ! विशेष-हरदास भट्ट को कित्ताब है रामनारामन मिश्र ने प्रतिलिपि की थी। ३२६६. चन्द्रावलोक-.---"| पन सं० ११ । प्रा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-अलङ्कार । र० काल X । ले. काल x 1 पूर्ण । वे० सं० ६२४ । श्र भण्डार । ३२७० प्रति सं० २ । पत्र सं० १३ | प्रा० १०५ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-अलारशास्त्र । र० कान < । ने० काल सं० १९०६ कार्तिक बुदी ६ । ० सं० ६१ । च भण्डार । विशेष-रूपचन्द साह ने प्रतिलिपि की थी। ३२.४१. प्रति सं० ३ । पत्र में० १३ । ले. काल - । अपूर्ण । वे. गं६२ । व भण्डार । ३२७२. छंदानुशासनवृत्ति-हेमचन्द्राचार्य । रथ सं० ८ । प्रा० १२४४६ च । भाषा-संस्कृत | विषय--छंदशास्त्र । २० काल ५ । ले. काल 1 पूर्ण । ३० सं० २२६ , । अ भण्डार । विशेष-अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है रस्त्याचार्य श्रीहेमचन्द्रविरचिते त्र्यावर्णनानाम अष्टमोऽध्याय ममाप्तः । समाप्तीयग्रन्थः । श्री ...." भुवनास्ति शिष्य प्रमुख श्री शानभूषण योग्यस्य ग्रन्थः निष्यन् । म • विनयमेगा । ३२:४३ छदाशतक-कीर्ति ( चंद्रकीचि के शिष्य ,। पत्र सं०] मा० १.३४४.। भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-छंदशास्त्र । १० काल । ले० काल XI पूर्ण । ० सं० १८८१ | अ भण्डार । ३२७५, छंदकोश-रत्नशेखर सूरि । पन सं० ३१ | प्रा० १०x४ इच। भाषा-संस्कृत । विषयछंदशास्त्र । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण | वे० सं० १६५ । भण्डार । Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ३१० ] छंद एवं अलङ्कार ३२७५. छंदकोश"....! पत्र सं० २ से २५ । प्रा० १०४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-छंद शास्त्र । र० काल - । ० काल X । अपूर्ण । वे म०६७ । च भण्डार | ३२७६. नंदितान्यछद"....! पत्र सं०७। प्रा &xx इस । भाषा--प्राकृत । विषय-छंद गास्त्री र० काल X| ले. काल X । ० सं० ४५७ । ब भण्डार । ३२७३. पिंगलछंदशास्त्र-माखनकवि । पत्र सं० ४६ । प्रा० १३४ इंच। भाषा-हिन्दी। विषय-छंदशास्त्र । र० काल सं० १८६३ । ले. काल ४ ! अपूर्ण । के. सं० ६४४ । न भाडार । विशेष--४६ से आगे पत्र नहीं हैं। आदिभाग यो गगोशायनमः प्रथ पिंगल | संवैया। मंगल श्री गुरुदेव गणेश विपान गुपाल गिरा सरसानी। वेदन के पद पंकज पावन माखन चंब विलास बखानी। कोविद द ईदनि को कल्पद्रुम का मधु का काम निधानी । सारद ईदु ममूष निसोतल सुन्दर संस सुधारस बानी ॥१॥ दोहा पिंगल सागर छंदमरिण वरण वरण बहुरङ्ग । रस उपमा अमेय तें सुंदर प्ररथ तरंत २ ताते रच्या विचार के नर बोनी नरहैत । उदाहरण बहु रमन के वरण सुमति समेत । ३ विमल घरण भूषन कसित, बानी हलित रसाल । सदा सुकवि गोपाल कौं, श्री गोपाल कृपाल 11४|| तिन सुत माखन नाम है, उक्ति युक्ति त हीन | एक समै गोपाल कवि, सासन हरियह दीन ।।५।। पिगल नाग विद्यारि मन, नारी बांनीहि प्रकास । प्रथा सुमति सौ कीजिये, माखन छंद विनास ॥६॥ दोहरागीत यह सुकवि श्री गोपाल को मुम भई सासन है जई। पद जुगल वंचन सुनिये उर सुमति बाढी है तये । पति निम्न पिंगल सिंधु मैं मनमीन ह्न करि संचिरयौ । मधि काति छंद बिलास माखन कविन सौ बिनती कस्यौ।। Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं अलङ्कार ] [ ३१ दोहा हे कवि जन सरवश हो मंति दोषन कर देह । भूमौ भ्रम तै हो वहां जहां सोथिं किन लेड्ड ।।६।। संवत वसु रस लोक पर नखतह सा तिथि मास ! सित पारण श्रुति दिन रच्यो माखन छंद विलास ॥६॥ पिंगल छेद में दोहा, चौबोला, छप्पय, भ्रमर दोहा, सोरठा पाचि कितने ही प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया है । जिस ईद का लक्षण लिखा गया है उसको उसी छंद में वर्णन किया गया है। अन्तिम पत्रमा नहीं है। ३२७८. पिंगलशास्त्र-नागराज । पत्र सं० १० । प्रा. १०x४३ च । भाषा-संस्कृत । विषयछंदशास्त्र । र० काल - I ले० काल x पूर्ण । वै० सं० ३२७ । ब भण्डार । ३२७६ पिंगलशास्त्र | पत्र सं० ३से २० । भा० १२४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-खंद शास्त्र । र० काल X ले. काल X| अपूर्ण । ० सं० ५६ । श्र भण्डार । ३२८ . पिंगलशास्त्र...."। पत्र सं० ४ । मा० १०६४४३ १४ । भाषा-मस्कृत । विषय-छंदशास्त्र | २. काल ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १९६२ । अ भण्डार । ३.८२. पिंगललंदशास्त्र (छन्द रत्नावली ) हरिरामदास । पत्र सं०७ | मा० १३४६ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-छन्द शास्त्र । २० काल सं० १७६५। ले० काल मं० १८२६ । पूर्ण | ३० म. १८६६ | : भण्डार विशेष संवतार नव मुनि यापीनभ नवमी गुरु मानि । डिवाना हद कूप तहि ग्रन्य जन्म-यल ज्यानि ।। इति श्री हरिरामदास निरञ्जनी कृत छद रत्नावली संपूर्ण । ३२८२ पिंगलप्रदीप-भट्ट लक्ष्मीनाथ । पत्र सं० ६८ 1 मा० EXY इच । भाषा-संस्कृत | विषयरस अन्लवार । र० काल X I ले. काल X । पूर्ण । वे सं०८१३ । अ भण्डार । २२८३. प्राकृतछंदकोष-रत्नशेखर । पत्र सं० ५। प्रा० १३४५३ च । भाषा-प्राकृन । विषयछंदशास्त्र २० काल । ले० काल X । पूर्ण | दे० सं० ११६ । अ भण्डार । ___३२८४. प्राकृतछंदकोष-श्रल्हू । पत्र मं० १३ | श्रा० ८४५ इंच | भाषा-प्राकृत । विषय-हेद शास्त्र । र० काल X । ले. काल सं० १९३.... पौष बुदौ ६ । पूर्ण । के० सं० ५२१ । क भण्डार । ३२२५. प्राकृतछंदकोश...| पव सं० ३ । मा० १.४५ च । भाषा-प्राकृत । विषय-मंदशास्त्र । र० काल X|ले. कात सं० १७६२ श्रावण सुदौ ११ । पूर्ण । ३० सं. १८६२ । म मण्डार । विशेष-प्रति जीर्ण एवं फटी हुई है। Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ बंद एवं अलङ्कार ६. नावपिंगलारम ०२ प्रा० ११४४३ इंच | भाषा - प्राकृत । विषयअंदशास्त्र | र० काल X | ले० काल X | पूर्ण । ० सं० २१४८ | अ भण्डार । ३२८७. भाषाभूषण —- जसवंतसिंह राठौड़ । पत्र सं० १६ । ० ६x६ इत्र । भाषा - हिन्दी । विषय- घलङ्कार 1 १० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण जीर्ण । वे० सं० ५७१ । क भण्डार | ३८. रघुनाथ विलास - रघुनाथ । पत्र सं० ३१ १ ० १०४ च । भाषा - हिन्दी | विषयरसालङ्कार | २० काल X 1 ले० काल X | पूर्ण वे० सं० ६६५ । च भण्डार । ३१२ ] विशेष – इसका दूसरा नाम रसतरङ्गिणी भी है । ३२८६. रत्नमंजूषा - काल x 1 ले० काल X 1 अपूर्ण । वे० सं० १६ | अ भण्डार | ३२६० रनमंजूषका २० काल x 1 से० काल X। पूर्ण । वे० सं० ४४ । व्ञ भण्डार | पत्र सं० । ० ११३४५३ इंच । भाषा-संस्कृत विषय - छंदशास्त्र | भण्डार । भण्डार 1 | पत्र सं० २७ । प्रा० १०३२५ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - छंदशास्त्र | मङ्गलावरण – ॐ पंचपरमेष्ठिम्यो नमो नमः | विशेष --- अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है इति रत्नमंजूषकायां छंदी विचित्यभाष्यतोऽष्टमोध्यायः । ३२६१. वाग्भट्टालङ्कार - वाग्भट्ट । पत्र सं० १६ । प्रा० १०३४३ अलङ्कार | १७ काल X | ले० काल सं० १६४९ कार्तिक सुत्रो ३१ पूर्ण । ० सं० २५ । थ भण्डार 1 विशेष—प्रशस्ति भाषा-संस्कृत विषय सं० १६४० वर्षे कार्तिकमासे शुक्लपक्षे तृतीया तिथी शुक्रवासरे लिखतं पांडे लुगा माहरोठमध्ये स्वान्ययोः पठनार्थं । ३२६२. प्रति सं० २ । पत्र सं० २६ । ले० काल सं० १९६४ फागुण सुदी ७ । ३० सं० ६५३ विशेष - लेखक प्रशस्ति कटी हुई है 1 कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हुए हैं । ३२६३. प्रति सं० ३ | पत्र सं० १६ | ले० काल सं० १६५६ ज्येष्ठ ख़ुदी । श्रे० सं० १७२ विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित है जो कि चारों श्रीर हासिये पर लिखी हुई है। इसके अतिरिक्त अ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ११६ ). कु भण्डार में एक प्रति ( ० सं०] ६७२ ), भण्डार में एक प्रति वे० सं० १३८ ), ज भण्डार में दो प्रतियां ( वे० सं० ६०, १४३ ), झ भण्डार में एक प्रति { ( ० सं० २१७ ), न भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १४६ ) और है । x x 3 Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३१३ छन एवं अलकार ] ३२६४. प्रति सं०४ । पत्र सं० ६ । ले. काल सं० १७०० कात्तिक बुदी ३ । ० सं० ४५ । । मण्डार। विशेष-ऋषि हंसा ने सादड़ी में प्रतिलिपि कराई थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ३० सं० १४६ ) और है । ३२६५. घाग्भट्टालङ्कारदीका वादिराज। पत्र सं० ४० 1 प्रा० ६३४५३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-अलङ्कार 1 र० काल सं० १७२६ कात्तिक बुदी 5 (दीपावली) । ले० काल सं० १८११ धावण सुदो ६ । पूर्ण ० सं० १५२। अभण्डार 1 विशेष-दीका का नाम कविचन्द्रिका है। प्रशस्ति निम्न प्रकार हैसंवत्सरे निधिद्गश्वशशांकयुक्त (१७२६) दीपोत्सवा दिवा सगुरौ सचित्रे । लग्नेऽलि नाम्नि व समीपगिरः प्रसादात् सद्वादिराजरचितामविचन्द्रकेयं ॥ धीराजसिंहनुपतिजयसिंह एव श्रीटांडाक्षकारूपनगरी भषहिल्य तुल्या । श्रीवादिराजविवुधोऽपर वाग्भटोयं श्रीसूत्रप्तिरिह नंदतु चावचन्द्रः ।। श्रीमद्भीममृपात्मजस्य बलिनः श्रोराजसिंहस्य मे मवायामवकाशमाप्य विहिता टीका शिशूनां हिता ! हीनाधिकवचोयदा लिखितं सदबुधैः सम्यतां गार्हस्थ्यबनिनाथ सेवनाधियासकः स्पष्ठतामाभूयात् ।। इति श्री वाग्भट्टालङ्कारटोकायां पोमराजयेष्ठिसूत वादिराजविरचितामां कविचंद्रिकायां पंचमः परिच्दा समाप्तः ! सं० १८११ श्रावण सुदी ६ गुरवासरे लिखतं महात्मौरूपनगरका हेमराज सवाई जयपुरमध्ये । सुभं भूयात् ॥ ३२९६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४८ । ले० काल सं० १८११ श्रावण सुदी ६ । वे सं. २५६ । अ भण्डार । ३२६७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ११६ । ले. काल सं० १६६० । वै० नं. ६५४ । क भण्डार । ३२. प्रति सं०४| पत्र सं | ले० काल सं०१७३१।० सं० ६५५ । क भण्डार । विशेष-तक्षकगढ में महाराजा मानसिंह के शासनकाल में ......... खण्डेलवालान्वये सौगाणी गौत्र दान सम्राट गयासुद्दीन से सम्मानित साह महिणा ...... शाह पोमा मृत वादिराज को भार्या लोहडी ने इस ग्रन्थ की प्रतिनिरि करवायी थी। ३२६६. प्रति सं५ । पत्र में० २.। लेकाल सं० १८६२ । वे. सं. ६५६ । क भण्डार । ३३००. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ५३ । ले: काल । ० सं० ६७३ । भण्डार । ३३०१. वाग्भट्टालङ्कार टीका".....! पत्र सं० १३ । मा० १०४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयमलङ्कार | र० काल ४ । स० काल X । पूर्ण ( पंचम परिच्छेद तक ) वे सं० २० । अ भण्डार । . विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४ ] [ छंद एवं अलार ३३०२. वृत्तरत्राकर-भट्ट केदार । पत्र सं० ११ । ग्रा० १०x४ इ'च | भाषा-संस्कृत । विषय-ट्रंदा शास्त्र | २ का X| लेकाल ४ ! पूर्ण ! वै० सं० १५२ । म भण्डार । ३३०३. प्रति सं० २ । पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १६८४ । ३० सं० ६८४ । ल भण्डार । विशेष-इनके अतिरिक्त अ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ६५०) ख भण्डार में एक प्रति (३० मं० २७५ ) ब भण्डार में दो प्रतियां (वे० सं० १७७, ३०६ ) और हैं। ३३०४. वृत्तरत्राकर-कालिदास | पर सं०६ । प्रा. १०४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-छंद शास्त्र । र० काल । ले० काल X । पूर्ण | वे सं० २७६ । ख भण्डार । ३३०५. वृत्तरत्नाकर""" 1 पत्र सं०७) मा० १२४५३ ईची भाषा-संस्कृत। विषय-वंदशास्त्र । र० कालले० काल XI पूर्ण । बे० सं० २०५। ज भण्डार । ३३०६. वृत्तरत्नाकरटीका-सुल्हण कवि । पत्र सं० ४० । मा० ११४६ इन 1 भाषा-संस्कृत । विषय-छेदशास्त्र | २० कारन ले० काल X1 पूर्ण । ० सं० ६६८ । के भण्डार | विशेष-सुकवि हृदय नामक टीका है । ३३०७. वृत्तरमाकरछंदटीका-समयसुन्दरगणि । पत्र सं० १ । मा. १.३४५६ इंच । भाषासंस्कृत । विषय-छंदशास्त्र । २० काल XI ले० काल X । पूर्ण : वे० सं० २२१६ । अ भण्डार | ३३०८. श्रतबोध-कालिदास । पत्र सं ६ । प्रा०x४ इंच । भाषा-संस्कृत ! विषय-छंदशास्त्र । र० काल । ले० कालX । पूर्ण । वे० सं० १५६१ । अ भण्डार। विशेष-प्रष्टगरण विचार तक है। ३३८६. प्रति सं०। पत्र मं. ४ | ले० काल सं० १८४६ फागुमग सुदी। वे० सं० ६२० । अ भण्डार। विशेष---पं. हालूराम के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ३३१०. प्रति सं०३ 1 पत्र सं० । ले: काल । ० सं० ६२६ । अ भण्डार । विशेष-जीवराज कृत टिप्पण सहित है। ३३११. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ७ । ले ७ काल सं० १८९५ थायम्प -बुदी १ । वे० सं० ७२५ । क भार। ३३१२. प्रति सं५ । पत्र सं० ५। ले. काल सं० १९०४ ज्येष्ठ मुदी ५ । वे० सं० २७॥ भण्डार। विशेष-पं. रामचंद ने झिलती नगर में प्रतिलिपि की थी। Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छंड़ एवं अलङ्कार ] ३३१३. प्रति सं०६। पत्र सं० ५। ल. काल सं० १७५९ चं नुदा १ : वे० २० १७८ । स अण्डार । विशेष-40 सुखानन्द के शिष्य नैनमूख ने प्रतिलिपि की थी। प्रति संस्कृत टीका सहित है। ३३१४. प्रति सं०७। पत्र सं० ४ । ले. काल X । . सं १८११ । ट भण्डार । विशेष प्राचार्य विमलकीति ने प्रतिलिपि कराई थी। इसके अतिरिक्त अ भण्डार में ३ प्रतियां (वे० सं० ६४८, १०७, ११६१ ) क, ड, च और ज भण्डार में एक एक प्रति (वै सं० ७०४, ७२६, ३४८, २८७ ) ब भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० १५६, १८७) और हैं। ३३१५. श्रुतबोध-पररुचि । पत्र सं० ४ । पा० ११३४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-छंदशास्त्र । र० काल X । लेस काल सं० १८५६ । वे० सं० २८३ । छ भण्डार । ___३३१६. श्रुतबोधटीका--मनोहरश्याम । पत्र सं० ८ 1 आ. ११३४५३ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-छंदशास्त्र । र० काल X1 ले. काल सं० १८९१ मासोज सुदी १२ । पूर्ण । वे० सं० ६४७ । क भण्डार । ३३१७. श्रुतबोधटीका पत्र सं० ३ 1 मा० ११३४५६ इश । भाषा-संस्कृत | विषय-शास्त्र । र काल X| ले० काल सं. १८२८ मंगसर बुदी ३ 1 पूर्ण । व० सं० ६४५ | अ भण्डार । ३३१८. प्रति सं०२। पत्र सं० ८ | ले. काल ४।० सं० ७.३ । क भण्डार । ३३१६, अतबोधचि-दुधकीर्ति । पत्र सं०७ । पा. १०३४ इन्च ! भाषा-संस्कृत | विषय'पणास्त्र । २० काल X ! ले. काल सं० १७१६ कार्तिक सुदी १४ ५ पूर्ण | वे मं० १६१ । ख भण्डार | विशेष—श्री ५ सुन्दरदास के प्रसाद मे मुनिसुख ने प्रतिलिपि की थी। ३३२८. प्रति सं० २। पत्र सं० २ से १६ । ले. काल सं० १६०१ माघ मुदी ६ । अपूर्ण । वे में. २३३ । छ भण्डार | Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-संगीत एवं नाटक -- ३३२१. अकलहनाटक-श्री मक्खनलाला पत्र सं० २३ । प्रा० १२४८ इश। भाषा-हिन्दी । विषय-नाटक | २० काल X| ले. काल X| अपूर्ण । वे० सं० १ । छ भण्डार । ३३२२. प्रति सं० २। पत्र सं० २४ । ले. काल सं० १९१३ कार्तिक सुदी ६ । वै० सं० १७२ । छ भण्डार। ३३२३. अभिज्ञान शाकुन्तल-कालिदास । पत्र सं० ७१ प्रा० १०४४ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-नाटक । २० काल X ! ले० काल X | अपूर्ण । वै० सं० ११७० । अ भण्डार । ३३२४. कर्पूरमारी-राजशेखर । पत्र सं० १२ । प्रा० १२३४४ च । भाषा-संस्कृत | विषयनाटक । र० काप्त X 1 ले. काल > . पूर्ण | वे सं० १८१३ 1 ट भण्डार । विशेष--प्रति प्राचीन है। मुनि ज्ञानकोसि नै प्रतिलिपि की थी | ग्रन्थ के दोनों ओर ८ पत्र तक संस्कृत में व्याख्या दी हुई है। ३३२५. मानसूर्योदयनाटक-वादिचन्द्रसूरि । पत्र सं० ६३ । प्रा० १०२४४३ इम। भाषासंस्कृत । विषय-नाटक । २० काल सं. १६४८ माष सुदी ८ | ले० काल सं• १६६८ । पूर्ण । वे. सं. १८। अ भण्डार। विशेष-मामेर में प्रतिलिपि हुई थी। ३३२६. प्रति सं०२ | पत्र सं० ६५। ले. काल सं० १९८७ माह सुदी ५। वे० सं० २३१ । के भण्डार। ३३२७. प्रति सं०३ : पत्र सं० ३७ । ले. काल सं० १८६४ आसीज बुदी ६ । वै० सं० २३२। को भण्डार। विशेष--कृष्णगढ निवासी महात्मा राधाकृष्ण ने जयनगर में प्रतिलिपि की थी तथा इसे संधी अमरचन्द वीवान के मन्दिर में विराजमान की। ३६२८. प्रति सं०४ । पत्र सं० ६६ । ले० काल सं० १९३५ सावरण बुदी ५ । वे० सं० २३० । क भण्डार। ३३२६. प्रति सं०५१ पत्र सं० ४३ 1 ले. काल सं० १७६० । ३० सं० १३४ | ब भण्डार । विशेष-भट्टारक जगत्कोत्ति के शिष्य थी शानकीत्ति ने प्रतिलिपि करके पं० दोदराज को भेंट स्वरूप दी इसके अतिरिक्त इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० १४७, ३३७ ) और है। Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाटक एवं सङ्गीत ] [ ३१७ ३३३०. ज्ञानसूर्योदयनाटक भाषा - पारसदास निगोत्या । पत्र सं० ४११ मा० १२४८ च । भाषा - हिन्दी | विषय - नाटक ३२० काल सं० १६१७ वैशाल बुदी ६ | ले० काल सं० १९१७ पौष ११ । पूर्ण | वे सं० २१६ । ङ भण्डार । भण्डार । ३३३१. प्रति सं० २ । पत्र ०७३ | ले० काल सं० १९३६ | ० ० ५६३ । च भण्डार । ३३३२. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ४८ से ११५ । ले० काल सं० १९३६ | अपूर्ण ० ० ३४४ । १३४७३ इन्च | भाषा भण्डार | ३३३३. ज्ञानसूर्योदय नाटक भाषा - भागचन्द्र । पत्र सं० ४१ । प्रा० हिन्दी | विषय-नाटक | र० काल X | ले० काल सं० १६३४ | पूर्ण । ० सं० ५६२ । ३३३४. ज्ञानसूर्योदयनाटक भाषा - भगवतीदास | पत्र सं०-४० आ० ११३४७३ इञ्च | भाषाहिन्दी | विषय-नाटक | र० काल ले० काल सं० १८७७ भादवा बुदी ७ । पूर्गों । दे० सं० २२० । भण्डार । ३३३५. ज्ञानसूर्योदयबाटक भाषा - बख्तावरलाल 1 पत्र सं० ८७ ॥ श्र० ११४५ इञ्च । भाषाहिन्दी | विषय-नाटक | २० काल सं० १८५४ ज्येष्ठ सुदी २ । ले० काल सं० १६२६ वैशाख ख़ुदी ८ | वे० सं० ५६४ | पूर्ण । च भण्डार | I विशेष— जौहरीलाल सिन्दूका ने प्रतिलिपि की थी । ३३३६. धर्म दशावतारनाटक पत्र सं० ६६ | श्र० ११३५३ भाषा-संस्कृत विषयसं० ११० | ज भण्डार | विशेष – पं० फतेहलालजी की प्रेरणा से जवाहरलाल पाटनी ने प्रतिलिपि को थी। इसका दूसरा नाम नाटक 1र० काल सं० १९३३ 1 ले० काल X वे० धर्मप्रदीप भी है । ३३३७. नलदमयंती नाटक ...... पत्र सं० ३ से २४१ ० ११४४३ इच। भाषा-संस्कृत | विषय - नाटक | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० १६६८ । भण्डार । ३३३८. प्रबोधचन्द्रिका - चैजल भूपति । पत्र सं० २६ । ० ६४३ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-नाटक | र० काल X। ले० काल सं० १६०७ भादवा बुदी ४ । पूर्ण | वे० सं० ८१४ | श्र भण्डार | ३३३६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १३ । ले० काल X | वे० सं० २१६ | झ भण्डार । ३३४०. भविष्यदत्त तिलकासुन्दरी नाटक - न्यामतसिंह पत्र सं० ४४ । प्रा० १३०१ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय-नाटक | र० काल X। ले० काल ४ । पूर्ण । वे० सं० १६७ । छ भण्डार | ३३४१. मदनपराजय — जिनदेवसूरि । पत्र सं० ३६ । प्रा० १०३४४३ श्च | भाषा-संस्कृत | विषय - नाटक | र० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । वे० सं० ८५५ । भण्डार । Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१८ ] । नाटक एवं सहो। विशेष-पत्र सं० २ से ७, २७, २८ नहीं हैं तथा ३६ से प्रागे के पत्र भी नहीं हैं। ३३४२. प्रति सं०२। पत्र सं० ४५. 1 ले० काल सं० १८२६ । वे० सं० ५६७ । क भण्डार । ३३४३. प्रति सं०३। पत्र सं०४१ । ले० काल | वे० सं० ५७८ । ऊ भण्डार। विशेष-प्रारम्भ के २५ पत्र नवीन लिखे गये हैं। ३३४४. प्रति सं०४। पत्र सं० ४६ | ले. काल x ० सं० १०० | छ भण्डार | ३३४५. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४८ । ले० काल सं० १९१६ । वे सं०६४ । म भण्डार । ३३४६. प्रति सं०६। पत्र सं० ३१ । लेक काल सं० १८३६ माह सुदी ६ । वे० सं० ४८ | अ भण्डार । विशेष-सवाई जयनगर में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में पं० चोखचन्द के सेवक पं० रामचन्द ने सवाईराम के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३३४७. प्रति सं०७१ पत्र सं०४० । ले० कानx० सं० २०१ । विशेष अग्रवाल ज्ञातीय मित्तल गोत्र वाले मे प्रतिलिपि कराई थी। ३३४८. मदनपराजय""| पत्र सं० ३ से २५ । प्रा० १०४४३ इ | भाषा-प्राकृत | विषय - नाटक | र० काल ४ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वे सं० १६६५ | अ भण्डार । ३३४८, प्रति सं० २१ पत्र सं० ७ । ले. काल - | अपूर्ण | वे. सं० १६६५। अ भण्डार । ३३५०, मदनपराजय-पं० स्वरूपचन्द । पत्र सं० १२ । प्रा० ११३४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-नाटक । र० काल सं० १९१८ मंगसिर सुदी ७ | ले० काल' X । पूर्ण । ३० सं० ५७२ । अः भण्डार। २३५१. रागमाला""पत्र सं० ६ । प्रा. ८३४५ इश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-सङ्गीत । २० काल X| ले. काल X| अपूर्ण 1 वे० सं० १३७६ । श्र भण्डार । ३३५२. रागरागनियों के नाम...| पत्र सं० । । प्रा० ८६x६ च। भाषा-हिन्दी । विषमसङ्गीत । २० काल XI ले. काल X पूर्ण । वे० सं० ३०७ । म भण्डार । Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-लोक-विज्ञान ३३५३. अढाईद्वीप वर्णन...। पत्र सं० १० । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषर-संस्कृत । विषम-सोक विज्ञान-जम्बूद्वीप, धातकीखण्ड, पुरकराद्ध दीप का वर्णन है । २. काल ४ । ले० काल सं० १८१५ । पूर्ण । ० से. ३ । ख भण्डार । ३३५४. ग्रहोंकी ऊंचाई एवं आयुवर्णन"....| पत्र सं. १ । प्रा. ८६x६३ । भाषा--हिन्दी मन । विषय-नक्षत्रों का वर्णन है । र० काल - । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २११० । अ भण्डार । ३३५५. चंद्रप्रजाति ......"। पत्र सं० ६२ | प्रा. १०२४४३ इश्च । भाषा-प्राकृत । विषय-चन्द्रमा सम्बन्धी वर्गकाल ले: कसा दुदी १२ । पूर्ण । वे० सं० १९५३ । विशेष-अन्तिम पुष्पिकाइति श्री चन्द्रपण्णत्तसी ( चन्द्रप्रज्ञप्ति ) संपूर्णा । लिखतं परिष करमचंद । ३३५६. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-नेमिचन्द्रचार्य । पत्र सं० १० । मा० १२४६ ईञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय -'जम्बूद्वीप सम्बन्धी वर्णन । र० काल x 1 लेन काल सं. १८६६ फाल्गुन मुदी २ । पूर्ण । वे० सं० १०० । च भण्डार। विदोष-मधुपुरी नगरी में प्रतिलिपि की गयी थी। ३३५७. तीनलोककथन ......! पत्र सं० ६३ । श्रा० १.६४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-लोक विज्ञान-तीनलोक वर्णन | र० काल । ले. काल । पूर्सा । ये सं० ३५० । म भण्डार । ३३५८, तीनलोकवर्णन..."। पत्र सं० १५४ । मा० १६४६ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य | विषयलोक विज्ञान-तीन लोक का वर्णन है। २० कालx | ले. काल सं० १९६१ सावरण मृदी २1 पूर्ण । ३० सं० १०. ज भण्डार । विशेष-गोपाल व्यास उनियावास बाले ने प्रतिलिपि की थी। प्रारम्भ में नेमिनाथ के दश भव का वसेन है। प्रारम्भ में लिखा है-हू द्वार देश में सवाई जयपुर नगर स्थित प्राचार्य शिरोमणि श्री यशोदानन्द स्वामी के शिष्य पं. सदासुख के शिष्य श्री ९० फतेहलाल की यह पुस्तक है। भादवा मुदी १० सं० १९११। ३३५६. तीनलोकचार्ट..."| पत्र सं० १ । आ० ५६ रथ । भाषा-हिन्दी | विषय- सोकविनाम । २० काल X । मे० काल X । पूर्ण । वे० सं० १३५ । छ भण्डार । Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२० ] [ लोक विज्ञान विशेष – त्रिलोकसार के आधार पर बनाया गया है । तीनलोक की जानकारी के लिए बड़ा उपयोगी है । ३३६०. त्रिलोकचित्र। प्रा० २०४३० इंच | भाषा - हिन्दी | विषय-लोकविज्ञान | २० बाल X 1 ले० काल सं० १५७५ पूर्ण । ० सं० ५३६ | भण्डार । विशेष – कपड़े पर तीमलोक का चित्र है । भण्डार ३३६१. त्रिलोकदीपक - यामदेव | पत्र सं० ७२ | श्रा० १६७२ । भाषा-संस्कृत विषयलोकविज्ञान । र० काल X | ले० काल सं० १८५२ आषाढ सुदी ५ | पूर्ण वे० सं० ५ । ज भण्डार । विशेष---ग्रन्थ स्त्रचित्र है | जम्बूद्वीप तथा विदेह क्षेत्र का चित्र सुन्दर है तथा उस पर बैल बूटे भी हैं। ३३६२. त्रिलोकसार - नेमिचंद्राचार्य । पत्र सं० १ ० १३५ इंच | भाषा प्राकृत | विषय - लोकविज्ञान २० काल X | ० का ० १६ मंगनिर बदी ११ । पूर्ण वे० सं० ४९ । विशेष-- पहिले पत्र पर ६ चित्र हैं । पहिले नेमिनाथ की मूर्ति का चित्र है जिसके बाईं ओर बलभव तथा दाई ओर श्रीकृष्ण हाथ जोड़े खड़े हैं। तीसरा चित्र माचार्य का है वे लकड़ी के सिंहासन पर बैठे हैं सामने लकड़ी के स्टैंड पर ग्रन्थ है आगे पिच्छी और कमण्डलु हैं। उनके आगे दो चित्र और हैं जिसमें एक चामुण्डराय का तथा दूसरा और किसी श्रोता का चित्र है। दोनों हाथ जोड़े गोडी गाले बैठे हैं। चित्र बहुत सुन्दर हैं। इसके अतिरिक्त और भी लोक-विज्ञान सम्बन्धी चित्र हैं। ३६३. प्रति सं० २ | पत्र सं० ४५० काल सं० १८६६ ४० बैशाख सुदी ११ । वे० सं० २०८ ॥ क भण्डार । भण्डार । भण्डार । ३३६४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २० काल सं० १८२६ श्रावण बुदी ५। ३० सं० २०३ । क ३३६५. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ७२ | ले० काल X | के० सं० २८६ १ क भण्डार । विशेष – प्रति सचित्र है । ३३६६. प्रति सं० ५ | पत्र सं० ६८ | ले० काल X | वे० सं० २६० | क भण्डार | विशेष—प्रति सचित्र है। कई पृष्ठों पर हाशिया में सुन्दर चित्राम है । ३३६७, प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६६ । ले० काल सं० १७३३ माह सुदी ५ ० सं० २०३१ विशेष – महाराजा रामसिंह के शासनकाल में बसवा में रामचन्द काला ने प्रतिलिपि करवायी थी । ३३६८. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ६६ । ले० काल सं० १५५३ | ० सं० १६४४ | ट भण्डार विशेष - कालज्ञान एवं ऋषिमंडल पूजा भी है। * . 1 Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ L लोक विज्ञान 1 [ ३२१ इनके प्रतिरिक्ता भण्डार में २ प्रतियाँ ( वे० सं० २६२, २३३, ) च भण्डार में २ प्रतियां ( ० मं० १४७, १४८ ) तथा ज भण्डार में एक प्रति ( वें० [सं० ४ ) और है 1 ३३६६. त्रिलोकसार दर्पणकथा - खङ्गसेन | पत्र सं० ३२ से २२० प्रा० ११४४३ इंच | भाषा१७१३ चैत सुदी ५ । ले० काल सं० १७५३ ज्येष्ठ सुत्री ११ । हिन्दी पश्च । विषय-लोक विज्ञान। ८० काल सं० अपूर्ण वे० सं० ३६० । श्र भण्डार | भण्डार । विशेष लेखक प्रशस्ति विस्तृत है । प्रारम्भ के ३१ पत्र नहीं है । ३३७० प्रति सं० २ पत्र सं० १३६ । ले० काल सं० १७३६ द्वि० क्षेत्र बुदी ४ | ० सं० १८२ झ विशेष - साह लोहट ने आत्म पठनार्थ प्रतिलिपि करवायी थी । ३३०१. त्रिलोकसारभाषा - पं० टोडरमल । पत्र [सं० २८६ | श्र० १४७ | भाषा - हिन्दी गद्य । विषय-लोक विज्ञान | र० काल सं० १८४१ | ले० काल x 1 पूर्ण | वे० सं० ३३६ | अ भण्डार | I ३३७२ प्रति सं० २ । पत्र सं० ४४ । ले० काल X | प्रपूर्ण वे० सं० ३७३ | अ भण्डार | ३३७३ प्रति सं० ३ | पत्र सं० २१५ | ले० काल सं० १८०४ ० ० ४३ | ग भण्डार | विशेष — जैतराम साह के पुत्र कालूराम साह ने सोनपाल भौसा से प्रतिलिपि कराकर चोरियों के मन्दिर में चढाया । ३३५४. प्रति सं० ४ | पत्र सं० १२५ | ले० काल X | ० सं० ३६ । व भण्डार | ३३७५ प्रति सं० ५ । पत्र सं० ३९४ | ले० काल स० १६६६ । ० सं० २०४ | क्र भण्डार । विशेष सेठ जवाहरलाल सुगनचन्द सोनी धजमेर वालों ने प्रतिलिपि करवायी थी। १३७६. त्रिलोकसारभाषा | पत्र सं० ४५२ । ० १२३ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय१९४७ | पूर्ण । ० ० २६२ । क भण्डार | । पत्र सं० १०८ | श्र० ११३७ इ | भाषा - हिन्दी | विषय लोक विज्ञान | २० काल X। ले० काल सं० ३३७७. त्रिलोकसारभाषा लोक विज्ञान । २० काल X | ले० काल X १ श्रपूर्ण । वें सं० २६१ । क भण्डार | विशेष -- भवनलोक वर्णन तक पूर्ण है। ३३७. त्रिलोकसारभाषा... " पत्र सं० १५० | श्र० १२४६ इव | भाषा - हिन्दी विषय-लोक विज्ञान | १० काल X | ले० काल X। भ्रपूर्ण वे० सं० ५८३ । च भण्डार । ३३७६. त्रिलोकसारभाषा ( वच्चनिका ) | पत्र सं० ३१० | मा० १०३७३ इव । भरक्षाहिन्दी गद्य | विषय - लोक विज्ञान | र० काल X | से० काल सं० १८६५ ० सं०८५ | भण्डार | Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२ । [ लोक विज्ञान ३३२०. त्रिलोक्सारवृत्ति-माधषचन्द्र विद्यदेव । पत्र सं० २४० । मा० १३४८ च | भाषासंस्कृत । विषय-लोक विज्ञान | र• काल X । ले. काल सं० १६४५ । पूर्ण । के सं० २८२ । क भण्डार । ३३८१. प्रति सं०२१ पत्र सं० १४२ । ले. काल XI ० संE | छ भण्डार । ३३८२. त्रिलोकसारवृत्ति... पत्र सं० १० । प्रा० १०x११३ च । भाषा-संस्कृत | विषय -लोक विज्ञान | २० काल X ।ले. काल X 1 अपूर्ण । ० सं० ८ | ज भण्डार | ३३८३. त्रिलोकसारवृत्ति..." | पत्र सं० ३७ । आ० १२१४५३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-लोक विज्ञान | र• काल | ले. काल X | अपूर्ण । ३० सं०१७ | ज भण्डार । ३३८४. त्रिलोकसारवृत्ति..."। पत्र सं० २५ । मा० १०४५६ इंच ] भाषा-संस्कृत | विषय-लोक विज्ञान । १० काल ४ ले० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० २०३३ । द भण्डार । ३३८५. घिलोकसारवृत्ति...."! पत्र सं. ६३ । पा० १३४६ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-लोक विज्ञान | र० काल ; : काल : पूर . है . नाकार विशेष-प्रत प्राचीन है। ३३८६. त्रिलोकमारसंदृष्टि-नेमिचन्द्राचार्य । पत्र सं० ६३ । भा० १३३४८ इंच | भाषा-प्राकृत । विषय-लोक विज्ञान | २० काल X । ले० काल X : पूर्ण । वे० सं० २८४ | क भण्डार । ३३-७. त्रिलोकघरूपव्याख्या-उदयलाल गंगवालाल । पत्र सं० ५० | प्रा. १३४७१ च | भाषा-हिन्दी गद्य | विषय-लोक विज्ञान । र काल सं० १९४४ । ले० काल सं० १९०४ । पूर्ण । के० सं० ६ । ज भण्डार। विशेष --- मु. पन्नालाल भौरीलाल एवं चिमनलालजी की प्रेरणा से ग्रन्थ रचना हुई थी। ३३८८. त्रिलोकवर्णन....! पत्र सं. ३६ । प्रा० १२४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-लोकविज्ञान रत काल X ।ले. काल सं. १८१० कार्तिक सुदी ३ । पूर्ण । ० सं० ७७ । ख भण्डार । विशेष-गाथायें नहीं है केवल बर्णनमात्र है। लोक के चित्र भी हैं। जम्बूद्वीप वर्णन तक पुर्ण है भगवानदास के पठनार्थ जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । ३३८६. त्रिलोकवर्णन..."। पत्र सं० १५ से ३७ । प्रा० १०६x४३ इच । भाषा-प्राकृत | विषयलोक विज्ञान | र० काल ४ | ले. काल x अपूर्ण 1 वे० सं० ७६ । ख भण्डार। विशेष—प्रति सचित्र है । १ से १४, १८, २१ २३ मे २६, २८ से ३४ तक पच नहीं है । पत्र सं० १५ ३६, तथा ३७ पर चित्र नहीं हैं । इसके अतिरिक्त तीन पत्र सचित्र भौर हैं जिनमें से एक में नरक का, दूसरे में चंद्र, सूर्यचक कुण्डलद्वीप और तीसरे में भौंरा, मछली, कनखजूरा के चित्र हैं । चित्र सुन्दर एवं दर्शनीय हैं । Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोक विज्ञान [ ३३३ ३३६०. त्रिलोकवर्णन ... ! एक हो लम्बे पत्र पर 1 ले काल ४ ! ० सं० ७५ । स्व भण्डार । विशेष—सिद्धशिला से स्वर्ग के विमल पटल तक ६३ पटलों का सवित्र वर्णन है । चित्र १४ फुट ८ ईर लम्बे तथा ४ च चौड़े पत्र पर दिये हैं । कहीं कहीं पीछे कपड़ा भी चिपका हमा है । मध्यलोक का चित्र १४१ फूट है। चित्र सभी बिन्दुओं से बने हैं। नरक वर्णन नहीं है। ३३६१. प्रति सं०२१ पत्र सं. २ से १० ।ले. बाल X । मपूर्ण । वै० सं० ५२७ । न भण्डार। ३३६२. त्रिलोकवर्णन......| पत्र सं० ५ । प्रा० १७४१५३ च । भाषा-प्राक्त, संस्कृत | विषयलोक विज्ञान । र० काल X । ले० काल । पूर्ण । वे० सं० 1 ज भण्डार ।। ३३६३. त्रैलोक्यसारटीका-सहस्रकीति । पत्र सं० ७६ I HI० १२४५३ इंच । भाषा-प्राकृत, संगमः । विषय- काल: । पूर्ण । वे० सं० २८६ । ॐ भण्डार । ३३६४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५४ । ले. काल X । २० सं० २८७ । भण्डार । ३३६५. भूगोलनिर्माण..."। पत्र सं० ३ । प्रा० १०४१ च । भाषा-हिन्दी 1 विषय-लोक विज्ञान | र• काल X । ले० काल सं० १५७१ । पूर्ण । ० सं० ८६८ | अ भण्डार । विशेष—पं० हर्षागम गरिंग वाचनार्थं लिखितं कोरटा नगरे सं० १५७१ वर्षे | जेनेतर भूगोल है जिसमें सतयुग, द्वापर एवं त्रेता में होने वाले मवतारों का तथा जम्बूद्वीप का वर्णन है। ३३६६. संघपणटपत्र" | पत्र सं०६ से ४१ । प्रा०६३-४ इंच। भाषा-प्राक्त । विषय-लोक विज्ञान । र काल x | ले काल x | अपूर्ण । वै० सं० २०३ । ख भण्डार । विशेष-- संस्कृत में ठन्या टीका दी हुई है। १ से ५, १४, १५ ॥ २० से २२, २६ । २८ से ३०, ३२, ३५, ३६ तथा ४१ से आगे (त्र नहीं हैं। ३३६७. सिद्धांत त्रिलोकदीपक-वामदेव । पत्र सं० ६४ । प्रा० १३४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-लोक विज्ञान । र० काल XIले. काल पूर्ण । वै० सं० ३११ । म भण्डार । Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय- समाषित एवं नीतिशास्त्र ३३६८. अलमन्दवा....! पल सं० २०१ मा १२४ च । भाषा-हिन्दो । विषय-सुभाषित । २० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण | वे० सं० ११ । क भण्डार । ३३६६. प्रति सं०२। पत्र सं० २० । ले० काल X । वे० सं० १२ । क भण्डार | ३४००. उपदेशछत्तीसी-जिनहर्ष : पत्र सं० ५। प्रा० १०४ च । भाषा-हिन्दी : विषयसुभाषित । र० काल X 1 ले. काल सं० १८३९ । पूर्ण । ० सं० ४२८ । अ भण्डार । विपोष प्रारम्भ-श्री सर्वशेम्यो नमः । प्रष श्री जिनहरण और चितामांम्पदेश छत्रीसी कामहमेव लख्यते स्यात् । जिनस्तुति सकल रूप यामे प्रभुता अनूप भूप, धूप छाया माहे है न जगचीश छु । पुण्य हि न पाप हे नसित हे न ताप हे, आप के प्रताप कटे करम प्रतिसयु।। कान को अंगज पुंज सूख्य वृक्ष के निकुंज, अतिसय चौतिस फुति वदन ये तिसयु । असे जिनराज जिनहर्ष प्ररपमि उपदेश, की छतिसी कही सवइ एसतीसयु ॥१॥ परे भिड़ काथिलीउ साह परी अमार सीते, तो प्रतीगति करी जो रसी उठानि है। तु तो नहीं चेतता हे जाणे हे रहेगी युद्ध, मेरी २ कर रह्यो उमि रति मानी हे। ज्ञान की नीजीर बोल देख न कहे, तेरी मोह दारू मे भयो वकारणौ प्रज्ञानी है। कहे जीनहर्षे ठरु तन सगैगी बार, कागद की गुही कौल रहे जी हा पायो । अधिरत्व कथन Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] अन्तिम धर्म परीक्षा कथन सर्वेया संवत् १८३६ धरम धरम कहै मरम न कोउ लहे, भरम में भूलि रहे कुल रूढ कीजीये | कुल रूट छोरे के भरम फंद तोरि के, सुमति गति फोरि कौ सुज्ञान दृष्टि दीजीये || दया रूप सोइ धर्म धर्म ते कटे है मर्म, भेद जिन धरम पीयूष रस पीजीये । करि के परीक्ष्या जिनहरण धरम कीजीयें, कसि के कसोटी जैसे चरण के लीजीये ।। ३५ ।। अथ ग्रंथ समाप्त कथन सवैया इकतीसा उपदेस की छतोसी परिपूर्ण चतुर नर है जे माको भव्य रस पीजीये । मेरी है प्रलपति तो भी मैं कीए कवित, कविताह सौ हो जिन ग्रन्थ मान लीजी पै ॥ सरस है है बखाएप जौऊ प्रवसर जाए, दोइ तीन या भैया सर्वेयर कहीजीयो । कहै जिनहरष संवत गुण सिसि भक्ष कीनी, जु सुगा के सरवास मोकु दीजीयो ||३६|| इति श्री उपदेश छतीसी संपूर्ण । गवड पुछेरे गडि था, कवरण भले रौ देश । संपत हुए तो घर भलो नहीतर भलो विदेश ॥ सूरवलि तो सुहांमरणी, कर मोहि गंग प्रवाह मांडल तो प्रगणे पांरणी प्रथम प्रमाह ॥ २ ॥ | ३२५ I ३४०१. उपदेश शतक - धानतराय । पत्र सं ० १४ | ० १२३४७३ इंच भाषा - हिन्दी | विषयसुभाषित । २० कोल X | ले० काल X 1 पू । वे० सं० ५२६ । च भण्डार । ३४०२. कपूरप्रकरण पत्र सं० २४ । प्रा० १०x४ इंच । भाषा-संस्कृत विषय - सुभाषित | ५० काल X | ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० १८६३ । Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६ ] [ सुभाषित एवं नीतिशस्त्रा विशेष-१७६ पद्य हैं । अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है श्री वनसेनस्य गुरोस्त्रिषष्टि सार प्रबंधस्फुट सदगुणस्य । शिष्येण चक्र हरिणय मिष्टा सूत्सावली नेमिचरित्र का ॥१७६।। इति क राभिध सुभाषित कोशः समाप्ताः ।। ३४०३. प्रति सं० २१ पत्र सं० २० । ले० काल सं० १९४७ ज्येष्ठ सुदी ५ । ३० गं० १०३। क महार। ३४०४. प्रति सं०३। पत्र सं० १२। ले. काल सं० १७७६ श्रावण ४ । ३० सं० २७६ । ज भण्डार। विशेष-भूधरदास ने प्रतिलिपि की थी। ३४७५. कामन्दकीय नीतिसार भाषा''। पत्र सं० २ से १७ । प्रा० १२४५ इन | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-तीति । २० काल ४ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० २८० | मा भण्डार । २४०६. प्रति सं०२। पत्र सं० ३ से १ । ले. काल X| अपूर्ण । वै० सं० २०८ | अ भण्डार । ३४०७. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३ से ६८ । ले० काल । अपूर्ण । वे० सं०६ । श्र भण्डार । ३४०६. चाणक्यनीति-चाणक्य । पत्र सं० ११ । प्रा० १०४ च । भाषा-संस्कृत | विषयनीतिशास्त्र । र काल X| ल० काल सं० १८६६ मंगसिर बुदी १४ । पूर्ण । ० सं० ८११ । अ भाहार । इसी भण्डार में ५ प्रतियां ( ० सं० ६३०, ६६१, ११००, १६५४, १९४५ ) और हैं । २४०६. प्रति सं० २१ पत्र सं० १० १ ले० काल सं० १८४६ पौर नदी ६ । वे० सं० ७० । ग भण्डार। इसी भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० ७१ ) और है | ३४१०. प्रति सं०३१ पत्र सं० ३४ । ले. काल x 1 अपूर्ण । ० सं० १७५ । छ भण्डार । इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० ३७, ६५७) और हैं। ३४११. प्रति सं०४। पत्र सं० ६ से १३ । ले. काल सं० १८५५ मंगसिर बुधी 5 । अर्गा । सं०१३ | च भण्डार | इसी भण्डार में १ प्रति ( ० सं०६४) और है। ३४१२. प्रति सं०५ | पत्र सं० १३ । ले. काल सं.१८७४ ज्येष्ठ बुदी ११। वे०सं० २४६15 भण्डार। Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] [ ३२७ इसी भण्डार में ३ प्रतियों ( वे० सं० १३८, २४८, २५.० ) और हैं। ३४१३. चाणक्यनीतिसार-मूनकर्ता-चाणक्य । संग्रहकर्ता-मथुरेश भट्टाचार्य । पत्र सं०७ । या० १०४४६ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-नीतिशास्त्र । र० काल x | ले० काल - । पूर्ण । वे० सं० ८१० । अ भण्डार। ३४१४. चाणक्यनीतिभाषा | पत्र सं० २० । पा० १०४६ इछ । भाषा--हिन्दी । विषय-नीति शास्त्र । २० काल xiले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १५१६ । द भण्डार | विशेष--६ अध्याय तक पूर्ण है। ७३ अध्याय के २ पद्म हैं। दोहा और कुपडलियों का अधिक प्रयोग हुआ है । ३४१५. छंदशतक-वृन्दावनदास 1 पत्र सं० २६ । श्रा० ११४५ च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयसुभाषित । १० काल सं० १८१८ माघ गुदी २ । ले० काल सं० १६४० मंगसिर सुदी ६ । पूर्ण । ३० सं० १७८ । क भण्डार। ३४१६. प्रति सं०२। पत्र सं०१२ ले. काल सं० १९३७ फागुण सुदी! वे० सं० १८१1 क भण्डार | विशेष-इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे सं० १७६, १०० ) और हैं । ३४१५. जैनशतक-भूधरदास । पत्र सं० १७ । प्रा० ६x४६व । भाषा-हिन्दी । विषय-सुभाषित । र० काल सं० १७६१ पौष सुदी १२ । ले० काल पूर्ण । ० सं० १००५ । श्र भण्डार । ३४१८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११ । ले. काल सं० १६७७ फागुन सुदो ५ । वै० सं० २१६ । क भण्डार। ३४१६. प्रति सं०३ पत्र सं०११ । ले. कालx1वे.सं. २१७ । ह भण्डार । विकोप-प्रति नोले कागजों पर है। इसो भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०२१६) और है। ३४२०. प्रति सं०४। पत्र सं० २२ । ले. काल XI वे० सं० ५६० । च भण्डार । ३४२१. प्रति सं०५ । पथ सं० २२ । ले. काल सं० १८८६ । वे० सं० १५८ । झ भण्डार । विशेष--इसी भन्डार में एक मति ( वे० सं० २८४ ) और है जिसमें कर्म खतीसी पाठ भी है। ३४२२. प्रति सं६। पत्र सं. २३ । ले० काल सं०१८८१।०सं० १९४० । भण्डार। विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १६५१) और है। ३४२३. ढालगण..."पत्र सं० प्रा० १२४७५ इंश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-सुभाषित । र. ले. काल x पूर्ण । वे० सं० २३५ । क भण्डार । काल Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२८ ] [ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ३४२४. तत्त्वधर्मामृत""""। पत्र सं० ३३ | मा० ११४५ इच। भाषा-संस्कृत | विषय-सुभाषित ! र० काल x ! ले. काल सं० १६३६ ज्येष्ठ सुदी १० । पूर्ण | वे० सं० ४६ | अ भण्डार । विशेष- लेखक प्रशस्ति संवत् १६३६ वर्षे ज्येष्टमासे शुक्लपक्षे दशम्यांतिथौ बुधवासरे चित्रानक्षत्र परिघयोगे पत्रा दिवसे । प्रादीश्वर चैत्यालये । चंपावतिनामनगरे धीमूलसंघे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्रीकुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टा पानन्दिदेवास्तत्पट्ट भ० श्री शुभचन्द्रदेवास्तत्प? भ. श्री जिन चन्द्रदेवास्तपट्ट भ० श्री प्रभाचन्ददेवास्तत्पट्ट मंडलाचार्य श्री धर्म (चं) द्र देवास्तत्पट्ट मंडलाचार्य श्री ललितकीत्ति देवास्तत्पट्ट मंडलाचार्य श्री चन्दकीत्ति देवास्तदाम्नाये खंडेलवालान्धये भसावल्या गोत्र साह हरजाज भार्या पुत्र द्विय प्रथम समतु द्वितिक पुत्र मेवराज । साह समतु भार्या समतादे तत्र पुत्र लक्षिमीIt . ह मेघराज तय ग प ना लाटगदे द्वितीक..."""| अपूर्ण । ३४२५. प्रति सं० २। पत्र सं० ३० । ले० काल X । अपूर्ण | वे० सं० २१४५ : ट भण्डार । विशेष-३. से प्रागे पत्र नहीं हैं। प्रारम्भ शुद्धात्मरूपमापन्न प्ररिगपत्यं गुरो गुसं | तत्वधर्मामृतं नाम वक्ष्ये संदोपतः ।। धर्म श्रुते पापमुपैति नामं धर्म श्रुते पुण्य मुपैति वृद्धिः । स्वर्गापवर्ग प्रवरोर सौख्यं, धर्मे श्रुते रेव न चात्यतोस्ति ।।२।। ३४२६. दशबोल...."| पत्र सं० २ । प्रा० १०४६३ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-सुभाषित । र० काल ४ लेकाल ४ ! अपूर्ण । वे० सं० १९४७ । र भण्डार । ३४२७, दृष्टांतशतक "। पत्र सं० १७ । प्रा०६३४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । २७ काल XI ले. काल XI पूर्ण । ३० सं० ८५६ । अ भण्डार | विशेष-हिन्दी अर्थ दिया है। पत्र १५ से आगे ६३ फुटकर श्लोकों का संग्रह और है। ३४२८. मानवविलास-द्यानतराय 1 पत्र सं० २ से १३ | आ.६x४ इंच 1 भाषा-हिन्दी । विषयर भाषित | र० काल X । ले. काल X । अपूर्ण | वे० सं० ३४४ । छ भण्डार । ३४२६. धर्मविलास-यानतराय । पत्र सं• २३४ 1 प्रा० ११३४७३ इच । भाषा-हिन्दी । विषयसुभाषित । र० काल X । ले० काल सं० १९५८ फागुण बुदी १ । पूर्ण 1 वे० सं० ३४२ । क भण्डार । ३४३०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १३६ । ले • काल सं० १३८१ पासोज बुदी २ । ३० सं० ४५ । ग भण्डार। विशेष-जैतरामजी साह के पुत्र शिवलालजी ने नेमिनाथ चैत्यालय चौधरियों का मन्दिर) के लिए चिम्मनलाल तेरापंथो से दौसा में प्रतिलिपि करवायी थी। Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] [ ३२६ ३४३१. प्रति सं० ३ | पत्र सं० २६१ ० ० १६१६ ०० ३३९ क भण्डार । विशेष- तीन प्रकार की लिपि है। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २४० ) धौर है। ३४३२ प्रति सं० ४ ३४३३. प्रति सं० ५ ३४३४. नवरा (कवित्त २० काल X १ ले काल x । पूर्ण । वे० सं० १३८८ | अ भण्डार | अपूर्ण है। ३४३५. प्रति सं० २१ पत्र सं० १ । ले० काल X ० सं० १७५ । च मण्डार । ३४३६. प्रति सं० ३ पत्र सं० ५ ० काल सं० १९३४ ३० सं० १०६ च भण्डार विशेष-पंचरत्न और है। श्री विरधीचंद पाटोदी ने प्रतिनिधि की थी। ३४३७, नीतिसारपत्र सं० ६ ० १०३४५ २५ भाषा-संस्कृत विषय-नीि २० काल X 1 ले० काल X ० सं० १०१ । भण्डार ३४३८. नीतिसार-इन्द्रनन्दि पण ० नार १० काल X वे० काल X पूर्ण ० ० ८९ भण्डार । प [सं०] १६४ से० काल X वे० [सं० ५१ झ भण्डार पत्र सं० २७ ते० काल सं० १९८४ ० मं० १९९३ ट भण्डार पत्र सं० २०८४ भाषा-संस्कृत विषय गुभाविन ० १९४१ ६ भाषा-संस्कृत विषय-मांति अ भण्डार विशेष – पत्र ६ से भद्रबाहु कृत क्रियासार दिया हुआ है । अन्तिम वें पत्र पर दर्शनसार है किन्तु ३४३६. प्रति सं० २ प ० १० ते० काल सं० १९३७ दादरी ४०० ३०६ क इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ३४४० प्रति सं० ३ २५१ । भण्डार । ― ० सं० २०६ ० २ से ६ ४०० ) और हैं। ले० काल सं० १६२२ भादवा सुदी ५ पूर्ण बै० मं० ३४४१. प्रति सं० ४ ३४४२. प्रति सं० ५ पत्र [सं० ५ विशेष भलायनगर में मानाय नेस्यालय में गोद नदास ने प्रतिनिधि की थी। पत्र ० ६ ने० काम X ३० सं० १२६ । ज भण्डार | से० काल सं० २७०४ १० सं० १७६ ३४४३. भीतिशतक - भर्तृहरि पत्र [सं० २ ० १०३४५३ १० काल X पूर्णा । वे० ० ३७६ भण्डार ३४४४. प्रति सं० २ प ० २९ ० का ० सं० १४२ । ब भण्डार । भण्डार । भाषा-संस्कृत विषय Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ३३० ] [ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ३४४५. नीतिवाक्यामृत - सोमदेव सूरि । पसं० ५५ । मा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-नीतिशास्त्र । र० काल XI ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ३८४ । क भण्डार । ३४४६. नीतिविनोद""""। पत्र सं० ४ | पा. ६x४३ च । भाषा-हिन्दी | विषय-नीतिशास्त्र । र० काल X| ले. काल सं० १९१८ । वे० सं० ३३५ । म भण्डार । विशेष-मन्नालाल पांड्या ने संग्रह करवाया था। ३४४७. नीलसूक्त । पत्र सं० ११ १ मा० १३४४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-मुभाषित । र० काल X । ले० काल X पूर्ण । वे० सं० २२८ । ज भण्डार । ३४४८. नौशेरवां बादशाह की दस ताज । पत्र सं० ५। प्रा० ४३४६ च । भाषा-हिन्दी। विषयउपदेश । र० काल XI ले० काल सं० १६४६ बैशाख सुदी १४ । पूर्ण । वै० सं० ४० ! म भण्डार । विशेष-गणेशलाल पांड्या ने प्रतिलिपि की थी। ३४४६. पञ्चतन्त्र--पं० विष्णु शर्मा । पत्र सं१ ६४ । आ० १२४५२ च । भाषा-संस्कृत | विषयनाति । र० काल ले. काल x अपूर्ण । वे० सं०१८ | श्र भण्डार | इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ६३७ ) मोर है । ३४५०. प्रति सं०२। पत्र सं० ८६ । ले. काल x ० सं० १०१। ख भण्डार । विशेष-प्रति प्राचीन है। ३४५१. प्रति सं०३ । पत्र सं० ५४ से १६ । ले. काल सं० १८३२ चैत्र सुदी २ । अपूर्ण । वे० सं० १९४ । च भण्डार । विशेष—पूर्णचन्द्र सूरि द्वारा संशोधित, पुरोहित भागीरथ पल्लीवाल ब्राह्मण ने सयाई जयनगर (जयपुर) में पृथ्वीसिंहजी के शासनकाल में प्रतिलिपि की थी । इस प्रति का जीर्णोद्धार सं० १८५५ फागुण बुदी ३ में हुआ था। ३४५२, प्रति सं०४। पत्र सं० २५७। ले. काल सं० १८६७ पौष बुदी ४।०सं०६११ । च भण्डार। विशेष प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। प्रारम्भ में संगही दीवान अमरचंदजी के पाग्रह से नयनसुख व्यास के शिष्य भारिणशक्यचन्द्र ने पञ्चतन्त्र की हिन्दी टीका लिखी। ३४५३. पञ्चतन्त्रभाषा"""| पत्र सं०२२ से १४३ | प्रा. ६४७१ इंच | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-नीति । र० काल ४ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १५७८ 1 2 भण्डार । विशेष-विष्णु शर्मा के संस्कृत पञ्चतन्त्र का हिन्दी अनुवाद है। ३४५४. पांचबोलपत्र सं०६पा. १०४४ इच। भाषा-गुजराती । विषय-उपदेश । र. काल XI ले. काल x 1 पूर्ण । वे० सं० १९६६ । र भण्डार । Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] [ ३३१ ३४५५. पैंसठबोल" | पत्र सं० १ प्रा. १०४४३ इच। भाषा-हिन्दी। विषय-उपदेश । २० काल x | ले० काल X । पूर्ण । ० सं० २१७६ । अ भण्डार । विदोष-अथ बोल ६५ [१] अरब लोभी [२] निरदई मनस्त्र होसी [३] विसवासघाती मंत्री [४] पुत्र सुत्रा भरना लोमा [५] नीचा पेषा भाई बंधव [६] असतार प्रजा [७] विद्यावत दलद्री [८] पाखण्डी शास्त्र बांय [६] जती क्रोधी होइ [१०] प्रजाहीण नगग्रही F११] वेद रोगी होसी [१२] हीण जाति कला होसी [१३] सुधारक छल छद्र होसी [१४] मुभट कायर होसी [१५] खिसा काया कलेस धातु करसी दुष्ट बलबंत सुत्र सो [१६] जोबनदंतजरा [१७] अकाल मृत्यु होसी [१८] पुद्रा जीव घणा [१६] अंगहीण मनुल होसी [२०] प्रलप मेष [२१] उस्ल सात बीली ही ? [२२] बचन चूक मनुष होसी [२३] विसवासघाती छत्री होसी [२४] संथा...[२५] ........."[२६] .......... [२७]....... [२८] .......... [२९] अणकीघा न कोधो कहसी [३०] अापको कोधो दोष पैला का लगावसी [३१] मसुद साष भरणसी [३२] कुटल दया पालसी [३३] भेष धाराबैरागी होसी [३४] अहंकार ?ष मुरख पणा [३५] मुरजादा लोप गऊ माह्मण [३६] माता पिता गुरुदेव मान नहीं [३५] दुरजन मु सनेह होसी [३८] सजन उपरा विरोध होसी [३६] पैला की निंद्या धणी करेसी [४०] कुसवंता नार लहोसी [४१] बेसां भगतरण लज्या करसो [४२] अफल वर्षा होसी [४३] बाण्या की जात कुटिल होसी [४४] कवारी चपल होसी [४५] उत्तम परकी स्त्री नीच सु होसी [१६] नीच घरका रूपवंत होसी [७] मुंहमांग्या मेघ नहीं होसी [४८] धरतो में मेह थोड़ो होसी [४] मनश्यां में नेह योड़ो होसी [५०] विना देण्या दुपली करसी [५१] जाको सरणों लेसी तासू' ही द्वेष करी खोटी करसो [५२] गज हीणा चाजा होसासी [५३] न्याइ कहां हान क लेसी [५४] प्रवंबसा राजा ही [५५] रोग सोग घणा होसी [५६] रतबा प्राप्त होसी [५७] नीच जात श्रद्धान होसी [५८] राइजोग वणा होसी [५] अस्त्री कलेस गराकरण [६०] मस्त्री सील हीरण वणो होसी [६१] सीलवंती विरली होसी [६२] विष विकार घनो रगत होसी [६३] संसार बलावाता ते दुखी जारण जोसी। ॥ इति श्री पचायण मोल संपूरण । ३४५६. प्रश्रोधसार-यशःकोति । पत्र सं० २३ । मा० ११४४६ च । भाषा-संस्कृत। विषयसुभाषित | २० काल - I ले. काल XI पूर्ण । ० सं० १७५ । म भण्डार । विशेष-संस्कृत में मूल अपभ्रश का उल्था है। ३४५७. प्रति सं०२ । पत्र सं०१४ाले. काल सं. १६५७ । वे० सं. ४६५ भण्डार। Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३२ ] [ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ३४५८. प्रश्नोत्तर रत्नमाला--तुलसीदास । पत्र सं० २। प्रा०६:४३३ इच। भाषा-गुजराती। विषय-सुभाषित । र. काल XI ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० १९७० । ट भण्डार । ३५५६. प्रश्नोत्तररत्नमालिका-अमोघवर्ष । एत्र सं० २ । प्रा० ११४४, बच । भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । र कालxले. काल पूर्ण । वै० सं० २०७। अभण्डार । ३४६०. प्रति सं०२१ पत्र मं०२१ले. काल सं. १६७१ मंगसिर सुदी ५1 वेमं० ५१६ । क भण्डार । ३४११. प्रति सं०३। पर सं० २१ ले० काल ४।० सं० १०१1छ भण्डार । ३४६२. प्रति सं०४। पत्र सं०३। ले० कालx1.सं. १७६२।ट भण्डार । ३४६३. प्रस्तावित श्लोक...| पत्र सं० ३६ । प्रा० ११x६१ च । भाषा-मम्वृत्त । विषयसुभाषित । २० काल X I ले. काल पूर्ण । वे० सं० ५१४ । क भण्डार । विदोष---हिन्दी अर्थ सहित है । विभिन्न ग्रन्थों में से उत्तम पद्यों का संग्रह है। ३४६४. बारहखड़ी""सूरत । पत्र सं०७ । प्रा० Ex६ इंच । भाषा-हिन्दी। विषय-सुभाषित । २० काल X ! ले० काल X । पूर्ण । ० सं० २५६ । म भण्डार | ३४६५, बारहखड़ी ......! पत्र सं० २० । प्रा. ५४४ इंच । भाषा-हिन्दी। विषय-सुभाषित । र, काल X मे० काल X । पूर्ण । बे० सं० २५६ । म भण्डार । ३४६६. बारहखड़ी-पार्षवास । पत्र सं० ५। प्रा. ९x४ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पुभाषित्त । र० काल सं० १८९६ पौष वुवी है । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० २४० । ३४६७. बुधजनविलास-बुधजन । पत्र सं. ६४1 प्रा. ११४५ च । भाषा-हिन्दी । विषयसंग्रह | र• काल सं० १५६१ कात्तिक सुदी २१ ले. काल x 1 पूर्ण । ० सं०८७ । म भण्डार ! ३४६८. बुधजन सतसई-बुधजन । पत्र सं० ४६ प्रा. Ex५६ इंच । भाषा-हिन्दी । विषयसुभाषित । २० काल सं० १८७६ ज्येष्ठ बुदी ८ । ले. काल सं० १९८० माघ बुदो २ । पूर्ण । वे० सं० ४४४ । म भण्डार । विशेष-७०० दोहों का संग्रह है। ३४६६. प्रति सं. २ | पत्र सं० २५ । लेक काल X ! दै० सं०७६४ । अ भण्डार । इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे सं• ६५४, ६८४ ) और हैं। ३४७०. प्रति सं३ । पत्र ० ८ । ले. काल । अपूर्ण । ० सं० ५३४ । अ भण्डार | Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] भण्डार ३४७१. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १० १ ० काल X | वे० सं० ७२६ । च भण्डार । इसी भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० ७४६ ) और है । ३४७२ प्रति सं० ५३ पत्र सं० ७३ | ले० काल सं० १९५४ श्रीपाठ सुदी १० | वे० सं० १६४० | ट इसी भण्डार में एक प्रति ( ० ० १६३२ ) और है । ३४७३. बुधजन सतसई - बुधजन । पत्र सं ० ३०३ | ले० काल X | ० ० ५३५ | के भण्डार | विशेष- इसी भण्डार में १ प्रति ( ० सं० ५३६ ) और है । हिन्दी अर्थ सहित है । ३४७४. ब्रह्मविलास - भैया भगवतीदास | पत्र सं० २१३ । मा० १३४५ इ'च । भाषा - हिन्दी । विषय - सुभाषित | ८० काल सं० १७५५ बैशाख सुदी ३ । ले० काल x | पूर्ण । ० सं ० ५३७ । के भण्डार | विशेष कवि की ६७ रचनाओं का संग्रह है । ३४७५. प्रति सं० २ । पत्र सं० २३२ | ले० काल X | वे० सं० ५३६ । क भण्डार | विशेष - प्रति सुन्दर है । चौकोर लाइनें सुनहरी रंग की हैं। प्रति गुटके के रूप में है तथा प्रदर्शनों में रखने योग्य है । [ ३३३ रस भर में एक और है। ३४७६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १२० | ले० काल X | ० ० ५३८ | क भण्डार | २३४७७. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १३७ | ले० काल सं० १८५७ । २० सं० १२७ । ख भण्डार । विशेष ---- माधोराजपुरा में महात्मा जयदेव जोबनेर वाले ने प्रतिलिपि की थी। मिती माह मुदा ६० १८८६ में गोबिन्दराम साहबडा ( छाबड़ा ) की मार्फत पश्चार के मन्दिर के वास्ते दिलाया। कुछ पत्र चूड़े काट गये हैं । भण्डार । ३४७८. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १११ । ले० काल सं० १८६३ चैत्र सुदी १० सं० ६५१ । च विशेष----यह ग्रन्थ हुकमचन्दजी बज ने दीवान अमरचन्दजी के मन्दिर में चढाया था । ३४०६. प्रति सं० ६ | पत्र सं० २०३ | ले० काल x 1 ० सं० ७३ । भण्डार | ३४८०. ब्रह्मचर्याष्टक.. । पत्र सं० ५६ । प्रा० ९३४४३ | भाषा-संस्कृत विषय सुभाषित | र० काल X | ले० काल सं० १७४८ | पूर्वा । वे० सं० १२६ । ख भण्डार | ३४५१. भर्तृहरिशतक - भर्तृहरि | पत्र सं० २० आ० ८६ X ५६ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - सुभाषित | १० काल X | ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १३३८ । अ भण्डार विशेष – ग्रन्थ का नाम शतकत्रय अथवा त्रिशतक भी है। Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३४ ] [ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र इसी भण्डार में ८ प्रतियों (वे० सं० ६५५, ३८१, ६२८, ६४६, ७६३, १०७४, ११३९, ११७३ ) और है। ३४८२. प्रति सं० २१ पत्र सं० १२ से १६ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ५६१ 1 अ भण्डार । इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ५६२, ५६३ ) अपूर्ण और हैं । ३४८३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ११ । ले० काल ४ । वै० सं० २६३ । च भण्डार | ३४८४. प्रति सं०४ । पत्र सं० २८ । ले० काल मं० १८७५ चैत सुदी ७ । ३० सं० १३८ । छ भण्डार। इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० २५८) और है। ३४८५. प्रति सं०1 पत्र से० ५२ | ले. काल सं० १९२८ । वै० सं० २८४ | ज भण्डार । विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है । सुखचन्द ने चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ३४५६. प्रति सं०६। पत्र सं० ४५ । ले० काल X ० सं० ११२ । ब भण्डार । ३४८७. प्रति सं०७पत्र सं.८ से २९ । ले. कालXI अपूर्ण । ० सं० ११७५ | ट भण्डार । ३४८, भावशतक-श्री नागराज । पत्र सं० १४ । प्रा० ६x४३ छ । भाषा-संस्कृत | विषयसुभाषित । २० काल X! ले० काल सं० १८३० सावन बुदी १२ । पूर्ण । वै० म० ५७० । क भण्डार । ३४८६. मनमोदनपंचशतीभाषा-छत्रपति जैसवाल । पत्र सं० ८६ । पा० ११४५३ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-सुभाषित । २० काल सं० १६१६ । ले. काल सं० १६१६ । पूर्ण | वे. सं० ५६९ । क भण्डार। विशेष—सभी सामान्य विषयों पर छंदों का संग्रह है। इसी भण्डार में एक प्रति { के० सं० ५६६ ) और है। ३४६०. मान बावनी-मानकवि । पत्र सं०२। प्रा०.१४३३ इव । भाषा-हिन्दी | विषयसुभाषित | र काल ४ | ० काल XI पूर्ण । वे० सं० ५१६ । म भण्डार । ३४६१. मिविलास घासी । पन सं० ३४ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पञ्च । विषयसुभाषित । २० काल सं० १७६६ फागुण सुदी ४ । ले वाल सं० १९५२ चैत्र बुदी १ । पूर्ण । वे० सं० ५७६ । क भण्डार विशेष-लेखक ने यह ग्रन्थ अपने मित्र भामिल तथा पिता वहालसिंह की सहायता से लिखा था | ३१६२. रनकोष..."। पत्र सं० प्रा० १०४ च । भाषा-संस्कृत्त । विषय-सुभाषित । २० काल -। ले० काल सं. १७२२ फागुण सुदी २१ पूर्ग | वै० सं० १०३८ । बभण्डार । Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] [ ३३५ विशेष-विश्वसेन के शिष्य बलभद्र ने इसकी प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १०२१ ) तथा अ भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३४५ क ) और है। ३४६.३. रनकोष..."| पत्र सं० १४ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सुभाषित । र. काल ४ ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ६२४ । क भण्डार | विशेष-१०० प्रकार की विविध बातों का विवरण है जैसे ४ पुरुषार्थ, ६३ राजवंश, ७ अंगराग्य, राजाओं के गुरग, ४ प्रकार की वाय विता : माल, ६ एकार के दिनोद तथा ७२ प्रकार को कला ३४६४. राजनीतिशास्त्रभाषा-असुराम । पत्र सं०१८ | मा० ५४४ इन्ध | भाषा-हिन्दो पछ । विषय-राग्नीति | र० काल X 1 ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० २८ । म भण्डार । विशेष-श्री यरोशायनमः अथ राजनीत जसुराम कृत लीखतं । दोहा पछर अगम अपार गति कितह पार न पाय । सो मोकु दीजे सकती जे जे जे गराय॥ छगम--- वरनी उजवल वरन सरन जग प्रसरन सरनी । कर करूनो करन तरम सब तारन तरनी ।। शिर पर धरनी छत्र झरन सुख संपत भरनी । झरनी अमृत झरन हरन दुख दारिद हरनी॥ धरनी विसृल वपर धरन भब भय हरनी 1 सकल भय जग बंध प्रादि बरनी जसु जे जग धरनी ।। मात बे.. जे जग धरनी मात जे दीजे बुधि अपार । करी प्रमाम प्रसन्न कर राजनीत वीसतार ||३|| दोहा-- अन्तिम लोक सीरकार राजी भोर सब राजी रहे। __ चाकरी के कीये विन लालच न चाइयै ।। किन हुं की भली बुरी कहिये न काह भागे । __सटका है सछन कछु म आप साई है। राय के उजीर नमु राख राख लेत रंग। येक टेक हुं की बात उमरनीवाहिये । रीझ खीझ सिरकुं चढाय लीजे जसुराम । येक परापत कु येते गुन चाहीये ॥४॥ Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३६ ] [ सुभाषित एवं नोतिशास्त्र ___३४६५, राजनीति शास्त्र-देवीदास । पत्र सं० १७ । प्रा. ८३४६ इच । भाषा-हिन्दी पद्म। विषय-राजनीत । २० काल Xले काल सं० १९७३ । पूर्ण | वे० सं० ३४३ | झ भण्डार । ३४६६. लघुचाणिक्य राजनीति-बाणिक्य । पत्र सं० ६ । प्रा० १२४५-2 श्च । भाषा-संस्कृत । विषय-राजनीति । र० काल XI ले० काल XI पूर्ण | वे० सं० ३३८ । ज भण्डार । ३४६७, वृन्दसतसई-कवि वृन्द । पत्र सं० ४ १ प्रा० १३६४६५ च । भाषा-हिन्दी १२ । विषयसुभाषित । १० काल सं० १७६१ । ले. काल सं० १८३४ । पूर्ण। वै० सं० ७७९ । भण्डार । ३४४८. प्रति सं०२। पत्र सं० ४१ । ले० काल x 1० सं०६८५ | भण्डार | ३४६६. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६४ । ले. काल सं० १८६७ । व० सं० १६६ । छ भण्डार । ३५००. वृहद् चाणिक्यनीतिशास्त्र भाषा-मिश्ररामराय । पत्र सं० ३८ | प्रा० २x६ इच। भाषा-हिन्दी । विषय-नीतिशास्त्र । र० काल X1 ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५५१ | च भण्डार । विशेष-माणिस्यचंद ने प्रतिलिपि की थी। ३५०१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४८ | M० काल XI अपूर्ण 1 वे० सं० ५५२ । च भण्डार 1 ३५०२. पष्टिशतक टिप्पण-भक्तिलाल । पत्र सं०५ | प्रा० १०४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । र० काल ४ । ले० काल सं० १५७२ ! पूर्ण । वे० सं० ३५.८ । अ भण्डार । विवोष-अन्तिम पुष्पिकाइति षष्टिशतकं समाप्तं । श्री भक्तिनाभोपाध्याय शिष्य पं. चारू चन्द्ररासिखि | इसमें कुल १६१ गाथायें हैं । अंत की गाथा में ग्रन्थकर्ता का नाम दिया है। १६०वीं गाथा को संस्कृत टीका निम्न प्रकार है एवं मुगमा । श्री नेमिचन्द्र भांडारिक पूर्व गुरु दिरहे धर्मस्य ज्ञातानाभूत । श्री जिनवल्लभमूरि मुणानश्रुत्वा तत्कृते पिंड विशुद्धयादि परिचयन धर्मतत्त्वज्ञो ततस्तेन सर्वधर्म मूल सम्यवस्व सुद्धि दृढताहेतुभूता ॥ १६० ।। संख्या गाया विरचयां चके इति सम्बन्ध । व्यास्यान्वय पूर्वाऽवचूरिण रेषातुभक्तिलाभकता। मृच्चार्थ ज्ञान फला विझे या षष्ठि शतकस्य ।।१।। प्रशस्ति- सं० १५७२ वर्षे श्री विक्रमनगरे श्री जय सागरोगाध्याय शिष्य श्री रत्नचन्द्रोपाध्याय शिष्य श्री भक्तिलाभो पाध्याय कृता स्वशिष्या वा, चारित्रसार ५० चारू चंद्रादिभिर्वाच्यमाना चिरं नंदतात् । श्री कल्याणं भवतु श्री श्रमग्न संघस्य । ३५०३. शुभसीख"..। पत्र सं० २। आ० ८६.५४ च । भाषा-हिन्दी गय । विषय-गुभाषित । २० काल ४ । ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० १४७ । छ भण्डार । Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुभाषित एवं नीतिशास्त्र । [ ३३० ३५०४. प्रति सं०३। पत्र सं० ४। ले. काल x वे० म०१४६ । छ.. । विशेष–१३६ सोखों का वर्णन है। ३५८५ सज्जनचित्तवल्लभ-मल्लिषेण । पत्र सं० ३ । प्रा० ११:४५: इश्च 1 माषा-मस्कृन । विषयमुभाषित । रs काल X Iले. काल से० १८२२ । पूर्ण । वै० सं० १०५७ । अ भण्डार । ३५०६. प्रति सं० २ । पल सं० ८ । ले. काल सं० १८१८ । वे० सं० ७३१ । क भण्डार । ३५.७ प्रति सं० ३। पत्र सं० ४ । ले० काल सं. १९५४ पौष वुदो ३ । वे० नं ७२८ । के भण्डार। ३५५८. प्रति सं०४१ पत्र सं० ५ । ले० काल X । व० सं० २६३ ।भण्डार। ३५.६ प्रति सं०५ । पत्र सं०३ । ले. काल सं० १७४६ पासोज सुदी ६ । के. मं. ३०४ । म भण्डार। विकोष— भट्टारक जगत्कोत्ति के शिष्य दोदराज ने प्रतिलिपि की थी। ३५५०. सननचित्तवलम-शुभचन्द । पत्र सं० ४ | मा० ११४८ च । भाषा-संस्कृत । विषयमुभाषित । २० काल | ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० १९E | ब भण्डार । ३५११. सज्जनचित्तवल्लभ..."| पत्र सं०४ । प्रा० १०.x18 इन। भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । २० काल Xले. काल सं० १७५६ । पूर्ण । ० सं० २०४ । ख भण्डार । ३५१२. प्रति सं० २ । पत्र म० ३ । मे० काल ४ । ३० सं० १५३ । ज भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। ३५१३. सजनचिचवल्लभ-हगूलाल । पत्र सं०६६। प्रा० १२३४५ इंच | भाषा-हिन्दी । विषयसुभाषित | र० काल सं० १९०६ । ले० काल X । पूर्ण । ३० सं० ७२७ । क मण्डार । विशेष—हरी लाल खतौली के रहने वाले थे । इनके पिता का नाम प्रीतमदास था। बाद में सहारनपुर चले गये थे वहां मित्रों की प्रेरणा से प्रन्थ रचना की थी। इसी भण्डार में दो प्रतियां (वे० सं० ७२६, ७३० ) और हैं। ३५१४. सज्जनचित्तवल्लभ-मिहरचंद्र । पत्र सं० ३१ । प्रा० ११४७ इन्च ! भाषा-हिन्दी । विषमसुभाषित । र. काल सं० १९२१ कातिक मुदी १३ 1 ले. काल XI पूर्ण । वै० सं० ७२६ । क भण्डार । ३५१५. प्रति सं०२। पत्र सं० २६ । ले. काल X| वे० सं० ७२५ । क भण्डार 1 विशेष-हिन्दी पद्य में भी अनुवाद दिया है। Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३८ ] [ सुभाषित एवं नी नशस्त्रा ३५१६. सद्भाषितावलि-सकलकीत्ति । पत्र सं० ३४ । आ. १.३४५ इभ । भाषा-संस्कृत 1. विषय- सुभाषिन । र० काल x | ले. काल x | अपूर्ण । ३० सं० ८५७ | अ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १५६५ ) पौर है। ३५१७. प्रति सं० २। पत्र सं० २५ । ले. काल सं० १८१० मंगसिर सुदी ७ । वे० सं० ४७२ । न भण्डार। विशेष-पासीराम यति नै मन्दिर में यह ग्रन्थ चढाया था। ३५१८, प्रति सं०३ । पत्र सं० २६ । ले. काल X ० सं० १६४१ । ट भण्डार । ३५१५. सद्भाषितावलीभाषा-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० १३६ 1 प्रा० ११४८ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-सुभाषित । र. काल X| ले. काल सं० १९४१ ज्येष्ठ वी १३ । पूर्ण । वे० सं.७३३ । क मण्डार। विशेष-पुट्ठों पर पत्रों की सूची लिखी हुई है। ३५२०. प्रति सं०२१ पत्र सं० ११७ । ले. काल सं० १९४० १ ० सं० ७३३ । क भण्डार । ३५२१. सद्भाषितावलीभाषा"....) पत्र सं० २५ । मा० १२४५३ इंच। भाषा-हिन्दी पन्छ । विषय-सुभाषित । २० काल सं० १९११ सावन सुवी ५ । पूर्ण । ३० सं० ५६ ब भण्डार । ३४२२. सन्देहसमुच्चय--धर्मकलशसूरि । पत्र सं० १८ | प्रा. १०x४,' इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । र० काल ४ ! ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० २७१ । छ भन्डार | ३५२३. सभासार नाटक-रघुराम । पत्र सं० १५ से ४३ । पा. ५६४५६ च । भाषा--हिन्दी । विषय-सुभाषित । २० काल xले. काल सं० १५१। अपूर्ण । वे० सं० २०७ | ख भण्डार । विशेष प्रारम्भ में पंचमेरु एवं नन्दीश्वरदीप पूजा है। ३५२४. सभातरंग....."| पत्र सं० ३८ । प्रा० ११४५ इन | भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । १० काल X । ले. कास सं० १६७४ ज्येष्ठ बुदी ५ । पूर्ण । थे० सं० १.० । छ भण्डार । विशेष-गोषों के नेमिनाथ चैत्यालय सांगानेर में हरिवंशवास के शिष्य कृष्णचन्द्र में प्रतिलिपि की थी। ३५२५. सभागृहार..." | पत्र सं० ४६ । मा० ११४५ इच। भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषयसुभाषित । २० काल X।ले. काल सं० १७३१ मासिक सुवो १ । पूर्ण । वे० सं० १८७७ । विशेष--प्रारम्भसकलगारण गजेन्द्र श्री श्री श्री का विजयगरिगगुरुम्योनमः । भथा सभागार ग्रन्थ लिख्यते । श्री ऋषत्र देवाय नमः । श्री रस्तु॥ Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नौनिशास्त्र [ ३६ नाभि नंदन सकलमहीमध्नु, पंचशत धनुष मानु तो सोर्ण सुवर्ण समानु हर गवल श्यामल कुंतलापली विभुषित स्कंध केवलज्ञान लक्ष्मी सनाथु भत्र्य लोकाहिमुत्ति[क्तिमार्गनी दखाई। साथ संसार शंधकूप ( अंधकूप ) प्रारि वर्ग परता दर हाथ । याला धर्म निगरा समर्थ । नगवंत श्री याविना श्री संघतगो मनोरथ पुरी॥१॥ वीतराग वाणा महार समुत्तारिणो । महामोह विध्वंसनी । दिनकरानुकारिणी । क्रोधाग्नि दावानलीपभामिनीमुक्तिमार्ग प्रकाशिनी | सर्व जन चित सम्मोहकारिणी । भागमोबमारिणी वीतराग वाणी ॥२॥ विशेष अतीसय निधान सकलगुणप्रधान मोहांधकारविश्छेदन भानु त्रिभुवन सकलसंदेह छैक । अछेद्य अभेद्य मारिणगरण हृदय भेदक अनंतानंत विज्ञान इसिर्ड अपनु केवलज्ञान ||३|| अन्तिम साठ--- स्त्री गुरणा- १. कुलीना २. शीलवसी ३. विवेकी ४. दानसोला ५. कोतवती ६. विज्ञानवती ७. गुणग्राहणी ८. उपकारिणी , फुतमा १.. धर्मवती ११. सोत्साहा १२. संभवमंत्रा १३. क्लेससही १४. अनुफ्तापीनी १५. सूपात्र सबीर १६, जितेन्द्रिया १५. संभूव्हा १८, अल्पाहारा १६. अल डोला २०. अल्पमिद! २१. मितभाषिणी २२. बिसज्ञा २३, जीतरोषा २४. प्रलोभा २५. विनम्वती २६. सरूपा २७. सौभाग्यवती २८. सूचिवेषा २६. ध्रुषाभूपा ३.. प्रसन्नमुखी ३१. सुप्रमाणशरीर ३२. मूलपणवती ३३. स्नवतो । इतियोद्गुणा । इति सभागृङ्गार संपूर्ण !! सत्याग्रन्थ संस्था १००० संषत् १७३५ वर्षमास कानिनः सुदी १४ वार सोमवार लिखत रूपविजयेन ।। स्त्री पुरुषों के विभिन्न लक्षण, कलामों के लक्षण एवं सुभाषित के रूप में विविध मात दी हुई है। ३४२६ सभाकार"..."| पत्र सं० २८ । श्रा० १०४४: इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय -सुभाषित । र काल ४ । ले० काल सं० १७३२ । पूर्ण । वै० सं० ७६४ । * भण्डार । ३५२७. संबोधसत्तागु-वीरचंदं । पत्र सं० ११ । प्रा० १०x४ च । भाषा-हिन्दी । विषयसुभाषित । २० काल । ले. काल X । पूर्ण ! वै० सं० १७५६ । अ भण्डार । प्रारम्भ परम पुरुष पदं मन धरी, समरी सार मोकार | परमारष परिण पवरण यु', संबोधसतारा बीसार ॥१॥ मादि अनादि ते प्रास्मा, अजवायु ऐहमनिवार । धर्म विहणो जीवरणो, वापट्ट पस्यो ये संसार ||२|| मन्तिम... सूरी श्री विद्यानंदी जयो श्रीमल्लिभूषण मुनिचंद । तसपरि मांहि मामिलो, गुरु श्री लक्ष्मीचन्द ।।६।। Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४० ] तेह कुले कमल दीवसपती जयन्ती जती वीरचंद ! सुरता भाता ए भावना पीमीये परमानन्द ॥६७॥ इति श्री वीरचंद्र विरचिते संबोधसत्ता संपूर्ण । I ३५२८, सिन्दूरप्रकरण -- सोमप्रभाचार्य । पत्र सं० ६ ० ६x४ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय - सुभाषित । २० काल X। ले० काल X। पू । जीर्ण । वे० सं० २१७ १८ भण्डार । विशेष— प्रति प्राचीन है । क्षेमसागर के शिष्य कीर्तिसागर ने खखा में प्रतिलिपि को थी । ३५२६ प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ से २७ | ले० काल सं० १६०३ भण्डार । विशेष – हर्षकीर्ति सुरि कृत संस्कृत व्याख्या सहित हैं । अन्तिम - इति सिन्दूर प्रकरणस्यस्य व्याख्यातां हर्षकोत्तिमिः सूरिभिर्विहितम्यांत । [ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र सं० २०१६ | ट भण्डार । प्रपूर्ण वे० सं० २००६ | ८ ३५३०. प्रति सं० ३३ प सं० ५ से ३४ १ ० काल सं० १८७० श्रावण सुदी १२ । पूर्ण । ० क भण्डार । विशेष - हर्षको ति सूरि कृत संस्कृत व्याख्या सहित है । ३५३१. सिन्दूरप्रकरणभाषा - बनारसीदास । पत्र सं० २६ । प्रा० १०३x४३ | भाषा हिन्दी | विषय - सुभाषित | र० काल सं० १६६१ ० काल सं० १८५२ । पूर्ण । वे० सं० ८५६ । विशेष-- सदासुख भांवसा ने प्रतिलिपि की थी । ३५३२ प्रति सं० २ १ पत्र मं० १३ । मे० काल X | वे० सं० ७१८ | द भण्डार । इसी भण्डार में १ प्रति ( ० ०७१७ ) और है । ३५३३. सिन्दूर प्रकरणभाषा - सुन्दरदास । पत्र सं० २०७० १२४४३ । भाषा - हिन्दी | विषय - सुभाषित । १० काल सं० १६२६ । ले० काल सं० १६३९ । पूर्ण वे० सं० ७६७ | क भण्डार | ३५३४ प्रति सं० २ । पत्र सं० २ से ३० । ले० काल सं० १६३७ सावन बुदी ६ । वे० सं० ८२३ । विशेष – भाषाकार बधावर के रहने वाले थे। बाद में ये मालवदेश के इ बावतिपुर में रहने लगे ये 1 इसी भण्डार में ३ प्रतियां (वै० सं० ७६८, ८२४, ८५७ ) और है । ३५३५. सुगुरुशतक - जिनदास गोधा । पत्र सं० ४ मा० १०३५ | भाषा - हिन्दी पद्य | विषय - सुभाषित । २० काल सं० १८५२ चैत्र बुदी ८ ले काल मं० १६३७ कार्तिक सुदी १३ । पूर्ण वे० सं० 4 ८१० । क भण्डार । X Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र । [ ३४१ ३५३६. सुभाषितमुक्तावली.. ... | पत्र सं० २६ । मा० Exx, इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । र० काल ४ । ले. काल । पूर्ण । के० सं० २२६७ । अ भण्डार। ३५३७ सुभाषितरत्रमन्दोद-पा० अमितिगति | पत्र सं०५४। प्रा० १०४३३ इंच । भाषासंस्कृत । विषय-सुभाषित । २० काल सं० १०५० । ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० १८९६ | अ भण्डार । विशेष-- इसी भण्डार में एक प्रत्ति ( वे० सं० २६ ) और है । ३५३८. प्रति सं० २१ पत्र सं० ५४ । ल. काल सं० १८२६ भादवा सुदी १ . सं० २१ । भण्डार। विशेष—संग्रामपुर में महावन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ३५३६. प्रति सं० ३ । पप सं० ८ से ४६ | ले. काल सं० १८६२ पासोग बुदी १४ामपूर्ण । वे सं. ८७६ । सु भण्डार। ३५४०. प्रति सं०४ । पत्र से ७८ । ले० काल सं० १९१० कार्तिक बुदी १३ १३० सं० ४२० । न भण्डार। विशेष-हाथीराम लिन्द्रका के पुत्र मोतीलाल ने स्वपठनार्थ पाया माथूलाल से पार्श्वनाथ मंदिर में प्रतिलिपि करवाई थी। ३५५१. सुभाषितरत्र सन्दोहभाषा-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० १८८ । मा० १२३४७ इछ। भाषा-हिन्दी गद्य । विषय---सुभाषित । २० काल सं० १६३३ | ले० काल x 1. सं.६१८ । क भण्डार 1 . विशेष पहले भोलीलाल ने १८ अधिकार की रचना की फिर पनामात ने भाषा की । इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं०८१६, १२०, ८१६, ८१६ ) प्रौर हैं। ३५४२. सुभाषितार्णव-शुभचन्द्र 1 पत्र सं० ३०१ मा० १२४५३ इ० । भाषा-संस्कृत । बिश्यसुभाषित | २० काल XI ले. काल सं० १७८७ माह सुदी १५ । पूर्ण । वे० सं० २१ । ब भण्डार । विशेष—प्रथम पत्र फटा हुआ है । क्षेमकीत्ति के शिष्य मोहन ने प्रतिलिपि की थी। अ भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १६७६ ) और है। ५५४३. प्रति सं०२। पत्र मं० १४ । ले० कास xवै० सं० २३१ म मण्यार । इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० २३०, २६८ ) और हैं। ३५४४. सुभाषितसंग्रह...| पत्र सं० ३१ । प्रा० ४५ इन्। भाषा-संस्कृत । विख्य-मुभाचित । र० काल x 1 ले. काल सं० १८४३ बैशाख बुदी ५ । पूर्ण । ३० सं० २१०२। अ भण्डार । विशेष-नवा नगर में भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीति के शिष्य विद्वान रामचन्द ने प्रतिसिपिकी थी। Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४२ ] [ सुभाषित एवं नी,तशस्त्रा इसी भण्डार में १ प्रति पूर्ण ( बे० सं० २२५६) तथा २ प्रतियां अपूर्ण ( व० सं० १९६६, १९८०) पोर हैं। ३५४५. प्रति सं०२) पत्र सं. ३ । ले० काल x ० सं० ८८२ छ भण्डार । ३५४६. प्रति सं. ३ । पत्र सं० २० । ले० काल X । वे० सं० १४४ । छ भण्डार । ३५४७. प्रति सं०४ । पत्र सं० १७ 1 ले. काल ४ । प्रपूर्ण । वे सं० १९३ का भण्डार । ३५४८, सुभाषितसंग्रह..."1 पत्र सं० ४ । प्रा० १०४४ च । भाषा संस्कृत प्राकृत | विषयमुभाषित | २० कालx1 ले० कालX | पूर्ण । ० सं. ८६२ | म भण्डार । विशेष—हिन्दी में दवा टोका दी हुई है। यति कर्मचन्द ने प्रतिलिपि का की। ३५१६. सुभाषितसंग्रह ""| पत्र सं० ११ ! पार ७४५ च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषममुभाषित । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । बे० सं० २११४ । अ भन्डार । ३५४०. सुभाषितावली- सफलकीर्ति । पत्र सं० ५२ । प्रा० १२४५३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय--सुभाषित । र० काल X । ले० कान सं० १७४८ मंगसिर सुदी ६ । पूर्ण 1 बे० म० १८५ । श्र भण्डार । विशेष-लिखितमिदं चौबे रूपमी खीवसी प्रात्मा ज्ञाति सनावद वराहटा मध्ये . लिखपितं पहाच्या ममाचंद । सं० १७४८ वर्षे मार्गशीर्ष शुक्का ६ रविवासरे। ___३५५१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३१ । से• काल सं० १८०२ पौष सुदी १ । ० . २२४ । अ भण्डार। विशेष--मालपुरा ग्राम में पं. नोनिध ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३५४२. प्रति सं० ३ । पत्र सं. ३३ । ले. काल सं० १६०२ पौष सुदी १ । वे० सं० २२७ 1 अ भण्डार। विशेष- लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६०२ समये पौष बुदा २ शुक्रवासरे श्रीमूलसंधै बलात्कारगरणे सरस्वतीगच्छे कुंदकुंदाचार्यान्वये मट्टारक श्री पद्मनंदिदेवा: तत्रट्ट भट्टारक श्री शुभचन्द्रदेवाः तत्व भट्टारक श्री जिनचन्द्रदेवा; तदाम्नाये मंडलाचार्य श्री सिंहनंदिदेवाः तत्पट्ट मंडलाचार्य श्रीधर्मकीत्तिवेत्रा: तशिष्यणी पंचारमुत्रतधारिणी बीईयोसिरि तशिष्यनि बाई उदर सिरि पठमार्थ अग्रोतकान्वये भित्तलगोत्रे साधु श्रीधाने भार्या रयवा तयो पुत्राः त्रयाः प्रथमपुत्र साधु श्री रइमल भार्या पदारय । द्वितीय पुत्र चाइमल भार्या मजैसिरि तमोः पुत्र परात । तृतीयपुत्र तपबपु क्रियाप्रतिपालकात् ऐकादश प्रतिमा भारकान जिनशासन समुद्वरणधीरान माधु श्री कोटना भार्या सादी परिमल तमो इदं ग्रन्थं लिक्षापित कर्मक्षय निमितं । लिखितंकायस्थगोडान्वयश्रीकेशव तत्पुत्र गनेस ॥ Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] [ ३४३ ३५५३. प्रति सं०४। पत्र सं० २६ । ले• काल सं. १६४७ माघ सुदी । ० सं० २३५ । अ भण्डार । विशेष-लेखक प्रशस्ति भट्टारक श्रीसकलकीतिविरचिते सुभाषितरत्नावलीअन्यसमाप्तः | धौमीपषमागरमूरिविजयराग्ये संवत् १९४७ वर्ष माघमामे शुक्लपक्षे गुरुवासरे लीपीकृतं श्रीमुनि शुभमस्तु । लेखक पाठकयो । संवत्सरे पृथ्वीमुनीयतीन्द्रमिते (१७७७) माघाशिसदशम्यां मालपुरेमध्ये श्रीमादिनाथचैत्यालये शुद्धीकृतोऽमं सुभाषितरत्नावलोग्नन्य पांडेश्रीतुलसीदासस्य शिष्येण त्रिलोकचंदे ण । 9 भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं० २०१, ७८७, ७८६, १८६४ ) और है। ३५५५. प्रति संकपत्र सं०६६ ले. काल सं० १९३६ । वे० सं० ८१३क भण्डार | इसी भण्डार में १ प्रति { वे० सं० ८१४ ) और है । ३५५५, प्रति सं० ६१ पत्र ० २.६ । ले० काल सं० १८४६ ज्येष्ठ सुदी है । वे० सं० २३३ । स भण्डार विशेष—पं० मारणकचन्द की प्रेरणा से पं० स्वरूपचन्द ने पं० कपूरचन्द से जवनपुर ( जोबनेर ) में प्रतिलिपि कराई। ३५५६. प्रति सं०७ । पत्र सं० ४६ । ले० काल सं० १६०१ चैव मुदी १३ । वे० सं. ७४ | . भव्हार। विशेष--श्री पाल्हा बाकलीवाल ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में ५ प्रतियां (वे. मं. ७३, ८७५,५७६, ६७७, २७) भोर हैं। ३५५७. प्रति सं०८ । पत्र सं० १३ । ले० काम सं० १७६५ मासोज सुदी ८ । वे० सं० २६५ । छ भण्डार । ३५५८. प्रति सं०६ । पत्र सं० ३० । ने० काल सं० १९०४ माघ बुदी ४ । ३० सं० ११४ । ज भण्डार । ३५५६ प्रति सं०१०। पत्र सं० ३ से ३० । ले० काल सं० १६३५ बैशाख सुदी १५ । प्रपूर्ण | के. मं० २१३४ । भण्डार । वियोष-प्रथम २ पत्र नहीं हैं। लेखक प्रशस्ति अपूर्ण है । ३५६०. सुभाषितावली..| पत्र सं० २१ । मा० ११३४५, इछ। भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । २० काल XI ले. काल सं० १८१६ । पूर्ण | वे० सं० ४१७ । च भण्डार । विशेष—यह अन्य दीवान संगही झानचन्दजी का है। . Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ + ३४४ ) [ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र च भण्डार में २ प्रतिमा (वै० सं० ४१८, ४१६ ) अ भण्डार में २ अपूर्ण प्रतियां ( वे० सं० १३५, १२०१ ) तथा ट भण्डार १ ( वे० सं० १०८१) अपूर्ण प्रति भौर है। ३५६१. सुभाषितापलीभाषा-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० १०६ : प्रा० १२३४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-सुभाषित । र० काल X । लै काल X । पूर्ण । ३० सं० ८१२ । क भण्डार। . ३५६२. सुभाषितावलीभाषा-दूलीचन्द । पत्र सं० १३१ । मा० १२३४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय--सुभाषित । २० काल सं० १९३१ ज्येष्ठ सुदी १ । ले० काल XI पूर्ण । वै० सं० ८८ । भण्डार । इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ८८१ ) और हैं । ३४६३. सुभाषितायलीभाषा | पत्र सं० ४५ । प्रा० ११४४३ इच | भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सुभाषित । २. काल XI से काल सं० १८९३ प्र० प्राषाढ सुदी २ । पूर्ण । वै० सं. ११ । म भण्डार । विशेष—५०५ दोहे हैं। २५६४. सूक्तिमुक्तावो-सोनप्रभाचार्य : सं० १७ । मा० १२४५३ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । २० काल X । ले. काल पूर्ण । वे० सं० १६६ । अ भण्डार । विशेष—इसका नाम सुभाषितावली भी है। ३५६५. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । ले० काल सं० १६०४ । वै० सं० ११७ । श्र भण्डार । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६८४ वर्षे श्रीकाष्ठासंघ नदीतटगो विद्यागणे भ. श्रीरामसेनान्वये तत्पद्र भ० श्री विश्वभूषण तत्पट्ट भ० श्री यश कीति ब्रह्म श्रीमेघराज तत्शिष्यब्रह्म श्री करमसी स्वयमेव हस्तेन लिखित पठनार्थं । अ भण्डार में ११ प्रतियां (वे० सं० १६५, ३३४, ३४८, ९३०, ७६१, ३७६, २०१०, २०४७, १३४८ २०३३, ११६३) और हैं। ३५६६. प्रति सं०३ पत्र सं०२५ । ले. काल सं० १९३४ सावन सुदी 1 वे० सं० २२। क भण्डार। इसी मण्डार में एक प्रति ( के १२४ ) और है । ३५.६७. प्रति सं०४। पत्र सं० १० । से० काल सं० १७७१ मासोज सुदी २ ० सं० २३४। विशेष ब्रह्मचारी खेतसी पठनार्थ मालपणा में प्रशिक्षिपिईबी। १६. प्रति सं०५। पत्र सं० २४ । मे० काम ४ | ० सं० २२६ १ ख भण्डार । विशेष-दीवान भारतराम खित्का के पुत्र कुंवर बलतराम के परमार्थ प्रतिलिपि की गई थी । प्रक्षर मोटे एवं सुन्दर हैं। इसी भण्डार में २ अपूर्ण प्रतियां (वे० सं० २३२, २६ ) भौर हैं। Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ] च भण्डार | भण्डार । भण्डार । [ ३४५ ३५६६. प्रति सं० ६ । पत्र ०२ मे २२ । ले० काल X। भपूर्ण 1 ० सं० १२६ । छ भण्डार | विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । भण्डार | ङ भण्डार में ३ पूर्ण प्रतियां सं ८८३८६४८६५ { ३५७०. प्रति सं६ ७ । पत्र [सं०] १५ । ले० काल सं० १६०१ और है । प्र० श्रावण बुदी SS | वे० सं० ४२१ | इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० ० ४२२ ४२३ ) और है। ३५७१. प्रति सं० । पत्र सं० १४० काल सं० १७४६ भादवा बुदी ६ ० सं० १०३ | छ विशेष – रेनवाल में ऋषभनाथ चैत्यालय में प्रावार्य ज्ञानकीति के शिष्य सेबल ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में ( वे० सं० १०३ ) में ही ४ प्रतियां और है। ३५७२ प्रति सं० ६ । पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १८६२ पौष सुदी २० सं० १८३ । ज विशेष - हिन्दी वा टीका सहित है। इसी भण्डार में १ प्रति ( ० सं० ३६ ) और है । ३५७३. प्रति सं० १० पत्र सं० १० । ० काल सं० १७२७ श्रासांज सुदी ८ ३० सं०८० । न विशेष – प्राचार्य क्षेमकीत्ति ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० १६५ २०६. ३७७ ) तथा ट भण्डार में २ पूर्ण प्रतियां ( वे मं० १६६४, १६३१ ) भर हैं । ३५७४. लूक्का बली । पत्र सं० ६ १० काल X | ले० काल सं० १८९४ । पू । वे० सं० ३४७ ३५७५. स्फुटश्लोकसंग्रह पत्र सं० १० मे २००६४ इंच भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित। ० काल X | ले० काल सं० १८८३ । । ० सं० २५७ | भण्डार | ३५७६. स्वरोदय- रनजीतदास (चरनदास) । पत्र सं० २ । भा० १३३४६१ इंच भाषा - हिन्दी । सुभाषित | काल X | ले० काल x | पूर्ण | ० सं० १५ । श्र भण्डार | ३५७७. हितोपदेश - विष्णुशर्मा । पथ सं० ३६ | श्र० १२३४५ इ 1 भाषा-संस्कृत । विषय ०८५४ । क भण्डार 1 नौति । २० काल X | ले० काल सं० १८७३ सावन सुदी १२ । पूर्ण विशेष --- माणिक्यचन्द ने कुमार ज्ञानचंद्र के पनार्थ प्रतिलिपि की थी। ० १०९४२ इंच | भाषा संस्कृत विषय सुभाषित | अ भण्डार । Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४६ ] [ सुभाषित एवं नीतिशास्त्र ३५७८. प्रति सं०२ | पत्र सं० २। ले० काल X । ० सं० २४६ | न भण्डार । ३५७६. हितोपदेशभाषा"."। पत्र सं० २६ । आ. ८४५ इछ । भाषा-हिन्दी । विषय-सुभाषित । २० काल X । ले• काल XI पूर्ण । वे० सं० २१११ । अ भण्डार। ३५८०, प्रति सं०२१ पत्र सं०५६ । ले. काल x 10 सं० १८१२।ट भण्डार । Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-मन्त्र-शास्त्र ३५६१. इन्द्रजाल "। पत्र सं० २ से ४२ । प्रा० ८६४४ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-तन्त्र । र० पाल x 1 ले० काल सं० १७७८ बैशाख सुदौ ६ । अपूर्ण | वे० सं० २०१० । द भण्डार । विशेष---पत्र १६ पर पुष्पिकाइति श्री राजाधिराज गोख माय वंश केसरीसिंह समाहिसेन मनि मंडन मिश्र विरचिने परंदरमाया नाम अन्य वह्नित स्वामिका का माया। पत्र ४२ पर-इति इन्द्रजाल समाप्तं । कई नुसखे तथा वशीकरण प्रादि भी हैं । कई कौतूहल की सी बातें हैं । मंत्र संस्कृत में है मजमेर में प्रतिन्निा हुई थी। ३५८२. कर्मदहनबतमन्त्र"..."। पत्र सं० १० | आ० १०२४५३ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-मंत्र मात्र । २० काल । ले. काल सं. १६३४ भादत्रा सुदी ६ । पूर्ण । वै० सं० १०४ । हु भण्डार | ३५८३. क्षेत्रपालस्तोत्र "| पत्र सं० ४ । प्रा० ८२४६ इंच | भाषा-संस्कृत । त्रिपय-मामा-त्र | २० काल । ल. काल सं० १६०६ मंगसिर सुदी ७ । पूर्ण | ३० सं० ११३७ । अ भण्डार । विशेष.....सरस्वती तथा चौसठ योगिनीस्तोत्र भी दिया हमा है। ३५८५. प्रति सं०२ । पत्र सं० ३ 1 ले. काल x | वे० सं० ३८ | ख भण्डार । ३५८५. प्रति स०३। पत्र सं०६ । ले० काल सं० १९६६ । वे० सं० २८२ । म भण्डार । मिशेष-चक्र श्वरो स्तोत्र भी है। ३५८६. घटाकर्ण कल्प"..."! पत्र सं० ५ : प्रा० १२६x६ ई । भाषा संस्कृत । विषय-मन्त्रधाम्न । र० काल X : ले. काल सं० १९२२ । अपूर्ण | वे० सं० ४५ । ख भण्डार । विशेष-प्रथम पत्र पर पुरुषाकार खड्गासन चित्र है । ५ यंत्र तथा एक घंटा चित्र भी है । जिसमें तीन घण्टं दिये हुये हैं। ३५८७. घंटाकर्णमन्त्र पत्र . ५ । मा० १२.४४ ईष । भाषा-संस्कृत। विषय-मात्र। र० काल XI ले. काल सं० १९२५ । पूर्ण | ० सं० ३०३ । ख मण्डार | Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४५ ] २०१५ पूर्ण ० ० १५ 1 ३५८८. घंटा वृद्धि कल्प पत्र सं १० X १० नाम सं० १९१२ बेशास सुदी ३८. चतुर्विंशतियज्ञविधान पत्र नं मन्त्रशास्त्र | र २ कॉल X | ले० काल x । पूर्ण वे० सं० १०६६ । अ मण्डार ३ मा० ११३८५६६' भाषा-संस्कृत विषय ३५६० चिन्तामणिस्तोत्र| पत्र सं० २०८४६ भाषा संस्कृत विषय मन्य [ मन्त्र- शास्त्र भाषा - हिन्दी | विषय-मन्त्र भण्डार शास्त्र | र० काल X | ले० काल X। पूर्ण 1 ३० सं० २०७ । भण्डार | विशेष चक्र स्वरी स्तोत्र भी दिया हुआ है। ३५६१. प्रति सं० २ | पत्र सं० २० काल x 1० सं० २४५ । भण्डार ३५६२. चिन्तामणियन्त्र पत्र [सं० ३ ० १०५५ षभाषा-संस्कृत विषय र० काल X | ले० काल X। अपूर्ण । वे० सं० २६७ १ ख भण्डार । ३५६३. चौसठ योगिनीस्तोत्र मन्त्रशास्त्र । १० काल x | से० काल X विशेष—इसी भण्डार में प्रतियां ३४६४. प्रति सं० २ पत्र [सं० १ ३५६५. जैन गायत्री मन्त्रविधान" ३ पथ सं० २०११५३६ भाषा-संस्कृत विषयपू० [सं० ६२२ अ भण्डार ० सं० ११०७ १११६, २०६४ ) और हैं। ० काल सं० २००३ । ३० मं० ३९० । म भण्डार पत्र सं० २ ० ११५३६ मन्त्र ] र० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ६० 1 व भण्डार । ३४.६६. णमोकारकल्प पत्र [सं० ४० १० कान X ले० काम सं० १९४९ पूर्ण २० सं० २०८ म भण्डार २५६७. मोकारकल्प पत्र [सं० ६ ० १२१३२५ ' भाषा-संस्कृत विषयम | | इंच शास्त्र | १० काल X | ले० काल सं० १९०८ पूर्ण वे० सं० ३५५ | अ भण्डार । भाषा-संस्कृत विषय ६ भाषा-संस्कृत विषय । विशेष --- हिन्दी में मन्त्रसाधन की विधि एवं फल दिया हुआ है । ३६०० णमोकारपैंतीसी ३५६८. प्रति सं० २ । पत्र सं० २० | ले० काल X | अपूर्ण । ये० सं० २७४ । ख भण्डार । ३५६६. प्रति सं० ३ पत्र ० ६ ० काल सं० १९९५ ० सं० २३२ महार पत्र ० ४ ० १२५५३ इंच माना- प्राकृत व पुरानी हिन्दी । विषय- मन्त्रशास्त्र | र० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण वे० सं० २३५ भण्डार । ३६०१. प्रति सं० २ प ० ३ ० काल X २० सं० १२५ च भार Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन्त्र-शास्त्र ] [ ३४६ ३६०२. नमस्कारमन्त्र कल्पविधिसहित-सिंहनन्दि । पत्र सं० ४५ / मा ११३४५६ च । भाषासंस्कृत | विषय-मन्त्रशास्त्र । र० कान ४ । ले. काल सं. १६२१ । पूर्ण । वे० सं० १९. । अ भण्डार । ३६०३. नवकारकल्प......"| पम सं०६ । मा.Ex च। भाषा-संस्कृत | विषय-मन्त्रशास्त्र । र० काल X । ले. काल X 1 पूर्ण । वे० सं० १३४ । छ भण्डार । विशेष—प्रक्षरों की स्याहो मिट जाग से पढ़ने में नहीं पाता है । ३६०४. पंचदश (१५) यन्त्र की विधि ....."। पय सं० २। प्रा० ११४५, इच । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्रशास्त्र । र० काल X। ले. काल सं० १९७६ फागुण बुदी १ । पूर्ण । वे० सं० २४ । ज भण्डार | ३६२५. पद्मावतीकल्प"..... पन मं० २ से १ 11 Ex४२ च । भाषा-संस्कृत । विषय- मंत्र शास्त्र । र० काल X । ले० काल सं० १६८२ | अपूर्ण । ३० सं० १३३६ | अ भण्डार । विशेष--प्रशस्ति- संक्त १६८२ प्रामाद्वेनपुरे श्री मूलसंघसूरि देवेन्द्रकीतिस्तदंतेवानिभिराचार्य श्री हर्षीतिभिरिदमलेखि । चिरं नंदतु पुस्तकम् । ३६०६. बाजकोश......"। पत्र सं० ६ | मा० १२४५ । भाषा-संस्कृत 1 विषय-मन्त्रशास्त्र । २० काल x I ले० काम । पूर्ण ! वे० सं० ६३५ । श्र भण्डार । विशेष-संग्रह ग्रन्थ है । दूसरा नाम मात्रका निर्घट भी है । ३६२७. भुवनेश्वरीस्तोत्र (सिद्ध महामन्त्र )-पूवीधराचार्य । पत्र सं० ६ | मा० १३४४च । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्रशास्त्र । २५ काल X । ले. काल । पूर्ण । वे सं० २६७ । च भण्डार । ३६.८, भूवल...."। पत्र सं० ८ । प्रा० ११३४५३ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-माप्रशास्त्र । २० काल । ले० काल । पूर्ण । वे० सं० २६८ ! च भण्डार । विशेष--ग्रन्थ का नाम प्रथम पद्य में 'अयातः संप्रवश्वामिभूवलानि समारात' आये हुये भूवल के माधार पर ही लिखा गया है। ३६०६. भैरवपद्मावतीकल्प-मल्लिषेण सूरि । पत्र सं० २४ । पा० १२४५. इ'च । भाषा-संस्कृत । विषम-मन्त्रशास्त्र । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । ३० सं० २५० । अ भण्डार । विशेष-३७ यंत्र एवं विधि सहित है। इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० ३२२, १२७६ ) और हैं । ३६१०. प्रति सं०२१ पत्र सं० १४६ । ले. काल सं. १७६३ बैशाख सुदी १३ । ० सं.५६५ । कभार। Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन्त्र-शास्त्र ३५० ] विशेष—प्रति सचित्र है। इसी भण्डार में १ अपूर्ण सचित्र प्रति ( वै० म० ५६३ ) और है । ३६११. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३५ । ले कान ? | वे० सं० ५७५ । छ भण्डार । ३६१२. प्रति सं०४। पत्र सं० २८ । ले० काल सं० १८६८ चैत बुदी । सं० २६६ । च भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में १ प्रति संस्कृत टीका सहित ३० सं० २७० ) मोर है। ३६१३. प्रति सं०५ । पय सं० १३ । ले. काल x 1 ० म० १६६६ । ८ भण्डार । विशेष-बीजाक्षरों में कहे यंत्रों में चित्र है। पत्रविधि तथा मंत्रों सहित है। संस्कृत टीका भी है। पत्र पर बीजाक्षरों में दोनों और दो त्रिका यन्त्र तथा विधि दी हुई है। एक निकोरप में प्राभूषण पहिने खड़े हुये . नग्न स्त्री का चित्र है जिसमें जगह २ मशर लिखे हैं। दूसरी ओर भी ऐसा ही नग्न चित्र है। यन्त्रनिधि है। ३ से ६ब है स ४६ तक पत्र नहीं है। १-२ पत्र पर यंत्र मंत्र मुखी दी है। ३६१४. प्रति सं०६ । पत्र सं० ४७ में ५७ | ले. काल सं० १८१७ ज्येष्ठ नदी ५ । अपूर्ण । वै. सं. १६३७द भण्डार। विशेष-सवाई जयपुर में पं० चोख चन्द के शिष्य सुखराम ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति अपूर्ण ( वे० सं० १६३६ ) और है। ३६१५. भैरवपद्मावतीकल्प ....... | पत्र मं. ४० । मा० x इच । भाषा संस्कृत । विषय-मन्त्र शास्त्र । र० काल X 1 ले० काल x 1 पूर्गा | वे. रां० ५७४ । ३ भण्डार । ३६१६. मन्त्रशास्त्र | पत्र सं० । मा० Exi इच। भाषा-हिन्दी 1 विषय-मन्त्रशास्त्र । २० काल X । ले. काल पूर्ण । ३० सं० ५३१ । ब भण्डार | विशेष-निन्न मात्रों का संग्रह है। १. चौकी नाहरसिंह की २. कामरण विधि ३. यंत्र ४. हनुमान मंत्र ५. टिड्डी का मन्त्र ई. पलीता भूत व चुरेल का ७, यंत्र देवदत्त का . हनुमान का यत्य ह. सर्पाकार यन्त्र तथा मन्ध १७. सर्वकाम सिद्धि यन्त्र (चारों कोनों पर प्रौरव का नाम दिया हृया है) ११. त डाकिनी का यन्त्र । ३६१७. मन्त्रशास्त्र.....! पत्र सं. १७ मे २७ । प्रा. १३४५१ इञ्च । भाषा-संस्तृत । विषय-मन्त्र शास्त्र । २० कालXIले कालX । अपूर्ण । वे० सं०१४। भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में दो प्रतियां (दे ० ५८५, ५६६) और हैं। Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन्त्र-शास्त्र ] [ ३५१ ३६१८. मन्त्रमहोदधि-पं० महीधर। पत्र सं० १२० । मा० ११:४५ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-मन्त्रशास्त्र । २० काल' X । ले० काल सं० १८३८ माघ सुदी २ । पूर्ण । वे० सं० ६१६ । अ भपचार । ३६१६. प्रति सं०२ । पत्र सं० ५ । ल० काल ४ । वे० सं० ५८३ । वः भण्डार | विशेष-अन्नपूर्णा नाम का मन्त्र है। ३६२० मन्त्रसंग्रह ..."। पत्र सं० फुटकर । प्रा० । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्र । र० काल xले. काल पूर्ण । वे० सं०५६८। कभण्डार । विशेष-करीब ११५ यन्त्रों के चित्र हैं। प्रतिष्ठा प्रादि विधानों में काम पाने वाले चित्र हैं। ३६२१. महाविद्या ( मन्त्रों का संग्रह) पत्र सं० २० । पा. ११३४५ इछ । भाषासंस्कृत | विषय-मन्त्रशास्त्र | २० काल ४ | ले. काल X1 अपूर्ण । ३० सं० ७६ । घ भण्डार। विशेष--रचना जैन कवि कृत है। ३६२२. यक्षिणीकल्प .... | सं० १ । पा. १९५२ : भाषा : हिन्दी । विषय- मन्त्र शास्त्र । र० काल X । ले. काल । पूर्ण | वे मं० ६०५, । कु भण्डार। ३६२३ यंत्र मंत्रविधिफल"""""। पत्र सं० १५ | प्रा. ६३४८ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-मन्त्र शास्त्र । २० काल X । ल. काल ४ | अपूर्ण । वे० सं० १६६६ । ट भण्डार 1 विशेष-६२ यंत्र मन्न सहित दिये हुये हैं। कुछ यन्त्रों के खाली चित्र दिये हुये हैं। मन्त्र बीजाक्षरी ३६२४. वर्द्धमानविद्याकल्प-सिंहतिलक । पत्र सं० ६ से २६ । मा० १०३४४ इंच | भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-मन्त्रशास्त्र । र० काल X| ले० काल सं० १४९५ । अपूर्ण । वे० सं० १९६७ | ट भण्डार । विशेष-१ से ५, ७, १०, १५, १६, १६ से २१ पत्र नहीं हैं । प्रति प्राचीन एवं जार्ण है। ८वे पृष्ठ पर- श्री विबुधचन्द्रगणभूछिष्पः श्रीसिहतिलकमूरि रिमासाह्लाददेवतोवलविशदमना लस्नत बान्कल्पं ॥१६॥ इति श्रोसिंहतिलक सूरिकृते बर्द्धमानविद्यायल्पः॥ हिन्दी गद्य उदाहरण-पत्र पंक्ति ५ जाइ पुष्प सहन १२ जारः । गूगल गउ बीस सहन ॥१२॥ होम कीजइ विद्यालाभ हुई। पत्र ८ पंक्ति - मों कुरु कुरु कामाख्यादेवी कामद भावीज २ | जग मन मोहनी मूती बइठी उटी जयराम हाथ जोडिकरि साम्ही प्रावइ । माहरी भक्ति गुरु की शक्ति बाथदेयी कामाख्या माहरी शक्ति पाकषि । पृष्ठ २४– मन्तिम पुष्पिका- इति वर्द्ध मानविद्याकल्पस्तृतीयाधिकारः ।। ग्रन्थाग्रन्थ १७५. प्रक्षर १६ सं० १४६५ वर्षे सगरकूपशालायां अरिणहलपाटकपरपर्याय श्रीपत्तनमहानगरेऽलेखि । Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५२ ] [ मन्त्र-शास्त्र पत्र २५-गुटिकानों के चमत्कार हैं। दो स्तोत्र है। पत्र २६ पर मालिकेर कम्प दिया है। ३६२५. विजययन्त्रविधान..."। पत्र सं०७ । प्रा० १.३४५ इंच 1 भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्र शास्त्र | र० काल xले. काल XI पूर्ण | ३० सं० ८.० । अ भण्डार | विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे मं० ५६८,५६९) तथा च भण्डार में प्रति ( सं. ३३१ ) और है। ३६२६. विगानुशासन""""| पत्र सं० २७० | प्रा० ११४५% इच । भाषा-संस्कृत । र काल । ले० काल सं० १६०६ प्र० भादवा बुदी २ । पूर्ण । ये० ० ६५६ । क भण्डार । विशेष-ग्रन्थ सम्बन्धित यन्त्र भी है। यह ग्रन्थ वाटीलालजी ठोलिया के पठनार्थ मांतीलालजी के द्वारा हीरालाल कासलीवाल से प्रतिलिपि कराई। पारिश्रमिक २४१-) लगा। ३६२७. प्रति सं०२। पत्र सं० २५५ । ल. काल सं० १९३३ मंगसिर बुवी ५ । ० सं०१५घ भण्डार। विशेष–गङ्गाबक्स ब्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी। ३६२८. यंत्रसंग्रह..."| पत्र सं०७। आ०१३४:च । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्रशास्त्र । र० काल X! ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५४५ 1 अ भण्डार । विशेष-लगभग ३५ यन्त्रों का संग्रह है। ३६२६. पदकर्मकथन...| पत्र सं. ३ । प्रा० १०३४५. सश्च । भाषा-संस्कृत | विषय- म प्रशास्त्र | र० काल X ! ले. काल XI पूर्ण । ० सं० २१०३ । भण्डार | विशेष--मन्त्रशास्त्र का ग्रन्थ है। ३६३०. सरस्वतीकल्प "| पसं०२ मा.११:४६ च | भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्रशास्त्र । २० काल XI ले० काल X | पूर्ण | वै० सं० ७७० । क भण्डार । Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-कामशास्त्र ३६३१. कोकशारत्र" | पत्र सं..। प्रा० १.१Xश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-कोक | र. काल जे. कान सं० १९०३ । पूर्ण । वे० सं० १९५६ ट भण्डार। विशेष--निम्न विषयों का वर्णन है। द्रावणविधि, स्तम्भनविधि, बाजीकरण, स्थूलीकरण, गर्भाधान, गर्भस्तम्भन, सुखप्रसम, पृष्पाधिनिवारण, योनिमस्कारविधि प्रादि । ३६३२. कोकसार """1 पत्र सं०७ । मा० ६x६३ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय-कामशास्त्र । २० पाल Xलेकाल X | प्रपूर्ण । वे० सं० १२६ । क भण्डार । ३६३३. कोकसार--श्रानन्द । पत्र सं५ । भा० १३६४६५ इच । भाषा-हिन्दी । विषय-काम शास्त्र । र० काल X । ले. काल ४ : अपूर्ण । ३० सं० ८१६ । अ भण्डार । ३६३४. प्रति सं०२ 1 पत्र सं० १७ । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३६ । ख भण्डार । ३६३५. प्रति सं०३1 पत्र सं०३० । ले. काल X । वे० सं० २६४ । म भण्डार । ३६३६. प्रति सं०४ । पत्र सं० १६ | ले. काल सं० १७३६ प्र० चैत्र सुदी ५ । वे० सं० १५५२ । ट भण्डार । विशेष प्रति जोर्रा है । जट्ट व्यास ने नरायणा में प्रतिलिपि की थी। २३३७. कामसूत्र-कविहाल । पत्र सं० ३२। मा० १०१४४३ । भाषा-अाफत । विषय-काम शास्त्र । र० काल ४ | ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० २०५ । स्व भण्डार । विशेष- इसमें कामसूत्र की माथायें दी हुई है। इसका दूसरा नाम सत्तसपसमत्त भी है। Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय- शिल्प शास्त्र ३६३८. विम्बनिर्माणविधि..."। पन सं० । प्रा० ११३४७३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-विलय शास्त्र । र० काल x I ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५३३ । के भण्डार। ३६३६. विम्बनिर्माणविधि"....! पत्र सं०६ । प्रा० ११४७१ इच । भाषा-हिन्वी । विषय-शिल्प शास्त्र । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५३४ । क भण्डार । ३६४०. धिम्बनिर्माणविधि""| पत्र सं० ३६ । आ. १४६३ च । भाषा संस्कृत । विषयशिल्पकला [प्रतिष्ठा] रत काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वे० सं० २४७ । च भण्डार । विशेष-कापी साइज है । पं. कस्तूरबावजी साह मारा लिखित हिन्दी अर्थ सहित है । प्रारम्भ मैं ३ पेज की भूमिका है । पत्र १ से २५ तक प्रतिष्ठा पाठ के श्लोकों का हिन्दी अनुवाद किया गया है । श्लोक ६.१ हैं । पत्र २६ से ३६ तक बिम्ब निर्माणविधि भाषा दी गई है। इसी के साथ ३ प्रतिमानों के चित्र भी दिये गये हैं। (वे० सं० २४६) च भण्डार । कलशारोपण विधि भी है । ( वे० सं० २४८ ) च भण्डार । ३६४१. वास्तुविन्यास""""। पत्र सं० ३ । प्रा० Exer । भाषा-संस्कृत । विषय-शिल्पकला। १. काल X| ले. काल X । पूर्ण । वे० से १४५ । छ भण्डार । Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय- लक्षण एवं समीक्षा ३६४२. श्रागमपरीक्षा....1 पत्र सं० ३मा. ७४३३ इंच । भाषा-संस्मत्त । विषय-समीशा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १६४५ । द भण्डार । ३६४३. इंदशिरोमणि-शोभनाथ ! पत्र सं० ३१ । प्रा० ६४६ ईन । भाषा-हिन्दी पच 1 विषयलक्षण । १० काल सं० १८२५ ज्येष्ठ सुरी ... | ले० काल सं० १८२६ फागुण सुवी १० । पूर्ण | वे. सं० १९३६ । ट भण्डार । ३६४४. छदकीय वित्त-भट्टारक सुरेन्द्रकीति ! पत्र सं. ६ | प्रा० १२४६२ च । भाषासंस्कृत । विषय- लक्षण ग्रन्थ । र० काल XI लेकाल x | पुर्ण । ० सं० १८१४ । र भण्डार । अन्तिम पृष्पिका- इति श्री छंदकीयकवित्वे कामधेन्वाख्य भट्टारकशीसुरेन्द्रीत्तिविरचिते समस्तप्रकरण समाप्त । प्रारम्भ में कमलबंध कवित्त में चित्र दिये हैं। ३६४५. धर्मपरीक्षामाश-दशरथ निगोत्या । पत्र में० १६१ । प्रा० १२४५३ च । भाषा संस्कृत हिन्दी गय । विषय-समीक्षा ।र०काल सं. १७१। ले. काल सं०१७५७ । पूर्ण । वै० सं० ३६१ । अभण्डार । विशेष-संस्कृत में मूल के साथ हिन्दी गयटीका है । दोकाकार का परिचय-- साहु श्री हेमराज मुत मान हमीरदे जाणि । कुल निगोत श्रावक धर्म वशरय सज यस्तारिख ।। संवत सतरामै सही प्रष्टादश अधिकाय । फागुण तम एकादशी पूरण भई सुभाय ।। धर्म परीक्षा वचमिका सुंदरदास सहाय | साधर्मी जन समभि में दसरथ कृति क्तिलाग ।। टीका-विषया के पास पड्या क्रिपण जीव पाप । करें मायौ न जाई सी थे दुखी होइ मरे ।। लेखक प्रशस्ति- संवत् १७५७ वर्ष पौष शुक्ला १२ भृगौवारे दिवसा नगर्या (दौसा) जिन चैत्यालये लि. भट्टारक श्रीनरेन्द्रकीति तशिष्य पं० ( गिरधर ) कटा हुमा। Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४६ ] लक्षण एवं समीक्षा ३६४६. प्रति सं.२ । पत्र सं० ४०५ । ले० काल सं० १७१९ मंगसिर सुदी ६ । वे० सं० ३३० । भण्डार। विशेष--इति श्री प्रमितिगतिकता धर्मपरीक्षा मुल तिहकी बालबोधनामटीका तज्ञ धर्मार्थी दशरथेन कृता: समाप्ताः। ३६४७. प्रति सं० ३। पत्र सं० १३५ । ले० काल सं० १८६६ भादवा सुदी ११ । वे० सं० ३३१ । क भण्डार। ३६४८, धर्मपरीक्षा-अमितिगति । पत्र सं० ५। प्रा०१२४४ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-- समीक्षा । र० काल सं० १०७० । ले० काल सं० १८८४ । पूर्ण । ३० सं० २१२ । श्र भण्डार । ३६४ . प्रति सं०२। पत्र सं०७५ । ले. काल सं० १८८६ चैत्र मुदी १५ । वे० सं० ३३२ । अ भण्डार। विपोष-इसी भण्डार में २ प्रतियां (बे० सं० ७८४,६४५)ौर हैं। ३६५०. प्रति सं०३ । पत्र में० १३१ । ने० काल सं० १९३९ भादवा सुदी ७ । ३० सं० ३३५ । क भण्डार। 353, प्रतिः ?: : ले. का . १७८७ माघ बुदी १० । बे. सं० ३२६ । कु भण्डार। ३६५२. प्रति सं०५। पर सं०६६ । ले. कालx वे० सं० १७१ । च भण्डार ] विशेष प्रति प्राचीन है। ३६५३. प्रति सं०६ । पत्र सं १३३ । ले. काल सं. १६५३ बैशाख सुदी २ । वे० सं० ५६ । छ भण्डार। विशेष-अलाउद्दीन के शासनकाल में लिखा गया है। लेखक प्रशस्ति अपूर्ण है। इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ६०, ६१) और हैं। ३६५४. प्रति संबलपत्र सं०६१ से. काल x वे० सं० ११५ । सभण्डार । विशेष-इसी भण्डार में २ प्रतियां ( . सं. ३४४, ४७४) और हैं। ३६५५. प्रति सं०८। पत्र सं० ७८ । ले० काल सं० १५६३ भादवा बुदी १३ । वे० सं० २१५७ । ट भण्डार। विशेष-रामपुर में श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालय में जमू से लिखवाकर ब्र श्री धर्मदास को दिया। अन्तिम पत्र फटा हुम्रा है। Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लक्षण एवं समीक्षा ] ३६५६. धर्मपरीक्षाभाषा--मनोहरदास सोनी । पत्र सं० १०२ । मा० १०३४४: इच । भाषाहिन्दी पद्य | विषय-समीक्षा । र० काल १७०० । लेन काल सं० १८०१ फागुण सुदी ४। पूर्ण । वे० सं० ७७३ । अ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में १ प्रति अपूर्ण ( वे० सं० ११६६ ) और हैं। ३६५७. प्रति सं सपत्र सं० १११ । ले. काल सं० १९५४ । वे० सं० ३३६ । क भण्डार । ३६५८. प्रति स०३ । पत्र सं० ११४ । ले. काल सं० १८२९ प्राषाढ बुदी है । वे० सं० ५६५। च भण्डार। विशेष-हंसराज ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी । पत्र चिपके हुये हैं। इसी भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० ५९६ ) प्रौर है | ३६४६. प्रति सं०४ । पत्र सं० १९३ । ले. काल सं० १८३० । वै० सं० ३४५ । म भण्डार । विशेष—केशरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १३६ ) पोर है। ३६६०. प्रति सं०५ | पत्र सं० १०३ 1 ले. काल सं० १८२५ । ३० सं० ५२ । व्य भण्डार | विशेष-वखतराम गोधा ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में १ प्रति ( वै० सं० ३१४ ) और है। ३६६१. धर्मपरीक्षाभाषा---पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० ३८६ । मा० ११४५: च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय-समीक्षा 1 २० काल सं० १९३२ | ले. काल सं० १९४२ 1 पूर्ण । वे० सं० ३३८ ! क भण्डार । ३६६२. प्रति सं० २। पत्र सं० ३२२ । ले० काल सं० १६३८ । ३. सं. ३३७ । क भण्डार । ३६६३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २५० । ल कास सं० १९३९ । वे० सं० ३३४ । ऊ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ३० मं० ३३३, ३३५ ) मौर हैं । ३६६५. प्रति सं०४|पत्र सं० ११२। ले. कालx० सं०१७०७ | द भण्डार। ३६६५. धर्मपरीक्षारास-३० जिनदास | पत्र सं० १५ । मा० ११४४६ इन। भाषा-हिन्दी | विषय-समीक्षा | रस काल X| ले. काल सं० १६०२ फागुण सुदी ११ । अपूर्ण । वे० सं० ६७३ | अ भण्डार | विशेष- १६ व १७वां पत्र नहीं है । अन्तिम १८ पृष्ठ पर जीरावलि स्तोत्र हैं। मादिभाष धर्म जिएरोसर २ नमूते सार, तीर्थकर जे पनरमु वांछित फल बहू दान दातार, सारदा स्वामिरिण वली तवु बुधिसार, Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५८ ] दूहा [ लक्षण एवं समीक्षा मुझ देउमाता श्रीगणधर स्वामी नमसवरूथी सकलकीति भवतार, मुनि भवनकीति पाय प्रणमनि कहिसू रासहूं सार ॥१॥ धरम परीक्षा करूं निरूमली भवीयण सुरगु ताँ सार । ब्रह्म जिणदास कहि निरमलु जिम जाण विचार ॥२॥ कनक रतस मारिएक मादि परीक्षा करी लाजिसार । तिम परनरी सस्य मोजसार ॥३॥ अन्तिम प्रभास्ति श्री सकलकीरतिगुरुप्रणमीनि मुनिभवनकीरतिभवतार | ब्रह्म जिणदास भरिणरू प्रदु रासकीउ सविचार ॥६०।। धरमपरीक्षारासनिरमछु धरमतरणु निधान । पदि गुरिणजे सांभलि तेहनि उपजि मति ज्ञान ॥६१॥ इति धर्मपरीक्षा रास समासः संवत् १६०२ वर्षे फागुण सुदी ११ दिने सूरलस्थाने श्री शीतलनाथ चैत्यालगे प्राचार्य श्री विनयकत्तिः एडित मेघराजकन लिखितं स्वमिदं । ३६६६. धर्मपरीक्षाभाषा | पत्र सं० ६ से ५० । प्रा० ११४८ ईव । भाषा हिन्दी | विषय-- समीक्षा । र० काल XI ले. काल x ! अपूर्ण । वे० सं० ३३२ । क भण्डार । ३६६७. मूर्ख के लक्षण...."| पत्र सं०.२ | प्रा. ११४६ इंच' ! भाषा-संस्कृति । विषय-लशणग्रन्ध । र काल XI काल XI पूर्ण | वे० सं० ५७६ । क भण्डार । ३६६८. रन्नपरीक्षा-रामकवि पन सं०१७। ग्रा० ११४४०'च । भाषा-हिन्दी। वियलक्षण ग्रन्थ । २० काल X । ले. काल x पूर्ण । वे० सं० ११८ ! छ भण्डार । विशेष—इन्द्रपुरी में प्रतिलिपि हुई श्री। प्रारम्भ गुरु गणपति सरस्वति शमरि यात षध है बुद्धि। सरसबुधि छंदह रचा रतन परीक्षा सुधि ।।१।। स्तन वीपिका ग्रन्थ में रतन परिच्या जाम । सगुरु देव परताप ते भाषा वरनो पानि ॥२।। रत्न परीच्या रंगसु कीन्ही राम कविंद । इन्द्रपुरी में मानि के शिखी जु भामाणंद ६ अन्तिम Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लक्षण एवं समीक्षा ] [ ३५६ ३६६६. रसमञ्जरीटीका टीकाकार गोपालभट्ट । पत्र सं० १२ । मा० ११४५ इंच। भाषासंस्कृत । विषय लक्षणग्रन्थ । २० काल X । ले० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० २०५३ । र भण्डार । विशेष-१२ से प्रागे पत्र महीं हैं । ३६७०. रसमञ्जरी--भानुदत्तमिश्र । पत्र सं० १७ । प्रा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयसक्षरणग्रन्थ । र काल X । ले. काल सं. १८२७ पौष सुदी १ । पूर्ण । वे० सं० ६४१ । अ भण्डार । ३६७१. प्रति सं०२ । पत्र सं० ३७ । ले. काल सं० १६३५ प्रासोज सुदी १३ । वे० सं० २३६ । ज भण्डार। ३६७२. वक्ताश्रोतालक्षण"..."। पत्र सं० १ । प्रा० १२३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-लक्षण ग्रन्थ । २० काल X । ले. काल X। पूर्ण | वे० से ० ६४२ । क भण्डार । ३६७३ प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । ले० काल X । ३० सं० ६४३ | क भण्डार । ३६७४. वक्ताश्रीतालक्षण....। पत्र सं० ४ । प्रा० १२xx इछ । भाषा-संस्कृत । विषप-लक्षण अन्य । २० कान x | ले. काल ४ ! पूर्ण । ये० सं० ६४४ । क भण्डार । ३६७५. प्रति सं०२ । पथ सं० ४ । ले. काल 1० सं० ६४५ । के भण्डार । ३६७६. शृङ्गारतिलक-रुद्रभट्ट । पत्र सं० २४ । पा. १२६४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-लक्षम्म ग्रन्थ । र काल x | R० काल X । अपूर्ण । ३० सं० ६३६ । श्र भण्डार । ___३६७७. शृङ्गारतिलक कालिदास | पत्र सं० २ 1 मा० १३४६ इ। भाषा संस्कृत । विषयलक्षणग्रन्थ | र० काल X| ले० कान सं० १८३७ । पूर्ण | वे० सं० ११४१ । अ भण्डार । इति श्री कालिदास कृतौ भङ्गारतिलक संपूर्णम् प्रशस्ति- संवत्सरे ससत्रिकवस्तु मिते प्रसाढसुदी १३ त्रयोदश्यो पंडितजी भी हीरानन्दजी सच्छिष्य पंडितजी श्री चोक्षचन्दजी तच्छिष्य पंडित विनयवत्ताजिनदासेन लिपीकृतं । भूरामलजी या पाका ।। ३६७८. स्त्रीलक्षण"..."। पत्र सं० ४ । मा० ११३४५३ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-लक्षणग्रन्थ । १० काल x 1 ले काल X ! प्रपूर्ण 1 व० सं० १९८१ । अ भण्डार । Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय - फाग रासा एवं वेलि साहित्य - ३६७६. अञ्जनारास-शांतिकुशल । पत्र सं० १२ से २७ । प्रा० १०४४३ इछ । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० काल सं० १६६७ माह सदी २। ले. काल सं० १६७६ । अपूर्ण । ० सं० २।ख भण्डार । विशेष अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार है राम रब्यू सती प्रक्षना मइ जूनी उपई जोई रे । अधिकुं उछाई जे काय मुझ मिथ्या दोकष्ट होई रे ।। संयन् सोलइ सतइ सठि माहा शुदि नी बीज बखाणु रे । सोवन गिरिरास मांझीउ जइ सोलइ पुरु जाणु रे || तप गछ नायक गुण निलउ विजय सेन सूरी सरगाजइ रे । प्राररि रानो गित देव पूरीमा जइ रे ॥ तात पचाइणि दापलु जस महिमा कीरति भरिउस । मात प्रेमलदे उरि धरया देव कइ पाटणे प्रवतरित रे ।। विनयकुशल पंडित बरु परगारी गुरदरिउ रे । चरण कमल सेवा लही शांतिकुमाल इम रास करिउ रे॥ अविचलकीरति अङ्गना जा रवि सस हीड माकाश रे । पदै गुरणे जे सांभलइ रहि लखिमी तस घर पासह रे ॥ ३६८०. आदीश्वरफाग--मानभूषण । पत्र में ४० । प्रा० ११४५ इंच | भाषा-हिन्दी । विषयफागु ( भगवान प्रादिनाथ का वर्णन है ) ।र० काल X 1 ने काल सं० १५६२ वैशाख सुदी १० । पूर्ण । ३० सं० ७१ । भण्डार। विशेष-श्री मूलसंचे भट्टारिक श्री ज्ञानभूषण शुनिका बाई कल्याणमती कर्मक्षयार्थं लिखितं । ३६८१. प्रति सं० २१ पत्र सं० ११ से ५ । ले. काल X 1 वे० सं०७२ । भण्डार । ३६८२. कर्मप्रकृतिषिधानरास--बनारसीदास | पत्र सं० १८ । आ० ६x४ च । भाषा-हिन्दी । विषय-रासा। र० काल मुं० १७०० । ले. काल सं० १७८४ | पूर्ण । ० सं० १९२७ ।ट भण्डार । Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फागु रासा एवं वेलि साहित्य ] [ ३६१ ३६८२. चन्दनबालारास ....... पत्र सं० २ । प्रा० ६३४३ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय - सती चन्दनबाला की कथा है। र० काल X | ने० काल X पूर्ण 1 ० सं० २१६५ । श्र भण्डार | ३६८४. चन्द्रले रास - मतिकुशल पत्र सं० २६ | आ० १०५४ इंच | भाषा - हिन्दी | विषयराम्रा (चन्द्रलेखा की कथा है) र० काल सं० १७२८ मायोज बुढी १० । ले० काल सं० १८२६ भासोज सुदी । पूर्ण । ० सं० २१७१ । श्र भण्डार विशेष - श्रकबराबाद में प्रतिलिपि की गयी थी । दशा जीर्ण शीर्ण तथा लिपि विकृत एवं प्रशुद्ध है । प्रारम्भिक २ प पत्र फटा हुआ होने के कारण नहीं लिखे गये हैं । अन्तिम सामाइक सुधा करो, त्रिकरण सुद्ध निकाल । सत्रु मित्र समतारिण, तिमतुटै जग जाल ॥ ३॥ मरुदेवि भरथादि मुनि, करी समाइक सार ! केवल कमला ति वरी, पाम्यो भवनो पार ॥४॥ सामाइक मन सुद्ध करी, पामी द्वांस पकत्त । तिथ ऊपरिन्दु सांभलो, चंद्रलेहा चरित्र ॥५॥ वचन कला तेह बनिछे, सरसंघ रसाल । ती जागु सन्त पड़सी, सोभलतो स्याल ||६॥ संवत् सिद्धि कर मुनिससी जो वद भ्रातृ दसम विचार । श्री पीपास में प्रेम सुं, एह रच्यो अधिकारं ॥ १२ ॥ खरतर गणपति मुखकरूंजी, श्री जिन सूरिद वडवती जिम साखाखमनीजी, जो छू रजनीस दिद ||१३|| सुसुरा श्री मुगुणकीरति गणोजी, वाचक पदवी धरंत | अंतवासी खिर गयो जी, मतिवल्लभ महंत ॥१४॥ प्रथमत सुसी प्रति प्रेम स्युंजी, मतिकुसल कई एम । सामाइक मन सुद्ध करो जी, जब वए भ्रह लेहा जेम || १५ || रतनवल्लभ गुरु सानिषम, ए कोयो प्रथम अभ्यास | खसय चौबोस गाहा श्र जी, उसालीस ढाल उल्हास ॥१६॥ सुसु भावस्य जी, गरुआतरण गुरण जेह | मन सुध जिनधर्म से करें जी, श्री भुवन पति हुवे तेह ॥ १७॥ सर्व गाया ६२४ । इति चन्द्रहारास संपूर्ण ॥ Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ३६२ ] [ फागु रासा एवं बेलि साहित्य ३६८५. जलगालणरास–ज्ञानभूषण | पत्र सं० २ । मा० १०३४४६ इंच । भाषा-हिन्दी गुजरातो। विषय-रासा। र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १९७ । र भण्डार । विशेष-ल छानने की विधि का वर्णन रास के रूप में किया गया है। ३६८६. धनाशालिभद्ररास--जिनराजसरि । पत्र सं० २६ १ मा० ७२४४३ इच। भाषा हिन्दी। विषय-रासा । २७ काल सं० १६७२ मासोज बुदी ६ । ले० काल X I पूर्ण । ३० सं० १९४८ | अ भण्डार । विशेष-मुनि इन्द्रविजयगरिण ने गिरपोर नगर में प्रतिलिपि को थी। ३६८७. धर्मरासा...पत्र सं० २ से २० । प्रा० ११४६ इच । भाषा-हिन्दी | विषय-धर्म । र. काल X । ले. काल X | अपूर्ण । वे० सं० १९४८ । र भण्डार । विशेष—पहिला, छठा तथा २० से प्रागे के पत्र नहीं हैं। ३६८८. नवकाररास-1 पत्र सं० २ | प्रा. १०x४३ इन् । भाषा-हिन्दी । विषय-रणमोकार मन्त्र महात्म्य वर्णन है । र० काल X । ले. काल सं० १८३१ फागुण सुदी १२ । पूर्ण । वे० सं० ११०२ । अ भण्डार । ३६८६. नेमिनाथरास-विजय देवसूरि । पत्र सं० ४ । मा० १०x४३ इश्च । भाषा-हिन्दी | विषयरासा ( भगवान नेमिनाथ का वर्णन है ) । र० काल X| ले० काल सं० १८२६ पौष मुदी ५ । 'पूर्गा | वे संग १०२६ । म भण्डार । विशेष-जयपुर में साहिबराम ने प्रतिलिपि की थी। ३६१०. नेमिनाथरास-ऋषि रामचन्द । पत्र सं० ३ । प्रा. ६x४५ च ! भाषा-हिन्दी । विषय-रासा । र० काल X1 ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० २१४० । श्र भण्डार । विशेष-मादिभाग मरिहंत सिथ ने प्रापरीया उपजाया प्रणवार । पांचेपद तेईनमू', अठोत्तर सो बार ॥१॥ मोखगामी दोनु हुवा, राजमती रह नेम । विकतर लीया मखौ, साभल जै घर प्रेम ।।२।। ढाल जिरणेसुर मुनिराया.........। सुखकारी सोरठ देसे राज कीसन रेस मन मोहौलाल । दीपती नगरी दुवारकाए ॥१॥ समुद विजे तिहाभूप सेवा देजी राणी रूरैक । महाराणी मानी जतीए ॥२॥ Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३६३ फागु रासा एवं वैशि साहित्य ! जाग जन(म)मीया अरिहन्त देव इह सोसट सारे । ज्यारी मेव में बाल ब्रह्मचारी बाबा समोए ॥३॥ पन्तिम सिल ऊपर पंच ढालियो दीठो दोय सुत्रा में निचोडरे । तिण अनुसार माफक है, रिषि राम जी कोनी जोड रे॥१३॥ इति लिखतु श्री श्री उमाजीरी तत् सोषण छोटाजोरी खेलीह सत्तु लीखतु पाली मदे । पाली में प्रतिलिपि हुई थी। ३६६१. नेमीश्वर फाग-प्रहारायमल्ल । पत्र सं. ८ में ७० । पा०६x४. च । भाषा-हिन्दी । विषय-फागु । र० काल ४ । ले० कास ४ । प्रपूर्ण | वे० सं० ३८३ । भण्डार । ३६६२. पंचेन्द्रियरास...पप सं. ३ । प्रा. ९x४५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-रासा ( पांगों इन्द्रियों के विषय का वर्णन है ) । र० काल ४ । ले. काल - । पूर्ण । वे० सं० १३५६ । अ भण्डार । ३६६३. पल्यविधानरास-म० शुभचन्न् । पत्र सं० ५। पा० ८३.४३ इंच । भाषा- हन्दी। विषम-रासा । र० काल ४ । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ४४३ 1 + भण्डार | विशेष—पल्यविधानवत का वर्णन है। ३३६४. बंकचूलरास-जयकीति । पर सं० ४ से १७ । प्रा० ६x४ इच । भाषा-हिन्दी । विषमरासा ( कथा ) । र० काल सं० १६८५ । ले. काल सं० १६६३ फागुग्ण बुदी १३ । अपूर्ण । वे० सं० २०१२ । अ भण्डार | विशेष प्रारम्म के ३ पत्र महीं हैं। ग्रन्थ प्रशस्ति-- कथा सुरपी कचूलनी श्रेणिक धरी उल्लास । चीरनि वादी भावसुं पुहत राजग्रह वास ॥१।। संवत सोल पच्यासीई गूजर देस मझार | कल्पयामीपुर सोभती इन्द्रपुरी अवतार ॥२॥ नरसिंगपुरा वाणिक बसि दया धर्म सुखकंद । त्यालि श्री वृषभवि मावि भवीयरा वद ॥३॥ काष्ठासंघ विद्यानरसे श्री सोमकीति मही सोम । विजयसेन विजयाकर यशकीति यस्तोम ||४|| उदयसेन महीमोदय त्रिभुवनकीत्ति विख्यात । रत्नभूषण गछपती हवा भुवनरपरण जेहं जात ||Kil Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४ । [ फागुरासा एवं बेलि साहित्य तस पट्टि सूरीवरभलु जयकत्ति जयकार । जे भवियरण भवि साभली ते पामी भवपार ॥६॥ रूपकुमर रलीया मरगू बंकनूल बोजु नाम । तेह रास रच्यु रुवा अपकीत्ति मुखधाम ।।७।। नीम भाद निर्मल हुई पुरुवचने निर्धार । सभिललां मंद मलि ये भरिश नरतिनार । या सायर नन्न महीचंद सूर जिनभास । जयकोसि कहिता रहु बंकलनु रास ||६|| इति बंकचूलरास समाप्तः । संवत् १६६३ वर्षे फागुण बुदी १३ पिपलाइ ग्रामे लक्षतं भट्टारक श्री जयकीति उपाध्याय श्री बीरचंद ब्रह्म श्री जसवंत वाइ कपूरा या बीच रास ब्रह्म श्री जसवंत लक्षतं । ३६६५. भविष्यदत्तरास-प्रशारायमल्ल । पत्र सं० ३९ । प्रा० १२४८ इन्च । माषा-हिन्दी । विषयरासा-भविष्यदत्त की कया है । र.. काल सं० १६३३ नातिक सुदी १४ । ले. काल | पूर्ण । ३० सं १८६ | अ भण्डार। ३६६६. प्रति सं०२पत्र सं०६६ | ले. काल सं० १७८४ 1 वे० सं० १९३० । भण्डार । विदोष-मामेर में श्री मल्लिनाथ चैत्यालय में श्री भट्टारक देवेन्द्रकीत्ति के शिष्य दयाराम मौनी ने प्रतिलिपि की थी। ३६१७. प्रति सं०३। पत्र सं०६. | ले० काल सं० १.१ । वे० सं०५.६६ भण्डार । विशेष-पं० छाजूराम ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। इनके अतिरिक्त ख भण्डार में १ प्रति ( वे० सं० १३२ ) छ भण्डार में १ प्रति ( ० सं० १६१ ) तथा म भण्डार में १ प्रति ( ० मा १३५ ) और है। ३६१८. रुकमिणी विवाहदेहि ( कृष्णरुकमिणोवेलि )-पृश्वीराज राठौड । पत्र स० ५१ से १२१ । प्रा० ६x६ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-वेलि । र० काल सं० १६३८ । ले. काल सं. १७१९ चैत्र बुदी ५ । अपूर्ण । वे० सं० १६४ १ ख भण्डार । विशेष-देवगिरी में महात्मा जगन्नाथ ने प्रतिलिपि की थी। ६३० पद्य है। हिन्दी गद्य में टोका भी दी हुई है। ११२ पृष्ठ से आगे अन्य पाठ हैं Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फागु रासा एवं थेजि साहित्य ] ३६. शीलरासा-विजयदेव सूरि । पत्र में से पार १४६x४ इंच ! भाषा-हिन्दी । विषय-रामा। र० कालX ।ले. काल सं० १६३७ फागुण सुदी १३1 बे० सं० १९९१ | अ भण्डार । विशेष-लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६३७ वर्षे कारण सुदी १३ गुरुवारे श्रीखरतरगच्छ माया श्री राजरत्नमूरि शिष्य पं० नंदिरंग लिाखतं । उसससंघ वालेचा. गोत्रे मा होरा पुत्री रतन सु श्राविका नाली पठनार्थ सिविसं दारुमध्ये | अन्तिम पाठ निम्न प्रकार है श्रीपूज्यपासचंद ताई सुपसाय: सोस धरी निज निरमल भाइ । नयर आलउरहि जागतु, नेमि नमः मित बेकर जोडि ।। बीनती एह जि दीनवउ, इक खिण अम्ह मम बोन विछोडि । सील संघातड जी प्रीतडी; उसराभ्ययन बाबीसमु जोइ ॥ पली मने राय थकी प्ररथ प्राशा विना जे कहसु होइ । विफल हो यो मुझ पातक सोइ, जिम जिन भाष्य ते सही ।। दुरित नइ दुक्ख सहरइ कूरि, वेगि मनोरथ माहरा पूरि। भारणमुमयम मापियो, इम बीनवर श्री विजयदेय सूरि ।। ॥ इति शील रासउ समाप्तः॥ ३७००. प्रति सं० २ । पत्र सं ५ से ७ । ले. काल सं० १७०५ पासोज सुदी १४ । वै० सं० २०६१ । म भण्डार। विवर्ष-मामेर में प्रतिलिपिई थी। ३००१. प्रति सं. ३ । पत्र सं० १२ । ले० काल X । ० सं० २५७ । ब भण्डार । ३७०२. श्रीपालरास-जिनहर्षगरिख । पत्र में० १० । प्रा० १०x४३ च । भाषा-हिन्दी । विषयरासा ( थोपाल रासा की कथा है ) । र काल से० १७४२ मैत्र बुंदी १३ ले० काल X । पूर्णे | वे० सं० ८३० । भ भण्डार। विशेष---मादि एवं अन्त भाग निम्न प्रकार है Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६६ | अन्तिम- भण्डार | [ फागु रासा एवं बेलि साहित्य भण्डार | श्रीजिनाय नमः ।। हाल सिवनी || चवीसे प्रणम् जियाराम, जास पसाय सुयदेवा धरि रिदय मझारि, कहिस्य' नवपवन मंत्र मंत्र व अवर मनेक, पिरिए नवकार समज नही एक । सिद्धचक नवपद सुरसायन, सुख पार्म्या श्रीपाल नरराय ॥ भांबिल सप नव पद संजोग, गलित सरीर भयो नीरोग । तास चरित्र कहुं हित प्राणी, सुगिज्यो नरनारी मुझ वारणी || श्रीपाल चरित्र निहालन, सिद्धचक्र नवपद धारि । ध्यायइ त सुख पाईयई जगमा जस विस्तार ॥८५॥ श्री गछखरतर पति प्रगट श्री जिनचन्द्र सरोस । गरि शांति हरष वाचक तो कहइ जिनहर मुसीस ॥८६॥ म भण्डार | नवनिधि पाय । अधिकार ॥ ३७०४. पट्लेश्या बेलि - - साह लोहट । पत्र सं० २२०८३४ इंच भाषा- हन्दी विषयसिद्धांत | १० काल सं० १७३० भासोज सुदी ६ । ले० काल X। पूर्ण । ० सं०८० । म भण्डार ३००५. सुकुमालस्वामीरास - ब्रह्म जिनदास पत्र मं० ३४ | प्रा० १०३४४३ इंत्र | भाषाहिन्दी गुजराती | विषय - रासा ( सुकुमाल मुनि का वर्णन ) । ले० काल सं० १६३५ | पूर्ण । ०३६६ । भण्डार | व्यास नगाः । ए रास पाटण मां रच्यो, मुरगता सदा कल्पारण ॥८७॥ इति श्रीपाल रास संपूर्णं । पद्म सं० २८७ हैं । ३७०३. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । ले० काल सं० १७७२ भादवा कुदी १३ । ० सं० ७२२ । क ३७०६. सुदर्शनरास - ब्रह्म रायमल्ल | पत्र सं० १३ श्र० १२४६ इख भाषा-हिन्दी विषयसा ( सेठ सुदर्शन का वर्णन है ) । २० काल सं० १६२६ । ले० काल सं० १७५६ । पूर्ण ०१०४६ 1 विशेष साह लालचन्द कासलीवाल ने प्रतिलिपि की थी । ३७०७. प्रति सं० २ । पत्र [सं० ३१ । ले० काल सं० १७६२ सावरण सुदी १० । ० सं० १०९ । चू Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फागु रासा एवं वेलि साहित्य ] [ ३६० ___३०८. सुभौमचक्रवत्तिरास-ब्रह्मजिनदास । पत्र सं० १३ । मा० १०३४५ इछ । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र० काल X । ले. काल ४ | पूर्ण । ३० सं० १६२ । न भण्डार । ३७०६. हमीररासो-महेश कवि | पत्र सं० ८५ । मा०,६x६ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-रास { ऐतिहासिक ! | र० काल X । ने० काल सं० १८८३ प्रासोज सुदी ३ । मपूर्ण । ३० सं० १०४ । भन्सार । Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय- गशित-शास्त्र ३७१०. गणितनाममाला-हरवृत्त । पत्र सं०१४। ग्रा०x४ इंच 1 भाषा-संस्कृत । विषय गरिणतशास्त्र ! र० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । व० सं० ४० । ख भण्डार । ३७११. गणितशास्त्र | 'पत्र सं० ६१ । पा० ६४३३ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-गणित । २० काल ४ । से० काल x | पूर्स । वे० सं० ७६ । च भण्डार । ३७१२. गणितसार-हेमराज । पत्र सं० ५। या१२४८ इछ । भापा-हिन्दी । विषय-गणित । र. काल Xले० काल४ | अपूर्ण । . सं० २२२१ । भ भण्डार । विशेष-हाशिये पर सुन्दर वेलबूटे हैं 1 पत्र जीर्ण हैं तथा बीच में एक पत्र नहीं है। ३७१३. पट्टी पहाड़ों की पुस्तक ....."। पत्र सं० ४७ । प्रा६x६ ६ । भाषा-हिन्दी । विषय गणित । १० कालxले. कालXI प्रपूर्ण | वे० सं० १६२८ । भण्डार। विदोष-प्रारम्भ के पत्रों में खेतों की डोरी प्रादि डालकर नापने की विधि दी है। पूनः पत्र १ से ३ तक 'सीधो वर्ण समाम्नायः । प्रादि की पांचों संधियों ( पाटियों ) का वर्णन है । पत्र में १७ तक चारिंगवय नीति के पलोक हैं | पत्र १० से ३१ तक पहाड़े हैं । किसी र जगह पहाड़ी पर सुभाषित पद्य हैं । ३१ से ३६ तक तोल नार के गुरु दिये हुये हैं। निम्न पाठ प्रौर हैं। १. हरिनाममाला-शङ्कराचार्य । संस्कृत पत्र ३७ तक । २. गोकुलगांवकी लीला- हिन्दी पत्र ४५ तक । वियोष-कृष्ण अधव का वर्णन है। ३. सप्तश्लोकीगीता पत्र १६ तक। ४. स्नेहलीला-- पत्र ४७ (मपूर्ण ) ३७१४. राजूप्रमाण......1 पत्र सं० २। प्रा० ८२४४ 1 भाषा-हिन्दी । विषय गणितशास्त्र । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० १४२७ । अ भण्डार । ३७१५. लीलावतीमापा-मोइनमिश्र । पत्र सं० । प्रा० ११४६ इच । भाषा-हिन्दी । विषयगणितशास्त्र । र. काल सं० १७१४ । ले. काल सं० १८३८ फागुण बुद्दी ६ । पूर्ण । वे. मं० ६४० अ भण्डार । विशेष लेखक प्रशस्ति पूर्ण है Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणित-शास्त्र ] [ ३६८ ३७१६. लीलावतीभाषा च्यास मथुरादास | पत्र सं० ३ । प्रा. ६x४६ इंच भाषा-हिन्दी । विषय-गणितशास्त्र । र० काल X | ले. काल X । अपूर्ण । ३० सं० ६४१ । क भण्डार । ३७१७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५५ । ले. काल ४ | ३० सं० १४४ | न भण्डार । ३७१८. लीलावतीभाषा..."। पत्र सं० १३ । प्रा० १३४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-गरिणत । २० काल ४ । ले० काल । अपूर्ण । वे० सं० ६७१ | च भण्डार । ३७१६. प्रति सं०२। पत्र सं० २७ । ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० १६४२ । द भण्डार । ३७२०. लीलावती-भास्कराचार्य । पत्र सं० १७६ ! प्रा० ११:४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-गणित । २० काल X । ले० काल x पूर्ण | दे० सं० १३६७ । भण्डार । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित सुन्दर एवं नवीन है। ३७२१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४१ । ले. काल सं० १९६२ भादवा बुदी २। दे० म० १७. | ख भण्डार। वियोष-महाराजा जगतसिंह के शासनकाल में माराववन्द के पुत्र मनोरथराम सेठी ने हिण्डौन में प्रतिलिपि की थी। ३७२२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १५४ । ले. काल X । दे० सं० ३२३ । च भण्डार । विशेष---इसी भण्डार में ४ प्रतिया ( वे० सं० ३२४ से ३२७ तक) और हैं। २७२३. प्रति सं०४। पत्र सं० ४८ । ले० काल सं० १७६५ । ३० सं० २१६ । म भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में २ अपूर्ण प्रतियां ( वे० सं० २२०, २२१ ) मोर हैं। ३७२४. प्रति सं०५१ पत्र सं० ४१ । ले. काल X| अपूर्ण | वे० सं० १६६३ | ट भण्डार । Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय- इतिहास ३७२५. आचार्यों का ब्यौरा | पत्र सं० ६ । प्रा० १२३४५३ इंच। भाषा-हिन्दी : विषयइतिहास | र० काल X । ले. काल सं० १७१६ । पूर्ण । वे० सं० २६७ । म्व भण्डार। विशेष-मुखानन्द सौगारपी ने प्रतिलिपि की थी। इसी वेष्टन में १ प्रति प्रौर है । ३७२६. खंडेलवालोत्पत्तिवर्णन ... ... | पत्र सं०८ | प्रा० ७xx इच। भाषा-हिन्दी । विषयइतिहास । २० कास XI ले. काल ४ । पूर्गा । वे० सं० १५ । म भण्डार | विशेष-८४ गात्रों के नाम भी दिये हुये हैं। ३७. मु लगा .''। २ । ग्रा० ६x४ इन | भापा-हिन्दी । विषय-इतिहास । २. काल X । ले. काल X । पूर्णं । वे० सं० ५३० । ब भण्डार । - ३७२८. चौरासीज्ञातिछंद..| पन सं० १ । या० १०४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास .२० काल । ले० काल X । पूर्ण । ३० सं० १६०३ | ट भण्डार । ३७२६. चौरासीजाति की जयमाल विनोदीलाल | पत्र सं. २। पा. ११४५ इश्च । भाषाहिन्दी । विषय-इतिहास । २० काल XI ले. काल सं० १८७३ पौष बुदो ह । पूर्ण | थे० सं० २४१ । छ भण्डार । ३७३६. बठा आरा का विस्तार"....! पत्र सं० २ । प्रा० १.१४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयइतिहास । २- काल X । लेक काल XI पूर्ण । वे० सं० २१८६ । अ भण्डार | ३७३१. जयपरका.प्राचीन ऐतिहासिक वरणन"" | पत्र सं०१२७| ग्रा० Ex६६च। भाषाहिन्दी । विषय-इतिहास । र० काल X| ले. काल X । अपूर्ण । ०० १६८६ । ट भण्डार । विशेष--रामगढ सवाईमाधोपुर आदि बसाने का पूर्ण विवरण है। ३७३२. जैनबद्री मूडबद्री की यात्रा-भ० सुरेन्द्रकीत्ति । पत्र स० ४। प्रा. १०३४५ च । भाषा-हिन्दी। विषय-इतिहास | र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वे. सं. ३०० 1 ख भण्डार | ३७३३. तीर्थङ्करपरिचय....."1 पत्र सं० ४ । प्रा० १२४५३ इव | भापा-हिन्दो । विषय-इतिहास । र काल X । ले० काल - | अपूर्ण । वे० सं० १४० । अ भण्डार ।। ३७३४. तीर्थरों का अन्तराल...."[ पत्र सं० १ । प्रा. ११४४३ इच । भाषा-हिन्दी । विषयइतिहास । र० काल । ० काल सं० १७२४ पासोज सुदो १२ । पूर्ण । ३० सं० २१४२ 1 अ भण्डार । Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इतिहास [ ३० ३७३५. दादूपद्यावली ....."पथ सं० ११ प्रा. १०४३ च । भाषा-हिन्दी। विषय-इतिहास । २० काल X । ले. काल X । पूर्गा | वै० सं० १३६४ । भण्डार । दादूजी दयाल पट मरोब मसकीन ठाट । जुगलबाई निराट निरागविराज ही। बखनौस कर पाक जसो चाबी प्राम टाक । बढा हु गोपाल ताक गुरुद्वारे राजही ।। सांगानेर रजपम देवल दयाल दास । घडसी कडाला बसै घरम कीया जही। ईड वैडू जनशास तेजानन्द जोधपुर । मोहन म भजनीक ग्रासोनि बाज ही ।। गूलर में माधोदास विदाध में हरिसिंह । चतरदास सिध्यावट कीयो तनकाज ही ।। बिहारणी पिरागदास डीडवाने है प्रसिद्ध । __ सुन्दरशरा जू सरमू फतेहपुर छाजही ।। बाबो बनवारी हरदास दोऊ रतीय मैं । साधु एक मांझोड़ी मैं नीकै नित्य छाजही ।। सुंदर प्रहलाद दास पाटडेसु छोड़ मांहि । पूरब चतरभुज रामपुर छाजही ॥१॥ निरागणदास माहाल्यौ सद्धांग माहि । इकलौद रगतभंबर डाढ वरणदास जानियौ ।। हाडौती गेगाइजामैं माखूजी मगन भये। जगोजी भड़ौच मध्य प्रनाधारी मानियौं। लालदास नायक सा पोरान पटगदास । फोफली मेवाड माहि टीलोजी प्रमानियो । साधु परमानंद इबोखली में रहे जाय । . जेमल चुहाग भलो खालढ हरगानियौ ।। जैमल जीनो कुछाही वनमाली चोकन्योस । सांभर भजन सो दितान तानियो । Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७१ ] सोरठ- मोहन दफतरीसु मारोठ बिताई भलै । रुवनाथ मेतेसु भावकर आनियो । कालैडहरे चत्रदास टोकोवास नांगल मैं कोटवाडे झांझमांभू लघु गोपाल बानियाँ बावती जगनाथ राहोरी जनगोपाल । बारहदरी संतदास चावड्यलु भानियाँ प्रांधी में गरीबदास भानगढ माधव के । मोहन मेवाड़ा जोग साधन सो रहे है । टहटडे मैं नागर निजाम हू भजन कियो । दास जग जीवन धौंसा हर लहे हैं । मोहन दरियामीसो सम नागरचाल मध्य | बोकडास संत जूहि गोलगिर भये हैं || चैनराम कारणौता में गोंदर कपलमुनि । स्यामदास झालारसू बोडके में उये हैं । सक्थिा लाखा नरहर लू भजन कर । महाजन खंडेलवाल दादू गुर गद्दे हैं ।। पूरणदास ताराचन्द महाजन सुम्हेर वाली । आंधी में भजन कर काम क्रोध दहे हैं ॥ रामदास राणीबाई क्रांजल्या प्रगट भई । म्हाजन डिगाइबसू जाति बोल सहे हैं ॥ बावन ही थांभा अरु बावन ही महंत ग्राम । दादूपंथी चत्रवास सुने जैसे कहे हैं ॥ ३ ॥ जे नमो गुर दादू परमातम भादू सब संतन के हितकारी । मैं प्रायो सरति तुम्हारी ॥ टेक ॥ जै निरालंब निरवाना हम संत ते जाना । संतान को सरना दीजै, अब मोहि श्रपन कर लीजे ॥१॥ सबके अंतरयामी, अब करो कृपा मोरे स्वामी अवगत अवनासी देवा, दे वरन कवल की सेवा ॥२॥ जे दादू दीन दयाला काहो जग जंजाला । सतचित ग्रानंद में बासा, गावं वखतावरदासा ||३|| [ इतिहास 7 Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , इतिहास ) राग रामगरी में पीव क्यू पाइये, मन चंचल भाई । प्रांख मीच मूनी भया मंछी गढ काई ।।क।। छापा तिलक बनाय करिनांचे प्रागावै। प्रापरण तो समझ नहीं, पौरां समझा भगति करे पाखंड की, करणी का काचा। कहै कबीर हरि मिले, दि मतीमा ॥ इति ।। ३७३६. देहली के बादशादों का ब्यौरा "| पत्र सं० १६ । प्रा. ५३४४ इश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-इतिहास | र० काल | ले. काल X । पूर्ण । वे सं० २६ । म भण्डार ३७३७. पञ्चाधिकार"। पत्र सं ५ । प्रा० ११४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-इतिहास । र० कालx।ले. काल | अपूर्ण | ३. सं. १६४७ | ट भण्डार । विशेष—जिनसेन कृत धवलीका तक का प्रारम्भ में भाचायो का ऐतिहासिक वर्णन है। ३७३८. पट्टावली....... पत्र सं० १२ | प्रा. ८४६, इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास । २० काल X1 ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ३३० । म भण्डार । विदोष-दिगम्बर पट्टावलि का नाम दिया हुमा है । १८७६ के संवत् को पट्टावलि है । अन्त में खंडेलवाल बंशोत्पत्ति भी दी हुई है। ३४३६, पट्टायलि..."| पत्र सं. ४ | मा० १.३४५ इश्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास । र० काल XI ले काल X । प्रपूण | दे. सं० २३३ । छ भण्डार । विशेष-सं० ८४० तक होने वाले भट्टारकों का नामोल्लेख है। ३७४०. पट्टावलि पत्र सं. २ । प्रा० ११३४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-इतिहास । २० काल x | ले. काल X| अपूर्ण । वै० सं० १५७ । छ भण्डार । विशेष—प्रथम चौरासी जातियों के नाम हैं। पीछे संवत् १७६६ में नागौर के गच्छ से अजमेर का गच्छु निकला उसके भट्रारकों के नाम दिये हुये हैं । सं० १५७२ में नागौर से अजमेर का गच्च निकला। उसके सं० १९५२ तक होने वाले भट्टारकों के नाम दिये हुये हैं । ३७४१. प्रतिष्ठाकुंकुंमपत्रिका.."पत्र सं० १ । प्रा० २५४E इश्च । भाषा-संस्कृत । विश्यइतिहास । र०कालले०कालXI पूर्स | वे० सं० १४५ छ भण्डार। Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७३ ] [ इतिहास विशेष-सं० १९२७ फागुन मास का कुंकुंमएव पिलोन की प्रतिष्ठा का है। पत्र कात्तिक वुदी १३ का लिखा है । इसके साथ सं० १९३६ को कुंकुमपत्रिका छपी हुई शिखर सम्भेद की और है । ३७४२. प्रतिष्ठानामावलि..."। पत्र सं० २७ । प्रा० Ex७ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास । १० काल ४ | ले. काल ४ । पूर्गा । वे० सं० १४३ । छ भण्डार। ३७४३. प्रति सं० २ | पत्र सं० १८ । नेक काल X । वे० सं० १४३ । भण्डार । ३७४४. बलात्कारगणगुर्याबलि...."। पत्र सं. ३ | पा० ११३४४६ इम्च । भाषा-सस्कृत । विषयइतिहास । र० काल X काल X । पूर्ण । वै. सं. २०६ । अ भण्डार । ३७४८. भट्टारक पट्टावलि । पत्र सं० १ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा- हिन्दी | विषय-इतिहास । २० काल xले. कालXI पूर्ण | दे.सं.१८३७) अ भण्डार । विशेष-सं० १७७० तक की भट्टारक पट्टावलि दी हुई है। ३७४४. प्रति सं०। पत्र सं०६। ले. काल X| वे सं० ११५ । ज भण्डार । विशेष-संवत् १६०० तक होने वाले भट्टारकों के नाम दिये हैं। ३७५०. यायावर्णन पत्र सं० २ से २६ ' प्रा० ९४५२ इंच | भाषा-हिन्दी 1 विषय-इतिहास । र० काल ४ | ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० २१ । म मदर । ३७५१. रथयात्राप्रभात्र-अमोलकचंद | पन सं० ३ । प्रा. १०९४५ इव । भाषा-संस्कृत । विषय-इतिहास । २० काल X ले काल X । पूर्ण । वे० सं० १३८ । श्र भण्डार | विशेष---जयपुर की रथयात्रा का वर्णन है । ११३ पद्म है- अन्तिम-- एकोनविंशतियातेदश सहाव भासस्मपञ्चमी दिनसिस फाल्गुनस्य श्रीमग्जिमेन्द्र वर सूर्यरषस्ययात्रा मेलायक जयपुर प्रकटे बभूव ।।११२॥ स्ययात्राप्रभावोऽयं कथितो दृष्टपूर्वकः नाम्ना मौलिकमचन्द्रेण साहागोपे या संमुवा ।।११।। ॥ इति रथयात्रा प्रभाव समासा ।। शुभं भूयात् ।। काल ३७५२, राजप्रशस्ति पत्र सं. ५ | प्रा. ६x४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-इतिहास । १० ले. काल X| अपूर्ण । ० सं० १२१५। भण्डार । विशेष-दो प्रशस्ति (अपूर्ण ) हैं अनिका धारक वनिता के विशेषण दिये हुए हैं। Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इतिहास [ ३७४ ३७५३. विज्ञप्तिपत्र-ईसराज | पत्र सं० १ | प्रा. Exe इच। भाषा-हिन्दी। विषय-इतिहास । २० काल ४ लेकाल सं १८०७ फागुन सुदी १३ । पूर्ण । वेव सं० ५३ । म भण्डार । विशेष--भोपाल निवासी मराज ने जयपूर के जैन पंचों के नाम अपना विज्ञतिपत्र व प्रतिज्ञापत्र लिखा स्वस्ति श्री सवाई जयपुर का सकलन साधर्मी बड़ी पंचायत तथा छोटी पंचायत का तथा दीवानजी साहिब का मन्दिर सम्बन्धी पंचायत का पत्र प्रादि समस्त साधर्मों भाइयन को भोपाल का वासी हंसराज की या विज्ञप्ति है सो नीका अवधारन की ज्यो । इसमें जयपुर के जैनों का अच्छा वर्णन है । अमरबन्दजी दीवान का भी नामोल्पख है। इसमें प्रतिज्ञा पत्र (प्राखडी पत्र ) भी है जिसमें हंसराज के त्यागमय जीवन पर प्रकाश पडता है। यह एक जन्म-पत्र की तरह गोल सिमटा हुया लम्बा पत्र है । सं० १८०३ फागुन सुदी १३ गुरुवार को प्रतिज्ञा सी गई उसी का पत्र है। ३७५४. शिलालेखसंग्रह..."। पत्र में 5 | मा० ११४७ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-इतिहास । र० काल X1 ले. काल | अपूर्ण । वे. सं. ६९१ | अभण्डार । विशेष--निम्न लेखों का संग्रह है। १. मालुक्य वंशोत्पन्न पुलकेशी का शिलालेख । २. भद्रबाहु प्रशस्ति १. मल्लिषेण प्रशस्ति ३७५५, श्रावक उत्पत्तिवर्णन..... १५ सं० १ । प्रा. ११४२५ इंच | भाषा--हिन्दी विषयइतिहास । १० काल' X । ले. काल XI पूर्ण | वे० सं० १९०८ 1 ट भण्डार । विशेष-चौरासी गौत्र, वेश तथा कुलदेवियों का वर्सन है । ३७५६. श्रावकों की चौरासी जातियां .. .."। पत्र सं० १। भाषा-हिन्दी | विषय-इतिहास । २० काल X 1 ल• कास्न ४ । पूर्ण । वे० सं० ७३१ । म भण्डार । ३७५७. श्रायकों को ७२ आतियां..."| पत्र सं. २मा .१२४५३ ईत्र । भाषा-संस्कृत हित्वी । विषय-इतिहास । र० काल. काल x पूर्ण । वे० सं० २०२६ । श्र भण्डार । विशेष-जातियों के नाम निम्न प्रकार हैं। १. गोलाराडे २, गोलसिंघाड़े ३. गोलभूर्व ४, लंबेसु ५. जैसवाल ६. खंडेलवाल ७. बधेलवाल. अगरवाल, ६. सहलवाल, १.. असरवापीरवाड, ११. बोसमारवाड़, १२. दुसरवापोरवाड, १३. जांगडापोरवाड, १४. परवार, १५. वरहीया, १६. भैसरपोरवाध, १७. सोरठीपोरवाह, १८, पावतीपोरंभा, १६. वथड, २०, घुसर Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७५ ] [ इतिहास २१. वाहरसेन, २२. महोइ, २३. श्रणपग क्षत्री २४. सधारण, २५. अजोध्यापुरी, २६. गोरवाड, २७. विद्वलस्या, २८. कळनेरा, २६. नाम, ३०. गुजरपल्लीवाल, ३१. बोकडा, ३२. गागरवाहा, ३३, बोरवाड, ३४, खडेरवाल, ३५. हर सुला, ३६. नेगडा, ३७, सहरीया, ३८. मेवाडा, ३६, खरांडा, ४०, चीतोडा, ४१. नरसंगपुरा, ४२. नागदा, ४३. बाव, ४४. हुमड, ४५. रायकवा , बदनोर 1. मान, ... पं-मनाक. ४. हलधरथावक, ५०. सादरबाबक, ५१. हूमर, ५२. लार, ५३. बवल, ५४. बनगारो, ५५. कर्मश्रावक, ५६. वरिकर्मश्रावक ५७. वेसर ५६. सुदेवज, ५६. वलशीगुल, ६०. कोमडी, ६१. गंगरका, ६२. गुनपुर, ६३. तुलाभावक, ६४. कचंगश्रावक, ६५, हेवगाश्रावक, ६६. भोगाश्रावक ६७. सोमनश्रावक, ६८. दाउदाश्रावक, ६६. नंगवलीश्रादक, ७०. पणीसंगा, ७१. वगोरिया, ७२. काकलीवाल, मोट—हूमङ जाति को दो बार गिनाने से १ संख्या बढ़ गई है। ३४५८. श्रुतस्कंध-ब्र० हेमचन्द्र । पत्र सं० ७ । प्रा० ११:४४३ इंच । भाषा-प्राकृत । विषयइतिहास | र• काल X। ले० काल XI पूर्ण | वे० म०५१ 1 अ भण्डार । २७५६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १० । ले० काल X । वे० सं० ७२६ । अ भण्डार । ३७६८. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ११ । ले० काल x | वे० सं० २१६१ । ट भण्डार । विशेष-पत्र ७ से प्रागे श्रुतावतार श्रीघर कृत भी है, पर पत्रों पर प्रक्षर मिट गये हैं। ३४६१. श्रुतावतार--पं० श्रीधर | पत्र सं० । प्रा० १०x४३ इच 1 भाषा-संस्कृत । विषयइतिहास । र० कालX । से काल' X । पूर्ण । ० सं०३६ अ भण्डार । ३७६२. प्रति सं०२। पत्र सं०१०। ले० काल सं. १८११ पौष सूदा १ । १० सं० २०१। श्र भण्डार। विशेष-चम्पालाल डोंग्या ने प्रतिलिपि की थी। ३७६३. प्रति सं०३ । पत्र सं० ५ । ले० काल X । ० सं० ७०२ । म भण्डार 1 ३७६४. प्रति सं०४। पत्र सं०१।ले. काल X| अपूर्णवेसं० ३५१ । च भण्डार । ३७६५, संघपच्चीसी-धानसराय । पत्र सं० ६ । ग्रा० ८४५ इच 1 भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास । २. कान ४ । ले. काल सं० १८५८ | पूर्ण । वे सं० २१३ । ज भण्डार । विशेष—निर्धारणकाण्ड भाषा भैया भगवतीदास कृत भी है । ३७६६, संवत्सरवर्णन... पत्र सं०१ से ३७1 मा० १७:४४ इञ्च | भापा-हिन्दी । विषय तिहास । र० काल x ले. काल । अपूर्ण । वे० सं०७६५ | - भण्डार । Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इतिहास ] [ ३७० २०६७. स्थूलभद्र का चौमास वन" पत्र सं० २ । प्रा० १०x४ इंच भाषा दी। विषय - इतिहास । र० काल X | ले० कास X पूर्ण | ० सं० २११५ । श्र भण्डार । ईडर बाबा धावली रे ए देसी सावण मास सुहावरो रे लाल जो पौउ होने पास । अरज करूं घरे ग्रावजो रे लाल हूं छू ताहरी दास । अतुर नर भावो हम चर छा रे सुगरण नर तू छ प्राण आधार ॥१॥ भादवड़े पीउ गली रे लाल हूं कीम करूं सरगरे । रजक घर भावजो रे लाल मोरा छत सार ॥२॥ माजा भासनी परेका कुलतरणी वीछाइ सेज । रंग रा मत कीजिय रे लाल श्राणी होयड़े तेज ॥३३॥ कातीक महीने कामीनि रे लाल जो पीठ होने पास । संदेसा सण भरग रे लाल श्रलगायी केम ॥४॥ नजर निहालो बाल हो रे लाल भावो मींगसर मात्र ! लोक कहावत कहा करो जी पोज्ड़ा परम निवास ||५|| पोस बालम बेगलो रे लाल वडो मुज दोस । परीत पनोतर पालीये रे लाल भाली मन मे रोस ||६|| सीयाले ती धरो दोहलो रे लाल ते माहे बल माह । पोताने पर श्रावज्यो रे लाल ढोलन कीजे नाह १७॥ 1 लाल गुलाल धबीरसु रे लाल खेलण लागा लोग । तुज विरण मुज नेहा एकली रे लाल फागुण जाये फोक ॥८॥ सुदर पान सुहामरणो रे लाल कुल तणो मही मास । श्रीवारमा बरे श्रावज्यो रे लाल तो करसु गेह गाट ६ बीसारयो न बीसरे है लाला जे तुम बोल्या बोल | बेसाखे तुम नेम लुरे लाल तो बजड ढोल ॥१०॥ केहला दीसे कामो रे लाल काइ करावो बैठ । ढीठ व हवे काहा करो लाल ग्राखी लागी जेठ ।।११।। Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७५ ) [ इतिहास असालो धरममछोरे लाल बीच बीच जबुके बीजली रे लाल । तुज बीना मुज नैहारे लाल धरम प्रावे खीज ।।१२॥ रे रे सखी उतावली रे लाल सजी सोला सणगार । चेर बली पंथी सुदररुरे लाल थे छोडी नार ॥१३॥ चार घडी नी प्रब छकी रे लाल पायो मास भरसार । कामण माली कंत जी रे लाल सखी न प्राप्यो ग्राज |१४|| ते उडी उलट धरी रे लाल बालम जोवे भास 1. थूलभद्र गुरु प्रादेस थी रे लाल ऐह बठ्यो चोमास ||१५|| + ३७६८. हमीर चौपई"""""| पत्र सं० १३ से ३७ । प्रा. ८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय- इतिहास | र० काल X । ले. काल ४ ! अपूर्ण । वे० सं० १५१६ । 2 भण्डार । धितोमरता में नामोल्लेख कहीं नहीं है। हमीर व अलाउद्दीन के युद्ध का रोचक वर्णन दिया हुआ है। Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय- स्तोत्र साहित्य ३७६६. अफलंकाष्टक..."पत्र सं० ५। पा. ११३४५ इंच । भाषा-संस्कृत ! विषय-स्तोत्र । र काल X । ले० काल XI पूर्ण । ० सं० १५० । ज भण्डार । ३७७०. प्रति सं०२। पत्र सं० २ । ले. काल X| वे० सं० २५ । ब. भण्डार । ३७७१. अकलंकाकभाषा-सदासुख कासलीवाल । पत्र सं० २२ । प्रा० ११३४५ च । भाषाहिन्दी। विषय-स्तोत्र । र० काल सं० १९१५ श्रावण सुदी २ । ले. काल X । पूर्ण 1 2० सं० ५ । क भण्डार | विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं०६) पौर हैं। ३७.२. प्रति सं०२पत्र सं० २८ । ले. काल | सं.३। भण्डार । ३४७३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १० । ले. काल सं० १९१५ श्रावण सुदी २ । वै० सं० १८७१च हा ३७७४. अजितशांतिस्तवन....."पत्र सं०७ । मा० १०x४ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र.. काल ४ । ले० काल सं० १६६१ पासोज सुधो १ । पूर्ण । ३० सं० ३५७ प ध भण्डार । विशेष—प्रारम्भ में भक्तामर स्तोत्र भी है। ३७७५. अजितशांतिस्तषन-नन्दिषण । पत्र सं० १५ । मा० ८६x४ इंच । भाषा-प्राकृत । विषय-स्तवन । २० काल X(ले० फाल X । पूर्ण । वे० सं० २४२ । अ भण्डार। ३४७६. अनाघीऋषिस्वाध्याय ... पत्र सं० १ । प्रा० ९३xx इश्च । भाषा-हिन्दी गुजराती । विषम-स्तवन | र० काल X।ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० १९०८ । ट भण्डार । ३७४७. अनादिनिधनस्तोत्र । पत्र सं० २१ मा० १०x१६ च | माषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । र० काल XI ले० कास पूर्ण । ० सं० ३६१ । र भण्डार । ३.७८. अरहन्तस्तवन- ... पत्र सं० ६ से २४ ! मा० १.४४३च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तवन । र० काल XI ले. काल सं० १६५२ कात्तिक सुदी १० । भपूर्ण । ० सं० १९६४ | अ भण्डार । ३७४६. अवंतिपार्वजिनस्तवन-हर्षसूरि । पत्र सं०२। प्रा० १०४४३ इंच | भाषा-हिन्दी। विषय-स्तवन । र० काल XI ले. काल ४। पूर्ण । वै. सं. ३५६ । ब भण्डार । विशेष-७८ पद्य हैं। Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८० ] स्तोत्र साहित्य ] ३७८०. आत्मनिवास्तवन-रत्नाकर | पत्र सं० २ । श्रा० ६३४४ ई'च । भाषा-संस्कृत । विषमर० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० १७ । छ भण्डार । विशेष-२५ श्लोक हैं । ग्रन्थ प्रारम्भ करने से पूर्व पं० विजयहंस गरिप को नमस्कार किया गया है। पं. जय विजयगणि ने प्रतिलिपि की थी। ३७६, काराचन, २५ सं. २ का ८४४ च | भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल x | ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ६६ । के भण्डार ! ३७८२, पृष्टोपदेश-पूज्यपाद । पत्र सं०५ । मा० ११३४४३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | र० काल ४ । ले. काल XI पूर्ण । ये० सं० २०५ । अ भण्डार । विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टीका भी हुई है। ३७५३. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ । ले. काल XI ० सं०७१ । क भण्डार । विशेष - इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं०७२ ) और है। ३७८४. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६ । ले. काल ४ । वे० सं० ७ । घ भण्डार | विशेष—देवीदास की हिन्दी टब्बा टीका सहित है। ३७८५. प्रति सं०४ । पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १९४० । वे० सं०६० । भण्डार । विशेष-संची पन्नालाल दूनीवाले कृत हिन्दी अर्थ सहित है । सं० १९३५ में भाषा की थी। ३७८६. प्रति सं०५। पत्र सं० ४। ले० काल सं० १६७३ पौष बुदी । वै० सं० ४०८ । ब भण्डार। . विदोष-पेरणीदास ने जगरू में प्रतिलिपि की थी। ३७८७. इष्टोपदेशटीका-पाशावर । पत्र सं० ३९ । मा० १२३४५ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय- स्तोत्र । र० काल ४ । ले. काल ४ पूर्ण । ० सं०७० । क भण्डार । ३७८८. प्रति सं०२ । पत्र सं० २४ । ले. काल । ० सं०६१ । जु भण्डार । ३७८६. इष्टोपदेशभाषा "। पत्र सं० २५ । मा. १२४७६ इंच ] भाषा-हिन्दी मद्य । विषयस्तोत्र । र० काल ४ । ले० काल x पूर्ण । वे० सं० ६२ । भण्डार । विशेष-ग्रन्थ को लिखाने व कागज में ४:12 || व्यय हुये हैं। २७. उपदेशसभाय ऋषि रामचन्द । पत्र सं० १ मा १०४५ च । भाषा-हिन्दी । विषयतोत्र । र० कालXIले. काल पूर्ण । पे० सं० १८९० । अ भण्डार । Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ३१ ३६१. उपदेशसज्माय-रंगविजय । पत्र सं० ४ । प्रा० १.४४६ इच। भाषा-हिन्दी । विषयस्तोत्र । र० काल x।काल XI पूर्ण | वे० सं० २१३। अभण्डार । विशेष- रंगविजय श्री रत्नहर्ष के शिष्य थे । ३७६२. प्रति सं०२। पत्र सं०४ । ले० काल-1 अपूर्ण । बे०सं० २१९१ | अ भण्डार । विशेष-३रा पत्र नहीं है। ३७६३. उपदेशसज्झाय-देवादिल । पत्र सं. १ । प्रा० १०४४३ इ-1 भाषा-हिन्दी । विषमस्तोत्र । २० काल ४ । ले. व पुर्ण । है . २१६९ । परमार ३७६४. उपसर्गहरम्तोत्र-पूर्णचन्द्राचार्य । पत्र सं० १४ । मा० ३१.४१ इन । भाषा-संस्कृत प्राकृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले. काल सं० १५५३ पासोज सुदी १२ । पूर्ण । ३० सं०४१ | च भण्डार । विशेष-श्री वहगच्छीय भट्रारक गुरगदेवमूरि के शिष्य गुणनिधाम ने इसकी प्रतिलिपि की थी। प्रति यन्त्र सहित है। निम्नलिखित स्तोत्र हैं। नाम स्तोत्र कत्ता भाषा पत्र विशेष १. अजितशांतिस्तवन प्राकृत संस्कृत १ से ६ ३६ गाथा विदोष-आचार्य गोविन्दकृत संस्कृत वृत्ति सहित है। २. भयहरस्तोत्र-... संस्कृत ६ से १० विशेष-स्तोत्र अक्षरार्थ मन्त्र गभित सहित है। इस स्तोत्र की प्रतिलिपि सं० १५५३ पासोज मुदी १२ को भेदपाट देश में रामा रायमाल के शासनकाल में कोठारिया नगर में श्री गुणदेवसूरि के उपदेश से उनके शिष्य ने की थी। ३. भग्रहरस्तोत्रx ११ से १४ विदोष—इसमें पार्श्वयक्ष मन्त्र गभित अष्टादश प्रकार के यन्त्र की कल्पना मानतुंगाचार्य कृत दी हुई है। ३७६५. ऋषभदेवस्तुति-जिनसेन । पत्र सं० ७ । मा० १०३४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-- स्तोत्र । २० काल XI ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० १४६ | छ भण्डार । ३७६६. ऋषभदेवस्तुति-पमनन्दि । पत्र सं० ११ । प्रा० १२४६३ च । भाषा-प्राकृत । विषयतात्र । २० काल X । ले. काल X1 पूर्ण | वे० सं० ५४६ । अ भण्डार । विशेष-वें पृष्ठ से दर्शनस्तोत्र दिया हया है। दोनों ही स्तोत्रों के संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं। Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८२ ] [ स्तोत्र साहित्य ३७६७. ऋषभस्तुति..."! पत्र सं० ५ । मा० १.६४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | र काल' X । ले. काल X ! अपूर्ण । वे० सं० ६५१ । अ भण्डार । ३७६८. ऋषिमंडलस्तोत्र-गौतमस्वामी । पत्र सं. ३ । प्रा०६६x४ इंच । भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० ३४ ! अ भण्डार | ३६६ प्रति सं०२। पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १८५६ । वे० सं० १३२७ । अभण्डार । विशेष—इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( वे० सं० ३३८, १४२६, १९००) और हैं। ३८०० प्रति सं० ३ । पत्र सं०८। ले० काल X | वे० सं० ११ । क भण्डार । विदोष-हिन्दी अर्थ तथा मन्त्र साधन विधि भी दी हुई है। ३८०१. प्रति सं०४। पत्र सं.५ ले. काल x। वे सं० २१ । विशेष- कृष्णलाल के पठनार्थ प्रति लिखी गई थी। ख भण्डार में एक प्रति ( त्रे सं० २६१ ) और है । ३८०२. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४ । ले. काल ४ । वै० म० १३६ । छ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( वै० सं० २६० ) और है । ३८०३. प्रति सं०६ । पत्र सं० २ । ले. काल सं० १७६८ । वे० सं० १४ । ब भण्डार । ३८०४. प्रति सं०७ । पत्र सं०७६ से १०१ । ले. काल ४।३० सं० १८३६ । द भण्डार । ३८०५. ऋषिमंडलस्तोत्र..."। पत्र सं० ५ । मा० ६३-४ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोय । र० काल ४ | ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ३.४ । म भण्डार । ३८०६. एकाक्षरीस्तोत्र-(तकाराक्षर)".."। पत्र सं. १ । मा० ११४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X ।ले. काल सं० १८६१ ज्येष्ठ सुदी ।पूर्ण । ० सं० ३३६ | अ भण्डार । विशेष-संस्कृत टीका सहित है। प्रदर्शन योग्य है । ३८०७. एकीभावस्तोत्र-वादिराज | पत्र सं०११। ग्रा० १०x४ इच। भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । २० काल ले. काल सं० १९८३ माघ कृष्णा 1 पूर्ण 1 वे सं० २५४ । भण्डार । विशेष-प्रमोलकचन्द्र ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( वै० सं० १३८ ) और है । ३८०८, प्रति सं०२। पत्र सं० २ से ११ । ले. काल ४ । पूर्ण । ० सं० २६६ । ख भण्डार । ३८०६. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६ । ले. काल X । वै० सं० ६३ । अ भण्डार । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्त्रोत्र साहित्य ] [ ३३ इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १४ ) और है। ३८१०. प्रति सं४। पत्र ४ । ले० कालX| वे० सं० ५.३ | च भण्डार । विवोष-महाचन्द्र के पठनार्थ प्रतिलिपि की गयी थी । प्रति संस्कृत टीका तहित है। इसी भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( ने० सं० ५२ ) और है । ३८११. प्रति सं०५ | पत्र सं० २ । ले० काल ४ | वे० सं० १२ । न भण्डार । ३८१२. एकीभावस्तोत्रभाषा--भूधरदास । पत्र सं० ३ । मा० १०२४४ इंच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-स्तोत्र । र० काल । ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० ३०३६ । श्र भण्डार । विशेष-बारह भावना तथा शांतिनाथ स्तोत्र और है। ३८१३. एकीभावस्तोनभाषा-पन्नालाज । पर सं० २२ । प्रा० १२३४५ च । भाषा-हिन्दी पद्म | विषय-स्तोत्र । २० काल सं. १९३० । ले० काल । पूर्ण । वे० सं० ६३ । क भण्डार । इसी भण्डार में एक प्रति ( ३० सं० ६४ ) और है । ३८१४. एकीभावस्तोत्रभाषा....."पप सं० १० | पा० ७४४ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल' X ले. काल सं० १९१८ । पूर्ण । ० सं० ३५३ । म भण्यार । ३८१५. ओंकारवचनिका....। पत्र सं० ३ । प्रा० १२३४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषम-स्तोत्र । र काल X / ले. काल X। पूर्ण । वे० सं० ६५ । क भण्डार । ३८१६. प्रति सं० । पत्र सं. ३। ले. काल सं. १६३६ घासोज बुदी ५ । ने० सं० ६६ । क भण्डार । इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं०६५ ) और है । ३८१७. कल्पसूत्रमहिमा ..." पत्र सं० ४ | आ. ExY: इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-महात्म्य | २० काल X । ले० काल । पूर्ण । ३० सं० १४७ । छ भण्डार । ३८१८. कल्याणक-समन्तभद्र । पत्र सं०५ । प्रा. १०.४४, इव | भाषा-प्राकृत । विषयस्तवन | र० कालxले. काल X| पूर्ण । वे० सं० १.१ भण्डार । विशेष पणविधि चउवीसवि तिस्थयर, सुरगर विसहर युब चलगा। पुरा भएपमि पंच कल्याण विमा, भधियह रिपसुबह इक्कमणा ।। IF Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८४ ] भण्डार । छ भण्डार । अन्तिम अणु दिगु वित्त प्रविचलं । कहिय समुच्च एण ते कविणा लिज्जइ इमरपुत्र भव फलं ॥ इति श्री समन्तभद्र कृतं कल्याणक समाप्ता ॥ ३८१६. कल्याणमन्दिरस्तोत्र - कुमुदचन्द्राचार्य । पत्र सं० ५ ० १०२४ इ ंच | भाषा-संस्कृत । विषय- पार्श्वनाथ स्तवन । र० काल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ३५१ । का भण्डार | विशेष – इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( वे० सं० ३८४ १२३, १२६२ ) और हैं । ३०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १३ | ले० काल X। वे० सं० २६ । ल भण्डार | विशेष – इसी भण्डार में ३ प्रतियां और हैं ( ० ० ३०, २६४, २८१ ) । ३८२१. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६ | ले० काल सं० १८१७ माघ सुदी १ | वे० सं० ६२ । च शिष्य थे । करि कल्लापुज्ज जिरगाह हो, [ स्तोत्र साहित्य गांका की है। ३८२२ प्रति सं० ४ । पत्र संले काल सं० १६० १५० सं० २५६ ॥ विशेष- पत्र नहीं है। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १३४ ) और है। ३८२३, प्रति सं० ५ । पत्र मं० ५ | ले० काल सं० २७१४ माह बुदी ३ । ० सं ७ | झ भण्डार | विशेष – साह जोधराज गोदीकाने श्रानंदराम से सांगानेर में प्रतिलिपि करवायी थी। यह पुस्तक जोधराज ३२४. प्रति सं० ६ १ पत्र सं० १८ | ले० काल सं० १७६६ | वे० सं० ७० । न भण्डार । विशेष प्रति हर्षकोति कृत संस्कृत टीका सहित है। हर्षकीत नागपुरीय समागच्छ प्रधान चन्द्रकीत्ति के ३८२५ प्रति सं० ७ | पत्र सं ० है । ले० काल सं० १७४९ | वै० सं० १६६६ | ट भण्डार | विशेष – प्रति कल्याणमञ्जरी नाम विनयसागर कृत संस्कृत टीका सहित है । अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार इति सकलकुमकुम खंड खंड चंद्ररश्मिश्री कुमुदचन्द्रसूरिविरचित श्रीकल्यागामन्दिरस्तोत्रस्य कल्याशामञ्जरी टीका पूर्ण । दयाराम ऋषि ने स्वात्मज्ञान हेतु प्रतिलिपि की थी। ३८२६. प्रति सं० प० ४ ० काल सं० १८६६ | वे० सं० २०६५ । द भण्डार । I विशेष --- छोटेलाल ठोलिया मारोठ वाले ने प्रतिलिपि की थी । ५ Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , स्तोत्र साहित्य ] ३८२५. कल्याणमंदिरस्तोघटीका – पं० आशाभर पत्र सं० ४ संस्कृत विषय स्त्रोत्र ६० X का पू० सं०५३१ । ३२. कल्याणमंदिर स्तोत्रवृत्ति 1 संस्कृत | विषय - स्तोत्र । र० काल x | बाल X । 1 वे० सं० १० । विशेष टीकाकार परिचय [ ३८५ श्र० १० २४३ इंच | भाषा भण्डार | देवतिलक | पत्र सं० १५० ४ भाषा भण्डार । श्री केशमा निन्द्र सहसा विज्जनाह्लादयन्, वीण्याधनसारपाठकवरा राजन्ति भास्वांतरं । तच्छिष्यः कुमुदापिदेव तिलकः सद्बुद्धिबुद्धिप्रदां मन्दिरस्तस्य मुदितो वृति व्याद्भुतं ॥१॥ कल्याण मंदिरस्तोत्रवृत्तिः सौभाग्यमञ्जरी । वाच्यमानाज्जननंदाचं हा मुदा ||२|| इति यमंदिरस्तोत्रम्य वृत्तिसमाता ॥ ३८२६, कल्याण मंदिरस्तोत्रटीका - पत्र [सं० ४ से विपय-स्तोत्र १० काल X | ले० काल X | अपूर्ण वै० सं० ११० । I भण्डार 1 ३८३०. प्रति सं० २ । पत्र सं० २ से १२ । ले० काल | पूर्ण वे० सं० २३३ । भण्डार | विशेष – रूपचन्द चौधरी कनेसुं सुन्दरदास अजमेरी मोल लीनी । ऐसा अन्तिम पत्र पर लिखा है । ३८३१. कल्याणमंदिरस्तोत्र भाषा - पन्नालाल । पत्र सं० ४७ । ० १२३५ । भाषा - हिन्दी । विषय - स्तोष । १० काल सं० १६३० | ने० काल x 1 पूर्ण । ० सं० १०७ | भण्डार | ३५३२. प्रति सं० २ ० ३२ । • काल X | वे० सं० १०८ । के भण्डार । ३८३३. कल्याणमंदिरम्तोत्र भाषा - ऋषि रामचन्द्र पव सं० ५। आ० १०x४३ ६ भाषा 1 हिन्दी | विषय-स्तोत्र । १० काल X | ले० काल X पूर्ण सं० १९७१ | ट भण्डार / ३=३४. कल्याणमंदिरस्तोत्रभाषा – बनारसीदास | पत्र सं० हिन्दी र काल X | ले० काल X| पूर्ण वै सं० २२४० अ भण्डार | ३८३५. प्रति सं० २ पत्र सं० १ ० काल X ० सं० १११ | भण्डार ३८३६. केवलज्ञानीसज्झाय-विनयचन्द्र । पत्र सं० २ विषय-स्तोत्र १० काल X | ले० काल X | पूर्ण । ० सं० २१८८ | ११ । ग्रा० १०x४३ | भाषा-संस्कृत | प्रा० ६x२२ च । भाषा श्र० १०९४२ च । भाषा - हिन्दी । भण्डार | Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८६ ] [ स्तोत्र साहित्य ३८३७. क्षेत्र मावली ) पत्र सं० ३। भा० १०x४ इंच। भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र। र० काल xलेकाल पूर्ण 1 के सं० २४४ । म भण्डार । ३८३८' गीतप्रबन्ध......'' पत्र सं० २ । मा० १०:४४१ च । भाषा-संस्कत । विषय-स्तोत्र | र. काल X। ले. काल ४ । पूर्ण । वै० से० १२४ 1 के भण्डार । विशेष-हिन्दी में बसन्तराग में एक भजन है। ३८३६. गीत वीतराग-पंडिताचार्य अभिनवचारूकीर्ति । पत्र सं० २६ । मा० १०:४५ इञ्च । भाषा संस्कृत | विषम-स्तोत्र 1 २.० काल - । ले. काल सं० १८६ ज्येष्ठ बुदी ७ । पूर्ण | 2० ० २७२ अ भण्डार। विशेष---जयपुर नगर में श्री चुनीमाल नै प्रतिलिपि की थी। गीत वीतराग संस्कृत भाषा की रचना है जिसमें २४ प्रबंधों में भिन्न भिन्न राग रागनियों में भगवान प्राविनाथ का पौराणिक माझ्यान वर्णित हैं। ग्रन्श्रकार की पंडिताचार्य उपाधि से ऐसा प्रकट होता है कि वे अपने समय के विशिष्ट विद्वान थे । ग्रन्थ का निर्माण कब हश्रा यह रचना से ज्ञात नहीं होता किन्तु वह समय निश्चय ही संवत् १८८६ से पूर्व है क्योंकि ज्येष्ठ बुदी अमावस्या सं० :८८६ को जयपुरस्थ लश्कर के मन्दिर के पास रहने वाले श्री मुन्नीलालजी साह ने इस ग्रन्थ की प्रतिलिपि को है प्रति सुंदर अक्षरों में लिखी हुई है तथा शुद्ध है । ग्रन्थकार ने व को निम्न रागों तथा तालों में संस्कृत गीतों में गया है राग रागनी- मालव, गुर्जरी, वसंत, रामकली, काल्हत कर्णटक, देशासिराग, देशवराटी, गृणाकरी, मालवगौड, गुर्जराग, भैरवी, विराडी, विभास, कानरो। ताल--- रूपक, एकताल, प्रतिमण्ड, परिमण्ड, तितालो, अठताल । गीतों में स्थायी, अन्तरा, संचारी तथा ग्राभोग ये चारों हो चरण हैं इस सबसे ज्ञात होता है कि ग्रन्थकार संस्कृत भाषा के विद्वान होने के साथ ही साथ अच्छे संगीता भी थे। ३८४०. प्रति सं० २। पत्र सं. ३२ | ले कान मं० १९३४ ज्येष्ठ सुरी छ । वे० सं० १२५ । क भण्डार। विशेष-संघपति अमरचन्द्र के सेवक माणिक्यचन्द्र ने सुरंगपसन की यात्रा के अवसर पर प्रानन्ददाम के वचनानुसार सं० १९८४ वाली प्रति ले प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १२६ ) और है। ३८४१. प्रति सं०३। पत्र सं०१४ | ले० काल ४ | वे. सं० ४२1ख भण्डार ! Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य 1 [ ३८७ ३८४२. गुमास्तान"""| पत्र में १५ 1 प्रा० १२४६ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । र. काल ४ | ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० १८५ । द भण्डार । ३०४३. गुरुसहस्रनाम ..! पत्र सं० ११ । पा. १०x४ इंच | भाषा-संस्कृत ! विषय-स्तोत्र । १.० काल ४ । ले० कान मं० १७४६ बैशाख दी । पूर्ण । ० सं० २६८ । ख भण्डार | ३८४४. गोम्मटसारस्तोत्र ......पत्र सं० १ । प्रा० ७X५ इन्। भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । २० काल Xल. कालx1 पूर्ण । ने.सं. १७३ | र भण्डार | ३८४५. घघ्यरनिसाणी-जिनहर्प । पत्र सं० २। पा. १०४५. इच । भाषा-हिन्दी । विषयस्तोत्र | र काल । ले० काल X 1 पूर्ण । वै० सं० १०१ । छ भण्डार । विशेष---पार्श्वनाथ की स्तुति है । ग्रादि सुख संपति मुर नायक परतषि पास जिवंदा है। जाकी छवि क्रांति अनोपम उपमा दोपत जात दिगंदा है। अन्तिम मिद्धा दावा सातहार हासा दे सेवक बिलवंदा है। घरचर नीसारंगी पास वखारणी गुणी जिनहरष कहंदा है। इति श्री धगधर निसानी संपूर्ण । ३८४६. चक्रेश्वरीस्तोत्र"...."| पत्र सं० १ । प्रा० १०६४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र ! २० काल XI ले. काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० २६१ । ख भण्डार । ३८४७. चतुर्विशतिजिनस्तुति-जिनलाभसूरि । पत्र सं० ६ ५ मा० Ex५६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन | र० काल XI ले. काल XI पूर्ण । ० सं० २८५ । ख भण्डार । ३८४८. चतुर्विंशतितीर्थकर जयमात.."। पत्र सं० १ । प्रा० १.३४५ इंच ! भाषा-प्राकृत । विषय-स्तोत्र | २० काल ४ले० काल । पूर्ण । ३० सं० २१४८ | अ भण्डार । ३८४६. चतुर्विशतिस्तवन..."। पथ सं० ५। पा१०४४ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले० काल X 1 पूर्ण । वे० सं० २२६ । ब भण्डार । विशेष—प्रथम ४ पत्रों में वसुधारा स्तोत्र है । पं० विजयगरिण ने पट्टनमध्ये स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३८५०. चतुर्विशतिस्तवन"..."| पत्र सं० ४ । प्रा. RExच । भाषा-संस्कृत । बिषय-स्तोत्र | र० काल X 1 ले. काल X | अपूर्ण | वे० सं० १५७ । छ भण्डार । विशेष-१२वें तीर्थद्वार तक की स्तुति है। प्रत्येक तीर्थडर के स्तवन में ४ पद्य हैं। Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८८ 1 [ स्तोत्र साहित्य प्रथम पद्य निम्न प्रकार है भव्यांभोजविबोधनकतरणे विस्तारिकामविली रम्भासामजनभिनंदनमहानष्टा पदाभासुरैः । भक्त्या बंदितपादपद्मविदुषां संपादयाभोज्झितां । रंभासाम जनभिनंदनमहानष्टा पदामासुरै ॥१॥ ३८५१. चतुर्विंशति तीर्थङ्करस्तोत्र-कमलविजयगणि । पत्र सं० १५ । या० १२:४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० कान ४ 1 ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १४६ । क भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। ३८५२. चतुर्विंशतितीर्थक्करस्तुति-माघनन्दि । पय सं. ३ : प्रा० १२४५६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । र काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ५१८ | म भण्डार । ३८५३. चतुर्विशति तीर्थङ्करस्तुति । पत्र सं० । मा० १०३४४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल X I ले. काल ४ । अपूर्ण । धे० सं० १२६१ । म भण्डार | ___३८५४. चतुर्विशतितीर्थक्करस्तुति..."| पत्र सं० ३। प्रा० १२४५ च । भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । र० काल ४। ले० काल XI ० सं० २३७ | अ भण्डार | विशेष----प्रति संस्कृत टीका सहित है। ३८५५. 'चतुर्विंशतितीर्थङ्करस्तोत्र.....! पर सं० ६ । मा० ११४४२ इनु । भाषा-गंस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल XIले. काल XI पूर्ण । वे० सं० १९८२ 1 ट भण्डार । विणेष-स्तोत्र कट्टर बीसपन्थी प्राम्नाय का है। सभी देवी देवताओं का वर्णन स्तोत्र में है। ३८५६. चतुष्पदीस्तोत्र..."। पत्र सं० ११ । प्रा० ५२४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विगय-रतात्र । र कान ४ । ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० १५७५ । म भण्डार । ३८५७. चामुण्डस्तोत्र-पृथ्वीधराचार्य । पत्र सं० २ । प्रा. ८x४३ इश्व | भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण | वे० सं० १३८१ । अ प्रण्डार । ३८५८, चिन्तामणिपार्श्वनाथ जयमालस्तवन..."। पत्र सं० ४ । श्रा• Ex. 21 भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । र० काल XI पूर्ण । वे० सं० ११३४ | अ भण्डार । ३८५६. चिन्तामणिपार्श्वनाथ स्तोत्रमंत्रसहित..."। पत्र सं० १० | प्रा० ११४५ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-स्तोत्र | र• काल XI ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० १०६० । अ भण्डार । Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] भण्डार । [ ३८६ ३=६० प्रति सं० २ | पत्र [सं० ६ ले० काल सं० १५३० आसोज सुदी २ । ० सं० १८१ । ङ ३८६१. चित्रबंधस्तोत्र पत्र मं० ३ ० १२४३३ इञ्च । भाषा - संस्कृत | विषय - स्तोत्र | ० सं० २४५ भण्डार | २० काल X 1 ले० काल X। पूर्ण । विशेष – पत्र चिपके हुये हैं । ३५६२. चैत्यनंदना काल x | ले० काल X। पूर्ण | ० सं० ३८६३, चौबीसस्तवन www. काल X | ले० काल सं० १९७७ फागुन बुदो ७ । पूर्ण । ० सं० २१२२ १ अ भण्डार । विशेष- बख्शीराम ने भरतपुर में रणधीर सिंह के राज्य में प्रतिलिपि की थी । विशेष — निम्न छंद हैं नाम चंद ३८६४. छंद संग्रह----पत्र स० ६ ० ११६४४० काल X | ले० काल X पूर्ण । ० सं० २०५२ । भण्डार । महावीर छंद विजयकीत्ति छंद गुरु छंद पार्श्व छंद गुरु नामावलि छंद भारती संग्रह चन्द्रकीत्ति ग्रंथ कृपरण छंद नेमिनाथ छंद पत्र सं० ३ २१०३ | अ भण्डार । । पत्र सं० १ | मा० १०४ इल । भाषा - हिन्दी | विषय -स्तवन । २० नाम कर्त्ता शुभचन्द 33 " ० १२५३३ । भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र । २० ब्र० लेखराज X ब्र० जिनदास चन्द्रकीति शुभचन्द्र पत्र १ पर २ ३ ३ ४ 12 ४१ Y " ܕ ܕ ६,, । भाषा - हिन्दी । विषय-स्तोत्र । २० विशेष X X X X X X X X X ३८६५. जगन्नाथाष्टक - शङ्कराचार्य । पत्र सं० २ । मा० ७४३ इ | भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र । ( जैनेतर साहित्य ) । र० काल X १ लि० काल X। पूर्ण । ० सं० २३३ । छ भण्डार । Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० ] [ स्तोत्र साहित्य ३८६६. जिनवरस्तोत्र..."| पत्र सं० ३ | प्रा. ११६४५ च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र। २० काल X । ले. काल सं० १८८६ । पूर्ण । ये० सं० १०२१ च भण्डार । विशेष---भोगीलाल ने प्रतिलिपि की थी। ३८६७. जिनगुणमाला...। पत्र सं० १६ । मा० ८४६ ३७ | भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र | र० काल ४ | ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० २४१ । म भण्डार । ३७६८. जिन चैत्यबन्दन | पत्र सं० २ | प्रा० १०४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । र० काल | ले. कास XI पूर्ण 1 वे० सं० १०३५ । अ भण्डार | २०६६. जिनदर्शनाष्टक..."। पत्र सं० १ । प्रा० १.४४ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोय । १० काल - । ले. काल पूर्ण । ० सं० २०२६ । । भण्डार । ३८७०. जिनपंजरस्तोत्र...... | पत्र सं० २। मा० ६३४५इच | भाषा-संस्कृत : विषप-स्तोत्र | २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० २१५४ | द मण्डार | शिनर...कायापार्य । पत्र सं० ३ : प्रा० ६x४: रश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र काल xले कालXIपूर्ण । वे० सं० ५६ । ख भण्डार । विशेष-६० मन्नालाल के पठनार्थ प्रतिलिपि की गई थी। ३८७२. प्रति स०२१ पत्र सं० २।ले. काल X| वै० सं० ३० ।ग भण्डार । ३८७३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३ । ले० काल X । वे० सं० २०५ । * भण्डार । ३८७४. प्रति सं०४। पत्र सं. 1 ले. काल x। वे० सं० २६५ । झ भण्डार । ३८७५. जिनवरदर्शन-पद्मनंदि । पत्र सं० २ । प्रा० १०३४५ '५ । भाषा-प्राकृत | विषयम्तोत्र । र कान X | ले. काल सं० १८६४ । पूर्ण । ० सं० २०८ । छ भण्डार । ३८७६. जिनवाणीस्तवन-जगतराम | पत्र सं० २। प्रा० ११४५ इंच । भाषा-हिन्दी। विषयस्तोत्र । र० काल Xले. काल | पूर्ण | वे० सं० ७३३ | च भण्डार । ३८७७. जिनशतकटीका-शंबुसाधु । पत्र सं० २६ । प्रा० १०३४४: इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल xले० कालः । पूर्ण व० सं० १९१क भण्डार । विशेष-मन्तिम- इति शंबु साघुविरचित जिनशतक पंजिकायां वाग्वर्णन नाम चतुर्थपरिच्छेद समाप्त | ३८७८ प्रति सं० २। पत्र सं० ३४ । ले० काल x | वे० सं० ४६८ १ ब भण्डार । Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ३८७६. जिनशतकटीका - नरसिंहभट्ट | पत्र सं० ३३ १ विषय-स्तोत्र | र० काल X। ले० काल सं० १५६४ चैत्र सुदी १४ । वे० सं० २६ । न भण्डार | बिशेष – ठाकर ब्रह्मदास ने प्रतिनिति को थी । ३८०० प्रति सं० २ । पत्र सं० ५६ | ले० काल सं० १९५६ पौष बुदी १० । ० सं० २०० क भण्डार | भण्डार । [ ३६ ० ११४४३ इ 1 भाषा संस्कृत 1 विशेष—इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं० २०१, २०२, २०३, २०४ ) और है । ३८१ प्रति सं० ३ | पत्र ० ५३ । ले० काल सं० १६१५ भादवा बुदी १३ । वे० सं० १०० | छ ३८८२. विनशतकालङ्कार - समंतभद्र । पत्र सं० १४ | ० १३४७६३ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय - स्तोत्र । र० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० १३० । ज भण्डार | वेदनिहा ० ६३४६ इच। भाषा-संस्कृत विषय पत्र सं० ६ स्तोत्र ८० काल X | ले० काल X: पूर्ण । ० सं० १८६६ |ट भण्डार | विशेष — गुजराती भाषा सहित है। ३८६४. जिनस्तुति - शोभनमुनि । पत्र सं० २ । मा० १०३४३ इव । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र | २० काल X 1 ले० काल X। वे० सं० १८७ । ज भण्डार | भण्डार | विशेष—प्रति प्राचीन एवं संस्कृत टीका सहित है । ३८८५. जिनसहस्रनामस्तोत्र - श्राशावर | पत्र सं० १७ । श्र० ६xx भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | २० काल X 1 ले० काल X। पूर्ण । ० सं० १०७६ | श्र भण्डार विशेष- इसी भण्डार में ३ प्रतियां ० ० ५२१, ११२६, १०७६ ) और हैं । { ३६. प्रति सं० २ पत्र सं०८ ले काल x विशेष – इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५७ ) सं० ५७ | तु भण्डार | और है । ३८५७ प्रति सं० ३ | पत्र सं० १६ । ले० काल सं० १५३३ कार्तिक बुदी ४ । वे० सं० ११४ । च विशेष-पत्र से भागे हिन्दी में तीर्थङ्करों की स्तुति और है । इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ११६, ११७ ) और हैं । प्रतिसं० ४ । पत्र सं० २० | ले० काल X अपूर्ण ० ० १३४ । भण्डार | विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २३३ ) और है । Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ३४२ ] [ स्तोत्र साहित्य ३८८१. प्रति सं०५ | पत्र से०१५। ले. काल सं० १८६३ प्रासोज बुदी ४। वे० सं० २८ । ज भण्डार। विशेष-इसके अतिरिक्त लघु सामयिक, लघु स्वयंभूस्तोत्र, सघुसहस्रनाम एवं चैत्यवंदना भी है। अंकुरारोपण मंडल का चित्र भी है। ३८४०. प्रति सं०६। पत्र सं०४६ । ले० काल सं० १६५३ | वै० सं०४७ । भण्डार । विशेष-संवन् सोल १६५३ श्रेफ्नावर्षे श्रीमूलसंघे भा श्री विद्यानन्द तत्प? भ. श्री मल्लिभूषणतस्पट्टे मत श्री कमीचंद तत्प? भ. श्रोवीरचंद तत्पट्ट भ० ज्ञानभूषण तत्प भ० श्री प्रभाषन्द्र तत्पट्ट भ० वादिचंद्र तेषांमध्ये श्री प्रभाचन्द्र चेली बाइ तेजमती उपदेशनार्थ बाद प्रजोतमती नारायणाग्रामे इदं सहमनाम स्तोत्र निजकर्म सयार्थं लिखितं । इसी भण्डार से एक प्रति ( के० सं० १८६ ) और है। ३८६१. जिनसहस्रनामस्तोत्र-जिनसेनाचार्य । पत्र सं० २८ । प्रा० १२४५३ इच। भाषा-- संस्कृत 1 विषय-स्तोत्र 1 २० काल X Vले. काल x | पूर्गा | वे सं० ३३६ | अ भण्डार | विशेष-इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( वे० सं० ५३२, ५४३, १०१४, १०६८ ) और हैं । ३८६२. प्रति सं०२ । पत्र सं० १० । ले० काल X । वे० सं० ३१ । ग भण्डार । ३८६३. प्रति सं० ३१ पत्र सं० ६२ । ले० काल X । ३० सं० ११७ क । च भवार । विशेष--इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे. ११६, ११) मौर हैं। ३८६४. प्रति सं.४। पत्र सं.। ले० कान सं० १९०३ पासोज सुदी १३ । वै० सं० १९५। ज भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० १२५ ) और है। ३८६५. प्रति सं०५। पत्र सं. ३३ । ले० काल ४ ० सं० २६६ । भण्डार। वियोष -इसी भण्डार में एक प्रति र वै० सं० २६७ ) और है । ३८४६. अति सं०६१ पत्र सं० ३० . काल सं० १९८४ । ० सं ३२० । बभण्डार। विशेष - इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३१६ ) और है। ३८६७. जिनसहस्रनामस्तोत्र-सिद्धसेन दिवाकर । पत्र सं० ४ । प्रा० १२३४७ इंच । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र. कालxले. काल x पूर्ण । ३. सं. २८1 घ भण्डार। ३८६८ प्रति सं० २ । पत्र सं• ३ । ले० काल सं० १७२६ आषाढ बुदी १. 1 पूर्ण | वे. सं.म-- म भण्डार । विशेष-पहले गद्य हैं तथा अन्त में ५२ लोक दिये है। Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३६३ स्तोत्र साहित्य ] अन्तिम पूयिका निम्न प्रकार है इत श्रीसिद्धसे नदिवाकरमहाकवीश्वरविरचितं श्रीसहस्रनामस्तोत्रसंपूर्ण । दुवे ज्ञानचन्द मै जीधराज गोदीका ने प्रात्मपठनार्थ प्रतिलिपि कराई थी। ३६६. जिनसहस्रनामस्तोत्र....... | पत्र सं० २६ । मा० ११३४५ इंच। भाषा- संस्कृत । विषय-- स्तोत्र। १० काल xले. काल X| पुर्गा | वे.. .१ | ए भण्डार । ३६००. जिनसहस्रनामस्तोत्र... | पत्र सं. ४ । प्रा० १२४५३ इच । भाषा-संस्कृत | विषयस्तोष । र० बाल X ले० काल ४ । पूर्ण : वे० सं० १३९ । व भण्डार । विशेष -- इसके अतिरिक्त निम्नपाठ मौर है- घंटाकरण मंत्र, जिनपंजरस्तोत्र पत्रों के दोनों किनारों पर सुन्दर बेलबूटे हैं। प्रति दर्शनीय है। ३६.१. जिनसहस्रनामटीका" ..."। पत्र सं० १२१ । मा० १२४५६ इच । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल X| ले. काल XI पूर्ण । ने सं० १६३ । क भण्डार । विशेष-यह पुस्तक ईश्वरदास ठोलिया की थी। ३६८२, जिनसहस्रनामटीका-श्रुतसागर 1 पत्र सं० १८० । प्रा० १२४७ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० कास -1 ले० काल सं० १६५८ प्राषाढ सुदी १४ । पूर्ण : वे० सं० १९२ । क भण्डार । ३६०३. प्रति संक२ | पत्र सं० ४ से १६४ । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १० । छ भण्डार । ३६०४. जिनसहस्रनामटीका-अमरकोन्ति । पत्र सं० २१। भा० ११४५ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोय । र० काल ४ | ले. काल सं० १८८४ पौष सुदी ११ । पूर्ण | वे० सं० १९१ | अ भण्डार | ३६०५. प्रति सं. २ । पथ सं० ४७ । ले. काल सं० १७२५ । वे० सं० २६ । घ भण्डार । विशेष—बंध गोपालपुरा में प्रतिलिपि हुई थी। .३६०६. प्रति सं०३। पत्र सं०१८। ले. कालx० सं० २०६। भण्डार । ३६८७. जिनसहस्रनासटीका.....! पत्र सं. ७ । प्रा० १२४५ इच । भाषा-संस्कृत 1 विषय-स्तोत्र २० काल X| ले० काल सं० १८२२ श्रावण । पूर्ण । वे० सं० ३०६ । ब भण्डार । ३६०८. जिनसहस्रनामस्तोत्रभाषा-नाथूराम । पत्र सं० १६ | प्रा७X६ इच । भाषा-हिन्दी । विपय-स्तोत्र । र० काल सं० १६५६ । ले. काल सं० १९८४ चैत्र सुदी १० । पूर्ण । वे० सं० २१० | सभण्धार । ३६८ जिनोपकारस्मरण.......। पत्र सं० १३ । प्रा० १२३४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषयस्तोत्र | र• काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वे. सं. १८७ । के भण्डार । Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४ ] [ स्तोत्र साहित्य ३६१०. प्रति सं०२ । पत्र सं० १७ । लेक काल X । वे० सं० २१२ । स भण्डार । ३६११. प्रति सं०३ । पत्र सं० । ले. काल X 1 ० सं० १०६ । च भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में ७ प्रतियां ( वे० सं० १०५ से ११३ तक ) पौर हैं। ३६१२, णमोकारादिपाठ...... | पत्र सं० ३०४ । प्रा० १२४७३ इव | भाषा-प्राकृत | विषय-- स्तोत्र | र. काल ले. काल सं० १९८२ ज्येष्ठ मुदी ७ । पूर्ण । वै० सं० २३३ । सु. भण्डार | विशेष-११८८ बार णमोकार मन्त्र लिखा हुआ है । अन्त में चानतराय कृत समाधि मरण पाठ तथा २१८ बार श्रीमद्भुषभादि वर्द्धमानांतेभ्योनमः । मह पाठ लिखा हुआ है। ३६१३. प्रति सं०२। पत्र सं० ६ । ले० फाल X । वे० सं० २३४ । क भण्डार । ३६१४. मोकारस्तवन.."| पत्र सं० १ । प्रा०६३x. | भाषा हिन्दी । विषय-स्तवन । रस काल X । ले० काल XI पूर्ण । दे० सं० २१६३ । अ भण्डार । ३६१५. तकाराक्षरीस्तोत्र ) पत्र सं० २१ ० १२३४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय- स्तोत्र । र० काल X । लेn काल XI पूर्ण | वे० सं० १०३ । ब भण्डार | विशेस-स्तोत्र की संस्कृत में व्याख्या भी दी हुई है। ताता ताती ततेतां ततति ततला ताति तातीत सत्ता इत्यादि। ३६१६. तीसचौबीसीस्तवन ".""| पत्र सं० ११ । प्रा० १२४५ इंच । । भाषा-संस्कृत । विषय स्तोत्र । र० काल X । ले० काल सं० १७५ । पूर्ण । जीर्ण 1 ये० सं० २७६ | 0 भण्डार । ३११७ दलालीनी सज्झाय..." पत्र सं.१ | मा०६x४ इंच । भाषा-हिन्दी। विषम-स्तोत्र । १० काल X । ले. काल XI पूर्ण । जीर्ण । वे० सं० २१३७ । अ भण्डार । __३६१८. देवतास्तुति—पननंदि । पत्र सं० ३ । प्रा० १०x४, इच । भाषा-हिन्दी । विषम स्तोत्र । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० २१६७ । ८ भण्डार । ३६१६. देवागमस्तोत्र-प्राचार्य समन्तभद्र । पत्र सं० ४ । प्रा० १२४५६ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | र० काल X । ले० काल से० १७६५ माघ सुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ३७ । अ भण्डार । वियोष—इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३०८ ) और है । ३६२०. प्रति सं०२ । पत्र सं० २७ । ले० काल सं० १८६६ बैशाख सुदी ४ । पूर्ण । वे० सं० १६६ । च भण्डार। विशेष-मभयबंद साह ने सवाई जयपुर में स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी । इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० १६४, १६५) पौर हैं। Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ३६५ ३४२१. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ८ | ले. काल सं० १८७१ ज्येष्ठ सुदी १३ । वे० सं० १३८ ।, अण्डार। ३६२२. प्रति सं० ४ । पत्र सं. ६ । ले. काल सं० १६.२३ बैशाख दुदी ३ । वे० सं०७६ । ज भण्डार। विशेष--इसी भण्डार में एक प्रति : वे० सं० २७७ ) पौर है। ३६२३. प्रति सं०५ । पत्र सं०६ । ल. काल सं० १७२५ फागुन बुदी १० । वै० सं०६। भण्डार । विशेष-रे दीनाजी ने मांगानेर में प्रतिलिपि की थी। साह जोधराज गोदीका के नाम पर स्याही पोत दी गई हैं। ३६२४. प्रति सं०६ । पत्र सं०७० काल X । वे० सं० १५१ । म भण्डार । ३६२५. देवागमस्तोत्रटोका-प्राचार्य वसुनंदि । पत्र सं० २५ । पा. १३४५. इंच | भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र ( दर्शन )। र० काल x | ल. काल सं० १५५६ भादवा सुदो १२ । पूर्ण । वे० सं० १२३ । श्र भण्डार। विशेष -प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १५५६ भाद्रपद सुदी २ श्री मूलसंधे नंद्याम्नाये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुदकुदाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्मनंदि देवास्तत्प? भट्टारक श्री शुभचन्द्र देवास्तत्प?' भट्टारक श्री जिनचंद्रदेवास्तशिष्य मुनि श्रीरत्नकीत्तिदेवास्तशिष्य मुनि हेमचंद देवास्तदाम्नाये श्रीपथावास्तव्ये खण्डेलवालावये बीजुबागोत्रे सा. मदन मार्या हरिसिणी पुत्र सा. परिसराम भायां मषी एतैसास्त्रमिदं लखयित्वा ज्ञानपात्राय मुनि हेमचन्द्राय भत्त्याविधिना प्रदत्त । ३६२६. प्रति सं० २१ पत्र सं० २५ । ले. काल सं० १६४४ भादवा बुदी १२ । वे० सं० १६० । ज भण्डार। विशेष-कुछ पत्र पानी में घोड़े गल गये हैं । यह पुस्तक पं० फतेहलालजी की है ऐसा लिखा हुमा है । ३६२७. देवागमम्तोत्रभाषा-जयचंद लामड़ा। पम्र सं० १३४ । प्रा० १२४७ च। भाषाहिन्दी । विषय-न्याय | र० काल सं० १८६६ चैत्र बुदी १४ । ले. काल सं० १९३८ माह सुदी १ । पूर्ण । वे० सं० ३.६ | क भण्डार। विशेष—इसी मण्यार में एक प्रति ( ० सं० ३१. ) और है। ३६२८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ से + : ले. काल सं० १८६८ । वे० सं० ३०६ I , भण्डार । विशेष-इसो भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३०८ ) और है। Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९६ ] [ स्तोत्र साहित्य ३६२६. देवागमस्तोत्रभाषा पत्र सं० ४ | पा० १९४७१ च । भाषा-हिन्दी पद्म | विषयस्तोष । र काल X 1 ले. काल ४ । पूर्ण । ( द्वितीय रिजोद तक ) वे० सं० ३०७ । क भण्डार । विशेष-न्याय प्रकरण दिया हुआ है । ३६३८. देवाप्रभस्तोत्रवृत्ति-विजयसे नसूरि के शिष्य अणुभा । पत्र सं० ६ । प्रा० ११४८ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र ! २० काल काल १०६४ ज्येषु सदी । पूर्ण के० सं० १९ । म भण्डार। विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। ३६३१. धर्मचन्द्रप्रबन्ध-धर्मचन्द्र । पत्र सं० १ । आ. १९४४३ च । भाषा-प्राकृत | विषयस्तोत्र। र. कालxले. काल XI पूर्ण | ३० सं० २०७२ | भण्डार। विशेष-पूरी प्रति निम्न प्रकार है-- वीतरागायनमः । साटा छंद सवनो मददं तिमाल दिसऊ सम्बत्य वत्थुगदी । बिस्सचश्बुदरो स प्रा प्रविसऊ जो ईस भाऊ समो। सम्मदंसणाणसच्चरिप्रदोईसो मुरणीणां गमो पताणा त चउछउ सविमलो सिद्धो वसं कुज्जो 1१11 विज्जुमाला संद देवारण सेवा काप्रोण बारसीए अंबाडाकर । गुरुरपंदो साराहीत्तागं विज्जुमाला सोहीपारणं ।।२।। भुजंगप्रयात छंद बरे मूलसंघे बलात्कारगणणे सरस्सत्तिगछे पभंदोपयण्णे। वरो तस्स सिस्सो धम्मेंदु जीमो बुहो चारूवारिन भूभंगजीयो ।।३।। पार्याछंद-- सनल कलापब्बीशी लीगो परमागमस्स सत्यम्मि । भब्धि प्रजण उदारो धम्मचदो जनों मुणिदो । कामावतारछंद मिछाक अकाखेरण प्राईसरेण प्राइटिसुण्णारण पढबजाँभगागा । ।।१।। सिस्सारण मारोण सत्याग दारणेण धम्मोपएसेण बहाणरंजेश ॥२॥ मि .-"तप्पस्ससुरेण दुम्मत फेडेण मुनव्वपूरेण ॥३॥ भन्वारण भवेण जोपारण लोएग झारणग्गि मुहेण कम्मेह हुएण 1१४|| जित्तीइ मादेण कामावबारेण इंदीकरण मोक्खक्करत्तेण ।।५।। Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] मामचंद - भुजंगप्रयात्तछंद ---- मर्यादि मौत्तिकदा मछंद - मार्याछंद जताचंदजाण भव्यज्जभाग भत्ताजईप्रारण कसा सुहागा ॥७६॥ धम्मदुकुंदेशा सद्धम्म देश गम्मोत्थुकारेण भतिज्यभारेण ॥ अणि रोमी तित्येण दासेण ब्रहेण संकुज्जभ ॥ ८ ॥ द्वात्रिशत्यत्र कमलबंधः ॥ कोहो लोहोबत्तो भतो अजण सासणे लीरो । मा अमोहवि खीयो मारत्थी कंकरणो ऐसी ॥६॥ सुवित्त वितितो विभामो जईसो सुसौलो सुलीलो मुसोहो विसो । सुम्मसुम सुमोमो विराम्रो विभाओ विविट्टो विमोसो ॥१०॥ सम्म सरगरगाणं सचारितं त बसु राम्णो । चरइ चरावर धम्मो चंदो अविष्णु विक्खाश्रो ।।११॥ तिलंग हिमाचल मालव अंग वरवर केरल कण्ण्ड बंग । तिलात कलिंग कुरंगडहाल कराड गुज्जर इंद्र तमाल ।।१२।। पोट अति किरात प्रकीर सुत्नुक्क तुरुक्क बराड सुवीर । मरुस्थल दख पुरवदेस सुरणागवचाल सुकुंभ लसेस ॥११३॥ चऊड गऊड सुकंकणलाट, सुबेट सुभोट सुदविड राट । सुदेश विदेसहं श्राचर राय, विवेक विचक्रण पूजइ पान || १४ | ३ सुचक्कल पीपनोहरि पारि, राज्झण रोडर पाड़ विधारि । सुचिग्भम प्रति महाउ विभाउ, सुगावर गोउ मोहसाउ ।।१५।। सुउज्जल मुत्ति महीर पवाल, सुपूरउ शिम्मल रंगिहि बाल | ears विउरि धम्मविचंद बचाउ अक्खहि बारु सुभेद ||१६| जड़ जगदिसिवर सहिश्रो, सम्मदिट्टि साथ श्राइ परि भरिउ । जिधम्मभवखंभो विस श्रंख करो जो जभइ ॥११०॥ [ ३६७ Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ स्तोत्र माहिः ३६८ } मग्विणीलंद-. जत्त पत्ति दिबाइ उद्धारकं सिरस सत्याण दाणाभरो मारा । धम्मरणी राराधाराण भन्वाणक चारूसस्स एउद्धारणिप्पादकं ।।१।। छद्दहा अग्गली भावरणाभावए, दस्राधम्मा वरा सम्पदा पालए । पारू चारित्तहिं भूसिनो विगहो, धम्मचंदो जनो जित्त दिगहों ।।१६।। पचछछद सुरणर खगचरखचर पारू चच्चि प्रकम घिरावर । चरण कमलहि प्रधरण सरण गोयम जर जइवर । पोसि अवितर धम्म सोसि प्रक्कमपबलता। उद्धारी कपसमि वगभव चातक जलधर । बम्मह सप्प दप्प हरणबर समस्थ तारण तरण। अय धम्मधुरंधर धम्मचंद सयलरांघ मंगलकरण ॥२०॥ इति धर्मचन्द्रप्रबंध समासः ।। ३६३२ नित्यपाठसंग्रह " पत्र सं. ७ । प्रा० ८३४४३ इस भाषा-संस्कृत हिन्दी। विषय - स्तोत्र । २० काल X । ले. काल- अपूर्ण । वे० सं० २२० । अ भण्डार। विशेष—मिम्न पाठों का संग्रह है। बडा दर्शन संस्कृत हिन्दी छोटा दर्शन बुधजन भूतकाल चौबीसी पंचमंगलपाठ--- रूपचंद (२ मंगल है) अभिषेक विधि संस्कृत ३६३३. निर्वाणकाएद्धगाथा...."पत्र सं० ५। प्रा० ११४५ इंच । भाना- प्राकृत । विषय-स्तवन । र काल ले. काल X । पूर्ण । बे० सं० ५६५ । अ भण्डार । विशेष—महाबोर निर्वामा कल्याणक पूजा भी है । ३६३४. प्रति सं | पत्र सं०५ | लेकालx० सं० ३७२ । स भण्डार | ३६३४. प्रति सं०३ पत्र सं. २। ले० काल सं० १८८४ वै० सं० १८७ | च भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० १८८ ) और है । Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ३६६ ३६३६. प्रति सं०४ पसं. २ | ले. कालx. सं० १३६ । छ भण्डार। विशेष—इसी भण्डार ३ प्रतियां (वेस सं० १३६, २५६ २५६/२ ) मौर हैं । ३६३७. प्रति सं०५। पत्र सं. ३ । ० कान X । वे० सं० ४.३ । ब भण्डार । ३६३८ प्रति सं०६ । पत्र सं० ३ । ले. काल XI. स. १८६३ । ८ भण्डार । ३६३६. निर्वाणकार टीका ... | पत्र सं० २४ । मा० १.४५ इछ । भाषा-प्राक्त संस्कृत | विषय६.वन । र० काल | ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ६६ । ख भण्डार ! . ३६४०. निर्वाणकाएडभाषा-भैया भगवतीदास । पत्र सं० ३ । प्रा० ६x६ इंच | भाषा-हिन्दी। विषय-स्तवन । र० काल सं० १७४१ । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ३७५ | उ भण्डार | विशेष – इसी भण्डार में २ अपूर्ण प्रतियां ( ० सं० ३७३, ३७४ ) और हैं। ३६४१. निर्वाणभक्ति पत्र २० २४ । आ. ११४७१ च । भाषा-हिन्दी । विषय- पूजा । २० काल ४ । से• काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ३८२ । क भण्डार । ३६४२. निर्वा गभक्ति..... । पत्र सं० ६ । प्रा० ४५३ च । भाषा- संस्कृत । विषय-स्तवन । र. काल X । ले. काल x 1 अपूर्ण ! बे० सं० २०७५ । ट भण्डार । विशेष-१६ पद्य तक है। ३६४३. निर्वाण सप्तशतीस्तोत्र...। पत्र सं०६ । प्रा० Ex४६ इंच । भाषा--संस्कृत । विषयस्तवन । र० काल X । ले. काल सं० १९२३ ग्रामोज बुदी १३ । पूर्ण । ने० सं० ।ज भण्डार । ३६४४. निरिणस्तोत्र ...... पत्र सं० ३ से ५ । मा० १०x४ च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । २० काल X| ले. काल ४ | अपूर्ण । वे० सं० २१७५ । र भण्डार । विशेष-हिन्दी टीका दी हुई है। ३६४५. नेमिनरेन्द्रस्तोत्र-जगन्नाथ । पत्र सं० ८ । प्रा. ६:४५ इच । भाषा - संस्कृत । विषपस्तोत्र । २० काल | ले. काल सं० १७०४ भादवा बुद. २१ पूर्ण । ० सं० २३२ ! अ भण्डार । विशेष—पं. दामोदर ने शेरपुर में प्रतिलिपि की थी। ३६४६. नेमिनाथस्तोत्र-पं० शाली । पत्र सं. १ । प्रा० ११४५३ ६ च । भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । र० काल X । ले. काल सं० १९ । पूर्ग । ३० सं० ३४० | अ भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। द्वययक्षरी स्तोत्र है । प्रदर्शन योग्य है । ३६४७. प्रति सं० २१ पत्र सं.१ कालx .सं. १८३० । द भण्डार | Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ स्तोत्र साहित्य ३६४८. नेमिस्तवन--ऋषि शिव । पत्र मं० २। प्रा० १०x४च । भाषा-हिन्दी । विषयम्तवन । १० कातx . काल । पूर्ण | वे० सं० १२०८ श्र भण्डार । विशेष-बीस तोषं डर स्तवन भी है । ३४. नेमिस्तवन-जितसागरगरणी । पत्र सं. १ । प्रा. १०४४ । भाषा-हिन्दी । विषय - म्तोत्र । र काल ४ । ले. काल X1 पूर्ण । वे० सं० १२१५ । श्र भण्डार | विशेष-दूसरा नेमिस्तवन प्रौर है । ३६५०. पत्र कल्याणकपाठ-हरचंद ! पत्र सं०१ । भाषा-हिन्दी। विषय-रतवन । र काल .. १८३३ ज्येष्ठ सुदा ७ । लेक काल x ! पूर्ण । वे० सं० २३८ । छ भण्डार । विशेष प्रादि अन्त भाग निम्न है प्रारम्भ अन्तिम-धन छंद कल्यान नायक नमी, कल्प कुरुह कुलकंद । कल्मष दुर कल्यान कर, बुधि कुल कमल दिनंद ।।१।। मंगल नायक वैदिक, मंगल पंच प्रकार | बर मंगल मुझ दीजिये, मंगल बरनन सार ।।२।। यह मंगल माला सब जनविधि है, सिव साला मल में धरनी। बाला बध तरुन सब जग को, सुख समूह की है भरनी॥ मन वय तन श्रधान करे गुन, तिनके चहुंगति दुख हरनी ॥ नाते भविजन पति कठि जगते, पंचम गति वामा वरनी ।।११।। व्योम अंगुल न नापिये, गनिये मघवा धार । उडमन मित भू पैडन्यौ, त्यो गुन बरने सार ।।११७।। तीनि तीनि वसु चंद्र, संवतसर के अंक । जेष्ठ शुम्ल सप्तम दिवस, पूरन पढी निसंक ॥११॥ दोहा ॥ इति पंचकल्याणक संपूर्ण । Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ३६५१. पश्चनमस्कारस्तोत्र-आचार्य विद्यानंदि । पत्र म० ४। मा० १०३४४३ च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले. काल सं० १७९६ फागुण । पूर्ण । वै० सं० ३५ । अ भण्डार । ३६५२. पञ्चमंगलपाठ-रूपचंद । पत्र मं० ६ । प्रा० १२३४५, इंघ । भाषा-हिन्दी । विषयस्त । २. काल : । कतिक नुयो २ । पूर्ण । ० सं० ५०२ । विशेष-अन्त में तीस चौबीसी के नाम भी दिये हुये हैं। 4. सुस्थानचन्द ने प्रतिलिपि को थी । इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( ० ० ६५७, ७७१, ६६० ) प्रौर हैं। ३६५३. प्रति सं०२१ पत्र सं०४। ले. काल सं.१९३७ । वे० सं०४१४ । क भण्डार । ३६५४. प्रति सं ३ पत्र सं. २३ । ले. काल । ने. सं. ३९४ | भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति प्रौर है। ३९५५. प्रति सं० १ । पत्र सं० १० । ले० बाल सं० १८८९ आमोज सुदी १५ । ये० म० ६१८ 1 च भण्डार । विशेष-पत्र ४ चौथा नहीं है। इसी भण्डार में एक प्रति ( वै० म० २३९ ) और है । ३६५६, प्रति सं०५ | पत्र सं. ७ । ले. काल X । ० सं० १४५ 1 छ भण्डार | विशेष---इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २३६ ) और है। ३६५७. पंचस्तोत्रसंग्रह..."। पत्र सं० ५३ 1 मा० १२४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र। र• काल X 1 ले. काल x पूर्ण । ० सं० ११ | अभण्डार | विशेष. पाचों ही स्तोत्र टीका सहित हैं। स्तोत्र टीकाकार भाषा संस्कृत १. एकीभाव २. कल्याणमन्दिर ३. विषापहार ४. भूपालचतुर्विंशति ५. सिद्धिप्रियस्तोत्र नागपन्द्र सूरि हर्षकीर्ति नागचन्द्रसूरि प्राणाधर ३६५८. पंचस्तोत्रसंग्रह... पत्र सं०२४ | प्रा6 है। भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० ने० काल X । पूर्ण । वे० सं० १४०० | अ भण्डार । ३६५६. पंचस्तोत्रटीका""| पत्र सं०५० प्रा० १२४८ इच। भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र । २. काल x 1 ले काल XI पूर्ण : वे० सं० २००३ । भण्डार । Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०२ । [ स्तोत्र साहित्य विशेष-भक्तामर, विहार, एकी भाव, कल्याणमंदिर, भूपालचतुर्विशाति इन पांच स्तोत्रों की टीका है। ३६६०. पद्मावत्यष्टकघृत्ति-पार्श्व देव । पत्र सं० १५ । प्रा० ११४४६ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयम्नोत्र । र.. काल X ! • काल सं० १८६७ । पूर्ण । वे सं० १४४ । भण्डार । विशाष—अन्तिम- म्यायां पादिवविरचितामा पद्यावत्यष्टकवृत्तौ मत् किमप्यबंधयति तत्सर्व मभिः अंतव्यं देवाभिरपि । वर्षागा द्वादभिः शर्तर्गतेनुत्तरियं वृत्ति वैशाखे सूदिने ममाप्ता शुरूपंचम्यां अस्याक्षरगणनातः पंचतानि जातीनिहाविदक्षसरिण नामदनुष्यदंदसा.प्रायः । इति पद्मावत्यष्टकवृत्तिसमाप्ता । ३६.१. पद्मावतीस्तोत्र..."। पय मं० १५ । प्रा० ११३४५, ९च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । १० काल ! ले. कान X । पूर्ण । वे. मं. १३२ । ज ण्डार । विदोष-मावती पूजा तथा शान्तिनाथस्तोत्र, एकीभावस्तोत्र और विषापहारस्तोत्र भी हैं। ३६६२, पद्मावती की ढाल. ""! पत्र सं० २ । मा० १६x४ च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तात्र । २० काल । ल. कान X । पूर्ण । वेग मं० २१८० । अ भण्डार | ३६६३. पद्मावतीदण्डक..... | पत्र सं०१ । मा. १११:४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० कानाला वाल xई। वे० म०२५१ | अ भण्डार । ३.६४. पद्मावतीसहस्त्रनाम..."| पत्र सं० १२० प्रा० १०४५:श्च । भाषा-संस्वृत्त । विषय स्तोत्र । र, काल x | ल० कान सं० १९०२ । पूर्मा । वे. सं. ९९५ अ भण्डार | वर्ग ---दाशिनाथाष्टक एवं पभावती कवच मंत्र ) भी दिये हुये हैं। ६५. पद्मावतीम्नान.......1 त्र नं. ६ । प्रा०६१x६ च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-स्तोत्र । र. कानले. काल ४ । पूर्ण । ० सं० २१५.३ । अभण्डार। विशेष—इसी भार में २ प्रतियां (व० सं० १०३२, १८६५) और हैं। ३६६. प्रति सं | पालन नाल मं. १६३३ । ३० सं० २९४ । ख भण्डार । ३६६७ प्रति सं० ३ । पत्र सं० २ । ले. काल ५ । ने मं० २०६। व भण्डार । ३६. प्रति संसपथम १६. कानxने मं० ४२६ । कु भण्डार । ३६६६. परमज्या तिस्तात्र-बनारसीदास । पत्र सं० १ । प्रा० १२३४६३ । भाषा-हिन्दो । विषय-स्तोत्र । रत काल - । ले० कालXI पूर्ण । ० सं० २२११ । अभण्डार । ३६७०. परमात्मराजस्तवन-पद्मनंदि। पत्र सं २ मा०६४५ इंच। भाषा-संस्कृत 1 विषयस्नान । र, कालx। ले. काल XI पूर्ण । ० सं० १२३ । म भण्डार। Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ४०३ . ३६७५. परमात्मराजस्तोत्र--भः सकल कीत्ति । पत्र गं३ । मा० १०४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० कालxले. काल पूर्ण । वे...१६५ 1 अ भण्डार । प्रथ परमात्मराज स्तोत्र लिख्यत यन्नामसंस्तदफलात् महतां महत्यप्धष्टी, विशुद्धय इहाशु भवंति पूर्णाः । सर्वार्थ सिद्धजनकाः स्वनिदेवमूत्ति, भक्त्यास्तुचेतमनिशं परमात्मराजं ॥१॥ यद्यामववहननात्महतां प्रयांति, कवियोति विषमाः शतचूरतां च । अंतातिगावरगुणाः प्रकटाभवेयुर्भकपास्तुयनमनिशं परमात्मराज ॥२॥ यम्पावबोधकलनानिजगत्प्रदीपं, श्रीकेवलोदयमनंतसुखान्धिमाशु । संतः श्रवन्ति परमं भुवनार्य अंध', भक्त्यास्तुवेतमनिशं परमात्मराज ॥३॥ यदर्शनेनमूनयो मलमोगलीना, ध्याने निजात्मन इह विजगत्पदान । पश्यन्ति केवलहशा स्वपराश्रितान्दा, भयास्तवेतमनिशं परमात्मराजं ॥४॥ चापनादिकरयानासनाच, नापश्यति कमरिपयोभवकोटि जाताः । अभ्यन्तरेऽत्रविविधाः सकलादयः स्पुर्भक्त्यास्तुवेतमनिशं परमात्मराज ||५|| सम्माममात्रजपनात् स्मरगान यम्प, दुःकर्मदुमलचयाहिमला भवति । दवा जिनेन्द्रगणभृत्सुपदं लभते, भक्त्यास्तुवेतमनिशं परमात्मराजे ॥६॥ यं स्वान्तरेलु विमलं बिमनाथिलय, शुक्लन तत्यमसमं परमार्थरूपं । प्रहस्पद त्रिजगतां शरणं श्रयन्ते, भक्त्यास्तुवेतमनिशं परमात्मराजं ॥७॥ यद्धचानशुक्लपविनाखिलवर्मयोलान्, हत्वा समाप्यशिवदाः स्तबदनार्चाः । सिद्धासदष्टगुणभूपगाभाजनाः स्युभवन्यास्तुवैत मनियं परमात्मराज ||८|| यस्यासये मृगरिनो विधिमाचरति, याचारयन्ति यमिना परपश्चभेदान् । प्राचारसारजनितान् परमार्थबूढया, भक्त्यास्तुवेतमनिशं परमात्मराज ।।६।। यं ज्ञातुमात्मसुयिदो यातपाटकाच, सर्वांगपूर्वजलसंधु यांति. पारं । मन्याश्नयंतिशिबदं परतत्वधी जे, भक्त्यास्तुवैतमनिशं परमात्मराजं ॥१०॥ ये सापयति बरयोगवलेन नित्यमध्यात्ममार्गनिरतावनपर्वतादी । श्रीसाधवः शिवगतेः करमं तिरस्थं, भवत्यास्तुवेतमनिशं परमात्मराजं ॥११॥ रागदोषमलिनोऽपि निर्मलो, देहवानपि च दह वग्जितः । कर्मवानपि कुकर्मदूरगो, निश्चयेन भुवि यः स नन्दतु ॥१२॥ Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Y जन्ममृत्यु कलितो भवांतक एक रूप इह योप्यनेकधा । व्यक्त एवं यमिनां न रागिणां यश्चिदात्मक हहास्तु निर्मलः ॥ १३॥ यत्तत्वं ध्यानगम्यं परपदकर तीर्थनाथादिसेव्यं । कर्म्मनं ज्ञानदेहं भवभयमथनं ज्येमानंदमूलं ॥ प्रतातीतं गुरणाप्तं रहितविधिगणं सिद्धसादृश्यरूपं । तद्व दे स्वात्मतत्वं शिव सुखतयं स्तौमि युक्त्याभजेहं ॥ १४॥ पठति नित्यं परमात्मराजमहास्तवं मे विबुधाः किले मे । तेषां चिदात्माविरलोगढरी ध्यानी गुणी स्यात्वरमात्यः ॥१५॥ इत्थं यो वारवारं गुणगणरचनं वंदितः संस्तुतोऽस्मिन् मारे ग्रन्ये चिदात्मा समगुणजलधिः सोस्तु मे व्यक्तरूपः । ज्येष्ठः स्वध्यानदाताखिलविधिवपुषां हानय वित्तशु सन्मत्यैवोधकर्ता प्रकटनिजगुणो धैर्य्यशाली व शुद्धः ॥१६॥ इति श्री सकलकत्त भट्टारकविरचितं परमात्मराजस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।। ३१७२. परमानंदपंचविंशति पत्र सं० १ | श्रा० ६x४ ६च भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र | [ स्तोत्र साहित्य २० काल X ! ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १३३ । व्य भण्डार | | पत्र सं० ३ । मा० ७५ च । भाषा संस्कृत विषय स्तोत्र | २० ११३० । श्र भण्डार ३६६३. परमानंदस्तोत्र काल X। ले० काल x | पूर्ण । वे० सं० ३६०४. प्रति सं० २ । पत्र सं० १ ले० काल x | ० सं० २६८ | श्र भण्डार । ३६७५ प्रति सं० ३ | पत्र सं० २ । ले० काल x विशेष - फुलचन्द विन्दायका ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० मं० २११ ) और है । ३६७६. परमानंदस्तोत्र | पत्र सं० ३ ० १९८७२ | भाषा संस्कृत विषय - स्तोत्र | ० सं० २१२ | भण्डार | २० काल X| ले० काल सं० १६६७ फागुर बुदी १४ । पूयं । वे० सं० ४३८ | भण्डार | विशेष – हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है । ३६७७. परमार्थस्तोत्र" "" पत्र सं० ४ ० ११६५६ भाषा-संस्कृत विषय-स्ती | काल X 1 ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १०४ । र भण्डार | विशेष—सूर्य की स्तुति की गयी है। प्रथम पत्र में कुछ लिखने में रह गया है। Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य । [ ४५ विषय-स्तोत्र । रत ३६. पाठसंग्रह .......: पत्र सं. ३६ । मा० ४.४४ च । भाषा-सं । ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० १९२८ | अ भण्डार। काल निम्न पाठ हैं-- जैन गायत्री उर्फ वा पञ्जर, शान्तिस्तोत्र, एकोभावस्तोत्र, णमोकारकल्प, न्हावरण २३७६, पाठसंग्रह"" । पथ सं० १० । मा० १२४७६ च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र बाल X| ले. काल | अपूर्ण । वे० सं० २०६८ | अ भण्डार । - पाठसंग्रह–संग्रहकर्ता-जैतराम बाफना । पत्र सं०७० । प्रा० ११३४७२ इन। भाषाहिन्दी । विषय-स्तोत्र । र काल X । ले० काल - । पूर्ण । ३० सं० ४६१ 1 क भण्डार । ३९८२. पात्रकेशरीस्तोत्र " ...। पत्र सं० १७ । मा० १०४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ल० काल X । पूर्ण | वे० सं० १३४ । छ भण्डार । विशेष-५० श्लोक है । प्रत प्राचीन एवं संस्कृत टीका सहित है । ३६८२. पार्थिवेश्वरचिन्तामणि ...... . 29 : सा., .x: । भारतकात ! निश्यस्तोत्र | १० काल X । ले. काल सं० १८६५ भादवा सुदी ८ । वे० सं० २३४ । ज भण्डार | विशेष -वृन्दावन ने प्रतिलिपि को थी। ३६८५. पार्थिवेश्वर ...... । पत्र सं० ३ | प्रा० ७१४४३ छ । भाषा संस्कृत । विषय-वैदिक माहित्य । र० काल x ले. काल X ० सं १५४४ । पूर्ण । श्र भण्डार । ३६८४. पार्श्वनाथ पद्मावतीस्तोत्र... | पत्र सं० ३ । मा० ११४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र• काल X ! ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० १३८ । छ भण्डार । ३६८५ पाश्वनाथ लक्ष्मीस्तोत्र—पद्मप्रभदेव । पत्र सं० ।। प्रा० EXY इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय- स्तोत्र । र० काल x | ले. काल ४ । पूर्ण । ० सं० २६४ । ख भण्डार । ३६८६. प्रति सं० २। पत्र सं० ४ । ले. काल X | वे० सं० ६२ । म भण्डार । ३६८७. पार्श्वनाथ एवं चर्द्ध मानम्तबन...। पत्र सं० १ । मा० १०x४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र• काल ४ | से० काल X । पूर्ण । ३० सं० १४८ । छ भण्डार | ३४८८. पार्श्वनाथस्तोत्र......। पत्र सं० ३ । पा. १०३४१३ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । २० काल x | ले. कास ४ । पूर्ण । ० सं० ३४३ । म भण्डार । विषेष-लघु सामायिक भी है। Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०६ ] २६८४. पार्श्वनाथस्तोत्र... एत्र सं० १२० १०x४ र० काल X | ले० काल X पूर्ण वे० सं० २५३ । भण्डार 1 विद्वेषमत्र महित स्तोत्र है। अक्षर सुन्दर एवं मोटे हैं। ३६६.. पार्श्वनाथस्तोत्र-पत्र सं० १ ० १२००७ इच । भाषा संस्कृत I 7 [ स्तोत्र साहित्य भाषा-संस्कृत विषयो । १० काल x | ले० काल x 1 पूर्ण । वे सं० ७६६ । भण्डार | ३६६१. पार्श्वनाथस्तोत्र पत्र सं० १ र० काल x | ले. काल x पूर्ण वे० सं० ६६३ । अ भण्डार । ३६४२. पार्श्वनाथस्तोत्रटीका पत्र सं० २ ० ११४५३ इव । भाषा-संस्कृत । त्रिषय० ३४२ अ भण्डार | ० स्तोत्र । १० काल X। ले० काल X। पूर्ण 1 ३६६३. पार्श्वनाथस्तोत्रटीका । पत्र सं० २ ० १०५ इंच भाषा संस्कृत विषय०९८७ श्र भण्डार स्तोत्र र फल | ले० काल । पूर्ण । ३६६४. पार्श्वनाथस्तोत्र भाषा धानतराय पत्र० १० १०५५३ ६ भाषा हिंदी विषय-स्तोत्र | २० काल X 1 ले० काल X | पूर्ण वे० सं० २०५५ । अभण्डार | 1 ० १०३ x ८ इंच । भाषा - हिन्दी] | विषय | विषय-स्तोत्र | २६६६. पार्श्वमनिस्तोत्रमहामुनि राजसिंह 1 ० ४० ११३६ विपय-स्तोत्र | २० काल X | ले काल सं० १९८७ पूर्ण । वे० सं० ७.३० । श्र भण्डार । #&&s प्रश्नोत्तर स्तोत्र | पत्र सं० ७ श्र० १६ इच काल X| से० काल । पूर्ण ३० सं० १८६ भण्डार ३६६५. पार्श्वनाथाष्टक० ४ ० | ० ४ श्र० १२४५ ६ । भाषा सम्वृत विषय-स्तोत्र | २० काल X। ले० काल x पूर्ण वे० मं० ३५७ | अ भण्डार विशेष – प्रति मन्य सहित है। ३६६८. प्रातःस्मरण मंत्र पत्र [सं० १ ० काल X 1 ले० काल । पूर्ण वे० सं० १४८६ । ३६६६. भक्तामर पञ्जिका २० काल X | ले० काल सं० १७८१ पूर्ण । ० सं० ३२८ । न भण्डार | 1 विशेष-श्री हीरानन्द ने द्रव्यपुर में प्रतिलिपि की थी। भाषा-संस्कृत विषय तोय | ० ४ इंच भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र भण्डार | पत्र सं० ८ श्र० १३४४ इंच । भाषा संस्कृत विषय स्तोत्र | Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ४:... भक्तामरस्तोत्र-मानतुंगाचार्य । पत्र सं० ८ । प्रा० १०४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण : वे. सं० १२०३ । अ भण्डार | ४०.१. प्रति सं० २। पत्र सं० १० । ले० काल सं० १७२० । वे० सं० २६ । भण्डार । १००२, प्रनि सं.३ । पत्र सं० २४ मे काल सं. १७५५ । ३० सं० १०१५ | अ भण्डार । विशेष-हिन्दी मर्थ सहित है। ४००३. प्रति सं०४। पत्र सं १० । ले. काल x वे० सं० २२०१। अभण्डार । विशेष-प्रति ताडपत्रीय है। प्रा० ५४२ च है । इसके अतिरिक्त २ पत्र पुट्ठों की जगह है । २४१३ इंच चौड़े पत्र पर णमोकार मन्त्र भी है। प्रति प्रदर्शन योग्य है। ४.०१. रति : it.. हास सं० १७५५ । वै० सं० १०१५ | अ भण्डार । विशेर- इसी भण्डार में ६ प्रतियां (वै० सं० ४४१, ६५६, ६७३, ८६०, ६२०, ६५६, ११३५, ११८६, १३६६ ) और है ४०.५ प्रति सं०६ । पत्र में ई । ले. काल सं. १८६७ पौष सुबी ८ । वे० सं० २५१ । व भण्डार विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हैं । मूल प्रति मथुरादास ने निमलपुर में लिखो तथा उदेराम ने टिप्पण किया। इसी भण्डार में तीन प्रतियां ( वे० सं० १२८, २८८, १८५६ ) और है । ४८०६ प्रति सं८७ । पत्र सं० २५ । ले. काल - । वे० सं०७४ । घ भहार । ४.०७. सि सं० । पच स. ६ मे ११ । ले० काल सं० १८७८ ज्येष्ठ बुदी ७ । अपूर्ण । ३० सं० ५४६। इ भण्डार । विशेष – इसी भण्डार म १२ प्रतिया ( ० सं० ५३६ मे ५४५ तथा १४७ से ५५०, ५५२ ) पौर हैं । ४००६. प्रति सं०६ । पत्र सं० २५ 1 ले. काल ४ ० सं० ७३८/च भण्डार। विशेष-संस्कृत दीका सहित है। इसी भण्डार में प्रतियां ० सं० २५३, २५४, २५५, २५६, २५७, ७३८, ७३६ ) और है। ४.०६. प्रति सं० १० । पत्र सं. ६ । ले. काल सं० १८२२ चैत्र बुवी है । वे० सं० १३४ । छ भण्डार। विशेष - इसी भण्डार में ६ प्रतियां ( ० सं० १३४ (४) १३६, २२६ ) पोर हैं । ४.१०. प्रति सं० ११ । पत्र सं. ७ । ले. काल X | ० सं० १७० । म भण्डार । विशेष—इसी भण्डार एक प्रति ( वे० सं० २१५ ) और है । Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ स्तोत्र साहित्य ४०११. प्रति सं० १२ । पत्र सं०५ । ले० काल x सं० १७५ । ज भण्डार । ४०१२. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १३ । लेक काल सं० १८७७ पौष मुदी १ । ३० सं० २६३ । ब विशेष—इसी भण्डार में ३ प्रतिया ( ३० सं० २६६ . ३३६, ५२५ ) और हैं। १८१३. प्रति सं०१४ । पत्र सं. ३ से ३६ ।ले. काल सं० १९३२ । अपूर्ण । वे मं० २०१३ । र मण्डार। विशेष-इम प्रति में ५२ श्लोक हैं । पत्र १, २, ४, ६, ७ ६, १६ यह पत्र नहीं हैं। प्रति हिन्दी व्याख्या सहित है। इसी भण्डार में ४ प्रनियां (वे. सं. १६३४, १७०४, १६EE, २०१४ ) और हैं। ४०१४. भक्तामरस्तोत्रवृत्ति-त्र रायमल । पत्र सं० ३० । प्रा० ११३४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-तोत्र । र० काल सं० १६६६ । ने. काल सं० १७६१ । पूर्ण । के० सं० १०७६ | अ भण्डार । विशेष-ग्रन्थ की टीका ग्रीवापुर में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में की गयी । प्रति नवा महित है। ४०१५. प्रति सं०२। पत्र में० ४८ । ले. काल सं० १७२४ पासोज बुदी । वेल में• २८७ । अ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति (वे. मं० १४३ ) भौर है। ४०५६. प्रति सं०३ । पत्र में० ४० । ले० काल सं० १९११ । ० सं० ५४४ । क भण्डार । ४२१७. प्रति सं०४। पत्र सं. १४६ | ले० काल XI वे सं० ६५ । ग भण्डार। विशेष-फतेबन्द गंगवाल ने मन्नालाल कासलीवाल में प्रतिलिपि कराई। ४०१८. प्रति सं०५। पत्र सं. ५५ । ले० काल सं० १७५४ पौष दी। सं. ५५७ . भण्डार। ४०१६. प्रति सं०६ । पत्र सं०४७ । ले० काल सं० १८३२ पौष सुदी २ । ३० सं० ६९ · छ । भण्डार। विशेष-सांगानेर में पं. सवाईराम में नेमिनाथ चैत्यालय में ईसरदास की पुस्तक से प्रतिलिपि की यो। ४०२० प्रति सं०७। पत्र सं० ४१ । ले. काल सं० १८७३ चैत्र बुदी ११ । ये० सं० १५ । ज भण्डार। विशेष---हरिनारायण ब्राह्मण ने पं० कालूराम के पठनार्थ प्रादिनाथ चैत्यालय में प्रति लपि की थी। ४०२१. प्रति सं०८ । पत्र सं० ४८ । ले० काल सं० १६८८ फागुन बुदी - । वै० सं० २८ । ब Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ १६ . ___ विशेप-प्रशस्ति- संवत् १६८८ वर्षे कारण बुदो ८ शुक्रवार नक्षित्र अनुराध व्यतिपरत नाम जोगे महाराजाधिराज श्री महाराजाराव छत्रसालजी वूदौराज्ये इदंपुस्तक लिखाइत | साह श्री स्योपा तत्पुत्र सहलाल तत् पुत्र साह श्री धणराज भाई मनराज गोत्रे पटवो जाती बनेरवाल इदं पुस्तकं पुनिख दीयते । लिखतं जोसी मराइण । ४०२२. प्रति सं० । पत्र स. ३६ । ल काल सं० १७६१ फागुण । वे० सं० ३०३ । न भण्डार । ४०२३, भक्तामरस्तोत्रटीका-हर्षकीर्तिसूरि । पत्र सं० १० | प्रा. १०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोम । र. काल x | ले० काल-। पूर्गा । वे . २७९ । भण्डार । ४८२४ प्रति सं० २ । पत्र सं० २६ । ले० काल सं० १६४०० सं० १९९५ 1 2 भण्डार | विशेष-ट्स दीका का नाम भक्तामर प्रदीपिका दिया हुअा है । ४८२५. भक्तामरस्तोत्रटीका.... पण सं० १२ मा १०४ा । भाषा-संत । विषय स्तोत्र । १० काल ४ १ ० काल | मपूर्ण । ० सं० १९६१५८ भण्डार । ४०२६. प्रति संकपत्र संभ १६३ ले. काल X० सं० १८४४। अभण्डार। विशेष-पत्र चिपके हुये हैं। ४८२७ प्रति सं० । पत्र सं० १६ । ले० काल सं १८७२ पौष बुदी । । . सं. २१.६ । म भण्डार। विशेष-मनालाल ने शीतलनाथ के चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। इसी अण्डार में एक प्रति ( वे सं० ११६) और है। ४०९८. प्रति सं० ४ । पथ सं०१८ | ले. काल X । ० सं० १६६ । क भण्डार । ४०२६. प्रति सं५ । पत्र सं० । ले. काल X । अपूर्ण । २० सं० १४६ । विशेष---३६ काव्य तक है। ४.३०. भक्तामरस्तोत्रटीका"...") पत्र सं० ११ । मा० १२३४ भाषा-संस्कृत हिन्दी। विषय-स्तोत्र । र० काल ४ | ले० काल सं० १९१८ चैरा मुदी | पूर्ण । ३० सं० १६१२ । र भण्डार । विशेष---अक्षर मोरे है । संस्कृत सक्षा हिन्दी में दोका ही हुई है। संगही पन्नालाल ने प्रतिलिपि की थी। श्र भण्डार में एक अपूर्ण प्रति (वे. सं० २०१२ ) पौर है। ४०३१. भक्तामरस्तोत्र ऋद्धिमंत्र सहित । पत्र सं० २७ । प्रा० १०४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र• काल ४ । ल० कान सं० १५४३ वंशात्र बुबी ११ । पूः । वे० सं० २०५ | १ भण्डार । Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१०] हुआ है। इसी भण्डार में एक प्रति ( भार भण्डार । [ स्तोत्र साहित्य विशेष-श्री नयनसागर ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। अन्तिम २ पृष्ठ पर उपसगं हर स्तोत्र दिया ० सं० १५१ ) और है । भण्डार । ४०३२ प्रति सं० २०१२० भण्डार | सं० २०१३ बेशाख सुदी ७० [सं०] १२६ विशेष गोविंदगढ में पुरुषोतमसागर ने प्रतिलिपि की थी। ४०३३. प्रति सं० ३ च सं० २५ विशेष मन्त्रों के चित्र भी है। ४०३४. प्रति सं० ४ - ०X००६७ भार ० ३१ ० का ० १०२१ सुदी ११०००१ हिन्दी गद्य विषय स्तोष २० का ० १८७० कार्तिक मुदी १२ पूर्ण ६० सं० २४९ । विशेष पं० सदाराम के शिष्य गुलाब ने प्रतिलिपि की थी। -- ४०३५. भक्तामर स्तोत्रभाषा जयचन्द छाबड़ा पत्र नं० ६४ प्रा० १२३४५६ भाषा विशेष - क भण्डार में २ प्रतियां ० सं० ५४२, ५४३ ) और हैं । ( ४०३६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २१ ० का ० १२६० २००५१६ के भण्डार ४०३७ प्रति सं० ३ | पत्र मं० ५५० काम० १६३००० ६५४ च भण्डार ४०३८. प्रति सं० ४ ० २२० का ० १९०४ बैशाख सुदी ११०० १७० छ ४०३६. प्रति सं० ५। पत्र ० ३२ । ले० काल ३० सं० २७३१ झ भण्डार | ४०४०. भक्तामर स्तोत्र भाषा - हेमराज पत्र ०८०३४६ स्तोत्र । र" काल X | से० काल X 1 पूर्ण । ० सं० ११२५ | अ भण्डार भाषा-हिन्दी विषय I ४०४१. प्रति सं० २०४० काल मं० २००४ माघ सुदी २००६४ म विशेष-दीवान मगरचन्द के मन्दिर में प्रतिनिधि की गयी थी। ४०४२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ६ से १०० काल X | अपूर्ण । ० ० ५५१ | ङ भण्डार | ४०४३. भक्तामर स्तोत्र भाषा - गंगाराम पत्र सं० २ से २७ मा० १२३४५६ | भाषा मंकुल हिन्दी विषय स्तोत्र १० काम X ले० काल मं० १८६७० सं० २००७१ट मन्दार Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ४११ विशेष-प्रथम पत्र नहीं है । पहिले मूल फिर गंगाराम कृत सवैया, हेमचन्द्र कुस पद्य, कहीं २ भाषा तथा इसने आगे ऋद्धि मन्त्र सहित है । अन्त में लिखा है— साहजी ज्ञानजो रामजी उनके २ पुत्र शोलालजी, लघु भ्राता चैनमुखजी ने ऋषि भागचन्दजी जतो की यह पुस्तक पुण्मार्थ दिया सं. १८७२ का साल में ककोड़ में रहे छे । ४०४४. भक्तामर स्तोत्रभाषा पत्र सं० ६ से १० । प्रा० १०५ च । भाषा - हिन्दी | विषय स्तोत्र : र० काल X | ले० काल सं० १७८७ | अपूर्ण | ० ० १२६४ | अ भण्डार | भण् भण्डार । ४०४५. प्रति सं० २ | पत्र सं० ३३ | ले० काल सं० १८२८ मंगसिर बुदी ६१ वे० सं० २३६ । छ विशेष— भूधरदास के पुत्र के लिये संभूराम ने प्रतिलिपि की थी । ४०४६. प्रति सं० ३ १ पत्र सं० २० । ले० काल X | वे० सं० ६५३ | च भण्डार | ४०४७. प्रति सं० ४ पत्र सं० २१ | ले० काल सं० १५६२ । ० सं० १५७ । भण्डार विशेष – जयपुर में पन लाल ने प्रतिलिपि को थी । ४०४. प्रति सं० ५ | पत्र ० ३३ | ० काल सं० १८०१ चैत्र बुदी १३ | ० ० २९० ४०४६. भक्तामर स्तोत्रभाषा स्तोत्र | ० का ० काल x पूर्ण ० सं० ६५२ । च भण्डार । ४०५०. भूपालचतुर्विंशतिकास्तोत्र - भूपाल कवि । पत्र सं० ८ । आ० ६६x४३ 'च । भागासंस्कृतविषयस्तत्र । र० काल X 1 ले० काल सं० १८४३ । पूर्ण वे० सं० ४१ । श्र भण्डार | विशेष – हिन्दी वा टीका सहित है । भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३२३ ) और है । ४०५१. प्रति सं० २ । पत्र ३० काल X | वे० सं० २६८ । ख भण्डार | ४०५२ प्रति सं० ३ । ० ३ | ले० काल X | वे० सं० ५७२ । भण्डार । विशेष --- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ५७३ ) है । ४०५३. भूपालचतुर्विंशतिटीका- - आशाधर । पत्र सं० १४ । विषयी २० काल । ले० काल सं० १७७८ भादवा बुदी १२ । पूर्ण । ० सं० । श्र भण्डार विशेष- श्री विनयचन्द्र के पठनार्थ पं० श्राशावर ने टीका लिखी थी। पं० हीराचन्द के शिथ्य चोखचन्द्र के नार्थ मौजमाबाद में प्रतिलिपि कराई गई । ....... | पत्र सं० ३ ० १०३४७ इंच । भाषा - हिन्दी । विषय ६३४ इंच भाषा-संस्कृत | Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ स्तोत्र साहित्य प्रशस्ति निम्न प्रकार है- संवत्सरे वसुमुनिसप्तेन्दु ( १७७८ ) मिते भाद्रपद कृष्णा द्वादशी तिथी मौजमाबावनगरे श्रीमूलसंघे नंद्यानाये बलात्कारगरणे सरस्वतीगच्छ कुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टारकोत्तम श्री श्री १०८ देवेन्द्रको निजी कस्य शासनकारी बुधजी श्रीहीरानन्दजीकस्य शिष्येन विमययता चौखचन्द्र रणवशयन स्वपठनार्थ लिखितेयं भूपाल चतुर्विशतिका टीका विनयचन्द्रस्यार्थमित्याशापरविरचिताभूपालचसुविशते जिनेन्द्रस्सुतेष्टीका परिसमासा । अ भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ४० ) पोर है । वि सं प : सं . का। में : २ मंगसिर सुदी १० । वे० सं० २३१ । कम भण्डार। विणेष- प्रशस्ति-सं० १५३२ वर्षे मार्ग सुदी १० गुरुवासरे श्रीघाटमपुरशुभत्याने श्री चन्द्रप्रभुत्यालय निस्यते श्रीमूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्चे कुंवदाचार्यान्य ये ....। ४०४५. भूपालचतुर्विशतिकास्तीनटीका-विनयचन्द्र । पत्र सं० ६ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-स्तोत्र । र. काल । ले. काल - | पूर्ण । वै० सं० ३२० । विशेष-श्री विनयचन्द्र नरेन्द्र द्वारा भूपाल चतुर्विशति स्तोत्र रचा गया था ऐमा टीका की पुडियका में सिखा हुमा है । इसका उल्लेख २७वें पद्य में निम्न प्रकार है । यः बिनपचन्द्रमामायतीवरो जनि समभूत | ललितचंद्रात् । उपशमइयोपोपतेयमुपशमः साक्षाभूतिमान सः कथंभूतः सच्चकोरचन्द्रः संतः पंडिताः एव चकोराः तेषां प्रमोदने द्वितीयश्चन्द्रः यस्यशुचि परितं परिबनोः शुचि च तचरितं च तहरण शीलं शुचि चरित परिष्णुः तस्य वाचो वाष्मः जगल्लोकधिन्वन्ति ऋथंभूतावाव: अमृतगी अमृतंगर्भ यासा तास्तथोक्ताः शास्त्रसंदर्भगर्भाः कापसणां संवर्भाः विस्ताराः शास्त्रसंदर्भास्तेगळे यासा तास्तासां ॥२७॥ इति विनयचन्द्रनरेन्द्र विरचितं भूपाल स्तोत्र समाप्त । प्रारम्भ में टीकाकार का मंगलाचरण नहीं है । मूल स्तोत्र की टीका मारम्भ करदी गई है। ४०५६. भूपालचौबीसीभाषा-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० २४ । प्रा० १२:४५ इंच । भाषाहिन्दी । विषय-स्तोत्र । २० काल सं० १९३० मैत्र सुवी ४ । ले० काल सं० १९३० । पूर्ण । वे० सं० ५६१ । के भण्डार। इसो भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ५६२ ) प्रौर है। ४८५७. मृत्युमहोत्सव..." | पत्र सं० १ । आ॥ ११४५ ई । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले. काल x I पूर्ण | वे० सं० १६३ । म भण्डार । ४०५८. महर्षिस्तरम "| पत्र सं० ३१ से ७४ 1 मा. ५४५ इन। भाषा-हिन्दी । विषय- स्तोत्र । २० काल । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ५८८ । सः भण्डार । Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ४१३ ५६. महर्षिस्तवन"."| पत्र सं. २!या. ११४५ इंच। भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | र. काल मे० काल ४ । पूर्ण । वै० म० १०६३ । अ भण्डार । विशेष... पात में पूजा भी दी हुई है। ४०६०, प्रति सं०२१ पत्र सं० २। ले० काल सं० १८३१ चैत्र बुधी १४ । ३. मं. ६११ | श्र भण्डार। विशेष-संस्कृत में टीना भी दी हुई है। ४.६१. महामहिम्नस्तोत्र.." प मा०EXY'चमाया-नदियोग17. ताल X | ले० काल सं० १९०६ फागृन बुदी १३ 1 पूर्ण | वे० सं० ३११ । ज भण्डार । ५०६२. प्रति सं०२ | पत्र सं0 2 1 ले. काल X| ० सं० ३१५ । ज भण्डार । थिोप-प्रति संस्कृत टीका सहित है। ४०६३, महामहर्षिम्तन्त्र नटीका......'। पत्र सं० २ । प्रा० ११३४४ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयम्तात्र । र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वे नं १४ । छ भण्डार । ४.६४ महालक्ष्मीस्तोत्र......। पत्र सं० १० प्रा० ८३४६३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र• काल X । ले० काल X । पूर्ण | ० सं० २६५ । ख भण्डार । ४८६५. महालक्ष्मीस्तोत्र..."। पत्र सं० ६ से है । प्रा० Ex३३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-- वैदिक साहित्य स्तोत्र । र.. काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वै० सं० १७८२ । ४८६६ महावीराष्टक--भागचन्द । पत्र सं० ४ । मा० ११३४६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र | " काल x | ले. काल X पूर्ण । वे० सं० ५७३ 1 के भण्डार । विशेष—इसी प्रति में जिनोपदेशोपकारस्मर स्तोत्र एवं प्रादिनाथ स्तोत्र भी है। १८६५. महिम्नस्तोत्र...."। पत्र सं० । प्रा. ६x६ च | भाषा-संस्थात । विषय-स्तोत्र । र. काल ४ाले० काल' X । पूर्ण 1 वे० सं० ५६ । म भण्डार । ४०६८. यमकाष्टकस्तोत्र-भः अमरकीत्ति । पत्र सं० १३ प्रा० १२४६ च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले. काल सं० १८२२ पौष बुदी है। पूर्ण । वे० सं० ५८६ । क भण्डार । ४०६६. युगादिदेवमहिम्नस्तोत्र...."। पत्र सं० २ से १४ । पा. ११४७ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र र० काल x | ले. काल X 1 अपूर्ण । ३० सं० २०६४ | 2 भण्डार । बिशेष-प्रथम तीन पत्रों में पार्श्वनाथ स्तोत्र रघुनाथदास कृत अपूर्ण हैं। इससे प्रागे महिम्नस्तोत्र हैं । Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " .. ४१४ 1 [ स्तोत्र साहित्य ४०७१. राधिकानाममाला....."| पत्र सं० १ । प्रा० १०२४४ ईच 1 भाषा-हिन्दी । विषय-स्तवन । २. काल XI ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १७६९ 12 भण्डार । ४.७१. रामचन्द्रस्तवन..."। पत्र सं० ११ । प्रा० १०४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र | २० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । ० सं० ३३ । भण्डार । विशेष-मप्तिम- श्रीसनस्कुमारसंहितायां नारयोक्तं श्रीरामचन्द्रस्तवराज संपूरणम् ॥ १०० पद्य हैं। ४७७२. रामवतीसी-जगनकवि । पत्र सं० ६ । मा०६५४६ इछ । भाषा-हिन्दी । विपय-स्तोत्र । २. काल XIले. काल सं० १७३५ प्रथम चैत्र बुदी ७ । पूर्ण। वे० सं० १५१० । र भण्डार । विशेष-कवि पोहकरना (पुष्करना) जाति के थे । नरायणा में जलू व्यास ने प्रतिलिपि की थी। ४०७३. रामस्तवन.! पत्र सं० ११ । प्रा० १.३४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-रसोत्र । र. काल x 1 ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० २११२ । र भण्डार । विशेष-११ से मागे पत्र नहीं हैं । पत्र नीचे की पोर से फटे हुए हैं। ४८७४. रामस्तोत्र....! पत्र सं०१। प्रा १०x४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र.. काल XIले. काल सं० १७२५ फागुण सुदी १३ । पूर्ण । ० सं०६५८ I F भण्डार । विशेष-जोधराज गोदीका ने प्रतिलिपि करवायी थी। ४८७५. लघुशान्तिस्तोत्र ! पत्र सं० १ मा १०x४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल ४ | लेकाल ४ | पूर्ण । वे० सं० २१४६ । म भण्डार । ४०७६. लक्ष्मीस्तोत्र-पचप्रभदेव । पत्र सं० २ । मा० १३x इछ । भाषा-संस्कत । विषय-स्तोत्र २० काल ४ । ले. काल x I पूर्ण | वे० सं० ११३ । म भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। इसी भण्डार में एक प्रति (वे. सं० १०३६)मौर है। ४८७७ प्रति स.२। पत्र सं-१ ले. काल | वे० सं० १४८ । छ भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० १४४ ) और है । ४७८०. प्रति सं०३। पत्र सं० १ । लेकाल X । वे० सं० १८२५ । ट भण्डार | विशेष-प्रति संस्कृत श्याच्या सहित है। ४०७६. लश्मीस्तोत्र........। पत्र सं० ४ | प्रा. ६.८३ ९ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० कान ४ । ले. काल XI पूर्ण । वै० सं० १४२१ | अ भण्डार । विशेष-४ भण्डार में एक अपूर्ण प्रति (३०६० २०६७ ) मोर है। Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य [ ४१५ ४०८०. लघुस्तोत्र" 1 पत्र में २॥ प्रा. १२४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तात्र । २० न काल x I पूर्ण । वे० सं० ३६६ । म भण्डार । ४०५१. वनपंजरस्तोत्र...... पत्र सं० १ । प्रा० ८१x६ या भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० कान X । लेक काल X । सं ६६८ । भण्डार १०ः२. प्रति सं०२१ पत्र सं० ४ । म काल ४ | ० सं० १६१ 1 ब भण्डार। विशेष-प्रथम पत्र में होम का मन्त्र है । ४०८३. बद्धमानद्वात्रिंशिका-सिद्धसेन दिवाकर । पत्र सं० १२। पा० १२४५६ च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोष र० काल - । ले कारन X । अपूर्ण । वे. सं० १५६७ । द भण्डार । ४८८४. बर्द्धमानस्तोत्र--प्राचार्य गुणभद्र । पत्र सं० १२ । भा० xax. इन भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोष ४ मा सामोल र पूर्ण । ० सं० १४ । ज भण्डार । विशेष-गुणभदाचार्य कृत उत्तरपुराण को राजा भेरिणक की स्तुति है तथा ३३ श्लोक हैं । संग्रहकर्ता श्री फतेहलाल दार्मा हैं। ४८८५. वर्तमामस्तोत्र "| पत्र सं ५ | प्रा. १४६१ । भाषा-संस्कृत : विषम-स्तोत्र । १० कालXIलेकाल पूर्ण । २० सं० १३२८ । अ भण्डार । विशेष-पय ३ से भागे निर्वाणकाराड गाथा भी है। ४०८६. वसुधारापाठ"""१ पत्र सं. १६। मा.xxt भाषा-संस्कृत । निषा-स्तोत्र । काल X । ले. काल XI पूर्ण | वे० सं०६७ भण्डार । ४०८७. वसुधारास्तोन....! पत्र सं०१६। प्रा० ११४.५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । र काल लेक काल x1 पूर्ण । वे मं०२७६ 1 व भण्डार । ४०८८. प्रति सं० २ । पत्र सं० २५ । ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० १७१। * भण्डार । ४०६६. विद्यमानबीसतीर्थकरस्तधन-मुनि दीप । पत्र सं० १ । प्रा० ११४४ इच। भाषाहिन्दी विषय-स्तोत्र । २० कान ४ ० कान X । पूर्ण | वे० सं० १९३३ । ४०६०. विषापहारस्तोत्र-धनंजय । पत्र सं० । । मा० १२३४६ | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । ५.२ काल xले. काल सं० १९१२ फागुण बुद्धी है। पूर्ण | वे सं० ६६६ । विशेष---संस्कृत टीका भी दी हुई है। इसकी प्रतिलिपि पं. मोहनदासजी ने अपने शिष्य गुमानीरामजी के पनामकरणजी की पुस्तक से बसई (बसी) नगर में शान्तिनाथ चैत्यालय में की थी। Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१६ ] ४०६१. प्रति सं० २ | पत्र सं० ४ । ले० काल x | वे० सं० ६७२ ४०६२, प्रति सं० ३ | १ सं०] १५ | ले० काल x 1 विशेष- सिद्धित्रियस्तोत्र भी है। भण्डार । ० सं० १५२ १ ज भण्डार । [ स्तोत्र साहित्य ४०६३. प्रति सं० ४ पत्र सं० १५० बाल X ० सं० १९११ | ट भण्डार | विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है । अ भण्डार !.. ४०६४. विषापहारस्तोत्र टीका - नागचन्द्रसूरि पत्र सं० संस्कृत | विषय - स्तोत्र | २० काल X | ले० काल X। पू । ० सं० ५ । ४०३५. प्रति सं० २। पत्र [सं० १४ । ० १०x४३ इंच भाषा भण्डार | से १६ । ले० काल सं० १७७६ भादवा ६ ० मं० विशेष – मौजमाबाद नगर में पं० चोखचन्द ने इसकी प्रतिलिपि की थी । ४०६६. विषापहारस्तोत्र भाषा - पन्नालाल । पत्र सं० ३१ | श्र० १२३४५ च । भाषा - हिन्दी । विषय-स्तोत्र | र० काल सं० १६३० फागुरण सुदी १३ । ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ६६४ । के भण्डार । विशेष सो भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ६६५ ) और है । ४०६७. विषापहारस्तोत्र भाषा - अचलकीर्त्ति | पत्र सं० ६ । प्रा० ६३४५३ इंच । भाषा - हिन्दी । विषय स्तर काल X ले० काल X। पूर्ण ० सं० १५८५ । भण्डार । - हेमचन्द्राचार्य पत्र सं० ९ । श्रा० ६३४ इंच । भाषा-संस्कृत विषयधपूर्ण । वे० मं० २५७ छ भण्डार । पत्र सं० २ ० १०४३ इंच भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र | र ४०६८ बीतरागस्तोत्रस्तोत्र । र० काल X | ले० काल X। ४०६६, वीरछत्तीसी काल × । ले० काल X पूर्ण । वे० नं० २१५० । श्र भण्डार । 1 ४१००. वीरस्तवन । पत्र सं० १ ० ६६x४ ६'च । भाषा - प्राकृत । विषय-स्तोत्र | ० भण्डार । बाल X | ले० काल सं० १८७६ पूर्णा । ३० सं० १२४८ । ४१०१. वैराग्यगीत --- महमत | पत्र सं० १ | श्र० ८४३३ इंच । भाषा - हिन्दी । विषयस्तत्र । ० सं० २९२६ । भण्डार | र० काल X | ले० काल X 1 विशेष - 'भूल्यो भमरा रे काई भने ११ अंतरे हैं। ४१०२. षट्पाठ बुधजन । पत्र सं० १ काम X | ले० काल सं० १८५० । पूर्ण वे० सं० ५३५ | म भण्डार | । ० ६४६ इंच भाषा - हिन्दी विषय-स्तवन । २० Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * R. स्तोत्र साहित्य ] ४१०३. षट् पाठ ० काल X पूर्ण ० ० ४७ ४१०४. शान्तिघोषणा स्तुति स्तोत्र | र० काल X / ले० काल सं० १५६६ । पूर्ण वे० सं० ६३४ | अ भण्डार [ ४१० पत्र [सं०] । या० ४X६ इच। भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र । २० कान X भण्डार | अन्तिमपद्य विषय-स्तवन । र० काल सं० १८५६ | ले० काल । पूर्ण विशेष- शांतिनाथ का एक स्लयम और है । ४१०६. शान्तिनाथस्तवन २० काल X | ले० काल x | पूर्ण । ० सं० १९५६ |ट भण्डार ! विशेष—णान्तिनाथ तीर्थङ्कर के पूर्वभव की कथा भी है। काव्य १०२ । ० १०x४३ इंच | भाषा-संस्कृत विषय ४१०५. शान्तिनाथस्तवन ऋषि लालबन्द | पत्र [सं० १ ० १०x४ ८ न । भाषा - हिन्दी | ० ० १२३५ | अ भण्डार | I | पत्र सं० १ । आ० १०३४४३ ६ । भाषा - हिन्दी | विषय - स्तवन । कुन्दकुन्दाचार्य विनती, शान्तिनाथ गुण हिय में धरै । रोग सोग संताप दूरे जाय, दर्शन दीठा नवनिधि ठाया || इति शान्तिनाथस्तोत्रं संपूर्ण । ४१०७. शान्तिनाथस्तो - मुनिभद्र । पत्र सं० १ स्तोत्र | १० काल X | ले० काल X पूर्ण । ० सं० २०७० अ भण्डार । विशेष – प्रथ शान्तिनाथस्तोत्र लिख्यते ० ६३४ इख भाषा-संस्कृत विषय नरमा विचित्रं भददुः खराशि, नामा प्रकार मोहाग्निपाशं । पानि दोषानि हरन्ति देवा, इह् जन्मशरणं तब शान्तिनार्थं ॥ १ ॥ संसारमध्ये मिथ्यात्व चिन्ता, मिध्यात्वमध्ये कर्माणिबंध | ते बंध दन्ति देवाधिदेवं इह जन्मशरणं तव शान्तिनाथ ||२|| कामं च क्रोध मायाविलोभं चतुः कषायं इह जोव बंधं । ते गंधवन्ति देवाधिदेवं इह जन्मशरणं तब शान्तिनाथं ||३|| नोद्वाक्यही कठिनस्यचित्ते, परजीवनिंदा भभसा च वाचा | ते बंधवन्ति देवाधिदेवं इह जन्मशरणं तब शान्तिनाथं ॥४॥ चारित्रहीने नरजन्ममध्ये, सम्यक्त्वरलं परिपालनीयं । ते गंध छेदन्ति देवाधिदेवं इह जन्मशरणं तव शान्तिनाथं ||५|| Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१८ ] [ स्तोत्र साहित्य जातस्य तरण युक्तस्य वचनं, हो शान्सिजीव बहुजन्मदुःखं । ते बंध छेदन्ति देवाधिदेवं, इह जन्मशरणं तब शान्तिनाथ ।।६।। परद्रव्यचोरी परदारसेवा, शकादिकक्षा अजनृत्यबंध । से बंध छेदन्ति देवाधिदेवं, इह जन्मशरणं तब शान्तिनाथं ।।७।। पुत्राभि भिनाशकलित्रद, इदंदमध्ये बहुजीवबंधा । ते बंध छेदन्ति देवाधिदेव, इह जन्मशारगां तव ज्ञान्तिनाथ ।।८।। जयति पठति नित्यं श्री शान्तिनाथादिशांति स्तदनमधुरवाणी पापतापोपहारी। कृतमुनिभद्र सर्वकार्येषु नित्यं ....... ........ ........ ... .... I N इतिश्रीशान्तिनाथस्ताय संपूर्ण 1. शुभम् ।। ४१०८. शान्तिनाथस्तोत्र.....। पत्र सं० २। मा० ६.४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र | १० काल ।काल X । पूर्ण । वे सं० १७१६ । थ भण्डार । ४१०६, शान्तिपाठ.. पत्र सं० ३ | प्रा०११४५% च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र. बाल x | ल० वाल - । पूर्ण । वे० सं० ११६ 1 छ भण्डार । ४११०, शान्तिविधान...| पत्र सं०७ita ११९x४ इच। भाषा-संस्कृत विषष-स्तोत्र । र काल । ले० काल X । पूर्ण 1 वे० सं० २०३१ | अ भगद्दार । ४१११. श्रीपतिम्तोत्र-चैनसुखजी । पत्र सं० ६ | प्रा. ८४६१६ । भाषा-हिन्दी | विषय- स्तोत्र । २० काल ५ । ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० ७१२ । ॐ भण्डार । ४११२, श्रीस्तांत्र...... पत्र सं० २ । प्रा० ११४५ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्नोत्र । २० काल < । ले. काल सं० १९०४ बैत बुद्दी ३ । पूर्ण | वे० सं० १८०८ ! ८ भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है । ४११३. सप्तनयविचारस्तवन | पत्र सं | प्रा. १२४५१ च। भाषा-संस्कृत । विषय-- म्नीत्र २ कालX । ले० कालXI.पूर्ण । व. सं. १३५ । विशेष---३७ पद्य हैं। Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य } [ ४१६ ४११५. समवशरणस्तोत्र.....! पत्र सं० ८ । प्रा० १२४५३ ३ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र. काल - | ले. काल सं० १७६८ फागुन सुदी १५ । पूर्ण । वे० सं० २६६ । छ भण्डार। विशेष-हिन्दी टम्या टीका सहित है। शारम्भ वृषभाद्यानभिवंद्यात बंदित्वा वीरपश्चिमजिनेंद्रात् । भक्त्या नतोतमांगः स्तोष्ये तनसमवशरणाणि ॥२॥ ४११५. समवशरणस्तोत्र-विष्णुसेन मुनि ! पत्र मं० २ से ६ । प्रा० ११:४५ च। भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X1 ले० काल x 1 अपूर्ण । • सं०६७ । अ भण्डार । ४९ १६. प्रति सं. । र यस सं० ७७८ | अ मण्डार । ४११५. प्रति सं०३1 पत्र सं० ४। ले. काल सं० १७०५ माघ बुडी ५। वे सं० ३०५ । अ भण्डार। विशेष-पं0 देवेन्द्रकीत्ति के शिष्य पं. मनोहर ने प्रतिलिपि की थी। ५११८. संभवजिनस्तोत्र-मुनि गुणनंदि । पत्र सं २ । प्रा० ८.४३ इन। भाषा- संस्कृत । विषय-स्तोर । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ७६. क. भण्डार । ४११६. समुदायस्तोत्र "| पत्र सं० ५३ । मा १३४८३ इंच ! भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले. काल सं० १८५७ । पूर्ण । वे० सं० ११५ । घ भण्डार । विशेष---स्तोत्रों का संग्रह है। ४१२०. समवशरणस्तोत्र-विश्वसेन । पत्र सं० ११ । प्रा० १०३४४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० फान X । से० काल XI पूर्ण ! ३० सं० १३४ ! छ भण्डार । विशेष-संस्कृत श्लोकों पर हिन्दी में अर्थ दिया हमा है। ४१२१. सर्वतोभद्रमंत्र....''पत्र सं० २ | प्रा. १४३६ ई । भाषा- संस्कृत | विषय-स्तोत्र । र, काल X । ले. काल सं. १८६७ ग्रासोज सुदी। पूर्ण । व० सं० १४२२ 1 श्र भण्डार | ४१२२. सरस्वतीस्तवन-लघुकवि | पत्र सं० ३ से ५ । प्रा० १११४५३ च । भाषा-संस्कः।। विषम-स्तवन । र, काल ।ले. काल X । मपूर्ण | दे० सं० १२५७ । अ भण्डार | विशेष—प्रारम्भ के २ पत्र नहीं हैं । प्रलिमषिका-- इति मारस्वाल चुकवि कृत लघुस्तवन सम्पूर्णतामागतम । ४१२३. प्रति संब२। पत्र सं. ३ । ले. कालx० सं०११५५ । भण्डार । Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२० ] [ स्तोत्र साहित्य ४१२४. सरस्वतीस्तोत्र--वृहस्पति । पत्र में है। प्रा० -३४४१ इच । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र ( जैनत्तर ) । र० काल X ।ल. काल सं० १८५१ । पूर्ण। • सं० १५५० । श्र भण्डार । ४१२५. सरस्वतीस्तोत्र-श्रुतसागर । गत्र सं० २६ । प्रा० १०२४४ च । भाषा-संस्कृत 1 विषय स्तवन । १० कास। ले० काल X| मपूर्ण । व गं० १७७४ । ट भण्डार । विष-वाच ५ प नहीं। । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । र.. ४१२६. सरस्वतीस्तोत्र....."। पत्र सं. ३ । आ० ८४.४ काल xलं. कानX । पूर्ण । वै० म०८०६ । भण्डार । ११.७. प्रति सं०। पत्र में १ । लेक काल सं० १८१२ 12. सं. ४३९ । म भण्डार । विशेष-रामचन्द्र में प्रतिलिपि की थी । भारतीस्तोत्र भी नाम है। ४१२८. सरस्वतीस्तोत्रमाला ( शारदा-स्तवन ).....! पत्र सं० २. पा. १XY इच। भाषासंस्कृत ! विषय-स्तोत्र । र• काल XI ने काल X । पूर्ण । वै० सं० १२९ । ध भण्डार | ४१२६. सहस्त्रनाम (लघु)-श्राचार्य समन्तभद्र । पत्र सं० ४ । प्रा० ११६४४ च । भाषामंस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले. काल सं० १७१४ आश्विन बुदी १० । पूर्ण । वे० सं० ६ । म भण्डार । विशेष—इसके अतिरिक्त भद्रबाह विरचित ज्ञानांकुा पाठ भी है। ४३ श्लोक हैं। प्रानन्दराम ने स्वयं जोधराज गोदीका के पटनार्थ प्रतिलिपि का थी। 'पोधी जोधराज गोदीका की पदिबा की ट्रैपत्र ४ म० सांगानेर । ११३०. ति...| Tत्र सं० ११२ | मा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र २० काल XI काल सं० १८९० पौष मुदी १३ । पूर्ण | वे० सं० २८८ । ज भण्डार | विशेष-प्रथम ६५ पृष्ठों में सकलकात्ति कृत श्रावकाचार है। ४१३१. सायंसन्ध्यापाठ... पत्र 1 आ. १०x४ इंच | भाषा-संस्कृत। विषय-स्तोत्र। र० काल । न• काल सं० १८२४ । पूर्ण । ० सं० २७८ । ख मण्डार । ४१३२. सिद्धबंदना....! पश्र मं० 5 | मा० ११४५१ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २.० काल ले. काल मंस १८६६ फाल्गुन सुदी ११1 पूर्ण । वे० सं०६०1ग भण्डार । विशेष-श्रीमाणिक्यचंद ने प्रतिलिपि की थी। ४१३३. सिद्धस्तवन".....! पत्र सं० ८ | भा० १x६ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन | F. काल ४ । नत काल *। अपूर्ण। वे० सं० १६५२ । ट भण्डार । Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ४१३४. सिद्धिप्रियस्तीत्र - देवनंदि । पत्र [सं० ८ स्तवन । र० काल X | ले० काल सं० १८६६ भाद्रपद बुदी ६ । पूर्णा । ४१३५. प्रति सं० २ । पत्र [सं० १२ १ ० काल X | विशेष - हिन्दी टीका भी दी हुई है। विशेष— हासिये में कठिन दादी के मुनि विशालकीर्ति ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। च भण्डार और है | ४१३६. प्रति सं० २०६० काल X ०० २६२ ख भण्डार [ ४२१ ० ११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत । त्रिय० सं० २००८ | भण्डार । ० [सं० ८०६ क भण्डार दिये है। प्रति सुन्दर तथा प्राचीन है। मक्षर काफी मोटे हैं। इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० २६३, २६८ ) और हैं । ४१३७. प्रति सं० ४ ४१२८ प्रति सं० ५ पत्र ० ७ । ले० काल X | ० सं० ८५३ । भण्डार । पत्र सं० ५ ० काल सं० १९६२ पासो जुदी २ प्रपूर्ण ० सं० ४०६ । विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है। जयपुर में प्रभवचन्द साह ने प्रतिलिपि की थी। ४१३६. प्रति सं० ६ प ० १ ० काल X ३० सं० १०२ । ६ भण्डार विशेष—प्रति संस्कून टीका सहित है। इसी भरदार में २ प्रतियां ( ० ४१४०. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ५ । ले० काल सं० १८६८ | वे० सं० १०६ । ज भण्डार | ४१४१. प्रति सं० [सं० ६ विशेष प्रति प्राचीन है। धमरसी ने ० ३८ १०३) घर है। भण्डार ० काल X १० सं० १६० । प्रतिलिपि की भी इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २४० ) ० काल X | ४१४२ प्रति सं० ६ | पत्र ० ३ ४१४३. सिद्धिप्रियस्तोत्रटीका' | पत्र [सं० ५ । श्र० १३४५ इंच I ग्लोत्र | र० काल X | ले० काल सं० १७५२ पासोज बुद्दी २ । पूर्ण वै० सं० ३६ । विशेष त्रिलोकदास ने अपने हाथ मे स्वपना प्रतिलिपि की थी। ४१४४. सिद्धिप्रियस्तोत्र भाषा - पन्नालाल चौधरी 1 पत्र सं० ३६ ॥ श्र० १२३४५ इंच | भाषाहिन्दी विषयी १० काल सं० १९३० । ० काल X पूर्गा १० सं० २०५ क भण्डारः ४१४५. सिद्धिप्रियस्तो भाषा -- नथमल | पत्र ०८० ११६ भाषा - हिन्दी विषयस्तोत्र | र० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण वे० सं० ८४७ | क भण्डार | ० सं० १८२५ १ट भण्डार | भाषा-संस्कृत विषयt भण्डार. 1 Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२२ । [ स्तोत्र साहित्य ४१४६. प्रति सं० २१ पत्र सं० ३ । ले० काल x 1० सं० ८५१ 1 * भण्डार । विशेष--इसो भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ८५.२ ) और है। ४१४७. सिद्धिप्रियस्तोत्र"."। पत्र सं० १३ । पा० ११:४५ च 1 भाषा-हिन्दी । विधय-स्तोत्र । र काल । ले. कान X । पूर्मा । वे० सं० ८०४ । क भण्डार । ४१४८. ....."। पत्र सं० १ । श्रा० १.१४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तांत्र ।र. काल : 1. कान X । पूर्ण । ये० सं० २०५८ | अ मण्डार । ४१४६. वसुधारास्तोत्र........१ पत्र सं १० | मा. ६३४४ इच । भाषा-संस्तृत । विषय-स्तोत्र । २० काल ४ | ले. काल XI पूर्ण । बे० सं० २४६ 1 ज भण्डार । बिशेष-अन्त में लिखा है- मथ घंटाकर्णकल्प लिख्यते । ४१५०. सौंदर्यलहरीस्तोत्र-भट्टारक जगद्भुषण | पत्र सं० १० । मा० १२४५३ इंच। भाषामंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल x।. काल सं. १८४४ । पूर्ण । वै० सं० १८२७ । ट भण्डार। . विशेष---वृन्दावती कर्वट में पार्श्वनाथ चैत्यालय मे भट्टारक सुरेन्द्रकीत्ति प्रामेर वालों ने सर्व सुख के पठनार्थ प्रतिलिपि की श्री। ४१५१. सौंदर्यलहरीस्तोत्र..."! पत्र सं०७४ । प्रा. १३४५४ इंच । भाषा-संस्कृत 1 विषयग्तोत्र ! र० काल X : ले. काल सं० १८३७ भादवा बुद्दी २ । पूर्ण । वे० सं० २७४ । ज भण्डार । ५१५२. स्तुति......."। पत्र सं० १ । प्रा० १२४५ इघ । भाषा-संस्कृत । विपय-स्तवन । र० काल x 1 • काल X । पूर्ण । वे० सं० १८६७ । श्र भण्डार । विशेष-भगवान महावीर की स्तुति है । प्रति संस्कृत टीका सहित है । प्रारम्भ-- श्राता बाता महावासा भर्ता भर्ता जगत्प्रभु वीरो वीरो महावीरोस्त्वं देवासि नमोस्तुति ।।१।। ४१५३ स्तुतिसंप्रह "। पत्र सं. २ | प्रा० १.x४इच। भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र, काल न वान X । पूर्ण । वे सं• १२४० । अ भण्डार । ४१५४. स्तुतिसंग्रह"..."। पत्र सं० २ से १७ । प्रा० ११४४ च । भाषा-सम्पत । विषय-स्तोव। १० कान x | ल. काल ४ । अपूगा । वे० सं० २१०६ । द भण्डार । विशेष--पञ्चपरमेष्टीस्तवन, बीसतीर्थङ्करस्तवन आदि हैं। .. . Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ४२३ ४१५५. स्तोत्रसंग्रह... .. 1 पत्र सं० ६ । प्रा० ११३४५ च । भाषा-प्राकृत, संस्कृत । विषय-स्तोत्र ! र काल ४ | ले. काल X । यपूर्ण । वै० सं० २०५३ । प्र भण्डार 1 विशेष—निम्नलिखित स्तोत्र है। नाम स्तोत्र कर्ता भाषा प्राकृत संस्कृत १. शान्तिकरस्तांत्र सुन्दरसूर्य २, भयहरस्तोत्र ३. लघुशान्तिस्तोत्र १. बृहद्गान्तिस्तोत्र ५. अजितशान्तिस्तोत्र २रा पत्र नहीं है। सभी श्वेताम्बर स्तोत्र है। xxxx ४१५६. स्तोत्रसंग्रह..."। पत्र सं० १० । प्रा० १२४७१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० ल काल XI पूर्ण । बै० सं० १३०४ । अ भण्डार । काल विशेष-निम्न स्तोत्र है। xn १. पद्मावतीस्तोत्र - x २. कलिकुण्डपूजा तथा स्तोत्र --- ३. चिन्तामरिण पार्श्वनाथपूजा एवं स्तोत्र - लक्ष्मीसेन ४. पार्वनाषपूजा XI ५. लक्ष्मीस्तोत्र - पप्रभवेव ४१५६. स्तोत्रसंग्रह ...! पत्र सं० २३ । प्रा०५:४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र | २० काम X । ले० कान x 1 अपूर्ण । ये० सं० १३८५ । श्र भण्डार । विशेष-निम्न संग्रह हैं- १. एकीभाव, २. विषापहार, ३. स्वयंमूस्तोत्र । ४१५८. स्तोत्रसंग्रह".."। पत्र सं० ४६ । पा० ४५ ४ । भाषा-प्राकृत, संस्कृत । विषम-स्तोत्र । र० काल X । ल• काल सं० १७७६ कात्तिक शुदी ३ । पूर्ण । वे० सं० १३१२ । प्र भण्डार । का विशेष-२ प्रतियों का मिश्रण है। निम्न संग्रह है-- १. निर्माण काण्डभाषा-- २. श्रीपालस्तुति ३. पावतोस्तवन मंत्र सहित xxx हिन्दी संस्कृत Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६४ ] ४. एकीभावस्तोत्र ५. ज्वालामालिनी, ६. जिनपरस्तोत्र, ८. पार्श्वनाथस्तोत्र ६. वीतरागस्तोत्र- पद्मनंदि x १०. व मानस्तोत्र ११. चौसठ्यो। गनीस्तो, १२ शनिस्तोत्र, १५. पद, १६. विनती (ब्रह्मजिनदास ). सुखानन्द के शिष्य नैनसुख ने प्रतिलिपि की थी। ४१५६. स्तोत्र संग्रह काल X। ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ७६० । भण्डार । विशेष निम्न स्तोत्र हैं । १. जिनदर्शन स्तुति ४. उपसर्ग हरस्तोत्र ५ निरञ्जनस्तोत्र | काल X 1० काल ७. लक्ष्मीस्तीय संस्कृत ४१६०. स्तोत्रपाठ संग्रह पत्र सं० २२१ । स्तोत्र | र० काल X | ले० काल X | अग। ० सं० २४० । अ भण्डार । [ स्तोत्र साहित्य " १३. गारदानुक, १४. त्रिकाल चौबीसनाम १७ माता के सोलहस्वप्न, १८. परमानन्दस्तवन । पत्र मं० २६ ॥ प्र० ८७ इन्च भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र | २० मंडलस्तीन गौतम गणधर ), ३. लघुशांतिक मन्त्र 1 २० काल X | ले० काल । पूर्ण वे० सं० १७ | अ भण्डार | गं विशेष-पत्र सं० १७, १८, १९ नहीं हैं। नित्य नैमिक्तिक स्तोत्र पाठों का संग्रह है । ४१६१. स्तोत्रसंग्रह ११३४५ इंच | भाषा-संस्कृत, प्राकृत विषय सं० २७६ | श्र० १०.४२ इव । भाषा-संस्कृत विषयस्तो विशेष – २४८, २४९वां पत्र नहीं है । साधारण पूजापाठ तथा स्तुति संग्रह है । ४१६२. स्तोत्रसंग्रह ) पत्र [सं०] १५३ । प्रा० ११०५ इंच | भाषा-संस्कृत विषय - स्तोत्र | र पूर्ण ० सं० १०६७ | अ भण्डार | ४१६३. स्तोत्रसंग्रह " ....... पत्र [सं०] १८ | श्र०७४ | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X | ले० काल । पूपं । बे० सं० ३५३ । श्र भण्डार 1 ४१६४. प्रति सं० २ । पत्र सं० १३ ले० काल X ० मं० ३५४ । अ भण्डार । ४१६५. स्तोत्र संग्रह | पत्र सुं० ११ । प्रा० ८६४४ इंच । भाषा संस्कृत विषय स्तोत्र १२० I काल X| ले० कॉल X। पूर्ण । ० सं० २६० । श्र भण्डार | विशेष - निम्न संग्रह है Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य भगवतीस्तोत्र, परमानन्दस्तोत्र, पार्श्वनाथस्तोत्र, घण्टाकर्णमन्त्र प्रादि स्तोत्रों का संग्रह है। ४१६६. स्तोत्रसंग्रह ".-" । पत्र सं. २ | मा० ११३४६ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल x ! ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० १३२ । क भण्डार । विशेष-मन्तिम स्तोत्र अपूर्ण है। कुछ स्तोत्रों को संस्कृत टीका भी साथ में दी गई है। ४१६७ प्रति सं० २। पत्र सं० २५७ | ले. काल X। अपूर्ण 1. सं. १३३ 1 क भण्डार । ४१६८. स्तोत्रपाठसंग्रह ....."पत्र सं० ५७ । भा१३४६ । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । विषयस्तोत्र । १० काल X । ले• काल X । मपूर्ण । ० सं० ८३१ । क भण्डार । विशेष-पाठों का संग्रह है। ४१६६. स्तोत्रसंग्रह..."। पत्र सं० ८१ । प्रा. ११४५ इंत्र : भाषा-संस्कृत, गत 1 विपय-स्तोत्र । २. काल x 1 ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ८२६ । क भण्डार । विशेष -निम्न संग्रह है। नामस्तोत्र भाषा प्राकृत. संस्कृत संस्कृत प्राकृत संस्कृत उमास्वाति प्राकृत समन्तभद्र संस्कृत संस्कृत प्रतिक्रमण सामायिक पाठ श्रुतभक्ति तत्त्वार्थ सूत्र सिदभक्ति तथा अन्य भक्ति संग्रह स्वयंभूस्तोत्र देवागमस्तोत्र जिनसहस्रनाम भक्तामरस्तोत्र कल्याणमन्दिरस्तोत्र एकीभावस्तोत्र सिद्धिप्रियस्तोत्र विषापहारस्तोत्र भूपाल चतुविशतिका महिम्नस्तवन समवशरण स्तोत्र जिनसेनाचार्य मानतुगाचार्य कुमुवचन्द्र यादिराज देवनन्दि धनञ्जय भूपालकवि जयकीसि विषासेन Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२६] नाम स्तोत्र महाय तवन ज्ञानांकुशस्तोत्र चित्रबंघरतोष लक्ष्मीस्तोत्र नैमित्या लघु मानाविक चतुर्विधतिस्वयन धनकाष्टक यमकबध मापस्तम मानतो. जिनोपकार स्मरणस्तोत्र महाराष्ट्र घुमामायिक कर्त्ता X नाम स्तोत्र प्रतिक्रमण सामायिक भक्तिराच X पद्मप्रभ देव पेशाले X X X X X X भागचन्द X बोरनाथस्तवन श्रीपार्श्वजिनेश्वरस्तोत्र ४१७२ स्तोत्रसंग्रह काल । ले० काल X 1 पूर्ण । ० सं० ८२७ क भण्डार विशेष निम्न संग्रह है। X X भाषा कर्ता संस्कृत X X X 11 พ 13 13 "2 " " " 11 ४००० प्रति सं० २ । पत्र सं० १२८ ले कल X | ० ० ८६२६ । क भण्डार । विशेष-मधिकांश उक्त पाठों का ही संग्रह है। ४१०१. प्रति सं० ३०११० काम X ० ० २६ भण्डार विशेष—उक्त पाठों के प्रतिरिक्त निम्नपाठ और हैं । 99 17 1+ संस्कृत 33 । सं० ११७ | ० १२३७ इंच भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र १० भाषा संस्कृत | स्तोत्र साहित्य 11 39 Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ४२७ नाम स्तोत्र कर्ता भाषा उमास्वाति संस्कृत तत्त्वार्थ सुत्र स्वयंभूस्तोत्र समन्तभद्र ४१७३. स्तोत्रसंग्रह"" ""| पत्र सं० १० । प्रा. ११:४७६ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र• काल x | ले. काल ४ । पूर्गा । वे० सं० ८३० । क भण्डार। . विशेष—निम्न संग्रह है। संस्कृत नेमिनाथस्तोत्र सटीक चक्षरस्तवन स्वयंभूस्तोत्र मन्द्रप्रस्भतोत्र xxxx वा भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र. ४१६४. स्तोत्रसंग्रह..."। पत्र सं० ८ | आ० १२३४५६ कास X| ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० २३६ । म भण्डार । विशेष-निम्न स्तोत्र हैं। संस्कृत कल्याणमन्दिरस्तोत्र विषापहारस्तोत्र सिद्धिप्रियस्तोत्र कुमुदचन्द्र धनञ्जय देवनंदि । माया-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । ४१४५. स्तोत्रसंमह... "। पन सं. २२ । मा० १२३४५९ २. काल XRकाल XI पूर्ण । वे० सं० २३८ । ख भण्डार । . विशेष-निम्न स्तोत्र हैं। पारिराज संस्कृत एकीमा सरस्वतीस्तोत्र मन्त्र सहित ऋषिमण्डल स्तोत्र भक्तामरस्तोत्र ऋखिमंग सहित हनुमानस्तोत्र ज्वालामालिनीस्तोत्र मकेश्वरीस्तोत्र xxx xxx Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२८ ] [ स्तोत्र साहित्य ४१.६. स्तोत्रसंग्रह....पत्र सं० १४ । प्रा. sxy इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०f काल X 1 ले. काल सं० १८४४ माह सुदी ६ । पूर्ण । ० सं० २३७ । स्व भण्डार । विपोष-निम्न स्तोत्रों का संग्रह है। ज्वालामालिनी, मुनीश्वरों की जयमाल, ऋषिमंडलस्तोत्र एवं नमस्कारस्तोत्र। . ४१७७. स्तोत्रसंग्रह..."। पत्र सं. २४ । प्रा० ६x४ च | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल । ले. काल । पूर्ण | ३० सं० २३६ । ख भण्डार | विशेष-निम्न स्तोत्रों का संग्रह है। संस्कृत पद्मावतीस्तोत्र चक्रेश्वरीस्तोत्र स्वर्णाकर्षणविधान १ से १० पत्र ११ से २० पत्र महीधर ४१५८. स्तोत्रसंग्रह "| पत्र सं० २१ । मा ७३४४ च । भाषा: हिन्दी। विषय-स्तोत्र | र. काल x पूर्ण । ० सं० ५६६ भार । ४१४६. स्तोत्रसंग्रह ! पत्र सं० २७ । प्रा० १०x४२ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । र काल x 1 ले काल x | पूर्ण । वे० सं० ८६८ | - भण्डार । विशेष—निम्न स्तोत्र हैं। भक्तामर, एकीभाव, विषापहार, एवं भूपालचुतुविधातिका । ४१८०, स्तोत्रसंग्रह ) पत्र सं० ३ से ५६ ! प्रा० ६४६ च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल XIलेकाल | अपूर्ण । वे० सं. ८९७ I भण्डार। ४१८१. स्तोत्रसंग्रह..."। पत्र सं० २३ १४१ । प्रा. Ex५ इंच । भाषा-संस्कृत, हिन्दी : विषय स्तोत्र । र० काल X । ले० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० ८६६ सभण्डार । विशेष-निम्न पाठो का संग्रह है। है। भाषा रूपचंव हिन्दी नाम स्तोत्र पंचमंगल कलशविधि देवसिठपूजा शान्तिपाठ जिमेन्द्रभक्तिस्तोत्र x xxx Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : स्तोत्र साहित्य ] नाम स्तोत्र कल्याणमन्दिरस्तोत्र भाषा जैनशतक निर्वाणकाण्डभाषा एक स्त्री भाषा तेरह काठिया निर्धारणकाण्डभाषा सामायिकपाठ चैत्यवंदना भक्तामर स्तोत्र भाषा पंचकल्याणपूजा ४१८२. स्तोत्रसंग्रह' स्तोत्र | र० काल x 1 ले० काल । पूर्ण ० सं० ५ भण्डार विशेष निम्न प्रकार संग्रह है । सामायिक पाठ पंचपरमेष्ट्री गुर लघुसामायिक बारह भावना द्रव्यसंग्रहभाषा निर्वाकाण्ड गाथा चतुविशतिस्तोत्र भाषा चौबीसदंडक परमानन्दस्तोत्र कर्ता बनारसीदाम भूधरदास भगवतीदास भक्तामर स्तोत्र कल्याण मन्दिरस्तोत्र भाषा स्वयंभू स्तोत्र भाषा एकीभावस्तोत्र भाषा पालोचनापाठ सिद्धिप्रियस्तोत्र अवस्थाम बनारसीदास X हेमराज X भेया भगवतीदास पं. महाचन्द्र X X X नदलकवि x x मूघरदास दौलतराम भाषा हिन्दी X मानतुरंग बनारसीदास धानतराय भूधरदास X देवनंदि " पत्र सं० ५१ । भा० ११४७३ इच भाषा-संस्कृत-हिन्दी | विषय " 33 " $ " 13 " हिन्दी 11 - " संस्कूल हिन्दी R 35 प्राकृत हिन्दी 77 7 संस्कृत हिन्दी " [ ४५६ " संस्कृत अपूर्ण पूर्ण पूर्ण पूर्ण = = = = = = " मपूर्ण पूर्ण " 33 पूर्ण पूर्ण " מ अपूर्ण 30 Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३० ] नाम स्तोत्र विषापहारस्तोत्रभाषा संबोधपंचासिका कर्चा X ४१८३. स्तोत्रसंग्रह पत्र ०१ कारन X ले० काल x पूर्ण जीरपं 1 वे० सं० ८६४ | ङ भण्डार | विशेष निम्न स्तोत्रों का संग्रह है। काल । ले० काल X अपूर्ण ४१८६. स्तोत्रसंग्रह २० काल X | ले० काल x पूर्ण । ० सं० ८६३ । ङ भण्डार । विशेष भक्तामर कादि स्तोत्रों का संग्रह है। ४२३५. स्तोत्रसंग्रह सं० २६ २० बाल X ० काल X पू० सं० ८६२ ४१०६. दोन धाचार्य जसवंत ० सं० ८६१ । स्त्रोत्र | १० काल X | ले० काल X। पूर्ण । ४१२७. स्तोत्रपूजासंग्रह पत्र सं० ६ २० काल । ले० काल X प्रपूर्ण वे० सं० १० | ४१. सोप ०१०२००६ भाषाकृत विषयस्तो । २० भाषा हिन्दी नवग्रहस्तोत्र, योगनीस्तोत्र, पद्मावतीस्तोत्र, तीर्थङ्करस्तोत्र, सामायिकपाठ आदि है । ४१-४. स्तोत्रसंप्रपत्र मं० २५० २०५४४२ । भाषा-संस्कृत | विषय -स्तोत्र | [ स्तोत्र साहित्य पण सं० १ ० ८३४६४ भाषा-संस्कृत हिन्दी विषय न भण्डार | पूर्ण ० २००५ भाषा-स्कृत विषयभण्डार | ० ११५५ भाषा-हिन्दा विषय-स्तोत्र पूजा । 13 २० काल ८ | ले० काल X अपूर्ण वे० सं०६८ ४१६०. स्तोत्रसंग्रह ० ग्लोत्र | र० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० ४२६ च भण्डार विशेष निम्न स्तोष है। एकीभावस्तोत्र कालमन्दिरस्तीष प्रति प्राचीन है। संस्कृत टीका सहित हैं। भण्डार | पत्र [सं०] १३ मा १२८० भाषा हिन्दी विषय-स्ती २० 1 बादिराज कुमुदचन्द्र भण्डार | पत्र सं० ७ से ४७ । पा० ६४५ इंच भाषा-संस्कृत | विषय - स्तोत्र भण्डार | १६० ११ इंच भागविषय कुन 13 - Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म्होत्र साहित्य ] [ ५३१ ४१६१. स्तोत्रसंप्रह । पत्र मं?" ५८ | प्रा० २४४ च ! भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल : । ले. काल ४ । प्रपूर्ण । वै० सं० ४३० । च भण्डार । ४१६२, स्तोत्र संग्रह । पत्र मं० १४ । मा० ८४५३१ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोव । र. काल काल मं. १८५७ ज्येष्ठ सदी ४१ पूर्ण । वे. में. ४३१ । च भण्डार । विकोष-निम्न संग्रह है। t. सिद्धिप्रियस्तोत्र नवनंदि २. कल्पासमन्दिर कुमुदचन्दाचार्य ३. भक्तामरस्तोत्र मानतुगाचार्य ५१६३. स्तोत्रसंग्रह...। पत्र में. ७ मे १७ । प्रा० ११४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तात्र । र काल । काल ४ । अपूर्ण । वै. मं० ४३२ । च भण्डार । ४१६४. स्तोत्रसंग्रह..."। पत्र मं० २४ । प्रा० १२४७१ च । भाषा-हिन्दी, प्राकृत, संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २१६३ । ट भण्डार । ५१६५. स्तोत्रसंग्रह...पत्र सं. ५ मे ३५ । मा. ६४५१ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोय । र काल ४ । क.. काल सं० १८७५ । अपूर्ण । ० सं० १९७२ । र भण्डार । ४१६६. स्तोव संग्रह""| पत्र गं. १५ से ३४ । मा १२ च । माषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल x 1 ले. काल x 1 अपूर्ण । दे० सं० ४३३ । च महार । विशेष -नम्न संग्रह है। संस्कृत मपूर्ण पामायिक बडा सामायिक लघु महस्रनाम लघु सहस्त्रनाम बढा इषिमंडलस्तोत्र निर्वाणकाराष्ट्रगावा xxxx Xxxx नवकारमन्त्र यूहदनयकार पोतरामस्तोत्र जिनपंजरस्तोत्र मपभ्रंश संस्कृत एप्रनंदि Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ स्तोत्र साहित्य नाम स्तोत्र भाषा x x पावतीचळवरीस्तोत्र वापंजरस्तोत्र हनुमानस्तोत्र बहादर्शन x हिन्दी प्रस्कृत x भाराधना x प्राकृत ४१६७. स्तोत्रसंग्रह""""! पत्र सं-४। बा. ११४ च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । काल X । लेस काल X । पूर्ण । वे० सं० १४८ : छ भण्डार ! विशेष-निम्नलिखित स्तोम है: एकीभाव, भूपाल चौबीसी, विषापहार, मिगीत भूधरनत हिन्दी में है। ४१. स्तोत्रसंग्रह पत्र म०७ । भ1०४४४३३ इच। भाषा संस्कृत 1 विषय-तोय । र. कान XI से काल XI पूर्ण । ० सं० १३४ 1 0 भण्डार । निम्नलिखित स्तोत्र हैं। नाम स्तोत्र भाषा संस्कृत पार्श्वनाथस्तोत्र तीर्थावलीस्तोत्र विशेष—ज्योतिषी देवों में स्थित जिनचैत्यों को म्नति है। संस्कृत चक्रेश्वरीस्तोत्र जिनपक्षरस्तोत्र प्रपूर्ण कमलप्रम श्री रुद्रपक्षीयवरेण गश्ः देषप्रभाचार्यपदाजहंसः । वादीन्द्रचूडामरिणरष जैनो जियादसौ कमलप्रभास्यः ।। ४१६६. स्तोत्रसंग्रह"....."। पत्र सं० १४ । प्रा० ४३४३३६च ! भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० कल । ० काल x1वे० सं० १३४ । छ भण्डार । पचप्रभवव लक्ष्मीस्तोत्र नेमिस्तोत्र फ्यावतीस्तोत्र Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ I स्तोत्र साहित्य 1 [ ४३३“। पत्र सं० १३ । प्रा० १३४७३ इंच । माषा-संस्कृत । विषय- स्तोत्र | १० काल X ले० काल x । पूर्ण । वे० सं० ८१ ज भण्डार । ४२०० स्तोत्रसंग्रह " विशेष निम्नलिखित स्तोत्र हैं । एकीभाव, सिद्धिप्रिय, कल्याणमन्दिर, भक्तामर तथा परमानन्दस्तोष ४२०१. स्तोत्रपूजा संग्रह पत्र संक १५२ | मा० ६३ ५ इंच भाषा-संस्कृत विषय हो । 1 र फाल X 1 ले० काल X पूर्ण वे० सं० १४१ । अभहार | विशेष - स्तोत्र एवं पूजाओं का संग्रह है। प्रति गुटका साइज एवं सुन्दर है । ४२०२. स्तोत्रसंग्रह पत्र सं० ३२ । प्रा० ४३८६३ काल X | ले० काल सं० १६०२ । पूर्ण । वे० सं० २६४ / भण्डार । विशेष-पद्यावती, ज्वालामालिनी, जिनपर आदि स्तोत्रों का संग्रह है। ४२०३. स्तोत्रसंग्रह विषय-स्तोत्र । र० काल X | ले० काल X | अपूर्ण वे० सं० २७१ | झ भण्डार । विशेष—टका के रूप में है तथा प्राचीन है । ४२०५. स्तोत्रसंग्रह... पत्र [सं०] १४ । प्रा० ६९६ इ | भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र | काल X ॥ ले० काल X। पूर्ण । ० सं० २७७ । व भण्डार । विशेष - भक्काभर, कल्याणमन्दिर स्तोत्र आदि हैं | ४२०५. स्तोत्रत्रय पत्र सं० ११ से २२७ । ०६६४५ च । भाषा-संस्कृत, प्राकृत | मल्हार । । भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र । र० कान X | ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० ५२४ । भन्दार । पत्र सं० २१ । मा० १०५४ | भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र । र० विशेष – कल्याणमन्दिर, भक्तामर एवं एकीभाव स्तोत्र है । ४२०६. स्वयंभू स्तोत्र -- समन्तभद्राचार्य । पत्र सं० ५१ । प्रा० १२३४५३ १' ।' भाषा-संस्कृल । विषय-स्तोत्र | २० काल x । ले० काल X। भ्रपूर्ण । वे० सं० ८४० 1 क भण्डार विशेष - प्रति हिन्दी टब्बा टीका सहित है। इसका दूसरा नाम जिनचतुर्विंशति स्तोत्र भी है । ४२०७. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६ ० काल सं० १७५६ ज्येष्ठ बुद्दी १३ । ० सं० ४३५ । विशेष - कामराज ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में दो प्रतियां ( ० सं० ४३४, ४३६ ) और हैं । Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ स्तोत्र साहित्य .64. प्रति सं.३ पत्र सं.२५। ले०काल x ० सं० २६1 जभण्डार विशेष-संस्कृत टीका सहित है। ४२०४. प्रति सं०४ । पत्र सं० २४१ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० १५४ | ब भाडार । विशेष-संस्कृत में संकेतार्थ दिये गये हैं। ४२१०. स्वयंभूस्तोत्रटीका-प्रभाचन्द्राचार्य । पत्र सं० ४३ | प्रा० ११४६ इ- । भाषा-संस्कृत । विषय-स्नोव ! र० काल XI से काल सं. १८६१ ममंसिर सुदी १५ । पूर्ण । ० सं० ८४१ । क भण्डार । विशेष-ग्रन्थ का पूसरा नाम क्रियाकलाप टीका भी दिया हुआ है। इसी भण्डार में वो प्रतियां (के ०८३२, ९ ) और है। ४२११. प्रति सं०२। पत्र सं० ११६ | ले. काल सं० १९१५ पौष बुंदी १३ । ० सं०८४ । ज अण्डार। विशेष-तनुसुखलाल पांड्या कोपरी : के श हाल . को प्रतिलिपि । ४२१२. स्वयंभूस्तोत्रटीका"."| पत्र सं० ३२ । मा० १०x४३ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र काल x | ले. काल - पूर्ण । ३० सं० ५८४ अ मण्डार । Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद भजन गीत यादि ४२१३, अनाथानोचोदाल्या-खेम 1 पत्र सं २ मा १०x४ । भाषा-हिन्दी । विषय-भीत। to काल X । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० २१२१ । भण्डार । विशेष-राजा श्रेरिसक में भगवान महावीर स्वामी से मपी मापको प्रमाण कहा था उसी पर नार सालों में प्रार्थना की गयी है। ४२१४. अनाथीमुनि सम्झाय"I पत्र सं० ५। प्रा० १.४४६ भाषा-हिन्दी । विषम-- गोल । २० काल X । ले० काल पूर्स । वै० सं० २१७३ । म भण्डार । ४२११. बहनकचौहानियागीत-विमल विनय (बिनयरंग).....। पत्र सं० ३। श्रा6 !xe: इस । भाषा-हिन्दी । विषय-मीत । १० काल xi से काल १९८५ पासोज सुधी १४ । पूर्स । वै० सं० १४१ | अ भण्डार। विशेष प्राधि प्राप्त भाग निम्म है-- भोपई वर्द्धमान चवीसमंड जिनववी जगदीस । परहनक मुनिवर परीम मरिण सुपरीय अनीस ॥१॥ बुजगीसबरी भभमाहे, कहिसि संबंध उछाहे। परहनकि जिमवल सीपउ, जिम ते तारी त्रसि कीयउ॥m निज मात उपरेसन, वलिवल भादरीय विसेसर। पाहता ते देव विमानि, सुरिणज्यो भवियण तिम कानि ॥३॥ नगरा नगरी जारसीमइ, अलकापुरि प्रसार । पसइ तिहाँ विवहारीमा सुबत माम सुविचार 10 चौपई- सुविचार सुभाा बरणी....................। सुनंदन रूप निधाम, मरहमकमान प्रवाम 11211 यार सरण चित कोतवाली परिहरि ख्यारि कषाय । दोष तजरबत उबर जी, सल्य रहित निरमाय॥५॥ अन्तिम Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पद भजन गीत आदि मसनपाल स्वादम अली जी सादिम से निहार | इगि माव ए सवि परिहरी जो, मन समरइ नवकार Rel सिला संघारज प्रादरया जी, सुर किरण तान ताप । सह परीसह साहसी जो, छेदइ भवना पाप ।।१७।। समतारस माहि भीलतउ जी, मनेघरतउ सुभ ध्यान । काल करी तिरपी पामीयउ जी, सुंदर देव विमान ॥५॥ सुरग तणा सुख भोगवी जी, परमाणंद उसास । तिहां थी बबि वलि पामेस्यह जी, प्रमुकाम सिदपुर वास ॥५६॥ मरहनक जिमते घरद जी, अंत समय सुभकाण | जनम सफल करि ते सही जी, पामड़ परम कल्याण ।।६।। श्री खरतर गच्छ दोपता जी, श्री जिनचंद मुरिगद । जयवंता जग जागीयइ जी, दरसण परमारशंद ॥६॥ श्री गुण सेखर गुण निलउ जी, वाचक श्री नमरंग । वासु सीस भावइ भाइ जी, विमलविनय मतिरंग ॥६२॥ ए संबंध सुहायउ जी, जे गावइ नर नारि । ते पामह सुख संपदा जी, दिन दिन जय जयकार ॥६३।। इति परहनक चउवालियागीतम् समाप्तम् ।। संवत् १६८१ वर्ष मासु सुदी १४ दिने बुधवारे पंडित श्री हर्षसिंहगणिशिष्यहर्षकीसिंगागाशिव्येस्म पारंगम नना लेखि । श्री गुरुवचनगरे । ४२१६. श्रादिजिनपरस्तुति-कमलकीसि । पत्र सं० ५ । मा० १०:४५ च । भाषा-गुजराती। विषय-गीत । २० काल ४ ।ले. काल x। पूर्ण । ३० सं० १८७४ । ट भण्डार । विशेष-दो गीत है दोनों ही के कर्ता कमलकोत्ति हैं। ४२१५. आदिनाथगीत-मुनिहेमसिद्ध । पत्र सं० १ । पा-३४४१२ । भाषा-हिन्दी । विषयगीत । २० काल से० १६५६ । ले० काल X । ० सं० २३३ । छ भण्डार । वियोष-भाषा पर गुजराती का प्रभाव है । ४२१८. आदिनाथ सम्माय"." पत्र सं० १।प्रा.etxv. भाषा-हिन्दी। विषय-गीत । र• काल मे काल । पूर्ण । ३० • २१६८1 भण्डार। Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद भजन गीत आदि ] ४.१६. आदीश्वरविरुजत्ति....। पत्र सं० १ | मा० ६२४४६ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-गीत । र. काल सं० १५६२ । ले० काल सं० १७४१ वैशाख सुदी ३ । पपूर्ण । वे० सं० १५७ । छ भण्डार । वियोष-प्रारम्भ के ३१ पच नहीं हैं। कुल ४५ पद्य रचना में हैं। अन्तिम पद्य पनरवासठ्ठि जिननूर अविचल पद पायो । बीनतही कुलट पूरणीयां मासुमस वहि दाम दिहाई मनि बैरागे इम भणीया ॥४॥ ४२२८. कृष्णबालविलास-श्री किशनलाल । पत्र सं० १५ | प्रा. ८४५: इव | भाषा-हिन्दी। विषय-पद । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० १२८ 1 * भण्डार | ४२२१. गुरुस्तवन- भूधरदास । पत्र सं० ३ । मा० ३४६३ च । भाषा--हिन्दी । विषय -गीत । २८ काल X । ले. काल X । पूर्ण 1 वे० सं० १४५ । क भण्डार । ४२२२. चतुर्विंशति तीर्थङ्करस्तवन-हेमविमलसूरि शिष्य पाणंद । पत्र सं० २ । प्रा० ८३xx इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-गीत । र काल सं० १५६२ । ले० काल XI पूर्ण | वे० सं० १८८३ । ट भण्डार । विशेष- प्रति प्राचीन है। ४२२३ चम्पाशतक-यम्पाबाई । पत्र सं० २४ । प्रा०१२४८३ । भाषा-हिन्दी । विषय-पद । र: काल X । ले. काल पूर्ण । ० सं० २२३ । छ भण्डार । विशेष---एक प्रति और है। चंपाबाई ने ६६ वर्ष की उम्र में रुग्णावस्था में रखना की थी जिसके प्रभाव में रोग दूर होगया या । यह प्यारेलाल पन्नीगढ (उ० प्र०) की छोटी बहिन थी। ५.२४. चेलना समाय-समयसुन्दर । पत्र सं० १ । मा० ९x४३ इंच। भाषा-हिन्दी । विषयगीत । रस काल X । ले० काल सं० १८६२ माह सुदी ४ । पूर्ण । ३० सं० २१७५ । भण्डार । . ४२२५. चैत्यपरिपाटी....। पत्र सं० १ । प्रा० .x n| भाषा-हिन्दी | विषय-गीत । २० काल X । ले. काल X 1 पूर्ण | वै० सं० १२५५ । अ भण्डार । ४२२६. चैत्यवंदना..."| पत्र सं० ३ । प्रा० ६४५१ छ । भाषा-हिन्दी । विषय-पद । र• काल x | ले. काल X । प्रपूर्ण । वै० सं० २६५ । म भण्डार। - ४२२७. चौबीसी जिनस्तुति-खेमचंद । पत्र सं० ६ । प्रा० १०x४३ इन् । भाषा-हिन्दी । विषयगीत । र० काल X । ले. काल ४ । ले. काल सं० १७६४ चैत्र सुदी १ । पूर्ण । ० सं० १८४ । भण्डार । ... ४२२८. चौबीसतीर्थकरतीर्थपरिचय"..."। पत्र म०१ । मा० १०x४ इन । भाषा-हिन्दी । विषयस्तवन । र० कालXI ने.काल 1 पूर्ण के.सं० २१२. म भण्डार। Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३८ ] [ पद भजन गीत आदि ४२२६, चौबीसतीर्थस्रस्तुति-प्रामदेव । पत्र सं० १७ । प्रा० ११३४५६ इच। भाषा-हिन्दी। विषय स्तवन । २० कास X । ले० काल x पूर्ण । के.. १४१अ भण्डार । विशेष--रतनचन्द पांच्या ने प्रतिलिपि की थी। ४२३०. चौबीसीस्तुति......। पत्र सं० १५ । प्रा. ८४४ २ | भाषा-हिन्दी विषय-स्तवन । २० काल सं० १६. . 1 ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २३६ । छ भण्डार । ४२३१. चौत्रीसतीर्थङ्करवर्णन""""। पत्र सं० ११ । प्रा०x२ । भाषा-हिन्दी । विषयतवन । २० काल X| ले. काल x1 पूर्ण । वे. सं० १५८३ । द भण्डार । .४२३२. यौबीसतीर्थङ्करस्तवन-लूणकरण कासलीवाल । पत्र सं. ८ । प्रा० ६x४३ इंच । भाषाहिन्दी । विषय-स्तदन | र. काल X । ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० ५५७ । च भण्डार । ४२३३. जखड़ी- रामकृष्ण । पत्र सं. ५ | प्रा० १०३४६१ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-स्तवन । र" काल X । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० १९८ | ॐ भण्डार । ४२६४. जम्बूकुमार सज्झाय... १ : ४५३। सपा-मन्यो । षियस्तवन । र• काल x | ले. काल XI पूर्ण । ० सं० २१३६ । श्र भण्डार । ४२.३५. जयपुर के मंदिरों की अंदना-स्वरूपचंद । पत्र सं. १ । मा० ६x४३ च । भाषाहिन्दी । विषय-स्तवन । र० काल सं० १९१० । ले. काल सं० १६४७ । पूर्ण । वे० सं० २७८ | म भण्डार । ४२३६. जिगभक्ति हर्षकीसि । पत्र सं० १ । प्रा० १२४५५ च । भाषा--हिन्दी । विषय-स्तवन । २० कान ४ । ले• काल ४ । पूर्ण । वै. सं. १८४३ । अ मण्डार । ४२३७. जिनपश्चीसी व अन्य संग्रह..."। पत्र सं० ४१ मा० ८३४५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तवन । र० काल X । ले. काल X। पूर्ण | वे० सं० २०४ 1 भण्डार 1 ४२३८. ज्ञानपश्चमीस्तवन-समयसुन्दर । पत्र सं० १ । प्रा० १.xr: च । भाषा--हिन्दी । विषय-स्तवन । २० काल ४ । ले० काल सं० १७६५ श्रावण सुदी २१ पूर्ण : वे० सं० १५८५ । म भण्डार । ४२३६. झखड़ी श्रीमन्दिर जीकी..."! पत्र सं० ४ 1 पा० ७:४४ इ । भाषा-हिन्छो । विषयसवन । र काल X । से. काल XI पूर्ण । ३० सं० १३१ । भण्डार। ४२४०. मझरियानुचोबाल्या"। पत्र सं० २ । प्रा० १०x४६ च । भाषा-हिन्दी । विषय-गीत । र काल X । ले. काल XI प्रपूर्गा । वे० सं० २१५१ 1 ब भण्डार। Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पर भजन गीत आदि । विश्रेष-प्रारम्भ- सीता सामनिकर डाल रमती चरण सीस ममात्री, प्रगमी सतगुरु पाया रे । झाझरिया ऋषि ना रण माता, उलट प्राज सवाया रे॥ भविमरण वंदो मुनि झांझरिया, संसार समुद्र जे सरियो रे । सबल साझा परिस। मन सुधे, सील रमण करि भारियो रे ॥२॥ पठत्पुर मकरघुज राजा, मानसेन तस राणी है। तस सुत मदन भरम गलुडो, किस्त जास कहाणी ।। मोजी ढाल प्रपूर्ण है । मांझरिया मुनि का वर्णन है । ४२४१. णमोकारपचीसी-ऋषि ठाकुरसी। पत्र सं० १ । प्रा० १०x४ इच। भाषा-हिन्द।। विषय-म्तोत्र । र० कान म० १८२८ मापात सुदी ।ले. काल . पूर्ण । ० सं० २१७८ | अभयार । ४२४२. समाखू की जयमाल-पाणंदमुनि । पत्र सं० १ । भा. १.३५४ इंच। भाषा-हिन्दी। विषय-मीत । १० काल X । मे काल XI पूर्ण । वे० सं० २१७० । श्र भण्डार । ४२४३ दर्शनपाठ--युधजन | पत्र सं० प्रा० १०x४३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-लवन । ९. काल : | ले० काल X । पुर्ण । २० io Pxt | क भ । ४२४४. दर्शनपाठस्तुति..." | पथ सं० ८ । प्रा० ८४६३ | भारत-हिन्दी । विषय-स्तवन । २० . काल X । ल० काल X | अपूर्ण । वे० सं० १६२७ । र भण्डार । ४२४५. देवकी की ढाल-लूणकरण कासलीवाल । पत्र सं० ४। मा० १.२४४३ च । भा'हिन्दी । विषय-गीत । . काल । ले० काल सं० १८८५ बैशाख बुदी १४। पूर्ण । जीर्ण । ३० सं० २२४६ । प्र भन्दार। विशेष प्रारम्भ दोहा रद नेमा नामे हवालखण सर संजोग। पाठ सहस लखण परो गोमकार गछ जोग ॥१॥ सहत पठारा साथ जी प्रजापा चालीस हजार मोटार मुनिवर विचाज्या त लार ||२|| बसुदेव राजा डाकरा देवाकीरा मंगजात ॥३॥ मन्दम छ देव का तगा। सा रासा के उरणहार । पाणी सुण भी मेम का लाज संमसार| Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पद भजन गत आदि साधणी सुध पादरी देस मरतनी नाम । बैलेरयावरण स्वामी जी करावो जीव जी ॥५॥ मधमभाग देव छी तणार नंदरग यांदवार उभी श्री नेम जिरोसपार। जन्मणा साधा न देख नर कारवालागा इम परदीतार।। साया साम्हो देवकी देसी नर उभा रहा छ नजर नीहाल रे। कसतो""टाछ कात्र धातागीर छुटी छ हद तशीए धार रे ॥२॥ तनमान बाग सोहाबडो उसस्यो र फल में फली छे जेहना कायरे । बसाया माहा तो भाव रही रे देख तो लोचन तीरपत न थायर ।।३॥ रीवकी तो साधान छ विणा करी र पासा पाइछ माहीलो माहारे। सोच फिकर देवकोरे ज्योर मोहतगी ए बातरे ॥४॥ सासो तो भाज्यो श्री नेमजोरे एतो छह थारा वालरे। आस्या माही भासु पढेरे जारण मी त्यारे टुटा मालरे ॥५॥ मरजी तांद छोडो सगला नगर मझारो, मुहमांगा दीजे घणारे मणि मारक भंडार । मलि पालक व पोषाधवी गनराला हादराखी । सूणकरण ए ढाल ज भाषा तीज चोथ इसही ए साली ए॥६॥ इति श्री देवकी की ढाल स० || कमजी। दसक्त चुनीलाल सापड़ा चैतराम ठाकरका बेटा छोटाका छ बांच प? ज्यांस जया जोग बायो : मिती वैशाख बुदी १४ सं० १९८५ । देवकी की दाल-रतनचन्दकृत और है। प्रति गल गई है । कई अंश नष्ट होगये हैं। पढ़ने में नहीं माता है। अन्तिम- - गुण गाया जी मारवाड मझार कर जोडि रतनचंद भरणे ॥१०॥ ४२४६. दीपायनदाल-गुणसागरसूरि । पत्र सं० १ | मा० १.१४४३ ह । भाषा-हिन्दी राजरानी । विषय-स्तवन । २० काल x 1 ले० काल x I पूर्ण । पै० म० २१६४ । क भण्डार। ४२४४. नेमिनाथ के नवमङ्गल-विनोदीलाल | पत्र सं० १ । प्रा. १६६x६ इछ । भापा-हिन्दी; विषय स्तुति । १० काल सं० १७७४ । ले० काल सं० १८५२ मंगसिर हुदी २ । वे० सं० ५४ । म भण्डार | विदोष-चौमू में प्रतिलिपि हुई थी । जन्मपत्री की तरह गोल सिमटा हुमा है। Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद भजन गीत आदि ] [ ४४१ ४२४८, प्रति सं०२। पत्र सं० २२ । ले. काल x० सं० २१४३द भण्डार | विशेष-लिख्या मंगल फौजी दौलतरामजी को मुकाम पुन्या के मध्ये तोपखाना । १० पत्र से प्रागे नेमिराजुलपच्चीसी विनोदीलाल कृत भी है। ४२४६. नागश्री समाय-विनयचंद । पत्र सं०१। मा० १०४४३ इंच | भाषा-हिन्दो । विषमस्तवन । २० काल X| ले० काल x | अपूर्ण । वे० सं० २२४८ । श्र भण्डार । विशेष-केवल ३रा पत्र है। अन्तिम. आपण बांधो पाप भोगवै कोण गुरु कुरण खेला । संजम नेइ गई स्वर्ग पांच में अजुही नादो न बेरारे ॥१५॥ भा॥ महा विदेह मुकते जासी मोटी गर्भ बसेरा रे । विनयचंद जिनधर्म भराधो सब दुख जान परेरारे ॥१६॥ इति नाथ का मुदामामिल। ४२५०. निर्वाणकाण्डभाषा–भैया भगवतीदास । पत्र सं० ८ | आ० Ex४ इंच | भाषा-हिन्दी। विषय-स्तुति । र काल सं० १७४१ । ले० काल ४ । पूर्ण । ० सं० ३७ । म भण्डार । ४२५१. नेमिगीत-पासचन्द । पत्र सं० १ । प्रा० १२३४४ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तवन । २० काल । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० १८४७ । न भण्डार । ४२५२, नेमिराजमतीकी धोड़ी...'। पत्र सं० १ | Uts Ex४ इंच ! भाषा-हिन्दी | विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले. काल XI पूर्ण | वे० सं० २१७७ । अ भण्डार । ४२५३. नेमिराजमती गीत-छीतरमल । पत्र सं० १ । प्रा० E६x४ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषयगीत । र काल X | ले० कास XI पूर्ण | वे० सं० २१३५ । अ भण्डार । ४२५४, नेमिराजमतीगीत-हीरानन्द । पत्र सं० १आ० २४४ इच ! भाषा-हिन्दी | विषयगीत । र० काल XI ले काल XI पूर्ण । वै० सं० २१७४ । म भण्डार । सूरसर ना पीर दोहिलोरे, पाम्यो नर भवसार । पालइ जन्म महारिड भोरे, कांइ करयारै मन मांहि विचार ॥१॥ मति राघो रे रमणो ने रंग क सेवोरे जीण वाणी। तुम रमल्यो रे संजम न संगक चेतो र चित प्राणी ॥२।। मरिहंत देव अराघाइयोजी, रैपुर गरुया श्री साप । धर्म केवलानो भाखीउ, ए समक्ति वे रतन जिम लाद्धक ३॥ Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४२ ] पहिलो समकित सेमीय रे, जे द्वे धर्मनो मूल । संजम सकित बाहिरी, जिरा भास्यो रे तुम खंडण तुलिक ||४|| तहस करीन सरवहो रे, जै भाखो जलनाथ | पांचे मात्र परिहरो, जिम मिलीइ रे सिवपुरनो साथ ||५|| जीव सहजी जीवेवर वांछिरे, मरण न वांछे कोइ । अपस राखा लैखवा, तस थावर रे हा जो मत कोइ ||६|| चोरी लीजे पर तरणी रे, तिए तो लागे पाप । धन कंच क्रिम खोरीय, जिए बोधइ रे भव भवना संताप के १७ अजस प्रकीरत भव रे, पैरे भव दुख अनेक 1 कुछ कहतर पामीर, काइ भाणी रे मन माहि विवेक ||८|| [ पद भजन गीत श्रादि महिला संग बुइ हर, नव लख समजुत | कुण सुख कारण ए तला, किम काजे रे हिस्या मत्रित ॥९॥ पुत्र कलत्र घर हाट भरि, ममता करजे फोक | जु परिगह डाग माहिले ते खाडरे गया बहुला लोक ॥१०॥ मात पिता बंधव सुतरे, पुत्र कलत्र परवार सवार्थमा ग्रह कौ सगा, कोइ पर भवरे नहीं राखणहार ||११| अंजुल जल नीपरै रे, खिसा रे तुटइ माउ । जाते बेला नही रे बाहूडि जरा बालरे यौवन ने धाढ ||१२|| व्याधि जरा जब लग नहीं रे, तब लग धर्म संभाल | धारा हर घर बरसते, कोइ समरधि रे बाधैगोपाल क ॥१३॥ अलप दीवस को पाहुणा रे, सद्द् कोइ संसार | एक दिन उठो जाइवउ, कयरण जाणइ रे किरा हो अवतारक || १५ ॥ क्रोध मान माया तजो रे, लोभ मेबरड्यो लोगारे | समतारस भवपुरीय वली दौहिलो रे नर अवतारक || १६ || प्रारंभ खाडा अन्तमा रे पोउ संजम रसपुरि । सिद्ध बघू से सहू को बरो, इम बोलै सखज देवसुरक || १७|| ॥ इति जोर ॥ Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ४४३ पद भजन गीत श्रादि ] बाल वृमचारही जिस वाइससमा । समदविजइजी रा नंद हो, वैरानी माहो मन लागो हो नेम जिणंद खू जादव कुल केरा बंद हो । बाल. ॥१॥ देव घणा छ। हो पुभ जीदोवता ( देवता) सेतौन चहाचेत हो, कैइक रे चेत म्हामत हो । बाल० ॥२॥ कैइक दोस करइ नर नारनइ मामह तेलसिंदूर हर हो। साके इक बन बासै बासै बास, कक बनवासोकर। (३. ८ न्हा सुर हो : तु नर मोह्यों रे नर माया तरणे, तु जग दीनदयाल हो । नोजोधनवती ए सुदरी तजीउ राजुल नार हो ।।४।। राजल के नारिपरणे उद्धरी पाहतीउ मुकति मझार । हीरानंद संवेग साहिबा, जी वी नव म्हारी बीनतेडा अवधारि हो ||५|| 1 इति नेमि गीत ।। ४२५५, नेमिराजुलसज्झाय । पत्र सं० १ । मा० EXY इंछ । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल सं० १८५१ चैत्र ले० काल । पूर्ण । वे० सं० २१८४ । अ भण्डार । ४२५६. पञ्चपरमेष्ठीस्तवन-जिनवल्लभ सूरि | पत्र सं० २ । प्रा० ११४५ च । भाषा-हिन्दी। विषष-स्तवन । र• काल x | ले० काल सं० १८३६ । पूर्ण | वे. सं. ३८८ । अ भण्डार | ४२५७. पद-ऋषि शिवलाल । पत्र सं० १ । मा० १०x४३ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । २० कालX Jलेकाल XI पूर्ण । ० सं० २१२८ । श्र भण्डार। विशेष-पुरा पद निम्न है या जग मे का तेस प्रमेया॥ जैसे पंछी वीरछ बसेरा, बीछरै होय सवेरा॥१॥ कोडी २ कर धन जोड्या, ले धरती में गाटा। अंत समै चलण की वेला, ज्या गाडा राहो छाडारे ॥२॥ ऊबा २ महल बणाये, जीव कह इहा रैथा। चल गया हंस पड़ी रही काया, लेय कलेबर दणा ॥३॥ मात पिता सु पतनी रे थारी, तीण धन जोवन खाया। उरगया हस काया का मंडरा, काढा प्रेत पराया । Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४४ } पद भजन गीत आदि करी कमाइ इण भी प्राया, उलटी पूञ्जी खोइ । मेरी २ करके जनम गमाया, चलता संक न होइ ।।५।। पाप की पोद बरणी सिर लोनी, हे मूरख भोरा। हलकी पोट करी तु बाहै, तो होय कुटुम्बसुं न्यारा ॥६॥ मात पिता सुत साजन मेरा, मेरा धन परिवारो। भेरा २ पडा पुकार चलता, नहीं कछु लारो ।।७।। जो तेरा तेरे संग चलता, भेद न जाका पाया। मोह बस पदारथ वीरागी, हीरा जनम गमाया ।।।। प्रांख्या देखत केते चल गए जगमें, पाखरु माधुही अलरणा । औसर बीता बहु पछतावे, माखी जु हाथ मसलगा || प्राज कर धरम काल करू, याहीवनीमत धारे । काल प्रचाणे घाटी पडी, जब का हारज सारे। ए जोगवाइ पाई दुहेली, फेर न मारू थारो। हीमत होय तो ढील न कीजै, कूद पडो निरधारी ॥१२॥ मीह मुखे जीम मीरगलो श्रायो, फेर नइ छूटण हारो। इगा दीसदंते मरण मुखे जीव, IIT करी निरधारो ।।१२।। सुगर सुदेव धरम कु सेवो, लेवो जीम का सरना । रीष सीवलाल कहे भो प्राणी, प्रातम कारज कररणा ॥१३॥ इति।। ४२५८. पदसंग्रह.." पत्र सं० ५६ । पा० १२४५ इंच। भाषा-हिन्दो । विषय-भजन । २० काल | ले. काल X । अपूर्ण | वे० सं० ४२७ । क भण्डार । ४२५६, पदसंग्रह"""! पत्र सं०१ । लेक काल x ० सं० १२७३ | अभण्डार । विषोष--त्रिभुवन साहब सांवला..."". इसी भण्डार में २ पदसंग्रह ( वे० सं० १११७, २१३० ) और हैं। ४२६०, पदसंग्रह....पत्र सं० ६ । ले. काल X । दे० सं० ४०५ । र भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में ११ पदसंग्रह (३० सं० ४०४, ४७६ स ४१५) तक और हैं । ४२६१. पदसंग्रह....."। पत्र सं० ५ । ने० काल X| वे० सं० ६२५ । च भण्डार 1 Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद भजन गीत श्रादि ] [ ४४५ ४२६२. पदसंग्रह..."। पत्र सं० १२ । ने. काल X । ० सं० ३३ । म भण्डार 1 विशेष—इसी भण्डार में २७ पदसंग्रह ( वे० ० ३४, ३५, १४८, २३७, ३०, ३१०, २६६, ३००, ३०१ से १ तक, ३११ से ३२४) और हैं। नोट-२० सं० ३१म में जयपुर की राजबंशादनि भी है । ४२१३. पदसंग्रह... पत्र सं०१४। ले. कालx वे० सं० १७५६ । भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में ३ पदसंग्रह ( वे० सं० १७५२, १७५३, १७५८ ) और है। नोट-द्यानतराय, होराचन्द, भूधरदास, दौलतराम प्रादि कवियों के पक्ष हैं। ४२६४. पदसंग्रह"... | पत्र सं० ३ . प्रा. १०x४३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पद । र० काल X1 ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १४७ | छ भण्डार । विशेष--केवल ४ पद हैं १. मोहि तारो सामि भव सिंधु ते । २. राजुल कह सुमे वेग सिधावे । ४. चरम जिसर जिहो साहिवा चरम धरम उपगार याल्हेसर।। ४२६५. पदसंप्रद......"| पत्र सं. १२ से २५ । मा० १२४ च ! भाषा-हिन्दी। विषय-पद । ५० काल X । न० काल x 1 अपूर्ण । वै० सं० २००८ । र भण्डार । निशेष-भागचन्द, नयनसुख, थानत्त, जगतराम, जादूराम, जोधा, बुधजन, साहिबराम, जगराम, लान खतराम, भूांभूराम, खेमराज, नवल, भूधर, चैन विजय, जीवरपदास, विश्वभूषरण, मनोहर मादि कत्रियों के पद हैं। ४२६६. पदसंग्रह-उत्तमचन्द । पत्र सं० १८ । मा. ६x६३ । भाषा-हिन्दी । विषय -पद । र० काल ४ । ले० काल X । मपूर्ण । वै० सं० १५२८ । ट भण्डार। विशेष-उत्तम के छोटे २ पदोंका संग्रह है। पदों के प्रारम्भ में रागरागनियों के नाम भी दिये हैं। ४२६७. पदसंग्रह- कपूरचन्द । पत्र सं. १ । प्रा० ११३४५३ इश्व। भाषा-हिन्दी | विषयस्तोत्र । र० काल X| ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २०४३ । अ भण्डार । ४२६८. पढ़-केशरगुलाब | पत्र सं० १ । मा० ७४४३ च । भाषा-हिन्दी । निषय-गीत । २० काल xले. कालX | पूर्ण । वै० सं० २२४१ । भण्डार । Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पद भजन गीत आदि विशेष-प्रारम्भ श्रीधर नन्दन मयनानन्दन सांघादेव हमारो जी। दिलजानी जिनवर प्यारा बो दिल दे बीच बसत है निसदिन, कबह न होबत न्यारा वो ॥ ४.६६. पदसंग्रह-चैनसुख । पत्र सं० २ । मा० २४४३३ च । भाषा-हिन्दी | विषय-पद । र० काल X । ल. वाम ४ । पूर्ण । वे० सं० १७५७ । र भण्डार । ४२७०, पदमंग्रह-जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० ५२ । प्रा० ११४५३ इंच । भाषा-हिन्दी विषय-- पद 1 र काल सं० १८७४ भाषाड सुदी १० । ले० काल सं० १८७४ आषाक सुदी १०। पूर्ण । वे० सं० ४३७ 1 के भण्डार। विशेष-अन्तिम २ पत्रों में विषय सूबो दे रखी है। लगभग २०० पदों का संग्रह है। ५२७१. प्रति मं० २१ पत्र सं० ६० । ले० काल सं. १८७४ । वे० सं० ४३८ । क भण्डार । ४२७२. प्रति सं०३ । पत्र सं. १ मे ४० । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं १६६० । ट भण्डार । ४२७२. पदसंग्रह-देवामा । पत्र सं० ४४ । प्रा० ६x६३ न । भाषा-हिन्दी । विषय-पद भजन । २० काल ४ ० काल सं० १८६३ पूर्ण । ० सं० १७५१ भण्डार। विशेष—प्रति गुटकाकार है। विभिन्न राग रागनियों में पद दिये हुये हैं । प्रथम पत्र पर लिखा है- श्री देवसागरजी सं० १८६३ का वैशाख सुदी १२ । मुकाम बसवै नैणवंद । ४२७४. पदसंग्रह -दौलतराम । पत्र सं० २० । मा० ११४५ इच । भाषा-हिन्दी । विषय-पद । २० काल x! ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० ४२६ । क भण्डार । ४२७५. पदसंग्रह-युधजन । पत्र सं० २६ से १२ । प्रा० ११३४८ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय- पद भजन । र० काल X| ले. काल ४ । प्रपूर्ण । ० सं०७६७ । अ भण्डार। ४२४६. पदसंग्रह-भागचन्द । पत्र सं० २५ । प्रा० ११४७ ह च । भाषा-हिन्दी । विषय-पद व भजन । २० काल X ।ले. काल X । पूर्ण । वे सं० ४३१ । क भण्डार । ४२४७. प्रति सं० २१ पत्र सं० ६ । ले. काल ४ ! वे सं० ४३२ । क भण्डार । विशेष-थोड़े पदों का संग्रह है। . ४२७८. पद-मलकचंद | पत्र सं० १। प्रा० ६x४३ इष । भाषा-हिन्दी ।. काल Xले. काल पू । ३० सं० २२४२ | श्र भण्डार। Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंद भाव गीत आदि ] [ ४४ विशेष -प्रारम्भ पंच सखी मिन मोहियो जोवा, काही जागा तु धाम हो जीवा। समझो स्युत राज ।। ४२७६. पदसंग्रह-मंगलचंद । पत्र सं० १० । प्रा० .१४४३ इंच । भाषा-हिन्दी | विषय-पद व भजन । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ४३४ । क भण्डार । ४२८०. पदसंग्रह-माणिकचंद । पत्र सं० ५४ । मा० ११४७ च । भाषा-हिन्दी । विषय--पद व भजन । र० काल X 1 ले. काल सं० १९५५ मंगसिर बुदी १३ । पूर्ण । वे० सं० ४३० । क भण्डार । १२८१. प्रति संकपत्र सं० ० ले कान x म ४३८ भण्डार । १२८२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ६ । ले० काल | अपूर्ण । ० सं० १७५४ 1 ट भण्डार । ४२८३. पदसंग्रह-सेवक । पत्र सं. १ । प्रा० २४४ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पद | र. कानले काल X । पूर्ण | ३०. सं० २१५० । टे भण्डार । विशेष-केवल २ पद हैं। ४२८४. पदसंग्रह-हीराचन्द । पत्र सं. १० मा ११४५ | भाषा-हिन्दी । विषय-पद व भजन । र कालXले. कालx । पूर्ण । ० सं० ४३३ । क भण्डार । विशेष-सी भण्डार में २ प्रलियां ( ० सं०४३५, ४३६) और हैं। ४२५. प्रति सं०२१ पत्र सं. ६१ ले० कालx वे०सं०४१६। क भण्डार। ४२८६. पद व स्तोत्रसंग्रह.... पप सं०५५ । प्रा० १२२ । भाषा-हिन्दी विषय-संग्रह । र० काल x | ले. काल पूर्गा । वे सं०४३६क भण्डार। विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह है। नाम कर्मा स्पनन्द जिनदास वगराम सुगुरुशतक जिनयशमङ्गल जिनगापबीसी गुरुपों की स्तुति भूधरदास Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४८ ] [ पद भजन गीत आदि नाम कर्ना भाषा भूदरदास मारिणकचन्द एकीभावस्तोत्र वचनाभि चक्रवति की भावना पदसंग्रह तेरहमपचीसो हंडावसपिणीकालदोष चौबीस दंडक दशवोलपच्चीसी दौलतराम धानतराय ४२८७. पावजिनगीत-छाजू ( समयसुन्दर के शिष्य )। पत्र सं० १ । प्रा. १.४.५ इञ्च । मापा-हिन्दी | विषय-गीत । २० काल X । से• काल X । पूर्गा | बे० सं० १८५८ | अ भण्डार । ४२८८. पारनाथ की निशानी-जिनहर्ष 1 पत्र सं० ३१ मा १०x४ च । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तवन ! २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे गं० २२४७ । श्र भण्डार । विकंप- है.. प्रारम्भ सुख संपत्ति-दायक सूरनर नायकः परतिख पास जिगांदा है। जाकी छवि कांति अनोपम प्रोपम दिपति जागा दिदा है। मन्तिम तिहां मिधादावास तिहां रे वासा दे सवक विलवंदा है। घघर निसागणी पास वखागी गुगा जिनहर्ष गावंदा है।। प्रारम्भ के पत्र पर क्रोध, मान, माया, लोभ की सज्झाय दी हैं। १५८६. प्रति सं० । पत्र सं० २ । ले. काल सं० १५२२ 1 वै० सं० २१३३ । श्र भण्डार । ४२६०. पार्श्वनाथचौपई-६० लाखो । पत्र सं० १७ । मा० १२६४५३ इच । भाषा-हिन्दी 1. विषय- स्तधन । र० काल सं० १७३४ कात्तिक सुदी । ले. काल सं० १७९३ ज्येष्ठ बुदी २१ पूर्ण । ० सं० १९१८ | ₹ भण्डार। विशेष-ग्रन्थ प्रशस्ति संवत् सतरासै चौतीस, कात्तिक शुक्ल पक्ष शुभ दीस । नौरंग तप दिल्ली मुलितान, सर्व नृपसि वह षिरि भाग्य ॥२६॥ नागर चाल देश सुभ ठाम, नगर बग्ग्रहदो उनम धाम । सब श्रावक पूजा जिनधर्म, कर भक्ति पाय बहु शर्म ॥२६७।। Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद भजन गीत आदि ] [ ४४६ कर्मक्षय कारण शुभहेत, पार्श्वनाथ चौपई सचेत । पंडित लाखो लास सभाव, सेवो धर्म माखो मुभयान ||२८॥ प्राचार्य श्री महेन्द्रकोति पाश्चमाय चौपई संपूर्ण । भट्रारक देवेन्द्र कौन्ति के शिष्य पांडे दयाराम सोनीने भट्टारक महेन्द्रकीति के शासन में दिल्ली के जसिहपूरा के देऊर में प्रतिलिपि की थी। ४२६१. पार्श्वनाथ जीरोछन्दसत्तरी | पत्र सं० २ । मा. ६x४ इंच। भाषा-हिन्दी पच । विषय-स्तवन । र० कान X । ले० काल सं० १७८१ बैशाख बुदी ६ । पूर्ण । जीर्ण । ० सं० १८८५ : स्त्र भण्डार । ४२६२. पार्श्वनाधस्तवम..."! पत्र मं० १ । प्रा. १०x४३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र कालxले. काल X1 पूर्ण । ३० सं० १४८ । छ भण्डार । विशेष-इमी वेष्टन में एक पार्श्वनाथ स्तवन मौर है। ४२६३. पार्श्वनाथस्तोत्र-...। पत्र सं० २ । आ० ८३४७ इंच ( भाषा-हिन्दी । विषय-स्तीत्र । २० काल x | ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ७६६ 1 भण्डार । ४२६४. बन्दनाजखड़ी-विहारीदास । पत्र सं० ४ | मा० Ex७ च । भाषा-हिन्दी । विषयतयन । र. काल XI पूर्ण । ३० सं० ६१३ । च भण्डार। ४२६४. प्रति सं० २१ पत्र सं. ४ । ले. काल X । वे० सं० ६२ | प भण्डार । ४२६६. बन्दनाजखड़ी-बुधजन । पथ सं० ४ । प्रा० १०x४ च | भाषा-हिन्दी । विषष-स्नयन। र० काल । ले. कास । पूर्ण | वे० सं० २६७ । ज भण्डार । ४२६७. प्रति सं० २१ पत्र सं. ३ । ले० काल X० सं० ५२४ । क्व भण्डार । ४२६८. बारहखड़ी एवं पद... पत्र सं० २२ । मा० ५१४४ च । भाषा-हिन्दी । विषम-स्फुट । २० काल X । ले. काल X 1 पूर्ण । वे० सं० ४५ । झ भण्डार । ४२६३. बाहुबली सम्माय-विमलकीति । पत्र सं० १ । भा०६३-४ इंच । भाषा- हिन्दी । विषय-- स्तोत्र । र० काल ४ । ले० काल ४ । वै० सं० १२४५ । विशेष-स्यामसुन्दर कृत पाटनपुर मज्झाय और है। ४३००. भक्तिपाठ-पन्नालाल चौधरी । पत्र सं० १७६ । प्रा. १२४५ च । भाषा-हिन्दी । विषयमतुति | र० काल X । ले० काल X । पूर्ण ! वै० सं० ५४५ । क भण्डार । विशेष-निम्न भक्तियां हैं। Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५० ] स्वाध्यायपाठ सिद्धभक्ति, श्रुतभक्ति, चारित्रभक्ति, पाचार्यभक्ति, योगभक्ति, वीरभक्ति मंदीश्वरभक्ति । ४३०१. प्रति सं० २ प ० १० से० कान X ० ० ५४० क अवार ४३०२. महिपाठ ००० १६३७३ काल X ० काल । पूर्ण वे० सं० ५४६ । क भण्डार । ० काल । ले० काल । पूर्ण जीर्ण वे० सं० २४० छ भण्डार । 4 ४३०३ भजनसंग्रह -- नयन कवि । पत्र सं० ४१ । १० ६x४] इव । भागा- हिन्दी | विषय-पद | विषय- १० काल सं० १००० कातिक बुदी ४० काल [ पद भजन गीत आदि और ४३०४. मरुदेवी की सम्माय ऋषि लालचन्द पत्र [सं०] १०८ पूर्णा 1 भाषा हिन्दी विषमस्व २० स्तनन । र काल X 1 ले काल X: पूर्ण । ० सं० १८९७ । श्र भण्डार | ४२०७. राजारानी समाय २० कान X काल पूर्ण ० सं० ४३०८. रोडपुरास्तव काल x | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० १८६३ | ॐ भण्डार | १ ० सं० २१८७ ४३०५. महावीरजी का चौढाल्या- ऋषि लालचन्द | पत्र ० ४ । आ०१६४३ इ' । भाषाहिन्दी | विषय-स्तोत्र । र० काल x | ले० काल X। पूर्ण वे० सं० २१८७ अ भण्डार भाषा-हिन्दी ! भहार | ४३०६. मुनिसुव्रतविनती- देवांझपण सं० १ ० १०३८४६३ भाषा - हिन्दी विषय I । पत्र [सं० [१] या० १४३ भाषा-हिन्दी विषय स्तोत्र | २१६६ भण्डार पत्र सं ० १९५६ इच भाषा हिन्दी विषय-स्तवन १० . विशेष – राजपुरा ग्राम में रचित ग्रादिनाथ की स्तुति है । ४३०६. विजयकुमार सम्झाय - ऋषि लालबन्द । पत्र मं० ६ । प्रा० १०४४३ इंच भाषा हिन्दी २०० १८६१ ० का ० १५७२ पूर्ण ००२१६९ अ मण्डार I विशेष कोटा के रामपुरा में ग्रन्थ रचना हुई प ४ मे पाये स्म सभा हिन्दी में और है। जिस १० काल से १०६४ कार्तिक सुदी १५ है । ४३१०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४ । ले० काल X वे० सं० २१६२ | म भण्डार । ४३११. विनती संग्रह पत्र सं० २ ० १२४५ काल X ल० काल सं० १५५१ । पूर्ण । ० सं० २०१३ | श्रु भण्डार | विशेष महात्मा शम्भूराम ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की धो I भाषा - हिन्दी विषय-स्तवन । ७ ♪ A Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद भजन गीत आदि । [ ४५१ ४३१२. विन्दीसंगह--बहादेव। पत्र में.३८ । मा. ७.४५ भाषा-हिन्दी विषय-स्तवन । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० ११३१ । ब भण्डार । विशेष—सासू बहू का झगड़ा भी है । इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे. सं. ६६३, १०४३ ) भोर है। ४३१३ प्रति सं० २ । पत्र सं. २२ । ले० काल X । ० सं० १७३ । ख भण्डार । ४३१४. प्रति सं८३ । पत्र सं० १६ ले. काल X । वे० सं० ६७८ । * भण्डार । ४३१५. प्रति सं०४। पत्र मं० १३ । ले. काल सं० १८४८ । वे० सं० १९३२ । ट भण्डार । ४३१६. वीरभक्ति तथा निर्धारण भक्ति ..."। पत्र सं० ६ | मा० ११४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषयस्तवन । र. कालX स. काल x पूर्ण | वे० सं० ६६७ । क भण्डार । ४३१७. शीतलनाथस्तवन--ऋषि लालचन्द । पत्र सं १ । प्रा.xv. । भाषा-हिन्दी। विषर-स्तचन । र० काल'x से० काल x पूर्ण । बै००२१३४ अ भण्डार। बिशेष--प्रतिम पूज्य श्री श्री दौलतराय जी बहुगुण अगवाणी । रिषलाल जी करि जोडि वीन कर सिर चरगाणी || सहर माधोपुर मंवत् पंचावन कासीग सुदी आणी । थी सीतल जिन गुराग गाया मति उलास पाणी ।। सीतल ॥१२॥ 11 इति सीतलनाथ स्तवन संपूर्ण । ४३१८. श्रेयांसस्तवन-विजयमानसूरि । पत्र सं० १ । प्रा० ११६४५२ इंच। भाषा-हिन्दी। विषय-स्तवन । र कॉल ले. काल X । पूर्ण । नेक सं० १५४१ । अ भण्डार । ४३१६. सतियांकी समझाय--ऋषि खजमली । पर सं० २ । मा० १.४४, इछ । भाषा-हिन्दी गुजराती । विषय-स्तोत्र । र काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । जीर्ग । वे० सं० २२४५ । श्र भण्डार । विशेष---मन्तिम भाग निम्न है-- इतीदक सतियारा पुरण कह्मा थे सुरण मिलो। उत्तम पराणी लजमल जी कहर.........॥३४॥ चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन भी दिया है। ४३२८. सज्झाय ( चौदह घोल)--ऋषि रायचन्द । पत्र सं० १ । प्रा० १०x४५ च । भाषाहिन्दी विषय-स्तोत्र । १० काल ले. काल x | पूर्ण । वे० सं० २१५१ । श्र भण्डार । Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५२] ४३२१. सर्वार्थसिद्धिसम्मा २० काल X | ले० काल । पूर्ण ० सं० १४७ । भण्डार | विशेष- पण स्तुति भी है ! ४३२२. सरस्वती असं० ३ | ० ६७३ इंच भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा । ० बाल X ले० काल x पूर्ण वे० सं० २११ भण्डार | L [ पद भजन गीन आदि पत्र सं० १० १०४ भाषा-हिन्दी विषय स्तनन ४३२३. साधुवंदना माणिकचन्द प ०१०१०६४ भाषा-हिन्दी स्तवन । १० काल X | ले० काल X। पूर्ण वे० सं० २०५४ ट भण्डार । + विषयवान्तरमनको ७८५ क भण्डार भण्डार ४३२४. साधुवंदना - पुण्यसागर प ० ६ स्तवन । ८० काल X| ले० काल X। पूर्ण वे० सं०८३८ श्र भण्डार । ४३२५. सार चौबीसी भाषा पारसवाल निगोत्या पण सं० ४७० प्रा० १२३७१ हिन्दी विषय-स्तुति । २० काल सं० १६१८ कार्तिक सुदी २ । ले० काल सं० १९३६ चैत्र सुदी ५ ' कुल २७ प है। काल X | ले० काल ० १०x४ भाषा-पुनीहीविषय ४३२६. प्रति सं० २०५०५० काल सं० १९४८ बैशास मुदी २००७८६ क ४३२७. प्रति सं३ पत्र सं० १७१० का ४३२८. सीतादाल ० ० ८११ भण्डार | पत्र सं० १ | श्र० ९३४४ इ | भाषा - हिन्दी विषय-स्तवन । २० । पूर्ण । ० सं० २१६७ । भण्डार | भाषामं विशेष - फतेह मल कृत चेतन ढाल भी है। ४३२६. सोलहसती माय पत्र [सं० १ ० १०४ ६' भाषा - हिन्दी-स्तवन । २० काल X | ले० काल | पूर्ण ० सं० ४३३०. स्थूलभद्रसन्भाय २० काल ४ । ले० कास X पूर्ण वे० सं० २१५२ । भण्डार । १२१८ | श्र भण्डार | पत्र ० १ ० १०४ : भाषा हिन्दी विषय-स्व Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४३३१, अंकुरोपणविधि-इन्द्रनंदि । पत्र सं० १५ । प्रा० ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषयप्रतिष्ठादि का विधान | र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ७० | म भण्डार । विदोष-..-पत्र १४-१५ पर यंत्र है। ४३३२. अंकुरोपण विधि-पं० श्राशाधर | पत्र सं० ३ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयप्रतिष्ठादि का निधान । र० काल १३वीं शताब्दि । ले. काल x अपूर्ण । वे० सं० २२१७ । अभण्डार । विशेष—प्रतिष्ठापाठ में से लिया गया है। ४३३३. प्रति सं०२। पत्र मं० ६ । ले. काल X। अपूर्ण । वेव सं. १२२ । छ भण्डार । विशेष-प्रति प्राचीन । २ नह है : रहिन। शगों का अर्थ दिया हुआ है। ४३३४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४ | ले. काल X| वे० सं० ३१६ । अ भण्डार । ४३३५. अंकुरोपणविधि""'"" ! पत्र सं० २ से २७ । मा० १११४५३ इच । भाषा-संस्कृत | विषयप्रतिष्ठादि का विधान । र० काल XIले कालXI अपूर्ण | वे० सं० १ । ख भण्डार | विशेष—प्रथम पत्र नहीं है। ४३३६. अकृत्रिमजिन चैत्यालय जयमाल""""| पत्र सं० २६ । मा० १२४७६ च । भाषाप्राहात । विषय--पूजा । र काल ४ । ले० काल । पूर्ण । ३० सं० १ । च भण्डार । ४३३७. अकृत्रिमजिनचैत्यालयपूजा--जिनदास | पत्र सं. २६ । प्रा० १२४५ इच। भाषासंस्कृत । विषय-पूजः । र० काल X| ले. काल सं० १७६४ । पूर्ण | वे० सं० १८५६ । द भण्डार | ४३३८. अकृत्रिमजिनचैत्यालयपूजा-लालजीत । पत्र सं० २१४ । मा० १४४८ इ । भाषाहिन्दी। विषय-पूजा 1 र• काल सं० १८७० । ले० काल सं० १८७२ । पूर्ण । ये० सं० ५०१ । च भण्डार । विशेष-गोपालदुर्ग (ग्वालियर) में प्रतिलिपि हुई थी। ४३३६. अकृत्रिमजिनचैत्यालयपूना-चैनसुख । पण सं० ४८ । भा० १३४८ इंच । भाषा-हिन्दो । विषय-पूजा । र० काल सं० १६३० फाल्गुन सुदी १३ । से. कास ४ । पूर्ण | वे० सं० ७०५ । अ भण्डार । ४३४०. प्रति सं०२। पत्र सं०७४ । ले. काल ४।० सं०४१ । क भण्डार । वियोष-इसी अण्डार में एक प्रति (वे.सं.)ौर है। Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५४ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य १४५,००० काल' सं० १६३३ । वै० सं० ५०३ । च मण्डार 1 विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ५०२ ) और है । ४३४२. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ३६ । ले० काल X ० सं० २०८ | भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में दो प्रतियां ( वे० सं० २०८ में ही ) और हैं। ४३४३. प्रति सं० ५ | पत्र ० ४५ ले० काल X 1 चै० सं० १६६ | भण्डार | विशेष - प्राषाढ सुदी ५ सं० १६६७ को यह ग्रन्थ रघुनाथ चांदवाड़ ने चढाया। ४३४४. अकुत्रिम चैत्यालयपूजा - मनरङ्गलाल । पत्र सं० ३० । ० ११८ इंच भाषा - हिन्दी विषय-पूजा | १० काल सं० १९३० माघ सुदी १३ । ले० काल X। पू । ० सं० ७०४ अ भण्डार । विशेष— ग्रन्थकार परिचय नाम 'मनरंग' धर्मरुचि सौं मो प्रति राखे प्रीति । बोईसौं महाराज को पाठ रव्यों जिन रीति ॥ प्रेरकता प्रतितास की रच्यों पाठ सुमनीत | ग्राम न एकोमा नाम भगवती सत 11 रचना संवत् संबंधीपञ्च - विशति इक शत शतक वे त्रिशतसंमत जानि । माघ शुक्ल त्रयोदशी पूर्ण पाठ महान || | पत्र सं० ३ । आ० १२४५६ | भाषा-संस्कृत विषय-पूजा। ४३४५. अक्षयनिधिपूजा ० काल X | ले० काल x पूर्ण । वे० सं० ४० | भण्डार | ४३४६. अक्षयनिधिपूजा" पत्र सं० १ । पूर्ण । ० सं० २८३ । भण्डार । जयमाल हिन्दी में हैं । काल X | ले० काल विशेष ४३४७. अक्षयनिधिपूत्वा - ज्ञानभूषण पत्र मं० ४ श्र० ११३४५ इंच | भाषा - हिन्दी | विषयपूजा | र० काल X | ले० काल सं० १७८३ सावन सुदी ३ । पूर्ण । वे० [सं० ४ भण्डार विशेष-श्री देव श्वेताम्बर जैन ने प्रतिलिपि की थी । ० ११५ च । भाषा-संस्कृत विषय-पूजा ८० ४३४. अक्षयनिधिविधान" [..... पत्र [सं० ४ | श्र० १२५ इंच । भाषा-संस्कृत विषय-पूजा २० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे सं० १४३ । श्र भण्डार | विशेष -- प्रति जीर्ण है। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १६७२ ) और है । Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४५५ ४३४६. अढाई ( साद्ध द्वय) दीपपूजा-भ. शुभचन्द्र । पत्र सं० ६१ । प्रा० ११४५३ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ने० का X । अपूर्ण । वे० सं० ५५, | भ भण्डार । वियोष--इसी मण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १०४४ ) और है। ४३५०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १५१ । ले० काल सं० १८२४ श्रेष्ठ बुदी १२ । वे० सं० ७६७ । के भण्डारी विशेष--इसी भारत में इस प्रप्ति ( ३० • 37 गोर। ४३५१. प्रति सं०३ । पत्र सं० ८५ | ले. काल सं० १८६२ मान बुदी ३ 1 2. सं० ६४० । , भण्डार। विशेष-इसी भण्डार में २ अपूर्ण प्रतियां बे०सं०५,१)ौर है। ४३५२. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ६० । ले० काल सं० १८६४ भावदा सुदी ११ वे० सं० १३१ । छ भण्डर। ४३५३. प्रति सं०५१ पत्र सं० १२४ । ले. काल सं० ११ । सं० ४२ 1 ज भण्डार । ४३५५. प्रति सं०६ । पत्र सं० ८३ । ले० काल X । वे० सं० १२६ । झ भण्डार । विशेष-विजयराम पांड्या ने प्रतिलिपि की थी। ५३५५. अढाईद्वीपपूजा-विश्वभूषण । पत्र सं० ११३ । प्रा० १०३४७६ इंच | भाषा-संस्कृत ! विषय--पूजा | र० काल x ले. काल सं० १९०२ बैशास सुदी १ । पूर्ण । ० सं० २ । च भण्डार । ४३५६. प्रवाईद्वीपपूजा......! पर सं० १२३ । मा० ११४५ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय--पूजा । .१० कालx | ले. काल सं० १९६२ पौष सुदी १३ पूर्ण । वै० सं०५०५। श्र भण्डार। विशेष--ग्रंबावती निवासी पिरागदास बाकलीवाल महमा बाल ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रसि ( वे० सं० ५३४ ) और है। ४३५७. प्रति सं०२ पत्र सं० १२१ । ले. काल सं० १८८० । वे० सं० २१४ । ख भण्डार । विशेष-महात्मा जोशी जीवण ने जोबनेर में प्रतिलिपि की थी। ४३५८. प्रति सं० ३। पत्र सं० ६७ । ले० काल सं० १५० कात्तिक सुदी ४ | ३० सं० १२३ । ब भण्डार। वयोष-इसी भण्डार में एक प्रति [वे. सं० १२२ ] और है । ४३५६. अढाईद्वीपपूजा-डालूराम । पत्र सं० १९३ । श्रा० १२३४५ च । भाषा-हिन्दी पच 1 विषय-पूजा । २० काल संवत सुदी ६ । ले. काल सं० १९३६ वैशाख सुदी ४ । पूर्ण । वै० सं० । क भण्डार । विशेष-समरचन्द दीवान के कहने से अलूराम अग्रवाल ने माधीराजपुरा में पूजा रचना की। Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४३६०. प्रति सं० २१ पत्र सं० ६ । ले• काल सं० १९५७ । वे सं० ५०६ । च भण्डार । विशेष-सी भण्डार में २ प्रतियां [ ० सं० ५०४, ५०५ ] और हैं । ४३६१. प्रति सं०३ । पत्र सं० १४४ । ले. काल x o सं० २०१ । छ भण्डार | ४३६२. अनन्तचतुर्दशीपूजा- शांतिदास | पत्र सं. १९ । मा० ५२४७ च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल x 1 पूर्ण । वै० सं० ४ १ ख भण्डार । विशेष--नतोद्यापन विधि सहित है। यह पुरतक गगोशजी गंगवाल ने बेगस्यों के मन्दिर में चढाई थी। ४३६३, प्रति सं० २ । पत्र सं० १४ । ले. काल x ३० सं० ३८६ : ब भण्डार | विशेष—पूजा विधि एवं जयमाल हिन्दी गद्य में है। इसी भण्डार में एक प्रति सं० १८२० की [ वै० सं० १९.] और है। १३६४. अनन्तचतर्दशीतपजा....... | पत्र २०१३ प्रा० १२४५३ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-- जा। र• काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ५८८ । अ भण्डार । विशेष—प्रादिनाथ से अनन्तनाथ तक पूजा है। ४३६५. अनन्सचतुर्दशीपूजा-श्री भूषण | पत्र सं० १८ । प्रा० १०३४७ च । भाषा-हिन्द । विषय-पूजा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ३४ । ज भण्डार । ४३६६. प्रति सं०२। पत्र संERI लेकाल सं० १८२७ । वे० सं० ४२१ । ब भण्डार । विशेष-सवाई जयपुर में 40 रामचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ४३६७. अनन्त चतुर्दशीपूजा..."। पत्र सं• २० । प्रा० १०६४५ इन्च | भाषा-संस्कृत, हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल X।ले. काल X । पूर्सा | वै० सं० ५ । ख भण्डार | १३६८, अनन्तजिनपूजा-सुरेन्द्रकीत्ति । पत्र सं० १ । प्रा० १.३४५, इच। भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल X । वे० सं० २०४२ । द भण्डार । ४३६६. अनन्तनाथपूजा-श्री भूषण ! पत्र सं० २ । प्रा० ७४४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र काल X ले० काल XI पूर्ण । ० सं० २१५५ । श्र भण्डार । ४३७०. अनन्तनाथपूजा ....." | पत्र सं० १ । प्रा० ३४४ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । २० काल - I ले. काल X | पूर्ण 1 वे० सं० ८२१ अ भण्डार । ४३७१. अनन्तनाथपूजा-सेषग ! पत्र सं ३ । मा० ८३४६३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल ४ । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ३०३ । अ भण्डार | Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४५७ विशेष--प्रथम पत्र नीचे से फटा हुआ है । ४३७२. अनन्तनाथपूजा"" पत्र सं. ३ | मा० ११४५च । भाषा-हिन्दी पच । विषय-पूजा। र० काल x | ले. काल X| पूर्ण । वे स. १६४ । म भण्डार । ४३४३. अनन्तव्रतपूजा.."। पत्र सं० २ । पा० ११४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० कालXI ० काल पूर्ख । ० सं० ५६४ । अभपहार । विशेष—इसी भण्डार में २ प्रसियां (वे. सं० ५२०, ६६५ ) पोर हैं। ४३७४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११ । सेल काल X । वे० सं० ११७ । छ भण्डार । ४३७५. प्रति सं०३ । पत्र सं० २६ । ले. काल X ० सं० २३० । ज भण्डार । ४३७६. अनन्तव्रतपूजा । पत्र सं० २ । प्रा० १०४५ छ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । मे काल x 1 पूर्ण। वे० सं० १३५२ । अ भण्डार । विशेष-जैनेतर पूजा ग्रन्थ है। ४३४७. अनन्तप्तपूजा-भ. विजयकीत्ति । पत्र सं० २१ मा० १२४५३ च | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० २४१ । छ भण्डार । ___ ७८, पादपूजा- रोनाराम ०३ । प्रा. Ex४६प । भाषा-हिन्दी । विषय-- पूजा । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण ! दे० सं० ५६ | अ भण्डार । ४३७६. अनन्तव्रतपूजाविधि..''पत्र सं० १८ । प्रा० १०६x४३ इंच । भाषा- संस्कृत । विषयपूजा । २० काल । ले० काल सं० १८५८ भादवा सुदी है। पूर्ण । वे० सं० १ । ग मण्डार । ४३८०. अनन्तपूजानतमहात्म्य.....। पत्र मं० ६ । प्रा० १.४४ च । भाषा-संस्कृत 1 विषयपूजा । र० काल - । ले. काल सं. १८४१ । पूर्ण । वे० सं० १३६३ । श्र भन्डार । ४३८१. अनन्तत्रतोद्यापनपूजा-पा० गुणचन्द्र | पत्र सं० १८ 1 मा. १२४५३ ईप । भाषासंस्कृत 1 विषय-पूजा। २. काल सं० १६३० । ले. काल सं० १९४५ मासोज सुदी ४। पूर्ण । ० सं० ४९७ 1 9 भण्हार । विशेष-अन्तिम पाठ निम्न प्रकार हैइत्याचार्याधीगुणचन्द्रविरचिता श्रीमनन्तनाथद्तपूजा परिपूर्ण समाप्ता । संवत् १८४५ का-मश्विनीमासे शुक्लपक्षे लियौ च चौथि लिखितं पिरागदास मोहा का जाति बाकलीवान प्रतापसिंहराज्ये सुरेन्द्रकोति भट्टारक विराजमाने सति पं. कल्याणवाततत्सेवक प्राज्ञाकारी पंडित खुस्थालचन्द्रेण इदं अनन्तव्रतोद्यापनलिखापितं ॥१॥ Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५८ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५३६ ) और है। ४३८२, प्रति सं०२ । एष सं. १६ । ले. काल सं० १९२८ प्रासोज बुदी १५ । ३० सं० ७ । ख भण्डार। ४३८३: प्रति सं०३ । पत्र सं.३०ले. काल ४० सं०१२ । भण्डार । ४३८४. प्रति सं०४१ पत्र सं० २५ । लेक काल x वेवसं. १२६ । छ भण्डार। . ४३८५. प्रति सं०५। पत्र सं० २१ । ले. काल सं. १८६४ | वे० सं० २०७१ ब भण्डार । ४३८६. प्रति सं२६ । पत्र सं० २१ । ले० काल X । वे० सं० ४३२ 1 ब भण्डार । विशेष-२ चित्र मण्डल के हैं। श्री शाकमदगपुर नूहड़वंश के हर्ष नामक दुर्गा बरिणक ने ग्रन्थ रचना कराई थी। ४३८७. अभिषेकपाठ"..."। पत्र सं० ४ । प्रा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत। विषय--भयवान के अभिषेक के समय माठ र० कालमा : है म ६६१। भण्डार 1 ४३५८. प्रति सं.२ । पत्र सं० २ से ५७ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ३५२ । भण्डार । विशेष-विधि विधान सहित है। ४३८६. प्रति सं०३ । पत्र सं० २ । ले० काल XI वे० सं० ७३२ । च भण्डार। ४३१०. अति सं०४। पत्रसं०४ । लेकालx.सं.१६२२ । भण्डार । ४३६५, अभिषेकविधि-लक्ष्मीसेन । पत्र सं० १५ १ मा० ११४५३ रश्च । भाषा-संस्थत । विषयभगवान के अभिषेक के समय का पाठ एवं विधि । १० काल x | ले. काल x | पूर्ण । वे० सं० ३५ । ज भण्डार | विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३१ ) और हैं जिले झाजूराम साह ने जीवनराम सेटी के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। चितामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र सोमसन कृत भी है। ४३६. अभिषेकविधि.." | पत्र सं. ८ | प्रा. ११४४१ इन। भाषा-संस्कृत । विषय भगवान के अभिषेक की विधि एवं पाठ। र. काल xले. कालx पूर्ण वे० सं०७८ । अभण्डार । ४३६३. प्रति सं०२। पत्र सं.७। लेकालx वे० सं०११ । जभण्डार। विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २७० ) और है। ४३६४. प्रति सं०३१ पत्र सं० ७ । ले० काल' X । अपूर्ण । वै० सं० २११४ । 2 भण्डार । ४३६५. अभिषेविधि । पत्र सं० १ । प्रा० ८१x६ इन्छ । भाषा-हिन्दी | विषय-भगवान के अभिषेक की विधि | र. काल ४। ले. काल XI पूर्ण ! वै० सं० १३३२ 1 9 भण्डार । Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रसिधा एवं विधान साहित्य ! ४३६६. अरिष्टाध्याय".."। पत्र सं०६ मा ३४५ । भाषा-प्राकृत... विषय-सल्लखना विधि । २० काल X । २. काल X 1 पूर्ण : वे० सं० १६७ । श्र भण्डार । विशेष–२०३ कुल गामाथें हैं- ग्रन्थका नाम रिद्धाइ है। जिसका संस्कृत रूपान्तर परिष्टाध्याय है। मादि अन्त की माथायें निम्न प्रकार हैं- । मन्त पणमंत सुरासुरमा लिरयगावरकिरणातवियुरियं । बीरजियपरायजुयलं पभिऊण भणेमि रिदठाई॥ संसारम्मि भमंतो जीवो बहभेष भिण्ा जोरिणम् । पुरकैण कहषि पावर मुहमत्य प्रत्तं व संदेहो ।।२।। पुरा विवेजहणूर्ण वारउ एक वीस सामिभ्यं । सूगोत्र सुमंतेसं रइय भणिय मुणि ठौरे परि देहिं ॥२.१।। मई भूमीले फलए समरे हाहि विराम परिहायो । कहिजइ भूमीए समंवरे हातयं वच्छा ।।२०२॥ अट्ठाद्वारह दियो जे लद्धीह लच्छरेहाउं । पढमोहिरे अंक गविजए याहि र तन्छ ।।२०३।। इति परिष्टाध्यायशास्त्र समाप्तम् । ब्रह्मवस्ता लेखितं ।।श्री।। छ ।। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २४१ ) प्रौर है। ४३६७. अष्टाहिकाजयमाल """। पत्र सं. ४ मा ६.४५ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय-मष्टासिका पर्व की पूजा । र काल x 1 ले काल x | पूर्ण। वे० सं० १०३१ । विशेष-जयमाला प्राकृत में है। ४३६८. अष्टाहिकाजयमाल " " पत्र सं०मा०१३xईच । भाषा-प्राकृत | विषष-प्रष्टानिका पर्व की पूजा । र० काल । ले. काल X । पूर्ण | वे सं० ३० । क भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ३१) और है। ४३६६. अष्टाह्निकापूजा......"। एष सं. ४ । प्रा० ११४५. इछ । भाषा-संस्कृत ! विषय-अष्टाहिका पर्व की पूजा। र. काल । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं०५६ । म भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ६६०) और है। ४४००. श्रष्टालिकापूजा । पत्र सं० ३१ | मा० xx. इव । भाषा-संस्कृत । विषय-- अष्टाह्निका पर्व की पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १५३३ । पूर्ण । वै० सं० १३ । क भण्डार । Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य विशेष-संवत् १५३३ में इस ग्रन्थ की प्रतिलिपि कराई जाकर भट्टारक श्री रत्नकीत्ति को भेंट की गई थी। जयमाला प्राकृत में है । 1 ४४०१. अष्टाह्निका पूजा कथा - सुरेन्द्रकीर्त्ति । पत्र मं० ६ । मा० १०३४५ इ | भाषा-संस्कृत | विषय प्राह्निका पर्व की पूजा तथा कथा । २० काल सं० १०५१ | ले० काल सं० २०६८ भाषाद सुबो १० । ० सं० ५६६ । अ भण्डार । ४६० ] विशेष – पं० सुगालचन्द ने जोधराज पाटोदी के बनवाये हुए मन्दिर में अपने हाथ से प्रतिनिधि की थी । भट्टारकोऽज्जगदादिति श्रीमूलस वरशारदायाः । पराज देवेंद्र सनभूततश्च ॥ १३७॥ तत्पट्टपूर्वाचल भानुकक्षः श्रीकुंदकुंदान्बयलब्धमुख्यः । महेन्द्रकीतिः प्रवभूतपट्टे क्षेमेन्द्रकोसिः गुरुरस्थमेऽभूत ॥१३८॥ योऽभूद्रकीतिः भुवि सगुणभरश्वारुचारित्रधारी । श्रीमद्भट्टारकेंद्रों विलसदवगमो भव्य संधै प्रबंधः । तस्य श्रीकार शिष्यागमजलधिपटुः श्री सुरेन्द्रकीति | रैनां पुण्यांचकार प्रलघुमतिदिदां बोधतापार्जशब्दः ॥१३२॥ मितिमा शुक्लपक्षेदणम्यां तिथौ संवत १८७८ का सवाई जयपुर के श्रीऋषभदेव चैत्यालये निवास पं० कल्याणदासस्य शिष्य खुन्यालचन्द्र र स्वहस्तेन लिपीकृतं जोधराज पाटोदी कृत चैत्यालये || शुभं भूयात् ॥ इसके अतिरिक्त यह भी लिखा है मिति माह सुदी ३ सं० १८८८ मुनिराज दोय आया | बढा वृषभसेनजी लघु बाहुबलि मालपुरासुं प्रकाशमें आया । सांगानेर सुं भट्टारकजी की नसियां में दिन घड़ी च्यार चढ्यां जयपुर में दिन सवा पहर पाछे मंदिरां दर्शन संगही का पाटोवी उगहर ( वगैरह ) मंदिर १० कीमा पाछे मोहनवाड़ी नंदलाल जी की कोतिस्तंभ की नसियां संगहो विरधोदजी भापको हवेली में रात्रि १ रह्या भोजनकरि साहीबाड राविवास कीयो संमेदगिरि यात्रापधारया पराकुत बोले श्री ऋषभदेवजी सहाय | इसी भण्डार में एक प्रति सं० १८६० की ० सं० ५४२ ) और है। ( ४४०२. अष्ठाह्निकापूजा - धानतराय । पत्र सं० ३०८४६३ 1 भाषा - हिन्दी विषयपूजा । र० काल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ७०३ का भण्डार । 1 विशेष-पत्रों का कुछ भाग जल गया है। Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४६१ ४४०३. प्रति सं० २। पत्र सं. ४ । ले काल सं० १९३१ । वे० सं० ३२ । क भण्डार । ४४०४. अष्टाह्निकापूजा'"""""। पत्र सं० ४ । प्रा० ११४५३. इन भाषा-हिन्दी । विषय-मष्टाह्निका पर्व की पूजा । र० काल सं० १८७६ कातिक बुदी । । ले. काल सं० १९३० । पूर्ण । वे० सं० १० । क भण्डार । ४४८५. अष्टाह्निकावतोद्यापनपूजा-भ० शुभचन्द्र । पत्र सं० ३ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-मष्टालिका व्रत विधान एवं पूजा । र० काल X । से० काल ४ । पूर्ण | वे० सं० ४२३ । ब भण्डार । ४४०६. अष्टाशिकानतोद्यापन""""""। पत्र सं० २२ । प्रा० ११४५३ इन्छ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषम-अष्टाह्निका व्रत एवं पूजा । र० काल X I ले. काल XI पूर्ण । ० सं० १८६ । क भण्डार । ४४८७. आचार्य शान्तिसागरपूजा- भगवानदास । पत्र सं० ४ | प्रा० ११३४६३ इन्छ । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । २० काल सं० १९८४ । ले० काल X । पूर्ण । बै० सं० २२२ । छ भण्डार । ४४०८. आठकोडिमुनिपूजा-विश्वभूषण । पत्र सं. ४ । मा० १२४६ रन । भाषा-संस्कृति । वषय-पूजा । र० काल X 1 ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ११६ । छ भण्डार । ४४०६. श्रादित्यव्रतपूजा--केशव सेन । पत्र सं०८। प्रा. १२४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-- रविनतपूजा । र० काल X । ले० काल X पूर्ण । वे० सं० ५०० । म भण्डार। ४४१०. प्रति सं०२। पत्र सं०७। ले. काल सं० १७५३ श्रावण सुदीहवे. मं०६२।क भण्डार । ४४११. प्रति सं०३ । पत्र सं.८ । ले० काल सं० १६०५ पासोज सुदी २।० सं० १८० । म भण्डार। ४४१२. आदित्यव्रतपूजा"""""। पत्र सं० ३५ से ४७ । मा० १३४५ इ० । भाषा-संस्कृत । विषयरविवत पूजा | र० काल X। ले० काल सं० १७६१ | अपूर्ण । वे० सं० २०६८ । ट भण्डार । ४४१३. शादित्यवारपूजा..."। पत्र सं० १४ । प्रा० १०x४ इच | भाषा-हिन्दी । विषय-रवि प्रत्तपूजा । र० काल X । से• काल X| अपूर्ण । वे० सं० ५२० । च भण्डार । ४४१४ श्रादित्यवारयतपूजा.....! पत्र सं०६ | प्रा. ११४५ ई'च । भाषा-संस्कृत । विषय-रवि प्रतपूजा । र० काल X। ले० काल X । वै० सं० ११७ । छ मण्हार । ४४१५, आदिनाथपूजा-रामचन्द्र । पत्र सं.४मा० १०२४५ च । भाषा-हिन्दो । विषयपूजा । र• काल X । ले. काल X । पूर्ण । वै० सं०५४८ । म भण्डार । ४४१६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४ । ले. काल ४।० सं० ५१६ । च भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० ५१७ ) और हैं । Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२] अ भण्डार । हुई पो [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४४१७. प्रति सं० ३ | पत्र [सं०] विशेष प्रारम्भ में तीन चौबीसी के नाम तथा लघु दर्शन पाठ भी हैं। ४४१८. आदिनाथपूजा"" पत्र सं० ४ | १० काल X | ले० काल X पूर्ण । ० सं० २१४५ | का भण्डार ४४१६. आदिनाथपूजाष्टक" र० काल X | ले० काल X ० सं० १२२३ | भण्डार । विशेष – नेमिनाथ पूजाष्टक भी है। ४४२०. आदीश्वरपूजाष्टक नाथ तीर्थङ्कर की पूजा | २० काल X | ले० काल X। पूर्ण । विशेष - महावीर पूजाष्टक भी है जो संस्कृत में है | ४४२१. आराधना विधान विषय-विशनकारी वे० सं० ४१५ | का भण्डार । विशेष – त्रिकाल चौबीसी प्रोडकारण आदि विधान दिये हुये हैं । ४४२२. इन्द्रबजपूजा - भ० विश्वभूषण । पत्र सं० १८ | श्र० १२४५३ इंच | भाषा-संस्कृत + विषय-पूजा र० काल X | ले० काल सं० १८५६ बैशाख बुदी ११ | पूर्ण | वे० सं० ४६१ | अ भण्डार 1 विशेष - विशालकी त्यत्मिज भ० विश्वभूषण विरचितायो' ऐसा लिखा है । ४४२३. प्रति सं० २ । पत्र ० ६२ । ले० काल सं० १५५० द्वि० बैशाख सुदी ३ व० सं०४०७ । ले० काल X | वे० सं० २३२ । ज भण्डार | आ० १२३४५३ इंच । भाषा - हिन्दी विषय-पूजा । पूर्ण । वे० सं० १६ । ख भण्डार | बी हुई है सं० १ ० १०३७३ ख । भाषा - हिन्दी विषय-पूजा । | पत्र सं० २ । अ० १०३४५६ ० सं० १२२६ | | भाषा - हिन्दी | विषय-प्रादि भण्डार । पत्र सं० १७ श्र० १०९४६ इच भाषा-संस्कृत विषय विशेष- कुछ पत्र चिपके हुये हैं । ग्रन्थ की प्रतिलिपि जयपुर में महाराजा प्रतापसिंह के शासनकाल में ४४२४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ६६ । ले० काल X | वे० सं० ८८ । भण्डार | ४४२५ प्रति सं० ४ । वत्र सं० १०६ । ले० काल X | वे० सं० १३० । छ भण्डार । विशेष-व्य भण्डार में २ पूर्ण प्रतियां ( ० सं० ३५, ४३० ) श्रीर है । ४४२६. इन्द्रध्वज मंडलपूजा | पत्र सं० ६७ । श्र० ११३५३ ६श्च । भाषा संस्कृत | विषय -- मेलों एवं उत्सकों आदि के विधान में की जाने वाली पूजा | १० काल ४ । ले० काल सं० १९३६ कामु सुदी ५ । विशेष – पं० पन्नालाल जोबनेर वाले ने श्योजीलालजी के मन्दिर में प्रतिलिपि की मण्डल की सूची भी Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४६३ १४. मामाहानिधि"..." ! पत्र सं. १ | भा१०४५ इंच | भाषा-प्राकृत । विषय-उपवास विधि । र० काल Xले. काल Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ४६४ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य विशेष-प्रथम पत्र पर सकलीकरण विधान दिया हया है। ४४३८. ऋषिमंडलपूजा...! पत्र सं. १८ । भा. ११६४५१ च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा। १० काल ले. काल १७६८ चैत्र बुदी १२ । पूर्ण । वे० सं० ४८ । च भण्डार । विशेष-महात्मा मानजी ने भामेर में प्रतिलिपि को थी। ४४३६. ऋषिमंहलपूजा".""। पत्र सं० ८। प्रा० ६.४५ । भाषा-संस्कृत । विषम-पूजा। र० काल X | ले. काल स. १८०० कातिक बुदी १० । पूर्ण । ३. सं० ४६ ) च भण्डार । विशेष-प्रति मंत्र एवं जाप्य सहित है। ४४४०. ऋषिमंडलपूजा-दौलत आसेरी। पत्र सं० १ । प्रा० ६३४६ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। र० काल X । ले. काल सं० १९३७ । पूर्ण । वे० सं० २२० । म भण्डार | ४४४१. पंजिकाव्रतोद्यापनपूजा...""। पत्र सं० ७ । प्रा० ११४५३ इच । भाषा-संस्क-त । विषयपूजा एवं विधि । र काल x ले. काल X । पूर्ण । वे० ० ६५ । घ भण्डार । विशेष--कांजीबारस का प्रत भाखापुरी १२ को किया जाता है। ४४४२, कंजिकानतोद्यापन"... | पत्र सं०६ । मा० ११३४४ ईघ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। २० काल x।से. काल X : अपूर्ण । ० सं० ६४ । ष भण्डार । विशेष-जयमाल अपभ्रंश में है। ४४४३. कंजिकाव्रतोद्यापनपूजा..." | पत्र सं० १२ । मा० १.१४५ च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय- पूजा एवं विधि । २० क ल XI ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० ६७ । म भण्डार। विशेष-पूजा संस्कृत में है तथा विधि हिन्दी में है। ४४४४. कर्मचूरनतोद्यापन... | पत्र सं० ८ । मा० ११४५१ च | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल x | ले. काल सं० १६०४ भादवा सुदी १ । पूर्ण । ० सं० ५६ 10 भण्डार । विपोष- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं०६०) और है। ४४४५. प्रति सं० २१ पत्र सं० ६ । मा० १२४५३ च । भाषा- संस्कृत | विषय-पूजा । २० काल x। ले० काल ४ | पूर्ण | वै० सं० १०४ । क भण्डार । ४४४६. कर्मचूरब्रतोद्यापनपूजा-लक्ष्मीसेन । पत्र सं० १० । मा० १०x४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले० काल ४ ! पूर्ण । वै० सं० ११७ । छ भण्डार | ४४४७, प्रति सं०२। पत्र सं०८ । ले० काल x वे० सं०४३। भण्डार । Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४६५ ४४४८. कर्मवहन पूजा-म शुभचंद्र | पत्र सं० ३० । मा० १०६x४३ इष | भाषा-संस्कृत | विषय-कर्मो के नष्ट करने के लिए पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १७९४ कात्तिक बुदी ५ । पूर्ण | के. सं. १६ । ज भण्डार। विशेष--इसी भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( वे० सं० ३० ) और है। ४४४६. प्रति सं.२ पत्र सं०८ | ले. काल सं० १६७२ पासोज । वै० सं० २१३ । ब भण्डार । ४४५०. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २४ । ले. काल सं० १६३५ मंगसिर बुदी १. 1 वे० सं० २२५ । ब भण्डार । विशेष-मा नेमिचन्द के पठनार्थ लिखा गया था । इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० २६७ ) और है। ४४५१, कर्मदहनपूजा । पत्र सं० ११ । प्रा० ११६४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-कमों के नष्ट करने की पूजा । २० काल X । ले. काल सं० १८३६ मंगसिर बुदी १३ । पूर्ण । ० सं० ५२५ । अ भण्डार । विशेष - इसो भण्डार एक प्रनि ( वे० सं० ५१३ ) और है जिसका ले. काल सं० १८२४ भादवा सुदी ४४५२. प्रति सं०२। पत्र सं० १५ । ले. काल सं० १८८८ माघ शुक्ला ८ ! वे. सं० १० । घ भण्डार। विदोष- लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। ४४५३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १८ । ले. काल सं० १७०८ श्रावण सुदी २ । ० सं० १०१। भण्डार । विशेष–माइदास ने प्रतिलिपि करवायी थी। इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे. सं० १००,१०१)ौर हैं। ४४५२. प्रति सं०४। पत्र सं० ४३ | ले. काल-वे. सं०६३। च भण्डार । ४४५५. प्रति सं०५ । पत्र सं० ३० । ले. काल X| वे० सं० १२५ | छ भण्डार । विशेष-निर्वाणकाण्ड भाषा भी दिया हुआ है । इसो भण्डार में और इसी वेष्टन में १ प्रति प्रोर है। ४४५६. कर्मदहनपूजा-टेकचन्द । पत्र सं• २२ । मा० ११४७ इंच | भाषा-हिन्दो । विषय-को को नष्ट करने के लिये पूजा । र० काल ४ । ले० काल । पूर्ण । वेसं ७०६ । श्र भण्डार । ४४५७. प्रति सं०२ । पत्र सं० १५ । से काल ४ | ३० सं० ११ । घ भण्डार । ४४५८. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १६ । ले० काल सं० १८९८ फागुण बुदी ३ । वे० सं०५३२ । प भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं० ५३१, ५३३ ) मौर है। Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४४५६, प्रति सं० ४ । पत्र सं० १६ । ले० कान सं० १८११ । ३० सं० १.३ । भण्डार | ४४६०. प्रति सं० ५ । पत्र सं० २४ । लैं. काल सं० १९५८ । वै० सं० २२१ । छ भण्डार । विशेष-अजमेर वालों के चौबारे जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० २३६ ) पौर है । ४४६१. कलशविधान-मोहन | पत्र सं० ६। मा० ११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषम-कलश एवं अभिषेक प्रादि की विधि । र. का 1 सं० १९१७ । ले काल सं० १९२२ । पूर्ण । वे० सं० २७ । ख भण्डार। विशेष-भैरवसिंह के शासनकाल में शिवकर ( सीकर ) नगर में मटंब नामक जिन मन्दिर के स्थापित करने के लिए यह विधान रचा गया । अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार है लिखितं 4. पन्नालाल अजमेर नगर में भट्टारकजी महाराज श्री १०८ श्री रत्नभूषणजी के पाट भट्टारक जी महाराज श्री १०८ श्री ललितकीर्तिजी महाराज पाट विराज्या वैशाख सुदी ३ + त्यांकी दिक्षा में प्राया जोबने रमुं पं होरालालजी पन्नालाल जयचंद उतरचा दोलतराम जी लोढा प्रोसवाल की होली में पंडितरान नोगावा का उतरया एक जायगा ११ ताई रह्या । ४४६२, कलश विधान...| पत्र सं० ६ । प्रा. १०३४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कलश एवं अभिषेक प्रादि की विधि । र• काल X । ले. काल x। पूर्ण । वे० सं० ७६ । अ भण्डार । ४४६३. कलशविधि-विश्वभूषण । पत्र सं० १० । प्रा०६३xx इच। भाषा-हिन्दी । विषयविधि । र० काल ४ । ले. काल XI पूर्ण | के० सं० ४४ | श्र भण्डार । ४४६४. कलशारोपणविधि-पाशाधर । पत्र सं० ५ । प्रा० १२४८ च । भाषा-संस्कृत । विषयमन्दर के शिखर पर कलश चढाने का विधि विधान । २. काल ४ | ले० काल ४ । पूर्ण | वे० सं० १०७ । कु भण्डार। विशेष-प्रतिष्ठा पाठ का अंग है। ४४६५. कलशारोपराविधि.... | पत्र सं०६। ग्रा०११४५६च। भाषा-संस्कृत 1 विषय-मन्दिर के शिखर पर कलश चढाने का विधान । र० काल X । ले. काल X| पूर्ण । वे० सं० १२२ । छ भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में एक प्रति (वे. सं० १२२ ) और है । Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ४४६६. कलशाभिषेक-आशाधर । पत्र सं० ६ | पा० १०.४५ ईच ! भाषा-संस्कृत | विषयअभिषेक विधि । १० कालxल. काल सं.१८३८ भादवा बुदी १० । पूर्ण । वे० सं०१०६ । भण्डार । विशेष—५० यम्भूराम ने विमलनाथ स्वामी के बैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ४४६७. कलिकुण्डपार्श्वनाथपूजा--भ० प्रभाचन्द्र | पत्र सं० ३४ । प्रा० १०३८५ च । भाषासंस्कृत । विषय-पुजा । र० काल x 1 ले. काल सं १६२६ चैत्र सुदी १३ । पूर्ग । बे० सं० १८१ । अ भण्डार । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६२६ वर्ष चैत्र सुदी १३ बुधे श्रीमूलसंधे नंद्याम्माये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छ श्रीकुंदकुंदाचार्याभ्वये भ० पनदिदेवास्त पट्ट भ० श्रीशुभचन्द्रदेवास्तरपट्ट भ. श्रीजिणचन्द्रदेवास्तत्पदै भ० श्रीप्रभाचन्द्रदेवा तच्छिष्य श्रीमंडला वार्यवर्मनंद्रदेवा तस्विष्य मंडलाधार्यश्रीललितकीर्तिदेवा तदाम्नाये संदेसवालान्बये मंडलाचार्यश्रीधर्मचन्द्र तत्दिणि बाई लाली इदं शास्त्र लिखापि मुनि हमचन्द्रायदत्त । ४४६८, कलिकुण्डपाश्र्घनाथपूजा"..." | पत्र सं० ७१ पा० १.१४४ ईच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र काल x लेत काल XI पूर्ण । ० सं० ४१६ अ भण्डार। ४४६६. कलिकुण्हाजा...पत्र सं० ३ । पा. १०३४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल X 1 पूर्ण सं० ११८३ । अ भण्डार । ५४७०. प्रति सं. २१ पत्र सं०६ | ले० काल XI सं० १०६ । भण्डार । ४४७१. प्रति सं०३ । पत्र सं० ४७ ले. काल ४१० सं० २५६ । ॐ भण्डार । और भी पूजामें हैं। ४४७२. प्रति सं४ । पत्र सं. ४ । ले. काल XI ० सं० २२४ । म भण्डार । ४४७३. कुण्डलगिरिपूजा---० विश्वभूषण । पत्र सं०६ मा ११४५ च । भाषा--संस्कृत । विषय-बुण्डलगिरि क्षेत्र की पूजा। र० जाल लेकालxपूर्ण । ० सं० ५०३ । अ भण्डार । विशेष-संचिकरगिरि, मामुपोत्तरगिरि तथा पुष्कराद्ध की पूजा और हैं। ४४७४. क्षेत्रपालपूजा--श्री विश्वसेन । पत्र सं० २ से २८ । प्रा० १०३४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | र• काल x | लेक काल सं० १८७४ भादवा बुदी है । अपूर्ण । वै० सं० १३३ । (क) र भण्डार । ४४.५. प्रति सं. २। पत्र सं० १० । ले. काल सं० १६३० ज्येष्ठ सुदी ४ । ३० सं० १२४ । छ भण्डार। विशेष—गणेशलाल पांड्या चौधरी त्राटसू पाने के लिए पं० मनसुखजी ने गौधों के मन्दिर में प्रतिलिपि की थी। Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८ ] भण्डार । भण्डार । ४४७६. प्रति सं० ३ | पत्र ० २५ | ले० काल सं० १९१६ बैशाख बुदी १३ | ४४७७. क्षेत्रपाल पूजा.'' - पत्र [सं० ६ । प्रा० ११३४५ इंच भाषा-संस्कृत विषय - जैन मान्यतानुसार भैरवको पूजा र० काल X 1 ले० काल सं० १५६० फागुण बुद्दी ७ । पू । ० सं० ७६ | श्र 1 भण्डार । विशेष — कंवरजी श्री बंपालालजी टोंग्या खंडेलवाल ने पं० श्यामलाल ब्राह्मण से प्रतिलिपि करवाई थी । ४४७ प्रति सं० २ | पत्र सं०४ । ले० काल सं० १८६१ चैत्र सुदी ६००४८ अ [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ० सं० ११८ | ज विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ने० सं० २२, १२२० प्रोर है । ४४७६ प्रति सं० ३ | पत्र सं० १३ | ले० काल X 1 वे० सं० १२४ । भण्डार | विशेष - २ प्रतियां और हैं । ४४८०. कंजिकाप्रतोद्यापनपूजा – मुनि ललितकीचि । पत्र सं० ५ १ ० १२५ इंच । भाषासंस्कृत विषय - पूजा र० काल X | ले० काल X। पू । ३० सं० ५११ | अ भण्डार | ४४८१ प्रति सं० २ । पत्र सं० ६ । ले० काल x । वे० सं० १९१० 1 क भण्डार । ४४८२ प्रति सं० ३ | पत्र सं० ४ । ले० काल सं० १६२८ । ये० सं० ३०२ । ख भण्डार | पत्र सं० १७ से २१ । प्रा० १०३५३६ च । भाषा-संस्कृत । ० ० २८ । भण्डार ४४५३. कंजिकाप्रतोद्यापन विषय-पूजा । २० काल X | ले० काल x | अपूर्ण ४४८४. राजपथामंडल पूजा - भ० क्षेमेन्द्रकीति ( नागौर पट्ट ) । पत्र [सं० भा० १२९४३ | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X | ले० काल सं० १९४० । पूर्ण । वे० सं० ३९ । ख भण्डार । विशेष पन्तिम प्रशस्ति मूलसंवे बलात्कारे गच्छे सारस्वते भवत् । कुन्दकुन्दान्वये जातः श्रुतसागरपारगः ॥१६॥ नागरपट्टे पिमतकीर्तिः तत्पट्टधारी शुभ हर्प कीर्तिः । तत्वविद्या दिसुनषणाख्यः तत्पट्टहेमादिसुकीर्तिमाख्यः ॥ २०१ कीर्तिमुनेः पट्टे क्षेमेन्द्रादिमणाः प्रभुः । तस्थाज्ञया विरचितं गजपंथपूजनं ॥२१॥ विदुषा शिवजितः नामधेयेन मोहनः । प्रेम्णा यात्रा प्रसिद्ध काह्निरचितं चिरं ॥२२॥ Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] जीयादिदं पूजनं च विश्वभूषणवध्रुवं । तस्यानुसारतो जयं न च बुद्धिकृतं विदं ॥२३॥ इति नागारपट्टीवराजमान श्रीभट्टारकक्षेमेन्द्रकीतिविरचितं गजपंथमंडलपूजनयिधानं समासम् ।। ४४६५. गणधरचरणारविन्दपुजा...... | पत्र सं० ३ । प्रा० १०६४४, इच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र. काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १२१ । क भण्डार । विशेष प्रति प्राचीन एवं संस्कृत टीका सहित है। ४४८६. गणधरजयमाला"....1 पत्र सं० १। प्रा० ८४५ इंच । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा । र. Xले. १: : भण्डार । ४४७ गणधरवलयपूजा........."| पत्र सं०७ । प्रा० १०x४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-- पुजा। र. कालxले. काल x। पूर्ण । वै० सं० १४२ । के भण्डार । ४४८८. प्रति सं०२ पत्र सं० २ से ७ । ले० बाल X ० सं० १३४ । क भण्डार । ४४८६. प्रति सं० ३१ पत्र सं० १३ 1 ले० काल X । बै० सं० १२२ । छ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे० सं० ११६, १२२ ) और हैं। ४४६०. गणधरवलयपूजा"...""| पत्र सं० २२ । मा० ११४४ इंच | भाषा-विषम-पूजा । र० काल xले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ४२१ । म भण्डार । ४४६१. गिरिनार क्षेत्रपूजा-भ० विश्वभूषण । पत्र सं० ११ । प्रा० ११४५ इ'च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल सं० १७५६ । ले० काल सं० १९०४ माघ दुदी ६ । र्ण । वे० सं० ६१२ । म भण्डार। ४४६.२. प्रति सं २ । पत्र सं०६ । ले० काल X । ० सं० ११६ । छ भण्डार । वियोष--एक प्रति और है। ४४६३. गिरनारक्षेत्रपूजा..." | पत्र सं० ४ 1 प्रा० ८४६३ इन्च ) भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र. काल X । ले० काल सं० १९६० । पूर्ण । ३० सं० १४० । ऊ भण्डार । ४४६४. चतुर्दशीव्रतपूजा"""""। पत्र सं० १३ । आ० ११६४५ च । माषा-संस्कृत | विषय-पूजा। २० काल X ।ले. काल X 1 पूर्ण । वे० सं० १५३ । छ भण्डार । ४४६५. चतुर्विशतिजयमाल-यति माघनंदि । पत्र सं० २१ मा० १२४५ च । भाषा-संस्तुत । विषय- पूजा । २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण | थे० सं० २६८ । ख भण्डार । Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पूजा प्रतिष्धा एवं विधान साहित्य ४४६६. चतुर्विशतितीथंकरपूजा..."। पत्र सं० ५१ ] मा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र. काल लेक काल x अपूर्मा । . सं. १३८ । ज भण्डार । विशेष--केवल अन्तिम पत्र नहीं है। ४४६७. प्रति सं०२। पत्र सं० ४६ । ले० काल सं० १६०२ बैशाख बुदी १० । वे० सं० १३६ | ज भण्डार। ४४६८, चतुर्विंशतितीर्थङ्करपूजा....."। पत्र सं. ४ ० ११४५न । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा | र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० १ । म भण्डार । विशेष-वलजी बज मुशरफ ने चढाई थी । ४४६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४१ । ले० काल सं० १६०६ । वे० सं० ३३१ । ब भण्डार । ४५.७. चतुर्विशतितीर्थकर पूजा....." । पत्र सं० ४४ । प्रा० १०२४५ च 1 भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र काल ४ | ले. काल ४ । पूर्ण | पे० सं० ५६७ । अ भण्डार । विशेष-कहीं २ जयमाला हिन्दी में भी है। ५५०१. प्रति सं०२। पत्र सं. ४ । ले. काल सं० १६०१ । ० सं० १५६ । कमणार । विशेष- इसी भण्डार मैं एक अपूर्ण प्रति (के० से० १५५ ) और है। ४५८२. प्रति सं०३। पत्र सं० २८ । ले. कास X । ० सं० ८६ । च भण्डार । ४५०३. चतुर्विशतितीर्थङ्करपूजा-सेवाराम साह | पत्र सं० ४३ । पा० १२४७ इच । माषाहिन्दी । विषय-पूजा। र० काल सं. १८२४ मंगसिर बुदो ६ । ले। कास सं० १८५४ पासोज सुदी १५ । पूर्ण । वे. सं०७१५ । भण्डार । विशेष-भाभूराम ने प्रतिलिपि की थी। कवि ने अपने पिता बखतराम के बनाये हुए मिथ्यात्व खंडन ., मौर बुद्धिविलास का उल्लेख किया है। इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०७१४) पोर है। ४५०४. प्रति सं० २। पत्र सं• ६० 4 ले० काल सं० १६०९ पाषाद मुवी ८ । ३० सं० ७१४ । प्र भण्डार। ४५०५. प्रति संकपत्र सं० ५२ । लेक काल सं० १९४० फागुण बुदी १३ । वै० सं० ४६ । ख भण्डार । १५०६, प्रति सं-४! पत्र सं० ४६ । ले० काल सं. १९८३ । वे० सं० २३ । । भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ३० सं० २१, २२ ) और हैं । Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ४५८७. चतुर्विशतिपला । पत्र सं० २० : प्रा० १२४५६ इच। भाषा--हिन्दी | विषय-पूजा । र० काल x | ल० काल X । अपूर्ण । ये० सं० १२० । छ भण्डार । ४५०८. चतुर्विंशतितीर्थङ्करपूजा-वृन्दावन ! पत्र सं० ६E | प्रा. १९४५१ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल सं० १८१९ कात्तिक बुदी ३ । ले. काल सं० १६१५ आषाढ बुदो ५ । पूर्ण । ० सं० ७१६ । भ भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वै० सं० ७२०, ४२७ ) मौर हैं। ४५०६. प्रति सं०२। पत्र सं०४६ ले. कालx1वे० सं० १४५। क भण्डार । ४५१०. प्रति सं०३। पर सं ५ ल काल वे० सं० ४७ ।ख भण्डार । ४५११. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४६ । ले. काल सं० १६५६ कात्तिक सुदी १० । वे० सं० २६ । म भण्डार। ४५१२. प्रति सं५ । पत्र सं. ५५ । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० २५ । ध भण्डार । विशेष—बीच के कुछ पत्र नहीं हैं। ५५१३. प्रति सं०६।पत्र सं०७० । ले. काल सं० १९२७ सावन सुदी ३ | वे० सं० १६.1 भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( वे० सं० १६१, १६२, १६३, १६४ ) और है। ४५१४. प्रति सं- पत्र सं. १०५ । ले. काल x ० सं०५४। च भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में ३ प्रतियां (वे० सं०५४२, ५४३,५४५) और है। ४५१५. प्रति सं0 5 1 पत्र सं० ४७ । ले० काल X । ० सं० २०२ । छ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( वै० सं० २०४ में ३ प्रतियां, २०५ ) पौर हैं। ५५१६. प्रति सं० । पत्र सं०६७ । ले. कास सं० १६४२ चैत्र सुदी १५ । वे० सं० २६१ । ज भण्डार। ४५१५. प्रति सं० १८ । पत्र सं० २१ । से० काल X। वे० सं० १८६ । म भण्डार | विशेष-सर्वसुखजी गोधा ने सं० १६०० भादवा सुदी ५ को बकाया पा । इसी भण्डार में एक प्रति ( वै. सं.१४५ ) और है।। ४५१८, प्रति सं० ११ । पत्र सं० ११५ । ले काल सं० १९४९ सावण सुवी २ । ३० सं० ४४५ । न भण्डार1 ४५१४. प्रति सं० १२१ पत्र सं० १४७ । ले० काल सं. १९३७ । वे० सं० १७०६ । ट भण्डार । विशेष-छोटेलाल भावसा ने स्वपढनार्थ श्रीलाल से प्रतिलिपि कराई थी। Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७२ ] ४५२०. चतुर्विशतितीर्थङ्करपूजा- - रामचन्द्र । पत्र [सं० ६० पद्य विषय-पूजा र० काल सं० १८५४ । ले० काल । पूर्ण । ण्डार । भण्डार । [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य प्रा० ११४५२ इंच भाषा - हिन्दी ० [सं० ५४२ अ भण्डार । भण्डार । विशेष – इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० २१५६, २०६५ ) और है। ४५२१. प्रति सं० २ | पत्र [सं०] ५० । ले० काल सं० १८७१ श्रासोज सुदी ६ ० सं० २४ । म विशेष – सदासुख कासलीवाल ने प्रतिलिपि की थी । इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० २५ ) और है । ४५२२ प्रति सं० ३ । पत्र सं० ५१ । ले० काल सं० १९९९ | ० सं० १७ । घ भण्डार ( ० सं० १६, २४ ) और हैं । ३० सं० १५७ । भण्डार | १५६, ७५७ ) भीर हैं। विशेष- इसी भण्डार में २ प्रति ४५२३. प्रति सं० ४ पत्र से० ५७ । ले० काल X विशेष- इसी भण्डार में प्रतियां (वे० सं० १५५, ४५२४. प्रति सं० ५ १ पत्र सं० ५६ । ले० काल सं० १६२६ । ३० सं० ५४० च भण्डार । विशेष – इसी भण्डार में ३ प्रतियां (वै० सं० ५४६, ५४७,५४८ ) और है। ४५२५. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ५४ । ले० काल सं० १८६१ । वे० सं० २१६ । छ भण्डार | विशेष- इसी भण्डार में ५ प्रतियां ( ० सं० २१७, २१८, २२० / ३ ) और हैं । ४५२६. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ६६ । ले० काल x | वे० सं० २०७ । ज भण्डार । विशेष – इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २०८ ) और हैं। ४५२७. प्रति सं०८ पत्र सं० १०१ ० काल सं० १८६१ श्रावण बुदी ४१ ० सं० १८ | झ विशेष --- जैतराम बिका ने प्रतिलिपि कराई एवं नाथूराम रांका ने विजेराम पांड्या के मन्दिर में चढाई थी। इसी भण्डार में २ प्रतियां (० ० ५५ १८१ ) और हैं । ४५२८. प्रति सं० ६ | पत्र [सं० ७३ | ले० काल सं० १८५२ भाषाढ सुदी १५ । ० सं० ६४ । क विशेष – महात्मा जयदेव ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी । इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० ३१५, ३२१ ) और है । ४५२६. चतुर्विंशतितीर्थङ्करपूजा - नेमीचन्द पाटनी | पत्र सं० ६० प्रा० ११३५३ | भाषाहिन्दी विषय-पूजा २० काल सं० १८८० भादवा सुदी १० । ले० काल सं० १६१८ प्रासोज बुदी १२ वे० सं० १४४ । क भण्डार | A Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान शाहिद [ १७३ विशेष---अन्त में कषि का संक्षिप्त परिचय दिया हुमा है तथा बतलाया गया है कि कवि दीवान अमरचंद जी के मन्दिर में कुछ समय तक ठहरकर नागपुर घले गये तथा वहां से प्रमरावती गये । ४५३०. चतुर्विशतितीर्थकर पूजा-मनरंगलाज । पत्र सं०५१ 1 मा० ११४८ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल X 1 ले. काल X 1 पूर्ण । ० सं० ७२१ । अ भण्डार । ४५३१. प्रति सं०२। पत्र सं. ६६ 1 ले० काल x वे० सं० १४३/क भण्डार । विशेष---पूजा के अन्त में ऋवि का परिचय भी है। ४५३२. प्रति सं०३। पत्र सं० ६. । ले० काल X । वे० सं० २०३ | छ भण्डार । ४५३३. चतुर्विंशतितीर्थकरपूजा-रख्तावरलाल | पत्र २० ५४ । या० ११२४५ च । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । रस काल मं० १८५४ मंगसिर बुदी ६ । ले० काल सं० १६०१ कार्तिक सुदी १० । पूर्ण । वे० सं० ५५० । च भण्डार । विशेष--तनसुखराय ने प्रतिलिपि की थी। ४५३५, प्रति सं०२। पत्र सं० ५ से ६९ | ले. काल XI प्रपूर्ण | वे० सं० २०५ । छ भण्डार। ४५३५. चतुर्विंशतितीर्थङ्करपूजा-सुगनचन्द । पत्र सं० ६७ । प्रा० ११३४८ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल XI ले. काल सं० १९२६ चैत्र बुदी १ । पूर्ण । वै. सं० ५५५ | च भण्डार | ४५३६. प्रति सं०२। पत्र सं. ८४ । ले. काल सं. १६२८ बैशाख सुदी ५। वै० सं० ५५६ । च भण्डार। ४५३७. चतुर्विंशतितीर्थक्करपूजा"""। पत्र सं. ७७ । प्रा० ११४५३ इच । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । र० काल X । ले० काल सं० १६१६ चैत्र सुदी ३ । पूर्ण | वे० सं० १२६ । अ भण्डार । ४५३८. प्रति सं०२ ! पत्र सं० ११ । ले. काल x | अपूर्ण । ३० सं० १५४ । छ भण्डार । ४५३६. चन्दनषष्ठीव्रतपूजा-भ. शुभचन्द्र । पत्र सं० १० । प्रा० ९४६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-चन्द्रप्रभ तीर्थङ्कर पूजा । २. काल X । ले० काल X 1 पूर्ण । वै० सं० ६८ । म भण्डार । ४५४०. चन्द नषष्टीव्रतपूजा-चोख चन्द । पत्र सं० ८ । पा० १.४४६ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय- चन्द्रप्रभ तीर्थङ्कर पूजा ! २० काल ४ ले. काल x पूर्ण । वे० सं० ४१६ । र भण्डार । विशेष-'चतुर्थ पूजा की जयमाल' यह नाम दिया हुआ है । जयमाल हिन्दी में है। ४५४१. चन्दनषष्ठीप्रतपूजा- भ० देवेन्द्रकीति । पत्र सं० ६ । प्रा० x प । भाषा-संस्कृत्त । विषय-चन्द्रप्रभ की पूजा। र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० १७१ । क भण्डार । Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७४ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४५४२. चन्दनपाठीव्रतपूजा".....। पत्र सं० २१ । प्रा० १२४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषयसीर्थकर चन्द्रप्रभ की पूजा । २० का काल X । ले. काल x | पूर्ण । थे० सं० १८०५१ र भण्डार । विशेष-निम्न पूजायें और हैं- पञ्चमी व्रतोद्यापन, नवग्रहपूजाविधान । ४५४३. धन्दनषष्ठीव्रतपूजा.......... | 4 मा. १२४ . . संरकता लिप्यचन्द्रप्रभ तीर्थङ्कर पूजा । र० काल xलेकाल X । पूर्ण 1 वै० सं० २१६२ । श्र भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २१६३ ) और है। ४५४५, प्रति सं० २ । पत्र सं० ६ । ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० २०६३ । ट भण्डार । ५५४५. चन्दनषष्ठीव्रतपूजा । पत्र सं०६ | प्रा० ११:४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयचन्द्रप्रभ तीर्थकर पूजा । र० काल X ।ले. काल ४ । अपूरों । वे० सं० ६५७ । अ भण्डार । विशेष–३रा पत्र नहीं है। ४५४६. चन्दप्रभजिनपूजा-रामचन्द्र । पत्र सं० ७ । पा. १०३४५ इच । माषा-हिन्दी । विषयपूजा। र० काल ४ । ले० काल सं० १८७६ ग्रासोज बुदी ४ । पूर्ण । बे० सं० ४२७ | ध भण्डार । विशेष-सदासुख बाकलीवाल महुआ वाले ने प्रतिलिपि की थी। ४५४७. चन्द्रप्रभजिनपूजा-देवेन्द्रकीति । पत्र सं० ५। पा. ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषम-पूजा । २० काल x | ले. काल सं० १७९२ । पूर्ण । वै० सं० ५७६ । श्र भण्डार । ४५४६. प्रति मं०३।पत्र सं. ५। ले० काल सं. ११३ । वे० सं०४३० । ब भण्डार । विशेष---मामेरमें सं० १८७२ में रामचन्द्र की लिखी हुई प्रत से प्रतिलिपि की गई थी। ४५४६. चमत्कारअतिशयक्षेत्रपूजा......! पत्र सं ५ मा० ७४५ च । भाषा-हिन्दी | विषयपूजा। र० काल X । ले. काल सं० १६२७ वैशाख बुदी १३ । पूर्ण । वे० सं० ६०२ । अ भण्डार । ४५५७. चारित्रशुद्धिविधान-श्री भूषण 1 पत्र सं० १७ । प्रा० १२३४३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-मुनि दीक्षा के समय होने वाले विधान एवं पुजामें। र० काल x | ले. काल सं० १८५८ पौष सूदी ८ । पूर्ण । ० सं० ४४५ 1 अ भण्डार । विशेष-इसका दूसरा नाम बारहसौ चौतीसाश्रत पूजा विधान भी है। ४५५१. प्रति सं०२। पत्र सं. ८९ | ले. काल x वे. सं० १५२ | क भण्डार। विशेष-मेखक प्रशस्ति कटी हुई है। Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४७५ ४५५२. चारित्रशुद्धिविधान - सुमतित्र । पत्र सं० २४ | प्रा० ११३४५६ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-पुनि दीक्षा के समय होने वाले विधान एवं पूजायें। १० काम X| ले० काल सं० १६३७ बैशाख सुदी १५ । पूर्ण । ० सं० १२३ । ख भण्डार | ४४५३. चारित्रशुद्धिविधान -- शुभचन्द्र । पत्र सं० ६६ । प्रा० ११३४५ इत्र | भाषा-संस्कृत । मुनि दीक्षा के समय होने वाले विधान एवं पूजायें । र० काल X | ले० काल सं० १७१४ फाल्गुणं सुदी ४ । पूर्ण । ० सं० २०४ । ज भण्डार । विशेज-लेखक प्रशस्ति संवत् १७१४ वर्षे फागुणमासे शुक्लपक्षे चउथ तिथी शुक्रवासरे घडसोलास्थाने मुडलदेशे श्रीधर्मनाथ चैत्यालये श्रीमूल सरस्वतीमच्छे बलात्कारगणे श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टारक श्री ५ रत्नचन्द्राः तत्पट्ट भ० हर्षचन्द्राः तदाम्नाये ब्रह्म श्री ठाकरसी तत्शिष्य ब्रह्म श्री पदास तत्शिष्य ब्रह्म श्री महोदासेन स्वज्ञानावर्णी कर्म क्षयार्थ उद्यापन चार चौत्री स्वहस्तेन लिखित्तं । ४५५४. चितामणिपूजा ( बृहत् ) -- विद्याभूषण सूरि पन सं० ११ । ०६३x४३ इंच । भाषा संस्कृत विषय पूजा | १० फाल X | ले० काल X। प्रपूर्ण । ० सं० ५५१ | भण्डार विशेष-पत्र ३, ८, १० नहीं हैं । श्र० ११३५ च । ४४५५. चिंतामणिपार्श्वनाथपूजा ( बृहद ) - शुभचन्द्र । पत्र सं० १० भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा र काल X | ले० काल x 1 पूर्ण । वे० सं० ५७४ | भण्डार । ४५५६. प्रति सं २ | पत्र सं० २० सं० १६६१ पौष सुदी ११ । वे० सं० ४१७ । ब भण्डार | ४२५७. चिन्तामणि पार्श्वनाथपूजा | पत्र सं० ३ १ ० १०५ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा र काल X | ले० काल x । ० सं० १९८४ । अ भण्डार | ४५५८. प्रति सं० २ । पत्र [सं० । ० काल X। ० सं० २८ । ग भण्डार । विशेष- निम्न पूजायें और हैं। चिन्तामणिस्तोत्र का कुण्डस्तोष, कलिकुण्डपूजा एवं पद्मावतीपूजा । ४५५६. प्रति सं० ३ पत्र सं० १५ | ले० काल x | जे० सं० ९६ । च भण्डार । ४५६०. चिन्तामणि पार्श्वनाथपूजा विषय-पूजा । १० काल x 1 ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ५८३ । च भण्डार | | पत्र सं० ११ । ० ११४४३ इव । भाषा-संस्कृत । Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७६ ] [ | पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४५६१. चिन्तामणि पार्श्वनाथपूजा। पत्र सं ० ५ विषय- पूजा । र० काल X ले० कास X पूर्ण । ० सं० २२१४ | अ भण्डार विशेष – यज्ञविधि एवं स्तोत्र भी दिया है। इसी भरद्वार में एक प्रति (३० मं० १०४० ) और है! ४५६२. चौदह पूजा... भण्डार | ० ११३४५३ इ ंच | भाषा-संस्कृत । सं० १२० १०० भाषा-संस्कृत विषय-पूजा १० काल X | ले० काल । पूरणं । वै० सं० २६६ || विशेष- ऋषभनाथ से लेकर अनंतनाथ तक पूजायें हैं । ४५६३. चौसठऋऋद्धिपूजा – स्वरूपचन्द पत्र सं० ३५ बा० ११३४१ भाषा - हिन्दी | विषय-६४ प्रकार की पाद्धि धारण करने वाले मुनियोंकी पूजा २० काल सं० १९९० सावन मुदी ७ ० का १५१ । पूर्ण । ० सं० ६६४ । भण्डार ० विशेष इसका दूसरा नाम बृहपति पूजा भी है। इसी भण्डार में ४ प्रतियां (० सं० ७१६, ७१७ ७१८ ७३७ ) पोर है । ४५६४. प्रति सं० २ पत्र सं० २ ० काम सं० १६१० वे० [सं०] १७० I ४५६५. प्रति सं० ३ ४५६६. प्रति सं० ४ | क भण्डार ० ३२० काल सं० १९५२ । ० नं० २६ ग भण्डार ० २६ । ले० काल सं० १६२६ फागुमा सुखी १२० सं० ७६ । घ २५ । ले० काल X १ ० सं० ११२ भन्दा वे० सं० १९४ ) और है । ० काल X १ 1 ० सं ७३४ । च भण्डार । ४५६७ प्रति सं०५ पत्र मं० ! ले० काल सं० १९२२ । ० सं० २१६ छ भण्डार ० सं० १४३, २१६ / ३ ) भोर हैं | विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ४५६८. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६ १ ४५६६. प्रति सं० ७ पत्र [सं० ४८ विशेष- इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( ४५७० प्रति सं० म पत्र से० ४५ विशेष- इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( ४५७१. प्रति सं० ६ प ० ४६ ४५०२. प्रति सं० १० । पत्र सं० ४३ ४५७२. छोति निवारण विधि ले० काल X ३० सं० २०६ । ज भण्डार | I ० सं० २६२ / २२९५ ) और हैं । ० काल X ० ० ५३४ म भण्डार ले काल x पत्र सं० ३ विधान १० काल x ० काल X। पूर्ण ० ० १०७ का भण्डार ० सं० १९१३ | ट भण्डार ० ११४४ इंच । भाषा - हिन्दी । विषय Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ४५७४. जम्बूद्वीपपूजा-पांडे जिन्दास · पत्र नं १६ | At० १०:४६ इंच । भाषा- संस्कृत । विषय- पूजा । र० काल १७वीं शताब्दी । ले. काल सं० १८२२ मंगसिर बुदी १२ । पूर्ण । वे० सं० १८३ । क भण्डार । विशेष—प्रति प्रकृत्रिम जिनालय तथा भूत, भविष्यत्, वर्तमान जिनपूजा सहित है। पं. चोखचन्द ने माहचन्द से प्रतिलिपि करवाई थी। १५७५. प्रति सं० २। पत्र सं. २८ । ले० काल मं० १८८४ ज्येष्ठ सुदी १४ । वे० सं०६८ | च भण्डार। न विशेष-भवानीचन्द भावासा झिलाय वाले ने प्रतिलिपि की थी। ४५७६. जम्बूस्वामीपूजा । पत्र सं. १० | पा० ८४५६ इंच 1 भाषा-हिन्दो । विषय-अन्तिम केवली जम्बूस्वामी की पूजा । २० काल X । ले० काल सं० १९४८ | पूर्ण । वे० सं० ६०१ । अ भण्डार । ४५४४. जयमाल-रायचन्द । पत्र सं० १ । प्रा० ८३४४ च । भाषा--हिन्दी। विषय-पूजा । २० काल सं. १८५५ फागुण सुदी १ । ले. काल पूर्ण । वे० सं० २१३२ | म भण्डार। विशेष-भोजराज जी ने किशनगढ़ में प्रतिलिपि की थी। ४५७४. जलहरतेलाविधान.. ... ! पत्र सं० ४ | श्रा० ११.५७ च । भाषा-हिन्दी । विषयविधान । र० काल X| ले. काल Xसं० ३२३ । ज भण्डार । विशेष-जलहर तेले (मत) को विधि है । इसका दूसरा नाम झरतेला प्रत भी है। ४५७६. प्रति सं० २ । पर सं० ३। ले. काल मं० १९२८ | वे० सं० ३०२ ख भण्डार । ४५८०. जलयात्रापूजाविधान"..... | पत्र सं० २ पा० ११४६ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल XI ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० २६३ । ज भण्डार । विशेष-भगवान के अभिषेक के लिए जल लाने का विधान । ४५८१. जलयात्राविधान-महा पं० आशाधर | पत्र सं० ४ । प्रा. ११३४५ इच । भाषा-संस्कृति । विषय-जन्माभिषेक के लिए जल लाने का विधान । २० काल x | ले. काल XI पूर्ण । ० सं० १०१६ । अ भण्डार। ४५८२. जलयात्रा (तीर्थोद्कादानविधान ) ....। पत्र सं. २ | प्रा. ११४५३ इच । भाषासंस्कृत । विषय-विधान । र० काल ४ । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० १२२ । छ भण्डार । विशेष-जलयात्रा के यन्त्र भी दिये हैं। ४५८३. जिनगुणसंपचिपूजा-भक रजचन्द्र । पत्र सं. ६ । प्रा० ११:४५ च । भाषा संस्कृत ! विषय-पूजा । र० काल x | लेकाल XI पूर्ण । ० सं० २०२१ ह भण्डार । Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ७८ । [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४४८४. प्रति स०२१ पत्र सं०६। ले. काल सं० १६८३ । वे० सं० १७१ । बभण्डार | विशेष-श्रीपति जोशी ने प्रतिलिपि की थी। ४५८५. जिनगुणसंपत्तिपूजा..."| पत्र सं० १९ । मा० १२४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय : पूजा। र० काल - । ले. काल X । अपूर्ण । वै० सं० २१९७ । श्र भण्डार। विशेष-५वा पत्र नहीं है। "५८६, पति सं० १ | 18 ले. का. १९२१ । वे सं० २६३ । ख भण्डार । ४५८७. जिनगुणसंपत्तिपूजा......"। पत्र मं० ५। या० ५६४६३ च । भाषा-संस्कृत प्राकृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५१५ । अ भण्डार । ४५८८ जिनपुरन्दरतपूजा....."। पत्र सं० १४ । भा० १२४५६ इन ! भाषा-संस्तु-त । विषयपूजा । २० माल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० २०६ । कु भण्डार । ४५८६. जिन जाफलप्राप्तिकथा । पत्र सं०५ | प्रा० १०३४४ च । भाषा - संस्कृत | विषयपूजा। र० काल X । ले. काल ५ । पूर्ण । वे० सं० ४८३ । अ भण्डार । विशेष-पूजा के साथ २ कथा भी है। ४५६८. जिनयज्ञकल्प ( प्रतिष्ठासार)-महा पं० आशाधर | पत्र सं० १०२ । मा० १०:४४ ईक । भाषा-संस्कृत । विषय मूर्ति, वेदी प्रतिष्ठादि विधानों की विधि । २० काल सं० १२८५ प्रासोज बुदी ८ । ले० काल १४९५ माघ बुदी (शक सं० १३६०) पूर्ण । ० सं० २८ । अभण्डार । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार हैसंवत् १४६५ शाके १३६० वर्षे माध कवि ८ गुरुवासरे ....... ... .. ....(अपूर्ण) ४५६१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७७ । ले. काल सं० १६३३ । ३० सं० ४५६ । श्र भण्डार । विशेष-प्रशस्ति- संवत् १६३३ वर्षे... १५६२ प्रति सं० ३ । पत्र सं० १५ । ले. काल सं० १८८५ भादवा बुदी १३ । वे० सं० २७ । ध भण्डार। विशेष -मथुरा में औरङ्गजेब के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई। लेखक प्रशस्ति श्रीमूलसंघेषु सरस्वतीयो गच्छे बलात्कारणे प्रसिद्ध । सिंहासनी श्रीमलयस्य खेटे सुदक्षिणाशा विषये बिलीने । Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ! [ ४ श्रीकुंदकुंदाखिलयोगनाप पट्टानुगानेकमुनीन्द्रवर्णाः।। दुईदिवायुन्मयनैकसज्ज विद्यासुनंदीश्वरसूरि मुख्यः ॥ . तदन्वये मोऽमरकोतिनाम्ना भट्टारको वादिगजेभशत्रुः । सस्यानुशिष्यशुभचन्द्रसूरि श्रीमालके नर्मदयोपगायां ।। पुर्या शुभायां पट्ठपशत्रुवत्या सुवर्णकाणाप्रत नीयकार ।। ४५४३. प्रति सं०४ । पत्र सं० १२४ । से० काल सं० १६५६ भादवा सुदी १२ । ३० सं० २२३ । म भण्डार। विशेष-बंगाल में अकबरा नगर में राजा सवाई मानसिंह के शासनकाल में भाषार्य कुन्दकुन्द के बलास्कारगण सरस्वतीगच्छ में भट्टारक पधनंदि के शिष्य भ० शुभचन्द्र भ० जिनचन्द्र भ० चन्द्रकीति की माम्नाय में खंडेलबाल बंशोत्पन्न पाटनीगोत्र वाले साह श्री पट्टिराज, वलू, फरना, कपूरा, नाथु प्रादि में से कपूरा ने षोडशकारण व्रतोद्यागन में नाव होने ह प्रतिभाशा थी। ४५६४. प्रति सं०५। पत्र सं० ११६ । लेक काल ४।०सं० ४२ । न भण्डार । बिशेष-प्रति प्राचीन है। नंद्यात खंडिलवंशोत्थः केल्हयोन्यासविसरः । लेखितोयेन पाठार्थमस्य प्रणाम पुस्तकं ॥२०॥ ४५६५. प्रति सं०६ । पत्र सं० ६६ । ले काल सं० १६६२ भादवा बुदी २।३० सं० ४२५ । न भण्डार। विशेष-संवत् १६६२ वर्षे भाद्रपद बदि २ भौमे प्रद्य ह राजपुरनगरवास्तव्यं प्राभ्यासरनागरजाली पंचोली स्यात्भासुत नरसिंहेन लिखितं । छ भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( वे० सं० २०७ ) च भण्डार में २ प्रपूर्ण प्रतियां (दे० सं० १२०, १०५ ) तथा म भण्डार में एक प्रपूर्ण प्रति ( ० सं० २०७ ) और है। ४५६६. जिनयझविधान...| पत्र सं. १ । प्रा० १०४४३६ । भाषा-संस्कृत | विषय-विधान । २० काल । से० काल XI पूर्ण । वे० सं० १७०३ : ४ भण्डार | ४५६७. जिनस्नपन (अभिषेक पाठ) | पत्र सं० १४ । प्रा० ६३४४ ई | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल ४ | ले. काल सं० १८११ वैशाख सुदी ७ । पूर्ण । ३० सं० १७७८ | ट भण्डार । ४५६८. जिनसंहिता पत्र सं० ४६ | प्रा० १३४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा प्रतिवाद एवं माचार सम्बन्धी विधान र कालx1 ले. काल x पूर्ण । वै० सं. ७७ । छ भण्डार । Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२० ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४५६६. जिनसंहिता - भद्रबाहु पत्र सं० १३० । ० ११४५३ इव । भाषा-संस्कृत विषय -- पूजा प्रतिष्ठादि एवं प्राचार सम्बन्धी विधान २० काल X से० काल X 1 पूर्ण वे० सं० ११६ । क भण्डार | ४६००. जिनसंहिता - भ० एकसंधि | पत्र सं० ८४ प्रा० १३९५ इ | भाषा - संस्कृत । विषयपूजा प्रतिष्ठादि एवं आधार सम्बन्धी विधान २० काल X | ले० काल सं० १६३७ चैत्र बुदी ११ पूर्ण १ ० सं० १६७ | क भण्डार | विशेष- ५७ ५८, ८१ ८२ तथा ८३ पत्र खाली हैं । ४६०१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ८५ । ले० काल सं० १८५३ । वे० सं० १६८ | क भण्डार । ४६०२ प्रति सं० ३ | पत्र सं० १११ | ले० काल X | वे० सं० ५६ | व भण्डार | ४६०३ जिनसंहिता पत्र सं० १०६ | श्रा० १२४६ इंच भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा प्रतिहादि एवं श्राचार सम्बन्धी विधान १० काल X | ले० काल सं० १८५६ भादवा बुद्दी ५ | पूर्ण । वे० सं० १६५ १ क भण्डार । विशेष — ग्रन्थ का दूसरा नाम पूजासार भी है। यह एक संग्रह ग्रन्थ है जिसका विषय बोरसेन, जिनसेन पूज्यपाद तथा सुभद्रादि प्राचार्यों के ग्रन्थों से संग्रह किया गया है । ६६ पृष्ठों के प्रतिरिक्त १० पत्रों में ग्रन्थ से सम्यन्धित ४३ यन्त्र दे रखे हैं। ४६०४. जिनसहस्रनामपूजा - धर्म भूषण पत्र सं० १२६ | आ० १०x४३ | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल X | ले० काल से ० १६०६ बैशाख बुदी २ पूर्ण वे० सं० ४३८ १ श्र भण्डार | विशेष – लिद्धमणलाल से पं० सुखलालजी के पठनार्थ हीरालालजी रेशवाल तथा पसेवर वालों ने किला खण्डार में प्रतिलिपि करवाई थी । अन्तिम प्रशस्ति — या पुस्तक लिखाई किला खण्डारि के कोटडिराज्ये श्रीमाममित्रजी तत् कंबर फतेसिंहजी बुलाया बालू बेदी निमित्त श्रीसहस्रनाम को मंडलजी बायो उत्सव करायो श्री ऋषभदेवजी का मन्दिर में माल लियो दरोगा चत्रभुजी वासी बगरू का गोत पाटणी रु० १५) साहजी गणेशलालजी साह ज्याकी सहाय से हुवी । | - ४६०५. प्रति सं० २ | पत्र सं० ८७ | ले० काल x | ० सं० १९४ | क भण्डार | ४६०६. जिनसहस्रनामपूजा-स्वरूपचन्द विलाला । पत्र सं० ६५ ० ११४५३ | भाषाहिन्दी | विषय-पूजा २० काल सं० १६१६ प्रासोज सुदी २ । ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ८७१३ । क भण्डार । ४६.७. जिनसहस्रनामपूजा - चैनसुख लुहाडिया | पत्र सं० २६ । ४० १२४५ इम । भाषाहिन्दी | विषय-पूजा र० काल X 1 ले- काल सं० १९३६ माह सुदी ५। पूर्ण वे० सं० ७७२ / क भण्डार Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ३८. जिनसइखनामपूजा" २ काल X | ले० काल X ० ४६०६. प्रति स० २ | पत्र नं ४६१०. त्रिनामिषे निर्णय विधान । २० काल X | ले० काल X | पूर्ण । [ ४ " पत्र सं० १८ । श्र० १३८ इंच भाषा - हिन्दी । विषय-पूजा । ०७२४ | अ भण्डार | विशेष – विद्वज्जन बोधक के प्रथमकाण्ड में सातवें उल्लास को हिन्दी भाषा है । ४६११. जैनप्रतिष्ठापाठ पत्र सं० २ से ३५ | मा० ११३४४३ ६ च । भाषा-संस्कृत विषय - २३ | ले० काल X | वै० सं० ७२४ | भण्डार | पत्र सं० १० । ० १२४६ इच। भाषा - हिन्दी विषय-अभिषेक ० सं० २११ । ४ भण्डार | विधि विधान | र० काल X | ले० काल XX | अपूर्ण । ० सं० ११६ । चभण्डार | ६१२. जनावादपद्धति पत्र सं० ३४ | ० १२५ ४' विधि | र० काल X | ० काल X | पूर्ण वे० सं० २१५ क भण्डार । -- ० ० १२२ : च भण्डार | विशेष -- प्रवार्य जिनसेन स्वामी के मतानुसार संग्रह किया गया है। प्रति हिन्दी टीका महित है । ४६१३ प्रति सं० २ । पत्र सं० २७ । ले० काल X | वे० सं० १७ । ज भण्डार । ४६१४. खानपंचविशतिकाव्रतोद्यापन -मः सुरेन्द्रकीर्ति । पत्र सं० १६ । ० १०३५ इंच | भाषा-संस्कृत विषय-पूजा | २० काल सं० १९४७ चैत्र बुदी १ । ले० काल सं० १८६३ प्राषाढ बुदी ५ । पूर्ण । ** भाषा-संस्कृत विषय विवाह विशेष - जयपुर में वन्द्रप्रभु चैत्यालय में रचना की गई थी। सोनजी पांड्या ने प्रतिलिपि की थी । ४३१५. ज्येष्ठ जिनवर पूजा | पत्र सं० ७ । ग्रा० ११५५३ इंच | भाषा संस्कृत विषय-पूजा । २० काल X | ले० काल । पू । वे सं० ५०४ । भण्डार । विशेष-सी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ७२३ ) श्रर हैं। ४६१६. ज्येष्ठ जिनवरपूजा पत्र सं० १२ । प्रा० १११४५ इंच भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । ० काल ४ । ले० काल X। धपूर्ण वे० सं० २१६ । क भण्डार | ४६१७. प्रति सं० २ | पत्र सं० ६ | ले० काल सं० १६२१ । वे० सं० २६३ । ख भण्डार ४६१८. ज्येष्ठजिनवरतपूजा। पत्र सं० १ | आ० ११६५३ इंच भाषा-संस्कृत विषय पूजा । १० काल X | ले० काल सं० १८६० आषाढ सुदी ४ पूर्ण वे० सं० २२१२ । अ भण्डार | विशेष – विद्वान खुशाल ने जोधराज के बनवाये हुए पाटोदी के मन्दिर में प्रतिनिधि की । खरडो सुरेन्द्रकीर्तिजी को रच्यो । Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८२ । [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान पहित्य ४६१६. णमोकारपसीसपूजा--अक्षयराम । पत्र सं. ३ । ग्रा० १२४५, इछ । भाषा - संस्कृत । विषय-गमोकार मन्त्र पूजा । र० काल ४ । ले. काल ४ । पूर्ण । बे० सं० ४६६ ! म भण्डार । विशेष-महाराजा जयसिंह के शासनकाल में ग्रन्थ रचना की गई थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ५७८ ) और है। ४६२०. प्रति सं०२। पत्र सं० ३ 1 ले काल सं० १७६५ प्र. प्रासोज खुदी १ । ये० सं० ३६४ । म मण्डार। ४६२१. णमोकारपैंतीसीव्रतविधान-पा० श्री कनककीति | पत्र सं० ५ । या. १२४५ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा एवं विधान । र० काल xले. काल सं०१८२५ । पूर्ण। 4. सं. २३६ | F भण्डार। विशेष-इंगरसी कासलीवाल ने प्रतिलिपि की थी। ४६२२. प्रति सं० २। पत्र सं० २। ले० काल X। मपूर्ण । ३० सं० १७४ । र भण्डार । ४६२३. तत्त्वार्थसूत्रदशाध्यायपूजा-दयाचन्द्र । पत्र सं० १ । प्रा० ११XY ५ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x | ले. काल । पूर्ण । वे० सं० ५६० । क भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति वे० सं० २६१ । पौर है। ४६२४. तत्त्वार्थसूत्रदशाध्यायपूजा । पत्र सं० २ । मा० ११६४५भाषा-संस्कृत । विषमपूजा । र• काल X । ले. काल X। पूर्ण । वे० सं० २६२ । क भण्डार । विशेष- केवल १०३ मध्याय की पूजा है । ४६२५. तीनचौबीसीपूजा.....| पथ सं० ३८ 1 पा. १२४५ ईच । भाषा-संस्कृत 1 विषय- भूत, भविष्यत् तथा वर्तमान काल के चौबीसों तीर्थङ्करों की पूजा । र० काल XI ले. बाल x पूर्ण । वे. सं० २७४ ।। क भण्डार। ४६२६, तीनचौबीसीसमुच्चयपूजा"...."पत्र सं० ५ । मा० ११३४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ले• काल XI पूर्ण । वे० सं० १८०६ । ट भण्डार । ४६२७. तीनचौबीसीपूजा-नेमीचन्द पाटनी । पत्र सं०६७ । प्रा० ११३४५- इच। भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । २० काल सं० १८६४ कात्तिक बुदी १४ । ले. फाल सं. १६२८ भाद्र रद सदी ७ । पूर्ण । । सं० २७५ । क भण्डार। ४६२८. तीनचीत्रीसीपूजा......"| पत्र सं० ५७ । प्रा० ११४५ इंच भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २. काल सं.१५८२ | ले. काल सं० १८८२ । पूर्ण । वे सं० २७३ । क भण्डार । Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Xx पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ४६२६. तीन चौबीसी समुचयपूजा विषय-पूजा | १० काल X। ले० काल x । पूर्ण वे० सं० १२५ । ३ भण्डार । ४६३० ते पूजा र० काल सं० १८२६ । ले० का० सं० १९७३ । पूर्ण विशेष- प्रत्य लिखाने में ३७|| - ) लगे थे । भण्डार । [ ४८३ । पत्र मं० २० । ० ११३०४३ इंच | भाषा-संस्कृत | atal भण्डार । ४६३१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३५० । ले० काल X | वे० सं० २४१ । छ भण्डार | ४६३२. तीन लोकपूजा - नेमीचन्द पत्र सं० १५१ । श्र० १३८ इष | भाषा - हिन्दी | विषयपूजा । १० काल X। मे० काल सं० १६६३ ज्येष्ठ सुदी ४ । पू । वे० सं० २२०३ । अ भण्डार । विशेष—--इसका नाम त्रिलोकसार पूजा एवं त्रिलोक्पूजा भी है । ४६३३. प्रति सं० २ पत्र सं० १०८ । ले० काल । ० सं० २७० | के भण्डार । ४६३४. प्रति सं० ३ । पत्र [सं० ६८७ । ले० काल सं० १६९३ ज्येष्ठ सुदी ५० सं० २२९ । ३ 1 ४१० प्रा० १२x६ इव । भाषा - हिन्दी विषय-वे० सं० २७७ | भण्डार | इसी भण्डार में २ प्रतियां वे० सं० ५७६, ५७७ ) और हैं । विशेष—दो वेष्टनों में है । ४६३५. तीसचौबीसी नाम पत्र सं० ६ । मा० १०x४ ६ च । भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा | २० काल X | ले० काल x | वे० सं० ५७८ भण्डार । ४६३६. तीसचौबीसी पूजा - वृन्दावन । पत्र मं० ११६ | मा० १०३७३ इंच भाषा - हिन्दी | विषय - पूज | १० काल X| ले० काल X| पूर्ण ० ० ५८० । चभण्डार विशेष — प्रतिलिपि बनारस में गङ्गातट पर हुई थी । ४६३७. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२२ । ले० काल सं० १६०१ आषाढ सुदी २ । ० सं० ५७ झ पूजा | १० काल X 1 ले० काल सं. १६२१ सावन सुदी १५ ४६३८. तीसचौबीसीसमुचयपूजा | पत्र सं० ६ वे० सं० २०८ | पूजा | २० काल सं० १६०८ । ले० काल X। पूर्ण भण्डार | विशेष --- अढाईद्वीप प्रन्तर्गव ५ भरत ५ ऐरावत १० क्षेत्र सम्बन्धी तीस चौबीसी पूजा है । इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ५७६ ) और है । ४६३६. तेरहद्वीपपूजा -- शुभचन्द्र । पत्र स० ० ८६१ | भाषा - हिन्दी | विश्य च १५४ | ० १०३४५ ह'च । भाषा-संस्कृत | विषय - पूर्ण वे० सं० ७३ । ख भण्डार । I Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८४ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५३४०. तेरहद्वीपपूजा-म० विश्वभूषण । पत्र सं० १०२ 1 मा० ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-जैन मान्यतानुसार १३ द्वीपों की पूजा । र० काल X । ले. काल सं० १८८७ भादवा सुदी २ । वै० सं० १२७ । म भण्डार। विशेष-विजैरामजी पांच्या ने बलदेव बाहरण से लिखवाई थी। ४६४१. तेरहद्वीपपूजा...."पत्र सं० २४ । प्रा० ११६४६५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-जैन मान्यतानुसार १३ द्वीपों की पूजा। र० कालx'| ले कान सं० १८६१ । पूर्ण । ३० सं० ४३ । ज भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक मपूर्ण प्रति ( बे० सं० ५० ) और है। ४६४२. तेरहद्वीपपूजा...] पत्र सं० २०८ | प्रा. ११४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा। २० काल ४ । लेख काल सं० १९२४ । पूर्ण । वे० सं० ५३५ । अ माहार । ४६४३. तेरहद्वीपपूजा-लालजीत । पत्र स० २३२ । मा० १२१४८ इ च । भाषा-हिन्दी । विषय-- . पूजा ! २० काल सं० १८७७ कात्तिक सुदी १२ । ले० काल सं. १६६२ भादवा सुर्वी ३ । पूर्ण | वे. सं० २७७ । क भण्डार। विशेष--गोबिन्दराम ने प्रतिलिपि की थी। ४६४४. तेरहद्वीपपूजा....."। पत्र सं० १७६ । प्रा० ११४७ १ च । भाषा-हिन्दी । विषम-पूजा । र० काल XI ले. काल XI ने.सं. ५८१ । च भण्डार । ४६४५. नेरहद्वीपपूजा... | पत्र सं० २६४ | मा० ११४७, इच । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। र• काल x | ले. काल स. १६४६ कार्तिक सुदी ४ । पूर्ण । वे० सं० ३४३ । ज भण्डार। ४६४६. तेरहवीपपूजाविधान....! पत्र सं० ८६ । आ० ११४५३ ईच। भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र० काल ४ । ले. काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० १.६१ । अ भण्डार। ४६२७ त्रिकालचौबीसीपूजा-त्रिभुवनचन्द्र । पत्र सं• १३ । प्रा० ११६४५ इंच । भाषा-संस्कृत । । विषय-तीनों काल में होने वाले तीर्घरों की पूजा । र० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । ० सं० ५७५ । अ भण्डार। विशेष-शिवलाल ने नेकटा में प्रतिलिपि की पी। ४६४८. त्रिकालचौबीसीपूजा"..."| पत्र सं. १ । प्रा. १०४६३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा | २० का X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० २५८ | क भण्डार। ४६४६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । ले. काल सं० १७०४ पौष बुदी ६ । वे. मं. २७६ | क भण्डार । विशेष-सवा में भाचार्य पूर्णचन्द्र ने अपने चार शिष्यों के साप में प्रतिलिपि की थी। Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ + पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] भण्डार । भण्डार | [ ४८५ ४६५०. प्रति सं० ३ | पत्र सं० १० १ ० काल सं० १६६१ भादवा सुदी ३१ बै० सं० २२२ छ विशेष - श्रीमती चतुर मती जिंका को पुस्तक है । ४६५१. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १३ । ले० काल सं० १७४७ फाल्गुन बुदी १३ | ० सं० ४११ | अ विशेष - विद्याविनोद ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १७५ ) और है । ४६५२, प्रति सं० ५ । पत्र ४६५३. त्रिकालपूजा ... काल X | ने० काल X। पूर्ण । वे० सं० ५३० । श्र भण्डार | ० ६ । ले० काल x | ० सं० २१६२ | द भण्डार । पत्र सं० १६ । मा० ११x४३ | भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा | २० विशेष - भूत, भविष्यत् वर्तमान के त्रेसठ शलाका पुरुषों की पूजा है ! ४६५४. त्रिलोक क्षेत्रपूजा-पत्र सं० ५१ | श्रा० ११५ इंच | २० काल सं० १८४२ ले० काल सं० १८८६ चैत्र सुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० ५८२ । च भण्डार । ४६५५. त्रिलोकस्थजिनालयपूजा भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा | | पत्र सं० । ० ११७३ इव । भाषा - हिन्दी] | विषय - पूजा | २० काल X | ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १२० ज भण्डार । ४६५६. त्रिलोकसारपूजा - अभयनन्दि । पत्र सं० ३६ | आ० १३३४७ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल X | ले० काल सं० १८७८ ० सं० ५४४ । भण्डार | विशेष – १६ पत्र से नवीन पत्र जोड़े गये हैं । ४६५७. त्रिलोकसारपूजा | पत्र सं० २६० । ० ११४५ इच । भाषा संस्कृत विषय-पूजा ! र० काल X | ले० काल सं० १६३० भादवा सुदी २ पूर्ण वे० सं० ४८६ । भण्डार । ४६५८. त्रेपन किया पूजा | पत्र सं० ६ | मा० १२४५३ ६ च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | २० काल X १ ले० काल सं० १८२३ । पू । ० सं० ५१६ | अ भण्डार | ४६५६. त्रेपनक्रियाव्रतपूजा। पत्र सं ० ५ | मा० ११३५६ इच | भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा । २० काल सं० १६०४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वे० सं० २८७ | क भण्डार विशेष - प्राचार्य पूर्णचन्द्र ने सांगानेर में प्रतिलिपि की थी। ४६६०. त्रैलोक्यसारपूजा - सुमतिसागर । पत्र सं० १७२ । ० ११३४५३ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल X | ले० काल सं० १८२६ भादवा बुदी ४ | पूर्ण | ने० सं० १३२ । छ भण्डार । Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४६६१. त्रैलोक्यसारमहापूजा । पत्र सं० १४५ । प्रा० १०४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । र० काल X । ले० काल सं० १९१६ | पूर्ण । वै० सं० ७६ । ख भण्डार । ४६६२. दशलक्षणाजयमाल-पं० राधू । मा० १०४५ च । भाषा-प्रपनश | विषय-धर्म के दश भेदों की पूजा । १० कालxले. काल पूर्ण | वे०सं० २६८। अभण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायान्तर दिया हुआ है। ४६६३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६ । ले. काल #. १७६५ । ३० सं० ३०१ । भबार । विशेष - संस्कृत में सामान्य टीका दी हुई है। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३०२ ) और है। ४६६४. प्रति सं० ३१ पत्र सं० ११ । ते काम X । ० सं० २६७ 1 क भण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुए हैं। इसी मण्यार में एक प्रति सं० २९६ ) और है। ४३६५. प्रति सं०४। ०७ ले कान सं० १६.१ । ३० सं० भण्डार । विप्रेष-जोशी खुशालीराम ने टोक में प्रतिलिपि की थी। उसो भER में २ प्रतिभा .सं. २, ३/१)ौर है। ४११. प्रति सं० । पर सं० ११ । लेक काल x 60 २६४ । भण्डार । विशेष-संस्कृत में संकेत दिये हुये है। इसी भण्डार में एक अपूर्ण प्रति (के सं० २९२ ) और है । ४६६७ प्रति सं०६ । फत्र सं. १ । ले० काम x. ३०. सं. १२६ । च भार । विशेष- इसी कार में एक प्रति के. १५०) और है। ४६६८. प्रति सं० ७ । पत्र सं. ९ । ले. काल सं १७८२ फामुए मुवी १२ । वे० सं० १२६ । छ भण्डार। ४६६६. प्रति सं० । पत्र सं0 0 1 ले. काल सं. १८९८ | ३० सं०७३ । म भण्डार । विशेष-इसी महार में २ प्रतियां ( ० सं० १६८, २०२ ) और हैं । ४६७०. प्रति सं०३ । पत्र स. ४ 1 ले० काल सं० १७४६ । ३. सं. १७० । म भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। इसी भहार में २ प्रतियां (2० सं० २६, २८५) और हैं। ४६७१. प्रति सं०१० । पत्र सं० १० । ले० काल x 1० सं० १५५५ । भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में ३ प्रतियां (वे० सं० १७७, १७१८, १७१४ ) और हैं । ४६७२. घशलतणजयमाल भाव शर्मा । पत्र सं० । मा० १२४५३ च । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा । २० काल X| ले. काल सं० १८११ भावना सुवी ११ । अपूर्ण | ३० सं० २६८ | श्र भण्डार । विशेष-संस्कृत में टीका दी हुई है। इसी भण्डार में एक प्रति ( वे सं०४१ ) और है । Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] भण्डार | [ ४८७ ४६७३. प्रति सं० २०२० काल सं० १०३४ पौष वदी १२० सं० २०२० क विशेष---मरावती जिले में समरपुर नामक नगर में आचार्य पूर्णचन्द्र के विध्य वरवर के पुत्र ने स्वयं के पढने के लिए प्रतिलिपि की थी । इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २०१ ) और है। ४६७४. प्रति सं० ३ पत्र सं० १०० काल सं० १९१२ । ० सं० १५१ । ख भण्डार । विशेष – जयपुर के जोबनेर के मन्दिर में प्रतिलिपि की थी। ४६०४. प्रति सं० ४ पत्र [सं० १२० काल सं० १६६२ भादवा सुदी २० सं० १५१ । च भण्डार । भण्डार । विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुए हैं । ० ११ । से० काल X ४६७६. प्रति सं० ५ प ४६७७. प्रति सं० ६ विशेष—इसी भण्डार में ४६७८. प्रति सं० ७ विशेष इसी भण्डार में वे० सं० ४०१ ) और है। पत्र [सं० ५ ० काल X एक प्रति ( पत्र [सं०] १८ | ले० काल X | ० सं० १७५४ | दं भण्डार । प्रतियां २० सं० १७६६ १०६० १७९२ १७१४) पर हैं। ४६७६. दशलक्षणजयमाल ० का ० -- ३० सं० १२९ भण्डार विशेष महात्मा श्रीमल ने इसी भण्डार में २ प्रतियां ० ( ४६८४. वशलक्षणजयमाल ० सं० २०५ । ल भण्डार १७८४वी ४ पू० सं० २१३ अडार ४६८०. प्रति सं० २०८ ले० काल X ० सं० २०६ । ६१ प्रति [सं० ३ । पत्र [सं०] १५ । ले० काल x | ० ० ७२६ । भण्डार । ४६६० प्रति सं० ४ । पत्र ० ४ ० काल X। प्रपूर्ण वे० सं० २६० । के भण्डार 1 विशेष इसी भण्डार में २ प्रतियां वे० सं० २१७, २१० ) और है। ४६०२ प्रति सं० [सं० ६ विषय-पूमा १०० पत्र [सं० प्रा० १०५ इंच भाषा प्राकृत विषय-पूमा । ० काल सं० १८६६ नादवा सुदी ३ | ३० सं० १९३ । च I वाले ने प्रतिनिधि की जी संस्कृत में धर्मायवाची शब्द दिये हुये हैं ० १५२, १५४ ) पोर हैं। | पत्र [सं० ५ । प्रा० ११३४५ च । भाषा - प्राकृत, संस्कृत । दे० सं० २११५ अ भण्झर Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८८ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४६८५. दशलक्षणजयमाल "| पत्र मं० १ । प्रा० १०२४४३ इंच ! भाषा-हिन्दी । विषम-पूजा। २० काल X| ले० काल सं० १७३६ मासोज बुदी ७ । पूर्ण । वै० सं० २४ ख भण्डार । विशेष--नागौर में प्रतिलिपि हुई थी। ४६५६. दशलक्षणाजयमाल""""| 47 सं०७। प्रा० ११४५ ई'च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । 1. काल x | ले. कास पूर्ण । वै० म०७४५ । च भण्डार । ४६६७. दशलक्षरणपूजा-अभ्रदेव । पत्र है। प्रा. १३४५३ च । भाषा-संस्मत । विषयपूजा। र० काल ४ ले. काल XI पूर्ण । बै० सं० १०८२ | अ भण्डार । ६८. दालमा पूजा-अभयनन्दि । पत्र सं० १५ । प्रा० १२४६ च । भाषा-संस्कृत । विश्यपूजा । र० फाल X । ले. काल ४ | पूर्ण । ० सं० २६६ । क भण्डार | ४६८६. दशलक्षणपूजा" । पत्र सं० २ | प्रा. ११४५३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल ४ | ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ६६७ । श्र भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १२०४ ) और हैं। ४६६०. प्रति सं०२। पत्र सं० १८ । ले. काल सं. १७४७ फागुण बुदी ४ ० सं० ३.३ । र भण्डार। विपोष--सांगानेर में विद्याविनोद नै पं० मिरधर के वाचनार्य प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति (वे. सं० २६८ ) और है। ४६६१. प्रति सं. ३ । पत्र सं० । ले. काल x वे० सं० १७८५ । र भण्वार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति (के० सं० १७६१ ) और हैं। ४६१२. दशलक्षणपूजा । पत्र सं० ३७ । प्रा० ११४४३ इंच । भाषा-संस्भून । विषय-पूजा । र• काल X । ले. काल सं० १८६३ । पूर्ण । वे० सं० १५५ । च भण्डार । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। ४६६३. दशलक्षणपूजा-धानतराय। पत्र सं० १.। प्रा० ५२४६३ च । भाषा-हिन्दी | विषयपूजा। र० काल ४ । ले काल । पूर्ण । वे० सं० ७२५ । अ भण्डार । विशेष-पत्र सं०७ तक रत्नत्रयपूजा दी हुई है। ४६६४. प्रति सं.२। पन सं. ४ । ले. काल सं १९३७ चैत्र बुदी २। बे० सं० ३००। क भण्डार। ४६६५. प्रति सं०३। पत्र सं.५। ले. कालx० सं० ३०.।ज भण्डार | Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४८६ ४६६६. दशलक्षणपूजा""""""। पत्र सं० ३५ । प्रा० १२३४७३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल सं० १९५४ । पूर्ण । वे० सं० ५८८ । च भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५८९ ) और है । ४६५७. प्रति सं० २१ पत्र सं० २५ । ले. काल सं० १९३७ । वे० सं० ३१७ । च भण्डार । ४६६८. दशलकणपूजा"..."। पत्र सं. ३ । प्रा० ११४५ इच । भाषा-हिन्दी । विषय--पूजा । र. काल X| ले. काल X | अपूर्ण । ये० सं० १६२० । र मण्डार । विशेष-स्थापना द्यानतराय कृत पूजा की है अष्टक तथा जयमाला किसी अन्य कवि की है । ४६६१. दशलक्षणमंडलपूजा..."। पत्र सं० ६३ । प्रा० १११४५६ च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । र० काल सं० १८८० मंत्र सुदी १३ । ले. काल पूर्ण । वै० स० ३०३ । क भण्डार । A ४७००. प्रति सं० २१ पत्र सं. ५२ । लेक कालx० सं० ३०१ क भण्डार। ४७८१. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३४ । ले. काल सं० १९३७ भादवा बुदो १० | वे० मं० ३०० । भण्डार। ४६०२. दशलक्षणव्रतपूजा-सुमतिसागर । पत्र सं• २२ । पा. १०३४५ इव । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल x | ले. काल सं. १६६६ भादवा सुदी ३ । पूर्ण । बे० सं० ७६६ । म भण्डार। ४७०३. प्रति सं० २। पत्र सं० १४ । ले. काल सं० १८२६ 1 सं० ४६८ ( अ भण्डार । ४७०४. प्रति सं०३ । पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १८७६ पासोज सुदी ५ । वे० सं० १४६ । च भण्डार। विशेष---सदासुख बाकलीवाल ने प्रतिलिपि की थी। ४७०५. दशलक्षणव्रतोद्यापन-जिनचन्द्र सूरि । पत्र सं० १९ - २५ । मा० १.३४५ इच। भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल Xलेकाल X। मपूर्ण । वे० सं० २६१ । भण्डार | ४७०६. दशलक्षणप्रतोद्यापन-मल्लिभूषण ! पत्र सं० १४ । मा० १२३४६ इच । भाषा संस्कृत । बिषय-पूजा । रस काल ४ । ले० काल X । पूर्ण | वे० सं० १२६ । छ भण्डार । ४७०७. प्रति सं० २ । पत्र सं. १६ । ले० काल X । ३० सं० ७५ । म भण्डार । ४७.८. दशलमानतोचापन"""""। पत्र सं० ४३ । प्रा. १०४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र० काल X 1 ले. काल X| वे० सं० ७० । म भण्डार । विशेष-मण्डलविधि भी दी हुई है। Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - Pt. ] मा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४०१. दशलक्षणविधानपूजा......"। पत्र सं० ३० । पा. १२३४८ क : भाषा--हि-दी। विषय-- पूजा । २० काल X| ले. काल X| पूर्मा । व० सं० २०७। छ भण्डार । बिशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां इसी वेष्टन में और हैं। ४.१०. देवपूजा-इन्द्रनन्दि योगीन्द्र । पत्र सं० ५ ५ मा० १०.४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १६७ । च भण्डार । ४७११. देवपूजा..."। पत्र सं० ११ । मा० ६३४४३ च। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र. काल X| ले. काल - I पूर्ण । वे० सं० १८५३ | अ भण्डार । ७ प्रति सं व .. से 15 ले काम । अपूर्ण । बे० सं० ४६ । घ भण्डार । ४७१३. प्रति सं०३ । पत्र सं० ५ । ले. काल x | वै सर ३०५ । । भण्डार । विशेष-इसी भण्डार मैं एक प्रति ( वे० सं० ३०६ ) और है । ४७१४. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३ । ले. काल X | वे० सं० १६१ । च भण्डार । विशेष—इसी भण्हार में २ प्रतियां (वे. सं० १६२, १६३ ) घौर है। ४५१५. प्रति सं०५ 1 पथ सं० ६ । ले. काल सं. १८५३ पौष बुदी म । के० सं० १३३ । ज भार। विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियो ( वे० सं० १६६, १७८ ) मौर है। ४७१६. प्रति सं०६। पत्र सं० ६ । ले० काल मं० १९५० प्रापाढ बुदी १२ । ३० सं० २१४२ । ट भण्डार। विशेष-छीतरमल ब्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी। ४.१७. देवपूजादीका""""। पत्र सं० । पा० १२४५३ च । षा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल सं० १९८६ । पूर्ग । वे० सं० ११६ । छ भण्डार । ४६१८. देवपूजाभाषा--जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० १७ । मा० १२४५३ च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषम-पूज! । २० काल X । ले० काल सं० १८४३ कात्तिक सुदी । पूर्ण । वै० सं० ५१९ । श्र भण्डार । ४७१६. देवसिद्धपूजा "। पत्र सं० १५ | प्रा. १२४५३ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र २० काम X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १५६ । च भण्डार । विशेष- इसी वैष्टन में एक प्रति और है । ४७२०. बादशवतपूजा-पं० अभ्रदेव । पत्र सं०७१ मा ११४५६। साषा-संस्कृत । विषय पूजा। र० कालxले. काल४पूर्ण । ०.५८४ | अभण्डार । Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहि य ] [ ४१ ४७२१. द्वादशत्रनोद्यापनपूजा-देवेन्द्रकीति । पत्र सं० १६ । प्रा० ११४५३ च । भाषा-संस्कृत ! विषय-ला। २. काल सं० १७७२ माघ सुदी १ । ले. काल ४ । पूर्ण । वे सं० ५३३ । अ भण्डार । ४७२२. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४। ले० काल ४ | ३० सं० ३२० । भण्डार। ४७२३. प्रति सं०३ । पत्र सं० १५ १ ले. काल ४ | ० सं० ११७ । छ भण्डार । ४४२४. द्वादशवतोशापनपूजा--पचनन्दि । पत्र सं० ६ | मा० 2x7 इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र काल X । ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० ५.६३ । श्र भण्डार । ४५. द्वादशनतोद्यापनपूजा-भ. जगतकीर्ति । पन सं०६ । प्रा० १०३४६ इछ । भाषासंस्कृत | विषय-पूजा ! र० काल X । ले. काल पूर्ण । वे० सं० १५६ । च भण्डार । ४७२६. द्वादशनतोद्यापन पत्र सं० ५ । मा० ११३४५१ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल सं० १८०४ । पूर्ण । वे० सं० १३५ । ज भण्डार। विशेष-पोर्धनास ने प्रतिलिपि की थी। ४७२७. द्वादशांगपूजा-डालराम । पत्र सं० १६ । मा० १९४५३ इंच । भाषा-हिन्दी { विषयपूजा । २० काल सं० १८७६ ज्येष्ठ सुदी ६ । २० काल सं० १९३० प्राषाढ बुदी ११ । पूर्ण । वे० सं० ३२४ । क विशेष-पत्रालाल चौधरी ने प्रतिलिपि को भी। ४७२८. द्वादशांगपूजा..."। पत्र सं० ८ । प्रा० ११३४५३ । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल सं० १८८६ माघ सुदी १५ : पूर्ण । वे० सं० ५६२। विशेष-उसी वेष्टन में २ प्रतियां और है। १७२६. द्वादशांगपूजा | पन सं. ६ | मार १२४७१३ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ले. काल XI पूर्ण । वै. सं. ३२६ । क भण्डार। विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० ३२७ ) और है। ४५३०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३ । ले० कास ४ । के० सं० ४४४ । म भण्डार । ४७३१. धर्मचक्रपूजा-यशोनन्दि । पत्र सं० १९ । मा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० काल X । ले० कान XI पूर्ण । वे० सं० ५१८ । अ भण्डार । ४७३२. प्रति सं० २१ पत्र सं० १६ । ले० काल सं० १९४२ फागुण सुदी १.वे० सं० २६ । ख भण्डार! भिशेष–पखालाल जोबनेर वाले ने प्रतिलिपि की थी। Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४५३३. धर्मचक्रपूजा-साधु रणमल्ल । पत्र सं० प्रा० ११४५३ च । भाषा संस्कृत | विषयपूजा । २० काल X । ले० काल सं० १८८१ चैत्र सुदी ५। पूर्ण । वे० सं० ५२८ 1 अ भण्डार । विशेष-५० खुणालचन्द ने जोधराज पाटीदी के मन्दिर में प्रतिलिपि की थी। ४७३४. धर्मचक्रपूजा"."| पत्र सं० १० प्रा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। २० काल X। ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ५०६ । अ भण्डार । ४७३५. ध्वजारोपण".." पत्र सं० ११ । प्रा० ११४५३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजाविधान । २० काल X । लेख काल XI पूर्ण । ० ० १२२ । छ' भण्डार । ४४३६. ध्वजारोपणामंत्र.......""! पत्र सं० ४ । प्रा० ११३४५ ६च ! भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा विधान । र० काल X| ले. काल X । पूर्ण । ० सं० ५२३ । अ भण्डार । ७३७. ध्वजारोपणरिधि-40 प्राशाधर 1 पत्र सं० २७ । ग्रा० १०४४. इच। भाषा-संस्कृत । विषय-मन्दिर में ध्वजा लगाने का विधान । २० काल XI ले. काल X । मपूर्ण । घ भण्डार । ४७३८, ध्वजारोपपविरिण"..."| पर सं० १३ । प्रा० १०१४५१ च । भाषा-संस्कृत । विषमविषय- मन्दिर में ध्वजा लगाने का विधान | र० काल X: लेकाल X । पूर्ण । वे० सं० ! अ भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० ४३४, ४८५ ) और हैं । ४७३६. प्रति सं० २। पत्र सं० ८ १ ले. काल सं० १९१६ । वै० सं० ३१८ । ज भण्डार । ४७४७. ध्वजारोहणविधि ...."। पत्र सं. ८ | श्रा० १०६४७३ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-- विधान । २० काल ४ । ले० काल सं० १९२७ । पूर्ण | वे० सं० २७३ । ख भण्डार । - ४७४१. प्रति सं० २ । पत्र सं० २ - ४ । ले. काल X । प्रपूर्ण । वे० सं० १८२२ । द भण्डार | ४७४२. नन्दीश्वरजयमाल...'। पत्र सं० २ । प्रा० ६६x४ इञ्च । भाषा-अपभ्रंश । विषय-पूजा । १० काल x | ले. काल ४ । पूर्ण । ३० सं० १७७६ । ट भण्डार । ४७४३. नन्दीश्वरजयमाल...."। पत्र सं० ३। मा० ११४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X! ले. काल x 1 पूर्ण । वे० सं० १८७० ! 2 भण्डार । ४७४४. नन्दीश्वर द्वीपपूजा-रजनन्दि । पत्र सं० १० | प्रा. ११३४५६ इन। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र. काल X : लेस काल x 1 पूर्ण । वे० सं० १६० । च भण्डार । विशेष-प्रति प्राचीन है। Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४३ ४७४५. प्रति सं० २१ पत्र सं० १० । ले० काल मं० १८६१ प्राषाढ बुदी ३ । थे. सं. १९१ । च भण्डार। * विशेष-पत्र चूहों ने खा रहे हैं । ४७४६. नन्दीश्वरद्वीपपूजा.......। पत्र म० ४ | मा. ८४६ इछ । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल X | ले० काल XI पूर्ण । ३० सं० ६०० | अ भण्डार । विशेष-जयमाल प्राकृति में है। इसो भण्डार में एक अपूर्व प्रति (वे० सं० ७६७) पौर है। ४६४७. नन्दीश्वरपपूजामङ्गल । १३ सं० ३१ । प्रा० १२४७ च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । र० काल X I ले० काल सं० १८०७ पौष बुदी ११ । पूर्ण । वे० सं० ५६६ | च भण्डार । ४५४८. नन्दीश्वरपंक्तिपूजा".! पत्र सं०६ | मा० ११४५३ इंच | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रस काल XI ले. काल सं० १७४९ भादवा बुदी । । पूर्ण | वे० सं० ५२६ । श्र भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रांत ( वे० सं० ५५७ ) मोर है । ४७४६. प्रति सं० २१ पत्र सं० १६ । ले. काल XI ० सं० ३६३ । क भण्डार । ४७५२. नन्दीश्वरपंक्तिपूजा..."। पत्र सं ३ | प्रा० १०२४५३ ईध । भाषा-हिन्दी । विक्ष्य-पूजा । र० काल X । ले. काल ४ । अपूर्ण । वै० म० १९८३ । अ मण्डार । ४७५१. नन्दीश्वरपूजा....... पप सं०६ | प्रा० ११४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल XI ले. काल X । पूर्ण : वे० सं० ४७० । प भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( वे० सं० ४०६, २१२, २७४ ने काल सं. १८२४ ) और हैं । ४७५२. नन्दीश्वरपुजा".... 1 पत्र सं. ४ | भा० ८२४६ च । भाषा प्राकृत | विषय-पूजा । र काल X| ले० काल X1 पूर्ण ! वै० म० ११५२ । अ भण्डार । ४७५३. प्रति सं०२ । पत्र म०५ । ले० काल X | वे० सं० ३४८ । छ भण्डार । ४७५४. नन्दीश्वरपूजा....."पत्र सं. ४ | प्रा. ६४७ इत्र । भाषा-अपभ्रंश । विषय-पूजा। र० काल लेकाल ४ । पूर्ण । वे० सं० ११६ । छ भण्डार । विशेष-लक्ष्मीचन्द ने प्रतिलिपि की थी । संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं। ४७५५. नन्दीश्वरपूजा....."। पत्र सं० ३१ । प्रा० Ex५३ इंच | भाषा-संस्कृत, प्राकृत । २० काल X| काल ४ । पूर्ण । ये० सं० ११६ । ज भण्डार । ४७५६. नन्दीश्वरपूजा" | पत्र सं० ३० | प्रा० १२४८ च । भाषा-हिन्दी । विपय-पूजा । २० काल ४ । ले० काल सं० १९९१ | पूर्ण । वे० सं० ३४६ | क भण्डार । Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , ४६४ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४७५७. नन्दीश्वरभक्तिभाषा - एमालाल | पत्र सं. २६ । पा० ११६x च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल सं० १९२१ 1 ले. काल सं० १९४६ । पुणे । वे० सं० ३६४ | क भण्डार । ४७५८. नन्दीश्वरविधान-जिनेश्वरदास । पत्र सं. १११ । प्रा. १३४१ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय -पूजा । र० काल सं० १६६ । ले० काल सं० १६६२ । पूर्ण । वे० सं० ३५.० | " भण्डार । विशेष-लिखाई एवं कागज में केवल १५) रु. खर्च हुये थे । ४४४६. नन्दीश्वरप्रतोद्यापनपूजा-नन्दिषेण पत्र सं• २० । प्रा० १२३४५३ रन । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल ४ | ले. काल XI पूर्ण | वे० सं० १९२ ! व भण्डार । ४७६०. नन्दीश्वरप्रतोद्यापनपूजा-अनन्तकोन्ति । पत्र सं० १३ । मा १४४ इच। भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल x | ले. काल सं० १८५७ श्रारा बुदी ६ । अपूर्ण । ० सं० २०१७ । ट भण्डार। वि--- दूसरा पहीं है ! सफापुर में प्रतिलिपि हुई थी। ४७६१. नन्दोश्ररवतोद्यापनपूजा..."। पत्र सं. ५ । प्रा० ११३४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० काल X । ले० काल । पूर्ण | थे० सं० ११७ । छ भण्डार | ४७३२. नन्दीश्वरव्रतोद्यापनपूजा...! पत्र सं० ३० । प्रा० ६x६ इंच । भाषा-हिन्दी | विषयपूजा । र• काल XI ले. काल सं० १८८६ भादबा सुदी । पूर्ण । बे० सं० ३५१ । भण्डार । विशेष-स्योजीराम भांवसा ने प्रतिलिपि की थी। ४४६३. नन्दीश्वरपूजाविधान-टेकचन्द । पत्र सं० ४६ | प्रा. ४६ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल x/ले. काल सं० १८८५. सावन सुदी १० । पूर्ण । वे सं० १७ । म भण्डार । विशेष-फतेहलाल पापड़ीवाल ने जयपुर वाले रामलाल पहाड़िया से प्रतिलिपि कराई थी। ४७६४ नन्दूसममीव्रतोद्यापनपूजा...! पत्र सं० १० मा ६x४ इंच ! बाषा-संस्कृत । विषय- पूजा । २. काल X | ले. काल सं० १९४७ । पूर्ण । वे सं: ५६२। अ भण्डार । वियोष- इसी भण्डार में एक प्रसि ( बे० सं० ३.३ ) और है। ४७६५. नवग्रहपूजाविधान-भवबाहु । पत्र सं०८ प्रा. १०x४३ । भाषा- संस्कृत | विषयपूना । २० काल ४ । ले: काल ४ । पूर्ण । ० सं० २२ । अ भण्डार । १७६६ प्रति सं० २ । पत्र सं६ । ले० काल X| ० सं० २३ । ज धार | विशेष-प्रथम पत्र पर नवग्रहका वित्र है तथा किस ग्रह की शांति के लिए किस तीर्थ धर की पूजा करनी . चाहिए, यह लिखा है। Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ४६५ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ४७६७. नवग्रहपूजा..." | पत्र से०१७। मा० ११३४६३ इश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । . काल X1 ले. काल । पूर्ण | वे० मं• ७०१ | अ भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में ५ प्रतियां ( ० सं० ४७५, ४६०, ५७३, १२७१, २०१२ ) पौर हैं। ४४६८. प्रति सं०२ . पर सं०६ । लेन काल सं० १६२८ म्येष्ठ बुदी ३ । वै० सं० १२७ । छ भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में : प्रतिर्या (वे० सं० १२७ ) और है। ४७६६. प्रति सं. ३ । पत्र सं० १२ । से० कास सं० १९८८ कार्तिक बुदी ७ । वे० सं० १ २०३ ज भण्डार विशेष-इसो भण्डार में ३ प्रतियां (बे० सं० १५५, १६३, २८० ) पौर हैं। ४७७०, प्रति सं०४। पत्र सं०६। ले० काल वे० सं० २०१५ 1 ट भण्डार । ४५७१. नवमहपूजा...'पत्र सं० २६ । प्रा० ६.४६३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल ४ । ० कान X । अपूर्ण | ३० सं० १११६ । अ भण्डार। विशेष- इसी भण्डार में एक प्रसि ( वे० सं० ७१३ ) और हैं। ४७७२. प्रति सं.२ । पत्र सं० १७ । ले. काल X 1 वे० सं० २२१ । । भण्डार । ४५७३. नित्यकृत्यवर्णन ! पत्र सं० १० । पा. १०२४५ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-नित्य करने योग्य पूना राठ हैं | २० काल X ले. काल X| पपूर्ण । वै० सं० ११६६ । भण्डार । विशेष-देरा पूठ नहीं है। ४७७४. नित्यक्रिया.....! पत्र सं० ६८ । मा०६:४६ च । भाषा संस्कृत । विषय-नित्य करने योग्य पूजा पाठ | २० काल Xले० काल X । अपूर्ण । व० सं० ३६६ । के भण्डार । विशेष-प्रति संक्षिप्त हिन्दी अर्थ सहित है । ५४. ६७, तमा ६५ से मागे के पर नहीं है । ४.७५. नित्यनियमपूजा." पप सं० २६ । मा. ६४५ रच | भाषा-संस्कृत । विषम-पूजा। र. काल XI ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ३७५ । क भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में २ प्रतियो ( ३० सं० १७०, ३७१ ) और है। ४७७६. प्रति सं०२। पत्र सं.१०।ले. काल 10 १६७ । भण्डारी विशेष-इसी भण्डार में ४ प्रतिया ( वे० सं० ३६० से ३६३)ौर हैं। ४७७७. प्रति सं०३ | पत्र सं० १० । ले. काल सं० १९९३ ० सं० ५२६ । म भण्डार । Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६ ] प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४७. नित्यनियमपूजा । पत्र सं० १५ । घा० १०४७ च 1 भापा-संस्कृत हिन्दी । विषयपूना । र. काल ले० काल - । पूर्ण । ० सं० ७१२ । अ भण्डार । विदोष-इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० ७०८, १११४) और हैं। ४७७६. प्रति सं०२१ पत्र सं. २१ । ले. काल सं० १६४. कात्तिक बूदी १२ । बे० सं० ३६८ । भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३६६ ) और हैं। ४७ प्रचि सं०३ । पत्र सं० ७ । २. काल सं० १९५४ । थे ० सं० २९२ । छ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं० १२१/२, २२२/२) और हैं। ४४८१. नित्यनियमपूजा-पं. सदासुस्व कासलीवाल । पत्र स० ४६ । प्रा० ६६x६३ ३ | भाषाहिन्दी गद्य | विषय-पूजा । र० काल सं० १९२१ माघ सुदी २ । ले. काल सं० १९२३ । पूर्ण । ३० सं० ४०१ 1 श्र भण्डार। ४७६२. प्रति सं०२। पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १९२८ सावन सुवी १० ! के० सं० ३७७ । क भण्डार विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( ३० सं० ३७६ ) और है। ४४८३. प्रति सं० ३। पत्र सं० २६ । ले. काल सं० १९२१ माघ सुदी २ । वे सं० ३७१ । क भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति { वे० सं० ३७० ) और है । ४४८४. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ३५ । ले. काल सं० १९५५ ज्येष्ठ सुदी ७ । ये० सं० २१४ । छ भण्डार। विशेष-पत्र फटे हुये एवं जीर्ण है। ४७८५. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४४ । ले. काल x | वे० सं० १३० ! म भण्डार । विशेष—इसका पृट्ठा बहुत सुन्दर एवं प्रदर्शनी में रखने योग्य है। ४७८६. प्रति सं०६। पत्र सं० ४२ । ले. काल सं० १९३३ । ३० सं० १RE | ट भण्डार । ४४५७. नित्यमियमपूजाभाषा | पत्र सं. १६ । मा० +१४७ च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा र काल - । ले० काल सं० १६६५ भादवा सुदी ११ । पूर्ण । वे० सं० १७०७ । अ भण्डार । विशेष-ईश्वरलाल चांदवाड ने प्रतिलिपि की थी। ४७८८. प्रति सं० २१ पत्र सं० २८ । लेक काल x | पूर्ण । ० सं० ४७ । म भण्डार । विशेष-जयपुर में शुक्रवार की सहेली (संगीत सहेली) सं० १६५६ में स्थापित हुई थी। उसको स्थापना के समय का बनाया हुमा भजन है। Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४६ ४७. प्रति सं० ३ 1 पत्र सं० १२ । ले० काल सं० १९६६ भादवा बुदी १३ । वे० सं० ४८ । ग भण्डार। ४७६०. प्रति सं०४ । पत्र सं० १७ । लेक माल सं० १९६७ । वे० सं० २६२ । म भण्डार । ४७११. प्रति सं०५ । पत्र सं० १३ । ले० काल सं० १६५९ । वे० सं० १२१ । ज भण्डार । विशेष-५० मोतीलालजी सेठी ने यति यशोदानन्दजी के मन्दिर में पढ़ाई । ४७६२. नित्यनैमित्तिकपूजापाठसंग्रह"......"| पत्र सं० ५ । मा० ११४५ इंच । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । विषय-पूजा पाठ । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १२१ । छ भण्डार । ४७६३. नित्यपूजासंग्रह"." पत्र सं०८ । मा० १०x४३ इन्च | भाषा-संस्कृत, अपभ्रंश । विषयपूजाल . गास: ० सं० १७७७ । र भण्डार । ४७४४. नित्यपूजासंग्रह ..."। पत्र सं० ५ । प्रा० ६३४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ले० काल x 1 पूर्ण । वे० मं० १८५ । च भण्डार । ४७६५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३१ । ले० काल सं० १९१६ बैशाख बुदौ ११ । ३० सं० ११७ । न भण्डार। ४७६६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३१ । से० काल X । ० सं० १८६८ । ट भण्डार | विशेष-प्रति श्रुतसागरी टीका सहित है । इसी मण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० १६६५, २०६३ ) और हैं। ४७६७. नित्यपूजासंग्रह......"। पत्र सं० २-३० । प्रा० ७३४२ च । भाषा-संस्कृत, प्राकृत । .वषय-पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १९५६ चैत्र सुदी १ । प्रपूर्ण | वे० सं० १८२। च भण्डार । विशेष---इसी भण्डार में २ प्रतिमा ( वे, सं० १८३, १८४ ) और है। ४७६८. नित्यपूजासंग्रह...."। पत्र सं० ३६ । प्रा० १०३४७ इच । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । विषयपूजा । २० काल ४। ले० काल सं० १९५७ । अपूर्ण । वे० सं० ७११ । म भण्डार । विशेष-पत्र सं० २७, २८ तथा ३५ नहीं है कुछ पत्र भीग गये हैं । इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० १३२२ ) और हैं। ४७et. प्रति सं० २ । पत्र सं० २० । ले० काल X । वै० सं० ६०२ । च भण्डार । ४८००. प्रति सं० ३१ पत्र सं० १८ | ले. काल ४।० सं० १७४ । ज भण्डार । ४.०१. प्रति सं०४। पत्र सं० २-३२ । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १६२६ । । भण्डार । विपोष-नित्य व नैमित्तिक पाठों का भी संग्रह है। Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पूजा प्रतिभा एवं विधान साहित्य ४२०२. नित्यपूजा".....""] पत्र सं० १५ । प्रा० १२४५ हे इत्र । भाषा-हिन्दी । विषय- पूज।। २० काल-पुर्ण । वे० सं० ३७८ । क भण्डार । कालले विशेष—इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं० ३७२, ३७३, ३७४, ३७६ ) और हैं। १८०३ प्रति सं. २ । पत्र सं०६ । ने काल X । वे० सं० ३६६ । ल भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( ० सं० ३६४, ३६५) पौर हैं। ४८०४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १७ । ले. काल X1 वै० सं०६०३ । च भण्डार । ४८०५. प्रति सं०४ । पत्र सं. २ से १८ । ले० काल ४ । प्रसूर्ण । वै० सं० १६५८ | द भण्डार । विशेष-अन्तिम पूपिका निम्न प्रकार है इति श्रीमग्जिमवचन प्रकाशक.......... संग्रहीतविद्वज्जबोधके सूलीयकारे पूजनवर्णनो नाम अष्टोल्लास समाप्त। ४८०६. निर्वाणकल्याणकपूजा........"| पथ सं० २। प्रा० १२.४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूज।। र० काल' x ले. काल X । पूर्ण । वे. सं० ४२८ । ब भण्डार । ४८०७. निर्वाणकांहपूजा...। पत्र सं० ५ । प्रा०८:४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत, प्राकृत । विषम-- पूजा । २० काल XI • काल सं० १९६८ सावरण सुवी ४ । पूर्ण । ३० सं० ११११ । अ भण्डार । विशेष--इसकी प्रतिलिपि कोकलचन्द पंसारी ने ईश्वरलाल चांदवाड़ से कराई थी । ४५०८, निर्वाण क्षेत्रमंडलपूजा-स्वरूपचन्द । पत्र सं०१६ । प्रा० १३४७ इन् । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । २० काल सं० १९१९ कात्तिक बुदी १३ । ले. काल x पूर्ण | वे सं० ४४। ग भण्डार । ४८०६. प्रति से२२। पत्र सं० ३५ । ले काल सं० १९२७ । वे० से० ३७६ | , भण्डार । विशेष-दसी भण्डार में २ प्रतियाँ ( ये० सं० ३७७, ३७८ ) और है। ४-१०. प्रति सं०३ । पत्र सं० २६ । ले. काल सं. १९३५ पौष सुदी ३ । ० सं० ६०४५ च भाडार। विशेष-जवाहरलाल पाटनी में प्रतिलिपि की थी। इन्द्रराज बोहरा मे पुस्तक लिखाकर मेवराज लुहादिया के मन्दिर में चढ़ायी । इसी भण्डार में २ प्रतिक ( 2. सं. ६०५, ६०७) मीर हैं। ४८११. प्रति संभ ४ । पत्र सं० २६ । ले० काल सं० १९४३ । वे० सं० २११. । छ भण्डार । विशेष-सूत्वरलाल पांडे चौधरी चाकसू वाले ने प्रतिलिपि की थी। ४८१२. प्रति सं०५। पत्र सं० ३५ । ले. काल x वे०सं० २५५ । ज भण्डार। Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ४EE ४८१३. निर्वाणक्षेत्रपूजा....."। पत्र सं० ११ । प्रा. ११४७ ई। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र. काल सं० १९७१। ले० काल सं० १EEE I पूर्ण । वे. सं. १३०५ 1 अ भण्डार । विशेष---इसी भण्डार में ५ प्रत्तियां ( ३० सं० ७१०, ८२३, ६२४, १०६८, १०६६ ) और हैं । ४८१४. प्रति सं० २। पत्र सं० ७ । ले० काल सं० १८७१ भादवा वुदी ७।३० सं० २६ । ज भण्डार । । गुटका साइज] ४८१४. प्रति सं० ३। पत्र सं०६। ले० काल सं १८८४ मंगसिर बुद्दी २। वे० सं० १८७ । म भार। ४८१६. प्रति सं०४। पत्र सं०६। ले. कालाप्रपूर्ण । वे० सं०६०६ । च भण्डार । विशेष-- हसरा पत्र नहीं है। ४८१७. निर्धाणपूजा........-। पत्र सं० १ । मा० १२४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल' X । ले० काल XI पूर्ण । ० सं० १७१८ | अ भण्डार । १८१८. निर्वाणपूजापाठ-मनरंगलाल । पत्र सं० ३३ | प्रा० १.१४४३ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। र० काल सं० १९४२ भादवा बुंदी २ । ले. काल १० १८५८ चैत्र बुरी ३ । वे० सं० १२ । म भण्डार। ४८६६. नेमिनाथपूजा-सुरेन्द्र कीप्ति । पत्र सं० ५ १ मा० ६४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषमपूजा | र० काल X काल XI पूर्ण । ३० सं० ५६५ । अ भण्डार । ४५२०. नेमिनाथपूजा........... | पत्र सं १ । प्रा० ७४५३ । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल Xले. काल XI पूर्ण । वेत सं० १३१४ । अ भण्डार । २१. नेमिनाथपूजाष्टक-शंभूराम | पत्र सं० १ । प्रा० ११३४५२ च । भाषा- संस्कृत 1 विषयपूजा । २० काल XI ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १८४२। श्र भण्डार । ४८२. नेमिनाथपूजाष्टक..." । पत्र सं० १ | मा० ६३४५ इंच । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० १२२४ । अ भण्डार । ४२२३. पञ्चकल्याणकपूजा-सुरेन्द्रकीति । पत्र सं० १६ । प्रा० ११३४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ५.७६ । क भण्डार । ४८२४. प्रति सं०२ . पत्र सं० २७ । ले. काल सं० १९७६ । वे० सं० १०३७ । अ भण्डार । ४८२५. पन कल्याणकपूजा-शिवजी लाल । पत्र सं० १२६ । प्रा० EXY इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । १० काल X । ले० काल ४ पूर्ण । वे० सं० ५५६ । अ भण्डार । Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०० [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४८२६. पनकल्याणकपूजा-अरुणमारिए । पत्र सं० ३६] आ० १२४८ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल सं० १९२३ । ने० काल X । पूर्ण | वे० सं० २५० । ख भण्डार । ४८२७. पञ्चकल्याणकपूजा--गुणकीर्ति । पत्र सं० २२ । मा० १२४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा ] र काल X । ० काल १९११ । पूर्ण । वै० सं० ५४ ब भण्डार । ४८२८. पञ्चकल्याएकपूजा-वादीभसिंह । पत्र सं०१८ | प्रा. ११४५ च । भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा । र० काल - ले. काल XI पूर्ण । वै० सं० ५८८ । अ भण्डार । ४८२६. पञ्चकल्याणकपूजा-मुयशकीर्ति । पत्र सं० ७-२६ । ग्रा० ११:४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल X । भपूर्ण | वे० सं० ५८५ । अ भण्डार । ४८३०. पञ्चकल्याणकपूजा-सुधासागर । पत्र सं० १६ 1 प्रा० ११४४३ च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । २० काल X|ले. काल x पूर्ण | वे० सं० ४०६ । क भण्डार । ४८३१, पञ्चकल्याणकपूजा"""! पत्र सं० १६ | मा० १०६x४३ इच। भाषा-संस्कृत। विषयपूजा । २० काल X । ले. काल सं० १६०८ भादवा सुदी १० । पूर्ण 1 ० ० १०३७ १ अ भण्डार । ४८३२. प्रति सं०२१ पत्र सं १० । ले. काल सं० १६१८ । ३. सं. ३०१ । ख भण्डार । ४८३३. प्रति सं०३ । पत्र सं०७ | ले. काल ४ | ० सं० ३८४ । भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३८५) भौर है। ४८३४ प्रति सं०४। पत्र सं० २२ । ले० काल सं० १९३६ असोज सुदी ६ । अपूर्ण । बे० सं० १२५ ज भण्डार। बिशेष--इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० १३७, १००)ौर हैं। ४८३५. प्रति सं०५। पत्र सं० १४ । ले. काल सं० १८६२ । बे० सं० १९३ । च भण्डार । ४८३६. प्रति सं०६१ पत्र ।'• १५ । ले० काल सं० १८२१ । व० सं० २३६ । म भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १५५ ) और हैं। ४८३७. पञ्चकल्याणकपूजा-छोटेलाल मित्तल । पत्र सं० १६ । मा० ११४५ च 1 भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा २० काल सं० १६१० भादवा सुदी १३ । ले. काल सं० १९५२ । पूर्ण । वे० सं० ७३० । अ भण्डार । विशेष-छोटेलाल बनारस के रहने वाले थे। इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ६७१, ६७२) ४८३. पञ्चकल्याणकपूजा-रूपचन्द । पत्र सं. १०४ । मा० १२४५। भाषा-हिन्दी । विषयपूजा। र०काल xले. काल सं० १८६२। पूर्ण । वै० सं०५३७ । ब भण्डार । Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ४८३६. पञ्चकल्याणकपूजा-टेकचन्द । पत्र सं० २२ । भा० १०२४५१ इच। भाषा-हिन्दी । विषय-पूज।। २० काल सं० १८८७ । ले० काल - पूर्ण । वे० सं० ६६२ । अ भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में २ प्रतिमा ( वे सं० १९८०, ११२० ) और हैं । ४८४०. प्रति सं०२। पत्र २०२६ । से कास सं० १९५४ चैत्र सुदी १ । ० सं० ५० । ग भरवार। ४८४१. प्रति सं०३१ पत्र सं. २६ । ले० काल सं० १९५४ माह बुदी ११ । वे० सं०६७ । घ भण्डार 1 विशेष---किशनलाल पापड़ीवाल ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ६७ ) और है। ४८४२. प्रति सं०४। पत्र सं० २३ । ले० काल सं० १९६१ ज्येष्ठ सुदी १ । ३० सं० ६१२ । च भण्डार। ४८४३. प्रति सं०५ । पत्र सं० ३२ । ले० काल X । वै० सं० २१५ । छ भण्डार | विशेष-इसी वेष्टन में एक प्रति और है । ४८४४. प्रति सं०६१ पत्र सं० १६ । ले० काल ४ | ० सं० २६८ । ज भण्डार । ४८४५. प्रति सं०७। पत्र सं० २५ । ले० काल X । ० सं० १२० । क भण्डार । ४८४६. प्रति सं० = 1 पत्र सं० २७ । ले० काल सं० १९२८ । वे० सं० ५३६ । ष भण्डार । ४८४७. पञ्चकल्याणकपूजा-पन्नालाल । पत्र सं०७ । मा० १२४८ इंच । भाषा-हिन्दी । विषयजा | र० काल सं० १९२२ । ले० काल ४ । पूर्ण : वे० सं० ३८८ । म भण्डार । विशेष-नीले काम गों पर है। ४८४८. अति सं२१ पत्र सं.४१ । ले० काल x के० सं० २१५ । छ भण्डार। विशेष-संघीजी के मन्दिर की पुस्तक है। ४८४६. पश्चकल्याणकपूजा-भैरवदास । पत्र सं० ३१ । मा० ११६४८ च । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । र० काल सं० १६१० भादवा सुदी १३ । ले. काल सं० १९१६ । पूर्ण 1 थे० सं० ६१५ । च भण्डार । VE५०, पश्वकल्याशकपूजा "[ सं० २५ । मा०६X६ष। भाषा-हिन्दी विषय-पूजा। र० काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं०६६ । ख भण्डार । ४८५१. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४ | ले० काल सं० १९३६ | वे० सं० १०० । न भण्डार । ४८५२. प्रति सं२३ । पत्र में० २० (ले० काल X। वे० सं० ३८६ । क भण्डार । विषोष -इसी भण्डार में एक अपूर्ण प्रति (वे० सं० ३८७ ) और है । Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०२ ॥ [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य १८५३. शनि ०४ .३ ! ले माल X ० सं० ६१३ । च भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ६१४ ) और हैं। ४८५४. पञ्चकुमारपूजा...! पत्र सं० ७ । मा० ८३४७ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा ! १. काल X । ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं०७२ । म भण्डार | ४८५५. पश्चक्षेत्रपालपूजा-बादास । पत्र सं० १४१ मा० १०४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x | ले. काल XI पूर्ण बे० सं० ६६४ । अ भण्डार । ४८५६. प्रति सं०२ । पत्र सं० १० । से. काल सं० १९२१ । ३० सं० २९२ । ख भण्डार । ४८५७. पश्चगुरुकल्यणापूजा--भ. शुभचन्द्र । पत्र सं० २५ । प्रा० ११४५ इभ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल XI ले. काल सं० १६३५ मंगसिर सुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ४२० । ज भण्डार । वियोष-भाचार्य नेलिचन्द्र के शिष्य पांडे झूगर के पनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ४२५८, पञ्चपरमेष्ठीउद्यापन...| पत्र सं ६१ । प्रा० १२४५ ईच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल सं० १८६२ । ले० काल X । पूर्ण । दे० सं० ४१० । क भण्डार | ४८५६. पश्चपरमेष्ठीसमुश्चयपूजा...! पत्र सं. ४ | मा० ८१४६३ च । भाषा हिन्दी । विषयपूजा । २० काल X । ले० काल x : पूर्ण | व० सं० १६५३ । 2 भण्डार । ४८६०. पश्चपरमेष्टीपूजा--म० शुभचन्द्र । पत्र सं० २४ । प्रा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा | २० काल X । ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० ४७७ । अ भण्डार | ४८६१. प्रति सं०२ । पत्र सं० ११ । ले. काल X । वे० सं० १९६ | च भण्डार । ४६६२. प्रति सं० ३ । पत्र सं. २५ 1 ले० काल X । वे० सं० १४० [च भण्डार। ४८६३. पञ्चपरमेष्टीपूजा- यशोनन्दि । पत्र सं० ३२ । ना. १२४५३ च । भाषा-संस्कृत 1 विषयपूजा । र• कास ४ ले. काल सं. १७६१ कार्तिक बुदी ३ । पूर्ण । वे० सं० ५३८ | अभण्डार । विशेष-ग्रन्थ की प्रतिलिपि शाहजहानाबाद में जयसिंहपुरा में पं. मनोहरदास के पठनार्थ हुई थी। ४८६४. प्रति सं०२ । पत्र सं० २६ । ले० काल सं० १८५६ । वे० सं० ४११ । क भण्डार । विशेष-नूरू ग्राम में जानकीदास ने प्रतिलिपि की थी। ४०६५, प्रति सं०३ । पत्र सं० ५४ । से. काल सं० १८७३ मंगसिर बुदी १ । वे० सं० ६६ । ध भण्डार। ४८६६. प्रति सं०४ । पत्र सं० ४१ ! ले. काल सं० १८३१ । वे० सं० १६७ । च भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० १६५) और है। Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य } [ १०३ ४८६७. प्रति सं०५। पत्र सं० ३२ । से० काल X वै० सं० १६३ । ज भण्डार। ४८६८ पश्चपरमेष्ठीपूजा...'। पत्र सं० १५ । मा० १२४५ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल X । ले. काल x पूर्ण । ३० सं० ४१२ । क भण्डार । ४८६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । ले. काल सं० १८६२ भाषाढ बुरी + 1 वे० सं० ३६२ । क भण्डार। ४८४०. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६ । ले० काल x 1 म. १७६७ । द भण्डार । ४८७१. पञ्चपरमेष्ठीपूजा-टेकचन्द । पत्र सं० १५ मा० १२४५६ इन्छ । भाषा-हिन्दी विषयपूजा । १० काल X ० काल XI पूर्ण । ये० सं० १२० | छ भण्डार । ४८७२. पञ्चपरमेष्ठीपूजा-डालूराम । पत्र सं. ३५ । आ० १.३४५ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय* पूजा । र० काल सं० १८६२ मंगसिर बुदी ६ । ले० काल X । पूर्ण । ० सं० ६७० । अ भण्डार । विशेष-सी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १०८६ ) और है। ४५७३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४६ । ले. काल सं. १८६२ ज्येष्ठ सुदी ६ । वै० सं० २१ । ग भण्डार । ४८७४. प्रति सं०३ । पत्र सं. ३४ । ले. काल सं० १९८७ १० सं० ३८६ । भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३६० ) और है। ४८७५. प्रति सं०४। पत्र सं.४५ ले. काल x ० सं०६१६ च भण्डार। ४८७६. प्रति सं०५। पत्र सं०५६। ले. काल सं० १९२६ । बै० सं०५१ब भण्डार। वियोष-धन्नालाल सोनी ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि कराई थी। ४८७७. प्रति सं०६ । पत्र सं० ३५ । ले. काल सं० १६१३ । वे० सं० १८७६ ( ट भण्डार। विशेष-ईसरदा में प्रतिलिपि हुई थी। ४८७८. पश्चपरमेष्ठीपूचा-"""| पत्र सं० ३६ । भा. १३४५३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० ३६१ । भण्डार । ४८७६. प्रति सं०२। पत्र सं० ३० । से. कोलx० सं०६१७ । घमण्डार | ४०. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३० । ले० काख ४/० सं० ३२१ । ज भण्डार । ४८८१. प्रति सं०४१ पत्र सं. २० । ले. काल X ।० सं० ३१९ | ब भण्डार । ४८८२. प्रति सं०५ | पत्र सं० ६ । ले. काल सं० १९८१ | वे० सं० १७१० । ट मदार । विशेष—द्यानतराय कृत रत्नत्रय पूजा भी है । Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०४ । [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४८८३. पञ्चबालयतिपूजा......! पत्र सं० ६ । प्राEx. इच । भाषा-हिन्दी । विषम-पूजा। र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण | घे० सं० २२२ । छ भण्डार । ४८०४. पञ्चमङ्गलपूजा.......... | पत्र सं० २५ । आ० Ex४ रन । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा | २२ काल X । ले. काल X । पूर्ण । पै० म० २२४ । म भण्डार । ४८८५. पञ्चमासचतुर्दशीव्रतोद्यापनपूजा--भः सुरेन्द्रकीति । पथ सं० ४ ग्रा० ११४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काम सं० १८२८ माया सुदी ६ । ले. काल | पूर्ण । वे० सं० ७४ । अ भावार। ४८८६. प्रति सं०२। पत्र सं० ४ : ले. काल X । वे सं० ३६७ ! : भडार । ४८६७. प्रति सं० ३। पत्र सं० ५। ले. काल सं० १९८३ धावण सुदी ७ । वे सं० १६८ | च भण्डार। विशेष--महात्मा पाम्भुनाथ ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १६४ ) और है। ४८. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३ । ले. काल x | वे० सं० ११७ । छ भण्डार । ४ . प्रति सं० ५। पत्र सं०५ । ले. काल सं० १८६२ थावरण बुदी ५ । ३० सं० १७० | ज भण्डार। विशेष-जयपुर नगर में श्री विमलनाथ चैत्यालय में गुरु हीरानन्द ने प्रतिलिपि की थी। ४८६०. पञ्चमीत्रतपूजा-देवेन्द्रकीत्ति । पत्र सं० ५। प्रा० १२४५६ इच । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे सं० ५१० | अ भण्डार | ४८६१. पञ्चमीव्रतोद्यापन-श्री हर्षकीत्ति । पत्र सं० ७ । प्रा. ११४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X 1 ले. काल सं० १८८८ पासोज सुदी ४ । पूर्ण | वे० सं० ३९८ । भण्डार । विशेष-शम्भूराम ने प्रतिलिपि की थी। ४८६२. प्रति सं०२ : पत्र सं० 4 1 ले० काल सं० १९१५ प्रासोज बुदी ५। वे० सं० २०० । घ भण्डार। ४८६३. प्रति सं०३ । पत्र सं०७ । प्रा० १०२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। २० काल X। काल सं० १९१२ कानिक बुदी ७ 1 पूर्ण, । ये० सं० ११७ 1 भण्डार । ४८६४. पनमीत्रतोचानपूजा"..."। पत्र सं० १० 1 मा० ८२४४ इच । भाषा- संस्कृत । विषयपूजा । र० काल ४ । ले० काल X 1 पूर्ण । वे० सं० २५३ । ख भण्डार । विशेष-गाजी नारायन शर्मा ने प्रतिलिपि को थी । Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५०५ ४५६५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७ | ले० काल सं० १६०५ प्रासोज बुदी १२ | वै० सं० ६४ । झ भण्डार । ६. प्रति १०० काल X | वै० सं० ३८८ । भण्डार । ४८६७. पचमेरुपूजा – टेकचन्द | पत्र सं० ३३ । प्रा० १२४६ च । भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा । १० काल X ! से० काल X। पूर्ण । ० सं० ७३२ | भण्डार | ४. प्रति सं० २ | पत्र सं२ ३३ | ले० काल सं० १८८३ | वे० सं० ६१६ । च भण्डार | ४८६६ प्रति सं० ३ । पत्र सं० २६ | ले० काल सं० १९७६ १ ० सं० २१३ | छ भण्डार | विशेष – प्रजमेर वालों के श्रीबारे जयपुर में लिखा गया। कीमत ४ ॥ ) ४६००. पश्च मे रुपूजा – द्यानतराय । पत्र ०६ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषयपूजा | र० काल X | ले० काल सं० १६६१ कालिक सुदी 1 पूर्ण । वे० सं० ५४७ | अ भण्डार | ४६०१ प्रति सं० २ | पत्र सं० ३ । ले० काल X | वे० सं० ३६५ | ङ भण्डार | ४६०२. पश्वमेरुपूजा – भूषरदास | पत्र सं० ८ ० ८३४ ६ च । भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा । र० काल X | ले० काल x ३ पूर्ण । वे० सं० १६५६ | अ भण्डार | विशेष— भन्त में संस्कृत पूजा भी है जो अपूर्ण है। इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५६८ ) और है। ४६०३. प्रति सं० २ । पत्र सं० १० । ले० काल X | ० सं० १४६ | छ भण्डार | विशेष -- बीस विरह्नान जयमाल तथा स्नपन विधि भी दी हुई है। ४६०४. पञ्च मेरुपूजा - डालूराम । पत्र सं० ४४ । मा० ११४५ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा । र० काल X | ले० काल सं० १६३० | दुर्गा । वे० सं० ४१५ । क मण्डार 1 ४६०५. पक्ष मेरुपूजा - सुखानन्द | पत्र सं० २२ ॥ श्र० ११X५ इंच । भाषा - हिन्दी । विषय-पूजा | भण्डार | श्र० ११४५३ इंच भाषा - हिन्दी । विषय- पूजा | २० भण्डार | २० काल X | ले० काल x । पूर्ण । वे० सं० ३६६ | ४६०६. पञ्चमेरुपूजा ....... | पत्र सं० २ काल X1 ले० काल x | पूर्ण । ० सं० ६६६ १ ४६०७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ विशेष- इसी भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( ० सं० ४७६ ) चोर है। ४६०८. पचमेरु उद्यापनपूजा - भ० रत्नचन्द । पत्र सं० ६ ० १०३४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा | २० काल x | ले० काल सें० १८६३ प्र० साबन सुदी ७ । पूर्ण । वे० सं० २०१ । च भण्डार । ४६०६ प्रति सं० २ १ पत्र सं० ७ । ले० काल X | वे० सं० ७४ । च भण्डार । ० काल X | अपूर्ण । वे० सं० ४८७ भण्डार । Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०६ ] [ पूजा प्रतिक्षा एवं विधान साहित्य ४६१०. पद्मावतीपूजा। पत्र सं० ५ । मा० १०६४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषम-पूजा। २० काल x | ले. काल सं० १५६६ । पूर्ण । ३० सं० ११८५ । अ भण्डार । विशेष-पंचायती स्तोत्र भी है। ४१५. प्रांस सं०२। पत्र सं १६ 1 है. काल | वे० सं० १२७ । च भण्डार ! विशेष-पमावतीस्तोत्र, पपावतीकवच, पावतीपटल, एवं पद्मावतीसहस्रनाम भी है। प्रत्त में २ मन्त्र भी दिये हुये हैं । अष्टगंध लिखने की विधि भी दी हुई है । इसी भण्डार में एक प्रति ( ३. सं० २०५ ) भौर है। ४६१२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १ । ले. काल - । मपूर्ण । वे० सं० १८. । म भण्डार । ४६१३. प्रति सं०४ | पत्र सं०७। से० काल ४० सं०१४ छ भण्डार । ४६.१४. प्रति सं०५। पत्र सं० ५। ले० काल x | ० सं० २०० । ज भण्डार । ४६१५. पद्मावती मधलपूजा । पत्र सं० ३ | मा० ११४५६च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । ० सं० ११७६ । अ भण्डार । विशेष---शास्टिमंडल पूजा भी है। ४६.१६. पद्मावतिशान्तिक...। पत्र सं० १७ । मा० १०३४५ च । भाषा संस्कृत | विषय-पूजा । १. काल X । ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० २६३ । खे भग्हार | विशेष-प्रति मग्दरन सहित है। ४३.१७. पद्मावतीसहस्रनाम व पूजा..."। पत्र सं० १४ । मा० १०४७ इंच। भाषा-संस्कृत । विषम-पूजा | र० काल x | ले. काल X 1 पूर्ण । ० सं० ४३० । भण्डार । ४६१८. पल्यविधानपूजा-ललितकीति । पत्र सं०७१ मा ११४५६ इंच। भाषा-संस्कृत | विषम-पूजा । र० काल X I ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० २११ । र भतार | विशेष-खुशालचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ४६१६. पल्यविधानपूजा-रजनन्दि । पत्र सं० १४ । प्रा० ११४५ च । माषा-संस्कृत । विषयपूना। र. काल X । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० १०६५ 1 अ भण्डार । विशेष-नरसिंहदास नै प्रतिलिपि की थी। ४६२०. प्रति सं० २१ पत्र सं० । ।ले. काल X | वै० सं० २१५ । च भन्दार । ४६.२१. प्रति सं०३ । पत्र सं० १ । ले० काल स. १७६० पैशाख बुरी है । वै. सं. ३९२ । म भण्डार। विशेष-वासी नगर (दी प्रान्त ) में प्राचार्य श्री बानकोत्ति के उपदेवा से प्रतिलिपि हुई थी। Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] विषय - पूजा 1र० काल x 1 ले० काल भण्डार 1 [ ५०७ ४६.२२. पत्यविधानपूजा— अनन्तीति । पत्र [सं० ६ ० १२५ इंच ! भाषा-संस्कृत र प्रा० १०x४३ | भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा २० काल x १ ४६२३. पल्यविधानपूजा ले० काल X: पूर्ण वे० सं० ६७५ अ भण्डार 1 पूर्ण I भण्डार । विशेष – पं० नैनसागर ने प्रतिलिपि की धो । ४६२५. पल्यत्रतोद्यापन - भ० शुभचन्द्र । पत्र सं०६० २०६४२६ । भाषा-संस्कृत विषय-पूजा । २० काल x | ले० काल । पूर्ण । ३० सं० ५५५ । भण्डार विशेष- इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ५८२, ६०७ ) और है । ४६.२६. पस्योपमोपवासविधि "। पत्र [सं० ४ ० २०४३ इज भाषा संस्कृत विषयपूजा एवं उपवास विधि । १० काल x १ ० काल x पूर्ण जे० सं० ४८४ । भण्डार भण्डार । ४६२४. प्रति सं० २ । पत्र सं० २ से ५ ले० काल सं० १८२१ | अपूर्ण ० सं० १०५४ । अ ४६२७. पार्श्वशिनमा - साह सोहट । पथ सं० २ । म्रा० १०३४५ च । भाषा - हिन्दी | विषयपूजा । १० काल X 1 ले० काल । पूर्ण वे० [सं० ५६० । श्र भण्डार ४६२८. पार्श्वनाथपूजा ०७५ भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा । पत्र सं० ४ मार ० काल X। ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १११२ विधान | २० काल X 1 ले० काल X। पूर्ण । ३० सं० ४७६ । अ मण्डार | ४६२६. प्रति सं० २ | पत्र सं० ५ । ले० काल x | पूर्ण जै० सं० ४६१ । ३ भण्डार ४६३०. पुण्याहवाचन पत्र सं० ५ । प्रा० ११४५ इंच भाषा-संस्कृत विषय शान्ति विशेष- इसी भण्डार में ३ प्रतियाँ ( ० सं० ५५६, ११६१, १८०३ ) और हैं । ४६३१. प्रति सं० २ । प० । ० काल X | वे० सं० १२२ । भण्डार | ४६३२. प्रति सं० ३ | पत्र सं० ४ । ले० काल सं० १९०६ ज्येष्ठ बुदी ६ । ३० सं० २७ । ज विशेष – पं० देवीलालजी ने स्वपनार्थ किशन से प्रतिलिपि कराई थी। ४६३३. प्रति सं० ४ | पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १६६४ चैत्र सुदी १० । वे० सं० २००६३ ट Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ५८८ ] पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४६३४. पुरंदरव्रतोद्यापन पत्र सं०६ । प्रा० ११४५३ इच। भाषा-संस्कृति । विषय-पूजा। र० काल ले. काल सं० १९११ आषाढ मुदी ६ । पूर्ण 1 वे० सं०७२ | घ भण्डार । ४६३५. पुष्पाञ्जलित्रतपूजा--भ रतनचन्द । पत्र सं० ५। प्रा० १०३४७३ च । झापा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल सं० १६८१ । ले. काल X । पूर्ण 1 वे० सं० २२३ । च भण्डार । विशेष-यह रचना सागवारपुर में श्रावकों को प्रेरणा से भट्टारक रतनचन्द ने सं० १६८१ में लिखी थी। ४६३६. प्रति सं०२पत्र सं०१५। ले. काल सं० १९२४ भासोज सुदी १० । वे० सं० ११७ । छ मण्डार। विशेष-- इसी भण्डार में एक प्रति इसी वेष्टन में पोर है। ४६३७. अति सं०३। पत्र सं० ७ । ले. काल ४ । वे० सं० ३८७ | अ भण्डार ४६३८. पुष्पाञ्जलि प्रतपूजा-भ: शुभचन्द्र । पत्र सं० ६ । भा० १०४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । से० काल XI पूर्ण । वे० सं० ५५३ । अ भण्डार । १६३६. पुष्पाञ्जलिनसपूजा| # IA १.४४६4 41-संस्कृत प्राकृत । २० काल XI ले० काल सं० १८६३ दि. यावरण सुदी ५ । पूर्ण | वे० सं० २२२ । 'च भण्डार । ४६४०, पुष्पाञ्जलिव्रतोद्यापन--40 गंगादास । पत्र सं० । प्रा० ८४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | र० काल - । ते. काल सं० १८६६ । पूर्ण । ३० सं० ४८० | अ भण्डार । वियोष-गंगादास भट्टारक धर्मचन्द के शिष्य थे । इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३३६ ) और हैं । ४६४१, प्रति सं०२१ पत्र सं० ६ । ले० काल सं० १८८२ पासोज्ज बुदी १४ । वे० सं० ७८ । म भण्डार। ४६४२. पूजाक्रिया....."| पत्र सं० २ । मा० ११३४५ इच । भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा करने की विधि का विधान । र. काल X। ले. काल x पूर्ण | वे० सं० १२३ । छ भण्डार । ४६४३. पूजापाटसंग्रह । पत्र सं० २ से ४० | प्रा० ११४६ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २. काल X । ले० काल X | अपूर्ण । ० सं० २०५५ 1 ₹ भण्डार । विशेष-सी भण्डार में एक अपूर्ण प्रति ( ० सं० २०७५) और है। ४६४४. पूजापाठसंग्रह..."। पत्र मं• ३८ ! प्रा. ७४५३ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २. काल X|ले. काल ४ | पूर्ण | वे० सं० १३१६ । अ भण्डार । विशेष पूजा पाठ के ग्रन्ध प्रायः एक से है । अधिकांश ग्रन्थों में वे ही पूजायें मिलती हैं, फिर भी जिनका विशेष रूप से उल्लेख करना आवश्यक है उन्हें यहां दिया जारहा है। Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . [ ५१ पूजा प्रतिष्टा एवं विधान साहित्य ] ४६४५. प्रति सं०२१ पत्र सं० ३७ । ले० काल सं० १९३७ । वै० सं० ५६० । श्र भण्डार । विषोष-निन्न पूजाओं का संग्रह है। १. पुप्पदन्त जिनपूजा - संस्कृत २. चतुर्विंशतिसमुच्चयपूजा ३. चन्द्रप्रभपूजा ४. शान्तिनाथपूजा ५. मुनिसुव्रतनाथपूजा ६. दर्शनस्तोत्र-पयनन्दि ले. काल सं० १९३७ ७. ऋषभदेवस्तोय ४६४६. प्रति सं०३ । पब सं० ३.ले. काल सं० १८६ द्वि० चैत्र बुदी ५ । ३० सं० ४५३ । अ भण्डार1 विपोष-इसी भण्डार में ४ प्रतिर्या ( वे० सं० ७२६, ७३३, १३७०, २०६७ ) और हैं। ४६४७. प्रति सं०४ । पत्र सं० १२० । ले० काल सं० १८२७ चैत्र सुदी ४ । वे० सं० ४१।क भण्डारी विशेष-पूजामों एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ४६४८. प्रति सं०५ । पत्र सं० १०५ । ले. काल X| ० सं० ४५० । क भण्डार । विशेष-निम्न पूजायें हैं। पल्यविधानवतोद्यापनपूजा रत्ननन्दि संस्कृत प्राकृत विजयकत्ति संस्कृत बृहदषोडशकारगपूजा जेष्ठजिनवरउद्यापनपूजा त्रिकालचौबीसीपूजा चन्दनषष्ठिवपूजा पञ्चपरमेष्ठीपूजा जम्बूद्वीपपूजा प्रक्षनिधिपूजा . ' कर्मचूरवतोद्यापनपूजा यशोनन्दि ६० जिनदास Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य YEML. अत्ति सं०६ । पत्र सं० १ से ११९ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० ४६७ भण्डार । विशेष--मुख्य पूजायें निम्न प्रकार हैंजिनसहस्रनाम संस्कृत षोडशकारपपूजा श्रुतसागर जिनगुणसंपत्तिपूजा भक रनचन्द पत्रकारविशतिकापूजा सारस्वतमंत्रपूजा धर्मचकापूजा सिद्धचकपूजा प्रभाबन्द इसी प्रकार में २:प्रलिया (0-सं०.४७६, ४७६)ौर है। ४६५०. प्रति सं०७। पत्र सं० २७ से ५७ । ले. काल x | अपूर्ण | वे० सं० २२६ । र अबार । विशेष- सामान्य पूजा एवं पाठों का संग्रह है। ४६५१. प्रति सं०८ | पत्र सं० १०४ । ले० काल X । वै० सं० १०४ । छ भण्डार | विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( वै० सं० १३६ ) प्रौर है। ४६५२. प्रति संक। पत्र सं० १२३ 1 से. काल सं. १८८४ ग्रामोज सुदी ४१० सं ४३९ । ब भण्डार। विकोष-मिस्य मैमिक्तिक पूजा पाठ संग्रह है। ४६५३. पूजापाठसंग्रह... पन सं० २२ । प्रा०:१२४८ इंच भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-पूजा पाठ । १० काल X 1 ले. काल ४. पूर्ण । वे० सं०७२ | अ भण्डार । विशेष-भक्तामर, सस्वार्थसूत्र मावि पाठों का संग्रह है। सामान्य पूजा पाठोंकी इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० ६८२, १६४, १०० ) और हैं । ४६५४. प्रति सं०२। पत्र सं० २६ । ले. काल सं० १६५३ प्राशन सुदी १४ । ३. सं. ४६ न महार। विशेष—इसी भण्डार में ६ प्रतियां (वै० सं० ४७४, ४७५, ४०.४.१,४८२, ४८३, ४८४, ४Et, ४१२ ) और हैं। ४६५५. प्रति सं०३ । पत्र सं० ४५ से ,६१ । ले. काल,x.। अपूर्ण ।..सं. १६५४ । ट भण्डार । Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्श एवं विधान साहित्य ] ४६५६. पूजापाठ संग्रह " ० काल X | ले० काल X पूर्ण । वे० सं० ७३५ । विशेष – निम्न पूजाओं का संग्रह है। यादिनाथपूजा सम्मेदशिखर पूजा भण्डार । · विद्यमान सतीर्थकुरों की पूजा अनुभव विलास [ पदसंग्रह ] [ ५११ पत्र सं० ४० ० १२८ भाषा-हिन्दी विषय-पूजा । भण्डार । मनहरदेव महावीरस्तोत्र जिन पारस्तोत्र - जयपुर नगर सम्बन्धी चैत्यालयों की वंदना ऋद्धि सिद्धि शतक त्रिलोकसार ई नमस्कार जिमेश्वरपूजा सुगंधी दशमीपूजा MAR ४६५७ प्रति सं० २०२० ले० काल X | वे० सं० ७५९ । भण्डार । विशेष -- इसी भण्डार में ५ प्रतियां ( वे० सं० ४७७ ४७६, ४९६, ७६१ / २ ) और हैं । ४६५८ प्रति सं० ३ पत्र सं० १६ । ले० काल X | वे० सं० २४१ । छ मढार विशेष – मिम्न 1 - पूजा पाठ हैं-चौबीसदण्डक बिनती गुरुयों की बीस तीर्थङ्कर जयमाल सोलह कारणपूजा वानतराम ४६५६. प्रति सं० ४ | पत्र सं० २१ । ले० काल नं० १८३० फागुण सुबी २ । वे० सं० २२० । काल X। अपूर्ण वे० सं० २७० | झ भण्डार | ले० दौलतराम भूदास ४६६०. प्रति सं० ५ । सं० से २२२ | विशेष- नित्यनैमिक्तिक पूजा पाठ संग्रह है। ४६६१. पूजापाठसंग्रह-स्वरूपचंद | पत्र [सं० - पूजा ! २० काल X। ले० काल X | पूर्ण वै० सं० ७४६ | क भण्डार | विशेष — निम्न प्रकार संग्रह है 33 स्वरूपचय 52 " हिन्दी --- 17 ० काल सं० १६.४१ १९४६ 27 33 हिन्दी | श्र० ११८५ इंच | भाषा - हिन्दी विषय हिन्दी 13 " 1 " " 19 " Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१२] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४१६२. पूजाप्रकरण-उमास्वामी । पत्र सं० २ ० १०९४३ इंच भाषा-संस्कृत विषय - । विश्वान | १० काल X | ले० काल x 1 पूर्ण ० सं० १२२ । छ भण्डार विशेष पूजक आदि के लक्षण दिये हुये हैं । अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है--- इति श्रीमदुमास्वामीविरचितं प्रकरणं ॥ ४६६३. पूजामद्दात्म्यविधि बिधि । र० काल X | ले० काल । पूर्ण । वे - पत्र सं० ३ ० ११३४४३ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा सं० २२४ । च भण्डार | ४६६४. पूजाविधि" १० काल X 1 ले० काल सं० १८२३ । पू । ३० सं० १४५७ | अ भण्डार पत्र सं० ६ | ०३४ इंच भाषा-संस्कृत विषय-पूजाविधि । ० १०३४४३ इंच | भाषा - हिन्दी गद्य । विषय-पूजा । वे० सं० २०६ १ ख भण्डार | विशेष – माणकचन्द ने प्रतिलिपि को थी । अन्तिम पत्र बाद का लिखा हुआ है। ४६६६. पूजाविधि ....... 1 पत्र सं० १ । ग्रा० १०९४३ | भाषा - प्राकृत । विषय-विधान | ० सं० १७८६ । अ भण्डार । २० काल X 1 ले० काल । अपूर्ण । ४६६५. पूजापाठ पत्र सं० १४ २० काल × | ले० काल सं० १८३६ बैशाख सुदी ११ । पूर्ण ४६६७. पूजाविधि ----''' पत्र सं० ४ ० १०४४३ इ' च । भाषा - हिन्दी । विषय-विधान । २० 1 काल X | ले० काल X 1 पूर्ण । वे० सं० १९७ । व भण्डार । ४६६८. पूजाष्टक - आशानन्द । पत्र सं० १ १ ० १०३४५ इ । भाषा - हिन्दी । विषय पूजा । र० काल X | ले० काल । पूर्ण । वे० सं० १२११ | भण्डार | A ४६६६. पूजाष्टक - लाइट | पत्र सं० १ । ग्रा० १०३४५ इंच । भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा । १० बाल X | ले काल x । पूर्ण वे० ० १२०६ | भण्डार | ४६७०. पूजाष्टक - अभयचन्द्र । पत्र सं० १ ० १०३४५२च भाषा-हिन्दी विषय- पूजा र० काल x 1 ले० काल X | पूर्ण । ० सं० १२१० । भण्डार । ४६७१. पूजाष्टक''''''। पत्र सं० १ । प्रा० १०३४५ इव । भाषा - हिन्दी । विषय-पूजा | २० काल X | ले० काल X पूर्ण । वे० सं० १२१३ । भण्डार | ४६७२. पूजाष्ट्रक पत्र सं० ११ | श्रा० १६४५६ | भाषा - हिन्दी विषय-पूजा २० काल X | ले० काल । श्रपूर्ण वे० सं० १८७५ | ट भण्डार । 4 Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५३ ४६७३. पूजाष्टक-विश्वभूषण । पत्र सं० १ : प्रा० १०३४५ र'छ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल ४ । ने० काल X । पूर्ण । ० सं० १२१२ । अ भण्डार । ४६७४. पूजासंग्रह.."। पत्र सं० ३३१ । प्रा० ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २. काल X । ले. काल सं० १८६३ । पूर्ण | वे० सं० ४६० से ४७४ । अ भण्डार । विशेष-निम्न पूजात्रों का संग्रह हैनाम कर्ता भाषा पत्र सं० वे०सं० १. कांजीवतोद्यापनमंडलपूजा संस्कृत ४७४ २. श्रुतज्ञाननतोद्योतनपूजा हिन्दी ३, रोहिणीव्रतपूजा मंडलाचार्य केशवसेन ४७२ ४. दहालक्षणवतोद्यापनपूजा X X X X G X X ५. लब्धिविधानपूजा ४७० ६. ध्वजारोपरणपूजा ७. रोहिणी ड्रतोद्यापन ८. अनन्वतोद्यापनपूजा प्रा. गुणचन्द्र ९. रत्नत्रयव्रतोद्यापन ४६६ १०. श्रुतज्ञानव्रतोद्यापन ११. शत्रुकगिरिपूजा भ० विश्वभूषण ४६४ १२. गिरिनारक्षेत्रपूजा १३. त्रिलोकसारपूजा ४६२ १४. पार्श्वनाथपूजा (नवग्रहपूजाविधान सहित) १५. त्रिलोकसारपूजा X इसी भण्डार में २ प्रतियां { ३० सं० ११२६, २२१६ ) और हैं जिनमें सामान्य पूजायें हैं। ४६४५ प्रति सं० २१ पत्र ०१४३ 1 ले. काल सं० १९५८ । वै० सं० ४७५ । क भण्डार । विशेष-निम्न संग्रह हैंनाम फर्ता भाषा त्रिपशाशतव्रतोद्यापन - संस्कृत Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१४ । पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य नाम कर्ता भाषा संस्कृत पपरमेष्टी पूजा पवनयपू1 चौसठ शिवकुमारका कांजी की पूजा ललितकीत्ति गणधरबलयपूजा सुगंधदशमीकथा युतसागर अन्दनषष्ठिकथा षोडशकारगाविधानकथा मदनकोति नन्दोवरविधानकथा हरिपैरण मेघमालाव्रतकथा श्रुतसागर ४६७६. प्रति सं३। पत्र सं०६० । ले. काल सं० १९५६ । वे सं० ४६३ । क भण्डार । विशेष-निम्न प्रकार संग्रह हैनाम कर्ता भाषा संस्कृत सुखसंपत्तित्रतोद्यापनपूजा नन्दीश्वरपंक्तिपूजा सिद्धचक्रमूजा प्रतिमासांतचतुर्दशी व्रतोद्यापन पूजा प्रभाबन्द्र विशेष--ताराचन्द [ जयसिंह के मन्त्री ] ने प्रतिलिपि को थी। लधुकल्यार संस्कृत सबलीकरणविधान इसी भण्डार में २ प्रतियों ( ० सं० ४७७, ४७८) और हैं जिनमें सामाग्य पूजा है। ४६. प्रति सं०४ । पत्र सं0 काल ४ ! ३० सं० १११ । ख भण्डार। विशेष-निम्न पूजानों का संग्रह है-- सिद्धचक्रपूजा, कलिकुण्डमन्त्रपूजा, मानन्द स्तवन एवं परापरवमय जयमाल । प्रति प्राचीन तथा मन्त्र विधि सहित है। ४४ प्रति सं०५। पत्र सं. १२ | ले. काल ४ ० सं. ४६४ | अण्डार। विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० ४६०, ४६४ ) और है । Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ५१५ पूजा प्रतिष्ठा एव विधान साहित्य ] ४६७६. प्रति सं०६ पत्र सं० १२ । ल. काल X । वे० सं० २२५ । च भार । विशेष--मानुषाकार मला त्वं प्रक्ष्याण का संगा है। १८. प्रति सं०७। पत्र सं०५५ से ७३ । ले. काल x 1 अपूर्ण | वे० सं० १२३ 1छ भावार। ४६८१. प्रति सं०८ । पत्र सं० ३५ से ३१५ । ले. काल x | अपूर्ण । वै० सं० २५३ । झ भण्डार । ४६८२. प्रति सं० । पत्र सं० ४५ । खे. काल सं० १८०० प्राषाढ सुदी १ । ० सं० ६६ । म भण्डार। विशेष---निम्न पूषायों का संग्रह है नाम का भापा धर्मचक्रपूजा यशोनन्दि संस्कृत नन्दीश्वरपूजा १-१९ ११-२४ २४-२५ सकनीकरणाविधि बघुस्वयंभूपाठ समन्तभद्र २५-२६ अनन्तवतभूजा মুণ २६-३३ भक्तामरस्तावपूजा केशवसेन ३३-३६ मापार्य विश्वकीति की सहायता से रचना की गई थी। श्चिमी यतपूजा शवसेन इसी भण्डार में २ प्रत्तियां ( ये० सं० ४६९, ४७० ) पौर हैं जिनमें नैमिक्तिक पूजायें हैं। ४६८३. प्रति सं० १८ ! पत्र सं० ६ । ले. काल X | प्रपूर्स । वे० सं० १८३८ । र भण्डार । ४६. पूजासंग्रह..."। पत्र मे० ३४ । मा० १.३४ इज । संस्कृत, प्राकत । विषय-पूजा । २० काल ४ ले. काल XI पूर्ण । ३० सं० २२१५ । अ भण्डार। . विशेष---देवपूजा, प्रकृत्रिमचेस्यालगपूजा, सिमपूजा, गुर्वावतीपूजा, बीसत्तीर्घङ्करपूजा, क्षेत्रपालपूजा, पोप कारगापूजा, ओरखतनिधिपूजा, सरस्वती पूजा ( ज्ञानभूषण ) एवं शान्तिपाठ मादि हैं। ४६८५. पूजासंग्रह", "1 पत्र सं०. २ से ४५ | प्रा० ७२४५३ च । भाषा-प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी । विषम-पूजा | २० काल X । ले० काल X | पूर्ण | वे० सं० २२७ । छ भण्डार । विशेष-इसो भण्डार में एक प्रति ( बे० सं० २२८ ) और है। ४६. पूजासंग्रह ... | पत्र सं० ४६७ । प्रा० १२४५ शश्व | भाषा-संस्कृत, अपश, हिन्दी । विषय-संग्रह । २. काल x। ल० कास सं १८२६ । पूर्ण | वे. सं.५४० भधार । - - - -- - - Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१६ 7 विशेष — निम्न पाउ है नाम १. भक्तामर पूजा २. सिकूटपूजा २. बीसतीर्थङ्करपूजा ४. नित्यनियमपूजा ५. अनन्तपूजा ६. ७. ज्येष्ठ जिनवरपूजा ८. नन्दीश्वरजयमाल ६. पुष्पाञ्जलितपूजा क्षेत्रपालपूजा १०. रत्नत्रयपूजा ११. प्रतिमासान्त चतुर्दशीपूजा १२. रत्तत्रयजयमाल १३. बारव्रतों का ब्योरा १४. पंचमेरुपूजा १५. पंचकल्याणक भूजा १६. पुष्पाकुलितपूजा १७. पंचाधिकार १५. पुरन्दरपूजा १९. अष्टाकितपूजा कर्त्ता - विश्वभूषरण विश्वसेन सुरेन्द्रकी ति कनककति गङ्गादास असमराम ऋषभदास बुधदास देवेन्द्रकीत्ति सुधासागर ग'ङ्गादास २०. परमसत स्थानकपूजा सुधासागर रत्ननन्दि २१. पल्पविधानपूजा २२. रोहिणी व्रतपूजा मंडल चित्र सहित केशवसेन २३. जिनपुरा संपत्तिपूजा २४. सौरूपवाक्यव्रतोद्यापन अक्षमराम भाषा संस्कृत संस्कृत हिन्दी संस्कृत 35 11 33 33 33 " " अपभ्रंश संस्कृत [ मंडल चित्र सहित ] हिन्दी संस्कृत 13 27 " " 23 "2 77 " { पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य 33 र० काल लेकाल सं० १९८६ ज्येष्ठ मुदी ११ X अपूर्ण र० काल १८०० सं० ६ 96 93 ले० काल १८२७ १०२६ 25 पूर्ण ले० काल १८२० ले० काल १८६२ 3 Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एव विधान साहित्य ] लक्ष्मीसेन केशवसेन ने. काल सं. १८१ २५. कर्मचूरनतोद्यापन २६. सोलहकारण व्रतोद्यापन २७. दिपंचकल्याणकपूजा २८, गन्धकुटीपूजा २९. कर्मदह्नपूजा ३७. कर्मदहनपूजा ३१. दशलक्षणपूजा ३२ षोडशकारराजयमाल ले. काल सं.१८२८ अपभ्र का भावशर्मा प्राकृत ३३, दशलक्षरराजयमाल ३४. त्रिकालबावीसीपूजा संस्कृत मे.काल १९५० ३५. लब्धिविधानपूजा अभ्रदेव माशाधर ३६. अंकुरारोपणविधि ३७. मोकाटी मनककीत्ति ३८, मौनतोद्यापन ३६. शारित्वपूजा ४०. सप्तपरमस्थानकपूजा ४१. सुखसंपत्तिपूजा ४२. क्षेत्रपालपूजा ४३. षोडयाकारणपूजा ४४. मन्दनपठीव्रतकथा सुमतिसागर पे०काल १५३० श्रुतसागर अभयराम से० फाल १८२७ ४५ णमोकारपैतीसीपूजा ४५. पञ्चमीउद्यापन संस्कृत हिन्दी ४७. विपश्चाशतक्रिया ४८. कडिकावतोद्यापन ४६. मेघमालावतोद्यापन ५०. पशमीव्रतपूजा ले. काल १०२७ Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : १८] ५१. नवग्रहपूजा ५२. रत्नत्रयपूजा ५३. दशलक्षणजयमाल रघु पंचकल्याणक जा पचपरमेष्ठीपूजा पञ्चपरमेष्ठीपूजाविधि कर्मदहनपूजा नन्दीश्वरवतविधान टब्बा टीका सहित है। ४६५७. पूजासंघ पूजा | १० काल X। ले० काल X। पूर्ण । वै० सं० १९० १ ख भण्डार । विशेष निम्न पूजाओं का संग्रह है--- X X x X X X संस्कृत हिन्दी x. कीि पत्र सं० १११ मा० ११३८५३ च । भाषा-संस्कृत हिन्दी विषय 15 अनन्तवपूजा सम्मेदशिखरपूजा निर्वाणक्षेत्रपूजा पचपरमेष्ठी पूजा गिरनारक्षेत्रपूजा वास्तुपूजाविधि नांदीनसपूजा शुद्धिविधाम ४६५८ प्रति सं० २ । पत्र सं० ४० से० काल X | वे० सं० १४५ । छ भण्डार । ४१६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ८५ । ले० काल X १ ० सं० ३२ | झार विशेष- निम्न संग्रह हैं कल्याणकमंगल रूपचन्द X टेकचन्द अपभ्रंस नन्दि टेकयन्व " हिन्दी 33 29 " 11 संस्कृत " [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य 打 हिन्दी संस्कृत हिन्दी संस्कृत हिन्दी से० काल १८१७ 23 २० काल सं० १८६८ ४६६० प्रति सं० ४ । ले० काल x | अपूर्ण । वे० सं० २०६० | ट भण्डार १० काम सं० १८१७ २० काल सं० १८६७ पत्र १०३ ४-१२ १३-२६ ११ २७-४६ १-११ " १२-२४ 鬼 " " Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] । ५१६ ४६६१. पूजा पर्व कथा सप्रह-खुशालचन्द । पत्र सं०५० । मा० ६x४, च । भाषा-हिन्दी। विषम-पूगा । २० काल ४ ले. काल सं० १७३ पौष बुदी १२ । पूर्ण 1 ३० सं० ५६१ । अ भण्डार । विशेष-निम्न पूजामों तथा कथानों का संग्रह है। चन्दनषष्ठीपूजा, दशलक्षणपूजा, षोडशकारणपूजा, रत्नत्रयपूजा, अनन्त चतुर्दशीव्रतकथा व पूजा । तप लक्षणकषा, मेरुपंक्ति सप की कथा, सुगन्धदामीवतकमा। ४६६२. पूजासंग्रह-हीराचन्द । पत्र सं० ५१ । मा० Ex५६ १८ ! भाषा-हिन्दी : विषय-पूजा । र० काल ।ले. काल x 1 पूर्ण । ० सं०४०२१ क भण्डार। ४६६३. पूजासंग्रह.......। पत्र सं० ६ । मा० ८५४७१। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल X1 पूर्ण | 2० सं० ७२७ । अभधार । विशेष-पंचमेरु पूजा एवं रत्नत्रय पूजा का संग्रह है। इसी भण्डार में ४ प्रतियां (व० सं० ७३४, ६७१, १३१६, १३७७ ) मोर हैं जिनमें सामान्य पूजायें हैं। ४६६४. प्रति सं०२। पत्र सं० १६ । ले. काल X । ० सं० ६ । ग भण्डार । ४१५. प्रति सं०३| पत्र सं.४३ | ले. काल x वे० सं०४७६ कभण्डार । ४६६६. प्रति सं०४ । पत्र सं० २५ 1 ले० काल सं० १९५५ मंगसिर बुदी २ । ३० सं०७३। घ * भण्डार। - विशेष-निम्न पूजामों का संग्रह है देवपूजा, सिबपूजा एवं शान्तिपाठ, पंचमेरु, नन्दीश्वर, सोलहकारण एवं दशलक्षण पूजा यानतराय कृत । अनन्तव्रतपूजा, रत्नत्रयपूजा, सिद्धपूजा एवं शास्त्रपूजा । ४७. प्रति सं०५। पर सं० ७५ । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ४६६ भण्डार | विशेष-इसी मण्डार में ५ प्रतियां (.३० सं० ४८७, ४ER, YEC, ४-५, ४६३ ) पोर हैं जो सभी मपूर्ण हैं। ४६६८ प्रति सं०६ । पत्र सं० ८५ । ले० काल X । ० सं० ६३७ । च भण्डार। ४६६६. प्रति सं०७। पत्र सं० ३२ । ले. काल X| वे० सं० २२२ छ भण्डार । ५.००. प्रति सं.८। पत्र सं० १३४ ले. काल XI . सं. १२२ । ज भण्डार । विशेष--पंचकल्याणकपूजा, पंचपरमेष्ठीपूजा एवं निस्य पूजाये है। ५००१. प्रति सं०६ । पत्र सं० ३८ । ले. कालामपूर्ण । वे० सं० १६३५ । ४ भण्डार । -- - -- - -- Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , ५२० । [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५००२. पूजासंग्रह-रामचन्द । पत्र सं० २० । मा० ११३४५६ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। र. काल X | ले. काल ४। पूर्ण । व० सं० ४६५ । भण्डार । विशेष--प्राविनाथ से चन्द्रप्रभ तक की पूजायें हैं। ५८६३. पूमासार"........."। पत्र सं०८६ | प्रा० १०४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा एवं विधि विधान | र० काल ४ | ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ४५४ । अ भण्डार। ५००४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४७ । ले० काल । ० सं० २२६ । व भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २३० ) मोर है। ५००५. प्रतिमासान्तचतुर्दशीव्रतोद्यापमपूजा-अजयराम । पत्र सं०१४ | प्रा० १०४५३ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल XI से काल सं० ११०० भादवा सुदी १४ । पूर्ण | वे० सं० ५८७ | अ . मण्डार। विशेष-दीवान ताराचन्द ने जययुर में प्रतिलिपि की थी। ५००६. प्रति सं०२ । पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १८०० भादवा बुदी १० । ३० सं० ४८४ । क भण्डार। ४००७. प्रति सं०३ । पत्र सं० १० । ले. काल सं० १८०० चैत्र सुदी ५। वे सं• २९५ 1 कप भण्डार। ____५०८८. प्रतिमासान्तचतुर्दशीव्रतोद्यापनपूजा-रामचन्द । पत्र सं० १२ । मा० १२:४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषम-पूजा । २० काल Xले० काल सं० १८०० चैत्र सुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० ३८६ । म भण्डार। विशेष – श्री जयसिंह महाराज के दीवान ताराचन्द श्रावक ने रचना कराई थी। ५००६. प्रतिमासाम्सचतुर्वशीनतोद्यापनपूजा...""। पत्र सं० १३ । मा० १०४७१ च । भाषासंस्कृत ! विषय-पूजा 1 र० काम X Vले. काल सं० १८०० । पूर्ण । ० सं० ५०० । भण्डार । ५०१०. प्रति सं० २ । पत्र सं० २७ । ले. काल सं० १८७६ ग्रासोज बुदी है । वे० सं० २३३ । च भण्डार विशेष-सदासुख बाकलीवाल मोहा का ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। दीवान प्रमरचन्दजी संगही ने प्रतिलिपि करवाई थी। ५०११. प्रतिष्ठादर्श-भ श्री राजकीति । पत्र सं० २१ । मा० १२४५३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-प्रतिष्ठा ( विधान )। र० काल x 1 ले. काल X । पूर्ण । ० सं० ५० १ ॐ भण्डार । Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५२१ ५०१२. प्रतिष्ठादीपक--पंडिताचार्य नरेन्द्रसेन । पथ सं. १४ । प्रा० १२४५३ इच । भाषासंस्कृत । विषय-विधान । र० कान ४ । ले• काल सं० १८६१ चैत्र बुदी १५ । पूर्ण । ३० सं० ५७२ । * भण्डार । विशेष-भट्टारक राजकीत्ति ने प्रतिलिपि की थी। ___५०१३. प्रतिष्ठापाट... बसुनालिद (अपर नामा आपसे) : १२. सं. १३९ । मा० ११३४८३ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय विधान । २० काल X । ले. काल सं. १६४६ कात्तिक सुदी ११ । पूर्ण । के० सं० ४८५ । क भण्डार । विशेष---इसका दूसरा नाम प्रतिष्ठासार भी हैं। ५०१४, प्रति सं०२श पत्र सं.११७ । मे० काल सं. १९४६ 1 ने० सं०४७ | क भण्डार । विशेष---३६ पत्रों पर प्रतिष्ठा सम्बन्धी चित्र दिये हुये हैं । ५०१५. प्रति सं. ३ पत्र सं० १५५ । ले० काल सं० १९४ | ० सं० ४८६ । क भण्डार | विशेष-बालावस्श व्यास ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। अन्त में एक अतिरिक्त पत्र पर पदस्थापनार्थ मूत्ति का रेखाचित्र दिया हुपा है । उसमें अङ्क लिखे हुये हैं। ५०१६. प्रति सं०४ । पत्र सं० १०३ । ले० काल ४ । पूर्ण । ० सं० २७१ । ज भण्डार । विशेष अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है इति श्रीमत्कुंदकुंदाचार्य पट्टोदयभूधरदिबामरिण श्रीवविवाचायण जयसेनापरनामकेन विरचितः । प्रतिष्ठासारः पूर्णमगमतः। ५०१७. प्रतिष्ठापाठ-माशाधर । पत्र सं० ११६ । प्रा० ११४५३ च ! भाषा-संस्कृत । विषयविधान । र० कास सं० १२८५ पासोज सुदी १५ । ले. काल सं० १८८४ भादवा सुदी ५ । पूर्ण । ० सं० १२ । ज भण्डार। ५०१८. प्रतिष्ठापाठ.." ! पत्र सं० १ | मा० ३३ गज लंगा १. इच चौड़ा | भाषा-संस्कृत | विषयविधान । र० काल X । ले० काल सं० १५१६ ज्येष्ठ बुदी १३ । पूर्ण । के मं० ४० । १ भण्डार | . विशेष—यह पाठ करड़े पर लिखा हुआ है । कपड़े पर लिखी हुई ऐसी प्राचीन चीजें कम ही मिलती है। यह कपड़े की १० इंच चौड़ी पट्टी पर सिमटता हुआ है । लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है ६०॥ सद्धिः ॥ों नमो वीतरागाय ।। संवतु १५१६ वर्षे ज्येष्ठ सुदी १३ तेरसि सोमवासरे अश्विनि नक्षत्रे श्रीदृष्टकापर्थे श्रीसर्वज्ञचैत्यालये श्रीमूलसंधे श्रीकुचकुंदाचार्यान्वये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे भट्टारक श्रोरस्नकोत्ति देवाः तत्प?' श्रीप्रभाचन्द्रदेवाः तत्पट्ट श्रीयमनन्दिदेवाः तत्पट्ट श्रीशुभचन्द्रदेवा ।। तत्प? भट्टारक श्री जिनचन्द्रदेवाः ॥ Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२२ ) [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५०१६. प्रति सं० २ 1 पत्र सं० ३५ । ले० काल सं० १८६१ चैत्र बुदी ४१ प्रपूर्ण । ३० सं० ५०४। भण्डार। . विशेष-हिन्दी में प्रथम ६ पञ्च में प्रतिष्ठा में काम पाने वाली सामग्री का विवरण दिया हुआ है। ५०२०. प्रतिष्ठापाठभाषा-बाबा दुलीचंद। पत्र सं० २६ । प्रा. ११३४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-विधान ! र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ४६ | क भण्डार | विशेष—मूलका प्राचार्य वसुविन्दु हैं । इनका दूसरा नाम जयसेन भी दिया हुआ है। दक्षिण में कुंकुरण नामके धेश सहद्दपाचल के समीप रलगिरि पर लालाह नामक राजाका बनवाया इमा विशाल चैत्यालय है । उसकी प्रतिष्ठा होने के निमित्त ग्रन्थ रचा गया ऐसा लिखा है। इसी भण्डार में एक प्रति ( ० ४६0) और है। ५०२१. प्रतिष्ठाविधि | पत्र सं० १५६ से १६५ 1 मा. ११४४ ईच। भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान । २० काल X । से. काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० ५०३ । क भण्डार । ५०२२. प्रतिष्ठासार---पं० शिवजीलाल । पत्र सं. १६ 1 प्रा० १२४५ इंच । भाषा-हिन्दी। विषयविधि विधान । र० काल X । से० काल सं. १९५१ ज्येष्ठ सुदी ५ । पूर्ण । ३० सं० ४११ । क भण्डार । ५०२३. प्रतिष्ठासार"....पत्र सं. ८५ | प्रा० १२३४५ च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान । र० काल X । ले० काल सं० १९३७ प्राषाढ सुवी १० । ३० सं० २८६ । ज भण्डार ! विशेष--40 फतेहलाल ने प्रतिलिपि की थी । पत्रों के नीचे के भाग पानी से गले हुये हैं। ५०२४. प्रतिष्ठासारसंग्रह-श्रा० वसनन्दि । पत्र सं० २१1 मा० १३x । माषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान । २० काम ४ । ले० काल X । पूर्ण । वे० - १२१ । अ भण्ठार । ५०२५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३४ । ले. काल सं० १६९. । व० सं० ४५६ । श्र भण्डार । ५०२६. प्रति सं०३। पत्र सं.२७ । ले. काल सं. १९७७ । वे. सं.४१२ क भण्डार | ५०२७. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३६ । ले. काल सं. १७३६ पैशाख बुवी १३ । प्रपूर्ण | वे० सं०६८ । ब भण्ड र। विशेष-~तीसरे परिच्छेद से है। ५०२८. प्रतिष्ठासारोद्धार" ... " | पत्र सं० ५६ 1 मा० १०३४ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयविधि विधान । १० काल x | ले. काल ४ । पूर्णे । वे० सं० २३४ । च भण्गर । ५०२६. प्रतिष्ठासूक्तिसंग्रह........ | पत्र सं० २११ मा० १३४८ च । भाषा-संस्कृत विषमविधान । २० काल X। ले• काल सं० १९५१ । पूर्ण | सं० ४६३ | क भन्सार । Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान पहित्य ] ५०३०. प्राणप्रतिष्ठ........... पत्र सं० ३ । मा० ६३४६५ च । भाषा संस्कृत | विषय-विधान । र० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण । ० सं० ३७ । ज भण्डार । ___५३१. बाल्यकालवर्णन...... ... | पत्र सं० ४ से २३ । मा० ६x४ च । भाषा-हिन्दी । विषयविधि विधान । २० काल X । ले. काल x अपूर्ण । वे० सं० २६७ । स भण्डार । विशेष-बालक के गर्भ में पाने के प्रथम मास से लेकर दसवें वर्ष तक के हर प्रकार के सांस्कृतिक विधान का वर्णन है। ५०३२. बोसतीर्थकरपूजा-थानजी अजमेरा । पत्र सं० ५८ | मा० १२३४८ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-विदेह क्षेत्र के विद्यमान बीस तीर्थकरों की पूजा । र० काल सं० १९३४ पासोज सुदी १ 1 ले. काल x पूर्ण वे० सं० २०६ । भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में इसी श्रेष्टन में एक प्रति प्रौर है। ५०३३. बीसतीर्थरपूजा....."। पत्र सं० ५३ । मा० १३४७३ । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल ४ । ले. काल सं० १९४५ पौष सुदी ७ । पूर्ण । ० सं० ३२२ । ज भण्डार । ५०३४. प्रति सं० २१ पत्र सं०२। ले. काल ४ । अपूर्ण । वै० सं०७१ । म भण्डार। ५०३५. भक्तामरपूजा-श्री शानभूषण । पत्र सं० १० । भा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत विषयपूजा | २० काल ४ ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५३६ । क भण्डार । ५०३६. भक्तामर पूजाउद्यापन-श्री भूषण । पत्र सं० १३ । मा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय- पूजा | र• काल x 1 ले. काल | अपूर्ण । ० स० २५२ । र भण्डार । विशेष-१०, ११, १२वा पत्र नहीं है। ५८३७. प्रति सं० २१ पत्र सं०८ | ले. काल सं० १८५८ प्र० ज्येष्ठ सुदी ३ । वै० सं० १२२ । छ भण्डार। विशेष-नेमिनाथ चैत्यालय में हरवंशलाल ने प्रतिलिपि की थी। ५०३८. प्रति सं०३६ पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १८९३ श्रावण सुदी । । ० सं० १२० । ज भण्डार। ५०३६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० । ले० काल सं० १९११ मासोज बुदी १२ । ३० सं० ५० । म भण्डार। विशेष---जयमाला हिन्दी में है। २०४०. भक्तामरवतोद्यापनपूजा-विश्वकीत्ति । पत्र सं० ७ । प्रा० १०५४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल सं० १६९९ । ले. काल x पूर्ण । ० सं०५३७1 मण्डार । Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२४ ] । पूजा प्रतिष्टा एवं विधान साहित्य विशेष निधि निधि रस चंद्रोसंख्य संवत्सरेहि विशदनभसिमासे ससमी मंदवारे । मलवरदरदुर्गे चन्द्रनाथस्य चैत्ये विरचितमिति भक्त्या के दादामलसेन ।। ५०४१. प्रति सं०२ । पत्र सं० ८। ले. काल ४ ० सं० ५३८ । भण्डार। . ५०४२, भक्तामरस्तोत्रपूजा । पत्र सं०८ | मा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा ! २० काल: ले. काल X1 पूर्ण । वे० सं० ५३७ । श्र भण्डार । ५०४३. प्रति सं०२। पत्र सं० १२ । ले. काल X । वे० सं० २५१ । च भण्डार । ५०४४. प्रति सं०३ । पत्र सं०१६ । से० काल ४ ० सं० ४४४ । । भण्डार | ५०४५. भाद्रपदपूजासंग्रह-यानतराय। पत्र सं० २६ से २६ । मा० १२:४७३ इंच । भाषाहिन्दी । विषय--पूजा । २० काल - । ले काम X । प्रपूर्ण । वे० सं० २२२ । छ भम्हार । ५०४६. भाद्रपदपूजासंग्रह ) पत्र सं० २४ से ३१ 1 मा० १२:४७१ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल ले. कास X । प्रपूर्ण । व० सं० २२२ । छ भण्डार । ५०४७. भावजियपूजा "| पत्र सं० १ । प्रा० ११६४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा ! २० काल XI ले. काल X : पूर्ण । वे० सं० २००७ । द भण्डार । ५०४८. भावनापश्चीसीप्रतोद्यापन..) पत्र सं०. ३ । प्रा० १२:४६ इंच 1 भाषा-संस्कृत । विषय-पजा । २० काल xले. काल पूर्ण । ० सं० ३०२ । ख भण्डार। ५०४६. मंडलों के चित्र.......! पत्र सं० १४ | मा० ११४५. ३ च । भाषा हिन्दी 1 विषय-पूजा . सम्बन्धी मण्डलों का चित्र | ले. काल ४ । ३० सं० १३८ । भण्डार । विशेष-चित्र सं० ५२ है । निम्नलिखित मण्डलों के चित्र हैं 14 १. श्रुतस्कंघ (कोष्ठ २) २. पनकिया (कोष्ठ ५३ ) ३. वृहसिद्धचक्र (, ६६) ४. जिनगुणसंपमि (, १०६ } ५. सिद्धकूट " १०९) ६. चितामणिपार्श्वनाथ { , ५६ ) ७. ऋषिमंडल (, ५६ ) ८. सप्तऋषिमंडल (, ७) ६, सोलहकारण (, २५६ ) १.. चौबीसीमहाराज 11 १२०) ११. शांतिचक्र १२. भक्तामरस्तोत्र (, ४) Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] १३. बारहमास की चौदस ( कोष्ठ १६६ ) १४. पांच माह की जीवस ( २५ } १५. भगतका मंडल १६६ ) १६. मेघमालावत १५० ) १७ रोहिणोत (!) १८. लब्धिविधान (12 = १ ) १६. रत्नत्रय („ 3€) २०. पञ्चकल्याणक ( १२० } "3 २१. पञ्चपरमेष्ठी २२. रविवारत ( ( " ५ 33 " ३२. अंकुरारोपण ३३. गयाधरवलय ३४. नवग्रह ३५. सुगन्धदक्षमी ६. सारसुतयंत्रमंडल ३७. शास्वजी का मंडल 53 ३५. प्रक्षयनिधिमंडल ३६. मठाई का मंडल १० काल X | से० काल सं० १८७८ । पूर्ण वे० सं० १२४० । भण्डार । ( कोट ( (" ( { ५०५२. मंडप विधि... विधान । २० काल X | ले० काल X | पूर्ण 1 बै० सं० १८८ | झ भण्डार 93 र० काल X: ले० काल X। अपूर्ण । वे० सं० १२५ छ भण्डार | 15 " (" ४० कुराप ४१. कलिकुंड पार्श्वनाथ ४२. विमानशुद्धियांतिक ४३. बासठकुमार ४४. धर्मचक ४५. लघुशान्तिक 19 ४६. विमानशुद्धियांतिक ( " ४७. विनये क्षेत्रपाल व चौबीस तीर्थकर ( ( श्रं ( (,, tea) st) 33 २३. मुक्तावली ( " =१) २४. कर्मदहन ( १४५ ) २५. कांजीबारस ( " ६४ ) २६. कर्मचूर ( ” ६४ ) २७. ज्येष्ठुजिनवर ( " ४६ ) २८. बारह माह की पचमी ( " ६५ ) २६. चारमाह की पश्चमी ( २५ ) २५ ) ४८. श्रुतज्ञान ४१. दशलक्षरण 33 ३०. फलफांदल [9] ( ३१. पांचवासों का मंडल ( २५ ५०५०. प्रति सं० २ | पत्र सं० १४ ले० काम X | वे० सं० १३८ क ख भण्डार | ५०५१. मंडप विधि" [...] पत्र [सं० ४ पा० EX४ इंच भाषा-संस्कृत D ガラ ४८ 33 [ ५२५ } 2 ) ६० ) २८ ) १२ } १५० ) ५२ ) -- ८ ) 11 (" १०८ ) (,, ५२ } („ १५७ ) -} ८१ ) ( " २४ ) ( १५८ ) ( १०० } | पत्र सं० १ । प्रा० ११३४५३ इंच भाषा - हिन्दी । विषय-विधि विषय विधि विधान । ५०५३. मध्यलोकपूजा-पत्र सं० ५६ ॥ श्र० ११६४३ इंच | भाषा संस्कृत विषय-पूजा। Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ५२६ । [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५०५४. महावीरनिर्वाणपूजा" . . । पत्र सं० ३। प्रा० ११४५६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय- पूजा । र• काल ४ । ले. काल सं० १८२१ । पूर्ण : वे० सं० ११० । अ भण्डार। . विशेष-निर्वाणकाण्ड गाथा प्राकृत मैं और है । ५८५५. महावीरनिर्वाणकल्याणपूजा".........! पत्र सं० १ । प्रा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल' X 1 ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १२०० । अ भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( ३० सं० १२१६ ) और है। ५०५६. महावीरपूजा-धृन्दावन ! पत्र सं० हैं | मा• Ex५३ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । १. काल x | ले. काल X । पूर्ण ! वे० सं० २२२ । छ मण्डार । ५०५७. मांगीतुङ्गीगिरिमंडलपूजा-विश्पणा : एत्र सं० १२ II ::४५ इन ! -- संस्कृत । विषय-पूज! । २० कास सं० १७१६ । ले. काल सं. १९४० वैशाख बुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० १४२। व अण्डार। विशेष--प्रारम्भ के १८ पों में विश्वभूषण कृत शतनाम स्तोत्र है। मन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार है श्रीभूलसंधे दिनद्विभाति श्रीकुन्दकुन्दास्यमुनीद्रयन्द्रः । महदबलात्कारगणाविगच्छे लब्धप्रतिष्ठा किलपंचनाम ॥१॥ जातोऽसौ किलधर्मकीतिरमल वावीभ सार्दूलवत साहित्मागमसळपाठनपटुचारित्रभारोह । लपट्ट मुनिशीलभूषणगरिण शीलांवरवेष्टितः सत्पर्ट्स मुनि ज्ञानभूषणमहान सौख्यत्कला केली श्रीमज्जगद्भूषनवभूषनैयायिकाचारविषारदक्षः । कवीन्द्रचन्द्रोरिव कालिदास पट्ट तदीये रभवत्प्रतापी ॥३॥ तस्पट्ट प्रकटो जात विश्वभूषण योगिनः । तेनेदं रनितो यश भव्पारमासुन हेतवे ॥४॥ पटवलि रिषिश्चन्द्रामदे माघमासके एकापयामगमत्पूर्णमेवात्मलिकपुरै ॥५॥ ५०५८८ प्रति सं०२। पत्र सं० १० । ले. काल सं. १८१६ । 2. सं. १९७६ | ट भण्डार । विशेष--मांगी तु गा की कमलाकार मण्डल रचना भी है। पत्रों का कुछ हिस्सा चूहोंने काट रखा है। Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पमा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५२७ ५०५६. मुकुटसप्तमीत्रतोद्यापन .....। पत्र सं० २१ मा० १२३४६ इंच। भाषा संस्कृत । विषयपूजा । २० काल x 1 ले. काल सं० १९२८ । पूर्ण । ३० सं० ३०२ । ख भण्डार । ५०६०. मुक्तावलीव्रतपूजा......पत्र सं० २ । भा० १२४५६ च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । १० काल x। ले. काल X । पूर्ण । के० सं० २७४ । च भण्डार | ५०६१. मुक्तावली तोयापनपूजा"..........। पत्र सं० १६ । मा० ११२x६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल XI ले० काल सं. १८१६ | पूर्ण । वे० सं० २७६ १ च भण्डार । विशेष-महात्मा जोशी पन्नालाल ने जयपुर में प्रतिलिपि की यो । ५०६२.मुक्तावलीमतविधान - ..) पत्र सं० २४ । मा० ५१४६ च । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा एवं विधान | र० काल X । ले० काल सं० १९२५ । पूर्ण । ० सं० २४८ । ख भण्डार । . ५०६३, मुक्तावलीपूजा-वर्णी सुखसागर । पत्र सं० । भा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत | विषम-पूजा । २० काल' X । स. काल | पूर्ण । ३० सं० ५६ | FAEK | ५०३४. प्रति सं०२ । पत्र सं० ३ । ले. काल X। वे० सं० ५६६ । भण्डार । ४८६५. मेघमालाविधि- .1 पत्र सं0 ६ । प्रा० १.४४ ईव । भाषा- संस्कृत । विषय-प्रत विधान । १० काल x 1 ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ८६६ । श्र भण्डार | ५०६६. मेघमालाव्रतोद्यापनपूजा " ......"। पत्र सं०३ । मा० १.१४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-श्रत पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १८६२ । पूर्ण | वे० सं० ५८० | अ भण्डार । ५०६७. रखवयउद्यापन पूजा । पत्र सं० २६ । मा० ११.४५ च । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । र० काल x | ले • कान सं० १९२६ 1 पूर्ण । ० सं० ११६ । छ भण्डार | विशेष--१ अपूर्ण प्रति मौर है ।। ५०६६. प्रति सं०२० पत्र सं० ३० | ले. कालx० सं०६९ 12 मद्धार । ५०६६. रमत्रय जयमाल" | पत्र सं० ४ | पा. १.६४५ इव । भाषा-प्राकृत | विषय-पूजा । २० काल x | ले. काल x 1 पूर्म 1 के० सं० २६७ । थ भण्डार । विशेष-हिन्दी में अर्थ दिया हुअा है। इसी भण्डार में एक प्रति । वै० सं० २७१ ) मोर है । ५८७०. प्रति सं० २ । पव सं ४ । ले. काल सं० १९१२ भादवा सुची १ पूर्ण । वे. सं०.१५८ । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति (वे. सं० १५६ ) और है । Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२८ ] या एवं विधान साहित्य ५०७१. प्रति सं०३। ०६0 x 2. सं० ६४३ 1 * भण्डार । ५०७२. प्रति सं०४। पत्र सं० ५। ले, कास सं० १८६२ भादवा मुदी १२ । ३० सं० २६७ । च भण्डार। ५०७३. प्रति सं०५। पत्र सं० ५। ले. काल x1. सं. २०.1 भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २०१) और है। ५०७४. रसत्रयजयमाल...| पत्र सं० ६ । प्रा० १०४७ इच। भाषा-अपभ्रंश । विषय-पूजा । र० काल X । लेस काल सं० १८३३ । ० सं० १२६ । छ भण्डार । विदोष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं। पत्र ५ से प्रनम्तवतकथा श्रुतसागर कृत तथा पनन्त नाथ पूजा दी हुई है। ५०७६. प्रति सं० २।पर सं० ५ । ले. काल सं० १८१६ सावन सुदी १३ 1 वे० सं० १२६ | छ भण्डार। विशेष--इसी भण्डार में २ प्रतियां इसी वेहन में और है। ५०७६. रसश्रयजयमाल"""14 सं०६ । प्रा० १०३४४६ ईच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x | ले काम सं० १९२७ भाषाढ सुदी १३ । पूर्ण 1 . सं०६८२ । भभधार । विशेष--इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं०७४१ ) और हैं । ५०७७. प्रति सं०२। पत्र मं० ३ । ले० काल X । वै० सं०७४ | च भण्डार । ५०७८. प्रति सं०३ : पत्र सं० ३। ले० काल X| ३० सं० २०३ । म मण्डार । ५०७६. रत्नत्रयजयमालाभाषा-नथमल । पत्र सं. ५ मा १२४७३ च । भाषा-हिन्दो। विषय-पूजा । १० काल सं. १९२२ फागुन सुदी ८ । ले. काल XI पूर्ण | वे० सं.६९३ | च भण्डार । ५०८६. प्रति सं० २ । पत्र सं. ७ 1 ले० काल सं. १९३७ । वे० सं० ६३१ । क भण्डार । विशेष--इसी भण्डार में ५ प्रतियां ( ० सं० ६२९, ६३०, ६२७, ६२८, ६२५ ) और है । ५०५१. प्रति सं०३ । पत्र सं० १ । ले० काल ४ । पे० सं० ८५ । घ भण्डार । ५०८२. प्रति सं०४६ पत्र सं० ४ । ने० काल सं० १९२८ कात्तिक बुदी १० । वे० सं० ६४४ 16 भार। विशेष-इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे. सं. ६४४, ६४६ ) और है। ५०८३. प्रति सं०४ापत्र सं०७1से. काल x० सं० १९.10 भण्डार । Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 事 पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य } [ ५२६ पत्र सं०३०१३३४४ भाषा-हिन्दी विषय-पूज ५०५४. रमत्रयजयमाल ३० सं० ६६७ । च भण्डार | ० काल X | से० काल X | ० सं० ६३६ । क भण्डार | ५०८५. प्रप्ति सं० २ । पत्र [सं० ७ | ले० काल X ५०८६ प्रति सं० ३ । पत्र सं० ५ | ले० काल सं० १६०७ द्वि० प्रासीज बुदी १० मं० १६५ । -- पं० भाशावर । पत्र मं० ४ । भ० ८३४ इंच भाषा संस्कृत । विषय भण्डार । ४०५७ रन श्रयपूजा पूजा । १० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वे० [सं०] १११० । अ भण्डार । २० काल X | ले० काल x । पूर्ण । वे० सं० २६६ । च भण्डार । ५०८८. रत्नत्रयपूजा - केशवसेन पत्र सं० १२ मा० ११५ भाषा-संस्कृत विषय-पूजा भण्डार । पूजा | र० काल X | ले० काल x । पूर्ण । वे० सं० ३०० | च भण्डार । २०५६ प्रति सं० २ पत्र ०८ मे० काल X ० [सं० ४७९ ५०१०. रत्नत्रयपूजा-पद्मनन्दिप सं १३० १०३४५३ भण्डार । ५०६१. प्रति सं० २ पत्र सं० १३ । जे० काल सं० १८६३ मंगसिर बुदी ६ वे० सं० २०५ । च विषय-पूजा भण्डार ५०६२. रमत्रयपूजा र० काल X | ले० काल X पूर्ण । वे० सं० ४७८ । ० ० ४ विशेष – इसी भण्डार में ५ प्रतियां ( ५०६३, प्रति सं० २ प ५०१४. प्रति सं० ३ ५०६५. प्रति सं० ४ विशेष-- छोटूलाल अजमेरा ने विजयलाल कासलीवाल से प्रतिलिपि करवायी थी । पत्र सं०] १४ पत्र ५०६६. प्रति सं० ५ पत्र सं० १८० काम सं० १८५० पौष सुदी ३० सं० २०१ । घ भण्डार । [पत्र [सं० १५० ११५ इंच भाषा-संस्कृत भाषा ० ५८३ ० काल सं० १९८१ ले० काल x ० सं० २६ घ भण्डार ६६६, १२०, २१५६ ) और हैं । ० विशेष- इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( ५०६७. प्रति सं० ६ पत्र [सं० ५ विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( २०६८ प्रति सं० ७ पत्र [सं० ७ ० काल ५०६१. रयपूजाद्यानतराय पर सं० २ से ५ । विषय-पूजा र० काल X ले० काल सं० १९३७ चैत्र सुदी १ पूर्ण पूर्ण ०८ ले० काल नं० १२१६ ० ० ६४७ | क भण्डार | ० [सं० ३०१ ख भण्डार | ० ४०२५२६) और हैं। I ० ० ३०२, ३०३, ३०४) घर है । ० काल X वे० सं० ६० मण्डार । I ० सं० १९७५ र भण्डार मा० १०३४५३ इंच भाषा - हिन्दी । ० [सं० ६३३ क भण्डार । Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३० ] न भण्डार ५१०० प्रति सं० २। पत्र [सं० ६ ० काल ४ । ५१०१. रमत्रयपूजा - ऋषभदास । पत्र सं० १७ । प्रा० १२४४३ इंच भाषा - हिन्दी पुरानी ) विषय-पूजा । १० काल X 1 ले० काल सं० १८४६ पौष बुद्दी ४ | पूर्ण । वे० सं० ४६६ | अ मण्डार | ५१०२. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६ । प्रा० १२३४५६ इंच । ले० काल । पूर्ण वे० सं०३८५ अन्तिम भण्डार । [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य विशेष – संस्कृत प्राकृत तथा अपभ्रंश तीनों ही भाषा के शब्द है । सिहि रिसिकिति मुसीसे, रिसह दास बुवास भग्गी । इय तेरह पयार चारितउ, संखेने भानिय उपवित ॥ ० सं० ३०१ । ज भण्डार | ५१०३. रात्रयपूजा" काल X | ले काल X। पूर्ण । वे० सं० ७४२ | "१ पत्र सं० ५३ प्रा० १२४६ इंच भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा | २० भण्डार । ५१०४. प्रति सं० २ । पत्र [सं० ४३ । ले० काल x 1 वे० सं० ६२२ । भण्डार | ५१०५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३३ । ले० काल सं० १६६४ पौष मुद्दी २ ० सं० ६४९ । ० सं० ६४० ) और है । ० काल x विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति [ ५१०६. प्रति सं० ४ । पत्र [सं० ६ विशेष – इसी मण्डार में एक प्रति ( ५१०७. प्रति सं० ५ । पत्र मं० ३५ । ले० काल सं० १९७८ । वे० सं० २१० । छ भण्डार । ५१०. प्रति सं० ६ । पत्र सं० २३ । ले० काल X | वै० सं० ३१० । व्ा भण्डार | ० सं० १०६ | भण्डार | ० सं० १०६ ) और है । ५१०६. रनप्रयमंडल विधान पत्र सं० ३५ | प्रा० १०४६ इंच भाषा - हिन्दी विषय-पूजा । १० काल X | ले० काल X | वे० सं० १७ । भण्डार | ५११०. रात्रयविधानपूजा-पं० रनकीर्ति । पत्र सं० ८० १०x४६ इंच 1 भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा एवं विधि विधान । २० काल X | ले० काल x | पूर्ण । ० सं० ६५१ | भण्डार | ५१११. रत्नत्रयविधान | पत्र सं० १२ । मा० १०३९४३ इंच भाषा-संस्कृत विषय-पूजा एवं विधि विधान र काल X | ले काल सं० १८८२ फानुम सुदी ३ । ० सं० १६६ । ज भण्डार । Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५३१ ५११२. रात्रयविधानपूजा-टेकचन्छ । पत्र सं० ३९ । मा० १३४७३ ईध । भाषा-हिन्दी । विषयपूमा । र काल | ले. काल सं० १९७७ । पूर्ण । वे० सं०६६ ग भण्डार ! ५११३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३३ । ले. काल X । वे० सं० १६७ । म भण्डार । ५११४. रस्त्रयप्रतोद्यापन"। पत्र सं० ६ । प्रा. ७X५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र. काल x | ले. काल X । अपूर्ण । वे. सं० ६५० 1 भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ६५३ ) और है। ५११५. रश्नावलीप्रतविधान-प्र कृष्णदास । पत्र सं० ७ । प्रा० १०x४३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-विधि विधान एवं पूजा । र०कालx० काल सं० १६५५ ष पुदी २१ पूर्ण । ० सं० ३८३ । म भण्डार। विशेष-प्रारम्भ-श्री वृषभदेवसस्यः श्रीसरस्वत्यै नमः। सुपई जय जय नाभि नरेन्द्रसुप्त सुरगण सेवित्त पाद । तस्व सिंधु सामर ललित योजन एक निनाद ।। सारद गुरु भरणे नमो नमु निरान हंस । रत्नावसि तप विधि कई सिम वापि सुल वंश |२| जबूढीप भरत उबार, वद्बधी धरणीधर सार । तेह मध्य एक मार्य सुखंड, पञ्चम्लेशभाति प्रखंड ।। चंद्रपुरो ममरी उद्दाम, स्वर्ग लोक सम दीसिधाम । उच्चस्तर जिनवर प्रासाद, मल्लर ढोल पदहशतवाद मनुक्रमि सुतमि देईराज, दिक्षा लेई करि मातम काज | मुक्ति काम नुप हुजं प्रमाण , ए ब्रह्म पूरमलह वाण ॥१८॥ रत्मावलि विषि मायर, भावि भरनारि। तिम मन पंछित फल लह, प्रमभव विस्तारि॥१६ मनह मनोरथ संपजि होई, नारी वेद विछ । पाप पख सपि कुमाझि, रत्नावलि बहु भेद । चे सिसुरणसि सुविधि, त्रिभुवन होइ तस दास | हर्ष सुत मकुल कमल रवि, कहि ब्रह्म कृष्ण उल्लास ।। मन्तिम दूहा इति श्री रत्नावली प्रत विधान निरूपण श्री पास भीतर सम्बन्ध समास ॥ Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३२ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य सं० १६८५ वर्ष चैत्र सुदी २ सोमे व कृष्णदास पूरनमल्लजी तशिष्य व बर्द्ध मान लिखितं ।। ५११६. रविव्रतोद्यापनपूजा-देवेन्द्रकीत्ति । पव सं०६ । मा० १२४५३ इंच । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र० काल ४१ ले. काल ४ ! ये० सं० ५०१ | अ भण्डार । ५११७. प्रति सं० २। पत्र सं० ६ । ले० काल सं० १८०८ । वे• सं० १०१ । भम्हार । __५११८ रेवानवीपूजा--विश्वभूषण । पर सं० ६ । मा० १२३४६ इच। भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० काल सं० १७३६ । ले० काल सं० १९४० । पूर्ण | वै० सं० २०३।ख भण्डार । विशेष अन्तिम- सरत्समेषेटत्रितत्वचन्द्र फागुन्यमासे किल कृष्णपक्षे । नवरंगग्रामे परिपूर्णतास्युः भव्या जनानां प्रवजात सिद्धिः ।। इति श्री रेवानदी पूजा समाप्ता। इसका दूसरा नाम पाहूड कोटि पूजा भी है। ५११६ रैयत-गंगाराम । पत्र सं० ४ । प्रा० १३x च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल ४ । ले. काल x० सं० ४३६ | न भण्डाः । ५१२०. रोहिणीव्रतमंडलविधान-केशनसेन । पत्र सं० १४ । मा० ३४४३ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा विधान । र० काल X । ले. काल सं. १८७८ । पूर्ण । ३. सं. ७३८ । भण्डार । विशेष--जयमाला हिन्दी में है। इसी भण्डार में २ प्रतियां ० सं० ७३६, १०६४ ) और है। ५१२१. प्रति सं०२ । पष सं० ११ । ले. काल सं० १९६२ पौष बुदी १३ । ३० सं० १३४ । ज भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में २ प्रतियां ( वे० सं० २०२, २६२ ) प्रौर हैं। ५१२२. प्रति सं०३ । पत्र सं० २० । ले. काल सं० १९७६ । वे० सं० ६१ 1 ब भण्डार । ५१२३. रोहिणीव्रतोद्यापन...... पत्र सं० ५ । मा० ११४६ इम । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x ले. काल x। मपूर्ण । ० सं० ५५८ म भवार। वियोष-इसो भण्डार में एक प्रति (वै० सं०७४. ) और है। ५१२४. प्रति सं० २ । पत्र सं० १० । ले० काल सं० १९२२ । वे० सं० २९२ । स्व भण्डार । ५१२५. प्रति सं०३1 पत्र सं0 81 ले. काल ४ ० मं० ६६६ । छ भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( वै० सं० ६६५ ) मोर है । ५१२६. प्रति सं०४। पत्र सं०७ । ले. काल X ! वे० सं० ३२४ । ज भण्डार । Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५३३ ५१२७. लघुअभिषेकविधान"... 1 पत्र सं० ३ । मा० १२:४५१ इंच | भाषा संस्कृत । विपयभगवान के अभिषेक को पूजा व विधान | र० काल x : ले. काल सं० १९६६ वैशाख सुदी १४ । पूर्ण । ३० सं० १७७ । ज भण्डार। ५१२८. लघुकल्याण.......... | पत्र सं० | प्रा० १२४६ इन । भाषा-संस्कृत : विषय-अभिषेक विधान | २० काल ४ ! ले. काल X । पूर्ण | ३० सं० ६३७ । क भण्डार । ५१२६. प्रति सं०३। पत्र सं०४ | लेक काल x ० सं० १५२६ । र भण्डार । ५१३०. लघुअनन्तनतपूजा..........। पत्र सं० ३ । १० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र• काल X ! ल. काल सं. १८३६ प्रासोज बुवी १२ । पूर्ण । वे० सं० १८५७ । ट भण्डार | ५१३१. लघ जाविधान......"| पत्र सं० १५ प्रा० १०२४५२च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० कात X । ले. काल सं० १६०६ माघ बूदी ८ । पूर्ण । वे० सं०७३ । भण्कार । ५१३२. प्रति सं०२। पत्र सं० ७ । ले. काल सं० १८६० । अपूर्ण । २० सं० ८८३ | अ भपहार | ५१३३. प्रति सं०३। पत्र सं० ८ । ले. काल सं० १९७१ । बे० सं० ६९० 1 स भण्डार । विशेष—रातूलाल भौंसर ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। ५१३४. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १० । ले० काल सं० १८८६ । वे० सं० ११६ । छ भण्डार । ५१३५. प्रति सं०५१ पत्र स०१४ । ले. काल XI के० मे १४२ ॥ ज भण्डार । ५१३६. लघुश्रेयविधि-अभयनन्दि । पत्र सं०९ । मा० १.३४७ इष । भाषा संस्कृत । विषयविधि विधान । र काल ले. काल सं० १९०६ फागरण मुदी २१ पूर्ण । वै० सं० १५८ । ज भण्डार । विशेष-इसका दूसरा नाम श्रेयोविधान भी है। ५१३४. लघुस्नपनटीका-६० भावशर्मा । पत्र सं० २२ । प्रा० १२४१५३ च । भाषा-संस्कृत। विषय-अभिषेक विधि । २० काल सं० १५६० : ले. काल सं० १८१५ कात्तिक बुदी ५ । पूर्ण । वे० सं० २३२ । अ भण्डार! ४१३८. लघुस्नपन....। पत्र सं०५ । मा० Ex४ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-अभिषेक विधि । र काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ७३ । ग भण्डार । ५१३६. लब्धिविधानपूजा-कीत्ति । पत्र सं० २। मा० ११३४५६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल XI लेकाल X । पूर्ण । ० सं० २२०९ । म भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति (३० सं० १९४६) और है । Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ ] ५२४० प्रति सं० २ ० ३ ५१४१ प्रति सं० ३ पत्र [सं० ३ ५१४२] लब्धिविधानपूजा... २० X ले० काल X अपूर्ण वे० सं० ४७१ | भण्डार | ३१७ | ज भण्डार । भण्डार । ० काल X ३० सं० ६६४ भार ० काल वे० [सं० ७७ म भण्डार पत्र [सं० विशेष-- इसी भण्डार में २ प्रतियां (वै० सं० ४९४, २०२० ] और है । १९० काल x 1 ० सं० १६० । भण्डार | १० । ले० काल x | वे० सं०.८७ ५१४३. प्रति सं० २ । पत्र सं ५१४४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० भार पत्र सं० से० काल ०११२० । ० ० ६९३ भण्डार | ५१४५. प्रति सं० २१४६. प्रति ०५ ० १ ० काल X ० सं० २० प्र ० सं० ३१६, ३२० ) और हैं। विशेष-सी भण्डार में २ प्रतियां ( ५१४७, प्रति सं० ६ । पत्र सं० ७ । ले० काल x | ० सं० ११७ | छ महार ५१४५ प्रति सं० [सं० २ ० का १० [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य भा० ११४५ ६ भाषा-संस्कृत विषय-पूजा विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ० सं० १६७ ) और है। ( ५९४६ प्रति सं० ८ ५१५० प्रति सं० ० १२०० भावा सुवी १ अपूर्ण ३० सं० पण सं० १४ । ले० काल सं० १९९२ वे० सं० २१४ | भार [सं०] ७० काल सं० २००७ मा विशेष-मंगल का चित्र भी दिया हुआ है। ५१५१. लब्धिविधानप्रतोद्यापनपूजा I विनय-जा । र० काल X 1 ले० काल सं० भावना सुदी ३ पूर्णा । वे० से० ७४ | ग भण्डार | विशेष-माला कासलीवाल ने प्रतिलिपि करके बौधरियों के मन्दिर में चढाई । ४१५२. प्रति सं० २ प ० १० ले काल X ० सं १७९ भण्डार । ५२५३ जब्धिविधानपूजा - ज्ञानपत्र } २१ ० ११० 'चन्द पूजा २० काल सं० १९५३ | ले० काल सं० १९६२ पू ० सं० ७४४ र० काल X | ले० काल । पूर्ण वे० सं०६७० । च भण्डार । १००५२ म पत्र सं० ६ ० ११४५] [६] भाषा-संस्कृत । भार विशेष- इसी भण्डार में २ प्रतियां (वे सं० ७४३, ७४४ / १) और है । ५१४४ विविधानपूजा पत्र [सं० १५० १२५ भाषा हिन्दी म Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ४१५ लब्धिविधानउद्यापनपूज पत्र [सं० विषय-पूजा १० काल ४ । ले० काल सं० १९१७ | पूर्ण ० सं० ६६२ भण्डार । पूजा एवं विधान । ८० काल X | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ५२४ | अ भण्डार भण्डार । विशेष – इसी भण्डार में एक पूर्ण प्रति ६ ० सं० ६९१ } और है। ५१५६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २४ । ले० काल सं० १६२६ १ ० सं० २२७ । ज भण्डार ५१५७. वासुपूजा.. पत्र [सं० ५ मा० ११३४५ इंच | भाषा संस्कृत भण्डार [ ५३५ प्रा० ११÷५३ इंच भाषा-संस्कृत | भण्डार | 1 १४. प्रति सं० २ पत्र [सं० ११ | ले० काल सं० १६३१ बैशाख सुदी १ वे० सं० ११६ | विशेष-उछालाल पांड्या ने प्रतिलिपि को थी । ५१५६. प्रत सं० ३ | पत्र सं० १० से० काल सं० १६१६ बैशाख सुदी | वे० सं० २० । ज ५१६० विद्यमानची सतीर्थकर पूजा- नरेन्द्रकीति । पत्र सं० २१ मा० संस्कृत विषय-पूजा | १० काल x ० काल सं० १५१० पूर्ण वे० सं० ६७२ ५१६१. विमानत्री सतीर्थकर पूजा-जौहरीलाल बिलाला । पत्र सं० भाषा - हिन्दी विषय पूजा २० काल सं० १९४९ सावन सुदी १४ ले काल x भण्डार । विषय गृह प्रवेश १०४४३ । भाषा मण्डा । ४२ | मा० १२७ इंच | पूर्ण । ० सं० ७३६ । अ ५१६२. प्रति सं० २ पत्र सं० ६३ । ० काल x 1 ० सं० ६७५ भण्डार | ५१६३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४६ । ते० काल सं० १९५३ द्वि० ज्येष्ठ मुदो २ । ३० सं० ६७८ ज विशेष- इसो भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ६७६ ) और है। ५१६४. प्रति सं० ४ | पत्र सं० ४३ ले० काल X वे० सं० २०६ । मण्डार । विशेष- इसी मण्डार में इसी वेष्टन में एक प्रति मौर है। ५१६४. विमानशुद्धि विधान एवं पूजा र० काल X | ले० काल x विशेष- कुछ पृष्ठ पानी में भीग गये हैं। ५१६६, प्रति सं० २ | पत्र सं० ११ | ले काल x 1 वे० सं० १२२ । भण्डार 1 विशेष— गोभी के मन्दिर में लक्ष्मीचन्द ने प्रतिलिपि को थी । पूर्ण कीर्पित पत्र ०६ । प्रा० ११३४५ इंच भाषा-संस्कृत विषय ० सं० ७७ । भण्डार । Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३६ ] [ पूजा प्रतिया एवं विधान साहित्य ५१६७ विमानशुद्धिपूजा......."। पत्र मं७ १२ । प्रा० १२:४.७ इंच। भाषा-सस्कृत 1 विषयपूजा | र० काल ।ले. काल सं० १९२० । पूर्ण | ने० सं० ७४६ 1 अ भण्डार । वियोष-- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १०६२ ) और है । ५१६८ प्रति सं० २। पत्र सं० १० । ले० काल XI ० सं० १६८ । ज भण्डार ] वियोष-शान्तिपाठ भी दिया है। १६६. विवाहपद्धति-सोमसेन । पत्र सं० २५ । मा० १२४७६च 1 भाषा-सस्कृत्त । विषय जैन विवाह विधि । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ६६२ । क भण्डार । ५१७०. विवाहविधि ....! पत्र सं० ८ । प्रा० ६४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-जैन विवाह विधि । र० काल X । ले० कान X| प्रपूर्ण । ० सं० ११३६ । श्र भण्डार । ५१७१, प्रति सं०२। पत्र सं० ४। ले. काल ४ । वे० सं० १७४ । ख भण्डार । ५१७२. प्रति सं० ३ । पत्र सं. ३ . ले. काल । वे० सं० १४४ । छ भण्डार । ५१७३. प्रति सं०४ । पत्र सं०६ ले. काल सं० १७१८ ज्येष्ठ बुदी १२ । वे० ५० १२२ । छ भण्डार । ५१७४. प्रति सं०५१ पत्र सं० ८ । ले० काल X । ० सं० ३४६ । म भण्डार। विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( दे० सं० २४६ ) और है। ५५७४. विष्णुकुमार मुनिपूजा-बाबूलाल । पत्र सं० ८ । प्रा. ११४७ इच। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल x 12. काल X । पूर्ण । वे० सं०७४५ । श्र भण्डार । ५१७६. विहार प्रकरण · ."| पत्र सं०७ / आ. ६४३३ च । भाषा-संस्कृत | विषय विधान । र काल x. काल x 1 पूर्ण । वे० सं० १७७३ । श्र भण्डार । ५१७७. व्रतनिर्णय-मोहन । पत्र सं० ३४ | मा० १३४६, इच। भाषा- संस्कृत । विषय-विधि विधान । र० काल सं० १६३२ । ले. काल स. १६४३ 1 पूर्ण ! वे० सं० १८३ । व भण्डार । विशेष-ग्रजयदुर्ग में रह वाले विद्वान् ने इस ग्रन्थ की रचना की थी। अजमेर में प्रतिलिपि हई। ५१७८. व्रतनाम 1 पत्र सं० १० | मा० १३४६ च । भाषा-हिन्दी । विषय-प्रतों के नाम र० काल XI ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १९३७ । ८ भण्डार । विशेष—इसके अतिरिक्त २ पत्रों पर ध्वजा, माला तथा छत्र प्रादि के चित्र है । कुल ६ चित्र हैं। ५१७६ व्रतपूजासंग्रह".....। पत्र सं० ३६८ । श्रा० १२३४५३ इच । भाषा-स्कृत। पूजा । २० काल Xले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १२८ । छ भण्डार | Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] विशेष-निम्न पूजानों का संग्रह है। नाम पूजा कर्ता भाषा विशेष बारहसौ चौतीसव्रतपूजा श्रीभूषण संस्कृत ले० काल सं. १८०० विशेष-देवगिरि में पार्श्वनाथ चैत्यालय में लिखी गई। पौष बुदी ४ जिनदास , " हिन्दी ले० काल १८०० पौष बुदी । . , , पौष बुदी ६ जम्बूद्वीपपूजा रत्नत्रयपूजा कोसतीर्थङ्करपूजा श्रुतपूजा गुरुपूजा सिद्धपूजा षोडशकारण ज्ञानभूषण जिनदास पअनन्दि दशलक्षणपूजाजयमाल अपनत्र लघुस्वयंभूस्तोत्र संस्कृत से० काल सं.१८०. रत्नशेखर गुमानन्दि उमास्वाति शुभचन्द संस्कृत नन्दीश्वर उद्यापन समवशरणपूजा ऋषिमंडलपूजाविधान तत्वार्थसूत्र तीसचौबीसीपूजा धर्मचक्रपूजा जिनगुणसंपत्तिपूजा रत्नत्रयपूजा जयमाल नवकार पैतीसीपूजा कर्मदहनपूना रविवारपूजा पञ्चकल्याणकपूजा केशवसेन र०काल १६६२ अषभदास अपभ्रंश संस्कृत शुभचन्द सुधासागर Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३८ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५१८०. प्रत विधान. । ४ ! te६१६:४४ गावाः हेही विषय-विधि विधान । र काल - | ले० काल पूर्ण । वे० सं०६७६ अ मगर । विशेष— इसी भण्डार में ३ प्रतियां (वै सं० ४२४, ६६२, २०३७ ) और हैं। ५१८१. प्रति सं०२। पत्र सं० ३० । ले० कास ४ । वे स०६८० । क भण्डार । ५१५२. प्रति सं०३ । पत्र सं० १६ । ले. काल ४ । ३. सं. ६७E IS भण्डार। ५१८३. प्रति सं०४ । पत्र सं० १० । ले० काल X । वै० सं० १७ । छ भण्डार । विशेष-चौबीस तीर्थङ्करों के पंचकल्याणक की तिथियां भी दी हुई हैं। ५६८४, प्रतविधानरासो-दौलतरामसंघी । पत्र सं० ३२ । प्रा० ११४४३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-विधान । र काल स. १७६७ मासोज सुदी १० । ले० काल सं० १८३२ प्र० भादवा बुदी ६ । पूर्ण । वे० से. १६६ छ भण्डार। ५१८५. व्रतविवरण".."! पत्र सं. ४ । प्रा० १०३४४ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-व्रत विधि । र० काल x | ल. काल X । अपूर्ण । वे० सं० ८८१ अ भण्डार । वियोष-इसी भण्डार में एक प्रप्ति ( ० सं० १२४६ ) मौर हैं। ५१८६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६ से १२ । ले. काल XI प्रपूर्ण वे० सं० १९२३ । र भण्डार। ५१८७ व्रतविवरण".. " | पत्र सं० ११ । प्रा० १०४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-व्रत विधि | र० काल X । से काल X । प्रपूर्ण । ० सं० १८३१ । र भण्डार । ५१८. प्रतसार-- आशिवकोटि । पत्र सं० ६ | प्रा. ११४४३ इव । भाषा-संस्कृत । विषयवत विधान । २० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण | वे० सं० १७६४ । द भण्डार। ५१८६ प्रतोद्यापनसंग्रह......) पत्र सं० ४५६ । प्रा० ११४४६ च । भाषा-संस्कृत | विषयप्रतपूजा । २० काल x 1 ले. काल सं० १८६७ । अपूर्ण । ० सं० ४५२ । भण्डार । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है-- नाम माषा पस्यमंडलाविधान शुभचन्द्र संस्कृत अक्षयवशमौविधाम मौनिवतोद्यापन मौनिवतोद्यापन Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] पंचमेरूजयमाला ऋषिमंडलपूजा पद्मावती स्तोत्रपूजा पश्रुपूजा मनन्तव्रतपूजा मुक्तावलिपूजा शास्त्रपूजा कार व्रतोद्यापम मेषमालावतोद्यापन चतुशितव्रतोद्यापन दशलक्षणपूजा पुष्पक लिखतपूजा [ वृहद ] पञ्चमीव्रतोद्यापन रत्न श्रोद्यापन [ वृहद J रत्नत्रयव्रतोद्यापन मनन्तव्रतोद्यापन द्वादशमासांत चतुर्दशीव्रतोद्यापन पञ्चमास चतुर्दशीव्रतोद्यापन कावतोद्यापन प्रक्षयनिधिपूजा सौख्यव्रतोद्यापन ज्ञानपञ्चविंशतिव्रतोद्यापन मोकारपैंतीस पूजा सनावलिव्रतोद्यापन जिनगुणसंपतिपूजा सप्तपरमस्थानव्रतोद्यापन भूषरवास पुरानन्दि --- ││ केशवसेन f कवि हर्ष कल्याण केशवसेन गुणचन्द्रसूरि │14 हिन्दी संस्कुल 32 RKE 23 " 33 " 17 剪 " 73 " 13 33 95 分 " " " " 79 03 " " [ ५३६ Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४० पनक्रिया व्रतोद्यापन श्रादित्यव्रतीथापन रोहिणोव्रतोद्याप कर्मचरतोद्यापन भक्तामर स्तोत्रपूजा जिनसहस्रनामस्त बन द्वादशव्रत मंडलोद्यापन लब्धिविधानपूजा ५१६०. प्रति सं० २ | पत्र सं० २३६ | ले० काल X ३० सं० १८४ । ख भण्डार । निम्न पूजा का संग्रह है नाम विधानोद्यापन रोहिणी व्रतोद्यापन भक्तामरव्रतोद्यापन दशलक्षण व्रतोद्यापन रत्नव्रतोद्यापन अनन्तव्रतोद्यापन पुष्पाञ्जलिसोखापन शुक्लपचमी व्रतपूजा पचमास चतुर्दशी पूजा प्रतिभासांतचतुर्दशीव्रतोद्यापन कर्मदहनपूजा आदित्यवारव्रतोद्यापन श्री भूषण प्राशाधर कर्त्ता केशवसेन मुमतिसागर चंद्रसूरि [ प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य संस्कृत भ० सुरेन्द्रकीर्ति 23 " " 33 72 37 17 भाषा संस्कृत हिन्दी संस्कृत " 29 " 33 13 " 59 19 35 ५१६१. बृहस्पतिविधान" - पत्र सं ० १ | ० ६४४ इंच । भाषा संस्कृत विषय-विधान । २० काल x | ले० काल X। पू । ० सं० १८८७ | अ भण्डार | 1 Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५४१ ___५१६२ हद्गुराक्लीशांतिमंडलपूजा (चौसठ ऋद्धिपूजा )-स्वरूपचंद । पत्र सं० ५६ | प्रा. ११४५ इच । भाषा-हिन्दो । विषय-पूजा । १० काल सं० १९१० | ले. काल ४ । पूर्ण । वे. सं० ६७० । क भण्डार । ५१६३. प्रति सं०२। पत्र सं० २२ । से• काल x। वे० सं०१४ | घ भण्डार | ५१६४. प्रति सं८३ । पत्र सं० ३६ । ले. काल x ० सं० ६८० च भव्हार | ५१६५ प्रति सं०४। पत्र सं० ८ । ले० काल | अपूर्ण | वे० सं० ६८६ । भणार | ५१६६. पणवतिक्षेनपूजा-विश्वसेन । पत्र सं० १७ । मा० १०६४५ इंच । भाषा-सस्कृत । विषय-- पूजा । र० काल XI ले. काल XI पूर्ण 1 . सं०७१ | भ भण्डार । विशेष---मन्तिम प्रवास्ति निम्न प्रकार है। श्रीमच्छीकाष्ठासंधै यतिपतितिलके रामसेनस्यचंयो । गच्छे नंदोतटास्ये यदितिह मुखे तु छकर्मामुनीन्द्र ।। त्यलोसोमिटमेनोविमलतरमत्तियेनयमनकार्षीत् । सोममग्रामवासे भविजनकलिते क्षेत्रपालाना शिवाय ।। चौनीस तीर्थङ्करों के चौबीस क्षेत्रपालों की पूजा है। ५१४७. प्रति सं०२ । पत्र सं० १७ । ले. काल । पूर्ण । ० सं० २६२ । ख भण्डार ! ५१६८. पोरशकारणजयमाल"..." | पत्र सं०१८ | मा० ११३४५६ इंच । भाषा-प्राक्त | विषयपूजा । र० काल ले. काल स० १८६४ भादवा बुदी १३ । थे. सं० ३२६ । अ भम्बार। विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द विये हुये हैं । इसी भण्डार में ५ प्रतियां (वै० सं० ६९७, २६६, ३०४, t०६३, २०४) और हैं। ५१६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १५ । ने० काल सं० १७६० मालोज मुवी १४ । ३० सं० ३०३ । श्र भण्डार। विशेष-संस्कृत में भी प्रर्थ दिया हुआ है। ५२००. प्रति सं० ३ । पत्र सं०१७ । ले० काल ४ | वे० सं० ७२० । क भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में प्रति (३० सं० ७२१) और है। ५२०१. प्रति सं०४ । पत्र सं० १८ | ले. काल X । ० सं० १९८ । समाहार । ५२०२. प्रति सं०५। पत्र सं० १६ ले. काल सं० १९०२ मंगसिर सुरी १.। . सं० ३६० । र महार। विशेष-इसी सणार में एक मपूर्ण प्रति (३० सं० ३५९ ) मौर है। Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भण्डार। ५४२ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५२०३. प्रति सं० ६ | पत्र सं० १२ ले. काल ४ ० सं० २०५ । म मण्डार । ५२४. प्रति संका पत्र सं० १६ । ले. काल सं० १८०२ मगसिर बुवी ११ । ० सं० २०८ । म ५२०५. षोडशकारणजयमाल-रधू । पत्र सं० २१ 1 भा० ११४५ च । भाषा-अपना । विषय-पूजा । र० काल XI ले० काल X 1 पूर्ण | वे० सं०७४ । भण्डार । वियोष-संस्कृत टीका महित है। इसी भण्डार में एक प्रति (३० सं० ०१६) और है । . ५२०६. पोडशकारणजयमाल.....! पत्र सं. १३ । मा० १३४५ च । भाषा-अपभ्रंश । विषयपूजा। र० काल - I ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १९६ | ख भण्डार । ५२०७. प्रति सं० २। पत्र सं० १५ । ले. काल x | वे से० १२६ । १ भम्भार । विशेष-संस्कृत में टिप्पण दिया हुआ है । इसो भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १२५ ) पौर है। ५२०८, षोडशकारणउद्यापन ....... पत्र सं० १५ : मा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृप्त । विषयपूजा । २० कास ४ । ले. काल सं० १७६३ भाषाढ बुधी १३ । पूर्ण । वे० सं० २४१ । म भण्डार । विशेष-गोषों के मन्दिर में पं. सदाराम के पावनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ५२०६, षोडशकारणजयमाल......। पत्र म०१. मा० ११२४५३ च । भाषा-प्राकृत, संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल ४ लेकाल x | अपूर्ण । वे० सं० १४२ | अ भण्डार । ५२१०. प्रति स पत्र सं.१ले. काल x०सं०७१७क भण्डार । ५२११. पं.उशकारणजयमाल.......... | पत्र स. ५२। प्रा० १२४ च । भाषा-हिन्वी गद्य । विषय- पूजा । २० काल | ले. काल सं. १९६५ प्राषाढ बुदो ५ । पूर्ण । ० सं० ६६६ | अ भण्डार । ५२१२. षोडशकारण तथा दशलक्षण जयमाल-इधु । पत्र सं. ३३ । पा.१०४७ च । भाषाअपभ्रश । विषय-पूजा । र० काल x | ले. काल ४ । पूर्ण । ३० सं० ११९ । बभण्डार । ५२१३. षोडशकारपजा-केशवसेन । पत्र सं०१३। मा० १२४५३ इच। भाषा संस्कृत । विषय- पूजा । २० काल सं० १५९४ मात्र बुवा ।ले. काल सं० १.२३ प्रासोज सुदी १ । पूर्ण । वे० सं० ५१२ । श्र भण्डार। विशेष—इसी भण्डार में एक प्रसि (३० म० ५.०८ ) और है । ५२१४. प्रति सं. ३ पत्र सं० २१ 10 काल X । वे० सं० ३०० । ख भण्डार । ५२१५. षोडशकारणपूजा..... ") पत्र सं० २ । मा० ११४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र काल X । ले. कालं ४ । पूर्ण । वे० सं० ६६६ | अ भण्डार । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( वै० सं० १२५ ) और है । Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य । [ ५४३ ५२१६. प्रति सं० २१ पत्र सं० १३ । ले. काल X । अपूर्ण । ३० सं० ७५१ । स भण्डार । ५२१७ प्रति सं०३ / पब सं० ३ से २२। ले. काल x।मपूर्ण । ० सं० ४२४ । च भण्डार । विशेष -भावार्य पूर्णचन्द्र में मौजम.बाद में प्रतिलिपि करे थी । प्रति प्राचीन है। ५२१६. प्रति सं.४ । पर सं० १४ । से. काल सं० १८६३ सावराए बुदी ११ । ० सं० ४२५ । व भण्डारी विशेष-इसो भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ४२६ ) और है। १२१६. प्रति सं५ । पत्र स. १३ । से• काल X । बे० सं० ७२ ! म भण्डार । ५२२०, पोडशकारणपूजा (वृहदू ).....पप स. २६ । प्रा० ११:४५६ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० कालxले. कालx। पूर्ण । वे० सं० ७१५ । भण्डार। ५२५१. प्रसि सं०२ । पत्र सं० २ से २२ । से: काल प्रपूर्ण । ३० सं० ४२६ । अ भण्डार । ५२२२. योडशकारण प्रतोयापनपूजा-राजकीति । पन सं० ३७ । पा० १२४५३ म । भाषासस्कृत । विषय-पूजा । १० काल X । ले. काल o tee मासोन सुपी १० । पूर्ण । वे० सं० ५०७ । म भण्डार। ५२२३. षोडशकारगणतोद्यापनपूजा-सुमतिसागर । पथ सं २१ । मा० १२४५३ च । भाषासंस्कृत । विषम-पूजा । २० काल ४ ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५१४ । अ भण्डाः । ५२२४, शत्रुञ्जसपिरिपूजा-महारफ विश्वभूषण । पर सं०६ : मा० ११३४५३ रंग । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० कान ४ । ले० काल | पूर्स । ३० सं० १०६७ । म भण्डार । ५२२५ शरदुत्सषदीपिका . मंडल विधान पूजा)-सिंहनन्दि । पथ सं०७ भा० ६x४ इन। भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । १० काल - काल ४ । पूर्ण । २० सं० १६४ । म भण्डार । विशेष-भारम्भ श्रीवीर शिरसा नवा वीरनंदिमहागुरु । सिंहनंदिरहं वक्ष्ये घरकुत्सवीषिका ॥१॥ प्रधान भारते क्षेत्र जंबूद्वीपमनोहरे । रस्पदेशस्ति विख्याता मिथिलानामतः पुरी ॥२॥ अन्तिमपा: एवं महप्रभावं च दृष्ट्या लग्नास्तथा जमाः । कत्तु प्रभावनागं च ततोऽत्रैव प्रवर्तते ॥२३॥ तदाप्रभूत्वांरम्येदं प्रसिद्ध जगतीतले । दृष्ट्वा दृष्ट्वा गृहीतं प वैष्णवादिकविक; ॥२४॥ Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४४ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य जातो नागपुरै मुनिवरतरः श्रीमूलसंघोवरः । सूर्यः श्रीवरपूज्यपाद ममलः श्रीवीरनंचाहयः ।। तच्छिष्यो वर सिवनदिमुनियस्तेनेपमाविष्कृता । नोकोदोधनहेतवे मुनिवरः कुवैतु भो सज्जनाः ॥२५॥ इति श्री शरदुत्सवका समाधाः ॥१॥ इसके पश्चात् पूजा दी हुई है । ५२९६. प्रति स०२१ पत्र सं० १४ । ले. काल सं० १९२२ । वे० सं० ३०१ । ख भण्डार । ५२२७. शांतिकविधान ( प्रतिष्ठापाठ का एक भाग )" ......1 पत्र सं० ३२ । मा० १२६४५३ इंच। भाषा-संस्कृत | विषय-विधि विधाम । र० काल X । से० काल सं० १६३२ फागुन सुदी १. । वे० सं० ५३७ । अ भण्डार । विशेष-प्रतिष्ठा में काम पाने वाली सामग्री का वर्णन दिया है। प्रतिष्ठा के लिये गुटका महत्व पूर्ण है। मालाचार्य श्रीचन्द्रकीत्ति के उपदेश से इस ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गई थी। १४ १५ मे यत्र दिये हुये हैं जिनको संख्या ६८ है 1 प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- ॐ नमो वीतरागायनमः । परिमेष्टिने नमः । श्री गुरुवेनमः ।। सं० १६३२ वर्ष फागुण सुदी १० गुरौ श्री मूलसंघे भ० श्रीपपनंदिदेवास्तत्प? म. श्रीशुभचन्द्रदेवा तपट्टे भ० श्रीजिनचन्द्रदेवा तपट्ट भ० श्रीप्रभाद्रदेवा तत्प? मंडलाचार्यश्रीधर्मचन्द्रदेवा तत् मंडलाचार्य ललितकीर्तिदेवा तयिष्यमसलाचार्य श्रीचन्द्रकीति उपदेशात् । इसी भवार में २ प्रतियाँ (३० सं० ५६२, ५५४ ) और है। ५२२८. शांतिकविधान (वृहदु )..... ! पत्र सं० ७४ । पा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान । २० काल X | ले० काल सं० १९२६ भाषवा बुदी 5 । पूर्ण | वै० सं० १७७ । स भषार। विशेष-पं० पन्नालालजी ने शिप्य जयचन्द्र के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ५२२१ प्रति सं०२ 1 पत्र सं० १६ । ले. काल - । अपूर्ण । ० सं० ३३८ । च भण्डार । ५२३०. शांतिकविधि-अहदेव । पत्र सं० ५१ । प्रा० ११३४५१ च । भाषा-संस्कृत । विषयसंस्कृत । विषय विधि विधान । र० काल X ।ले. काल सं० १८६८ माघ बुरी ५ 1 पूर्ण | वै० सं० ६८६ । क महार। ५२३१. शान्तिविधि........"। पत्र सं. ५। प्रा. १.४४ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान । र काल X । ले. काल X| अपूर्ण । मे० सं० ६५५ । क भण्डार । Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ५२३२. शान्तिपाठ ( वृहद् )..........! पत्र सं० ४० | प्रा. १०४५ । भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विवान । र काल xले. काल सं. ११३७ ज्येष्ठ सुदी ५ | पूर्ण । बै० सं० १६५ । ज भण्डार । 'विशेष-पं० फतेहलाल ने प्रतिलिपि की थी। ५२३३. शान्तिचापूजा......"। पत्र मं० ४। मा० १०३४५६ इंच | भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । र० काल X । ले. काल सं० १७१७ चैत्र मुदी ५ । पूर्ण । वे० सं० १३६ । अ भण्डार | विशेष—इसी मण्डार में एक प्रति (३० सं० १७६) और है। ५.३४. प्रति सं० २ । पत्र सं०३ । . काल ४ | ० सं० १२२ । छ भण्डार । विषेष-इसो भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १२२ ) और है। ५२३५. शान्तिनाथपूजा-राम ५२३५. शान्तिनाथपूजा-रामचन्द्र । पथ सं० २। या० ११४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा | र• काल ४ ले. काल XI पूर्ण | बे० सं० ७.५ । भण्डार । ५२३६. प्रति सं०२ । पत्र सं०४ । ले० काल x 1० म० ६८२ । 'व भण्डार । ५२३.. स्त मंडलएका.... पर है. 3 : प्रा. ११४५३ च । भाषा-हिन्दी 1 विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । ० सं० ७०६ । इ भण्डार ! ५२३८. शांतिपाठ..."। पत्र सं० १ । प्रा० १.३४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा के अन्त में पढ़ा जाने वाला पाठ | २० काल X । लेक काल X । पूर्ण । वे० सं० १२२७ । म भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( वै० सं० १२३८, १३१८, १३२४ ) और हैं। ५२३५. शांतिरन्नसूची । पत्र सं० ३ । प्रा० ५३४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र० काल XI ले० काम X । पूर्ण । वे० सं० १९६४ । र भण्डार । विशेष-प्रतिष्ठा पाठ से उद्धत है ! ५२४०. शान्तिहोमविधान-आशाधर । पत्र सं० ५। प्रा० ११:४१ च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान | र० काल X ले. काल ४ । पूर्ण । वै० म० ७४७ । न भण्डार । विशेष-प्रतिष्ठापाठ में से संग्रहीत है। ५२४१. शास्त्रगुरुजयमाल | पत्र सं. २ | प्रा० ११४५ इंच | भाषा-प्राकृत | विषय-पूजा । र० काल x | ले. कास पूर्ण । जीर्ण । वे० सं० ३४२ । प भण्डार । . . ५२४२, शास्त्रजयमाल--शानभूपण । पत्र सं० ३ । पा० १३३४४ इंच । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा। र० काल ले. काल XI पूर्ण । बे० सं० ६८८ । क भण्डार । Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१६ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५२४३ शास्त्रप्रवधान प्रारम्भ करने की विधि." 1 पत्र सं० १ । पा. १०२४४३ इंच । भाषासंस्कृत ! विषय-विधान । २० काल Xले. काल X । पूर्ण । वे० सं० १८८४ । अ भण्डार । ५२४४. शासनदेवतार्चनविधान--..| पत्र सं० २१ से २५ । प्रा० ११४५३ च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा विधि विधान ! र० काल ४ । ल काल X । पूर्ण 1 वे सं०७०७ । भण्डार । ५२५५. शिखरबिलासपूजा"........) पत्र सं०७३ 1 प्रा. ११४५३ च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । २० काल ले. काल ४ । पूर्ण । ० सं० ६८६ । क भण्डार । ५२४६, शीतलनाथपूजा-धर्मभूषण । पत्र सं०६ । प्रा० १०३४५ इंच । भाषा-संस्कृत | विषमपूजा । र० काल Xलेकाल सं० १९२१ : पूर्ण । ० सं० २६३ । ख भण्डार । ५२४७. प्रति सं० २ । पत्र सं० १० । ले० कान सं० १९३१ प्र० प्राषाढ बुदी १४ । ० सं० १२५! . छ भण्डार। ५२४८. शुक्लपञ्चमीव्रतपूजा...। पत्र सं० ७ । मा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । नाल सं. १६...... काल । पूर्ण । ० सं० ३.४४ । च भण्डार । विशेष-रचना सं० निम्न प्रकार है- प्रब्द रंध्र पमलं बसु चन्द्र । ५२४६. शुक्लपञ्चमीप्रतोद्यापनपूजा........। पत्र सं० ५ । मा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल । ० काल X । पूर्ण | वे सं० ५१७ । अ भण्डार । ५२५०. अतज्ञानपूजा"........"। पत्र सं० ५ । प्रा० ११४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले० काल सं० १८६१ प्राषाढ सुदी १२ । पूर्ण । वै० सं० ७२३ । अ भण्डार। ५२५१. प्रति सं० २ । पत्र सं०६ । ले. काल x। सं० ६१७ । च भण्डार । ५२५२. प्रति सं०३ । पत्र सं० १३ । ले० काल ४। वे० सं० ११७ । छ भण्डार ५२५३. श्रुतझानप्रतपूजा.."। पत्र सं० १० | मा० ११x६२ इंच : भाषा-संस्कृत । विषय- . पूजा । २० काल ४ | ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० १६६ । ज भण्डार । ५२५४. श्रुतमानप्रतोद्यापनपूजा...... ... | पत्र सं० ११ । प्रा० ११४५६ च । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । र० काल x ले० काल X । पूर्ण । के० सं० ७२४ । न भण्डार । ५.५५. श्रुतज्ञानप्रतोद्यापन"....."। पत्र सं० ८ ! प्रा० १०३४५ इछ । भाषा-संस्कृत । विषयपुजा । र. काल X । लेस काल सं० १९२२ । पूर्ण । ये० सं० ३०० । ख भण्डार । __५२४६. श्रुतपूजा........... | पत्र सं० ४ । मा० १.२४६ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र काल x | ले. काल सं• ज्येष्ठ सुदी ३ । पूर्ण | २० सं० १०७० । अ भण्डार | Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] ५२५७. श्रुतस्कंधपूजा - श्रुतसागर । पत्र सं० २ से १३ । ० १९१४५६' विषय-पूजा र० काल X | ले काल X। प्रपूर्ण वं० [सं० ७०५ । भण्डार ५२५५ प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । ले० कान X | ३० सं० ३४६ । च मण्डार | विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ३५० ) और है | ५२५६. प्रति सं० ३ । पत्र [सं० ७ । ले० काल X | वे० सं० १०४ ज भण्डार । ५२६०. श्रुतस्कंध पूजा (ज्ञानपविशतिपूजा ) – सुरेन्द्रकीर्त्ति | पत्र सं० ५ प्रा० १२४५ ६ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल सं० १८४७ | ले० काल X 1 पूर्ण वे० सं० ५२२ । भण्डार विशेष- इस रचना को श्री सुरेन्द्रकी तिजी ने ५३ वर्ष की अवस्था में किया था । ५२६१. श्रुतम्कंध पूजा........पत्र सं० ५ । प्रा० ८३७ इंच । भाषा संस्कृत विषय पूजा | २० काल X | ले० काल X | पूर्णा । वे० सं० ७०२ अ भण्डार ५२६२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । ले० काल ४ । ३० सं० २९२ । ख भण्डार | ५२६३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७ । ले० काल X | वे० सं० १६० ज भण्डार । ५२६४. प्रति सं० ४ । पत्र [सं० ६ । ले० काल X | वे० सं० ४६० प भण्डार | ५२६५. श्रुतस्कंध पूजाकथा - पूजा तथा कथा । १० काल X | ले० काल वीर सं० [ ५४० भाषा-संस्कृ | पत्र सं० २८ / ०१२३४७ इंच भाषा - हिन्दी विषय२४३४ । पूर्ण | वे० सं० ७२० | भण्डार | विशेष – बावली ( प्रागरा ) निवासी श्री लालाराम ने लिखा फिर बीर सं० २४५७ को पन्नालालजो गोधा ने तुकोगन इन्दौर में लिखवाया। जौहरीलाल फिरोजपुर जि० गुड़गावो | बनारसीदास कृत सरस्वती स्तोत्र भी है। ५२६६. सकलीकरण विधि | पत्र सं० ३ विधि विधान । २० काल ४ । ले० काल X | पूर्ण । ० सं० ७५ । ANAN ० ११४५३ इंच भाषा-संस्कृत विषय भण्डार विशेष – इसी भण्डार में ३ प्रतियां ( ० सं० ८०, ५७१, ६६१) और है । ५२६७. प्रति सं० २ | पत्र सं० २ | ले० काल X | वे० स० ७२३ क भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ७२४ ) और है । ५२६८ प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४ | से० काल X | वे० सं० २६८ म भण्डार | विशेष - प्राचार्य हर्षकोसि के वाचकों के लिए प्रतिलिपि हुईं थी । Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ५४८ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५२६६. सकतीकरण"...! पत्र सं. २१ । प्रा ११४५ च । माषा-संस्कृत ! विषय-विधि विधान । र० काल । ले. काल XI पूर्ण । दे० सं० ५७१ | अ भण्डार । ५२७०, प्रति सं०२ | पत्र सं. ३ । ले० काल ४ ० सं०१७ 1 भण्डार । ५२७१. प्रति सं०३ । पत्र में० ३) ले० काम X वे० स. १२२ । छ भण्डार । विशेष-इसो भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ११९ ) और है। ५२७२. प्रति सं०४। पत्र सं० ७ । ले. काल x | वै० सं० १९४ | ज मण्डार । ५२७३. प्रति सं०५। पत्र सं० ३ । ले० काल ४।० सं० ४२४ । य मण्डार | विशेष-होसिया पर संस्कृत टिप्परग दिया हुमा है। इसो भण्डार में एक प्रति । वे सं० ४.३) और है। ५२७४. संथाराविधि".....। पत्र सं० १ । मा० १०४४ इंच । भाषा-प्रावत, संग्कृत । विषयविधान । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० १२१६ । अ भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० म ० १२५१ ) और है। २२७५. सपो ...। . . २ से १६ 1 मा० ७६४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र० काल ।ले. काल । अपूर्ण | वै० सं० १६६६ । अ भण्डार । ५२७६. सप्तपरमस्थानपूजा...."| पत्र सं० ३ । प्रा० १०३४५ च । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । २० काल ४। ले० कान ४ । पूर्ण । ० सं० १६६ । म भण्डार । ५२७७ प्रति सं० २१ पत्र सं० १२ । ले० काल X । ० म० ७६२ । ॐ भण्डार 1 . ५२७८. सप्तर्षिपूजा--जिणदास । पथ सं० ७ । प्रा० ८४४ च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा। 1. काल X 1 ले० काल ४ । पूर्ण । वे० सं० २२२ । छ भण्डार । ५२७६, सप्तर्षिपूजा-लक्ष्मीसेन । पत्र सं० ६ । प्रा० ११४५ च । भाषा- संस्कृत । विषय-पूगा। २० काल X| ले० काल X । पूर्ण । वै० सं० १२७ । छ भन्दार | ५२८०. प्रति सं० २! पत्र सं० ८ | ले. कान में० १८२० कात्तिक गुदी २ । ३० सं० १०१।ब महार। ५२८१. प्रति सं०३ | पत्र सं० ७ । ले० काल ४ ० सं० २१९० । द भण्डार । विशेष-भट्ठारक सुरेन्द्रकीर्ति द्वारा रचित चांदनपुर के महावीर की संस्कृत पूजा भी है। ५२८२. सप्तपिपूजा-विश्वभूषण ! पत्र सं० १६ । भा. १०३४५ च । भाषा-संस्कृत । मिषय-- पू+1। २० काल X । ले. काल में १९१७ । पूर्ण । वे० सं० ३०१ । स भण्डार । Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भण्डार। पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५४६ ५२८३. प्रति सं० २। पत्र सं०६ । ले. काल में० १६३० ज्येष्ठ मुदी ८ । वे० सं० १२७ । छ __ भण्डार। ५२८४, सप्तर्षिपूजा..| 'पत्र सं० १३ । प्रा० ११४५३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। २० काल X । ले. काल । पूर्ण । वे० सं० १०६१ । श्र भण्डार । १२५. समवशरणपूजा-ललितकीर्ति । पत्र सं० ४७ । प्रा. १७३४५ हच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १. काल x 1 ले. काल सं० १८७७ मंगसिर बुवी ५ । पूर्ण | ० सं० ४५१ | अ भण्डार । विशेष-स्मानजी ने जयपुर नगर में महात्मा शंभुराम से प्रतिलिपि करवायी थी। ५२८६. समवशरणपूजा (बृहद् )-रूपचन्द । पत्र सं०६४ | मा० ६५४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । र० काल सं० १५६२ । ले० काल सं० १५७६ पौष बुदी १३ । पूर्ण । ० सं० ४५५ । अ भण्डार । विशेष-रजनाकाल निम्न प्रवार है-- धतीतेगनन्दभद्रासकृत परिमिते कृष्णपक्षेच मासे ।। ५२८७. प्रति सं०२। पज्ञ सं० १२ । ले० काल सं० १६३७ चैत्र दुदी १५ । वे० सं० २०९ । ख भण्डार। विशेष-५० पत्रालालजी जोबनेर वालों ने प्रतिलिपि की थी। ५२८८. प्रति सं०३ । पत्र सं० १५१ । ले० काल सं० १६४० । वे० सं० १३३ । छ भण्डार । ५२८१. समवशरणपूजा-सोमकीर्ति । पत्र सं० २८ । पा. १२४५३ इच। भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा ! र० काल X । ले. कास सं० १८०७ बैशाख सुदी १ । वे० सं० ३८४ । र भण्डार ! विशेष अन्तिम श्लोक व्याजस्तुत्यार्चा गुग्गवीतरागः ज्ञानार्कसाम्राज्यविकासमानः । श्रीसोमकोतिविकासमानः रलेषरत्नाकर चार्क कीतिः॥ जयपुर में सदानन्द सौगाणी के पठनार्थ छाजूराम पाटनी की पुस्तक से प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति (वे० सं० ४०५ ) भौर है। ५२६८. समवशरणपूजा........! पत्र सं० ७ । मा० ११४७ ह । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । ० सं० ७७४ । भण्डार । ५२६ १. सम्मेदशिखरपूजा-गङ्गादास । पत्र सं० १० । प्रा० ११३४७ इंच । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । र. काल Xले० काल सं० १८८६ माघ सुदी १ । पूर्ण । व० सं० २०११ । अ भण्डार । विशेष-गंगादास धर्मचन्द्र भट्टारक के शिष्य थे | इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५०६ ) और है। ५२६२. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ १ ले काल सं० १९२१ मंगसिर बुदी ११ । वे० सं० २१० । ख भण्डार। Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महार। ४५० ] [ पूआ प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५२६३. प्रति सं० ३१ पत्र सं. ७ । ले• काल सं० १८६३ बैशाख सुदी ३ । ३० सं० ४३६ । ष भण्डार । ५२६४. सम्मेदशिखरपूजा-पं. जवाहरलाल । पत्र सं० १२ । प्रा० १२४८ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषम-पूजा । र० काल X| लेकाल ४ । पूर्ण । वे सं० ७४ | अ भण्डार | ५२६५. प्रति सं० २। पत्र सं० १६ | र काल सं० १८६१ । ले. काल सं० १९१२ । वे० सं० ११६ । घमण्डार| ५२६६. प्रति सं०३ । पत्र सं० १८ । ले० काल सं. १९५२ पासोज खुदी १० । ३० सं० २४५ । छ भण्डार। ५२६७. सम्मेदशिखरपूजा-रामचन्द्र । पत्र सं० ८ 1 प्रा० ११३४५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-- पूजा । र. काल ४ | ले० काल सं० १९५५ श्रावण सुदी ६ । पूर्ण । दे० सं० ३६३ । अ भण्डार । विशेष---इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ११२३ ) और है । ५२६८. प्रति सं०२१ पत्र सं० ७ । ले. काल सं. १९५८ माघ मुदी १४ । वे० सं० ७.१ । च ५२६६. प्रति सं०३ । पत्र सं० १३ । ले० काल ४ । वै० सं० ७६३ । छः भण्वार | विशेष--इसी भण्डार में एक प्रति { वै० सं० ७६४ ) और है। ५३००. प्रप्ति सं०४। पत्र सं०७ । ले. काल ४। वे० सं० २२२ । छ भण्डार । ५३०१. सम्मेदशिखरपूजा-भागचन्द । पत्र सं० १० । मा० १३.४४ इच | भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा | र० काल सं० १९२६ । ले. काल सं० १६३० । पूर्ण । वे० सं०७६७ । क भण्डार | विशेष-- पूजा के पश्चात् पद भी दिये हुये हैं। ५३८२. प्रति सं०२। पत्र सं० ८ ! ले काल । वे० सं० १४७ । छ भण्डार । विशेष-सिद्धक्षेत्रों की स्तुति भी है। ५३०३. सम्मेदशिखर पूजा-भ० सुरेन्द्रकीन्ति । पत्र सं० २१ । मा० ११४५. ३ च । भाषा हिन्दी । - विषय-पूजा। र० काल X । ले. काल स० १९१२ । पूर्ण । बे० सं० ५९१ | अ भण्डार । विशेष-१०वें पत्र से भागे पञ्चमेरु पूजा दी हुई है। ५३.४. सम्मेदशिखरपूजा....."। पत्र सं० ३ । प्रा० ११४४३, १ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। र० काल X । ले. काल X 1 पूर्ण । वे. सं० १२३१ 1 अ भण्डार । ५३०५. प्रति सं०२ । पत्र सं० २ । प्रा० १०४५ च । भाषा-हिन्दी | विषय --पूजा । र० काल XU सेः काल ४ । पूर्ण । ३० सं० ७६१ । ऊ भण्डार | विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ३० सं०७९२ ) और हैं। Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५३०६. प्रति सं० ३ । पत्र [सं० ८ । ले० काल X | वे० सं० २६१ | झ भण्डार ५३०७. सर्वतोभद्रपूजा पत्र सं० ५ | आ० Ex३५ इ' २० काल X। ले० काल X | पूर्ण वै० सं० १३६३ । भण्डार । ५३०८. सरस्वतीपूजा - पद्मनन्दि । पत्र सं० १ | ० काल X ३ ले काल X पूर्ण । ० सं० १३३४ । भण्डार | २० काल X | से० काल १६३० । पूर्ण । वे० सं० १३६७ | अ भण्डार । ५३०६. सरस्वतीपूजा - ज्ञानभूषण पत्र सं० ६ श्र० ८x४ इंच । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । ० १x६ इंच | भाषा-संस्कृत विषय-पूजा । विशेष- इसी भण्डार में ४ प्रतियां ( ० सं० २०९, १३१२, ११०८, १०१०) और है + ५३१०. सरस्वती पूजा ० काल X | ले० काल X पूर्ण वे० सं० २०३ | ङ भण्डार भाषा-संस्कृत-पूजा । | पत्र सं० ३ । आ० ११४५३ ह'न । भाषा-संस्कृत विषय-पूजा । [ ५५१ विशेष- इसी भण्डार में इसी वेष्टन में १ प्रति और है। ५२१२. सरस्वती पूजा --- नेमीचन्द बख्शी | पत्र [सं० ८ से हिन्दी | विषय-पूजा र० काल सं० १६२५ ज्येष्ठ सुदी ५ । ले० काल सं० भण्डार | विशेष – इसो भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ८०२ ) और है। ५३११. सरस्वतीपूजा - संधी पन्नालाल पत्र सं० १७ | प्रा० १२४८ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा २० काल सं० १६२१ | से० काल । पूर्ण । ० सं० २२१ । छ भण्डार । पूजा | १० काम x | ले० काल x पूर्ण । वे० सं० १००६ । अ भण्डार । र० काल X | ले० काल X पूर्ण वे० सं० ७०६ । च भण्डार | ५३१३. प्रति सं० २ । पत्र सं० १५ | ले० काल x ० ० ८०४ | कु भण्डार | ५३१४. सरस्वतीपूजा - पं० बुधजनजी | पत्र सं० ५ | या० १४४३ इंच भाषा - हिन्दी | विषय I १७ । प्रा० ११४५ इंच । भाषा -- । ० सं० ७७१ | क १९३७ । पू ५३१५. सरस्वतीपूजा ....... पत्र सं० २१ | श्र० १९९५ इंच भाषा हिन्दी विषय-पूजा 1 विशेष - महाराजा माधोसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी थी । ५३१६. सहस्रकूट जिनालयपूजा" विषय-पूजा | ० काल X ० काल सं० १९२६ । पू । ० सं० २१३ । ख भण्डार | विशेष – पं० पश्नालाल ने प्रतिलिपि को थी । " | पत्र सं० १११ । प्रा० ११३ ४४९ इंच | भाषा संस्कृत । Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५२ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५३१७. सहस्रगुणितपूजा- भ० धर्मकीति । पत्र सं० ६६ । आ० १२३x६ इंच भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | १० काल X | ले० काल सं. १७९९ भाषाक सुदो २ । पूर्ण । वे० सं० ५३६ । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५५२ ) और है । भण्डार ५३१८. प्रति सं० २ । एत्र ०८२ | ले० काल सं० १६२२ । वे० सं० २४६ । ख भण्डार । ४३१६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १२२ । ० काल सं० १६६० । ० सं ० है भण्डार । ५३२० प्रति सं० ४ । पत्र सं०६६ X ५३२१. प्रति सं० ५। पत्र सं० ६४ । ले० काल x | ० ० ६६ । म भण्डार । विशेष – आचार्य हर्षकी ति ने जिहानाबाद में प्रतिलिपि कराई थी । ५३२०. सहस्रगुणितपूजा । पत्र सं० १३ । श्रा० १०५ । भाषा - संस्कृत विषय-पूजा | र० काल X | ले० काल । अपूर्ण । ० सं० ११७१ भण्डार । ५३२३. प्रति सं० २ । पत्र ०८ | ले० काल । अपूर्ण वे० सं० ३४ भण्डार ५३२४. सहस्रनामपूजा -- धर्म भूषण पत्र सं० ६९ । प्रा० १०३४५३ इंच | भाषा-संस्कृत 1 विषय-पूजा र० काल X 1 ले० काल X | प्रपूर्ण वे० सं० ३८३ च भण्डार | ५३२५. प्रति सं० २१ पत्र [सं०] ३६ से ६६ । ले० काल सं० १८६४ ज्येष्ठ बुदी ५ अपूर्ण । वे० सं० ३८५ । च भण्डार | विशेष – इसी भण्डार में २ अपूर्ण प्रतियां ( वे० सं० २०४, ३०६ ) और है। ५३२६. सहस्रनामपूजा' विषय-पूजा र० काल x । ले० काल x । पूर्णा । वे० सं० ३५२ । च भण्डार । ० सं० ३८७ ) और है । विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( ..... पत्र सं० १३६ से १५८ | आ० १२५२ इंच | भाषा-संस्कृत । ५३२७. सहस्रनामपूजा - चैनसुख । पत्र सं० २२ । ० १२३८ इंच भाषा - हिन्दी । विषय पूजा | र० काल X | लेकाल x 1 पूर्ण | वे० सं० २२१ । छ भण्डार । | पत्र सं० १८ १ ० ११४८ इंच भाषा - हिन्दी विषय-पूजा । ५३२८. सहस्रनामपूजा ० काल X | ले० काल x 1 पूर्ण । वे० सं० ७०७ । च भण्डार | ५३२६. सारस्वतयन्त्रपूजा पूजा र० काल X 1 ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ५७७ अ भण्डार । | पत्र सं० ४ | ० १०३४४६ इंच । भाषा-संस्कृत विषय ५३३०. प्रति सं० २ | पत्र सं० १ । ले० काल X | वे० सं० १२२ । छ भण्डार | 1 Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] [ ५५३ ५३३१. मिद्धक्षेत्रपूजा-द्यानतराय । पत्र सं० २ । प्रा० ३४५६ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । रत काल X । ले. काल X । पूर्छ । बे० सं० १६१० । ट भण्डार । ३२. सिद्धनाद ... रूपचन्द । पत्र मं० ५.३ । पा० ११:४४ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा | र० काल सं० १९१९ कात्तिक बुदी १३ । ले० काल' सं० १९४१ फागुण सुदी ६ । पूर्ण । वे० सं० ८६ । ग भण्डार । विशेष-अन्त में मण्डल विधि भी दी हुई है। रामलालजी बज ने प्रतिलिपि की थी। इसे सुगनचन्द गंगवाल ने चौधरियों के मन्दिर में चढाया । ५३३३. सिद्धक्षेत्रपूजा......'पत्र सं० १३ । प्रा० १३४ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल ले. काल सं० १९ ४४ । पूर्ण । ३० सं० २०४। छ भण्डार । ५३३४, प्रति सं० २। पत्र सं० ३१ । ले० काल X 1 वे० सं० २९४ । ज मण्डार । ५३३५. सिद्धक्षेत्रमहात्म्यपूजा........| पत्र सं० १२६ । प्रा० ११३४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल सं० १९४० माघ सुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० २२० । ख भण्डार । विशेष-अतिशयौत्र पूजा भी है । ५३३६. सिद्धचक्रपूजा (वृहद्)--भ० भानुकोचि ! पत्र सं० १४३ । मा० १.३४५ इछ । भाषासंस्कृत । विषय पूजा। र० काल X । ले. काल सं० १९२२ । वे० सं० १७८ | स्व भण्डार | ५३३७, सिद्धचक्रपूजा 'वृहद्)- भ. शुभचन्द्र । पत्र सं० ४१ । मा० १२४८ इंच । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा | र० काल ४ ! ले. काल सं० १६७२ । पूर्ण । ३० सं० ७५० 1 ग भण्डार । विशेष- इसो भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ७५१ ) और है। ५३३८. प्रति सं० २। पत्र सं० ३५ ! सः काल X| ३० सं० ८४५ | कु भण्डार । ५३३६. प्रति सं०३। पत्र सं० ४४ । ले. काल X । वे० सं० १२६ । छ भण्डार । बिशेष-सं. १६६९ फागुण सुदी २ को पुष्पचन्द अजमेरा ने संशोधित की। ऐसा अन्तिम पत्र पर लिखा है। इमी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० २१२) मौर । ५३४०. सिद्धचक्रपूजा- श्रुतसागर । पत्र सं० ३० से ६० । प्रा० १२४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | र० काल ४ । ले० काल X । प्रपूर्ण । ० सं० ८४४ । स भण्डार । ५३४१, सिद्धचक्रपूजा-प्रभाचन्द । पत्र सं. ६ । मा० १२४५ इंच । भाषा संस्कृत | विषयपूजा २० काल X । ले० काल X । पूर्ण | वे० सं० ७६२ । क भण्डार । Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५४ ] [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५३४२. सिद्धचक्रपूजा (वृहद् ).......। पत्र सं० ३४ । प्रा० १२४५३ इच । भाषा-संस्कृत | विषय- पूजा । २० काल ४ । ले० काल X । अपूर्ण । वे सं० ६६७ । जु भण्डार' । ५३४३. सिद्धचक्रपूजा.......... पत्र सं० ३ मा ११४५३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | २० काल XI ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ५२६ | श्र भण्डार । ५३४४. प्रति सं०२। पत्र सं० ३ । ले. कालXI वै० सं० ४०५ | च भण्डार । ५३४५. प्रति सं०३ । पत्र सं०१७ | ले: काल सं० १८६० श्रावण बुदी १४। वे० सं० २१ । जभण्डार। ५३४६. सिद्धचक्रपूजा ( वृहद् --संतलाल । पत्र सं० १०८ । प्रा० १२४८ इंच । भापा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल । ले० काल सं० १९८१ । पूर्ण । वै० सं० ७४६ । श्र भण्डार । विशेष-ईश्वरलाल चांदवाड़ ने प्रतिलिपि की थी। ५३४७. सिद्धचक्रपूजा.....! पत्र मं० ११३ । प्रा० १२४७२ च । भाषा-हिन्दी : विषयपूजा । २० काल X । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ८४६ भण्डार । ५३४८, सिद्धपूजा-बभूषण | पत्र सं० २ । मा० १०३४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X | ले० काल सं० १७६० । पूर्ण : वे० सं० २०६० । श्र भण्डार । विशेष—ोरङ्गजेब के शासनकाल में संग्रामपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ५३४६. प्रति सं० २। पत्र सं०३। प्रा० ६x६ च । भाषा-संस्कृत | विषध-पूजा। र० काल XI • काल X | पूर्ण । वै० सं० ७६६ । क भण्डार । ५३५०. सिद्धपूजा-महा पं० श्राशाधर । पत्र सं० २ । ग्रा० ११३४६ इन। भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १८२२ 1 पूर्ण | वे० सं० ७६४ । क भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ७६५ ) और है। ५३५१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३ । ले० काल सं० १५२३ मंगसिर सुदी 1 1 ० से. २३३ । छ भण्डार । विवोष---पूजा के प्रारम्भ में स्थापना नहीं है किन्तु प्रारम्भ में ही जल बढाने का मन्त्र है । ५३५२. सिद्धपूजा.."। पत्र सं० ४ । पा० ६x४३ इंच । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । र. काल X| ले. काल ४ । पूर्ण । वे० सं० १६३० । द भण्डार । विशेष - इसी भण्डार में एक प्रति ( 2० सं. १६२४ ) और है। Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ] । ५५५ ५३५३ सिद्धपूजा...........! पत्र सं० ४४ 1 मा० Ex५ ईच । भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा। र काल X । ले० काल सं० १६५६ । पूर्ण । वे० सं० ७१५ । च भण्डार । ५३५५. सीमंधरस्वामीपूजा.....") पत्र सं०७१ मा० ८x१५ ईच । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र. काल 1 ले० काल । पूर्ण । ३० स० ८९८ । भण्डार । ५३५५. सुखसंपत्तिवतोद्यापन-सुरेन्द्रकीत्ति । पत्र सं० ७ । प्रा० ६x६३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल सं० १९६६ । ले. काल ४ | पूर्ण । वे० सं० १.४१ । अ भण्डार | ५३५६. सुखसंपत्तित्रतपूजा-अखयराम । पत्र सं० प्रा० १२४५३ ईन । भाषा-संस्कृत । विषयः पूजा । र० काल सं. १८०० 1 ले. काल x I पूर्ण । वे० सं० ८०८ । क भण्डार । ५३५७, सुगन्धदशमीत्रतोद्यापन"."पत्र सं० १३ । प्रा० ८४६३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा ! २० काल ४ । ले० काल x पूर्ण । वै० सं० १११२ । अ भण्डार । विशेष-इसो भण्डार में ७ प्रतियां ( वे० सं० १११३, ११२४, ७५२, ७५३, ७५४, ७५५, ७५६) मौर हैं। ५३५८. प्रति सं०२।पत्र सं० ६ । ले. काल सं० १९२८ । वे सं० ३०२ | ख भण्डार । ५३५१. प्रति सं० ३ । पत्र सं०८ । ले० काल x 1 ० सं० ८६६ । भण्डार । ५३६०. प्रति सं०४ । पत्र सं० १३ । ले. काल सं५ १९५६ पासोज बुदी ७ । वे० सं० २०३४ । ट भण्डार। ५३६१. सुपार्श्वनाथपूजा-रामचन्द्र । पत्र सं० ५ | मा० १२४५१ इन। भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । २० काल । ले० काल X । पूर्ण । ० सं०७२३ । 'घ मण्डार । ५३६२. सूतकनिर्णय"......"। पत्र सं० २१ । मा. ६x४ च । भाषा-संस्कृत | विषम--विधि विधान । २० काल ।ले. काल x। पुर्ण । ० सं०५ । म भण्डार । विशेष-सूतक के अतिरिक्त जाप्य, इष्ट अनिष्ट विचार, माला फेरने की विधि प्रादि भी हैं। ५३६३. प्रति सं०२। पत्र सं० ३२ । ले० काल । ० सं० २०९ । म भण्डार । ५३६४. सूतकवर्णन ."| पत्र सं०१। प्रा. १०.४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय-विधि विधान । र काल ले० काल XI पूर्ण । ०५० ५४० । श्र भण्डार । ५३६५. प्रति सं०२ । पत्र सं० १ । ले. काल सं० १८४५ ५ ३० सं० १२१४ । अ भण्डार । विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० २०३२ ) पौर है। ५३६६. सोनागिरपूजा--आशा । पत्र सं०८ । प्रा० ५३४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ४ | ले. काल सं० १९३८ फागुन बुदी ७ । पूर्ण । वे० सं० ३५६ । छ भण्डार 1 Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६ ] विशेष – पं० गंगाधर सोनागिरि वासी ने प्रतिलिपि की थी। ५३६७. सोनागिरपूजा पत्र ०८ ०२४४२ भाषा-हिन्दी विषय-पूजा | २० काल X ० काल X ००५ भण्डार | I ० [सं० ६३ ग भण्डार ५३६८. सोलहकारणपूजायानतराय व सं० २ ० ५५३ इंच भाषा-हिन्दी विषयपूजा २० काल X का पूर्ण ० [सं०] १३२६ का भण्डार ५३६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २० काल सं० १६३७ ४३०० प्रति सं० ३ पत्र ०५ ० काल X ५३७१. प्रति सं० ४ पत्र [सं० ५ ० काल x विषय- इसके अतिरिक्त पचमे भाषा तथा सोलहकार इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १६४ ) और है । ५३७२. सोलहकारणपूजा" 195 to ० सं० २०२ ज भण्डार संस्कृत पूजायें और है। 50 XX-fift | fame-gar| र० काल X | ले० काल X पूर्मा ० सं०७१ भण्डार विषय-पूजा १० काल X1 से काल X पूर्वं वे० सं० ८८ I भण्डार ! [ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ५३७३. सोनकारणमंडल विधान-टेकचन्द पत्र [सं० ४० प्रा० १२९६ च । भाषा हिन्दी | भण्डार ५३७५ प्रति सं० ३ ५३७६. प्रति सं० ४ | ५३७०. सौख्यप्रतोद्यापनपूजा- अक्षयराम विषय पूजा । र० काल सं० १८२० | ले० काल X। पूर्ण २३७५ प्रति सं० २ । पत्र सं० १५० ० सं० २५ मण्डार ५३७४, प्रति सं० २ । पत्र सं० ६६ । ले० काल X | बे० सं० ७२४ व भण्डार विशेष- इसी भण्डार में एक प्रति ( ० सं० ७२५ ) मोर है । ० सं० २०९ ० ४५० काल X ०४५ | काल X भण्डार । ० सं० २६४ । ज भण्डार । पत्र सं० १२० ११४४३ इंच भाषा-संस्कृत ० सं० ५८६ | भण्डार | सं० २८६५ बुदी । ये०स० ४२७ च ५३७६. स्नपनविधान २० काल X। ले० काल X पूर्ण सं० ४२२ । ५३०० स्नपनविधि ( वृहद् ) पत्र सं० प्रा० १०४ इंच भाषा-हिन्दी विषय-विधान भण्डार सं० २२ मा० १०४५ भाषा-संस्कृत विषय 1 २० काल X 1 ले० काल X | वे० सं० ५७० । श्र भण्डार | विशेष-प्रतिम २ पृष्ठों में त्रिलोकसार पूजा है जो कि मपूर्ण है। Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका सँग्रह ( शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर पार्टी की, जयपूर ) ५३८१. गुटका सं० १ । पत्र सं० २०४ | ० काल सं० १८१८ ज्येष्ठ सुदी ६ अपूर्ण दशा - सामान्य | विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है विषयसूची १. भट्टाभिषेक २. रत्नमपूजा ३. पचमेरुपूजा ४. श्रमन्तचतुर्दशी पूजा ५. कारणा ६. दशलक्षण उद्यापनपाठ ७. सूर्यव्रतोद्यापनपूजा मुनिसुव्रतन्द मुनिसुव्रत छन्द लिख्यते -... कानम X X X X सुमतिसागर x ब्रह्मजयसागर भ० प्रभाचन्द्र goangrove ० ६४६ इच। भाषा - हिन्दी संस्कृत | विषय - संग्रह | भाषा संस्कृत क्रोधारण्यधनेजयं धनकर प्रध्यस्तकर्मारि 11 " " संस्कृत 19 संस्कृत हिन्दी हृतविषयविकारः समृतत्व प्रचारः 37 निधि शुद्धतं सुत्र पाद्वावामृत पिताखिलजनं दुःखाग्निधाराधरं । वंदे तद्गुणसिद्धये हरितं सोमात्मजं सौख्यदं ॥ १॥ जलधिमगभीरं प्राप्तजन्माखितीरः प्रबलमदन वीरः पंधमुक्तचीरः स जयति गुणाधारः सुव्रतो विघ्नहारः ॥२२॥ विशेष पूर्ण 99 33 35 " " מ 民 १२०-१२४ Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५८ ] भार्या - डिलनंद भुजङ्गप्रपात- श्रमिन्द [ गुटका संग्रह त्रिभुवनजनहितकर्ता भर्ता सुपवित्रमुक्तिवरलक्ष्म्याः । कन्दर्प दर्पवतको सति गुणधर्ता ॥१॥ यो वज्रमौलि संगतमुकुटमहारत्नरतनखनिकरं । प्रतिपातिवरचरणं केबल बोधे मंडितसुभर्ग ||२॥ तं मुनिसुव्रतनार्थं वा कथयामि तस्य छन् । दत्तु सकलभव्याः जिनधर्मपराः मौनसंयुक्ताः ॥३ प्रथम कल्यारण कष्टुं मनमोहन, मगध सुदेश बसे प्रति सोहन । राजगेह नया वर सुन्दर, सुमित्र भूप तिहां जिसो पुरंदर ॥१॥ चन्द्रमुखीमृगनयनी बाला, तस राशी सोमा सुविशाला : पछिमरमणी मलिकुलबाला, स्वप्न सोल देखें गुणमाला ॥२॥ इन्द्रादे से प्रति सु विचक्षण, छप्पन कुमारि सेवें शुभलक्षण । वृष्टि करें धनद मनोहर, एम छमास गया सुभ सुखकर ॥॥३॥ भूपनि अति मंगल, प्रारगत स्वर्ग हवी आवरणवदि बीजें गुरणधारी, जमनी गर्भ रह्यो सुखकारी ॥४॥ धरंति मंगे परं गर्भभारं न रेखावयं भगमपसारं. तथा आगला इन्द्रचन्द्रानरेन्द्राशवारणाया न युक्ता सुभद्रा पुरं श्रः परित्याखिलं देवसंधा गृहं प्रास सोमित्र कंते गता या । स्थित गर्नका निलिएकलंक प्रणम्यावर ते मता हिस्वनाएं [१२] कुमाहि- सेवां प्रकुन्ति गाव किययोज्ज्वलदीपसुवृत्यवाढं । करं पत्रर्गः दाना प्रको सितकुंभं सुपूर्णं ॥३॥ पवित्र वृष्टि शुभं पुण्यपात्रं । जिन गर्भाविनिर्मुक्तयेहूं परं स्तौमि सौमात्मजं सौरूपयेहूं ||४|| श्रीमहि विभुबन चिह्न हवा सुणतां महि । घंटा सिहं परहार सुमति सहसा करें जय जमरव ॥ १ ॥ बैग मामी कि जम्यो, सुरनरवृद जैर्गे तब भाय | ऐरावण आरूढ पुरंदर, सचीसहित सोहें पुरण मंदिर ॥२॥ SSP Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुरुका संग्रह ] [ ५ मोतीरेणुकद तब ऐरावण सजकरी, बन्यो शतमुख पाणंद भरी। जस कोटी सताबींस छे अमरी, करें गीत नृत्य वलीदें भमरी ॥३॥ गज कानें सोहें मोवर्ण चमरी, घण्टा टखार यदि सह भरी। माखण्डल अंकुशनेसेंधरी, उच्छवमंगल गया जिन नगरी ॥ राजगणे मलया इन्द्रसह, बाजें वाजिन सुरंग बहु । शके का, जिनवर लावें सही, इन्द्राणी तब घर मझे गई ।। जिम बालक दीठो निज नयों, इन्द्राणी बोलें वर वयणे । माया मेसि सुतहि एक कीयो, जिनवर युगते जइ इन्द्र दीयो ।। इसी प्रकार तप, ज्ञान और मोक्ष कल्याण का वर्णन है । सबसे अधिक जन्म कात्यागा का वर्णन हैं जिसका रचना के आधे से अधिक भाग में वर्णन किया गया है इसमें उक्त छन्दों के अतिरिक्त लीलावती छन्द, हनुमंतछन्द, दूहा, ॐनमा छयों का और प्रयोग हुआ है। मन्त्र का पाठ इस प्रकार है कलस श्रीस धनुष जस देह जहे जिन कछप लांछन । श्रीस सहस बर बर्ष प्रायु संरजन मम रञ्जन ॥ हरवंशी गुणवीमल, भक्त दारिष्ट्र विहंडन । मनवांछितदातार, नयरवालोरसु मान ।। श्री मूलसंघ संघद तिलक, ज्ञानभूषण मट्टाभरणं । श्रीप्रभाचन्द्र सुरिवर कहें, मुनिसुव्रतमंगलकरण ।। इति मुनिसुव्रत पद सम्पूर्योऽय ॥ पत्र १२० पर निम्न प्रशस्ति दी हुई है.... संवत् १८१८ वर्षे शाके १६८४ प्रवर्तमाने ज्येष्ठ सुदी १ सोमवासरे श्रीमूलसंधे सरस्वतीयच्छे बलात्कार. गणे श्रीकुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टारक श्रीपयनन्दि तत्प? भ० श्रीदेवेन्द्रकोत्ति तत्पट्ट भ० श्रीविद्यानन्दि सस्पट्टे भट्टारक श्री मलिभूषण तत्पट्ट भ० श्रीलक्ष्मीचन्द्र भ० तत्स? श्रीवोरचन्द्र तत्पट्ट भ० श्री ज्ञान भूषण तत्ष्ट्र भ० श्रीप्रभाषन्द्र तत्पर्ट भ० श्रीवादीचन्द्र तत्पट्ट भ० श्रीमहीयन्द्र तत्पट्ट भ० श्रीमेरुचन्द्र तत्लट्ट भ० श्रीजनचन्द्र तत्प? भ० श्रीविद्यानन्द तच्छिष्य ब्रह्मनेमसागर पठनार्थं । पुण्यार्थ पुस्तकं लिखाथिसं श्रीसूर्यपुरे श्रीमादिनाथ चैत्यालये । Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६० ] [ गुटका-संक्ष विशेष विषय भाषा कर्ता महीचन्द्र भट्टारक १२५-२८ मंस्कृत हिन्दो संस्कृत ६. मातापमावतीछन्द १०. पार्श्वनाथपूजा ११. कर्मदहनपूजा १२. अनन्तव्रतरास १३. अष्टक जा दादिचन्द्र ब्रह्मजिनदास हिन्दी संस्कृत नेमिदत्त पं० राघव की प्रेरणा मे १३. प्रष्टक X हिन्दी भक्ति पूर्वक दी गई १५. अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ प्रष्टक X संसात X १६. नित्यपूजा विशेष--पत्र न. १६८ पर निम्न लेख लिखा हवा है भट्टारक श्री १०८ श्री विद्यानन्दजो सं० १९२१ तां वर्षे साके १९९६ प्रवर्तमाने कार्तिकमासे मणपक्षे प्रतिपदादिवसे रात्रि पहर पाछलीई देवलोक थया छेजी ।। ५३८२, मुट का सं०२। पत्र सं० ६३ । प्रा० ३४५३ । भाषा-हिन्दी। विषय--धर्म । र० काल सं० १८२० । ने० काल मं० १८३५ । पूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष-इस गुटके में बलराम साह कृत मिथ्यात्व खण्डन नाटक है। यह प्रति स्वयं लेखक द्वारा लिखी हुई है । अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है इति श्री मिथ्यातखण्डन नाटक सम्पूर्ण । लिखतं बखतराम साह । सं० १८३५ । ५३८३ गुटका सं० ३। पत्र सं०७५ | प्रा० ४४४ इन्च ] भाषा-संस्कृत-हिन्दी। विषय-X । से० काल सं० १६०४ । पूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष-फतेहराम गोदीका ने लखा था। १. रसायनविदि २. परमज्योति बनारसीदास ५-१२ ३. रत्नत्रयपाठविधि संस्कृत ४. अन्तरायवर्णन xxx ४३-४४ ५. मंगलाष्टक संस्कृत ४५-४६ ५०-५४ ६. पूजा पचनन्दि Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 北 गुटका संग्रह 1 ७. क्षेत्रपालस्तोत्र ८. पूजा व जयमाल दशा- सामान्य | पाठों का संग्रह है । ५३४. गुडका सं० ४ सं० २५ | श्र० ३X२ इच | भाषा-संस्कृत हिन्दी ) ले काल x 1पूर्ण । X X शनिवार । पूर्ण । विशेष --- इस गुटके में ज्वालामालिनीस्तोत्र, प्रष्टादशसहस्त्रशील भेद, पट्लेश्यावर्शन, जैम संख्या मन्त्र माि १. नाटकसमयसार २. पद- होजी म्हारो कंथ चतुर दिलजानी हो ५३८५. गुटका सं० ५ | पत्र सं० २३ । ० ८६ इंच | भाषा-संस्कृत । पूर्ण । दशा - सामान्य । विशेष भर्तृहरिशतक ( नीतिशतक ) हिन्दी अर्थ सहित है। ५६. गुटका ० ६ पक्ष सं० २० । ० X ६ भाषा - हिन्दी । पूर्ण विशेष-पूजा एवं शांतिपाठ का संग्रह है । 32 ५३७ गुटका सं० ७ 1 पत्र सं० ११६ | ग्रा० EX७ इंच । ले० काल १८५८ असोज बुदी ४. ३. सिन्दूर प्रकरण बनारसीदास विश्वभूषण बनारसीदास " दौलतराम जोहरीलाल भूधरदास Ev ६८-११६ ५३८८ गुटका सं०८ पत्र सं० २१२ श्र० ex६ इ । ले० काल सं० १७६८ | दशा - सामान्य । विशेष – ० धनराज ने लिखवाया था। [ ५६१ हिन्दी ५३८६. गुटका सं० ६ | पत्र सं ० ३५ | मा० EX६ इश्च । भाषा - हिन्दी | विशेष – जिनदास, नवल यादि के पदों का संग्रह है । हिन्दी 39 ५५-५९ ५६-७५ " 11 " ५३६०. गुटका सं० १० । पत्र सं० १५३ | श्र० १X५ इच्च । ले० काल सं० १९५४ श्रावण सुदी १३ | पूर्ण । दशा - सामान्य | १. पद जिनवाणीमाता दर्शन की बलिहारी x २. बारह भावना ३. प्रालोचनापाठ ४. दशलक्षणपूजा १-१७ ₹ Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ५६२ ] ५. पञ्चमेरु एवं नंदीश्वरपूजा ६. तीन चौबीसी के नाम व दर्शनपाठ द्यानतराय २-३५ संस्कृत हिन्दी ७. परमानन्दस्तोत्र बनारसीदास र, लक्ष्मीस्तोत्र द्यानतराय भगवतीदास उमास्वामी ६. निर्वाणकाण्डभाषा १०. तत्त्वार्थसूत्र ११. देवशास्त्रगुरुपूजा १२. चौबीस तीर्थङ्करों की पूजा । ५३६१. गुटका सं० ११ । पत्र सं० २२२ । प्रा. ११४६ इन | भाषा-हिन्दी 1 ले. काल सं० १७४६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १. रामायण महाभारत कथा हिन्दी गद्य . [४६ प्रश्नों का उत्तर है] २. कर्मचूरबतलि मुनि सकलकात्ति अथ बेलि लिख्यते दोहा कर्मचूर वत ने कर, जीनवाणी तंतसार । नरनारि भव भंजन धरे, उतर चौरासी सु पार ।। कोषौ कुर्ण कुरण भारभ्यो सकलकीति नाम, कर्म से इस कीधो पुरणो कोसंबी यसि गाम ।। नमणी गुरु निरगंथ ने, सारद दसगुण पुरै। कहो बरत बेलि उदयु करमसेण कर्मतुरे ॥ ज्ञानावर्ण दर्न साता वेदनी मोह मंदराई । अन्हें जीतने चेति होसी, कहालु कर वखरण सुहाई ॥ नाम कर्म पांचमोग कुछुगे प्रायु मेदो । गोत्र नीर गति पोहो चाह, अन्तराई भय भेदो॥ पितामणि सुचित प्रविलागी, कर्म सेरा गुणगाई॥१॥ Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटक सग्रह ] दोहा - एक कर्म को नरनारी करि उधर, चरण प्रणसंस्थान संजोई॥१॥ पनि पाउ- कवित्त-- सकलकीति मुनि पाप सुनत मि, संताप चौरासी मरि जाई फिर अजर अमर पद पाइये ।। जूनी पोथी भई अक्षर दीसे नहीं फेरु उतारी बंध ईद कवित्त बेली बनाई क गाईये ।। चंप नेरी चाटसू केते भट्टारफ भये साया पार अड़सठ जेहि कर्मचूर बरत कही है वणाई ध्याइये ।। संवत् १७४६ सोमबार ७ करकोव कर्मचूर ब्रत बैठगी अमर पद चूरी सोर सीधाम जाइये ।। ट-पाठ एक दम मशुद्ध है । लीपि भी विकृत है। २. ऋषिमण्डलमन्त्र संस्कृत ले. काल १७३६ प्रपूर्ण २० ४. चिंतामणि पार्श्वनाथस्तोत्र ५. अंजना को रास धर्मभूषण हिन्दी प्रारम्भ पहेली रे प्रहंत पाय नमैं । हर भव दुख भंजन त्वं भगवंत कर्म कायातना का पसौ । पापना प्रभव प्रसि सौ मंत तो रास भरय इति अंजना तै तौ संगम साधि न गई स्वर लोक सौ सती न सरोमरिण वंदीये ॥१॥ वसं विधाधर उपनी माय, नामै तीन वनंधि संपजे । भाव करता हौ भवदुल जाय, सतो न सरोमणि वंदये ।।२।। ब्राह्मी नै सुदरी बंदये, राजा ही रसभ तणे भर देय । बाल परी तप बन गई काम ना भौगन बंधीय जे हतौ ।। सती म....."३ ॥ मेघ सेनापति ने घरनारि अंजना सो मदालसा । स्मारे न कौन सीयाल लगार तो"॥ सती न ".."४ ॥ पंचस किसन कुमारिका, ईनि वाल कुवारी लागो रे पावे | जादव जम ज्ञानी कार, द्वारिका दहन सुनि तप जाय । हरी तनी प्रजना बंदीय जिने राग सोढी मन मैं घरचा वैराग तो॥ सती न." Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ ] [ गुटका-संग्रह अन्तिमपाठ वंस विद्याधरे उपनि मात, नामे नयनिधि पावती । भाव करंता ही भव दुख जायता, साती न सरोमरिण यंदीये ।। ५८ ॥ इम गावै धर्मभूपण रास, रत्नमाल गुथो रचि रास । सर्व पंचमिलि मंगल थयो, कहै तारास ऊपजे रस विलास ।। ढाल भवन केरी इम भणे, कंठ विना राग किम होई। बुधि बिना ज्ञान नदिसोई, गुरु बिना मारग कोम पानी सौ । दीपक बिना मंदर अधकार, देवभक्ति भाव बिना सब द्वार तो ॥५६॥ रस बिना स्वाद न ऊपजे, तिम तिम मति व देव गुरु पसाव । खिमा विन सील कर कुल हारिण, निर्मल भाव राखो सदा । केतन कलक भानि कुल जाय, कुमति विनास निर्मल भावसू । ते समझो सबही नरनारि, महंत बिना दुर्लभ सरावक अवतार । जुहि समता भावसू स्मोपुरवास, एह की सब मंगल करी।। इति श्री अंजमारास सती सुदरी हनुमंत प्रसादात् संपूरन । स्वस्ति श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्रीकुंदकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्रीजगत्कीति सत्र भ० श्रीदेवेन्द्रका ति तत्प? भ० श्रीमहेन्द्रकोति तस्य भ. श्रीक्षेमेन्द्रकीति तस्योपदेश गुणकोतिना इत्यादि तन्मध्ये पंडित कुस्यालि लिखामि बोरान नगरे सुधाने श्रीमहावीरचैत्यालये अमुक श्रावके सर्व वघेरवाल ज्ञात बुधिति समपात रहा श्रीवृषभनाथ यात्रा निमित्त गवन उपदेश मासोत्तममासे शुभे शुक्लपक्षे आसोज बदी ३ दोतबार संवत १५२० मालिवाहने १६७६ शुभमस्तु । ६. न्हवविधि संस्कृत ले. काल १८२. नासोज दी ३ ७. छियालीसगुण हिन्दी , पृष्ठ ३६वे पर चौबीसवें तीर्थङ्करोंके चित्र है. चौबीस तीर्थर परिचय हिन्दी विशेष—पत्र ४०वें पर भी एक चित्र है सं १८२० में पं० खुशालचन्द ने बैराठ में प्रतिलिपि की थी। १०. भविष्यदत्तपञ्चमीकथा प्र रायमल्ल हिन्दी रपनाकाल सं० १६३३ पृष्ठ ५० पर रेखाचित्र ले. काल सं० १८२१ बोराव ( बोराज ) में खुशालचन्द ने प्रतिलिपि को यो। पत्र ६२ पर तीर्थरों के ३ चित्र हैं। Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ५६५ गुटका-संग्रह ] ११. हनुमंतकथा १२. बोस विरहमानपूजा १३. निरिणकाण्डभाषा हिन्द्रा बह्म रायमान हर्षकीत्ति भगवतीदास १४. सरस्वतीजयमाल शानभूषण संस्कृत १५. अभिषेकपाठ पाउ - १६. रविव्रतकथा १७. चिन्तामणिलग्न ११२-१२१ सस्कृत ने. काल १८२१ १२२ हिन्दी १२३-१५१ १८. प्रद्युम्नकुमाररासो ब्रह्मरायमल्ल र० काल १६२८ ने काल १८११ संस्कृत धनञ्जय १६. श्रुतपूजा २०. विषापहारस्तोत्र २१. सिन्दूरप्रकरण २२ पूजासंग्रह २३. कल्पारणमन्दिरस्तोत्र बनारसीदास हिन्दी १५७-१६६ १६७-१७२ कुमुदचन्द्र संस्कृत २४. पाशावली हिन्दी १८४-२१७ २१७-२२२ २५. पवाल्याएकपाठ रूपचन्द विशेष-कई जगह पत्रों के दोनों प्रोर सुन्दर बैल हैं। । ५२६२. गुटका सं०१२ । पत्र सं० १०६ । प्रा० १०३४६ इश्च । भाषा-हिन्दी । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १. यज्ञ को सामग्री का ब्यौरा ४ हिन्दी विशेष-ग्रिय जागी की मौजे सिमरिया में प्र० दवाराम ने ताकी सामा पाई संख्या १७२७ माह बदी X पूर्णिमा पुरानी पोथी में से उतारी । पोथी जीरए होगई तब उतरी | सब चीजों का निरख भी दिया हुआ है। २. यजमहिमा हिन्दी विशेष-मोजे सिमरिया में माह सुदी १५ सं० १७६७ में यज्ञ किया उसका परिचय है। सिमरिया में चौहान वंश के राजा धीराब थे। मायाराम दीवान के पुत्र देवाराम धै | यज्ञाचार्य मोरेना के पं० टकसन्द थे । यह यज्ञ सात दिन तक चला था। Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ ] [ गुटका-संग्रह ३. कर्मविपाक संस्कृत विशेष-ब्रह्मा नारद संवाद में से लिया गया है। तीन प्रध्याय हैं। ४. भादोश्वर पा समवारण हिन्दी १६६७ कार्तिक सुदी १२-१४ प्रादीश्वर की समोश रग-ग्रादिभाग गुर मनपति मन ध्याऊं, चित घरन सरन ल्याउ । मति मांगि लैज प्रैसी, मुनि मानि लैहि जैसी ॥१॥ मादीश्वर गुण गाऊं, वरु साथ सगु (र) पाउं । चारित्र जिनेस लोया, भरप को राजु सीमा ॥२॥ तजि राज होइ भिखारी, जिन मौन बरत धारी। सब पापनी कमाई, भई उदय अंतराई ।।३।। सुनि भीख काज जावइ, नहिं भानु हाथ प्रावइ । सेइ कन्या लरूपा, कोई रतन अति अनूषा ।।४।। अन्तिमभाम शिष सहम गुन गाव है, कल बोधि बीज पाबइ। पर जोदिइ मुख भासइ, प्रभु चरन सरन राख ७१।। दोहरा समासरण जिनरायी की, गावहि जे नरनारि । मनयंछित फल भोगबई, तिरि पहुचहि भवपार |७२।। सोलसह समधि वरष, कातिक सुदी बलिराज 1 सालकोट सुमधानवर, जय सिंध जिनराज ॥७३॥ इति श्री प्रादीश्वरजी का समोसरण समाप्त । ५. द्वितीय समासरा ब्रह्मगुलाल पादिभाम प्रथम मुमिरि जिनराम अनंत, सुख निधान मंगल सिव संत जिनवाणी सुमिरत सनु बढे, ज्यौ गुनठांन छिनक छिनु चढं ॥१॥ गुरूपद सेवह ब्रह्म गुलाल, देवसान गुर मंगल माल । इमाहि मार बरन्यो सुखसार, समवसरन जैसे बिसतार ।।२।। बोल बुधि मन भायो कर, मूरिख पद प्रान पायो डर । सनह भव्य मेरे परवान, समोसरन को करौं बखान ||३|| Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ t गुटका-संग्रह ] अन्तिम भाग --- दोहरा - ६. नेमिजी को मंगल दिभाग अन्तिम भाग --- सुभ प्रासन दिठ जोग ध्यान, वर्द्धमान भयो केवल ज्ञान 1 समोसरण रचना प्रति बनी, परम धरम महिमा प्रति तरणी ॥४॥ चल्यो नगर फिरि अरने राइ, चरण सरण जिन प्रति सुख पाइ । समोर पूरण मयो, सुनल पढित पातिंग गलि गर्यो ||३५|| सौरह से सठि समै, माघ इसे सित पक्ष + लालब्रह्म मनि गीत गति, जसोमंदि पद सिक्ष ||६६ || सुरदेस हथि कंतपुर, राजा वक्रम साहि । गुलाला जिन धर्म्म जय, उपमा दीर्ज काहि ॥६७॥ इति समासरन ब्रह्मगुलाल कृत संपूर्ण || जगतभूषण के शिष्य विश्वभूषण हिन्दी १६-१७ रचना [सं०] १६६८ श्रावण सुदी ८ प्रथम जप परमेष्ठि तो गुर होमो धरी । सस्वती कर प्रणाम कविस जिन उच्चरी ॥ सोरठि देस प्रसिद्ध द्वारिका प्रति बनी 1 रवी इन्द्र नै पाइ सुरनि मनि त्रहुकनी ॥ वह कनीय मंदिर चैरथ खीम, देखि सुरनर हरषीयौ । समुद्र विजे वर भूप राजा, सक्क सोभा निरखीयां ॥ प्रिया जा सिव देवि जानौ रूप भ्रमरी ऊसा | राति सुन सूती देखि सुपने षोडशा ॥१॥ [ ५६७ संवत् सोलह से ठान्नु वा जारणीयौ । सावन मास प्रसिद्ध अष्टमी मानियो । गाऊं सिकंदराबाद पार्श्वजिन देहुरे । श्रवण कीया सुजान धर्म सौ नेहरे ॥ असों ने पति ही देही सबको दान जू । स्यादवाद वानी ताहि माने करें पंडित मान जू ॥ Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६८ ] [ गुटका-संग्रह जगतभूषण भट्टारक जे विश्वभूषण मुनिवर । नर नारी मंगलचार गावे पढत पातिग निस्तरै ।। इति नेमिनाथ को मंगल समाता।। ७. पार्श्वनाथचरित्र विश्वभूषण हिन्दी १७-१६ आदिभाग रागुनट पारस जिनदेव को मुनहु चरित्रु मनु लाई ।। टेक ।। मनउ सारदा माइ, भजी गनधर चितुलाई । पारस कथा संबंध, कही भाषा मुखदाई ।। जंबू दखिन भरय मै, नगर पोदना मांझ । राजा श्री परिबिंद जू, भुगतं सुख प्रयाझ । पारस जिनः ।। विप्र तहां एक बस, पुत्र द्वी राज सुचारा । कमठु बडी विपरीत, विसन से कु अपारा ।। लयु भैया भरभूति सौ, वसुधरि दई सा नाम । रति क्रीडा मेज्या रच्यो, हो कमठ भाव के धाम । पारस जिन । कोष कीयो मरभूति, कहीं मंत्री सो राथ्यो । सीख दई नहीं गह्मो काम रस अंतर साच्यौ । कमठ विष रस कारने, अमर भूति बांधौ जाई । सो मरि वन हाथी भयो, हथिनि भई त्रिय पाहापारस जिनः ।। अन्तिमपाठ-- अवधि हेत करि बात सही देवनि तब जानी । पदमावति धरणेन्द्र छत्र मस्तिग पर तानी । सब उपसर्ग निवारिकै, पार्श्वनाथ जिनद । सकल करम पर जारिक, भये मुक्ति त्रिमचंद ॥ पारस जिन ।। मूलसंघ पट्ट विश्वभूषण मुनि राई । उत्तर देखि पुराण रचि, या वई सुभाई ॥ वसे महाजन लोग जु, दान चतुर्विधि का देत । पार्श्वकथा निह सुनौ, हो मोछि प्राप्ति फल लेत ॥ पारस जिनदेव को, सुनहु चरितु मन लाइ ।।२५।। इति भी पार्श्वनाथजी को चरित्रु संपूर्ण । Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] वीर ६. सम्यग्ज्ञानी धमाल १० स्थूलभद्रशीलरासी ११. पार्श्वनाथस्तोत्र १२. १३. "" १४. पार्श्वनाथस्तोत्र १५. १६. हनुमतकथा " 13 ७ पूर्ण 1 दशा - सामान्य । विशेष— निम्न ५. देवपूजा ६. सिद्धपूजा पूजा भगवदास ७. दशलक्षगपूजा जयमाल ८. षोडशकारणपूजा ६. पार्श्वनाथपूजा १०. शांतिपाठ ११. सहस्रनामस्तोत्र १२. पचमेरुपूजा 73 X X. द्यानतराय X राजसेन पद्मनन्दि ब्र० रायमल्ल १. कल्यामन्दिरस्तोत्र भाषा बनारसीदास २. लक्ष्मीस्तोत्र ( पार्श्वनाथस्तोत्र ) पद्मप्रभदेव ३. तत्त्वार्थ सूत्र उमास्वामी ४. मक्तामर स्तोत्र श्रा० मानतुंरंग X X X पाठों का संग्रह है १७. सीताचरित्र हिन्दी ५३६३. गुटका सं० १३ | पत्र सं० ३७ ॥ श्र० ७३४१० इञ्च । ले० काल सं० १८९२ आसोज बुदी X X x x पं० श्राशावर भूधरयति + 23 हिन्दी " १६-२० २०-२१ २१-२२ २२-२३ २३ २३ २४ २४ हिन्दी २० काल १६१६ २५-७५ ले० काल १८३४ ज्येष्ठ मुदी ३ श्रपूर्ण ७७-१०६ 23 99 "" 21 संस्कृत हिन्दी संस्कृत " संस्कृत " 19 हिन्दी " हिन्दी संस्कृत " हिन्दी संस्कृत [ ५६६ पूर्ण " 剪 27 " 92 " 73 AR 2 33 " Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७० ] [ गुटका संग्रह मंस्कृत १३. अष्टाह्निकापूजा १४. अभिषेकविधि xx १५. निर्वाणकांडभाषा भगवसीदास हिन्दी १६. पञ्चमङ्गल रूपचन्द १७. अनन्तपूजा संस्कृत विशेष-पह पुस्तक सुखलालजी मज के पुत्र मनसूख के पढने के लिए लिखी गई थी। ५३६४. गुटका नं०१५। पत्र सं० १३ । प्रा० ४४४३इन । भाषा-संस्कृत । पूर्ण | दशा-सामा य । विशेष-शारदाष्टक ( हिन्दी ) तथा ८४ प्रासादनों के नाम हैं। ५३६५. गुटका नं० १५ । पत्र सं० ४३ | प्रा. ५४३: ईच । भाषा-हिन्दी । ले. काल १६६० । पूर्ग विशेष- पाठ अशुद्ध है - 'हिन्दो ब्रह्मकपूर ruM १, कज्योजी नेमजीसूजाय म्हेतो श्राही संग चाला x २. हो मुनिवर कब मिलि है उपगारी मागचन्द ३. ध्यानाला हो प्रभु भावसों भी ४. प्रभु घांकोजी मूरत मनड़ो मोहियो ५. गरज गरज गहे नवरसे देखो भाई ६. मान लीज्यो म्हारी अरज रिषभ जिनजी ७. तुम सी रमा विचारी लजि ८. कहज्यीजी नेमिजीसूजाय म्हे तो १. मुझे तारोजी भाई साइयो १०. संबोधपंचासिकाभाषा बुधजन ११. कहज्योजी नेमिजीसूजाय म्हेसो थांकही संगवाला राजचन्द १२. मान लीज्यो म्हारी माज रिषभ जिनजो x १३. तजिक गये पीया हम तुमसी रमा विद्यारी x १४. म्हे यावाला हो प्रभु भाव १५, साधु दिगंबर नमन उर पदसंबर मूषगाधारी x xx xxx २३-२४ Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] १६. म्हे निशिदिन ध्याला बुधजन १७, दर्शनपाठ १८. कवित्त १६. बारहभावना २०. विनती २८-२९ नवल ३३-३५ २१. वारहभावना दलजी ३८-३९ ५३६६. गुटका सं.१६ । पत्र सं० २२६ । प्रा०५१४५ रश्न । ले० काल १७५१ कात्तिक मूदी १. पूर्ण। दशा-सामान्य। ोिष-दो गुटकानों को मिला दिया गया है। विषमसूची११. वृहद्कल्याण ६. सुपलियत कोतथियों हिन्दी xxx ३. झांडा देने का मन्त्र १२-१६ ४. राजा प्रजाको वश में करने का मन्य x १७-१८ सस्कृत २५-२६ xxx हिन्दी मम्मत ५, मुनीश्वरों की जयमाल ब्रह्म जिनदास *. दश प्रकार के ब्राह्मण x ७. सूतकवर्णन (यशस्तिलक से) सोमदेव ६. गृहप्रवेशविचार ९. भक्तिनामवर्णन {, বাবার মেন্থ। ११. काले बिच्छुके उस उतारने का मंत्र - ___ नोज-यहां मे फिर संस्था प्रारम्भ होती है। १२, स्वाध्याय १३. तत्वार्थसूब उमास्वाति १४. प्रतिक्रमणपाठ १५. भक्तिराल (सात) ३३-३५ संस्कृत m xx १६-३७ ३५-७२ Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७२ ] १६. बृहत्स्वयं मूस्तीच १७ बलत्कारमरण गुर्वायलि १८. श्रावकप्रतिक्रमण १६. श्रुतस्कंध २०. श्रुतावतार २१. आलोचना २२. लघु प्रतिक्रमण २३. भक्तामर स्तोत्र २४. संतान को जयमाला २५. प्राराधनासार २६. संबोधपंचासिका २७. सिद्धिप्रियस्त २८, भूगलचोबीसी २४. एकीभावस्तोत्र ३०. विषापहारस्तोत्र ३१ दवालक्षणजयमाल ३२. कल्याण मंदिरस्तीन ३३. लक्ष्मीस्तोत्र ३४. मन्त्रादिसंग्रह समन्तभद्राचार्य X १. अशनसमितिस्वरूप २. भयहर स्तोत्रमन्त्र ३. बंधस्थिति ४. स्वरविचार X ब्रह्म हेमचन्द्र श्रीधर K X मानतु गाच x देव सेन X x x X X 37 X प्राकृत संस्कृत X प्राकृत संस्कृत गद्य वन देवनन्दि भूपालकवि वादिराज धनञ्जय पं० रधू कुमुदचन्द्र पद्मप्रभदेव X प्रशस्ति-संवत् १७५१ वर्षे शाके १६१६ प्रवर्तमाने कार्तिकमासे शुक्लपक्ष प्रतिपदा १ तिथौ मङ्गलवारे प्राचार्य श्री चाकीति पं० गंगाराम पठनार्थं वाचनार्थ । प्राकृत संस्कृत 17 संस्कृत प्राकृत "3 संस्कृत 力 ५२६७. गुटका सं० १७ । पत्र स० ४०७ प्रा० ७४५ इञ्च । "" 23 अपभ्रंश संस्कृत " " ात संस्कृत " [ गुटका -सग्रह ७३-८६ ८६-१३ ६४-१०७ १०७-११८ ११८-१२३ १२३-१३२ १३२ - १४९ १४६ - १५५ १५५-१५६ १५६ -- १६७ १६८-१७२ १७२-१७६ १७७ - १८० १८० - १६४ १८५-१५९ १८६-१६५ १९६-२०३ २०३-२०४ २०५-२२६ 17 संस्कृत व्याख्या सहित १-३ ४ मूलाचार से उद्धृत ५-६ ७ Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका - सग्रह ] ५ संदृष्टि ६. मन्त्र ७. उपवास के दशभेद म. फुटकर ज्योतिष पद्म ६. प्रवाई का व्यौरा १०. फुटकर पाठ ११. पाठसंग्रह १२. प्रश्नोत्तर रत्नमाल। १३. सज्जनचित्तवल्लभ १४. गुरणस्थानव्याख्या १५. छातीसुख की भौषधि का नुसखा १६. जयमाल ( मालारोहण ) १७. उपवासविधान १८. पाठसंग्रह १६. प्रन्ययोगव्यवच्छेदकद्वात्रिंशिका २०. गर्भ कल्याणक क्रिया में भक्तियां २१. जिम सहस्रनामस्तोत्र २२. भक्तामर स्तोत्र २३. यतिभावनाष्टक २४. भावनाद्वात्रिंशतिका २५. आराधनासार २६. संबोधपंचासिका २७. तत्त्वार्थ सूत्र २८. प्रतिक्रमण २६. मक्तिस्तोत्र (प्राचार्यभक्ति तक ) x x X X X X x X श्रमोघवर्ष मरणाचार्य X x x X X हेमचन्द्राचार्य X जिनसेनाचार्य मातु गाचार्य श्रा० कुंदकुंद श्रा० अमितगति देवसेन X उमास्वामि XX संस्कृत ५ 33 輕 31 १५-२० संस्कृत प्राकृत २१-२४ गोमट्टसार, समयसार, द्रव्यसंग्रह आदि से संगृहीत पाठ है । संस्कृत २४-२५ २६-२८ 3 23 हिन्दी प्राकृत संस्कृत हिन्दी संस्कृत 13 २६-३१ " प्रवचनसार तथा टीकर आदि से संगृहीत हिन्दी " श 15 [ ५.७३ ६-११ १४ प्राकृत अपभ्रंमा संस्कृत प्राकृत संस्कृत संस्कृत १५. १५ १८ ३२ ३२-३५ ३५-३६ ३६-३७ मन्त्र आदि भी है ३५-४० ४१ ४२-४६ ४६-५२ ५२ ५३-५४ ५५-५८ ५६६० ६१-६७ ६७-८८ ८६-१०७ Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७४ ] [ गुटका-संग्रह १०८-११८ ३०. स्वर्गभुस्तोत्र मा० समन्तभद्र संस्कृत ३१. सक्ष्मीस्तोत्र पद्मप्रभदेव ३२. दर्यानस्तोत्र सकलचन्द्र ११-१२१ ३३. सुप्रभातस्तवन ३४, दर्शनस्तोत्र xxx प्राकृत संस्कृत ३५. बलात्कार गुरावनी ३६. परमानन्दस्तोत्र १२२-२४ १२४-२५ पूज्यपाद १७. नाममाला धनय १२५-१३७ ३८, वीतरागस्तोत्र पद्मनन्दि ३६. करुणाष्टकस्तोत्र १३६ ४.. सिद्धिप्रियस्तोत्र १३६-१४१ देवनन्दि मा कुन्दकुन्द ४१. समयसारगाथा ४२. प्रतिविधान १४१-१४३ ४३. स्वस्त्ययन विधान ४४. रत्नत्रयपूजा ४५. जिनस्नग्न १५६-१६२ १६२-१६८ १६८-१७१ ४६. कलिकुण्डपूजा ४७. षोडशकारणपूजा . ४८. दशलक्षणपूजा ४६. सिद्धस्तुति xxx Xxxxx १७२-१७३ १७३-१७५ ५०. सिद्धपूजा १७६-१८० श्रीधर १८२-१६२ ५१. शुभमालिका ५२. सारसमुच्चय कूलभद्र १६२-२०६ ५३. जातियन ५८ पद्य ७७ जाति २०७-२५८ २०६ ५४. फुटकर वर्णन ५५. षोडशकाररणपूजा २१. Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २११ संस्कृत २१२ २१३ २१४ xx x x x x x x २१८ गुटका-संग्रह ) ५६. श्रौषधियों के नुसखे ५७. संग्रहसूक्तिः ५६. पीक्षापदल ५९. पार्श्वनाथपूजा (मन्त्र सहित ) १०. दीक्षा पटल ६१. सरस्वतीस्तोत्र ६२. क्षेत्रपालस्तोत्र ६३ सुभाषितसंग्रह ६४. तत्वसार ६५. योगसार ६६. द्रव्यसंग्रह ६७. श्रापकप्रतिक्रमण ६८. भावनापद्धति ६६. रत्नत्रयपूजा २२३ २२३-१२४ २२५-२२८ प्राकृत २३१-२३५ योगचन्द सस्कृत २३१-२३५ नेमिचन्द्राचार्य २३६-२३७ प्राकृत संस्कृत २३७-२४५ पद्मनन्दि २४१-२४७ २४८-२५६ पं.भाशावर २५६-२६० ७०. कल्याणमाला ७१. एकीभाषस्तोत्र वादिराज २६०-२६३ ७२. समयसारवृत्ति अमृतचन्द्र सूरि २६४-२८५ योगीन्द्रदेव सपम्रश २८६-३०३ कुमुदचन्द्र सस्कृत ३०४-२०६ प्राकृत ७३. परमात्मप्रकाश ७४. कल्याणमन्घिरस्तोत्र ७५. परमेष्ठियों के गुण व प्रसिशय ७६. स्तोत्र ७७. प्रमाणप्रमेयकलिका ७८. देवागमस्तोत्र पननन्दि ३०५-३०६ नरेन्दसूरि ३१०-३२१ ३२२-३२७ मा० समन्तभद्र ७९. मकलङ्गाष्टक भट्टाकलङ्क ३२८-३२९ ८०. सुभाषित X ३३०-३३१ ५१. जिनगुणस्तवन X ३३१-३३२ Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ मुटका-संग्रह ५७६ । ८२. क्रियाकलाप ८३. संभवनाथपट्टी अपभ्रश ५४. स्तोत्र नम्मो चन्द्रदेव प्राकृत ५. स्त्रीशृङ्गारवर्णन संस्कृत ३३६-३४१ ३४२-३४३ ३४४ X ५६. चतुरितिस्तोत्र माघनन्दि ८७, पश्शनमस्कारस्तोत्र समास्वामि ८८. मृत्युमहोत्सव ९, अनन्तगंठीवर्णन (मन्त्र सहित) १०. आयुर्वेद के नुसखे ११. पाठसंग्रह १२. प्रायुर्वेद नुसखा संग्रह एवं मंत्रादि संग्रह x X ३४६-३४० X ३४६ X ३५०-३५४ . संस्कृत हिन्दी योगशत वैद्यक से संगृहीत ३५७-३८.७ ६३. अन्य पाठ ३००-४०७ इनके अतिरिक्त निम्नपाठ इस गुटके में और हैं। १. कल्याण बडा २. मुनिश्वरोंकी जयमाल (ब्रह्म जिनदास) ३. दशप्रकार विप्र (मत्स्यपुराणेषु कयिते) ४. सूतकनिधि (यवास्तिलक चम्पू से) ५. गृहबिबलक्षण इ. दोपावतारमन्त्र ५३६८. गुटका सं०१८ । पत्र सं० ५५ । आoux५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८०४ श्रावण दुदी १२ : पूर्ण | दशा-सामान्य । १. जिनराज महिमास्तोत्र हिन्दी २. सतसई बिहारीलाल , ले० काल १७७४ फागुरा बुदी ११-४० ३. रसकोतुक रास सभा रञ्जन गङ्गादास , , १८०४ सावरण बुदी १२ ४६-५५ X दोहा अथ रस कौतुक लिख्यते-- गंगाधर सेवह सदा, गाहक रसिक प्रवीन । राज सभा रंजन कहत, मन हुलास रस लीन ॥१॥ दंपति रति नरोग तन, विधा सुधन सुमेह । लो दिन जाय मनंद सौ, जीतव को फल ऐह ॥२॥ Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-सग्रह । [ ५७ सुंदर पिय मन भावती, भाग भरी सकुमारि । सोइ नारि सतेवरी, जाकी कोठि ज्वारि ।।३।। हित सौ राज मुता, बिलसि तन न निहारि । ज्यां हाथ रेवरह ए, पात्यां मैड कारन भारि ॥४॥ तरसे हूं परसे नहीं, नौदा रहत उदास | जे सर सूकै भादवे, की सी उन्हाले पास ॥५॥ अन्तिमभाग समये रति पोसत नहों. नारि मिले बिनु नेह । औसरि चुक्यौ मेहरा, काई वरसि करह ॥६॥ मुदरी से छलस्यो कार्य, हौं फिर ना पैद । काम सरै दुख वीसरे, वैरी हुवो वैद 1111 मानवतो निस दिन हरे, बालत खरीबदास । नदी किनारे खड़ी, जब तब होइ विनास ॥१०॥ सिव सुखदायक प्रानपति, जरो प्रांन को भोग | नास देसी रूखड़ी, ना परदेसी लोग ॥१०१।। गंता प्रेम समुद्र है, गाहक चतुर सुजान । राज सभा इहै, मन हित प्रीति निदान ॥१०२।। इति श्री गंगाराम त रस कौतुक राजसभा रझन समस्या प्रबंध प्रभाव । श्री मिती सावरण वदि १२ बुधवार संवत् १८०४ सवाई जयपुरमध्ये लिखी दीवान ताराचन्दजी को पोधी लिखतं माणिवाचन्द बज बांचं जीहने जिसा माफिक बंच्या। ५३६६, गुटका सं० १६१ पत्र सं० ३६ | भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १९३७ प्राषाद मुदी १५ ।। पूर्ण । विशेष---रसालकुंबर की चौपई-नखरू फचि कृत है । ५४००. गटका सं.२०1 पत्र सं०६८। प्रा० ६४३ इञ्च 1 ले. काले २०१६६५ ज्येष्ठ बुदी १२।। पूर्ण | दशा-सामान्य। विशेष-महीधर विरचित मन्त्र महोदधि है। Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५८ ] [ गुटका-संग्रह । ५५ १. गुटका सं:२१ । पत्र सं. ३१६ । प्रा०६४५ इञ्च | पूर्ण । दक्षा सामान्य । १. सामाणिकपाठ संस्कृत प्राकृत १-२४ २. सिद्ध भक्ति प्रादि संग्रह प्राकृत २५-७० समन्तभद ७२ ३. समन्तभद्रस्तुति ४. सामायिका प्राक्त ७३-८१ ५. सिद्धिप्रियस्तोत्र देवमन्दि ६. बार्श्वनाथ का स्तोत्र ७. चतुर्विशतिजिनाष्टक शुभचन्द्र १०१-१४६ - पञ्चस्तोत्र १४७-१७० &, जिनवरस्तोत्र १७० -२०० Xxxx १., मुनीश्वरों की जयमाल २७१-२५० २५१-३०७ ११. सकलीकरणविधान १२. जिन चौबीसभवान्सररास विमलन्द्रकीत्ति हिन्दी पद्य पद्य सं० ४८ प्रादिभाग जिनवर चुबीस इ जणि भान पाय नमी कई भवहं विचार । भाविई सुगत ये संत ।।१।। यज्ञजय राजा पाण भणीइ, भाग भूमि आइ पणि सुशीइ । श्रीधर ईशानि देव ।।।। मुचिराज सातमइ भवि जारण, अच्युतेन्द्र सोलम वखारगु । वचनाभि चन्द्रका ॥३॥ सर करि सर्वारथ सिद्धि पासी, मत्र अग्यारम वृपमह स्वामी। मुगितई ज्या जगनाह ॥४॥ विमल बाहना राजा धरि जांयु', पंचामुत्तरि प्रहमिन्द्र सुभाए । इर्श भवजिन परमपद पास्यू ।।५।। विमल वाहन राजा धरिजांयु', पंचामुत्तरि प्रहमिन्द्र खारा । अजित प्रमर पद पास्यू॥६॥ Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । [ ५७६ विमल बाहन रामा धरि सुरणीय, प्रथमतीवि प्रहमिद्र सुभरणीइ । शंभव जिन अवतार ॥७ मन्तिमभाग मादिनाथ प्रग्यान भवान्तर, चन्द्रप्रभ भव सात सोहेकर। शान्तिनाथ भवपार ।।४।। नसाथ भाका सम्ह, नाय समाजबाणु। महावीर भव तेवीसइ॥४६॥ अजितनाथ जिन प्रादि कही जइ, अठार जिनेश्वर हिरवरीजई। त्रिणि त्रिणि भव सही जारगु 11४७।। जिन सुनीस भवांतर सारो, भगता सुरगता पृण्य अपारो | श्री बिमलेन्द्रकीत्ति इम बोल ॥४॥ इति जिन चुबीस भवान्तर रास समाप्ता 11 जिनदास हिन्दी पद्य ३००-३t. १३. मालीरासो १४. नन्दीश्वराष्पाञ्जलि १५. पद-जीवारे जिणवर नाम भजे ३११-१३ संस्कृत हिन्दी xx १६. पद-जीया प्रभु न सुमरयोरे ५४०२. गुटका सं० २२ । पत्र सं० १५४ . मा० ६४५३ इश्व | भाषा--हिन्दी | विषय-भजन । ले० काल सं० १८५६ । पूर्ण । दशा-सामान्य । १. नेमि गुण गाऊ बांछित पाऊं महीयन्द सूरि हिन्दी बाय नगर में सं.१९८२ में रामचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। २. पार्श्वनाथजी की निशाणी हिन्दो ३. रे जीव जिनधर्म समय सुन्दर ४. सुख कारण मुमरो x ५. कर जोर रे जीवा जिनजी पं. फतेहचन्द ६. चरण शरण मब आइयो ७. स्लत फिरयो मनादिडो रे जीवा Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह ५५० हिन्दी २० काल मा १८४० है फतेहचन्द्र द, जादम जान्न वरणाय है. दर्शन दुहेलो जी १०. उग्रसेन घर वारण जी ११. बारीजी जिनंदजी वारी अपूर्ण १२. जामन मरण का १३. तुम जाय मनावो १४. अब त्यूनेमि जिनंदा १५. राज कृषभ चरण नित बंदिये १६. कर्म भरमायै १७. प्रधुजी थांके सरण प्राया १८, पार उतारो जिनजी १६. थांको सांवरी मुरति छवि प्यारी २०. तुम जाय मनायो २१. जिन चरणो चितलायो २२. म्हारो मन लाग्योजी २३. चल जीव जरे २४. मो मनरा प्यारा २५. पाठ भवारो बालो २६. समदविजयजीरो जादुराय २७. नाभिजी के नन्दन २८. त्रिभुवन गुरु स्वामी २६. नाभिराय मोरा देवी ३०, वारि २ हो वोमांजी ३१. श्री ऋषभेसुर प्ररणमू पाय ३२. परम महा उत्कृष्ट प्रादि सुरि ३३. वै गुरु मेरे उर वसो ३४. करो निज सुखदाई जिनधर्म नेमीचन्द सुखदेव खेमचन्द . मनसाराम भूधरदास विजयकीति जीबगराम सदासागर मजेराम भूधरदाल त्रिलोककात्ति Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिन्दी १० काल सं० १७८४ प्रजयराज गुटका-संग्रह ] ३५. श्रीजिनराय की प्रतिमा बंदी जाय त्रिलोककीर्ति ३६. होजी यांकी सांवली सूरत 4. फतेहनन्द ३७. कबही मिलसी ही मुनिवर ३८. नेमोसुर गुरु सरस्वती सूरजमल ३१. श्री जिन तुमसे वीनऊ ४०. समदविजयजीरो नंदको मुनि'हीराचन्द ४१. शंभुजारो वासी प्यारो मथविमल ४२. मन्दिर प्राखाला ४३. ध्यान धरयाजी मुनिवर जिनदास ४४. ज्यारे सोभे राजि निर्मल ४५. केसर हे केसर भीनो म्हारा राज ४६. समफित थारी सहलड़ौजी पुरुषोत्तम ४७. अवगति मुक्ति नहीं छ रे रामचन्द्र ४८, वभावा ४६. श्रीमंदरजी सुराज्यो मोरी बीनती गुणचन्द्र ५०. करकसारी वीनतो भगोसाह x ४४-४५ मजलसराय ५१. उपदेशबावनी ५२. जैनबद्री देशकी पत्री ५. ई. ८५ प्रकार के मूखों के भेद ५४. रागमाला ५५. प्रात भयो सुमरदेव ५६. बलि २ हो भवि दर्शन कार्ज ५७. देवो जिनराज देव सेव ५६. महाबीर जिन मुक्ति पधारे ५६. हमरतो प्रभु सुरति सूपा नगर में सं० १८२६ में रचना हुई थी। हिन्दी , सं० १८२१ ६२-६६ ६७-६६ है ३६ रागनियों के नाम हैं ७. राग भैरूं जगतरामगोदीका Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ६.. श्रीरिष जी को ध्यान धरो जगतराम गोदीका हिन्दी राग रामकली x ६१. प्रात प्रथम ही जपो ६२. जागे श्री ने मिकुमार ६३, प्रभु के दर्शन को मैं प्रायो ६४. गुरुही भ्रम रोग मिटावै ६५. कन कंदरी नेमि पड़ावै ६६, दादू जात न जादी ६७, उतो मेरे प्राण को पियारो ६., राखोजी जिनराज सरन ६६. जिनजी से मेरी लगन लगी ७०. मुनि ही मरज तेरे पायरी ७१, मेरी कौन गति होसी ७२. देखारी नेम केसी रिद्धि पाई ७३. माजि बधाई राजा नाभि के मुनि विजयकीति ७४. वीतराग नाम सुमरि ७५. या चेतन सब बुद्धि गई बनारसीदास क ७६. इस नगरी में किस विध रहना बनारसीदास . . ७७. मैं पाये तुम त्रिभुवन राय हरीसिंह ७६. ऋषभजित संभव हरपा भ० विजयीति ७६. उठो तेरो मुख देखू ब्रह्मटोबर ८०. देखोरी आदीश्वरस्वामी कैसा ध्यान लगाया है खुशालचंद . १.जै जै जै जिनराज লাল हरीसिंह रामभगत 5२. प्रभुजी तिहारो कृपा ८३, घकि २ धुम सांगड दि दाना ८४. विषय त्याग शुभ कारज लागो ५५. छवि जिन देखी देवकी - MMY नवल फतेहचन्द Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ५८३ फतेहनद गुटक.-संग्रह ] ८६. देखि प्रभु दरस कारण २७. प्रभु नेमका भजन करि ८८, प्राजिउदै घर संपदा बचतराम खेमचन्द शीमाचन्द ८६. भज भी ऋषभ जिनंद भानुकोत्ति ६०. मेरे तो योही चाव है ६१. मुनिसुव्रत जिनराज को ६२. मोरे प्रभु संप्रीति लगी ६३. शीतल गंगादिक जल दीपचन्द बिजयकीति ६४. तुम प्रातम गुण जानि बनारसीदास १५, सब स्वारथ के मीत है १६. तुम जिन अटके रे मन श्रीभूषस १७. कहा रे अज्ञानी जीवकू ६८. जिन नाम सुमर मन बावरे बानतराय ६६. सहस राम रस पीजिये रामदास १००. सुनि मेरी मनसा मालनी १०१. वो साधु संसार में १०२. जिनमुद्रा जिन सारसी १०३. इणविधि देव प्रदेव की मुद्रा लखि लीजै x mm Xxx KKKA KAM दमी १०४. विद्यमान जिनसारसी प्रतिमा जिमवरकी लालचंद १०५. काया बाडी काठको सींचत सूके प्राग मुनिपतिलक १०६. ऐसे क्यों प्रभु पाइये १०७. ऐसे मों प्रभु पाइये १०८. ऐसे यो प्रभु पाइये मुनि पंडित प्राणी x १०६. मेटो विथा हमारी नयनसुख ११०. प्रभुजी जो तुम तारक नाम परायो १११, रे मन विषयों भूलियो भानुकीर्ति xxx Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ v४ ] । गुटका-संग्रह ११२. सुमरन ही में त्यारे ग्रानतराष हिन्दी ११३. प्रबले जैनधर्म को मरणों द्यानतराय xxx धानत्तराय जगतसग विजयकाति ११४. बैठे बच्चदन्त भूपाल ११५. इह सुंदर मूरत पार्श्व की ११६. उदि संवारै कीजिये दरसरण ११७. कौन कुवारण परी रे मना तेरी ११८. राम भरथ सों कहे मुभाय ११६. कहे भरतजी सुणि हो राम १२०. मूरति कैसे राज १२१.देखो सखि कौन है नेम कुमार १२२. जिनवरजीसू प्रीति करी री। १२३. भोर ही आये प्रभु दर्शन को १२४. जिनेमुरमेव । करश तुम हो १२५. ज्यौं बने त्यो तारि भोक १२६. हमारी बारिश्री नेमिकुमार १२७. आछे रङ्ग राचे भली भई १२८. एरी बलो प्रभुको दर्श करां १२६. नैना मेरे दर्शन है लुभाय १३०, लागी माझी प्रीति न साझे १३१. हैं तो मेरी सुधि हूं न लई १३२. मानों मैं तो शिव सिधिलाई हरखचन्द गुलामकृष्ण जगतराम 17 xxxx १३३. जानीये तो जानी तेरे मनकी कहानी विजयकीति १३४, नयन लगे मेरे नयन लगे १३५. मुझपे महरि करो महाराज विजयकोति १३६. चेतन चेत निज घट मांहि १३७. पिव बिन पल छिन बरस विहात Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ५८५ मानुकीति गुटका-संग्रह ] १३८. भजित जिन सरण तुम्हारो १३६. तेरी मूरति रूप कनी १४०, प्रथिर नरभव जागिरे रूपचन्द विजयकीति १४१. हम है श्रीमहावीर १४२, भलेभल मासकली मुझ, प्राज १४३. कहां लो दाम तेरी पूज करे १४४. प्राज ऋषभ परि जाये १४५. प्रात भयो बलि जाऊं १४६. जागो जग्गोजी जागो हर्षचन्द अनन्तकोत्ति १४७. प्रात समै उठि जिन नाम लीजे १४. ऐसे जिनवर में मेरे मन विमलायो १४६. प्रायो सरण तुम्हारी १५०. सरण तिहारी प्रायो प्रभु मैं १५५. बीस तीर्थकर प्रास संभारो १५२. कहिये दीनदयाल प्रभु तुम प्रखमराम विजयकोति द्यानतराय १५३, म्हारे प्रकट देव निरचन बनारसीदास १५४. हूं सरणगत तोरी रे १५५, प्रभु मेरे देखत प्रानन्द भये जगतराम १५६. जीवडा तू जागिर्ने प्यारा समकित महल में हरीसिंह १५७. घोर घटाकरि प्रायोरी जलघर जयकात्ति गुणचन्द १५८. कोन दिवासू प्रायो रे वनचर १५६. सुमति जिनंद गुणमाला १६०. जिन बादल चदि पायो हो जगमें १६१. प्रभु हम चरणन सरन फरी १६२. दिन २ देही होत पुरानी १६३. सुगुरु मेरे बरसत ज्ञान झरी ऋषभहरी जनमल हरखचन्द Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८६ ] [ गुटका-संग्रह १६४. क्या सोचत अति भारी रे मन धानतराय १६५, समकित उत्तम भाई जगत में १६६. रे मेरे बटशान धनागम छायो १६७. मानसरोवर सोइ हो भविजन १ १६८. हो परमगुरु बरसत ज्ञानझरो १६६ उ. . . जिन दर्शन को नेम देवसेन १७०. मेरे प्रब गुरु है प्रभु ते असा हर्षकीति १७१. बलिहारी खुदा के वन्दे ।। जानि मोहमद १७२. मैं तो तेरी पाज मझिा जानी भूधरदास १७३. देखोरी आज ने मीसुर मुनि । १७४. कहारी कहूं कछु कहत न पाये धानतराय १७५. रे मन करि सदा संतोष बनारसीदास १७६. मेरी २ करतां जनम गयो रे रूपचन्द १७७ देह बुहानी रे मै जानी विजयकत्ति १७८ साधों लज्यो सुमति अकेली बनारसीदास १७६, तनिक जिया जाग विजयनीति १५०. तन धन जोबन मान जगत में १५१ देख्यो बन में ठाडो वीर भूधरदास बनारसीदास वखंतराम १८२. चेतन नेकु न तोहि संभार १५३, कमि रझोरे अरे १८४. लागि रह्यो जीव परभाव में १०५. हम लामे प्रातमराम सों द्यानतराय १८६. निरन्तर ध्याऊ नेमि जिनंद विजयकोति १८७. कित गयोरे पंथो बोलती भूधरदास बनारसीदास १८८. हम बैठे पानी मौन से १८६. बुविधा कब जैहेगी Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह १६.. जगत में सो देवन को देष १६१, मन लागों श्री नवकारसू [ ५८७ १११ बनारसीदास मुणवन्द्र १६२. चेतन अब खोजिये राम सारङ्ग १९३. प्राये जिनवर मन के भावतें राजसिंह लालचन्द नन्ददास १९४. करो नाभि कबरजी को भारती १६५. री झांको वेद रटत ब्रह्मा रटत १६६. ते नरभव पाय कहा कियो २६७. अंखियां जिन दर्शन की प्यासी १६८, बलि जइये नेमि जिनंदकी १६६. सब स्वारथ के विरोग लोग २००. मुक्तागिरी बंदन जइये री . माउ विजयकत्ति देवेन्द्रभूषण सं० १९२१ में विजयकोति ने मुक्तागिरी की वंदना की थी। २०१. उमाहो लाग रह्यो दरशन को जगतराम हिन्दी २०२. नाभि के नंद बरण रज वंदौं २०३. लामो प्रातमराम सों नेह धानतराय २०४. धनि मेरी प्राजकी घरी x २०५. मेरो मन बस कीनो जिनराज चन्द २०६. धनि बो पीव पनि वा प्यारी ब्रह्मदयाल कर्मचन्द २०७. प्राज मैं नौके दर्शन पायो २७६. देखो भाई माया लागत प्यारी २०१. कलिजुग में ऐसे ही दिन जाये हर्षीत्ति २१०, श्रीनेमि चले राजुल तजिके २११. नेमि कंवर वर वींद विराजे सुंदरभूषण २१२. सेइ बड़भागो तेइ बड़भागी २१३. परे मन के के बर समझायो २१४. कब मिलिहो नेम प्यारे विहारीदास Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह हिन्दी २१५. नेमिजिनंद वर्नन की सकलकीसि २११. अब छाड्यो दाव वन्यो है भजले श्रीभगवान x २१७. रे मन जायगो कित ठौर XXX २१५. निश्य होरपहार सो होय २१६. समझ मर जीवन थोरो रूपचन्द जगतराम २२०. लग गई लगन हमारी २२१. अरे तो को कैसे २ कह समझायें चन विजय २२२. माधुरी जैनबाणो जगतराम २२३. हम प्राये हैं जिमराज तोरे बन्दन को द्यानतराय २२४. मन भटक्यो र. अटक्यों धर्मराल २२५. जैन धर्म नहीं कीना वरन देही पापी ब्रह्मजिनदास २२६, इन नैनों दा यही सुभाव २२७. नैना सफल भयो जिन दरसन पायो रामदास २२८. सब परि करम है परधान रूपचन्द २२९. सब परि बल चेत झान हर्षकीर्ति २३०. रे मन जायगो कित ठौर जगतराम उठानतराय जगतराम जयकीर्ति गुणचन्द २३१. मुनि मन नेमजी के वेन २३२. तनक ताहि है री ताहि मापनो दरस २३३. चलते प्राण क्यों गयेरी काया २३४. बाजत रंग मृदग रसाला २३५. अब तुम जागो चेतनराया २३६. कैसा ध्यान धरया है २३७. करि मतम हित करि लं २३८. साहिब खेलत है चौगान २३६. देव मोरा हो ऋषभजी २४०. बंदी चरी हो पिया मैं जगतराम यानतराय मरपाल समयसुन्दर द्यानतराम Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रहं । । ५८ धानतराय हिन्दी रूपचन्द द्यानतराय जगतराम २४१. मैं बंदा तेरा हो स्वामी २४२. जै जै हो स्वामी जिनराय २४३ तुम ज्ञान विभो फूली वसंत २४४. नैननि ऐसी बानि परि गई २४५. लागि लौ नाभिनंदन स्यों २४६. हम प्रातम को पहिचाना है २४७, कौन सयानपन कीन्होरे जीव २४८. निपट ही कठिन हेरी २४६. हो जो प्रभु दीनदयाल मैं बंदा तेरा भूधरदास द्यानतराय जगतराम विजयकीति अक्षयराम २५.. जिनवाणी दरयाव मन मेरा ताहि में सूले गुणचन्द्र २५१. मनहु महागज राज प्रभु २५२. इन्द्रिय ऊपर भसवार चतन २५३. पारसी देखत मोहि पारसी लागी समयसुन्दर २५४. कांके गद फौज बढ़ी है x २५५. दरवाजे बेडा स्वोलि खोलि अमृतचन्द्र २५६. चेति रे हित चेति चेति द्यानतराख २५७. चितामरिण स्वामी सोचा साह्य मेरा बनारसीदास २५६. सुनि माया ठगिनी ते सब ठिगी खाया भूधरदास २५९. बलि परसें श्री शिखरसमेद गिरिरी २६०. जिन गुण गागोरी २६१. वीतराग तेरी मोहिनी मूरत विजयनीति २६२. प्रभु सुमरन की या विरियां २६३, विये प्राराधना तेरी नवल २६४, घड़ो धन प्राजकी ये ही नवल २६५. मैय्या अपराध क्या किया विजयकीति २६६. तजिके गयै पीव हमको तकसीर क्या विधारी, नबल Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह १२६ २६७. मसारी गिरि जाने दे मोहि नेमजीसू काम है. श्रीराम २६८, गेम ध्याहनकू पापा नेम मेहरा बंधाया विनोदीलाल २६९. धन्य तुम धन्य तुम इतित पावन २७.. चतन नाड़ी भूलिये नवल २७१. त्यारौ श्री महावीर माकदीम जानिके सयाईराम २७२. मेरी मन बस कान्हा महावीर (चायनपुरके) हर्षीति २७३ रायो सीता चल गेह छ.नतराब २७४, नहं सीताजी मुनि रामचन्द्र २७५. नछोडा हो जिनराज नाम हर्षकीसि २७५. दंत्र गुरु पहिचान बंद २७७. नमि जिनंद निश्करयां जीवराम २७८, क्य 'परदेसी को पतियारो রমজীবি छानतराय २५९. चेतन मान ले साढीतियां २८०, सांकर। मुरत मेरे मन वसी है माई ८.शाया र बुढापं बेरी मबल अथरवास २८६. सानियां या जीवनड़ा म्हारी जिनहर्ष २८३. पचे महायतबार। किशनसिंह २५४. तेरी दलिहारी हा जिनराज २८. दख्या दुनिया दिन दे काई अजब तमाशा, भूधरदास २५१. अटक नगा नदी बहैवा नवल २८.४, बला बिनदिय एरा भली चामतरीय २०८ जगतनयन नए मायक जादौ-धति ४ २८६ प्रान्दिन गदिय मानु नेमजो प्यारी अखियां राजाराम २६. हाजा इफ ध्यान संतजी का धरना हेमराज २६१ भला हो माडे सांइहो २६२. तू ब्रह्म भूलो, तू ब्रह्म भूला प्रशानो रे भारणी बनारसीदास Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । [ ५६१ २६३. होजी हो सुधातम एह निज पद भूलि रह्या ४ हिन्दी २६४. मुनि कनक कीर्ति की जकड़ी मोतीराम रचना काल सं० १९५३ लेखन काल संवत् १५५६ नागौर में पं. रामचन्द्र ने लिपि को । २१५, छोक विचार हिन्दी ले. काल १८५७ २६६. सांवरिया अरज सुनो मुझ दीन की हो पं० खेमचंद ___ हिन्दी २६७. चांदखेडी में प्रभूजी राजिया चन्द्रभान २६८. ज्यों जानत प्रभु जोग धरधो है २६६. ग्रादिनाथ की दिमती मुनि कनक कीति र० काल १८५६ १३६-४० ३००. पार्श्वनाथ की भारती १४० ३.१. नमरों की वसापत का संवत्वार विवरण , संबन ११११ नागौर मंडाणो प्राखा तीज दिन । , ६०१ दिली बसाई अनंगपाल तुवर वैसास्त्र सुदी १२ भौम । १६१२ अकवर पातशाह मागरी वसायो । ७३१ राजा भोज अंजणी बसाई । , १४०७ अहमदाबाद अहमद पातसाह बसाई । १५.१५ राजा जौधे जोधपुर. बसायो जेठ सुदी ११ । १५४५ बीकानेर राव बीकै बसाई। १५०० उदयपुर राणे उदयसिंह बसाई । १४४५ राब हमीर न रावत फलोधी बसाई । १०७७ राजा भोज रे बेटे दीर नारायण सेवायो बसायो। , १५६६ रावल वीदे महेको बसायो । १२१२ भाटी जैसे जैसलमेर बसायो सां । वन ) बुदी १२ रवौ । ११०० पवार नाहरराव मंडोवर बसायो। १६११ राब मालदे माल कोट करायो । १५१८ राव जोधावत मेड़तो बसायो। ... १७६३ राजा जैसिंह जैपुर बसायो कछावै । Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ [ गुटका-संग्रह संवत् १३०० जालौर सोनहार बसाई । १७१४ मौरंगसाह पातसाह औरंगाबाद बसायो । , १३३७ पातसाह अलावद्दीन लोदी वीरमदे काम प्रायो। १०२ मणहल पुवाल पाटण बसाई वैसाख सुदी ३। , २०२ ( १२०२) ? राव अजेपाल पवार अजमेर बसाई । ११४८ सिंधराव जैसिंह देही पाटणा मैं । १४५२ देवडो सिरोही बसाई। १६१९ पात्तसाह अकबर मुलतान लीयो। १५६६ रावजी तेतबो नगर बसायो। १९८१ फलोधी पारसनाथजी । १६२६ पातसाह अकबर अहमदाबाद लोधी। १५६९ राव मालदे भीकानेर लोधी मास३ रही राव जैतसी ग्राम प्रायो। १६६६ राव किसनसिंह किशनगढ़ बसायो । , १६१६ मालपुरी बसायो। , १४५५ रेणपुरो देहूरो यांपना। ६०२ सीतोड चित्रंगद मोडीये बसाई। १२४५ विमल मंत्रीस्वर हवो विमल बसाई । , १६०६ पातसिंह अकबर चीतोड़ लोधी जे० सुदी १२ । , १६३६ पातसाह अकबर राजा उदैसिंहजी नुम्हाराजा से खिताज दीयो । , १६३४ पातसाह प्रक्फबर कछोविदा लीधो। ३०२, श्वेताम्बर मत के चौरासी बोल हिन्दी १४३-४९ ३०३. जैन मत का संकल्प संस्कृत ३०४, बाहर मारोठ की पत्री हिन्दी पद्य सं. १८५८ असाढ वदी १४ अपूर्ण सर्यजजिनं प्रणमामि हितं, शुभयान पलाता थी लिखित । सुमुनी महीचन्दजि को विदयं, नवनंद हुकम लुरणां सदयं ॥१॥ Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संघह ] किरपा फुरिण मोहन जीवणयं, प्रफरपुर मारोठ यानकयं । सरवोपम लायक थान छणे, गुरु देख सु भामम भक्ति यजै ।।२।। तीर्थकर ईस भक्ति धरै, जिन पूज पुरंदर जम करें । चतुसंध सुभार धुरंधरयं, जिन पति ऐक्यालय कारक्यं ।।३।। व्रत द्वादस पालस सुद्ध खरा, सतरे पुनि नेम धरै सुथरा । बहु दान चतुर्विध देय सदा, गुरु शास्त्र सुदेव पुजे सुखदा ।।४।। धर्म प्रश्न जु श्रेणिक भूप जिसा, सद्मश्रेयांस दानपति जु तिसा | निज स ज व्योम दिवाकरयं, गुरण सौख्य कलानिधि बोधमयं ।।५।। सु इत्यादिक वोयम योगि बहु, लिखियो जु कहां लग बोय सहूं । दयुड़ा गोठि जु थावग पंच लस, शुद्धि वृद्धि समृद्धि प्रानन्द वस । ६।। तिह योगि लिखे धम वृद्धि सदा, लाहिमो सुख संपति भोग मुदा । ...................." इह थानक नानन्द देय जपें, उत चाहत खेम जिनेन्द्र क । अपरं च जु कागद प्राइ इतै, समाचार वाच्या परसंन तिनै ।।८।। सह वात जु लाय प्रमकर, प्रम देव गुरु पसि भक्ति भर । मर्याद सुधारक लायक हो, कल्पद्र म काम सुदायक हो ।।६।। पदार्थत विनवत दातृ गहो, गुणशील दयानम पालक हो । इत है व्यवहार सदा तुम को, उपरांति तुमै नहि औरन को ॥१०॥ लिखियो लघु को विधमान यह, सुख पत्र जु बाहुइता लिखि है। वसू वाण बसू पुनि चन्द्र कियं, बदि मास असात चतुर्दिशियं ॥११॥ इह श्रोटक छंद सुचाल मही, लिखवी पतरी हित रीति वही। ..............||१२॥ तुम भेजि हूं बैंक संकर नै, समचार कह्या मुख ते सुइने । इनके समाचार इतै मुख ते, करज्यो परवान सवै सुखते ।।१३।। ॥ इति पत्रिक सहर म्हारोठ की पंचायती नु॥ ३०५, शृङ्गार रस के फुदकर छन्द हिन्दी १५२-१५४ Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह ५४०३. गुटका सं० २३ । पत्र सं० १८२ | मा० ८४५३ इच। पूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष—विभिन्न रचनामों में से विविध पाठों का संग्रह है। ५४०४. गुटका सं० २४ । पत्र सं० ८१ । प्रा० ७X६ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय. पूजा । पूर्ण | दशा-सामान्य । चन्द्रकीति सस्कृत हिन्दी १. चतुर्विशति तीर्थङ्कराष्टक २. जिन चैत्यालय जयमाल ३. समस्त प्रत की जयमाल १. आदिनाथाष्टक ५. मणिरत्नाकर जयमाल रत्नभूषण चन्द्रकीति ७३-७४ ७५-७७ ६. प्रादीश्वर भारती ५४०५. गुटका सं०२५ । पत्र सं० १५७ । बा. AX५ इश्व | भाषा-संस्कृत हिन्दी 1 ले. काल सं. १७५५ ग्रासोज सुदो १३ । संस्कृत १. दशलक्षरगपूजा २. लघुम्वयंभू स्तोत्र ३. शास्त्रिपूजा १९-२४ ४. षोडशकारपूजा २४-२७ २७-३२ ३३-३० मुनि सकल कीत्ति xx. xxxxxxx हिन्दी संस्कृत ५. जिनसहस्त्रनाम [लघु) ६ सोलकारणरास ७. देवगूजा ८. सिद्धपूजा ६. पश्चमेहपूजा १२. अष्टाहकाभक्ति ११. तत्वार्थ मूत्र १२. रत्नत्रयजा १३. क्षमावणीपूजा १४. सोलहतिथिवर्णन ७४-७५ ७६-८९ उमास्वामी पंडिताचार्य नरेन्द्रसेन ब्रह्मसेन ९०-१०५ ११६-१३७ १३८-१४५ हिन्दी १४६ Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संस्कृत xxF गुटका संग्रह ] [ ५ १५. बोसविद्यमान तीर्थङ्करपूजा १६. शास्त्रजयमार १५५-५१ ५.०६. गुटका सं २६ । पय एवं १४३ | प्रा. .X४ इछ । ले. काल सं० १६८८ ज्येष्ठ बुदी २। पूर्ण । दशा-जीर्ण । १. विषापहारस्तोत्र संस्कृत २. भूपालस्तोत्र भूपान ३. सिद्धिप्रियस्ताव ४. साममिक पाठ १३-३२ ५. भक्तिगठ (सिद्ध भक्ति मादि) ३३-७० ६. स्वयंभूस्तोत्र समन्त-द्राय: ७१- ७ ७. वन्देतान को जयमाला ८८-९ ८. तत्वार्थ सूत्र उमास्वामि ८६-१०७ ६. श्रावक प्रतिक्रमण १०८-२३ १०. गुर्वावलि १२४-१३ ११. कल्याण मन्दिरस्तोत्र कुमुदचन्द्राचार्य १३४-१३६ १२. एकीभावस्तोत्र वादिराज १३९-१४३ ___ सवत् १६८८ वर्षे ज्येष्ठ बुदी द्वितीया रवौरिने अर्थ ह श्री धनौघेन्द्रगे श्रीचन्द्रप्रभचैत्यालये श्रीमूलसंधे सरस्वतोगच्छे बलात्कारमणे कुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टारक श्रीविद्यानन्दि पष्टे भ० भीमल्लिभूषणपट्ट भ० श्रीलक्ष्मीचन्द्रपट्टे भ० श्रीअभयचन्द्रपट्टे भ. श्रीप्रभयनन्दि? भ० श्रीरत्नकोत्ति तपट्ट भ० श्रीकुमुदचन्द्रास्तत्प? भ० श्रीमभयचन्द्र ब्रह्म थी अभयसागर सहायेनेदं क्रियाकलापपुस्तकं लिखितं श्रीमद्धनौपेन्द्रगच्छः हेबड़जातीयः लघुशाखायां समुत्पन्नस्य परिखरविदासस्य भार्या नई क्रीको तयोः संभवा मुला प्रताश्नाम्न प्रदत्तं पठनार्थं च । ५४८६. गुटका सं० २७ । पत्र सं० १५७ । प्रा० ६४५ इव । ले० काल सं० १८८७ । पूर्ण । दश: xx सामान्य। विशेष-4 तेजपाल ने प्रतिलिपि की थी। संस्कृत १. शास्त्र पूजा २. स्फुट हिन्दी पद्य xx Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ ] [ गुटका-संग्रह x संस्कृत ५-६ ३. मंगल पाठ ४. नामावली x ५, तीन चौबीसी नाम. x हिन्दी १२-१३ x संस्कृत १३-१४ १४-१५ x भूधरदास हिन्दी १५-२० ६. दर्यानपाठ ७. भैरवनामस्तोत्र . पाश्चमेरुपूजा ६. अष्टाह्निकापूजा १०. पोडशकारसपूजा ११. दशलक्षापूजा संस्कृत २१-२५ २५-२७ xxx x x २७-२६ १२. पञ्चपरमेष्ठीपूजा २६-३० १३. अनन्तवतपूजा हिन्दी ३१-३३ १४. जिनसहस्रनाम प्राशाधर संस्कृत ३४-४६ १५. भक्तामरस्तोत्र मंस्कृत मानतुगाचार्य ४४-५३ पद्मप्रभदेव ५२-५५ १६. लक्ष्मीस्तोत्र १७. पयावतीस्तोत्र १८. पद्मावतीसहस्रनाम उमास्वामि १६. तत्वार्थसुत्र १७२-८७ २०. सम्मेद शिखर निवारण काण्ड हिन्दी ८-६१ १२-६७ संस्कृत समास्वामि हेमराज हिन्दी २१. ऋषिमण्डलस्तोत्र २२. तत्वार्थसूत्र (१-५ अध्याय ) २३. भक्तामरस्तोत्रभाषा २४. कल्याणमन्दिरस्तोत्र भाषा २५. निर्वाणकाण्वभाषा २६. स्वरोदयविचार १००-१६ १०७-१११ बनारसीदास भगवतीदास ११२-१३ ११४-११, २७. बाईसपरिषह १२.-१२५ २८. सामायिकपाठ लघु १२५-२६ Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ xxxx गुटका-संग्रह ] [ ५६७ २९. श्रावक को करणी हर्षकीर्ति हिन्दी १२६-२८ ३०. क्षेत्रपालपूजा १२८-३२ ३१. पितामणीपाश्र्वनाथपूजा स्तोत्र संस्कृत १३२-३६ ३२. कलिकुण्डपावनाय पूजा हिन्दी १३६-३६ ३३. पद्मावतीपूजा १४०-४२ ३४. सिद्धप्रियस्तोत्र देवनन्दि १४३-४६ ३५. ज्योतिष चर्चा १४०-१५७ ५४०८. गुटका सं०२८ । पत्र सं० २० प्रा०:४७ इन्च । पूर्ण | दशा-सामान्य | विदोष-प्रतिष्ठा सम्बन्धी पाठों का संग्रह है । ५४०६ गुटका सं० २६ । पत्र सं० २१ । प्रा० ६३४४ इञ्च । ले० वान सं० १८४६ मंगसिर सुदी १०। पूर्ण | दशा-सामान्य । विशेष—सामान्य शुद्ध । इसमें संस्कृत का सामायिक पाठ है । ५४१०. गुटका सं० ३० । पत्र सं० ८ | प्रा० ७X४ इ । पूर्ण । वियोष-इसमें भक्तामर स्तोत्र है । ५४११. गुटका सं० ३१ । पत्र सं० १३ । मा० ६३४४३ इंच | भाषा-हिन्दी, संस्कृत । विशेष—इसमें नित्य नियम पूजा है । ५४१२. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० १०२ । घा० ६३४५ इञ्च | भाषा-हिन्दी । ले० काल #. १८६६ फागुण बुदी ३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । विशेष—इसमें पं. जयचन्दजी कृत सामायिक पाठ (भाषा) है। तनसुख सोनी ने अलवर में साह दुलीचन्द की कचहरी में प्रतिलिपि को यो । अन्तिम तीन पत्रों में लघु सामायिक पाठ भी है। ५४१३. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० २४० । प्रा० ५४६३ इन्च | विषय-भजन संग्रह 1 ले • काल | पूर्स | दशा-सामान्य । विशेष...जैन कवियों के भजनों का संग्रह है । ५४१४. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० ४१ । प्रा० ६३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ल. काल सं० १६.८ पूर्ण । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. ज्योतिषसार कृपाराम [ गुटका-संग्रह १-३० र० काल सं० १७६२ कात्तिक सुदी १० । प्रादिभाग-दाहा--- सकल जगत सुर प्रसुर नर, परसत गणपति पाय । सो गणपति बुधि वीजिये, जन अपनों चितलाय ।। अरु परसों चरनन कमल, युगल राधिका स्याम । धरत ध्यान जिन चरन को, सुर न () मुनि नाठों जाम ।। हरि राधा राधा हरि, जुगल एकता प्रान | जगत प्रारसी मैं नमों, दूजो प्रतिबिम्ब जान ।। सोभत्ति प्रोले मत्त पर, एकहि जुगल किसोर । मनो लस घन मांझ ससि. दामिनी चार पीर ।। परसे प्रति जय चित्त को, चरन राधिका स्याम । नमस्कार कर जोरि के, भाषत फिरणाराम ।। साहिजहापुर सहर में, कायथ राजाराम । नुलाराम तिहि बस में, ता सुत किरपाराम ॥६।। लघु जातक को ग्रन्थ पह, सुनो पंडितन पास | ताके सबै दलोक में, दोहा करें प्रकास ॥७॥ मो प्रबहु जे सुनौ, लयो परम निकारि । साको बहुविधि हेत सौं, कह्यो ग्रन्थ विस्तार ॥॥ संवत् सत्तरह से बरस, और बागवे जानि । कातिक सुदी दशमी गुरु, रच्यो ग्रन्थ पढ्यानि | सब ज्योतिष को सार यह, लियो जु अरथ निकारि । नाम पायी या ग्रन्थ को, तातें ज्योतिष सार ।।१०।। ज्योतिष सार जु ग्रन्थ कौं, फलप अद्ध मनु लेखि । तावो नन सास लसत, जुदो जुदो फल देखि ॥११॥ Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ t . पन्तिम - . - -- प्रध वरस फल लिखते मंत्रत् महै हीन करि, जनम वर (ष) लो मित्त । रहे सेष सो गत बरष, आवरदा में वित्त | भये वरष गत अङ्क परु, लिख घर वाहू ईस । प्रथम येक मन्दर है, ईह वहाँ इकतीस ॥११॥ परतोस पहले धूरवा, अंक को दिन अपने मन जानि । मुजे घर फल तीसरो, चौथे म अखिर ज ठान ||२|| भये वरष गत ग्रंक को, मन धरवावी चित्त। पुरणाकार के अंक में, भाग सात हरि मित 181 भाग हातेमान को, लबध अंक मो जानि । जो मिल य पल मैं बहुरि, फल ते घटी बखानि ॥१४॥ घटिका मे ते दिवस मै, मिलि जै है जो अंक । तामें भाग जु सस को, हरि मित न सं 100 भाग रहै जो सेष सो, बचे अंक पहिचानि । तिन मैं फल घटीका दसा, नाम मिलावो पानि ।।६६|| जन्मकाल के प्रत रवि, जितने बीते जानि | उतनै वात मंस रवि, वरस लिरुपी पहनानि ॥१७॥ परस लम्यो जा अंत में, सोइ देत चित धारि । वादिन इतनी घड़ी जु, पल बीते लगुन वीवारि ॥९८|| लगन लिखे है गोरह जो, जा घर बैठो जाइ। ता घर के फल सुफल को, दीजे मित बनाइer इति श्री किरपाराम कृत ज्योतिषसार संपूर्णम् हिन्दी ३१-३६ १. पाशावली २. शुभमुहूर्त ३९-४१ Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०० [ गुटका संग्रह ५४१५. गुटका सं० ३५१ पत्र सं० १८ | पा ६२४५३ इव | भाषा-X विषय-ग्रह । ले. काल सं० १८८६ भादवा चुदी ५। पूर्ण शुद्ध | दशा-सामान्य । विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी। हिन्दी पद्य १. नेमिनाथजी के दश भन २. निर्वाण काण्ड भाषा भगवतीदास " र०काल १७४१, ५७ ३. दर्शन पाठ संस्कृत ४. पार्श्वनाथ पूजा ५. दर्शन पाठ ६. राजुलपञ्चीसी xxx हिन्दी लालचन्द विनोदीलाल ५४१६. गुटका सं० ३६ । पत्र सं० १०६ । मा० Elix६ इश्च । भाषा--हिन्दो । विषय-संग्रह । ले० काल १७८२ माह बुदी ८ । पूर्ण । प्रशुद्ध । दशा-जीर्ण । विशेष-गुटका जीर्ण है । लिपि विकृत एवं बिलकुल अशुद्ध है। १. ढोला मारूणी की बात x हिन्दी प्राचीन पद्य सं०४१५, १-२४ २८-३० २. बदरीनाथजी के छन्द x ले. काल १७८२ माह बुढी ८ हिन्दी ३०-३१ ३. दान लीला x x ४. प्रह्लाद चरित्र ५. मोहम्मद राजा की कथा x ६. भगतवत्सालि x ३५-४२ ११५ पथ । पौराणिक कथा के आधार पर । 4 हिन्दो ४२-४४ सं० १७५२ माह बुदी १३ । १२१ पद्य, ४४-५३ ७. भ्रमर गोस x x ८. धुलीला ६. गज मोक्ष कथा x १०. धुलीला x पद्य सं०२४५६-६० Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६०१ x गुटका-संग्रह ११. बारहखड़ी १२. विरहमञ्जरी १३. हरि बोसा चित्रावली हिन्दी ६०-६२ x ६२-६८ ६०-७० x पद सं. २६ १४. जगनाथ नारायण स्तवन x ७०-७४ x संस्कृत ७५-७७ १५. रामस्तोत्र कवच १६. हरिरस x हिन्दी ७-८५ विशेष-गुटका साजहानाबाद जयसिंहपुरा में लिखा गया था । लेखक रामजी मीरखा था। ५४१७. गुटका सं०३७। पत्र सं. २४० | मा० ७३४५३ इच। १. नमस्कार मंत्र सटीक हिन्दी २. मानबावनी मानवि ५३ पद्य हैं ४-२५ ३. चौबीस तीर्यङ्कर स्तुति ४. प्रायुर्वेद के नुसखे ५. स्तुति कमककीति लिपि सं० १७६९ ज्येष्ठ सुदी २ रविवार ६. नन्दीश्वरद्वीप पुजा संस्कृत कुदाला सौगाणी ने सं०१७७० में सा० फतेहचन्द गोदीका के प्रोल्ये से लिखी। ७. तत्त्वार्थ सूत्र उमाश्वामि संस्कृत १ प्रध्याय तक ६१ ८. नेमीश्वररास ब्रह्मरायमल्ल हिन्दी र०सं० १६१५ १७२ ९. जोगीरासो जिनदास लिपि सं. १७१० १७६ १०. पद २०५-२३६ गुणकोति र०सं०१७७७ असाढ वदी १४ ११. प्रादित्यवार कथा भाऊ कवि १२. दानशीलत्तरभावना १३. चतुर्विशति छप्पम आदि भाग-- पादि अंत जिन देव, सेन सुर नर तुझ करता । जय जय ज्ञान पवित्र, नामु लेसहि अब हरता ।। Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ ] अन्तिम भाग --- १३. सोलराग सरमुर्ति तनइ पसाइ, ज्ञान मनवांछित पूर सारद लागी पाइ, जेमि दुख दालिद्र भरइ ॥ गुरु निरग्रन्थ प्रणम्य कर जिन चउवीसो मन धरउ । गुनकीर्ति इम उश्वर, सुभ बसाइ रु देला तर ३॥१॥ १. प्रभावती कल्य २. नाड़ी परीक्षा नाभिराय कुलचन्द, नंद मरुदेवि जान | का धनुष शत पक्ष वृषभान् ॥ हेम वर्ष कहि कामु श्रायु लक्ष्य जु चौरासी । पूर गनती एह, जन्म अयोध्या वासी ॥ भरहि राजु तु सौपि कर, अस्टापद सीधउ ता । गृनकीति इभ उच्चरs, सुभवित लोक वन्द सदा ||१॥ ॥ इति श्री तितीर्थंकर छपैया सम्पूर्ण ॥ गुरको ति हिन्दी रचना सं० १७१३ गंख्या २२६ ॥ श्र० १०७॥ दशा - जी | ५१. गुटका सं० ३ विशेष- ३४ पृष्ठ तक आयुर्वेद के अच्छे नुसते हैं । श्रीमूलसंघ विख्यातगछ सरसुतिय बखानेउ | तिहि महि जिन बडवीस, ऐह सिक्षा मन जानउ ।। पराय छह प्रसाद, उत्तंग मूलचन्द्र प्रभुजानी । साहिजिहां पतिसाहि, राजु दिलीपति श्रानी | सतरहसहरु सतोत्तरा, वदि प्रसाद चउदसि करना । गुनकीर्ति इम उचर, सु सफल संघ जिनवर सरना || X हिन्दी संस्कृत करीब ७२ रोगों को चिकित्सा का विस्तृत वर्णन है । X [ गुटका-संग्रह २४० कई रोगों का एक नुसखा है। Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ३. शौल सुदर्शन रासो हिन्दी ३७-४२ ४. पृष्ठ संख्या ५२ तक निम्न अवतारों के सामान्य रंगीन चित्र हैं जा प्रदर्शनी के योग्य है। (१) रामावतार ( २ ) कृष्णावतार ( ३ ) परशुरामावसार ( ४ ) मच्छावतार ( ५ ) कच्छाववार (६ ) वराहावतार (७) नृसिंहावतार ( ८ ) कल्किा प्रवतार (6) बुद्धावतार ( १ ) हयग्रीवावनार तथा (११) पार्यनाथ चैत्यालय ( पार्श्वनाथ की मूर्ति सहित) संस्कृत ५. काकुमावली ६. पाशाकेवली । शेष परीक्षा) जन्म कुण्डली विचार x - ७. पृष्ठ ६८ पर भगे हुए व्यक्ति के वापिस पाने का पप है। माचतुग - संस्कृत ८. भक्तामरस्तो ६. वैद्यमनोत्सव ( भाषा) १०. राम विनाद (आयुर्वेद ) ११. सामुद्रिक शास्त्र ( भाषा) नयन सुख हिन्दी ७४-१ - - .. .. १२-१५ ६९-२१२ लपी कर्ता-सुखराम ब्राह्मण पचीली काशीनाथ संस्कृत १२. शोधवोध . १३. पूजा संग्रह १४. योगीरासो १५. तत्वार्थसूत्र । १६. कल्याणमदिर (भाषा) जिनदास हिन्दी १६७ उमा स्वामि संस्कृत २०७ बनारसीदास हिन्दी १७. रविवारव्रत कथा xx २२१ १८. प्रसों का ब्योरा अन्त में ६४ योगिनी प्रादि के यंत्र है। ५४१६ गुटका सं० ३६-पत्र सं• ६४ । प्रा० ६x६ शश्च । पूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष- सामान्य पाठों का संग्रह है। Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०४ [ गुटका संग्रह ५४२० गुटका सं० ४०-पत्र सं० १०३ । प्रा० ८१x६ इश्व । भाषा-हिन्दी । ले० सं० १८०० पूर्ण । सामान्य शुद्ध । विशेष-पूजाओं का संग्रह तथा पृष्ठ ८० से नरक स्वर्ग एवं पृथ्वी ग्रादि का परिचय दिया हुवा है। ५४२१ गुटका सं०४१-पत्र संख्या-२५७ । घा०-rxern इन। लेखन काल-संवत् १०७५ माह बुदी ७ । पूर्ण । दशा उत्तम । १. समयसारनाटक बनारसीदास हिन्दी रच गं. १६९३ यासी.सु. १३ १-५१ हिन्दी संस्कृत प्राकृत सुभाषित ५२-१११ २. मारिएक्यमाला संग्रह कर्ता ब्रह्म ज्ञानसागर नथप्रश्नोत्तरी ३. देवागमस्तोत्र प्राचार्य समत्तम मस्कृत लिपि संवत् १८६६ कृपारामसौगाणी ने करीली राजा के पठनार्थ हाडौती गांव में प्रति लिपि बी । पृष्ठ -१११ से ११५ । ४. मनादिनिधनस्तोत्र लिपि सं. १८६९११५-११६ ५. परमानंदस्तोत्र संस्कृत ६. सामायिकपाठ अमितगति ७. पंडितमरण ८, चौवीसतीर्थङ्करभक्ति ११६-२० लेखन सं० १९७० साख सुदी ३ ९. तेरह काठिया बनारसीदास हिन्दी १०. दर्शमपाठ संस्कृत १२३ ११. पंषमंगल रूपचंद हिन्दी १२३-१२८ १२. कल्याणमंदिर भाषा बनारसीदास १२८-३० १२०-३२ १३. विषापहारस्तोत्र भाषा प्रचलकीति रचना काल १७१५। हिन्दी १३२-३५ १४. भक्तामर स्तोत्र भाषा १५. वचनाभि चक्रवत्ति की भावना हेमराज भूधरदास Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६०५ भगवती दास १३७-३८ उमास्वामी संस्कृत १३८-४५ १४५-५२ १५२-५३ गुटका संग्रह ] १६. निर्वाण काण्ड भाषा १७ श्रीपाल स्तुति १८. तत्त्वार्यसूत्र १६. सामायिक बड़ा २०. लघु सामायिक २१. एकीभावस्तोत्र भाषा २२. बाईस परिषद २३. जिनदर्शन २४. संयोधपंचासिका २५. बीसत्तीर्थकर को जकड़ी २६. नेमिनाथ मंगल जगजीवन हिन्दी १५३-५४ भूधरदास १५४-५७ १५७ ५८ द्यानतराय १५८-६७ लाल हिन्दी र०सं० १७४४ सावण सु. ६ २७. दान बावनी द्यानतराव १६७-७१ २८. चेतनकर्म परित्र भैय्या भगवतीदास १७१-१८३ २०१७३६ जेठ वदी २६. जिनसहस्रनाम आशाधर संस्कृत १८४-८९ मानतुग कुमुदबन्द संलत १६२-६४ धनञ्जय १६४-६६ देवनन्दि १६६-६८ ३०, भक्तामरस्तोत्र ३१. कल्याणमन्दिरस्तोत्र ३२. विषापहारस्तोत्र ३३. सिद्धप्रियस्तोत्र ३४. एकीभावस्तोत्र ३५. भूपालबौबीसी ३६. देवपूजा ३७. विरहमान पूजा ३८. सिद्ध जा १९८-२०० वादिराज भूपाल कवि २००-२०२ २०२-२०५ २०५-२०६ २०६-२०७ Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ३४. सालहकारगपूजा २०७-२० २०८-२०६ २०६-१४ ४०. दशलक्षणपूजा ४१. रलत्रयपूजा ४२. कलिकुण्डलपूना ४३. चिंतामरिण पार्श्वनाथपूजा ४४. शांतिनाथस्तोत्र ४५. पार्वनाथपूजा ४६, चौवीस तीर्थङ्कर स्तवन ४७. नवग्रहगति पार्श्वनाथ स्तवन ४८. कलिकुण्डपार्श्वनाथम्तोत्र xxxxxxx २१४-२२५ २२५-२६ २२६ अपूर्ण २२६-२७ देवनन्दि २२५-३७ x २३७-४० x २४०-४१ लेखन काल १८६३ माघ सुदी ५ २४१-१३ ४६. परमानन्दस्तोत्र x ५०, लघुजिनसहस्रनाम x २४३-४६ लेखन काल १९७० वैशाख सुदी ५ x २४६-५१ २५२-५४ x ५१. सूक्तिमुक्तावलिस्तोत्र ५२. जिनेन्द्रस्तोत्र ५३. बहत्तरकला पुरुष ५४. चौसठ कला स्त्री x हिन्दी गद्य २५७ x ५४२०. गुटका सं०१२ | पत्र सं० ३२६ । ग्रा. ७४४ इ । पूर्ण । विशेष- इस में मधरदास जी का चर्चा समाधान है। ५४२३. गुट का सं० ४३ –पत्र सं० ५८ | आ० ६३४५३ इच। भाषा-संस्कृत । ले० काल १७६७ कार्तिक शुक्ला १३ । पूर्ण एवं शुद्ध । विशेष-व बेरवालान्वये साह थी जगरूप के पठनाई भद्रारक श्री देवचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। प्रति संस्कृत टीका सहित है । सामायिक पाठ आदि का संग्रह है। ५४२४. गुटका सं०१४ । पन सं० ८३ | आ० १०४५ इच। भाषा-हिन्दी । पूर्ण । दशा जीर्ण । विशेष—चत्रिों का संग्रह है। Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६:४ गुटका-संग्रह ] ५४२५ गुटका सं० ५५ । पत्र सं० १४७ । प्रा० ६३४५ हश्च । पूर्ण । ২. বহাল ধূস। x २. कमलाष्टक x x x ३. गुरूस्तुति ४. सिद्धपूजा ५, कलिकुण्डस्लवन पूजा. ६. षोडशकार पूजा x १२-१५ १६-१६ १६-२२ २२-३२ x x x ३२-३४ भट्टारक महीचन्द्र ३६-४५ ४५-५७ " मेमचन्द्र गौतमस्वामी ५७-६५ ७. दशलक्षणपुजा ८. नन्दीश्वरसुजा ६. पंचमेस्यूजा १०. अनन्त चतुर्दशीपू . ११. ऋषिमंडलपूजा १२. जिनसहस्रनाम १३. महाभिषेक पाठ १४. रत्नत्रयपूजाविधान १५. ज्येष्ठजिनवरपूजा १६. क्षेत्रपाल की पारनी पाशाधर ७४-९६ ६७-१२१ Xxxxx १२२-२५ १२६-२७ १७. गणधरवलयमंत्र संस्कृत १२८ १८. प्रादित्यवारकथा यादोचन्द्र १२६-३१ १९. गीत विद्याभूषण संस्कृत १३४ २०. लधु सामायिक २१. जमवतीदंद भ० महीचन्द्र १३४-१४० ५४२६. गुट का सं८ ४६–पत्र सं० ४६ | प्रा. ७३४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । पूर्ण एवं अशुद्ध विशेष --वसंतराज कृत शकुन शास्त्र है। Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०८ ] [ गुटका-संग्रह ५४२७. गुटका सं०४७। पत्र सं० ३४० । ग्रा० ८४४ इ पूर्ण । दशा-पामान्य । १. सूर्य के दस नाम संस्कृत २. बन्दो मोक्ष स्तोत्र ३. निर्वाणविधि ४. मार्कण्डेयपुराण ४-५६ ५. कालीसहस्रनाम ५८-१३२ ६. नृसिंहपूजा १३३-३५ ७. देवीसूक्त ८. मंत्र-संहिता मंस्कृत १६६-२३३ २. ज्वालामालिनी स्तोत्र १०. हरगौरी सबाद २३६-७३ ११. नारायण कवन एवं प्रष्टक २७३-७६ १२. चामुण्डोपनिषद् २७९-२८१ १३. पीठ पूजा २८२-८७ १४. योगिनी कवच २८८-३१० १५. आनंदलहरी स्तोत्र शंकराचार्य ३११-२४ ५४२८ गटका २०४८ । पत्र सं०-२२२ । मा०-६॥४५॥ इन्च पूर्ण | दशा-सामान्य ! १. जिनयज्ञकल्म पं० माशाधर संस्कृत १-१४१ x x x x x x x x x x x xxx २. प्रशस्ति ब्रह्म दामोदर दोहा ॐ नमः सरस्वत्यै । प्रथ प्रशस्ति । श्रीमंतं सन्मत्तिदेवं, निःकर्माणम् जगद्गुरुम । भक्त्या प्रम्य वक्ष्येऽहं प्रशस्ति तां गुणोनम ।। १ ।। स्यावादिनी ब्राह्मी ब्रह्मतत्व-प्रकाशिनी । सतगिराराधितां चापि या सत्वशंकरी ॥ २॥ गणिनो गौतमादींश्च संसारार्णवतारकान् । जन-प्रणीत-सन्छास्त्रकैरवामलचंद्रकान ॥३॥ Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संगइ । । ६०६ मूलसंघ वनात्कार गरडे सारस्वते सति । गच्छे विश्वपदष्ठाने वंद्य वृदारकादितिः ॥ ४ ॥ नंदिसंघोानन मंहितामागक: 1 कुदकुदार्म संज्ञोऽसौ वृत्तरत्नाकरो महान् ॥ ५ ॥ सत्पट्टनमतो जातः सर्वसिद्धान्तपारगः । हमीर-भूपसेव्योयं धर्मचंद्रो यतीश्वरः ॥ ६ ॥ तत्पट्ट विश्वतत्वज्ञो नानाथविशारदः । रत्नत्रयकृताभ्यासो रत्लकीतिरभन्मुनिः ॥७॥ शकस्यामिसभामध्ये प्राप्तमानशतोत्सयः । प्रभावंद्री जगदगो परवादिभयंकरः ॥६॥ कवित्वे वापि वक्तृत्वे मेधावी शान्तमुद्रकः। पद्मनंदी जिताक्षीभूत्तत्प? यविनायकः ॥ ६ ॥ तच्छिष्योजनिभव्यौघपूजिताह्रिविशुद्धधीः । श्रुतचंद्रो महासाधुः साधुलोककृतार्थकः । १० । प्रामाणिकः प्रमाणेऽभूदरगमाध्यात्मविश्वधीः । . लक्षणे लक्षणार्थज्ञो भूपालवृदसेवितः ॥११ ।। महत्प्रणीततत्वार्थजादः पति निशापतिः । हतपंचेषुरम्तारिजिनचद्रो विषक्षणः ॥१२॥ जम्बूद्र मांकिते जम्बूद्वीपे द्वीपप्रधानको । तयास्ति भारत क्षेत्र सर्वभोगफलप्रदं ॥१३॥" मध्यदेशो भवतत्र सर्वदेशोत्तमोत्तमः | धनधान्यसमाकीर्णग्रामवदितिसमैः ॥ नानावृक्षकुले ति सर्वसत्वसुखंकरः । मनोगतमहाभोगः दाता दातृसमन्वितः तोड़ाख्पोभूत्महादुर्गो दुर्गमुख्यः श्रिया तच्छाखानगरं योषि विश्वभूतिवि . Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१. ] [ गुटका संग्रह स्वच्छपानीयसपूणैः वापिकूपादिभिर्महत् । श्रीमद्वनहटानामहट्टच्यापारभूषित । १७ ।। अर्हचैत्यालये रेंजे जगदानंदकारकैः । विचित्रमठ दोहे वणिज्जनसुमंदिरो ॥ १८ ॥ धजन्याधिपतिस्त्रय प्रजापालो ल सद्गुणः । कात्याचं द्रो विभात्येप तेजसापद्मबांधवः ॥ १६ ॥ शिष्यस्य पालको जातो दुष्टनिग्रहकारकः । पंचांगमंत्रविच्छूरो विद्याशास्त्रविशारदः ।। २० ॥ शौर्योदार्य युरोपेतो राजनीतपिदांवरः । रामसिंहो विभुर्धीमान भूत्यवेन्द्रो महायशीः ।। २१ ।। पासीद्वणिकवरस्तत्र जैनधर्मपरायणः । पात्रदानादरः श्रेष्ठ हरिचन्द्रोगुणाग्रणीः ।।२२।। श्रावकाचारसंपन्ना दत्ताहारादिदानकाः। शीलभूमिरभूत्तस्य गजरिप्रियवादिनी ॥२३॥ पुत्रस्तयोरभुत्साधुव्यक्ताह तुक्तिकः । परोपकरणाम्बातो जिनार्चनक्रियोद्यतः ॥२४॥ श्रीवकाचारतत्त्वज्ञो शुकारुण्यवारिधिः । देल्हा साधु अाचारी राजदत्तप्रतिष्ठकः ।।२।। तस्य नार्या महामाची शीलनीरतरंगिरणी। प्रियंवदा हिताबारावाली सौजन्यधारिणी ॥२६॥ तयोः क्रमेण संजातौ पुत्री लावण्यसन्दुरी । अगष्यपुण्यसंस्थानौ रामलक्ष्मणकाविद ॥२७॥ Fनयज्ञोत्मवानन्दकारिणौ व्रतधारिणौ । महत्तीर्थमहायात्रासंपर्कप्रविधायिनी ॥२८।। रामसिंहमहाभूपप्रधानपुरुषो शुभौ । समुद्ध तजिनागारौ धर्मानाथमहोत्तमी ।।२९। Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह तथ्यादरोभयद्धीरो नायक खचन्द्रमाः । लोकप्रशास्यसत्कीति धर्मसिंहो हि धर्मभृत् ॥३०॥ तत्कामिनी महछीलधारिणी शिवकारिणी। चन्द्रस्य वसती ज्योत्स्ना पापध्वान्तापहारिणी ॥३१॥ कुनद्वयविशुद्धासीत् संघभक्तिसुरुषसा । धर्मानन्दितचेतस्का धर्मश्रीभर्तृ भाक्तिकाः ॥३२॥ पूत्रावानान्तयोः स्वीवरूपनिजितमम्मी। सक्षणाक्षणासद्गात्री गोषिन्मानसवल्लभौ ॥३३॥ अहवसुसिद्धान्तगुरुभक्तिसमुद्यतौ । विद्वज्जनप्रियो सौम्यौ मौल्हाद्वयपदार्थको ॥३४॥ सुधार डिण्डोरसमानकोतिः कुटुम्बनिर्वाहकरो यशस्वी । प्रतापवानधर्मधरो हि धीमान खण्डेलवालान्वयकंजभानुः ॥३५।। भुपेन्द्रकार्यार्थ करो दयायो पूछ्यो पूर्णेन्दुसंकासमुखोवरिष्ठः । धेष्ठी विवेकाहितमानसोऽसौ मुधीनन्दतुभूतलेऽस्मिन् ||३६|| हरतद्वये यस्य जिनार्चनं वैजैन। वरावाग्मुखपंकजे च 1 हृद्यक्षरं वाहत्मक्षयं वा करोतु राज्य, पुरुषोत्तमीयं ।।३७॥ तत्प्राणवल्लभाजाता जैनवविधाविनी | सती मतल्लिका श्रेष्ठी दानोत्कण्ठा यशस्विनी ।।३।। पतुर्विधस्य संवस्य भवत्युल्लासि मनोरथा । नैनो: सुधावाकाव्योकोशांभोजसन्मुखी ॥३६॥ हर्षमदे सहर्षात् द्वितीया तस्य वल्लभा । दानमानोन्सवानन्दविताशेषचेतसः ।।४।। श्रीरामसिंहेन नृपेण मान्यश्चतुविधात्रीवरसंघभक्तः । प्रद्योतिताशेषपुराणलोको नायू विवेकी विरमेवजीयात् ।।४।। ग्राहारशास्त्रौषधजीवरक्षा दानेषु सर्वार्थ करेषु साधुः । वस्पद मोयावककामधेनु थुसुसाधुर्जगतात्वरियां ॥४२॥ Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-सग्रह ६१२ ] सर्वेषु शास्त्रेषु परंप्रदास्यं थीशास्त्रदानहतशाव्यभावं । स्वर्गापवर्गकविभूतिपात्रं समस्तगास्त्रार्थविधानदक्षं ।।४।। दानेषु सारं शुचिशास्त्रदानं यथा त्रिलोक्यां जिनपुंगवोऽयं । धदीति धृत्वा परमंगलार्थं व्यलीलिखान्साघूत्तमा प्रतिष्ठां ॥४४॥ लेखत्वा शुभाधान प्रतिष्ठासारमुत्तमं । ब्रह्मदामोदरायापि दत्तवान् शानहेतवे ।।४।। प्रम्यानमारासूपाके राज्येतीतेति सुन्धरे। विक्रमादित्यभूपस्य भूमिपालशिरोमणे ॥४६॥ ज्यप्ठे मासे सिते पक्ष सोमवारे हि सौभ्यके । प्रतिष्ठासार एबासी समाप्तिमगमत्पर 11 प्रहत्क्रमांभोजनक्षावरांगी सद्भूषणाकुक्कुटसर्पगान । पद्मावतो शासनदेयता सा नाथू सुसाधु चिरमेव पातात् ।।४।। थुपातिताः परं या प्रमाणपुरुषापरो। श्रीमडिल्लवंशोत्य नाथू साधुः सनन्दतु ||४६।। ॥ इति प्रशस्त्यावली ।। ___x संस्कृल ३. कर्णपिशाचिनीमंत्र १४६ ४. गडारागतिकविधि x x x x x ५. नवग्रहस्थापनाविधि ६. पूजाकी सामग्री की सूची हिन्दी १५२-५५ , ७. समाधिमण संस्कृत १६०-६४ ८. कलशविधि ६. भैरवाष्टक १०. भक्तामरस्तोत्र मंत्रसहित १९८-२१४ २१० ११. यामोकारपंचासिका पूजा ५४२६ गुटका सं०४६-पत्र सं.-५८ | प्रा०-५४४ ६३ ! लेखन काल सं0--१८२४ पूर्ण । दशसामान्य। x x x Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] १. संयोगबत्तीसी २. फुटकर रचनाए १. राजुल पीसी २. वेतनचरित्र ३. नेमीश्वरराजुल विवाद मानक वि १-२५ X २६-५६ ५४३० गुटका सं० ५० पत्र सं०७४ | प्रा० ८४५ इ । ले० काल १८६४ मंगसर सुदी १५ । पूर्ण । विशेष गंगाराम वैद्य ने सिरोंज में ब्रह्मजी संतसागर के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। विनोदीलाल लालचंद हिन्दी भैया भगवतीदास ब्रह्मज्ञानसागर नेमीश्वर राज को झगड़ो लिखने । आदि भाग- राजुल उवाच नेमीश्वर उवाच नेमीश्वरोबाच हिन्दी मध्य भाग-राजुलोवाच " करि निरधार तजि घरवार भये व्रतधार धूप अनूप धनाधन धार तुबाट सहो भूख पियास अनेक परिसह पावन हो कत्तु राजुल नार कहे सुविचार जु नेमि कुवार P भोग तो छोड़ी करो तुम योग लियो सो कहा मन ठारणों । सेज विश्वित्र तु लाई ग्रनोपम सुंदर नारि को संग न जानू ॥ सूक्र तनु सुख छोड़ि प्रतक्ष काहा दुख देखत हो अनजानु । राजुल पूछत नेमि कुबर कू योग विचार काहा मनातू ।। १ ।। 70 सुन रि मति मुठ न जान जानत हों भवं भोग सन जोर घंटें हैं। पाप बढे खटकर्म घके परमारथ को लब पेट फटे हैं | श्राखिर दुख हो दुख रटे हैं । बिना नहि कर्म्म कटे हैं ॥ २ ॥ इंद्रिय को सुख किंचित्काल ही नेमि कुवर कहे सुनि राजुल योग लोक गोसाई । काई के तोई ॥ सिद्धन श्रई । सुमु मन लाई ।। १७ ।। [. ६१३ करहेको बहूत करो तुम स्थापनप येक सुनो उपदेस हमारो । मोहि भोग किये भव डूबत काज न येक सरे जु तुम्हारी || १-५ ६-२६ २७-३१ Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ६१४ ] मानव जन्म बड़ो जगमान के काज बिना मतु कूप में डारो। नेमी कहे सुन राजुल तू सब मोह तजि ने काज सवारो ।। १८ ॥ अन्तिम भाग-राजुलोवाच यावक धर्म क्रिया सुभ श्रेपन साप कि संगत वेग सुनाइ । भोग तजि मन मुध करि जिन नेम तशी जव संगत पाई। भेद अनेक करी दृढ़ता जिन माण की सब बात सुनाई। लोच करी मन भाव धरी करी राजूलनार भई तद बाई ।। ३१॥ पादि रचन्हा विवेक सकल युक्ती समझायो । नेमिनाथ हर चित्त बहु राजस कु समाभायो ।। राजमति प्रबोध के सुध भाव संपम लीयो । ब्रह्म ज्ञानसागर कहे बाद नेमि राजुल कीयो ॥ ३२ ।। ॥ इति ने मीरवर राज्जल विवाद संपूर्णम् ।। विनयकीति ३२-३३ ४, अष्टाहिकाव्रत कथा ३. पार्श्वनाथस्तोत्र हिन्दी संस्कृत पद्मप्रभदेव ६. शांतिनाथस्तोत्र मुनिगुरषभद्र ७, वर्धमानस्तोत्र ५. चितामणिपार्श्वनाथस्तोत्र ६. निर्वाणकाण्ड भाषा भगवतीदास १०. भावनास्तोत्र ११. गुरुविनती १२. ज्ञानपच्चीसी धानतराय भूधरदास बनारसीदास ४१-४२ १३. प्रभाती मजरूभंवर वे गुलाबविशन १४. मो गरीब कूसाहन तारोजी १५. अब तेरो मुख देख १६. प्रात इवो मुभर देव टोडर भूधरदास Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । १७. ऋषभजिनन्दजुहार केशरियो Sun भानुकोति नवल X X ४८-५२ 4. mmm जगतराम १८, करू अराधना तेरी १९. भूल भ्रमारा केई भसे २०. श्रीपालदर्शन २१. भक्तामर पास २२. सोवरिया तेरे बार बार वारि जाऊं २३. तेरे दरवार स्यामी इन्द्र दो खड़े हैं २४. जिनजी धांकी सूरत मनड़ी मोहो २५. पार्श्वनाथ गोत्र २६. त्रिभुवन गुरु स्वामी २७. अहो जगगुरु देव X ब्रह्मकपूर धानतराय ५५. m m जिनदास ... १० सं० १५५५, ५४ भूधरदास २८, चितामरिण स्वामी शांचा साहब मेरा बनारसीदास २६. कल्याणमन्दिरस्तोत्र ३०. कलिग की बिनती कुमुद्र ब्रह्मदेव ३१. शीलव्रत के भेर ३२. पदसंग्रह मंगाराम वैद्य m ५४५.१ . गुटका सं५१। पत्र सं० १०६ । प्रा. Ex६ च । विषय-संग्रह : ले. काल १७६६ फागरण सुदी ४ मंगलवार । पूर्ण । देशा-सामान्य ।। बिमा विशेष-सवाई जयपुर में लिपि की गई थी। संस्कृत १. भावनासारमै ग्रह चामुण्डराय २ भक्तामरस्तोत्र हिन्दी टीका सहितx सं० १८०० -१०६ mmmmmmipi+Paniharinepathyam ५:३२, गुटका सं०५१ क । पत्र सं० १४२ प्रा० ५४६ इंच । ले. काल १७९३ माघ सुदी । पूर्ण । दशा-सामान्य 1 विशेष---किशनसिंह कृत क्रियाकोश भाषा है। ५४३३ गुटका सं०५२ । प*:सं १६#L=+९६ | प्रा० ८४७ इन्च । Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ ] { गुटका-संप्रद प्राकृत x x विशेष-तीन मगा गुटकों का मिश्रण है। १. पश्टिकम्मणसूल २. पञ्चल्याण 1. बन्दे तू सूत्र ४, भणपार्श्वनास्तबन (बृहत) मुनिअभयदेव ५. अजितशांतिस्तवन x पुरानो हिन्दी x x x ७. भयहस्तोत्र ८. सारिनिवारणस्तोत्र जिनदत्तसूरि १. गुरुपारतंत्र एवं सप्तस्मरण १५. भक्तामरस्तोत्र प्राचार्य मानतुग संस्कृत ११. कल्याणमन्दिरस्तोत्र १२. शांठिस्तवन देवसुरि १३. सपिजिनस्तवन प्राकृत लिपि संवत् १७५० प्रामोज सुदी ४ को सौभाग्य हर्ष ने प्रतिलिपि की थी। १४. जीवविचार श्रीमानदेवसूरि प्राकत कृनुदचन्द्र १५. नवतत्त्वविचार १६. अजितशांतिस्तवन भेरुनन्दन पुरानी हिन्दी १७. सीमंधरस्वामीस्तवन राजस्थानी X १८. शीतलनाथस्तवन समयसुन्दर गणि १६. थंभरणपार्श्वनाथस्तवन लघु २०. २१. प्रादिनाथस्तवन समयसुन्दर २६. चतुर्विशति जिनस्तवन जयसागर २३. चौबीसजिन मात पिता नामस्तवन प्रानन्दसूरि २४, फलवधी पार्श्वनाथन्नयन समयसुन्दरगरिए हिन्दी " रचना० सं० १५६२ राजस्थानी Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] २५. पार्श्वनाथस्तवन समयमुन्दरगणि रावस्थानी २७. गौड़ीपार्श्वनाथस्तवन २८. जोधराज लालचंद २६. चितामणिपार्श्वनाथस्सवम ३०. तीर्थमालास्तवन तेजराम मभयमुन्दर ३२. कीसविरहमानजफड़ी २३. नेमिराजमतीरास रत्नमुक्ति ३४, गौतमस्वामीरास शालिभद्र द्वारा संकलित ३५, बुद्धिरास ३६. शीलरास विजयदेवरि ३७. साधुवंदना ३८. दानतपशीलसंवाद २६. प्रापाठभूतिचौढालिया जोधराज ने खासी की भार्या के पठनार्थ लिखा। मानंद सूरि समयसुन्दर राजस्थानी कनकसोम हिन्दी र० काल १६३८ । लिपि काल सं. १७५० कात्तिक बुदी । ४०, माद्रकुमार धमाल रचना संवत् १६४४ । अमरसर में रचना हई थी। ४१. मेवकुमार मौढ़ालिमा ४२. श्रमाछत्तीसी समयसुन्दर लिपि संवत् १७५० कातिक सूदी १३ मिथरंगाबाद । ४३. कर्मबत्तीसी राजसमुद हिन्दी जबसोमगरिख ४४. बारभावना ४५. पद्मावती रानीबाराधना समयसुन्दर ४६. शत्रुजयरास Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ ] [ गुटका-संग्रह १५. नेमिजिनस्तवन जोधराज मुनि हिन्दी प्राकृत संस्कृत ४८. मनीपाश्र्वनाथस्तवन ४६. पश्चकल्याणकस्तुति ५.०, पंचमोस्तुति ५१. संगीतबन्धपार्श्वजिमस्तुति ५२, जिनस्तुति ५३. नवकारमहिमास्तदन . ५४. नवकारसज्झाय हिन्दी लिपि सं० १७५० তিনশ ফি गग्रराजगणि गुगप्रगति समयगुन्दर ५६. गौतमस्वामिसभाय ५७. " ५८. जिनदत्तमरिगीत ५६. जिनकुशलसूरि चौई सुन्दरगरिंग जयसागर उपाध्याय २० संवत् १४८१ ६०. जिनकुमालमूरिस्तवन ६१. नेमिराजुलबारहमासा ६२. नेमिराल मीत आनन्दसूरि २० सं० १६८९ भुवनकोति जिनहर्षपूरि ६५. यूलिभद्र मीत ६६. नामराजर्षि सम्झाय समयसुन्दर ६७. समाय ६८, अरहनासमाय ६६. मेवकुमारसज्झाय ... अनाथी मुनिसम्झाय ७१. सीताजीरी सज्झाय हिन्दी Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ७२. चेलना री सज्झाय X भुवनकोति ७३. जीवकाया , ७४. " ७५. पातमशिक्षा ७६. " " राजसमुद्र पाकुमार सालम प्रसन्नचन्द्र मुनिश्रीसार समयसुन्दर ७६. स्वार्थबीसी ८०, शत्रुजयभास ५१. सोलह सतियों के नाम ८२. बलदेव महामुनि सभाम ८३, श्रेरिणकराजासज्झाय ८४. बाहुबलि , ८५. शालिभद्र महामुनि , ८६. बंभरावाड़ी स्तवन १७. शत्रुञ्जयस्तवन १८. राणपुर का स्तवन ५६. गौतमपृच्छा १०. नेमिराजमति का चौमासिया कमलकलश राजसमुद समयसन्दर समयसुन्दर ११. स्थूलिभद्र सझाय ६२. कर्मछत्तीसी ६३. पुण्यछत्तीसी १४. गौड़ीपार्श्वनाथस्तवन ६५. पञ्चयतिस्तवन ६६. नन्दपेणमहामुनिसज्झाय ६७. शीलबत्तीसी समयसुन्दर Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० ] १८. मौनएकादशी स्तवन [ गुटका-संग्रह ___ समयमुन्दर हिन्दी रचना सं० १६८१ । जैसलमेर में रची गई। लिपि सं० १७५१। ५४३४. गुटका सं०५३। पत्र सं. २२५ । मा० ८६x४, इस 1 लेखनकान १७७५ | पूर्ण । दशा-सामान्य । १. राजाचन्द्रगुप्त की चौपई ब्रह्मरामनल्ला ३. निरिएका मावा भैया भगवतीदास पद३. प्रभुजी जो तुम तारक नाम परायो हर्षचन्द्र ४. माज नामि के द्वार भीर हरिसिंह ५. तुम सेवामें जाय सो ही सफल घरी बलाराम ६. चरन कमल उठि प्रास देख मैं ७, सोही सन्त शिरोमनि जिनवर गुन गावे ५. मंगम आरती कीजे भोर ९. भारती कीजै श्री नेमकंवरकी भूधरदास १. बंदी दिगम्बर गुरु चरन जग तरन तारन बान ११. त्रिभुवन स्वामीजी करुणा निधि नामीजी साईदास १२, बाजा बजिया गहरा जहाँ जन्म्या हो ऋषभ कुमार १३. नेम कंवरजी थे सजिप्राया १४. भट्टारक महेन्द्रकोलिनी की जकड़ी १५. महो जगत्गुरु जगपति परमानंद निधान १६. देख्या दुनिया के बीच बे कोई अजब तमाशा १७. विनती बंदों भी परहंतदेव सारद नित्य सुमरण हिरदै धरू' महेन्द्रकोति भूधरदास Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६२१ विश्वभूषरण हिन्दो गुटका-समह 1 राजमती बीनवै नेमगी प्रजी तुम क्यों चढ़ा गिरनार (विनती) १६. नेमोश्वररास अह्म रायमल्ल " र० काल सं. १६१५ लिरिकार दयाराम सोनी २०. चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्नों का फल २१. निर्वाणकाण्ड २२. चोवीस तीर्थङ्कर परिचय २३. पांच परवीनत की कथा वेरपीदास लेखन संवत् १७७५ बनारसीदास २४. पद २५. मुनिश्वरों की जयमाल २६. आरती २७. नेमिश्वर का गीत धानतराय नेमिचन्द कमफकीति २८. विनति-विंदह श्री जिनराय मनदम काब करोजी) हर्षकीर्ति २६. जिन भक्ति पद ३०. प्राणी रो गीत (प्राणीड़ा रेतू कोई सोवै रेन चित्त) देवेन्द्रकीति ३१. जकड़ी (रिषभ जिनेश्वर बंदस्यौ। ३२. जीव संबोधन गीत (होजीव ___ नव मास रह्यो गर्भ वासा) ३३, लुहरि ( नेमि नगीना नाथ यां परि वारी म्हारालाल) ३४. मोरहो ( म्हारो रे मन मोरड़ा तूतो उद्धि गिरनारि जाइ) ३५. घटोइ (तू तोजिन भजि विलम न लाय बटोई मारग भूलौ रे) ३६. पंचम गति की बेलि हर्षकीति २०सं० १६५३ Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह ६२२ ] ३७. करम हिण्डोलणा ३८. पद-( ज्ञान सरोबर मांहि भूल रे हंसा ) सुरेन्द्रकीति ३९, पद-( बोवीसों तीर्थंकर करो नेमिचंद भवि वंदन) ४०. करमा की गति न्यारी हो ब्रह्मनाथू ४१. भारती ( करौं नाभि कंवरजी की लालचंद भारती) ४२. पारसी बानतराय ४३. पद-( जोवड़ा पूजो श्री पारस जिनेन्द्र रे) ४४. गीत ( डोरी थे लगायो हो नेमजी पांड़े नाथुराम __का नाम ल्यो) ४५. हरि-( यो संसार प्रमादि को सोही नेमिचन्द बाग बग्यो री लो) ४६. जुहरि-( नेमि कुंवर व्याहन चढयाँ राजुल कर इसिंगार) ४७. जोगोरासो पांडे जिनदास ४५. कलियुग की कथा ४६. राजुलपश्चीसी लालचन्द विनोदोलाल ५०. अष्टान्हिका वत कथा केशाब ,, ४ पद्य । ले० सं० १७७६ ५१. मुनिश्वरों की जयमाल ब्रह्मजिनदास बनारसीदास ५२. कल्याणमन्दिरस्तोत्रभाषा ५३. तीर्थङ्कर जकड़ी ५४. जगत में सो देवन को देव हर्षकीति बनारसीदास ५५. हम बैठे अपने मोन से ५६. कहा अज्ञानी जीवको गुरु ज्ञान बताने Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ! ५७. रंग बनाने की विधि ५.८. म्फुट दोरे, ५६. एमावेलि ( चन्दन दादा गीत! १५४ ६०, श्रीपालस्तवन ६१. तीन मियां की लकड़ी धनराज ६२. सुखचड़ी ६३. कपका वीनती ( बारहखड़ी ) ६४. अठारह नाते क्रीकथा + ६५. अठारह माता का न्यौत ६६. मादित्यवार कथा ६७. धर्मरासो ६८, पद-देखो भाई प्राजि रिषभ परि पावे ६६. क्षेत्रपालगीत ७०, गुरुषों की स्तुति १. सुभाषित पद्य ७२. पार्श्वनाथपूजा ७३. पद-उठो तेरो मुख देस्तू नाभिजी के नन्द टोडर ७४. जगत में सो देवन को देव बनारसीदास दुविधा कब जइ या मन की ७६ इह चेतन को सब सुधि गई बनारसीदास ७७. नेमीसुरजी को जनम हुयो ७८, चौबीस तीर्थङ्करों के चिह्न ७६. दोहासंग्रह नानिगनास ५०, धार्मिक चर्चा घनश्याम १. दुरि गयो जग चेली ८२, देखो माइ माज रिषभ घर प्राय Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४] ८३. चरणकमल को ध्यान मेरे ५४. जिनजी थांकीजी मूरत मनडो मोहियो ८५. नारी मुकति पंथ बट रारी नारी ८६. समझ नर जीवन थोरो ८७. नेमजी पे कोई हमारी महाराज देखनेमि कुमार १. प्रभु तेरी सूरत रूप बनी ६०. चिंतामणी स्वामी सांबा साहब मेरा ९१. सुखवड़ी कब आवेगो १२. बेसन तू ति काल मा ३. पंच मंगल X १०६. मोहि लगता श्री जिन प्यारा १०७. सुमरन ही में त्या प्रभुजी तुम सुमरन ही में स्मारे 33 रूपचन्द हर्षकीर्ति " रूपचन्द 95 हर्ष 33 रूपचन्द ब्रह्म कपूरचन्द १४. प्रभुजी बांका दरसण सू सुख पायां १५. लघु मंगल ६६. सम्मेद शिखर चली ₹ जोवड़ा X २७. हम प्राये हैं जिनराज तुम्हारे बन्दन को द्यानतराय १५ ज्ञानपी बनारसीदारा ६९. तू भ्रम भूति न रे प्राणी ज्ञानी X २०० जिये दयाल प्रभु इजिये दयाल X १०१. मेरा मन की बात कासु कहिये सबलसिंह १०२. मूरत तेरी सुन्दर पोहो X १०३. प्यारे हो लाल प्रभु का दरस की बलिहारी X १०४. प्रभुजी त्यारियां प्रभु आप जातिले त्यारियां x १०५. क्यों जारी ज्योस्यारोजी दयानिधि खुशाल चन्च हठमलदास क द्यानतराय हिन्दी " 29 29 " " 33 " 39 " 13 33 " 29 39 " " 12 39 " 17 19 35 " [ गुडका-संप्रद Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] १०८. पार्श्वनाथ के दर्शन [६२५ रसं. १७६८ वृन्दावन हिन्दी १०६. प्रभुजी मैं तुम परणकारण गह्मो बालचन्द ५४३५. गुटका सं०५४ । पत्र सं० ८८ | श्रा० ८४६ इञ्च । अपूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष—इस गुटके में पृष्ठ ६४ तक पण्डिताचार्य धर्मदेव विरचित महाशांतिक पूजा विधान है । ६५ में ८१ तक अन्य प्रतिष्ठा रान्बन्धी पूजाएं, एवं विधान है। पत्र ६२ पर अपभ्रंश में चौबीस तीर्थङ्कर स्तुति है । पत्र ८५. पर राजस्थानी भाषा में २ मन रमि रह चरणजिनन्द' नामक एक बड़ा ही सुन्दर पद है जो नीचे उद्धत किया जाता है। रे मन रमिरहु चरण जिनन्द । रे मन रमिरह वरणजिनन्द !)ढाला। जह पठावहि तिहुवरण इदं ।। रे मनः ।। यह सार अत्तार युरो चिफ जिय धम्मु दयालं । परगम तच्नु मुरगहि परमेट्ठिहि सुमरीह अप्पु गुणालं ॥ रे मनः ॥ १ ॥ जीउ अमीउ दुविहु पुरणु पासव बन्धु मुहि चउभेये । संवरु निजम मोखु वियाणहि पुग्णपाप सुविणेयं ।। रे मन० ॥ १ ॥ जीउ दुभेउ मुक्त संसारी मुक्त सिद्ध सुवियाणे । बसु गुण जुत्त कलङ्क विवजिद भासिये केवलणारखे ॥रे मन० ॥ ३॥ जे संसारि भमहि जिय संबुल लस जोरिण चउरासी । थावर दिलिदिम सलिदिय. ते पुग्गल सहवासी ॥ ₹ मन० ॥ ४॥ पंच अजीव पढ़यम् तहि पुगनु, धम्मु अधम्मु मागास । कालु प्रकाउ पंच कामासी, ऐच्छह दव्य पयास ॥रे मन० ॥५॥ प्रासउ दुविहु दम्वभावह, पुणु पंच पयार जिगृतं । मिच्छा विरय पमाय फसायहं जोगह जीष प्रमुत्तं ।। रे मनः ॥ ६ ॥ नारि पयार बन्धु पयड़िय हिदि तह भरणभाव पयूसं । जोगा पडि पयूसठिदायरणु भाव कसाय विसेसं ॥ रे मनः ॥ ७॥ मुह परिणाम होइ सुहासउ, प्रसुहि असुह बियाणे । सुह परिणाम करहु हो भवियह, जिम सुहु होम नियाणे ॥रे मन० ।। ८ ।। Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ ] [ गुटका-साह संबरु करहि जीव जग सुन्दर पासव दार निरोह । अरुह सिंध समु पापु वियाणाहु, सोहं सोहं सोहं ।। रे मन ।। ६ ।। गिजर जरह विरणासहु काराण, जिय जिरणवयण संभाले । बारह विह तव दयविह संजमु, पंच महायय पाले ॥रे मनः ॥ १० ॥ अडविहि कम्मविमुक्फ परमाउ, परमप्ययकुत्यि यासो | रिणचलु मुखुत्थि रञ्जनु तहिपुरि, ईच्छिन्न ईच्छर चासो ॥ रे मन० ॥ ११ ॥ जाणि प्रसरण कहु क्या करणा, पंजितु मनह विचारइ। जिरणवर सासरण तब्यु पयासरगु, सो हिय बुइ थिर धारइ ॥ रे मन० ॥ १२ ॥ ५४३६ गुटका सं५५ । पत्र सं० २४० । पा० ६x६३ इश्व । भाषा-हिन्दी संस्कृत । से० काल २०१६-८। विशेष-पूजा पाठ एवं स्तोत्र प्रादि का संग्रह है। ५४३७. गुटका सं०५६ । पत्र सं० १५० | मा० Exi इच। पूर्ण एवं जीर्ण । अधिकांश पाल प्रशुद्ध हैं । लिपि विकृत है। विशेष—इसमें निम्न पाठों का संग्रह है । १. कर्मनाकर्म वर्णन प्राकृत ३-५ २. ग्यारह प्रग एवं चौदह पूरों का विवरण १२-१३ ३. श्वेताम्बरों के ८४ वाद xxxxx ४. हनन नाम 2. सधोत्पत्ति कथन ॐ नमः श्री पार्श्वनाथ काले बद्धफीतिना एकान्त मिथ्यात्वबौद्ध स्थापितं ।।१।। संवत् १३६ वर्षे भद्रबाहुशिध्येण जिनचन्द्र ण संशयमिथ्यात्वं श्यैतपटमतं स्थापितं ।। २ ।। श्री शीतलतीघङ्करकाले क्षीरकदम्बाचार्यपुत्रेण पर्वतेन विपरीतमतं मिथ्यात्व स्थापितं ।। ३ ।। सर्वतीर्थराणां काले विनयमिथ्यात्वं ॥४॥ श्रीपाश्वनाथरिण शिष्येण मस्कारपूर्णनाज्ञानमिथ्यात्वं श्री महावीर काल स्थापितं ॥५॥ संतत् ५२६ वर्षे श्री पूज्यपादशिष्येण प्राभुतकवेदिना वचनंदिना पक्कचएकभक्षकेण द्राविडसंघः स्थापितः । संवत् २०५ वर्षे श्वेतपटात् श्रीकलशा मायलाक संघोत्यत्तिजीता। ७॥ Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुदका-संग्रह । || દુર चतुः संघोत्पत्ति कथ्यते । श्रीभद्रबाहुशिष्येण श्रीमूलसंघमांडतेन अद्विलिगुप्तिगुप्ताचार्यविशाखाचार्यति नामत्रय चारकेरण श्रीगुप्ताचार्येण नन्दिसंघ:, सिंहमंधः, मेनसंघः, देवसंघः इति चत्वार: संधाः स्थापिताः । तेभ्यो गथाक्रम बलात्कारगरणादमो गणाः सरस्वत्यादयो गद्याश्च जातानि तेषां प्राबज्यादिषु कर्मसु कोपि भेदोस्ति ।। ८॥ संवत् २५३ वर्षे विनयमेनस्य शिष्येण सन्यासभंगयुक्त न कुमारसेनेन दारसंघ स्थापितं ॥ १ ॥ संवत् १५३ व सम्यक्सप्रकृत्यदयेन रामसेनेन निःपिच्छत्वं स्थापितं ।। १० ॥ संवत् १८०० वर्षे प्रतीते वीरचन्द्रमुनेः सकाशात भिल्लसंधोत्पत्ति भविष्यति ।। एभ्योनान्येषामुत्पत्ति. पंचमकालावसाने सर्वेषामेषां ।। गृहस्थानां शिप्यारण विनाशो भविष्यत्येक जिनमतं क्रियत्काल स्थाप्यतीतिज्ञेयमिति दर्शनसारे उक्त । प्राकृत १५-२० वीरचंद्र २१-२३ ६. गुरणस्थान चर्चा ७. जिनान्तर ८. सामुद्रिक शास्त्र भाषा ६. स्वर्गनरक वर्णन १०. यति प्राहार का ४६ दोष ११ लोक वर्णन २४-२७ ३२-३७ ३२-५३ ५४-८९ १२. चउधीस ठाणा चर्चा १३. अव्यस्फुट पाठ संग्रह १०-१५० -पत्र सं० ४-१२१ । प्रा० ६x६ ३७ । मपूर्ण । दशा-जीरा । संस्कृत ५-१२ ५४३८ गुटका सं १. त्रिकालदेववंदना + २. सिद्धभक्ति ३. नंदीश्वरादिभक्ति xxx Xxx T xxx xxx xxx १२-१४ प्राकृत १४-१६ ४. चौतीस प्रतिशय भक्ति संस्कृत १६-१६ ५. श्रुतशान भक्ति १९-२१ ६. दर्शन भक्ति २१-२२ __ २२ ७. शान भक्ति ८. चरित्र भक्ति संस्कृत २२-२४ ६. अनागार भक्ति २४-२६ Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संह २६-२८ २८-३० प्रात समन्तभद्राचार्य संस्कृत ३०-४१ ४१-.४४ ६२८ ] १०. योग भक्ति ११. निर्वाणकाण्ड १२. वृहत्स्वयंभू स्तोत्र १३. गुरावली ( लघु भाचार्य भक्ति) १४. चतुर्विशति तीर्थकर स्तुति १५. स्तोत्र संग्रह १६. भावना बतीसी १७. पाराधनासार १८. संबोधपचासिका १९. द्रव्यसंग्रह २०. भक्तामर स्तोत्र २१. ढासी माथा ४६-५० ५१-५२ प्राकृत ५३-६० ६१-६८ ६८-७१ नेमिचंद्र मानतुगाचार्य संस्कृत ७१-७५ ७५-८३ xx २२. परमानंद स्तोत्र ८३-८४ ८५-८६ ६०-६४ ९४-८९ x ११०-११२ ११२-११४ २३. मरणस्तमिति संधि हरिश्चन्द्र प्राकृत २४. पूनही रास विनयचन्द्र २५. समाधिमरण अपभ्रंश २६. निर्भरपंचमी विधान मतिविनयचन्द्र २७. सुप्पयदोहा २८. द्वावशानुप्रेक्षा २६. " जल्हा ३. योगि पर्चा महात्मा ज्ञानयद ५४३६. गुटका सं०५८ । पत्र सं० १३-५१ । प्रा० ६x६ । अपूर्ण । विशेष-गुरका प्राचीन है। १. जिनरात्रिविधानकथा नरसेन अनदंश अन्तिम भाग कत्तिय किण्ह चउद्दसि रतिहि, गउ सम्मद जिणु पंचम छत्तिहि । इय सम्बन्धु कहिउ सग्रलामलो, जिनरति हि फलु भवियह मंगलो। अपूर्ण १३-२० Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] श्रववि जोगरति करेसर, सो मरनुयरुड महेस । सारउ सुख महियलि भुजेसर, रइ समाण कुल उत्तिरमेस ।। सोहम्म सग्गी जाएसइ, सहु कीलेसह गिरु सुकुमा लिहि । मखु जिबि जाएसइ सिवपुरि वासु सोबि पावसह । इस जिरति विहार पयोसिज, जहजिरासासरिए गणहरि भासि । जे हरणाहि कामि सउ, तं बुहारण मठु खमंडु पिस्न । एहु सत्यु जो लिहा लिहाव, पढेर पढावह कह कहावइ । जो नर नारि एहमणि भावक, पुष्णइ श्रहिउ पुष्ण फलु पावइ । धन्ता- सिरिसेाह सामिउ, सिवपुरि गामिठ, बड्डमा तस्करु | जइ मागिल देइ करण करेइ देउ सुबोहि लाहु परमेंसरु ।। २७ ।। यसरि वड्मारकापुराणे सिंघादिभवभावावण्यणो जिपराइ बिहागफलसंपत्ती || सिरि रसेा विरइए सुभव्वासप्रणिमित्तं पढम परिछेह सम्मतो | ॥ इति जिरणरात्रि विधान कथा समाप्ता ॥ मुभद्र २. रोहिरिणविधान प्रारम्भिक भाग अपभ्रंश वासवनुमपायहो हरिविसायहो निज्जिय कायहो पलु सिवासहायहो केवलकाय हो रिसहहो पर्खाविवि कपकमल परमेट्टि पंच पर विवि महंत, भवजलहि पोय दिहडिय कवंत । सारभ सारस ससि जो जेम, रिगम्मल वरिषज्ज केएकेम । जहि गोयमए विवि वरस्स, सेणिय रायस्स जसोहरस्स । सिंह रोहिणी न कह कहमि भव्य, जन् सत्तिरिण वारिय पावर । जय जंबूदीव हो भरइ खेत्ति, कुंरु जंगल ए सिवि गए जत्ति । हरिणावरु पुरज पवररिद्ध, जर वसई जित्थु सह सय समिद्ध । तहि वीमसो गयसोउ भूउ, बिज्जु पहरद्द रहियय भू । तां दिरगु कुलपुन्दण मसोड, जमिल गउ प्र पूरि सोउ । 1 ६२६ २१.२५ Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३० । [ गुटका-संग्रह वह अंग विसइ जण कुरह विसए चपाउरि पयउ पुगाइ विसए । मट्टइ शामिणी उणावंतु, सिरिम पियलंकिउ रिउ कमन्तु । सुप अट्ठ तासु प्ररि जरिणय तासु, रोहिणी कम्णाणं फामपासु । कत्तिय प्रवाहव सोपवास, गयपुर वहि जिण बसु पुज्जवास । जिरगु अंचिवि मुणि वंदिवि असेस, सिरि वासुपुज्ज पयलविसेस ! मह मझिरिस सणाहो रिणवह देइ गोहिणी जासण्या अंकलइ । प्रबलोइवि सुत्र जुम्मरण समेय, परिरणयण चिंत यमणि अमेय । णियमति मंतु गिहिवि अभेउ, रिणय बुद्धि पियारिवि गिहियसेउ । धत्ता --- सा पुरवज बहिरि कि परिउ साहि. रिवद्ध मंच चउ पासहि । करणयमयसु वंचिय रयण करंचिय, मडिय मंभव पासहि ॥ १ ॥ मन्तिम भाग निसुगर जिरणवरिण सावरण वियस घणं करनस्तु प्रावमानु । यग्घा घायलो जह सरपुणत्यि, मय साबही जीवही सहणसत्थि । अणु हबइ सुहामुह एक्कुजीउ, तरण भिषा लेइ मरणाउ भीउ । मंसार सहुकमखु पूरकर समुद्दु, अंगुजि घाउ विलु कुमुदु । प्रासबइ कम्मु जो एहि विच, तहो विलयं संवरु होर कच्च। समं भाथि सहियइ कम्मुनाउ, परिमिउ लोहु जीविउ सपाउ । दुमहु जिरण धम्मु समुत्ति मग्गु, णवि संगहियउ कामे लगउ । उ सुरिणत्रि सरिवि जिण सिक्ख दिक्ख, हुउ गणहरु राउ असोउ भिक्ख । संगहिय उपाध्यायउ अममलणारगु, केवलु गउ मोक्खहु सुह विहार । रहि तणउ चरिवि पवण्णसग्गि अन्च, एच्छि दिवि थी लिगु भग्गी । धीयउ विसम्गि संपत्त प्रज्ज, वउपरी दिक्खिय सुवहु सञ्ज । हम को वमोक्खि गयहरिण विकम्म, अणु हहि रिंगरं सर मुत्ति सम्म । च उधरिय लक्खरएसी धरि सुलन्द्रिय परासिरिनाम इन्दी बलच्छि। रोहबउ थिहिउ ताइएउ, रोहिरिण कहविर इय तासु हेउ । Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६३१ गुटका-संग्रह ] धत्ता सिरि गुणभद्दमुरणीसरेण विहिय कहा बुधी भरेग्ण । सिरि मलयकिति पयल जुयलणाधिवि, सायली यह मरणुविवि । दिउ सिरि जिगसंस, संदउ तभूमि बालुणि विग्धं । दिउ लरखरा लक्वं, दितु सया कप्पतरु वजाइ भिक्खं । ॥ इति श्री रोहिणी विधान समास || ३. जिनरात्रिविधान कथा x प्रपत्र २६-२६ ४. दशलक्षणकथा मुनि गुणभद्र प्राचार्य छत्रसेन ५. चंदनपष्टीव्रतक्या नरदेव के उपदेश से प्राचार्य छत्रसेन ने कथा की रचना की थी। प्रारम्भ जिनं प्रणम्य चंद्राभं कर्मोषध्वान्तभास्कर । विधान बदनषष्ठ्यत्र भव्यानां कथमिहा ॥१॥ द्वीपे जम्बूद्र म केम्मिनु क्षेत्रे भरतनामनि । काशी देशोस्ति विख्यातो बज्जितो बहधायुधैः ।। २ ॥ श्रान्तम प्राचार्यछत्रसेनेन नरदेवोपदेशतः । । कृत्वा चंदनषष्ठीयं कृत्वा मोक्षफलप्रदा ।। ७७ ।। यो भव्यः कुरुते विधानममलं स्वर्गापवर्गप्रदा । कोयं कार्यते मरोति भविनं व्याख्याय संबोधनं ।। सूत्वासौ नरदेवयो रसुखं सच्छत्रसेनानता । पास्यंतो जिननायकेन महते प्राप्तेति जैन श्रीयां ।। ७ !! ।। इति चंदनषष्ठी समाप्त ।। ६. मुक्तावली कथा संस्कृत ३६-३० भारम्भ प्रादि देवं प्रणम्योक्त' मुक्तात्मानं विमुक्तिदं । पथ संक्षेपतो वक्ष्ये कथा मुक्तावलिविधिः ॥१॥ Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह ६३२ ] ७. सुगंधदशमी कथा रामकीर्ति के शिष्य अपना ३८-४१ विमल कीति आदि भाग अन्तिम पाठ पणवेप्पिा सम्मद जिरणेसरहो जा पृथ्वसूरि प्रागम भणिया । रिणसुरिणज्जा भवियह इक्कमना, कहकमि सुगंधदसमी हितशरिणया ।। दसमिहि सुअंध बिहारगुकरेविरणु तइय कप्प उप्पण्ण मरैविरणु । चउदह प्राहरयेहि पसाहिम सागी सुहइ भुजइ अविरोलिय ।। दुहवी मण्डा पुरु सुरु दुल्लहु, राउ पयाउ दयाजण बलव । मानस सुदरि गत्ति उपएर मयरणावलि नामि संपुष्पणी ।। दिणि दिणि कुमरि वियाब हुँ भती भव्वलोय माणस मोहंती। सामबष्ण मणगावि सुरहि सरगु जिणवरु सामिउ पज्जइ प्रणु दिए ।। गु सदसहरा : तद् व छन्न का वष्मण रण सकइ । धम्मवंत पेखि रणरणहि पोमाइयइ धम्म प्रसहि । रायं सापरिणाविय जामहि, पृत्त कलत्तहि बद्दियतामहि ।। रामकित्ति गुरुविणउ करेविरतु विगु विमल कीति महिपलि पडेविगु । पछइ पुरणु तव पररा करेविरणु सइ प्रणुक्रमेण सोमबखुलहेमइ ।। जो कर करावइ एहविहि बक्खारिणय विवियह दावेद। सो जिरणगाह भासियह सग्गु मोक्षु फब पावन ॥ ८ ।। इति सूगंधदशमोकथा समाप्ता अपनश ८. पुष्पाञ्जलि कथा प्रारम्भ जज जय प्रव्ह जिसर ह्ययम्मीसर मुलिसिरीवरगणधरण । अयसय गणभासुर सहयमहीसर जुक्ति गिराधर समकरण ॥६॥ अन्तिम धत्ता वलवत्तरिगणि रयणकित्ति मुरिंग सिस्स वहिवं दिज्जा । भावकित्ति जुन अनंताकत्तिथुरु पुष्फुजलि विहि किंजइ ॥११॥ पुष्पांजलि कथा समाप्ता Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ६३३ 8. अनंतविधान कपा अपभ्रंश x १-१२ x ५४४० गुटका सं०५४---पत्र संख्यर-१८३ मा०-७IX६ । वशा सामान्यजीर्ण । १. नित्यवंदना सामायिक संस्कृत प्राकृत २, नैमित्तिकप्रयोग संस्कृत ३. अभिक्ति ४. सारित्रभक्ति ५. प्राचार्यभक्ति ६. निर्वाणभक्ति x x x x ७. योगभक्ति x ८. नंदीश्वरभक्ति x प्राचार्य समन्तभद्र ६. स्वयंभूस्तोत्र १.. गृविलि ११. स्वाम्यायपाठ प्राकृत संस्कृ संस्कृत उमास्वामि यतिनेमिचंद पद्य सं० ८ १२. तत्वार्थसूत्र १३. सुप्रभाताष्टक १४. सुप्रभातिकस्तुति . १५. स्वप्नावलि भुवनभूषण मुनि देवनंदि " " २५ १६. सिद्धिप्रिय स्तोत्र " . २५ भूपात कवि चादिराज . १५. भूपालस्तवन १८. एकोमावस्तोत्र १९. निषापहार स्तोत्र २०. पार्श्वनाथस्तवन धनञ्जय देवचंद्र सूरि कुमुदचन्द्रसूरि संस्कृत २१. कल्याण मंदिर स्तोत्र २२. भावना बत्तीसी २३. करुणाष्टक २४. वीतराग गाथा पचनदी प्राकृत Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ ] [ गुटका-संग्रह संस्कृत २५. मंगलाष्टक २६, भावना चौतीसी भ० पद्मनंवि ६२-६५ प्रारम्भ शुद्ध प्रकाशमहिमास्तसमःतमोह, निद्रातिरेकमसमावगमस्वभाष । पानंदकंदामुदयास्तदशानभिज स्वामभुवं भवतु धाम सतां शिवाय ।। १ ।। श्रीगौतमप्रभूतयोधि विभोर्महिम्नः प्रायः क्षमानयनयः स्तवनं विधातु । यथं विचार्य जतस्तमृतलोके सौख्याप्तये जिन भविष्यति मे किमन्यत् ।। २ ।। अन्तिम श्रीमत्प्रभेन्दुप्रभुवाक्यरश्मि विकाशिचेतः कुमदः प्रमोदात् । श्रीभावनापद्धतिःमात्मशुरुच श्रीपश्यनंदी स्वयं चकार ।। ३४ ।। इति श्री भट्टारक पद्मनादिदेव विरचितं चतुस्त्रिशद् भावना समाप्तमिति । . २७. भक्तामरस्तोत्र प्राचार्य मानतुंग संस्कृत २८. बोतरागस्तोत्र भ० पद्मनंदि प्रारम्भ स्वात्मावबोधविशदं परमं पवित्रं ज्ञानकमूर्तिमरणवद्यारणकपात्रं । आस्वादिताक्षयसुखान्जलसत्पराग, पश्यंति पुग्यसहिता भुवि वीतराग ॥ १ ॥ उधत्तपस्तपरशोजितपापपंकं चैतन्यविन्दमानलं विमलं विशकं । देवेन्द्रवृन्दसहितं करणालतांगं पश्यन्ति पुण्य सहिता भुवि वीतरामं ॥ २ ॥ जागयिशुद्धिमहिमाधिमस्तशोकं धर्मोपदेवाविधिवेधितभव्यलोकं । याबारबन्धुरमति जनतासुरागं, पश्यन्ति पुण्य सहिता भुवि वीतरामं ॥ ३ ।। कदर्प सर्प मदनासनवंगतेयं, या पाप हारिजगदुत्तमनामधेयं । संसारसिंधु गरिमथन गदराम, पश्यन्ति पुण्य सहिता भुवि वीतराग ।। ४ ।। गिणिकमुकमलारसिया विदर्भ, वद्धियागु सद्भतर्यामृतपूर्णकुंभ । बलादिमोहतरखण्डनचण्ड न.गं, पश्यन्ति पुण्य सहिता भुवि वीतरागं ॥ ५ ॥ प्रारदकंद सररीकृतधर्मपंथ, ध्याग्निदग्धनिखिलोद्धतकर्मकथं । त्र्यम्ताजवाजि गरणघात विधाय जोयं, पश्यन्ति पुण्य सहिंता भुवि वीतरागं ॥ ६ ॥ Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुटका-सपह स्वछोछलब्धारणविणिज्जितमेचन दं, स्याहादवादितमयाकृतसद्विषाद । निःसीमसंजमसुधारसतत्तड़ागं पश्यन्ति पुण्य सहिता भुवि वीतरागं ।। ७ ॥ सम्यक् प्रमाणकुमुदाकर पूर्णचन्द्र मांगल्यकारणमन्तगुरणं वितन्द्र' । इष्टप्रदागा विधिपोषितभूमिमार्ग, पश्यन्ति पुण्य सहिता भुवि बीतराग ।। ८ ।। श्रीपरिचितं किलंधीतरागम्तात्र, पवित्रमवद्यमनादिनादौ । यः कोमलेन वचसा विनयाविधीते, स्वर्गापवर्गकमलातमलं वृणीत ।।६।। ॥ इति भट्टारक धीरग्रनन्दिविरविते वीतरागस्तोत्रं समाप्तेति ।। देवसेन अपनश १० सं० १०६ २६. प्राराधनासार ३०. हनुमतानुप्रेमा ३१. कालावलोपडी महाकवि स्वयंभू " स्वयंभू रामयण का एक अंश ११९ ११६ ३२. ज्ञानपिण्ड को विशति पद्धडिका संस्कृत १३२ ३३. ज्ञान कुश ३४, इष्टोपदेश ३५. सूक्तिमुक्तावलि ३६. श्रावकाचार पूज्यपाद प्राचार्य सोम देव महापंडित माशाधर ७३ अध्याय से भागे अपूर्ण १६३ ५४११. गुट का सं०६० । पत्र सं० ५६ । प्रा० ८४६ इन्च । मपूर्ण । दशा-सामान्य । प्राकृत १, रत्नत्रयपूजा २. पंचमेर की पूजा २२-२७ २७-३१ ३. लघुसामामिक x xxxx संस्कृत ४. मारती ३४-३५ ५. निर्याएकापड प्राकृत ३६-३७ ४६ इन्च | अपूर्ण । ५४४२. गुटका २०६१ । पत्र सं० ५६ । पा. विशेष-या ब्रह्मकुल हिन्दी पद संग्रह है। Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३६ ] पूर्ण । { गुटका संग्रह ५४४३, गुटका सं० ६२ | पत्र सं० १२८ | ० ६४६ भाषा-हिन्दी ले० काल सं० १८२८ विशेष— प्रति जीर्णशीर्ण अवस्था में है। मधुमालती की कथा । ५४४४. गुटका सं० ६३ । पत्र सं० १२५ १ ० ६८५ इख X १. तीर्थोदकविधान २. जिनसहस्रनाम ३. देवशास्त्रगुरुपूजा ४. जिनयज्ञकल्प दशा- जीर्ण | १. सहस्रनाम २. रत्नत्रयपूजा ३. नंदीश्वर पंक्तिपूजा ४. बड़ी सिद्धपूजा ( कर्मदहन पूजा ) ५. सारस्वतयंत्र पूजा ६. वृहत् कलिकुण्डपूजा आशावर ७. गणवरवलयपूजा ८. नंदीश्वरजयमाल ९. वृहत्वोशकार पूजा १०. ऋऋषिमंडलपूजा ११. मोतिचकपूजा १२. पचमेपूजा (पुष्पाञ्जलि ) 17 १३. परणकरहा जयमाल १४. बारह अनुप्रेक्षा " ५४२५. गुटका सं० ६४ पत्र सं० ४० । श्रा० ७५७ इंच । भाषा - हिन्दी । पूर्ण । विशेष विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है । ५४४६ गुटका सं० ६५- पत्र संख्या ६६-४११ ०-८४६ ।। पं० प्रशाधर पद्मनंदि सोमदत्त X X X X X ज्ञान भूषण भाषा-संस्कृत । पू । दशा - सामान्य संस्कृत १-११ १२-२२ २२-३६ ३७-१२५ X "" X X X 13 | लेखनकाल - १६६१ । प्रपूर्ण संस्कृत श्रवदा संस्कृत " カケ 33 " प्राकृत संस्कृत " 11 अपभ्रश " ?? अपूर्णं । ८६-८७ ८७-३ ६३-६७ ९८-१०६ १०७ プラ 1" १०७-१११ १११ - ११५ ११६ ११६-१२८ १२८-३६ १३७-३८ १३६-४१ ૪૨ १४३-४७ Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 量 गुटका - संग्रह ] १५. मोखरों की जयमाल १६. णमोकार पाथड़ी जयमाल १७. चौबीस जिनंद जयमाल १८. दशलक्षण जयमाल १६. भक्तामर स्तोत्र २०. कल्याणमंदिरस्तोत्र २१. एकीभावस्तोत्र २२. प्रकलंकष्टक २३. भूपालचतुविशति २४. स्वयंभू स्तोत्र ( इष्टोपदेश २५. लक्ष्मीमहास्तोत्र २६. लघुसहस्रनाम २७. सामायिक पाठ २८ सिद्धिप्रियस्तोत्र २६. भावनाद्वात्रिंशिका ३०. विषापहारस्तोत्र ३१. तत्वार्थ सूत्र ३२. परमात्म प्रकाश ३३. सुप्पयदोहा ३४. परमानंदस्तोत्र ३५. यतिभावनाष्टक ३६. कमरपाष्टक ३७. तत्रसार ३८. दुर्लभानुप्रेक्षा ३६. वैराम्यगीत ( उदरगीत ) ४०. मुनिसुव्रतनाथ स्तुति x X X रइधू मानतुङ्गाचार्य बुमुदच ंद्र वादिराज स्वामी अलंक भूल पूज्यपाद पद्मनदि X X देवनंदि X धनकुय उमास्वामि योगीन्द्र XX X | पद्मनंदि देवसेन X खोहल X प्रपा दश "3 33 " संस्कृत 17 17 77 , 23 22 33 १६४ १६५ प्राकृत संस्कृत ले० सं० १६७५, १६५-७० संस्कृत १७१ १७१-७२ १७२-७४ 17 १७४-७५ अपभ्रंश १७६-८८ ले० नं० १६६१ वैशाख सुदी ५ । X १०५-१० संस्कृत १६१ " 31 प्राकृत [ ६३७ 33 हिन्दी अपभ्रश १४७ ૪૨ १५० -१५२ १५३ - १५५ १५५ - १५७ १५७-१५८ १५८-१६० १६. १६१-६२ १६२-६४ " १६२ १६४ 39 १६५ अपूर्ण १६५ Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३ ] ४१. सिद्धचक्रपूजा ४२. जिनशासनभक्ति ४३. धर्मदुहेला जैनी का ( लेपनक्रिया ) [ गुटका संग्रह संस्कृत १६६-१७ प्राकृत अपूर्ण १६६ - २०० हिन्दी २०२-३७ विशेष- लिपि वत् १६९६ | आ० शुभचन्द्र ने गुटके की प्रतिलिपि करायी तथा श्री माधवसिंहजी के शासनकाल में गढ़कोटा ग्राम में हरजी जोशी ने प्रतिलिपि की । खेती X X सुमतिसागर केशवसेन ४४. नेमिजिनंद व्याहलो ४५. गणधर वलय यंत्रमण्डल ( कोठे ) ४६. कर्मदहन का मण्डल ४७. दशलक्ष व्रतोद्यापनपूजा ४८. पंचमीव्रतोद्यापन पूज ४६. रोहिणी व्रत पूजा ५०. वेपन क्रियोद्यापन ५१. जिन उद्यान ५२. पंचेन्द्रियत्रेलि ५३. नेमीसुर कवित ( नेमीसुर राजमतीवेलि ) ५४. विज्जुच्चर की जयमाल ५५. हणवंतकुमार जयमाल ५६. निर्वाणकाण्डगाथा ५७. कृपणछन्द ४८. मानलघुभावनी ३६. मान की बडी बावनी ६०. नेमीश्वर को रास ६१. ६२. नेमिनाथरास १३. श्रीपाल रासो 37 X X X X देवकीस X श्रीहन कवि ठकुरी ( कविदेल्ह का पुत्र ) x X X X ठक्कुरसी मनासाह ני भाजकवि ब्रह्म रायमल रत्न कीसि ब्रह्मरायमल 19 73 F. अपभ्रंश प्राकृत हिन्दी " हिन्दी 33 27 37 हिन्दी 33 २४३-६४ २६४-७४ २७५. संस्कृत २७५-८६ हिन्दी अपूर्ण २८६ - ६४ हिन्दी अपूर्ण ३०७ ३०७-०६ 31 39 32 37 २३७-४२ २४२ २४३ ३०६-११ ३११-१४ ३१४ ३१४- १७ ३१८-२१ ३२२-२८ ३२६-३३ ० सं० १६१५, ३३३-४१ ३४१-३४३ र. सं. १६३० ३४३५५ + Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । [ ६३६ ६४. सुदर्शन रासो ब्रह्म रायमल्ल हिन्दी र सं. १६२६ ३५६-६६ संवत् १६६१ में महाराजाधिराज माधोसिंहधी के शासन काल में मालगुरा में श्रीलाला भावसा ने आत्म पठनार्थ लिखवाया। ६५. जोगीरासा जिनदास ३६७-६८ ६६. सोलहकारणास म. सकलकीति ३६८-६६ ६७. प्रद्युम्नकुमाररास ब्रह्मरायमल्ल ३६६-८३ असरसंक र होर में रचना की गई थी। ६८. सकलीकरणविधि संस्कृत ३९३-९५ - - - - - - - - - ६०, दीसविरहमागपूजा ७०. पंकल्याणकपूजा अपूर्ण ३९८-४११ ५४४७. गुटका सं०६६ 1 पर सं० ३७५ मा० ७४५ इन्च । अपूर्ण । दशा-सामान्य । १. भक्तामरस्तोत्र मंत्र सहित मानतुगाचार्य संस्कृत १-२६ २. पद्मावतीसहस्रनाम २६-२७ ५४४८. गुरका सं०६७। पत्र सं०७१ | ग्रा. २x६७। अपुग । दशा-जीर्ण । १. नवकारमंत्र आदि प्राकृत २. तत्त्वार्थसूत्र उमास्वामि संस्कृत हिन्दी अर्थ सहित । अपूर्ण ३. जम्बूस्वामी चरित्र हिन्दी अपूर्ण ४. चन्द्रहंसकथा टीकमचन्द र.सं. १७०८ । अपूर्ण ५. श्रीपालजी की स्तुति ६. स्तुति अपूर्ण ५४४६. गुटका सं६८। पत्र सं. ५-११२ । भाषा-हिन्दी। अपूर्ण | ले. काल सं० १७० चैत्र - बदी १३॥ विशेष-प्रारमि में वैद्य मनोत्सव एवं बाद में आयुर्वेदिक नुसखे हैं । ५४५०. गुदका सं०६६ । पत्र सं० ११८ । आ. ६x६ इंच | हिन्दी । पूर्ण । विशेष-बनारसीदास त समयसार नाटक है । Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४० ] [ गुटका-संग्रह ___५४५१. गुटका सं०७० । पत्र सं० १४ । प्रा० ८३४६ इंच। भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-सिद्धान्त अपूर्ण एवं अशुद्ध । दमाः-जीर्ण । विशेष- इस गुटके में उमास्वामि कृत तस्त्रार्थसूत्र को ( हिन्दी ) टीका दी हुई है । टीका सुन्दर एवं विस्तृत है तथा पाये रूपचन्दजी कृत है। ५४५२. गुटका सं० ७१ । पत्र सं० ३५-२२२ । श्रा० ८:४६ च । अपूर्ण । दशा-सामान्य । ३५-४१ X संस्कृत ૪૨ X १. स्वरोदय २. सूर्यकवच ३. राजनीतिशास्त्र चाणक्य ४३-५७ ५८-६३ ४. देवसिद्धपूजा ६४-६५ ५. दशलक्षणपूजा ७३-७५ ७५-७६ ६, रत्नत्रयपूजा ७. सोलहकारणपूजा ८. पार्श्वनाथपूजा १. कलिकुष्ट्रपूजा १०. क्षेत्रपालपूजा ११. न्हबनविधि १२. लक्ष्मीस्तोत्र x x x x x x xxx ७६-७० ७८-२ ८२-८५ ५ १३. तत्वार्थसूत्र तीन अध्याय तक उमास्वामि x १४. शांतिपाठ १५. रामविनोद भाषा रामविनोद हिन्दी ८६-२२२ ५५५३. गुटका सं०७२ । पत्र सं० २०४ । प्रा० ३४६१ इंच । पूर्ण । दशा-सामान्य । १. नाटक समपसार बनारसीदास हिन्दी रचना संवत् १६६३ लिपि सं. १७७६ । २. बनारसीविलास हिन्दी ३. स्त्रीमुक्तिखण्डन , अपूर्ण पद्य सं० ३६-७० अपूर्ण Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रूपचन्द गुटका-सRE ] ५४५४. गुटका सं०७३ । पत्र सं १५२ । मा० ७४६ च । अपूर्मा | दशा-जीर्ण शीर्ण । १. रागु पासावरी अपभ्रंश प्रारम्भ विसउणाभेण कुरुजंगले तहि यरु वाउ जीउ राजे । धरणकणणायर पूरियज करणयप्वहु घणउ जीउ राजे ।। १ ।। विशेष-गीत अपूर्ण है तथा अस्पष्ट है | २. पादड़ी ( कौमुदोमध्यात् ) अपभ्रंश सहगपाल २-७ प्रारम्भ हाह धम्मभुउ हिंडिउ संसारि प्रसारइ । कोइपए सुरणउ, गुणदिन्छु संख विरगु वारइ ॥ छ ।। अन्तिम पत्ता पुरणुमंति कहइ सिवाय सुरिण, साहरणमेयह किज्जइ । परिहरि विगेटु सिरि ससियत संधि सुमई साहिज्जइ ॥ ६ ॥ ॥ इति सहपालकृते कौमुदीमध्यात पद्धड़ी छन्द लिखितं ।। ३. कल्यारणकविधि मुनि विनयचन्द अपनश प्रारम्भ सिद्धि सुहकरसिद्धियाहु पराविधि तिज पयासरण केवलसिद्धिहि कारणगुणमिहउँ । सयलवि जिण कल्लारण नियमल सिद्धि सुहंकरसिद्धियह ।।१॥ अन्तिम एमभत्तु एक्कु जि कमाणउ विहिणिविपडि प्रहाइ गणरणध । अहवासय लहखवरणविहि, विरणमचंदि सुणि कहिउ समत्यह ।। सिद्धि सुहकर सिद्धियह ॥ २५ ।। ॥ इति विनमचन्द कृतं कल्यारणविधिः समासा ।। ४. चूनड़ी (विरामं दिवि पंच गुरु) यति विनयचन्द अपभ्रका Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह अपनश १७-२४ X २४-२७ X २७-३१ X ३१-४५ ४५-५६ ५६-६० ६४२ ] ५. अपथमिलि संधि हरिश्चन्द्र अग्रवाल ६. सम्माधि ७. मस्गुवसंधि 5, गायपिंड विशेष–२० कडवक हैं। ६. श्रावकाचार दोहा रामसेन १०. देशलाक्षरपोकरास ११. श्रुतपञ्चमोकथा स्वयंभू (हरिवंवा मध्यात् विदुर वैराग्य कथानके ) १२. पद्धती यश कीत्ति ( यशःकीति विरचित चंद्रप्रभचारित्रमध्यान्) १३. रिद्धणेमिवरिउ (६७-६८ संधि) स्वयंभू १४. वीरचरित्र ( अनुप्रेक्षा भाग ) रड्यू १५. चतुर्गति की पड़ी १६. सम्यकत्वकौमुदी (भाग १) सहपाल १७. भावना उगतीसी ६१-६७ (धरलाश्रित) ७७-८६ ८६-८९ ६-६१ ११-१४ ९४-६६ १०.-०२ १०. गौतमभृच्छा पृष्पदन्त अपनश १६. आदिपुराण ( कुछ भाग ) २०. यशोधरचरित्र ( कुछ भाग) १३२-४६ ५४५५ गुटका सं०७४ । पत्र सं० २३ मे १२३ । पा० ३४६ इश्व । अपूर्ण । हिन्दी रूपचन्द ३२-४३ १. फुटकर पद्य २. पश्चमङ्गल ३. करुणाष्टक ४. पार्श्वनाथजयमाल ५. विनती x लौहट भूधरदास ६. ते गुरु मेरे उर बसो ले. काल सं० १७६६ ४६ Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ---- गुटका-संग्रह ] [ ६४३ - ७. जकड़ी बानतराय हिन्दी वृन्दावन ८. मगन रहो रे तू प्रभु के भजन में ६. हम आये हैं जिनराज तोरे वंदन को - द्यानाराय , - ले. काल सं० १७६६ , ५३-६. - १०. राजुलपचीसी विनोदी नाल लालबन्द -------- विदोष-ले० काल सं० १७६६ । दयाचन्द लुहादिया ने प्रतिलिपि की थी। पं. फकीरचन्द कासलीवाल ने प्रतिलिपि करवायी थी। - - --------- ११. निर्धारणका भाषा भगवतीदास १२. श्रीपालजी की स्तुति १३. मना रे प्रभु चरणा त बुलाय हरीसिंह १४. हमारी करपा त्यो जिनराज पअनन्दि १५. पानीका पतासा जैसा तनका तमाशा है [कवित्त] केशवदास १६. कवित्त जयकिशन सुंदरदास प्रादि १७. गुणवेलि -------- ६६-७२ -------- १५. पद-थारा देश में हा लाल गढ़ बड़ो गिरनार ४ - - ------ xxx --- - २६. कक्का गुलाबबन्द ७८-२ २० काल सं० १७६ ले० काल सं० १८०० २०. पंचवधाचा हिन्दी २१. मोक्षपेडी -१२२. भजन संग्रह २३. दानकीवीनती जसीदास संस्कृत निहालचन्द्र अजमेरा ने प्रतिलिपि की संवत् १८१४ । २४, शकुनाबली हिन्दी लिपिकाल १७६७ ६-१०५ २५. फुटकर पद एवं कवित्त ५४५६ गुटका सं.७५-पत्र संख्या-११६ । प्रा.-xxsच। ले. काल सं० १५४८ | दशा सामान्य । प्रपूर्स । १. निर्वाणकाण्डभाषा भगवतीदास २, कल्याणमंदिरभाषा बनारसीदास - -- xx - हिन्दी - Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह पद्मप्रभदेव संस्कृत ६४४ ] ३. लक्ष्मीस्तोत्र ४. श्रीपालजी की स्तुति ५. साधुवंदना ६. बीसतीर्थङ्करों की जकडी हिन्दी बनारसीदास हर्षफीति + ७. बारहभावना ८. दर्भानाष्टक हिन्दी सब दर्शनों का वर्णन है। ६. पद-चरण केवल को ध्यान हरीसिंह १०. भक्तामरस्तोत्रमाणा ५४५७ गटका सं०७६। पत्र संख्या-१८० प्रा०-20x४|| लेखन सं० १७०३ | जीर्ण । १. तत्वार्थसूत्र उमास्वामि सस्कृत २. नित्यपूजा व भाद्रपद पूजा ३. नंदीश्वरपूजा पंडित नगराज ने हिरणौदा में प्रतिलिपि की। ४. श्रीसीमंधरजी की जकड़ी हिन्दी प्रतिलिपि गुढ़ा में की गई। ५. सिद्धिप्रियस्तोत्र संस्कृत ६. एकाभावस्तोत्र वादिराज ७. जिनपिजिन जपि जीवरा हिन्दी ८. चिंतामरिणजी की जयमाल मनरथ , जोवनेरमें नगराजने प्रतिलिपि की थी। ६. क्षेत्रपालस्तोत्र संस्कृत १.. भक्तामरस्तोत्र प्राचार्यमानतुग ५४५६ गुटका सं०७७ | पर सं० १२५ । मा० ६x४ इच । भाषा-संस्कृत । ले० सं• काल १८१९ माह सुदी १२। १. देवसिद्धपूजा संस्कृत १-३५ २. नंदोश्वरपूजा ३. सोलहकारण पूजा ४. दशलक्षणपूजा xxx x Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ५. रत्नत्रयपूज ६. पार्श्वनाथपूजा ७. शांतिपाठ - तत्वार्थ सूत्र १. ऋषिमण्डल स्तवन २. तुविशति तीर्थङ्कर पूजा ३. चिंतामणिस्तोत्र ४. लक्ष्मीस्तोत्र ५. पार्श्वनाथस्तवन ६. कर्मदहन पूजा ७. चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तवन म पार्श्वनाथस्तोत्र e. पष्पावतीस्तोत्र १०. चिंतामणि पार्श्वनाथ पूजा ११. गणधरवलय पूजा १२. श्रष्टाका कथा १३. अनन्तव्रत कथा १४. सुगन्धदशमी कथा १५. षोडषकारण कया x X Xx उमास्वामि १६. रत्नत्रय कया १७. जिनचरित्र क्या १८. आकाशपंचमी कथा १६. रोहिणी व्रत कथा ५४५६. गुटका सं० ७८ पत्र संख्या १९० | श्र० ६x४ इंच अपूर्ण । दशा- जीर्ण | विशेष दो गुटकों का सम्मिश्रण है । X X X X X भ० शुभचन्द्र x x x भ० शुभचन्द्र X यशःकीत्ति ललितकीति 37 13 99 19 हिन्दी 19 77 17 11 संस्कृत 17 " "" हिन्दी संस्कृत 31 27 "3 33 31 23 " " 70 39 33 13 " [ ६४५ ५६–६१ ६२-६७ ६५-६६ ७०-११४ २०-२७ २८-३१ ३६ ३७-३८ ३१-४० १-४३ ४३-४८ ४८-५३ ५४-६१ ६१-६६ ८६-११४ १०४-११२ ११२-११५ ११८-१२७ १२७-१३६ १३६-१४१ १४१-१४७ १४७- १५३ मपूर्ण १५४-१४७ Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ xx x ६४६ ] [ गुटका-संग्रह २०. ज्यालामालिनीस्तोत्र संस्कृत १५५-१६१ २१. क्षेत्रपालस्तोत्र १६२-६३ २२. शातक होम विधि १७४-७६ २३. बौबीसी विनती भ० रत्नचन्द्र हिन्दी ५४६०. गुटका सं० । पत्र सं० ३३ | प्राs X४३ च । अपूर्ण । १. रातनीतिशास्त्र चाणक्य संस्कृत २. एकीश्लोक रामायण 3 एकीश्लोक भावन ४. गणेशद्वादशनाम ३०-३१ ५. नवग्रहस्तोत्र वेदव्यास ३२-३३ ५५६१. गुटका सं०८० । पत्र सं० १८-४४ । प्रा० ६१४४३६च । भाषा-संस्कृत तथा हिन्दी । १-२८ अपूर्ण । विशेष-- पञ्चमंगल, बाईस परिषह, देवापूजा एवं तत्वार्थसूत्र का संग्रह है । ५४६२ गुटका सं० २१ । पत्र सं० २-२६ । प्रा. ५३४४ इंच | भाषा-संस्कृत | अपूर्ण | दशा सामान्य। विशेष-नित्य पूजा एवं पाओं का संग्रह है। ५४६३गुटका सं पत्र सं. ३० । प्रा. ६x४६च | भाषा संस्कृत । सै० काल सं०१३ १५-२० २१-२३ विशेष—पद्मावती स्तोत्र एवं जिमसहस्रनाम ( पं• प्राशापर )का संग्रह है। ५४६४ गुटका सं०८४ । पत्र सं. १५-५१ । मा०iix४१ च । १. स्वस्त्ययनविधि संस्कृत २. सिद्धपूजा ३. पोडशकाररणपूजा ४. दशलक्षणपूजा ५. रत्नत्रयपूजा ६. गुरुपूजाक Xxxxxx २४.१२५ २६-२७ २८-३७ Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ me गुटका-संग्रह । [ ६४७ संस्कृत ३९-४१ ७. चितामरिणपूजा ८. तस्त्रार्थ सूत्र उमास्वामि ४२-५१ ५४६५. गुटका ० ८५ । पन सं. २२ । पा. ६x४ च । भाषा-संस्कृत । अपूर्ण । दशा-सामान्य। विशेष---पत्र ३-४ नहीं है । जिनसेनाचार्य कृत जिन सहस्रनाम स्तोत्र है । ५४६६. गुटका स०८६३ पत्र स० ५ से २५ । प्रा. ६५५ च । भाषा-हिन्दी। वियोष-१८ मे २७ सत्रयों का संग्रह है किन्तु किस प्रथ के हैं यह अज्ञात है । ५४६७. गुटका सं पत्र सं. ३३ | आ. EX४ इंच | भाषा-संस्कृत । पूर्ण। दशा-समान्य । १. जैनरक्षास्तोत्र x २. जिनपिंजरस्तोत्र x ३. पाश्र्धनाथस्तोत्र x ४. चक्रवरीस्तोत्र x . x x १५-१८ गौतम गरगर १५-२४ ५. पद्मावतीस्तोत्र ६. ज्वालामालिनीर त्रि ७. ऋषि मंडलस्तोत्र ८. सरस्वतीस्तुति ६. शीतलाष्टक १०. क्षेत्रपालस्तोत्र माशाधर २४-२६ २७-३२ ५४६८. गटका सं0861 पत्र सं०२.पा. ७४५ इश । अपूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष---गर्गाचार्य विरचित पाशा बली है। ५४६६, गुटका सं०१ । पत्र सं० ११४५ मा० ६४५३ च । भाषा-संस्कृत हिन्दी | अपूर्ण । विशेष-प्रारंभ में पूजानों का संग्रह है तथा अन्त में प्रचलकीर्ति कृत मंत्र नवकार रास है । ५४७० गुटका सं०६८ । पत्र सं. १० से १२० | प्रा. ८४४३ इंच । भाषा-संस्कृत । अपूर्ण । विशेष-भक्ति पाठ तथा चतुर्विंशति सीर्थकर स्तुति ( प्राचार्य समन्तभद्रकृत ) है। ५४७१ गुटका सं०६१ । पत्र सं०७ से २२ । प्रा०६x६ इ'च । विषय-स्तोत्र । अपूर्ण | दशा सामान्य। Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८ ] [ गुटका-संग्रह १. संबोध पंचासिकाभाषा द्यानतराय हिन्दी २. भक्तामरभाषा हेमराज ३. कल्याण मंदिरस्तोत्रभाषा बनारसीदास १५-२२ ५४७२. गटका सं०१२ पत्र सं० १३०-२०३। आ. Exइत्र । भाषा-संस्कृत हिन्दी 1 ले. काल १६३३ । अपूर्ण । दशा सामान्य | १. भविष्यदत्तरास रायमल्ल हिन्दी संस्कृत १८५ ८७ २. जिमपञ्जरस्तात्र ३, पार्श्वनाथस्तोत्र १०८ हिन्दी १८६-६३ ४, स्तवन (मरिहन्त संत का) ५. चेतनचरित्र १९३-२०३ ५४७३. गटका सं०१३। पत्र सं० २५-१०८ । प्रा. ५४३ च । अर्गा । विशेष--प्रारम्भ के २४ पत्र नहीं हैं। १. पार्षनाथपूजा २. भक्तामरस्तोत्र संस्कृत मानतुगाचार्य पद्मप्रभदेव ३. लक्ष्मीस्तोत्र ४. सासू बहू का झगड़ा महादेव ५. पिया चले गिरवर कू ६. नाभि नरेन्द्र के नंदन कू जब बंदन X संस्कृत ७२-१४ हिन्दी मपूर्ण ७. सीताजी की विनती ८. तत्वार्थसूत्र उमास्वामि ह. पद- अरज करो वा जिनराजजी राग सारंग x १०. , को परि करोजी गुमान थे के दिनका महमान, बुधजन ११. लगन मोरी लगी ऐसी १२. , शुभ गति पावन याही चित धारोजी नवल १३. , जाऊंगी संगि नेम कंवार १४. टुक नजर महर की करना भूधरदास Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह [ ६६ १५. खेलत है होरी मिलि साजन की टोरी हरिचन्द्र १०२ (राग काफी) १६. देखो करमा सू फुन्द रही अजरी किंवानदास १७. सखी नेमीजीसू मोहे मिलावोरी (रागहोरी) द्यानतराय १८. दुरमति दूरि खड़ी रहो री देवीदास १०५ १९. अरज सुनो म्हारो अन्तरजामी खेमबन्द २०. जिनजी की छवि सुन्दर या मेरे मन भाई x अपूर्ण १०८ ५४७४. गुटका सं०६४ । पत्र सं० ३-४७ । प्रा० ५४५ इंच । ल• काल सं० १८२१ । प्रपूर्ण । विशेष-पत्र संख्या २६ तक केशवदास कृत वैद्य मनोत्सव है। मायुर्वेद के नुसखे हैं। तेजरी, इकांतरा .. आदि के मंत्र हैं | सं० १५२१ में श्री हरलाल ने पावटा में प्रतिलिपि की थी। ५४०५. गुटका हो । पत्र I पूर्ण । नमा-सामान्य | जिनसेनाचार्य संस्कृत भूधरवास हिन्दो १. माविपुराण २. चर्चासमाधान ३. सूर्यस्तोत्र ४. सामायिफपाठ १३८ १३-१४४ Xxxx ५. मुनीश्वरों की जयमाल १४५-१४६ ६. शांतिनाथस्तोत्र १४७-१४८ कमलमलसूरि १४६-१५१ ७. जिनपंजरस्तोत्र ८. भैरवाष्टक १५१-१५६ ६. प्रकर्लकाष्टक भकलंक १०. पूजापाठ ५४७६. गुटका सं६६ 1 पत्र सं० १६० । प्रा० ३४३ इञ्च | ले. काल सं० १८५७ फागुण मुदी ८ । पूर्ण | दशा-सामान्य । धनराय संस्कृत १. विषापहार स्तोत्र २. ज्वालामालिनीस्तोत्र Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ३. चितामणिपार्श्वनाथस्तोत्र संस्कृत ४. लक्ष्मीस्तोत्र ५. चैत्यवंदना बनारसीदास २०-२४ प्रचलकीति २५-२८ २६-३१ ३३-३७ ६. झामपञ्चीसी ५. श्रीपालस्तुति ८. विषापहारस्तोत्रभाषा ६. चौबीमतीर्थरस्तवन १०. पंचमंगल ११. सलार्थसूत्र १२. पद-मेरी रेलगावो जिनजी का नाम १३. कल्याणमंदिरस्तोत्रभाषा १४. नेमीश्वर की स्तुति रूपसंद उमास्वामि संस्कृत ४-१६ हिन्दी बनारसीदास ६१-७० भूधरदास हिन्दी ७१-७२ ७३-७५ १५. जकड़ी रुपचंद भूघरदास १७. पद-लीयो जाय तो लीजे रे मानो जिनजी को नाम सब भलो १८. निर्वाकाण्डभाषा भगवतीदास ८५-८६ १६. घण्टाकर्णमंत्र xxx x २० तीर्थङ्करादि परिचय १७-१६२ २१. वर्शनपाठ संस्कृत १६३-६५ २२. पारसनाथली की निमाणी हिन्दी १६६-७७ २३. स्तुति कनककीति १८०-२ २४ पद- श्रीजिनराय मनवच काय करानी)४ ५४६७. गुटका सं०१७ । पत्र सं० ७५ । प्रा० ३४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । पूर्ण । दशा सामान्य | विशेष-गुटकाजीर्ण शीर्ण हो चुका है । अक्षर मिट चुके हैं। १ लस्वार्थ सूत्र उमास्वामि संस्कृत Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुमुदचंद्र गुटका-संग्रह ) [ ६५१ २. भक्तामरस्तोत्र मानतुङ्गाचार्य ३. एकोभावस्तोत्र वादिराज ४. कल्याणमंदिरस्तोत्र ५. पार्श्वनाथस्तोत्र ६. वर्धमानस्तोत्र ७. स्तोत्र संग्रह ५४७८, गुटका सं० १८ पत्र सं० १३-११५। प्रा० २३४२३ इन्च भाषा-संस्कृत ! पपूर्ण । दशा सामान्य। विशेष-नित्य पूजा एवं षोडशकारणादि भाद्रपद पूजामों का संग्रह है ! ५४७६. गुटका सं० । पत्र सं० ४-१०५ : प्रा० ४३ इ । xxx १. कक्काबतीसी X हिन्दी ४-१३ २. त्रिकालचोवीसी X कनककीति १५-२० ३. मक्तिपाठ ४. तीसचोवीसी X २१-२३ ५. पहेलियां ६. तीनचौवीसीरास २४-६३ ६४-६६ X ७. निर्वाणकाण्डभाषा भगवतीदास ८. श्रीपाल बौनती X ७४-७८ ९. भजन X १०, नवकार बड़ी वीनती ब्रह्मदेव सं. १८४५ ८१-८२ ११. राजुल पच्चीसी विनोदीलाल १२. नेमीश्नर का पाहला लालचन्द " मपूर्ण १०१-१०५ ५४००. गुटका सं० १०५ । पत्र सं० २-८० | मा० १०४६ इछ । अपूर्ण | दशा सामान्य । १. जिसपचीसी नवलराम हिन्दी ২. বিলম্বিল रामचंद्र ३. सिद्धपूजा संस्कृत ४-५ Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२ ] [ गुटका-संग्रह मादिराज ५-६ ४. एकीभाषस्तोत्र ५. जिनपूजाविधान ( देवपूजा ) x हिन्दी ७-१३ २.छहवाला द्यानतराम १६-१८ ७. भक्तामरस्तोत्र मानतुगाचार्य म. तत्त्वार्थ सूत्र उमास्वामि १५-२१ १. सोलहकारगपूना १०. दशलक्षणपूजा २५-३२ ११. रत्नत्रयपूजा १२. पञ्चपरमेष्ठीपूजा १३. नंदीश्वरखीपपूजा संस्कृत ३७-३६ १४. शास्त्रपूजा १५. सरस्वतीपूजा हिन्दी १६. तीर्थ परिचय १७. नरक-स्वर्ग के यंत्र पृथ्वी आदि का वर्णन ४३-५० १८. जैनशतक भूधरदास ५१-५६ १६. एकीभावस्तोत्रभाषा ६०-६१ २०. द्वादशामुप्रेक्षा २१. दर्शनस्तुति ६३-६४ २२. साधुवंदना बनारसीदास ६४-६५ २३. पंचमङ्गल रूपचन्द हिन्दी २४. जोगीरासो जिनदास २५, चर्चा में ७०-८० ५४८१. गुटका सं० १०१ । पत्र सं०२-२१ । मा० ८:४८१ इंच | भाषा-प्राकृत । विषय-पर्चा । अपूर्ण । पशा-सामान्य ! चौबीस ठाणा का पाठ है। ५४८२, गुटका सं० १०२ । पर सं० २-२३ । मा० ५४४ छ । भाषा-हिन्दी । अपूर्ण । दमासामान्य । निम्न कवियों के पदों का संग्रह है। Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटक]-संग्रह.. १. मूल क्यों गया जी म्हानें २. जिन छवि पर बाऊं मैं वारी ३. श्रंखिया लगी तेड़े ? ४. हगनि सुख पायो जिनगर देखि ५. लगन मोहे लगी देखन की ६. जिनबी का ध्यान में मन लगि रह्यो ७. प्रभु मिल्या दीवानी विडीया कैसे किया स नहीं ऐसो जनम बारम्बार ६.नन्द्र प्राज हमारे १०. जिन भजो सोही जोरो ११. सुभ पंच लगो ज्यो होय भला १२. मनकी हो कुटिलता १३. सबन में दया है धर्म को मूल १४. दुख काह नहीं दीजे रे भाई १५ मारण लाग्यो १६. जिम चरण पित लगाय मन १७. हे मां जा मिलिये श्री नेमकंबार १८. म्हारो लाग्यो प्रभु सूनेह १६. या ही संग नेह सम्दी है २०. पां पर वारी हो जिनराय २१. मो मन थ ही संग लाग्यो २२. धनि घड़ी ये भई देखे, प्रभु नैना' २२. वीररी पीर मोरी क़ासों कहिये २४. जिनराय व्यायो सदि भाव से २५. समी जाब जादो पति को समझा २६. प्रभुजी म्हारी बिनती मवधारी हो. राज # 1 X X X बुधजन X नवलराम X नवलराम' 73 93 19 X नवलराम 33 " "3 59 15 राम " 19 "3 13 is : +[ ان 11 हिन्दी 33 23 " 33 " 35 " "3 33 33 77 77 " 12 35 " 39 " 13 1 37 73 37 " " 2 fir 35 [ ६५३ ર २ २ ३ ३ x ર ५. X ६ F ६ Ε १० € १ C ११ ११ २ Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह नवलराम ६ ] २७. ई विष खेलिये हो चतुर नर २८. प्रभु गुन गायो भविक जन २६. यो मन म्हारो जिनजी सू लाग्यो ३०. प्रभु चूक तकसीर मेरी माफ करो वे ३१. दरसन करत प्रष सदनसे १६-१७ ३२. रे मन लोभिया रे ३३ भरत नृप वैरागे चित भीनो ३४. देव दीन को दपाल जानि चरण शरण प्रायो ३५. गावो हे श्री जिन विकलप धारि ३६. प्रभुजी म्हारो अरज सुनो चितलाय ३७. ये शिक्षा चित लाई ३८. मैं पूजा फल बात सुनो ३६, जिन सुमरन की बार १०. सामायिक स्तुसि बंदन करि के ४१. जिनन्दजी की रुख रुख नेन लाय संतदास ४२. चेतो क्यों न ज्ञानी जिया ४३. एक परज सुनो साहब मोरी द्यानतराय ४४. मो से अपना कर दवार रिसभ दीन तेरा बुधजन ४५. सपना रंग में रंग दयोजी साहब ४६, मेरा मन मधुकर प्रटक्यो ४७. भैया तुम चोरी त्यागोजी पारसदास ४६. बड़ी २ पल २ छिन २ दौलतराम ४१, घट घट नटवर ५०. मारग अपनो जीय सुज्ञानी डोरै ५१. सुनि जीया रे चिरकाल रै सोयो १२. जग जसिया रे भाई भूधरदास xxx Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] " ५३. घाई सोही सुगुरु बसा ५४. हो मन जिनकी न क्यों नहीं रहे ५५ की परि इतनी मगरी करी सुदी १५ पूर्ण दशा जीर्ण | १. रनपूजा २. नन्दीश्वरद्वीप पूजा ३. स्नपनविधि ४. क्षेत्रपालपूजा ५. क्षेत्रपालाष्टक ६. वन्देतान की जयमाला ७. पार्श्वनाथ पूजा ८. पार्श्वनाथ जयमाल ६. पूजा धमाल १०. चिंतामणि की जयमाल ५४५३ गुटका सं० १०३ पत्र सं० ३२० पा० ६५५ पूर्णा- जी विशेष हिन्दी पदों का संग्रह है। ११. स्वि १२. विद्यमान बीस तीर्थङ्कर पूजा नवलराम १२. पावतीपूजा १४. रत्नावली व्रतों की तिथियों के नाम 19 १५. काल मंगल की १५. जिननाम १७. जिनयज्ञादिविधान १८. व्रतों की तिथियों का ब्यौरा 17 ५४६४. गुटका सं० २०४ पत्र सं० २०-१४४ ०६५५६ ० का ० १७२५ कार्तिक X x X x x X X X ब्रह्मरायमल्ल x नरेन्द्रकी 11 11 33 हिन्दी अशाधर X " 13 प्राकृत 13 संस्कृत ज्ञ "" X ५४५५. गुटका सं० २०४ प सं० ११७ १८६६ 93 19 संस्कृत हिन्दी भाकृत संस्कृत 31 हिन्दी 12 संस्कृत 17 हिन्दी [ ६५५ २३. अपूर 19 ३०-३२ ३३-४७ ४८-६० ६०-६४ ६४-६५ ६५-६६ ७० ७०-७३ ७४ k ७६-७८ ८२ C ८५-८७ 44-5€ ६-१०२ १०२-१२१ १२१-१३६ Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ ] १. षटऋतुवर्णब बारह मासा [ गुटका संमह... जनराज अपूर्ण २४-४३ २. कविस संग्रह . :: १३-६ भिन्न कवियों के नायक नायिका संबन्धी कवित्त हैं। ३. उपदेश पश्चीसी x: : - हिन्दी - - • भपूर्ण १२-६३ ४. कवित्त सुखलाल ५४८६. गुटका सं० १०६ । पत्र सं० २.४ । श्रा० ६४६ इञ्च । भाषा- संस्कृत । पूर्ण । जीर्ण।। विशेष-उमास्वामि त तत्वार्थमन्त्र है। . . . . . . ५५८७. गुटका सं० १६७ ! पत्र सं० २०-६४ । प्रा० ६४५ इञ्च | भाषा-हिन्दी 1 ले० काल सं. १७४८ . शाख सुदा १४ | मपूर्ण । दशा-सामान्य। . . . . . . . . . . . . १. कृष्णरुक्मणिबेलि हिन्दी गद्य दीका सहित .. पृथ्वीराज २०-५४ . लेखन काल सं० १७४८ वैशाख सुदी १४ १ २० काल म० १६३७ । अपूर्ण। अन्तिम पाठ रमतां जगष्टीवरती रसमो. रस मिथ्यावचन तामा ५ सरसनि रुकमिणी तरिण सहरि कहि या मुपैतियज़ काहे ॥१०॥ टीका-रहसि एकान्तई रूकमणी साथइ श्रीष्कृरणजो तइ रमता क्रीडाता जे. रस ते दृष्टि दीवा सरीस कह्यौ । पर ते वचन माहीं फूडउ नेमतं मानस साध मानिज्यौ । रुक्मणी सरस्वतीनी सहचरी | सरस्वती तिणइ गुप्तबात कही मुझनई प्रापण जागी ॥ जाणी सर्ववात कही तेहना मुख थक्री सुरणी तिमही ज कहीं ॥ १० ॥ रूप लक्षण गुण तरणास मोरिण जहिवा समरपीक कुरण ।" जाणिया जिका सातिसामैं जंपिया गोविंद राणि तरणां गुण ॥ ११ ॥ टोका--कामरिण नउ रूप लक्षण मुण काहवा भणि समर्थ कुण समर्थ तर छर अपितु को नहि परमह। । माहरि मतिइ अनुसार जिसा ज्याण्या तिस्या ग्रन्थ माहि या कह्या तिण कारण हू ताहरउ बालक छू मा परि कृपा करिज्यो ।।११।। असु शिव नयन रसं शशि वस्थर विजयदसाम रवि रिष बरणोत । . . किसन रुकमणी वेलि कल्पतरु कीधी कमव.ज कल्याण उत ।।.१२॥ . . टीका--प्रचल पर्वत सत्त्व रजु तम गुण ३ प्रग ६ शशिचन्द्रमा १ संवत् १६३७ घर प्रबल गुण रवि ससि संधि तात वीयउ जस ।। करि श्री भरतार श्रवणे दिन रात कंठ करि श्रीफल भगति अपार विषद श्री लक्ष्मी नउं भत्तरि रुकमणी कृष्णनउ श्री रुकमणी जस करी भावना कीधी ए बेलौ अहो भगतो श्रबणे सांभलिउ रात दिन गलइ करउ श्री लक्ष्मी रूप फल पामइ । Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [६५७ वैद वीज जल वयण सुकवि जउ मंडीस धर । पत्र दहा गुण पहपवास भोगी लिखमी बर।। पसरी दीप प्रदीप अधिक गहरी या डवर | मनसुजेणंति अंब फल पामिद अंबर॥ विसतार कोध शुचि जुगी विमल घरगी किसन कहणहार धन । अमृत बेलि पीथल प्रतइ रोपी कलियारा तनुज ॥ ३१३ ।। अर्थ-मूल वेद पाठ तीको बीज कल पाणी तिको कविमाग तिये वयणे करि जमादीस हद पणिइ ।। में दहा ते पत्र दूहा गुग्य ते फूल सुगन्ध वास भोगी भमर श्रीकृष्णाजी वैलिई मांकहइ करो विस्तरी जगत्र नइ विष दीप प्रदीप । प दीवा थी मधिक अत्यन्त विस्तरी जिके मन सुधी एह नउ को जाणइ तोको इसा फल पामइ | अंबर कहिता स्वर्ग नां सुख पामे । विस्तार करी जगत्र नइ विषइ विमल कहीता निर्मल श्रीकिसनजी बलि मा धरणी नइ कहरम हार धन्य तिको पिण अमृत रूपणो बेलि पृथ्वी नइ लिखह अविचल पृथ्वी नई कविराज श्री कल्याण तम बेटा पृथ्वीराजइ कहा। इति पृथ्वीराज कृत कृषण रुकमणी बेलि संपूर्ण | मुणि जम विमल वाचरणार्थ । संवत् १७४८ वर्ष बैशाख मासे कीष्म पक्ष तिथि १४ भ्रगुवासरे लिखतं उणियरा नग्ग्रे ॥ श्री ॥ रस्तु ।। इति मंगलं ।। २. कोकमंजरी x ___ हिन्दी XX ३. बिरहमंजरी नंददास ४. नावनी हेमराज ४६ पथ हैं ६१-६७ ५. नेमिराजमति बारहमासा ६७ ६. पृच्छावलि ६६-६७ ७. नाटक समयसार बनारसीदास ५४८८. गुटका सं० १०७ क । पत्र सं० २३५ । प्रा० ५४४ इश्छ । विषय-पूजा एवं स्तोत्र । १. देवपूजाष्टक संस्कृत २. सरस्वती स्तुति शानभूषण ३. श्रुताष्टक ४. गुरुस्तवन शांतिदास ५, गुर्वाष्टक मादिराज १ - ८ Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५८ ] [ गुटका-संग्रह ६. सरस्वती जयमाल ब्रह्मजिनदास हिन्दी १०-१२ संस्कृत १६-२३ २४-३० ३१-३५ यशोविजय X ३५-३६ X ३६-४२ ७. गुरुजयमाला ८. लघुस्नपनविधि ६. सिद्धचक्र पूजा १०. कलिकुण्डपाश्र्वनाथपूजा ११. षोडशकारणपूजा १२. दशलक्षणपूजा १३ नन्दीश्वर पूजा १४. जिनसहस्रनाम १५. अर्हद्भक्तिविधान १६. सम्यकदर्शनपूजा १७ सरस्वतीस्तुति ५८. ज्ञानपूजा १६. महर्षिस्तवन X ४३-४५ आशाधर ४६-५६ ५६-६२ ६२-६४ माशाधर संस्कृत ६४-६६ २०. स्वस्त्पयन विधान ७३-७६ २१. चारित्रपूजा ७६-१ २२. रत्नत्रयजयमाल तथा विधि प्राकृत संस्कृत xxxxxxxxxx २३. वृहदस्नपन विधि संस्कृत ११-११४ ११६-२६ १२६-५१ २४. ऋषिमण्डल स्तवनपूजा २५ अष्टाह्निकापूजा २६. विरदावली २७. दर्शनस्तुति १६१-६२ २८. पाराधना प्रतिबोधसार विमलेन्द्रकीति हिन्दी ॥ॐनमः सिद्धेभ्यः ।। श्री जिरगवरवारिण रणवैवि गुरु निम्रन्थ प्ररणमेवी । कह पाराधना सुविचार संक्षेपे सारी धीर ।। १ ।। Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह . । ६५६ हो क्षएक बयण अवधारि, हवि चाल्यो तुम भवपारि । हो सुभट कहु तुझ भेउ, धरी समकित पालन एह ।। २।। हृवि जिनवरदेव पाराहि, तू सिघ समरि मन मांहि । सुरिण जीव दया धुरि धर्म, हवि छांडि अनुए कर्म ॥ ३ ॥ मिथ्यात कु संका दालो, गणगुरु वनि पालो। हवि भान धरै मन धीर, ल्यो संजम दोहोलो वीर ॥४॥ उपप्राचित करि ब्रत सुधि, मन बचन काय निरोधि । नू कोध मान माया छांडि, मापुरग सू सिलि मांडि ॥ ५ ॥ हनि क्षमो क्षमावो सार, जिम पामो सुख भण्डार । तु मंत्र समरे नबकार, धोए तन करे भवनार ॥६॥ हवि सवे परिसह जिपि, प्रभंतर ध्यान दीपि । वैराग्य धरै मन माहि, मन मांकड़ गाढ़ साहि ॥ ७ ॥ सुरिण देह भोय सार, भबलधो वयम मा हार । हवि भोजन पांणि छांडि, मन लेई भ्रगति मांडि ॥ ८ ॥ हथियुस्पक्षरण षुटि मायु, मनासि यांडो काय। इंद्रीय वस करि धीर, कुटंब मोह मेल्हे वीर ॥ ६ ॥ हवि मन गन माधु बांधे, न मरण समाधि साधि । जे साधो मरण सुनेह, नेया स्वर्ग सुगतिय भरणेम ।। १० ॥ अन्तिम भाग हवि हंइटि जाणि विचार, वाणु कहिइ किहि सु अपार । लिया मणसरण दौख्या जाण, सन्यास छोड़ो प्राण ॥ ५३॥ सन्यास वरणां फल जोर, स्वर्ग सुद्धि फलि सुख होइ। बलि श्रावक कोल पामीइ, लही निर्माण मुगती गामीइ ।। ५४ ॥ जे भरिग सूणिन नरनारी, ते जाइ मववि पारि। श्री विमलेन्द्रकीति कहो विचार, पाराधना प्रतियोधसार ।। ५५ ।। इति श्री माराधना प्रतिवोध समाप्त Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ६६० ] १. पंचमेरुपूजा ( बृहत् ) देवेन्द्रकीति संस्कृत १७०-१८० १८०-६६ ३०, अनन्तपूजा ब्रह्मशांतिदास हिन्दी ३१. गणधरवलयपूजा सुभनन्द्र मम्फल १६६-२११ ३२. पचकल्माणकोद्यापन पूजा भ. ज्ञानभूषण __ अपूर्ण २११-३५ ५४८६. गुरका सं०१८ । पन में०१२० । ग्रा० ५४५ च । भापा-हिन्दी । पूरण : दशा-जीरो । १. जिनसहस्रनामभाषा बनारसीदास हिन्दी २. लघुसहस्रनाम ३. स्तवन संस्कृत अपभ्रंश हिन्दी अपूर्ण २८ है ४. पद मनराम में काल १७३५ यासोज दी । चेतन इह घर नाही तेरो। चटपटादि नैनन गोचर जो, नाटक पुद्गग्न केरौ ।टक ।। तात मात कामनि सुत बंधु, करम बंध को घेरो । करि है गौन ग्रानति को जब, कोई नहीं भावत ने ॥१॥ भ्रमत भ्रमत संसार गहन बन, कोयो प्रानि बसेरौ । मिथ्या मोह उदै से समझो, इह सदन है मेरी ॥२॥ सदगुरु बचन जोइ घट दीपक मिट अनादि अधेरी। असंख्यात परदेस भ्यान मय, ज्यो जानऊ निज रेरौ।।३॥ नाना विकलप त्यागि पापको प्राप माप महि हेरौ । जो मनराम प्रचेतन परसौं, सहजै होइ निरी । मनराम ५. पद-मो पिय चिदानंद परवीन प्रपूणे ६. चेतन समझि देखि घरमाहि ७. के परमेश्वरी की परचा विधि ५. जयसि आदिनाथ जिनदेव ध्यान गाऊ ३४-३५ १. सम्यक्त्र पणविवि सिरिपास हो Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ६३१ सं० १६८३ श्रावण अपूर्ण हर्षकीति हिन्दी गुटका-संग्रह ) १०. पंचमगति वैलि ११. पंच सघावा १२. मेषकुमारगीत १३. भक्तामरस्तोत्र १४. पद-अब मोहे कान उपाय १५. पंचपरमेष्टीस्तवन पूनों ४०-४५ हेमराज रूपचंद ४७ ४७-४४ १६. शांतिपाठ संस्कृत १७. स्तवन मांशाधर ५२ कविभानु हिन्दी १८. बारह भावना १६. पंचमंगल रूपचंद २२. २३. " " दरिगह सुनि सुनि जियरा रे तू त्रिभुवन का राउरे । तू तजि परंपरवारे घेतसि सहज सुभाव रे ॥ चेतसि सहज सुभाव रे जियरा परस्यौं मिलि क्या राच रहे। पप्पा पर जाण्या पर अप्पाणा चउगइ दुख्य प्रगाह सहे। प्रवसो गुण कीजै कर्म हं छोज सुगाहु न एक उपाव रे । दसण गाण घरगमय रे जिउ तू त्रिभूवन का राउरे ॥१॥ करमनि वसि पडिया रे प्रणया मूढ़ विभाव रे । मिथ्या मद नडिया रे मोहा मोहि अगाइ रे ।। मोहा मोह प्रणाहरे जिय रे मिथ्यामद नित मांचि रहा । पड़ पडिहार खडग मदिरावत ज्ञानावरणी आदि कह्या ।। हडि चित्त कुलाल भडयारीण प्रष्टाउदोने चताई रे । रे जीवड़े करमनि वसि पड़िया प्रगमा मूढ़ विभाव रे ॥२॥ Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ } गुटका-सम तु मति सोहि न नीता रे बैरिन मै काहा वासरे। भवभव दुखदाय करें तिनका कर विसास ॥ तिनका करहि विसास रे जिबरे तू मूड़ा नहि निमषु उरे । जम्मरण मरण जरा दुखदायक तिनस्यौं तू नित नेह करें। पागे ग्याता यापे दिष्ट्रा कहि समझाऊ कासरे। रे जीउ तू मत सोवहि न चीता बैंरिन में काहावास रे ।। ते जगमांहि जागे रे रहे अन्तरल्यवलाइ रे । केवल बिगत भयारे, प्रगटी जोति सुभाइ रे ।। प्रगटी जोति सुभाइ रे जीवडे मिय्या रीण विहाणी। स्वरभेद कारण जिन्ह मिलिया ते जग हवा वाणी।। सुगुरु सुधर्म पंच परमेष्ठी तिनकै लागी पाय रे । कहै दरिगह जिन त्रिभुवन रो रहे अंतर त्यनलाइरे।।४।। बनारसीदास हिन्दी ले०काल १७३५ आसोज दी। २४. वल्याण मंदिरस्तोत्रभाषा २५. निस्गि काण्ड गाथा २६. पूजा संग्रह प्राकृत हिन्दी ५४६०, गुटका सं० १०६ । पत्र सं० १५२ । प्रा० ६x४ इन्च | ले. काल १८३९ सावक्ष सुदी ६। अपूर्ण। दशा-जीर्णशीर्ण । विशेष-लिपि विकृत एव अशुद्ध है। १. निश्वरदेव की कथा x २. कल्यामामन्दिरस्तोत्रभाषा बनारसीदास ३. नेमिनाथ का बारहमासा ___ अपूर्ण २५-२६ २८ ४. जकड़ी नेमिचन्द ५. सवैया (सुख होत शरीरको दालिद भागि जाइ) x ६. कवित्त (धी जिनराज के ध्यान को उछाह मोहे लागे ७. निवर्षाकाण्डभापा भगवतीदास ३०-३३ Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * गुटका-संग्रह ] ८. स्तुति (आगम प्रभु को जब भयो) ६. बारहमासा १०. पद व भजन ११. पार्श्वमाथपूजा १२. ग्राम नींबू का झगड़ा १३. पद-कां समुद विजयसुत सार १४. पुरुषों की स्तुति १५. दर्शनपाठ १६. विनती ( त्रिभुवन गुरु स्वामीजी ) १७. लक्ष्मीस्तोत्र १०. पद- मेरा मन बस कीना जिनराज १९. मेरा मन बस कीनो महावीरा २०. पद - (नेना सफल भयो प्रभु दय करुपात २१. चलो जिनन्द वंदस्या X २२. पद - प्रभुजी तुम में चरण शरण गह्मो २३. ग्रामेर के राजाओं के नाम X " X X हर्षकोति X X भूधरदास X भूधरदास पद्मप्रभदेव X कीर्ति X X X २४. $1 २५. विनती - बोल २ मूलो रे भाई २६. पद - चेतन मानि ले बात ▾ २७. मेरा मन बस कीनो जिनराज X २८. विनती-बंदू श्री श्रहन्तदेव हरिसिंह २९. पद - सेवक हूं महाराज तुम्हारो दुलीचन्द ३०. मन घरी वे होत उद्यावा X ३१. धरम का ढोल बजाये सूती X ३२. अब मोहि तारोजी जगदगुरु मनसाराम ३३. लागो दौर लागो दौर प्रभुजी का ध्यानमें मन । पूरणदेव ३४. श्रासरा जिनराज तेरा X नेमिचन्द्र X हिन्दी 33 संस्कृत हिन्दी संस्कृत हिन्दी 93 99 19 rt , " 93 " " ?? 7 23 11 33 "" 33 13 77 59 " 33 [ ६६३ ३४-३६ ३७-३६ ४०-४७ ४८-४६ ५०-५१ ५.२-५७ ५८-५६ ६०-६३ ६४-६६ ६७-६८ دو ७१ ७२ ७२-७३ Y ७५ ७६ ७८-७९ ७६ ५० ८१-८२ ८२-६४ ८४-८६ ८७ ५८ ८८ ८५ Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ८६ १०-११ ३५. जु जाणे ज्यों तारोजी x ३६. तुम्हारे दर्श देखत ही जोधराज ३७. सुनि २ रे जीर मेरा मनसाराम ३८. भरमत २ संसार चतुर्गति दुख सहा x ३९. श्रीनेमकुवार हमको क्यों न उतारो पार x १०. भारती ४१. पद-विनती कराछो प्रभू मानो जी किशनगुलाब &t-१३ ४२. ये जी प्रभू तुम हो उतारोगे पार ४३. प्रभूजी मोह्मा छ तन मन माण ४४, वंद्र श्रीजिनराज कनककीर्ति X ४५. बाजा बजव्या प्यारा २ ४६. सफल घडी हो प्रभुजी खुशालचन्द देयसिंह ४८. चरखा चलता नाही रे भूधरदास संस्कृत मानतुलाचार्य १०७-१७ ४६. भक्तामरस्तोत्र ५०. चौबीस तीर्थंकर स्तुति हिन्दी ११६-२१ ५१. मेषकुमारवार्ता १२१-२४ १२५-४१ ५२. शनिश्कर की कथा १४२-४३ ५३. कर्मयुद्ध की विनती ५४. पद--परज करूं हूं वीतराग १४६-४७ ५५. स्फुट पाठ १४८-१३ ५४६१. गुटका सं० ११० । पत्र सं० १४३ | प्रा. ६x४ म | भाषा-हिन्दी संस्कृत । मंस्कृत १. नित्यपूजा १-२६ २६-४६ उमास्वामि २. मोक्षशास्त्र ३. भक्तामरस्तोत्र प्रा. मानतुग ५०-५८ ५८-१८ रूपचन्द ४. पंचमंगल Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ६६५ बनारसीदास ६८-७५ ५. कल्याणमन्दिरस्तोत्रमापा ६. पूजासंग्रह ७. विनतीसंबह देवावम १०२-१४३ ५४६२. गदका सं १११ । ०२८ 1 प्रा०६x४५ च । भाषा-संस्कृत | पूर्ण । दशा-मानान्य संस्कृत १. भक्तामरस्तोत्र २. लक्ष्मीस्तोत्र मानतुगाचार्य पचप्रमदेव " ३. चरचा प्राकृतहिन्दी ११-२६ विशेष-"पुस्तक भक्तामरजी की २० लिखमीचन्द रैनबाल हाला की छ। मिती चेल सुदी संवा . १६५४ का में मिली मार्फत राज श्री राठोडनो का सूपं वांम् ।" यह पुस्तक के कार उल्लेख है । ५४६३, गुटका सं० ११२ । पत्र सं० १५ । प्रा. ६४६ च । भाषा-संवृत्त । अगा । विशेष—पूजामों का संग्रह है। ५४६४. गुटका सं० ११३ । पत्र सं० १६-२२ । प्रा०६:४५ च । अपूर्ण । दशा-मामान्य | अथ डोकरी पर राजा भोज की वार्ता लिख्यते । पत्र सं० १८-२० । डोकरी ने गजा भोज कह। ढोकरी हे राम राम । वीरा राम राम । ढोकरो यो मारग क. जाय छै । शेरा ई मारग परथी पाई पर परथी गई ॥१॥डोकरी मेहे बटाउ हे बटाउ | ना बीरा ये बटाऊ माहीं । बटाऊ तो संसार मांही दोय और ही दै ।। एक तो चांद पर एक सूरज || २ | डोकरो मेहे राजा हे राजा ॥ ना बोरा थे तो राजा नाही। राजा तो संसार में दोय पीर ही । एक तो अन पर एक पारणी ।। ३॥डोकरी मेहे चौर है चोर। ना बीरा ये चोर , ना | चोर तो संसार में दीय मोर ही है। एक नेत्र चोर और एक मन चोर छै ।। ४ ।। डोकरी मेहे तो हलवा हे हलवा । ना बोरा थे तो हलबा नाहीं । हलया तो संसार में दोय और ही छ। कोई पराये घर बसत मांगिना जार उका घर में छे परिण नट जाय सो हलवो ॥५॥ोकरी नू माहा के माता हे माता । ना बीरा माला तो दोय पोर ही छ । एक तो उदर मांही सू कादे सो माता । दूसरी घाय माता॥ ६ ॥ डोकरी मेहे ते हारया हे हरया। ना बीरा थे क्या ने हारयो । हारयो तो संसार में तीन प्रोर ही छै । एक तो मारग चालतो हारयो । दूसरो बेटी जाई सो हारयों तीसरो जैकी भोडी यस्त्री होइ सो हारयो ।। ७ ।। डोकरी मेहं बापडा हे बापडा। ना चीरा थे बापडानाही । बाप तो च्यारा और है। एक तो गऊ को जायो बापडी। दूसरो छवाली को जायो वापडो । तीसरी जै की माता जनमता ही मर गई सो बापडी। चौथा बामण वाण्या की बेटी विधवा हो जाय सो बापही॥ || डोकरी माप सिलाई Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह मिला। नीरा मिलवा वाला तो संसार में च्यारि और ही छ: जैको बाप विरधा होसी सो बां मिलसी । घर जे को वेटो परदेशा सू' प्रायो होसी सो वां मिजसी । दुसरो सांवण माबधा को मह बरस सी सो समन्दर सू। तीसरो भारगेज को भात पैशबा जामी सोनी मिलसी । चौथा स्त्री पुरुष मिलसी। डोकरी जाण्या हे जमा । भरिया कहे न उजलेउ झलमला ! राणा लागा॥ १० ॥ ॥ इन दोकरी राजा भोज की वार्ता सम्पूर्ण ।। ५४६५. गुटका सं० ११४ 1 पत्र सं०६-७२। मा. ६:४५ इच। विशेष-स्तोत्र एवं पूजा संग्रह है। ५.६६. गुटका सं० ११५ । पत्र सं० १६८ । प्रा०६४५ इंच । भाषा-हिन्दी । अपूर्ण | दशा-सामान्य विरोप-पूजा संग्रह, जिनयज्ञकल्प ( माशावर) एवं स्वयंभूस्तोत्र का संग्रह है। ५५६७. गुटका सं० ११६ । पत्र सं० १६६ । मा ६४५ इव | भाषा-संस्कृत । पूर्ण | दशा-'जीर्ण। निशा-गुटके में निम्न पाठ उल्लेखनीय हैं। ४. भुवनकति भीत बूचराज १२-१४ प्राजि वद्धाउ सुरणहु सहेनी महु मनु सिंघसइ जि महलीए । गोहि अनन्त नित कोटिहि सारिहि गुह गुरु मुहु गुरु वेदहि सुकरि रलीए ।। करि रली बन्दह सखी सुहु गुरु लवधि गोइम सम सरे । जसु देखि दरसरगु टलहि भवदुख होइ नित नवनिधि घरे ।। कार चन्दन अगर केसरि प्राणि भावन भाव ए। श्रीभुवनकीलि चरण प्रणमोह सखी आज बहाव हो ॥१॥ तेरह विधि चारित निपानइ दिनकर दिलकर जिम तपि सोहदए । सर्वामि भासिउ धर्म मूगगाव दापी हो वाणी भवु मन मोहइए। मोहन्ति यागो सवा भदि सुनु ग्रन्थ प्रागम भार,ए। घट द्रव्य मरु पश्चास्तिकाया ससतत्ल फ्यासए । बावीस परिग्रह सहइ अंगहें गरुब मति नित गुणनिधी । श्रीभुवनकाति चरण पणमि सु चारितु तनु तेरह विये ॥ २ ॥ मूल मुरगाहं यहाइसइ धारइए मोहए मीह महाभटु ताडिया ए । रतिपति तिन दंति ह महिउ पा कोवइए कोवरि तिहि रालीयो ए।। Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह रालियो जिमि कंमें करिहि वनउ करि इम बोलइ । गुरु सियाल मेरह जिउन जंगमु पवरण भई किम डोलए । जो पंच विषय विरतु चित्तिहि कियउ खिउ कम्मह तणु । श्री भुवनकीति चरण प्रणमइ धरइ पठाइस मूलगुणा || ३ ।। दस लाक्षरण धर्म निनु धारि कुसंजमु संजमु भसशु वनिए । सत्रु मित्रु जो सम किरि देखई मुरनिरगंधु महा मुनीए ।। निरगंधु गुरु मद अट्टु परिहरि सवय जिम प्रतिपालए । मिथ्यात तम निद्धरण दिन म जैणधर्म उजालए ।। तेरनयतहं अखल चित्रह कियउ सकयो जम । श्री भुवनकीर्ति चरण पणमउ धरई दशलक्षिए धर्म ॥ ४॥ सुर तरु संघ कलिउ पितामसि दुहिए दुहि । महो धरि परि ए पंच सबद वाजहि उछरगि हिए। मावहि ए कामणि मधुर सरे प्रति मधुर सरि गावति कामरिण । जिगह मन्दिर अवही प्रष्ट प्रकार हि करहि पूजा कुसममाल चढ़ावहि ।। बूचराज भणि श्री रत्नकीति पाटिउ दयोसह गुरो । श्री भुवनीति पासीरवादहि संधु कलियो सुरतरो । ॥ इति प्राचार्य श्री भुवनकीति गीत ॥ १५-१८ ... नाही परीक्षा ६. प्रायुर्वेदिक नुसखे ७. पार्श्वनाथस्लवन हिन्दी २९-१०६ समयराज सुन्दर सोहण गुण निलउ, जग जीवण जिण चन्दोजी । मन मोहन महिमा निलउ, सदा २ चिरनंदो जी ।। १॥ जैसलमेरू जुहारिए पाम्यउ परमानन्दोजी । पास जिरणेसुर जग धरणी फलियो सुरतरु फल्दोजी || २ ॥ जे.॥ मरिण माणिक मोती जयउ कचरारूप रसालो जी। सिस्वर सेहर सोहतउ पूनिम ससिक्स भालोजी || ३ || जे०॥ Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह निरमल तिलक सोहम जिन मुख कमल रिसालोजी । कानों कुण्डल दीपता भिक मिग झाक ममालोजी || ४ || जे.॥ कठि मनोहर कठिलउ उरि वारि नव सिर हारोजी । बहिर खवाहि भला करता भव भव कारोजी ।। ५ ॥ जे." मरकत मसिा तनु दीपती मोहन सूरति सारोजी। सुख सोहग पद मिलइ जिरावर माम अपारोजी ॥६॥ जे॥ इन परि पास जिरोसर भेटयउ कुल सिरणगारोजी। जिरा चन्द्र सूरि पसाउ लइ समयराज गुखकारोजा ।। ७।०।। ॥ इति श्री पार्श्वनाथस्तवन समाप्तोऽवं ॥ ५४६८. गुटका सं० ११७ । पत्र सं० ३५० । प्रा० ६.४५ च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । अपूर्ण। दशा सामान्य। विशेष- विविश्व पालों का संग्रह है। चर्चाएं पूजाएं एवं प्रतिष्ठादि विषयों में संबंधित पाठहै। ५४६६. गुटका सं० ११८ । पत्र सं० १२६ । प्रा० ६४४ च । १. शिक्षा चतुष्क नवलराम २. श्री जिनवर पद वन्दि केजी वखतराम ३. प्ररहंत चरमचित लाऊ. रामकिशन ९-१० ४ चेतन हो तेरे परम निधान जिनदास मकलचन्द्र नस्कृत ५. चैत्यवंदना पवनंदि रामचन्द्र हिन्दी जगराम ६. करुणाष्टकं ७. पद-माजि दिवसि धान लेखे लेखमा ८, पद-प्रातभयो सुमरि देव ६. पद-सुफलघडीजी प्रभु १०. निर्वागभूमि मंगल खुशालचन्द्र विश्वभूषण संवत् १७२६ में भ्रसार मे ६० केसरीसिंह ने लिखा। हिन्दी ११५-१६ रचना सं.१६३ प्रति लिपि सं०१५३० हर्षकीति ११. पश्चमगतिवेलि Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ५५००. गुटका सं०११। पत्र सं०२५१ । ०६:४६ इन्चाले०काल मं०१८३० असाढ़ बृदो ८ । प्रपूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष-पुराने घाट जयपुर में ऋषभ देव चैत्यालय में रतना पुजारी ने स्व पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। इसमें कवि बालक कृत सीता चरित्र हैं जिसमें २५२ पद्य हैं। इस गुटके का प्रथम तथा मध्य के अन्य कई पत्र नहीं हैं। ४५०१. गुटका सं० १२० । पत्र सं० १३३ । प्रा० ६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय संग्रह : पूर्ण । दशा-सामान्य ! १. रविव्रतकथा जयकीति हिन्दी २-३ले०कालसं. १७६३ पौष मुक प्रारम्भ सकल जिनेश्वर मन धरी सरसति चित्त ध्याऊं। सदगुरु चरण कमल नमि रविनत गुण गाऊ ॥१॥ व.पारसी पुरी सोभती मतिसागर तह साह । सात पुत्र सुहामणा दीठे दाले दाह ।। २ ।। मुनिवादि सेठे लीयो रविनोवत सार। सांभालि कहू बहासा कीया व्रत नंद्यो अपार ।। ३ ॥ नेह थी धन करण सहूगयो दुरजीयो थयो सेठ । सात पुत्र झाल्या परदेश अजोध्या पुरसेठ ।।४।। अन्तिम जे नरनारी भाव सहित रविनों व्रत कर सी। त्रिभुवन ना फल ने लही शिव रमनी बरसी ।। २० ।। नदी तट गच्छ विद्यागणी मूरी रायरत्न मुभूषन । जयकोति कही पाय नमी काष्ठासंघ गति दूषण ।। २१ ॥ इति रविब्रत कथा संपूर्ण । इन्दोर मध्ये लिपि कृतं । ले. काल सं० १७६३ पौष सुदी ८५० दयाराम ने लिपरी की थी। २. धर्मसार चौपई पं. शिरोमणि हिन्दी र० काल १७३२ | ले. काल १७६४ अवन्तिका पुरी में श्रीदयाराम ने प्रतिलिपि की। Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० ] [ गुटका-संग्रह ३. विषापहार स्तोत्रभाषा अचलकीति हिन्दी ८५-45 ४. देससूत्र अष्टक रूस्कृत दयाराम ने सूरत में प्रतिलिपि की थी। सं. १७९४ 1 पूजा है। ५. विषष्ठिशलाकाछन्द श्रीपाल ११-१३ ६. पद-थेई थेई थेई नृत्यति अमरी कुमुदचन्द्र हिन्दी ७. गद---प्रात समै सुमसे जिनदेव श्रीपाल ८, पाश्चेविनती ब्रह्मनाथू १८-१६ है. वित्त ब्रह्मगुलाल १२५ गिरनार की यात्रा के समय सूरत में लिपि किया गया । ५५०२. गुटका सं० १२१ । पत्र सं० ३३ । प्रा० ६३४४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विशेष-विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है। ५५८३. गुटका सं. १२२ । पत्र सं० १३० । प्रा० ५६x४ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विशेष-तीन चोवीसी नाम, दर्शनस्तोत्र ( संस्कृत ) कल्याणमंदिरस्तोत्र भाषा ( बनारसीदास ) भक्तामर स्तोत्र ( मानतुगाचार्य ) लक्ष्मीस्तोत्र ( संस्कृत ) निर्वाणकाण्ड, पंचमगल, देवपूजा, सिद्धपूजा, सोलहकारण पूजा, पच्चीसो ( नवल ), पार्श्वनामस्तोत्र, सूरत की बारहखडी, बाईस परीपह, जैनशतक (भूधरदास ) सामायिक टीका (हिन्दी ) आदि पाठों का संग्रह है | ४५०४. गुटका सं०१२३ । पत्र सं० २६ । मा० ६x६ इश्व भाषा-संस्कृत हिन्दी । दशा-जीर्णवर्ण । १. भक्तामरस्तोत्र ऋद्धि मंत्र सहित x संस्कृत २. पल्यविधि १८-२२ ३ जैनपच्चीसी नवलराम हिन्दी २२-२६ ५५०५. गुटका सं० १२४ । पत्र सं० ६६ । मा० ७X१ इन्छ । विशेष--पूजामों एव स्तोत्रों का संग्रह है। ५५०६. गुटका सं० १२५ । पत्र सं० ५६ । प्रा० १२४४ इञ्च । पूर्ण । सामान्म शुद्ध | दशा-सामान्य । १. कर्म प्रकृति यर्या हिन्दी २. चौवीसठाणा चर्चा । xx Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ३. चतुर्दशमार्गरणा चर्चा हिन्दी ४. द्वीप समुद्रों के नाम ५. देशों ( भारत ) के नाम १. मंगदेश । २. वंगदेश । ३. कलिंगदेश । ४. लिलंगदेश । ५. राट्टदेश । ६. लाट्टदेश । ७. कर्णाटदेश । म. मेदवारदेश । ६. वैराटदेश । १७. गौरदेश | ११ चौरुदेश । १२. द्वाविरुदेश । १३. महाराष्ट्रदेवा । १४. सौराष्ट्रदेश । १५. कासमोरदेश । ६. सौरदेश . ७. माको म. मा देश । १. सूरसेनुदेश । २०. कावेरदेश । २१. कम्बोजदेश । २२ कमलदेश | २३. उत्करदेश । २४. करहाटदेश । २५. कुरुदेश । २६. क्लाणदेश । २७. कच्छदेश | २८. कौसिकदेश । २६. सकदेश । ३०. भयानकदेश । ३१ कौसिकदेश । ३२.* ......"। ३३. कारुसदेश । ३.४. कापूनदेश | ३५ कछदेश । ३६. महाक देश । ३७. भोटदेश । ३८. महाभोटदेवा । ३६. कीटिकदेश । ४०. केकिदेश । ४१. कोलगिरिदेश । ४२. कामरूपदेश । ४३. कुण्कुणदेश । ४४. कुंतलदेश । ४५. कलकूटदेश । ४६. करकंटदेश । ४७. केरलदेदा । ४८. स्वशदेश | ४१ पपरदेश । ५०. स्लेटदेश । ५१. बिल्लरदेश । ५२. वेदिदेश । ५३. जालंधरदेश । ५४. टंकरस टक्क । ५५. मोरिमारणदेश । ५६. नहालदेश । ५७. तुङ्गदेश ! ५८. लायकदेश । ५६. कौसलदेश। ६.. दशाणदेश। ६१. दशकदेश । ६२. देशसभदेश । ६३. नेपालदेश । ६४. नर्तकदेश । ६५. पश्चालदेश । ६६, पल्लरदेश । ६७. पूडदेश | ६६. पाण्यदेश । ६६ प्रत्यप्रदेश । ७. अंबुददेश । ७१. वसुदेश । ७२, गंभीरदेश । '७३, महिष्मकदेश । ७४. महोदयदेश । ७५. मुरण्डदेश ३७६. मुरलदेश । ७७. मरुस्थलदेश । ७८. मुद्गरदेश । ७६: मंगनदेश । ८०. मनवर्तदेश । ८१. पवनदेश । ८२, मारामदेश । ८३. राढ़कदेश । ८४. ब्रह्मोत्तरदेश । ८५. ब्रह्मावर्तदेश । ८६. प्राणदेश । ८७ वाहकदेश । विदेश | ८६. वनवासदेश | E.. वनायुकदेश | ६१. वाल्हाकदेश । ६२. वल्लवदेश । १३. अवन्तिदेश । १४, नन्हिदेश । ६५. सिंहलदेश । ६६. सुह्मदेश । ६७. सूपरदेश । ६८. सुहड़देश । ९९. अस्मकदेश । १००. हुणदेश। १०१. हुर्मकदेश । १०२. हर्मजदेश । १०३, हंसदेश । १०४. हूत्रदेश । १.५. हेरकदेश । १०६. वीणदेश । १०७. महावीणदेश । १०८. भट्टीयदेश । १०६. गोप्यदेश । ११. गांडाकर्दश । १११. गुजरातदेश । ११२. पारसकुलदेश 1 ११३, शबालक्षदेश । ११४. कोलवदेश । ११५ शाकभरिदेवा । ११६. कनउजदेश । ११७. पादनदेश । ११८. उपीविसदेश । ११६. नीलाबरदेश । १२०. गंगापारदेश । १२१, संजाणदेश । १२२. कनकगिरिदेश । १२३, नवसारिदेश । १२४. भाभिरिदेश । ६. क्रियावादियों के ३६३ भेद हिन्दी . . --- --- - अनोट- यह नाम गुटके में खाली छोड़ा हुआ है। Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७१ ] [ गुटका संग्रह ७. स्फुट कवित्त एव पद्य संग्रह हिन्दी संस्कृत संस्कृत ८. द्वादशानुप्रेक्षा ९. सुक्तावलि १०. स्फुट पद्य एवं मंत्र प्रादि ले. *-*-३६ श्रावण शुक्ना १० हिन्दी ५५०७. गुटका सं१२६। पत्र सं०४५। प्रा०१:४४रच भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-चर्चा विशंप-प्रमों का संग्रह है। ५५०८. मुटका सं० १२७ । पत्र सं. ३३ । प्रा० ७४५ इश्च । विषोष-पूजा पाठ संग्रह है। ५५८६.गटका संब१२७का पत्र सं०५५ । प्रा० ७.४६ ) संस्कृत १. शीघ्रबीच XX १७-३९ २. लघुवामणी विशेष-वेषावधर्म | ले. कास मं. १९०७ ३. ज्योतिव्यदलमाला श्रीपति संस्कृत ४. सारणी हिन्दी ५१-५५ ग्रहों को देखकर वर्षा होने का योग ५५१० गुटका सं० १२८ । पत्र सं० ३-६० । मा०७:४६ ६ । भाषा-संस्कृत । विशेष- सामान्य पाठों का संग्रह है। ५५११. गुटका सं. १२६ । पत्र सं०८-२४ । प्रा० ७४५ च । भाषा-संस्कृत । विशेष-क्षेत्रपालस्तोत्र, लक्ष्मीस्तोत्र (सं.) एवं पक्षमङ्गलपाठ हैं। ५५१८, गुटका सं० १३० । पत्र सं०६८ | प्रा. ६x४ इध 1 ले. काल १७५२ प्राषाढ़ बुदी १० । १. चतुर्दशतीर्थङ्करपूजा संस्कृत २. चौबीसदण्डक दौलतराम ५५-६७ ३. पीठप्रक्षालम संस्कृत ६८ ५५१३. गुटका सं०१३११ पत्रसं०१४ मा ७४५ इन। भाषा-सस्कृत हिन्दी 1 विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह । ५५१४. गुटका सं० १३२ | पत्र सं० १४-४१ । मा० ६x४ इव | भाषा-हिन्दी । Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुरका-संग्रह १. पश्चालिका त्रिभुवनचन्द । ६७३६ हिन्दी ले. काल १८२६ १५-२२ २३-२३ ३. दोहाशतक रूपचन्द २५-३८ ४. स्फुटदोहे ५५१५. गुटका सं०१३३ । रब सं. १२१ । प्रा. ५३४४ इंच । भाषा-संस्कृत हिन्दी। विशेष-छहढाला ( यानतराय ), पचमङ्गल ( रूपचन्द), पूजा एवं सत्यार्थ सूत्र, भक्तामरस्तोत्र प्रादि . बा संग्रह है। ५५१६. गुटका सं० १३४ 1 पत्र सं० ४१ । प्रा० ५३४४ इंच । भाषा-संस्कृत । विशेष--शांतिनाथस्तोव, स्कन्दपुराण, भगवद्गीता के कुछ स्थत । ले. काल सं० १८६१ माघ सुदी ११ 1. ४५१७. गुटका सं० ६३५ । पत्र सं० १३-१३४ । मा० ३६४४ इच । भाषा-संस्कृत हिन्दी । अपूर्ण: विशेष-पंचमङ्गल, तत्वार्यसूत्र, प्रादि सामान्य पाठों का संग्रह है। ५५.१८. गुटका सं० १३६ । पत्र सं० ४-१०८ । मा २४२ इन्च : भाषा-संस्कृत । विशेष-भक्तामरस्तोत्र, तत्वार्थसूत्र, अष्टक आदि हैं । ५५१६. गुटका सं० १३७ । पत्र सं० १६ । ग्रा० ६x४ । भाषा-हिन्दी । अपूर्ण । १. मोरपिच्छधारी (कृष्ण) के कत्रित धर्मदास, कपोत, विचित्र देव हिन्दो ३ कवित्त हैं। २ वाजिदजी के अडिल वाजिद , वाजिद के करितों के अंग हैं। जिनमें ९० पद्य हैं। इनमें से विरह के अंग के ३ छन्द नीचे प्रस्तुत. किये जाते हैं। वाजीद विपति वेहद कहो कहां तुझ सों । सर कमान की प्रीत करी पीव मुझ सौं । पहले प्रपनी पोर तीर को तान ही, परि हां पीछे डारत दूरि जगत सब जानई ॥२॥ बिन बालम वेहाल रह्यो क्यों जीव रे । जरद हरब सी भई बिना तोहि पीयरे । सधिर मांस के सास है क चाम है । परि हां जब जीव लामा पोक और क्यों देखना ।।२५।। कहिये सुनिये राम और न गित रे | हरि ठाकुर को ध्यान स धरिये नित रे । जीव विलम्ब्यां पीव दुहाई राम की । परि हां सुख संपति वाजिद कहो क्यों काम को २६॥ ५५२०. गुटका सं० १३६ । पव सं०६। प्रा० ७४४३ इंच। भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । पूर्व एव शुद्ध । दशा-सामान्य । विशेष—मुक्तावली व्रतकथा भाषा । Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४ ] [ गुटका संग्रह ५५२१. गुटका सं० १५० । पत्र सं. ८ । ग्रा०६६४४ ई | भागा-हिन्दी । विषय-पूजा | ले. काल सं० १९३५ पारा सुदी १५ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । विशेष-सोनागिरि पूजा है । ५५२२. गुटका सं १४१ । पत्र सं० ३७ । प्रा० ३.४३ इ. | भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । विशेष- सहस्रनाम स्ताप है। ४४२३ गुटका सं० १४२ । पत्र सं० २० । प्रा० ५४४ ईच । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १६१८ असाढ बुदी १४। विशेष-मुटके में निम्न २ पाठ उल्लेखनीय हैं। १. छहवाला द्यानतराय हिन्दी २. अहवाला किशन १०-१२ ५५२२. गुटका सं० १४३ । पत्र सं० १७१ | मा० ५१४४ इंच | भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल १८९७ । पूर्ण । वियोष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५५२५. गुटका सं० १४४ । पत्र.सं० ६१ । प्रा० Ext च । भाषा-सस्कृत हिन्दी । पूर्ण । विशेष-सामान्य पाठों न संग्रह है। ५५२६. गुटका सं. १४५ । पत्र स० ११ । मा० ६४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय -पक्षीशास्त्र । ले. काल १८७४ ज्येष्ठ सुदी १४ । प्रारम्भ के पद्य नमस्कृत्यमहादेवं गुरु शास्त्रविशारदं । भविष्यदर्थबोधाय बक्षते पचरक्षिणः ॥१॥ भनेन शास्त्रसारण सांके कालत्रयं मति । फलाफल नियुज्यन्ते सर्वकार्येषु निश्चितं ।।२।। ५५२७. गुटका सं० १४६ । पत्र सं० २५ । पा० ७४५ च । भाग-हिन्दी । मपूर्ण । दशा-सामान्य विशेष-आदिनाथ पूजा ( सेवकराम ) भजन एवं नेमिनाथ की भावना ( सेवकराम ) का संग्रह है। पद्रो पहाडे भी लिखे गये हैं। अधिकांश पत्र खाली हैं। - - - Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ६७५ ५५२८. गुटका सं० १२०० ३५७ ० ६४५६ | भाषा-संस्कृत विषय - ज्योतिष | दशा- जीर्ण शं.। विशेष—बीघ्रबोध है । ५५२६. गुटका सं० १४८ ५५३०. गुटका सं० १४६ कार्तिक सुदी है। पूर्ण । दशा- जीर्ण । १. बिहारी सतसई २ बुन्द ३. कांव शीर्ण । १-३५ बिहारीलाल कि ३६-८० ७०८ पद्य हैं। ऐ० काल सं० १८४९ चैत सुदी १० । देवीदास हिन्दी ३६-८० ५५३१. गुटका सं० १५० पत्र सं० १३५ मा ६३४४ इंच | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल पत्र सं० ५५ | प्रा० ७९५ इंच भाषा संस्कृत विषय स्तोत्र संग्रह है | पत्र स० ८६ । भा० १८६१ इंच । भाषा - हिन्दी । ले० काल सं० १८४६ निर्वारकाण्ड है । सं० १८४५ । दशा - जीर्ण शीर्ण । विशेष- लिपि विकृत है । कक्का बत्तीसी, राग चौतरण का दूहा, फूल भीती का हर मादि पाठ है। अधिकांश पत्र खाली हैं । हिन्दी ५५३२. गुदका सं० २५१ पत्र स०१८ | प्रा० ६४ । भाषा - हिन्दी । विशेष --- पदों तथा विमतियों का संग्रह है तथा जैन पचीसी ( नवलराम ) बारह भावना ( दौलतराम ) 13 १. भागवत २. मंत्र अ.दि संग्रह ५५१३. गुटका २०१५ | पत्र सं० १०७ । प्रा० १२८५ ६ व वाषा-संस्कृत हिन्दी | दशा - जीर्ण विशेष -- विभिन्न ग्रन्थों में से छोटे २ पाठों का संग्रह है । पत्र १०७ पर भट्टारक पट्टावलि उल्लेखनीय है । ५५३४. गुटका सं० १५३ । पत्र से० ६० भा० ८५५३ इंच भाषा - हिन्दी संस्कृत विषय संग्रह प्रपूर्ण दशा - सामान्य | विशेष— भक्तामर स्तोत्र, तस्वार्थ सूत्र, पूजाएं एवं पञ्चमंगल पाठ है । ५५३४. गुडका १५४ | पत्र सं० ८६ । ० ६x४ इंच | ले० काल १८७६ । X संस्कृत X # १-८ ६-१२ Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह हिन्दी संस्कृत ३, चतुश्लोकी गीता २३-२४ ४. भागवत महिमा २५-५१ तीर्थों के नाम एवं देवाधिदेव स्तोत्र है। ५. महाभारत विषा सहस्रनाम ५५-५६ ५५३६. गुटका सं० १५५ । पत्र सं०१८ ! ६४६ इच । भाषा-संस्कृत । पूर्ण । १. योगेन्द्र पूजा संस्कृत २. पार्श्वनाथ जयमाल ३. सिद्धपूजा ४. पार्श्वनाथाष्टक ५. पोडशकारगपूजा प्राचार्य केशव ६. सोलहकार जयमाल अपञ्चश ३६-५० ७ दशलक्षण जयमाल ८, द्वादश व्रतपूजा जयमाल संस्कृत है, णमोकार पैतोसी ८१-८५ ५५३७. गटका सं०१५६ । पत्र २०१७ पा० ५४३ च । ले. कात्र १५७६ ज्येष्ठ सदी २ भाषा-हिन्दो । पत्र सं०६। विशेष-यावद वंशावलि वर्णन है। ५५३८. गुटका सं०१५७ । पत्र सं० ३२ । मा ६४५ ईप । ले. काल १८३२ । विशेष-भक्तामरस्तोत्र, अक्षर बावनी, (चानतराय ) एवं पंचमंगल के पाठ हैं। पं. समाईराम ने . नेमिनाय चैत्यालय में सं० १८३२ में प्रति मिपि की । ५५३६. गुटका सं० १५७ (क) पत्र सं० १४१ । मा० ६x४ इश्व | भाषा-हिन्दी । विभिन्न कवियों के पद्यों का संग्रह है। ..५५४०. गुटका सं० १५८ 1 पत्र सं०६८ 1 प्रा० ६४६ च । भाषा-हिन्दी । ले० काल १८१० । दशा-जीर्ण। विशेष-सामान्य चर्चामों पर पाठ हैं। ५५४१.गटका सं०१५8 । पत्र सं० १५० | प्रा.७XYI लेकाल-x| दवा-जीर्ण । विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है। Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ★ गुरुका-संग्रह 7 का संग्रह है । ५५४२. गुदका सं० १६० । पत्र सं० ६५ ० ३X६ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । पूर्ण विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५५४३ गुटका सं० २६१ । एव सं० २६ । ० ५x५ इञ् । भाषा हिन्दी संस्कृत | ले० काल १७३७ पूर्ण सामान्य पाठ हैं । ५५४४. गुटका सं० १६२ | पत्र सं० ११ | ० ६४७ इव । भाषा - संस्कृत । अनु । पूजाम्रो. ५५४५, गुटका सं० १६३ । पत्र सं० २१ । प्रा० ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत विशेष-भकामर स्तोत्र एवं दर्शन पाठ भादि है । ५५४६. गुटका सं० १६४ । पत्र सं० १०० | था० ४३ | भाषा - हिन्दी | ले० काल १९३४ पूर्ण | विशेष- पद्मपुराण में से गीता महात्म्य लिया हुआ है । प्रारम्भ के ७ पत्रों में संस्कृत में भगवत गीद्धा माला दी हुई है। ५५४७. गुटका सं० १६५ | पत्र सं० २० | आ०६३४३ इश्व | विषय - आयुर्वेद अपूर्ण दशा जीर्णे 1 विशेष- आयुर्वेद के नुमखे हैं । ५५४५ गुटका सं० १६६ | पत्र सं०६८ | ० ४ X २३ इश्व | भाषा - हिन्दी । पूर्ण | दशा - सामान्य | हिन्दी १. आयुर्वेदिक नुस २. कर्म प्रकृतिविधान X बनारसीदास [ ६७७ " ५५४६. गुटका सं० १६७ । पत्र सं० १४८ - २४७ 1 प्रा० २x२ इश्व | अपूर्ण | ५५५०. गुटका सं० १६८ । पत्र सं० ४०० ६६६ । पूर्ण । हिन्दी ५५५१. गुटका सं० १६६ पत्र सं० २२ । भा० ९x९ इख । भाषा - हिन्दी । ले० काल १७८० श्रावण सुदी २ । पूर्ण । दशा - सामान्य । १. धर्मरासी अथ धर्म रासो लिख्यते - पहली बंदों जिएयर राइ, तिहि वंद्या दुख दालिद्र जाइ । रोग कऐस न संचरे, पाग करम सब जाइ पुलाई ॥ निश्चे मुक्ति पद संचरं ताको जिन धर्म होई सहाई ।। १ ।। १-४० ४१-६८ १-१८ Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह A धर्म दुहेलो जैनको, छह दरसन जे डी परवान । भाग जन भुणिजे दें काल, भव्य जीव चित संभलो ॥ पढ़. वित्त सुख होई निधान, धर्म दुहेलो जैन को ।। ३ ।। दूजा बदों सारद माई, भूला माखर प्राणी हाइ ।। कुमति बलेस न उपजे, महा सुमति दो अधिकाइ ।। जिणधर्म रासो वर्ण उ, तिहि पळत मन होइ उछाह ।। धर्म दुहेलो जैन को ।। ४ ।। ऊभी जीमण जीवै सही, मागम बात जिणेमुर कही । कर कमां प्राहार से, ५ अट्ठाइस मूलरा जा ॥ धन जी जे पालही, ते भनुक्रम पहुंचे निवारण । धर्म दुहेलो जैन को ||१५२।। प्रन्तिम मूढ देव गुरुशास्त्र बखारिण, - षट् प्रनायतन जारिम । माठ दोष शङ्का मादि दे, प्राठ मद सौ तजे पच्चीस ।। ते नि सम्यक्त फले, ऐसी लिघि मास जगदीश । धर्म दुहेलो जैन को ॥१५॥ इति श्री धर्मरासी समायता ।।१।। १७९० किग सुदी २ सांगानायर मध्ये | ५५५२. गुट का सं० १३८ । पत्र सं० ५ | RTO EXE इंच । भाषा संस्कृत | विषय - पूजा । विशा-सिक्षपूजा है। ५४५३, गुटका सं० १७१ । (त्र सं० ६ । ग्रा० ६४७ ह व । भाषा-हिन्दी । विषय -पूजा । विशेष—सम्मेदशिखर पूजा है : ५५५४ गुटका सं० १७ । पत्र सं० १५-६- ! प्रा० ३४३ च । भाषा संस्कृत हिन्दी । ले. काल सं० १७६८ | साबण सुदी १० | विशेष-पूजा, पद एवं विनक्षियों का संग्रह है। ५५५. गुदका सं०७२ । पत्र सं० १८५ । प्रा० ६.४ च । अपूर्ग । दशा--जीएम् । विशेष -मायुर्वेद के नुराखे, मन्त्र, तन्त्रादि सामग्री है। कोई उल्लेखनीय रचना नहीं है। Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुदका संग्रह ] [ - ६७४ ५५५६, गुटका सं०७१। पत्र सं०४-६३ | प्रा.x च। भाषा-हिन्दी | विषय-शृङ्गार रख । ले० काल सं० १७४७ जेठ बुदी १ । विशेष-इन्द्रजीत विरचित रसिकप्रिया का संग्रह है। ५५५७. गुटका सं० १५ । पत्र सं० २४ । प्रा० ६x४ इच । भाषा-संस्कृत | विषय-पूना । विशेष-पूजा संग्रह है। ५५५५, गुटका सं०१६ । पत्र सं. मा ५४३ इ । भाषा-सस्कृत। विषय-स्तोत्र । ले० काल सं० १८०२ । पूर्ण । विशेष—पयावतीस्तोत्र ( ज्वालामालिनी ) है। ५५५६ गुटका सं० १७७ | पत्र सं० २१ । मा० ५'४३, इच । भाषा-हिन्दी । मपूर्ण । विशेष—पद एवं विनती संग्रह है । ५५६०. गुटका सं० १७८ । पत्र सं० १७ । प्रा० ६४४ इंच । भाषा-हिन्दी। विशेष-प्रारम्भ में बादशाह जहांगीर के तख्त पर बैठने का समय लिखा है। सं. १६८४ मंगसिर सुदी १२ | तारातम्बोल की जो यात्रा की गई थी वह उसोके प्रादेश के अनुसार धरती की खबर मगाने के लिए की गई थी। ५५६१. गुटका सं० १७६ | पत्र सं० १४ । प्रा० ६x४ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पद संग्रह । मपूर्ण। विशेष-हि-दी पद संग्रह है। ५५६२. गुटका सं० १५० । पत्र सं. २१ । प्रा० ६४४ इच । भाषा-हिन्दी । विशेष-मिदोषसप्तमीकथा ( ब्रह्मरायमल्ल), प्रादित्यवारकथा के पास का मुख्यतः संग्रह है। ५५६३. गुटका सं० १८१ । पत्र सं० २१-४६ । १. चन्द्रबरवाई की वार्ता हिन्दी २३-२६ पद्य सं. ११९ । ले. काल सं० १७१६ २ सुगुरुसीख हिन्दी २८-३० ३. काकाबत्तीसी ब्रह्मगुलाल " र०काल सं० १७१५ ३०-३४ ४. अन्य पाठ ३४-४६ विशेष-अधिकांश पत्र खाली हैं। ५५६४. गुटका सं० १८२ । पथ सं० १६ । प्रा० Exi इव । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । प्रपूर्ण । विशेष-नित्य नियम पूजा हैं। X Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० ] [ गुटका-संग्रह ५५६५, गुटका सं १८३ । पत्र सं० २० । प्रा० १०४६ इंच | भाषा-संस्कृत हिन्दी । यपूर्ण। दशा-जीर्ण शीर्ण। विशेष-प्रथम ५ पत्रों पर पृच्छायें हैं । तथा पत्र १०-२० तक शकुनशास्त्र है। हिन्दी गद्य में है। ५५६६. गुटका सं० १८४१ पत्र सं० २४ मा. ६:४६ इंच । भाषा-हिन्दी । अपूर्ण । विशेष-घृन्द विनोद सतसई के प्रथम पद्य से २५० पद्य तक है। ५५६७. गुटका सं० १८५ । पत्र सं० ७-८८ । मा० १०४५३ इस । भाषा-हिन्दी । ले. काल . १८२३ वैशाख सुदी ८ । विशेष--बीकानेर में प्रतिलिपि की गई थी। १. समयसारनाटक बनारसीदास हिन्दी २. अनाथोसाघ पौवालिया विमल विनयगणि , ७३ पद्य है ७६-७८ ३. मध्ययन गीत हिन्दी ७-८३ दस अध्याय में अलग अलग गीत हैं। अन्त में चूलिका मीत है। ४. स्फुट पद ____x हिन्दी ८४-८ ५५६८. गुटका सं० १८६ । पत्र सं• ५२ । प्रा. Ex५ इंच भाषा-हिन्दी । विषय पद संग्रह । विपोष-१४२ पदों का संग्रह है मुख्यतः द्यातनराय के पद हैं। ५५६६, गुटका सं० १८७ । पत्र सं० ७७ । पूर्ण । विशेष-गुटके के मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं। x x x x x १. चौरासी गोत २. कछवाहा वंश के राजाओं के नाम २-४ ३. देहली राजाओं की वंशावली ४. देहली के बावशाहों के परगनों के नाम १७-१८ ५. सीख सत्तरी १६-२० ६. ३६ कारखानों के नाम ७. चौबीस ठाणा चर्चा २२-४५ ५५७०. गुटका सं० १८८ । पत्र सं० ११-७३ । प्रा० ६x४३ च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विशेष-गुटके में भक्तामरस्तोत्र कलामन्दिरस्तोत्र है। x x Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह १. पार्श्वनाथस्तवन एवं ग्रन्थ स्तवन इतिहास । यतिसार के जग हिन्दी आगे पत्र जुड़े हुए हैं एवं विकृत लिपि में लिखे हुये हैं । ५५७१- गुडका सं० १६ पत्र सं० ६-७८ । प्रा० ५३४४ इ । भाषा - हिन्दी गद्य विषय १८६७ । १८००। १. कवित्त २. भयहरस्तोत्र विशेष -- कदर बादशाह एवं वीरबल आदि की वार्ताएं हैं। बीच बोध के एवं आदि अन्त भाग नहीं हैं । ५५७२. गुटका सं० १६० । पत्र सं० १७ | आ० ४X३ इव । भाषा - हिन्दी | विशेष – रूपचन्द कृत पचमंगल पाठ है। ३. शांतिकरस्तोत्र ४. नमिकरणस्तोत्र ५. अजितशांतिस्तवन ६. भक्तामर स्तोत्र ७. कल्याणमंदिरस्तोत्र ८. शांतिपाठ ५५७३. गुटका सं० १६१ । पत्र सं० २० । ० ८३६ इंच भाषः - हिन्दी | विशेष – सुन्दरदास कृत सवैथे एवं अन्य पद्य है । अनू है । ५५७५. गुटका सं० १६२ । पत्र सं० ४५ श्र० ८३९६ इव । भाषा - प्राकृत संस्कृत ) ले० काल X X विद्यासिद्धि X नन्दिषेण पूर्ण दशा-मान्य कोकसार है। मानतु गाचार्य X हिन्दी प्राकृत X ७-१ १-१२ १३-२२ संस्कृत २३-३० संस्कृत ३१-३२ हिन्दी गद्य टीकासहित है । प्राकृत ४०-४५ ५४७५. गुटका सं० १६३ । पत्र सं० १७ ३२ । प्र० ८३४५६ | भाषा-संस्कृत | ले० काल [ ६८१ हिन्दी गद्य टीका सहित है । " २० सं० १५०० " " १-४ ५-६ ५५७७, गुटका सं० १६५ | पत्र सं० ७ | मा० ९६ इंच भाषा-संस्कृत । विशेष- भट्टारक महीचन्द्रकृत त्रिलोकस्तोत्र है । ४६ पद्य हैं । विशेष तत्वार्थ सूत्र एवं भक्तामर स्तोत्र है । ५५७६. गुटका सं ० १६४ । पत्र सं० १३ । ० ६४६ इंच भाषा - हिन्दी | विषय - कामशास्त्र | " Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ५४७८. गुटका सं० १६३ । पत्र में० २२ पाn Ex६ इंच । भाषा- हिन्दी। विशेष - नाटकसमयसार है। yvt. गुटका सं०१६७पत्र सं० ३० 1 मा०८४६इच भाषा-हिन्दी। ले० कान १८६४श्रावगा बुदो १४ । बुध जन के पदों का मागह है। ५५८२. गुटका सं०१६८। पत्र सं० ३९ । प्रा.८.४५, इ व 1 अपूर्ण । पूजा पाठ संग्रह है। ५५-१. गुट का सं० १६६ | पत्र सं० २-५६। प्रा० ८४५ च । भाषा-संस्कृत हिन्दी अपूर्ण । दशा-जीर्ण । विशेष-गूजा पाठ संग्रह है। ५५८२. गुटका सं० २८० । पत्र सं० ३४ । प्रा० ६.४८ इंच । पूर्ण । दशा-सामान्य . १. जिनदत्त चौपई प्रागन हिन्दी रचना संवत् १३५४ भादवा सुदी ५ । ले. काल संवत् १७५२ । पालव निवासी महानन्द ने प्रतिलिपि की घो। २. प्रादोश्वर रेखता सहलकोति प्राचीन हिन्दी अपूर्ण र० बाल सं. १६६७ । रचना भ्यान-सालकोट । ले. काल-सं० १७५३ मंगसिर हुदी ७ । महानंद ने प्रतिलिपि की थी। १२ पद्य से ४५ वे तक ६१तक के पद है। ३. पंचवधाको राजस्थानी दोरगढ की ४. वित्त वृदावनदास हिन्दी .. 'पद-रैमन रमन जिनांवन कटुन विवार लहमीसागर राममल्हार ६. ही तू ही मेरे साहिब रागकाफी ७. तूती तूही २ तूती बोल ८. कवित्त ब्रह्म गुलाल एवं वृदावन पष १६ ले बाल स. १७५० फागण बुदो १४ । फकीरचन्द जैसल ने प्रतिलिपि की थी। लास का वासी गांत तेला। पूर्ण ६. जेष्ठ पूरिणमा कथः १०. क वत्त ब्रह्म गुलाल Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] १२. समुय विजय सुत सोवरे रंग भीने हो ले० काल १७७२ मोतीहटका देहरा दिल्ली में प्रतिलिपि की थी। १३. पञ्चकल्याणकपूजा प्रष्टक संस्कृत ले. काल सं०१७५२ ज्येष्ठक. १० । १४. षट्स कथा सस्कृत ले. काल सं० १७५२ । ५५८३. गुट का सं० २०१ । पत्र सं० ३६ : प्रा० ६x६ च । भाषा-हिन्दी | विषय-कथा । पूर्ण । विशेष-प्रादित्यवार कथा ( भाऊ ) खुशालचंद कृत शनिश्चरदेव कथा एव लालचन्द कृत राजुल पश्चीसी के पाठ और हैं। ५५८४. गुटका सं० २०२ । पत्र सं० २८ । ०६:५६ : 141- । सं० १७५०। विशेष पूजा पाठ सग्रह के प्रतिरिक्त शिवचन्द मुनि कृत हिण्डोलना, ब्रह्मचन्द कृत दवारास पाठ भी है । ५५८५. गुटका सं.२८३ । पत्र सं० २०-१६, १८५ से २०३ । प्रा० ६४५६ इच। भाषा संस्कृत हिन्दी । अपूर्ण । दशा-सामान्य । मुख्यतः निम्न पाउ है । १ जिनसहस्रनाम प्राशाधर संस्कृत २०-२६ २. कृषिमण्डलस्तवन ३०-३१ ३. जलयात्राविधि ब्रह्मजिनदास १९२-१९६ ४. गुरुपों की जयमाल " हिन्दी १६६-१६७ ५. णमोकार छन्द ब्रह्मलाल सागर १९७-२२० ५५८६. गुटका संः २०४१ पत्र सं० १४० । प्रा०६x४ च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले काल सं० १७६१ चैत्र सुदी ६ । अपूर्ण | जीर्ण । विशेष-उज्जैन में प्रतिलिरि हुई थी। मुख्यतः समयसार नाटक (बनारसीदास पार्श्वनाथस्तवन ( ब्रह्मनायू ) का संग्रह है। ५५८७ गुटका सं० २.५ । नित्य नियम पूजा संग्रह । पत्र सं०६७ । प्रा.८.४१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य। ५५८८. गुटका सं० २०६ । पत्र सं० ४७ | मा०८४७ । भाषा हिन्दी । अपूर्ण । दशा सामान्य । पत्र सं०२ नहीं है। १. सुंदर श्रृगार. महाकविराय हिन्दो पद्य स० ८३१ महाराजा पृथ्वीसिंहजी के शासनकाल में भामेर निवासी मालीराम काला ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ ] २. श्यामवतीसी नन्ददास बीकानेर निवासी महात्मा फकीरा ने प्रतिलिपि की । मालीराम कालाने ० १८३२ में प्रतिलिपि कराई थी । अन्तिम भाग - दोहा - कृष्ण ध्यान चरासु मठ अवनहि सुत प्रवान 1 छन्द मत्तगयन्द - सं० १६८६ | 13 कहत स्याम कलमल कछू रहत न रंच समान ।। ३६ ।। स्यो सनकादिक नारदस्मेद ब्रह्म सेस महेस तु पार न पायो । सां सुख व्यासविरंचि बखानत निगम कु ́ सोचि श्रगम बतायो । संभा नहि भाग जसोमति नम्बलला युग आनि कहायो । सो कवि या कवि काव्य करो कल्यान जु स्यांम भलै पुनगायी ॥ ३७॥ इति श्री नन्ददास कृत स्याम बत्तीसी संपूर्ण । लिखतं महात्मा फकोरा वासी बीकानेर का । लिखावतु मालीराम काला संवत् १८३२ मिती भादवा सुदी १४ । ५५८६. गुटका सं० २०७ । पत्र सं० २०० पा० ७४५ इंच | भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल विशेष - सामान्य पूजा पाठ, पद एवं भजनों का संग्रह है। ५५६०, गुटका सं० २०६ । पत्र सं० १७ | मा० ६२ ६३ इंच भाषा - हिन्दी | विशेष – चाणक्य नीतिसार तथा नाथूराम कृत जातकसार है । ५५६१. गुटका सं० २०६ | पत्र सं० १६-२४ । प्रा० ६xx इंच | भाषा - हिन्दी | विशेष- सूरदास, परमानन्द प्रादि कवियों के पदों का संग्रह है। विषय कृष्ण भक्ति है । [ गुटका संग्रह ५५६२. गुटका सं० २१० । पत्र सं० २८ । ० ६३५३ इंच | भाषा - हिन्दी । विशेष- चतुर्दशगुणम्यान चर्चा है । ५५६३. गुटका सं० २११ । पत्र सं० ४६-८७ | प्रा० ६४६ इंच | भाषा - हिन्दी । ले० काल १५१० । विशेष- ब्रह्मरायमा कृत श्रीपालरास का संग्रह है । ५५६४. गुटका सं० २१२ । पत्र सं० ६ १३० । ० ६४६ इंच । विशेष – स्तोत्र, पूजा एवं पद संग्रह है। Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ५५६५. गटका सं०२१३ । पत्र सं. ११७ | प्रा० ६४५ इच । भाषा-हिन्दी। ले- काल १८४७ । विशेष-वीन के २७ पत्र नहीं है । सम्बोधपं चासिका ( द्यानतराय) वृजलाल की बारह भावना, वैराग्य पच्चीसी ( भगवतीदास ) मालोचना गाठ, गमावतोस्तोत्र ( समक्सुन्दर ) राजुल पच्चीसी ( विनोदीलाल ) प्रादित्यचार कथा ( भाऊ ) भक्तामरस्तोत्र यादि पाठों का संग्रह है। ५५६६. गुटका सं० २१४ । पत्र सं० ५४ । प्रा० ६४६ च । विशेष-सुन्दर शृंगार का संग्रह है ! ५५६७. गुटका सं० २१५ 1 पत्र सं० १३२ | या० ६x६ च । भाषा-हिन्दी । १. कलियुग की विनती देवाया ३ सीताजी की विनती ७-८ ३, हंस की डाल तथा विन लाल ६-१२ ४. जिन बरजी को विनती देवापाण्डे ५. होली कथा छीतरठोलिया २० सं० १६६०३-१८ ६. विनतियां, ज्ञानपञ्चीसी, बारह भावना राजुल पश्चीसी प्रादि १६-४० ७. पांच परवी कथा ब्रह्मरण (भ. जयकीति के शिष्य ) ७६ पद्य हैं ४१-४० चन्द्रकवि ४५-६७ ८ चतुर्विवाति विनती ६. बधावा एवं विनती १०. नव मंगल विनोदोलाल ११. करका बतीली ७७-८१ गुलाबराम १२. बडा करका १३. विनतियां ५५६६. गुट का सं० २१६ । पत्र सं० १६४ । मा० ११४६ च । भापा-हिन्दी संस्कृत । विशेष---गुटके के उल्लेखनीय पाठ निम्न प्रकार है। १. जिनवरसत जयमाला মালার १-२ २. पाराधाना प्रतिबोषसार भट्टारक पट्टावली दी गई है। हिन्दी १३-१५ सकल कीति . Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिन्दो १५ ६८६ ] [ गुटका संग्रह ३. मुक्तावलि गत सकलकत्ति ४. चौवीस गणधरस्तवन गुणाकीर्ति ५. अष्टाह्निकागत भ० शुभचन्द्र ६. मिच्छा दुक्कड ब्रह्मजिनदास २२ ७. क्षेत्रपालपूजा मरिर भद् संस्कृत ८. जिनसम्रनाम प्रासाधर १०६-११६ ६ भट्टारक विजयकीति अष्टक ५५६६. गुटका सं० २१७ | पत्र सं० १५१ । प्रा० ८३४६३ इच | भाषा संस्कृत । विशेष-पूजा पाठों का संग्रह है। ५६.१. गुटका सं० २१८ । पत्र सं० १६६ । ग्रा० ९४५% च । भाषा-संस्कृत । विशेष-१४ पूजाओं का संग्रह है। ५६०१. गुटका सं० २१६ । पत्र सं १८४ । आ० Ex८ च । भापा-हिन्दी । मिग--खाजत विलंदशकथा है। ले. काल १७५३ ज्योट बुदी ७ बुधवार । ५६०२. गटका सं० २२० । पत्र सं00 | ग्रा. ७.४५ इच। भाषा-अपभ्रश संस्कृत। १. विशवजिगनऊवीसी महापसिंह अपभ्रंश २. नाममाला धनञ्जय संस्कृत विशेष—गुटके के अधिकांश पत्र जारी तथा फटे हुए हैं एवं गुटका अपूर्ण है। ५६०३. गुटका सं० २२१ । पत्र सं० ५१-१९० ! प्रा० ८३४६ च । भापा-हिन्दी । विशेष-जोधरा न गोदीका की सम्पनत्व कौमुदी ( अपूर्ण), प्रीत्यकरचरित्र, एवं नयचक्र को हिन्दी गद्य टीका अपूर्ण है। ५६० . गुटका सं. २२२ । पत्र सं० ११६ । मा० ५४६ इच । भाषा-संस्कृत | विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५६०५, गुदका सं० २२३ । पत्र सं० ५२ । मा० ७४४ इच । भाषा-हिन्दी । विशेष-यन्त्र, पृच्छाएं एवं उनके उत्तर दिये हुए हैं। ५६०६. गुटका सं. २२४ । पत्र सं १४० । ग्रा. ७४५, च । भाषा-संस्कृत प्राकृत । दवाजर्ण शोर्ण एवं अपूर्रा । विशेष-भुरावली (यपूर्गा), भक्तिपाट, स्वयंभूस्तोम, तस्वार्थरात्र एवं सामायिक पाठ आदि है। Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ) 1 ६८७ ५६०८. गुट का सं० २.१ । पत्र सं० ११-१७७ । प्रा० १०x४६ ईन्च | भाषा-हिन्दी । १. बिहारी सतसई सटीक टीकाकार हरिचरणदास । टीकाकाल सं० १८३४ । पथ सं० ११ से २३१ । ले. काल सं० १८५२ माघ कृष्णा ७ रविवार । वियोष-पुस्तक में ७१.४ पद्य हैं एवं ८ पद्य टीकाकार के परिचय के हैं। अन्तिम भाग-- पुरुषोत्तमदास के दोहे हैं बद्यपि है सोभा सहज मुक्त, न तऊ सुवेग । पोये और कुठौर के लरमें होत विशेष ११७१।। इस पर ७१५ संख्या है। वे सातसौ से अधिक जो मोहे है वे दिये गये हैं। टीका सभी को दी हुई है। केवल ७१४ की जो कि पूरूषोत्तमदास का है, टीका नहीं है। ७१४ दोहों के मागे निम्न प्रशस्त दी है। दोहा सालगामी सरजु जह मिली मंगसो प्राय । अन्तराल में देस तो हरि कवि को सरसाय ॥१॥ लिखे दहा भूषन बहुत भनवर के अनुसार। कहुं औरे कहुं और हू निकलेंगे लङ्कार ।।२।। सेवी जुगलजसोर के प्रननाथ जी नांव । सप्तसती तिनसों पड़ी बसि सिंगार बट ठांब ॥३॥ अमुना तट शृङ्गार वट तुलसी विपिन सुदेस । सेवल संत महंत जहि देखत हरत कलेस ।।४।। पुरोहित श्रीनन्द के मुनि सडिल्य महान । हम हैं ताके गौत में मोहन मा जजमान ॥५॥ मोहन महा उदार तजि और जाचिये काहि । सम्पत्ति सुदामा को दई इन्द्र लही नहीं जाहि ।।६।। गहि अंक सुमनु तात ते विधि को बस लखाय । राधा नाम कह सुनै प्रानन कान बढाय ।।७।। संवत् मठारहसौ विते ता परि तीसरु वारि । जामा पूरो क्रियो कृष्ण चरन मन धारि ।।६।। Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुटका-सग्रह इति हरचरणदास कसा दिहारी रचिन सप्तशती टीका हरिप्रकाशाख्या' सम्पूर्णा | संवत् १८५२ माघ कृष्ण ७ रविवासरे शुभमस्तु । २. कबिवल्लभ--प्रशिकार हरिचरणदास । पथ सं० १३१-१७७ | भाषा-हिन्दी पद्यः, विदोष-१७ सक पद्य हैं। प्रागे वे. पय नहीं हैं। प्रारम्भ मोहन चरम पयोग में, है तुलसी को बास । ताहि मुमरि हरि नाब. कर दिए दो नाम ॥१॥ धानन्द को कन्द वृषभान जाको मुखचन्द, लीलाही ते मोहन के मानस को चोर है। कवित दुजो तसो रचिव को चाहत विरंचि निति, समि को बनावे प्रजो मन कौन मोर है। फेरत है सान मासमान पे चढाय फेरि, पानि चढाय वे को वारिधि में वोरै है। राधिका के प्रानन के बोट न दिलोके विधि, ट्रक ट्रक तोरै पुनि टूक दक जोर है। अध दोष लक्षण दोहा रस आनन्द सरूप नौं दुर्षे ते है दोष । मात्मा को ज्यो अंधता और बधिरता रोष ॥३॥ मन्तिम भागदोहा साका सतरह सौ पुनी संवत् पैतीस जान । अठारह सो जेठ बुदि ने ससि रवि दिन प्रात ।।२८४॥ इति श्री हरिचरणजी विरचित कविवल्लभो ग्रन्थ सम्पूर्ण । स० १८५२ माघ बूष्णा १४ रविवासरे। ५६०६. गुटका सं० २२६ । पत्र सं० १०० | मा० ६३४६६च | भाषा- हिन्दी | ले. काल १८२५ जेठ वुदा १५ । पूर्ण १. सप्तभंगीवाणी भगवतीदास हिन्दी २. समयसारनाटक बनारसीदास ५६१८, गुटका सं० २२७ 1 पत्र सं० २६ । प्रा. Ex५ । भाषा - हिन्दी । विषम-आयुर्वेद । ले. काल सं० १८४७ अषाढ बुदो । ' Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ xxx गुटका-संग्रह ] [ ६८ विशेष-रससागर नाम का प्रायुर्वेदिक ग्रय है। हिन्दी पच में है। पोथी लिखी पंडित इंगरसी की मो देखि लिखो-वि• प्रसाळ बुदो बार सोमवार सं० १८४७ लिखी सवाईराम गोपा। ५६११. गुटका सं० २२८ । पत्र सं० ४६ से ६२ । प्रा० ४x७ ३० । भाषा-प्राकृत हिन्दी । से. काल १९५४ । द्रव्य संग्रह की भाषा दीका है। ५६१२. गुटका सं. २२३ । पत्र सं० १८ । प्रा. ६४७ इ० | भाषा हिन्दी। १. पंचपाल पतीसो हिन्दी २. कानाचार्य पूजा ७-१२ ३ विष्णुकुमारपूजा १३-१५६१३. गुटका सं० २३० । पत्र सं० ४२ । प्रा० ७X६ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विशेष-निल्प नियम पूजा संग्रह है। ५६१४. मुटका सं० २३१ । पत्र सं० २५-४७ । प्रा० ६x६ इ० | भाषा-हिन्दी । विषय-पायुर्धेद । विशेष-नयनसुखदास कृत वैद्यमनोत्सव है। ५६१५. गुटका सं० २३२ । पत्र सं० १४-१५५ । प्रा० x५ इ०। भाषा-हिन्दी । मपूर्ण। विशेष-भैया भगवतीदास फुत अनित्य पच्चीसी, बारह भावना, शत प्रष्टोत्तरी, जैनशतक, (भूधरदास) दान बावनो ( ग्रानतराम ) चेतनकर्मचरित्र ( भगवतीदास ) कर्मछत्तीसो, शानपच्चीसी, भक्तामरस्तोत्र, पल्याण मंदिर भाषा, दानवर्णन, परिषह वर्णन का संग्रह है। ५६१६. गुटका सं० २३३ । पत्र संख्या ४२ । मा० १०४४३ भाषा-हिन्दी संस्कृत । विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है। . ५६१७. गुटका सं० २३४ । पत्र सं० २०३ । प्रा० १०४७१ १० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । पूजा पाठ, बनारसी विलास, चौबीस ठाणा चर्चा एवं समग्रसार नाटक है । ५६१८. गुट का सं०६३५ । पत्र सं० १६८ मा० १०४३ ३० । माषा-हिन्दी । १. लत्वार्यसूत्र ( हिन्दी टीका सहित ) हिन्दी संस्कृत ३-६० ६३ पत्र तक दीमक ने खा रखा है। २ चौवीसठारणाचर्चा x हिन्दी ६१-१९८ ५६१६. गुटका सं० २३६ । पत्र सं० १४० | प्रा. Ex. ५० | भाषा हिन्दी । विशेष पूजा, स्तोत्र आदि सामान्य पाठों का संग्रह है। Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .६६० ] [ गुटका संग्रह ५६२०. गुटका संघ २३८ । पत्र सं० २५० । प्रा Ex,100 भाषा-हिन्दी ।।ले. काल सं. ११७४८ मासोज बुदी १३ । - १. कुण्डलिया मगरदान एवं अन्य कविगण हिन्दी लिपिकार विजयराम १-३३ - २. पद सुकन्ददास २३-३४ वे. काल १७७५ श्रावण सुदी ५ ...३. विलोकदर्पणकथा खड्गसेन हिन्दी ३४-२५० ५६२१. गुटका सं० २३६ । पत्र सं० १६८ | प्रा १३६x६ च । भाषा-हिन्छ । : १. मायुर्वेदिक नुसखे x हिन्दी .२, कथाकोष १४-८४ ৯, স্বিলীদ মুকি ८४-१६८ ५६२२. गुटका सं०-२४० । पत्र सं० ४८ । प्रा० १२३४८ इ० । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोव । विशेष–पहिले भक्तामर स्तोत्र टीका सहित तमाम में यन्त्र पंचम दिया दगा । ५६२३. गुरका सं०-२४१ । पत्र सं०५-१७७ । प्रा० ४४३ इ. 1 भाषा-हिन्दी । ले० काल १५७ वैशाख बुदी प्रमावस्या। विशेष-लिखितं महात्मा शभूराम | झान दीपक नामक न्याय का प्रत्य है। ५६२४. गुटका सं० २४२ । पत्र सं० १-२००, ४०० ५६५, ६०५ से ७६४ । प्रा० ४३ इ० । भाषा-हिन्दी गद्य। विशेष-भावदीपक नामक ग्रन्थ है। ५६२५, गुटका सं० २४३ । पत्र सं० २४० । २०६४+ इ । भाषा-संकत । विशेष—पूजा पाठ संग्रह है। ५६२६. गुटका सं० २४४ । पत्र सं० २२ । प्रा. ६४.४ ३० । माषा-संस्कृत । १. लोक्य मोहन कवच रायमल संस्कृट ले. काल १७६१ ४ २. दक्षणामूर्तिस्तोत्र शंकराचार्य ३. दशश्लोकीशं भूस्तोत्र ४. हरिहनामावलिस्तोत्र ५. दशराशि फल १०.१२ ५.७ Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह | ६. बृहस्पति विचार ७. ५६२ गुटका सं० २४६ प विशेष - नन्दराम कृत मानमझरी है। प्रति नहीन है । ५६२७, गुटका सं० २४५ | पत्र सं० २-४६०७५६० विशेषस्तोत्र संग्रह है। 55 ५६३०, गुटका सं० २४८ विशेष - तीर्थङ्करों के पंचकल्याण प्रादि का दर्शन है । "7 ५६२१. गुटका सं० २४७ पत्र [सं० ६-७७ ० ७४ ६ भाषा-संस्कृत हिन्दी । विशेष पूजापाठ संग्रह है। १९६०६४० भाषा - हिन्दी | - काल ९७६२ १२-१४ १५-२२ पत्र [सं०] १२ ई०६० भाषा हिदी । | | ५३३१. गुटका ० ९५६ पत्र ०८००० भाषा-हिन्दी विशेष-पदसंग्रह है। ५६३२. गुटका सं० २५० सं० १५ भा० ८३० ३० भाषा-सं विशेष - वृहत्स्त्रयं भूस्तोत्र है । ५६३३. गुटका सं० २५१ । पत्र सं० २० आ० ७४५ इ० भाषा-संस्कृत | विशेष समन्तभद्रकृत रत्नकरण्ड श्रावकाचार है। पत्र ५६३४. गुटका सं० २५२ प ० ३ ०२४६६० संस्कृत काल १९३३ । विशेष प्रकल· एक स्टोन है। [ ६६१ ५६३५. गुटका ०२५३ ०८०६४ ६० भाषा-संस्कृत [सं० काल सं० १९३३ । विशेष कामर स्टोन है। ५६३६. गुटका स० २५४० १० ०XXभाषा हिन्दी विशेष -- बिम्ब निर्वाण विधि है । ५६३७. गुटका सं० २५५ । पत्र सं० १९ । ० ७५६ ६० । भाषा संस्कृत हिन्दी . विशेष- षजन कृत इष्ट छत्तीसी पंचमगस एवं पूजा श्रादि हैं । ५६३. गुटका सं० २५६ पत्र स०६०८७६० भाषा-हिन्दी विशेष-वीचन्द कृत रामचन्द्र चरित्र है । Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ ] [ गुटका-संप्रद ५६३६. गुटका सं० २५७ । पत्र सं० ६ | प्रा० ८५ इ० । भाषा-हिंन्दी। दशा-जीर्णशीर्ण । विशेष-सन्तराम कृत कविन संग्रह है। ५६४०. गटका सं० २५८ | पत्र सं. प्रा० ५४ ३0 । भाषा-संस्कृत । मर्स । विशेष -ऋषिमण्डलस्तोत्र है। ५६४१. गुटका सं० २४६ 1 पत्र सं० १ । मा० ६x४ . | माषा-हिन्दी । ले० काल १८३० । वियोष-हिन्दी पद एवं नाथू कृत लहुरी है। ५६४२. गुटका सं० २६.३ पत्र सं० ४ 1 भा० ६x४ इ० । भाषा-हिन्दी । विशेष-नवल कृत वोहा स्तुति एवं दर्शन पाठ हैं। ५६.१ गुहका संका ५३ : भाषा-हिन्दी | १० काल १८६१। विशेष-सोनागिरि पच्चीसी है। ५६४४. गुटका सं० २६२ । पत्र सं० १० । प्रा० ६x४३ इ. । भाषा-संस्कृत हिन्दी | अपूर्ण । विशेष-ज्ञानोपदेश के पद्य हैं। ५६४५. गुटका सं० २६३ । पत्र सं० १६ । प्रा. ६३xt ५२ । भाषा-संस्कृत । विशेष--शंकराचार्य विरचित पाराधसूदनस्तोत्र है। ५६४६ गुटका सं० २६४ । पत्र सं० ६ । पा० ६x४ इ० । भाषा-हिन्दी । विशेष-सप्तश्लोकी गीता है। ५६४७, गुटका सं० २६५ । पत्र सं० ४ । आ० ५५४४ इ० । भाषा-संस्कृत । विशेष-वराहपुराण में से सूर्यस्तोत्र है। ५६४८. गुटका सं० २६६ । पत्र सं० १० | पा० ६x४ इ० । भाषा संस्कृत । ले. काल १८८७ पौष .. सुदी। विशेष-पत्र १-७ तक महागणपति कवच है। ५६४६. गुटका सं० २६७ । पत्र सं० ७ । प्रा. ६x४३ इ० । भाषा-हिन्दी । विशेष-भूधरवास कृत एकीभाव स्तोत्र भाषा है। ५६५०, गुटका सं०.२६८ । पत्र सं० ३५ । भा० ५३४४ इ० । भाषा-संस्कृत । ले० काल १८८५ पौष सुदी २ विशेष-महात्मा संतराम ने प्रतिलिपि की थी। पावती पूजा, चतुषष्ठी स्तोत्र एवं जिनसहस्रनाम ( माशावर ) है। Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ५६५१. गुटका सं० २६६ । पत्र सं० २७ । आ० ७२४५३ इ० | भाषा-संस्कृत । पूर्ण । विशेष-~-नित्य पूजा पाठ संग्रह है। ५६५२, गुटका सं० २७ । पत्र सं० ८ । प्रा- ६४४ इ० । भाषा-संस्कृत। ले० काल सं०. १९३२। पूर्ण। विशेष-तीन चौबीसी व दर्शन पाठ है। ५६५३ गुटका सं०२७१। पत्र सं०३१ | मा० ६४५ इ. भाषा-संस्कृत | विषय-संग्रह | पूर्ण ।। विशेष - भक्तामरस्तोत्र, ऋद्धिमूलमन्त्र सहित, जिनपक्ष रस्तोत्र हैं। ५६.४. गुटका सं०२७२। पत्र सं०६। या०६x४३ ६० । भाषा-संस्कृत । विषय-सग्रह । पूर्ण । विशेष-प्रनन्तव्रतपूजा है। ५६५५. गुटका सं० २७३ । पत्र सं० ४ | प्रा. ७४५३ इ. भाषा-हिन्दो | विषय-पूजा। विशेष-स्वरूपचन्द कृत चमत्कारजी की पूजा है | चमत्कार क्षेत्र संवत् १८८६ में भादवा सुदी २ को प्रकट हुवा था | सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ५६५६. गुटका सं० २७४ । पत्र सं० १६ । प्रा० १०४६६ इ० । मापा-हिन्दी । विषय-पूजा । पूर्ण, विदोष-इसमें रामचन्द्र कृत शिखर विलास है । पत्र से भागे खाली पड़ा है। ५६५७. गुटका सं० २७५ । पत्र सं० ६३ | प्रा० ५३४५ इ.। पूर्ण । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है तीन चौबीसो नाम, जिनपञ्चीसी ( नवलः ), दर्शनपाठ, नित्मपूजा भक्तामरस्तोत्र, पञ्चमङ्गल, कल्याणमन्दिर, नित्यपाठ, संबोधपचासिका ( शानसरायः)। ५६५८. गुटका सं० २७६ । पत्र सं० १० । मा• ६६x६३० । भाषा-संस्कृत। ले. काल सं. १८४३ । अपूर्ण। विशेष-भक्तामरस्तोत्र, बड़ा कक्का ( हिन्दी ) प्रादि पाठ हैं । ५.६५६. गुटका संक २७७ । पत्र सं० २-२३ | प्रा० ५२४४३ इ० । भाषा-हिन्दी । विषय-पद । अपूर्ण। विशेष-हरखचन्द के पदों का संग्रह है। ५६६०. गुटका सं० २७८ | पत्र सं० १-८० प्रा० ६x४३.। अपूर्ण। विशेष-बीच के कई पत्र नहीं हैं। योगीन्द्रदेव रेत परमात्मप्रकाश है। ५६६१. गुटका सं० २७६ । पत्र सं० ६-३४ | मा० ६x४ इ० । अपूर्ण । विशेष—नित्यपूजा संग्रह है। Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ ] [ गुटका-संग्रह ५६६२. गुटका सं० २८० । पत्र सं० २-४१ । मा० ५३४४ इ० । भाषा-हिन्दी गद्य ! अपूर्ण । विशेष-कषायों का वर्णन है। ५६६३. गुटका सं० २८१ । पत्र ० ६२ । मा० ६४६ ३० । भाषा-X । पूर्ण । विशेष-बारहखड़ी, पूजासंग्रह, दशलक्षण, सोलहकारण, पञ्चमेरुपूजा, रत्नत्रयपूजा, तत्वार्थसूत्र प्रादि पाठों का संग्रह है। ५६६४. गुटका सं० २०२ । पत्र सं० १६-८४ । प्रा० ६६x४, इ. । विशेष-निम्न मुख्य पाों का संग्रह है- जैनपश्चीसी, पद ( भूधरवास ) भक्तामरभाषा, परमज्योतिभाषा विषापहारभाषा ( प्रचलकोत्ति ), निर्वाणकाण्ड, एकीभाव, भऋत्रिमवैत्यालय जयमाल ( भगवतीदास ), सहस्रनाम, साधुवंदना, विनती ( भूधरदास), नित्यपूजा । ५६६५. गुटका सं० २८३ । पत्र सं० ३३ | प्रा० ७३४५ १० । भाषा-हिन्दी पछ । विषय-अध्यात्म । अपूर्ण विशेष-३३ मे मागे के पत्र वाली है । बनारसीदास कृत समयसार है । ५६६६. गुटका सं० २८४ । पत्र सं० २-३५ । प्रा० EX६ इ० । भाषा-हिन्दी संस्का । अपूर्णः । विशेष-चर्चाशतक ( खानतराय ), श्रुतबोध ( कालिदास ) ये वो रचनाये हैं । ५६६७. गुटका सं० २८५ पत्र सं० ३-४६ । प्रा० ८४६ इ० 1 भाषा-संस्कृत प्राकृत । अपूर्ण । विशेष--नित्यपूजा, स्वाध्यायपाठ, चौवीसारणाचर्चा ये रचनायें हैं। ५६६८. गुटका सं० २८६ । पत्र सं० ३१ । आ० ८४६ इ० । पूर्ण । विशेष-द्रव्यसंग्रह संस्कृत एवं हिन्दी टीका सहित । ५६६६. गुटका सं० २८७ । पत्र सं० ३२ । प्रा० ७३४५, ३० । भाषा-संस्कृत । पूर्ण । विशेष-तत्त्वार्थसूत्र, नित्यपूजा है । ५६७२. गुटका सं० २८८ । पत्र सं० २-४२ । प्रा० ६x४ ६० | विषय-संग्रह । अपूर्ण । विशेष—ग्रह फल मादि दिया हुवा है । ५६७१. गुटका संक २८ 14 सं० २० । मा० ६x४ इ० । भापा-हिन्द । विषय-गृङ्गार । पूर्ण विशेष--रसिकराय कृत स्नेहलीला में से उद्धव गोपी संवाद दिया है । 'एक समय प्रजवास की सुरति भई हरिराइ । नि । जन अपनो जानि के ऊधो लियो बुलाइ । प्रारम्भ Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ + [ ६६५ गुटका-संग्रह ] धोकिरसन पचन ऐस कहे ऊधव तुम सुनि ले । नन्द जसोदा भादि दे बन जाइ सुख दे॥२॥ मज वासी बल्लम सदा मेरे जीउनि प्रान । ताने नीमष न बीसरू मोहे नन्दराय की प्रान ।। अन्तिम यह लीला बजवास की गोपी किरसन सनेह । जन मोहन जो गाव ही ते नर पाउ देह ।। १२२ ।। जो गाव सोष सुर गमन तुम वचन सहेत । रसिक राय पूरन कीया मन वांछित फल देत ।। १२३ ॥ नोट-मामे नाग लीला का पाठ भी दिया हुवा है । ५६७२. गुटका सं० २६० पत्र सं० ५२ । भा० ६४५ ३० । अपूर्ण । विशेष-मुख्य निम्न पाठों का संग्रह है। १. सोलह कारणकथा संस्कृत रत्नपाल मुनि ललितकीति २. दशलक्षणीकथा १३-१७ १७-१९ ३. रत्नत्रयनतकथा ४. पुष्पावलिव्रतकथा ५. प्रक्षयदशमीकथा ६. मनन्त चतुर्दशीव्रतकथा ७. वेद्यमनोत्सन १६-२३ २३-२६ नयनसुख हिन्दी पद्य पूर्ण ३१-५२ विशेष- लाखेरी ग्राम में दीवान श्री बुधसिंहजी के राज्य में मुमि मेघविमन ने प्रतिलिपि की थी। गुटका काफी जीर्थ है । पत्र मूहों के खाये हुए है । लेखनकाल स्पष्ट नहीं है। ४६७३. गुटका सं० २६१ । पत्र सं० ११७ । भाषा-हिन्दी संस्कृत | विषय -संग्रह । विशेष पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है । संस्कृत में समयसार कल्पद्र मपूजा भी है। ५६७४, गुटका सं० २९२ 1 पत्र सं०४८ । १. ज्योतिषशास्त्र संस्कृत २. फुटकर दोहे ३१ दोहा है ३६-३७ Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ३. पनकोष गोवर्धन संस्कृत ले० काल सं०१७६३ संत हरिवंगादास ने लवाण में प्रतिलिपि की थी। ५६७५ गुटका सं० २६३ । संग्रह कर्ता पाण्डे टोडरमलजी। पत्र सं०७६ । प्रा० ५४६ इञ्च । ले. काल सं० १७३३ । प्रपूर्ण । दशा-जीर्ण । विशेष-- प्रायुर्वेदिक नुसखे एवं मंत्रों का संग्रह है। ५६७६. गुटका सं० २६४ । पत्र सं० ७७ । प्रा० ६४४ इश्च । ले. काल १७८८ पौष सुदी ६ । पूर्ण । सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । विशेष—40 गोबर्द्धम ने प्रतिलिपि की यो । पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। ५६५७. गुटका सं० २६५ । पत्र सं० ३१-६२ । प्रा० ५४५। इन भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल शक सं० १६२५ सावन बुदी । विधोप-पुण्याहवाचन एवं भक्तामरस्तोत्र भाषा है । ५६७८ गुटका सं० २६६ । पत्र सं. ३-४१ । प्रा० ३४३१ हश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । अपूर्ण | दशा-सामान्य। विशेष-भक्तामरस्तोत्र एवं तत्त्वार्थ सूत्र है । ५६६६. गुदका सं. २६७ । पत्र सं० २५ 1 प्रा० ६x४३ इञ्च 1 भाषा-हिन्दी । अपूर्ण । विशेष प्रायुर्वेद के नुमखे हैं। ५६८०. गुटका सं० २६८ । पत्र सं० ६२ । प्रा० ६:४५ इन् । भाषा-हिन्दी | पूर्ण । विशेष-प्रारम्भ के ३१ पत्र खाली हैं। ३१ से भागे फिर पत्र १ २ से प्रारम्भ है । पत्र १० तक शृङ्गार के कवित है। १. बारह मासा- १०-२१ तक | चूहर कवि का है। १२ पद हैं । वर्णन सुन्दर है । कविता में पत्र लिखकर बताया गया है । १७ पद्य है। २. बारह मासा-गोविन्द का-पत्र २९-३१ तक। ५६८१. गुटका सं० २६५ | पत्र सं० ४१ । प्रा० ७४४ ६० । भाषा-हिन्दी । निषय-शृङ्गार । विशेष-कोफसार है। ५६८२, गुटका सं० ३०० । पत्र सं० १२ । प्रा. ६४५३ ६० | भाषा-हिन्दी : विषय-मन्त्रशास्त्र । विशेष-मन्त्रशास्त्र, प्रायुर्वेद के नुसम्झे । पत्र ७ से भागे खाली है। Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] ५६८३. गुटका संः ३०१ । पत्र सं० १८ । प्रा० ४.४३ इ० 1 भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-संग्रह । ले० काल १९१८ | पूर्ण । विशेष-लावणी मांगीतुगी की- हर्षकीत्ति ने सं० १९०० ज्येष्ठ मुदो ५ को यात्रा को थी । ५६८४. गुटका सं० ३८२ । पत्र सं० ४२ | प्रा० ४४३३ १७ । भाषा-संस्कृत । विषय-संग्रह । पूर्ण विशेष—पूजा पाठ संग्रह है। ५६८५. गुटका सं० ३०३ । पत्र सं० १०५ | प्रा० ४१४४३ इ. । पूर्ण । विशेष-३० यन्त्र दिये हुये हैं । कई हिन्दी तथा उर्दू में लिखे हैं । प्रागे मन्त्र तथा मन्त्रविधि दी हुई है। उनका फल दिया हुआ है । जन्मात्रो सं० १८१७ को जगतराम के पौत्र मारणकयन्द के पुत्र की प्रायुर्वेद के नुसरले 7 दिये हुये हैं। ५६८६. गुटका सं० ३०३ क । पत्र सं० १५ । प्रा० ८४५३ इ० । भाषा-हिन्दी । पूर्ण । विशेष-प्रारम्भ में विश्वामित्र विरचित रामकवच है। पत्र ३ से तुलसीदास कृत कवितबंध रामचरित्र है 1 इसमें छप्पय छन्दों का प्रयोग हया है। १-२० पञ्च तक संख्या ठोक हैं । इसमे मागे ३५६ संख्या से प्रारम्भ कर ३८२ तक संख्या चली है । इसके मागे २ पत्र वाली हैं। ५६८५. गुटका सं० ३०४ । पत्र सं० १६ प्रा० ७३४५ इ० । भाषा-हिन्दी । अपूर्ण। विशेष-४ से ६ तक पत्र नहीं है । अजयराज, रामदास, बनारसीदास, जगतराम एवं विजयकीत्ति के पदों का संग्रह है। ५६८८. गुटका सं० ३०५ । पत्र सं० १० । मा० ७४६ इ. | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । पूर्ण । विशेष--नित्यपूजा है। ५६. गुटका सं० ३०६ । पत्र सं० ६ । प्रा० ६३४४३ इ० । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा पाठ । पूर्ण । विशेष-शांतिपाठ है। ५६६७. गुटका सं० ३०७ । पत्र सं० १४। प्रा० ६३४४३ इ० । भाषा-हिन्दी । अपूर्णा । बिशेष-नन्ददास की माममारी है। ५६६१. गुटका सं० ३०८ । पत्र सं० १ । प्रा. ५४४५ इ० । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । पूर्ण विशेष-भक्तामरऋद्धिमन्त्र सहित है । Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह क भण्डार [शास्त्रभण्डार बावा दुलीचन्द जयपुर ] ५६६२. गुटका सं० १ । पत्र सं० २७१ । प्रा० ६२४७१ इन्च | वे० सं० ८५७ 1 पूर्ण । १. भाषाभूषण धीरजासह राठौड हिन्दी २. अठोत्तरसनाथ विधि . ले. काल सं० १७५६ १३ औरंगजेब के समय में पं. अभयमुन्दर ने ब्रह्मपुरी में प्रतिलिपि की थी। ३. जैनातक भूधरदास ४, समयसार नाका बनारसीदास ११७ बादशाह शाहजहां के शासन काल में सं०१७05 में लाहौर में प्रतिलिपिहई थी। ५. बनारसी त्रिभास १२६ विदोष-बादशाह शाहजहाँ के शासनकाल सं० १७११ में जिहानाबाद में प्रतिलिपि हुई थी। ५६६३. गुटका सं. 1 पत्र सं० २२५ । मा० Ex५६ इञ्च 1 अपूर्ण । वे० सं० ८५८ 1 विशेष-स्तोत्र एवं पूजा पाठ संग्रह हैं | ५६६५. गुटका सं० ३ । पत्र सं. २४ । मा० १०३४५६ इ० । भाषा-हिन्दी । पूर्ण | वै० सं० १५६ | १. शांतिकनाम २. महाभिषेक सामग्रो प्रतिष्ठा में काम पाने गले ६६ मंत्रों के चित्र ५६६५. गुटका सं०४। पत्र सं०६३ | प्रा० ५३४३ इ. पूर्ण | वे० सं० ८। विशेष-~-पूजानों का संग्रह है। ५.६६.६. गुटका सं०५। पत्र सं० ५९ । मा० ६x४ इ.। भाषा-संस्कृत हिन्दी । अपूर्ण । ३० सं० विशेष-गुभाषित पाठों का संग्रह है। ५६६७ गुटका सं०६। पत्र सं० ३३४ । प्रा० ६४४ इ० । भाषा-संस्कृत । पूर्ण । जीर्ण । ० सं० विशेष-विभिन्न स्तोत्रों का संग्रह है। ५७६८. गुटका सं०७ । पत्र सं० ४१६ । प्रा०६६४५ इ० । ले. काल सं० १८.५ अषाढ सुदी ५ गा। दे० सं०६३। Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संमह ] ९. पूजा पाठ संग्रह २. प्रतिष्ठा पाठ ३. चीबीस तीर्थङ्कर पूजा ५६६६. गुटका सं० । १७६२ ग्रासोज सुदी १४ । पू उल्लेखनीय है । हिन्दी ले० काल १८७५ भादवा सुदी १० पत्र सं० ३१७०६४५ इ० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल सं० सं० ८६४ | विशेष – पूजा एवं प्रतिष्ठा सम्बन्धी पाठों का संग्रह है। पृ २०७ पत्र भक्तामर स्तोत्र की पूजा विशेषतः X x ३. श्रुतपूजा ४. पचकल्याणकपूजा ५. मुक्तावलीपूजा ६. श्वशतोद्यापन रामचन्द्र ५७०० गुडका सं०६ । पत्र सं० १४ । श्र० ४९४ ३० भाषा - हिन्दी | पूर्ण 1 वे० सं० ८६५ | विशेष-जगतराम, गुमानीराम, हरीसिंह, जोधराज, लाल, रामचन्द्र प्रादि कवियों के भजन एवं पदों कर ७. त्रिकाल चतुर्दशी पूजा ८. नवकार पैलीसी ६. प्रादित्यवारकथा १०. प्रोषधोपवास व्रतोद्यापन ११. नन्दीश्वरपूजा १२. पञ्चकल्या एकपाठ १३. पश्चमेरुपूजा संग्रह है । स्व भण्डार [ शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर जोबनेर जयपुर ] ५७०१. गुटका सं० १ । पत्र ७ २१२ । प्रा० ६x४३ ३० से० काल X | अपूर्ण । १. होडाचक X संस्कृत अपूर्ण २ नाममाला धनक्षय X X X संस्कृत हिन्दी x X x X x x x x 37 37 "3 33 33 " 33 }} 33 93 37 [ ६६६ 13 . ले० काल १७८३ ८ ६-३२ ३३-३९ २६-६५ ६५-६६ 48-58 ले० काल सं० १७८३ ८६-१०२ १०३-२१२ Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०० ] [ गुटका-संग्रह ५७०२. गुटका सं पव०१६६ । पा. १x६.50ले. कालXI दशा-जीर्ण जीर्ण। १. त्रिलोकवर्णन संस्कृत हिन्दी १-१० २, कासवासवर्णन हिन्दी ३. विचारगाथा ४. चौबीसतीर्थकर परिचय हिन्दी १६-३१ ५. चउबीसठाणाचर्चा ३२-७८ प्राकृत ७९-११२ ११३-१३३ ६. पाश्रव त्रिभङ्गी ७. भावसंग्रह ( भावविभङ्गी) ८. पनक्रिया श्रावकाचार टिप्पण ६. तत्त्वार्थसूत्र संस्कृत उमास्वामि १५४-१६८ ५७०३. गुटका सं० ३ । पत्र सं० २१५ | प्रा० ६x६ ३० । ले. काल ४ । पूर्ण । विशेष-नित्यपूजापाठ तथा मन्त्रसंग्रह है । इसके अतिरिक्त निम्नपाठ संग्रह है। १. शत्रुक्षयतीर्थरास समयसुन्दर हिन्दी २. बारहभावना जितचन्द्रसुरि ३. दशवकालिकगीत जैतसिंह ४१-४६ ४. पालिभद्र चौपई जितसिंहमूरि र• काल १६०८ ४६-६४ ५. चतुर्विंशति जिनराजस्तुति १४-१.६ ६. बीसतीर्थङ्करजिनस्तुति ७. महावीरस्तवन जितमन्द्र ११७-११६ ८. प्रादीश्वरस्तवन १२० ६. पार्श्वजिनस्तवन १२०-१२१ १०. विनती, पाठ व स्तुति १२२-१४१ ५७०४. गुटका सं०४१ पथ सं०७१ । प्रा० ५३४३ ३० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १६०४। पूर्ण । विशेष-नित्यपाट व पूजामों का संग्रह है। लश्कर में प्रतिलिपि हई थी। Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] । ८१ ५७०५, गुटका सं५ । पत्र सं० ४० प्रा० ५४४ ६० । ल. काल सं० १९०१ । पूर्ण । विशेष-कर्मप्रकृति वर्णन (हिन्दी), कल्याणमन्दिरस्तोत्र, सिद्धिप्रियस्तोत्र (संस्कृत) एवं विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है। ५७०६ गुटका सं०६ । पत्र सं० ८० । प्रा० ८३४६, ३० । न० काल X । अपूर्ण | विशेष-गुटके में निम्न मुख्य पाओं का संग्रह है। १. चौरासीबाल कौरपाल हिन्दी अपूर्ण ४-१६ २. प्रादिपुरागविनसी गङ्गादास १७-४३ गयोध.. - में नरापुर : ( मरसिंचपुरा ) जाति वाले दणिक पर्वत के पुत्र गङ्गादास ने विनती रचना को थी। ३. पद- जिण जपि जिण जवि जिवड़ा हर्षकीति ४४-४५ हिन्दी . ४, अटकपूजा ५. समकितविणयोधर्म विश्वभूषण या जिनदास पूर्ण , 104 ५७०७. गुटका सं०७ । पय सं० ५० | पा० ५३४४३ ३० । ले. काल ४ । अपूर्ण 1 विशेष-४८ यन्त्रों का मन्त्र सहित संग्रह है | अन्त में कुछ मायुर्वेदिक नुसखे भी दिये हैं। ५७०८. गुटका सं०८ । पत्र सं० X । प्रा. ५४२३ इ. ! ले० काल XI पूर्ण । विशेष-स्फुट कवित्त, उपवासों का ब्यौरा, सुभाषित (हिन्दो व संस्कृत) स्वर्ग नरक प्रादि का वर्णन है । ५७०६. गुटका संहा पत्र सं०५१ । आ. ७४५ इ० । भाषा-संस्कृत | विषय-संग्रह । न० काल सं० १७२३ । पूर्ण । विशेष--प्रायुर्वेद के नुसखे, पाशा केवली, नाम माला प्रादि हैं। ५७१०. गुटका सं० १० । पत्र सं० ८५ । प्रा० ६४३३ इ.। भाषा-हिन्दी। विषय-पद संग्रह । ले० काल X । पूर्ण । विशेष-लिपि स्पष्ट नहीं है तथा अशुद्ध भी है। ५७११. गुटका सं० ११ । पत्र सं० १२-६२ । प्रा० ६४५ ३० । भाषा-संस्कृत | ले० काल । अपूर्ण । जीर्स। विशेष-ज्योतिष सम्बन्धी पाठों का संग्रह है। Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ५७१२. गुटका सं० १२ । पत्र सं० २२३ । प्रा० ६x४ इ० । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल ० १६०५ वैशाख बी १४ | पूर्ण । विशेष - पूजा व स्तोधों का संग्रह है । ५७१३. गुटका सं० १३ । पत्र [सं०] १६३ । ० ५x५३ ३० । ले० काल x ३ पूर्ण विशेष - सामान्य स्तोत्रपठों का ग्रह है। ५७१४. गुटका सं० १४ । पत्र सं० ४२ । ० ८३५३ ३० | भाषा - हिन्दी । ले० काल X। अपूर्ण । X हिन्दी पूर्ण १-१८ १६- २६ २६-४२ ७०२ ] १. त्रिलोकवर्णन १२ खंडेला की परवा ३. शलाका पुरुषवन ३। पू X X ५७१५. गुटका सं० १५ । पत्र से० ७६ । प्रा० ६४५ इ० । ले० काल ० X | पूर्ण । विशेष पूजा एवं स्तोत्रों का संग्रह है । ५०१६. गुटका १. समयतारनक २. पार्श्वनाथजीको निसारणी २. शान्तिनाथस्तवन ४. गुरुविनतो पूर्ण । 22 बनारसीदास X 33 सं० १६ । पत्र सं० १२० । भा० १X५३ इ० । ले० काल सं० १७६३ वैशाख हिन्दी 77 " " 79 " गुणसागर X ५७१७ गुटका सं० १७ । पत्र सं० ११५ । प्रा० Ex५ इ० | ले० काल X 1 अपूर्ण । विशेष – स्तोत्र एवं पूजाओं का संग्रह है । ३७१८. गुटका सं० १८ पत्र लं० १२४ ॥ श्र० ५x५ ३० । भाषा - संस्कृत । ले० काल X विशेष नित्य नैमित्तिक पूजा पाठों का संग्रह है। ५०१६. गुटका सं० १९ । पत्र सं० २१३ । ० ५३ ३० । ले० काल x पूर्ण । विशेष नित्य पाठ व मंत्र मादि का संग्रह है तथा आयुर्वेद के नुसखे भी दिये हुये हैं। १०- १०९ ११०-११४ ११५ - ११६ ११७-१२० चन्द्र एवं कफीति ) खडेलवालों को उत्पति तथा सामुद्रिक शास्त्र आदि पाठों का संग्रह है । २७२०. गुटका सं० २० | पत्र सं० १३२ | था० ७४६ ६० । ले० काल सं० १८२२ । पूर्ण । विशेष नित्यपूजापाठ, पार्श्वनाथ स्तोत्र ( पद्मप्रभदेव ) जिनस्तुति ( रूपबन्द, हिन्दी ) पद ( शुभ Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ५७२१. मुहमा म:२१ । पथ सं. ५-६२ । प्रा० ५.६४५६ इ० । से० काल | अपूर्ण । जीर्ण । विशेष-समयसार गाथा, सामायिकपाठ वृत्ति सहित, तत्वार्थसूत्र एवं भक्तामरस्तोत्र के पाठ है । ५७२२. गुटका सं० २९ । पत्र सं० २१६ । आ. EX६ इ० । ले० काल सं०-१८६७ चैत्र सुदी १४ । पूर्ण। विशेष—५० मंत्रों एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ५७२३. गुटका सं० २३ । पत्र सं० ६७-२०६ । प्रा० ६४५ इ० । ले. काल x I अपूर्ण । १. पद- ( वह पानी मुलतान गये ) पूर्ण २. ( पद-कौन खतामेरीमैं न जानो तजि x के चले गिरनार ) ३. पद-(प्रभू तेरे दरसन की वालहारी) ४. आदित्यनारकथा xxxx , २१-१२५ ६-१२५ १७८-१७६ जिनदास ५. पद-(चलो पिय पूजन श्री वीर जिनंद ) ६. जोगीरासो ७. पम्वेन्द्रिय बेलि ८. जैनविद्रदेश की पत्रिका ठक्कुरसी मजससराय १९०-१९२ १९२-१९५ " १९१९ १९५-१६७ ग भण्डार [शास्त्रभण्डार दि. जैन मन्दिर चौधरियों का जयपुर ] ५७२४- गुटका सं०१ मा ८४५३. ले. काल पूर्ण । ० सं० १००। विशेष-निम्न पाठी का संग्रह है। खुशालचन्द हिन्दी १. पद- सांवरिया पारसनाथ मोहे तो चाकर राखो २., मुझे है चान दरसन का दिखा दोगे तो क्या होगा ३. दर्शनपाठ ४. तीन चौबीसीमाम xx x संस्कृत ५, कल्याणमन्दिरभाषा बनारसीदास मानतुङ्गावार्य पद्मप्रभवेत्र ६. भक्तामरस्तोत्र ७. लक्ष्मीस्तोत्र संस्कृत Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटकासंग्रह x हिन्दी संस्कृत हिन्दी संस्कृत xx x x x भूधरदास हिन्दी संस्कृत उमास्वामि अपूर्ण " ७०४ ] ८ देवपूजा ६. अकृत्रिम जिन चैत्यालय जयमाल १०. सिद्ध पूजा . ११. सोलहकारमपूजा १२. दशलक्षणपूजा १३. शान्सिपाठ १४. पार्श्वनाथपूजा १५. पंचमेस्पूजा १६. नन्दीश्वरपूजा १७. तत्वार्थसूत्र १८. रत्नत्रयपूजा ११. अकृत्रिम चैत्यालय जयमाल २०, निर्वाणकाण्ड भाषा २१. गुरुओं की विनती २२. जिनपच्चीसी २३. तत्वार्थसूत्र २४. पञ्चकल्याणमंगल २५. पद-जिन देख्या विन रह्यो न जन्य २६. , कीजो हो भैयन सो प्यार २७, , प्रभू यह प्ररज सुणो मेरी २८. , भयो सुख चरन देखत ही २६. , प्रभू मेरी सुनो विनती ३०. , परयो संसार को पारा जिनको बार नहीं पारा ३१. , कला दीदार प्रभू तेरा भया कर्मन समुर हेरा ३२. स्तुति ३३, नेमिनाय के दश भव ३४, पद-जेन मत परसो रे भाई भैया भगवतीदास नवलराम उमास्वामि पूर्ण संस्कृत हपचन्द किशनसिंह द्यानतराय नन्द कवि Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । [७०५ ५७२५. गुटका सं० २ । पथ सं० ३-४०३ 1 प्रा० ४३४३ ३० । अपूर्गा । वे० सं० १.१ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १. कल्याणमन्दिर भाषा बनारसीदास हिन्दी अपूर्ण ६३-६३ ६३-११५ x x अपभ्रश ११५-१२२ x अपना संस्कृत १२३-१२६ २. देवसिद्धपूजा ३. सोलहकारणपूजा ४. दशलक्षरगपूजा ५. रत्नत्रयसूजा ६. नन्दीश्वरपूजा ७. शान्तिपाठ x संस्कृत १२:-१६७ x प्राकृत १६८-१८१ १८१-१८६ x संस्कृत ८. पञ्चमंगल रूपचन्द हिन्दी १८७-२१२ संस्कृत अपूर्ण २१३-२२४ है. तत्वार्थसूत्र १०. सहस्रनामस्तोत्र ११. मक्तामरस्तोत्र मंत्र एवं हिन्दी उमास्वामि जिनसेनाचार्य २२५-२६८ पचार्थ सहित मानसुङ्गाचार्य रुस्कृत हिन्दी २६६-४०३ ५७२६. गुटका सं०३। पत्र सं० १९ । मा० १.XE इ० । विषय-संग्रह। ले० काल सं० १९७९ श्रावण सुदी १५ । पूर्व । व० सं०१०५ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। द्यानतराय १. चौबीसतीर्थनारपूजा २. प्रष्टाह्निकापूजा ३. षोडशकारणपूजा ४. दशलक्षणपूजा ५. रत्नत्रयपूजा ६. पंचमेरुपूजा ७. सिद्धक्षेत्रमा ५. दर्शन ६. पद - अरज हमारे मन Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३६ ] १०. भक्तामर स्तोत्रोत्पत्तिकथा ११ भक्तामर स्तोत्र ऋद्धिमंत्र सहित X १. भक्तामर स्तोत्र २.काकरणमन्त्र ३. बनारसीविलास ४. कवित ५. परमार्थदोहा ६ नाममाला भाषा ७. अनेकार्थनाममाला जिमविलको ६. जिन सतसई संस्कृत हिन्दी नथमल कृत हिन्दी अर्थ सहित | ५०२७. गुटका सः ४ । पत्र सं० ५५ | झा० ८४५ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल सं० १९५४ । | ० ० १०३ ॥ विशेष—जैन कवियों के हिन्दी पदों का संग्रह है। इनमें दौलतराम द्यावतराय, जोधराज, नवल, बुधजन भैय्या गागनीदास के नाम उल्लेखनीय हैं। भण्डार [ दि० जैन नया मन्दिर वैराटियों का जयपुर ] १०. गिलभाषा ११. देवपूजा १२. जेन चत १३ भवतामरभाषा ( प ) X ५७. गुटका सं० १ ५ ० ३०० ग्रा० ६५४६ इ० | ले० काल X। पूर्ण वै. सं० १४० । विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है:-- मानगाचार्य X बनारसीदास 37 रूपचन्द बनारसीदास सन्दकत्रि X X रूपदीप X धरदास X विशेष-श्री टेकमचन्द ने प्रतिलिपि की थी। संस्कृत "3 हिन्दी 19 37 १७ " 27 15 33 ג 97 ן, 53 [ गुटका संग्रह अ १-६ ६ ७- १६६ १६७ १६८-१७४ १७५ - १६० १६०-१९७ १६७ - २०६ २०७-२११ २११ - २२१ २२२-२६२ २६२-२८३ २८४ - ३०० 7 Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] १७२६. गुटका सं२। पत्र सं० २३३ । प्रा०६४६ इ० । ले. काल ४. पूर्ण । ० सं० १४१ विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। अपभ्रंश १. परमात्मप्रकाश योगीन्द्रदेव विशेष-संस्कृत गच में टीका दी हई है। ११०-१७० २. धर्माधर्मस्वरूप ३. दासीगाथा दाढसीमुनि प्राकृत ४. चलब्धिविचार १९३-१६४ अ जिनदास १६४-२६६ ५. प्रठाबीन मूलगुणरास ६. दानकथा १६७-२१५ २१५-२१७ व अजित हिन्दी २१७-२१३ ७. बारह अनुप्रेक्षा ८. हसतिल करास ६. चिद्र पभास १०. प्रादिनायकस्पारणककथा २२०-२१७ २२८-२३३ ब्रह्म ज्ञानसागर ५७३०. गुटका संदेश पत्र सं०६५ । प्रा०५३४४ इ० ले. काल सं० १९२१ पूर्ण । ० सं०१४२ ३६-६० १. जिनसहस्रनाम जिनसेनाचार्य संस्कृत २. प्रादित्यवार कथा भाषा टीका सहित मू०० सकल कीति हिन्दी भाषाकार-सुरेन्द्रकीति र० काल १७४१ ३. पचपरमेष्ठियणास्तवम ४७३१. गुटका सं.४। पत्र सं०७० प्रा० ७१x६० । लेकालxपूर्ण। ० सं० १७४३ उमास्वामि संस्कृत ५-२५ १. तस्वार्थसून २. भक्तामरभाषा हेमराज हिन्दी २६-३२ ३. जिनम्तवन दौलतराम ३२-३३ : ४. छहढाला ३४-५६ ५. भक्तामरस्तोत्र संस्कृत ६०-६७ मानतुगाकार्य देवेन्द्र पगा ६. रविवारकथा ६८-७० Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८८] [ गुटका-संग्रह ५७३२. गुटका सं०५ । पत्र मं० ३६ । ० ६६७ इ० । भाषा - हिन्दी । ले० काल X | पूर्ण वे० सं० १४४ । विशेष - पूजाओं का संग्रह है । ५७३३. गुटका सं० ६ । पत्र सं० ६-३९ । ग्रा० ६३४५६० भाषा-हिन्दी ले० काल x पूर्ण वे० सं० १४७ । विशेष पूजाओं का संग्रह है । ५७३४. गुटका सं० ७ । पत्र सं० २-३३ । आ० ६३४४३ ३० । भाषा - हिन्दी संस्कृत विषय-पूजा । ले० काल x | अपूर्णं । दे० सं० १४८ । ५७३५. गुटका सं० सं० १७०४५ | ० ६३५ इ० | भाषा - हिन्दी । ले० काल X । भपूर्ण बै० सं० १४९ विशेष – बनारसीविलास तथा कुछ संग्रह है । ५७३६ गुटका सं० ६ । पत्र सं० ३२ ॥ श्र० ६४३ ६० । ० काल० सं० १५०१ फागुण । पूर्ण । वै० सं० १४५ । विशेष – हिन्दी पदों का संग्रह है । ५७३७. गुटका सं० १० । पत्र [सं०] ४० ग्रा० ६४४३ ३० । भाषा - हिन्दी । विषय-पूजा पाठ संग्रह। ले० कान X | पूर्ण | बै० सं० १५० । ५७३८. गुटका सं० ११ । पत्र सं० २५ । श्रा० ७५ ३० | भाषा हिन्दी विषय-पूजा पाठ संग्रह ले० काल X। अपूर्ण । ३० सं० १५१ । ५७३६ गुटका सं० १२ | पत्र सं० ३४-८९ ० ६२x६३ इ० । भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा पाठ संग्रह | ले० काल x 1 अपूर्ण ० सं० १४६ | I विशेष-स्फुट पाठों का संग्रह है 1 ५७४०. गुटका सं० १३ पत्र सं० ४६ श्र० ८४६ इ० । भाषा हिन्दी विषय-पूजा पाठ संग्रह। 1 अपूर्ण । ले० काल X अपूर्ण । वे० सं० १५२ । # भण्डार [शास्त्रभण्डार दि० जैन मन्दिर संघीजी ] ५७४१. गुटका सं० १ । पत्र सं० १०७ ० ८३५३ ३० भाषा - हिन्दी संस्कृत | ले० का X विशेष पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है। * Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ५७४२. गटका संक। पत्र सं०८६ । प्रा० ६४५३. ।भापा-संस्कृत हिन्दी। ले० काल संग १८७६ वैशाख शुक्ला १० । अपूर्ण | विशेष—चि० रामसुखजी हागरसोजी के पुत्र के पठनार्थ पुजारी राधाकृष्ण ने मंढा नगर में प्रतिलिपि की थी। पूजाओं का संग्रह है। ५७४३. गुटका सं०३ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ६.४६ इ० । भाषा-प्राकृत संस्कृत | ले० काल । अपूर्ण। विशेष-भक्तिपाठ, संबोधपचासिका तथा सुभाषितावली यादि उल्लेखनीय पाठ हैं। ५७४४. गटका सं०४। पत्र सं०४-१६ । प्रा. ७X55. | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल सं० १८१८ | प्रपूर्ण। विशेष-पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है। ५७४५. गुटका सं०५ | पत्र सं० २८ । मा४६ इ० । भाषा-संस्कृत । ले० काल सं०१९०७। विशेष पूजानों का संग्रह है। ५७४६. गुटका सं०६ । पत्र सं० २७६ । आ. ६४४३१० । ले० काल सं० १६६.... माह वुदी ११ । प्रपूर्ण। विशेष-भट्टारक चन्द्रकीर्ति के शिष्य आचार्य लालचन्द के पठनार्थ प्रतिलिपि को श्री। पूजा स्तोत्रों के अतिरिक्त निम्न पाठ उल्लेखनीय है: १. पाराधनासार देवसेन प्राकृत २. संबोषपंचासिका ३. श्रुतस्कन्ध हेमचन्द्र संस्कृत ५७४७. गुटका सं०७ । पत्र सं० १०४ । भार ६६x४, इ. | भाषा-हिन्दी । ले. काल x | पूर्ण । विशेष-प्रादित्यवार कथा के साथ अन्य कयायें भी हैं। ५७४८, गुटका सं०-1 पत्र सं० ३४ । ग्रा. ४६४४ इ० । भाषा--हिन्दी काल X| अपूर्ण। विशेष-हिन्दी पदों का संग्रह है। ५४. गुटका सं०६ । पत्र सं० ७८ । मा० ७६x४ इ० | भाषा-हिन्दी । विषज-पूजा एवं स्तोत्र संसह । लेक काल x पूर्ण । जीर्ण । Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१० ] [ गुटका-संग्रह ५७५०. गुटका सं०१२ | पत्र सं० १० । आ०७:४६ इ० । ले. काल X । अपूर्ण । विशेष प्रानन्दघन एवं सुन्दरदास के पदों का संग्रह है। ५७५१. गुटका सं० ११ । पत्र सं. २० । प्रा० ६१४४१. इ० । भाषा-हिन्दी । ले. काल' । मपुरर्ग। विशेष-सूधरदास प्रादि कवियों की स्तुतियों का संग्रह है। ५७५२. गुटका सं० १२ । पत्र सं० ५० । मा० ६४४. इ० | भाषा-हिन्दी । ले० काल X | अपूणे विशेष--पञ्चमङ्गल रूपचन्द वृत्त, वधावा एवं विनतियों का संग्रह है ! ५७५३. गुटका सं० १३ । पत्र सं० ६ ० | प्रा० ८X६ इ. | भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ । पूरणं । १, धर्मबिलास टाटदाय २. जैनशतक भूधरदरा ५७५४. गुटका सं०१४ । पत्र सं० १५ से १३४ | प्रा० ६x६३ इ० । भाषा-हिन्दी | ले. काल । विशेष – चर्चा संग्रह है। ५.४४४. गुटका सं०१५ । पत्र सं० ४० । पा० ७.४५६६७ । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण विशेष---हिन्दी पदों का संग्रह है। ५७५६. गुटका सं० १६ 1 पत्र सं० ११४ । प्रा० ६x४३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल X । अपूर्ण। विशेष-पूजापाठ एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ५७४७. गुट का सं० १७ । पत्र मं० ८६ | प्रा० ६x४ इ. | भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । विशेष-गङ्ग, निहारी आदि कवियों के पद्यों का संग्रह है। ४४५८. गुटका सं० १८ । पत्र सं० १२ । प्रा० ६x६ इ. ) भाषा-संस्कृत । ले. काल X । भपूर्ण । जीरगे। विशेष-सचार्य सूत्र एवं पूजाये हैं। ५७५६. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १७३ । मा० ६४७१ ३० । भाषा-हिन्दी । लेकालX । अपूर्ण १. सिन्दूरप्रकरण बनारसीदास हिन्दी २. जम्बस्वामी चौमई मा रायमन अपूर्ण २. धर्मपरीक्षाभाषा सपूर्ण ४. समाधिमणभाषा Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संमइ । [ ७११ ५७६०. गुटका स.२० । पत्र सं०५३ । मा० ५.४६३.1 भाषा-संस्कृत हिन्दी। ले० काल | अपूर्ण। विशेष-गुमानोरामजी ने प्रतिलिपि की थी। १. बसंतराजशकुनावली संस्कृत हिन्दी २० काल सं० १५२५ सावन सुदी ५। २. नाममाला धनञ्जय संस्कृत ___५७६१. गुटका सं० २१ । पत्र सं० ५-७४ । प्रा० Ex५, इ. । ले. काल सं० १८२० अषाढ सुदी है । अपूर्ण । १. ढोलामारुणी की वार्ता २. शनिश्चरकथा ३. सन्दकुवर की वार्ता .५७६२. गुटका सं० २२१ पत्र सं. १२७० x इ० । ले० काल अपूर्य । विशेष-स्तोत्र एवं पूजामों का संग्रह हैं । ५७६३. गुटका सं० २३ । पत्र सं० ३६ । ग्राe x५, १० । पे० काल X । अपूर्ण । विशेष पूजा एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ५७६४. गुटका सं २४ । पत्र सं० १२८ । प्रा७.५६ ३० । ले० काल सं० १७७४ । अपूर्ण । जीर्ण १. यशोधरकथा सुशालचन्द काला २० काल १७७५ २. पद व स्तुति विदोष-खुशालचन्दजी ने स्वयं प्रतिलिपि की थी। ५७६५. गुटका सं० २५ । पत्र सं० ७७ । मा० ६x४३० । ले० काल X| अपूर्ण । विशेष - पूजाओं का संग्रह है। ५७६६. गुटका सं० २६ । पत्र सं० ३६ । प्रा० ६३४५३ इ० । माषा-संस्कृत । ले० काल X । अपूर्ण १. पद्मावतीसहस्रनाम संस्कृत २. द्रव्यसंग्रह प्राकृत ५७६७. गुटका सं०२७ । पत्र सं० ३३८ । मा०४६ ३० | ले. काल x अपूर्ण । १. पूजासंग्रह Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१२ ] गुटका-संग्रह २. प्रद्युम्नराम ब्रह्मरायमाम हिन्दी ३. सुदर्शनरास ४. श्रीपालरास ५. प्रादित्यवारकथा ५७६८. गुटका सं० २८ । पत्र सं० २७६ । प्रा० ७४४३ इ० । ले० काल X । पूर्ण | विशेष-गुटके में निम्न मा उल्लेखनीय है। संस्कृत १.नाममाला धनंजय २. अकलंकाष्टक अकलंकदेव ३. त्रिलोकतिलकरतोय भट्टारक महीचन्द ४. जिनसहस्रनाम माशाधर ५. योगीरासो जिनदास हिन्दी ५७६. गुटका सं० २६ । पत्र सं० २५० । मा० ७४४ ३० । ले० काल सं० १८७४ वैशान कृष्णा १। पूर्ण। १. नित्यनियमपूजासंग्रह २. धौनीस सौर्यकर पूजा रामचन्द्र ३. कर्मदहनपूजा टेकचन्द ४. पंचपरमेष्ठिपूजा र काल सं०१८६२ ले. का० सं० १६७६ स्थौजीराम भाषसां ने प्रतिलिपि की थी। ५. पंचकल्याणकपूजा x हिन्दी ६. व्यसंग्रह भाषा द्यानतराय ५७७०. गुटका सं०३०। पत्र सं० १०० प्रा० ६४५ इ० । ले. काल Xअपूर्ण । १. पूजापाठसंग्रह संस्कृत २ सिन्दूरप्रकरण बनारसीदास ३. लघुवारणक्यराजनीति चाणक्य Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुरका-संग्रह । [ ७१३ ५ नाममाला धनञ्जय संस्कृत ५७७१. गुटका स० ३१ । पत्र सं०१०-११० । प्रा० ७४५३० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल X| अपूर्ण । विशेष---पूजा पाठ संग्रह है। ५७७२. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० ६२ । प्रा० ५३४५६ इ० । ले. काल X । पूर्ण । १, करकाबत्तीसी हिन्दी २. पूजापाठं संस्कृत हिन्दी ३. विक्रमादित्य राजा की कथा ४, शनिश्मरदेव की बधा ५७७३. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० ८४ 1 प्रा० ६x४३३० । ले० काल ४ । पूर्ग । १. पाशावली (प्रबजद) २ ज्ञानोपदेशनत्तीसी . . होरेदास ३. स्यामबत्तीसी ४. पाशावली ५७७५. गुटका सं०६४ । प्रा. ५४५ इ. | पत्र सं० ८४ । ले० काल ४ ! अपूर्ण। विशेष--पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है। ७.गुटका सं०३५ | पत्र सं०६६ | प्रा. ६x४१६० । भाषा-हिन्दी ले. काल सं० १९४०॥ पूर्ण। विशेष--पूजानी का संग्रह है | बचूलाल छाबडा ने प्रतिलिपि की थी। ५७७६ गटका सं०३६। पत्र०१५ से ७६ आ० ७४५३०ले० काल अपूर्ण । • विशेष पूजामों एवं पद संग्रह है। ५७७७. गटका सं०३७ [ पत्र सं०७३ | प्रा०६४५ ३० । ले. काल X| अपूर्ण। १, जैनशतक भूधरदास २. संबोधपंचासिका द्यानतराय ३, पद-संग्रह Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१४ ] [ गुटका संग्रह ५७७८. गुटका सं० ३८ । पत्र म० २६ . | मा० ५३४३३ इ. । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल XI पूर्ण । विशेष-पूजाओं तथा स्तोत्रों का संग्रह है। ५७७E. गुटका सं० ३६ । पत्र सं. ११८ । मा० ३४६ ३०। भाषा-हिन्दी । से० काल सं. १८६१ । पूर्ण। विशेष-नानू गोधा ने गाजी के थाना में प्रतिलिपि की थी । १. गुलालपच्चीसी ब्रह्मगुलाल हिन्दी २. चंद्रहराकथा हर्षकवि र का सं. १७०८ ले. का.सं.१९११ ३. मोहविवेकमुद्ध बनारसीदास ४. प्रात्मसंबोधन द्यानतराम ५. पूजासंग्रह ६, भक्तामरस्तोत्र ( मंव सहित ) संस्कृत ले. का० सं० १९११ ७. मादित्यवार कथा हिन्दो से० का० सं० १८६१ y७८०,गटका सं.४.! पत्र सं० २। प्रा५३४४ इ० । लेक कालपुर्ण । १. नखशिजवर्णन x हिन्दी २. प्रायुर्वेडिकनुसखे ५७६ गुटका सं० ४.१ । पत्र सं० २०० । प्रा० २४४३ इ.। भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल XI पूर्ण । विशेष-ज्योतिष संबन्धी साहित्य है | ५७०२. गुटका सं०४२ । पत्र सं० १५८ | प्रा. ८४५ इ० | भाषा-संस्वत हिन्दी । विषय--पूजा पाठ । ले० काल X । अपूर्ण । .. विशेष—मनोहरलाल कृत ज्ञाननितामणि है। ५७८३. गुटका सं•४३ । पत्र सं० ८० । प्रा० ६४५ इ.। भाषा-हिन्दी । विषम-कथा व पद। ले० काल X । अपूर्ण। विशेष- शनिश्चर एवं आदित्यवार कथायें तथा पदों का संग्रह है। ५७५४. गुटका सं०४४। पत्र सं.६० । आ० ६४५ इ. | ले. काल सं०.१६५६. फागुन बुद्दी १४ । पूर्ण। विशेष-स्तोत्रसंग्रह है। Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ७१४ गुटका संमह] ५७८५. गुटका सं० ४५ । पत्र सं० १० 1 भा० Ex५३ ३० । ले. काल X । पूर्ण । १. नित्यपूजा हिन्दी संस्कृत २. पशमङ्गल ३. जिनसहस्रनाम प्राशाधर संस्कृत ५७५६. गुटका सं०४६ । पत्र सं० २४५ । प्रा. ४४३ १० | भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल x। अपूर्ण । विशेष—पूजामों तथा स्तोत्रों का संग्रह है। ५.८५ गुटका सं०४७ । पत्र सं १७६ । मा० ६x४ इ. । ले. काल सं० १८३१ भादवा बुदा । ७। पूर्ण। १. भर्तृहरिशतक भर्तृहरि संस्कृत २. वैद्यजीवन लोलिम्मराज ३. सप्तशती गोवर्द्धनाचार्य ले. काल सं० १७३१ विशेष---जयपुर में गुमानसागर ने प्रतिलिपि की थी। ५७८८. गुटका.सं०४ । पत्र सं १७२ । मा० ६४४ इ० | ले. काल X । पूर्ण । SHT २. फक्काबत्तीसी ३, बारहसडी रामचन्द्र ४. पद व विनती विशेष—अधिकतर त्रिभुवन चन्द्र के पद हैं। ५६. गुटका सं०४६ । पत्र सं० २८ । मा० x ६ इ० । माषा हिन्दी संस्कृत । ले. काल सं. १९५१ । पूर्ण । विशेष-स्तोत्रों का संग्रह है। ५७६२. गुटका सं०५०१ पत्र सं० १५५ । भा० १०२४७ ३० । ले० काल पूर्ण । विशेष-गुटके के मुख्य पाद निम्न प्रकार हैं। 1. पांतिनाथस्तोत्र मुनिभन संस्कृत २. स्वयम्भूस्तोत्रभाषा धानतराय Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६] ३. एकीभावस्तोत्र भाषा ४. सबोधपश्चासिकाभाषा ५. निर्वाणकाण्डगाथा ६. जैनशतक ७ निद्धपूजा लघुतामायिक भाषा ६. सरस्वती पूजा अपूर्ण । पू १. विहारस्तोत्र भाषा २. रथयात्रावर्णन ३. सांवलाजी के मन्दिर की रथयात्रा का वर्णन भूधरदास द्यान्तराय X भूधरदास असाधर विशेष चिमनलाल भावसाने प्रतिलिपि की थी। X X X १८१८ । अभूर्ण । कृत है। महाचन्द्र मुनिपनन्दि ५७६१ गुटका सं० ३५ । पत्र सं० १४ ० ६६४४३ ३० 1 ले० काल सं० १६१७ चैत्र सुदी १० विशेष- यह था ० १९२० फागु ५७६२. गुटका सं० ५२ । पत्र सं० १३२ बुदी ८ मंगलवार को हुई थी। हिन्दी 13 प्राकृत हिन्दी संस्कृत 33 29 हिन्दी 25 [ गुटका संग्रह 33 ० ६५५३ इ० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल सं विशेष - पूजा स्तोत्र व पद संग्रह है । ५७६२. गुटका सं० ५ । पत्र सं ०७० आ० १०९७ ३० भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल विशेष-पूजा पाठ संग्रह है । ५७६४, गुटका सं० ५४००० १९५३ ६०१ भाषा - हिन्दी । ० काल सं० १७४४ आसोज सुदी १० पू 1 जीर्ण शीर्ण । विशेष- नमिनाज रासो ( ब्रह्मरायमल ) एवं अन्य सामान्य पाठ हैं । ५७६५. गुटका सं० ५५ पत्र सं० ७ १२८ श्र० ९५३ इ० १ ० काल ४ । धनु । विशेष - गुटके में मुख्यतः समयसार नाटक ( बनारसीदास ) तथा धर्मपरीक्षा भाषा ( मनोहरलाल ) Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ७१७ ५७६६. गुटका सं०५६ । पत्र सं० ७६ । प्रा० ६४४३ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी | ले. काल सं० १८१५ वैशाख बुदी ८ । पूर्ण | जीर्ण । विशेष---कंबर वस्तराम के पठनार्थ पं० माशाराम ने प्रतिलिपि की थी। १. नीतिशास्त्र चाणक्य संस्कृत २. नवरत्नकदित्त हिन्दी ५७६७. गुटका सं० ५७ । पत्र सं० २१७ : प्रा० ६१४५३ इ० । ले० काल ४ । अपूर्ण । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है । ५७६. गुटका सं०५८ । पत्र सं० ११२ । प्रा० ६२x६ इ० ] भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल x। ममूर्ण। विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५४६६. गुटका सं०५६ | पत्र सं० ६० प्रा०५४८ इ० ) भाषा-प्राकृत-संस्कृत | लेकालx पूर्ण विशेष-लघु प्रतिक्रमण तथा पूजामों का संग्रह है। ५८००. गुटका सं०६ । पत्र सं० ३४४ । प्रा० ६x६३ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल ४ | अपूर्ण विशेष--ब्रह्मरायमल्ल कृत थोपालरास एवं हनुमतरास तथा अन्य पाठ भी हैं। ५८०१. गटका सं०६१ । पत्र सं० ७२ । प्रा ६४३० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । लेकाल XI पूर्ग। जीर्स। विशेष-हिन्दी पदों का संग्रह है । पुट्ठों वे दोनों मोर गणेवाजी एवं हनुमानजी के कलापूर्ण चित्र हैं। ५८०२. गुटका सं०६२। पत्र सं० १२१ । प्रा० ६x४ इ० | भाषा-हिन्दो । ले० काल ४ | अपूर्ण । ५८८३. गुटका सं०६३। पत्र सं० ७-४६ | प्रा० ६:४६ इ० | भाषा-हिन्दी । ले० काल । अपूर्ण। ५८०४. गुट का सं०६४ । पत्र सं० २० । ग्रा० ७X५ इ० | भाषा-हिन्दी । ले. काल X । प्रपूर्ण । ५८०५. गुटका सं०६५ । पत्र सं०६० | प्रा० ३३४३ इ.1 भाषा-हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । विशेष-पदों का संग्रह है। ५८०६. गुटका सं०६६। पत्र सं० ८ । प्रा० ८x४३ छ । भाषा-हिन्दी। लेकाल X| अपूर्ण । विशेष-प्रवचनसार भाषा है। M Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ '७१८ ] ... [ गुटका-संग्रह च भण्डार [ दि. जैन मन्दिर छोटे दीवानजी जयपुर ] ५८५७. गुटका सं०१ । पत्र सं० १६२ । प्रा० ६३४४३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल सं० १७५२ पौष । पूर्ण । वे० सं० ७४७ | विशेष-प्रारम्भ में प्रायुर्वेद के नुसखे है तथा फिर सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ५८०८. गुटका सं०२। संग्रहकर्ता पं० फतेह्नन्द नागौर | पत्र सं० २४८ | प्रा. ४४३ ३० | भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल XI पूर्ण | वे० सं० ७४८ । विशेष-ताराचन्दजी के पुत्र सेवारामजी पाटणी के पठनार्थ लिखा गया था-- हिन्दी १. नित्यनियम के दोहे २. पूजन व नित्य पाठ संग्रह ३. शुभशीख ४. ज्ञानपदवी ५. चत्पवंदना " संस्कृत हिन्दी ले. काल सं० १८५७ ले० काल सं० १८५६ १०८ शिक्षायें हैं। x मनोहरदास x संस्कृत x ६. चन्द्रगुप्त के १६ स्वप्न ७. आदित्यवार की कया x ८. नवकार मंत्र पर्चा x x x ६. कर्म प्रकृति का ब्यौरा १०. लघुसामायिक ११. पाशावली १२. जैन बद्रीदेश की पत्री x ले० काल सं १९६६ x ५८०४. गुटका सं०३ । पत्र सं० ५७ । प्रा० ६४४३३० । भाषा-संस्कृत हिन्दी। विषय-पूजा स्तोत्र | ले० फाल XI पूर्ण । वे० सं० ७४६ | ५८१८. गुटका सं०४ । पत्र सं० २०६ | प्रा० ५४५१३. | भाएर हिन्दी । विषय-पद भजन । से० फाला पूर्ण । वे० सं० ७५० । ५८११. गुटका सं५ । पत्र सं १२५ | प्रा. kax५६ इ.। भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल x। पूर्ण । वे० सं० ७५.१ । Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तुका-संग्रह ] [ ७१६ विशेष सामान्य पूजा पाठ संग्रह है : ५८१२. गुटका सं० ६ । पत्र सं० १५१ । प्रा० ६३४५३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय--पूजा पाठ । ने. काल XI पूर्ण । वै० सं०७५२ । विशेष-प्रारम्भ में आयुर्वेदिक नुसखे भो है। ५८१३. गुटका सं०७i पा० ६४६, इ० भाषा-हिन्दी संस्कृत | विषय-पूजापाठ । ले. काल । पूर्ण । ये० सं०७५३ । ५८१.१. गुटका सं०८ | पव मं० १३७ । प्रा० ७३४५३ इ० । भाषा हिन्दी संस्कृत । विषम-पूजा पाठ । ले. काल X । अपूर्ण | वे० सं० ७५४ ! ५८१५. गुटका सं०६ । पत्र सं. ७२ । प्रा० ७२४५३ इ. | भाष|-हिन्दी संस्कृत | विषय-पूजा पाठ । ले. काल ४ । पूर्ण वे० सं . ७५५ । ५८१६. गुटका सं० १० । पत्र सं ३५७ । प्रा० ६४५ इ० । भाषा-हिन्दो संस्कृत । विषय-पूजा पाठ । ले. काल ४। अपूर्ण । ३० सं० ७५६ । ५८१७. गुट का सं० ११ । पत्र सं० १२८ । प्रा०६६४५१ २० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषयपूगा पाठ । ले० काल X । पूर्ण वे० सं० ७५७ । ५८१८. गुटका सं० १२ । पत्र सं० १४६-०१२ । प्रा० ६x४ इ० । भाषा संस्कृत हिन्दी । ले. काल | प्रपूर्ण । ० सं०७५८ ।। विशेष-निम्नपाठों का संग्रह है १. दर्शनपच्चीसी x २. पवास्तिकायभाषा ३. मोक्षपंडी बनारसीदास ४. पंचमेरुजयमाल ५. साधुवंदना बनारसीदास भूधरदास ६. जखडी ७. गुणमञ्जरी ८. लघुमंगल ६. लक्ष्मोस्तोत्र रूपचन्द पश्चप्रभदेव Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२० ] १०. अकुत्रिम चैत्यालय जयमाल ११ बाईस परिषह १२. निर्वाण्ड भाषा १३. बारह भारना १४. एकीभावस्तोत्र १५. मंगल १६. पचमंगल १७. भक्तामर स्तोत्र भाषा १८. स्वर्गमुख वर्णन १६. कुदेवस्वरूप वर्णन २०. समयसारनाटक भाषा भैमा भगवतीदास भूधरदास भैया भगवतीदास "9 भूवरदास विनोदीलाल रूपचन्द नथमल X X बनारसीदास X नादिराज समंतभद्राचार्य श्राशाधर समंतभद्राचार्य "3 चन्द " 13 35 " 31 " 11 "1 =1 ני 33 संस्कृत 33 २१. दशलक्षण पूजा २२. एकीभावस्तो २३. स्वयंभू स्तोत्र २४. जितसहस्रनाम २५. देवागमस्तोत्र २६. चतुर्विंशतितीर्थङ्कर स्तुति हिन्दी २७. चौबीसठाणा नेमिचन्द्राचार्य प्राकृत २८. कर्म प्रकृति भाषा X हिन्दी ५८१६, गुटका सं० १३ | पत्र ० ५३ | ० ६६x४३ ३० । भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल पूर्ण । ० सं० ७५६ । विशेष पूजा पाठ के अतिरिक्त लघु चाणक्य राजनीति भी है । ५६२० गुटका सं० १४ । पत्र लं० X १ ० १०४६३६० | भाषा - हिन्दी । ले० काल X। अपूर्ण वे० सं० ७६० । विशेष - पश्चास्तिकाय भाषा टीका सहित है । " [ गुटका-संग्रह र० सं० १०४५ 1" २० सं० १७३६ २० सं० १७४४ ले० सं० १८६१ २१. गुटका ० १५ । पत्र सं० ३--१६४ । प्रा० ६२४५३ ३० | भाषा - हिन्दी संस्कृत | विषय - पूजा पाठ । ले० काल x 1 अपूर्ण । ० सं० ७६१ । Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ७२१ ५८२२. गुटका स० १६ पत्र सं० १२७ पा० ६६x४ ६० भाषा-हिन्दी संस्कृत विषय-पूजा पाठ | से० काल X अपूर्ण २० सं० ७६२ । ५८२३. गुटका सं० १७ पत्र ०७-२३० ० ६७३६० भाषा हिन्दी मे० काल सं० १७६२० ७६२ विशेष-यह गुटका बसवा निवासी पं० दौलतरामजी ने स्वयं के पढ़ने के लिए पारमराम ब्राह्माण मे निवाया था। १. नाटकसमयसार २. बनारसीविलास बनारसीदास ४. तोर्थङ्करो के ६२ स्थान X ४. खंडेलवालों की उत्पत्ति और उनके ८४ गोत्र X पाठ । से० काल X | प्रपूर्ण वे० सं० ७६४ | 1 H हिन्दी काल X | मपूर्ण । वे० सं० ७६८ । " ५६२४ गुटका सं १८ पत्र सं०५-३१५० १६६६० भाषा - हिन्दी संस्कृत विषय-पूजा 33 विशेष - हिन्दी पदों का संग्रह है । अपूर्ण १-५१ ८२-१०३ ११४-२२० २२५-२३० २६२५. गुटका सं० १६ पत्र ० ४० ० ६६० भाषा - हिन्दी संस्कृत विषय स्तोत्र ले० काल x पूर्ण वे० सं० ७६५ । विशेष सामान्य स्तोत्रों का संग्रह है। ५६२६. गुटका सं० २० । पत्र सं० १६१ ० १ ३० भाषा हिन्दी संस्कृत विषयमा स्तोत्र | से० काल x पू० सं० ७६६ । + ५८२७ गुटका सं० २१ पत्र [सं०] १२०० ६३१० भाषा-विषय-पूजा पाठ ० काल X। पूर्ण ० सं० ७६७ । विशेष-गुटका पानी में भीगा हुआ है । ५२. गुटका सं० २२ प ० ४६ प्रा० ७५३ ३० भाषा हिन्दी विषय-पद संग्रह | ले० 1 Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२ ] [ गुटकासंग्रह छ भण्डार [ दि. जैन मन्दिर गोधों का जयपुर ] ५८२३. गुटका सं०१. पत्र सं० १७०मा० ५४५ इ. भाषा हिन्दो संस्कृत | ले. काल x। मपूर्ण । वे० सं० २३२। बिशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। बीच के अधिकांश पत्र गले एवं फटे हुए हैं। मुख्य पाठों का संग्रह निम्न प्रकार है। ६५पद है। १. नेमीश्वरसस २ नेमीश्वर की बेलि मुनिरतनकीति मनकुरसी ८८-१५ ३. पंचेन्द्रियजेलि १६-१०१ जिनदास ४. चौबीसतीर्थंकररास १. विवेकजकडी ६. मेघकुमारगीत ७. टंडाणागीत ८. बारहानुप्रेक्षा १०१-१०३ १२६-१३३ १४-१५१ १५१-१५३ १५३-१६. ले० काल सं० १९६२ जेठ दो १२ कविबूचा प्रवधू गुरगभद्रस्वामी संस्कृत ६. शान्तिनाथस्तोत्र १०. नेमीश्वर का हिंडोलना मुनिरतन कीर्ति हिन्दी ५५३० गुटका सं०२। पत्र सं० २२ । मा० ६x६ इ. 1 भाषा-हिन्दी । विषय-संग्रह | ले. काल X। पूर्ण | वे० सं० २३२ । १. नेमिनाथमंगल सालचन्द हिन्दी र. काल १७४४ १-११ २. राजुलपच्चीसी १२-२२ ५८३१. गुटका सं०३ । पत्र सं० ४-५४ : मा० ६x६ इ. । भाषा-हिन्दी । ले. काल । मपूर्ण । व० सं० २३३। १. प्रद्युम्नरास कृष्णराय ४-२७ २. आदिनाथविनती कनककोति ३. बीस सीकरों की जपमाल ३२-२९ हर्षकीर्ति Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाऊ गुटका-संग्रह ] [ ४२३ ४. चन्द्रगुप्त के सोहलस्वप्न हिन्दी इनके अतिरिक्त विनती संग्रह है किन्तु पूर्णतः अशुद्ध है। ५८३२. गुटका सं०४। पत्र सं० ७४ । आ. ६३४६३० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेस काल x। मपूर्ण । ३० सं० २३४। विशेष-मायुर्वेदिक नुसखों का संग्रह है। ५८३३. गुटका सं०४ । पत्र सं० ३०-७५ । प्रा० ७४६ इ. । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल सं० १७६१ माह सुदी ५ । अपूर्ण । वे० सं० २३४ । १. मादित्यवार कपा हिन्दी अपूर्ण ३.-१२ २. सप्तव्यसनकवित्त ३. पार्थ नाथस्तुति बनारसीदास ४, अठारहनाते का चौढाला लोहट ५८३४. गुटका सं०६। पत्र सं० २-४२ । प्रा. ६x६ इ० । भाषा-हिन्दी | विषय-कथा । ले० काल x अपूर्ण । वे० सं० २३४ । विशेष-शानश्वरजी की कथा है। ५८३५. गुटका सं०७१ पत्र सं० १२-६५ । मा० १.३४५३३० । ले. काल X| मपूर्ण । ३० सं० २३५ । १. चाणक्यनीति पारणक्य संस्कृत अपूर्ण हिन्दी हिन्दी प्रपूर्ण २. साखी शबीर ३. ऋद्धिमन्त्र संस्कृत १९-२१ ४. प्रतिष्ठाविधान की सामग्री एवं प्रतों का चित्र सहित वर्णन ५८३६. गुटका सं०८ । पत्र सं० २-१६ | प्रा० ६४५.। लेकाल x। मपूर्ण । वे० सं० २९७ । १. वलभद्रगीत x २. जोगीरासा पोडे जिनदास ३. कक्कानसीसी ४, मनराम १४-१५ ५. पद - साधो छोडो कुमति अकेली विनोदीलाल ६. , रे जीव जगत सुम्मों जान श्रील Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२४ ] भरत ग्रूप घरही में वरागी " ८. लुहरो हो सुन जीव अरज हमारी या १. परमार १०. पक्ष भबि रिवदि से चन्द्रस्वामी ११. जीव शिव देश ले पधारो १२. जीव मेरे जिरगवर नाम मजो १३. योगी या तुइ देश १४. परहंत गुण गायो भावी मन भावी ७. " " 31 23 १५. १ १६. परमानन्दस्तोष १७. पदटपटादि नेननि गोबर जी नाटिक पुद्दल कैरो जिय तें नरभव योंही सोयी मंत्रियों का पवित्र भ १५. १९. २०. बनी बन्यो है मात्र हेली नेमौसुर जिन देखीयो २१. नमो नमो जे श्री परिहंत 13 २२. माधुरी जिनवानी सुन हे माधुरी ॐ २२. सिव देवी माता को भाठयों २४. पद "3 37 " २५. " २६. गिर देखत दालिद्र माज्या 39 हलदी चौडी तेल चोपी सपन कुमारि का जे जदि साहरिण ल्यायो नोली घोड़ीया "2 २७. २८. सभ्य पद २१८ । कनरुकीति सभावन्द X रूपचन्द सुन्दर X X श्रजयराज X कुमुदचन्द्र मनराम मनराम उ लगतराम " 我 मुनि शुभचन्द्र "" " 33 "2 72 12 13 " 29 33 39 "" संस्कृत हिन्दी 93 13 33 "9 ני 35 " [ गुटका संग्रह २०-२१ २१-२२ २२-२३ २७ २८ २१ २६ २६-३१ ३१ ३२-३५ ३६ ३२ ४० ४१ ४२-४४ ४४-४६ ४६-४८ ४८-४९ ४१-५१ ५१-५३ ५३-५६ ५५३७. गुटका सं० ३ पत्र मं० ६ १२९ ० ६२४३५० से० काल X पूर्ण वे० सं० ने Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] २६६ । १. जिनपणी २. संबोधपंचासिका २० मं० १००। [ ७२५ गुटका सं० १० पत्र सं० ४ भा० ६ ३० विषय संग्रह ले० काल X वै० सं० विशेष vide ० कस X ० सं० २०१ २६. गुटका सं० ११० १०-६०० ५२४४३६० भाषाका नवल थानतराय ने० काल X पूर्ण ० ० ३०२ । पूजाओं का संग्रह है। ५४० गुटका सं० ११ पत्र सं० ११५ ० ६६६६० भाषा-संस्कृत विषय-पूजा स्तोष ० सं० X अपूर्ण ० सं० २०३ हिन्दी "" ५८४१. गुटका सं० १२० १३००० भाषा-संस्कृत विषय-पूजास्तोत्र ४२. गुफा सं० १३ ०६-१७ ०६६० भाषा हिंदी व १-२ २-४ ५८४३. गुटका सं० १४ प सं० २०१० ११५५ ६० ले० काल x पूर्गा ३० स० २०४ विशेष पूजा स्तोत्र संग्रह है। । संस्कृत हिन्दी ך, ५८४४. गुटका सं० १५ पत्र सं० ७७ | मा० १०४९ ६० भाषा-हिन्दी विषय कथा मे० कान 1 I ० १६०३ सावन सुदी ७ । पूर्ण । वे० सं० ३०५ । विशेष- इखलाक मह सनोन पुस्तक को हिन्दी भाषा में लिखा गया है। मूल पुस्तक फारसी भाषा में है । छोटी र कहानियां हैं । ५८४५. गुटका सं० १६ पत्र [सं० १२६ मा० ६४ ६०० काल X अपूर्ण २० सं० २०६ विशेष- रामचन्द ( कवि बालक ) कृत सीता परित्र है । 1 २०४६. गुटका सं० १७ पत्र ०३-२६ पा० ४x२३० भाषा-संस्कृत हिन्दी ले० काल X! प्रपूर्ण वे० [सं० ४०७ । १. देवपूजा २. भजी का रामो ३. नेमिनाथ राहुल का बारहमासा पूर्ण १०-२१ २१-६६ Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ४८४७ गुटका सं०१३ । पत्र सं० १६० । प्रा० ८३४६३० । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं ३०८ विशेष -पत्र सं०१ ले ३८ तक सामान्य पाठों का सग्रह है। १. सुन्दर शृङ्गार कविराजसुन्दर ३७४ पा है ३६-६० २. विहारोसतसई टीका सहित अपूर्ण ८१-१५ ७४ पद्यों की ही टीका है। ३. बखत विलास ४. वृहत्वंटाकर्णकल्प कवि भोगीलाल १०४-६६० विशेष-प्रारम्भ के 5 पत्र नहीं हैं आगे के पत्र भी नहीं है । इति श्री कछवाह कुल भवमनरकासो राउराजा बख्तावरसिंह मानन्द कृते कवि भोगीलाल विरचिते वखत विलाल विभाव वर्णनो नाम तृतीय विलासः । पत्र ५-५६ नायक नायिका बर्णन । इति श्री कछवाहा कुलभूपननस्कासी राउराजा वक्तावर सिंह मानन्द कुते भोगीलाल कवि विरचिते वखतबिलासनायकवर्णनं नामाष्टको बिलासः । ५४८, गुटका सं० १६ । पत्र सं० ५४ । मा० ८x६ इ० | भाषा-हिन्दी । ले. काल X 1 पूर्ण । वे० सं० ३०१। विशेष -खुशालचन्द कृत धन्यकुमार चरित है पत्र जीर्ण है किन्तु नवीन है । Y८४६. गुदका सं०२०। पत्र सं० २१ । प्रा०६x६ इ. । भाषा-हिन्दी। ले० काल पूर्ण। वे०सं० ३१.। १. ऋषिमंडलपूजा सदासुख हिन्दी २. अकारनाचार्यादि मुनियों की पूजा ३. प्रतिष्ठानामावलि २१ ५८५०. गुटका सं० २० (क) । पत्र सं० १०२ । प्रा० ६x६६० । भाषा-हिन्दी । ने. काल XI पूर्ण । वे० सं० ३११ । ५८५१. गुटका सं० २१ । पत्र सं० २८ | प्रा. ८६x६६ ३० । ले० कास सं. १९३७ प्रावण बुदी ६। पूर्ण । वे० स० ३१३ । विशेष-मंडलाचार्य केशवसेन कृष्णसेन विरचित रोहिणी व्रत पूजा है। Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ J [ ७२७ ५८५२. गुटका सं० २२ । पत्र सं० १६ । मा० ११८३ इ० | ले० काल x | पूर्ण | ० सं० २१४ । वज्रदन्तवक्रवत्ति का बारहमासा X हिन्दी € गुटका संग्रह . २. सीताजी का वारहमासा ३. मुनिराज का बारहमासा ६-१२ १३-१६ १६५३. गुटका सं० २३ | पत्र सं० २३ । ० =३x६ ६० । भाषा - हिन्दी गद्य विषम-कथा | ले० काल x । पूर्ण ० सं० ३१५१ सं० ३१६ x पूर्ण । वे० सं० ३१७ | x विशेष—टके में मष्टाकाव्रतकथा दी हुई है । ५८५४. गुटका सं० २४ । पत्र सं० १५०८३४६ ३० | भाषा - हिन्दी विषय-पूजा ले काल सं० १९८३ पौष बुदी १ पूर्णा । वे० सं० ३१६ विशेष—टके में ऋषिमंडलपूजा, प्रनन्तवतपूजा, चौवीसतीर्थंकर पूजादि पाठों का संग्रह है। X " ५०२५२५६ ३० | भाषा-संस्कृत विषय पूजा ! से० फाल I १. धर्मवाह २. वंदनाजखडी ३. सम्मेदशिखर पूजा विशेष – अनन्तवतपूजा तथा श्रुतज्ञानपूजा है। ५८५६. गुटका सं० २६ । पत्र सं० ५६ | मा० ७४६ ६० । भाषा - हिन्दी विषय-पूजा । ले० काल सं० १९२१ माघ बुदी १२ । पूर्ण ० सं० ३१८ । विशेष—- रामचन्द्रकृत चौबीस तीर्थंकर पूजा है। ५६५७ गुटका सं० २७ पत्र सं० ५३ । प्रा० ६५ ६० से० काल सं० १६५४ । पूर्ण । २० विशेष- गुटके में निम्न रचनायें उल्लेखनीय हैं। हिन्दी X २ बिहारीदास १-४ गंगावास संस्कृत ५-२० ५६१६ गुटका सं० २८ । पत्र सं० १६ । प्रा० ५६ ६० | ले० काम X | पूर्ण । वे० सं० ३२० ॥ विशेष -- तत्वार्थ सूत्र उमास्वामि कृत है । 券 ५८४६. गुटका सं० २६ । एत्र सं० १७६ | श्र० ex६ ६० | ले० काल X। पूर्ण । ० सं० ३२१ । विशेष- विहारीदास कृत सतसई है । दोहा सं० ७०७ है। हिन्दी गद्य पद्य दोनों में ही अर्थ है टीकाकाल सं०] १७८५ । टीकाकार कवि कृष्णवास हैं। यदि मन्तभाग निम्न है: Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह प्रारम्भ:-- अथ विहारी सतसई टीका कवित्त बंध लिख्यते: मेरी भत्र वाचा हरी, राधा नागरी सोड। जातन को माई पर, स्याम हरित दुति होइ। टीका-यह मंगलाचरन है तहां श्री राधा जू की स्तुति ग्रथ कर्ता कवि करसु है । सहां राधा और इंट यांत जा तन को झांई पर स्याम हरित दुति होइ या पद में श्री वृषभान सुता को प्रतीति हुईकवित्त जाकीप्रभा प्रबलोकत्त ही तिह लोक की मुन्दरता महि वारि । कृष्ण कह सरसो रहे नैननि की नामु यहा सुद मंगल कार) । जातन की झलक झलके हरित शु ति स्याम की होत निहारी । श्री वृषभान कुमारि कृपा के सुराधा हरी भव वाधा हमारी 11 १ ।। मन्तिम पाठ- माथुर विप्र ककोर कुल लाह्यौ कृष्ण कवि नाउ। सेवकु हाँ सब कविनु को वसतु मधुपुरी गाँउ ॥ २४ ।। राजा मल्ल कवि कृष्ण पर दरधौ कृपा के ढार । भांति भांति विपदा हरी दीनी दरवि प्रशार ।। २५॥ एक दिना कदि सौ मुरति कही कही कों जात । दोहा दोहा प्रत्ति की कवित बुद्धि प्रवदात ॥ २६ ॥ पहले हूँ मेरे यह हिय में हुतो विचारू । करो नाइका भेव को ग्रंथ बुद्धि अनुसार ।। २७ ।। जे कीने पूरव कवितु सरस न थ सुखदाइ । तिनहिं छोडि मेरे कवित्त को पति है मनुलाइ ।। २८ ।। जानिय हैं अपने हिये कियो न गय प्रकास । नृप को प्राइस पाइके हिय में भये हुलास ।। २६ ॥ करे सात से दोहरा सु कवि विहारीदास । सब कोऊ तिनको पढे गुने सुने सपिलाल ॥ ३० ॥ बड़ो भरोसों जानि मै गयो पासरो माइ। माते इन दोहानु संग दीने कवित लगाः ॥ ३१ ।। Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संह ] [ ७२६ उक्ति जुक्ति योहानु की अक्षर जोरि नवीन । कर सातसौ मति में सीने मकल लीन १२!! मै अंत ही दोन्यौ करी कवि कुल सरल सुझाद । मूल चूक कछु होइ सो लीजो समझि वनाद॥३३॥ सत्रह सतसे प्रागरे असो यरस रविवार । कातिक बदि चोथि भये कवित सकल रससार ॥ ३४ ॥ इति श्री विहारीसतसई के दोहा टोका सहित संपूर्ण । सतसे ग्रंथ लिस्पी श्री राधा श्री राजा साहिबजी श्रीराजामल्लजी को । लेखक खेमराज श्री वास्तव वासी मौजे अंजनगीई के प्रगनै पछोर के । मिती माह सुदी ७ बुद्धवार संवत् १७६ • मुकाम प्रवेस जयपुर । ५८६०. गुटफा सं० ३० । पत्र सं० १६८ | प्रा. ८४६ ३० 1 ले. काल X । अपूर्ण वै० सं० ३५२ । १. तत्वार्थसूत्रभाषा कनककोति हिन्दी ग. २. शालिभद्रचोपई जिनसिंह सूरि के शिष्य भतिसागर , ५० २० काल १६७८ , ले. काल सं० १७४३ भादवा सुदी ४। प्रजमेर प्रतिलिपि हई थी। मपूर्स ३. स्फुट पाठ x ___५८६१. गुटका सं० ३१ ! पत्र सं. ६० । प्रा० ७४५ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दौ । विषय-पूजा । से. काल ४ । भपूर्ण । वे० सं० ३२३ । विशेष पूजामों का संग्रह है। ५८६२. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० १७४ | श्रा० ६x६ इ० । भाषा-हिन्दी । विषय पूजा पाठ । ले. काल X । पूर्ण | वे० सं० ३२४ । विशेष—पूजा पाठ संग्रह है । तथा कम हिन्दी पद नैन (सुखममनानन्य) के है। ५८६३. गुटका सं० ३३ | पत्र सं०७५ । मा० Ex६ इ.। भाषा-हिन्दी । ले० काप्त X । पूर्ण। वे. सं० ३२५। विशेष–रामचन्द्र कृत चविशतिजिनपूजा है। ५८६४. गुटका सं०३४ । पत्र सं०८६ | प्रा. १x६ इ. | विषय-पूजा। ले. काल सं० १८६१ श्रावण सुदी ११ । वे० सं० ३२६ । विशेष-चौवीस तीर्थंकर पूजा ( रामचन्द्र ) एवं स्तोत्र संग्रह है। हिण्डौन के जती रामचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका संग्रह ५८६५. गुटका सं० ३५ । पत्र सं० १७ । सा. ६xv इ० । भाषा हिन्दी । ले० काल । पूर्ण । वे०सं० ३२७॥ विशेष—पावागरि सोनागिर पूजा है । ५८३६. गुटका सं. ३६ । पत्र सं०७ ! पा० ८४५३ इ० । भाषा-संस्कृत | विषय पूजा पाठ एवं ज्योतिषपाठ । ले० काल x अपूर्ण । वे० सं० ३२८ । १. वृहतषोडशकारण पूजा संस्कृत २. चाणक्यनीति शास्त्र चाणक्य ३ शालिहोत्र संम्वृत अपूर्व ५८६७. गुटका सं०३७ । पत्र ३० । प्रा. ७४६ इ. | भाषा-संस्कृत । ले. वालमपूर्ण । वै. सं. ३२६ । ५२६. गुटका सं०५८ | पत्र सं. २ मा० ५.३ | भाषा-संस्कृत । ले० कासXI पूर्ण । ० सं० ३३० । विशेष पूजामों का संग्रह है । इसी में प्रकाशित पुस्तकें भी बन्धी हुई हैं । ५८६६, गुटका सं०३६ । पत्र सं० ४४ । प्रा० ६४४ ३० । भाषा-संस्कृत । ले. काल x 1 पूर्ण । दे० सं० ३३१ । विशेष-देवसिद्धाजा प्रादि दी हुई हैं। ५८७८. गुटका सं०४८ । पत्र सं० २० प्रा० ४४५ : इ० | भाषा-हिन्दी । विषय प्रायुर्वेद । ले. काल ४ । अपूर्ण । वे० सं० ३३२ । विशेष-आयुर्वेद के नुसने दिये हुये हैं पहार्यो के गुणों का वर्णन भी है । ५७१. गुटका सं०४५ । पत्र सं०७१ । प्रा० ७४५: इ० | भाषा-संस्कृत हिन्दो। ले. काल | पूर्ण । वे० सं० ३३३॥ विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। ५८७२. गुटका सं. ४२ । पत्र सं०८६ | मा० ७४५२१० ! भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल सं. १८४६ । अपूर्ण । ३० सं० ३३४ । विशेष-विदेह क्षेत्र के बीस तीर्थंकरों की पूजा एवं नढाई द्वीप पूजा का संग्रह है। दोनों ही अपूर्ण हैं | जौहरी काला ने प्रतिलिपि की थी। Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह --- -- - -. . ५८७३. गुटका सं० ४३ 1 पत्र सं० २८ । आ० ८३४७ ई० । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा | ले. काल X1 पूर्ण 1 वे० सं० ३३५ । ५८७४. गुटका खं० ४४ । पत्र सं० ५८ । मा० ६४५ ६० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ने० काल ४। पूर्ण । ५० सं० ३३५ । विशेष-हिन्दी पद एवं पूजा संग्रह है। ५८७१. गुदका सं० ४५ । पत्र सं० १० । प्रा० ३४३३ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी। विषय -पूजा पाठ । ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० ३३७ । विशेष-देवपूजा, सिद्धपूजा, तत्वार्थसूत्र, कल्पाणमन्दिरस्तोत्र, स्वयंभूस्तोत्र, दहालक्षण, सोलइकारण मादि का संग्रह है। ५८७६. गुटका सं० ४६ । पत्र सं० ५५ । प्रा० EX५ इ. । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय- पूजा पाठ ले. कास X| अपूर्ण । वे० सं० ३३८ । विशेष-तत्वार्थसूत्र, हबनविधि, सिद्धपूजा, पार्श्वपूजा, सोलहकारण दशलक्षण पूजाए हैं। ५८७७, गुटका सं० ४७ । पत्र सं० ६६ | प्रा. ७४५ ३० | भाषा हिन्दी। विषय-कथा । ले० काल X । पूर्ण । थे. सं० ३३६ । १. जेष्ठजिनवरकथा खुमालचन्द २० काल सं. १७६२ जेठ सुदी ६ २. मादित्यवतकथा ३. सप्तपरमस्थान १९-२६ २६-३० ४ मुकुटसप्तमीश्रतकथा ५ दशलक्षणव्रतकथा ३०-३४ ६ पुष्पावलिब्रतकथा ३४-Y ७. रक्षाविधानकथा ८. उमेश्वरस्तोत्र ५८७८ गुटका सं०४८। पत्र सं० १२८ । मा० ६४५३० । भाषा-हिन्दो | विषय-अध्यात्म । २० काल सं० १६६३ । ले. काल X । अपूर्ण । बै० सं० ३४० । विशेष----बनारसीदास कृत समयसार नाटक है। Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३२ ] { गुटका-संग्रह ५८७६. गुटका मं०४६ । पत्र सं० ४६ । प्रा० ५४५ ३० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल । पूर्ण में. ३४१। विशेष-गुटके के मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं १. जैनातक भूधरदास हिन्दी २. ऋषिमण्डलस्तोत्र गौतमस्वामी संस्कृत ३. जीसी नन्दराम , ले०कान १८८८ ३४-४२ ५८८०. गुटका सं०५० । पत्र सं० २५४ । प्रा० ५४५ इ० 1 भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषम-पूजा पाठ ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ३४२ ५८८१, गुटका स०५१ । पत्र सं० १६३ । मा० ७१४४१ इ.। भाषा-हिन्द संस्कृत । ले. पाल सं० १८८२ । पूर्ण । वे० सं० ३४३ | विशेष-गुटके के निम्न पाठ मुख्यतः उल्लेखनीय हैं। १. नवग्रहभितपाईस्तोत्र १-२ २. जीविचार मा० नेमिचन्द्र ३. नवतत्वप्रकरण ४. चौबीसदण्डविचार १५-६८ ५. तेईस बोल विबरण ६६-६५ ३-८ xxx विशेष दाता की कसोटी दुरभिछ परे जान जाद। सूर की कसौटी दोई धनी जुरे रन में। मित्र की कसौटी मामलो प्रगट होय । हीरा की कसौटी है जौहरी के धन में ।। कुल को कसौटी मादर सनमान बानि । सोने की कसौटी सराफन के जतन में ।। कहै जिननाम जैसी बस्त तैसी कीमति सौ। साधु की कसौटी है दुष्टन के बीच में ॥ १. विनती समयसुन्दर हिन्दी Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ७३३ २. द्रव्यसंग्रहभाषा हेमराज ११७-१४१ र०काल सं० १७३१ माघ सुदी १०। ले० काल सं० १९७६ फाल्गुन सुदी। ३. गोविदाष्टक शङ्कराचार्य हिन्दी १४४-१४५ ४. पार्श्वनाथस्तोत्र , ले० काल १८८१ १४६-१४७ ५. कृपणापचीसी विनोदीलाल " ", १८६२ १४७ -१५४ ६. तेरापन्य बीसपन्य भेद ५८८२. गुटका सं०५२ । पत्र सं० ३५ । प्रा० ७:४४ ६० | भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८९ कार्तिक वदी १३ । नेक सं० ३४४ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है । ५० सदामुखी प्रतिलिपि यो । ५५८३. गुटका सं० ५३ । पत्र सं०८० | मा० ६३४५३ इ० | भाषा-हिन्दी । ले. काल x पूर्ण ! ० सं० ३४५। विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है। ५५४. गुटका सं०१४। पत्र सं० ४४ । प्रा० ६:४६ ३० । भापा-हिन्दी । अपूर्ण । वे० सं० ३४६ विशेष-भूधरदास कृत चर्या समाधान तथा चन्द्रसागर पूजा एवं शान्तिपाठ है । ५८८५, गुटका सं०५५ । पत्र सं० २० १ मा ६३४६६. भाषा-संस्कृत हिन्दी | विषय--पजा पाठ ले. काल XI पूर्ण | वे सं० ३४७ । ५८१६ गुटका सं०५६ । पत्र सं० ६८ | आ. ६३४५३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-पजा पाठ । ले. काल ४ | पूर्ण । वे० सं ३४८ । ५८८७. गुटका सं०५७ 1 पत्र सं० १७ । प्रा०६५४५३ इ० । भाषा-हिन्दी । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ३४६ । विशेष--रत्नत्रय व्रतविधि एवं कथा दी हुई हैं। ५८८८. गुटका सं० ५८ । पत्र सं० १०४ | प्रा० ७४६ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-पूजा पाठ । ने• काल ४ । पूर्ण । वे० सं० ३५० । विशेष –पूजा पाठ संग्रह है। ५८८८, गुटका सं०५६ ) पत्र सं० १२६ | आ. ६:४५ इ० भाषा-संस्कृत | विषय-प्रायुर्वेद । ले. काल x अगूर्ण वे० सं० ३५१ । विशेष-हानविनिश्चय नामक नय है। Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह ५८६०. गुटका सं०६०। पत्र सं० ११३। प्रा० ४४३ इ०। भाषा-संस्कृत हिन्दो। ले० कालx . पूर्ण । वे० सं० ३५२ । विशेष-पूजः स्तोत्र एव बनारसी विलास के कुछ पद एवं पाठ हैं। ५८६१. गुटका सं०६१ । पत्र सं० २२३ । प्रा० ४४३ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल । पूर्ण । वे० सं० ३५३ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। ५८६२, ०६२। पत्र सं० २०५ | प्रा. Ex. इ. | भाषा-संस्कृत हिन्दी। ले० काल । पुर्ण । वे० सं० ३५४ । विशेष-सामान्य स्तोत्र एवं पूजा पाठों का संग्रह है: ५८३ गुटका सं० ६२ । पत्र सं० २६३ । भा० ६x६ इ० । भाषा-हिन्दी ले. काल X 1 अपूर्ण । ० सं० ३५५। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है । हिन्दी xx १. हनुमतरास ब्रह्मरायमल्ल ले. काल सं० १८६० फागुण वुदी। २.शालिभद्रसज्झाय हिन्दी १८-१९ ३. जलालगाहाणी की वार्ता , १०१-१४७ ले. काल १०५६ माह बुदी ३ विशेष-कोस्यारी प्रतापसिंह पठनार्थ लिखी हलसूरिमध्ये । ४. तंत्रसार पद्य सं.४८ १४८-१५२ ५. बन्दकुंबर को बार्ता . १५२-१६४ ६. घाघरनिसारणी जिनहर्ष १६५-१६९ ७. सुदयवछसालिंगारी वार्ता x , अपूर्ण १७०-२६३ ५८६४. गुटका सं०६४ । पत्र सं० ६७ । मा०६:४४ इ० । भाषा हिन्दी संस्कृत 1 पूर्ण । ले० कल x। वे. सं० ३५६ । विशेष-नवमङ्गल विनोदीलाल कृत एवं पद स्तुति एवं पूजा संग्रह है। Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गु-का-संग्रह ] [ ७३५ ५८६५ गुट का सं०६५। पत्र सं० ६३ । प्रा० ६४४ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । स० काल | पूर्ण । वे० सं० ३५७ । विशेष--सिद्ध वक्रगुजा एवं पनावती स्तोत्र है । ५८६६. गुटका सं०६६ | पत्र सं०४५ । मा० ६x४०। भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-पूजा। मे काल XI पूर्ण | वे० सं० ३५८ । ५६७. गुटका सं०६८ । पत्र सं० ४६ । प्रा० ५४३. 1 भाषा-हिन्दी सस्कृत । ले. काल पूर्ण । ३० सं० ३५६ । विशेष-मक्तामरस्तोत्र, पंचमगल, देवपूजा प्रादि का संग्रह है। ५८८८, गुटका सं०६८ | पथ सं०६४ | मा०४४३१० । भाषा-संस्कृत हिन्दी | विषम-स्तोत्र संग्रह ले. काल ४ ० सं० ३६० । ५८. गटका सं०६६ | पत्र सं. १५१ । प्रा. ४० भाषा-हिन्दी | ले. काल x। पर्या वे० सं०३६१।। विशेष-मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है। साधुकीति हिन्दी १, संतरभेदपूजा २. महावीरस्तवनपूजा ३. धर्मपरीक्षा भाषा समयमुन्दर विशालकोति ले. काल १८६४ ३-१५१ विशेष-नागपुर में पं० चतुर्भुज ने प्रतिलिपि की थी। ५६०८. गुटका सं. ७० । पत्र स० ५६ । प्रा० ५:४५ इ. । भाषा-हिन्दी । से० काल सं० १८०२ पूर्ण । वे सं० ३६२ । १. महादण्डक x हिन्दी ३-५३ ले. काल सं० १६७२ पौष बुदी १३ । विशेष -उदयविमल ने प्रतिलिपि की थी। शिवपुरी में प्रतिलिपि की गई भी। २. बोल ५६०१. गुटका सं०७१ । पत्र सं० १२३ । प्रा० ६५४४ इ० भाषा संस्कृत हिन्दी । विषय-स्तोत्रसंग्रह ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ३६३ । Page #800 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३६ ] [ गुटका-संग्रह ५६८२. गुटका स०७२१ पत्र सं० १५७ : प्रा० ४४३ इ.। भाषा-संस्कृत हिन्दो । ले. काल XI पूर्ण । ० सं० ३६४। विशेष---पूजा पाठ व स्तोत्र मादि का संग्रह है। ५६०३. गुटका संः ५३ । पतः पूरी । वेल सं० ३६५ । । ४४३६. | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ल• काल x। १ पूजा पाठ संग्रह संस्कृत हिन्दी १-४४ २. आयुर्वेदिक नुसखे x हिन्दी ४५-६६ ५६०४. मुटका सं०७४ । पत्र सं०५० । प्रा० ५३४५: इ०। भाषा-हिन्दी । ले. काल| अपूर्ण वे० सं० ३६६ । । विशेष-प्रारम्ब में पूजा पाठ तथा नुसखे दिये हुये हैं तथा अन्त के १७ पत्रों में संवत् १.३३ से भारत के राजामों का परिचय दिया हुआ है। ५६०५. गुटका सं०७५ । पत्र सं० ६० । मा० ५:४५६ इ० । भाषा- हिन्दी संस्कृत । लेक क.ल ४ | अपूर्ण । वे० सं० ३६७ ॥ विवोष—सामान्य पाठों का संग्रह है। ५१०६.गटका सं०७६ पत्र सं.१२-१३७| प्रा०७४३ . भाषा हिन्दी संस्कत । लेक काल x 1 अपूर्ण । वै० सं० ३६८ । विशेष प्रारम्भ में कुछ मंत्र हैं तथा फिर प्रामुदिक नुसखे दिये हुये हैं। Yo७. गटका सं०७७ । पत्र सं० २७ | प्रा. ६x४, इ. | भाषा-हिन्दी।से. कालर। अपूर्ण ये० सं० ३६६ । १. ज्ञानचिन्तामणि मनोहरदास १२६ पद्य हैं १-१६ २, नमन,भिचक्रवर्ती की भावना भूधरदास १६-२३ ३. सम्मेदगिरिपूजा अपूर्ण २२-२७ भाषा-संस्कृत । से. काल X । अपूर्ण ५६८८, गुटका सं0 | पत्र सं० १२० | प्रा० ६४३३ से० सं० ३७१। विशेष-नाममाला तथा लम्धिसार आदि में से पाठ है । Page #801 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । २६. गुटका सं०७४ । पत्र सं० ३० । प्रा० ६३४४६ १० । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं. १८१ । पूर्ण । वे० सं० ३७१ ॥ विशेष – ब्रह्मरायमल्ल कृत प्रद्युम्नरारा है । १०. गटका सं०८०पर सं०१४-१३९ । मा०६२४६ इ. | भाषा-संस्कृत । ले. काल X| अपूर्ण । वे० सं० ३७२। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। हेमचन्द प्राकृत अपूर्ण ५४-७६ ६. श्रुतस्कन्ध २. मूलसंघ की पट्टावलि ३. गर्भषडारचक संस्कृत ८०-८३ देवनन्दि ८४-६० ४. स्तोत्रय ५. वीतरागस्तोत्र ६. पार्वनावस्तवन संस्कृत १०-१०५ एकीभाव, भक्तामर एवं भूपालचतुर्विंशति स्तोत्र हैं । भ० पद्मनन्दि १० पद्य हैं १०५-१०६ राजलेन [बोरसेन के शिष्य ] १ , १०६-१०७ पचनन्दि १४ , १०७-१०६ अमितिनति ११०-११३ देवसेन प्राकृत ११३-११६ ७. परमात्मराजस्तोष ८. सामायिक पाठ ९. तत्वसार १०. पाराधनासार १२४-१३४ ११. रामपसारगाथा प्रा० कुन्दकुन्द १३४-१३८ ५६११. गुटका सं०८१ । पत्र सं० २-५६ । मा० ६४४ ३० ] भाषा-हिन्दी। ले. काल सं० १७३० भान्या सुदी १३ । अपूर्ण । वे० सं० ३७४ । विशेष-कामशास्त्र एवं नायिका वर्णन है । ५६१२. गुटका सं०८२1 पत्र सं० ६१४६ ३० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल X1 पूर्ण | वे० विशेष-पूजा तथा कथानों का संग्रह है । अन्त में १०६ से ११३ तक १८ वीं शताब्दी का (१७०१ से १७५६ तक ) वर्षा प्रकाल युद्ध प्रादि का योग दिया हुआ है। ५६१३. गुटका सं ३ । पत्र सं० ८६ | पा० ६x४ इ० 1 भाषा-हिन्दी | ले. काल X । जीर्ण । पूर्ण । ० सं० ३७५ । Page #802 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३८ ] [ गुटका-संग्रह १ कृष्णरास हिन्दी पद्य सं० ४६ है १-१६ महापुराण के दशम स्कन्ध में से लिया गया है। २. कालीनागइमन कया १६-२६ ३. कृष्णप्रेमाष्टक २६-२८ ५६१४. गुटका सं०८४१ पत्र सं० १५२-२४१ । प्रा० ६३४५ इ. । भाषा-संस्कृत । ले० काल XI मपूर्ण । वे० सं० ३७६ । विशेष-वैद्यक्रसार एवं वैद्यवल्लभ ग्रन्थों का संग्रह है। ५६१५. गुटका सं० २५ । पत्र सं० ३०२ | प्रा. Ex५ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल X| अपूर्ण । के० सं० ३७७ । विशेष—दो गुटकों का एक गुटका कर दिया है । निम्न पाठ मुख्यतः उल्लेखनीय है। ठकुरसी हिन्दी ११ पद्य हैं १. चिन्तामणिजयमाल २. बेलि छील २०-२२ २२-२५ २५-२८ ३.दंडारणागीत बूचा ४. चेतनगीस मुनिसिहनन्दि २८-३० ५. जिनलाडू अमरायमल्ल ३०-३१ ६. नेमीश्वरचोमासा सिंहनदि ३२-३३ छहल ४१-४२ ब्रह्मधर्मचि ४३-४७ ७ पंथीगीत ८. नेमीश्वर के १७ भव ६. नीत १० सीमंधरस्तवन कवि पल्ह ठक्कुरसी ४६-५. ११. भादिनाथस्तवन कति पल्ह ४६-५० भासिनचन्द्र देव ५०-५१ १२. स्तोत्र १३. पुरन्दर चौपई व मालदेव ५२-७ ले०काल सं० १६०७ फागुण बुदो ६ । १४. मेघकुमार गीत १५, चन्द्रगुप्त के १६ स्वप्न ब्रह्मरायबाला २६-२६ Page #803 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ७३६ अभयान ३०-३४ गुटका-संग्रह १६. वलिभर गीत १७. भविष्यदत्त कथा १८. निर्दोषसप्तमीत्रत कथा ब्रह्मरायमल्ल ले. काल १६४३ मासोज १३ | अपूर्ण १६. हनुमन्तरास ५६१६. गुटका सं०६६ । पत्र सं० १८८ ! प्रा० ६x६ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी | विषय-पूजा एवं स्तोत्र । ले. काल सं० १८४२ भादवा सुदी १ । पूर्ण । पे० सं० ३७८ । ५६१७. गुटका सं०८७ । पत्र सं० ३०० । पा० ५३४४ इ० | भापा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल x | पूर्ण । वे० सं० ३७६ । विशेष पूजा एवं स्तोत्रों के अतिरिक्त रूपचन्द, बनारसोदास तथा विनोदीलाल मादि कवियों कृत हिन्दो पाठ हैं। ५६१८. गुटका सं०८८ । पत्र सं० ५८ | प्रा० ६४५ इ० | भाषा-हिन्दी । विषय-पद । ले काल x/ अपूर्ण । वे० सं० ३८० । विशेष-भगतराम कृत हिन्दी पदों का संग्रह है। ५६१६. गुटका सं० २६ । पत्र सं० २-२६६ 1 मा० ८४५ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल ४। अपूर्ण ! वे० सं० ३८१ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है। १. पचनमस्कारस्तोत्र उमास्वामि १५-२० २. बारह अनुप्रेक्षा प्राकृत ४७ माथाके हैं। २१-२५ ३. भावनाचतुर्विशति पन्ननन्दि संस्कृत ४. अन्य स्फुट पाठ एवं पूजायें संस्कृत हिन्दी संस्कृत ५६२०. गुटका सं०६ | पत्र सं० ३-६१ । प्रा० ८४५६ ३० । माषा हिन्दी । विषय-पद संग्रह। ले० फान X । पूर्ण | दे० सं० ३८२ । विशेष—नलपराम के पदों का संग्रह है। ५६२१. मुटका सं०६१ / पत्र सं० १४-४६ । मा० ३४५: इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत | ले० काल XI पूर्ण । वै० सं० ३८३॥ विशेष-स्तोत्र एवं पाठों का संग्रह है। Page #804 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटकासंग्रह ५६२२, गुटका सं १२ । पत्र सं० २६ । पा. ६४५ इ. | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । ले० काल x 1 अपूर्ण । वे० सं० ३८४ ।। विशेष-सम्मेदगिरि पूजा है। २३. गुटका संद६३ | पत्र सं०१२३ | ग्रा०६४५३० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० कालxi पुर्ण । ० सं० ३८५। विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १. चेतनचरित भैया भगवतीदास हिन्दी २. जिनसंहलनाम संस्कृत ११-१५ ३३-३४ २. लघुतत्त्वार्थसूत्र ४. चौरासी जाति की जयमाल ५. सोलहकारसाकथा ब्रह्मज्ञानसागर हिन्दी x ६, रत्नत्रयक्रया ७४-७६ ७. आदित्यवारकथा भाऊधि ८. दोहाशतक रूपचपद ६. अपन किया ब्रह्मगुलाल ६७-८६ १०. अहानिका कथा यह्मज्ञानसागर १००-१०४ ११. अन्मराठ NEE४, गुटका सं ४। पत्र सं ५-७६ | मा० ५४३, ६० भाषा-हिन्दी । ले० काल x। अपूर्ण । वे० सं० ३८६ । विशेष-देयाग्रह्म के पदों का संग्रह है। ५६२५. गुटका सं८ ६५ 1 पर सं० ३-६६ । प्रा० ६४५६ इ० । भाषा हिन्दी ले. दाल X । अपूर्ण । व० सं० ३८७ । १. भविष्यदत्तकथा ब्रह्मरायमल हिन्दी अपूर्ण ३-७० ले. काल सं० १७६० कात्तिक सुदी १२ २. हनुमतकया ५६२६. गुटका संकपत्र साभार ६x६० भाषा-संस्कृत | विषय-मंत्रशास्त्र । ले० काल सं० १९६५ । पूर्ण । वे० सं० ३८८ : Page #805 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , गुटका-संग्रह ] १. भक्तामर स्तोत्र ऋद्धिमंत्र यंत्रसहित २. पद्मावतीकदम ३. पद्मावतीसहस्रनाम ४. पद्मावतीस्तोत्र बीजमंत्र एवं साधन विधि ५. पद्मावतीपटल ६. पद्मावतीदंडक ० सं० ३८६ | १. स्फुटवार्ता २. हरिचन्दक ३. श्रीचरित ४. मल्हारचरित अपूर्ण | वे० सं० ३६० । मानतु गाचार्य X X X X X काल X | अपूर्ण | वे० सं० ३६१ । X X X X ५६२७. गुदका सं० ६७ पत्र सं० १ ११३ श्रा० ६x४ इ० 1 भाषा - हिन्दी । ले० काल X | श्र ० सं० ३६२ । १. आदित्यवारकथा २. पक्की स्याही बनाने की विधि ३. संकट चौरई कथा ४. वनका बत्तीसी ५. निरंजन शतक संस्कृत 29 נו " X X X X X 33 ६-२२ २३-६६ ६७-६३ प्रपूर्ण ६३-११३ ४६२८. गुटका सं० १८ | पत्र सं० ५३ | श्र० ५x५ ३० । भाषा-संस्कृत हिन्दी | ले० काल X विशेष – लिपि विकृत है पढने में नहीं भाती । 刀 हिन्दी विशेष स्तोत्र एवं तत्वार्थ सूत्र शादि सामान्य पाठों का संग्रह है। ५६६६. गुटका सं० ६६ 13 73 पत्र सं० ६ १२६ । ०६३५ इ० । भाषा - हिन्दी संस्कृत | ले० ५६३०. गुटका सं० १०० सं० ० ८५ ३० भाषा - हिन्दी | ले० काल X | अपूर्ण हिन्दी 99 { ७४१ १-४३ ४३-५२ ५२-६३ ६३-५६ ८६-६७ ८७-८६ अपूर्ण 33 我 27 १४-३४ ३५ ३८-४३ ४५-४७ २१-८४ Page #806 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४२ ] [ गुटका-संग्रह ५६३१. गुटका सं०१०१। पय सं० २३ । प्रा०६:४४, इ.। भाषा-हिन्दी। ले. काल x 1 मपूर्ण । सं. ३६३ । . विशेष-कवि सुन्दर कृत नायिका लक्षण दिया हुमा है । ४२ से १५० पब तक है। ५६३२. गटका सं०१०२। पत्र सं०७५-१०१ । प्रा०४७ इ० । भाषा-हिन्दी | विषय-संग्रह। ले. काल XI प्रपूर्ण । वे० सं० ३१४। १. चतुर्दशी कथा मालूराम हिन्दी २० काल १७६५ प्र. जेठ सुदी १० ले. काल सं० १७६५ जेठ सुदी १४ । सपूर्ण । विशेष-२६ पद्य से २३० पद्य तक हैं। मध्यभाग माता एसो हर मति करो, संजम विना जीवन निसतर। दोहा कांकी माता काको बाप, प्रातमराम अकेलो पाप ॥ १७६ ।। प्राप देखि पर देखिये, दुख सुस्त दोउ भेद । आतम ऐक विचारिये, गरमा कह न दे !! १७ !! मंगलाचार कंवर को कोयो, दिख्या लेए कंवर जब गयो । सुवामो आगे जौड्या हाय, दोख्य दोह मुनीसुर नाथ ॥ १५८ ।। अन्तिमपाठ बुधि सारु कथा कही, राजघाटी मुलतान । करम कटक मैं देहरों बैठो पचे मु जाण ॥ २२८ ।। सतरास पञ्चावने प्रथम जैठ सुदि जानि । सोमवार दसमी मानी पूरण कथा वखानि ।। २२६ ॥ खंडेलवाल बौहरा गोत, प्रांबावती मैं वास । डालु कहै मति मौ हंसी, हूं सबन को दास ।। २३० ।। महाराजा बीसनसिहजी भामा, साह्या माल को लार । जो या कथा पढे सुणे, सो परिष मैं सार ॥ १३१ ।। बौदश की कथा संपूर्ण । मिती प्रथम जेठ सुदी १४ संवत् १७६५ २. चौदशकीजयमाल हिन्दी १३-६४ ले काल सं० १७६३ ६४-६६ ३. तारातंबोलकी कथा Page #807 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । । ७४३ ४. नवरस्त कवित्त बनारसीदास ९७-९६ ५. ज्ञानपच्चीसी १८-१७० मपूर्ण १००-१०१ ५६३३. गुटका सं० १०३ । पत्र सं० १०-५५ । प्रा० २४६३३० । भाषा-हिन्दी | ले० काल । अपूर्ण | वे० सं० ३६५ । विशेष--महाराजकुमार इन्द्रजीत विरचित रसिकप्रिया है । ५६३४. गुटका सं० १०४ । पत्र सं० ७ । प्रा० ६x४ इ. । भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ । पूर्ण । ० सं० २६७ हिन्दी पदों का संग्रह हैं । ज भण्डार [ दि. जैन मन्दिर यति यशोदानन्दजी जयपुर ] ५६३५. गुटका सं०१। पत्र सं० १४० | पा० ७३४५३ इ० । लिपि काल x। विशेष—मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १.. देहली के बादशाहों की नामावलि एवं हिन्दी १-१६ परिचय ले. काल सं० १९५२ जेठ बुदी । २. कवित्तसंग्रह २०-४४ ३. शनिश्चर की कथा ४५-६७ x Xxx ४. कक्ति एवं दोहा संग्रह ५. द्वादशमाला कवि राजसुन्दर ले काल १५५६ पौषधी ५। विशेष-रणथम्भौर में लक्ष्मणदास पाटनी ने प्रतिलिपि की थी। ५६३६. गुटका सं०२। पत्र सं० १०६ । मा० ५४४३ इ.। विशेष पूजा पाठ संग्रह है। ५६३७. गुटका सं०३ । पत्र सं० ३-१५३ । प्रा० ६४५३ इ० । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है । १. गीत-धर्मकीति हिन्दी ( जिरणवर माइपदावे, मनि वित्या फलु पाण) २. गोत-(जिरावर हो स्वामी परण मनाय, सरसति स्वामिसिंग वीनऊ हो। X Page #808 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४४ ] [ गुटका संग्रह अपभ्रश १. पुष्पाञ्जलिजयमाल २. लघुकल्याणपाठ ३, तत्वसार xx हिन्दी २४-२६ देवसेन प्राकृत ४. पाराधनासार ८३-१०० ५. द्वादशानुप्रेक्षा लक्ष्मीसेन १००-१११ ६. पार्श्वनाथस्तोत्र पद्मनन्दि संस्कृत १११-११२ ७. टूव्यसंग्रह प्रा. नेमिचन्द प्राकृत १४४-१५१ ५६३८, गुटका सं०४। पत्र सं० १८६ । प्रा० X ३० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८४२ प्राषाढ सुदी १५ विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। हिन्दी १. पार्श्वपुराण भूधरदास १-१०२ २. एकसोगुनहरीव वन " १८४२ १ ०४ ३. हनुमन्त चौपाई व रायमल " १८२२ प्राषाउ सुदी ३ , ५६३६. गुटका सं०५ । पत्र सं० १४० । मा० ७३४४ इ० । भाषा-संस्कृत । विशेण-पूजा पाठ संग्रह है। YE४०.गटकासं०६। पत्र सं०२१३ । मा०१४५३० । भाषा-संस्कृत । ले० कालx। वियोष- सामान्य पाठों का संग्रह है। ५०४१. गुटका सं०७। पत्र सं० २२० 1 प्रा. ६४७३ इ० | भाषा-हिन्दी। ले० काल ४। पूर्ण। वियोष-५० देवीचन्दकृत हितोपदेश (संस्कृत) का हिन्दी भाषामें अर्थ दिया हुया है । भाषा गद्य और पद्य दोनों में है । देवीचन्द ने अपना कोई परिचय नहीं लिखा है। जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी । भाषा साधारण है -१ अब तेरी सेवा में रहि हो । असे कहि गंगदत्त कुमा महि ते नीकरो। . दोहा-दुटो काल के गाल में अब कही काल न पाय | मो नर अरहट मालतें नमो जनम तन पाय ।। वार्ता-सांप की दाढ मैं ते छूटौ अरु कही नयो जनम पायो । पूर्व में ते बाहरि प्राय यो कही वहाँ सांप कितनेक देर तो वार देखौ । न पायो जब मातुर भयौ । तब यो कही में कहा कीयो । जदपि कुवा के मेंडक सब खायो जब लग गंगादत्त की न खायो तब लग रख कह खायो नहीं । Page #809 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ cookie ५६४२. गुटका संक। पत्र सं० १६९-४३० | प्रा. ६४३ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल । अपूर्ण। विशेष बुलाकीदास कृत पांडवपुराण भाषा है। YE४३. गुटका सं६ पत्र सं० १०१ । प्रा० ७३४६: इ० । विपय-संग्रह | ले० काल x। पूर्ण । निशेष-स्तोत्र एवं सामान्य पात्रों का संग्रह है ! ५६४४, गुटका सं०१०। पत्र सं० ११८ । प्रा. ८३४६ ६२ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-ग्रह । ले० काल सं० १८६० माह बुदी ५ । पूर्ण । १. सुन्दरविलास सुन्दरदास हिन्दी विशेष- ब्राह्मण चतुर्भुज खरेलवाल ने प्रतिलीपि की थी। २. बारहखडी दत्तलाल विशेष- पद्य हैं। ५६४५. गुटका सं०१२। पत्र सं० ४२ । प्रा०x१०। भाषा-हिन्दी 'पद्य । ले. काल सं. १६०८ चैत जुदी ६ । पुर्ण । विशेष-वृदसतसई है जिसमें ७०१ दोहे हैं। इसकत चीमनलाल कालख हाला का। ५६४६. गुटका सं० १२ । पत्र सं० २० । मा० Ex६५ इ० | भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १९६० मासोज बुदी ६ । पूर्ण। विशेष--पंचमेह तथा रत्नत्रय एवं पारवनाथस्तुति है। ५६४७. गटका सं०१३। पत्र सं० १५५ । मा०८४६३० । भाषा-संस्कृत हिन्दी। लेक काल १७६० ज्येष्ठ सुदी १ । अपूर्ण | निम्नलिखित पाठ हैं कल्याणमंदिर भाषा, श्रीपालस्तुति, अठारा नाते का चौदाल्या, भक्तामरस्तोष, सिद्धपूजा, पाश्वनाथ स्तुति [ पद्मप्रभदेव कृत] पंचपरमेष्टी गुणमाल, शान्तिनाथस्तोत्र आदित्यवार कथा [ भाउत ] नवकार रासो, जोगी रासो, भ्रमरगीत, पूजाष्टक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ पूजा, नेमि रासो, गुरुस्तुति प्रादि । बीच के १०० से १३२ पत्र नहीं हैं। पीछे काटे गये मालूम होते है। Page #810 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह झ भण्डार [ शास्त्र भण्डार दि. जैन मन्दिर विजयराम पाड्या जयपुर ] ५६४८. गुटका सं०१ । पत्र सं० २० | प्रा. ५६x४८० | भाषा-हिन्दी । विषय-संग्रह । ले. काल सं० १९५८ | पूर्ण । वे सं० २७ । विशेष-पालोचनापाठ, सामायिकपाठ, छहढाला ( दौलतराम ), कर्मप्रकृतिविधान (बनारसीदास), अकृत्रिम चैत्यालय जयमाल प्रादि पाठों का संग्रह है। ५.४६. गुट का सं०२। पत्र सं० २२ । प्रा० ५३४४ इ० । भाषा-हिन्दी पद्य । ले. काल XI पू । वे० सं० २६ । विशेष—वीररस के कवित्तों का संग्रह है। ५६५०. गुटका सं०३। पत्र सं०६०। प्रा०६x६ इ. | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल पूर्ण । जीर्ण शीर्ण । ये० सं० ३० । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५६५१. गुटका सं०४ । पत्र सं० १०१ | मा० ३४५६ इ. । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण | वे. सं १ विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १. जिनसहस्रनामस्तोत्र बनारसीदास २. लहुरी नेमीश्वरको विश्वभूषण ३. पद-पातम रूप सुहावना द्यानतराय ४. विनती विशेष रूपचन्द ने प्रागरे में स्वपठनार्थ लिखो थी। १-११ १६-२१ २२ २३-२४ हर्ष कात्ति बनारसीदास २५-४७ ४७-५५ रूपचन्द ५. सुखघड़ी ६. सिन्दूरप्रकरण ७. अध्यात्मदोहा ८. साधुवंदना ६. मोक्षपडी १०. कर्मप्रकृतिविधान अनारसीदास ५५-५८ ५८-६१ AS Page #811 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुदका-संग्रह ११. विनती एवं पदसंग्रह ६१-१०१ ५६५२. गुटका सं५। पत्र सं० ६-२६ । प्रा. ४४४ इ. | भाषा-हिन्दी । ले० काल ४। अपूर्ण | वे० सं० ३२ । विशेष-नेमिराजलपचीसी (विनोदीलाल), बारहमासा, ननद भौजाई का झगडा मादि पाठों का संग्रह है। ५६५३. गुटका सं० ६ । पत्र सं० १६ । पा० ६x४५ ३० । भाषा-हिन्दी । ले० काल X 1 पूर्ण । ० सं०४१। विशेष-निम्न पाठ है-पद, बौरासी ज्यात की जपमाल, चौरासी जाति वान । ५६५४. गुट का सं८७ | पत्र सं०७ | पा ६x४इ० । माषा-हिन्दी । ले० काल सं० १९४३ बैशाख सुदी १ । अपूर्ण । वे० सं० ४२ । विशेष-विषापहारस्तोत्र भाषा एवं निर्वाणकाण्ड भाषा है। ५६५५. गुटका सं० = । पत्र सं० १८४ । प्रा. ७४४ इ.। भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-स्तोत्र । ले- काल x पूर्ण | बे० सं० ४३ । द्यानतराय १. उपदेशशतक २. छहढाला ( अक्षरबावनी) ३. धर्मपच्चीसी ३५-३६ ३६-४२ ४. तत्त्वसारभाषा ४२-YE ५. सहस्रनामपूजा धर्मचन्द्र संस्कृत ४६-१७५ ६. जिनसहस्रनामस्तवन जिनसेनाचार्य ले० काल सं० १७६८ फागुन सुदी १. ५६५६. गुटका सं०६ 1 पत्र सं० १३ । प्रा० ६x४३ इ० । भाषा-प्राकृत हिन्दी । ले० काल सं० १६१८ । पूर्ण । वे० सं० ४४ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५६५७. गुटका सं० १०१ पत्र सं० १०५ | प्रा० ८४७ ३० । ले. काल X । १. परमात्मप्रकाश योगोन्द्रदेव मपञ्चश २. तस्वसार देवसेन प्राकृत २०-२४ Page #812 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४८ ] [ गुटका संग्रह X ३. बारहप्रक्षरी ४. समाधिरास संस्कृत पुरानी हिन्दी २४-२७ २७-२९ विशेष-4 डालूराम ने अपने पढ़ने के लिए लिखा था । ५. बादशानुप्रेक्षा पुरानी हिन्दी २६३१ ६. योगीरासो योगीन्द्रदेव अपभ्रंश ३२-३३ ७. श्रावकाचार दोहा रामसिंह ५३-६३ ८. षट्पाहुड कुन्दकुन्दाचार्य प्राकृत ८४-१०४ १. षटलेश्या वर्णन संस्कृत टका ! "। (खुले हुये शास्त्राकार) मा ७.४५ इ.। भाषा-हिन्दी ले० फाल X| पूर्ण ! वे० म०८४३ विशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। ५६. गुटका सं० १२ । पत्र सं० ५० १ पा० ६४५ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्रा | वै० सं० १००। विशेष-नित्य पूजा पाठ स ग्रह है। ६०. गुटका सं०१३ । पत्र सं० ४० | प्रा. ६x६ इ० । भाषा-हिन्दी । ले. काल X1 अपूर्ण । व० सं० १०१ १. चन्द्रकथा लक्ष्मण १-२१ विशेष-६७ पद्य मे २६२ पद्य तक प्राभानेरी के राजा यन्द की कथा है। अगरदास २२-४० २. फुटकर कवित विशेष--चन्दन मलियागिरि कथा है। ५६६१. गुटका सं०१४ । पत्र सं० ३६६ । श्रा० ७X६ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल सं० १६५३ 1 पूर्ण । वे० सं० १०२। १. चौरासी जाति भेद x हिन्दी १-१९ २. नेमिनाथ फागु पुण्यरत्न " २०-२५ विशेष-अन्तिम पाठ: समुद्र विजय तन गुण निलउ रोव करइ जसु सुर नर वृन्द । पुण्यरत्न मुनिवर भणद श्रीसंघ सुद्रशन नमि जिगन्द ।। ६४ ॥ कुल ६४ पद्य हैं। ।। इति श्री नेमिनाथ फागु समास ।। Page #813 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ७४६ व. रायमल्न २६-५० ३. प्रद्युम्नरास ४. सुदर्शनरास ५, थीपालरास ५१-५० ११६ ले. काल सं. १६५३ जेठ बुदी २ ६. शीलरास पूनो १३५ ७. मेधकुमारगीत ८. पद- चेतन हो परम निधान ६., चेतन चिर भूलिउ ममिउ देखा जिनदास रूपचन्द २३८ चित न विचारि। १०. , चेतन तारक हो चतुर सयाने वे निर्मल दिष्टि यछत तुम भरम भुलाने । ११. , बादि अनादि गवायो जीव विधिवरा ____ बहु दुख पायो चेतन। दास १३. , चेतन तेरो दानो वानी चेतन तेरी जाति । रूपचन्द जीव मिथ्वात उद चिरु भ्रम प्रायो। वा रत्नत्रय परम धरम न भायो । म सुनि सुनि जियरा रे, न त्रिभुवन का राउ रे दरिंगह १६. , हा हा भूता मेरा पद मना जिनवर धरम न येये। १७. , जै जै जिन देवन के देवा, सुर नर सकल करे तुम सेवा। रूपचन्द २४३ १८. अकृत्रिमचैत्यालय जयमाल २५१ १६, अक्षरागामाला मनराम ले० काल १७३५ ल. काल १७३५ २०. चन्द्रगुप्त के १६ स्वप्न २५७ २१. जकडी दयालदास Page #814 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४१ ७५० ] [ गुटका-संग्रह २२. पद- कायु बोले र मव दुख बोलणी नयात्र। हर्षकीति २३२ २३. रचियत कथा भानुकीति , र. काल १६८७ ३३६ (माठ सान सोलह के अंक वर्ण व कथा बिमल ) २४. पद , जो बनीया का जोरा माही श्री जिया कोपन ध्याये । शिवसुन्दर २५, शीलवत्तीती अकूमल २६. दंडाणी गात धराज २७. भ्रमर गीत मनसिंच १९ पद हैं ३६५ ( बाडी फूली प्रति भली सुन भ्रमरा रे ) ५६६२. गुटका सं० १५ । पत्र सं० २७५ 1 श्रा० ५४४३ ३० । ले० कुाल सं० १७२७ । पूर्ण । वे० सं.१०३ | १. नाटक समयसार बनारसीदास हिन्दी र० काल सं. १६६३ | ले. काल सं. १७६३ २. मेबकुमार गोत पुनो १६३-१६९ ३.तेरहकाठिया बनारसीदाल १८८ ४. विवेकज कडी जिनदास मनराम जिनदास ५. गुणाक्षरमाला ६. मुनीश्वरों की जयमाल ७. वावनी ८. मगर स्थापना का स्वरूप ६. पंचमगति को वेलि बनारसीदास २४३ २५४ हर्षकीति २६६ ____५६६३. गुटका सं० १६ । पत्र सं० २१२ | मा ९४६ ६० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल X । सं. १०६ । विशंप-- सामान्य पाठों का संग्रह है। ५१३४. गटका सं०१७ | पत्र सं० १४२ । प्रा० ६४५ इ.। भाषा-हिन्दी। ले. काल पूर्ण । वे सं० १.। Page #815 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ७५१ १. भविष्यदत्त चौरई ११६ २. चौबोस तीर्थ परिचय १४२ ५६६५. गुटका सं० १७ पत्र ०८७८४६६० | भाषा-हिन्दी विषयले काल गुटका संग्रह ] X पूर्ण ३० सं० ११० । पूर्ण वे० सं० १११ । १. सम्मका भाषा अन्तिम - २. स विशेषगुणस्थान चर्चा है। ५६६६. गुटका सं० १८ पत्र सं० ग्रा० ७८६ ३० । भाषा - हिन्दी | ले० काल सं० १८७४ | ० रायमल्ल स्योजीराम सोगानी * < हिन्दी विशेष - ७०६ प हैं । 53 ' gehe, make whe जगत र खिति वज्यो, जिने नमाद सीस ॥ १ ॥ पूजा पूज' सारदा, तीजा गुरु के बाद लगन चन्द्रिका ग्रन्थ की भाषा करूं बरगाय ॥ २ ॥ गुरन मोहि आग्या दर्द, मसतक धरि के बांह । लगन चन्द्रिका यंत्र की भाषा कहूं बरगाय ॥ ३ ॥ · मेरे श्री गुरुदेव का भांबावती निवास । नाम भीजे चन्द्रजी, पंडित बुध के बाग़ ॥ ४ ॥ लालचन्द पंडित तरणे, नाती चेला नेह | फलेचंद के सिग तिने मी हवन करेह ॥ ५ ॥ कवि सोगा गोत्र है, जैन मतो पहचानि । कान को नंद ते स्योजीराम वखाणि ॥ ६॥ हिन्दी नारा के साल परि, वरष सात चालीस माघ सुकल की पंचमी, बार सुरनकोईस ॥ ७ ॥ गम की भाषा कही जु सार । जे यासीखे ते नरा ज्योतिस को ले पार ।। ५२३ ।। वृन्दकवि 7 १-४३ हिंदी प ० कालावुदी १० १८७४ Page #816 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५२ ] [ गुटका-संग्रह ३. राजनीति कवित्त देवीदास १२२ पद्य हैं। ६७. गुटका सं०१६ । पत्र सं० ३० । प्रा. ४६ इ० । भाषा- हिन्दी । विषय पद | ले. काल | पुस । वे० सं० ११२ ! विशेष-विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है । गुटका प्रशुद्ध लिखा गया है। ५६६८. गुटका सं०२० 1 पत्र सं० २०१ । पा० ६४५ इ० | भाषा-हिन्दी संस्कृत। विषय-संग्रह । ले. काल • सं० १७८३ । पूर्ण । वै० सं० ११४ । विशेष-आदिनाथ की बीनती, थीपालस्तुति, मुनिश्वरों की जयमाल, बद्धा कक्का, भक्तामर स्तोत्र ५६६६. गुटका सं० २१ । पत्र सं० २७६ | प्रा० ७४४३ इ० । भाषा-हिन्दी। विषय-संग्रह । ले. काल ४ । पूर्ण वे० सं० ११५ । ब्रह्मरायमल्ल कृत भविष्यदत्तरास नगिरास तथा हनुमत औपई है। ५६७२. गुटका सं० २२ । पम सं० २६.५३ । प्रा० ६४५ ३० । भाषा-हिन्दी 1 विषयपूजा | ले.' बारX | अपूर्ण । वै० सं० ११। ५६७१. गुटका सं० २३ । पत्र सं० २१ । प्रा० ६४५३ इ. | भाषा-संस्कृति । विषम पूजा पाठ । ले० काल ४ । पूर्ण | वै० सं० १३१ । विशेष---पूजा स्तोत्र संग्रह है। ५६७२. गुटका सं० २४ । पत्र सं. २०१ । प्रा० ६४५६ इ. | भाषा-हिन्दी संस्कृत विषय-पूजा पाठ । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० १३२ । विशेष-जिनसहस्रनाम ( माशाधर ) षभक्ति पाठ एवं पूजामों का संग्रह है। ५६७३. गुटका सं० २५ । पत्र सं०६-८ । आ. ६४५ इ० 1 भाषा-प्राकृत संस्कृत । विषय-पूजा पाठ । ले० काल ४ । अपूर्ण | वे० सं० १३३ ! ५१७४. गुटका सं० २६ । पत्र सं० ८५ । आ० ६४५ ३० । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजापाठ । ले। काल X । पूर्गा | वै० सं० १३४ । ५६७५. गुटका सं० २७ । पत्र सं० १.१ । प्रा० ६x६ इ० । भाषा- हिन्दी | ले. काल XI पूर्ण । दे० सं० १५२ 1 विशेष--बनारसीविनास के कुछ पाठ, रूपचन्द को जकडी, द्रव्य संग्रह एवं पूजायें है । ५६७६. गुटका सं८ २८ । पत्र सं० १३३ । पाठ Ex७ इ० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८०२। पूर्ण । वे० सं० १५३ | Page #817 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुस्का -संग्रह । [ ७५३ विशेष-समयसार नाटक, भक्तामरस्तोत्र भाषा-एवं सामान्य कथायें हैं। ५६७७. गुटका सं०२६ | पथ सं. ११६। प्रा०६x६३. भावा-हिन्दी संस्कृत विषय-संग्रह ने• काल XI पूर्ण । ० सं० १५४ । पिरोप-पूजा एवं स्तोत्र तथा अन्य साधारण पाठों का संग्रह है। मटका स०२०। पर सं० २७ । प्रा० ६x४ इ० | भाषा-संस्कृत प्राकृत | विषय-स्तोत्र । २. काल X पूर्ण वे सं० १५५ । विशेष-सहस्रनाम स्तोत्र एवं निरिणकाण्ड गाथा हैं । ५६. गुटका सं० ३१ । पत्र सं० ४० | प्रा० ६४५ इ० । भाषा हिन्दी । विषय-कथा | ले. काल x पूर्गा | येस. १६२ । विशेष - रविव्रत कथा है। ५६८०, गुटका सं० ३२। पत्र सं० ४४ ५ मा ४३४४: इ. । भाषा-हिन्दो । विषय-स ग्रह । ते. काल X 1 पूर्ण । वे सं. १७७६ । विशेष-बीच २ में से पय लाली १.खुलाखीदास खत्री की बरात गोसं. १६८४ मिती मंगसिर दी ३ को आगरे रो ममदामाद गई, का विवरण दिया हुआ है। इसके अतिरिक्त पद, गणेशछंद, लहरियानी को पूजा आदि हैं। ५६८१. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० ३२ । प्रा०६१४४३ ३० । भाषा-हिन्दी । ले. काल X । । बे० सं० १९३। १. राशुलपच्चीसी विनोदीलाल लालचंद २, नेमिनाथ का बारहमासा ३. राजुलमंगल प्रारम्भ तुम नीकस भवन सुढाडे, जब कमरी भई बरागी। यन्तिम प्रभुजी हमने भी ले चालो साथ, तुम बिन नहीं रहे दिन रात । पापा दोनु ही मुक्ती मिलाना, तहां फेर न होय प्रावागवना । राजुल अटल सुघड़ी नीहाइ, तिहां राणी नहीं चै कोई, सोये राडुल मंगल गावत, मन वंचित फल पावत ॥१८॥ इति श्री राजुल मंगल संपूर्ण । Page #818 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . [ गुटकासंग्रह ५६२. गुटका सं०३४ । पत्र सं० १६० । प्रा० ६४४ ३० । भाषा-हिन्दी #रवृत्त । ले. काल xI पूर्ण | वे० सं० २३३ । विशेष पूजा, स्तोत्र एवं टीकम वी चतुर्दशी कथा है । ५६.३ शुदका सं. २५ । पत्र ६.४ | Rio X ५२ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेक काल । यूरगं । वे० सं० २३४ । विशेष- सामान्य पूजा पाठ हैं। ५४५४. गुदका सं०३६। पत्र सं० २४ । मा६x४३० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल सं. १७७६ फागुण बुदो र ! पूर्ण। ये० सं० २३५ । विशेष-भक्तामर स्तोत्र एवं कल्याण मंदिर संस्कृत और भाषा है । ५१८५. गुटका सं० ३७ । पत्र सं. २१३ । प्रा० ५४५ ३० । भाषा-हिन्दी संस्व.ले० काल XI पूर्ण। विशेष—पुजा, स्तोत्र, जैन शतक सथा पदों का संग्रह है। ५६-६. गुटका सं०३८ । पत्र सं० ५६ । प्राs X४ इ. | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा स्तोत्र । ले० काल X । पूर्ण । ३० सं० २४२ । विशेष- सामान्य गूजा पाट संग्रह है। ५१८७, गुटका सं०३६ । पत्र सं० ५० । प्रा०७४४ इ. | ले. काल X| पूर्ण वे० सं. २४३ । १, थावकप्रतिक्रमण प्राकृत १-१४ २. जयतिहुधरणस्तोत्र प्रभव देवसुरि १५-१६ ३ अजितशान्तिजनस्तोय २०-२५ ४. औरंतजयस्तोत्र २६-३२ अन्य स्तोत्र एवं गौतमराराा आदि पाठ है | ५६८८. गटका सं०४०1 पत्र ० २५ । प्रा० ५४८ इ.। भाषा-हिन्दी। ले० काल XI पूर्ण . ०२४४ विशेष-सामायिक पाठ है। ५६८६ गुटका सं२४१ । 'पत्र सं० ५० । प्रा०६:५४ ई. । भाषा-हिन्दी । ले० काल - I पूर्ण। ३० सं० २८६ । विशेष-हिन्दी पा संग्रह है। Page #819 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] सं० २४० । ० सं० २४८ | [ ७५५ 1 ५६६०. गुटका सं० ४२० २० प्रा० ५८४६० भत्या हिन्दी ० कान X पूर्ण वे विशेष-सामायिक पाठ, कल्याणमन्दिरस्तोत्र एवं जिन वीसी हैं। ५६६१. गुटका सं० ४३ पत्र सं० ४८ श्र० ५४४ इ० | भाषा हिन्दी से० काल x । पूर्मा । २० सं० २४१ । ६. जकडी ५६६२. गुटका सं० ४४ पत्र ० २५० ६२४ ६० १०. ११ कात X ० ० २५० " विशेष ज्योतिष सम्बन्धी सामग्री है। २५१ १. भक्तामर स्तोत्र भाषा २. इष्टोपदेश भाषा २. सम्बोधन चासिका ४. सिन्दूरकर ५. चरवा ६. योगसार दोहा ७. द्रव्यसंग्रह गाथा भाषा सहित प्रनिरययं चाशिका ५६१३. गुटका सं० ४५ पत्र० १० ० ८५५ ६० भाषा हिन्दी विरभाषित ले० ५६६४. गुटका सं० ४६ एक सं० १७० ० ७५ १० जे० काम सं० १७२४ पूर्ण वै० मं० १२. पद १३. ग्रात्मसंबोध जयमाल यादि अखयराज X X बनारसीदास २० सं० २५४ ॥ X योगीन्द्रदेव X भुवनबन्द रूपचन्द दरिग्रह रूपचन्द 43 भाषा संस्कृतले कान X पूर्ण 6 1 X हिन्दी गद्य 33 प्राकृत संस्कृत हिन्दी 33 " बात हिन्दी 31 ע 33 " " " १-३४ ३४-५२ ५३-७१ ७२-१२ ६२-१०३ १०४-१११ ११२-१३१ १३४-१४७ १४०-१५४ १५५-५६ १२०-१६० १६४-१६९ १७०-१७७ ५६६५. गुटका सं० ४७ प सं० १३ ० ५X४ २० भाषा हिंदी पूर्ण Page #820 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५६ ] [ गुटका-संग्रह ५६६६, गुटका सं०४८ । पत्र सं० १०.१ मा० ५४४ इ० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १७०५ पूर्ण । वे० सं० २५५ । । विशेष-आदित्यनारकथा (भाऊ) धिरहमंजरी (नन्ददास ) एवं प्रायुर्वेदिक नुसखे हैं। ५६६७. गुटका सं? ४६ | पत्र सं० ४-११६ । प्रा. ५४४ इ. | भाषा-संस्कृत । ले० काल ४ । पूर्ण ३० सं० २५७1 विशेष--सामान्य पाठों का संग्रह है। ५६८. गुटका सं० ५० । पत्र सं० १८ । मा० ५४५ इ० | भाषा-संस्कृत । ले. नाल XI पूर्ण । ये. सं० २५८। विदोष-पदों एवं सामान्य पाों का संग्रह है। VEL. गुटका सं०५१ पत्र सं० ४७ | प्रा० ८X५ इ० वे० सं० २५६ । भाषा-स्कृत। ले०कालXI पूर्ण। हिन्दी विशेष-प्रतिष्ठा पाठ के पाठों का संग्रह है। ६०००. गुटका सं०५२ | पत्र सं०६८ मा. ८२x६ इ० | भाषा-हिन्दी । ले.सं. १७२५ भादया बुदी २ । पूर्ण । वे० सं० २६० । विशेष-समयसार नाटक तथा बनारसीविलास के पाठ हैं। ६०:१. गुटका सं०५३ । पत्र सं० २२८ | प्रा० Ex७ इ. । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १७५२ । पूर्ण । वे० सं० २६१ । १. समयसार नाटक बनारसीदास विशेप-विहारीदास के पुत्र नैनसी के पठनार्थ सदाराम ने लिखा था। २ सीताचरित्र रामचन्द्र (बालक) ३. पद कवि संतीदास ४. ज्ञानस्वरोदय चरणदास ५. षट्पचासिका ६०८२. गटका सं०५४। पत्र सं. ५८ | मा.४४३ इ०। भाषा-हिन्दी। ले. काल सं०१८२७ भेठ बुदी १३ । पूर्ण । ३० सं० २६२ । १. स्वरोदय विशेष-उमा महेवा संवाद में से है। हिन्दी Page #821 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ५७ २. पंचाध्यायी २५-५८ विशेष-कोटपुतली वास्तव्य श्रीवन्तलाल फकीरचन्द के पठनार्थ लिखी गई थी। ६.०३. गुटका सं०५५ | पत्र सं० ७-१२६ । मा० ५३४३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत | ले. काल ४। पूर्ण । वे० सं० २७२ । १. अनन्त के छप्पय भ० धर्मचन्द्र हिन्दी १४-२० विनोदीलाल ३. पद जगतराम (नेमि रंगीलो छवीलो हटीलो चटकीले मुगति दधु संग मिलो) ४. सरस्वती चूर्ण का नुसखा ५. पद- प्रात उठी ले गौतम नाम जिम मन हिन्दी वांछित सीझे काम | कुमुदचन्द ५. जीय वेलडी देवीदास ( सतगुर कहत सुनो रे भाई यो संसार प्रसारा) ७. नारीरासो २१ पद्य हैं। x ३१ पद्य हैं। ८, चेतावनी गीत नाथू भ० जिराचन्द्र संस्कृत भ. अमरकीति ६. जिनचतुर्विंशतिस्तोत्र १०. महावीरस्तोत्र ११. नेमिनाथ स्तोत्र १२. पद्मावतीस्तोत्र शालि १३. षट्मत घरचा जिनदास हिन्दी ५. पद्य है। . १४. पाराधनासार १५. विनती १६. राजुल की सज्झरम २० पञ्च हैं। ३७ पद्य हैं। · १२ पद्य हैं। गंगादास १७. झूलना १५. ज्ञानपैडी १९. श्रावकालिया मनोहरदास x . . . Page #822 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७] विशेष – विभिन्न कवित्त एवं वीतराग स्तोत्र आदि हैं। ६००४. गुटका सं० ५६ प पू० सं० २०३ विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है। ६००५. गुटका सं० ५७ पत्र ०३८०० ६२४४६ भाषा हिन्दी संस्कृत ले० काल सं०] १८४३ चेत बुदी १४ । अपू । ० सं० २७४ । १. तीसीसी २. वीसोबीसी चौप आदि है विशेष— भक्तारस्तोत्र, स्तुति, कल्याणमन्दिर भाषा, शांतिपाल, तीन बीबीसी के नाम एवं देव पूजा ६००६. गुटका सं० ५८ पत्र सं० ५६ ॥ श्रा० ६९४ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल x पूर्ण ० २०६ । आदि है। १२० ० ४४० भाषा हिन्दी संस्कृत ले० काल X X - श्वाम हिन्दी अन्तिल - नाम चौपई ग्रन्थ यह, जोरि करी कवि स्याम । , [ गुटका-संमद ले० काल सं० १७४९ कार्तिक बुदी ५ जैसराज सुत डोलिया, जीवनपुर तस धाम ॥२२६॥ सतरारी उनवास में, पूरन ग्रन्थ सुभाव उजली पंचमी, विजे स्कन्धवराज ॥२१ एक बार जे सरद मा रिसि पाठ नरक नीच गति के विषै, गाढे जडे कपाट ।।२१८|| ॥ इति श्री तीस बोइसी जी की चौपाई ॥ जोधराज ६००७. गुटका सं० ५६ | पत्र सं० ५२ । प्रा० ६x४३ ६० भाषा - संस्कृत प्राकृत | ले० काल X पूर्ण वे० सं० २६३ | विशेष सोनलबीसी के नाम, भक्तामर स्तोत्र, पंचरत्न परीक्षा की गावा, उपदेश रत्नमाला की गाथा १० काल १७४६ चैत सुदी १ ६००८ गुटका सं० ६० पत्र सं० ३४ प्रा० ६५ ६० भाषा-हिन्दी ले० काल सं० १६४३, पूर्ण ० ० २९३ ॥ १. समन्तभद्रकथा हिन्दी २० का १७२२ वैशाख बुदी ७ Page #823 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह २. श्रावकों को उत्पत्ति तथा ८४ गोत्र हिन्दी ३. सामुद्रिक पाठ अन्तिम-सगुन इलन सुमत सुभ सब जनकू' सूख देत। भाषा सामुद्रिक रच्यो, सजन जनों के हेल ६०.६. गुटका सं०६१ । पत्र सं० ११-५८ । प्रा० १x६ इ. 1 भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेज काल सं. १६१६ | प्रपूर्ण । वे० सं० २९६ । विशेष-विरहमान तीर्थङ्कर जकडी (हिन्दी) दशलक्षरण, रत्नत्रय पूजा (संस्कृत) चमेरु पूजा (भूधरदास) नन्दीश्वर पूजा जयमाल { संस्कृत ) अनन्तजिन पूजा ( हिन्दी ) चमत्कार पूजा ( स्वरूपचन्द ) (१९१६), पंचकुमार पूजा मादि हैं। ६०१०. गुटका सं०६२ । पत्र सं० १६ । प्रा० ८६x६ इ० । ले. काल । पूर्ण 1 वे० सं० २९७ 1 विशेष-हिन्दी पदों का संग्रह है। ६०११. गुटका सं० ६३ । पत्र सं० १६ । प्रा० ६३४ | भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-संग्रह । ले० कालxपूर्ण ने.सं. ३०८ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह एवं ज्ञानस्वरोदय है। ६०१२. गुटका सं०६४ । पत्र सं० ३६ । प्रा० ६xs इ० | भाषा-हिन्धी । ले० काल ४ । पूर्ण | वै० सं० ३२५ । विशेष-(१) कवित्त पनाकर तथा अन्य कवियों के (२) चौदह विद्या तथा कारखाने जात के नाम ( ३ ) आमेर के राजानों को वशावली, (४) मनोहरपुरा की पीढियों का वर्णन, (५) संडला की वंशावली, (६ ) खंडेलवालों के गोत्र, (७) कारखानों के नाम, (८) मामेर राजानों का राज्यकाल का विवरण, (६) दिल्ली के बादशाहों पर वित्त आदि हैं। ६०१३ गुटका सं०६५। पत्र सं. ४२ । मा. ६x४ इ० । भाषा-हिन्या संस्कृत । ले. काल । पूर्ण । वे० सं० ३२६ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६०१४. गुट का सं०६६ । पत्र लं० १३-३२ | प्रा. ७४४ इ. भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल x] नपुर्ण । वे०सं० ३२७ । विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है। Page #824 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० ] [ गुटका-संग्रह ६०१५. गुटको सं०६७ । पत्र में०५२ मा० ६४४ इ.! भापा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल : पूर्ण । ० सं० ३२८ । विशेष--कवित्त एवं प्रायुर्वेद के नुसखों का संग्रह है। ६०१६. गुटका सं०६८ । पत्र #० २६ । प्रा० ३४५२ ५ । भावा-हिन्दी । विषम-संग्रह । ले० काल: पुर्ण । वै० सं० ३३० । विशेष-पदों एवं कवितापों का संग्रह है 1 ६.१७. गुटका सं०६६ । पत्र सं० ५४ । प्रा. ६४४ इ. । भापा-हिन्दी । ले. काल x ! पूर्ण । वे० सं० ३३२ विशेष-विभिन्न कधियों के पदों का संग्रह है। ६०१८. गुटका सं०७२ । पत्र सं० ४० । प्रा० ११४५ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल XI पूर्ण । वे० सं० ३३३ । विशेष-पदों एवं पूजात्रों का संग्रह है। ६०१६. गुटका सं०७१ । पत्र सं०६८ | प्रा. ४३४३३ इ. । भाषा-हिन्दी । विषय-कामशास्त्र । ले. काल XI पूर्ण । वे० सं० ३३४ । ६.२०. गुटका सं०७२ । स्फुट पत्र । वे० सं० ३३६ । विशेष -कर्मों की १४८ प्रकृतियां, इष्टदतीसी एवं जोधराज पच्चीसी का संग्रह है। ६.२१. गुटका सं०७३ । पत्र सं० २८ । आः ८३४५ इ० । भापा-हिन्दी । ले० कास ४ । पूर्ण । दे० सं० ३३७ । विशेष-ब्रह्मधिलास, चौबीसदण्डक, मार्गणाविधान, प्रकलाष्टक तथा सम्यक्त्वपचीसी का संग्रह है। ६०२२ गुटका सं०७४ । पत्र सं० ३६ । भा० ३४५ ३० । भाषा-हिन्दी । विषय-संग्रह । ले० काल X| पूर्णे | वे० सं० ३३८ । विशेष----विनतिया, पद एवं अन्य पाठों का संग्रह है। पाठों की संख्या १६ है। ६०२३. गुटका सं०७५ । पत्र सं० १४ । मा० ५४४ इ.। भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १६५६ । पुर्य 1 वे०सं० ३३६। विशेष-नरक दुःख वर्णन एवं नेमिनाथ के १२ भवों का वर्णन है। Page #825 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संमह ] । ७६१ ६०२४. गुटका सं०५६ ! पत्र सं २५ ! मा ८६४६ इ० । भाषा-संस्कृत । । ले० काल X । पूर्ण । 2. सं. ३४२। विशेष-प्रायुर्वेदिक एवं यूनानी नुसखों का संग्रह है। ६०२५. गुटका सं०७४ । पत्र सं० १४ । प्रा० ६x४ ३० । भाषा-हिन्दौ । विषय-संग्रह । ले. काल XI० सं० ३४१ । विशेष-जोगीरासा, पद एवं विनतियों का संग्रह है। ६०२६. गुटका सं० ७८ । पत्र सं० १६० । आ० ६४५ ३० । भाषा-संस्कृत हिन्दो । ले० काल x। पूर्व । वै. सं. ३५१। विशेष-सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। पृष्ठ ६४-१४६ तक वंशीधर कृत व्यसंग्रह की वालावबोध टीका है। टीका हिन्दी गद्य में है। ६०२७, गुटका स०७६ । पत्र सं० ८६ । प्रा० ७४४ इ० । भाषा-हिन्दी | विषय-पद-संग्रह । ले. काल X । पूर्ण । ३० सं० ३५२ । भ भण्डार [ शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, जयपुर ] ६०२८. गुटका सं०१ । पत्र सं. २५८ | प्रा. ६४५ इ० । । ले० काल XI पूर्सा । वे० सं० १ । विशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। लक्ष्मीरोन का चितामणिस्तवन तया देवेन्द्रकीति कृत प्रत्तिमासान्त चतुर्दशी पूजा है। ६०२६. गुटका सं०२ । पत्र सं. ५४ : प्रा० ६४५ ३० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल सं. , १८४३ । पूर्ण । विशेष-जीवराम कृत पद, भक्तामर स्तोत्र एवं सामान्य पाठ संग्रह है। ६.३०. गुटका सं०३ । पत्र सं० ५३ । प्रा० ६४५ । भाषा संस्कृत । ले० काल X| पूर्ण । जिनयज्ञ विधान, अभिषेक पाठ, गणधर बलय पूजा, ऋषि मंडल पूजा, तथा कर्मदहन पूजा के पाठ हैं। ६०३१. गुटका सं०४ । पत्र सं० १२४ । आ. ८४७३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल सं० १६२६ । पूर्ण । विशेष-नित्य पूजा पाठ के अतिरिक्त निम्न पाठों का संग्रह है-- १. सप्तसूत्रभेद संस्कृत Page #826 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ ] २. मूढता ज्ञनांकुश इत्यादि ३. त्रेपनक्रिया ४. समयसार ५. आदित्यवारकथा ६. सरास ७ धर्मतरुगीत 5. चहुगली प २. नंसारमटवी १०. चेतनगीस पूर्ण · वे० [सं०] ६ । १. नेमीश्वर का बारहमासा २ आदीश्वर के दशभव ३. क्षोरहीर :X: + X श्र० कुन्दकुन्द भाऊ ज्ञानभूषण जिनदास X X जिनदास ले. काल X 1 पूर्ण 1 १. चिन्तामणि पार्श्वनाथ जयमाल २. ऋषि मंडलपूजा सोम सुनि गुणनंदि 99 हिन्दी विशेष – नित्य पूजा पाठ संग्रह भी है। " प्राकृत हिन्दी 29 सं० १६२६ में प्रभावती में प्रतिलिपि हुई थी 1 ६०३२. गुटका सं० ५ | पत्र सं० ७५ । श्रा० ६८५ ३० । भाषा-संस्कृत 1 ले० काल से० १६८२ । " 13 विशेष—स्तोत्रों का संग्रह है ।. सं० १६८२ में नागौर में बाई ने दिक्षा ली उसका प्रतिज्ञा पत्र भी है। .६०३३. गुटका सं० ६ । पत्र सं० २२ प्रा० ६९५ इ० | भाषा - हिन्दी | विषय-संग्रह | ले० काल X ก "" ז खेतसिंह गुराचंद X ६०३४. गुटका सं० ७ । पत्र सं० १७७ । प्रा० ६५ ६० भाषा - हिन्दी । ले० काल X। पूर्ण 1 विशेष-- नित्यनैमित्तिक पाठ, सुभाषित ( भूधरदास ) तथा नाटक समयसार ( बनारसीदास ) हैं । 39 [ गुटका संग्रह ६०३५ गुटका सं० ८ । पत्र सं० १४६ । ग्रा० ६x४३ इ० । भाषा संस्कृत, अपभ्रंश । प्रपत्र श संस्कृत Page #827 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * गुटका संग्रह ] [ ७६३ ६०३६. गुटका सं० ६ | पत्र सं० २० । ० ६x४ इ० | भाषा हिन्दी । ले० काल X। पूर्ण विशेष -- सामान्य पाठों का संग्रह, लोक का वर्णन, अकृत्रिम चैत्यालय दर्शन, स्वर्गनरक दुख वर्णन, चारों गतियों को आयु आदि का वर्णन, इष्ट बत्तीसी, पश्चमङ्गल, श्रालोचना पाठ यादि हैं। ६०३७. गुटका सं० २० । पत्र सं० ३८ | श्र० ७ ९ ६० भाषा-संस्कृत । ले० काल X। पूर्ण । विशेष-सामायिक पाठ, दर्शन, कल्याण मंदिर स्तोत्र एवं सहस्रनाम स्तोत्र है | ६०३८. गुटका सं० ११ । पत्र सं० १९६ | श्र० ४४५ ६० | भाषा - हिन्दी | ले० काल X | पूर्ण | संस्कृत हिन्दी ले० काल सं० १७२७ चैतसुदी ५ १. भक्तामर स्तोत्र टब्वाटीका २. पद हर्ष कत्ति ३. पंचगुरु की जयमाल ४. कवित ५. हितोपदेश टीका ६. पद-ते नर भव पाय कहाँ कियो ७. जकड़ी ८. पद - मोहिनी वहकायो सब जग मोहनी X X 33 ( जिरा जिसस जप जीबडा तीन भवन में सारीजी } ग्रं० रायमल्ल ले० काल सं १७२६ = X X रूपषन्द X मनोहर १. जिनस्तुति २. गुणस्थानकगीत 15 3 " हिन्दी ६०३६. गुटका. सं० १२ । पत्र [सं० १३० १ ० १००० | भाषा हिन्दी सस्कृत 1 ले० काल X पूर्ण निम्न पाठ है:-- सुमतिकी व० श्री वर्द्धन 99 29 क्षेत्रपाल पूजा ( संस्कृत ) क्षेत्रपाल जयमाल (हिन्दी) नित्यपूजा, जयमाल ( संस्कृत हिन्दी ) सिद्धपूजा (स० ) पोडश कारण, दशलक्षण, रत्नत्रयपूजा, कलिकुण्डपूजा और जयमाल ( प्राकृत ) नंदीश्वरपं किपूजा प्रनन्तचतुदेशीपूजा, अक्षयनिधिपूजा तथा पार्श्वनास्तोत्र मायुर्वेद ग्रंथ ( संस्कृत ले० काल सं० १६० १ ) तथा कई तरह की रेखाओं के चित्र भी है, राशिफल आदि भी दिये हुये हैं । ६०४०. गुटका सं० १३ | पत्र सं० २८३ | श्र० ७५४ ६० | ले० काल सं० १७३८ । पूर्ण । गुटके में मुख्यतः निम्न पाठ हैं हिन्दी " Page #828 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ । [ गुटका-संग्रह अन्तिम-भवति भी षर्द्धन ब्रह्म एह वाजी भवियरण सुख करइ x प्रपन्नश हिन्दी ३. सम्यक्त्व जयमाल ४. परमार्थ गीत रूपचन्द्र ५. पद-हो मेरे जीम तू कत भरमायो, तू चेतन यह जड परम है मामै कहा लुभायो । मनराम ६, मेवकुमारगीत ७. मनोरथमाला भचलकीति अचला तिहि तणा गुण गाइस्यों, ८, सहेलीगीत पूनो सुन्दर महेल्यो हे यो संसार प्रसार मो चित में या अपनी जी सहेल्यो है ज्यो रांचे सो गवार तन धन जोबन पिर नहीं 1 ह. पद मोहन हिन्दी जा दिन हँस चले घर छोडि, कोई न साथ खड़ा है गोडि । जण जण के मुख ऐसी वाणी, बडो वेगि मिलो प्रन पाणी ।। प्रण विडव उनगै सरीर, खोसि खोसि ले तनक चीर । चारि जरणा जङ्गल ले जाहि, पर मैं घडी रहा दे नाहि । जबता बूड विडा में वास, यो मन मेरा भया उदास । काया माया झूठी जानि, मोहन होऊ भजन परमाणि ।।६।। १०. पद हर्षकीति हिन्दी नहि छोडौ हो जिमरान नाम, मोहि और मिथ्यास से क्या बने काम । मनोहर हिन्दी सेव तो जिन साहिब की कीजै नरभव लाहो लीजे १२. पद हिन्दी जिणदास स्यामदास बनारसीदास १३. " १४. मोहविवेकयुद्ध १५. वादशानुप्रेमा Page #829 -------------------------------------------------------------------------- ________________ x रूपचन्द गुटका-संग्रह ] १६. द्वादमानुप्रेक्षा १७. विनती जै जै जिन देवनि के देवा, सुर नर सकल कर तुम सेवा। १८. पंचेन्द्रियवेलि ठक्कुरसी हिन्दी २० काल सं० १५८५ १६. पञ्चगतिवेलि हर्षकोत्ति २.. परमार्थ हिंडोलना रूपचन्द २१. पंथीगीत छोहल २२. मुक्तिपीहरगीत २३, पद-प्रब मोहि पौर कछु न सुहाय २४, पदसंग्रह बनारसीदास ६०४१. गुटका सं०१४ । पत्र सं० १०६-२३७ । प्रा० १०४७ इ. | भाषा-संस्कृत | ले. काल x | अपूर्ण। बिशेष-स्तोत्र, पूजा एवं उसकी विधि दी हुई है । ६०४२. गुटका सं०१५ । पत्र सं० ४३ । प्रा० ७४५ इ०.। भाषा-हिन्दी। दिपा -पद संग्रह | ले० काल X । पूर्ण। ६०४३. गुटका सं० १५ । पत्र सं० ५२ । प्राय ७४५ इ० । भाषा संस्कृत हिन्दी। विषय-सामान्य पाठ संग्रह ! ले. काल XI पूर्ण । ६०४४. गुटका सं० १७ । पत्र सं० १६६ । प्रा० १३४३ इ० । ले० काल सं० १६१३ ज्येष्ठ बुद्ध। । पूर्ण। १. छियालीस ठाणा न. रायमल्ल संस्कृत विशेष-चौमीस तीर्थङ्करों के नाम, नगर नाम, कुल, वंश, पंचकल्याणकों की तिथिमादि विवरण है। २८ प्राकृत ले. काल सं० १६१३ ज्येष्ठ ५९ २. चौबीस ठाणा चर्चा ३. नौवसमास विशेष-व. राममल्ल ने देहली में प्रतिलिपि की थी। ४. सुप्पय दोहा ५. परमात्म प्रकाश भाषा प्रभुदास ६. रत्नकरण्डयावकाचार समंतभद्र हिन्दी संस्कृत ६०४५. गुटका सं०१८ । पत्र सं० १५० । प्रा० ७.५२३ इ० । भाषा-संस्कृत 1 ले० काल X । पूर्ण विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। Page #830 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटका-संग्रह र भण्डार [ आमेर शास्त्र भण्डार जयपुर ] ३२४६. गुद का सं० ११ पत्र सं० ३७ । भाषा-हिन्दी 1 विषय-संग्रह । ले. काल x 1 पूर्ण । वे. सं० १५०१ । १. मनोहरमंजरी मनोहर मिश्र १-२६ हिन्दी प्रारम्भ--- अथ ममाह मंजरी, पथना औपना लक्ष। याके योवनु मंकुरयो, अंग अंग छवि प्रोर । सुनि सुभान नव यौवना, कहत भेद । ठोर ।। मन्तिमः लहलहाति अति रसमसी, बहु सुवातु भपाठ (?) निरखि मनोहर मंजरी, रसिक भृङ्ग मंडरात ॥ सुनि सृजनि अभिमान तजि मन विचारि पुन थोष । कहा बिरहु कित प्रेम रसु, तही होत दुख मोख । वेद प्रत दे दीप के, अंक बीच प्रामास । करी मनोहर मंजरी, मकर चोदनी ग्यास ॥ माथुर का हो मधुपुरी, बसत महोली पोरि । करी मनोहर मंजरी, अनूप रस सोरि॥ इति श्र, सकललोककृतमणिमरीचिमंजरीनिकरनीराजितपददधुन्दावनविहारकारिलयाकटालमटोपासक मनोहार मिश्र विरचिता मनोहरमंजरीसमाप्ता। कुल ७४ पद्य हैं । सं० ७२ तक ही दिये हुये हैं। नायिका भेद वर्णन है। २. फुटकर दोहा विशेष- ७. दोहे हैं। ३. माधुर्वेदिक नुसने ६०४७. गुटका सं०२ । पत्र सं. २-५८ ! भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १७६४ । अपूर्ण । वे० सं० ३०-३६ । ३७ __x .. . मंबवास हिन्दी पद्य सं० २६१ २-२८ १. माममंजरी २. अनेकार्थमंजरी २८-४० स्वामी खेमदास ने प्रतिलिपि की थी। Page #831 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ४१-४३ ३. कवित्त ४. मोजरासो उदयभानु प्रारम्भ श्री गणेसाय नमः । दोहरा । कुजर कर कुबर करन कुंजर आनंद देव । सिधि समपन सप्त सूब सुरनर कीजिय सेव ॥१॥ जगत जननि जग उछरल जगत ईस भरधंग । मौन विचित्र निराजकर हंसासन सरवंग ।। २ ।। सूर शिरोमणि सूर सुत सूर टरै नहि मान । जहां तहां सूबन सुम जिये तहां भूपति भोज वखाम ।।३।। अन्तिम-इति श्री भोजजी को रासो उदेभानजी को फियो । लिखतं स्वामी खेमदास मिती फागुण बुदी ११ संपत् १७६५ । इसमें फुल १४ पद्य है जिनमें भोजराज का वैभव व यश वर्णन किया गया है । ५. कवित टोडर हिन्दी कवित्त है ४६-४ विशेष-ये महाराज टोडरमल के नाम से प्रसिद्ध थे और मकघर के भूमिकर विभाग के मंत्री थे। ६०४८. गुटका सं०३ । पत्र सं० ११८ | भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १७२६ । मपूर्ण । वे. सं० १. मायाब्रह्म का विचार हिन्दी गद्य अपूर्ण विशेष-प्रारराम के कई पत्र फटे हये हैं गद्य का नमूना इस प्रकार है। "माया काहे ते कहिये वभस्यो सबल है तातै माया कहिये । भकास काहे त कहिये पिंड ब्रह्मांड का भादि प्राकार है तातै प्राकास कहीये । सुनी ( शून्य) काहे ते कहीये-जड है तातै सुनी कहिये | सकती काहे ते कहिये सकल संसार को जीति रही है ताले सकती कहिये।" अन्तिम-एता माया ब्रह्म का विचार परम हंस का ग्यान भ जगीस संपूर्ण समाप्ता । श्रीशंकाचारीज वीरच्यते । मिती प्रसाढ सुदी १० सं० १७२६ का मुकाम गुहाटी उर कोस दोह देईदान चारण की पोथीस्य उतारी पोपी सा........म ठोल्या साह नेवसी का बेटा ........कर महाराज श्री रुघनापस्यधजी । २ गोरखपदावली गोरखनाथ अपूर्ण विशेष-करीब ६ पद्य हैं । Page #832 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ ] ३. सतसई विशेष प्रारम्भ के १२ दोहे नहीं हैं। कुल ७१० दोहे हैं । ४. वैद्यमनोत्सव १५०५ । नयनसुख अपूर्ण १७-११८ ६०४६. गुटका सं० ४ । पत्र सं० २५ । भाषा-संस्कृत विषय नीति । ले० काल सं० १८३९ पौष सुदी ७ । पूर्ण । जे० सं० १५०४ । विशेष- चाणक्य नीति का वर्णन है । श्रीचन्दजी गंगवाल के पठनार्थ जयपुर में प्रतिलिपि की थी । ६०५०. गुटका सं० ५ पत्र सं० ४० | भाषा - हिन्दी । ले० काल सं० १८३१ । अपूर्ण वे० सं० म्हारा रेबेरागी जोगी जोगणि संग न छाडे जी । मानसरोवर मनस भुलती प्रावे गगन मह मंड मारजी ॥ बिहारीलाल हिन्दी अपूर्ण ले० काल सं० १७२५ माघ सुदी २ । विशेष- विभिन्न कवियों के शृङ्गार के अनूठे कवित्त है । ६०५१. गुटका सं० ६ । पत्र सं ले० काल सं० १७६८ कार्तिक सुदी ६ । पूर्ण । वै० सं० १५०६ । वैशाख बुदी १. कवित्त [ गुटका संच निम्न प्रकार है 33 ३-६५ विशेष- सुन्दरदास कृत सुन्दरङ्गार है। श्रेयदास गोधा मालपुरा वाले ने प्रतिलिपि की थी। ६०५२. गुटका सं० ७ । पत्र सं० ४५ | मा० ६७३६० । भाषा - हिन्दी । ले० काल सं० २०३१ पूर्ण । वे० सं० १५०७ । ० ६४० भाषा हिन्दी २० का ० १६८८ श्रांधी बांटे जेवरी पाछे बरा खाय । पायें बछरा खाय कहत गुरु सीख न माने । ग्यान पुन मसान छिनक मैं घरम मुलाने || करो विप्रलो रीत मृतग धन लेत न लाजे । नीच न समझे मीच परत विषया के कार्ज । अगर जीव श्रादि ते यह बंध्योस करें उपाय ! आधी बोटे जेवरी पाछे बछरा खाय ॥१०॥ अमर (अग्रदास ) हिन्दी पूर्ण १-१० विशेष — कुल ६३ पद्य हैं पर प्रारम्भ के ७ पच नहीं है । इनका छन्द कुण्डलिया सा लगता है एक छन्द ' Page #833 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुपका संबह [ ७६६ ३. द्वादशानुप्रेक्षा लोहट हिन्दी १७-२१ ले. काल सं० १८३१ वैशाख बुदी ८ । विशेष-१२ सवैये १२ कवित छप्पय तथा अन्त में १ दोहा इस प्रकार कूल २५ छंद हैं। मन्तिम मनुप्रेक्षा द्वादश सुनत, गयो तिमिर प्रज्ञान । २१-२४ अष्ट करम तसकर दुरे, उग्यो अनुभै भान ।। २५ ॥ इति द्वादशानुप्रेक्षा संपूर्ण । मिती मैशाख बुदी ८ संवत् १८३१ दसकत देव करण का। ४. कर्म पच्चीसी भारमल विशेष--कुल २२ पद्य हैं। अन्तिमपद्य करम मा तोर पंख महावरत धरू अपू चौवीस जिणंदा । परहंत ध्यान लैव चई साह लोयण वंदा ।। प्रकृति पच्चासी जारिश के करम पचीसी जान । सूदर भारमल.......... स्यौपुर थान ॥ कर्म प्रति० ॥ २२ ॥ ॥ इति कर्म पच्चीसी संपूर्ण । ५. पद-( बांसुरी दीजिये व्रज नारि ) सूरदास ६. पद हम तो वज को बसिबो ही तज्यो ब्रज में बसि देरिणि सूबसूरी ७. श्याम बत्तीसी श्याम विशेष-कुल ३५ पद्य हैं जिनमें ३४ सवैये तथा १ दोहा है: अन्तिम कृष्ण ध्यान चतु अष्ट में श्वनन सुनत प्रनाम । कहत स्याम कलमल कह रहत न रक्षक नाम ।। ८. पद-विन माली जो लगावै बाग मनराम कबीर ९. दोहा-फबीर औगुन एक ही गुण है लाख करोरि १० फुटकर कवित्त ११ जम्बूद्वीप सम्बन्धी पंच मेरु का वर्णन xx अपूर्ण ४१-४५ Page #834 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७० ] [ गुटका-संग्रह ६०५३. गुटका सं० = | पत्र सं. ८६ | प्रा. ६X इ. | ले. काल सं० १७७६ श्रावण बुरी 1 पूर्ण । वे. सं० १५०८ । पृथ्वीराज राठौर राजस्मानी डिंगल १- १. कृष्णरुक्मणि वेलि ५ र० काल• सं०१६३७ । विशेष—थ हिन्दी मर टीका सहित है। पहिले हिन्दी पद्य हैं फिर गद्य टीका दी गई है। हिन्दी चतुर्भुज २. विषाणु पंजर रक्षा संस्कृत ३. भजन (गढ का कैसे लीजे रे भाई) x ४. पद-(बैठे नव निकुज कुटीर) ५. , (धुनिसृनि मुरली बन बाजे) हरीदास ( सुन्दर सांबरो प्रावै चल्यो सखी) मंददास ७. , ( बालगोपाल छैगन मेरे ) परमानन्द ८, ( बन ते प्रावत गावत गौरी) x ६०५४. गुटका सं. ६ | पत्र सं० ८५ । आ. exs इ० । भाषा-हिन्दी | ले. काल X । पूर्ण । ० सं० १५० । विशेष-केवल कृष्णस्वमगी वेलि पृथ्वीराज राठौर नृत है। प्रति हिन्दी टीका सहित है। टीकाकार अशात है। गुटका सं०८ में पाई हुई टीका से भिन्न है। टीका काल नहीं दिया है। ६०५५. गुटका सं०१० । पत्र सं० १७०-२०२ । प्रा०६४७ इ. | भापा-हिन्दी। ले. काल | अपूर्ण । वे सं० १५११ । १. कवित्त राजस्थानी डिंगल विशेष-शृङ्गार रस के सुन्दर कवित्त हैं । विरहिनी का वर्णन है। इसमें एक कवित्त छोहल का भी है । २. श्रीरुकमणिकृष्णाजी को रासो तिपरदास राजस्थानी पद्य १७३-१८५ विशेष--इति श्री रुकमणी कृष्णजी को रासी तिपरदास कृत संपूर्ण ॥ संवत् १७३६ वर्षे प्रथम चैत्र मासे शुभ शुक्ल पक्षे तिथौ ददाम्या बुधवासरे श्री मुकन्दपुर मध्ये लिहापितं साह सजन कोष्ठ साह लूणाजी तत्पुत्र सजन साह श्रेष्ठ दाजूजी वाचनाय । लिखतं व्यास जटना नाम्ना। ३ कवित्त हिन्दी १८६-२०२ विशेष-भूधरदास, सुखराम, विहारो तथा केशवदास के कवित्तों का संग्रह है। ४७ कवित्त हैं। राजस्था Page #835 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ७७१ ६०५६. गुटका सं० ११ । पत्र सं० ४६ । पा. १०x१० । भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ | अपूर्ण । वे० सं० १५१४ १. रसिकप्रिया फेशवदेव हिन्दी प्रपूर्ण १-४८ ले. काल सं० १७६१ जेष्ठ सुदी १४ २. कवित्त ४६ ६०५५. गुटका सं० १२ । पत्र सं० २-२६ । प्रा. ५४६ इo | भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण विशेष-निम्म पाठ उल्लेखनीय है । १. स्नेहलीला जनमोहन हिन्दी अन्तिम-या लीला अज वास की गोपी कृष्ण सने ह । जनमोहन जो गाव ही सो पावै नर देह ॥११।। जो गावे सीखें सुनै भाव भक्ति करि हेत | रसिकराय पूरण कृपा मन बांछित फल देत ॥१२०॥ ॥ इति स्नेहलीला संपूर्ण । विशेष-ग्रन्थ में कृष्ण ऊधत्र एवं ऊधव गोपी संवाद है। ६०५८. गुटका सं० १३ । पत्र सं० ७६ । प्रा० Ex६३ इ० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० X । पूर्ण । ० सं० १५२२ १. रागमाला श्याम मिश्र हिन्दी १-१२ १. काल सं० १६०२ फागुग बुदी १ ले काल सं० १७४६ सावन सुदी १५ । विशेष-ग्रन्य के प्रादि में कासिमखां का वर्णन है । मध का दूसरा नाम कासिम रसिक बिलास भी है । अन्तिम संवत् सौरह से वरण ऊपर बीते दोय । फागुन वदी सनो इसी सुनो गुनी जन लोय ॥ पोथी रची लहौर स्याम मागरे नगर के। राजघाट है और पुत्र चतुर्भुज मिश्र के ।। इति रागमाला ग्रन्थ स्याम मिश्र कृत संपूर्ण । संवत् १७४६ वर्षे सावण सुदी १५ सोववार पोथी सेरगढ़ प्रगर्ने हिंडोंग का में साह गोरधनदास अग्रवाल की पोथी चे लिली लिखतं मौजीराम । २. द्वादशमासा (धारहमासा) महाकविराइसुन्दर हिन्दी Page #836 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 ५७२ ] [ गुटका-संग्रह विशेष- कुल २४ कवित्त है । प्रत्येक मास का विरहिनी वर्णन किया गया है । प्रत्येक कवित्त में सुन्दर शब्द हैं । सम्भव है रचना सुन्दर कवि की है। ३. नखशिखवर्णन केवामदास हिन्दी १४-२८ ले. काल सं० १७४६ माह बुदी १४ । विशेष-कोरगढ में प्रतिलिपि हुई थी। ४. कवित्तगिरधर, मोहन सेवग प्रादि के हिन्दी ६०५६. गुटका सं०१४ । पत्र सं० ३६ | प्रा० ५४५ इ० | भाषा-हिन्दी ले. काल XI पूर्ण । के.सं. १५२३ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६०६०. गुटका सं० १५ । पत्र ० १६८ | मा० ५४६३० [पा-हिन्दी । विषम-पद एवं पूजा। ले. काल सं० १८३३ आसोज बुदी १३ । पूर्ण । वे० सं० १५२४ । १. पदसंग्रह हिन्दी विशेष-जिनदास, हरीसिंह, बनारसीदास एवं रामदास के पद हैं । राग रागनियों के नाम भी बिये हुये हैं २. चौयोसतीर्थङ्करपूजा रामचन्द्र हिन्दी ५८-१९८ ६०६१. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १७१ । प्रा० ७४६ इ. | भाषा-हिन्दी संस्तुत 1 ले. काल सं० १६४७ । अपूर्ण । वे० सं० १५२५ । वियोष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १. विरदावली सस्कृत विशेष-पूरी भट्टारक पट्टावली दी हुई है। २. ज्ञानबावनी मतिशेखर १८-१०२ विशेष-रचना प्राचीन है। ५३ पद्यों में कवि ने अक्षरों की बावनी लिली है। मतिशेखर की लिखी हुई धना घउपई है जिसका रचनाकाल सं० १५७४ है । ३ त्रिभुवन की विनती गङ्गादास विशेष---इसमें १०१ पद्य हैं जिसमें ६३ शलाका पुरुषों का वर्णन है । भाषा गुजराती लिपि हिन्दी है। ६०६२. गुटका सं०१७ । पत्र सं० ३२-७० । मा० ५४६ ३० । भापा-हिन्दी । ले. काल सं. १५४७ । अपूर्ण ! वे० सं० १५२६ । विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है। Page #837 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ६०६३. गुटका सं० १८ । पत्र सं०७० । मा० ६x४ इ० । भापा-हिन्दी | ले. काल सं० १८६४ ज्येष्ठ बुदी ss | पूर्ण । ३० सं० १५२७ ॥ १. चतुर्दशीकथा. टीकम हिन्दी २० काल सं० १७१२ विशेष-३५७ पध हैं। २. कलियुग की कथा द्वारकादास विशेष-पचेवर में प्रतिलिपि हुई थी। ३. फुटकर कवित्त, रागों के नाम, रागमाला के दोहे तथा बिनोदोलाल कृत चौबीसी स्तुति है । ४. कपडा माला का दूहा राजस्थानो सुन्दर विशेष- इसमें ३१ पद्यों में कवि ने नायिका को अलग २ कपड़े पहिना कर दिरह जागृत किया तथा किर पिय मिलन कराया है। कविता सुन्दर है। ६०६४. गुटका सं० १६ । पत्र सं० ५७-३०५ । भा० १३४६३ ३ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषयसंग्रह । ले० काल सं० १६९० द्वि० वैशाख सुदी २ । अपूर्ण । वे० सं० १५३० । १. भविष्यदत्तचौपई या रायनल्ल हिन्दी अपूर्ण २. श्रीपालचरित्र परिमल्ल १०७-२८३ विशेष-कवि का पूर्ण परिचय प्रशस्ति में है । अकवर के शासन काल में रचना की गई थी। ३. धर्मरास ( प्रायकाचाररास) x २८३-२६८ ६०६५. गुटका सं०२० । पत्र सं० ७३ । प्रा० ६x६३ इ० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ल. काल सं. १८३६ चैत्र नुदी ३ । पूर्ण । वै० सं० १५३१ । विशेष-स्तोत्र पूजा एवं पाठों का संग्रह है। बनारसीदास के कवित्त भी हैं। उसका एक उदाहरण निम्न है:-- कपडा को रौस जाणे हैवर की हौस जाणे । न्याय भी मवेरि जाग राज रौस मारिणी ।। राग तो छत्तीत जाणे लषिण बत्तीस जाणे । धूप मतुराई जाणे महल में माणिवी ।। बात जाणे संबाद जाणे खूवी खसबोई जाणे । सगपग साधि जारगमर्थ को जाणिवी । कहत बनारसीदास एक जिन नांव विना । ................ वो सब जाणिवी ।। Page #838 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७५ ] [ गुटका-संग्रह ६०३६. गुटका सं० २१ । पत्र सं० १६४ । प्रा० ६४४ ३० । भापा-हिन्दी संस्कृत | विषय संग्रह । ले कान सं० १८६७ । अपूर्ण । ३० सं० १५३२ । विशेष—सामान्य स्तोत्र पाठ संग्रह है। ६०६७. गुटका सं० २२ । पत्र सं० ४८ प्रा. १०४७ ३० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय--संग्रह । ले. काल X । अपूर्णं । वै० सं० १५३३ । विशेष-स्तोत्र एवं पदों का संग्रह है। ६८६८. गुटका सं० २३ । पत्र सं० १५-६२ । प्राय ५४४ ० । भाषा--हिन्दी । ले० काल सं० १८५पूर्ण । १६:४।। विशेष--निम्न पाठों का संग्रह है:-भक्तामर भाषा, परमज्योति भाषा, प्रादिनाथ को वीनती, ब्रह्म जिनदास एवं कनककीत्ति के पब, निर्वाणकाण्ड गाथा, त्रिभुवन को वीनती तथा मेधकुमारोपई । ६.६६, गुटका सं.२४ । पत्र सं० २० । मा० ६४४३ इ० । भाषा हिन्दी। ले. काल १८८० । अपूर्ण । वे०सं० १५३५ । विशेष-जैन नगर में प्रतिलिपि दई थी। ६०७०, गुटका सं०२५ । पत्र सं० २४ मा ५४४ इ.भाषा-हिन्दी 1 ले. काल | अपूर्ण । ० सं० १५३६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है:--विषापहार भाषा ( अचलकोति) भूगलचौवीसी भाषा, भक्तामर भापा ( हेमराज) ६०४१. गुटका सं० २६ 1 पत्र सं० ६० । प्रा० ६x४३३० | भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८७३ । अपूर्ण । वे० सं० १५३७ । विष- सामान्य पाठों का संग्रह है। ६०४२. गुटका सं० २७ । पत्र सं. १५-१२० । भाषा-संस्कृत । ले० फाल १८९५ । प्रपूर्ण | वे. म०१५३८ । विशेष-स्तोत्र संग्रह है। ६.७३ गुटका सं० २८ । पत्र सं० १५० 1 भाषा-संस्कृत हिन्दी । से० काल सं० १७५३ । अपूर्ण । वे. १५३६। विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है । सं० १७५३ अषाढ़ सुदी ३ मु० मी० नन्दपुर गंगाजी का तट । दुर्गादास चांदवाई की पूस्तक ने मनरूप ने प्रतिलिपि की थी। Page #839 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह [ ७७५ ६०७४.गटका सं०२६ । पत्र सं.१६ । प्रा०५४६ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-भूजापाठ! ले० काल XI पूर्ण । वे सं० १५४० , विशेष—नित्य पूजा पाठ संग्रह है। ६०७४, गुटका सं०३० । पत्र सं० १५५ । प्रा० Exis | भाषा-हिन्दी। ले. काल X पूर्ण । वै० सं० १५४१। १. भविष्यदत्त चौपाई अकरायमल्ल हिन्दी र० सं० १६३३ कार्तिक सुदी १४ । विशेष-पतेराम बज ने जयपुर में सं १८१२ प्रषाढ वुदी १० को प्रतिलिपि की थी। २. वीरजिरणन्द की संघावली पूनो हिन्दी विशेष—मेघकुमार गोत है। ३. अठारह नाते की कथा लोहर ४. रविवार कथा कुशालचन्द विशेष-लिखतं फतेराम ईसरदास बज वासी सांगानेर का | र. काल सं० १७७५ ५. ज्ञानपच्चीसी बनारसीदास ६. चौबीसतीर्थंकरों की वंदना नेमीचन्द ७. फुटकर सैवया ८. घट लेश्या वेलि हर्ष कीति १० काल सं० १६८३ ११६ ६. जिन स्तुति जोधराज गोदीका १०, प्रीत्यंकर चौपई मु० नेमीचन्द ११६-१३४ र० काल सं० १७७१ वैशाख सुदी ११ ६०७६. गुटका सं० ३१ । पत्र सं०४-२६५ । पा. ८२४६ इ.। भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल X । अपूर्ण । वे० सं० १५४२ । विशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। ६०४७. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० ११९ । मा ६x४३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल x पूर्ण २० सं० १५४४। विशेष—नित्य एवं भाद्रपद पूजा संग्रह है। Page #840 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७६ [ गुटका - संपद ६०६८ गुटका सं० ३३ । पत्र ०३२४ | मा० ५X४ ३० । भाषा - हिन्दी ले० काल सं० १७५६ f वैशाख सुदी ३ । अपू । चै० सं० १५४५ । विषशेष सामान्य पाठों का संग्रह है। ६०७६. गुटका सं० ३५ | पत्र सं० १३८ । ग्रा० εX६ इ० । भाषा - हिन्दी । ले० काल x | पूर्ण । वे० सं० १५४६ । विशेष - मुख्यतः नाटक समयसार की प्रति है । ६०५०. गुटका सं० ३६ । पत्र सं० २४१ श्रा० ५x५ इ० | भाषा - हिन्दी | विषय-पद संग्रह | ले० काल X1 पूर्ण 1 ० सं० १५४७ १ ६०८१. गुटका सं० ३७ पत्र सं० १७० । ० ६४४ इ० । भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल X पूर्ण वे० सं० १५४ विशेष- नित्यपूजा पाठ संग्रह है । ६०५२. गुटका सं० ३८ पत्र सं० १४ | श्रा० ५X४ इ० भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल १८४२ पूर्ण । ० सं० १५४८ विशेष - मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है । १. पदसंग्रह २. स्तुति ३. पार्श्वनाथ की गुणमाला ४. पद- ( दर्शन दीज्योजी नेमकुमार ५. आरती " मनराम एवं भूधरदास हरीसिंह लोहट मेलीराम शुभचन्द "3 विशेष प्रतिम-भारती करता आरति भाजे, शुभचन्द ज्ञान मगन में साजै ॥ मेला ६. पद - ( मैं तो भारी श्राम महिमा जानी ) ७. शारदाष्टक 5. पद- मोह नींद में कि रहे हो लाल 2. ठि लेरो मुख देख्न नाभि के नंदा १०. तुविशतिस्तुति ११. विनती हिन्दी विनोदीलाल भजेराज 33 37 बनारसीदास विशेष – जयपुर में कानीदास के मकान में लालाराम ने प्रतिलिपि की थी। हरीसिंह हिन्दी टोडर 29 77 " 12 39 23 ले० काल १०१० Page #841 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । ६८. गट कर सं०३९ । पथ सं० २-१५६ । ग्रा० ५५ इ. । भाषा-"हदी । ले। काx1 पूर्ण । ० सं० १५५ । मुख्यतः निम्न या वा संग्रह है: (५ प्रारलिया है) १. भारती संग्रह द्यानतराय २. मारती-विह विधि भारती करी प्रभू तेरी मानसिंह ३. पारती-हविधि भारती बारों प्रभु तेरी दोगबन्द ४. पारती-करो मारतो प्रातम देवा विहारीदास ५. पद संग्रह झानतराय ६. पद-शार अधिर भाई मानसिंह ७. पूजाष्ट्रय विनोदीलाल 5. पद-संग्रह भूधरदास है पद-जाग पियारो अब बया सोय कवीर १०. पद-क्या सोचेमिाग रे प्रभाती मान समयमन्दर ११. सिद्धपूजाष्टक दौलतराम १२. भारती शिलों की शालचन्द १३. गुरुपटक सनतरस्य १४. साधु की प्रारती हेमराज १५. वाणी अष्टक व जयपाल धानतराय १६. पार्श्वनाथाष्टक मुनि सपाल नीति अन्तिम--अष्ट निधि पूजा अर्च उतारी सफल कीतिगुगि काज गुदा १७. ने मनायाष्टक সুন हिन्दी १८. पूनासंग्रह लालचन्द १६. पद-ठ तेरो मुल देस्य नामजी ने नंदा दोर २२. पद-देखो भाई याज रिपभ परि आई साहकोरत २१. पद-संग्रह शोभावन्द शुभचन्द आद २२ बरण मंगल बंसो २३. क्षेत्रपाल भैरवगीत शोभावन्द्र ११७ १३८ दी १४६ Page #842 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ गुटकासंग्रह २४. न्हाण आरती थिरुणाल हिन्दी अन्तिम केशवनंदन करहिंज सेव, विरूपाल भणे जिण चरण सेय ।। २५. पारतो सरस्वती ब्र. जिनदास ६०८१. गुटका सं पन्न रा० ७-६८ | पा० ८४६३० । भावा-हिन्दी । ले. काल सं० १८८४ । अपूर्ण | वे० सं० १५५१.। विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है। ६०८५. गुटका सं० ४१ । पत्र सं० २२३ । पा. ८४४३६७ । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० याल सं० १७४२ । अपूर्ण । वे० सं० १५५२ । पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। तभा समयसार नाटक भी है। ३० ६०८६. गुटका सं०५२ । पत्र सं० १३६ । प्रा. ५४४३ इ० । ले. काल १७२६ दैत सुदी १ । अपूर्ण | २० सं० १५५३ । विशेष-मुख्य २ पाठ निम्न है:१. चतुविशति स्तुति x प्राकृत २. लब्धिविधान चौपई भीषम कवि हिन्दी र०काल सं० १६१७ फागुण सुदी १३ । ले० काल सं० १७३२ वैशास्त्र वुदी ३ । विशेष संवत्त सोलसौं सतरी, फाराम्ग मास जन्न ऊतरी। उजलपापि तेरस तिथि जारिण, तादिन कथा नही परवाणि ॥१९॥ बरतै निवाली मांहि विख्यात, जैनि धर्म तसु गोधा जानि । वह कथा भीषम कवि कही, जिनपुराण मांहि जैसी लही ।।१६७।। 1 x x x x x कडा बन्थ चौपई जारिण। पूरा हुपा दोइस प्रमाणि । जिनवाणी का अन्त न जारा, भधि जीव जे लहे सुखबास || इति श्री लव्धि विधान चौपई संपूर्ण । लिखितं चोखा लिखाषितं साह श्री भागीदास पठनार्थ । सं० १७३२ वैशाख दुदि ३ कृष्णपक्ष । ३. जिनकुशल की स्तुति साधुकीति हिन्दी ४ नेमिजी की लहुरि विश्वाषण Page #843 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संह । ७७६ ५. नेमीश्वर राजुल की लहरि (बारहमासा) खेतसिंह साह ६. ज्ञातपंचमीवृहद स्तवन समयमुन्दर ७. प्रादीश्वरगीत रंगबिजम जगरूप ६. कुशलगुरुस्तवन जिनरंगसूरि समयमुन्दर १०. चौबीसीस्तवन जयसागर ११. जिनस्तवन कनककीति १२. भोगीदास को जन्म कुण्डली " जन्म सं १६६७ ६०८७, गुटका सं०४३। पत्र सं० २१ । पाक ५:४५ इ० | भाषा-संस्कृत । ले० काल सं०१७३३ पपूर्ण | वे० सं० १५५४ | बिशेष—तत्वार्थ सूत्र तथा पमावतीस्तोत्र है । मलारना में प्रतिलिपि हुई थी। ६०८८. गुटका सं० ४५ । पत्र सं० ४-७६ । मा० ७४४ इ० | भाषा- हिन्दी । ले० काल | अपूरण धे सं० १५५५। विशेष-गुटके के मुख्य पात्र निम्न हैं। १. श्वेताम्बर मत के बोल हिन्दी र काल सं. १९११ ले. काल सं. १८६९ प्रासोज मुदौ ३ । २. अतविधानरासो दौलतराम पाटनी हिन्दी स. काल सं० १७६७ मासोन सुदी १० ६०८६. गुट का सं०४५ । पत्र सं० ५-१०३ 1 प्रा० ६३४४३ ३० । भाषा-हिन्दी । मे० काल सं० १८६६ । अपूर्ण । वै० सं० १५५६ । विशेष-गुटके के मुख्य पाठ निम्न हैं। १. सुदामा की बारहखडी x हिन्दी । ३२-३४ विशेष—कुल २८ पद्य हैं। २. जन्मकुण्डली महाराजा सवाई जगतसिंहजी की x ,संस्कृत विशेष-जन्म सं० १८४२ चैत बुदी ११ रवौ ७।३० धनेष्टा ५७/२४ सिंघ योग जन्म नाम सदासुख । ६०६०. गुटका स• ४३ । पत्र सं० ३० । प्रा० ६३४५६ इ. । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल X पूर्ण । वेसं. १५५७ । विदोष-हिन्दी पद संग्रह है। Page #844 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प ७. ] [ गुटका-संपल ६०६१. गुटका सं० ४७ । पत्र सं. ३६ । प्रा. ६४५: 1० । भाषा संस्कृत हिन्दो । ले. काल । पूर्ण । ये. सं. १५५८ । विशेष-सामान्य पूजा पाठ गंग्रह है। ६४२. गुटका सं । पर रो० ९ । ग्रा० ६४५३ इ० । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरस । ले। काल । अपूर्ण । ये० सं० १५५६ । विशेष—अनुभूतिस्वरूपाचार्य ऋत सारस्वत प्रक्रिया है। ६०६३. गुटका ०४६ । पत्र सं०६५ | प्रा. ६४५ इ० । भापा-हिन्दी । ले. काल सं० १८६८ सावन बुदी १२ । पूर्ण | वे० सं० १५६२ । विशेष – देवाब्रह्म कृत विनती संग्रह तथा लाहट कृत स्टारह नारो का चौढालिया है। ६०६४. गुटका सं०५० | पत्र सं०७४ | प्रा० ६४४ इ. | भाषा-हिन्दी संस्कृत | ले. काल । पूर्ण । वै० सं० १५६।। विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है। ६.६५. गुटका सं०५१ । पत्र सं० १७० | मा० ५२४४ 5 | भाषा-हिन्दी । ले. काल X| ल. काल x पूर्ण में सं० १५६३ । विशेष-निम्न मुख्य पाठ हैं। १, वित्त कन्हैयालाल हिन्दी विशेष-३ कमित्त हैं। २. रागमाला के दोहे जैतश्री ३, बारहमासा जलराज " १२ दोहे हैं ११८-१२१ ६०४३. गुटका सं०५२पत्र सं० १७८ | प्रा०६:४६ इ० । भाषा--हिन्दी। ले-कानx. पूर्ण । वे० सं०१५६६ । विशेष- सामान्य पाठों का संग्रह है। ६८६७. गुदका सं० ५३ । पश्च सं. ३०४ । मा० ३३४५ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल सं. १७८३ माह बुदी ४ | पूर्ण | वे सं० १५६७ । विदोष-गुटके के मुरुष पाठ निम्न प्रकार हैं। १. अष्टाह्निकारासो विनयकत्ति हिन्दी १५३ ।। Page #845 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] २. रोहिणी विधिकथा विशेष— १, शोखहकारारासो २. रत्नत्रयका महार्घ व क्षमावरणी ५. विनती चौपड़ को ६. पार्श्वनाथ जयमाल श्रपूर्ण वे० सं० १५६५ । बंसीदास १. अवलक्षण सोरह से पच्यानऊ ढई, ज्येष्ठ कृष्ण दुतिया भई फातिहाबाद नगर सुखमात प्रग्रवाल शिव जातिप्रधान ॥ मूलसिंह कीरति विख्यात, विशाल कोति गोयम सम्मान । ता शिप बंशीदास सुजान, माने जिनवर की श्रान ॥६६|| अक्षर पद तुक तने जु हीन, पढो बनाइ सदा परवीन ॥ क्षमी शारदा पंडितराइ पठत सुनत उपजे धर्मों सुभाइ ॥८७॥ इति रोहिणीविधि कथा समास || सकलकीर्ति ब्रह्मन मान लोहट हिन्दी ० काल सं० १६६५ ज्येषु सुदी २ । ० सं०.१५७७ ॥ इति श्री महाराज नकुल पंडित विरचिते श्रश्व सुभ विरचित प्रथमोध्यायः ॥ २. फुटकर दोहे कवीर हिन्दी २५१ ६०६५. गुटका सं० ५४ । पत्र सं० २२-३०० ६३४४ ३० | भाषा - हिन्दी । ले० काल ४ | संस्कृत हिन्दी विशेष—कोई उल्लेखनीय पाठ नहीं है । [ ७१ 22 विशेष – हिन्दी पदों का संग्रह है। ६०६६, गुटका सं० ५५ । पत्र सं० १०५ । ० ६५३ इ० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल सं० १८८४ | अपूर्ण | वे० सं० १५६६ । विशेष-गुटके के मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं पं० नकुल संस्कृत अपूर्ण विशेष – श्लोकों के नीचे हिन्दी अर्थ भी है। अध्याय के अन्त में पृष्ठ १२ पर १५६-६० १७२ १७५-१८६ २४३-२४४ हिन्दी ६१००, गुटका सं० ५६ । पत्र सं० १४ | ०७२४५३ ३० भाषा - हिन्दो | ले० काल X | पूर्ण ! १०-२६ Page #846 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ ] [ गुटका-संग्रह ६१०६. गुटका सं० ५५ । पत्र सं. ७५ । प्रा० ६४४३५० 1 भाषा-संस्कृत । ले० काल. सं० १९४७ जेठ सुदी ५ । पूर्ण वे० सं० १५७१ । विशेष—निम्न पाठ हैं१. वृन्दसतसई हिन्दी ७१२ रोहे हैं। २. प्रश्नाबलि कवित यैव नंदलाल ३. कवित्त चुगलखोर का মিলি ६१०२. गुटका सं०५८ ! पत्र सं० २ | प्रा० ५४५२ इ. | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० १५७२ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६१०३. गुटका सं०५६ । पथ सं०६.६६ । प्रा० ७x. इ.। भाषा-हिन्दी संस्कृतले. कालx अपूर्ण । २० सं० १५७३। विशेष-सामान्य पाठों का गङ्ग है ! संस्कृत xx ६१.४. गुटका सं०६० | पत्र सं० १८० । प्रा- ७४५३३० ! भाषा-संस्कृत हिन्दो । ले० काल । अपुर्ण । ये सं०१५७४। विशेष-- मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं। १. मघुतत्वार्थ सूत्र २. प्राराधना प्रतिबोधसार हिन्दी ५५ पद्य हैं ६१०५. गुटका सं०६१ । पत्र सं० ६७ 1 प्रा० ६x४ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दौ । ले. काल सं. १८१४ भादवा चुदी ६ । पूर्ण । सं० १५७५ । विशेष-मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं। १. बारहखडी २. विनती-पार्वजिनेश्वर वंदिये रे कुशलविजय साहिब मुकति तगू दातार रे ३. पद-किये पाराधना तेरी हिये आनन्द ___ याप्त है ४. पद-हेली देहलो कित जाय छ नेम वारटीलाराम नवलराम Page #847 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ५. पद-नेमकंवार रो वाटडी हो रागी खुशालचंद राजुल जोवै खडी हो खड़ी ६. पद-पल नहीं लगदी माय मैं पल नहिं लगदी बखतराम पीया मो मन भावे नेम पिया ७, पद-जिनजी को दरसण नित करां हो सुमति सहेल्यो ८. पद-तुम नेम का भजन कर जिस तेरा भला हो बखतराम ६. विनती अजैराज • १०. हमीररासो .११. पद-भोग दुखदाई तनाव जगतराम १२. पद नवलराम १३. , ( मङ्गल प्रभाती ) विनोदीलाल १४. रेखाचित्र भादिनाघ, चन्द्रप्रभ, वर्धमान एवं पार्श्वनाथ १५. वसंतपूजा प्रजैराज x हिन्दी प्रसूर्ण हिन्दी ५६-६१ विशेष-अन्तिम पद्य निम्न प्रकार हैं : प्रादेरि सहर सुहावगू रति बसंत कूपाय | मराज करि जोरि के गाव हो मन यच काय ।। ६१०६. गुटका सं०६२ । पत्र सं० १२० | प्रा० ६४५१३० । भाषा-हिन्दी | ले० काल सं० १९३८ पूर्ण । ०सं० १५७६ । विशेष--सामान्य पाठों का संग्रह है। ६१०७. गुटका सं०६३ । पत्र सं० १७ । प्रा० ६४५.३० । भाषा-संस्कृत | ले. काल X| मपूर्ण । ० सं० १५८१ । विशेष-वेवाग्रह्म कृत पद एवं गूधरदास कृत पुरुषों की स्तुति है। ६१८. गुटका सं०६४ । पत्र सं० ४० | मा० ५१४४३ 50 । भाषा-हिन्दी । ले. काल १५६७ । मपूर्ण । वे० सं० १५८० | Page #848 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ [ गुटका संग्रह ६१०६ गुटका सं०६५। पत्र सं. १७३ मा ६x४:३० | भाषा-हिन्दी । ले. काल | पूर्ण वे० सं० १५५१। विशेष--पूजा पाठ स्तोत्र संग्रह है। ६११०. गुटका सं० ६६ । पत्र सं० ३२१ मा० ६xxइ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल XI अपूर्ण । ० सं० १५८२ | विघोष - पंचमेर पूजा, अष्टाह्निका पूजा तथा सोलहकारण एवं दशलक्षण पूजाए हैं। ६१११. गुटका सं०६७ । पत्र सं० १८५। प्रा०८:४७ इ. । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल सं० १७४३ । पूर्ण | वे० सं० १५८६ । विशेष—सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ६११२. गुट का सं०६८ । पत्र सं० ११५ । मा० ६४५ ६० । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण। वे. सं० १५८८ विदोष-पूजा पाठों का संग्रह है। ६११३. गुटका सं०६६ । पत्र सं० १५१ । या० ४३४४ इ. | भाषा-संस्कृत । ले. काल X । अपूर्ण वे० सं० १५% | विशेष-स्तोत्रों का संग्रह है। ६११४, गुटका सं०७२ । पत्र सं० १७-५० । प्रा० ७६४५ ३७ । भाषा-संस्कृत । ले. काल x। पूर्ण । ० सं० १५८६ । विशेष-नित्य पूजा पाठों का संग्रह है। ६११५. गुटका सं०७१। पत्र सं. १८। मा० ५४५३ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी।ले. काल x0 पूर्ण । वे० सं० १५६० । विशेष-चौबीस ठाणा चर्चा है। ६११६. गुटका सं०७२ । पत्र सं० ३८ । मा. ४१४३, १० । भाषा-हिन्दी संस्कृत | ले. काल x पूर्ण । वे० सं० १५६१ । विशेष—पूजा पाठ संग्रह एवं श्रीराल स्तुति प्रादि है। ६११७. गुटका सं०७३ । पत्र सं० ३-५०। प्रा० ६३४५, इ. | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले काल : । अपूर्ण । वे० सं० १५६५ । Page #849 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ७८५ ६९१५. गुटका सं०७४ | पत्र ० ६ । प्रा० ६६६५३३० भाषा - हिन्दी । ले० काल X | श्रपूर्ण 1 वे० सं० १५६६ | विशेष – मनोहर एवं पूनो कवि के पद हैं। ६११६. गुदका सं० ७५ पत्र सं० १० ०६५३३० भाषा - हिन्दी | ले० काल X | श्र वे० सं० १४.६८ | विशेष – पाशाकेवली भाषा एवं बाईरा परोषह वर्णन है । ६१२०. गुटका सं० ७६ जे० काल X ।। ० सं० १५६६ । विशेष-उमास्वामि कृत तत्त्वार्थ है । ६१२१. गुटका सं० ७७ । पत्र सं०-४२ । ०६४४३ इ० | भाषा - हिन्दी । ले० काल X | प्रपूर्णे | वै० सं० १६०० । विशेष- सम्यक दृष्टि की भावना का दर्शन है । ६१२२. गुटका सं० ७८ पत्र सं० ७-२१। या० ६९४३ इ० । भाषा संस्कृत | ले० काल X वे लं० १६०१ । पत्र सं० २३ | ० ६x४ इ० । भाषा संस्कृत विषय सिद्धान्त । विशेष - उमास्वामि कूल तत्वार्थ ६१२३. गुटका सं० ७६ पत्र सूत्र पूर्ण वे० सं० १६०५ | पूर्ण | वे० सं० १६०२ । सामान्य पूजा पाठ हैं । है । ० ३ ० ७५५ ६० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल X | ६१२४. गुटका सं०० पत्र सं० ३४० ४४३३६० | भाषा - हिन्दी । ले० काल X विशेष- देवाब्रह्म, सूधरदास, जगराम एवं बुधजन के पदों का संग्रह है। ६१२५. गुटका सं० ८१ पत्र ०२ २० । ० ४३६० | भाषा - हिन्दी । विषय-विनती संग्रह ० फालX मसूर्य । वे० नं० १६०३ ॥ ६१२६. गुटका सं० ८२ | पत्र सं० २८ | श्र० ४४३ ६० भाषा संस्कृत विषय-पूजा स्तोत्र | ले० काल । अपूर्ण । वे० सं० १६०७ । | ६१२७. गुटका सं० ८३ । पत्र सं० २ २० श्रा० ६४४५३६० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले वाल X पूर्ण सं० १६०६ विशेष सहनाम स्तोत्र एवं पदों का संग्रह है । Page #850 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८६ ] वे सं १६११ । ६१२ गुटका सं० ८५ प ० १५०८०६० भाषा हिन्दी ले० काम पूर्ण ० [सं०] १९५६ पूर्ण विशेष देवराव कुल पदों का संग्रह है। ६१२. गुदा सं० ८६ पत्र सं० ४० प्रा० ६६४३ ६० भाषा-हिन्दी ले० का १७२३ I I विरास - ६१३०० 1 ० सं० १६५७ । वै० सं० १६५५ । ० मं० १६५६ विशेषाओं का संग्रह है। ६१३१. गुटका सं० २८० ६६५३३० भाषा-संस्कृत लेकर X 1 म विशेष – नित्य नैमितिक ६१३२. गुटका सं० विशेष— भगवानदान कृत प्राचार्य शान्तिसागर की पूजा है। ६१३३. गुटका सं० ६० ० सं० १६६२ । [ गुटका सं पू म कलामन्दिर तोत्रभाषा है। ०७०-१२०० ६५३६० भा हिन्दी ० १२६४ पूजा पाठों का संग्रह है [सं० १९० ७४६० भाषा-हिन्दी से काल । पूर्ण दे० ० १६६३ ० सं० १६६० १ विशेष-स्वरुपचन्द कृत सिद्ध क्षेत्रों की पूजामों का संग्रह है। ६१३४. गुटका सं० ११ । पत्र स० ७२ । प्रा० ६३X६ ३० । भाषा - हिन्दी । ले काल सं० १६१४ -- पूर्ण वे० [सं०] १६६१ I विशेष प्रारम्भ के १ पत्रों पर १५० तक पहाड़े हैं जिनके ऊपर नीति तथा शृङ्गार रस के ४७ दोहे हैं। गिरधर के कवित्त तथा शनिश्चर देव को कथा आदि हैं। ६१३५. गुटका सं० ६२ । पत्र सं० २०१० ५X४ ३० । नायः - हिन्दी । ले० काल x अ सं० २६ । धा० ६३७ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल १९१८ । विशेष फौतुक रत्नमं (मंत्र) ६१३६. गुटका ०६३ पत्र ०३७ ज्योतिष सम्बन्ध साहित्य है। मा ५४ भाषा-संस्कृX पूर्ण < Page #851 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह । [ ८७ विशेष-हंधी जी श्रीदेवजी के पटनार्थ निखा गया था। स्तोबों का संग्रह है। ६१३०. गुटका सं०६४ । पत्र सं. ८-११ । ०६४५ इ० । भाषा गुजराती। ले० कान x। मर्ग । वे० ० १६६४ । विशेष-बल्लभकृत रुक्मणि विवाह वर्णन है। ६१३८. गुटका सं५ । एत्र सं० ४२ । प्रा ४४३ ३० । भाषा-संकृत हिन्दी । ले वाल X1 पूर्ण । वेव सं १६६७ । विशेष--तत्त्वार्थसूत्र एवं पद ( बारु रथ की बजत बधाई जी सब जनमन मानन्द दाई ) है । भारों रघों का मेला में १९१७ फागुण नुदी १२ को जयपुर हुआ था | ६१३६. गुटका सं० ६६ . सं., १७६ : सा. ५ माणसाला हिदी | ले. काल x | पूर्ण । ३० सं० १६६८ । विशेष—पूजा पाठ संग्रह है। . ६१४०. गुटका सं०६७ । पत्र सं० १० । या० x ६ इ. । भाषा-संस्कृत हिन्दी ! ले. काल । पूर्ण । वे० सं० १६६ विशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। ६१४१ गुटका सं०१८ | पत्र सं. ५८ | मा. ७X इ० । भाषा-हिन्दी | ले. काल X । प्रपूर्ण । ० सं० १६७०। विशेष-सुभाषित दोहे तथा सवैये, लक्षण तथा नीतित्रन्थ एवं शनिश्वरदेव की कथा है। ६१४२. गुटका म ६ । पथ सं० २-१२ | प्रा० ६४५ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल ४। अपूर्ण: ये० सं० १६७१ । विशेष-मन्त्र पन्यविधि, आयुर्वेदिक नुसखे, खण्डेलवालों के ८४ गोत्र, तथा दि० जैनों को ७२ जातियां जिसमें से ३२ के नाम दिये हैं तथा चाणक्य नीति प्रावि है । गुमानीराम की पुस्तक से चाकसू में सं० १७२७ में लिखा गया । ६१४३ गुटका सं० १८८ | पत्र २०५४। मा० ६४४३ ६० | भापा-हिन्दी । ले० काल XI मपूर्ण । वे० सं० १६७२। विदोष-बनारसीदास कृत समयसार नाटक है। ५४ से प्रागे पत्र खाली हैं। ६१४३. गुदका सं० १८१ । पत्र सं०८-२५ । प्रा० ६४४, इ. ! भाषा-संस्कृत हिन्दो ! ले। कान सं० १८५२ ! अपूर्ण | वे० सं० १६७३ । बिशेष-स्तोत्र संस्कृत एवं हिन्दी पाठ हैं। Page #852 -------------------------------------------------------------------------- ________________ J55 1 [ गुटका-संप्रद ६१४५. गुटका सं० १०२ । ०३३ ० ७७३० भाषा - हिन्दी संस्कृत ले० काल ० सं० १६७४ वे० सं० १६७५ । विशेष- बारहखडी (सुरत), नरक दोहा ( भूवर ), तत्त्वार्थ सूत्र ( उमास्वामि ) तथा फुटकर सवैया हैं । सं० २०३ | पत्र सं० १६ ॥ श्र० ५X४ इ० | भाषा संस्कृत | ले० काल X | पूर्ण । ६१४६. गुटका ० सं० १६७६ । विशेष- विषापहार, निर्वाणकाण्ड तथा भक्तामर स्तोत्र एवं परीषद् वर्शन है । ६९४७. गुटका सं० १०४ | पत्र सं० २८ | ग्रा० ६९५ इ० । भाषा हिन्दी । ले० काल X 1 पूर्ण । सं० १६७६ । विशेष-पचपरमेष्ठी सुरण, बारह भावना, बाईस परिषद, सोलहकारण भावना आदि हैं। ६१४. गुटका सं० २०५ । पत्र अपूर्ण ० सं० १६७७ | वै सं० १६७८ | विशेष – स्वरोदय के पाठ है । ६१४६. गुटका सं० १०६ । पत्र सं०३६ । श्रा० ७५३ इ० । भाषा संस्कृत । ले० काल X। पूर्ण । विशेष- बारह भावना, पंचमंगल तथा दशलक्षण पूजा हैं । ६१५०. गुटका सं० २०७ पत्र ०८ ११-४७ | ० ६४५ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल ४ | विशेष --- सम्मेद शिखर महात्म्य, निर्वाणकांड ( अपूर्ण | वे सं० १६८० 1 ६१५१. गुटका सं० १०८ । पत्र सं० २०४ | ० ७६५६० | भाषा हिन्दी । ले० काल x | विशेष - देवाब्रह्म कृत कलियुग की बीनती है। ६१५२. गुटका सं० १०६ । पत्र सं ० ६६ ॥ X। अपू० सं० १६८१ । श्र० ७x४ | भाषा - हिन्दी । ले० काल । पूर्ण वे २. हरजी के दोहा ग ) फुडकर रख एवं नेमिनाथ के दश भव हैं । आ० ६ ६ ३ ३० भाषा - हिन्दी विषय-संग्रह । ले विशेष --- १ से ४ तथा ३४ से ५२ पत्र नहीं है। निम्न पाठ हैं: -- 1 X विशेष---७६ से २१४, ४४० से ५.५१ दोहे तक हैं भागे नहीं है । हरजी रसना सो कहें, ऐसो रस न श्रर | हिन्दी | तिसना तु पीवत नहीं, फिर पीछे किहि और ६६३ ॥ Page #853 -------------------------------------------------------------------------- ________________ a गुटका सग्रह } I हरजी हरगी जो कहै रसना बारंबार । पिस तजि मन हूं क्यों न हजमन नाहि तिहि बार ॥ १६४।। २. पुरस-स्त्री संद रामवन्द ३. फुटकर कवित्त ( शृगार रस ) ४ कवित्त है। ४. दिल्ली राज्य का ब्यौरा विशेष-बौहान राज्य तक वर्णन दिया है । ५. प्राधाशीशी के मंत्र य यन्त्र हैं। ६१५३. गुटका सं० ११० । पत्र सं०६५ | प्रा. ७४४ ६० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-संग्रह । | गर्म । वे० सं० १६८२॥ ले० काल विशेष -निरिगाउ, भक्तामरस्तोत्र, तत्वार्थभूत्र, एकीभावस्तोत्र प्रादि पाठ हैं। ६.५४. पाटका सं० १११ । पत्र सं. ३८ | प्रा० ६.४४ । भाषा हिन्दी । विषय-संग्रह । ले० काल । पूर्ण | वेसं. १६५३। विशेष—निर्वाणकाण्ड-रोग पद संग्रह-भूषरदास, जोधा, मनोहर, सेवग, पद-महेन्द्रकीति (ऐसा देव जिनंद है सेवो भव प्रानी ) तथा चौरासी गोत्रोवति वर्णन आदि पाठ हैं। ६१५५.गुटका सं८ ११२ | पत्र सं०६१। श्रा० ५४६ इ० । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | ले. कालXI पूर्ण । ० सं० १६८४ । विशेष-जैनेतर स्तात्रों का संग्रह है । गुटका पेमसिंह भाटी का लिखा हुआ है। ६१५६. गटका सं.११३ | पत्र सं० १३६ | प्रा. ६x४ इ.भाषा-हिन्दी | विषय-संग्रह । ले० काल x। १८८३ । पूर्ण | वे० सं० १६८५ । विशेष–२० का १०००० का, १५ का २० का यंत्र, दोहै, पाश! केवली, भक्तामरस्तोत्र, पद संग्रह तथ। राजस्थानी में श्रृगार के दोहे हैं | ६४५७. गुटका सं० १११ । पत्र सं० १२३ | मा० ७xe इ. | भाषा-संस्कृत । विषय-अश्व परीक्षा। ले. काल ४।१८०४ अपान वुदी ६ । पूर्ण 4 के० सं० १६८६ ।। विदोष-पुस्तक ठाकुर हमीरसिंह गिलवाडी बालों को है खुशालचन्द ने पाश्टा में प्रतिलिपि की थी। गुटका सजिल्द है। Page #854 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८ ] [ गुटका-संग्रह ६१५८. गुट का से० ११५ । पत्र सं. ३२ । प्रा. १४६ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल X 1 म पुर्ण । वे० सं० ११५ । विशेष- अायुर्वेदिक नुसने हैं। ६१५६.. गुटका सं० ११६ । पत्र सं० ७७ , प्रा० ८४६ इ० । भाषा हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वै० सं० १७०२। विशेष-गुटका सजिल्द है । खण्डेलवालों के ८४ गोत्र, विभिन्न कवियों के पद, तया दौकारण प्रभयचन्दजी के पुत्र मानन्दीलाल की सं० १९१६ को जन्म पर्थी तथा मायुर्वेदिक नुसखे हैं । ६१६०. गुटका सं० ११७ । पत्र सं० ६१ । भाषा--हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १७०३ । विदोष-नित्य नियम पूजा संग्रह है। ६१६१. गुटका सं० ११८ | पत्र सं०७६ । मा० ८.५६ ३० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल ४ । प्रपूर्ण | वे० सं० १७०५ । विशेष—पूजा पाठ एवं स्तोत्र संग्रह है। ६१६२. गुट का सं० ११६ । पत्र सं० २४० ] प्रा० ६x४० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८४१ अपूर्ण । वे १७११ । विशेष-भागवत, गीता हिन्दी पच दोका तथा नासिकेतोपाख्यान हिन्दी पत्र में हैं दोनों हो अपूर्ण है। ६१६३, गुटका सं० १२० । पन्न सं० ३२-१२८ । प्रा० ४४४ इ० । भाषा-हिन्दो | ले• काल X अपूर्ण | वै० सं० १७१२। विशेष--गुटके के मुख्य पाठ निम्न प्रकार है - १. नवपदपूजा देवचन्द हिन्दी प्रपूर्ण ३२-४३ २. अष्टप्रकारीपूजा ४४-५० विशेष-पूजा का क्रम श्वेताम्बर मान्यतानुसार निम्न प्रकार है-जल, चन्दन, पुष, धूप, दीप, अक्षत, नेत्र, फल इन की प्रत्येक को अलग अलग पूजा है। ३. सत्तरभेदी पूजा साधुकीति ७. १६७६ ५०-६५ ४. पदसंग्रह ६१६४. गुटका सं० १२१ । पत्र सं० ६-१२२ । प्रा० ६४५३. । भाषा-हिन्दी संस्कत । ले० काल ४। प्रपूर्ण । वे० सं० १७१३ । र Page #855 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-सा ] [ ६१ विशेष--गुटके के मुख्य पाठ निम्न प्रकार है१. गुरुजयमाला ब्रह्म जिनदास हिन्दी २. नन्दीश्वरपूजा मुनि सकलकोति संस्कृत ३. सरस्वतीस्तुति प्राशाधर ४. देवशास्त्रगुरूपूजा ५. गणधरवलय पूजा ६. भारती पंचपरमेष्ठी पं० चिमना अन्त में लेखक प्रशस्ति दी है । भट्टारकों का विवरण है । सरस्वती गच्छ बलाकार गण मूल संघ के " विशाल कीरि देव के पट्ट में भट्टारक शांतिकोति ने नागपुर (नागौर) नगर में पार्श्वनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ६१६५. गुटका सं० १२२ । पत्र सं० २६-१२६ । प्रा. ५३४५ इ० । भाषा-संकस्त हिन्दी । ले० काल ४) अपूर्ण । वे० सं० १७१४ । विशेष-पूजा स्तोत्र संग्रह है। ६१६६. गुटका सं० १२३ । पम सं० ६-४८ 1 प्रा० ६४४ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल XI प्रपूर्ण । ० सं० १७१५ । विशेप-विभिन्न कवियों ने हिन्दी पदों का संग्रह है। ६१६७५ गुटका सं० १२४ । पत्र सं० २५-७० । मा० ४४५३ इ. । भाषा-हिन्दो । ले० फाल XI अपूर्ण | वे० सं०१७१६ । विशेष-विनती संग्रह है। ६१८ गुटका सं० १२५ । पत्र सं० २-४५ । भाषा-संस्कृत । ले काल - | अपूर्ण । वे० सं० १७१७ । विशेष-स्तोत्र संग्रह है। ६६६६. गुटका सं० १२६ । पत्र सं० ३६-१८२ । प्रा० ६x४ ५ । भाषा-हिन्दी | ले. काल XI मपूर्ण । वे० सं० १७१८ । विशेष-भूधरदास कृत पार्श्वनाथ पुराण है। ६१७०, गुटका सं० १२७ । पत्र सं० ३६-२४६ । मा० Exr इ. | भाषा-गुजराती । लिपिहिन्दी । विषय-वथा। र० काल सं० १७८३ । ले. काल सं० १६०५ | प्रपूर्ण । वे० सं० १७१६ । विशेप-मोहन विजम कृत चन्दना चरित्र हैं। Page #856 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ ] [ गुटका-संग्रह ६१७१. गुटका सं० १२८ पत्र सं० ३१-६२ १ ० ५४४ इ० | भाषा - हिन्दी संस्कृत ले० काल X | पूर्ण ० ० १७२० । विशेष ६१७२. वे० सं० १७२१ । पूजा पाठ संग्रह है । गुदका सं० १२६ । पत्र सं० १२ । श्र० ६५ ६० । भाषा - हिन्दी । ले० काल X | अपूर्ण विशेष मक्कामर भाषा एवं चौबीसो स्तवन आदि है । ६१०३. गुटका सं० १३० | पत्र सं० ५-१६ | श्र० ६x४ ३० | भाषा - हिन्दी पद । ले० काल X अपूर्णा । वे० सं० १७२२ रसकौतुक राजसभारंजन ३२ से १०० तक पब हैं । श्रन्तिम --- कंता प्रेम समुद्र हैं ग्राहक चतुर गुजान । राजसभा रंजन यहै, मन हित प्रीति निदान ॥१॥ इति श्रोरसको तुक राजसभारंजन समस्या प्रबन्ध प्रथम भाव संपू ६१७४. गुटका सं० १३१ । पत्र सं०६-४१ ० ६५ इ० | भाषा-संस्कृत | ले० काल सं० १८६१ अपूर्ण । वे० सं० १७२३ । विशेष— भवानी सहस्रनाम एवं कत्रच है । ६१७५. गुटका सं= १३२ । पत्र सं० ३ १६० । प्रा० १०४६३० | भाषा महेन्दी । ले० काल सं● १७५७ | अपू | वै० सं० १७२४ । विशेष - हनुमन्त कथा ( ब्र० रायमल्ल ) घंटाकरण मंत्र, विनतो, वशावलि, ( भगवान महावीर से लेकर सं० १८२२ सुरेन्द्रकीर्ति भट्टारक तक ) आदि पाठ है । ६१७६. गुटका सं० १३३ । पत्र सं० ५२ । प्रा० ६५ ६० । भाषा - हिन्दी । ले० काल X 1 पू वे० सं० १७१५ । विशेष – समयसार नाटक एवं सिन्दूर प्रकरण दोनों के ही पूर्ण पाठ है । ६१७७, गुटका सं० १३४ | पत्र सं० १६ । ० ६x४ इ० | भाषा - हिन्दी । ले० काल x | पूर्ण १० सं० १७२६ । विशेष – सामान्य पाठ है। ६१. गुटका सं० १३५ । पत्र सं० ४६ । श्रा० ७५ ६० भाषा-संस्कृत हिन्दी | लेकाल १८१८ | अपू । वे० सं० १७२८ ॥ Page #857 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह सूरदास १. पद- राखो हो श्रुजराज लाज मेरी सूरदास हिन्दी २. , महिहो विसाईगोर कोट काहुन अलावाय ३. पद-राजा एक पंडित पोली तुहारी हिन्दी ४. पद-मेरो मुखनीको प्रक तेरो मुख थारी . ५. पद -अब मैं हरिरस चाखा लागी भक्ति खुमारी० कबीर ६. पद-बादि गये दिम साहिब विना रातगुरु चरण सनेह विना " ७. पद-जा दिन मन पंछी उडि जो है फुटकर मंत्र, प्रौषधियों के नुसखे प्रादि हैं । ६१७६. गुटका सं० १३६ । पत्र सं० ५-१६ । प्रा० ७४५३० | भाषा-हिन्दी । विषय-पद । लेक काल १७८४ | अपूर्ण । वे सं० १७५५ । .. विशेष-वस्तराम, देवाब्रह्म, चैनसुख आदि के पदों का संग्रह है। १० एत्र से प्रागे खाली हैं। ६१८०. गुटका सं० १३७ । पत्र सं० ८८१ प्रा० ६३४५ ३० । भाषा-हिन्दी । विषम-पद । ले. काल x 1 अपूर्ण । ०० १७५६ विशेष-बनारसोविलास के कुछ पाठ एवं दिलाराम, दौलतराम, जिनदास, सेवग, हरीसिंह, हरपचन्द, लालचन्द, गरीबदास, भूधर एवं किसनगुलाब के पदों का संग्रह है । ६११. गुटका सं० १३८ । पत्र सं. १२१ । प्रा० tsx५३ इ. । दे. सं० २०४३ । विशेष-मुख्य पाठ निम्न है:१. बीस विरहमान पूजा नरेन्द्रकोत्ति हिन्दी संस्कृत २. नेमिनाथ पूजा कुक्लयचन्द संस्कृत ३. क्षीरोदानी पूजा अभयचन्द ४. हेमारी विश्वभूषण ५. क्षेत्रपालपूजा मुमतिकीर्ति ६. शिखर विलास भाषा धनराज , २० काल सं. १८४८ ६१८२. गुटका सं० १३६ । पत्र सं० ३-४६ | मा० १०२४७३ | भाषा-हिन्दी ३० । ले. काल सं. १९५५ । अपूर्ण वै० सं० २०४० । विशेष—जातकाभरग ज्योतिष का ग्रन्थ है इसका दूसरा नाम जातकालंकार भी है। भैरूलाल जोशी ने प्रतिलिपि की थी। Page #858 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ४ ] [ गुटका-संग्रह ६१२३. गुटका सं० १४० | पत्र सं० ४-४३ । मा० १०२४७ 50 । भाषा-संस्कृत । ले० काल . १९.६ द्वि० भादवा चुदी २ 1 अपूर्ण । वै० सं० २०४५ । विशेष-अमृतचन्द सूरि कृत समयसार वृति है। ६१८४. गुटका सं० १४१ । पत्र सं. ३-१०६ । मा० १.३४६३३० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८५३ अषाढ बुदी ६ । अपूर्ण । ३० सं० २०४६ । विशेष--नयनसुख कृत वैद्यमनोत्सव ( र० सं० १६४६ ) तया बनारसीविलास भादि के पाठ हैं। ६१८५. गुटका सं० १४२ ! पत्र सं० ५-६३ । भाषा-हिन्दी ! मे० काल x 1 अपूर्ण । वे० सं० २०४७1 विशेष-यानंतरराय कृत चर्चाशतक हिन्दी टम्या टीका सहित है। ६१८६. सं० १४३ । पत्र सं० ११-१७१ ! ग्रा. ७.xe? इ. 1 भाषा संस्कृत । ले० काल सं० १६१५ । अपूर्स १० सं० २०४८ | विशेष-पूजा स्तोत्र आदि पाठों का संग्रह है। संवत् १६१५ वर्षे वार सुदी ५ दिने श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगरणे मौमाविनायचंत्यालयेनुगामी शुभस्थाने भ० श्रोसकलकोति, भ० भुवनकोति, भ० ज्ञान मूषण, भ० विजयकौत्ति, भ० शुभचन्द्र, मा० गुरुपदेशात् भा० श्रीरस्नोति प्रा. यशःकोत्ति गुणचन्द्र | ६१८६. गुटका सं०१४४ । पत्र सं० ४६ । ग्रा. Ex इ. । भाषा-हिन्दी | विषय-कथा । लेक काल सं० १९२० । पूर्ण | वे० सं• २०४६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। भारमल २० काल सं.१७८ ललिताति १. मुक्तावलिकथा २. रोहिणीव्रतकथा ३, पुषराजनिव्रतकथा ४. दशलक्षणव्रतकथा ५. अष्टाह्निकाकपा ६. सच्चायतकथा ज. ज्ञानसागर बिनयकीर्ति देवेन्द्रभूषण [भ० विश्वभूषण के शिष्य] र० काल सं० १७०६ ७. माकाशपश्चमीकथा पांडे हरिकृष्ण ८. निर्दोषसप्तमीकथा Page #859 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द गुटका संग्रह ] ६. निशल्पाष्टमीकथा पाण्डे हरिकृष्ण हिन्दी १०. सुगन्धोदशमीकथा हेमराज ११. प्रनन्तचतुर्दशोन्नतकथा पांडे हरिकृष्ण १२. बारहसौ चौतीसव्रतकथा जिनेन्द्रभूषण ६१८. गुटका सं० १४५ । पत्र सं० २१९ । प्रा. ६x६३ इ. । ले. काल XI पूर्ण । २. सं. २.५० । विशेष-गुटके के मुख्य पाठ निम्न है। १. विपदावली ( पट्टायलि ) x संस्कृत २. सोलहकारणापूजा प्रजिनवास ३. दशलक्षण जयमाल सुमति सागर [अभयनन्दि के शिष्य] हिन्दी ४. दशलक्षण जयमाल सोमसेन संस्कृत ५. मेरुपूजा ६. चौरासी न्यातिमाला प्र. जिनदास विशेष—इन्हीं की एक पौरासी जातिमाला और है। ७. प्रादिनाथपूजा ब. शांतिदास ६. पनन्तनाथपूजा ६. सप्तऋषिपूजा भर देवेन्द्रकोति संस्कृत १०. ज्येष्ठगिनवरमोटा श्रुतसागर ११. ज्येष्ठजिनवर लाहान • जिनदास संस्कृत १७८ १२. पचनेत्रपालपूजा सोमसेन हिन्दी १६ १३ शीतलनाथपूजा धर्मभूषण २१० १४. तजयमाला सुतिसागर हिन्दी २१३ १५. मादित्य वारकपा ___ ५० गङ्गादास [धर्मचन्द का शिष्य] , ___ ६१८६. गुटका सं० १४६ । पत्र सं० ११-८८ | प्रा० ८३.४४६ ३० 1 भाषा संस्कृत हिन्दी । ने काल सं० १७०१ 1 मपूर्ण । वे० सं० २०५१ । विशेष-बनारसीविलास एवं नाममाला प्रादि के बालों का संग्रह है। १४७ १५० Page #860 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ ] गुटका - संपत्र ६१३०. गुटका सं० १४७ पत्र मं० ३०-६३ ४४० | भाषा-संस्कृत | से० काल X अपूर्ण । ० सं० २१०६ । विशेष— स्तोत्रों का संग्रह है । ६१३१. गुटका सं० १४५ | पत्र से० ३५ | आ० ८x१० इ० | ले० काल सं० १८४३ पूर्ण वे० हरिचन्द सं० २१८७ । १. प कल्याणक देवेन्द्रकी विशेष - नीमैडा में चन्द्रप्रभ बेस्यालय में प्रतिलिपि हुई थी । X २. क्रियाव्रतोच |ग्न ३. पट्टालि काल सं० १८२१ ज्येष्ठ सुदी १५ पूर्णं । वे० सं० २१११ । हिन्दो ३५ ६११२. गुटका सं० १४६ । पत्र सं० २१ । श्रा० १x६ इ० भाषा - हिन्दी | विषय - इतिहास | ने हिन्दी संस्कृत १-२० २० काल सं० १५३३ ज्येष्ठ सुदी ७ विशेष – गिरनार मात्रा का वर्णन है। चांदनगांव के महावीर का भी उल्लेख है । ६१६३. गुटका सं० १५० पत्र सं० २४६ | ० ८६ ३० । भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० कान १७१७ | पूर्ण । ० सं० २१९२ । विशेष - पूजा पाठ एवं दिल्ली की बादशाहत का ब्योरा है। ६१६४ गुदका सं० १५१ । पत्र सं० ६२ । धा० Ex६ इ० । भाषा प्राकृत-हिन्दी से० कल X अपूर्ण ० सं० २१५ | विशेष - मार्गणा चौबीस ठाणा चर्चा तथा भक्तामरस्तोत्र आदि है । ६१६५ गुटका सं० १५२ । पत्र सं० ४ | ०७२५३६० । नाषा-संस्कृत हिन्दी से काल प्रपूर्ण वे० सं० २१६६ | विशेष - सामान्य पूजा पाठ संग्रह है । श्रर्ण । वे० सं० २१६८ | ६४६६. गुटका सं० १५३ पत्र सं० २७-२२१ ० ६३x६० | भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल X | अधू । वे० स० २१९७ । विदोष -- सामान्य पूजा पाठ संग्रह है । विशेष-- सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ६२६७. गुटका सं० १४४ । पत्र सं० २७-१४७ । प्रा० ८७ ३० भाषा - हिन्दी । ले० काल X $ Page #861 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] ६१६८. गुटका सं० १५४ क । पत्र सं० ३२ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। ले० काल x 1 अपूर्ण । वे० सं० २१६६ । विशेष-समवशरण पूजा है। सं०१५५ | पत्र सं० ५७-१५२१ मा० ७२४६ इ० । भाषा-हिन्दी। ले. काल । अपूर्ण । वे० सं० २२०० । विशेष-नासिकेत पुराण हिन्दी गद्य तथा गोरख संवाद हिदी पद्य में है। ६२००. गुटका सं० १५६ । पत्र सं० १८-३६ । प्रा० ३४६३० | भाषा-हिन्दी । ले० काल XI अपर्ण । वे० सं० २२० । विशेष-पूजा पाठ स्तोत्र मादि हैं। ६२०१. गुटका सं० १५७ । पत्र सं० १० 1 प्रा० ७३४६ इ० | भाषा-हिन्दो । विषय-मायुर्वेद । ले० काल । अपूर्ण । ३० सं० २२०२। विशेष-मआयुर्वेदिक नुसखे हैं। ६२०२. गुदका सं०१५८ । पत्र सं० २-३० । मा० ७४५ इ० । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल सं० १८२७ । अपूर्ण । वे० सं० २२०३। विशेष-मंत्रों एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ६२०३. गुटका सं० १५६ । पत्र सं. ६३ | प्रा० ७६४६ इ० । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण वे० सं० २२०४। विशेष—याटूवाहा वंश के राजाओं की वंशावली, १०० राजानों के नाम दिये हैं। सं० १७४६ तक वंशावली है । पत्र ७ पर राजा पृथ्वीसिंह का गद्दी पर सं० १८२४ में बना लिखा है । २. दिल्ली नगर को बसापत तथा बादशाहत का ब्यौरा है किस बादशाह ने कितने वर्ष, महीने, दिन तथा भडी राज्य किया इसका वृत्तान्त है। ३. बारहमासा, प्राणीडा गीत, जिनवर स्तुति, शृङ्गार के सवैया आदि है । ६२०४. गुटका सं० १६० । पत्र सं० ५६ | प्रा० ६x४३ इ० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले० काल x सपूर्ण । ० सं० २२०५१ विशेष-बनारसी विलास के कुछ पाठ तया भक्तामर स्तोत्र मादि पाठ हैं। Page #862 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ ] [ गुटका-संग्रह ६२०१. गुटका सं०१६१ । पत्र सं० ३५ 1 प्रा. ७४६३०। भाषा-प्राकूत हिन्दी। ले. काल xi मपूर्ण । ० सं० २२०६। विशेष-श्रावक प्रतिक्रमण हिन्दी अर्थ सहित है । हिन्दी पर गुजराती का प्रभाष है। १से ५ तक की गिनती के यंत्र हैं। इसके बीस यंत्र १ से तक की गिनती के ३६ खानों का यंत्र हैं । इसके १२० पंत्र हैं। ६२०६. गुटका सं० १६२ । पत्र सं० १६-४६ | मा० ६३४७३६० । भाषा-हिन्दी | विषय-पद । ले. काल सं० १९५५ । अपूर्ण | वे० सं० २२०८ । हिप-हेनग, जगनराम. नवान, महोत, माणक, भवराज. बनारसीदास, खुशालचन्द, बुधजन, न्यामत मादि कवियों के विभिन्न राग रागिनियों में पद हैं । ६२०७ गुटका सं० १६३ । पत्र सं० ११ | ग्रा० ५३४६ ६० । भाषा-हिन्दी। ले. काल x। अपूर्ण | वे सं. २२०७ । विशेष-नित्य नियम पूजा पाठ है। ६२०८, गुटका सं० १६४। पत्र सं० ७७ | प्रा० ६३४६३० | भाषा-संस्कृत । ले० काल । प्रपूर्ण | वे० सं० २२०६। विशेष-विभिन्न स्तोत्रों का संग्रह है। ६२०६ गुटका सं० १६५ । पत्र सं० ५२ 1 पा० ६३४४३ इ० । भाषा-हिन्दी । विषय-पद । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० २२१. । विशेष- नवल, जगतराम, उदयराम, गुनपूरण, चैनविजय, रेखराज, जोधराज, चैनमुख, धर्मपाल, भगतराम, भूधर, साहिबराम, विनोदीलाल मादि कवियों के विभिन्न राग रागिनियों में पद हैं। पुस्तक गोमतीलालजी ने प्रतिलिपि करवाई थी। ६२१०. गुटका सं० १६६ । पत्र सं० २४ । प्रा० ६३४४१ १० । भाषा--हिन्दी । ले. काल । प्रपूर्ण । वे० सं० २२११ । १. अठारह नाते का चौढालिया लोहट हिन्दी २. मुहूर्तमुक्तावली भाषा शङ्करावा , १-२३ ६२११. गुटका सं० १६७ । पत्र सं० १४ । पा० ६४४३ इ. ! भाषा-संस्कृत । विषय-मशास्त्र । ले० काल X । अपूर्ण । वेव सं. २२१२ । Page #863 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह [ EE विशेष-पद्मावतीयन्त्र तथा युद्ध में जीत का यन्त्र, सीचा जाने का यन्त्र, नजर तथा वशीकरण मन्त्र तथा महालक्ष्मीसप्रमाविकस्तोत्र हैं। ६२१२. गुटका सं०६८ । पत्र सं० १२-३६ | प्रा. ७३४५१ ६० | भाषा-हिन्दी ले. काल । अपूर्ण । के० सं० २२१३ । विशेष-वृन्द सतसई है। ६२१३. गुटका सं०१६६ । पत्र सं० ४० । प्रा० ५३४६ इ. । भाषा-हिन्दी। विषय-संग्रह । ले. काल X | अपूर्ण । वे० सं० २२१४ । विशेष-भक्तामर, कल्याणमन्दिर प्रादि स्तोत्रों का संग्रह है। ६२१४. गुटका सं० १७० । पत्र सं० ६६ । प्रा० ८४५३ इ. | भाषा-संस्कृत हिन्दी | विषय-संग्रह । ले. काल X| अपूर्ण | वै० सं० २२१५ । विशेष-भक्तामरस्तोत्र, रसिकप्रिया (केशव) एवं रस्नकोश हैं | ६२१५. गुटका सं० १७१ । पत्र सं० ३-८१ । प्रा. ५३४५१० । भाषा-हिन्दी। विषय-पद । ले० काल X| अपूर्ण । वे० सं० २२१६ । विशेष-गतराम के पदों का संग्रह है। एक पद हरीसिंह का मो है । ६२१६. गुटका सं० १७२ । पत्र सं० ५१ । भा० ५४४३ इ० | भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । वे. सं० २२१७ | विशेष-मायुर्वेदिक नुसखे एवं रति रहस्य है । अवशिष्ट-साहित्य ६२१७. अष्टोत्तरीम्नात्रविधि......"। पत्र सं० १ । प्रा० १०४५३ इ. भाषा-संस्कृत | विषय-विधि विधान । २० माल xले० का.४ पूर्ण । ० सं० २६१ | अ भण्डार । ६२१८. जन्माष्टमीपूजन .."। पत्र सं० ७ । प्रा० ११६x६० | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा | र० काल ले. काल ४।० सं० ११५७ । अ भण्डार | ६२१६. तुलसीविवाह...| पत्र सं०५।भा० ६९x४३० । भाषा-संस्कृत ! विषय-विधिविधान । र० काल X । मे० काल सं० १८८६ । पूर्ण । जीर्ण | वे० सं० २२२२ । अ भण्डार । ६२२०. परमाणुनामविधि (नाप तोल परिमाण)..."। पत्र सं० २) प्रा० ६३४१३ इ० । भाषाहिन्दी। विषय-नापने तथा तोलने की विधि। ० कालxले. काल पूर्प। के० सं० २१३७ । म भण्डार | Page #864 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * [ गुटका संग्रह ६२२१. प्रतिष्ठापाठविधि".. 1 पत्र सं० २० । प्रा०६६४६१ । भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा विधि । २० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ७७२ । 'अ भण्डार । ६२२२. प्रायश्चितचूलिकाटीका-नन्दिगुरु । पत्र सं० २५ । To Ex५ ३० । भाषा-संस्कृत । विषय-माचारशास्त्र ! र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे० सं० ५२८ | क भण्डार । विशेष-बाधा दुलीचन्द ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ५२६ ) और है। ६२२३. प्रति सं०२। पत्र सं० १०५ | ले. काल ४ ! वै० सं० ६५ 1 घ भण्डार | वियोष-टीका का नाम 'प्रायश्चित विनिश्चयवृत्ति' दिया है । ६२२४. भक्तिरनाकर-धनमाली भट्ट । पत्र सं० १६ । प्रा० ११३४५ ६० | भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल XI ले. काल X । अपूर्ण । जीर्ण । वे० सं० २२६१ । भण्डार । ६२२५. भद्रबाहुसंहिता--भद्रबाहु । पत्र सं० १७ । मा० ११६x४, इ० । भाषा-संस्कृत ! विषयज्योतिष । २० काल X । ले० काल X । भपूर्ण । ० सं० ५१ । ज भण्डार । विशेष—इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० १९६) और हैं । ६२२६, विधि विधान पत्र सं०७२-१५३ । प्रा० १२४५. इ० । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा विधान । र. काल X | ले. काल X । अपूर्ण । वे० स० १०८३ । 'अ भार । ६२२७, प्रति सं० २ । पत्र सं० ५२ ३ ले० काल XI. स. ६६१ । क भण्डार । ६२२८, समवशरणपूजा-पन्नालाल दूनीवाले । पत्र सं०८५ | प्रा० १२३४८३० । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा | र० काल सं० १६२१ । ले० काल - I पूर्ण । वे० सं० ७७५ । भण्डार । ६२२६. प्रति सं०२१ पत्र सं. ४३ । ले. काल सं. १८२६ भाद्रपद शुक्ला १२ । ने. सं. ७७७ | छ भण्डार। विशेष-इसी भण्डार में एक प्रति ( वे० सं० ७७६ ) और है । ६२३०. प्रति सं०३ । पत्र सं० ७५ । ले० काल सं० १९२८ भादवा नुदो ३ । २० सं० २०० 10. ६२३१. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १३९ । ले० काल ४ । वे० सं० २७८ | ब भण्डार । ६२३२. समुन्वयचौबीसतीर्थकर पूजा"..."। पत्र सं० २ । प्रा० ११६४५२ ३० । भाषा-हिन्दी। विषय- पूजा । र० काल xलेकाल र I पूर्ण । ० सं० २०५० । अ भण्डार । भण्डार। Page #865 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्थानुक्रर्माताका (सं०) ४५४ अन्य नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं०] ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ स. अकबर बीरबल वार्ता अक्षयदशमीकथा ललितकीति प्रकलचरित्र (हि० ग०) १६० प्रशययामीविधान (सं०) ५३८ अकलङ्कचरित्र नाथूराम (हि०) १६० | अक्षयनिधिपूजा (सं०) ४५४ अकलदेव कथा (सं०) २१३ ५०६,५३६, ७६३ प्रकलङ्गनाटक मक्खनलाल (हि.) ३१६ | अक्षयनिधिपूजा ज्ञानभूषण (हि.) ४५४ प्रकलङ्काष्टक भट्टाकलङ्क (०) ५७५ अक्षयनिधिमुष्टिकाविधानव्रतकथा - (सं०) २१३ ६३७, ६४६, ७१२ ) मक्षयनिधिमंडल [मंडलपित्र] - अकलङ्गाष्टक - (सं०) ३७६ || अक्षयनिधिविधान भकलङ्काष्टकभाषा सदासुख कासलीवाल (हि.) ३७६ | प्रक्षयनिधिविधानकथा (सं०) २४४ प्रकलङ्काष्टक (हि.) ७६० अक्षयनिधियतकथा खुशालचन्द (हि.) २४४ अकंपनाचार्मपूजा (हि०) ६८९ अक्षयविधानकथा - (सं.) २४६ अक्लमंझ्वार्ता (हि.) ३२४ | प्रक्षरबावनी द्यानतराय (हि.) १५, ६७६ अकृत्रिम जनचैत्यालय जयमाल (प्रा०) ४५३ जितपुराण पंडिताचार्य अरुणमणि (सं०) १४२ अकृत्रिमजिनचैत्यालय जयमाल भगवतीदास (हि.) ६९४ | अजितनाथपुराण विजयसिंह (अप०) १४२ ७२० प्रजितशान्तिजिनस्तोत्र - (प्रा.) ७५४ अकृत्रिमत्यालय जयमाल - (हि.) ७०४,७४६ | यजितशान्तिस्तवन नन्दिपेरण (प्रा०) ३७६ अकृत्रिमचैत्यालयपूजा मनरङ्गलाल (हि.) ४५४ अकृत्रिमचैत्वालयपूजा - (सं०) ५१५ | अजित्तशांतिस्तवन - (प्रा० सं०) ३०१ अकृत्रिमचैत्यालय वर्णन (हि.) ७६३ प्रजितमांतिस्तवन -- (सं०) ३७६ प्रकृत्रिमजिनचैत्यालयपूजा जिनदास (सं.) ४५३ | अजितशांतिस्तवन मेरुनन्दन (हि.) ६१६ अकृत्रिमजिनचैत्यालयपूजा चैनसुख (हि.) ४५३ | अजितमातिस्तवन - (हि.) ६१६ प्रकृत्रिमजिनचैत्वालपपूजा लालजीत (हि.) ४५३ | अजितदातिस्तवन (सं.) ४२३ अकृमिजिनालयपूजा पांडे जिनदास (२०) ४५३ ' अजीर्णमञ्जरी काशीराज (सं.) २६६ Page #866 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ ] अन्थ नाम श्रजीर्ण मारी श्रठाई का मंडल [चित्र ] मठाई का ब्यौरा अट्ठाईस मूलगुग्ण वर्णन श्रठारह नाते की क्या अठारह नाते को कथा अठारह नाते का चौढाला अठारह नाते का चौढाल्या अठारह नाते का ब्यौरा काठानीसमूलगुणरास अठोत्तरासनाथविधि लेखक 1 (सं०) ५४३ (सं०) ४६ ऋषि लालचन्द (हि) २१३ लोहट ( हि०) ६२३,७७५ लोइट ० जिनदास ढाई [साई हम] वीपपूजा शुभचन्द्र अढाईद्वीप पूजा ङालूराम अढाईद्वीप पूजा अढाईद्वीपवन प्ररण्थमितिसंधि प्रत का मंडल [चित्र) प्रतिदायक्षेत्र पूजा श्रद्भुतसागर अध्ययन गीत अध्यात्मकमलमार्तण्ड अध्यात्मतरङ्गिणी अध्यात्म दोहा अध्यात्मपत्र मध्यात्मबत्तीसी अध्यात्मबारहखड़ी अनगारधर्मामृत अनन्तगंडवत [मन्त्रसहित ] - कवि राजमल्ल सोमदेव रूपचन्द्र भाषा पृष्ठ सं ग्रन्थ नान (सं०) २६३ | अनन्त चतुर्दशी कथा ५ा अनन्त चतुर्दशी कथा श्रनन्त चतुर्दशी पूजा अनन्त चतुर्दशी जयचन्द छाबड़ा बनारसीदास कवि सूरत पं० आशाधर (हि०) ७२३ ७००, ७६८ ७४५ ६२३ हरिचन्द्र अप्रवाल (अप०) ( हि०) ( हि०) ( हि०) ७०७ (हि०) ६६८ (सं०) ४५५ ( हि०) ४५५ हि०) ७३० (२०) ३१९ २४३ ६२८, ६४२ ५२५ (हि) ५५३ ( हि०) २६६ ( हि०) ६८० (सं०) १२६ (सं) £ε (हि०) ७४६ (हि) && (हिन्) ६६ (fge) (संघ) ४६ (संs) ५७६ धनन्तचतुर्दशी पूजा अनन्त चतुर्दशी पूजा श्रनन्तचतुर्दशीपूजा भाषा पृष्ठ स (सं०) २१४ सुनीन्द्रकीर्त्ति (प्रा० ) २१४ ( हि०) २१४ (सं०) ६०७ (सं०) ४५६ (सं०) ५५७.७६३ ( हि०) ४५६ (सं० [हिं०) ४५६ अनन्त चतुर्दशी व्रतकथा व पूजा खुशालबन्द ( हि०) ५१६ श्रनन्त चतुर्दशीव्रतकथा ललितकीर्त्ति (नंग) ६६५ ★ श्रनन्तचतुर्दशी व्रतकथा अनन्त के प्य श्रनन्तजिनपूजा अनन्तजिनपूजा अनन्तनाथपुराण अनन्तनाथपूजा अनन्तनापूजी अनन्तनाथपूजा श्रनन्तनाय पूजा अनन्तनाग पूजा नन्तपूजा अनन्तपूजाव्रत महात्म्य मनन्तविधानकथा अनन्तव्रतकथा [ प्रन्यानुक्रमणिका अनन्त व्रतकथा अनन्तव्रतकथा अनन्तव्रतकथा अनन्तव्रतकथा अनन्तत्रतकथा श्रनन्तवत कथा लेखक — प्र ज्ञानसागर भ० मेरुचन्द शान्तिदास श्री भूषण पांडे हरिकृष्णा धर्मचन्द्र सुरेन्द्रफीत ( सं ) ४५६ (हिए ) ७५६ (सं०) १४२ सं०) ४५६ ( हि०) ४५६ (सं०) ४५६ अ० शान्तिदास (हि०) ६६०, ७६५ (हि०) ४५७ (सं०) ५.१६ (सं०) ४५७ = गुणभद्राचार्य श्री भूषण सेबग भ० पद्मनन्दि श्रुतसागर ललितकीति मदनकीर्त्ति ( हि०) ७६५ ( हि०) ७५७ खुशाल चन्द्र (घा० ) ६३३ ( नं०) २१४ (सं० ) २१४ (सं० ) ६४५ (सं०) २४७ (सं०) २१४ ( अ१०) २४५ (हि) २१४ Page #867 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्थानुक्रमणिका ] [ ०३ मन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं0 ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० अनन्तयत पूजा श्री भूपण अनेकार्थमञ्जरी नन्ददास (हि०) २७१७६६ अनन्तवतपूजा (सं०) ४५७ । | अनेकार्थशत भा हर्षकीर्ति (सं.) २७१ ५३६, ६६३, ७२८ अनेकार्थसंग्रह हेमचन्द्राचार्य सिं०) २७१ अनन्तव्रतपूजा भ० विजयकीति (हे.) ४५७ अनेकार्थसंग्रह [महोपकोरा] - (सं०) २७१ अनन्ततपूजा साइ सेवगराम (हि.) ४५७ | अन्तरायवर्णन - (हि०, ५६ अनन्तनतपूजा (हि०) ५१ अन्तरिक्षपार्वनाधारक .- (सं०) ५६० ५१६, ५६६, ७२८ मन्ययोगव्यवच्छेदकद्वाविशिका हेमचन्द्राचार्य (सं०) ५७३ यनन्तवतजाविधि - (सं.) ४५७ | अन्यस्फुट पाट संग्रह - (हि.) ६२७ अनन्तप्रतविधान मदनकीति (२०) २१४ / अपराधसूदनस्तोत्र शङ्कराचार्य (सं) ६६२ अनन्ततरास व जिनदास (हि०) ५६० ! प्रबजदकेवली (सं०) २७९ अनन्तयतोयाननपूजा प्रा. गुणचन्द्र (सं.) ४५७ | अभिज्ञान शाकुन्तन कालिदास (सं.) ३१६ | अभिधानकोश पुरुपोत्तमदेव ( २५१ अनायारभक्ति -- ६२ भागमणिनाममाला हेमचन्द्राचार्य (सं.) २७१ प्रनायी ऋषि स्वाब्धाय अभिधानरत्नाकर धर्मचन्द्रगणि (सं० २७२ अनाथानोचोठाल्या खेम (हि०) ४३५ | अभिधानसार पं० शिवजीलाल (सं०) २७२ अनाथीसाथ चौडालिया विमलविनयगणि (हि.) ६८० , अभिषेक पाठ मनाथीमुनि सज्झाम समयमुन्दर (हि.) ६१८ ५६५,७६१ मनाथीमुनि सज्झाय (हि०) ४३५ - मभिषेकविधि लक्ष्मीसन (स०) ४५८ मनादिनिधनस्तोत्र -- सं०) २६,६०४ अभिषेकविनि (सं०) ३६८ अनिटकारिका -- (सं.) २५७ ४५८, ५७० अनिटवारिकावचूरि (सं०) २५७ | अभिषेकविधि (हि०) ४५८ अनित्यपञ्चीसी भगवतीदास हिर) ३८६ | अमरकोश अमरसिंह (40। २७२ अनित्यपश्यासिका त्रिभुवनचन्द्र (हि.) ७५५ | अमरकोशीका भानुजी दीक्षित (सं०) २७२ अनुभवप्रकाश दीपचन्द्र कासलीवाल (हि.) ४८ अमरचन्द्रिका (हि०) ३०८ अनुभवविलास - हि०) ५११ | अमरूशतक अनुभवानन्द - (हि ग०) ४८ अमृतधर्मरसकाव्य गुण चन्द्र देव । (सं०) ४ अनेकार्थध्वनिमञ्जरी महीलपणकषि (सं०) २७१ / अमृतसागर म. सवाई प्रतापसिंह । (हि.) २६६ अनेकार्यध्वनिमखरी - (सं.) २७१ | अरहना सम्झाय समयसुन्दर (हि.) ६१८ अनेकार्थनाममाला मन्दिकवि (हि.) ७०६ | पर हन्तस्तवन (सं०) ३७६ Page #868 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्यानुक्रमणिका л л л ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ संग अरिएका (सं.) २७६ | अष्टप्रकारीपूजा देवचन्द (हि.) ७६० यरिटाध्याय (प्रा.) ४५६ | अष्टशती [देवागम स्तोत्र टीका] अकलङ्कदेव (सं०) १२६ अरिहन्त केवलीपाका - (सं०) २७६ | प्रष्टसहस्री प्रा. विद्यानन्दि (सं०) १२९ अर्थदीपिका जिनभद्रगणि (प्रा.) १ अष्टांगसम्यग्दर्शनकथा सकलकीत्ति २०) २१५ अर्थ प्रकाश ललानाथ (सं.) २६६ | मष्टांगोपाख्यान पं. मेधावी (सं.) २१५ अर्थप्रकाशिका सदासुख कासलीवाल (हि० ग०) १ | अष्टादशसहस्रशीलभेद - (सं.) ५६१ अर्थसार टिप्पण अष्टाह्निकाकथा यशःकीति (सं.) ६४५ (सं.) महत्प्रवचन अष्टाह्निकाकया - (सं.) १] शुभचन्द (सं०) २१५ - अईहत्प्रवचन व्याख्या सं.) २ अष्टाह्निकाकथा मज्ञानसागर (हि०) ७४० मह नकचौडालियागीत बिमल धिनय[दिन अष्टालिकावाया नधमल (हि.) * प्रहद्भक्तिविधान - (सं०) ५७४,६५८ अष्टाह्निका कौमुदो सं.) २१५ - अलङ्कारटीका अष्टाह्निकागीत (सं.) ३०८ भ० शुभचन्द्र (हि०) ६८६ अलङ्काररत्नाकर दलपतिराय घंशीधर (हि०) ३०८ अष्टालिका जयमान - (सं०) १९ अलङ्कारवृत्ति जिनपद्धन सूरि (सं) ३०८ अष्टाह्निका जयमाल प्रा.) ४५६ अष्टाल्लिकापूजा (सं.) ४५६ সুলাহা - (सं.) ३०० अर्वति पार्श्वनाथजिनस्तबन दर्षसूरि (हि) ३७६ ५७०, ५६६, ६५८, ७८४ मध्ययप्रकरण - (सं.) २५७ यष्टाह्निकापूजा यानतराय (हि.) ४६०, ७०५ अव्ययार्थ प्रशनसमितिस्वरूप (प्रा०) ५७२ अष्टाह्निकापूजाकथा सुरेन्द्रकीर्ति (सं०) ४६. अशोकरोहिणीवधा अतसागर (सं०) २१६ | | मष्टाह्निकाभक्ति । (सं०) ५४ अशोकरोहिणीव्रतकथा -- (हि. ग.) २१६ | भ्रष्टाह्निकावतकथा विनयकीर्ति (हि.) ६१४, अवलक्षण पं० नकुल (हि.) ७८१ ७८०, ७६४ अश्वपरीक्षा - (सं०) ७८६ अष्टाह्निकाव्रतकथा । (सं०) २१५ अपाढएकादशीमहात्म्य -- (सं०) २१५ | मष्टाह्निकावतकथासंग्रह गुणचन्दसूरि (सं०) २१६ प्रष्टक पूजा] नेमिदत्त (सं०) ५६० अष्टाह्निकाव्रतकथा लालचंद विनोदीलाल (हि.) ६२२ अष्टक [पूजा] - (हि.) ५६०, ७०१ | मष्टाह्निकाब्रतकथा व ज्ञानसागर (हि.) २२. अपकर्मप्रकृतिवर्णन - - (सं०) १ | अष्टाह्निकावतकथा earn - (हि०) २४७ ७२७ अष्टपाहुड कुन्दकुन्दाचार्य (प्रा.) ६८ | अष्टाह्निकावतपूजा मष्टपाहुडभाषा जयचन्द छाबड़ा (हि ग.) 86 ' अष्टाह्निकालतोद्यापनपूजा भ: शुभचन्द (हि.) ४६१ (सं०) २५७ / अष्टाह्निकापूजा Page #869 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " · ग्रन्थानुक्रमणिका ] अन्थनाम ष्टकातोद्यापन श्रष्टाकाव्रतोद्यापन कुरारोप कुरारोपण विधि अंकुरारोरविधि कुरारोपणलचित्र श्रञ्जतचोरकथा खना को रास अञ्जनारास श्राकाशपञ्चमीकथा श्राकाशपञ्चमीकथा प्रकाश मोकथा कावासी कथा आकाशपचमकथा काकारमतकथा बचारसार आचारांगसूत्र आचार्यभक्ति भाषा पृष्ठ सं० (सं०) ५३६ ( हि०) ४६१ ० आशावर (सं) ४५३ आचार्य भक्ति श्राचार्यों का व्यौरा कोडमुनिपूजा आतम शिक्षा लेखक - इन्द्रनन्दि 1 धर्म भूषण शांतिकुशल च ललितकी ति मदनकीर्त्ति आगमपरीक्षा आगमविलास आगामी त्रेसठशलाका पुरुष वर्णन प्राचारसार वीरनन्दि पन्नालाल चौधरी --- - श्रुतसागर (सं०) ६४५ (सं०) २४७ (सं०) २१६ खुशालचन्द (हि०) २४५ पांडे हरिकृष्ण श्रादिजिनवरस्तुति हि०) ७९४ (सं०) २१६ आदित्यवारकथा (सं०) ३५५ श्रादित्यवारकथा (हि०) ४६ आदित्यवारकथा ( हि०) १४२ श्रादित्यवारकथा (सं०) re (हि०) Ye ( प्रा० ) २ (सं०) ६३३ पन्नालाल चौधरी (हि०) ४५० ( हि०) ३७० (सं०) ४६१ ( हि०) ६१६ आदित्यवारपूजा यानतराय ५१७ (सं०) ४५३ विश्वभूषण पद्मकुमार (सं० ) ४५३ ५२५ ( हि०) २१५ (हि०) ५६३ (हि०) ३३० ग्रन्थनाम श्रातमशिक्षा यातमशिक्षा आतमशिक्षा श्रातुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक अत्मध्यान आत्मनिन्दास्तवन श्रात्मप्रबोध श्रात्मसंबोध जयमाल श्रात्मसंबोधन आत्मसंबोधन काव्य श्रमसंबोधनका लेखक प्रसन्नचन्द्र राजसमुद्र सालम - श्रादित्यवारकथा बनारसीदास रत्नाकर कुमार कवि 1 द्यानतराय श्रात्मानुशासन गुणभद्राचार्य आत्मानुशासनटीका प्रभाचन्द्राचार्य श्रात्मानुशासनभाया पं० टोडरमल www श्रात्मावलोकन दीपचन्द कासलीवाल (१) १०० श्रात्रेयथैद्यक (सं०) २६६ आत्रेय ऋषि कमलकीर्त्ति .हि०) ४३६ (सं०) ६१६ (हिं०) ७६५ (हिं०) २२० ( हिं०) २४४ ― गंगाराम ऋ० ज्ञानसागर भाऊ कवि ६०१, ६०३, ६०५ ७२३, ७४०, आदित्यवारकथा ज० रायमल्ल श्रादित्यवारकथा वादीचन्द्र आदित्यवारक्याभाषा टीका मूलकर्ता [ ८० भाषा पृष्ठ सं (हि०) ६१९ (हि०) ६१६ ( हि०) ६१६ (प्रा.) २ (हिं०) १०० (सं०) ३५०० (सं०) १०० (हि०) ७५५ (हि०) ७१४ (सं०) १०० (अग्०) १०७ (सं०) १०४ (सं०) १०१ (हि० ग०) १०२ ७४५, ७५६, ७६२ (हि०) ७१२ (हि०) ६०७ सकलकीर्त्ति भाषाकार- - सुरेन्द्रकीर्ति ( ० हि०) ७०७ (हि०) ६२३ ६७,७१३, ७१४, ७१८, ७४१ (हि०) ४६१. — Page #870 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०६ ] [ ग्रन्थानुक्रमणिका प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं| प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं. ग्रादित्यनतमूजा (0) ४६१ / प्रादीश्वर का समवसरण प्रादित्यनारवतोचापन प्रादीश्वरस्तवन जित चन्द्र (हि.) .. आदित्यप्रतकथा खुशालचन्द (हिं०) ७३१ प्रादीश्वरविजति - (हि.) ४३७ प्रादित्यव्रतपूजा केशवसेन (सं.) ४६१ आद्रकुमारधमाल वनकसोम (हि.) ६१७ ग्रादित्पनतोद्यापन - (म०) ५४० | प्राध्यात्मिकगाथा भ० लक्ष्मीचन्द (अग०) १०३ आदिनाथवाल्याणकथा व ज्ञानसागर (हि.) ७०७ मानन्दलहीस्तोत्र शङ्कराचार्य (सं०) ६०८ प्रादिनाथ गीत मुनि हेमसिद्ध (हि.) ४३६ प्रानन्दस्तवन (सं०) ५१४ आदिनाथपुजा मनहरदेव (हि.) ५११ স্বাধীক্কা विद्यामन्दि (सं०) १३६ आदिनाथपूजा रामचन्द्र (हि.) ४६१ ६५० | प्राप्तमीमांसा समन्तभद्राचार्य (सं.) १३० प्रादिनाथपूजा प्र० शांतिदास (हि.) ७६५ | ग्रासमीमांसाभाषा जयचन्द छाबड़ा (हि.) १३० प्रादिनाथपूजा सेबगराम (हि.) ६७४ | प्राप्तमीमांसानऋति विद्यानन्दि (सं०) १३० आदिनाथपूजा - (हि०) ४६२ | | ग्राम नींबू का झगड़ा आदिनाथ की विनती - (हि.) ७७४ ७५२ ] आमेर के राजाओंका राज्यकाल विवरण - (हि०) ७५६ प्रादिनाप विनती कनककीर्ति (हि.) ७२२ | आमेर के राजाओंको वंशावलि - (हि.) ७५६ आदिनाथराज्झाय प्रायुर्वेदिक ग्रन्थ - (सं०) २६७, ७६३ मादिनाथस्तवन कवि पल्द (हि०) ७३८ | आयुर्वेदिक नुसग्ने - (सं०) २६७, ५७६ प्रादिनाथस्तोत्र समयसुन्दर (हि०) ६१६ | आयुर्वेदिक नुसस्त्रे -- (हि.) ६०१ पादिनाष्टिक (हि०) ५६४ ६६७, ६७७, ६६०, ६९६, ६९७,७०१, ७०२,७१४, ग्रादिपुराण जिनसेनाचार्य (शं०) १४२ ६४६ ७१८, ७१६, ७२३, ७३०, ७३६, ७६०, ७६१, ७६६, आदिपुराण पुष्पदन्त (अप.) १४३ ६४२ ___७६७, ७६६ प्रादिपुराण दौलतराम (हि. ग) १४४ | अायुर्वेद नुसखों का संग्रह - (हि.) २६६ . प्रादिपुराण टिप्पण प्रभाचन्द (सं.) १४३ प्रायुर्वेदमहोदधि सुखदेव (सं०) २६७ प्रादिपुराण विनती गङ्गादास (हि.) ७०१ भारती (सं०) ६३५ प्रादीश्वर भारतो - (हि.) ५९४ भारती द्यानतराय (हि.) ६२१, ६२२ यादीश्वरगीत रङ्गविजय (हि०) ७७६ प्रारती दीपचन्द (हि.) ७७७ आदीश्वर के १० भन्न गुणचन्द (हि.) ७६२ भारती मानसिंह (हि) ७७७ प्रादोश्वरपूजाष्टक (हि.) ४६२ पारतो लालचन्द (हि.) ६२२ ग्रादीश्वरफाग ज्ञानभूपण (हि.) ३६० भारती बिहारीदास रहि०) ७७६ यादीश्वररेखता सहस्रकीर्ति (हि.) ६८२ 'प्रारती शुभचन्द (हि.) ७७६ Page #871 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्थानुक्रमणिका ] [ ८.४ प्राथनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० प्रथनाम लेखक भापा पृष्ट सं० मारती पञ्चपरमेष्ठी पं० चिमना (हि०) ७६१ | माधव वर्णन भारती सरस्वती ब्राजिनदास (हि.) ३८६ | पाषावभूति चौडालिया कनकसोम (हि.) ६१७ प्रारती संग्रह ब: जिनदास (हि.) ३८६ | पाहार के ४६ दोषवर्णन भैया भगवतीदास (हि.) ५० प्रारती संग्रह यानतराय (हि.) ७७७ भारती सिद्धों की खुशालचन्द (हि.) ७७७ इक्कीसाणावर्धा सिद्धसेन सूरि (प्रा०) २ धाराधना (प्रा.) ४३२ इन्द्रजाल माराधना (हि.) ३० इन्द्रध्वजपूजा विश्वभूषण (सं०) ४६२ अाराधना कथा कोश (सं०) २१६ इन्द्रध्वजमण्डलपूजा (सं०) ४६२ अाराधना प्रतिबोधसार विमलेन्द्रकीत्ति (हि.) ६५८ इष्टछत्तीसी बुधजन (हिर) ६६१ पाराधना प्रतिबोधसार सकलकीति इष्टवत्तीसी - (हि.) ७६७७६३ पाराधना प्रतिबोघसार - (हि.) ७८२ | इष्टोपदेश पूज्यपाद (सं०) ३०० माराधना विधान - (सं.) १६२ इष्टोपदेशटीका पं० श्राशाधर (सं०) ३० पाराधनासार देवसेन (प्रा.) ४६ पष्टोपदेवभाषा ___ ५७३, ६२८, ६३५, ७०६, ७३७, ७४४ इष्टोपदेशभाषा , - (हि. गद्य) ३८० पाराधनासार जिनदास (हि.) ७५७ ईश्वरवाद (सं०) १३१ माराधनासारप्रबन्ध प्रभाचन्द (सं.) २१६ पाराधनासारभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) ४६ | उच्चग्रहफल बलदत्त (सं०) २७६ মহানায়ামে। उरणादिसूत्रसंग्रह उज्यलदच (सं०) २५५ पाराधनासार वनिका बा० दुलीचन्द (हि. ग०) ५० | उत्तरपुराण गुणभद्राचार्य (सं०) १४५ ४१५ माराधनासारवृत्ति पं० श्राशाधर (सं०) ५० उत्तरपुरापटिप्पण प्रभाचन्द (सं०) १४५ पारामशोभाकथा - (सं०) २१७ | उत्तरपुराणभाषा खुशालचन्द (हि० पद्य) १४५ मालापपद्धति देवसेन (सं०) १३० उत्तरपुराणभाषा संघी पन्नालाल (हि. गद्य) १४६ आलोचना - (प्रा०) ५७२ उतराध्ययन - (प्रा०) २ मालोचनापाट जौहरीलाल (हि.) ५६१ उत्तराध्यमनभाषाटीका मालोचनापाठ - (हि.) ४२६ | उदयसत्ताबंधप्रतिवर्णन ६८५, ७६३, ७४६ | उद्धवगोपीसंवाद रसिकरास (हि.) ६६४ मानवविभङ्गो नेमिचन्द्राचार्य (प्रा०) २ उद्धवसंदेशास्यप्रबन्ध (सं०) १६० माश्रयत्रिभनी .- (प्रा.) ७०० | उपदेशछत्तीसी जिनहर्ष (हि.) ३२४ माधवत्रिभङ्गी -- (हि०) २ उपदेशपश्वीसी Page #872 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०८ ] [ ग्रन्थानुक्रमणिका अन्धनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० उपदेशरत्नमाला सकलभूषण (सं०) ५० | ऋद्धिशतक स्वरूपचन्द बिलाला (हि०) ५२५११ उपदेशरत्नमाला धर्मदासगणि (प्रा.) ७५८ ऋषभदेवस्तुति जिनसेन (सं०) ३८१ उपदेशरत्नमालागाथा - (प्रा०) ५२ ऋषभदेवस्तुति पद्यनन्दि (प्रा.) ३८१ ५०६ कृषभनाथचरित्र भ० सालकीन्ति (सं०) १६० उपदेशारत्नमालाभाषा देवीसिंह छाबडा (हि. पद्य) ५२ । ऋषभस्तुति - (सं०) ३८२ उपदेशरत्नमालाभाषा घा० दुलीचन्द (हि.) ५१ | ऋषिमण्डल [चित्र] उपदेशशतक द्यानतराय (हि.) ३२५. ७४७ ऋषिमण्डलपूजा आ० गुणनन्दि (सं.) ४६३ उपदेशसज्झाय देवादिल (हि०) ३८१ ५३७,५३६, ७६२ उपदेगाना भिवाह) : यषिमण्डलपूजा मुनि ज्ञानभूषण (सं०) ४६३ ६३६ उपदेशसम्झाय अपि रामचन्द (हि०) ३८० ऋषिनण्डलगूजा - (सं०) ४६४७६१ । उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला भंडारी नेमिचन्द (प्रा०) ५१ ऋषिमण्डलपूजा दौलत श्रासेरी (हि.) ४६४ उपदेशसिद्धांतरत्नमालाभाषा भागचन्द (हि.) ५१ পথিলা -- (हि.) ७२७ उपवासग्रहणविधि (प्रा०) ४६३ ऋषिमण्डलपूजा सदासुख कासलीवाल (हि.) ७२६ उपवास के दश भेद (सं०) ५७३ ऋषिमण्डलमन्त्र - (सं०) ५६३ उपदासविधान (हिs) ५७३ ऋषिमण्डलस्तवन - (सं.) ६४४ ६.३ उपवासों का ब्यौरा (हि.) ७.१ ऋषिमण्डलस्तवन पूजा - (सं.) ६५८ उपसर्गहरस्तोत्र पूर्णचन्द्राचार्य (सं०) ३८१ | ऋषिमण्डलस्तोत्र गौतमस्वामी (सं.) ३२ उपसर्गहरस्तोत्र (सं०) ४२४ ४२४, ४२८, ४३१, ६४७, ७३२ उपसर्थविवरण चुपाचार्य (सं०) ५२ | ऋषिमण्डलस्तोत्र - (सं०) ३८२ ६६२ उपांगललितव्रतकथा (२०) २१७ उपाधिव्याकरण (सं) २५७ एकसौगुनहत्तर जीववर्णन - (हि.) ७४४ उपासकाचार (सं०) ५२ एकाक्षरकोश नृपाक (सं०) २७४ उपासकाचारदोहा प्रा. लक्ष्मीचन्द्र (अप) ५२ एकाक्षरनाममाला उपासकाध्ययन (सं०) ५२ एकाक्षरीकोश वररुचि (सं०) २७४ उमेश्वरस्तोग (सं.) ७३१ एकाक्षरीकोश - (सं०) २७४ एकाक्षरीस्तोत्र [तकारापर] - (सं०) ३५२ एकीभावस्तोत्र वादिराज (सं.) २२४ ऋणसम्बन्धक्या अभयचन्द्रगणि (प्रा.) २१८ | ३८२, ४२४, ४२५, ४२८, ४३०, ४३२, ४३३, ५७२, तुमहार कालिदास ५७५. ५६५, ६०५, ६३३, ६३७, ६४४, ६५१, ६५२. ऋद्धिमन्य ६६४,७२,७३७, ७८९ - (सं०) २७४ ऋ. Page #873 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्धानुक्रमणिका ] [ ८५ मन्थनाम लेम्बक भाषा पृष्ठ सं0 अन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० एकीभावस्तोत्रटीका नागचन्द्रसूरि (सं.) ४०१ | कथासंग्रह - (सं० हि.) २२० एकीभावस्तोत्रभाषा भूधरदास (हि०) ३८३ ] कथासंग्रह - (प्रा० हि०) २२० ४२६, ४४८, ६५२, ६६२, ७१६, ७२० कथासंग्रह ० ज्ञानसागर (हि.) २२० एकीगावस्तोत्रभाषा पन्नालाल (हि०) ३८३ कथासंग्रह - (हि.) ७३७ एकोभावस्तोत्रभाषा जगजीवन पक्षमाला का दुहा सुन्दर (राज.) ७७३ एकोभावस्तोत्रभाषा (हि०) ३६३ कमलाष्टक -- (सं०) ६०७ एकश्लोकरामायण (स.) ६४६ कवचनाचोरई जिनचन्द्र सूरि (हि. रा०) २२५ एकीश्लोकभागवत (सं.) ६४६ | कारकण्डुचरित्र भ. शुभचन्द्र (सं०) १६१ | करकुण्डचरित्र मुनि कनकामर (अप०) १६१ औषधियों के नुमखे (हि.) ५७५ । करण कौतूहल - (सं०) २७६ करलक्खरण (प्रा०) २७६ करुणाष्टक पद्मनन्द्रि कनका गुलाब चन्द ६३७, ६६८ कक्काबत्तीसी ब्र गुलाल (हि०) ६७६ करूणायक (हि.) ६४२ काकाबत्तीसी नन्दराम (हि०) ७३२ कर्णपिशाचिनोयन्त्र (सं०) ६१२ करकाबतीसी मनराम (हि.) ७२३ करचक्र (सं०) २७६ कक्काबतीसी - रहि.) ६५६ कर्पूरप्रकरण (सं.) ३२५ ६७५, ६५५, ७१३, ७१५, ७२३, ७४१ कारमारी राजशेखर (मं०) ३१६ कक्का विनती [बारहखड़ी] धनराज (हि.) ६२३ | फर्मग्र सप्तरी (प्रा.) ३ कच्छावतार [चित्र कर्मचूर [मण्डलचित्र) ५२५ कछवाहा वंशके राजाओंके नाम - (हि.) ६८० कर्मचूरदतवेलि मुनि सकलकीचि (हि०} ५६२ • कछवाहा वंश के राजाओंकी वंशावलि – (हि.) ७६७ कर्मचूरव्रतोद्यापनपूजा लक्ष्मीसेन (सं.) ४६४, ५१६ काठियार कानडरीचौपई मानसागर (हि०) २१८ कर्मचूरव्रतोद्यापन - (०) ५०६,४६४, ५४० कथाकोश हरिषेणाचार्य (सं०) २१६ कर्मछत्तीसी समयसुन्दर (हि.) ६१६ कथाकोश [मारधनाकधाकोश] प्र० नेमिदत्त (सं०) २१६ कर्मछसीसी (हि०) ६५६ कथाकोश देवेन्द्रकीर्ति (सं०) २१६ कर्मदहनपूजा वादिचन्द्र (सं.) ५६० कयाकोण (सं०) २१६ कर्मदहनपूजा शुभचन्द्र (सं०) ४६५ कथाकोश (हि.) २१९ ५३७, ६४५ कथारत्नसागर नारचन्द्र (सं.) २२० कर्मदहनपूजा (सं.) ४६५ कथासंग्रह (सं०) २२० ५१७, ५४०,७६१ Page #874 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१० ] [ प्रस्थानुक्रमणिका प्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | प्रन्यनाम - लेखक भाषा पृष्ठ सं. कर्मदह्नपूजा टेकचन्द (e) ४६५ सासंपदावधि कर्मदहन [मण्डल चित्र ५२५ | | कलिकुण्डपार्श्वनाथपूजा भ० प्रभाचन्द्र (सं.) ४६७ कर्मदहन का मण्डल (हि.) ६३८ कलिकुग पार्श्वनाथपूजा यशोविजय (सं०) ६५८ कर्मदहनप्रतमन्त्र (सं०) ३४७ कलिकुण्डपार्श्वनाथपूजा - (हि.) ५६७ कर्म नोकर्म वर्गान (प्रा०) ६२६ कलिकुण्डपार्श्वनाथ [मंडलचित्र] ५२५ कर्मपश्चीसी भारमल (हि.) ७६६ कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन - (सं०) ६०६ कर्मप्रकृति नेमिचन्द्राचार्य (प्रा०) ३ कलिकुण्डपूजा (सं०) ४६७ कर्मप्रकृतिचर्चा (हि०) ५, ७२० ४७५, ५१४, ५७४, ६०६, ६४० कर्मप्रकृतिपर्चा (हि०) ६७० कलिकुण्डपूजा और जयमाल - (प्रा.) ७६३ र कर्मप्रकृतिटीका सुमतिकीत्ति (सं०) ५ | कलिकुण्डस्तवन कर्मप्रकृति का ब्यौरा - (हि) ७१८ | कलिनाण्डस्तवन कर्म प्रकृतिवर्णन कलिकुण्डरलोत्र (सं.) ४७५ मर्मप्रकृसिविधान बनारसीदास (हि.) ५ | कलियुग की कथा (हि०) ६२२ ३६०, ६७७, ७४६ कलियुग की कथा द्वारकादास (हि.) ७७३ कर्मबसीसी राजसमुद्र (हि.) ६१७ | कलियुग की विनती देवाब्रह्म (हि०) ६१५ कर्मयुद्ध की विनती - (हि) ६६४ ६८५,७८८ कर्मविपाक - (सं०) २२१, ५६६ | कल्किावतार [चित्र] कर्मविपाकटीका सकलकीर्ति (सं०) ५ | कल्पद्रुमपूजा बविपाकफल (हि.) २८० कल्पसिद्धांतसंग्रह (प्रा.) ६ कर्मराशिफल [कर्मविपाक] - (सं०) २८० कल्पसूत्र भद्रबाहु (प्रा०) ६ कर्मस्तवसूत्र देवेन्द्रसूरि (प्रा०) ५ कल्पसूत्र भिक्खू अझगणं (प्रा.) कमहिण्डोलना कल्पसूत्रमहिमा (हि.) ३८३ कर्मी की १४८ प्रकृतियां वल्पसूत्रटीका समयसुन्दरोपाध्याय (सं०) ७ फलशविधान __ मोहन (सं.) ४६६ कल्पसूत्रवृत्ति (प्रा०) ५ कलश विधान कल्पस्थान [कल्पत्र्याख्या (सं०) २६७ कलशविधि - (सं०) ४२८, ६१२ / कल्याणक समन्तभद्र (प्रा.) ३०३ कलशविधि विश्वभूषण (हि.) ४६६ / कल्याण बिडा] ५७६ कलशाभिषेक पं. आशाधर (सं.) ४६७ , कल्याणमञ्जरी विनयसागर (सं.) ३५४ कलशारोपराविषि पं० आशाधर (सं.) ४६६ | कल्याणमन्दिर इर्षकीर्ति (सं.) ४०१ ८ - Page #875 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कवित्त प्रन्धानुक्रमणिका ] [ ११ प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं०] प्रथनाम लेखक भाषा पृष्ट सं० कल्याणमन्दिरस्तोत्र कुमुवचन्द्र (सं०) ३८४ | बनारसीदास (हि.) ७०६,७७३ ४०२, ४२५, ४३०, ४३१, ४३३,५६५, ५७२, ५७५. कवित्त मोहन (हि.) ७७२ ५९५, ६०५, ६१५, ६१६, ६३३, ६३७, ६५१, ६५० वृन्दावनदास (हि.) ६५२ ६८१, ६६३, ७०१, ७३१, ७६३ कवित्त सन्तराम (हि.) ६६२ कल्याणमन्दिरस्तोत्रटीका - (७) ३८५ कवित सुखलाल (हि.) ६५६ कल्याणमन्दिरस्तोत्रवृत्ति देवतिलक (स.) फक्ति सुन्दरदास (हि.) ६४३ कल्याणमन्दिरस्तोत्र हिन्दी टीका - (सं० हि.) ६५१ कवित संवग (हि.) ७७२ कल्याणमन्दिरस्तोत्रभाषा पन्नालाल .हि.) ३.५ कवित - (राज. डिंगल) ७७० कवित्त माणमनियमका कालीदास हि १८५ - (हि.) ६८१ ७१७, ७५८, ७६०, ७६३, ७६७, ७७१ ४२६, ५६६, ५६६, ६०३, ६०४, ६२२, ६४३, ६४८, कवित्त चुगलखोर का शिवलाल (हि.) ७८२ ६६२, ६६५, ६७७, ७०३, ७०५ कवित्तसंग्रह कल्याणमन्दिरस्तोत्रभाषा मेस्लीराम - (हि.) ६५६, ७४३ (हि०) ७८६ कल्याणमन्दिरस्तोत्रभाषा ऋषि रामचन्द्र (हि.) ३८५ कविधिया केशवदेव (हि०) १६१ कल्याणमन्दिरभाषा कविवल्लभ हरिचरणदास (हि०) ६८८ -- (हि०) ६८९ ७४५, ७५४, ७५५, ७५८, ७९८ कक्षपुट सिद्धनागार्जुन (सं०) २६७ कल्याणमाला पं० माशाधर सं०) ५७५, ३८५ कातन्त्रटीका कल्याणविधि (सं.) कातन्त्ररूपमालाटीका दौसिंह मुनि विनयचन्द (अप) ६४१ कातन्त्ररूपमालावृत्ति (२०) २५८ कल्याणाष्टकस्तोत्र पद्मनन्दि (सं०) ५७४ (सं०) कातन्त्रविभ्रमसूभावरि वारियसिंह कवलचन्द्रायणव्रतकथा २५७ - (सं०) २२१, २४६ कविकर्पटी ___ - (०) ३०६ कातन्त्रव्याकरण शिववर्मा (मं०) २५६ कवित्त अप्रवास (हि.) ७६८ कादम्बरीटीका (सं.) १६१ कवित्त कन्हैयालाल (हि.) ७० | कामन्दकीमनोतिसारभाषा - कवित्त केसवदास (हि.) ६४३ कामशास्त्र (हि.) ७३७ कवित्त गिरधर (हि०) ७७२ ७८६ कामसूत्र कषिहाल (प्रा०) ३५३ कवित्त प्र० गुलाल (हि.) ६७०, ६८२ कारकप्रक्रिया (२०) २५६ कवित छीडल (हि०) ७७० | कारकविवेचन (सं.) २५६ कवित जयकिशन (हि.) ६४३ | कारकसमासप्रकरण (सं०) २५६ कवित्त देवीदास (हि.) ६७५ | कारखानों के नाम कवित्त पद्माकर (हि.) ७५६ कात्तिकेयानुप्रेक्षा स्वामी कात्तिकेय (प्रा) १०३ Page #876 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ मन्थानुक्रमणिका ले प पृट सं.] अन्यनाम लेखक भाषा व सं० कात्तिकेयानुप्रेक्षाटीका शुभचन्द्र (सं.) १०४ ] कृष्णगिलि पृथ्वीराज राठौर (राज डिंगल) ७७० कात्तिकेयानुप्रेक्षाटीका - (०) १०४ कृष्णरुक्मणिबेलिटीका -- ७७० कातिकथानुप्रेक्षाभाषा जयचन्न छाबड़ा (हि गद्य) १०४ कृष्णरुकमणिवेलि हिन्दोटोका सहित – (हि.) ६५६ कालचकवर्णन कृष्णरुक्मरिणमङ्गल पदम भगत (हि.) २२१ कालीनागदमनकथा -- (हि.) ७३८ कृष्णावतारचित्र कालीसहस्रनाम (सं०) ६०० वेवलज्ञान का ब्यौरा (हि.) ५३ काले बिछुके रक्त उतारने का मंत्र - (सं. हि.) ५७१ केवल जानीराजभाय विनयचन्द्र (हि.) ३८५ काव्यप्रकाशटोका (सं.) १६१ / कोकमारी (हि०) ६५७ कासिम रसिकविलास कोकशास्त्र (सं०) ३५३ किरातार्जुनीय महाकवि भारधि (सं०) १६१ कोकमार श्रानन्द (हि.) ३५३ . कुगुरुलक्षण (हि०) १५ कोकसार --- (हि.) ३५३, ६६६ कुण्डलगिरिपूजा भः विश्वभूपाए। (सं०) ४६७ कोकिलामञ्चमीकथा हि०) २२८ कुण्डलिया अगरदास कौतुकरत्नमंजूषा (हि, ७८६ कुदेवस्वरूपवर्णन (हि. ७२० कौतुकलोन्लायती (स.) २८० कुमारसम्भव कालिदास | कौमुदीकथा श्रा० धमकीर्ति (म०) २२२ कुमारसम्भबटीका कनकसागर (सं.) १६२ | कखिकावतोद्यापनपूजा ललितकीन्ति (सं.) ४६८ कुवलयानन्द अप्पय दीक्षित (सं.) ३०८ कश्किावतोद्यापन (सं.) ४६४ कुवलयानन्द कुवलयानन्दकारिका (सं०) ३० | कांजीवारस ( मण्डल चित्र) - कुशलस्तवन जिनरजसूरि (हि.) ७७६ कांजीव्रतोद्यापनमण्डलपूजा (सं०) ५१३ कुशलस्तवन समयसुन्दर (हि.) ७७६ क्रियाकलाप (सं०) ५७६ कुशलाणुबंधि प्रज्मुपणं - क्रियाकलापटीका अमाचन्द (सं०) ५३, ४३४१ कुशीलखण्डन जयलाल (ह.) ५२ क्रियाकलापटीवा (सं०) ५३ कृदन्तपाठ (२०) २५६ क्रियाकलापवृत्ति (प्रा०) ५३ कृपणचन्द उपकुरसी कियाकोशभाषा 'किशनसिंह (हि०) ५३, ६१. कृपाछन्द चन्द्रकीति (हि.) ३६६ क्रियाकोशभाषा कृपणपश्चीसी विनोदीलाल (हि.) ७३३ क्रियावादियों के ३६ भेद (हि.) १७१ कृष्णप्रेमाष्टक (हि.) ७३८ | क्रोधमानमायालोभ की सज्झाय (हि.) ४ कृष्णवालविलास श्री किशनलाल (हि.) ४३७ क्षत्रचूडामणि वादीसिंह (२०) १५२ वृषपरास (हि.) ७३८ क्षपणासारटीका Page #877 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्थानुक्रमणिका ] [ ८१३ प्रन्चनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं0, अन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० क्षपणासारवृत्ति माधवचन्द्र विधदेव (७) खण्डेलवालोतत्तिवर्णन - (हि.) ३७० क्षपरणासारभाषा पं. टोडरमल (हि.) ७ खण्डेलवालों की उत्पत्ति धमादतीसी समयसुन्दर (हि) ६१७ खण्डेलवालीकी उत्पत्ति और उनके ४ गोत्र -- (हि.) ७२१ क्षमावत्तीती जिनचन्द्रसूरि (हि.) ५४ खण्डला की चरचा (हि.) ७०२ মাহবুল ब्रह्मसेन (२०) ५१. खण्डला की मावलि (१०) ७५४ धीर नीर (हि०) ७६२ ख्याल गायीचन्दका - (हरू) २२२ मोरनतनिधिपूजा हीरोदानीपूजा अभयचन्द (सं०) ७६३ | गजपंथामण्डलपूजा भ० क्षेमेन्द्रकीति (०) ४६८ क्षेत्रपाल की आरती (हि.) ६०७ जनमोक्षवया क्षेत्रपालगीत शुमचन्द गजसिंहकुमारचरित्र विनयचन्द्रसूर (सं०) १६३ क्षेत्रपाल जयमाल महाराशांति कधिधि (०) ६१२ क्षेत्रपाल नामावली (सं०) ३८६ गरणधरवरणारविंदपूजा (सं० ४६९ क्षेत्रपालपूजा मणिभद्र (सं.) ६८६ गराधरजयमाल (प्रा०) ४६६ क्षेत्रपालपूजा विश्वसेन (सं०) ४६७ गरणधरवलयपूजा शुभचन्द (सं०) ६६० क्षेत्रपालपूजा - (०) ४६८ | गाधरयलयपूजा अाशाधर (म०) ७६१ ५१५, ५१७, ५६७, ६४०, ६५५, ७६३ गरमधरवलयपूजा (सं०) ४६६ क्षेत्रपालपूजा सुमतिकीति (हि.) ७१३ ५१४, १३६, ६४५, ७६१ गरणधर बलय [ मडलचित्र ] -- ५२५ क्षेत्रपाल भैरवी गीत शोभाचन्द (हि.) ७७७ गाधरबलयमन्त्र क्षेत्रपालस्तोत्र (सं.) ६०७ - (सं.) ३४७ गणधरवलययम्यमंइन [कोठे] - (हि०) ६३८ ५६१, ५७५, ६४४, ६४६, ६४७ गणपाठ वादिराज जगन्नाथ क्षेत्रपालाष्टक (सं०) ६५५ (मं०) गरासार क्षेत्रपालव्यवहार (सं.) २८० (म०) ५४ गणितनाममाला क्षेत्रसमास टीका हरिभद्रसूरि (सं०) ३६८ गरिणतमास्त्र क्षेत्रसमासप्रकरण - (प्रा.) ५४ (सं०) ३६ गणतसार हेमराज (हि.) ३६८ गणेशछन्द (हि.) ७५३ खण्डप्रशस्तिकाव्य | गणेशद्वादशनाम (सं०) ६४६ खण्डेलवालगोत्र (हि.) ७५६ / गर्गमनोरमा (२०) २८० खम्बेलवालों के८४ गोत्र (हि०) ७६० गर्गसंहिता गर्गऋषि (सं.) २८. Page #878 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१४] अन्थनाम गर्भ कल्याणक क्रिया में भक्तियां गर्भपडारचक्र गिरनारक्षेत्रपूजा गिरनारक्षेत्रपूजा गिरनारक्षेत्रपूजा गिरिवारका वर्शन गीत गीत गीत गीत गोत गीतगोविंद गीतप्रबन्ध गीतमहात्म्य गीतवीतराग गुणस्तवन गुणस्थानगीत देव भ० विश्वभूषण लेखक गुणस्यानक्रमारोहसूत्र गुणस्थानचर्चा गुणस्थानचर्चा गुणस्थानच गुणस्थानवर्चा कवि पल्ह धर्मकीति पांडे नाथूराम विद्याभूषण बेल (नवाला गीत] पवेलि गुणमञ्जरी अभिनवचारुकीर्त्ति गुरग्रस्थानप्रकरण गुणस्थानभेद गुणस्थानमा गंगा गुणस्थानमार्गमा रचना स्थान जयदेव --- । श्रीवद्धन रत्नशेखर — चन्द्रकीर्त्ति भाषा पृष्ठ सं० (हि०) ५.७३ (स० ) १३१, ७३७ (सं०) ४०६ (हि०) ४६६, ५१३ गुरावली ( हि०) ५१८ (हि) ७९२ (हि०) ७३८ ( हि०) ७४३ ( हि०) ६२२ ( हि०) ६०७ (हि०) ७४३ (सं०) १६३ (सं०) ३८६ (सं०) ६७७ (सं०) ३८६ ( हि०) ६२३ (सं०) ( प्रा० ) ८६२८ ཝེ (हि० ) (हि०) (सं०) (संग) (सं=) (हि०) जाष्टक गुरुसहस्रनाम गुरुस्तवन गुरुस्तुति (हि०) ६४२ गुरुस्तुति (हि०) ७१२ (सं०) ३२७ ( हि०) ७६३ (सं. ७) (सं० ) द 5 ७५१ Σ ܚ ८ म ८ मन्थनाम गुपस्थानवर्णन गुग्गुणस्थानव्याख्या गुणाश्चरमाला ६ गुरुप्रष्ट्रक गुरुछन्द गुरु जयमाल गुरुदेव की विनती गुरुनामावलिछन्द [ अन्धानुक्रमणिका पुरुषों को विनती गुरुषों की स्तुति गुर्वाष्टक गुर्वावल गुर्वावली पूजा गुर्वावलीवन लेखक ― मनराम घानतराय शुभचन्द अजिनदास गुरूपारतन्त्र एवं सप्तस्मरण जिनदत्तसूरि ( हि०) गुरुपूजा wwww शांतिदास वादिराज (हि०) ७५० (सं०) ६२८, ६८६ ६१६ जिनदास (हि०) ५.३७ (सं०) ६४६ (सं०) ३८७ ( सं ० ) ६५७ (सं०) ६०७ भूधरदास (हि०) १५ ४२७, ४४७ ६१४, ६४२,६६३, ७८३ (हि०) ७०४ भाषा पृष्ठ सं० (हि०) € (सं०) ५७३ - गोकुलगांवकी लीला गोम्मटसर [कर्मकाण्ड ] नेमिचन्द्राचार्य (हि०) ७७७ (हि०) ३८६ (हि०) ६५८ ६८५, ७९१ (हि०) ७०२ 4 (हि०) ३५६ गोम्मटसार [कर्मकांड ] टोका कनकनन्दि गोम्मटसार [कर्मकांड ] टीका ज्ञानभूषण गोम्मटार [कर्मnis] टोका (सं०) ५६५, ६३३ (सं०) ६२३ (सं०) ६५७ -- (सं०) ५१६ ( हि०) ३७१ ( हि०) ( प्रा० ) (सं०) (सं०) (सं०) ३६८ १२ १२ १२ १३ . Page #879 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्धानुक्रमणिका ] ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० गोम्मटसार [कर्मकांड ] भाषा पं० टोडरमल (हि०) १३ गोम्मटसार [कर्मकांड ] भाषा हेमराज गोम्मटसार [जीवनis] नेमिचन्द्राचार्य १३ (सं०) गोम्मटसार [जीवकांड ] ( तत्वप्रदीपिका) गोम्मटसार [जीवकांड ] भाषा टोडरमल (हि०) गोम्मटसारीका धर्मचन्द्र (सं०) सकल भूषण (सं०) १० गोम्मटसारटीका गोम्मटसारभाषा टोडरमल ( हि०) १० गोम्मटसारपीठिका भाषा टोडरमल (हि०) ११ केशववणां (सं) गोम्मटसारवृत्ति गोम्मटसारवृत्ति गोम्मटसार संदृष्टि गोम्मटसारस्तोत्र गोरखपदावली गोरखसंबाद गोविंदाष्टक गौद्ध पार्श्वनाथस्तवन {~ (सं०) १० (हि०) १२ (सं०) ३८७ गोरखनाथ (हि०) ७६७ (हि०) ७९४ शङ्कराचार्य (सं०) ७३३ जोधराज ( राज० ) ६१७ नास्तव समयसुन्दरमणि (राज० ) ६१७ ६१९ गौतमस्वामी गौतमबुलक गौतमकुलक गोतमपृच्छा गौतमपृच्छा गौतमरासा - गौतमस्वामी समाय गंधकुटी पूजा पं० टोडरमल (हि०) ( प्रा० ) समयसुन्दर -- १२ १० € समयसुन्दर मन्थनाम लेखक ग्यारह अंग एवं चौदह पूर्व का वर्णन गृहप्रवेश विचार गृहबिबक्षरण ग्रहदशावन (प्रा० ) १४ ( प्रा० ) १४ (प्रा० ) ६४३ (हिं०) ६१९ चतुर्गति की पड़ी (हि०) ७५४ वतुर्दशपुरुवाच गौतम स्वामी चरित्र धर्मचन्द्र (सं०) १६३ चतुर्दशतीर्थङ्करपूजा गौतमस्वामीचरित्रभाषा पन्नालाल चौधरी (सं०) १६३ चतुर्दशमार्गाव गौतमस्वामीरास ( हि०) ६१७ गौतमस्वामीसज्झाय (हि०) ६१८ ( हि०) ६१८ (सं०) ५१७ घटक रकान्य घर निसारणी ग्रहफल ग्रहफल ग्रहों की ऊंचाई एवं आयुवर्णन घ घटकर (सं०) १६४ जिनहर्ष (सं०) १८७, ७३४ (संब) १४७ (सं०) ३४७ घण्टाप घण्टाकर्ण मन्त्र aण्टाकर्णमन्त्र घण्टाक बुद्धिकल्प चउबीसीठाणाचर्चा उसरकरा चक्रवत्ति को बारह भावना वर्कश्वरीस्तोत्र चतुर्दशसूत्र चतुर्दशसूत्र चतुर्दशां गवाह्यविवरण चतुर्दशी कथा - - टीकम विनयचन्द्र ५४ १०५ (सं०) ३४८ ३८७, ४३२, ४२८, ६४७ (अप०) ६४२ (हिं०) ६८४ - [ ८१५ भाषा पृष्ठ संव ( हि०) ६२६ (सं०) ५७१ (सं०) ५७६ (सं०) २८० (हि०) ६९४ (सं०) २८० (हि०) ३१६ — - — (हि०) ६५०, ७६२ ( हि०) ३४० (हि०) ७०० (प्रा.) ( हि०) (सं०) ६७२ (हि०) ६७१ (सं० ) kr (प्रा० ) १४ (सं०) r (हि०) ७५४, ७७३ Page #880 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१६ ] ग्रन्थनाम चतुर्दशीकथा चतुर्दशी विधानकथा लेखक डालूराम चतुर्दशीयत्तपूजा चतुविधध्यान चतुर्विंशति चतुविशतिद्युस्थानपरी ठिका चतुर्विंशतिजयमाल यति माघनंदि चतुर्विशतिजिनपूजा गुणक रामचन्द्र चतुविशतिजिन राजस्तुति जितसिंहसूर (हि०) ७०० (हि०) ६१६ (सं०) ३८७ — जयसागर चतुविशतिजिनस्तवन चतुर्विशतिजिनस्तुति जिनलाभसूरि तुविशतिजिनाष्टक शुभचन्द चतुविशतित्तीर्थकर जयमाल चतुर्विंशतितीर्थङ्करपूजा चतुविशतितीर्थङ्करपूजा ने पीचन्द पाटनी (हि०, ४७२ (सं०) ४७७, ६४५ चतुर्विशतितीर्थङ्करपूजा बख्तावरलाल (हि०) ४७३ -- चतुविशतितीर्थङ्करपूजा मनरङ्गलाल चतुर्विंशतितीर्थंकरपूजा रामचन्द्र वृन्दावन चतुविदातितीर्थङ्करपूजा चतुविशतितीर्थङ्करपूजा सुगनचन्द चतुर्विधातितीर्थकर पूजा सेवाराम साह चतुर्विंशतितीर्थकर पूजा भाषा पृष्ठ सं० प्रस्थनाम लेखक ( हि०) ७४२ चतुर्विंशतितीर्थङ्कराष्ट्रक चन्द्रकीर्त्ति (सं०) २२२ (सं०) ४६६ (सं०) १०५ ( हि०) ६०१ 150) १८ (सं० ) ४६९ (हि०) ७२६ — -- (सं०) ५७८ (प्रा.) ३=७ (हि०) ४७३ (हि०) ४७२ (हि०) ४७१ (हि०) ४७३ चतुर्विंशतितीर्थङ्करस्तवन हेमबिमलसूरि (हि०) ४२७ (हि०) ७२० (सं०) ६४७ चतुर्विंशतितीर्थङ्करस्तोत्र कमल बिजयमणि (सं०) ३८८ चन्द चतुविशतितीर्थङ्करस्तुति चतुर्विंशतितीर्थङ्करस्तुति समन्तभद्र चतुवैिशतितीर्थङ्करस्तुति ५७६ चतुर्विशतितीर्थङ्करस्तोत्र माघनन्दि (सं०) ३८८५७६ चतुर्विंशतितीर्थङ्करस्तोत्र (सं०) ३८८६२८ (सं०) ३८८ (हि०) ४७० (हि०) ४७३ चतुर्विंशतिपूजा चतुर्विंशतियज्ञविधान चतुर्विंशतिविनती चन्दकवि चतुर्विंशतिव्रतोद्यापन चतुविशतिस्थानक नेमिचन्द्राचार्य चतुवियातिसमुश्वयपूजा चतुर्विंशतिस्तवन विवातिस्तुति चतुविशतिस्तुति चतुविशतिस्तोत्र चतुश्लोकीगोता चतुःषष्ठस्तोत्र चतुदादतोत्र [ प्रन्थानुक्रमणिका भाषा पृष्ठ सं० (सं०) ५१४ (हि०) ४७१ ( हि०) ३४८ चन्दकथा चन्दकुवर की बार्ता चन्दनबालारास बन्दन मलयागिरीका चन्दनमलयागिरी कथा बन्दनमलयागिरीकथा चन्दनष्ठिकथा चन्दनवष्ठिकथा चन्दनष्ठिकधा चन्दनगोपूजा ।। विनोदीलाल भूधरदास (हि०) ७४८ (हि०) ७३४ (हि०) ३६१ (हि०) २२३ (हि०) २२३ (हि०) ७४८ अ० श्रुतसागर (सं) २२४,५१४ लक्ष्मण भद्रसेन चतर — 1 पं० हरिचन्द खुशाल चन्द चन्दनषष्ठीविधानकथा चन्दनपीव्रतनाथा आ० छत्रसेन चन्दन षष्ठी व्रतकथा चन्दनषष्ठी व्रतकथा (हि०) ६८५ (सं०) ५३६ (प्रा० ) १६ (सं०) ५०६ (स०) ३८७४२६ (प्रा०) ७७८ (हि०) ७७६ (हिं०) ४२६ (सं०) ६७६ (सं०) ६०२ (सं०) ३८६ श्रुतसागर खुशाल चन्द (सं०) २२४ (१०) २४३ (हि०) ५१६ ( श्रप०) २४६ (सं०) ६३१ (सं०) ५१० (हि०) २२४ २४४, २४६ Page #881 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ग्रन्धानुक्रमणिका ] [ ८१७ मन्थनाम लेखक भापा पृष्ठ सं० प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं. चन्दनषष्ठीव्रतपूजा चोखचन्द (सं०) ४७३ | चन्द्रह सकथा हर्पकवि (हि.) ७१४ चन्दनषष्ठीव्रतपूजा देवेन्द्रकीति (सं०) ४७३ बन्द्रावलोक (सं.) ३०६ चन्दनषष्ठीतपूजा विजयकीति (सं०) ५.०६ चन्द्रोन्मीलन (सं.) २५६ चन्दनषप्लीव्रतपूजा शुभचन्द्र (सं०) ४७३ चमत्कारप्रतिशयक्षेत्रपूजा (हि.) ४७४ चन्दनषष्ठीव्रतपूजा (सं.) ४७४ | चमत्कारपूजा स्वरूपचन्द हि०) ५११ बन्दनाचरित्र शुभचन्द्र (सं०) १६४ ६६३, ७५६ লালস मोहनविजय चम्भाशतक चम्पाबाई (हि) ४३७ चन्द्रकीतिछन्द (हिं०) ३८६ चरना - (प्रा०, हि०) ६६५ चन्द्रकुवर की वार्ता प्रतापसिंह (हि.) २२३ घरचा - (हि०) ६५२, ७५५ चन्द्रकुवरको वार्ता - (हि.) ७११ चरचावर्णन --- हि०) १५ चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न (हि.) ७१८ चरचायतक चानतराय (हि.) १४ ७२३,७३८ ६६४,७६४ चन्द्रगुप्तके सोलह स्वप्नोंका फल --- (हि.) ६२१ च समाधान भूधरदास (हि०) १५ चन्द्रप्रजाप्ति (40) ३१६ ६०६, ६४६. ७३३ चन्द्रप्रभचरित्र वीरनन्दि चर्चासागर चम्पालाल (हि.) १६ चन्द्रप्रभकाव्यपलिका गुणनन्दि (सं०) १६५ | पर्नासागर चन्द्रप्रभचरित्र शुभचन्द्र चर्षासार शिवजीलाल (हि.) १६ चन्द्रप्रमचरित्र दामोदर (अप०) १६५ चर्चासार चन्द्रप्रमचरित्र यशःकीर्ति (अप०) १६५ - (सं० हि०) १५ বসমৰি সৰু স্থা। पर्चासंग्रह - (हि०) १५, ७१० चन्द्रप्रभचरित्रपलिका (सं०) १६५ चहुंगति चौपई - (हिs) ७६२ चन्द्रप्रजिनपूजा देवेन्द्रकीर्ति चाणक्यनीति चाणक्य (सं०) ३२६ चन्द्रप्रभजिनपूजा रामचन्द्र (हि.) ४७४ ७२३, ७६८ चन्द्रप्रभपुराण हीरालाल चाणक्यनीतिभाषा (हि०) ३२७ चन्द्रप्रभपूजा (सं०) ५०६ चाणक्यनीतिसारसंग्रह मथुरेश भट्टाचार्य (सं०) ३२५ चन्द्रलेहारास मतिकुशल (हि०) ३६१ | चांदनपुरके महावीरकीपूजा सुरेन्द्रकीर्ति (सं०) ५४८ चन्द्रवरदाई की वार्ता (हि.) ६७६ | चामुणस्तोत्र पृथ्वीधराचार्य (सं.) ३८८ चन्द्रसागरपूजा (हि०) ७३३ | चामुण्डोपनिषद् (सं०) ६०८ चन्द्रहमकथा टीकमचन्द (हि.) २२४, ६३९ ' चारभावना - (सं०) ५५ चर्चासंग्रह (हि.) Page #882 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्धानुक्रमणिका मन्थनाम भाषा पृष्ठ सं० ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ट सं. बारमाहकी पश्चमी [मडलचित्र - ५२५ । चिन्तामणिपाश्वनाथपूजा गर्व म्तोय लक्ष्मीसेन (सं०) ४२३ चारमित्रों की कथा अजयराज हि०) २२५ | | बित्तामरिंग राश्वनाथ जास्तोत्र - रा०) ५९७ আপিল। सं०) ६५० चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन - (सं०) ६४५ चारित्रभक्ति ( २७.६३३ । चिन्तामगिपार्श्वनाथस्तवन लालचन्द्र (राज.) ६१७ चारित्रभक्ति पन्नालाल चौधरी (हि० ४५० चिन्तामगिपाश्वनाथस्तवन चारित्रशुद्धिविधान (सं.) Y७४ चिन्तामणिपाश्वनाथस्ताव (२०) ५.६३ चारित्रशुद्धि विधान शुभचन्द्र (सं०) ४७५ चारित्रशुद्धिविधान सुमतिब्रह्म (सं०) १७५ चिन्तामणिपालनाथम्तोत्र [मंत्र सहित | (सं.) ३८८ चारित्रसार श्रीमचामुण्डगय (संत ५५ चिन्तामणिपूजा [वृहद्] विद्याभूषणसूरि (सं०] ४७५ बारिवसार चिन्तामणिपूजा (सं०) ६४७ चारित्रसारभाषा मन्नालाल (हिं०) ५६ चिन्तामणियन्त्र (सं०) ३४८ मारुदत्त चरित्र कल्याणकीर्ति (हि.) १६७ चिन्तामणिलग्न (१.० ५६५ नारुदत्तचरित्र उदयलाल चिन्तामरिगस्तवन्न लक्ष्मीसेन (सं०] ७६५ चारुदत्तचरित्र भारामल्ल (हि.) १६८ বিনামহিংস (स) ३४ घारों गतियोंकी प्रायु आदिका वर्णन (हि०) ७६३ ४७५, ६४५ चिकित्सासार ___~- हित) २६८ निद्विविलाल दीपचन्द कासलीवाल (हि०) १०५ चिकित्सा जनम उपाध्याय विद्यापति (म) २९८ | चूनडी बिनयचन्द (म०) ६४१ वित्र तीर्थकर | चूनड़ीरास विनयचन्द (अप) ६२८ चित्रबंधस्तोत्र (सं.) ३८१ ४२६ | चूर्णाधिकार - (सं०) २६७ चित्रसेनकथा (सं.) २२५ चेतनकर्मचरित्र भगवतीदास हि०) ६.५, ६८९ चिन्द्र पभास रहि०) ७०७ चेतनगीत जिनदाम चितामरिणजम्माल ठक्कुरसी चेतनगीन मुनि सिंहनन्दि (हि०) ७३८ चितामगिजयमाल ब्र रायमल्ल भगवतीदाम (हि.) ६१३ चितामस्जियमाल मनरथ (हि०) ६४४ ६४८, ७४० चिन्तामणि रावगास मालचित्र ५२४ चेतनढाल फतेहमल (हि.) ४५२ चिन्तामणिपालनाथजयमाल मोम अर०) ७६२ चेतननारीसज्झाय चिन्तामगिपार्श्वनाथजयमालस्तवन - (गं०) ३८५ नाथू (हि.) ७५७ चिन्तामणिपार्श्वनाथपूजा शुभचन्द्र (म) ४७५ / चलनासज्झाय समयसुन्दर (हि.) ४३७ ६०६, ६४५, ७४५ | चैत्यपरिपाटी (हि.) ४३७ हि०) ६५५ तनचरित्र Page #883 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्धानुक्रमणिका ] [ ८१६ प्रन्थनाम लेखक मा प्रशस मनाना हेत भाषा क्रमसं० चैत्यवंदना सकलचन्द्र म ६६८ बौबीसतीर्थङ्कररास चैत्यवंदना - (म०) ३८६ | चौबीसतीर्थङ्करवर्णन - (हि.) ४३८ ३६२, ६५०, ७१८ चौनीसतीर्थङ्करस्तवम देवनन्दि (स.) ६०६ चैत्यवंदना -- (हिक) ४२६, ४३७ बौबीसतीर्थङ्करस्तवन लूणकरण कासलीवाल (हि.) ४३८ चौमाराधनाउद्योतककथा जोधराज (हि.) २२५ चौबोसतीर्थङ्करस्तवन - (हि.) ६५० मोतीस प्रतिशयक्ति (सं०) ६२७ | चौबीसतीर्थडरति - (प्रा०) ६२५ चौबश को जयमाल (ह) ७४२ चौबीसतीर्थरस्तुति ब्रह्मदेव (हि.) ४३८ चौदहारणस्थानचर्चा अस्खयराज [ चौवीसतीर्थङ्करस्तुति चौदहपूजा - चौबीसतीर्थङ्करों के चिह्न - (०) १२३ चौदहमार्गा (हि.) १६ चौबीसतीर्थङ्करोंके पत्र कल्यापान की तिथियां- (हि०) ५३८ चौदहविद्या तथा कारखाने जातक नाम – (हि.) ७५६ चौबोसतीर्थङ्करों की वंदना - (हि.) ७७५ चौबीसगरणधरस्तवन गुणकीति (हे.) ६८६ चौबीसदण्डक दौलतराम (हि०) ५६ चौबीसजिनमातपितास्तवन श्रानन्दमूरि (हि.) ६१६ ४२६, ४८, ५११. ६७२, ७६० गौबीसजिनंदजयमाल - (अप०) ६३७ चौबीसदण्डविचार - (हि.) ७३२ चौबीसजिनस्तुति सोमचन्द (हि.) ४३७ | चौबीसस्तवन (हि.) ३८९ चौबीसठाणाचर्चा - (सं.) १८, ७६५ चौबीसीमहाराज [मंडलचित्र) - ५२४ चौबीसठाणाचर्चा नेमिचन्द्राचाय (प्रा०) १६ | चौबीसी विनती भरनचन्द (हि०) ६४६ चौबीसीस्तवन जयसागर (हि०) ७७६ पौबीस ठाणाची चौबीसीस्तुति (हि०) ४३७,७७३ ६२७, ६७०, ६८०, ६८६, ६६४, ७८४ | चौरास्त्रीप्रसादना . चौबीस ठाणाचर्चावृत्ति - (सं०) १८ | चौरासीगीत (हि.) ६८० चौबीसतीर्थरतार्थपरिचय ह) ४३७ चौरासीगोत्राशत्तिवर्णन (हि.) ७८९ चौबीसतीर्थडुरपरिचय - (हि.) ५६४ चौरासीजातिकी जयमाल विनादालाल ६२१,७००, ७५.१ [ चौरालीज्ञातिन्द - (हि.) ३५० चौबीसतीर्थङ्करपूजा [समुश्चय] द्यानतराय (हि.) ७०५ | | चौरासी जातिकी जयमान -- चौबीसतीर्थङ्करपूजा रामचन्द्र (हि.) ६६६ | चौरासी जाति भेद __ - (हि.) ४४ ७१२, ७२७, ७७२ | चौरासीजातिवर्णन (हि.) ७४७ चौदीसतीर्थ करपूजा - (हि.) ५.६२, ७२७ पौरासीन्यात को जयमाल - (हि.) ७४७ चौबीसतीर्थकुरभक्ति - (सं०) ६०४ चौरासोन्यातमाला जिसमास (हि.) sex (हि.) Page #884 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जक्रडी |जकढी जकडी ८२० । । प्रन्यानुकमणिका ग्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ । अन्धनाम लखक भाषा पृष्ठ सं० बौरासीबील कबरपाल (हि.) ७०१ | छंदक्षिरोमण सोमनाथ (हि०) ३५५ पौरासीलाल उत्तरगुण (हि.) ५५ छेदसंग्रह (हि०) ३६ गौसठऋद्धिपूजा स्वरूपचन्द (हि.) ४७६ / छदानुशासनवृत्ति ईमचन्द्राचार्य (सं०) ३०६ चौसठकला (हि.) ६.६ | दशतक हपकीर्सि (सं०) ३०६ चौसठयोगिनीयन्त्र (सं०) ६.३| चौसठ्योगिनीस्तोत्र - (सं०) ३४८, ४२४ | जकड़ी दरिगह (हि.) ७५५, ६६१ चौसठशिवकुमारकाजी की पूजा ललितकीर्ति (सं०) ५१४ | जकडी द्यानतराय (हि.) ६४३ ६५०, ७१६ जकडी देवेन्द्रकीर्ति (हि.) ६२१ पठापारा का विस्तार - (हि०) ३७० नेमिचन्द (हि०) ६६२ छत्तीस कारखानों के नाम - (हि.) ६८० रामकृष्ण (हि०) ४३८ बहढाला किशन हि०) ६७४ रूपचन्द (हि.) ६५० चहताला यानतराय (हि०) ६५२ ६६१, ७५२, ७५५ ५७३, ६७४, ७४७ जकडी ___ - (हि.) ७६३ छहवाला दौलतराम हि०। ५७ जगन्नाथनारायणकवच - (हि०) ६०१ ७०७,७४६ जगन्नाथाष्टक शङ्कराचार्य (सं.) ३८६ सहकाला बुधजनहि०) ५७ जन्मकुंडली [महाराजा सवाई जगमिह] - सं०) ७७६ धातीसुखकी औषधि का नुसखा - हिं०) ५७३ जन्मकुडली विचार - (हि.) ६०३ छिन क्षेत्रपाल व नीलीम तीर्थङ्क [मंडलचित्र] - ५२५ जन्मपत्री दीवारण प्रानन्दीलाल - हि) ७६० लियालीसगुण - हि०) ५६४ जम्बुकुमारसज्झाय - (हि.) ४३८ छियालीसठाणा ब्र. रायमल्ल सं.) ७ | जम्बूद्वीपपूजा पांडे जिनदास । (सं.) ४७७ * छियालीसठापाचर्स (स) १९ ५०६,५३७ वेदपिण्ड इन्द्रनन्दि । प्रा०) | जम्बूद्वीपप्रति नेमिचन्द्राचार्य (प्रा०) ३१६ छोटादर्शन बुधजन (हि०} ३६८ जम्यूद्वीपकल मोतीनिवारणविधि (हि.) जम्बूद्वीप सम्बन्धी पञ्चमेस्वर्गान - (हि.) ७६६ छंदकीयवित्त भ. सुरेन्द्रकीति । (म०) ३५५ | जम्बूस्वामीचरित्र त्रजिनदास (सं०) १६५ संदकोश (स.) ३१० | जम्बूस्वामीचरित्र पं० राजमल्ल (सं.) १६६ छंदकोपा रत्नशेवरसूरि (सं.) ३.६ | जम्बूस्वामीचरित्र विजयकीति (हि.) १६९ चंबशतक वृन्दावनदास (हि.) ३२७ - जम्बूस्वामीचरित्रभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) १६६ Page #885 -------------------------------------------------------------------------- ________________ x प्रन्थानुक्रमणिका ] [ ८२१ ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० जम्बुस्ताभीचरित्र नाथूराम (हि.) १६६ | जिनगुणसंपत्तिपूजा केशवसेन (ग०) ५३७ जम्बूस्वामीचरित्र (हि.) ६६ | जिनगुणसंपत्तिपूजा नचन्द (सं०) ४७७, ५११ जम्बूस्वामीचौपई अकरायमल्ल (हि.) ७१० जिमगृगासंपत्तिपूजा (सं०) ५३६ जम्बूस्वामीपूजा | जिनगुणास्तवन (सं०) ५७५ जयकुमार सुलोचना कथा - हि०) २२५ | जिनचतुधियतिस्तोत्र भ. जिराचन्द्र (स) ५५७ जतिहुवरणरतोत्र अभयदेवसूरि (प्रा०, ७५४ | जिनचदिशतिस्तोत्र (सं०) ४३३ जयपुरका प्राचीन ऐतिहासिकवर्णन - (हि.) ३७० जिन चरित्र ललितकीर्ति (म०) ६४५ जयपुर के मंदिरोकी वंदना स्वरूपचन्द हि०) ४३८, ५३८ | जिनचरित्रबा (सं०) १६६ जयमाल [मालारोहण - (अप०) ५७३ | जिमचैत्यबंदना (सं.) ३६० जयमाल रायचन्द (हि.) ४७७ | जिनचल्यालयजयमाल रत्नभूषण (हि०) ५६४ जलगातारास शानभूषण । (हि०) ३६२ जिनचौर्ब सभवान्तररास विमलेन्द्रकीत्ति (१०) ५७८ जलयात्रा तीर्थोदकदानावधान - (स) ४७७ जिनदत्तचरित्र गुणभद्राचार्य (सं०) १६६ जलयात्रा जिनदास (स०, ६२३ जिनदत्तचरित्रभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) १७० जलयात्रापूजाविधान (हि.) ४१७ जिनदत्त चौपई रल्ह कत्रि (हि.) ६८२ जलयात्राविधान पं० श्राशाधर । (स.) ४७७ जिनदत्तसूरिगीत सुन्दरमणि (हि.) ६१८ जलहरसेलाविधान (हि.) जिनदत्तसूरि चौपई जयसागर उपाध्याय (हित) ६१८ जलालगाहाणी की वार्ता (हि०) ४७७ जिनदर्शन भूधरदास (हि०) ६०५ जातकसार नाथूराम जिनदर्शनस्तुति (सं.) ४२४ जातकाभरण [जातकालङ्कार] - (हि.) ७६३ जिनदर्शनाष्टक - (०) ३६० जातकवर्णन - (सं०) ५७४ जिनपच्चीसी नवलराम • जाप्य इष्ट अनिष्ट [माला फेरने की विधि] - (सं०) ५५५ ६६३, ७०४, ७२५, ७५५ जिनकुशलकी स्तुति साधुकीर्सि (हि.) ७७८ जिनपश्चीसी व अन्य संग्रह -- (हि०) ४३८ जिनकुशलसूरिस्तवन (हि.) ६१८ जिनपिंगलबंदकोश (हि.) ७०६ जिनगुरणउद्यापन -- (हि) ६३८ | जिनपुरन्दरव्रतपूजा जिनगुगापच्चीसी सेबगराम (हि.) ४४७ | जिनयूजापुरन्दरकथा खुशालचन्द (हिं०) २४४ जिनगुणमाला __ - (हि.) ३६० | जिनपूजापुरन्दरविधानकथा अमरकीति (अप०) २४६ जिनगुणसंपत्ति [मंडलचित्र] - ५२४ | जिनपूजाफलप्रातिकथा - (सं०) ४७८ जिनगुणसंपतिकथा - (सं०) २२५, २४६ | जिनपूजाविधान (हि.) ६५२ जिनगुणसंपत्तिकथा ज्ञानसागर (हि०) २२८ | जिनपञ्जरस्तोत्र कमलप्रभाचार्य (सं०) ३६०, ४३२ Page #886 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० ८२२ [ प्रन्थानुक्रमणिका प्रधनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । अन्यनाम लेखक भाषा पृन सं० । जिनपक्षरस्तोत्र (सं०) ३६. | ६५, ६८३, ६८६, ६६२, ७१२, ७१५, ७२०, ७५२, | ७४० । ६४७, ६४८, ६६३ | जिनसहस्रनाम जिनसेनाचार्य (सं.) ३६३ जिनपञ्जरम्तोत्रभाषा स्वरूपचन्द (हि.) ५११ ] ४२५, ५७३, ७०७, ७४७ जिनभक्तिपद हर्षकीत्ति (हि०) ४३८, ३२१ | जिनसहस्रनाम सिद्धसेन दिवाकर (सं.) ३६३ जिनमुखा लोकनकथा - (सं.) २४६ | जिनसहस्रनाम [लघु - (सं.) ३६३ जिनयज्ञकल्प [प्रतिष्ठासार] पं० श्राशाधर (सं०) ४७८ जिनसहस्रनामभाषा बनारसीदास (हि०) ६६०, ७४६ जिनसहननामभाषा नाथूराम (हि.) ३६३ जिनयज्ञविधान - (सं०) ४७६, ६५५ जिनसहस्रनोमटीका अमरकीर्ति (सं०) ३६३ , जिनयशमङ्गल सेबगराम (हि.) ४४७ जिनसहस्त्रनामटीका श्रतसागर (स) ३६३ जिन जमहिमास्तोत्र - (हि.) ५७६ जिनसहस्रनामटोका (सं.) ३६३ जिनरात्रिविधानकथा - (स.) २४२ जिनसहस्रनामपूजा धर्मभूषण (सं.) ४८० जिनरात्रिविधानकथा नर सेन (अप०) ६२८ जिनसहस्रनामपूजा - (सं०) ५१० जिनरात्रिविधानकथा - अप०) २४६, ६३१ जिनसहस्रनामपूजा चैनसुख लुहादिया (हि.) ४५० जिनरात्रिव्रतकथा ज्ञानसागर (हि०) २२० जिनसहस्रनामपूजा स्वरूपचन्द विलाला (हि०) ४८० जिनानाडू ब्र० रायमझ (हि.) ७३८ जिनस्नपन [अभिषेकपा] - (सं०) ४७६, ५७४ जिनवरकी विनती देवापांडे जिनसहस्रनामपूजा - (हि.) ४५१ जिनवर दर्शन पानन्दि (प्रा.) ३६. जिनस्तवन कनककीर्ति (हि.) ७७६ जिनवाव्रतजयमाल बगुलाल (हि०) ३६० जिनस्तवन (हि.) ७०७ जिनवरस्तुति (हि) ७६७ जिनस्तवनद्वात्रिशिका (सं०) ३६१ जिनवरस्तोत्र -- (सं0) ३६०, ५७८ जिनस्तुति शोभनमुनि (सं.) २६ जिनवाणीस्तवन जगतराम (हि०) ३६० जिनस्तुति जोधराज गोदीका (हि.) ४७६ जिनशतकटीका नरसिंह (सं०) ३६१ | | जिनस्तुति रुपचन्द (हि०) ७०३ जिनशतकटीका शंसाधु (सं०) ३६० जिनसंहिता सुमतिकीति (हि.) ७६३ जिनशतकालद्वार समन्तभद्र (सं०) ६६१ जिनस्तुति जिनशासनभक्ति (प्रा.) ६३८ जिनानन्तर (हि.) ६२७ जिनसतसई (हि.) ७०६ । जिनाभिषेकनिर्णय जिनसहस्रनाम पं० श्राशाधर (सं.) ३६१ | जिनेन्द्रपुराण भः जिनेन्द्रभूषण (स.) १४६ ५४०,५६६, ६०५,६०७, ६३६, ६४६, ६४७, ६५५, जिनेन्द्र भक्तिस्तोत्र (हि.) ४२८ Page #887 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैतराम २२५ ५२५ (प्रा०) मन्धानुक्रमणिका ] [ ५२३ मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं| मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० जिनेन्द्रस्तोत्र -- (सं०) ६०६ ४२६, २५२, ६७०, ६८६, ६६८, ७०६, ७१०,७१३, जिनोपदेशोपकारस्मरस्तोत्र (सं.) ४१३ ___७१६, ७३२, ७५४ जिनोपकारस्मरणस्तोत्र (सं.) ४२६ जैनसदाचार मातंण्डनामक पत्रका प्रत्युत्तर बा० दुलीचन्द जिनोपकारेस्मरणस्तोत्रमाषा (हि०) ३६३ जैनागारप्रक्रिया बा दुलीचन्द (हि.) ५७ जीवकामासम्झाय दि०) ६१६ जैनेन्द्रमहावृति अभयनन्दि (म०) २६० जीत्रकायासज्झाय राजसमुद्र (हि. ६१६ जैनेन्द्रव्याकरण देवनन्दि (सं.) २५६ जीवजीतसंहार (हित) जोगीरासो पांडे जिनदास (हि०) १०५ जीवन्धरचरित्र भ० शुभचन्द्र (सं०) १७० ६.१, ६२२, ६३६, ६५२, ७०३, ७२३, ७४५, ७६१ जीवन्धरचरित्र नथमल बिलाला | जोधराजपच्चीसी - (हि.) ७६० जीवन्धरचरित्र पन्नालाल चौधरी (हि.) १७१ | ज्येष्ठजिनवर [मंडलचित्र] जीवन्धर चरित्र (हि.) ज्रोएजिनवादापन पूजा - (सं०) ५०६ जीवविचार मानदेवसरि ज्येष्ठजिनयरकथा (सं.) २२५ जीवविचार (प्रा.) ७३२ ज्येष्जिनवरकथा जसकीति (हि०) २२५ जीव लड़ी देवीदास (हि०) ७५७ ज्येष्ठजिनवरपूजा मुतसागर (सं.) ५६५ जीवसमास (प्रा.) ७६५ ज्येष्जिनवरपुजा सुरेन्द्रकीर्ति (सं०) ५१६ जीवसमासटिप्पण (प्रा.) १६ ज्येष्ठजिनवरपूजा (२०) ४१ जीवसमासभाषा (प्रा० हि) १६ ज्येष्ठजिनवरपूजा (हि) ६०० जीवस्वरूपवर्णन (स) १६ | ज्येष्ठजिनवरलाहान ब्रजिनदास (सं.) ७६५ जीवाजीवविचार (२०) १९ / ज्येलिनवरतकथा खुशालचन्द (हि.) २४४, ७३१ जीवाजीवविचार - (प्रा.) १९ ज्येष्ठजिनवरक्तपूजा जैनगायत्रीमन्त्रविधान (सं०) ३४८ ज्येष्ठपूणिमाकथा (हि.) ६२ जैनपच्चीसी नवलराम (हि०) ६७० | ज्योतिषचर्चा (सं०) ५६७ ६७५, ६९४ | ज्योतिष (स) ७१४ जैनबद्री मूडबद्रीकी यात्रा सुरेन्द्रकीति , हि०) ३७० | ज्योतिषपटलमाला श्रीपति जैनबद्री देशको पत्रिका मजलसराय (हि.) ७०३,७१८ | ज्योतिपशास्त्र (सं.) ६६५ जैनमतका संकल्प (हि०) ५६२ | ज्योतिषसार कृपाराम (हि०) ५६८ जैनरक्षास्तोत्र (सं०) ६४७ स्वरचिकित्सा (सं०) २६८ जैनविवाहपद्धति - (सं०) ४८१ | | ज्वरतिमिरभास्कर चामुण्डराय (सं०) २६८ जैनशतक भूधरदास (हि.) ३२७ स्वरलक्षण (हि.) २९८ Page #888 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२४ ] [ प्रन्यानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ ८ ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० ज्वालामालिनीस्तोत्र - (सं०) ४२४ | जानांकुश (सं०) ६३५ ४२८, ४३३, ५६१, ६०८, ६४६, ६४७, ६४६ । ज्ञाकांकुशपाठ भद्रबाहु (सं०) ४२० मानचिन्तामणि मनोहरदास (हि.) २८ जानांकुशस्तोत्र ज्ञानार्णव शुभनन्दाचार्य (सं.) १०६ ज्ञानदर्पण साह दीपचन्द्र हि- १०५ शानावटीका [गद्य] श्रुतसागर ज्ञानदीपक - (हि.) १३०, ६६० ज्ञानार्गावटीका नयाविलास (मं.) १८ - (हि.) १३१ शानदीपकवृत्ति ज्ञानार्या व भाषा जयचंद छाबड़ा हि०) १०८ जानपच्चीसी बनारसीदास हि०) ६१४ | ज्ञानाविभाषादीका लब्धि विमलगणि (हि०) १०८ ज्ञानोपदेश के पद्य ६.४, ६५०, ६८५, ६८६, ७४३, ७७५ - (हि.) ६६२ , ज्ञानपच्चीसीस्तवन समयसुन्दर (हि०) ४३८ (हि.) ६९२ शानोपदेशाबत्तीसी ज्ञान पदवी मनोहरदास (हि०) ७१८ ज्ञानपञ्चविंशतिका प्रतोद्यापन सुरेन्द्रकीर्ति (सं.) ४१ भखड़ी श्री मन्दिरजी की (हि०) ४३८ भाड़ा देने का मन्त्र - (हि०) ५७१ ज्ञानपश्चमोवृहद्स्तवन समयसुन्दर (हि.) ७७६ झांझरियानु चौडाल्या - (हि.) ४३८ ज्ञानपिण्डकी विशतिपद्धडिका - (अप) ६३५ झूलना गंगाराम (हि.) ७५७ सानपूजा (सं.) ६५८ ज्ञानपंडी मनोहरदास (हि.) ७५७ ज्ञानबावनी __ मतिशेग्बर (हि.) ७७२ ] टंडारणागीत बूचराज (हि०) ५० ज्ञानभक्ति - (स.) ६२७ कारणांग सूत्र (मं०) २० ज्ञानसूर्योदयनाटक वादिचन्द्रसूरि (म.) ३१६ | डोकरी पर राजा भोजराज को वार्ता (हिं.) ६६५ ज्ञानसूर्योदयमाटकभाषा पारसदाम निगोत्या (हि.) ३१७ ठाहसी गाथा (प्रा०) ६२८ ॥ ज्ञानसूर्योदयनाटकभाषा बखताचरमल (हि.) ३१७ हादसो गाथा दादसी मुनि (प्रा०) ७०७ ज्ञानसूर्योदयनाटकभाषा भगवनीदास (हि.) ३१७ डालगण (हि.) ३२७ ज्ञानसूर्योदयनाटकभाषा भागचंद (हि०) ३१७ ढाल मङ्गलमवी ज्ञानस्वरोदय चरणदास (हि.) ७५६ | ढोला मारूणी की बात - (हिं०) २२६, ६०० ज्ञानस्वरोदय (हि०) ५ ढोला मारूपी की वार्ता ज्ञानानन्द रायमल्ल (हि०) ५८ | कोला मारूवणी चौपाई कुशल लाभ (हिए) राज० २२५ ज्ञानबावनी बनारसीदास (हि०) १०५ | प्रकार पंचविशन्ति पूजा - (संग) ५१० ज्ञानसागर मुनि पद्मसिंह (प्रा०) १०५ । णमोकारकल्प Page #889 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ ८२५ प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं| प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ट सं० णमोकारछंद ना लालसागर (हिं.) ६८३ | तत्वार्थबोध णमोकारपच्चीसी ऋषि ठाकुरसी (हिं०) ४३६ | तत्वार्थबोध बुधजन (हि.) २१ णमोकारपाथडीजयमाल .... (अप०) ६३७ | तत्वाथंबोधिनीटीका (सं०) २१ रणमोकारपतीसी कनककीर्ति (सं.) ५१७, | तत्त्वार्थ रत्नप्रभाकर प्रभाचन्द (सं०) २? ___४८२, ६७६ तत्वार्थराजधातिक भट्टाकलकदेव (सं.) २२ णमोकारपैतीसी - (प्रा.) ३४८ तत्वार्थ राजवातिकमाषा - __ (हि.) २२ णमोकारपैंतीसीपुजा अक्षयराम (सं०) ४२, तत्वार्थवृत्ति पं० योगदेव (सं.) २२ ५१७, ५३ | तत्वार्थसार अमृत चन्दाचार्य (सं.) २२ गणमोकारवासिकापूजा (सं०) ५४० तन्वार्थसारदीपक भ० सालकीति (सं०) २३ गाभोकारमंत्र कथा (हि०) २२६ तत्वार्थसारदीपकभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) २३ णमोकारस्तवन (हि.) ३६४ तत्वार्थ सूत्र समास्वामि (म) णमोकारादि पाठ (प्रा०) ३६४ ४२५, ४२७, ५३७, ५६१, ५६६ ५७३, ५६४, ५६५, सारगपिण्ड (अप०) ६४२ ५६६, ६.३६०५, ६३३, ६३७, ६४०, ६४४, ६४६, गोमिगारचारित लक्ष्मण देव (अप०) १७१ ६४७, ६४८, ६५० ६५२, ६५६, ६७३, ६७५, ६८१, गमिपाहचरित दामोदर (प्रप०) १७१ ६८६, ६६४, ६६६,७००, ७०३, ७०४,७०५, ७.७, ७१०, ७२७, ७३१, ७४१, ७७६, ७८७, ७८८,७८६, तत्वार्थसूत्रटीका श्रुतसागर (सं०) २८ तकराक्षरीस्तोत्र (सं.) ३६४ / तत्वार्थसूत्रटीका प्रा० कनककीर्ति (हि०) ३०, ७२६ तत्वकौस्तुभ पन्नालाल संघी | तत्वार्घसूत्रटीका छोटीलाल जैसवाल (हि.) ३. तत्वज्ञानतरंगिणी भ. द्वानभूषण। (स.) ५८ तत्वार्थसूत्रटीका पं० राजमल (हि.) ३० तत्वदीपिका (हि.) २० तत्वार्थसूत्रटीका जयचंद छाबड़ा (हि.) २६ तस्वधर्मामृत (सं०) ३२८ तत्वार्थ सूत्रटीका पांडे जयवंत (हि०) २६ तत्ववोध तत्वार्थसूत्रटीका - (हि.) ६८६ तत्ववर्णन शुभचन्द्र (सं०) २०२ तत्वार्थदशा यायपूजा दयाचंद (सं.) ४१ सत्वसार देवसेन (प्रा०) २०, ५७५ तत्वार्थसूत्र भाषा शिखरचन्द (हि.) ३० ६३७, ७३७, ७४४, ७४७ तत्वार्थसूत्र भाषा सदासुख कासलीवाल (हि.) २८ तत्वसारभाषा शानतराय (हि.) ७४७ | तत्वार्थसूत्र भाषा तत्वसारभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) २१ | तत्वार्थसूत्र भाषा (हि०प०) ३१ तत्वार्थ दर्पण (सं.) २१ | सत्यार्थ सूत्र वृत्ति सिद्धसेन गरिण (२०) २८ तस्वार्थबोध - (सं) २१ | तत्वार्थसूत्र वृत्ति - (सं) २८ Page #890 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ ] । अन्धानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं| ग्रन्थनाम । लेखक भाषा पृष्ठ स० तद्धित प्रक्रिया (सं०) २६. तीर्थमालास्तवन समयसुन्दर (राजा) ६१७ तपलक्षरण कथा खुशालचंद (हि.) ५१६ | तीर्थावलीस्तोत्र - (०) ४३२ तमाखू की जयमाल आणंदमुनि (हि.) ४३८ लोोंदविधान -- (सं, ६३६ तर्कळदीपिका (सं०) १३१ तीर्थकरजकडी हर्पकीति (हि०) १२२, ६४४ तर्कप्रकरण (सं०) १३१ / तीर्थंकरपरिचय (हि०] ३७० सप्रमाण (सं०) १३२ ६५०, ६५२ सर्क भाषा केशव मिभ (म०) १३२ / तीर्थकरस्तोष -- (सं.) ४३० तर्क भाषा प्रकाशिका बालचन्द्र तीर्थकरी का अंतराल - (हि.) ३७० तकरहस्य दीपिका गुणरत्न सूरि (सं.) १३२ तीर्थंकरों के ६२ स्थान -- (हि.) ७२. तर्कसंग्रह अन्नंभ (सं.) १३२ सीसचौधीमी - (हि०) ६५१, ७५८ तसंग्रहदीवा (सं०) १३३ तीसचौबीसीचौपई श्याम हि०) ७५८ तारातंबोल की कथा - (हि०) ७४२ सीसचौबीसोनाम (हि.) ४८३ ताकिकशिरोमणि रघुनाथ (रांग) १३३ तीसचीबीसीपूजा शुभचन्द्र (सं) ५३७ तोनचौबीसी (हि.) ६६३ | तीसचीवसीपूजा वृन्दावन (हि) ४८३ तीनचीबोसीनाम | सीसचौबीसीसमुच्चयपूजा (हि.) ४३ ६७०, ६६३, ७०३, ७५८ तीसचौबीसीस्तवन (सं०) ३६४ तीनचौबीसी पूजा - (सं०) ४८२ तेईसबोलबिबरण (हि.) ७३२ तीनचौबीसीप जा नेमीचन्द बनारसीदास (हि.) ४२६ तीनचोवीसीपूजा (हि.) ४२ ६०४, ७५० तीनचौबीसौरास (हि०) ६५१ तेरहद्वीपपूजा शुभचन्द्र (सं०) ४५३ तीन चौबीसी समुच्चय पूजा (सं.) ४८२ तरहतीपपूजा भ० विश्वभूषण (सं.) ४४ तीन मियां की जकडी धनराज (हि.) ६२३ तेरहवीपपूजा (सं.) ४८४ तीन लोककथन (हि.) ३१६ तेरद्वीपपूजा लाल जीत (हि.) ४८४ तीनलोक चार्ट (हि.) ३१६ | तेरहवीपपूजा (हि.) ४८४ तीनलोझपूजा [त्रिलोक सार पजा, त्रिलोक पुजा] तेरहद्वीपपूजाविधान (नं.) ४८४ नेमीचन्द (हि.) ४८३ | तेरहपथपच्चीसी माणिकचन्द (हि.) ४४८ तीनलोकपूजा टेकचन्द (हि.) ४८३ | तेरहगन्धबीस पन्धभेद (हि.) ७३३ तीनलोफवर्णन - (हिं० ) ३१६ तंत्रसार (हि) - ७३४ तीर्थमालारतवन तेजराम (हि०) ६१७ | श्योविंशतिका (सं.) १०६ - (हि.) ४८२ | तेरहकाठिया Page #891 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन्थानुक्रमणिका ] [ ८२७ प्रन्यनाम लेवक भाषा पृष्ट सं। प्रन्थनाम भाषा पृष्ठ सं० त्रिकाण्डशेषसूची [अमरकोश] अमरसिंह (म.) २७४ | त्रिलोकवर्णन (हि०) ६६० त्रिकाण्डशेषाभिधान पुरुषोत्तमदेव (i०) २७५ | ७०० ७०२ विकालचतुर्दशीपूजा - (सं०) ६६६ | त्रिलोकसार नेमिचन्द्राचार्य (प्रा०) ३२० त्रिकालचौबीसी त्रिलोकसारकथा - (हि.) २२७ विकालचौबीसीकया [रोटतीज] अभ्रदेव (सं०) २२६, २४२ | पिलोकसारचौपई स्वरूपचंद (हि.) ५११ त्रिकालचाँबीसीकथा [रोटतीज] गुणनन्दि (सं.) २२६ त्रिलोकसारपजा अभयनन्दि (सं.) ४८५ त्रिलोकसारप जा विकालचौबीसीनाम - (सं०) ४२४ - (सं०) ४८५, ५१३ त्रिलोकमारभाषा त्रिकालचौबीसीपूजा त्रिभुवनचंद्र (सं०) ४८४, टोडरमल (हि.) ३२ : विकालचौबीसी जा त्रिलोकसारभाषा _ - (सं.) ४८४, ५१७ -- (हि.) ३२१ त्रिकालचौबीसीपजा निलोकसारभाषा (प्रा०) ५६ - - (हि०) ३२१ त्रिकालदेवबंदना (हि०) ६७ त्रिलोकसारवृत्ति माधवचन्द्र विद्यदेव (सं०) ३२२२ त्रिलोकसारवत (सं०) ४८५ - त्रिकालपूजा सं०) ३२२ त्रिचतुवित्तिविधान बिलोकसारसंहष्ट नेमिचन्द्राबार्य (प्रा०) ३२२ त्रिपंचाशतक्रिया (हि.) ५१७ पिलोकस्तोत्र म. महीचन्द विपंचाक्षातन्त्रतोद्यापन (सं०) ५४३ त्रिलोवस्थजिनालयपूजा - (हि०) ४८५ त्रिभुवन की विनती गंगादास (हित) ७७२ त्रिलोकस्वरूप व्यारूपा जदयलाल गंगवाल (हि.) ३२२ त्रिभुवन की विनती (हि.) ७७४ त्रिवर्णाचार भ० सोमसेन (१०) ५८ विभंगीसार नेमिचन्द्राचार्य (प्रा.) ३१ त्रिदाती शाधर (सं०) २६८ विभंगीसारटोका विवेकानन्द्रि (ग) ३२ बिषांशलाकाछंद श्रीपाल (सं०) ६७० त्रिलोकक्षेत्रपजा (हि.) ४५ विषष्ठशलाका पुरुषवर्गन - (सं.) १४६ बिलोकचित्र (हि.) ३२० त्रिषष्टिस्मृति आशाधर (सं०) १४६ त्रिलोकतिल कस्तोत्र भ० महीचन्द्र (सं०) ७१२ त्रिंशतजिणचऊबीसी महणसिंह (अप०) ६८६ त्रिलोकदीपक वामदेव (सं०) ३२० श्रेषन किया - (सं०) ५६, ७६२ त्रिलोकदर्पणकथा खड्गसेन । हि०) ६८६, | पनक्रिया गुलाल (हि.) ७४० वपनक्रिपाकोश दौलतराम (हि०) ५६ त्रिलोकवर्णन (सं०) ३२२ | पनक्रियाजा - . (सं.) ४८५ त्रिलोकवर्णन (प्रा०) ३२२ [ पनक्रिया [मण्डल चित्र - त्रिलोकवर्णन [चित्र] ३२३ श्रेपन कमावतपूजा - (सं०) ४५ त्रिलोकवर्णन (सं०) ३२३ | बेपभक्रियानतोद्यापन देवेन्द्रकीति (सं०) ६३८, ७६६ स०) २४६ Page #892 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स] मन्थनाम त्रेपन क्रियातोद्यापन शलाकापुरुषचित्र पला कापुरुष वर्शन लोक्य तीज कथा अः ज्ञानसागर त्रैलोक्य मोहनकवच त्रैलोक्यसारटीका लोक्यसारपूजा त्रैलोक्यसार महापूजा लेखक दक्षणामूर्तिस्तोत्र दण्डकपाठ दत्तात्रय दर्शन कथा दर्शनका को दर्शन पचीसी दर्शनपाठ दर्शन पाठस्तुति दर्शन पाहुड भाषा दर्शनप्रतिमास्त्ररूप दर्शन भक्ति — थ - रायमल्ल सहस्रकीर्त्ति सुमतिसागर थूलभद्रजीकारासो . हि०) ७२५ पार्श्वनाथस्तवन मुनि अभयदेव (हि०) ६१६ भास्तवन (राज) ६१६ द शङ्कराचार्य भारामज्ञ भाषा पृष्ठ संव (सं०) ५४० ( प्रा० १७१ १०) ७०२ (हिं०) २२० (सं०) ६१० ( प्रा० ) ३२३ (सं०) ४८५ (सं०) ४८६ ६००, ६०४, ६५०, ६६३, ६७७, ६३, ७०३, ७६३ दर्शनपाठ बुधजन (हि०) ४३६ (हि०) ६०० दर्शनपाठ ६६२, ६६३, ७०५ (हि०) ४३६ (हि०) १०६ (हि०) ५६ (सं०) ६२७ -- (सं०) ६६० (सं० ) 낫토 (सं०) २२७ (हि०) २२७ (सं०) २२७ (हि०) ७१६ (सं०) ५६६ ग्रन्थनाम दर्शनसार दर्शनसारभाषा दर्शनसारभाषा दर्शनसारभाषा दर्शन स्तुति दर्शनस्तुति दर्शनस्तोत्र दर्शनस्तोत्र दर्शनस्तोत्र दर्शनस्तोत्र दर्शनाक दलालीनीसज्झाय दश प्रकारके ब्राह्मण दशप्रकार विप्र दशबोल दशबोल पीसी दशभक्ति दशमूखों की कथा दशलक्षण उद्यापन पाठ दशलक्ष रणकथा दशलक्ष रणकथा दशलक्ष रणकथा दशलक्षण कथा दशलक्षरण जयमाल [ प्रधानुक्रमणिका भाषा पृष्ठ सं० (प्रा० ) १३३ (हिं०) १२३ (हि०) १३३ दशलक्ष जयमाल दशलक्ष राजयमाल दशलक्षण जयमाल दशलक्षरण जयमाल लेखक देव सेन नथमल शिवजीलाल सकलचन्द्र - पद्मनन्दि - द्यानतराय - लोकसेन मुनि गुणभद्र खुशालचन्द्र सोमसेन पं० भावशर्मा (प्रा० ) ४२६,५१७ (प्रा० ) ४८७ (प्रा० सं०) ४५७ पं० रइधू (अप०) २४३ ४८६५१८५३७, ५७२, ६३७, ६७६ (हि०) १३३ (सं०) ६५८, ६७० (हि०) ६५२ (सं०) ५७४ (सं०) ३५१ (प्र०) ५०६ --- (प्रा० ) ५७४ (हि०) ६४४ (हि०) ३२४ (सं०) ५७१ (सं०) ५.७६ (हि०) ३२८ (हि०) ४४८ (हि०) ५६ (हिं०) २२७ (सं०) ५५७ (सं०) २२७ (सं०) २२७ (अप०) ६३१ (हि०) २४४ (सं०) ७९५ + X Page #893 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धातुकमधिक प्रन्थनाम दशलक्षरणजयमाल भाषा पृष्ठ सं० ( हि०) ७६५ दशलक्षण जयमाल (हि०) ४८८ दशलक्षणधर्मवर्णन पं० सदासुख कासलीवाल ( हि०) ५६ दशलक्ष धर्मवर्णन (हि) ६० (सं०) ४८८ (सं०) ४८८ दशलक्षणपूजा दशलक्षण पूजा लेखक सुमतिसागर दशलक्षणपूजा दशलक्षण पूजा दशलक्षगापूजा दशलक्ष एसपूजा दशलक्षण पूजा दवालक्षरणपूजा अभयनन्दि ५१७,५३६, ५७४, ५६४, ५६६, ६०६, ६०७, ६४०, ६४४, ६४६, ६५२, ६५८, ६६४, ७०४, ७३१, ७५६, ७६३, ७८४ ― - दशलक्षणवतोद्यापनपूजा श्रश्रदेव खुशाल चन्द द्यानतराय भूधरदास दशलक्षणपूजा जयमाल ददालक्षण [मंडलचित्र ] वलक्षण मण्डल पूजा दशलक्षणविधानकथा ● दशलक्षणविधान पूजा दशलक्षगवतकथा दशलक्षणव्रतकथा दशलक्ष रणव्रतकथा दशलक्षणव्रतकथा दशलक्षण प्रतोद्यापन जिनचन्द्रसूरि दशलक्षणव्रतोद्यापनपूजा सुमतिसागर श्रुतसागर खुशालचन्द ० ज्ञानसागर ५.२५. (हि०) ४५९ लोकसेन (सं०) २४२, २४६ (हि०) ४६० (सं०) २२७ -- दशश्लोकी शम्भुस्तोत्र दशाष्टक दशारास दादूपयावली दानकथा (थप० सं०) ७०५ (सं०) ४८ दानकथा (हि०) ५१६ दानकुल ( हिं०) ४८८ दानतपशील संवाद ५१६,७०५ ( हि०) ५६१ (हि०) ४८६ ७२०, ७८८ (मं०) ५.६६ मन्थनाम दशलक्षणीकथा दशलक्षणी रास दशवेकालिकगीत दशवेकालिकसूत्र दशवेकालिकसूत्रटीका दानपचाशत दानबावनी दानलीला दानवन दानविनती [ ८२६ भाषा पृष्ठ सं० (सं) ६६५ (अप०) ६४२ (हि०) (ЯTO) ३२ (सं०) ३२ (सं०) ६६० (मं० ) ६७० (सं०) ६८३ (हि०) ३७१ (हि०) ७०७ ( हि०) २२८ (SITO) ६० (राज०) ६१७ समय सुन्दर पद्मनन्दि (सं०) ६० द्यानतराय ( हि०) ६०५, ६८६ (हि०) ७३१ (हि०) ७९४ (हि०) २४७ (सं०) ४८९ (सं०) ४८९ दिल्ली राजका ब्यौरा ૪, ૬૧૬ दीक्षा पटल (सं०) ५१३ | दीपमालिका निर्णय लेखक ललितकीर्त्ति - जैतसिंह ब्रः चन्द न जिनदाल भारामल्ल (हि०) ६०० (हि०) ६०६ (हि०) ६४३ दानशीलतपभावना (सं०) ६७ दानशीलतपभावना (हि०) ६० (हि०) ६०, ६०१ दानशीलतपभावना दानशीलतपभावना का चौढाल्या समयसुन्दरगणि p जतीदास धर्मसी ७०० दिल्ली की बादशाहतका ब्यौरा दिल्ली के बादशाहों पर कवित्त दिल्ली नगरको बसापत तथा बादशाहत का ब्यौरा - (हि०) २२० (हि०) ७९६ (हि०) ७५९ - (हि०) ७८४ (हि०) ७८९ (सं०) ५७५ (हि०) ६० Page #894 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवपूजा दोहा ६३० ] | মখলুমফিল্ড ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं| अन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० दीपावसारमन्त्र - (0) ५७१. ५७६ | देवागमस्तोत्रभाषा __ -- (हि० पद्य) ३६६ दुधारसविधान कथा मुनि विनयचन्द्र (प.) २४४ | देवाप्रभस्तोत्रवृत्ति पाणुभा [शिष्य विजयसेनसूरि] दुर्घटकाव्य - (सं०) १७१ (सं०) ३६६ दुर्लभानुप्रेक्षा (प्रा.) ६३७ देवीसूक्त देवकीढाल रतनचन्द (हि.) ४४० देशों [भारत] के नाम - (हि.) ६७१ देवकोढाल लूणकरण कासलीवाल (हि.) ४३६ देहली के बादशाहोंकी नामावली एवं परिचय - देवतास्तुति पद्मनन्दि (हि.) ३६४ (हि.) ७४३ देहली के बादशाहोंके परगनोंके नाम --- (हि.) ६८० देवभूजा इन्द्रनन्दि योगीन्द्र (सं.) ४. - (०) ४१५ देहलीके बादशाहोंका ब्यौरा - (हि.) ३७२ ५.६४, ६०५, ७२५, ७३१ वहसीके राजाओंकी वंशावलि - (हि.) ६. . - (हि० सं०) ५६९, कबीर देवपूजा (हि०) ७६६ ७०४ दोहाबाहुल रामसिंह (अप०) ६. देवपूजा द्यानतराय (हि.) ५१६ दोहाशतक रूपचन्द (हि०) ६७३, ७४० - (हि.) ·६४६ दोहासग्रह नानिगराम (हि.) ६२३ ६७०, ७०६, ७३५, ७५८ | दोहासंग्रह - (हि.) ७४३ द्यानतविलास देवपूजाटीका - (सं०) ४६० द्यानतराय (हि.) ३२८ दुव्यसंग्रह देवपूजाभाषा जयचन्द छाबड़ा नेमिचन्द्राचार्य (हि.) vt. (प्रा०) ३२ देवपूजाष्टक - ५७५, ६२८, ७४४, ७११ (स) ६५७ द्वन्यसंग्रहटीका देवराज बच्छराज चौपई सोमदेवसूरि (हि.) २२८ - (सं०) ३५, ६९४ देवलोकनकथा - (सं०) २२५ (प्रा० हि०) ७५५, ६८९ द्रव्यसग्रहगाथा भाषा सहित द्रव्यसंग्रहचालावबोध टीका वंशीधर देवशास्त्रगुरुपूजा आशाधर (सं०) ६३६, ७६१ (हि०) ७६१ -- देवशास्त्रगुरुथूजा द्रव्यसंग्रहमाषा (सं०) ६०७ जयचन्द छाबडा (हि० पद्य) ३६ * देवशास्त्रगुरुपूजा | द्रव्यसंग्रहमाषा जयचन्द छाबडा (हि० गद्य) ३६ देवसिद्धपूजा - सं०) ४२८ द्रव्यसंग्रहभाषा बा. दुलीचन्द (हि० गद्य) ३७ ४६०, ६४०, ६४४,७३० । द्रव्यसंग्रहमाषा घानतराय (हि०) ७१२ देवसिद्धपूजा (हि.) ७.५ द्रव्यसंग्रहभाषा ___पन्नालाल चौधरी (हि.) ३६ देवागमस्तोत्र प्रा० समन्तभद्र (सं०) ३९४ | द्रव्यसंग्रहभाषा हेमराज (हि.) ७३३ २६५, ४२५, ५७५, ६०४, ७२० | द्रव्यसंग्रहभाषर देवागमस्तोत्रभाषा जयचन्द छाबड़ा (हि.) ३६५ 1 द्रव्यसंग्रहभाषा पर्वत धर्मार्थी (गुज.) ३६ देवपूजा Page #895 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र मन्थानुक्रमणिका ] * ग्रन्थनास द्रव्यसंग्रहवृत्ति द्रव्यसंग्रहवृति arrasada · द्वादशराशिफल द्वादशव्रतकथा द्वादशमासांतचतुर्दशीतोद्यापन दृष्टांतशतक हावभावनाटीका द्वादश भावनादृष्टांत द्वादशमाला कवि राजसुन्दर द्वादशमाता [वाहसा]) ७७१ (सं०) ५३६ (सं०) ६६० (सं०) २२८ द्वादशव्रतकथा द्वादशव्रतकथा द्वादशव्रतपूजाजयमाल दशमण्डलोद्यापन द्वादशव्रतोद्यापन द्वादशव्रतोद्यापन लेखक दे प्रभाचन्द्र द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशानुप्रेक्षा द्वादशानुप्रेक्ष द्वादशामुक्षा पं० अदेव चन्द्रसागर - जगतकीर्त्ति द्वादशव्रतोद्यापनपूजा देवेन्द्रकीर्त्ति द्वादशतोद्यापनपूजा पद्मनन्द्रि - लक्ष्मीसेन भाषा पृष्ठसं० ग्रन्थनाम (50) ३४ द्वादशानुप्रेक्षा (सं० ) ३४ जल्दण (सं०) ३७ द्वादशांगपूजा (सं०) ३२८ द्वादशांगपूजा (हि०) १०९ ( ज०) १०९ (हि०) ७४३ २४६, ४६० ( हि०) २२८ (सं०) २२८ (सं०) ६७६ (सं०) ५४० ( अप० ) ६२८ ( अप० ) ६२८ ( हि०) १०६ (सं०) ४६१, ६६६ (सं०) ४६१ (सं०) ४९१ ( सं ० ) ४६१ (सं०) १०६, ६७२ | बन्नाशलिभद्र रास (सं०) ७४४ धन्यकुमारचरित्र ( प्रा० ) १०९ धन्यकुमारचरित्र साहू बालु कवि दत्त ( हि० पथ) लोइट सूरत १०९ ( हि०) ७६९ (हि०) ७६४ घनदस सेठ की कथा धन्नाकमानक धन्नाची प धन्नाशालिभद्रचापई धन्यकुमारचरित्र धन्यकुमारचरित्र धन्यकुमारचरित्र लेखक ब्राश्रयकाव्य द्विजबचनचपेटा द्वितीयसमोर द्विपंचकल्याणक पूजा (सं०) १७१ द्विसंधान काव्य धनञ्जय द्विसंधानकाव्यटीका [पदक्रौमुदी] नेमिचन्द्र (सं०) १७२ विमंधान काव्यटीका विनयचन्द (सं०) १७२ सिंधान काव्यटीका (सं०) १७२ द्वीपसमुद्रों के नाम (हि०) ६७१ होपायनढाल (हिं०) ४४० डालूगम हेमचन्द्राचार्य धर्म चक्र [ मण्डल चित्र ] धर्मचक्र पूजा धर्मचक्रयूजर ० गुलाल गुणसागरसूरि ध जिनराजसूरि श्र० गुणभद्र प्रः नेमिदत्त सकल कीर्त्ति [ ८३१ भाषा क्रम स० (हि०) १०६ ६५२, ७४८, ७६५ (सं०) ४६१ (हि०) ४६१ (हि) २२६ (सं०) २२६ (हि०) ७७२ हि०) २२१ (हि०) ३६२ (सं०) १७२ (सं०) १७३ (सं०) १७२ (सं०) १७४ खुशालचन्द (हि०) १७३, ७२६ ५२५ (सं०) ४६१, ५६५ (सं०) ४६२ - (सं०) १७१ (सं०) १३३ (हि०) ५६६ (सं०) ५१७ यशोनन्दि साधु रामझ Page #896 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ ] [ प्रन्थानुक्रमणिका प्रन्धनाम लेखक भाषा पृष्ट सं०] ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० धर्मचक्रपूजा (सं.) ४६२ | धर्मरासा - (हि.) ३६२ ५... ५३ धर्मरासो - (हि.) ६२३, ६७७ धर्मचन्द्रप्रबंध धर्मचन्द्र (प्रा.) ३१६ घर्मलक्षण - (सं.) ६२ धर्मवाह (हि.) ७२७ धर्मविलास द्यानतराय (हि.) ३२८, ७१० धर्मचाहना (हि०)! ६१ | धर्मदा भ्युदय महाकवि इरिश्चन्द (सं०) १७४ धर्मतरुगीत जिनदास रहि०) ७६२ | धर्मशर्माभ्युदयटीका यशःकीर्ति (सं०) १७४ धर्मदशावतार नाटक (सं.) ३१७ | धर्मशास्त्रप्रदीप - (सं.) १३ धर्म दुहेला जैनी का [पन किया] (हि.) ६३८ धर्मसरोवर जोधराज गोदीका (हि.) ६३ धर्मपच्चीसी द्यानतराय (हि.) ७४७ धर्मसार [चौपई] पं० शिरोमणिदास (हि०) ६३, ६६६ धर्मपरीक्षा अमितिगति (सं०) ३५५ धर्मसंग्रहश्रावकाचार ५० मेघावी (सं०) ६२ धर्मपरीक्षा विशालकीति (हि.) ७३५ | धर्मसंग्रहश्रावकाचार धर्मपरीक्षाभाषा मनोहरदास सोनी ३५७, ७१६ | धर्मसंसहश्रावकाचार धर्मपरीक्षाभाषा दशरथ निगोत्या (हि० ग०) ३५६ | धर्माधर्मस्वरू। (हि.) ७०७ धर्मपरीक्षाभाषा - (हि.) ३५८, ७१० धर्मामृतसूक्तिसंग्रह आशाधर (सं०) ६४ धर्मपरीक्षारास ब्र० जिनदास (हि.) ३५७ | धर्मोपदेशपीयूषधारकावार सिंहनन्दि धर्मपंचविंशतिका बजिनदास (हि.) ६१ धर्मोपदेशश्रावकाचार अमोधवर्ष (सं.) ६४ धर्मप्रदीपभाषा पन्नालाल संघी (हि०) ६१ | धर्मोपदेशथावकाचार अनेमिदत्त । (सं.) धर्मप्रश्नोत्तर विमल कीर्ति (सं.) ६१ धर्मोपदेशथावकाचार - धर्म प्रश्नोत्तर (हि०) ६१ धर्मोपदेशसंग्रह सेवारामसाह धर्मप्रश्नोत्तर श्रावकामार भाषा धवल (प्रा.) ३७ धर्मप्रश्नोत्तर श्रावकाचार भाषी चम्पाराम (हि.) ६१ । धातुपाठ हेमचन्द्राचार्य (सं०) २६०, धर्मप्रश्नोत्तरी धातुपाठ (सं०) २६० धर्मबुद्धिचौपई लालचन्द धातुप्रत्यय (सं.) २६१ धमबुद्धि पाप बुद्धि कथा - (म०) २२६ | धातुरूपावलि (सं.) २६१ धर्मबुद्धि मंत्री कया वृन्दावन (हि.) २२६ | धू लीला (हि.) ६०० धर्मरत्नाकर पं० मंगल (सं.) ६२ | श्रीधूवरित्र (हि.) ७४१ धर्मरसायन पद्मनदि () ६२ | ध्वजारोपणपूजा (सं०) ५१३ धर्मरसायन (सं.) ६२ | ध्वजारोपणमंत्र (सं.) ४२ धर्मरास [श्रावकाचार] (हि.) ७७३ | ध्वजारोपणयंत्र (मं०) । । । । । । । । (सं.) १२ Page #897 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रभ्यानुक्रमणिका ] - अन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० ध्वजारोपणविधि श्राशाधर (स.) ४६२ | नन्दीश्वरपूजा - (प्रा०) ४६३, ७०५ ध्वजारोपरणविधि (मं०) ४६२ | नन्दीश्वरपूजा --- (सं० प्रा०) ४६३ ध्वजारोहणाविधि (म०) ४६२ नन्दीश्वरपूजा (प.) ४६३ नन्दीश्वरपूजा (हि.) ४६३ नन्दीश्वरपूजा जयमाल (०) ७५६ नखशिखवर्णन केशवदास (हि०) ७७२ नन्दीश्वरपूजाविधान टेकचन्द (हि.) ४६४ नखशिखवान (हि०) १४ नन्दीश्वरपतिपूजा पद्मनन्दि (रा०) ६३६ नगर स्थापना का स्वरूप (हि०) ७५० नन्दीश्वरपंक्तिपूजा (सं०) ४६३ नमरों की बसम्पत का संबवार विवरण ५१४, ७६३ मुनि कनककीर्ति | नन्दीश्वरपंक्तिगूजा ननद भौजाई का झगड़ा (हि.) ७४७ | नन्दीश्वरभक्ति नन्दितायछंद (प्रा०) ३१० नन्दीश्वरभक्ति पन्नालाल (हि०) ४६४, ४५० नन्दिपेरण महामुनि सज्जाय | नन्दीश्वरविधान जिनेश्वरदास (हि.) ४६४ नन्दीश्वर उद्यापन (सं०) ५३७ नन्दीश्वरबिधानकथा हरिषेण (सं०) २२६, ५१४ नन्दीश्वरकथा भ० शुभचन्द्र (सं.) २२६ | नन्दीश्वरविधानकथा - (सं०) २२६, २४६ नन्दीश्वरजयमाल (सं०) ४६२ || नन्दीश्वरव्रतविधान टेकचन्द (हि०) ५१८ नन्दीश्वरजयमाल (प्रा.) ६३६ | नन्दीश्वरवतोद्यापनपूजा अनन्तकीर्ति (is) ४६४ नन्दीश्वरजयमाल कनककीति (अप०) ५१६ | नन्दीश्वरप्रतोद्यापनपूजा नन्दिषेण (सं०) ४६४ नन्दीश्वरजयमाल (अप०) ४६२ नन्दीश्वरखताद्यानपूजा (सं.) ४६४ नन्दीश्वरद्वोपपूजा रत्ननन्दि (सं0) ४६२ नन्दीश्वरवतोद्यापन पूजा - नन्दीश्वरदीपपूजा (सं०) ४६३ বৰাখহামিলি (प्रा.) ६२७ नान्दीसूत्र (प्रा.) ३७ नन्दीश्वरद्वीपपूजा - (प्रा०) ६५५ नन्दूसप्तमीनतोद्यापन (सं०) ४६४ नन्नीश्वरद्वीपपूजा द्यानतराय (हि०) ५१६, ५६२ नमस्कारमन्त्रकलविधिसहित सिंहनन्दि (सं०) ३४६ नन्दीश्वरद्धोपपूजा मङ्गल (हि०) ४६३ | नमस्कारमन्त्रसटीक - (सं० हि०) ६०१ नन्दीश्वरपुष्पाञ्जलि - (सं०) ५७६ नमस्कारस्तोत्र - (सं०) ४२८ नन्दीश्वरपूजा सकलकीर्ति (सं०) ७९१ | नमिऊरणस्तोत्र (प्रा०) ६८१ नन्दीश्वरपूजा - (सं०) ४६३ | नवचन देवसेन (प्रा०) १३४ ५१५, ६०७, ६४४, ६५८, ६६६, ७०४ नमत्रकटीका (हि.) ६८६ Page #898 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ ] [ ग्रन्थानुक्रमणिका ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं.1 प्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० नयनकभाषा हेमराज (हि०) १३४ | नवग्रहणूजाविधान भद्रबाहु (सं.) ४६४ नयमभाषा नवग्रहस्तोत्र घेदव्यास (सं.) ६४६ नरकदुःखवर्णन दोहाभूधरदास (हि.) ६५ नवग्रहस्तोत्र (सं. ४३. ७६०, ७८८ नवग्रहस्थापनाविधि नरक्वान नवत्तवनाथा (प्रा.) ३७ नरकस्वर्ग केयन्त्र पृथ्वी आदिका वर्णन - (हि.) ६५२ नयतत्यप्रकरण (प्रा०) ७३२ नरपतिजयचर्चा नरपति (सं.) २८५ नक्तत्वप्रकरण लक्ष्मीबल्लभ (हि०) ३७ मल दमयन्तो नाटक (सं.) ३१७ नवतत्वववनिका पन्नालाल चौधरी (हि.) ३८ ननोदयकाव्य कालिदास (सं.) १७५] नवतत्ववर्णन - (हि.) ३. नलोदयकान्य माणिक्यसूरि । (सं०) १७४ नवतत्रविचार नवकारकल्प (सं०) ३४६ नवतत्वविचार (हि.) ३८ नकारनासो (सं०) ६EE नवपदपूजा देवचन्द (हि.) ७६० नवकारपतीसोपुजा (स) ५३७ नवमङ्गल विनोदीलाल (हि०) ६८५, ७३४ नयकार बड़ो बिनतो अनदेव (हि.) ६५१ नवरत्नकवित्त __(सं०) ३२६ नवकारहिमारतवन जिनवल्लभसूरि (हि.) ६१८ नवरलकवित बनारसीदास (हि.) ७४३ नवकारमन्त्र (सं.) ४३१ नवरत्नक्ति (हि०) ७१७ नवकारमन्त्र (प्रा) ६३६ नबरमकाव्य (सं.) १७५ नवकारमन्त्रच (हि.) ७१ | मष्टोदिष्ट (सं०) ६५ नवकाररास प्रचलकत्ति (हि.) ६४७ नहनसीपाराविधि (हि०) २६८ नवकाररास - नामकुमारचरिक धमंधर (सं०) १७६ नवनाररासो (हि.) ७४५ नागकुमारचरित्र मखियेणसरि (सं०) १७५ . नयकारभावकाचार (प्रा.) ६५ नागकुमारचरित्र नवकारसम्झाय गुणप्रभसूरि नागकुमारचरित्र उदयलाल (हि०) १७६ नवकारसज्झाम पद्मराजगणि नागकुमारचरित्र - (हि०) १७६ नवग्रह [मण्डलचित्र] - ५२५ नागकुमारचरितटीका प्रभाबन्द (सं०) १७६ नवग्रहभितपार्श्वनाथस्तवन नागमंता - (हि. राज.) २२६ नवग्रहभितपाईस्तोत्र (प्रा०) ७३२ | নীলা - (हि.) ६६५ नवग्रहपूजा (स.) ४६५ नागश्रीकधा न नेमिदत्त (२०) २३१ नवमहसूजा - ( हि०) ५१८ ' नागश्रीकथा किशनसिंह (हि०) २३१ Page #899 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन्थानुक्रमणिका ] [ ३५ मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं। प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० नागश्रीसज्माय विनयचन्द (हि०) ४४१ | नित्यनियमपूजा सदासुख कासलीवाल (हि.) ४६६ नाटकसमयसार बनारसीदास (हि.) ६४० नित्यनियमपूजासंग्रह - हि०) ७१२ ६५७, ६८२, ७२१, ७५०, ५६१, ७७६।। | नित्यनैमित्तिकपूजापाठ संग्रह -- (सं.) ५६६ नाडीपरीक्षा - (सं.) २ | नित्यपाठसंग्रह - (सं० हि०) ३६८ दित्यपूजा - (संस) ५६० नांदीमङ्गलपूजा - (सं०। ५१८ नाममाला धनञ्जय (सं.) २७५ | नित्यपूजा - (हि.) ४६ २७६, ५७४, ६८६, ६६६, ७०१, ७११, ७१२, ७३६ । नित्यपूजाजयमाल नाममाला बनारसीदास (हि०) २७६ | | नित्यपूजापाठ (सं० हि०) ६६३ ७.२,७१५ नाममारी नन्ददास (हि.) ६६७ ७६६ | नित्यपूजापाठसंग्रह ...- (प्रा० सं०) ६६४ नायिकालक्षण कषि सुन्दर (हि.) ७४२ | नित्यपूजापाठ ग्रन - (सं०) ६९३ नायिकामर्शन | नित्यपूजापाठसंग्रह (सं.) ७० नारचन्द्रज्योतिषशास्त्र नारचन्द्र (सं०) २८५ ७७५, ७७६ नारायणकवच एवं प्रष्टक (२०) ६८ नित्यनूजासंग्रह --- (प्रा० प्रप०) ४६७ नारीरासो (हि.) ७५७ नित्याजासरह -- (सं.) ४६७, ७६३ नासिकेतपुराए (हि.) ७६७ नित्यबदनासामायिक - (सं० प्रा०) ६३३ नासिकेतोपाख्यान (हि०) ७६ | निमित्तमान भद्रबाहु सहिता] भद्रबाहु (सं०) २८५ (सं.) २६६ | नियमगार प्रा. कुन्दकुन्द (प्रा०) ३८ निजस्मृति जयतिलक नियममारटीका पद्मप्रभमलधारित्र (सं०) ३८ निजामणि जिनदास निरमावलीसूत्र (प्रा०) ३८ नित्य एवं भाद्रपदपूजा (सं.) १४४ निरक्षनशतक (६०) ७४१ मित्यकृत्यवर्णन - (हि.) ६५.. XE५. | निरञ्जनस्तोत्र (सं०) ४२४ नित्यक्रिया | निर्भग्पकमा.वधानकथा विनयचन्द्र (अप०) २४५, ६२८ भिम्पनियम के दोहे - हि ७१८ निर्दोषगप्तमी कथा - (अप०) २४५ नित्यनियमपूजा (स.) ४६५ निर्दोष-सिमीमाथा पांडे हरिकृष्ण हि.) ७६४ ५१६, ६७६ | निर्दोषसप्तम प्रतकथा न रायमल्ल (स०) ६७६, ७३६ नित्यनियमपूजा --- {सं. हि.) ४.६ । | निर्माल्गदोघवर्णन वा दुलीचन्द (हि.) ६५ ५६७,६८४ | निर्वाणकल्याणवपूजा निघंटु Page #900 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । प्रन्यानुक्रमणिका मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं. ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० निर्वाणवाण्डगाथा -- (प्रा.) ३६५ नोतिवाक्यामृत सोमदे वसूरि (सं०) ३३० मोतिविनोद ४२९, ४३१, ५२६, ६२१, ६२८, ६३५, ६३८, ६६२, ६७०, ६९४, ७१६, ७५३, ७७४, ७८८,७८६ नीतिशतक भर्तृहरि (सं. ३२६ निर्वाणकाण्डटीका - प्रा० ..) ३६६ | नीतिशास्त्र चाणक्य (सं.) ७१७ निर्वाणकापूजा (स.। ४८ नीतिसार इन्द्रनन्दि (सं.) ३२६ -नीतिसार निर्वाणकाण्डभाषा भैया भगवतीदास (सं.) र दासम्म नीतिसार (सं०) ३२६ ४६३, ४२६, ४४१ ५.६२, ५७०, ५६६, ६-३, ६०५, नीलकण्ताजिक नीलकंठ (सं.) २८५ ६१४, ५६५, ६४३, ६५०, ६५१, ६६२, ६७५, ७०४, नोलसूक्त (सं०) ३३० ७२.. ७४७ नमिगोत निर्वाणकाण्डभाषा सेवग हि०) ७८८ पासचंद नेमिगीत निरिणक्षेत्रपूजा (हि.०) ४६६, ५१८ भूधरदास (हि.) ४३२ नेमिजिनंश्व्याहलो निर्वागमुक्षेत्रमण्डलपूजा (हि.) ४१२ खेतसी (सं०। नामिजिनस्तवन ४६ निर्वाणपूना मुनि जोधराज (हिन्) ६१८ निवारणपूजापाठ मनरगलाल (हि.) ४६९ | मिजावा चरित्र बापन्द निर्वाणप्रकरण (हि०) ६५ | गेमिर्जीकी लहुरी विश्वभूषण (हि.) ७७६ निर्वागणभक्ति - (०) ३६६, ६३३ | नेमिदूतकाध्य महाकवि बिक्रम निर्वाणभक्ति पन्नालाल चौधरी हि०) ४५० नेमिनरेन्द्रस्तोत्र जगन्नाथ (सं०) ३९ निरिणभक्ति (हिं) ३६ मिनाधएकाक्षरीस्तोत्र पं०शालि (सं०) ४२६ निरिणभूमिमङ्गल विभूषण (निस) ६६८ नेमिनाथका बारहमासा बिनोदीलाल लालचन्द निर्वाणमोदकनिय सनिय नेमिदास (हि.) ७५३ निर्वाणविधि (सं.) ६०८ नेमिनाथका बारहमासा रहमासा - (हि०) ६६२ निर्वाणसप्तशतोस्तोत्र (सं०) ३६९ नभिनायकी भावना सेवकराम (हि.) ६७४ निर्वाणस्तोत्र (सं.) ३६६ नेमिनाथ के दशभत्र - (हि.) १७७ निःशल्पाष्टमीकथा (सं०) २३१ ६००, ७०४, ७८ निःशल्याष्टमीवथा प्र. ज्ञानसागर ह) २२० । नेमिनाथ के नवमङ्गल विनोदीलाल (हि.) ४४० निःशल्पाष्टमीकथा पांडे हरिकृष्ण (हि.] ५६५ नेमिनाथ के बारह भव निशिभोजनकथा न नेमिहत्त (सं०) २३१ | नेमिनीकोमङ्गल जगतभूषण हि०) ५६७ निशिभोजन मचा (हि.) २६, | नेमिनाथचरित्र हेमचन्द्राचार्य (सं.) १७७ निषेवाध्यायवृत्ति (.) २८५ | नेमिनाथद्वन्द शुभचन्द्र (हि.) ३८६ Page #901 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नेमिनाथपूजा शंभूराम .. ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ ३७ मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० नेमिनाथपुराण ब्राजिनदास (सं०) १४७ | नेमिराजुलगीत जिनहर्षसूरि (हिं०) ६१८ नेमिनाथपुराण भागचन्द (हि.) १४६ मिराजुलगीत भुवनकोति हि०) ६१८ कुवलयचन्द (सं.) ७६३/ नेमिराजुलपच्चीसी ल (हे.) ४४१,७४७ नेमिनाथपूजा सुरेन्द्रकीर्ति (सं०) ४६ नेमिराजुल समाय .. fo) ४५३ नेमिनाथपूजा (हि.) ४६६ नेमिरासी (हि०) ७४५ नेमिनाथपूजाष्टक सं०) ४६E नेमिस्तवन जितसागरगणी नेमिनाथपूजाष्टक (हि.) ४६६ नेमिस्तवन ऋपि शिव (हि.) ४०० नेमिनाथफागु पुण्यरत्न (हि.) ७४८ मेमिस्तोय - (०, ४३२ नेमिनाथमङ्गल लालचन्द (हि.) ६०५ नेमिसुरववित्त [गमिनुर राजमातांन] कवि ठक्कुरसी नमिनाथराजुल का बारहमासा रजि०) ६३८ नेमिनाथरास ऋषि रामचन्द (हि०) ३६२ | नेमीश्वरका गीत नेमीचन्द नेमिनाथस्तो पं० शालि (म०) ७५७ | नेमीश्वरका बारहमासा खतसिंह हि०) ७६२ नेमिनाथरास ब्र रायमल्ल (हि.) ७१६, ७५२ ने मीश्वरको वेलि टक्कुरसी नेमिनाथराम ___ रत्नकीर्ति (हि.) ६३८ नेमीश्वरकी स्तुति भूधरदास (ह०) ६५० नेमिनाश विजयदेवतरिहि १६ ! नमीश्वरका हिंडालना मुनि रतनकीति (हि.) ७२२ नेमिनाथस्तोत्र पं० शालि (सं०) ३६६ | नेमीश्वरके ददाभव ब्र० धर्मरु:च (हि०) ७३८ नेमिनाथाष्टक भूधरदास (हि.) ७७७ | नेमीश्वरका रास भाजीव (हि.) ६६८ नेमिपुराण [हरिवंशपुराण] प्र० नेमिदत्त (सं०) १४७ नेमीश्वरचौमामा सिहनन्दि हि०) ७२८ नैमिनिर्वाण महाकवि वाग्भट्ट (सं०) १७७ नेमीश्नरका फाग रायमल ह.) ७६३ नेमिनिर्वाणपक्षिका - (सं०) १७७ नेमीश्वरराजुलको लहुरी खेतसिंह साः (हि.) ९ नेमियाहलो (हि०) २३१ नमीश्वरराजुलविवाद ब्रज्ञानसागर (हि.) ६१३ नेमिराजमतीका सोमासिया (हि.) ६१६ नेमीश्वररास मुनि रतनकीति (हि.) ७२२ नेमिराजमती की घोड़ी (हि.) ४४१ नमीश्वररास म. रायमल्ल (हि.) ६०१ नेमिराजमतीका गीत हीरानन्द । (हि.) ४४१ ६२१, ६३८ नेमिराजमति बारहमासा (हि.) ६५७ नैमित्तिक प्रयोग (म०) ६३३ नेभिराजमतिरास रत्नमुक्ति नैषधचरित्र इपंकीति नेमिराजलव्याहलो गोपीकृष्ण । नौशेरवां बादशाहकी दस ताज - हि.) ३३० मराजुलबारहमासा आनन्दसूरि (हि.) ६१८ न्यायकुमुदचन्द्रिका प्रभाचन्द्रदेव (सं०) १३४ राज पिसज्झाय समयसुन्दर (हि.) ६१८ | न्यायकुमुदचन्द्रोदय भट्टाकलङ्कदेव (सं०) १३४ Page #902 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखक १३८ ] [ अन्धानुक्रमणिका ग्रन्थचाम भाषा पृष्ठ सं. J ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सर न्यायदीका यति धर्म भूषणा (सं.) १३५ । पञ्चाल्यारणकधूजा छोटेलाल मित्तल हि०) ५०० न्यावदोपिकाभाषा मंधी पन्नालाल (हि०) १३५ | पश्चकल्यागकपूजा टेकचन्द (हित) ५०१ न्यायीकाभापा मदासुख कासलीवाल (हि.) १३५ | पवल्याणकामा पन्नालाल न्यायमाला परमहंस परिव्राजकाचार्य (सं०) १३५ पञ्चकल्याणकपूजा भैरवदाम (हि९) ५०१ न्यायशास्त्र पाया मुकपूजा रूपचन्द वायसार मायदेव (सं०) १३५ पञ्चकल्याणकपूजा शिवजीलाल (हि.) ४६० कायनार (सं.) १३५ पचकल्याणकपूजा - हि०) ४२६ न्यायसिद्धा-उमरी भः चुदामणि ।। ५०१,७१२ न्यामसिद्धान्तमझरी जानकदास (सं.) १३५ पश्चन ल्याणकपूजाटन न्यायसूत्र (सं०) १३६ पञ्चकल्याणक [मण्डलचित्र] - नुसिंहपुजा हि०) ६०८ | पञ्चकल्याणकस्तुति (प्रा.) ६१८ मृसिंहावतारचित्र पश्चकल्याणकोद्यापनपूजा शानभूपण (सं०) ६६० न्ह वरणमारती थिरूपाल (हि०) ७७७ पश्चकुमारपूजा -- (हि०) ५०२, ७५६ हवरणमङ्गल वंसी (हि०) ७७७ पञ्चत्रपालपूजा गङ्गादास (सं०) ५.२ न्हवण बधि - (सं.) ५६४, ६४० ] पञ्चक्षेत्रपालपूजा सोमसेन (सं.) ७६५ पश्चस्थारण (प्रा०) ६१६ पञ्चकरणवालिक सुरेश्वराचार्य । (सं०) २६१ पश्चगुरुकल्यागपूजा शुभचन्द्र पश्वकल्याणक्रपाठ इरचन्द (हि) ४० पञ्चगुरुको जयमाल नः रायमल्ल (हि०) ७६३ पनकल्याणकपक हरिचन्द (हि.) ७९६ पञ्चतत्वधारणा (सं०) १०६ पश्चकल्यावसाठ (सं०) ६६६ पञ्चतन्त्र ० विषणुशर्मा (स.) ३३० पश्चकल्याणक पूजा अरुणामणि (मं.) ५०० पश्वतन्त्रभाषा पनकल्याणकापूजा गुना कीर्ति (सं०) ५०० पञ्चदश [१५] यन्त्रकी विधि - (सं०) ३४६ पञ्चकल्याणका बादीसिंह (सं०) ५७० पञ्चनमस्कारस्तोष उमास्वामी (सं०) ५७६, ७३६ पञ्चकल्याणकपूजा सुधासागर (म०) ५.०० पञ्चनमस्कारस्तोत्र विद्यानन्दि (म०) ४०१ पञ्चपरमेष्ठीवद्यापन (सं.) ५.२ पक्षकारल्याणकाजा मुग्रशकीर्ति (स) ५०० | पञ्चपरमेष्ठीगुरण एश्वकल्या जा सुरेन्द्रकीति (१०) YEE ४२६, ७८ पश्चकल्याणक पूजा - (सं.) ५०० | पञ्चपरमेष्ठीगुणमाल (हि.) ७४५ ५१४, ५१८, ५१६, ६३६, ६६६ | पञ्चपरमेष्ठीगुणवर्णन द्वालुराम हि०) ६६ ग Page #903 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंधानुक्रमणिका ] ग्रन्थनाम परमेष्ठी गुग्गुस्तवन मेडीपूजा पञ्चपरमेष्ठी पूजा पचपरमेष्ठी पूजा परमेष्ठी पूजा पचपरमेष्ठी परमेष्ठीपूजा पचपरावर्तन पाल पैंतीसो पश्चररमेष्ठी [मण्डलचित्र ] पञ्चरमेष्ठीस्तवन पचपरमेष्ठीस्तवन पचपरमेष्ठीस्तवन जिनवल्लभसूरि पञ्चपरमेष्ठीसनुश्चयपूजा परूपरगा पञ्चबधावा पंचबधावा पंचायत पूजा पंचगतिदेखि लेखक पंचमास चतुर्दशी पूजा पंचमाचतुर्दशीतोद्यापन पंचमास चतुर्दशी व्रतोद्यापन पंचमीउद्यापन पंचमी व्रतपूजा पंचमी व्रतपूजा पंचमीव्रत पूजा (हि०) ७०७ यशोनन्दि (सं०) ५०२, ५१८ भ० शुभचन्द्र (सं०) ५०२ (सं०) ५०३ ५१४८५६ पंचमेरूउद्यान डालूराम ( हि०) ५०३ | पंचमेरजयमाल टेकचन्द (हि०) ५०३,५१८ पंचमेरूजयमाल (हि०) ५०३ पंचमेरुपूजा ५१८, ५१६, ६५२, ७१२ पंचमेजा ५२५ पंचम पूजा (सं०) ४२२ ( प्रा० ) ६६९ पंचमेजा (हि०) ४४३ पंचमेरुपूजा (सं०) ५०२ पंचमेरुपूजा — -- वर्षकी भाषा सं केशवसेन देवेन्द्र की त प्रन्थनाम पंचमी व्रतोद्यापन पंचमीव्रतोद्यापनपूजा पंचमी व्रतोद्यापन पूजा पंचम स्तुति (सं०) ३८ पंचमेरुपुजा (हि०) ६५९ पंचमेनूजा (सं०) २६९ ६६१, ६६८, ७५०, ७६५ सुरेन्द्रकीर्त्ति (सं०) १४० सुरेन्द्रकीत्ति (सं०) ५०४ (सं०) ५३६ (सं० [हिं०) ५१७ (सं०) ५१५ (सं०) ५०४ (सं० [हिं०) ५१७ पंचमेरुपूजा पंचमेसूजा [ ८३६ भाषा सं० पृष्ठ लेखक हर्षकल्याण (सं०) ५०४, ५३६ केशवसेन (सं०) ६३८ (सं०) ५०४ (सं०) ६१८ चन्द्र भूरदास देवेन्द्रकोत्त भः महीचन्द्र पंचयतस्तवन पंचरत्नपरीक्षा की गाथा पंचलब्धिविचार ( हि०) ६४३, ६६१ ( राज० ) ६८२ (हि) ५०४ (हि०) ६२१ पंचमङ्गलपाठ, पंचकल्याणक मङ्गल, पंचमङ्गल रूपचन्द्र (हि) ३८८, ४२८, ४०१ ५०४, ५१८, ५६५, ५७०, ६०४, ६२४, ६४२, ६४६, ६५०, ६५२, ६६१, ६६४, ६७० ६७३, ६७५, ६७६, ६१, ६६१, ६६३, ७०४, ७०५, ७१०, ७१४७२७३५, ७६३,७८८ समयसुन्दर (२०) ५०५ (हि०) ५३९ (हि०) ७१७ (सं०) ५१६ ५५७, ४६४, ६६४, ६६६, ७८४ (प्रा० ) ६३५ ( श्रप०) ६३६ ( हि०) ५०५ खालूराम टेकचन्द्र (हि०) ५०५ यानतराय (हि०) ५०५ ५१६.५६२, ५६६, ७०४, ७५६ सुवानन्न ( हि०) ५०५ (हि०) ५.०५ ५१६,७४५ (सं०) ६०७ (सं०) ५.३६ ― - (हि०) ६१६ (সTo) ७५८ (प्रा०) ७०७ Page #904 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचाङ्ग [ प्रन्थानुक्रमणिका लेखक भाषा पृष्ट सं० ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० मन्थनाम पंचसंग्रह श्रा नेमिचन्द (प्रा०) ३८ | पक्षीशास्त्र - (सं०) ६७४ पंचसंग्रहटीका अमितगति (सं.) ३६ पट्टीपहाड़ोंकी पुस्तक (हि०) ३६८ पंचसंग्रहटीका (सं०) ४० पट्टरीति विष्णुभट्ट सं०) १३६ पत्रसंग्रहवृत्ति अभयचन्द (ii) ३६ पट्टावलि - (सं.२) ३७३, ७६६ पंचसंधि (सं०) २६१ परिकम्मगासूत्र - प्र०) ६१६ यस्तोत्र (सं.) ५७८ पणकरहाजयमाल (अप०) ६३६ पंचस्तांत्रीका पत्रपरीक्षा पात्रकेशरी पंच्चस्तीत्रसंग्रह पत्रपरीक्षा विद्यानन्द (म.) १३६ पंचान्यान विष्णुशर्मा पथ्यापथ्यविचार चण्डू अविराम । हि.) ५८५ पंचांग प्रबोध (म०) २५५ पद अक्षयराम (हि.) ५८५ चाङ्गमाधन गणेश [ सयपुत्र] - अजयराज (हि.) ५८१ पंचाधिकार -- (सं०) ३७३,५१६ ६६७, ७२४, ५८० पंचाध्यायी - हि०) ७५६ अनन्तकीर्ति (हि.) ५०५ पंशसिका विभुवनचन्द (हि.) ६७३ अमृतचन्द्र (हि.) ५८६, पंचास्तिकाय कुन्दकुन्दाचार्य (प्रा०) ४० उदयराम हि०) ७८६, ७६८ पंचास्तिकामटीका अमृत चन्द्रसूरि (म.) ४१ कनकीको ति हि०) ५६१ पंचास्तिकायभाषा बुधजन (हि.) ४१ ६६४, ७०२, ७२४, ७७४ पंचास्तिकायभाषा पं० हीरानन्द (दि) ४१ ७० कपूरचन्द्र (हि.) ५७० पंचास्तिकायभाषा पांडे हेमराज (हि.) ४१ | ६१५, ६२४ पंचास्तिकायभाषा - (हि.) ७१६. ७२० । कबीर (हि.) ७७७, ७६३ , पंचेन्द्रियवलि छीहत कर्मचन्द हि०) ५८७ पंचेन्द्रिवलि ठक्कुरसी हि.) ७.३ किशनगुलाब (हि.) ६६४, ७६३ किशनदास रहि०) ६४६ पंचेन्द्रियरास - (हि.) ६६३ | पद किशनसिंह दि०) ५६०, ७०४ पंडितमरगा - (सं.) ६०४ पद कुमुदचन्द्र (हि०) ७५७, ६५० पंथीगीत छीइल (हि०) ८३८, ७६५ | पद केशरगुलाब (हि०) ४४५ पंद्रहतिथी खुशालचन्द (हि.) ५८२ पक्की स्याही बनाने की विधि ६२४, ६६४, ६६४, ६६८, ७०३, ७८३, ७६८ Page #905 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्धानुकमणिका ] [ ८४१ प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | अन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० खेमचन्द (हि, ५८० | जीवराम (हि०) ५६०, ७६१ ५८३ ५६१, ६४६ | पद जोधराज (हि.) ४६४ गरीबदास (हि.) ७१३ ६९६, ७०६, ७८६, ७६८ गुरणचन्द्र टोहर (हि.) ५८२ ५५५, ५७,५८८ ६१४, ६२३, ७७६, ७७७ गुनपूरण (हि.) ७६८ | त्रिलोकनीति (हि.) ५८०, ५८१ गुमानीराम (हि.} ६९६ | नदयाल (हि.) ५८७ गुलाबकृष्णा (हि.) ५.८४, ६१४ दयालदास (हि.) ७४४ घनश्याम (हि.) ६२३ दरिगाह (हि०) चतुर्भुज (हि.) ७७० दलजी (हि०) ७४४ जन्द (नि.) ५.८७, १६३ (हि.) ७४६ चन्द्रभान (हि.) ५६१ दिलाराम (हि०) ७६३ चैनविजय (हि०) ५८८, ७६८ दीपचन्द (हि.) ५८३ चैनसुख (हि.) ७६३ दुलोचन्द (हि.) ६६३ श्रीहल (हि०) ७२३ देवसेन (हि.) ५८६ जगतराम (हि.) ५८१ देवामा (हि.) ७५ ५८२, ५८४, ५९५, ५८८, ५८१, ६१५, ६६७, ६६E, ७८६,७६३ ७२५, ७५७, ७६८, ७६६ देवीदास (हि०) ६४६ जगराम (हि०) ४४५,७८५ देवीसिंह (हि.) ६६४ जनमल्ल (हि०) ५५५ देवेन्द्रभूषण (हि०) ५८७ जयकीति (हि.) ५८५, ५८८ दौलतराम (हि.) ६५४ जयचन्द्र लामा (हि.) ४४६ ७०६, ७८२, ७६३ जादूराम (हि.) ४५ द्यानतराय (हि०) ५८३ ५५५, ५६५, ५८६, ५८७, ५८८, ५८६, ५६०, ६२२, जानिमोहम्मद (हि.) ५८६ ६२४, ६४३, ६४६, ६५४, ७०४, ७०६, ७१३, ७४६ जिनदास (हि.) ५८१ हि०)५८८,७९८ ५८८, ६१५, ६६८, ७४६, ७६४, ७७४, ७६३, धनराज (हि.) ७६८ जिनहर्ष (हि.) ५६. नथ विमल (हि.) ५८१ जीवणदास (हि०) ४४५ नन्ददास (हि०) ५८७ जीवणराम (हि.) ५८० ७७०, ७०४ AAAAAA Page #906 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२२, ६३३ | पव ६४२ ] । प्रन्यानुक्रमणिका 'प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ स० | मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं. पव मयनसुख (हि.) ५८३ | पद भाउ (हि.) ५८७ नरपाल (हि.) ५८८ | पद भागचन्द पद नवल भानुकीर्ति (हि.) ५८३ ५८२,५८६, ५६०, ६१५, ६४८, ६५३, ६५४, ६५५, ७०६,७८२,७३, ७६८ भूधरदास हि०) ५८० मनाधू | ५८६, ५८६, ५६०, ६१४, ६१५, ६४८, ६५४, ६६४ निर्मल (हि.) ५८१ | ६६Y, ७८५, ७६३, ७६८ नेमिचन्द (हि.) ५८० | पद मजलसराय (हि.) ५८१ मनराम (हि०) ६६० न्यामत (हि.) ७६८ ७२४, ७४६, ७६४. ७६६, ७७६ पद्मतिलक मनसाराम (हि०) ५८० पश्मनन्दि (हि.) ६४३ ! ६६३, ६६४ परमानन्द (हित) मनोहर (हि०) ७६३ पारसदास ७६४,७५५ मलूकचन्द (हि.) ४४६ पूनो (हि०) ७५५ मलूकदास (हि.) ७६३ पूरणदेव (हि०) ६६३ महीचन्द (हि.) ५७६ फतड्चन्द (हि.) ५७६ महेन्द्रकीचि (हि.) ६२०, ७८६ ५८०, ५.८१, ५८२ माणिकचन्द (हि.) ४४७ ___४४८,८१८ अखतराम (हि.) ५८३ | ५८६, ६६८, ७५२,७६, ७९३ | मुकन्ददास (हि०) ६६. मेला (हि०) ७७६ अनारसीदास (हि.), ५८२ | १५ मेलीराम ५.८३,५८५,५८६,५८७,५८६, ६२१, ६२३, ६६७, ७६ (हि.) ७७६ बलदेव (हित) ७६८ मोतीराम (हि.) ५६१ बालचन्द (हि.) ६२५ मोहन बुधजन (हि.) ५७० राजचन्द्र (हि.) ५७७ ५७१, ६५३, ६५४, ७०६, ७६५, ७६८ राजसिंह (हि.) ५८७ भगतराम (हि.) ७६८ राजाराम (हि.) ५६० भगवतीदास (हि.) ७०६ राम (हि.) ६५३ भगोसाद (हि.) ५८१ ॥ रामकिशन (हि.) ६६८ (हि.) पुरुषोतम AAAAAAAAAAAAAA दा G . Page #907 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद मन्थानुक्रमणिका ] [ ४३ प्रन्धनाम नक भाषा पृष्ठ सं० | अन्धनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० रामचन्न् ह.) ५८१ पद सकलुकीति (हि.) ५८८ सन्तहास (हि. ६५४, ७५६ रामदास (हि०) ५८३ | पद सबलसिंह (हि.) ६२४ ५.८८, ६६७ समयसुन्दर (हि०) ५७६ रामभगत (हि) ५८२ ५८८, ५८६, ७७७ रूपचन्द्र (हे.) ५८५ श्यामदास (हि.) ७६४ ५८६, ५८७, ५८८, ५८९, १२४, ६६१, ७२४, ७४६ सवाईराम (हि.) ५१० ७५५, ७६३, ७६५, ७८३ साईदास (हि.) ६२० खराज (हि.) ७६८ साहकीति (हि.) ७७७ लक्ष्मीसागर (हि.) ६८२ साहिवराम (हि०) ७८ ऋपि लहरी (हि.) ५८५ सुबदेव (हि.) ५८० लालचन्द (हि.) ५८२ सुन्दर (हि०) ७२४ ५८३, ५८७, ६६६, ७६३ सुन्दरभूषण (हि.) ५८७ विजयकीर्ति (हि.) ५८० | सूरजमल (हि.) ५८१ सूरदास (हि.) ७६६, ७६३ ५८२, ५८४, ५८५, ५८६, ५८७, ५८६, ६९७ सुरेन्द्रकीति (हि.) ६२२ . घिनोदीलाल (हि०) ५६. सेरग (हि.) ७६३, ७६८ ७२३, ७५७, ७८३, विश्वभूषण (हि.) ५६१, हटमलदास (हि.) ६२४ विमनदास (हि०) दरखचन्द (हि०) ५८३ ५८४, ५८५,७६३ . बिहारी हास (हि.) ५८७ हर्षकीति (हि०) ५८६ वृन्दावन (हि.) ६४३ ५८५, ५८८, ५६०, ६२०, ६२४, ६६३, ७०१, ७५० ऋषि शिवलाल (हि०) ४४३ ७६३,७६४ शिमृन्दर (हि.) ७५० हरिश्चन्द्र (हि०) ६४६ शुभचन्द्र (हि.) ७०२, ७२४ : हरिसिंह (हि.) ५८२ शोभाचन्द (हि.) ५८३ | ५८५, ६२०, ६४३, ६४४, ६६३, ६६६, ७७२, ७५६ श्रीपाल (हि०) ६७० | ७६३, ७६E - धीभूषण (हित) ५८३ / पद हरीदास (हि.) ७७० मीराम (हि.) ५६० | पद मुनि हीराचन्द (हि.) ५८१ Page #908 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ ] प्रन्थनाम भाषा पृष्ठ सं० | ग्रन्थनाम (हि०) ५६० ( हि०) ४४९ ५७०, ५७१, ६०१,६४३, ६४४, ६५०, ६५३, ७०३ ७०४, ७०५, ७२४, ७३१, ७५३, ७५४, ७७०, ७७७ यशः कीर्त्ति ( अप० ) ६४२ (अप०) ६४१ (सं०) ६६६ ( हिं०) १७७ (सं०) १४६ (सं०) १४० (सं०) १४५ (सं०) १४९ ( हि०) १४६ पद्मपुराणमाया ( हि०) १४६ पद्मनंदिपंचविंशतिका (स० ) ६६ पद्मनंदिप चविशतिकाटीका (सं०) ૬ पद्मनदिपंचविशतिका जगतराय (हि०) ६७ पद्मन न्दिपबीसीभाषा मनालाल खिंदूका ( हि०) ६८ पद्मनंदिपीसीभाषा पद्मनंदिश्रावकाचार पर्द पद पद्मखी पद्धती पद्मकोष पद्मवरितसार लेखक हेमराज पद्मावत्याष्टक वृत्ति पद्मावती को ढाल पद्मावतीकल्प पद्मावतीकवच पद्मावती चक्र एवरी स्तोत्र पद्मावतीचंद पद्मावती दण्डक पद्मावतीपटल पद्मावतीपूजा - सहापास गोवर्धन - पद्मपुराण भ० धर्मकीर्ति पद्मपुराण घेणाचार्य पद्मपुराण (रामपुरा). भ० सोमसेन पद्मपुराण (उत्तरखण्ड) पद्मपुराण भाषा — खुशाल चन्द दौलतराम पद्मनंदि पद्मनंदि पार्श्वदेव महाचद ―― 11 (सं०) ३४६ (सं०) ५०६, ७४१ सं० ) ४०२, ७४१ पद्मावतीशांतिक पद्मावतीसहस्रनाम पद्मस ग्रह पदसंग्रह पदसंग्रह (हि०) ६८ पदसंग्रह (सं० ) ६८ पदसंग्रह (सं०) ४०२ पदसंग्रह ( हि०) ४०२ पदसंग्रह (सं०) ५०६, ७४१ (सं०) ४०२ पद्मावतीमण्डल पूजा पद्मावतीरानी आराधना समयसुन्दर पद्मावतीसहस्रनामयपूजा पद्मावतीस्तवनमंत्र सहित पद्मावतीस्तोत्र (सं०) ४१२ पदसंग्रह (सं०) ६०७ पदसंग्रह पदसंग्रह पदसंग्रह [ प्रन्थानुक्रमणिका पदसंग्रह पदसंग्रह लेखक भाषा पृष्ठ सं० ४७५, ५०६, ५६७, ६५५ ६६२ ( पं० ) ५०६ (हि०) ६१७ (सं०) ५०६ (सं०) ४०२ ४२५४६०४३२, ४३३, ५०६, ५३६, ५६६, ६४५ ६४६, ६४७६७९, ७३५, ७५७, ७७६ पद्मावतीस्तोत्र पद्मावती स्तोत्र की जएवं साधनविधि पद विनती पद्यसंग्रह ५०६, ५६६,६३६, ७११, ७४१ (मं०) ५०६ (सं०) ४२३ (सं०) ४०२ ― समयसुन्दर - बिहारी गंग (हि०) ७१० आनन्दघन ( हि०) ७१०, ७७७ ० कपूरचंद (हि०) ४४५ खेमराज ( हि०) ४४५ गंगाराम वैद्य (हि०) ६१५ चैनविजय चैनसुख ( हि०) ६८५ (सं०) ७४१ (हि०) ७१५ (हि०) ७१० जगतराम जिनदास जोधा झांझराम दलाराम देवाना (हि०) ४४५ (हि०) ४४६ (हि०) ४४५ (हि०) ७७२ (हि०) ४४५ (हिं०) ४४५ (हि०) ६२० (हि०) ४४६ ६३५, ७४०७८३ 1 ★ X Page #909 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्थानुक्रमणिका ] मन्थनाम लेखक भापा पृष्ठ सं०| मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० पदसंग्रह दौलतराम (हि.) ४४५, ४४६ | पदन्तुति - (हि.} ७११ पदसंग्रह द्यानतराय (हि०) ४४५, ७७७ । परमज्योति अनारसीदास (हि.) ४०२ पदसंग्रह नयनसुख (हि.) ४४५, ७२६ १६०, ६९४, ७७४ पदसंग्रह नवन (हि०) ४४५, ७२६ | परमसप्तस्थानकाबूजा सुधासागर (सं०) ५१६ पदसंग्रह परमानन्द (हि०) ६८४ परमात्मपुराण दीपचन्द (हि.) १०६ पदसंग्रह बखतराम (हि.) ४४५ | परमात्मप्रकाश योगीन्द्रदेव (प.) ११० पदसंग्रह बनारसीदास (हि०) ६२२, ७६५ ५७५, ६३७, ६६३, ७०७, ७४७ पदसंग्रह बुधजन (हिं०) ४४५ | परमात्मप्रकाशटीका प्रा० अमृतचन्द (सं०) ११० __४४६, ६८२ परमात्मप्रकाशटीका ब्रह्मदेव (स०) १११ पदसंग्रह भगतराम (हि.) ७३६ . परमात्मप्रकाशटीका - (सं०) १११ पदसंग्रह भागचन्द (हि.) ४४५, ४४६ परमात्मप्रकाशवालावबोधनीटीका स्वानचंद (हि०) १११ पदसंग्रह भूधरदास (हि.) ४४५ परमात्मप्रकाशभाषा दौलतराम (हि०) १८ ६२०, ७७६, ७७७, ७८६ शः ष' नथमल (हि.) १११ पदसंग्रह मंगलचन्द (हि.) ४४७ परमात्मप्रकाशभाषा प्रभुदास (हि.) ७६५ पदसंग्रह मनोहर (हि.) ४४५, ७८६ परमात्मप्रकाशभाषा सूरजभान ओसवाल (हित) ११६ पदसंग्रह लाल (हि.) ४४५ परमात्मप्रकाशभाषा - (हि.) ११६ पदसंग्रह विश्वभूपण (हि०) ४४५ परमानन्दपंचविंशति - (सं०) ४०४ पदसंग्रह शोभाचन्द (हि.) ७७७ परमात्मराजस्तोत्र पद्मनंदि (सं०) ४०२, ४३७ पदसंग्रह शुभचंद (हि०) ७७७ परमात्मराजस्तोत्र सकलकीर्ति (सं०) ४०३ पदसंग्रह साहिबराम (हि.) ४४५ परमानन्दस्तवन - (सं०) ४२४, ४२५ पदसंग्रह सुन्दरदास (हि.) ७१० परमानन्दस्तोत्र कुमुदचंद्र (सं०) ७२४ सूरदास परमानन्दस्तोत्र पूज्यपाद (सं०) ५७४ पदसंग्रह सेवक (हि.) ४४७ परमानन्दस्तोत्र - (सं०) ४०४ पदसंग्रह हरवचंद (हि.) ६६३ ४३३, ६०४, ६०६, ६२८, ६३७ पदसंग्रह हरीसिंह हि०) ७७२ परमानन्दस्तोत्र बनारसीदास (हि.) ५६२ पदसंग्रह हीराचन्द (हि.) ४४५, ४४७ परमानन्दस्तोत्र - हि०) ४२६ पदसंग्रह - (हि.) ४४४ परमार्थ गीत व दोहा रूपचंद (हि०) ७०६, ७६४ ४४५, ६७६, ६८०, ६६१, ७०१,७०८,७०६,७१० ७१६, ७१७,७१६, ७२१, ७४३, ७४६, ७५६, ७६० परमारथलुहरी - (हि.) ७२४ ७५.२, ७५६, ७५७, ७६१, ७७४, ७७६, ७.१,७९० | परमार्थस्तोत्र (सं०) ४०४ पदसंग्रह Page #910 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रधानुक्रमणिका अन्धनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० परमार्थ हिण्डोलना रूपचंद (हि.) ७६५ | पांचपरवीग्रतकीकथा घेणीदास (हि.) ६२१ परमेषियोंकेगुशवप्रतिशय (प्रा०' ५७५ पांचबोल - (गुजराती) ३३० पयूषशाकल्प (सं०) ११७ पांचमाहको चौदस (मण्डलचित्र) - ५२५ पपणस्तुति (हि.) ४५२ पांचवासोंकामंडलचित्र ५२५ परसरामवाथा । सं०) २३३ पाटनपुरसज्झाय श्यामसुन्दर (हि.) ४४६ परिभाषासूत्र (सं०) २६१ पाठसंग्रह - (सं.) ४०५, ५७६ परिभाषेन्दुशेखर नागोजीभट्ट (सं.) २६१ पाटसंग्रह - (सं०प्रा6) ५७३ परिशिष्टपर्व (सं०) १७८ ' पाठसंग्रह (प्रा०) ५७३ परीक्षामुख माणिक्यनंदि (सं०) १३६ पाठसग्रह -- (सं०हि०) ४०५ परीक्षामुखभाषा जयचन्द छाबड़ा पाठसंग्रह संग्रहकत्ता जैतरामबाफना - परीषनर्णन (हि०) ४०५ पल्यमंडलविधान शुभचन्द (सं०) ५३८ पाण्डवपुराण यशकीति (स.) १५० पल्यविचार पाण्डवपुराण - (सं०) २८६ श्रीभूपण (सं०) १५० पल्पविचार (हि.) २८६ पाण्डवपुराण भ० शुभचन्द (सं.) १५० पल्यविधानकथा - (सं०) २४३, २४६ पाण्डवपुरागभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) १५० खुशालचंद पाण्डवपुराणभाषा पत्यविधानकथा (हि.) २३३ बुलाकीदास (हि०) १५०, ७४५ पाण्डव चरित्र लालबद्धन (हि) १७, पल्यविधानपूजा अनन्तकीर्ति (सं०) ५०७ पाणिनीयव्याकरण पाणिनि - (०) २६१ पत्यविधानपूजा रवन्द्रि (सं.) ५०६ पात्रकेशरीस्तोत्र (सं.) ४०५ ५०६.५१६ | पाचदानकथा ब्रम नेमिदप्त (स०) २३३ पल्यविधानपूजा ललितकीति पार्थिवेश्वर (सं०) ४.५ पल्यविधानपूजा (स) ५७ .पार्थिवेश्वरचितामरिण - (सं०) ४०५ . पत्यविधानरास भ शुभचन्द्र (हि.) ३६३ | पार्श्वछद लेखराज (हि०) ३८६ पत्यविधानप्रप्तोपाख्यानकथा श्रुतसागर (सं०) २३३ | पार्श्वजिनगीत छाजू समन्यसुन्दर के शिष्य)पल्यविधि (सं०) ६७० पल्पनतोद्यापन शुभचन्द (सं.) ५०७ | पार्श्वजिनपूजा साह लोइट (हि.) ५०७ पल्मोपमोपवासविधि (सं.) ५०७ पाश्वजिनस्तान जितचन्द्र पवनदूतकाव्य बादिचन्द्रसूरि (सं.) १७८ | पार्वजिनेश्वरस्तोत्र - (सं.) ४२६ पहेलियां मारू (हिं०) १५१ | पाश्वनाथएवंबद्ध मानस्तवन - (सं०) ४०५ पांचपरवीकया ब्रह्मवेणु (हि.) ६८५ | पार्श्वनायकीमारती मुनि कनककीति (हि०) ५६ Page #911 -------------------------------------------------------------------------- ________________ P अन्धानुक्रमणिका ] अन्थनाम पार्श्वनाथकी गुरणमाल पारसनाथ की निसारणी पार्श्वनाथ की निशानी पार्श्वनाथकी निशानी पार्श्वनाथ के दर्शन पर्वनाथ चरित्र पार्श्वनाथचरित्र पार्श्वनाथ चरित्र पार्श्वनाथ चरित्र पार्श्वजिनचैत्यालय चित्र पार्श्वनाथ जयमाल पार्श्वनाथ जयमाल लेखक पार्श्व नाथपूजा लोहट ― जिनदर्प (हि०) ४४८, ५७ (हि०) ७०२ वृन्दावन ( हि०) ६२५ रद्दधू (भ+०) १७६ घादिराजसूरि (सं०) १७६ भः सकलकीति (सं०) १७६ विश्वभूषण (हि०) ५६८ लोहट - भाषा पृष्ठ सं नाथ पद्मावती स्तोत्र पार्श्वनाथपुरासा [पार्श्व पुराण ] भूधरदास (हि०) १७६ ७४४ ७६१ (सं०) ४२३ ५६०, ६०६, ६४०, ६५५, ७०४, ७३१ पार्श्वनाथ पूजा (विधानसहित ) (सं०) ५१३ हर्षीत (हि०) ६६३ पार्श्वनाथपूजा नाथपूजा (हि०) ५०७ — (हि०) ७७६ (हि०) ६५० ६०३ (हि०) ६४२ (हि०) ६५५ ६७६ (सं०) ४०५ पार्श्व नाघ पूजा मंत्रसहित पार्श्व महिम्नस्तोत्र महामुनि रामसिंह — ५६६,६००, ६२३, ६४५, ६४८ (सं०) ५७५ (सं०) ४०६ (सं०) ४०५ (सं०) ६३३ (हि०) ७३७ (हि०) ६५१ पार्श्वनाथ लक्ष्मीस्तोत्र पश्चप्रभदेव पार्श्वनाथस्तवन देवचंद्रसूरि पार्श्वनाथस्तवन राजसेन पार्श्वनाथस्तवन जगरुप पार्श्वनाथस्तवन [पार्श्वविनतो ] ल. नाथू - (हि०) ६७०, ६८३ मन्थनाम पार्श्वनाथस्तवन पार्श्वनाथस्तत्रन पार्श्वनाथस्तवन पार्श्वनाथस्तुति पार्श्वनाथस्तोत्र पार्श्वनाथस्तोत्र पार्श्वनाथस्तो पार्श्वनाथस्तोत्र पार्श्वनाथस्तोत्र पार्श्वनाथस्तोत्र ७०२,७४५ पद्मनंदि (०) ५६६, ७४४ (सं०) ४१३ (सं०) ५६९ (सं० ) ४०५ ४०६, ४२४, ४२५, ४२६, ४३२, ५६६, ५७६६४५, ६४७, ६४८, ६५१, ६७०, ७६३ पार्श्वनाथस्तोत्र यानतराय पार्श्वनाथस्तोत्र टीका पार्श्वनाथाष्टक नाटक पाराविधि पारावारी [ ८४७ लेखक भाषा पृष्ठ सं० समथराज (हि०) ६६७ समयसुन्दर गरि ( राज०) ६१७ (हि०) ४४९, ६४५ (हि०) ७४५ (सं०) ६१४ पाशाकेवली पाश केवली पावशा केवल पाशाकेवली - पद्मप्रभदेव रघुनाथदास राजसेन परादारीसज्जनरंजनीटीका पावागिरीपूजा पाशकिवली (हि०) ४०६ ४०६,५६६, ६१५ (हि०) ४०६ ४४९, ५६६, ७३३ (सं०) ४०६ (सं०) ४०६, ६७६ (हिं०) ७७७ (हि०) २६६ (सं०) २०६ (सं०) २८६ (हि०) ७३० गर्गमुनि (सं०) २८६६४७ (सं०) २०६ (सं०) २८६,७०१ (हि०) ७१३ (हि०) २८७ ५६५, ६०३, ७१३, ७१८७६५ ७८६ — -- सकल फीत ज्ञानभास्कार LAND अबजद ― Page #912 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . पुण्यछत्तीसी पुण्यतत्वचर्चा ८४८ ] [ पन्थानुक्रमणिका अन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ट सं० पिंमलछंदशास्त्र माखन कवि (हि.) ३१० | पुरुषार्थसिद्धयुपायभाषा टोडरमल । पिंगलयंपशान छंद रमानी -.. एफराद्ध पूजा विश्वभूपण (सं०) ४६७ हरिरामदास (हि.) ३१: पुष्पदन्तजिनपूजा पिंगलप्रदीप भट्ट लक्ष्मीनाथ (सं०) ३११ पुष्पाञ्जलिकथा (अप) ६३३ पिंगलभाषा रूपदीप (हि.) ७०६ पुष्पाञ्जलिजयमाल (प्रप०) ७४४ पिंगलशास्त्र नागराज (सं.) ३११ पुष्पाञ्जलिविधानकथा पं.हरिश्चन्द्र (अप०) २४५ सिंगलशास्त्र पुष्पाञ्जलिविधानकथा (सं.) २४३ पीठपूजा (सं०) ६०० | पूप्पाञ्जलिव्रतकथा जिनदास (सं.) २३४ पीकप्रक्षालन (सं०) ६७२ | पुष्पाञ्जलिव्रतकथा श्रुतकीर्ति (२०) २३४ पुच्छोसेरा (प्रा०) ६६ | पुष्पाञ्जलियतकथा ललितकीति (सं.) ६६५, ७४ समयसुन्दर (हि.) ६१६ | पुप्पाञ्जलिव्रतकया खुशालचन्द्र (हि०) २३४ (सं.) ४ २४५,७३१ पुण्यानकथाकोश मुमुक्षु रामचंद्र पूरपालिवतोद्यापन [पुष्पाञ्ज लव्रतपूजा गङ्गादास पुण्यात्रवकथाकोश टेकचंद (हि०) २३४ (सं.) ५०८, ५१६ पुण्यात्रवधाकोश दौलतराम (हि.) २३३ पुष्पाञ्जलिव्रतपूजा भ० रतनचन्द (सं०) ५०० पुण्यात्रवधाकोश (हि०) २३३ पुष्पाञ्जलिव्रतपूजा भ. शुभचन्द्र (सं.) ५०८ पुण्यास्रवकथाकोशसूची (हि०) २३४ पुष्पाञ्जलियतपूजा - (सं०) ५०८, ५३६ पुण्याहवाचन - (सं०) ५०७, ६६६ पुष्पाञ्जलिव्रतविधानकन्या - (सं) २३४ मालदेव (हि.) ७३८ पुष्पाञ्जलिवतोद्यापन - (सं.) ५४० पुरन्दरपुजा (स०) ५१६ पद्मनन्दि (सं०) ५६० पुरन्दरविधानकथा (स०) २४३ पूजा एवं कथासंग्रह खुशालचन्द पुरन्दरप्रतोद्यापन (सं०) ५०८ पूजाकिया (हि.) ५०६ (सं०) २५७ पूजासामग्री की सूची पुराणसार श्रीचन्द्रमुनि पूजा व जयमाल पुरागसारसंग्रह भ सकलकति पूजा धमाल (सं) ६५५ (हि०) UE पूजापाठ (हि.) ५१२ पुरुषार्थानुशासन गोविन्दभट्ट (सं०) ६६ पूजापाठसंग्रह (सं०) ५० पुरुषार्थसिद्धय पाय अमृत चन्द्राचार्य (सं०) ६८ | ६४६, ६८२, ६६७, ६६६, ७१३, ७१५, ७१६, ७१६ पुरुषार्थसिवा पायवचनिका भूधर मिश्र (हि.) ६९ ७८०, ७६६ पुरन्दरचौपई पूजा पुरश्चराविधि पुरुषस्त्रीसंवाद Page #913 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ ८४६ ग्रन्थनाम लेखक भापा पृष्ठ सं०] ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० पूजापाठसंग्रह (हि.) ५१० | प्रक्रियाकौमुदी (सं.) २६१ ५११, ७४३, ७४४ पृच्छावली (हि.) ६५७ पूजासाठस्तोत्र - (सं० हि०) ७१० प्रत्याख्यान -- (प्रा०) ७० ७८४ प्रतिक्रमण पूजाप्रकरण उमास्वामी ___ ) ५१२ ४२६, ५७१ पूजाप्रतिष्ठापाठसंग्रह - (सं०) ६६६ , प्रतिक्रमण (प्रा०) ६६ पूजामहात्म्यविधि - (सं०) ५१२ | प्रतिक्रमण (प्रा० सं०) ४२५ पूजावरणविधि (सं.) ५१२ ५७३ पूजाविधि (प्रा.) ५१२ | प्रतिक्रमणपाठ (प्रा.) पूजाष्ट्रक विश्वभूपरण (सं०) ५१३ प्रतिक्रमणसूत्र (प्रा.) पूजाटव अभयचन्द्र प्रतिक्रमणसूत्र [वृतिसहित] - (प्रा.) ६६ पूजाष्टक आशानन्द (हि.) ५१२ | प्रतिमाउस्थापक उपदेश ज u (ति) ७० पूजाष्टक लोहट (हि.) ५१२ | प्रतिभासांतचतुर्दशी [प्रतिमासांतचतुर्दशीव्रतोद्यापनपूजा] पूजाष्टक विनोदी लाल (हि०) ७७ अक्षयराम (स.) ५१६ पूजाष्टक -- हि) : १२, ३ प्रोतमासांतचतुर्दशीपूजा देवेन्द्रकीति (सं०) ७६१ पूजासग्रह प्रतिमासांतचतुर्दशीव्रतोद्यापन - (सं०) ५१४, ६९४, ६६८, ७११, ७१२, ७२५ ५२०, ५४० पूजासंग्रह रामचन्द्र (हि.) ५२. प्रतिमासान्तचतुर्दशीव्रतोद्यापनघूजा रामचन्द्र सं०) ५२० पूजासग्रह लालचन्द (हि.) ७७७ प्रतिष्ठानुकुमपत्रिका - (सं०) ३७३ पूजासंग्रह - हि०) ५६५ प्रतिष्ठादर्श भीराजकीति (सं.) ५२० ६०४, ६६२, ६६५, ७०७, ७०८, ७११, ७१४, ७२६, प्रतिष्ठादोपक ५० नरेन्द्रसेन (सं.) ५२१ ७३०, ७३१, ७३३, ७३४, ७३६, ७४८ । प्रतिष्ठापाठ आशाधर (सं.) ५२१ पूजासार - (सं०) १२० | प्रतिष्ठा राठ [प्रतिष्ठासार] वसुदि (सं०) ५२१, ५.२२ पूजास्तोत्रसंग्रह - (सं० हि०) ६९६ : प्रतिष्ठापाठ - (सं०) ५२२ ७०२, ७०८, ७०६, ७११, ७१३ ७१४, ७१६, ७२५, ६९,७५६ ७३४, ७५२, ७५३, ७५४, ७७८ । प्रतिष्ठापाठभाषा वा दुलीचन्द (६०) ५२२ पूर्वमीमांसार्थप्रकरणसंग्रह लोगाक्षिभास्कर (सं.) १३७ , प्रतिष्ठानामावलि - (हि०) ३७४, ७२६ पैंसठबोल (हि.) ३३१ । प्रतिष्ठाविधानकी सामग्रीवर्णन - (हि.) ७२३ पोसहरास ज्ञानभूषण (हि.) ७६२ प्रतिष्ठाविधि .- (सं०) ५२२ Page #914 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रस्थानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ स० ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ट सं० प्रतिष्ठासम्बन्धीयन्त्र प्रवचनसार श्रा० कुन्दकुन्द (प्रा.) ११६ प्रतिष्ठासार (सं.) ५९२ | प्रवचनसारटीका अमृतचन्द्र (सं०) ११७ प्रतिष्ठःसार पं० शिवजीलाल (हि०) ५२२ , प्रवचनसारटीका (सं०) ११३ प्रतिष्ठासारोद्धार (सं.) ५२२ प्रवचनसारटीका प्रतिष्ठासूक्तिसंग्रह प्रवचनसारप्राभूतवृत्ति प्रयम्नकुमाररास' [प्रय नरास] प्र. रायमझ । प्रबचनसारभाषा जोधराज गोदीका हि०) ११४ (हि.) ५६५, ६३६, ७१२, ७३७ / प्रवचनसारभाषा वृन्दावनदास (हि०) ११४ प्रद्युम्नवरित्र महासेनाचार्य (सं० १८० | प्रवचनसारभाष । पांडे हेमराज (हि०) ११३ प्रद्युम्नचरित्र सोमकीर्ति (सं०) १८१ | प्रवचनसारभाषा - (हि.) ११४, ७१. प्रद्युम्नचरित्र (सं.) १५२ प्रस्ताविकरलोक प्रद्युम्नवरित्र सिंह कवि (मप०) १२२ प्रश्नचूडामणि (सं.) २७ द्रय म्न चरित्रभाषा मन्नालाल (हि.) १८२ प्रश्नमनोरमा (सं.) २८७ प्रद्युम्नचरित्रभाषा (हि.) १८२ प्रश्नमाला (सं.) २८८ प्रद्युम्नरास कृष्णराय (हि०) ७२२ प्रश्न विद्या (सं.) २८७ प्रद्युम्नरास (हि.) ७४६ प्रश्न विनोद प्रबोधचन्द्रिका चैजलभूपति (सं०) ३१७ | प्रश्नसार हयग्रीव (सं.) २८८ प्रबोधसार यशःकोटि (सं०। ३३१ प्रश्नसार सं०) २५८ प्रभावतीकल्प - (हि०) ६०२ | प्रश्नसुगनावलि (सं०) २८८ प्रमाणन तल्लालोकालंकारटीका [रत्नाकररावतारिका] । प्रश्नावलि (सं.) २८ रत्नप्रभसूरि (सं०) १३७ प्रश्नावलि कथित वैद्य नंदलाल (हि.) ७८२ प्रमारगनिर्णय (सं०) १३७ | प्रश्नोत्तर माणिक्यमाला अमानसागर (सं०) २८८ , प्रमाणपरीक्षा श्रा० विधानन्दि (म०) १३७ प्रश्नोत्तरमाला -- (सं०) २८८ प्रमाणपरीक्षाभाषा भागचन्द (हि०) १३७ प्रश्नोतरमालिका [ प्रश्नोत्तररत्नमाला ) अमोघवर्ष प्रमाणप्रमयकलिका नरेन्द्रसूरि (सं०) ५७५ सं० ३३२, ५७३ प्रमाणमीमांसा विद्यानन्दि (सं०) १३८ | प्रश्नोत्तररत्नमाला तुलसीदास (गुज.) ३३२ प्रमाणमीमांसा (स.) १३८ प्रश्नोत्तरथावकाचार प्रमाणप्रमेयकलिका नरेन्द्रसेन (सं०) १३७ | प्रश्नोत्तरभावकाचारभाषा बुलाकीदास (हि.) ७. प्रमेयकमलमासण्ड मा०प्रभाचन्द्र (सं०) १३८ | प्रश्नोत्तरश्रावकाचारभाषा पन्नालाल चौधरी (हि०) ७० प्रमेयरत्नमाला अनन्तवीर्य (स.) १३८ | प्रश्नोत्तरश्रावकाचार Page #915 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्यानुक्रमणिका ] [८५१ मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं०] प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं. प्रश्नोसरस्तोत्र प्रीत्यरचौपई नेमिचन्द (हि.) ७७५ प्रश्नोत्तरोरासकाचार मसकलंकीर्ति (सं०) ७१ प्रीत्यरचरित्र (हि.) ६८६ प्रश्नोत्तरोद्धार (हि०) ७३ | प्रोषधदोषवर्णन प्रशस्ति प्रदामोदर (सं०) ६०८ | प्रोषधोपदासमतोद्यापन -- (सं.) ६६६ সরি (सं.) १७७ प्रशहितकाशिका बालकृषा (सं०) ७३ प्रवाद परित्र हि .. फल फांदल [पमेरु] मण्डलचित्र ... ५२५ प्राकृतच्छन्दकोश (प्रा०) ३११ फलवधीपार्श्वनावस्तवन समयसुन्दरगणि (सं०) ६१६ प्राकृतछन्दकोश रत्रशेखर (प्रा.) ३११ फुटकरकवित (हि.) ७४८ प्राकृतछन्दकोश (प्रा.) ३११ ७६६, ७७३ प्राकृतर्पिगलशास्त्र (सं.) ३१२ फुटकरज्योतिषपद्य प्राकृतव्याकरण चण्डकवि सं.) २६२ फुटकर दोहे (हि०) ६९५ प्राकृतरूपमाला श्रीरामभट्ट (प्रा) २६२ ६६६, ७८१ प्राकृतव्युत्पत्तिदीपिका सौभाग्यगणि (२०) २६२ फुटकरपथ -- (हि.) प्राणप्रतिष्ठा फुटकरपद्य एवं कवित्त - (स.) ५२३ (हि.) ६४३ प्राणायामशास्त्र (सं०) ११४ . फुटकरपाठ (सं.) ५७३ प्रापीडागीत (हि.) ७७ फुटकरवान (सं०) ५७४ মারজিনা फुटकरसवैया (हि.) ७७५ प्रातःस्मरणमन्त्र फूल भीतणी का दूहा (हि०) ६७५ प्राभूतसार श्रा० कुन्दकुन्द (प्रा.) १३० प्रायश्चितग्रन्य बंकबूलरास जयकीति (हि.) ३६३ प्रायश्चितविधि अकलङ्कचरित्र ____७४ बंभणवाडीस्तवन कमलकलश (हि.) ६१६ प्रायश्चितविधि भर एकसंधि (सं.) बखतविलास - (हि.) ७२६ प्रायश्चितविधि (सं०) ७४ बहाकक्का गुलाबराय (हित) ६८५ प्रायश्चितशास्त्र इन्द्रनन्दि (प्रा.) महाकक्का - (हि.) ६६३, ७५२ प्रायश्चितशास्त्र (गुज.) ७४ बड़ादर्शन - (सं.) ३६८, ४३२ प्रायश्चितसमुघटीका नंदिगुरु (सं०) ७५ बडो सिद्धपूजा [कर्मदहनपूजा] सोमदत्त (सं०) ६३६ प्रीतिकरचरित्र ब्रः नेमिदत्त (स) १२ / बदरीनाथ के छंद - (हि.) ६०० प्रीतिकरचरित्र जोधराज (हि.) १८३ | बधावा - (हि) ७१० ___४ ७४ Page #916 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारहभावना ८५२ ॥ [ प्रन्थानुक्रमणिका ग्रन्थ नाम लेखक भापा पृष्ठ सं| ग्रन्थ नाम जेवक भाषा पृष्ठ सं० बधावा व विनतो - (हि.) ६८५ | बारह ही पाश्वदास (हि.) ३३२ बन्दना जकड़ी चुधजन (हि.) ४४6 | बारहखड़ो रामचन्द्र बन्दना जकड़ी बिहारीदास (हि.) ४४६, ७२७ | बारहखडी सूरत (हि.) ३२२ बन्दे तू सूत्र - (प्रा०) ६१६ ६७०, ७१५, ७५८ बन्दोमोक्षस्तोत्र -- (सं०) ६०८ बारहखडी - (हि०, ३३२ अधउदयसत्ताचौपई श्रीलाल (हि.) ४१ ४४६, ६०१, ६६४, ७२ बंघस्थति --- (सं०) ५७२ रइधू (हि०) ११४ बनारसीविलास बनारसीदास (हि.) ६४. । बारहभावना भालु (हि.) ६६१ ६८६, ६६८, ७० ६, ७०८, ७२१, ७३४, ७६३, ७६५ बारहभावना जसोमणि (हि.) ६१७ ७६७ बारहभावना जित चन्द्रसूरि (हि०) ७०० , बनारसीविलास के कुछ पाठ - (हित) ७५२, ७५६ बारह भावना नवल (हि०) १५ बरहावतारचित्र ११५, ४२६ बलदेव महामुनि सम्झाय समयसुन्दर (हि.) ६१६ बारभावा भगवत दास (हि.) ७२० बलभद्रगीत (हि.) ७२३ बारहभावना भूधरदास (हि.) ११५ बलात्कारगरणगुर्षावलि (सं०) ३७४ ५७२, ५७४ बारहभावना दौलतराम (हि.) ५६१, ६७५ बलिभद्रगीत अभयचन्द (हि.) ७३६ बारह भावना - (हि.) ११५ वसंतराजशकुनावली - (संa fes) ७११ ३८३, ६४४, ६८५. ६८६, ७८८ वसंतपूजा अजैराज (हि०) ६८३ | बारहमासकी चौदस मण्डलचित्र] - ५२५ बहत्तरकलापुरुष बारहमासा गोविन्द (हि.) ६६६ चाईसमभक्ष्यवर्णन बा. दुलीचन्द (हि.) ७५ / बारहमासा चूदरकषि (हि.) ६६ बाईसपरिषहवान भूधरदास (हि.) ७५ बारहमासा जसराज (हि.) ७८० ६०५, ६७०, ७२०, ७८५, ७६7 | बारहमासा बाईसपरिषद - ७४७,७६७ | बारहमाहकी परमी [मडलचित्र] - ५२५ बारहप्रक्षरी सं०) ७४७ बारहातों का ब्यौरा - (हि.) १६ बाहरप्रनुप्रेक्षा (प्रा.) ७३६ | | बारहसो चौतीसग्रतकथा जिनेन्द्रभूषण (हि.) ६६५ बाहरमनुप्रेक्षा अवधू (हिं०) ७२२ | | बारहसो चौतीसनतपूजा श्रीभूषण (सं.) ५३७ बारझनुप्रेक्षा (हि.) ७७७ / बालपद्मपुराण पं. पन्नालाल बाकलीवाल (हि०) १५१ बारहखड़ी दत्तलाल (हि.) ७४५ 'बाल्यकालवर्णन - (हि) ५२३ Page #917 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बोधसार प्रन्थानुक्रमणिका ] [ ३ पन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० बालानि बोध [णमोकार पाठका अर्थ] - (प्रा. हि.) ७५ | बुधजनसतसई बुधजन (हि०) ३३२, ३३३ बावनी बनारसीदास (हि०) ५५० मुद्धावतारचिय बावनी हमरा ) ६५७ भुखियलास बखतरामसाह (हि.) ७५ बासठकुमार [माउलचित्र] ५२५ । बुद्धिरास शालिभद्र द्वारा संकलित हि०) ६१७ बाहुबलीसज्झाय विमलकीर्ति हि.) ४४६ बुलाखीदास खत्रीकी बरात बाहुबलीसज्झाय समयसुन्दर (हि०) ६१९ बेलि छोहल (हि०) ७३८ बिम्बनिर्मागविधि (सं०) ३५४ बैताल पच्चीसी (सं०) २३४ विम्बनिशिविधि - (हि०) ३५४,६६१ बोधप्राभूत कुंदकंदाचार्य (प्रा.) ११५ बिहरीसतसई बिहारीलाल (हि.) ६७५ (हि.) ७५ बिहारी सतसईटीका कृष्णदास (हि.) ५२७ बहाचर्याष्टक बिहारीसतसईटीका हरिचरनदास (हि.) ६८७ : ब्रह्मवयंवणन __ - (हि०) ७५ बिहारीसतसईटीका (हि.) ५०६ ब्रह्मविलास भैया भगवतीदास (हि.) ३३३, ७६० बीजक [कोश] (हि.) २७६ वीजकोश [मातृका निर्यट] - (सं०) ३४६ | भ बीसतीर्थर जयमाल (हि०) ५११ । भक्तामरपत्रिका - (सं.) ४०६ बीसतीयंकरजिनस्तुति जितसिंह (हि० ७०० भक्तामरस्तोत्र मानतुंगाचारी (सं०) ४०२ बीसतीर्थङ्करपूना ४५७, ४२५, ४२८, ४२६, ४३०, ४३१, ४३३, ५६६, ५७२, ५७३, ५६६, ५६३, ६०३, ६०५, बीसतीर्थङ्करपूजा थानजी अजमेरा (हि.) ५२३ ६१६, ६२८, ६३४, ६३७, ६४४, ६४८, ६५१, बीसतीर्थङ्कर पूजा - (हि.) ४ २३, ५३७ ६५२, ६६४, ६४८, ६५१, ६५२, ६६४, ६६५, बीसतीर्थकरस्तवन ६७०, ६७३, ६७५, ६७६, ६७७, ६८०, ६८१, बीसतीर्थद्वारों को जयमाल [बीस विरह पूजा ६८५, ६८९, ६६१, ६६३, ६६६, ७०३, ७०६, हर्षकीर्ति ६५, ७२२ | बोसविद्यमान तीर्थङ्करपूजा - (सं०) ५६५ ७०७, ७३५, ७३७. ७४५, ७५२, ७५४, ७५८, बीसबिरहमानजकही समयसुन्दर (हि.) ६१७ ७६१, ७८८, ७८६, ७६६, ७६७ बीसविरहमानजयमाल तथा स्तवनविधि - (हि.) ५०५ | भक्तामरस्तोत्र [मन्त्रसहित] - (सं०) ६१२ बीसविरहमाणपूजा - (सं) ६३६ ६३६, ६७०, ६६७, ७०५, ७१४,७४१ बीसविरहमानपूजा नरेन्द्रकीति (सं. हि०) ७६३ | भक्तामरस्तोत्र ऋद्धिमन्दसहित - (सं.) ४६ बुधजनविलास बुधजन (हि.) ३३० ' भक्तामरस्तोत्रकथा पन्नालाल चौधरी (हि.) २३५ Page #918 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थानुक्रमणिका ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ स० भक्तामरस्तोत्रकथा भक्तिपात कनककीर्ति (हि.) ६५१ भक्तामरस्तोत्र ऋद्धिमन्त्रसहित नथमल (हि.) २३४, ७०६ भक्तिपाठ पन्नालाल चौधरी (हि.) ४४६ भक्तामरस्तोत्रकथा विनोदीलाल (हि०) २३४ | भक्ति गाठ (हि.) ४५० भक्तामरस्तोत्रटीका हर्पकीचिसूरि (सं.) ४०६ ! भक्तिपाठसंग्रह (सं.) ४२६ भक्तामरस्तोषटीका - (सं०) ४०६, ६१५ ' भक्तिसंग्रह [मानाय भक्ति तक] - (सं०) ५७३ भक्तामरस्तोषटीका - इस हि०) ४०६ | भगतवत्सावनि - (हि.) ६०० भक्तामरस्तोत्रपूजा केशवसेन (सं.) ५१५, ५४० भगवतीयाराधना शिवाचार्य (सं.) ७६ भक्तामरस्तोत्रपूजा | भगवतो पारापनाटीका अपराजितसूरि (सं०) ७६ , भकामरपूजा उद्यापन श्रीज्ञानभूषण (सं०) ५२३ भगवतीमाराधनाभाषा सदासुम्ब कासलीवाल (हि०) ७६ भत्तामर प्रतोद्यापन पूजा विश्वकीति (सं०) ५२३ भगवती सूत्र - (प्रा०) ४२ भक्तामरस्तोत्रपूजा श्रीभूषण (सं०) ५४२ भगवती - in) ४२५ भक्तामरस्तोत्रपूजा भगवद्गीता [कृष्णार्जुन संबाद] -- (हि०) ७६ ७६० ५२४, ६६६ भगवद्गीता के कुछ स्थल सीता के कछु स्थल - (सं०) ६७३ भक्तामरस्तोत्रभाषा अत्यराज (हि.) ७५५ (हि.) ७७० भक्ताम स्तोत्रभाषा गंगाराम (सं.) ४१. भजनसंग्रह नयनकवि (हि.) ४५० भक्तागरस्तोषभाषा जयचन्द छाबडा (हि.) ४१० भजनसंग्रह - (हि०) ५६७, ६४३ भक्तामरस्तात्रभाषा हेमराज (हि०प०) ४१० भट्टाभिषेक - (सं०) ५५७ ४२६, ५६, ६०४, ६४८, ६६१, ७७०, भट्टारकविजयकीर्तिमष्टक -- (सं०) ६८६ ७७४, ७६२ भक्तामरस्तोत्रभाषा नथमल (१०) ७२० भट्टारकपट्टावलि - हि.) ३७४, ६७५ भक्तामरस्तात्रभाषा -- (हि.) ४११ भडली - (सं.) २८१ ६१५, ६४४, ६६४, ६६६, ७०६, ७५३, ७७४, भद्रबाहुचरित्र रत्ननन्दि (सं.) १८३ ७६८, ९E भद्रवाहुचरित्र चंपाराम (हि.) १८३ भकामरस्तोत्र [मण्डचित्र - बाहुचरित्र नवलकवि (हि.) १८३ भक्तामरस्तोत्रवृत्ति बरामल्ल (सं.) ४०, भद्रबाहुचरित्र (हि.) १८३ भक्तामरस्ताग्रोवत्तिकथा भयहरस्तोत्र (सं०) ३८१ भक्तिनामवर्णन (संहि०) ५७१ भयहरस्तोत्र व मन्त्र भत्तिपाठ | मयहरस्तोत्र (प्रा०) ४२३ ५६५, ६८२, ५०६ | भयहरस्तोत्र ~ (प्रा० हि.) ६१ भजन Page #919 -------------------------------------------------------------------------- ________________ + प्रस्थानुक्रमणिका 1 अन्थनाम भयहस्तोत्र भरतेशवैभव भर्तृहरिशतक भववैराग्यशतक भवानीवाक्य भवानी सहस्त्रनाम एवं कवच भविष्यदतकथा" भाषा ० सं० ग्रन्थनाम लेखक भ० पद्मनन्दि (हि०) ६१६ भावनाचीतीसी ( हि०) १०३ भावनाद्वात्रिंशिका श्र० श्रमितगति भर्तृहरि (सं०) ३३३, ७१५ भावनाद्वात्रिशिकाटीका ( प्रा० ) भावनाद्वात्रिंशिका ११७ (हि) २८८ भागवत भागवत द्वादशम स्कंधटीका लेखक (सं०) ७६२ ० रायमल (हि०) ३३४ ५६४, ६४८, ७४०, ७५१, ७५२, ७७३,७७५ भविष्यदत्तचरित्र पं० श्रीधर (सं०) १८४ भविष्यदत्तचरित्रभाषा पन्नालाल चौधरी (हिं०) भविष्यदत्ततिलकासुन्दरी नाटक न्यामतसिंह (हि०) भव्यकुमुदचन्द्रिका [सागारधर्मामृतस्त्रां पज्ञटीक]] १८४ ३१७ पं० आशाधर भागवतपुराण भागवत महिमा भागवत महापुराण [सप्तमसबंध ] भाद्रपदपूजा भाद्रपदपूजा संग्रह सं०) (सं०) ६७५ (सं०) १५१ (सं०) १५१ (हि०) ६७६ (सं०) १५१ (हि०) ७७५ (हिं०) ५२४ भावपाहूड भावनारची सीव्रतोद्यापन भावनापद्धति भावनाबतीसी भावनःसारसंग्रह भावनास्तोत्र भावप्रकाश भावप्रकाश ( प ० ) ६४२ (सं०) ७३६ भावदातक भासंग्रह भाव संग्रह भाव संग्रह भावसंग्रह भाषा भूषरण भाषाभूवरण भाष्यप्रदीप द्यानतराय नेमिचन्द्राचार्य (प्रा० ) ४२,७०० (हि०) (हि०) ६६० भुवनको ति जोधराज गोदीका भारती ७७ कृष्ण शर्मा (स०) १३५ भुत्र नदीपक मुवनदीपिका (हि०) ४२ भावविभङ्गी भावदीपक भावदीपक भवदीपिका भावदीपिका भाषा भारती भावना चतुर्विंशति पद्मनन्दि नोट - रचना के यह नाम और हैं भूगोलनिर्मारण १ भविष्यदत्तचाप भविष्यदत्तपञ्चमीकथा भविष्यदत्तपञ्चमीरास' भूतकाल चोबीसी RAJ कुंड कुंद्राचार्य — पद्मनन्दि - श्री नागराज देवसेन चामुण्डराय (स०) ७७, ६१५ द्यानतराय (हि०) ६१४ मानमिश्र (सं०) २६९ (सं०) २९.६ श्रुतमुनि वामदेव - जसवंतसिंह धीरजसिंह कैप्ट पद्मनाभ यू राज पद्मप्रभसूरि भुवनेश्वरीस्तोत्र [ सिद्धमहामंत्र ] [ ८५५ भाषा पृष्ठ सं० (सं०) ६३४ (सं०) ५७३ (सं०) ११५ (सं०) ११५,६३७ पृथ्वीधराचार्य बुधजन (२०) ११५ (सं०) ५२४ (सं०) ५७५ (सं०) ६२, ६३३ (सं०) ३३४ (प्रा०) ७७ (प्रा० ) (सं० ) ७८ (सं०) ७८, २९९ (हि०) ३१२ 195 (सं०) २६२ (सं०) २८६ ( हि०) २०६ (सं०) २५६ (सं०) २८६ (सं०) ૨૪ (हि०) ३२३ (हि०) ३२८ Page #920 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्धानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | मन्थनाम जनक भाषा पृष्ठ सं० भूत भविष्य वर्तमानजिनपूजा पांडे जिनदास (२०) ४७०| मंडपविधि -- (हि.) ५२५ भूपालचतुवितिस्तोत्र भूपाल (सं.) ४०२ | मन्त्र मन्त्र व गोपधिका नुसखा - (हि.) ३०० ४११, ४२५, ४२८, ४३२, ५७२, ५६४, ६०५, | मन्त्र महोदधि पं० महीधर (सं०) ३५१, ५७७ भूपालचतुर्विकातिस्तोत्रटीका आशाधर (सं.) ४०१, ४११ मन्त्रशास्त्र - (सं०) ३५० मन्नशास्त्र (हि.) ३५० भूपालचतुर्विंशतिस्तोत्रटीका विनयचन्द्र (सं०) ४१२ मन्त्र ग्रह भूपालघौबीसीभाषा पन्नालाल चौधरी (हि० ४१२ ६७५, ६६६, ७०३, ७३६, ७६७ भूपालचौबीसीभाषा (हिं०) ७७४ (सं.) ३४६ मन्ननहिता (10) ६०८ . (सं.) ५७२ भैरवनामस्तोत्र (स.) २६६ भैरवपद्मावतीकल्प मल्लिषेणसरि | मक्षीपार्श्वनाथस्तवन जोधग मुनि (हि०) ६१८ भैरवपद्मावतीकल्प - (सं०) ३५० | मच्छावतार [चित्र] (हि०) ५९४ भैरवाष्टक - (सं.) ६१२, ६४६ मणिरत्नाकर जयमाल भोगीदासको जन्मकुंडली - (हि.) ७७६ | मरणुवसंधि (अप) ६४२ भोजप्रबन्ध पं८ बल्लाल (सं.) १८५ । मदनपराजय जिनदेवसूरि (सं.) ३१७ भोजप्रबन्ध (सं०) २३५ । मदनपराजय (प्र०) ३१८ मदनराजय भोजरासो ___ स्वरूपचन्द (हि.) ३१८ उदयभान भीमचरित्र भ० रनचन्द म०) १८५, मदनमोदन मञ्चशतीभाषा छत्रपति जैसवाल हि०) ३३४ भृगुसंहिता - (म०) २८६ | मदनविनोद मदनपाल (सं.) ३०. भ्रमरगीत . मानसिंह (हि.) ७५० मधुकैटभषध [महिषासुरवध] - (सं.) २३५ ॥ अमरगीत - (हि० ६., ५४५ मधुमालतीकथा चतुर्भुजदास (हि.) ६३६ मध्यलोकपूजा (सं.) ५२५ विनोदोलाल मनोरशमाला (हि.) ७२० अचल कोर्ति मङ्गल (हि.) ७६४ मनोरथमाला - (हि.) ७८ मङ्गलकलशमहामुनिमतुष्टी (हि.) मनोहरपुराको पीढियोंका वर्शन - रंगविनयगणि (हि राज०) १८५ | ५९ - मनोहर मिश्र मङ्गलपाठ (सं०) ५६६ / मनोहरमञ्जरी (हि.) ७६६ मङ्गलाष्टक - (सं०) ५६०, ६३४ मरकतविलास पन्नालाल (हि.) ७५ मंडपविधि - (सं.) ५२५ मरणकरंडिका - (प्रा. हि.) ४२ Page #921 -------------------------------------------------------------------------- ________________ m20 प्रन्थानुक्रमणिका ] मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं| ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ सक मगदेवोकी सम्झाय ऋषि लालचन्द (हि०) ४५० महावीरस्तोत्र स्वरूपचन्द (हि०) ५११ मल्लिनाथपुराण सकलकीर्ति (सं.) १५२ महावीराष्टक भागचन्द (सं० } ४१३ मल्लिनाथपुराणभाषा सेवाराम पाटनी (हि.) १५२ महाशान्ति विधान पं० धर्म देव । (सं०) ६२५ मल्हारचरित्र (हि.) ७४१ महिम्नस्तवत जयकीति (सं.) ४२५ महपिरतबन (सं०) ६५८ महिम्नस्तोत्र (सं०) ४१३ ११. ५२६ | महीपालचरित्र चारित्रभूषण (सं०) १८६ महर्षिरतवन (हि.) ४१२ महीपालचरित्र भ० रत्ननन्दि (सं.) १८६ महागणपतिकवन (मं०) ६६२ | महीपालचरित्रभाषा नथमल हि.) १८६ महादण्डक (हि.) ७३५ मांगीतुगीगिरिमंडलपूजा विश्वभूषण (सं.) ५२६ महापुराग जिनसेनाचार्य (सं०) १५३ मारिसक्यमालामन्यप्रश्नोत्तरी संग्रहकर्ता... महापुराण [संक्षिप्त] - (सं.). १५२ प्र ज्ञानसागर (सं० प्रा० हि०) ६०४ महापुराण महाकवि पुष्पदन्त (अप०) १५३ माताके सोलह स्वप्न - (हि.) ४२४ महाभारतविषाणुसहस्रनाम (सं.) ६७६ माता पद्मावतीरहन्द भ महीचन्द (सं० हि०) ५६० महाभिपेकपाठ (सं.) ६०७ माधवनिदान माधव (सं.) ३०० महाभिषेकसामग्री (हि०) ६६८ माधवानल कथा आनन्द (सं०) २३५ महामहर्षिस्तवनटीका (२०) ४१३ मानतुगमानवलि चौपई मोहनविजय (सं०) २३५ महामहिम्नस्तोत्र (सं.) ४१३ मानको बड़ी बावनो मनासाह (हि.) ६३६ महालक्ष्मोस्तोत्र (रां०) ४१३ | मानबावनी मानकवि (हि.) ३३४, ६०१ महाविद्या [मन्त्रोंका संग्रह] - (सं०) ३५१ | मानमञ्जरी नन्दराम (हि.) ६५१ महाविद्याविडम्बन (सं०) १३५ | मानमञ्जरी नन्ददास (हि.) २७६ महावीरजोका चौढाल्या ऋषि लालचन्द (हि.) ४५७ मानलघुबावनी मनासाह महावीरछन्द शुभचन्द मानबिनोद मानसिंह (सं०) ३०० महावीरनिर्वाणपूजा (नं०) ५२६ मानुषोतरगिरिपूजा भ• विश्वभूषण (स.) ४६७ महावीरनिर्वाणकल्याणपूजा - (सं०) ५२६ | मायाब्रह्मका विचार - (हि.) ७६७ महावीरनिर्वाणकल्याणकपूजा - (हि.) ३९८ | मार्कण्डेयपुराग्य - (सं.) १५३, ६०७ महावीरपूजा वृन्दावन ५२६ | मार्गणा व गुणस्धान वर्णन - (प्रा.) ४३ महावीरस्तवन जितचन्द्र (हि.) ७०० | मार्गणावर्णन (प्रा) ७६६ महावीरस्तवनपूजा समयसुन्दर (हि.) ७३५ | मार्गणाविधान महावीरस्तोत्र म० अमरकीर्ति (सं०) ७५७ ' मार्गणासमास (प्रा०) ४३ (हि, Page #922 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ८५८ ] [ मन्थानुक्रमणिका मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं०) प्रथनाम लेखक भाषा पृष्ट सं० मालीरासो. जिनदास हि- १ अनिसुखलारा व कृष्णदास (सं.) १५३ मिच्छादुक्कड़ न० जिनदास (हि.) ६८६ | मुनिसुवतपुराण इन्द्रजीत (हि.) १५३ मिविलास घासी (हि.) ३३४ | मुनिसुव्रत विनती देवाब्रह्म (हि. ४५० मिथ्यात्वखंडन वख्तराम (हि०) ७८, ५६० | मुनीश्वरोंकी जयमाल - (स०) ४२८ मिथ्यात्वाइन - हि०) ७६ ५७६, ५७८,६४६, ७५२ मुकुट सप्तमीकथा पं० अभ्रदेव (सं०) २४४ | मुनीश्वरोंकी जयमाल (अप०) ६३७ मुकुटसप्तमीकथा खुशाल चन्द (हि०) २४४, ७३१ | मुनीश्वरोंको जयमाल म० जिनदास हि.) ५७१ मुकुटमप्तमीवतोद्यापन (सं०) १२७ ६२२, ७५० मुक्तावलिकथा (सं.) ६३१ | मुनीश्वरोंकी जयमाल - मुकाबलिकथा भारामल (हि.) ६४ | मुष्टिज्ञान ज्योतिषाचार्य देवचन्द हि०) ३०० मुक्तावलिगीत सकलकीर्ति (हि.) ६८६ / मुहूर्त्तचितामणि - (हि०) २६ मुक्तावलि मण्डलचित्र] - ५२५ मुहूर्तदोपक महादेव (सं०) २६. मुक्तावलिपूजा पर्णी सुखसागर (सं०) ५२७ | मुहूत्त मुक्तावली परमहंस परिव्राजकाचार्यमुक्तावलिपूजा - (सं०) ५३९, ६६६ मुहुर्तमुक्तावलो शङ्कराचार्य (हि०) ७६८ मुक्तावलिविधानकथा श्रुतसागर (सं.) २३६ मुहूर्तमुक्तावली - (संहि०) २६० मुक्ता-लिव्रतकथा सोमप्रभ (सं०) २३६ | मुहूर्तसंग्रह - (सं०) २६. मुक्तावलिविधानकथा (अप०) २३६ मूढताज्ञानांकुश - (सं.) ७६२ मुक्तावलियतकथा खुशालचन्द मुर्ख के लक्षण (सं०) ३५८ मुक्तावलिवतकथा (हि०) ६७३ मूलसंबकीपट्टावनि मुक्तार्शल अतकी तिथियां मूलाचारटीका आ. वसुनन्दि (प्रा० सं०) ७६ मुक्तावलियन पूजा (स.) ५२७ मुलःदारप्रदीप सकल मात्ति (सं०) ७६" मुक्तावलियतविधान (सं.) ५२७ मूलाचार भाषा ऋषभदास (हि.) . मुक्तावलिब्रतोद्यापनपूजा (स०) ५२७ मूलाचारभाषा मूनिमीहरगीत (हि०) ७६५ मृगापुत्र उहाला - (हि०) २३५ मुखावलोकन कथा (सं०) २४३ मृत्युमहोत्सव - (सं.) ११५, ५७६ मुनिराजका बारहमासा (हि.) ५७ मृत्युमहोत्सवभाषा सदासुख कासलीवालमुनिसुनतछन्द भ प्रभाचन्द (स हि०) १५७ मुनिगुतनाथपूजा (सं.) ५०६ मृत्युमहोत्सवभाषा (हि०) ४१२ मुनिसुव्रतनाथस्तुति (अप०) ६३७ Page #923 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18. प्रन्थानुक्रमणिका ] [ ८५६ प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं०। प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० मेधकुमारगीत पूनो (हि.) ४३८ | मोहविवेकयुद्ध बनारसीदास (हि०) ७१५, ७६४ ७४६, ७५०, ७६४ मीनएकादशीकथा भूतसागर (सं.) २२८ भेवकुमारचौढालिया कन कसोम हि०) ६१७ मौनएकादशीस्तवन समयसुन्दर (हि०) ६२० मेषकुमारचौपई (हि०) ७३४ मौनिव्रतकथा गुणभद्र (सं०) २३६ मेषकुमारवार्ता ____- (हि०) ६६४ | मीनियतकथा - (सं०) २३७ मेषकुमारसज्झाय समयसुन्दर हि० ६१८ मौनिव्रतविधान रत्रकीर्ति (सं० ग०) २४४ घदूत कालिदास (०) १८७ मौनिव्रतोद्यापन - (सं०) ५१७ मेवदूतटीका परमहंसपरिव्राजकाचार्यमेघमाला - (१०) २६० मेघमालाविधि पत्र [भगे हुए व्यक्तिके वापस पानेका] मेघमालावतकथा श्रुतसागर (सं०) ५१४ यन्त्रमन्त्रविधिफल मेघमालावतकथा - (सं०) २६६, २४२, मन्त्रमन्त्रसंग्रह - (सं०) ७०१, ७६९ मेघमालावतकथा खुशालचन्द (हि.) २३६, २४४ | यन्त्रसंग्रह (सं०) ३५२ मेघमालाव्रत [मण्डलचित्र]-- ५२५ ६६७, ७६८ मेघमालावतोद्यापनकथा वक्षिणीकल्प - (सं0) ५२७ (सं०) ३५१ मेघमालावतोद्यापनपूजा यज्ञकीसामग्रीका ब्यौरा (सं०) ५२७ (हि.) ५६५ मेषमालावतोबापन - (सं० हि०) ५१७ (सं. यज्ञमहिमा यतिदिनचर्या देवसूरि (प्रा.) ० मेदिनीकोश (सं०) २७६ यतिभाव नाष्टक आ· कुन्दकुन्द मेरूपूजा 'सोमसेन (सं०) ७९५ यतिभावनाटक मेस्पंक्ति तपकी कथा खुशालचन्द हि०) ५१६ | पतिमाहार के ४६ दोष मोक्षपेडी बनारसीदास (हि.) .. मल्याचार आ० वसुनन्दि (सं.) ० ६४३, ७४६ | यमक (सं०) ४२६ मोक्षमार्गप्रकाशक पं० टोडरमल (राज.) ८. (यमकाष्टक) मोक्षशास्त्र उमास्वामी (सं०) ६६४ यमकाष्टकस्तोत्र भ० अमरकीति (सं०) ४१३, ४२६ मोरपिच्छवारी [कृष्ण] के वित्त कपोत (हि.) ६७३ | यमपालमातगकी कथा --- (सं०) २३७ मोरपिच्छधारी | कृष्ण] के कवित्त धर्मदास हि०) ६७३ | पशस्तिलकचम्पू सोमदेवसूति (सं.) १८७ भोरपिच्छधारी [कृष्ण] के कवित्त विचित्रदेव हि.) ६७३ यशस्तिलकचम्पूटीका श्रुतसागर (सं०) १८७ मोहम्मदराजाकी कथा - (हि.) ६०० | यशस्तिल कन्चम्पूटीका (सं.) १८८ (प्रा.) (सं०) Page #924 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७११ | मोगशतक ५६० ] । प्रन्थानुक्रमणिका मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ स मन्याम होख भाषा पृष्ठ सं० यशोधरकथा [यशोधरचरित्र] खुशाल बन्द (हि०) १६१ मोगदात घरच (सं०) ३०२ - (सं०) ३०२ यशोधरचरित्र ज्ञानकीर्ति (सं.) १९२ योगातक (हि.). ३०२ यशोधरचरित्र योगशतटीका (सं०) ३०२ कायस्थपंझनाभ यशोधरवरित्र पूरण देव सं.) योगशास्त्र यशोधरचरित्र पादिराजसूरि (सं.) ११ योगशास्त्र - (सं०) ११६ यशोधरचरित्र वासघसेन (सं०) १९१ योगसार योगचन्द (सं०) ५७५ यशोधरचरित्र श्रतसागर (सं०) १६२ योगसार योगीन्द्रदेव (१७) ११६, ७५५ याधर चरित्र सकात कीति (म०) १८ योगसारभाषा नन्दराम (हि.) ११६ ययोधरचरित्र पुष्पदन्त अप०) १८८ ६४२ वोगसारभाषा बुध जन हि.) ११७ यशोधर चरित्र गारवदास (हि० प०) १६१ योगसारभाषा पत्रालाल चौधरी (हिग०) ११६ यशोधरपरि पन्नालाल हि०) १६ ।। योगसारभाषा (हि.५०) ११७ यशोधरचरित्र - (हि.) १९२ योगसारसंग्रह (सं.) ११७ यशोधरचरित्रटिप्पण प्रभाचन्द्र (सं०) १६२ योगिनीकवच (सं.) ६०० यात्रावान (हि०) ३७४ योगिनीस्तोत्र (सं०) ४३० पादरवशावलि (हि.) ६७६ योगी चर्चा महात्मा ज्ञानचन्द (अप) ६२८ युक्त्यनुवासन पासमन्तभद्र (सं.) १३६ योगीरासो योगीन्द्रदेव (अप०) ६.३ युक्त्यानुशासनटीका विद्यामन्दि (सं.) १३६ ७१२, ७४८ सुगादिदेवमहिम्नस्तोत्र (सं.) ४१३ योगीन्द्रगुजा यूनानी नूमने (सं.) ६६१ योगचितामणि (सं०) ३.१ योगचितामणि उपाध्याय कीर्ति (सं०) ३०१ रन बनाने की विधि योगचितामणि (स.) ३०१ रक्षाबंधनकथा योगचितामरिणबीजक (सं.) रक्षाबंधनकथा अज्ञानसागर (हि.) २२० योगफल सं०) २६० रक्षाबंधनकथा नाथूराम योगबिन्दुप्रकरण आ-हरिभद्रसूरि (सं.) ११६ रक्षाविधानकथा - (सं०) २४३, ७३१ योगभक्ति - (सं०) ६३३, ६२८ । रभुनाथविलाम रघुनाथ (हि.) ३१२ योगभक्ति - प्रा०) ११६ | रघुवंशटीका मल्लिनाथसूरि (२०) १६३ योगक्ति पन्नालाल चौधरी (हि.) ४५० ' रघुवंशटीका गायनयगणि (सं०) १६४ Page #925 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] लेखक समयसुन्दर सुमतिविजयगणि कालिदास अन्थनाम रघुवंशटीका रघुवंशटीका रघुवंश महाकाव्य रतिरहस्य रत्नकर श्रावकाचार समन्तभद्र रत्नकरंड श्रावकाचार नथमल रत्नकरड श्रावकाचार संघी पन्नालाल रत्नकरंडवावकाचारटीका प्रभाचन्द रत्नकर' श्रावकाचार पत्र सदासुख कासलीवाल (हि० गद्य) रत्नकोष रत्नकोष रत्नत्रय उद्यापनपूजा Z रत्नत्रयकथा ० ज्ञानसागर रत्नत्रयका महार्घ व क्षमावली ब्रह्मसेन रत्नत्रयगुणकथा पं० शिवजी नाल रत्मत्रम जयमाल रत्नत्रयजयमाल रत्न श्रयजयमाल ऋषभदास बुधदास • रत्न श्रयजयमाल रत्नत्रयजयमाल रत्नत्रयजयमालभाषा रत्नत्रयजयमाल तथा विषि रत्नत्रयपाठविधि रत्नत्रयपूजा रत्रयपूजा रत्नत्रयपूजा नथमल भाषा पृष्ठ सं० | ग्रन्थनाम (सं०) १६४ रत्नश्रयपूजा रत्नत्रयजा आशाधर केशवसेन पद्मनन्दि (सं०) १९४ (सं०) १९३ (feo) UCE (F0) ८१ रत्नत्रयपूजा ६ε१, ७६५ रत्नत्रयपूजा रत्नत्रयपूजा रत्नत्रयपूजाजयमाल रत्नत्रयपूजा (सं०) ३३४, ७९ ( हि०) ३३५ (सं०) ५२७ (हि०) ७४० (सं०) ७८१ (सं०) २२७ (प्रा० ) ५२७ (सं०) ५२६ (हि०) ५१६ ( घर० ) ५२८ ( हि०) ५२९ ( हि०) ५२८ ( प्रा० ) ६५८ (सं०) ५६० (सं०) ५२६ ८२ (हि०) ५३ (हि०) ८३ (सं०) ८२ रत्नत्रयपूजा रत्नत्रयपूजा ५२, ५३७, ५५५, ५७४, ६०६, ६४०, ६४६, ६५२, ६६४, ७०४, ७०५, ७५६, ७६३ रत्नत्रयपूजाविधान रत्नत्रयमण्डल [[चित्र] रत्नत्रयमण्डल विधान रत्नत्रय विधान रत्नत्रयविधानकथा रत्नत्रय विधामकथा लेखक पं० नरेन्द्रसेन रत्नत्रयव्रतोद्यापन रत्नत्रयव्रतोद्यापन (सं०) ५२६ (सं०) ५२९ ५७५, ६३६ रत्नबी पक ― ऋषभदास ऋषभदास घानतराय रत्नत्रयविधानपूजा रत्नत्रयविधान रत्नत्रयविधि रत्नत्रयव्रतकथा [रत्नत्रयकथा] — खुशालचन्द रत्नत्रयव्रत विधि एवं कथा श्रुतसागर रनकीर्त्ति टेकचन्द आशा धर नीति (सं०) २२०, २४२ (सं०) २३७ (सं०) ५३० (हि०) ५३१ (सं०) २४२ — [ ६१ भाषा पृष्ठ सं० ( सं ० ) ५६४ (सं०) ११६ केशवसेन लतिकीर्ति (सं०) ६४५, ६६५ (हि०) ७३३ (सं०) ५३६ (सं०) ५१३ - (सं० [हिं०) ५१८ (प्रा० ) ६३५,६५५ (हि०) ५३० ( अप०) ५३७ (हिं०) Yar गणपति ५०३, ५२६ (हि०) ५१६ ( हि०) ५१९ ५३०, ६४५, ७४५ (सं०) ६०७ ५.२५ (हिं०) ५३० (सं०) ५३० ५३१,५३८५४० (सं०) २९० Page #926 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ ] [ पन्थानुक्रमणिका प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | प्रथनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० रत्नदीपक (सं०) २९० | रसप्रकरण (i) ३०२ रत्नदीपक रामकवि (हि.) ३५८ , रसप्रकरण (हि.) ३.२ रत्नमाला प्रा० शिवकोटि रसमजरी शालिनाथ (स.) ३०२ रत्नर्मजूसा (सं.) ३१२ रसमंजरी शधर (सं.) ३०२ रत्नमषिका (सं०) ३१२ ग्सनरी भानुदत्त मिश्र (हि०) ३५६ रत्नावलिव्रतकथा गुणनन्दि (हि०) २४६ रसमञ्जरीटीका गोपालभट्ट (सं.) ३५६ रत्नावलिनतक्या जोशी रामदास (सं०) रससागर (हि०) ६८६ रत्नावलिवतविधान कृष्ण दास (हि०) ५३१ रसायन विधि रत्लावलिवतोद्यापत (सं.) ५३६ रसालकुवरकी चौरई नरवर कवि (हि.) ५७७ " रत्नावलिव्रतोंकी तिथियों के नाम - हि०) ६५५ रसिकप्रिया इन्द्रजीत (हि.) ६७६ ७४३ रथयात्रावर्णन - (हि.) ७१६ रसिकप्रिया केशव (हि) ७७१ ७६६ रमल ज्ञान ___ -- (हि. ग०) २६१ रामचीतरणकादूहा - (हि.) ६७५ रमलशास्त्र पं. चिंतामणि (सं०) २६० रागमाला (सं०) ३१८ रमलशास्त्र - (हि.) २६० रागमाला श्याममिश्र रयणशास्त्र ६४ (प्रा.) (हि.) ७७१ प्रा० कुन्दकुन्द रविवार कथा (हि.) ७७५ जैनश्री खुशाल चन्द रागमाला के दोहे (हि.) ७८० रविवारपूजा रागमाला के दोहे (हि.) ७७७ रागरागनियों के नाम रविवारव्रतमण्डल चित्र] - रूपचन्द (हि.) रागु प्रासावरी (मए) रविव्रतकथा ६४१ श्रुतसागर जयकीर्ति रागों के नाम हि.) - रविव्रतक्या (हि.) ७७३ राजनीति कवित रविव्रतकथा [रविवारकथा] देवेन्द्रभूषण (हि.) २३७ देवीदास (हि.) ७५२ राजनीतिशास्त्र चाणक्य (सं०) ६४०, ६४६ राजनीतिशास्त्र जसुराम भास्कवि (हि. ५०) २३७, ५.६५ (हि.) ३३६ रविव्रतकथा रविव्रतक्या भानुकी, (हि.) ७५० राजनीतिशास्त्रभाषा देवीदास (हि.) ३३६ - (हि.) २४७ रविव्रतकथा राजप्रशस्ति --- (सं.) ३७४ ६०३, ७५३ | राजा चन्द्रगुप्तको चौपई ५० गुलाल (हि०) ६२० रविव्रतोद्यापनपूजा देवेन्द्रकीन्ति (सं.) ५३२ | राजादिफल (सं०) २६१ रसकौतुक राजसभारंजन गंगादास हि.) ५७६ | राजा प्रजाको वशमें करने का मन्त्र - (हि.) ५७१ रसकौतुकराजसभारञ्जन - (हि०) ७६२ | राजारानीसम्झाय - (हि.) ४५० Page #927 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (हि.) २३८ २३८ मन्थानुक्रमणिका ] मन्थनाम . लेखक भाषा पृष्ठ सं० । प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० राजुलपच्चीसी लालचंद विनोदीलाल (हि०) ६०० | रामामरणमहाभारतकथाप्रश्नोत्तर - (हि ग०) ५६२ ६१३, ६२२, ६.४३, ६५१, ६८३, ६८५, ७२२, रामावतार [चित्र] रायपसेरणीसूत्र (प्रा०) ४३ राजुलमङ्गल (हि०) ७५३ राशिफल राजुलकी सज्झाय जिनदास (हि०) ७५७ रासायनिकशास्त्र (हि.) ३३० राठोडरतन महेश दशोत्तरी - राहफल (हि०) २६१ रांरपुरास्तवन (हि०) ४५० रक्तविभागप्रकरण (सं०) ४ रांडपुरका स्तवन समयसुन्दर (हि.) ६१८ रिटोमिचरिउ स्वयंभू (प्रप०) ६४२ रात्रिभोजनकथा (सं०) २३८ कमरिणकथा मदनकीति (स०) २४७ रात्रिभोजननाया किशनसिंह (हि.) २३८ रुक्मणिकृष्णजी को रासो तिपरदास रहि०) ७७. रात्रिभोजनकथा भारामल रुक्मरिणविधानकया छत्रसेन (सं०) २४४, २४६ रात्रिभोजनकथा शिविवाह वल्लभ रात्रिभोजनचोपई (हि.) ७८७ (हि.) रात्रिभोजनत्यागवर्णन (हि.) ८४ रुक्मिगतिबाहवेलि पृथ्वीराज राठौड (हि०) ३६४ रापाजन्मोत्सव रूपनविनिश्चय राधिकानाममाला (हि०) ४१४ रुविकरगिरिपूजा भ- विश्व भूपण (सं०) ७३३ रामकवच विश्वामित्र (हि०) ६९७ रुद्रज्ञान (सं०) २६१ रामकृष्णाकाय देबन्न पं० सूर्य सं.) १६४ | रूपमञ्जरीनाममाला गोपालदास (सं०) २७६ रामचन्द्रचरित्र बधीचन्द (हि.) ६९१ . रूपमाला (सं.) २६२ रामरन्द्रस्तवन (सं.) ४१४ | रूपसनचारक (सं०) २३६ रामचन्द्रिका केशवदास (हि.) १६४ | रूपस्थध्यानवर्णन ((सं.) ११७ रामचरित्र [कवित्तबंध] तुलसीदास । (हिं०) ६६७ । रेखाचित्र [प्रादिनाथ चन्द्रप्रभ व मान एवं पार्श्वनाथ] - रामबत्तीसी जगनकवि (हि.) ४१४ ७८३ रामविनोद रामचन्द्र (हि.) ३०२ | रेखाचित्र रामविनोद रामविनोद (हि०) ६४० रेशानदीपूजा [पाहूरकोटिपूजा विश्वभूषण (सं०) ५३२ रामविनोद (हि.) ६०३ । रेदप्रत गंगाराम (सं०) ५३२ रामस्तवन (सं.) ४१४ | रैदवसकया देवेन्द्रकीति (सं०) २३६ रामस्तोत्र (सं०) ४१४ | रैदव्रतकथा - (सं०) २३६ रामस्तोत्रकवच (सं०) ६०१ दिनतकथा प्रजिनदास (हि.) २४६ Page #928 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वन मानस ६४ ] [ प्रन्थानुक्रमणिका प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ संग रोहिणीचरित्र देवनन्दि (मप०) २४३ | लग्नचन्द्रिकाभाषा - (सं.) २६१ रोहिणीविधान मुनि गुणभद्र (अप०) ६२९ | लग्नशास्त्र बद्ध मानसूरि (सं} २९१ रोहिणीविधानकथा (सं०) २४० लघुअनन्तव्रतपूजा (सं०) ५३३ रोहिणीविधानकथा देवनन्दि (र.) २४३ । लघुभिषेकविधान (4.) ५३३ रोहिणीविधानकथा बसीदास हि०) ७८१ लघुकल्याण - (सं०) ५१४, ५३३ रोहिणीव्रतकथा प्रा. भानुकीर्ति (सं०) २३९ लघुकल्याणपाठ (हि.) ७४४ रोहिणीव्रतकथा ललितकीति (सं.) ६४५ लघुचाणक्यराजनीति चाणिक्य (सं०) ३३६ ७१२, ७२० रोहिणीनतकथा नघजातक भोपल (सं.) २६१ रोहिणीव्रतकथा कहानसागर (हि.) ९१० रोहिणीवसकथा (हि.) २३६ न घुजिनसहस्रनाम लघुतत्त्वार्थ सूत्र (हि.) ७६ -- (०) ७४०, ४२ रोहिणीनसकथा रोहिणीव्रतपूजा केशवसेन कृष्णसेन (सं०) ५१२, ५१६ लघुनाममाला हर्षकीसिसूरि (सं०) २७६ लधुन्यासवृत्ति रोहिणीव्रतगूजामंडल [चित्रसहित] - (सं.) ५३२, ७२६ | - (०) २६२ लथुप्रतिक्रमण (प्रा.) ७१७ रोहिणीव्रतमण्डल विधान लथुप्रतिक्रमण - (प्रा० सं०) ५७२ रोहिणीव्रतपूजा रोहिणीवतमण्डल [चित्र] लघुमङ्गल रूपचन्द (हिं०) २४ रोहिणोनतोद्यापन (सं.) ५१३ | लघुमजल ५३२, ५४० । लघुवाचणी (सं.) ६७२ रोहिणीवतोद्यापन (हि.) ५४० : लघुरविव्रतकथा न नसागर (हि.) २४ लघुरुपसर्गवृत्ति (सं०) २६३ लंघनपथ्यनिर्णय सधुशांतिकविधान लक्ष्मणोत्सव श्रीलक्ष्मण (सं०) ३०३ | लघुशांतिकमन्त्र (सं०) ४२४ . लक्ष्मीमहास्तोत्र पद्मनन्दि (सं.) ६३७ । लघुशांतिक मण्डलचित्र] ५२५ लक्ष्मीस्तोत्र पप्रभादेव (सं0) ४१४ | लघुशांतिस्तोत्र - (सं०) ४१४,४२५ ४२३, ४२६, ४३२, ५६६, ५७२, ५७४, ५६६, लघुश्रेयविधि [धेयोविधाम] अभयनन्दि (सं.) ५३३ ६४४, ६४८, ६६३, ६६५, ६७०, ७० ३, ७१६ । लघुसहस्रनाम - (सं०) ३९२ लक्ष्मीस्तोत्र - (सं०) ४१४ | ४२४, ६४०, ६४५, ६५० लघुसामयिक [गठ] - (सं.) २४ लक्ष्मीस्तोत्र धानतराय (हि.) ५६२ ३६२, ४०५, ४२६, ५२७ लग्नचन्द्रिकाभाषा स्योजीराम सोगानी (हि.) ७५१ | लघुसामायिक - (सं० हि.) ५४ Page #929 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (प्रा.) ११७ पचन्द अन्धानुक्रमणिका ] [ ८६५ ग्रन्थनाम लेखक भापा पृष्ठ सं०] ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० लघुसामायिक (हि०) ७१८ | लहरियाजी की पूजा (हि०) ७५२ लघुसामायिकभाषा महाचन्द (हिन) ७१६ लहुरी नाथू (हि.) ६६३ नघुसारस्वत अनुभूति स्वरूपाचार्य लहुरी नमीश्वरको विश्वभूषण (हि०) ५२४ लघुसिद्धान्तकौमुदी वरदराज (सं०) २६३ लादीसंहिता राजमत (सं.) ६४ लघुसिद्धान्तकौस्तुभ - (०) २६३ दावरणी मांगीतु गीको हर्षकीर्ति (हि.) ६६७ लघुम्तोत्र (सं.) ४१५ । लिगपाहुड मा० कुंदकुंद नघुनापन (२०) ५३३ ' लिंगगुराण (40) १५३ लघुम्न नदीका भावशर्मा (सं०) ५३३ लिंगानुशासन (सं०) २७७ लघुरनरविधि (स) ६५८ বিগাহানি (સંs) ૨૭ लघुस्वयंभूस्तोत्र समन्तभद्र (सं०) ५१५ | लीलावतो भाष्कराचार्य (सं.) ३६६ लघुस्वयभूस्तोत्र -- (सं०) ५३७, ५६४ | लीलावतीभाषा व्यास मथुरादास लघुशन्देन्दुशेखर (सं.) २६३ / बुहरी नेमिचन्द (हि०) ६२२ नधिविधानप्रथा पं० अभ्रदेव (सं०) २३६ ! लुहरी लब्धिविधानकथा खुशालचन्द (हि.) २४४ : लोकप्रत्याठ्यानधमिलकथा - (सं०) २४७ लब्धिविधानचौपई भीषमकवि हित) ७७ लोकवर्णन - (हि.) ६२७, ७६३ लब्धिविधानपूजा अभ्रदेव (सं०) ५१३ लब्धिविधानसूजा हर्षकीर्ति (सं.) ३३३ वक्ता श्रोता लक्षण लब्धिविधानपूजा (सं०) ५१३ - (सं०) ३५६ ५३४, ५४० यत्ता श्रोता लक्षण - (हि.) ३५६ लब्धिविधानपूजा ज्ञानचन्द (हि.) ५३४ ववदन्तचक्रवति का बारहमासा -- हि.) ७२७ लब्धिविधानपूजा हि-) ५३४ | वचनाभिकमावति की भावना भूधरदास (हि.) ८५ लब्धिविधानमण्डल [चित्र ५२५ ४४६, ६०४, ७३६ लब्धिविधान उधापनपूजा - (सं०) ५३५ | बचपक्षरस्तोत्र अधिविधानोद्यापन | वनस्पतिसत्तरी मुनिचन्द्रसूरि (प्रा.) ८५ लब्धिविधानप्रतोद्माफ्नपूजा (सं०) ५३४ | वन्देतानकीजयमाल (सं०) ५७२ लब्धिसार नेमिचन्द्राचार्य (प्रा.) ४३, ७३६ | ५६५, ६५५ लब्धिसारटीका -- (सं०) ४३ वरांगचरित्र भत हरि (सं०) १६५ लब्धिसारभापा पं० टोडरमल (हि.) ४ | वरांगचरित्र पं० वर्द्ध मानदेव (सं.) १६५ लब्धिसारक्षपणासारभाषा पं० टोडरमल (हिगध) ४३ | बईमानवथा जयमित्रहल (अप०) १९६ लब्धिसारक्षपणासारसंदृष्टि पं० टोडरमल (हि.) ४३ | वर्द्ध मानकाब्य श्रीमुनि पद्मनन्दि (सं०) १६५ - (सं०) ४१५ (सं०) Page #930 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६६ ] [ अन्धानुक्रमणिका प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० प्रथनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० वद्धमानचरित्र पंकेशरीसिंह (हि०) १५४, १६६ | विज्जुच्चरको जयमाल (हि०) ६३८ वर्गमानद्वात्रिशिका सिद्धसेन दिवाकर (सं.) ४१५ | विज्ञप्तिपत्र हंसराज (हि.) ३७५ वर्तमानपुराण सकलकीर्ति (सं०) १५३ विदग्धमुखमंडन धर्मदास बद्ध मानविद्याकल्प सिंहतिलक (सं.) ३५१ । | विदग्धमुखमंडनटीका विनयरन (०) १६७ वर्द्धमानस्तोत्र मा० गुणभद्र विद्वज्जनबोधक -- (सं.) ८६, ४८१ ४२४, ४२६ विद्वज्जनबोधकभाषा संधी पन्नालाल (हि.) ८६ वर्द्धमानस्तोत्र - (सं०) ६१५, ६५१ | विद्वज्जनबोधकटीका वर्ष बांध -- (सं०) २६१ | विद्यमानबीमतीर्थङ्कारपूजा नरेन्द्रकीर्ति (सं.) ५३५, ६५५ वसुनन्दि श्रावकाचार प्रा० वसुनन्दि (प्रा०) ८५ | विद्यमानबीरातीर्थरपूजा जौहरीलाल बिलाला वभुनन्दिायकावार पन्नालाल (हि.) ८५ (हि.) ५३५ - मसुधारापा विद्यमानबीसतीर्यवराकी पूजा (सं.) ४१५ - (हि०) ५११ वसुधारास्तोत्र विद्यमानबीसतीर्थकरस्तवन मुनि दीप (हि.) ४१५ - (सं०] ४१५. ४२६ विद्यानुशासन - (सं०, ३१२ (सं०) ३५२ वाग्भट्टालङ्कार वाग्भट्ट विमतियां - (हि.) ६५५ वाभिट्टालङ्कारटीका वादिराज (सं, ३१३ विनती अजैराज (हि०) ७७६, ७८३ वाभट्टालङ्कारटीका - सं०) ३१३ विनती बाजिदजी के अडिल्ल वाजिद कनककीति (हि.) ६१३ (हि.) ६२१ विनती वारणी अष्टक व जयमाल द्यानतराय (हि०) कुशलविजय (हि०) ७८२ विनती बजिनदास (हि.) ४२४, ७५७ वारिधेरणमुनिकथा जोधराज गोदीका (हि.) विनती बनारसीदास (हि.) ६१५ वार्तासंग्रह वासुपूज्यपुराण (हि.) ११५ विनती रूपचन्द हि०) ७६५ वास्तुजा (सं०) १३५ विनती समयसुन्दर (हि.) ७३२ वास्तुपूजाविधि (सं.) ५१८ विनती हि०) ७४६ वास्तुविन्यास (सं.) ३५४ विनती गुरुयों की भूधरदास विक्रमचरित्र वाचनाचार्य अभयसोम (हि०) १९६ विनता चौपड़की मान (दि. ७८१ विक्रमचौबोली चौपई अभयचन्दमूरि (हि.) २४० विनतीफारस्तुति • जितचन्द्र (हि) ५०० विक्रमादित्यराजाकी कथा - (हि.) ७१३ विनतीसंग्रह ब्रह्मदेव (हि.) ४५१ विचारगाथा (प्रा.) ७०० विनतोसंग्रह देवाब्रह्म (हि.) ६६५, ७५० विजयकुमारसज्झाय ऋषि लालचन्द (हि०) ४५० विनतीसंग्रह (हि.) ४५० विजयकीर्तिछन्द शुभचन्द (हि.) ३६ ७१०,७४७ विषयवन्धविधान (सं) ३५२ 'विनोदसतसई - (हि.) ६० । Page #931 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्थानुक्रमणिका ] ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ट संक। प्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० विणकसूत्र - (प्रा०) ४३ | वियूकुमारमुनिकथा श्रुतसागर (सं.) २४० विमलनाथपुराण व कृष्णदास (सं०) १५५ विष्कुमारमुनिकथा (सं०) २४० बिमानशुद्धि चन्द्रकीति (सं०) ५३५ विष्णुकुमारमुनिपूजा बाबूलाल (हि०) ५३६ विमानशुद्धिपूजा (सं०) ५३६ विप्रगुपञ्जररक्षा (सं०) ७७० विमानशुद्धिशांतिक मण्डलचित्र] - ५२५ विष्णुसहस्रनाम (सं०) ६७४ विरदावली (सं०) ६५८ विशेषसत्ताविभङ्गी श्रा नेमिचन्द्र (प्रा०) ४३ ७७२,७६५ विश्वप्रकाश वैद्यराज महेश्वर (सं.) ४३ विरहमानतीर्थकरजकड़ी - (हि०) ७५६ विश्वलोचन धरसेन (सं.) २७७ पिरहमानपूजा विश्वलोचनकोशकी शब्दानुक्रमणिका - (सं०) २७७ विरहमारी (सं०) ६५७ विहारकाव्य कालिदास (सं०) १९७ विरहमञ्जरी वीतरागगाथा - (प्रा.) ६३३ विरहिनो का वर्णन (हि., ७७० | बसतो समानद (०) ४२४ विवाहप्रकरण (सं०) ५३६ ४३१, ५७४, ६३४, ७३७ विवाहपद्धति सं०) ५३६ वीतरागस्तोत्र श्रा हेमचन्द्र (सं.) १३६, ४१६ विवाहविधि (सं०) ५३६ वीतरागस्तोत्र - (सं.) ७५८ विवाहशोधन (सं०) २६१ | वीरवरित्र [मनुप्रेक्षा भाग] रइधू (अप०) ६४२ विवेकजकसरी (सं०) २६१ वीर छत्तीसी - बिवेकजकड़ी जिनदास (हि०) ७२२, ७५० वीरजिणंदगीत भगौतीदास (हि.) ५६६ विवेकविलास वीरजिसंदको संघावलि विषहरनविधि संतोषकवि (हि०) ३०३ : मेघकुमार गीत पूनो (हि.) ७७५ विषापहारस्तोत्र धनञ्जय सं.) ४.२ ] वीरवात्रियतिका हेमचन्द्रसूरि । (सं०) १३६ ४१५, ४२३, ४२५, ४२२, ४३२, ५६५, ५७२, | वीरनाथस्तवन (सं०) ४२६ ५६५, ६०५, ६३७, ६४६, ७५८ वीरभक्ति पन्नालाल चौधरी (हि.) ४५० विषापहारस्तोत्रटीका नागचन्द्रसूरि (सं.) ११६ | बोरभक्ति तथा निर्वाणभक्ति - (हि.) ४५१ विषापहारस्तोत्रभाषा अचलकीति हि०) ४१६ ! वीररस के कवित्त हि.) ७४६ ६०४, ६५०, ६७० ५६४, ७४४ वीरस्तवन (प्रा०, ४१६ दियापहारभाषा पन्नालाल (हि.) ४१६ | वृजलालकी बारहभावना (हि.) ६८५ विषापहारस्तोत्रभाषा (हि.) ४३० । वृत्तरत्नाकर कालिदास वृमरत्नाकर भट्ट केदार (सं०) ३१४ विष्णुकुमारपूजा (हि) ६८९ । वृत्तरत्नाकर (सं.) ३१४ Page #932 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (सं.) । प्रन्थानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । अन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सर वृत्तरत्नाकरछन्दटोका समयसुन्दरगणि (सं.) ३१४ | ६०३, ६३६, ६८६, ६६५, ७६८, ७६४ वृत्तरत्नाकरटीका सुल्हणकवि (सं०) ३१४ वैद्यवल्लभ - (सं.) ३०४, ७३८ वृन्दसतई वृन्दकवि (हि.) ३३६ वैद्य विनोद भट्टशङ्कर (सं०) ३०५ ६७५, ७४५, ७५१, ७५२, ७६६ | वैद्यविनोद (हि.) ३०५ वृहदकालिकुण्डपुजा - (सं.) ६३६ । वैद्यसार (सं०) ५३ वृहृदुकल्याण (हिक) ५७ [ वैचामृत माणिक्यभट्ट (मं०) ३०५ वृहद्गुरावलीशांतिमण्डलपूजा | चौसठऋद्धिपूजा] | वैश्याकरणभूषण कौनभट्ट (सं०) २६३ स्वरूपचन्द (हि०) ५४१ | वैश्याकरणभूषण (सं.) २६३ खुद्घटाकर्णकल्य कवि भोगीलाल (हि०) ७२६ | वैराग्यनीत [उदरगीत] छीहल बृहद्वारिणक्यनीतिशास्त्रभाषा मिश्ररामराय (1) यौन भारत (हा) ४१६ वृहदुचारिणत्वराजनीति चाणक्य (सं०) ७१२ | वैराग्यपच्चीसी भगवतीदास (हि.) ६८५ बृहज्जातक भट्टोत्पल सं०) २६१ | वैराग्यशतक भतृहरि (सं) ११७ वृहदनवकार - (सं०) ४३१ | व्याकरण बृहप्रतिक्रमण (10) ८६, ७ ध्याकारण्टीका (c) २६४ वृहदप्रतिक्रमण (प्रा०) ८६ | शाकरणभाषाटीका (मं०) २६४ वृहदषोडशकारगपूजा (सं.) ५०६, ७३० प्रतकमाकोश पं. दामोदर (म०) २४१ बृहन्शांतिस्तोत्र सं.) ४२३ प्रतकथाकोश देवेन्द्रकीर्ति सं०) २४२ बृहदरमपन विधि (सं०) ६५८ प्रतकथाकोश श्रुतसागर (सं०) २४१ बृहदुस्वयंभूस्तोत्र समन्तभद्र (म) ५७२ प्रतकथाकोश सकलकीति (०) २४२ ६२८, ६९१ प्राधा कोश (सं०) २४४ वृहस्पतिविचार व्रतकथाकोश - (संग्रा०) २४२ वृहस्पतिविधान (सं०) ५४० प्रतकथाकोश खुशालचन्द (हि.) २४४" वृहसिद्धचक्र | मण्डलचित्र] प्रतकथाकोश वैदरभी विवाह पेमराज (हि०) २४० अतकथासंग्रह (सं.) २४६ वैद्मकमार (सं०) ३०४ ग्रतकथासंग्रह (अप०) २४५ वैद्यकसारोद्धार हर्षकीतिसूरि (म०) ३.५ व्रतकथासंग्रह महतिसागर (हि०) २४६ वैद्यजीवन लोलिम्बराज (सं.) ३०३, ७१५ | व्रतकथासंग्रह (हि.) २४७ वैद्यजीवनग्रन्थ - (सं०) ३०३ | प्रतजयमाला सुमतिसागर (हि) ७६५ वैद्यजीन नटोका रुभट्ट (सं०) ३०४ नतनाम (हि.) ५३६ बैद्यमनोत्सव नयनसुख (हि०) ३०४ / वतनामावली gilli li lllulli ilihali Page #933 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्धानुक्रमणिका ] | Ek मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | ग्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सः निर्णय मोहन (०) ५३६ | पटाहुइ [भूत] आ कुन्दकुंद (प्रा.) ११७, ७४८ व्रत जासंग्रह (6) ५३.७ | पाहुइटी श्शनसागर रा०) ११६ व्रतविधान - (हि.) ५३८ बदलाहटटीचा (सं.) ११८ वभिधान रामो दौलमा घी (ह। १३:... चामा (i०) ७५७ प्रतविवरण () ५३८ षट रसवधा (सं.) ६८३. वाविवरण (हि०) ५३८ पर लेश्यावान - (सं.) ७४८ बतसार अाशिवकोटि (सं.) ५.३८ । पटलेश्यावर्णन व्रतसार (सं.) ८७ षलेंदयावलि हर्षकीर्ति (हि.) ७४५ जनसंख्या पट्दस्वालि साह लोहट ब्रतामापनश्रावकाचार एटमहगानवर्गन मरिन्द (ह) ८८ व्रतोद्यापनसंग्रह पड़ाएशनवार्ता ०) १३१ प्रतोपवासवर्णन (सं०) पदर्शनविना ब्रतोपवासवर्णन बदनामुबय हरिभद्रसूरि (सं०) १३६ प्रतों के चिन्न | पदर्शनरामुच्चयटीका - व्रतोत्री तिथियों का ब्यौरा | पांगरामुच्चय गरतनसूरि (सं.) १६१. यतों के नाम पटभात्तापराउ (०) ७५२ व्रताका ब्यौरा | पड्भक्तिवान - ०) ८. परणवतिक्षेत्रपालभूना विश्वसेन (0) ५१६, ५४६ षट्यावश्यक [लघु सामायिक महाचन्द (हि.) ९७ | पष्ठिशाक टपण भक्तिलाल (सं) ३३६ पट्मावश्यकविधान पन्नालाल (हि.) ८७ | पप्ट्याधिकशतक टीका राज .सोपाध्याय (सं०) ४४ पट गानुवर्णनवारहमासा जनराज (हि.) ६५६ गोडसकारणउद्यापन - सं०) ५४२ पटकमकाथन - (सं.) ३५२ / पोशकारणकया ललित कीति (सं०) ६४५ षट्कर्मोपदेशरत्नमाला [छक्कमोवएसमाला) पीडयाकारण जयमाल - (प्रा०) ५४१ महाकवि अमरकीत्ति (प्रा०) ८८ | दोशकारराजयमान - (प्र: सं.) ५४२ पट्कर्मोपदेशरत्नमालाभाषा पंडि लालचन्द्र (हि०) ५८ | षोडशकार जयमाल रइथू (अर०) ५१७, ५४२ पद पंचासिका बराहमिहर (सं०) २६२ | पोडशकारण जयगाल - अम०) ५४२ षट्पशासिका पोध्यावाराजयमाल - हिन०) ५४२ षट्ाश्वासिकावृत्ति भट्टोत्पल (२०) २६२ / षोडगवारणा जा [पोसकारणवतोद्यान पदपाठ (सं०) ४१७ | केशवसेन (सं०) ५१६, ५४२, ६७६ पर पाठ बुधजन (हि०) ४१६ | षोडशकारणापूजा भूतसागर (सं.) ५१० . . . Page #934 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० । अन्धानुक्रमणिका ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पृष्ठ न प्रन्यनाम लेखक भाश पुन मं षोडपका रणपूजा [पोडस्कार राबतोद्यापन पूजा | शत्रुञ्जयतीर्थरास [शशुञ्जयराम मुमनिसागर ! ५१७, ५.४३, ५१.७ समयसुन्दर (सं०१ ६१७, ७०० षोडपकारगपूजा - (०) ५१५. | शत्रुतयभाम राजममुद्र (हि.) १६ ५३३, ५४२, ५४३, ५६, ५७४, ५.६४, ५९६ | २१६०२७६, १.६४, ५९२ | अयस्तवन राजसमुद्र (हि, ६१६ ६.०७, १४, ६५, ७६३ | शनिश्वरदेवको कथा बुशालचन्द्र (हि०) ६८३ षोडशवारगापूजा खुशालचन्द (ह०। १६ शनिश्चरदेवकीकथा शनिश्वर क्या) - (हि.) १६२ षोडशकारण पूजा यानत राय (हि०। ७०५ | ६६४,७११, ७१३, ७१४, ७२३, ७४३, ७८६ षोडशकारगागावना - (पान) | दानिश्चरदृष्टित्रि चार (सं.) २६३ षोडशवारणभावना पं. सदासुख (हिग०। ८ ' शनिस्तोत्र (सं.) ४२४ पोउपकारगाभावना - (हि०) ६ शब्दप्रभेद ब धातुप्रभेद श्री महेश्वर । सं०) २४७ में पोडशकारगा भावनाजयमाल नथमल शब्दरल (सं०) २७७ पोडशकारणभावनाव: न वृत्ति पं० शिवजीज्ञाल (०) ८८ शन्दा पानि (सं०) २६४ षोडशकारण विधागा पं० श्रध्देय रा०) २२० । साब्दरूचिरणी अाचररुचि (०) २६.४ शब्दशोभा ऋषि नीलकंठ २४२, २.४५, २३७ (सं०। २६४ शब्दानुशासन हेमचन्द्राचार्य पोडाकारणविधानकधा मदनकोत्ति (म) ५१४ गन्दानुशासनवृत्ति हेमचन्द्राचार्य (सं.) २६४ षोडशकारणयतकथा खुशालचन्द (हि०) २४४ शारदुत्सवदीपिका [मण्डल विधानपूजा] षोडदाका रणवत कथा - गुत्र.) २४७ सिंहनन्दि (सं०) ५४३ षोडगकारणाप्रतोद्यापगपूजा राजकीनि (सं) ४३ शहरमारोठ की पत्री मुनि मही चन्द (हि.) ५६२ श शाक्टायनन्यावरग शाकटायन (सं) २६५ माम्बुप्रय म्नप्रबन्ध समयसुन्दरमणि (२) १६. यान्ति कनाम . शकुनर्विचार - (i) २६२ शान्तिक रस्तोत्र विद्यासिद्धि (प्रा.) ६८१ र शकुनशास्त्र शान्तिकरस्तोत्र सुन्दरसूर्य (प्रा०) ४२३ • शकुनाबली गर्ग (स.) २६२ | शान्तिकविधान - शाकुनावलो - (सं.) २६२, ६०३ | शान्तिकविधान (वृद्) (सं०) ५४४ शकुनाबली अश्वजद (हि.) २६२ | शान्तिकानि अर्हदेव (सं०) ५४४ शकुनावली - (हि०) २६३, ६४३ शान्तिक होमविधि (सं.) ६४६ शतप्रष्टत्तरी - (हि०) ६८६ | शान्सिघोषणास्तुति (i) ४१७ शतक -- (सं०) २७७ | शांतिच पूजा (सं०) ५१७ पाशुञ्जगिरिपूजा भ: विश्वभूपण (सं० ५१३, ५४३ / शांति चक्रमण्डल (चित्र) Page #935 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्यानुक्रमणिका ] ग्रन्थनाम शान्तनायनरित्र शांतिनाथ चरित्र शांतिनाथपुराण शशिनाथपुराण शांतिनाथ पूजा शांतिनावपूजा शांतिदायस्तवन शांतिनाथस्वन शांतिनाथ स्तवन शांतिनाथस्तोत्र शांतिनामस्तोत्र शांतिनाथस्तोत्र शांतिनावस्तोत्र ७३३, ७५८ शांतिपाठ (बुद्ध) शांतिपाठ शांतिपाठ शांतिपाठ शांतिमंडल पूजा शांतिरत्नसूत्री शांतिनिधि शांतिविधान लेखक अजितप्रभसूर सः सकलकीर्त्ति महाकवि अश खुशाल चन्द्र रामचन्द्र गुणसागर ऋषि लालचंद शांतिस्तवन शांतिमंविधान शारदाष्टक भुनि गुणभद्र गुरणन्द्र स्वाभी मुनिभद्र (सं०) ४१७, ७१५ (सं०) ३८३ ४०२, ४१८, ६४६, ६७३, ७४५ शांतिपाठ (२०) ४१८ ४२८,५४५, ५६९, ६४०, ६६१, ६६७, ७०४, ७०% - धाननराय भाषा पृष्ठ सम मन्थनाम (सं०) १९८ शारदाष्टक (सं०) १०= शारदाष्टक (सं०) १५५. शारदीनाममाला (हि०) १४५ शार्ङ्गधरसंहिता (हि) ५४५ शाङ्गधरहिवाटीक ( रा ० ) ( - ) (हि०) (हि०) (०) ६१४ | शालिभद्रग्रहामुनिमाय (iv) ७२२ शालिभद्रराज्य गालिहोत्र शालिहोत्र [कित्सा ] P ( नं०) ५४५ ( हि०) ५१९ (हिं०) ६४५ (हि०) ५०६ शास्त्रपूजा (१०) ५०६ शास्त्रप्रवचन प्रारंभ करते (सं०) ५४५ (सं०) ५४० (सं०) ४१६ आचार्यशांतिमारपूजा भगवानदास (हि) ४६१, ७०६ देवसूरि (०) ४१६ आशाघर क बनारसीदास शार्ङ्गधर नाइमल ५०६ दालिनी ई जितसिंहसूर ४१७ | शालिभद्रमहामुनिगज्भाय ७०२ शालिभद्र चौपाई ४१७ | शालिभद्रा गई जिनमसूरि शालिहोत्र [ 'चवित्सा शास्त्रगुरु जयमाल मात्जियमाल शास्त्र जयमाल दास्त्रिपूजा की विधि शास्त्रजी कागंडल [ चित्र शासनदेवदाचनवियान शिक्षाम शिखविलास शिवरविलास जा (सं०) ५४५. (सं०) ४२४ शिखविलाराभाषा (fax) vot (हि०) ५.७० (सं०) २७७ (मंत्र) ३०४ (नंत ३०६ (हि) ७०० (हि०) ६१२ मतिसागर (हि) १९८ ७२६ () २५३ (हिं०) ६१६ (हिप) ७३४ (सं०) ७३० -- 7 पं० नकुल (सं०- हि०) ३०६ ज्ञानभूषण [१ भाषा पृष्ठ सं नवलराम रामचन्द्र धनराज (सं०, ३०६ (प्रा) ५.४५ ( सं ० ) (प्रा०) ५६५ ४५५ सं०) ५.३६ ५६४ ५६५ ६५.२ (हि-) ५१६ (सं०) ५४६ 삼국시 (सं०) ५४६ (हि०) ६६८ (हि०) ६६३ (हि०) ५४६ (हिं०) ७९३ Page #936 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुद्रभट्ट ८७२ ] [ ग्रन्थानुक्रमणिका प्रन्थनाम लेम्बक भाषा पृष्ठ मं० प्रथनाम लेखक भापा पृष्ठ स शिलालेखसंग्रह (२०) ३७५ शृगार कवित शिलोच्छकोशकवि सारस्वत (n) . २७७ | शृगार तिलक कालिदास (रां ३५६ शिवराधि उद्यापनविधिकथा शंकरभट्ट (नं.) २४० | गृ गारतिलक (सं.) ३५९ शिशुपालवः दस हजार रसकेकवित्त (हि०) ७७० शिशुपालवधटीका मल्लिनाथसूरि (क) १८६ | | शृगाररस के फुटकरछंद - शिशुबोध काशीनाश्च रा) २६५ ] गारसया (हि.) ७६७ २६३, ६०३, ६७२,६७५ | श्यामबत्तीसी नन्ददास (हि.) ६८४ शीतलनाथगूजा (मं.) ५४६, ७६५ श्यामसीसी श्याम शीतलनाथस्तवन ऋषिलालचंद (हित) ४५१ | श्रवणभूप नरहरिभद्र (सं.) १६ शीतलनाथस्तवन समयसुन्दरमणि (राज.) ६१६ श्रावहिवम्मणसूत्र (प्रा०) १ शीतलाष्टक श्रावकउत्सत्तिवर्णन (हि.) ३७५ शीलकवा भारामल्ल (हि.) २४७ श्रावककीकरणी हषकीति (हि.) २६७ योलमववाड - (हि०) म धाववानिया - (हि०) ७५७ शोलबत्तीसी अकूमल (हित) ७५० थावकधर्मवर्णन (सं०) १ शीलबत्तीसी -- (हि.) ६१६ | श्रावधतिक्रमण -- (सं.) ६, ५७५ शील रास नारायमल्ल (हि० ७४६ | धावप्रतिक्रमण - (प्रा.) ६ शोलरात बिजयदेवसूरि (हि०) ३६५, ६१७ | श्रावरमप्रतिक्रमण - (सं००) ५७२ शोलविधानकथा - (सं० २४६ भानकप्रतिक्रमण - (प्रा०) ७४ शीलवतके भेद - (हित) ६१५ श्रावकप्रतिक्रमण –(प्रा. हि.) ६८ शीलसुदर्शनराम्रो बायकन तक्रमण पन्नालालचौधरी (हि.) ८९ शालोपदेशमाला मेरूसुन्दरगणि (गुज०) २४७ भावनधारश्चित्त वीरसेन (सं०) ६ (स०) २४ श्रावकावार उमास्वामि (सं.) १० शुक्लपंचमीव्रतपूजा (सं.) ५४ श्रावकाचार अमितगति (म.) १० शुक्लपंचमीयतगूजा (सं.) ५४६ थानकाचार आशाधर (सं०) ६३५ शुक्लपंचमीव्रतोद्यापन (सं०) ५४६ थावकावार (सं०) १० शुद्धिविधान देवेन्द्रकीर्ति (सं०) ५१८ भावकादार पद्मनंदि शुभमालिका श्रीधर (सं.) ५७४ | श्रावकावार पूज्यपाद (सं०) १० शुभमुहूर्त ... (हि०) ५६६ | श्रावकाचार सकलकत्ति (संस) ६१ शुभसीख - (हि.ग.) ३३६,७१८ | श्रावकावार (सं.) १ शुभाशुभयोग - (सं.) २९३ | श्रावका वार (प्रा.) ६१ शुक्रसप्तति गुग्णभूषणाचार्य Page #937 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - WAM श्रुतभक्ति प्रन्थानुक्रमणिका ] [ 5७३ प्रधनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० श्रावकाचारदोहा रामसिंह (अप०) ६४२, ७४८ | | श्रीवंतजयस्तोत्र -- (प्रा०) ७५४ थावकाचारभाषा पं० भागचन्द (हि.ग.) ९६ | थीस्तोत्र श्रावकाचार श्रुतमान पूजा - (सं०) ७२७, ५४६ श्रावकों की उत्पत्ति तथा ८४ गोत्र -- (हि.) ४५६ श्रुतज्ञान भक्ति (रा.) ६२७ श्रावकों की चौरासी जातियां - (हि.) ३७५ । श्रुतज्ञानमण्डलचित्र (स.) ५२५ थावकों को वहत्तर जातियां - (संहि.) ३७५ ] श्रुतज्ञानवान मावणीद्वादशीउपाख्यान - (सं०) २४७ शुनव्रतोद्योतनपूजा (हि.) ५१३ श्रावणीद्वादशी कथा पं0 अभ्रदेव (सं०) २४२, २४५ श्रुतज्ञानवतोद्यापन श्रावणीद्वादशीकथा (सं०) २४८ श्रुतभक्ति श्रीपतिस्तोत्र चनसुखजी (सं०) ४१८ श्रुतभक्ति (सं०) ४२५ श्रीपालकथा - (हि.) २४८ पन्नालाल चौधरी (हि.) ४५० श्रीपालपरित्र अ० नेभिदत्त (रा) २०० श्रुतज्ञानमालपूजा - (सं०) ५४६ श्रीपालचरित्र भ० सालकीर्ति (सं.) २०१ श्रुत्तज्ञानमतोद्यापन গীলিস্তি (सं०) २०० श्रुतर्फचमी कथा स्वयंभू (मप०) ६४२ श्रीपालचरित्र अर०) २०१ ध्रुतपूजा शानभूषण (सं०) ५३५ श्रीपालचरित्र परिभल्ल (हि.प.) २२, ७७३ श्रुतपूजा - (सं) ५४६ थीपालनरिव - (हि.) २०२ ५६५, ६EE श्रीपालचरित्र -- (हि.) २०३ श्रुतबोध कालिदास (सं०) ३१५, ६१४ श्रीपासदर्शन श्रुतबोधटीका मनोहरश्याम (सं०) ३१५ श्रीपालराम जिनहर्ष गण (हि.) ३६५ श्रुतबोध वररुचि (सं.) ३१५ श्रीपालरास अकरायमल्ल (हि.) ६३८ श्रुतबोधटीका - (सं०) ३१५ ६.८४, ५१२, ७१७, ७४६ श्रुतबोधवृत्ति दृषकीर्ति (सं.) ३१५ बीपालविनती (हि.) ६५१ श्रुतस्कंध म हेमचन्द (प्रा.) ३७६ श्रीपालस्तवन - (हि.) ६२३ ५७२, ४०६,७३० श्रीपालस्तुति -- (सं.) ४२३ | श्रुतस्कंधपूजा श्रुतसागर (सं.) ५४५ ७४५, ७५२, ५८४, श्रुतस्कंधपूआ - (सं.) ५४७ श्रीपालजी कीस्तुति टीकमसिंह (हि.) ६३६ ध्रुतस्कंधपूजा [ज्ञानपंचविक्षतिपूजा] थीपालजीकोस्तुति भगवतीदास (हि.) ६४३ सुरेन्द्रकीत्ति (सं.) ५४७ श्रीपालस्तुति (हि.) ६०५ श्रुतस्कंधपूजाकथा - (हि.) ५५७ ६४४, ६५० । श्रुतस्कंधमंडल [चित्र - ५२४ Page #938 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७४ ] [ ग्रन्थानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा घुछ सं०, अन्धनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० श्रुतस्कंधविधानकथा पं0 अभ्रदेव (सं.) २४५ | संथाराविधि (सं०) ५४० श्रुतस्कघातकथा वज्ञानसागर (हि.) २२८ | संदृष्टि (स) ५७३ श्रुतावतार पं० श्रीधर (सं.) ३७६, ५७२ | सबन्धविवक्षा (२०) २६५ श्रुताष्टक - (०) ६५७ संबोधयक्षरबावनी द्यानतराय (हि.) ११६ श्रेणिकचरित्र भ० शुभचन्द (सं.) २०३ सबोधपं चासिका गौतमस्वामी (प्रा.) ११६, १२८ अंगिकचरित्र भ० सकलकीति (सं०) २०३ सबोधपचासिका (प्रा०) ५७२ श्रेगिकरित्र - (प्रा०) २०३ ६२८, ७०६, ७५५ श्रेणिकचरित्र विजयकीर्ति (हि.) २०४ | संबोधरं चासिका रहधू (मप०) १२८ श्रेणिकचौपई हूगा वैद (हि.) २४८ संबोधपंचासिका (अप०) ५७३ श्रेणिकराजासज्भाय समयसुन्दर (हा संगोधम्मारिका चामतराय (हि.) ६०५ श्रेयांसस्तवन विजयमानसूरि (हि०) ४५१ ६४८, ६८५, ६६३, ७१३, श्लोकवात्तिक श्रा विद्यानन्दि (सं.) ४४ ७१६, ७२५ संबोधपंचासिका - (हि.) ४३० श्वेताम्बरमतकेचौरासीदोल जगरूप (हि०) ७७६ संबोधशतक - धानतराय श्वेताम्बरमतकेचौरासीबोल (हि०) ५८२ (हि०) १२८ संबोधसतरी - (प्रा.) १२८ श्वेताम्यरों के ८४ बाद ___-- (हि.) ६२६ संबोधसत्तारण वीरचन्द (हि०) ३३६ संभवजिनस्तोत्र मुनिगणनन्दि (सं०) ४१६ सङ्कटचौथव्रतकथा देवेन्द्रभूषण (हि.) ७६४, संभवजिणणाहचरिउ . तेजपाल (अप०) २०४ - सङ्कटचौपईकथा संभवनाधाद्ध डी (हि.) ७४१ (अप०) ५७६ संक्रांतिफल - (सं.) २६३, २६४ संयोगपंचमीकथा धर्मचन्द्र (हि.) २५३ संक्षिप्तवेदान्तशास्त्रप्रक्रिया (सं०) १४० संयोगबत्तीसी मानकवि (हि०) ६१३ - (हि.) ६१८ - संवत्सरबान संगीतबंधारजिनस्तुति (हि.) ३७६. संवत्सरीविचार - हि ग) २६४ संग्रहणीबालाबोध शिवनिधानगणि (प्रा०हित) ४५ संसारपदवी (हि०) ७६२ संग्रहणीसूत्र - (प्रा.) ४५ संसारस्त्ररूपवर्णन संग्रहसूक्ति (सं०) ५७५ संस्कृतमंजरी (सं०) २६५ संघपणटपत्र (प्रा०) ३२३ संहनननाम (हि.) ६२६ संधोतरत्तिकथम __ (हि०) ६२६ सकलीकरण (सं.) ५४८ संघपच्चीसी बानतराय (हि.) ३७६ | सकलीकरणविधि (सं.) ५१४, ५७८ संज्ञाप्रक्रिया (सं०) २६५, २६७ सकलीकरणविधि (सं०) ५१५ संतानविधि ५४७, ६३६ Page #939 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय . . N मन्धानुक्रमणिका ] पन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ट सं० सज्जनचित्तवल्लम मल्लिपेण (सं०) ३३७, ५७३ सप्तपदार्थी शिवादित्य (सं.) १४० सज्जनश्चितवल्लभ शुभचन्द (सं.) ३३७ | सप्तपदार्थी - (सं०) १४० सज्जनचित्तवल्लभ - (सं.) ३३७ समपदी -- (संत) ५४८ सज्जनविसबालभ मिहरचन्द (दि. ३७ सप्तगरमस्थान खुशालचन्द (हि०) ७३१ सज्जनचित्तवल्लभ हलाल (हि.) ३३७ सत्तपरमस्थानकथा श्रा० चन्द्रकीर्ति (सं.) २४६ सज्झाम [चौदह बोल] ऋपि रामचन्दर (हि.) ४५१ सप्तपरमस्थानकपूजा - (सं०) ५१७, ५४६ समयसुन्दर (हि०) ६१८ सप्तपरमस्थानवतकथा खुशालचंद्र (हि०) २४४ सतसई बिहारीलाल (हि.) ५७६, ७६८ सप्तपरमस्थानव्रतोद्यापन - (सं.) ५३९ सलियों की सज्झाय पिछजमलजी (हि.) ४५१ सप्तभंगीवारणी भगवतीदास (हि०) ६८ सत्तरभेदपूजा साधुकीति (हि.) ७३५, ७६० सप्तविधि सत्तात्रिभंगी नेमिचन्द्राचार्य (प्रा०) ४५ सष्तव्यसनसनकथा पा० सोमकीर्ति सप्तव्यसनकथा ससाद्वार (हि०) २५० - (सं०) भारामल ४५ सद्धापितावली सकल कीत्ति (सं.) ३३८ सप्तव्यसनकथा भाषा - (हि०) २५० सद्भाषितावलीभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) ३३८ सप्तव्यसनकवित्त बनारसीदास (हि०) ७२३ सप्तशती गोवर्धनाचार्य (सं०) ७१५ सद्भाषितावली (सं.) सप्तश्लोकीगीता सन्निपातकलिका १२ (सं०) ३०७ सन्निपातनिदान (सं.) ०६ सप्तसूत्रभेद सन्निपातनिदानचिकित्सा बाहडदास (सं०) ३०६ सभातरंग सन्देहसमुच्चय धर्मकलशसूरि (सं.) ३३८ सभागार - (सं०) ३३६ सन्मतितर्क सिद्धसेनदिवाकर (सं०) १४० सभागार --(सं. हि.) ३३८ सप्तर्षिजिनसवन (प्रा०) : ६१६ सभासारनाटक रघुराम (हि०) ३३८ सप्तषिपूजा जिरणदास (सं०) ५४८ समवितढ़ाल आसकरण (हि०) २ ससर्षिपूजा देवेन्द्रकीति (सं.) ७६६ समक्तिविरगवोधर्म जिनदास (हि.) ७.१ सतषिपूजा लक्ष्मीसेन (सं० ५४८ समंतभद्रकथा जोधराज (हि०) ७५८ सप्तपिपूजा विश्वभूषण (स.) ५४८ समंतभद्रस्तुति समंतभद्र (सं०) ७७८ ससपिपूजा (सं०) ५४६ समयसार (गाथा) कुन्दकुन्दाचार्य (प्रा०) ११६ समऋषिमंडल [चित्र] (सं०) ५२४ ५७४, ७०३, ७६२ ससनपविचारस्तवन (सं०) ४१८ | समयसारकलशा अमृतचन्द्राचार्य (सं०) १२० समनयावबोध मुनिनेत्रसिंह (सं.) १४० | सममसारकलशाटीका - (हि.) १२५ Page #940 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७६ ] _ [ ग्रन्थानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० समयसारवलशाभाषा - (हि.) १२५ । समाधिमरण (अर०) ६२८ समयसारटीका - (सं०) १२२, ६६५ | समाधिमरणभाषा पन्नालालचौधरी (हि०) १२७ समयसारनाटक बनारसीदास (हि०) १२३ | समाधमरणभाषा सूरचन्द (हि०) १२७ ६०४, ६३६, ६८०, ६८३, ६८८, | समाधिमरा - (हि.) १५, १२७ ६८६, ६६४, ७७२, ७१६, ७२०, ७१०, ७४८ ७३१, ७५३, ७५६, समाधिमरण पाठ द्यानतराय (हि.) १२६,३९४ ७७८, ७८७. ७६२ समाधिमरण स्वरूपभाषा - हि०) १२७ समयसारभाषा जयचन्दछाबड़ा (हि.१०) १२४ | समाधिशतक पूज्यपाद (सं.) १२७ समयसारकचमिका १२५ समाधिशतकटीका प्रमाचन्द्राचार्य (सं०) १२७ समयसारभृत्ति अमृतचन्द्रसूरि (सं०) ५७५, ७६४ | समाधिशतकटीका (२०) १२८ समयसारवृत्ति --- (०) १२२ / समुपायतन विश्वसेन (सं.) ४१६ समरसार रामबाजपेय (सं०) २६.४ समुद्घासभेद - (सं.) २ समवदारणपूजा मलितकात (सं०) ५ सम्मेदगिरिपूजा --- (हि.) ७३६,७४० समवशरणजा रत्नशेम्बर (सं०) ५३७ | सम्मेदशिखरपूजा गंगादास (सं.) ५४६ ७२७ समवशरणपूजा [वृहद] रूपचन्द (सं०) ५७६ | सम्मेदशिखरपूजा पं० जवाहरलाल (हि.) ५५० समवशरणपूजा - (सं०) ५४६, ७६७ सम्मेदशिखरपूजा भागचन्द्र समवशरणस्तोष विष्णसेन मुनि (सं) ४१६ सम्मेदशिस्तरपूजा राम चन्द (हि.) ५५० समवशरणस्तोत्र विश्वसेन (सं०) ४१५ सम्मेदशिखरपूजा (हि.) ५११ समवशरणस्तोत्र - (सं.) ४१६ ५१८, ६७२ सभस्तत्रत को जयमाल चन्द्रकीर्ति (हि०) ५६४ | सम्मेदशिखरनिर्वाणकाण्ड - (हि.) ५६६ समाधि - (अप) ६४२ | सम्मेदशिखरमहात्म्य दीक्षित देवदल (सं०) २ . समाधिलन्न पूज्यपाद (सं. १२५ सम्मेदशिखरमहात्म्य मनसुखलाल (हि.) १२ समाधितंत्र - (सं०) १२५ , सम्मेदशिखरमहात्म्य लालचन्द (हि. ५०) ६२, २५१ समाधितात्रभापा नाथूरामदासी (हि.) १२६ | सम्मेदशिखरमहात्म्य समाधितन्त्रभाषा पर्वतधर्मार्थी (हि.) १२६ | सम्मेदशिखरविलास केशरी सिंह (हि०) २ समाधिताधभापा माणकचन्द (हि.) १२५ सम्मेदशिखरबिलास देवाब्रह्म (हिप) ३ समाधितन्त्रमापा (हिग०) १२५ सम्यक्त्तकौमुदीकथा खेता (सं०) ५५१ समाधिमरण - (सं०) ६१२ | सम्यक्त्वकौमुदीकथा गुणाकरसूरि (२०) २५१ समाधिमरण (प्रा.) १२६ | सम्यक्त्वकोमुदीभाग १ सहरणपाल (नप०) ४२ Page #941 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मन्थानुक्रमणिका ] [ ८ ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० | मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० समन्धदशमीमतोद्यापन - (सं०) ५५५ | सुभाषितपद्य - (हि.) ६२३ सुगुरुणतक जिनदासगोधा (हि०प०) ३४०,४४७ | सुभाषितपाठसंग्रह - (संहि.) ६६८ मुगुरूस्तोत्र - (सं.) ४२२ | सुभाषितमुक्तावली (सं.) ३४१ सहयवच्छ्सालिंगाकी चौपई मुभाषितरत्नसंदोह समितिगति (सं.) ३४१ मुनिकेशव (हि.) २५४ सुभाषितरत्नसंदोहभाषा पन्नालाल चौधरी (हि.) ३४१ भुदयवच्छसालिंगारीवार्ता - (हि०) ५३४ सुभाषितसंग्रह - (सं.) ३४१, ५७५ सुदर्शनचरित्र (सं०) २०८ सुभाषितसंग्रह - (प्रा.) ३४२ सुदर्शनचरित्र मुमुदाविद्यानंदि। (सं०) २०६ सुभाषितसंग्रह - (संहि०) ३४२ सुदर्शनचरित्र भ सकल कीत्ति (सं.) २०८ सुभाषितार्णक शुभचन्द्र (सं०) ३४१ सुदर्शनचरित्र - (सं०) २०६ सुभाषितावली सकलकीति (सं०) ३५३ सुदर्शनरित्र सुभाषितावली - (सं.) ३४३, . सुदर्शनरास अकरायमल्ल (हि.) ३६६ सुभाषितावलीभाषा बा. दुलीचन्द (हि.) ३४४ ६२६, ७१२, ७४६ | सुभाषितावलीभाषा पक्षालालचौधरी सुदर्शनसेटकोदाल [कथा] (हि०) ३४४ मुदामाकोबारहखडी (हि.) ७७६ | सुभाषितावली भाषा - (हि०प०) ३४४ सुदृष्टितरंगिणीभाषा टेकचन्द | सुभौमवरित्र भ० रतनचन्द (सं०) २०६ सुदृष्ठित गिरणीभाषा (हि.) १७ | सुभौमचत्तिरास नजिनदास (हि०) ३६७ सुन्दरबिलास सुन्दरदास (हि०) ७४५. | सूक्तावली - (सं०) ३४५, ६७२ मुन्दरशृङ्गार महाकविराय (हि०) ६.३ सूक्तिमुक्तावली सोमप्रभाचार्य (सं.) ३४४, ६३५ सुन्दरगार सुन्दरदास (हि०) ७२३, ७६८ | सूक्तिमुक्तावलीस्तोत्र - (सं.) ६०६ सुन्दरशृङ्गार -- (हि.) ६८५ | सूतकनिर्णय (सं.) ५५५ सुपादनाधपूजा रामचन्द (हि०) ५५५ | सूतकवर्णन [ यशस्तिलक से ] सुप्पय दोहा - (प्रप०) ६२८ सोमदेव (सं.) ५७१ सुप्पथ दोहा (अप०) ६३७, सूतकवर्णन (सं०) ५५५ सुप्पय दोहा (हि०) ७६५ | सूतकविधि (सं०) ५७६ सुप्रभातस्तवन - (सं.) ५७४ | सूत्रवृलांग (प्रा.) सुप्रभाताष्टक यति नेमिचन्द्र (सं०) ६३३ / सूर्यकवच (सं०) ६४० सुप्रभातिकस्तुति भुवनभूषण (सं०) ६३३ / सूर्यकेदशनाम (सं०) ६० (सं.) ५७५ / सूर्यगमनविधि (सं०) २६५ (हि.) ७०१ | सूर्यप्रतोद्यापनपूजा न जयसागर (सं.) १५७ सुभाषित सुभाषित Page #942 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तुति ८७८ ] [ ग्रन्थानुक्रमणिका प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । मन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ स० . सूर्यस्तोत्र -- (सं०) ६४, ६६२ | सोलहसतियोंकेनाम राजसमुद्र (हि.) ६१९ सोनागिरिपच्चीसी भागीरथ (हि.) | सोलहसतीसरझाय - (हि) ४५२ सोनागिरिपच्चीसी - (हि.) ६६२ | सौंदर्यलहरी स्तोत्र (सं०) ४२२ सोनागिरिगुजा आशा (0) ५५५ सौंदर्यलहरीस्तोत्र भट्टारक जगद्भपण (सं०) ४२२ सोनागिरिपूजा (हि.) ५५६ | गौख्यद्रतोद्यापन अक्षयराम (२०) ५१६, ५५६ ६७४, ७३० सौख्यग्रतोद्यापन - (c) ५३६ सोमति 5.) २६५ सौभाग्यपंचमीकथा सुन्दरविजयगणि (सं०) २५५ सोमशवारिक्षणकथा (प्रा.) २५५ स्कन्दपुराण (सं०) ६७० सोलहका रणकया , रत्नपाल (सं०) ६६५ स्तवन (अप०) ६६० + सोलहकारणकथा ज्ञानसागर (हि.) ७४० । स्तबगअरिहन्त (हि.) ६४८ सोलहकारण जयमाल - (अप०) ६७६ स्तवन आशाधर (सं०) ६६१ सोलहकारणापूजा अजिनदास (०) ७६५ - सं०) ४४२ सोलहकारणपूजा - (सं०) ६.६ कनककीर्ति (हि.) ६०१ ६५० ६४४, ६५२, ६९४, ७०४. स्तुति टीकमचन्द (हि०) ६३६ ७३१, ७०४ नवल (हि.) ६६२ सोलहकारगपूजा - (अर०) ७०५ बुधजन (हि.) ७०४ सोलहकारगपूजा द्यानतराय स्तुति हरीसिंह (हि.) ७५६ ५१६, ५५६ (हि.) ६६३ सोलहकाररणपूजा - (हि०) ५५६ ६७० ६७३, ७५ सोलहकारणभावनावान सदासुस्त्र (हि.) ६८ | नोन पननदि (संग) ५७५ सोलहकारणभावना . - (हि.) ७८ स्तोत्र लक्ष्मीचन्द्रदेव (प्रा०) ५७६ सालहकारणभावना एवं दशलक्षण वर्गन-सदासुखकासलीवाल (हि०) ६८ स्तोत्रसंग्रह - (संहि०)६२८ ६५१ सोलहकारणमंडलविधान टेकचद (हि.) ५५६ ६६८, ७०३, ७१४, ७१५ सोलहकारणमंडल [ चित्र] - ५२४ ७३६, ७४१, ७६२, ७६६, ७६७ सोलहकारणवतोद्यारन केशवसेन (सं०) ५१७ | स्तोत्रसंग्रह - (संहि०) ७२१ सोलहकारणरास भ० सकलकीति (हि.) ५६४ ७३८, ७४५, ७४८, ७७४ ६३६, ७८१ | स्तोत्रपूजापाठसत्रह - (संहि) ६६८, सोलतिथिवर्णन (हि०) ५६४ ] | स्तुति स्तुति स्तुति Page #943 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महीधर मन्थानुक्रमणिका ] [ EE अन्धनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं०। ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० स्त्रीमुक्तिखंडत (हि.) ६४० | स्वयंभूस्तोत्र टीका प्रभाचन्द्राचार्य (सं.) ४३४ स्त्रीलक्षण (सं०) ३५६, स्वयंभूस्तोत्रभाषा द्यानतराय (सं०) ७१५ स्त्री गारनर्णन (सं०) ५७२ स्थापनानिर्णय (सं.) १८ : स्वरोदय (सं०) १२८ स्थूलभद्रकाचौमासावर्णन (हि.) ३७७ | स्वरोदय रनजीतदास (परनदास) (हि.) ३४५ स्थूल भद्रगीत स्वरोदय - (हि०) ६४०, ७५६ स्थूलभद्रशीलरासो (हि०) ५६९ | स्वरोदयविचार स्थूल भद्रसज्झाय - (हि०) ४५२, ६१६ | स्वर्गनरकवर्णन (हि.) ६२७ स्नपनविधान --(हि.) ५५६, ६५५, ७.१,७६३ स्नपन विधि वृहद ] - (सं) ५५६ | स्वर्गसुखवर्णम (हि.) ७२० स्नेहलीला अनमोहन (हि०) ७७३ | स्वर्णाकर्षणविधान (सं०) ४२८ स्नेहलीला -- (हि.) ३६८ | स्वस्त्ययनविधान (सं०) ५७४ स्फुटकवित्त ६५८, ६४६ स्फुटझवित्तएवंपद्यसंग्रह - (संहि.) ६७२ स्वाध्याय - (सं०) ५५१ स्फुट दोहे - (हि०) ६२३, ६७३ स्वाध्यययपाठ .. - (सं० प्रा०) ५६४ स्फुटपद्यएवं मंत्रमादि - (हि०) ६७० स्वाध्यायपाठ - (प्रा०सं०) ६६३३ स्फुटपाठ -- (हि.) ६६४, ७२६ स्वाध्यायपाठ पन्नालाल चौधरी (हि.) ४५० स्माध्यायपाठभाषा - (हि०) स्फुटश्लोक संग्रह . - (सं०) ३४५ | स्वानुभवदर्पण नाथूराम (हि०प०) १२८ स्फुटहिन्दीपद्य (हि.) ५६५ : स्वार्थवीसी मुनि श्रीधर (हि०) ६१६ स्वप्नविचार - (जि०) २६५ स्वप्नाध्याम (सं०) २६५ स्वप्नावली देवनन्दि (सं०) २६५, ६३३ ' हंसकोदालसथाविनतीठाल - (हि.) ६५ स्वप्नावली - (सं०) २६५ | हंसतिलकरास ब्र अजित (हि०) ७०७ स्याद्वादचूलिका - (हि.ग.) १४१ | हठयोगदीपिका (स.) १२८ स्वावादमंजरी मनिषेणसूरि (सं०) १४१ | हणवंतकुमारजयमाल (अप०) ६३८ स्वयंभूस्तोत्र समन्तभद्र (सं०) ४२३ | हनुमच्चरिक ब्र अजित (सं०) २१० ४२५, ४२७, ५७४, १९५, हनुमच्चरित्र न. रायमल्ल (हि.) २११ ६३३ ६६५, ६८६, (हनुमन्तकथा) ५६५, ५६६, ७१७, (हनुमतकथा) ७३४, ७३९, स्फूटवार्ता Page #944 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५० ] प्रन्थनाम ( हनुमतरास ) ( हनुमंत चौपई ) हनुमान स्तोत्र हनुमतानुप्रेक्षा हमीरचीपई हमीरासो श्रीदावसार चित्र हरगौरीसंवाद हरजी के दोहे हर बैकल्प हरिचन्दशतक हरिनाममाला हरिबोला चित्रावली हरिरस हरिवंशपुराण हरिवंशपु हरिवंशपुराण हरिवंशपुराण हरिवंशपुराण हरिवंशपुराण हरिवंशपुराण महाकवि स्वयंभू लेखक हरिवंशपुराणभाषा हरिवंशपुराणभाषा महेशकविह०) ३६० ७८३ हरजी - शंकराचार्य भाषा पृष्ठ सं० ७४०, ७४४ ७५२, ७६२ (हि०) ४३२ ( प ० ) ६३५ ( हि०) ३७८ ० जिनदास जिनसेनाचार्य श्री भूषणा सकलकीर्ति ६०३ हिपोलना (हि०) ७ (हि०) ३०७ (हि०) ७४१ (सं०) ३६८ ( हि०) ६०१ अभ्यनाम हरिवंशपुराणभाषा हरिवंशवर्णन हरिहरनामावलिवन (सं०) ६०= दिप हितोपदेश (हिं०) ६०१ (सं०) १५६ (सं०) १५५ (सं०) १५७ हवनविधि हाराल (सं०) १५७ ( अप०) १५७ हितोपदेशभाषा हुण्डावसर्पिणी का सदोष होडाचक्र होराज्ञान होली कथा होलिकाकय । होलिकाची पई होलीकथा [ प्रन्थानुक्रमणिका धवल यशः कीर्त्ति ( प ० ) १५७ १५७ महाकवि स्वयंभू ( अ१०) खुशालचन्द (हि०प०) १५८ दौलतराम (हि०ग०) १५७ | होली रेपुकारिश्र ధనాల్లో लेखक महामहोपाध्याय पुरुषोम देख शिव चंदमुनि चन्द्र विष्णुशर्मा हेमझारी हेमनी बृहत्त मा व्याकरण [ हेमव्याकरणावृत्ति ] हेमचन्द्राचार्य भाषा पृष्ट सं० (हि०) १५८, १५६ (हि०) २५५ (सं०) ६६० (सं०) ७३१ - (हि०) २४६, ७६३ माकन्द (हि०), ४४५ विश्वभूषण (हि०) ७६.३ (सं०) २७० जिनचन्द्रसूरि डूंगर कवि बीतर ठोलिया (सं०) २११ (सं०) ६८३ ॐ० जिनदास (सं०) ७४४ (सं० ) ३४५ (सं०) २७० (सं०) ६९e (सं०) २९५ (सं०) २५६ (सं०) २५५ ( हि०प०) २५५ (हि०) २४६, २५५, ६८५ (सं०) २११ + . · ܕܝܢ ܒ Page #945 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ मन्थानुक्रमणिका ] प्रन्यनाम लेखक भापा प्रष्ट सं० . अन्धनाम लेव भाया पृष्ठ सं. सम्यक्त्व कौमुदीकथा - (.) २५१ | मावतीस्तोत्रमाना । शारदास्तवन । सम्यक्त्वकौमुदीकथाभाषा जगतराम १०) २५२ ॥ (स) ४२. सम्यक्त्व कौमुदीकथाभाषा जोधराजगोदीका सरस्वतीस्तोत्र भाषा बनारमीदास (१०) ५४७ सम्यक्त्वकौमुदीवयाभाषा विनोदीलाल (ह.10 ) २५२ सर्वतोभद्रपूजा सर्वतोमत्रमंत्र सम्याचकौमुदी भाषा - दि.) २७.३ (10) ४१६ सम्यक्त्वजयमाल सर्व ग्वर समुच्चयदपंगा (मं.) ३०७ (iv) ७६४ सर्वार्थसाधनो सम्यक्त्वपच्चीसी (हि०) ७६० भवरचि (ग) २७ सर्वार्थसिद्धि सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका पं० टोरमल पृज्यपाद सम्वज्ञानीधमाल भगौतीदास (हि०) ५३६ सर्वार्थसिद्धिभाला चंदछ बहा (हिर) ४६ सम्यग्दर्शनपूजा (२०) ६ समय - (हि.) ४५२ सम्यग्दृष्टिकोभावनावर्णन (हि०) ७५ सर्वारिष्टनिवारणस्तोत्र जिनदत्तमूरि सरस्वतीप्रष्टक (हि.) ४५२ सवैयाएवंपद मुन्दरदास सरस्वतीकल्प (सं.) सहस्रकूटजिनालयपूजा (.) ५५१ सरस्वतीचूर्णकानुमखा (हित) ७५७ सह गुणितपूजा धर्मकीति (रा.) ५५२ सरस्वती जयमाल ब्राजिनदास (हि.) ६१८ । सहमरिणतपूजा -- [सं०) ५५२ सरस्वतीपूजा भाशाधर (सं.) ६५८ सहस्रनामपूजा धर्मभूपण (सं.) ५५२, ७४७ सरस्वतीपूजा [ जयमाल ] ज्ञानभूषण सहस्रनामपूजा -- (सं.) ५५२ (सं०) ५१५, ५६५ ! सहस्रनामपूजा चैनसुख (हि०) २५२ सरस्वतीपूजा पद्मनंदि (सं०) ५५१, ७१६ सहस्रनामपूजा ... (हि.) ५५२ सरस्वतीपूजा सहस्रनामस्तोत्र पाशधर (सं) ५६६ सरस्वतीपूजा नेमीचन्दबख्शी (हि.) ५५१ सरस्वतीपूजा संघी पन्नालाल (हिस) ५५१ ६३६,३७०१ सहस्रनामस्तोत्र - सरस्वतीपूजा न (हि.) ५५१ सरस्वतीपूजा - (हि०) ५५१, ६५२ ७५३,७६३ सरस्वतीस्तवन लघुकवि (सं०) १९ | सहस्रनाम [ बडा (सं०) ४३१ सरस्वतीस्तुति शानभूषण (सं.) ६५७ : सहस्रनाम [लघु | या समंतभद्र (सं) ४२० सरस्वतीस्तोत्र आशाधर (सं०) ६४७, ७६१ | सहस्रनाम [ लथु । सरस्वतीस्तोत्र वृहस्पति (सं०) ४२. | महेलीगीत - सुन्दर (हि.) ७६४ सरस्वतीस्तोत्र श्रुतसागर (सं.) ४२० | सास्त्री कधीर हिस) ७२३ पुरस्वतीस्तोत्र - (सं.) ४२०, ५७५ | सागरदसरिज हीरकवि (हि०) २०४ Page #946 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७८] ग्रन्थनाम सागारमृत सव्यसाध्याय साधुकारती साधुदिन साधु वंदना साधुवंदना साध्रुवदना साधुवंदना सामायिक सामासिकपा सामायिक पाठ सामायिकगठ सामायिकपाट सामाग्रिक 115 समविना सामायिकभाषा सामायिकपाठापा सामायिकवडा सामायिक लघु लेखक अशाघर हेमराज आनन्दसूर मुख्यसागर (रागी हि०) बनारसीस माणिकचन्द सामायिरूप वृतिरादित LA — चहुमुनि — सामायिकपाभाष जयचन्दछाबडा सामायिक भव तिलोकचन्द बुधमहाचन्द्र महाखन्द भाषा पृष्ठ स (a) (हि०) ४ मालगा (हि०) ७७७ सामुद्रिक विचार (ST0) २४ सामुद्रिकशास्त्र (हि०) ६६४ अमितगति (२०) ६०४, ७३७ ६५. (सं.) ४२% ४२६, ४२०, ४३०, ५२४४६७, ६०, ६३७, ६४६, ६५६, ७६३ ३ (हि०) ६१७ साम्र ६५२, ७१६, ७४६ ४५२ सामुद्रिकःस्त्र (हि०) ६४४ सामुद्रिकशास्त्र अन्थनाम (ST० ) ६४ ( प्रा० ) ६४, ५७८ (2100) 4.95 (हि०) ४२६ ( हि०) ६७१ त्रिपाठ ७४६, ७५४, ७५५ (हि०) २६ ५६७ (fa) ६६ (हि०) ६५ . हि०ग०) ६६ ५६६, ६०५, ६०७ (सं०) ७०३ (हि०) ४५२ साठ सारशिल तारवीशीभाषा पारसदास निगोत्या सार सारखी सारसंग्रह सारग्रह 1 प्रस्थातुकमणिका सारस्वती धातुपाठ सारावली - (०) ४३१, ६०५ | सालोत्तरास (सं०) ४३१ | सावपधम्म दोही लेखक श्री निधिसमुद्र — वरदराज (सं०) ३०७ कुलभद्र (सं०) ६७, ५७४ सारसमुच्चय ५.२५. शानुरूयंत्र मंडल [चित्र] सारस्वत दशास्यानी (सं०) २६६ सारस्तदपिका २६६ सारस्वतयंचधि (iv) २६५. सारस्वतप्रक्रिया अनुभूतिस्वरूपाचार्य (०) २६५ ७८० सारस्वतप्रकियादीका महीभट्ट (सं०) २६७ (सं०) ५१० सारस्त्रतयंजा सारस्वतयंत्रपूजा चन्द्रसूरि - भाषा पृष्ठ स — (हि) ७५६ ( सं ० ) २६८ (हि०) २२४ (सं०) २६४ (सं०) २३४, २२५ (सा० ) २६४ (हि) २६५ ६०३, ६२७, ७०२ (सं०) ४२० (सं०) ४२० (हिं०) ४५३ (अप०) २६५ (हि) ६७२ (सं०) १४० मुनि रामसिंह सांबलाजी के मन्दिर की रथयात्रा का वर्णन (सं०) ५५२, ६३६ (सं०) २६५ सं०) २६५ (हि०) २०७ (आप) ૨૩ (हि०) ७१६ * 7 Page #947 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्धानुक्रमणिका ] [ ८५ प्रन्थनाम लग्न . भाषा पृष्ट सं| अन्यनाम लग्नक मापा पृष्ठ स. सासूबहूका झगडा ब्रह्मदेव (हि.) ४२१, ६४८ | सिद्धचंदना (भ०) ४२. सिटपूजा विश्वभूषगा (a) ५१६ | सिद्धर्भ (सं०) ६२७ सिद्धकूटमंडल [ चित्र ) -- ५२४ | सिद्धाक्त (प्रा०) ५७८ सिद्धक्षेत्र पूजा स्वरूप चन्द (हि.) ४६७ ५५३ | सिमांक पन्नालाल चौधरी सि.नक्षेत्रपूजा (हि.) ५५३ सिद्धानबन (२०) ४२० सिदयपुजाष्टक यानतराय सिद्धस्तुति (०) ५.७४ सिद्धोत्रमहात्म्यता - सिद्धलेमत-वृत्ति - जिनप्रभमुरि (ग) २६७ सिद्धपक्रकथा सिद्धान्न अर्थमार पं. रइधू (प.) ४ सिद्ध चक्रपूजा प्रभाचन्द सिद्धान्तकौमुदी भट्टोजीदीक्षित (०) २६३ ५१४, १३ कक्ष (मा) २६. सिद्धचनपूजा श्रुतमागर (मं०) ५५३ सिद्धान्तकौमुदी टीका (०) २६८ सिद्धचक्रपूजा [ बृहस् ] भानुकोत्ति सिद्धान्त चन्द्रिका . रामचन्द्राश्रम 'सिद्धपूजा [ वृहद् ] शुभचन्द्र (सं०) ५५३ सिद्धान्तवन्द्रिका टीला लोकेशकर सिद्धचबापूजा [ धृहद् ] - (०) ५५.४ सिद्धान्त चन्द्रिका टीका . - . (०) २६६ सिद्धचक्र पूजा {रां०) ५१४ सिद्धान्तचन्द्रिनानि सदानन्द गरि (म०, २६६ ५५४, ६३८, ६५८, ७३५ मिहातमिलायीक घामदेव (भंग ३३ सिद्धचकजा [ वृहद । संतलाल हि०) ५५३ सिद्धालधर्मोपदेगमाला - (प्रा.) १८ द्यानतराय दि. ५५३ सिद्धान्तविन्दु श्रीमधुसूदन सरस्वती ( २७० श्राशाधर (म० ५५४. ७१६ सिद्धपूजा ... - सिद्धपूजा सिद्धान्तभंजरी (०) १३८ एमनंदि (०) ५३७ मिश्रान्समंजूषिका नागेशभट्ट (०) १० 'सिद्धपूजा रत्नभूपग्गु ( ५५४ सिद्धान्तमुसावली पंचानन भट्टाचार्य (सं.) २७० सिद्धपूजा - () ४१५ सिद्धान्तमुक्तावली - ५५५, ५७१, ५६४. ६०५ सिद्धान्तमुक्तावनिटीका महादेवभट्ट (सं.) १४० सिद्धान्तलेश संघर ६७६, १७८, ७०४, ७३१ सिद्वानामारदोपक सकंलकीति- (सं०) ४६ सिद्धपूजा - (सं. हि.) ५६ सिद्धान्तसारदीपना (सं०) ४७ सिद्धपूजा द्यानतराय (हि.) ५१६ | सिद्धान्तग़ारभारा नथमलपिलाला (हि.) ४ .सिस्यूजा -- (हि.) ५५५ / सिद्धान्तसारभाषा (हि.) ४६ सिद्धभूजाष्टक दौलतराम (हि०) ५७, सिद्धान्तसार संग्रह मा नरेन्द्रदेव (सं) ४५ . 'सिद्धचक्रपूजा Page #948 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थानुक्रमणिका हेक भाप में [ प्रन्यनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० सिद्धिप्रियस्तोत्र देवनदj ४: | सामन्धरम्वामीपूजा (स.) ५५५ ४२१, ४२२, ४५.४.१,४३१, सीमन्धर वामीस्तवन | सीलरास गुणकीर्ति ५६७, ६०५, ६४०, ६३३ / सुकुमालचरिउ भ. सकल कीर्ति (सं०) २०६ सुदुमालचरिउ श्रीधर (अप०) २०६ सिद्धिप्रयस्तांत्रीका - सं० : ४२१ । सुकुमालचरित्रभाषा ६० नाथूलालदासी (हि०ग) २०७ सिद्धिप्रियस्तोत्रभाषा नथमल हि०) ४२१ | सुकुमाल चरित्र हरचंद गंगवाल (हि०प०) २०७ सिद्धिप्रियातोत्रभाषा पत्रालाल चौधरी (हि.) सुकुमालचरित्र - (हि०) २०७ मिहयोग () ! सकुमाल पुतिकथा - (निग०) २५३ सिझोंकास्वका -- (हि.) १७ सकुमालस्वामीरा प्र. जिनदास (हि गुज) ३६६ * सिन्दूर करण मोमप्रभाचार्य () ३४० : मुखचडी धनराज हि०) ६२३ सिन्दूरप्रकरणभाषा बनारसीदास हि०) २२४ सुबघडी हर्षकीर्ति (हि.) ७४६ ३.४०, ५६१, ५.६५, ७१०, ४१२ सुखनिधान कवि अगनाथ (स) २०७ ४६, ७५.५, ७६२ सुखसंपत्निपूजा (सं.) ११७ सिन्दूरप्रवरम भाषा सुन्दरदास (हि.) ३४० | सुखमंपत्तिविधानका (सं.) २४६ सिरिपालसरिन पं. नरसेन (अप.) २०५ | सुखसंपत्तिविधानकथा विमलकीर्ति (अप) २४५ सिंहासनहानिगिका मंकर मुनि (सं०) २५३ सुखसंपत्तियतपूजा अखयराम सिंहासनद्वात्रिशित्र। (सं०) २५३ . सुखसंपमिवतोद्यापनपूजा (सं.) ५१४ सिंहासनबसीसी सुगन्धदशमीकथा ललितकीत्ति (२०) २४५ सौखसत्तरी - (हि.) ६०, सुगन्धदशमीकथा श्रुतसागर (सं.) ५१४ मोताचरित्र कविरामचन्द (बालक) (हि१०) २०६ मुगन्धदशमोकथा - (सं०) २५४ ७२५, ७१५ / मुगन्धदशमोकथा सीतापरित्र - (हि.) ५६६ सुगन्धदशमीयतकथा [ सुगन्धदशमीकथा ] सीलाढाल - (हि.) ४५२ हेमराज (हि.) २५४, ७ex भीताजीका बारहमासा -- (हि.) ७२७ / सुगन्धदशमीपूजा स्वरूपचन्द (हि.) ५११ सीताजीकौविनती -- (हि०) ६४८, ६८५ | | सुगन्धदशमीमण्डल [पित्र] - सोताजीकोस माप समन्धदशमीयतकथा (सं०) २४२ सीमन्धरतीजकड़ी (हि.) ६४४ | सुगन्धदशमोक्रतकथा सीमन्धरस्तवन ठक्कुरसी हि.) ७३८ । सुगन्धदशमीव्रतकथा खुशालचन्द्र (हि.) ५११ Page #949 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथकारक नाम अभयचन्दनणिअभयदेवसूरि - इन्द्रनंदि कार्त्तिकेय - कुंदकुंदाचार्य— गौतमस्वामी - जिनभद्रगणि ढाढस मुनिदेवसूरि ग्रंथ एवं ग्रंथकार → प्राकृत भाषा ग्रंथ नाम ऋण संबंध कथा जयतिहूवरणस्तोत्र रे ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं० छेदविण् प्रायश्चितविधि कार्तिकेयानुप्रेक्षा अष्टपाहुड पंचास्तिकाय ६६ ४० ११२ ३८ ११५. ५७३ रु ४ ११७ ११७, ७४८ ११६, २७४, ७३७, ७६२ गौतम कुलक १४ संबोधचालिका ११९, १२८ अर्थदिनिका १ ढाढसीगाथा यतिदिनचर्या जो विचार प्रवचनसार नियमसार बोधामृत यतिभावनाक रयणसार लिंगपाड पटू राहुड समयसार २१८ देवसेन - ७५४ ! ३११ ५.७ ७४ १०३ ७०७ ८ १ ६१६ देवेन्द्रसूरे धर्मचन्द्र — धर्मदासगरि - नन्दिषेण भंडारी नेमिचन्द्र नेमिचन्द्राचार्य - ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र संब · अाराधनासार YE ५७२, ५७३, ६२, ६३५, ७०६, ७३७ ७४४ २०, ५७५ तत्वसार ६३७, ७३७, ७४४, ७४७ दर्शनसार नयचक्र भाव संग्रह कर्म तवसूत्र धर्मचन्द्र प्रबन्ध उपदेश रत्नमाला अजितवान्तिस्तवन उपसिद्धान्त रत्नमाला याश्रभिंगो कर्म प्रकृति गोम्मटसार कर्मकाण्ड गोम्मटसारजीवकाण्ड १३३ १३४ ५१ २ ३ ५२ E, १६, ७२० १५ ७३२ ३१ ३२, ५७५, ६२८, ७४४ चतुरविशतिस्थानक जीवविचार विभंगीसार द्रव्यसंग्रह ७७ ५ ३६६ ५० ३७९ Page #950 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथकार का नाम . 0 ४२ पानंदि मुनियनसिंहभद्रबाहुभावशर्मामुनिचन्द्रसूरिमुनीन्द्रकीर्तिरत्नशेखरसूरिलक्ष्मीचन्द्रदेवलक्ष्मीसेनवसुनन्दिविद्यासिद्धिशिवाय श्रीरामश्रुतमुनिसमंतभद्रसिद्धसेनसूरिसुन्दरसूर्य-- कविहालवर हेमचन्द्र । अंध एवं प्राथकार ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की । प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूची की . पत्र संभ पत्र संख त्रिलोकसार ३२० अपभ्रंश भाषा त्रिलोकसारसंदृष्टि पंचसंग्रह अमरकीति पटकमोपदेशरत्नमाला म भावविभंगी ऋषभदास रत्नत्रयपूजाजयमाला ५३७ संधिसार कनककीर्ति नन्दोश्वरजयमाला ५१६ শিখধরাখি मुनिकनकामर- करकण्डुचरित्र सत्तात्रिभंगी मुनिगुणभद्र दशलक्षणकथा रोहिणीविधान ६२६ ऋषभदेवस्तुति जिनवरदर्शन जयमित्रहल-- वमानकथा जम्बुद्वीपप्रज्ञासि ३१६ जल्हण দুবালুমধা ६२८ शानसार ज्ञानचंद योगचर्चा ६,७ | तेजपाल संभवजिराणाहचरित २०४ दशलक्षणजयमाल ४८६, ५१७ , देवनंदि रोहिणीचरित्र २४३ वनस्पतिसत्तरी ८५ रोहिणाविधानकथा २४३ अनन्त चतुर्दशीकथा २१४ ' धवल हरिवंशपुराण प्रातृतछंद कोश नरसेन जिनरात्रिविधानकथा ६२८ स्तोत्र सिरिपाल चरिय द्वादशानुप्रेक्षा पुष्पदन्त आदिपुराण १४३, ६४२ वमुनन्दिवावकाचार महापुराण १५३ शांतिकरस्तोत्र यशोधरचरित्र १६८ भगवतीमाराधना प्रिंशतजिरणचन्द्रवीसी ६८६ १ चन्द्राभत्तरिय प्राकृतरूपमाला पढ्डी ६४२ भादसंग्रह पाण्डवपुराग कल्याणक ३८३ हरिवंशपुराण इसकीस ठाणावर्चा योगीन्द्र देव परमात्मप्रकाश ११०, शांतिकरस्तोत्र ५७५, ६६३, ७७७ ७४७ कामसूत्र योगसार ११६, ७४८,७५५ श्रुतस्कंध ३७६, ५७२, राधू दशलक्षण जयमाल २४३, ७०७, ७३७ ४८६,५१८, ५३७ ५७२, ६३७ ७६ महरसिंह--- २६२ ; यश कीति-- १६५ ४२३ । ३५३ Page #951 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ व प्रन्थकार ] [ ८८७ प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की | मंथकार का नाम मंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं० पत्रसं যাহজনাঘষি ও संस्कृत भाषा वीरचरित्र अकलंकदेव अकलंकाष्टक ५७५ षोडशकारण जयमाल ५१७, ६६७ - . ७१२ खंबोधपंचासिका तयार्थराजनात्तिक ३२ सिद्वान्तासार न्यायकुमुदचन्द्रोदय १३४ रामसिंहसावयधम्म दोहा प्रायश्चित्तसंग्रह (प्रावकाचार) प्रयराम णमोकारपैंतीसी पूजन ६४१, ७४८ दोहापाहुड ८२. ५१७ रूपचन्दरागमासाबरी प्रतिमासान्त चतुरर्दशी लक्ष्मणऐमिणाहपरिउ १७१ व्रतोद्यापन पूजा ५१६, ५२० लक्ष्मीचन्दप्राध्यात्यिकगाथा १०३ सुखसंपत्तिव्रत पूजा ५५५ उपाराकाचार दोहा ५२ सौख्यकाश्य प्रतोद्यापन चूनडी ६२८, ६४१ ५१६, ५५६ कल्याणकविधि ६४१ - ब्रह्म अजित हनुमच्चरित्र २१० विनयचन्द्र दुधारसविधानकधा २४५, अजितप्रभसूर- शान्तिनाथचरित्र १६८ ६२८ अनन्तकीर्ति नन्दीश्वरनतोद्यापन पूजा ४६४ निर्भर 'चमोविधानकथा २४५, ६२८ पल्लविधान पूजा विजयसिंहअजितनाथपुराण १४२ | अनन्तवीर्य प्रमेयरलमाला १३८ विमलकीत्तिसुगन्धदशमीकथा ६३२ । अन्नभट्ट-- तर्कसंग्रह १३२ सहपाल अनुभूतिस्वरूपाचार्य-- सारस्वतप्रक्रिया ६२५ . (कौमुदीमच्यात् ) ६४१ २६६, ७० सम्यक्त्वकौमुदी लघुसारस्वत सिंहकविप्रद्युम्नचरित्र १८२ अपराजितसूरि भगवतीमाराधनाटिका ७६ महाकविस्वयंभू- रिद्धणेमिचरिउ १५७, ६४२ अपयदीक्षित- कुवलयानंद श्रुतपंचमीकथा ६४२ अभयचन्द्रगणि- पंचसंग्रहवृत्ति हनुमतानुप्रेक्षा क्षारोदामीपूजा श्रीधर अभयचन्द्र ७६३ सुकुमालचरित २०६ हरिश्चन्दअगस्तमितिसंधि २४३, अभयनंदि जैनेन्द्रमहावृत्ति ६२८, ६४३ | अभयनन्दि-]] बिलोकसार पूजा ४८५ w ३०८ २६. Page #952 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८ ] अंथकार का नाम [ ग्रंथ एवं ग्रन्थाकार ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. . रथयात्राप्रभाव अभयसोमपं. अभ्रदेव २२१, प्रथ नाम प्रथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं. दशलक्षण पूजा ४८६ | अमोलकचन्दलघुधे विधि ५३३ | अमृतचन्द्र विक्रमचरिय निवालचौबीसीकथा ( रोटतीजकथा) दशलक्षण पूजा ४५ द्वादशव्रतकथा २२८, २४६ द्वादशग्रत पूजा ४६० मुकुटसप्तमीकथा २४४ अरुणमणिलब्धिविधानकथा - २३६ लब्धिविधान पूजा ५.१७ | अर्हदेवश्रवणद्वादशीकथा ४५ अशग-- श्रुतस्कंधविधानका २४५ | आत्रेयऋषि-- पोटशकारणकथा २४२, । थानन्द २४५, २४७ प्राशा तत्वार्थसार २२ पंचास्तिकायटोका ४१ परमात्यप्रकाश टीका ११० प्रवचनसार टीका ११२ पुरुषार्थसिद्धच पाय ६८ समयसारकलशा १२० समयसार टीका १२१ ७५५, ७६४ अजितपुराण १४२ पंचकल्याणक पूजा शान्तिकविधि मातिनाथपुराण आत्रेयवैद्यक माधवानलकथा २३५ सोनागिर पूजा अंकुरारोपराविधि ४५.३, अमरकीति प्राशाधर जिनसहस्रनाम टीका ३९३ महावीरस्तोत्र ___७५२ यमकास्तोत्र ४१३, ४२६ अमरकोश २७२ निकाण्डशेषसूची धर्मपरीक्षा अमरसिंह अमितिमति ५७३ पंचसंग्रह टीका भावनाबाविशतिका ( सामायिक पाठ) ७३७ श्रावकाचार सुभाषितरत्नसन्दोह ३४१ धर्मोपदेशश्रावकाचार ६४ प्रश्नोत्तररत्नमाला अनगारधर्मामृत आराधनासारवृत्ति ६४ इष्टोपदेशटीका ३५० कल्याणमंदिरस्तोत्रटीका ३८५ कल्याणमाला ५७५ कलशाभिषेक कलशारीरविधि गरणधरवलयपूजा ७६१ जलयात्राबिधान ४७७ जिनयज्ञकल्प (प्रतिष्ठापाठ) ५२१ ४७८, ६०८, ६३६ अमोधवर्ष Page #953 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंथ एव प्रन्थकार ] ग्रंथकार का नाम गंध नाम ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र संद जिनराहस्रनामस्तोत्र ३६१, ५४०, ५६६, ५६६,६०५, ६०७, ६३६, ६४६, ६५५, ६८३, ६८६, ६६२,७१२, ७१५, ७२०, ७४०, ७५२ धर्मामृतसूक्तिसंग्रह भ: एकसंधिध्वजारो पविधि कनककीत्ति-- विषष्टिस्मृति १४६ देवशास्त्रगुरुपूजा कनकक्रुशलभूपालचतुर्विशतिका कनकनंदिटीका ४११ कनकसागररलत्रयपूजा ५२६ कमलप्रभाचार्य श्रावकाचार ( सागारधर्मामृत ) ६३५ कमलविजयाणशांतिहोमविधान सरस्वतीस्तुति ६४७, | कालिदास ६५८, ७६१ सिद्धपूजा ५५४, ७१६ स्तवन , इन्द्रनंदि अंकुरारोपणविधि ४५३ देवपूजा ४६० नीतसार ३२६ | कालिदासउज्जवलदत्त ( संग्रहकर्ता ) उणादिसूत्रसंग्रह २५७ | काशीनाथ-- उमास्वामि-- तत्वार्थसूत्र २३, ४२५ । ४२७, ४३७ ५३७, ५६२, ५६६, | काशीराज५७१, ५७३, ५६५, ५६६, ६०१, | कुमुदचन्द्र६०३, ६०५, ६३३, ६३७, ६३६ | [ GE मंच नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. ६४४, ६४५, ६४७, ६४८, ६५०, ६.५२, ६५६, ६६४, ७००, ५०४, ७०५, ७७७, ७२७, ७८५, ७८८ पंचनमस्कारस्तोत्र ५७६ তুলসি । ५१२ श्रावकाचार प्रायश्चितविधि ७४ णमोकारपैंतीसीव्रत विधान ४०२,५१७ देवागमस्तोत्रवृत्ति ३६६ गोम्मटसार कर्मकाण्डटीका १२ कुमारसंभवटीका १६२ जिनपंजरस्तोत्र ३६०, . ४३०,६४६ चतुर्विंशति तीर्थकर स्तोत्र ३८८ कुमारसंभव ऋतुसंहार १६१ मेघदूत १८७ रघुवंश वृतरत्नाकर ३१४ धुतबोध शाकुन्तल ३१६ नलोदयकान्य शृंगारतिलक ३५६ . ज्योतिषसारसग्नचंद्रिका २८३ शीघ्रबोध २६२, ६०३ अजीर्णमजरो २६६ कल्याणमंदिरस्तोत्र ३८४ ४२५, ४२७, ४३०, ४३१, Page #954 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० ] ग्रंथकार का नाम कुलभद्र - भट्टकेदार केशव — केशव मिश्र - केशरवर्णी केशवसेन कैटकोहन भट्ट -- ० कृष्णदास कृष्णशर्मा पाक क्षेमंकरमुनिक्षमेन्द्रकीति- खेता मंगादास -- ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की | प्रथकार का नाम पत्र सं ५६५, ५७२, ५७५ ५६५, गणपति६१६, ६३३, ६३७, ६००, गणिरतनसूरि ७९०७५० -- सारसमुच्चय वृत्तरत्नाकर जातकपद्धति ज्योतिषम गिमाला तर्कभाषा गोम्मटसारवृत्ति मादित्यव्रतपूजा रत्नत्रयपूजा रोहिणीत जा कारणपूजा भाष्यप्रदीप वैय्याकरणभूषण मुनिसुतपुराण विमलनाथपुराण भावदीपिका एकाक्षरकोश सिंहासनद्वात्रिंशिका गजपंथामंडल पूजा ६७, ५७४ रेवत सम्मेदशिखर पूजा सम्यक्वकौमुदीकथा पंचोपालपूजा पुष्पांजलिव्रतोद्यापन ३१४ | गर्गऋषि २८१ २८२ १३२ १० | गुणकीर्ति- ४६१ गुणचन्द्र — ५.२६ ५.१३, ५३२, ७२६ ५.४२, ६७६ गुणचन्द्रदेव२६२ | गुणनंदि --- २६३ १५३ १५४ १३५ २७४ | गुणभद्र २५.३ ४६८ २५१ ५०२ गुणभद्राचार्य ५०६ ५१६ ५३२ ५४६, ७२७ गुणभूषणाचार्य | मंथ नाम ग्रंथ एवं मन्धकार प्र सूची की पत्र सं० रत्नदीपक २६० षडदर्शनसमुच्चयवृत्ति १३६ २५० २८५ २५० २८६, ६४७ २८७ २६२ ५०० ग्रहलाघव पंचांगसाधन गर्म संहिता पाशावली प्रश्नमनोरमा शकुनाचली पंचकल्याणकपूजा अनन्तव्रतोद्यापन ५.१३ ५३२, ५४० श्रष्टाकाव्रतकथा संग्रह २१६ ४८ अमृतधर्म र सकाव्य ऋषिमंडलपूजाविधान ४६३, ५३६,७६२ चंद्रप्रभकाव्यपंजिका १६५ त्रिकाल बीबीसीकथा ६२२ संभजिनस्तोत्र Y!& शांतिनाथस्तोत्र ६१४, ७२२ ¥ १४२ १०० *** १६८ १७२ २३६ ४१५ ६० अनन्तनाथपुराण आत्मानुशासन उत्तरपुराण जिनदत्तचरित्र धन्यकुमारचरित्र मौनव्रतकथा वर्द्धमानस्तोत्र श्रावकाचार Page #955 -------------------------------------------------------------------------- ________________ · འ प्रन्थ एवं ग्रंथकार ] प्रथकारक नाम गुणरत्नसू.-.गुणविनयगणि--- गुणाकरसूरि- गोपालदास गोपालभट्ट गोवर्द्धनाचार्य - गोविन्दभट्ट गौतमस्वामी घटकर - चंड कवि- चन्द्रा कीर्ति चन्द्रसूरि वाक्य चामुण्डराय चारुकीति चारित्रभूषणचारित्रसिंह — ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं० ਜਾ ਈ ਰਿਹਾ रघुवंशटीका सम्यक्त्वकौमुदीका रूपमंजरीनाममाला रसमंजरीटीका सप्तशती पुरुषार्थादुशासन ऋषिमंडलपूजा ऋषिस्तोत्र १२ १६४ | चूडामणि -- चोखचन्द -- २७६ | छत्रसेन ३५९ ७१५ E& जगन्नाथ ६०७ ३८२ ४२४, ६४६, ७३२ | जसोदास १६४ | जयतिलक— २६२ | जयदेव - राष्ट्रक ५६४ ० जयसागर --- ५३५ जानकीनाथसप्तपरमस्थानकथा २४६ भ० जिचन्द्र - सारस्वतदीपिका २६६ | जिनचद्रसूरि३२६, ० निनदास वाक्यराजनीति घटक रकाव्य प्राकृत व्याकरण चतुविशतितो विमानशुद्धि ६४०, ६४६, ६८३,७१२, ७१७ ७२३, ७८७ लघुचारणक्यराजनीति ३३६ ७१२, ७२० * २६८ ज्वरतिमिर भास्कर भावनासारसंग्रह ५५,७७, ६१५ गोतीतराग ३५६ महीपाल चरित्र १८६ कातन्त्रविभ्रमसूत्राय पूरि २५७ जगतकी सि— जगभूषण पं० जिनदास प्रथ नाम रमलशास्त्र न्यायसिद्धान्तमंजरी चन्दन षष्ठी व्रतपूजा चंदन षष्ट्रव्रितकथा द्वादशव्रतोद्यापनपूजा सौंदर्यलहरीस्तोष ४२२ २५६ ३६६ २०७ EXE गणपाठ [ ६१ ग्रंथ सूची की पत्र सं० २१० १३६ ४७३ ६३१ T नेमिनरेन्द्रस्तोत्र सुखनिधान दानको वीनती निजस्मृत गीतगोविन्द सूर्यव्रतोद्यापनपूजा न्यायसिद्धान्तमंजरी सप्तपूजा हरिवंशपुराण सोलहकारपूजा जलयात्राविधि *** १३५ जिन चतुविशतिस्तोत्र ७५७ दशलक्ष व्रतोद्यापन ४५ है जम्बूद्वीपपूजा जम्बूस्वामीचरित्र ज्येष्ठ जिमवर लाहान नेमिनाथपुरारा पुष्पांजली व्रतकथा ३५ १६३ ४७७ ५०२, ५३७ १६८ 19£ ! १४७ २३४ ५४८ १५६ ७६५ होली रेणुकाचरित्र प्रकृत्रिमजिनचैत्यालय ६८३ २११ पूजा ४५३ Page #956 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६५ - १२..1 पंधकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं० जिनप्रभसूरि- सिखमतंत्रवृत्ति २६७ | दामोदरजिनदेवमूरि मदनपराजय जिनलाभसूरि चतुर्विंशतिजिनस्तुति ३८७ जिनबद्ध नसूरि- अलंकारवृत्ति ३०८ | देवचन्द्रसूरि-- जिनसेनाचार्य- आदिपुराण १४२, ६४६ दीक्षितदेवदत्त ऋषभदेवस्तुति ३१ | देवनदिजिनसहस्रनामस्तोत्र ३६२ ४२५, ५७३, ६४७ ७०७, ७४७ जिनसेनाचार्य- हरिवंशपुरारण १५५ जिनसुन्दरसूरि होली १२ म जिनेन्द्रभूषण- जिनेन्द्रपुराण मक शासकीसि- यशोधरचरित्र १९२ ज्ञानभास्कर पाशाकवलो २८६ । देवसूरिज्ञानभूषण प्रात्मसंबोधनकाव्य १. ! देवसेनऋषिमंडलपूजा ४६३, ६२६ | देवेन्द्रकीतिगौम्मटसारकर्मकाण्डटीका १२ तत्वज्ञानतरंगिणी ५८ पंचकल्याणकोद्यापमपूजा ६६० भक्तामरपूजा १२ श्रुतपूजा ५३७ सरस्वतीपूजा ५४५, ५५१ सरस्वती स्तुति दैवज्ञद्ध दिराज जातकाभरण २८२ त्रिभुवनचंद्र निकालचौबीसी ४८४ दयाचंद्र तत्वार्यसूत्रदशाध्यायमूजा दौसिंह ४८२ | धनञ्जयदलिपतराय बंशीधर- अलंकाररत्नाकार ३०८ [ ग्रंथ एवं मन्थकार ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र संघ चन्द्रप्रभचरित्र प्रशास्ति प्रतकथाकोश २४१ पार्श्वनाथस्तवन सम्मेदशिखर महात्म्य गर्भषडारचक्र १३१, ७३७ जैनेन्द्रव्याकरण २५६ नोबोसतार्थंकरस्तवन ६०६ सिद्धिप्रियस्तोत्र ४२५, ४२७, ४२६. ४३१, ५७२, ५६५, ५७८, ५६७, ६०५, ६०६, ६३३, ६३७, ६४४ शांतिस्तवन पालापपद्धति १३० चन्दनषष्ठीव्रतपूजा ७३ चन्द्रप्रभजिनपूजा ४७४ पनक्रियोद्यापन ६३८, ७६६ द्वादशनतोद्यापनपूजा ४६१ पंचमीयतपूजा ५०४ पंचमेरुपूजा प्रतिमासांतचतुर्दशीपूज! ७६१ रविव्रतकथा २३७,५३५ रैवतकथा २३६ व्रतकथाकोश २४२ सप्तऋषिपूजा ७६५ कातन्त्ररूपमालाटीका २५८ द्विसंधान काव्य नाममाला २७५, ५७४ Page #957 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एव पायकर ग्रंथकार का नाम | धर्मकन्नशसूरिधर्मकीति - ५५२ मं धर्मचन्द्र २१६ ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की | ग्रंधकार का नाम पत्र से ६८६, ६६६, ७११. नरहरिभट्ट ७१२, ७१३ | नरेन कीर्तिविषापहारस्तोत्र ४२५, ४२५ ४२७, ५६५, ५७२, ५६५, ६०५, ६३३, ६३७, ६४६ सन्देहसमुच्चय ३३८ | नरेन्द्र सेनकौमुदीकथा २१२ पनपुराण सहस्रारिपतपूजा कथाकोश गौतमव मीचरित्र नागचन्द्रसूरिगोम्मटसारटीका नागराजसंयोगपंचमीकथा नागेशभट्टसहस्रनामपूजा ७४७ न गोजामप्रभिधानरत्नाकर २७२ | नादमल्लविदग्धमुखमइन नारचंद्रनागकुमारचरित्र जिनसहस्रनामपूजा ४८०,५५८ न्यायदीपिका १३५ | कविनीलकंठशीललनाथपूजा ५४६ प्रायश्चित समुच्चय मुनिनेत्रसिंहचूलिका टीका ७५, ७८० । नेमिचन्द्रनन्दीश्वरवतोद्यापन YEY | अश्वलक्षण ७५१ बनेमिदत्तसालिहोत्र ३०६ जानाबटीका नरपतिजयचर्या जिदशतटीका पंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र संब श्रवणागूषण विद्यमानबोसतीर्थंकर पूजा ५३५ ६५५, ७६३ पद्मावती पूजा ६५५ प्रमागप्रमेयानिका १३७, ५७५ प्रतिष्ठादीपक रत्नत्रय पूजा सिद्धान्तसारसंग्रह वियापहारस्तोत्रटीका ४१६ पिंगलशास्त्र ३११ सिद्धान्तमंजूषिका ૨૫૦ परिभाषेन्दुशेखर २६१ शाङ्गधरसंहिताटीका ३०६ कभारलसागर २२० ज्योतिषसारसूटिप्पण २८३ नारचन्द्रज्योतिषशास्त्र २८५ नीलकंठलाजिक शब्दशोभा १६३ | नागर धर्मचद्ररिणधम दास - धर्मघरधर्मभूषा २८५ मंदिगुरु १४. सप्तनयावबोध द्विसंधानकायका १७२ सुप्रभाताष्टक नन्दिप्रेण५. नकुल m १०८ प० नयविलासनरपतिनरसिंहभट्ट भौषधदानकथा २१८ मष्टकपूजा कथाकोश (पाराधना कभर कोश) २१६ जय श्री कथा २३१ २८५ Page #958 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकार का नाम पंधान नभट्टाचार्य-- पदामंदि। २८६ यदि || [ अंथ एवं अन्धकार प्रथ नाम ग्रंथ सूची की ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. पत्र सं० धन्यकुमार चरित्र १७३ सिद्धपूजा १३७ धर्मोपदेशश्रावकाचार १४ स्तोत्र निशिभोजन कथा २३१ पद्मनाभ भाष्वती २६ पात्रदानकथा २३३ पद्मनाभकायस्थ मशोधरचरित्र १८६ प्रीतिकररित्र १८२ प्रमप्रभदेव--- पार्श्वनाथस्तोत्र ४.५ श्रीपालचरित्र २०० ६१४, ७०२, ७४५ सुदर्शनचरित्र २०६ लक्मीस्तोत्र ४१४, ४२३ सिद्धान्तमुक्तावनी १२६, ४३२, ५६६, ५७२, पचनन्दिपंचविशतिका ६६ ५७४,५९६, ६४४, ६४% पद्मनन्दिवावकाचार ६८, ६० ६६३, ६६५, ७०३, ७१६ भुवन दीपक पनप्रभसूरिमनन्तवतकथा २१४ २८१ करुणाष्टक १७४ परमहंसपरिवाजकाचार्य महत मुक्तावली ६३३ ६३७, ८८ मेघदूतटीका १५७ पाणिनीव्याकरण द्वादशवतीधापनमूजा पाणिनीदानांचाशत पात्रकेशरी पत्रपरीक्षा धर्मरसायन पाश्वदेव पायल्पष्टकवृत्ति अभिधानकोश पार्श्वनाथस्तोत्र ५६६ । पुरुपोत्तमदेव७४४ त्रिकाण्डशेषाभिधान २७४ हारावलि २११ नंदोश्वरपंक्तिपूजा १३६ | पूज्यपाद--- इष्टोपदेश स्वयंभूस्तोय) में भावनाचौतीसी ( भावनापद्धति )५७५, ६२४ परमानवस्तोत्र रत्नत्रयपूजा श्रावकाचार समाधितत्र लक्ष्मीस्तोत्र समाधिशतक १२७ कोतरागस्तोत्र सर्वार्थसिद्धि ४३१, ५७४, ६३४, ७३९ यशोधाचरित्र सरस्वतीपूजा ५५१, ७११ | पूर्णचन्द्र अपसर्गहरस्तोत्र ५७४ १० १२५ ११. Page #959 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०५ M १३ प्रन्थ एवं ग्रंथकार । [ ५ मंथकार क नाम मथ नाम ग्रंथ सूची की ' ग्रंथकार का नाम मथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं० पत्र सं. पृथ्वीधराचार्य- चामुण्डस्तोत्र भफिलाभ पष्ठिशतकटिप्पण भुवनेश्वरीस्तोत्र भदृशंकर वैद्यविनोद ( सिद्धमहामत्र) ३४६ | भट्टोजीदीक्षित सिद्धान्तकौमुदी २६७ प्रभाचन्द्र-- प्रात्मानुशासनहीका १०१ । भट्टरपल २६१ पाराधनासारप्रबंध २१६ वृहज्जातक २६१ मादिपुराणाटिप्पण पटपंचालिकावृत्ति २६२ उत्तरपुराणटिप्पण १४५ | भद्रबाह नवग्रहपूजाविधान ४६४ क्रियाकलापटीका भद्रबाहुसंहिता २८५ तत्वार्थ रस्नप्रभाकर (निमित्तज्ञान ) ४८०,500 द्रव्यसंग्रहवृत्ति | मन हरि नीतिशतक ३२५ नागकुमारचरित्रटीका १७६ वरांगचरित्र १६५ न्यायकुमुदचन्द्रिका १३५ वैराग्यशतक प्रमेयकमलमार्तण्ड भहरिशतक ३३३,७१५ रत्नकरण्डश्रावकाचार महाबीराष्टक ४१३, ४२६ रोहिणीव्रतकथा सिद्धषकपूजा समाधियातकटीका १२७ अमरकोषटीका २७४ स्वयंभूस्तोत्रटीका ४३४ भानुजीदीक्षिन रसमंजरी २५६ भ-प्रभाचंद्रकलिकुण्डपार्थनाथपूजा 10 भानुदत्तमिश्र ग्यायमाला १३५ मुनितुप्रतछंद ५५७ तीर्थमुनिसिद्धचक्रपूजा ५५३ ' परमहंसपरिमाजकाचार्य श्रीभारतीबहुमुनि-- सामायिकपाठ ६४ तीथमुनी- न्यायमाला १३५ बालचन्द्र-- तक भाषाप्रकाशिका भारबी-- किरातार्जुनीय ब्रह्मदेवद्रव्यसंग्रहवृत्ति | भावशर्मा लघुस्नपनटीका परमात्मप्रकाशटीका १११ भास्कराचार्य- लीलावती ब्रह्मसेन--- क्षमावणीपूजा ___५६४ | भूपालकवि- भूगलचतुर्विशतिस्तोत्र ४१३ रत्नत्रयकामहार्घ व ४२५, ५७२, ५६५ क्षमावणी १ । ६०५, ६३३ टीका १३ भागचद यशोधरचरित्रटिप्पण .. | भानुकीत्ति ३ २ Page #960 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ ] ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नांम पं० मंगल ( संग्रह कर्त्ता ) - धर्मरत्नाकर मणिभद्र - मदनकीत्ति मदनपाल - मानमिश्र -- मल्लि भूषणमल्लिषेणसूरि मदनविनोद भावप्रकाश मधुसूदनसरस्वती- सिद्धान्तबिन्दु योगचिन्तामरिण मनूसिंह - मनोहरश्याम मल्लिनाथसूरि महादेव महासेनाचार्य - महीपणकविभ० महीचन्द - ग्रंथ सूची की प्रथकार का नाम पत्र सं० ६२ महीधर -- महीभट्टीमहेश्वर क्षेत्रपाल पूजा अनंतव्रत विधान विधान श्रुतबोधटीका रघुवंशटीका २४९ माणिक्यनंदि -- २७० माणिक्यभट्ट - ३०१ माणिक्यसूरि ३१५. १६३ शिशुपालवधटीका १११ माघवदेव- दशलक्षणश्रतोद्यापन ४०६ मानतु गाचार्य नागकुमारचरित्र १७५ भैरवपद्यावलोक्य ३४६ सज्जनवित्तवल्लभ ३३७ ५७३ स्याद्वदमंजरी मुहूर्त्तदीपक सिद्धान्तमुक्तावलि प्रद्य ुम्नचरित्र अनेकार्थध्वनिमंजरी त्रिलोकतिलकस्तोत्र ६८६ माघ -- २१४ माघनंदि - ૪ ३०० पूजा पद्मावतीचंद मंत्रमहोदधि स्वर्णाकर्षणा विधान सारस्वतप्रक्रिया टोका विश्वप्रकाश ६८२, ७१२ ६०७ ५६०, ६०७ १४१ २६० १४० मुनिभद्र १८० २७१ ३५१,५७७ पं० मेधावी - भ· मेरुचंद मोहन - यशः कीर्त्ति - | ग्रंथ नाम ४२० यशोनन्दि - २६७ २७७ ग्रंथ एवं मन्थकार नलोदयकाव्य माधवचन्द्रत्रैविद्यदेव - त्रिलोकसारवृत्ति क्षपणासारवृत्ति ग्रंथ सूची की पत्र सं० शब्द व धातुभेदप्रमेद शिशुपालवध परीक्षामुख वैद्यामृत तितीर्थंकर जयमाल ३८८, ४६६ ५.७६ १३६ ३०५ न्यायसार भक्तामर स्तोत्र २७७ १८६ ७ १३५ ४०७, ४२५, ४२६, ४३१. ५६६, ५६६, ६०, ६०५, ६१९, ६२८, ६३४, ६३७, ६३६, ६४४, ६४८, ६५१, ६५२, ६६४, ६६५, ६७०, ६८१, ६८५, ६६१, ७०३, ७०५, ७०६७०७७४१ शांतिनामस्तोत्र ४१७, ७१५ प्रष्ट गोपाख्यान धर्म संग्रहभावकाचार अन्ततुर्दशी पूजा कलश विधान १७४ ३२२ २१५ ܝܪܪ ६०७ ४६६ ६४५ श्रष्टाका का धर्माभ्युदयीका प्रबोधसार ३३१ ४६१, ५१५ -धर्मचक्र पूजा पंचपरमेष्ठीपूजाविधि ५०२, ५०६, ५१८ ૭૪ . Page #961 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Mr - ३०६ २४२ २६८ xK4 ६६० ग्रंथ एव अन्धकार ] [८९७ प्रथकार का नाम मथ नाम ग्रंथ सूची की | मंथकार का नाम वध नाम ग्रंथ सची की पत्र संग पत्र सं. यशोविजयबालिकुण्डपार्वनाथपूजा ६५८ राजमल्ल अध्यात्मकमलमार्तण्ड १२६ योगदेव -- तत्त्वार्थवृत्ति २२ । जम्बस्वामी चरित्र १६६ रघुनाथताकिकशिरोमणि लाटीसंहिता रघुनाथविलास ३१२ ' राजशेवर नरमंजरी साधुरणमरजधर्मचक्रपूजा ४६२ राजसिंह पाश्वमहिम्नरतोत्र ४०६ रत्नशेवरसूरि- छेदकोश राजसेन गानाधस्तोत्र ५६६, ७३७ रत्न कीतिरत्नत्रयविधानकथा राजसपाध्याय- पाठ्याधिकशतकटीवा ४४ रत्नत्रयविधानपुजा मुमुक्षुरामचन्द्र पुण्याथकथाकोप • रत्नचन्दजिनगुणसंपत्तिपुजा ४७७, रामचंद्राश्रम - सिद्धान्तचन्द्रिका रामवाजपेयसमरसार २६४ पंचमेपूजा ५०५ रायमल्ल त्रैलोक्यमोहनकवच पुष्पांजलियतपूजा रुद्रभट्ट मैद्यजीवनटीका ३०४ मुभौमचरित्र (भौमचरित्र) १८५, २०४ धृक्षारतिलक ३५६ रत्ननंदिनन्दीश्वरदीपपूजा ४६२ गन्मप्रदीप २८१ रोमकाचार्य अर्थप्रकामा ५०६, | लकानाथ २६६ पत्यविधानसूजा ५०६, ५१ । लक्ष्मण ( अमरसिंहात्मज)भद्रबाहुचरित्र १८३ लक्ष्मरणोत्सव महीपालचरित्र लक्ष्मीनाथ सिंगलप्रदीप रत्नपालसोलहकारणनाथा ६६५ लक्ष्मीसेन प्रभिपेविधि ४५८ रत्नभूपरणसिसपूजा वार्मचूरततोद्यापन पूजा रत्नशेखरगुरास्थान क्रमारोह्सूत्र ८ ४६४, ५१७ समत्रसरणपूजा चिन्तामणि पार्श्वनाथ रत्नप्रभसूरिप्रमाणनयतत्वावलोका पूजा एवं स्तोत्र ४२३ लंकार टीका १३७ चिन्तामणिस्तवन ७६१ रत्नाकर प्रात्मनिंदास्तवन ३५० सप्तपिपुजा रविषेणाचार्य- पद्मपुराग १४८ सरस्वतीस्तवन राजकीति प्रतिष्ठादर्श षोडशकारगनतोद्यापन ललितकीर्ति प्रक्षयदशमीक्या ६६५ प्रमतव्रतकथा ६४५,६६५ ४१६ ५२. लघुकवि Page #962 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८1 मंथकार का नाम लोकसेन लोकेशकर लोलिम्बराज -- लोगाक्षिभारकर - लोलिम्बराज - वनमालीभ बदराज वररुचि ग्रंथ नाम श्राकाश पंचमी कथा ६४५ कंजिकाव्रतोद्यापनपुजा ४६८ शिवकुमारका ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं हाजी की पूजा जिनचरित्रकथा दशलक्षगीकथा पन्यविधानपूजा पुष्पांजलिन्नत कथा रत्नत्रयप्रतकथा ६४५, ६९५ समवसरण पूजा सुगंधदशमीकथा व्रतकरण ६४५ त्रिचन्द्रसुर कारणकथा वैद्यजीवन पूर्वमीमांसा करण संग्रह वैद्यजीवन भक्तिरत्नाकर लघुसिद्धान्त सारसंग्रह एकाक्षरी श योगशत ५१४ बल्लाल ६४५ वसुनन्दि- ६६५ ५०६ Ex sex दशलक्षणकथा २२७, २४२ सिद्धान्तचन्द्रिकाठी का शब्दरूपिणी श्रुतबोध सर्वार्थसाधन बराहमिहर - भ० चद्धमानदेव-— बद्ध मानसूर - *૪* ૪૨ ६४५ बादराज - २६ε ७१५ ૧૨૭ ३०३ वाग्भट्ट - ८०० वादीभ सिंह २६३ १४० २७० बामदेव - ३०२ २६४ ३१५ वासवसेन २७८ वाहउदास [ ग्रंथ एवं प्रन्थकार ग्रंथ सूची की पत्र सं अथ नाम पद पंचासिका बरांगचरित्र लग्नास्त्र भोजप्रबन्ध terraneata का प्रतिष्ठापाठ ५२१ प्रतिष्ठासारसंग्रह ५२२ मूलाचारटीका ७६ मिनिर्वाण १७:३ ३१२ ५६० ३१६ १७८ वाग्भट्टालंकार कर्मदहनपूजा ज्ञानसूर्योदयनाटक पवनदूतकाव्य एकीभावस्तोत्र २६२ १६४ ३८२ ४२५, ४२७, ५७२, ५७४, ५६५ १०५, ६३३, ६२७ टक पार्श्वनाथ चरित्र यशोधरवरिष ६४४,६५१, ६५२, ६५७, ७२१ ६५७ १७८ ११० क्षत्र चूडामि पंचकल्याणक पूजा त्रिलोकदीपक भाव संग्रह सिद्धान्त त्रिलोकदीपक २६१ १८५ ३६५ यशोधरचरित्र सन्निपातनिदान १६२ ५०० ३२० ७८ ३२३ १६० ३०६ + Page #963 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०१ or rip ७ ८ प्रन्थ एवं ग्रंथकार ) I SEE ___प्रथकार का जान प्रश्न नाम प्रथ सूची की | प्रकार का नाम प्रथ नामः ग्रंथ सूची की पत्र सं० पत्र सं. विजयकीत्ति- चन्दनपष्ठिनतपूजा ५०६ तेरहवीपपुजा आ. विज्ञानन्दि- अष्टसहमी १२६, १३० पद पासपरीक्षा १२६ पूजाष्टक पत्रपरीक्षा मांगीतु गीगिरिमंडल पंचनमस्वारस्तोत्र प्रमाणपरीक्षा रेवानदीपूजा ५३२ प्रमारणमीमांसा शत्रुञ्जगिरिगुजा ५१३ युक्त्यनुशासनटीका सप्तर्षियूजा दलोकवात्तिक सिद्ध कूटपूजा मुमुक्षुविद्यानन्दि- सुदर्शनचरित्र २०६ | विश्वसेन धोत्रपालगूजा ४६७ उपाध्यायविद्यापति- चिकित्साजनम् परावतिक्षेत्रपालपूजा ५१६ विद्याभूषणमूरि- चितामणिपूजा (वृहद) ४७५ परावतिक्षेत्रमा विनयचन्द्रसूरी- गजसिंहकुमारचरित्र १६३ समवसरणस्तोत्र विनयचन्द्रमुनि- चतुर्दशसूत्र १४ | विष्णुभट्ट पट्टरीति विनयचन्द्र-- द्विसंधानकाव्यदीका १७२ यिष्णुशर्मा पंचतन्त्र भूपाल चतुर्विशतिवा पंचाख्यान स्तोत्रटोका हितोपदेश बिनयरत्न विदग्धमुखमंडनीका १६७ | विजगुसेनमुनि- समवसरणस्तोत्र ४१६, ४२५ विमलकीति- धर्मप्रश्नोत्तर ६१ | वीरलन्दि पाचारसार सुखसंपतिविधानकथा २४५ , चन्द्रप्रभचरित्र विवेकनंदित्रिभंगीसारटीका ३२ | वीरसेन श्रावकप्रायश्चित विश्वकीतिभक्तामरव्रतोद्यानपूजा ५२३ । वुपाचार्य उससर्गाविवरण विश्वभूषण महाईटीपपूजा ४४५ | वेदव्यास नवग्रहस्तोत्र पाठकोडमुनियूजा ४६१ | वैजलभूपति - प्रबोघर्षद्रिका ३१७ বলল वृहस्पति सरस्वतीस्तोत्र कलशविधि शंकरभगति बालबोधिनी कुण्डलगिरिपूजा शंकरभट्ट शिवराविउद्यापन गिरिनारक्षेत्रपूजा विधिकथा २४७ r Page #964 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० ] पंथकार का नाम । शंकराचार्य ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की | पंथकार का नाम पत्र संब आनन्दलहरी अपराधसूदनरतोत्र ६६२ गोविन्दाष्टक जगन्नाथाष्टक ३०९ दक्षणामूत्तिस्तोत्र हरिनाममाला जिनशतटीका नेमिनाथपूजाष्टक शाकटायनव्याकरण अनंतचतुर्दशीपूजा ४६६ शंबूसाधुशंभूराम-- शाकटायनशान्तिदास 60. [ ग्रंथ एवं अन्यकार ग्रंथ नाम प्रथ सूची की पत्र सं० गरगघरवलयपूजा चन्दनषष्ठिवत्तपूजा ४७३ चन्दनाचरित्र १६४ चतुर्विशतिजिनाष्टक ५७८ चन्द नभचरित्र चारित्रशुद्धिविधान ४७५ चिन्तामणिपार्श्वनाथ पूजा ६४५ जीवन्धरचरित्र तत्ववर्णन २० तीसचौबीसीपूजा ५३७ तेरहवीपपूजा पंचकल्यागनूजा पंचपरमेष्टीपूजा पल्यव्रतोद्यापन ५०७,५३. पांडवपुराण पुष्पांजलिनतपूजा ५० श्रेणिकरित्र २०३ सज्जनचित्तथल्लभ ३३० सार्द्धयदीपपूजा ( अढाईद्वीपपूजा) ४५५ सुभाषितार्णव सिद्धचयूजा ५५३ , ur शाङ्गधर गुरूस्तवन रसमंजरी झाघरसंहिता - २. म ३०२ पं० शालीशानिमाथप्रा०शिवकोटिशिवजीलाल २७२ शिवराशिशदित्यशुभचन्द्राचार्यशुभचन्द्र-|| नेमिनाथस्तोत्र ३९६, ७५७ रसमञ्जरी रत्नमाला अभिधानसार पंचकल्याणकपूजा ४८६ रत्नत्रयग्रुपकथा पोशकारण भावनावृत्ति कम कातन्प्रध्याकरण २५६ सप्तपदार्थी १४० ज्ञानाव प्रष्टालिकाका २१५ | शोभनमुनिकरकण्डुचरित्र १६१ | श्रीचन्दमुनिकर्मदह्नपूजा ४६५, ५३७ | श्रीधर ६४५ कात्तिकेयानुप्रेशाटीका १०४ | जिनस्तुति ३६१ पुरागसार भविष्यदत्तचरित्र शुभमालिका ५७४ श्रुतावतार Page #965 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एव अन्धकार } ग्रंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची की | प्रधकार का नाम पत्र सं० भावशतक नागराज श्रीनिधिसमुद्रश्रीपति-- ११६ श्रीभूषण ० जातककर्मपद्धति २८१ ज्योतिषयटलमाला ६७२ अनन्तयतपूजा ४५६, १५ चारित्रशुद्धिविधान ४७४ पाण्डवपुराण भक्तामर उद्यापनपूजा [६०१ नथ नाम ग्रंथ सची की पत्र सं. व्रतकथाकोष २४१ पटनाहुडटीका शुनस्कंधपूजा ५४७ षोडशकारगपूजा ५१० सरस्वतीस्तोत्र सिद्धपकजा ५५३ सुगन्धदशमीकथाः अष्टांगसम्यग्दर्शन २१५ ऋषभनाथचरित्र कर्मविपाकटीका तत्वार्थसारदीपक द्वादशानुप्रेक्षा धन्यकुमारचरित्र परमात्मराजरतोत्र पुराणासारसंग्रह प्रश्नोत्तरोपासक्राचार ७१ ५१५ सकलकीर्ति २३४ 21 अतकीर्तिश्रु तसागर १७२ १ . हरीवंशपुराण १५७ पुष्पांजलीप्रतकथा अनंतत्रतकथा २१४ अशोकरोहिणीकथा २१६ प्राकाशपंचमीप्रतकथा २१६ चन्दनपष्ठियतकथा २२४ ५१४, ५१७ जिनसहस्रनामटीका ज्ञानार्गवगवटीका तत्वार्थसूत्रटीका २८ दशलक्षणप्रतकथा २२७ पल्यनिधानातोपाख्यान कथा २३३ मुक्ताबलियतकथा २३६ भेषमालायतकथा ५१४ पशस्तिलकचम्मूटीका १७ यशोधरचरित्र १९२ रत्नत्रयविधानकथा २३७ रविनतक्या विष्णुकुमारमुनिकथा २४० पार्श्वनाथचरित्र १७६ मस्लिनाथपुराण १५२ मूलाचारप्रदीप यशोधरचरित्र १२८ बर्द्धमानपुराण प्रतकथाकोश २४२ शांतिनाथचरित्र १९८ श्रीपालचरित्र २०१ सद्भाषितावलि ३३८, ३४२ सिद्धान्तसारदीपक ४६ गुदर्शनचरित्र Page #966 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२] अंथकार का नाम मुनिसकलकीर्ति सकलचन्द्र सकलभूषण सदानंद गणि- आचार्य समंतभद्र समय सुन्दरगणि— ग्रंथ नाम सिंहतिलक सिनन्दि ग्रंथ सूची की | प्रथकार का नाम पत्र सं० नंदीश्वरपूजा चैत्यवंदना दर्शनस्तोत्र उपदेशरत्नमाला गोम्मटसारटीका सिद्धान्तचन्द्रिकावृत्ति समीमांसा जिनशतकालंकार देवागमस्तोत्र युवत्यनुशासन रघुवंशटीका वृत्तरत्नाकरछंदी का प्र म्नप्रबंध समयमुन्दरोपाध्याय - कल्पसूत्रटीका सहसकीति- त्रैलोक्यसारटीका कविसारस्वत - शिलोच्छ कोश वर्द्धमानविद्याकल्प धर्मोपदेशपीयूषश्रावका ૭૨ ? ६६८ चार सिद्धनागार्जुन - ५.७४ ५० | सिद्ध सेनदिवाकर ३९४ ४२५, ५७५, ७२० रत्नकरण्ड श्रावकाचार १३० १३२ सुन्दरविजय नरिण६४७ || सुमतिकीर्तिसुमतित्रा - ८१, ६९१, ७६५ सुमतिविजयगणि-बृहद्स्वयं गृस्तोत्र ५७२, ६२६ | सुमतिसागरसमंतभद्रस्तुति ५७८ सहस्रनामलघु ४२० स्वयंवर तोत्र ४२५, ४३३, ५७४, ५६५, ६३३, १० २६६ |सुखदेव - ६४७ ३६१ 67 - ७२० सुरेन्द्रकीति १६४ ३१४ ૨૭ ३२३ २७० ३५१ वसुखसागर -- सुधासागर - ६४ | ग्रंथ एवं प्रन्थकार ग्रंथ सूची की पत्र सं० अँथ नाम नमस्कार मंत्र कल्पविधि सहित ३४६ FEB ३६२ तापुट जिनसह नामस्तोय वर्द्धमानशिका सम्मतिर्क आयुर्वेद महोदधि मुक्तावलीपूजा पंचकल्याणुरूपूजा परम समस्थानिकपूजा सौभाग्यपंचमीकथा कर्मप्रकृतिटीका ३ चारित्रशुद्धिविधान V!! रघुवंशटीका ?૨૪ त्रैलोक्यसारपूजा ४८५ दशलक्षणता ४८६, ५४० पोड्नकारणपूजा व्रतोद्यापन ४१५ १४० २६७ ५२७ ५००, ५१६, ५३७ ५१६ २५.५ श्रनन्तजिनपूजा अष्टात्रिकापूजाका छंदकीय वित्त ज्ञानपंचविशतिका ज्येष्ठ जिनवरपूजा ४५ १ ( श्रुतस्कंध पूजा) ५४७ ५१६ ४EE ५०४ ५४० पंचकल्याणक पूजा སྙོ,。 is ४५६ ४६० ३५५ मात्र पूजा A. Page #967 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थ एवं ग्रंथकार । म'धकार का नाम - - ५०० सुरेश्वराचार्यमुयशकीतिमुल्हण कविदैवज्ञ पं० सूर्यश्रा सोमकीति [ ५३ मथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र संक चंदाशतक ३०९ गंवमीव्रतोद्यापन भक्तामरस्तोत्रटीका योगवितामणि लघुनाममाला २-७६ लब्धिविधानपूजा धुतबोधवृत्ति धर्मशर्माभ्युदय १७४ क्षेत्रसमासटीका योगबिंदुप्रकरण पदर्शनसमुच्चय पिंगलछंदशास्त्र नन्दीश्वरविधानकथा २२६ नथ नाम ग्रंथ सूची की | प्रकार का नाम पत्र सं० भिनाथपुजा ४६६ मुखसपत्तिवतो पंचिकररावात्तिक जन्याका वृत्तरत्नाकरदीका रामवृष्णकाव्य १६४ हाम्नचरित्र वसम्पसनकथा २५० | महाकविहरिचन्दसमवशरणपूजा ५४६ | हरिभद्रसूरिबडीसिद्धगूजा (कर्मदहनपूजा ) ६३६ अध्यात्मतरंगिणी | हरिरामवासनीतिवाक्यामृत ३३० | हरिषेणमशस्तिलकचम्मू सूतक वर्णन हेमचन्द्राचार्यमुक्तावन्निन्द्रतकथा सिन्दूरप्रकरण ३४० सूक्तिमुक्तावलि ३४२, ६३५ त्रिपचार दासक्षराजयमाल ७६५ पद्मपुराण सोमदत्त--- सोमदेव सोमदेवसोमप्रभाचार्य सोमसेन कथाकोश २१६ अभिधानचिन्तामणि नाममाला २७१ अनेकार्थसंग्रह प्रन्ययोगव्यवच्छेदकद्वात्रि शिका ५७३ छंदानुशासनवृत्ति दाश्रयकाव्य धानुपाठ नेमिनाथपरिव योगशास्त्र লিশানুৰাধন २७७ वीतरागस्तोत्र १३६, ४१६ चीरद्वात्रिशतिका शब्दानुशारान मेस्पूजा २६० १७७ सौभाग्याणिहयग्रीव विजापद्धति प्राकृतव्युत्पत्तिदीपिका २६२ प्रश्नसार २८८ नैषधचरित्र १७७ पंचमीव्रतोद्यापन ५३६ भनेका शतक २७१ हरेकल्याणहर्पीति Page #968 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ ] प्रथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पन्न सं० पादानुशासनवृत्ति २६४ | श्रादहेमीन्याकरण २७० हेमीव्याकरणावृत्ति २७० [ ग्रंथ एवं अन्धकार ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं० चतुविशतितीर्थकरस्तवन तमाखूकीजयमाल पद ওওও ३५३ कोकसार पद हिन्दी भाषा आनन्दअकृमखशीलबत्तीसी आनन्दघनअस्ययराज चौथा वन भक्तामरभाषा ७५५ श्रनयराम पद ५८५, ५८६ अगरदास कचित्त ७४८,७६८ कुडलिया ६६. साहमालूअचलकीर्चिमनोरथमाला স্থানविपापहारस्तोत्रभाषा ४१६ आसकरण६५०, ६५०, ७७४, ६६४ इन्द्रजीतमंत्रनवकाररास ६४७ इन्द्रजीत उत्तमचंदअजयराज-- चारमित्रोंकीकथा २२५ उदयभानुपद ५८१, ६९७ उदयराम ७२४, ५८०,५८१ उदयलालविनती ७७६, ७८३ वसतपूजा ७८३ ब्रह्मजितहसं तिलकरास ऋषभदासअनन्तकोतिअबजदशकुनावली ऋषभहरीअभयचन्द पूजाष्टक ५१२ कनककीतिअभयचन्दसूरि विक्रमचौबोलीचौपई २४० मुनिअभयदेव- घसणपार्श्वनाथस्तवम ६१६ अमृतचन्द ५८६ अवधू बारझनुप्रेक्षा चौबीसजिनमातापिता स्तवन नेमिराजुलबारहमासा ६१८ साधुवंदना ६१७ द्वादशानुप्रेक्षा १.६, ६६१ पूजाष्टक ५१२ समकितवाल ६२ रसिकप्रिया ६७६, ७४३ मुनिसुवतपुराण पद भोजरासो ७८६, ७६८ चारूदत्तचरित्र १६८ विलोवस्त्ररूपव्याख्या ३२२ नागकुमारचरित्र १७६ मूलाचारभाषार ५१६, ५३० वनयपूजा ५८५ प्रादिनायकीविनती ५६ ७२५ जिनस्तवन तत्वार्थसूत्रटीका ३०, ७२९ पार्श्वनाथकीमारती ५६१ ७०७ ५८५ २१२ ७७९ Page #969 -------------------------------------------------------------------------- ________________ > पंथ एव प्रन्थकार ] मंथकार का नाम कनकसोम कन्हैयालाल कपोत - अ. कपूरचन्द कबीर - कमल कलश कमलकीर्ति कर्मचन्द - कन्या कीर्ति किशन किशनगुलाब किशनदास किशनलाल किशनसिंह ग्रंथ नाम भक्तिपाठ पद विनती स्तुति ६२१ कुशल विजय ६०१, ६५० | केशरगुलाबकेशरी सिंह - याद्रकुमारधमाल ६१७ आषाढभूतिहालिया ६९० ६१७ मेघकुमार चौहानिया कवित्त पद मोरपिच्छा कृष्ण के कवित्त दोहा पद साखी ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं पद ६५१ ६६४, ७०२ ७२४, ७७४ भरणवाडीस्तवन श्रदिजिनवरस्तुति ( गुजराती ) चारुदत्तमरित्र छहढाला पद पद कृष्णबाल विलास क्रियाको भाषा पद ७८० ६७३ ४४५ ५७०, ६२४ ७६०, ७८१ ७७७, ७६३ ७२३ ४२६ ५.८७ १६७ ६७४, ८४, ६१४, ६६६ ६४९ कुवलयचन्द्र कुशललाभगणि 1 ४३७ ५३ ५६०, ७०४ केशव -- ६१९ केशवसेन| कौरपाल कृपाराम - केशवदास - | केशवदास–II कृष्णदास --- कृष्णदास कृष्णराय --- खजमल- खङ्गसेन खानचन्द्र ग्रंथ नाम [ ६०५ ग्रंथ सूची की पत्र सं० २३५ ७६३ २२५ ७८२ *** रात्रि भोजनकथा नेमिनाथपूजा ढोलामारूवणीचौरई विनती पद सम्मेदशिखर विलारा बद्ध मानपुराण कलियुगकीकथा सदयत्र न्यायलिंग। की चौपाई वैद्यमनोत्सव कवित्त कविप्रिया नखसिखन रसिकप्रिया रामचन्द्रिका पंचमीव्रतोद्यापन चौरासीबोल ज्योतिषसारभाषा २५४ Exe ६४१, ७७० १६१ ७७२ ७७१, ७६६ *૨૪ ६३५ रत्नावली व्रत विधान सतसईटी का प्रद्य ुम्नरास सवियों की सभाप त्रिलोकसारदर्पणकथा ९२ १५४ १९६ ६२२ परमात्मप्रकाश बालाव ७०१ २५२ ५६८ ५३१ وو ७२२ ४५ १ ३२१ ६८६, ६६०, बोधटीका १११ Page #970 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं प्रन्धकार प्रकार का नाम खुशालचन्द पद प्रथ नाम प्रथ सूची की ग्रंथकार का नाम पत्र संभ अनन्तग्रतकथा २१४ आकाशपंचमी कथा २४५ | प्रादित्यव्रतकथा ( रविवार कथा) ७७५ | खेतसिंहमारतोसिद्धोंकी ७०७ उत्तरपुरारणभारा १४५ : चन्दनपठीव्रतकथा २६४ पद जिनपूजापुरन्दवथा २४४ | खेमचन्द-- ज्येहजनवरच्या धन्यकुमारचरित्र १७३, ७२६ दालक्षणकथा २४४. ७३१ | गङ्गपद्मपुराएमापा १४६ गंगादासपपविधानवथा पुष्पांजलिनवरया २३४ गगादास ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. ५८२, ६२४ ६६१, ६६८,७०३, ७८३, ७६८ नेमारवर का बारहमासा ७६२ ने मीश्वरराजुलकोल हुरि ७७९ नेमजिनंदव्याहलो चौबीसजिनस्तुति ४३७ ५५०, ५६३, ५६१, ६४६ पद्यसंग्रह रसकौतुक राजसभारंजन ५७६ आदिपुराधिनती ७१ मादित्यवारकथा ७६५ झूलना त्रिभुवनकीवीनती पद भक्तामर स्तोत्रभापा ४१० यशोधर चरित्र कवित्त ७७२, ७६६ चतुर्विंशतिपय ६०१ चौबीसगणधरस्तवन ६.६ सोलरास आदोश्वरफेदशभव ७६२ पद ५८१, ५८५, ५८७ ७७२ पूजाएवंकथासंग्रह मुकुटसप्तमीकथा " गंगाराम ७३१ मुक्तावली व्रतकथा गारवदासभेघमालाप्रतकथा गिरधर २४४ यशोधर चरित्र १६१, ७११ लब्धिविधानक्या शांतिनाथपुराण १५५ गुणचन्द्रषोशकारणवतकथा २४४ सप्तपरमस्थानवलकथा २४४ हरिवंशपुराण १५८ | गुणनंदि गुणकीर्चि रत्नावलिकथा २४६ . Page #971 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १० नथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. चर्चासागर चन्दनमलयागिरिकथा २२३ पद २३५ मधुमालतीकथा ज्ञानस्वरोदय ग्रारतीपंचपरमेष्ठी ७६१ पद ५८८, ७६८ प्रकृत्रिमजिनचैत्यालयपूजा४५२ जिनसहस्रनामपूजा ४८० ५५२ ४४६, ७६८ थीपतिस्तोत्र द्वादशानुप्रेक्षा १०६ मनमोदनपंचशतीभाषा ३३४ पाव जिनगीत होलीकीकथा २५५, पद ग्रन्थ एवं ग्रंथकार । प्रथकार का नाम अथ नाम मथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं. गुणपूरण पद ७६८ | चम्पालालगुणप्रभसूरिनवकारसज्झाय | चतर-- गुणसागर दीपायनलाल ४४० ! चतुर्भुजदास शांतिनाथस्तवन गुमानीराम पद ६६६ . परणदासगुलाबचन्दकवका चिमनागुलाबरायबडाकक्का चैनविजयमह गुलालफरकाबत्तीसी चैनसुखलुहाडियाकचित्त ६७०, ६६२ गुलालपच्चीसी ७१४ पक्यिा ७४० द्वितीयसमोसरण गोपीकृष्ण नेमिराजुलब्याहलो २३२ छत्रपति जैसवालगोरखनाथ गोरखपदावली ७६७ गोविन्द बारहमासा ६६६ | छाजूघनश्याम पद ६२३ | छीतरठोलियाघासी मित्रविलास ३३४ चन्द-- चतुर्विंशतितीर्थकरस्तुति ६८५ | छोहल ७२० पद ५०७, ७९३ गुणस्थानमा चंद्रकीर्ति समस्तनतकीजयमाल ५६४ | छोटीलाल जैसवालचन्द्रमान छोटेलालमित्तलचन्द्रसागर द्वादशत्रतकथासंग्रह २२८ | जगजीवनचम्पाबाई चम्पाशतक ४३७ | जगतरामगोदीका- चम्पाराम धर्मप्रश्नोत्तरश्रावका चार ६१ भद्रवाहुचरित्र १८३ | a K ५६१ बाटला पंचेन्द्रियबेलि पंथीगोत पद ७२३ वैराग्यगीत (उदगीत) ६३७ तत्वार्थसारभाषा ३. पंचकल्याणक्यूजा एकीभावस्तोत्रभाषा ६०५ पद ४४५, ५८१, ५८२ ५८४, ६१५, ६६७, ६६६, ७२४, ७५७, ७८३, ७६८, ७EE . Page #972 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०५ ] ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम जपतराय - जगनकवि जगराम - जगरूप जनमल अनमोहन जनराज जयकिशन - जयकीर्ति जयचन्दछाबडा - जिनवाणी स्तवन पद्मनंदि रच्चीसो भाषा सम्यक्त्वकौमुदीकथा रामबत्तीसी पद प्रतिमा त्याप ग्रंथ सूची की ग्रंथकार का नाम पत्र सं० ३६० Fre २५.२ ४१४ ४०५, ६६८ ७८५ पार्श्वनाथस्तवन पद स्नेहलीला तांबर तके ८४ बोल कवित्त पद उपदेश नारहमासा कलरास महिम्नस्तवन रवि व्रतकथा अध्यात्मपत्र अष्टपाहुडभाषा श्राप्तमीमासा भाषा ६८१ कालिकानुप्रेक्षा भाषा चंद्रप्रभचरित्रभाषा ज्ञानार्णवभाषर तत्वार्थ सूत्र भाषा देवपूजा भाषा देवागमस्तोत्र भाषा ७७६ ५८५ ७७१ ६५६ ६४३ जल पांडे जयवंत - जयसागर - ५८५ ५८८ ३६३ ४२५ ६६६ जसुराम ६ जादूयम— ६६ जिलचंद्रसूरि १३० १०४ १६६ : जय सोमगरण जवाहरलाल उसकीर्ति - जसराज जसवंतसिंह राठौड - १०८ २६ | जितसागरगणि— ४९० । जितसिंहरि ३६५ [ ग्रंथ एवं प्रन्थकार ग्रंथ सूची की पत्र सं० ३६ १३६ ४१० १२४ ४६ ६६ ग्रंथ नाम द्रव्यसंग्रह भाषा परीक्षामुखभाषा भक्तामर स्तोत्र भाषा समयसार भाषा सर्वार्थसिद्धिभाषा सामायिक पाठभाषा कुशील खंडन तत्वार्थ सूत्रटीका चतुर्विंशतिजिनस्तवन जिनकुशल सुरिचांपई बारह भावना सम्मेद शिखरपूजा ज्येष्ठ जिनवरकथा पद ( चौबीसीस्तवन } ६१६,७०६ ६१८ ६१७ बारहमासा भाषाभूषरण राजनीतिशास्त्र भाषा प्रादीश्वरस्तवन पार्श्वजिनस्तवन बारभावना महावीरस्तवन विनती पाठस्तुति नेभिस्तवन ૨૭ ५२ २६ दिशतिजिनराज ५५० २२५ ७५० ३१२ ३३५ ४४५ ७०० ७०० 1900 ७०० ७०० ४०० स्तुति ७०० Page #973 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० २२१ ur ग्रंथ एव ग्रन्थकार । अंधकार का नाम मथ नाम पंथ सूची की | पंथकार का नाम पत्र सं बौरातीर्थंकरस्तुति ७०० मालिभद्रचौपई जिनचंद्रमूरि- वायत्रघ्नाचौपई क्षमावतीसी जिनदन्तमूरि-- गुस्सारतंत्रएवंसप्तस्मरण ६१६ सर्वारिनिवारणस्तोत्र ६१६ पं० जिनदास चेतनगीत धर्मतगीत ७६२ जिनरंगसूरि-- पद ५८१, ५८५, ६६८ जिनराजसूरि७६४, ७७२, ७७४ | जिनवल्लभसूरि-- ७७ जिनसिंहसूरि-- मुनीश्वरोंकोजयमाल ५७१ | जिनहर्ष ५७६, ६२२, ६५८ ६८३, ७५०, ७६१ राजुलसम्झाय ७५० विनती विवेकजकडी ७२२, ७५० जिनदर्षगरिश-- सरस्वतीजयमाल ६५८ जिनेन्द्रभूषण ७००, जिनेश्वरदास" पाण्डेजिनदास- योगारासा १०५, ६०१ जीवदास जीवणराम-- ६०३, ६२२, ६३६ जीवराम६५२, ७१३, ७१२ जैतराम जैतश्रीमालीरासो जैतसिंह-- जिनदासगोधा-- सुगुरुशतक ३४० ४४७ / जोधराजगोदीकाजिनदास- अठावीसमूलगुणरास ७०७ अनन्तयतरासचौरासोन्मातिमाला ७६५ | ग्रंथ नाम ग्रंथ सची की पत्र सं० धर्मपविशतिका निजामरिण मिच्छादुरड दातकथा समकितविण धर्म सुकुमालस्वामीरास सुभौमचकतिरास कुशलगुटवन ७७६ धमाशालिभद्रास ३६२ नवक्रारमहिमास्तवन ६१शानिभद्रधन्नाचौपई २५३ धग्धरनिमागी ३८७, ७३४ उपदेशछत्तीसी ३२४ ५०१ पद ने मराजुल गीत ६१८ पार्श्वनाथको निगानी ४४८ श्रीपालरास बारहसौनौतीसव्रतवाथा ७६५ नन्दःश्वविधान ४६४ ४४५ पद . ५८० जीवजीससंहार रागमालाके दोहे दशवकालिकगीत ७०० चौमाराधनाउद्योटकथा २२५ गौडोपार्श्वनाथस्तवन जिनस्तुति धर्मसरोवर Page #974 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१० ] मंथकार का नाम ज्ञानचंद - ज्ञानभूषण- ग्रंथ नाम म० ज्ञानसागर -- ग्रंथ सूची की प्रकार का नाम पत्र सं नेमिजिम स्तवन प्रवचनसार प्रीतिकर वरित्र भावडीक वारिषेणमुनि कथा सम्यक्त्वमुदोभाष] पद जौहरीलाल बिलाला - विद्यमान बीस तीर्थंकर पूजा २४० २५२ ६८६ टीलाराम समन्तभद्रकथा ७५८ टेकचंद ४४५, ६६४, ६६६ ७८६७६८ श्रालोचनापाठ लब्धिविधानपूज अक्षयनिधिपूजा श्रादीश्वर फाग जलगालग रास पोमहरास ६१८ |११४ | मांझराम १८२ | टीकमचंद - ७७ ५३५ ५६१ ५३४ ४५४ ३६० ३६२ ७६२ अनन्त चतुर्दशीकथा २१४ अष्टाङ्गिक कथा ७४० आदिनाथ कल्याणकथा ७०७ कथासंग्रह रत्नत्रयकथा लघु रविव्रतकथा टोडर २२० पं० टोडरमल - दशलक्षणव्रतकथा ૨૪ नेमीश्वर राजुल विवाद ६१३ माणिक्यमाला थ प्रश्नोत्तरी ६०४ ७४० २४४ [ ग्रंथ एवं प्रन्थकार ग्रंथ सूची की पत्र सं ग्रंथ नाम सोलहकारणकथा पद ४४५ चतुर्दशीकथा ७५४, ७७३ चंद्र सकथा ६३९ ६३६ ६३६ श्रीमलजी की स्तुति स्तुति पद ७४० ७८२ कर्मदहनपूजा ४६५ ५१८ ७१२ ४८३ तीन लोकपूजा नंदीश्वरखतविधान ४६४ ५१८ ५०१ पंचकल्याणक पूजा पंचपरमेष्ठीपूजा ५०३, ५१८ पंचमेरुपूजा ५०५ पुण्याश्रवकथाकोश २३४ रत्नत्रयविधानपूजा ५३१ सुष्टितरंगिणी भाषा सोनहकार मंडल विधान गोम्मटसारसं दृष्टि त्रिलोकसारभाषा ६७ 달후 पद ५८२, ६१४, ६२३ ७६७, ७७६, ७७७ आत्मानुशासन भाषा १०२ क्षपरणासारभाषा ७ गोम्मटसारकर्मकाण्ड भाषा ४३ गोम्मटसारजीकाण्डभाषा १० गोम्मटसारपीठिका ११ १२ ३२१ * Page #975 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. बीमतीर्थकर पूजा ५२३ हवरणप्रारती बारहखडी ७४५ o mms जकडी ७४४ जकड़ी ६६१, ७१५ पद बारह भावना १५७१ धर्मपरीक्षाभाषा ३५५ पर प्रन्थ एवं ग्रंथकार ! मंथकार का नाम प्रथ नाम प्रथ सूची की | अंधकार का नाम पत्र संब पुरुषार्थसिद्धधु पामभाषा ६६ | थानजीअजमेरामोक्षमार्गप्रकाशक थिरूमललब्धिसारभाषा दत्तलाललब्धिसारक्षपणासार ब्रह्मदयाजलब्धिसारसंष्टि दयालरामठक्कुरसी परपछंद ६३८ : दरिगहनेमीश्वरफीबेलि ( नमीश्वरकवित्त) ७२२ ! दलजी-- पंचेन्द्रियबेलि ७०३ ' दलाराम--- ७२२, ७१५ दशरथनिगोत्याकक्ठिाकुरणमोकारपच्चीसी ४३६ दाससज्जनप्रकाश दोहा २८४ मुनिदीपहालूराम अढाईद्वीपपूजा चतुर्दशीकथा छौ४२ द्वादशांगपूजा ४६१ | दीपचन्दपंचपरमेष्ठीगुणवर्णन ६६ पंचपरमेष्ठीपूजा ५.३ पंचमेरुपूजा डूगरकवि होलिकाचौपई २५५ हूँगाद श्रेणिकचौपई २४ तिपरदास श्री रुक्मगिकृष्णजी को रासो ७ दुलीचंदतिलोकचंद सामायिक्रपाठभाषा ६६ तुलसीदास- कवितबंधरामचरित्र ६९७ तुलसीदास प्रश्नोत्तररत्नमाला तेजराम तीर्थमालास्तवन ६१७ ४१५ YS विद्यमानबीसतीर्थंकर पूजा अनुभवप्रकाश पात्मावलोकन चिद्विलास प्रारती ज्ञानदर्पण परमात्मपुराण १०५ माराधनासारवनिका ५० उपदेशरत्नमाला जैनसदाचारमात नामकपत्रकाप्रत्युत्तर २० जैनागारप्रक्रियाभाषा द्रव्यसंग्रहभाषा निर्मात्यदोषवर्णन त्रिभुधनचंद भनित्यपचासिका ७५५ Page #976 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१२ । प्रथकार का नाम ग्रंथ एवं अन्धकार ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. संकट चौथरतकथा ७६४ छहटाला जिनस्तान ७०७ देवन्ददेवचंद ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की ! ग्रंथकार का नाम पत्र सं प्रतिष्ठागउभाषा ५२२ बाईसमभक्ष्पवर्णन ७५ दौलतरामसुभाषितावली मुष्टिज्ञान अष्टप्रकारीपूजा नपदपूजा ६६४ - दौलतरामपाटनी दौलतरामउपदेशसभाप ३८१ जिनवरजीकी बिनती ६८५ कलियुगकोविनती ६१५, ७६० पद ४४६, ६५४ बारहभावना ५६१, ६७५ व्रतविधानरासो ७७६ प्रादिपुराण चौबीसदण्डकभाषा ५६, ४२६, ४४८ देवसिंहदेवसेनदेवादिलदेवापार -- देवात्र ५८६ وأقاقا चौबीसतीवरस्तुति ४३८ पद ४४६, ७८३, ७८५ विनती १५१, ६६५, ७८० नवकारबडीवीनती ६५१ मुनिसुव्रतबीनती सम्मेदशिखरविलास ६३ | दौलत पासेरीसास बहुकाझगडा ६४८ धानतरायहितोपदेशभाषा नेपनक्रियाकोश ५६ पद्मपुराणभाषा परमात्मप्रकाशभाषा १११ पुण्याश्रवकथाकोश सिद्धपूजाष्टक हरिबंशपुराण ऋषिमंडलपूजा ४६४ अष्टाह्निकापूजा ७०५, ४६० अक्षरबावनी प्रागमविलास भारतीसंग्रह ६२१, ६२२ ७७७ उपदेशशतक ३२५, ७४७ चर्चाशतक देवीचन्द देवीदास कवित्त जीवत्रेल डी देवीसिंहछाबडादेवेन्द्रकीतिदेवेन्द्रभूषण राजनीतिकवित्त ३३६, ७५.२ उपदेशरत्नमालामाषा ५२ जकडी ६२१ ५८७ रविवारकथा चौबीसतीर्थंकरपूजा ७०४ छहढाला ६५२, ६७२ Page #977 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६१३ मथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. संबोधमक्षरबावनी समाधिमरणभाषा सिद्धक्षेत्रपूजाष्टक स्वयंभूस्तोत्रभाषा ४२६ भाषा ५२४ कलियुगकीकथा ७७३ तीनमियांकीजफडी १२६ पद मंथ एवं ग्रंथकार ] प्रधकार का नाम प्रथ नाम मंथ सूची की | मंथकार का नाम पत्र सं० ६७४, ७४७ गुरुभष्टक ७७७ जकडी ६४३ तत्वसारभाषा ७४७ दवाबोलपच्ची दशलशणपूजा ५१६, ७०५ द्वारिकादासदानबाबनी ६.५, ६८९ धनराजद्यानतविलास द्रव्यसंग्रहभाषा ७१२ धर्मविलास ३२८ | धर्मचन्दधर्मपचोसी ७१०, ७४७ | धर्मदासपंचमेरुपूजा ५०५, ७०५ पार्श्वनाथस्तोत्रभाषा ५६६ || | धर्मपाल६१५, ४०६ धर्मभूषणपदसंग्रह ४४५, ५८३ धर्मसी-- ५८४, ५८५, ५८६ धीरजसिंहराठौठ५५८, ५८६, ५६० नन्ददास६२२, ६२४, ६४३ ६४६, ६५४, ७०४ ७४६, ७७ भावमास्तोत्र रलत्रयपूजा ५२६,७०५ যায়ীpমনসামাল ও षोडशकारगापूजा ५११ __५१६, ५५६, ७.५ संघपच्चीसी ३७५ | नन्दराम--- संबोधपंचासिका १२८ ६०५, ६४८, ६५, ६६३ | बैद्यनन्दलाल ७१३, ७१६, ७२५ नखरूकवि ७६८ शिखरविलासभाषा अनन्तके छप्पय ७५७ मोरपिच्छधारीकृष्ण के कवित ६७३ पद ५८८, ७६ अंजनाकोरास दानशीलतपभावना भाषाभूषण ६९८ अनेकार्थनाममाला अनेकार्थमंजरी २७१, ७६३ ५८७,७०४ ७७० नाममंजरी मानमंजरो २७६, ६९१ विरहमंजरी ६५७, ७५६ श्यामबत्तीसो पद योगसारभाषा कमकाबत्तीसी प्रश्नापलिकवित्त रसालकुवरको चौपई ५७७ ७८२ Page #978 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथकार का नाम । नथमलबिलाला ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की | पंथकार का नाम पत्र सं. अष्टाह्रिकाकथा जीवंघरचरित्र १७० दर्शनसारभाषा परमात्मप्रकाशभाषा १११ महीपालचरित्र भक्तामरस्तोत्रकथा ___ भाषा २३४, ७२० | नाथूरामदोसीरत्नकरण्डश्रावकाचार प्रक्षनाथू १५६ भाषा ८३ ६२२ { अंथ एवं ग्रन्थकार ग्रंथ नाम गंध सूची की पत्र सं० ६५३, ६५४, ६५५ ७८२ ७३, ७१८ बारहभावना ४२६, ५७१ मद्रवाहुचरित्र १८३ शिक्षाचतुष्क ६६८ समाधितंत्रभाषा १२६ चेतावनी गीत पद ६२२ पार्श्वनाथस्तवन अकलंकचरित्रगीत गीत ६२२ जम्बूस्वामीचरित्र जातकसार जिनसहस्रनामस्तोत्र ६६३ रक्षाबंधनकधा स्वानुभवदर्पण १२८ सुकुमालचरित्र दोहासंग्रह ५८१ नयचक्रभावप्रकाशिनी टीका १३४ रत्मत्रयजयमालभाषा ५२८ पोडशकारणभावना जगमाल ८ सिद्धान्तसारभाषा ४७ सिद्धिप्रियस्तोत्रभाषा नाथूराम पद नयविमल-- नयनसुख २३७ नयनसुख-|| २०७ मरपालनरेन्द्रकीति ५८१ देद्यमनोत्सब ३०४, ६०३, ६६५, ७६८, ७६४ ४४५, ५८३ | नाथूलालदोसीभजनसंग्रह ५० नानिगरामपद ५८ निर्मलढालमंगल की अग्रवाल- रत्नावलीप्रतों की तिथियों के नाम ६५५ . नेमीचन्दगुरुपोंकीवीनती ७०४ जिनपच्चीसी ६५१, ६५० ६७५, ६६३, ७२५ ४४५,५८२ ५८६,५६०, ६१५, ६४० ६२२ नवलराम जकड़ी तीनलोकपूजा चौबोसतीर्थकरोंको वंदना ७७५ ५८०, ६२२ प्रीत्यंकरचोपई Page #979 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - पंथ एच प्रथकार ] प्रथकार का नाम पंथ नाम ग्रंथ सूची की | प्रथकार का नाम पत्र सं० मेमीवरीत लुहरि ६२२ बिनती नेमीचंचपाटनी- चतुर्विशतितीर्थकर पूजा ४७२ तीनचौबीसीपूजा ४०२ नेमीचंदवशी- सरस्वतीपूजा नेमीदास निर्वाणमोदकनिर्णय न्यामतसिंह पद ७६५ भविष्दत्तवत्ततिलकासुन्दरीनाटक ३१७ ७६५ पदमभगत कृष्णरूक्मिणीमंगल २२१ पद्मकुमार आतमशिक्षासज्झाय ६१६ पतिलक पद ५८३ पद्मनंदि. देवतास्तुति २६४ [ ६१५ प्रथ नाम ग्रंथ सची की . पत्र सं. जीवंघरचरित्र तन्वकौस्तुभ तत्वार्थसारभाषा तत्त्वसारभाषा द्रव्यसंग्रहभाषा धर्मप्रदीपभाषा: नंदीश्वरभक्तिभाषा ४६४ नवतत्त्ववनिका ३६ न्यायदीपिकाभाषा १३५ पांडवपुराण प्रश्नोत्तरश्रावकाचार - भाषा ७० . ४४६ १८४ भक्तामरस्तोत्रकथा भक्तिपाठ भविष्यदत्तचरित्र भूपालचौबीमीभाषा मरकविलास योगसारभाषा यशोधरचरित्र पद परमान्मराजस्तवन नवकारसज्झाय ६१८ १९२ एमासजगणि, पद्माकरचौधरीपन्नालालसंधी कवित्त ७५३ प्राचारसारभाषा पाराधनासारभाषा उत्तरपुराणभाषा १४६ एकीभावस्तोत्रभाषा ३५३ कल्याणमंदिरस्तोत्रभाषा ३८५ गौतमस्वामीचरित्र १६३ जम्बस्वामीचरित्र जिनदत्तचरित्र १७० रत्नकरण्डनावकाचार ८३ बसुनंदिधाबकायारभाषा ६५ विषापहारस्तोत्रभाषा ४१६ षट्पावश्यफविधान ७ प्रावकप्रतिक्रमणभाषा ६ सद्भाषितावलीभाषा ३३८ समाधिमारणभाषा १२५ सरस्वतीपूजा सिदिनिमस्तोत्रभाषा ४२१ Page #980 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ । प्रकार का नाम पन्नालाल दूनीवाले - पारसदासनिगोल्या पारसदास पार्श्वदास - प्रथ नाम समवसरणपूजा पन्नालाल बाकलीवाल - बालपद्मपुराण परमानंद - परिमल्ल -- पर्वतधर्मार्थी -- पुण्यरत्न - पुण्यसागरपुरुषोत्तमदास— पून्यो सुभाषितावली भाषा पंचकल्याणक पूजा विद्वज्जन बोकभाषा 吋 ग्रंथ सूची की ग्रंथकार का नाम पत्र सं श्रीपालचरित्र द्रव्य संग्रहभाषा समाधितंत्रभाषा पद बारहखड़ी नेमिनाथफागु - साधुवंदना बोहे पद पद पूरणदेव - पेमराज - पृथ्वीराजराठौड - महाराजा सवाई प्रतापसिंह - १२६ ज्ञानसूर्योदयनाटकभाषा ३१७ सारचोबीसी ३४४ प्रभुदास--- ५०१ प्रसन्नचंद्र - ८६ फतेहचंद ८०० ६८४७७० २०१, ७७३ ३६ पद वैदर भी विवाह कृष्णरूक्मिरिणबेलि १५१ ७८५ मेघकुमारगीत ६६१, ७२२ ७४६, ७५० ७६४ ७७५ वीरजिणंदकी संघावली ७७५ ६६३ अमृतसागर चंदकुंबरकी वार्ता ४५२ ६५४ ३३२ । ૧૪. ४५२ ६८७ ७८५ २४० ३६४ ६५६, ७०० २६६ २२३ अंशी वंशीवाल- वंशीधर - बस्वतराम बख्तावरलाल बधीचन्द — बनारसीदास - ग्रंथ एवं प्रन्थकार ग्रंथ सूची की पत्र सं० परमात्मप्रकाश भाषा ७६५ भातमशिक्षासञ्झाय ६१६ ५७६ ५८० ५८१ ५५२, ५६३ ७७७ ७८१ ग्रंथ नाम पद हर मंगल रोहिणीविधिकथा द्रव्यसंग्रहाला बोटीक ७६१ पद ५८३, ५०६, ६६८ ७८३, ७६६ ७८ मिथ्यात्वखंडन 94 बुद्धिविलास चतुविशतितीर्थंकरपूजा ४७३ ज्ञानसूर्योदय नाटकभाषा ३१७ रामचन्द्रचरित्र ६६१ श्रध्यात्मबत्तीसी प्रात्मध्यान कर्म प्रकृतिविधान कल्याणमंदिरस्तोत्रभाषा * ३६०, ६७७, ७४६ £2 १०० ३८५, ४२६, ५६६ ५६६, ६०३, ६४३ ६४५, ६५०, ६६१ कवित जिन सहस्रनाम भाषा ६६२, ६६५, ६७० ७०३, ७०५ ज्ञानरच्चीसी ७०६, ७७३ ६६० vrt ६१४, ६२४ ६५०, ७४३, ७७५ T Page #981 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रय एवं ग्रंथकार । प्रथकार का नाम ग्रंथ नाप्न नथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं० । ज्ञानबावनी १०५, ७५० बलदेवतेरहकाठिया ४२६, ७५० बायूलालनवरत्नवित्त ७४३, । बालचंदनाममाला २७६,७०६ | विहारीदासपदै ५८५, ५०६, ५८६, ५६०, ६१५, ६२१ ६२२, ६२३ ६६७ पार्श्वनाथस्तुति ७२३ | बिहारीलालपरमज्योतिरतोनभाया ४०२ | बुधनपरमानंदस्तोत्रभाषा ५६२ बनारसीविलास ६४. ६८६, ७०६ मोहविवेकयुद्ध ७१४, ७६४ मोडी ८०, ७१६ [११७ प्रथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं० ७६ विषाकुमारमुनिपूज। ५३६ पद ६२५. प्रारती ७७७ कवित ७७० पद ५८७ पद्यसंग्रह वंदनाजकड़ी ४४६, ७२७ सतराई ६८८, ७२७, ७६८ इष्टछत्तीसी छटाला तत्वार्थबोध दर्शनपाठ ४३६ पञ्चास्तिकायभाषा ४१ पद ४४५, ४४६, ५७१ ६४८, ६५३, ६५४ ७८५, ७६० बंदनाजकडी ४४४ बुधजमविलास ३३२ बुधजनसतसई ३३२, ३३३ योगसारभाषा ११७ पटपाठ संबोधपंचसिकामाषा ५७० सरस्वतीपूजा स्तुति ७०४ सामायिकपाठभाषा पाण्डवपुराण १५०, ७४५ प्रश्नोत्तरश्रावकाचार ७० टंडारणागीत ७२२, ७५० शारदाष्टक समवसारनाटक १२३, ६०४ ६३९, ६४०, ६५७ ६.०, ६८३, ६८५ ६८६, ६६४ ६६८ ७०२, ७१६, ७२० ७२१, ७३१, ७५६ ७७८, ७२५ साधुबंदना ६४०, ६५२ | बुधमहाचंद ७१६ | बुलाकीदास-- सिन्दूप्रकरण ३४०, ५१० ७१२. ७४६ । बूचराज Page #982 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंथकार का नाम .. भगतरामभैयाभगतीदास | भानुकीर्ति ग्रंथ नाम सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र संभ भुवनकीतिगीत ६६६ , पद ७६८ माहारके ४६ दोष - भागचंदवर्णन प्रकृत्रिमत्यालय जयमाल ६४४, ७२० चेतनकर्मचरित्र ७४० ६१३, ६०५, ६६ प्रनित्यपच्चीसी ६८९ निर्वाणकाण्डभाषा ३६६ ४२६, ५६२, ५६५, भागीरथ--- ५७०, ६५०, ५६६ ६००, ६०५, ६१४ ६२०, ६४३, ६५१ ६६२, ७०४, ७२० भारामस्ल ब्रह्मविलास ३३३ बारहभावना ७२० वैराग्यपच्चीसी श्रीपालजीकीस्तुति ६४३ सप्तभंगीवारणी ६८. धीरजिणंदगीत भा, शांतिसागरपूजा ४६१ ७५६ पद ५८१ . भीकनकवि---- चन्दनमलयागिरी २२३ । भुषनकीसिमादित्यवारकथा ( रवियतकथा) २३७, २४४ ६०१, ६८५, ७४० ७४५, ७५६, ६२ । ग्रंथ एवं अन्धकार मंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं. ५७ नेमीपवरकोरास उपदेशसिद्धान्तरल माला ५१ शानसूर्योदयनाटक ३१७ नेमिनाथपुराण १४६ प्रमाणपरीक्षाभाषा १३७ का ४४५, ४४६, ५:७० श्रावकाचारभाषा सम्मेदशिखरपूजा मोनागिरपच्चीसी जीवकायासमाय पद ५८३, ५८५, ६१५ रविव्रतकथा कर्मरचीसी ७६६ पारूदत्तचरित्र दर्शनकथा ५२७ दानवथा २२८ मुक्तावलिया रात्रिभोजनकथा शलिवथा २४७ सप्तष्मसचनया २५० लब्धिविधानचौपई नेमिराजुलगीत प्रभातिकस्तुति ६३३ एकीभावस्तोत्रभाषा ३८३ ४२६, ४४८, ६५२ ६६२,७१६, ७२० . १६८ ६८५ भगौतीदास-- भगवानदास भगोसाहभद्रसेनभाऊ भुवमभूषण-- Page #983 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्र सं. स्तुति भूधरमिश्र मंथ एष प्रन्थकार ] [ ६१६ मंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची की | प्रधकार का नाम पंथ नाम मंथ सूची की पत्र सं. कवित्त भूधरदास वारहभावना ७७० ११४ गुरुपोंकीचीनतो ४४७ वजनाभिचक्रवत्तिको ५११, ६१४, ६४२, ६६३ भावना २५ चर्चासमाधान १५, ६०६ / ४४८, ७३६ विनती चतुविशतिस्तोत्र ४२६ जकडो ६५५, ७१९ जिनदर्शन पुरुषार्थसिद्धय पाय जनशतक ३२७, १२६ वचनिका ६५२, ६७०, ६६ भेल्लीराम ७७६ ७१३, ७१६, ७३२ पचकल्याणकपूजा भैरवदासदशलक्षण जा ५६२ भोगीताल वृहदपटाककल नन्दीश्वरद्वीपपूजा मरकदुःखवर्णन ६५, ७८८ मंगलचंदनेमीश्वरको स्तुति ६५० पदसंग्रह ७७७ मकरंदपद्मावतिपुरवाल- षट् संहननवर्णन ८ पंचमेवजा ५०५, ५६६ मक्खनलाल मकलंकनाटक ७०४, ७५९ मजलसराय जैनबद्रोदेशकोपत्री ५८१ पार्यपुराण १७६, ७४४ मतिकुसल चन्द्रलेहारास ७६१ मतिशेखर ज्ञानवाबनी ७७२ पुरुषार्थसिद्धघु पाय मतिसागर शालिभद्रचौपई १६८, ७२६ भाषा ६६ | मथरादालव्यास- लीलावतीभाषा ३.६८ ४४५, ५८०,५८९ मनरंगशाल पकृत्रिमरीत्यालयपूजा ४५४ ५६०, ६१५, ६२० चतुर्विंशतितीर्थकरपूजा ४७३ ६४८, ६६४, ६५४ निर्वाणापूजापाठ ६६४, ७७६, ७७७ मनरथ---- चितामरिणजीकीजयमाल ७६५, ७६, ७६८ ६४ वाईसपरीषहषर्णन ७५, ।। मनराम प्रक्षरमुखमाला ६०५ । गुणाक्षरमाला Page #984 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | ग्रंथ एवं ग्रन्थकार ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र संग पद ४४७, ४.४८, ७६८ समाधितंत्र भापा १२५ साधुबंदना ४५२ हुण्डायपिशीकाल दो वर्णन ९ मानवावनी ३३४, ६०१ विनतीचौपडकी ७१ संयोगबत्तीसी ६१३ वठियारकानडरीचौपई २१८ भारती ७७७ ७७७ १२० ] थकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की मंथकार का नाम पत्र सं. पद ६६०, ७२३, ७२४ ७६४, ७६६, ७७६ मनसाराम-- पद ६ ६३, ६६४ मनसुखलाल सम्मेदशिखरमहाल्य मनहरदेव'प्रादिनाथपूजा ५११ मानकवि-- मन्नालालखिन्दूका चारित्रसारभाषा पद्मनंक्षिपच्चीसीभाषा प्रद्युम्नचरित्रभाषा १८२ मानसागरमनासाहमानकीबडीबावनी ६३८ मानसिंहमानकीलघुबावनी ६३८ मनोहर पद ४४५. .६२, ७६४ ७५,७८६ ज्ञानवितामरिण मनोहरदास मारू१८, ७१४ मिहरचंदज्ञानपदवी ७१८ मुकन्ददासज्ञानपंडी मेहनन्दनधर्मपरोक्षा ३५७,७१६ मेरुसुन्दरगणि मेलामलकचंद मेलीराममलूकदास महेशकषिबैराग्यगीत महमत मोतीराममहाचन्द--- लघुस्वयंभूस्तोत्र मोहनषट्नावश्यक मोहनमिश्र-- सामायिका ४२६ मोहनविजयमहीचन्द्रपूरि ५७६ महेन्द्रकीर्तिजकडी रंगविजय-- ७८६ माखनकवि पिंगलदशास्त्र ३१० रंगविनयाणिमाणकचंद--. . तेरहपंथपच्चीसो भमरगौत मानविनोद पहेलियाँ • सज्जनचित्तवल्लभ ६५१ पद अजितशांसिस्तवन शीलोपदेशमाला २४७ ७७६ पद कल्याणमंदिरस्तोत्र ७५६ ७६३ हमीररासो ५११. कवित्त ७७२ 'लीलावतीभाषा चन्दनापरित्र मानतुगमानवतिबोपई २३५ मादीश्वरगीत उपदेशसज्झाय मंगलयालशमहामुनि चतुष्पदी १८५ ६२० । ४४६/ Page #985 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 · ग्रंथ एव प्रन्थकार ] अंधकार का नाम रघु रघुराम- रणजीतदासरत्नकीर्ति रतनचंद - रत्न मुक्ति रत्नभूषण रल्हकवि रसिकराय - राजमल राजसमुद्र -- राजसिंह राजसुन्दर राजाराम - राम रामकृष्ण - रामचंद्र - ग्रंथ नाम बारह भावना सभासारनाटक. ११४ ३३८ स्वरोदय ३४५ नेमीश्वरका हिण्डोलमा ७२२ नेमीश्वरस ६३८८ चौबीसोविनती देवकीको दान नेमी राजमतीरास ૬૧૭ जिनचैत्यालयजयमाल ५६४ ६५२ Ex जिनदत्ततीई नेहलीला तत्वार्थ सूत्रटीका कर्मबत्तीसी जीवकासका शत्रुञ्जयभास शत्रुनयस्तवन सोलहसतियों के नाम पद ग्रंथ सूची की । प्रथकार का नाम पत्र सं दशमाला सुन्दर गार पद ब पद रत्नपरीक्षा जकड़ी पत्र હર્ ६४६ ** श्रादिनाथपूजा चंद्रप्रभजिनपूजा ३० ૨૭ ६१६ ६१६ ६१९ ૬ ? E ऋषिरामचन्द्र ५८७ '७४३, ७७१ ६८३, ७२६ ५.६० रामभगत - ६५३ मिश्रीरामराय - ३५८ ४३८ ६६८ ६५१ ४७४ रामचन्द्र रामदास रामविनोद ब्र० रायमल्ल -- ग्रंथ नाम चतुविशतितीर्थव पूजा पद पूजासंग्रह प्रतिमासान्त चतुर्दशी व्रतोद्यापन पुरुपस्त्रीसंवाद बारहखडी [ ६२१ ग्रंथ सूची की पत्र सं ४७२, ६६६, ७२७, ७२६,७७२ ५८१.६६८ ६८६ ५२० शिखरविलारा सम्मेदशिखरपूजा सोतभ्चरित्र नेमिनाथरास रामविनोद 鸭 सुपार्श्वनाथपूजा उपदेशसभाम कल्याणमंदिरस्तोत्र भाषा पद २०६७२५ ७५६ ५५५ ३८० ५२० ७८६ ७१५ ५४५. ६६३ वृहदचारिणयनीति ५.५० ५८३५६६ ६६३, ६९७, ७७२ ५८२ चितामणि जयमाल दियालीसठाणा ३८५ ३६२ ३०२ वस्त्रभाषा ३३३ रामविनोदभाषा ६४० प्रादित्यत्रारकथा ७१२ ६५५ ७६५ Page #986 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ । प्रकार का नाम प्रथ नाम जम्बूस्वामी चरित्र निर्दो ७१० cce ३६३, ६०१ ६२१, ६३८, ७५२ ७६३ ५६५, ६३६ ७१२७३७७४ मीवर फाग पंचगुरुकी जयमाल प्रद्य ुम्नरात '5' ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं० भक्तामर स्तोत्रवृत्ति ४०८ भविष्यदत्तरास ३६४, ५६४ ६४८७४०, ७५१ ७५२,७७३, ७७५ राजा चन्द्रगुप्तवचोपई ६२० शीलरास ७४६ श्रीपाल रास ૬૬ ६५४. ७१२ १७७४६ ३६६, ६३९ ७१२, ७४६ २१६, ५६५ पांडे रुपचंद५६६, ७१७, ७३४ |रूपदीप ७४०, ७५२ | रेखराज ७४४, ७९२ सुदर्शन रास हनुमन्त्रवि साधर्मी भाईरायमल्ल - ज्ञानानन्यभावका 1 रूपचंद— अध्यात्म दोहा जकडी जिनस्तुति चार लक्ष्मण- लक्ष्मीवल्लभ ५८ लक्ष्मीसागर - ७४६ लब्धिविमलग६५०, ७५२ पं० लाखो ६६१, ७५५ | लाल--- - ७०२ । लालचन्द -- मंथ नाम पंचमंगल ४०१, ४२८, ४४७ ५१८, ५६५ ५७० ६२४, ६४२, ६५० ६५८, ६६१, ६६४, ६७३, ७०४, ७७५ ७१५, ७२० चकल्याणक पूजा ५०० दोहाशतक -७४०, ७४३ पद ५८५ ६७ ५८८ ६२४, ६६१, ७२४ ७४६,७५४७६३ ७६५, ७८३ ७६४ ७०६ परमार्थगोत परमार्थ दोहा परमार्थ हिंडोल ना घुमंगल विनती प्रथ एवं प्रन्थकार ग्रंथ सूची की पत्र सं० पद चन्दकथा समवसरणपूजा तत्वार्थ सूत्रभाषाका ६४० निगलभाषा ७०६ ७६८ 9YE ३७ ६८२ नवतत्वप्रकररण पद ७६४ ६२४, ७१९ ७६५ गद भारती ज्ञानावटीकाभापा पार्श्वनाथ चोप ५४६ १०८ ४४३ ४४५, ६८६ ६२२ * + Page #987 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१२ प्रथ एवं ग्रंथकार ) [ १२३ + प्रधकार का नाम नथ नाम पंथ सूची की | पंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं० पत्र सं० चिन्तामणि पार्श्वनाथ पार्वजिनपूजा स्तवन १७ पूजाष्टक धर्मबुद्धिचौपई २२६, षटलेण्याबेलि नेमिनाघमंगल ६०५, ७२२ वल्लभ रूक्मिणीविवाह ७८७ ने मीश्वरका व्याहला ६५१ | याजिद वाजिदकेडिल्ल पद ५८२, ५८३, ५८७ | षादिचन्द्र मादित्यवारकथा पूजासंग्रह ७७७ विचित्रदेव मोरपिन्द्वधारीके पांडे लालचंद- षट्कर्मोपदेशरत्नमाला कवित्त ६७३ सम्मेदशिस्त्ररमहात्म्य १२ विजयकीर्ति अनन्तवतपूजा ऋषि लालच्द- अठारहनातेकीवथा २१३ जम्बूस्वामीचरिव १६६ मरुदेवीसज्झाप ४५० पद ५८०,५८२ महावीरजीचौढाल्या ४५० ५८३, ५०४, ५८५ विजयकुमारसभाय ___४५० ५८६, ५७, ५८६ कान्तिनाथस्तवन ४१७ धेशिकचरित्र २०४ शीतलनाथस्तवन ४५१ विजयदे नेमिनाथरास ३६२ लाल जीततेरहद्वी पूजा शीलरास ३६५, ६१७ ब्रझलाल-- जिनवरतवजयमाला | विजयमानसूरि- थे वांसस्तवन ४५१ लालबर्द्धनपाण्डवचरित्र १७८ विद्याभूषण गीत महालालसागरए/मोकारछंद ६८३ | विनयकीति अष्टाहिकावतकथा लूणकरणकासलीवाल- चौबीसतीर्थकरस्तवन ४३८ ७८०, ७६४ देवकीकीवाल ४३६ | विनयचंद केवलज्ञानसभाय ३८५ साइलोइट-- पठारहनातेकीकथा विनोदीलाललालचंद- कृपणपच्चीसी (चौढाल्या) ६२३ चौबीसीस्तुति ७५३, ७७६ ७२३, ७७५, ७८०, ७६८ चौरासीजातिका द्वादशानुप्रेक्षा जयमाल ३६६ पार्श्वनाथकोगुमामाला ७६ नेमिनाथकेनवमंगल ४४० पार्श्वनाथजयमाल ६४२ ६८५, ७२०, ७३४ ७८१ नेमिनाथकाबारहमासा ७५३ ४८४ F८५ Page #988 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४ ] ग्रंथकार का नाम । ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की मंधकार का नाम पत्र सं० पूजाष्टक ७७७वृजलाल५६०,६२३ | वृन्दकवि७५७, ७८३, ७६८ भक्तामरस्तोत्रकथा २३४ वृन्दावनसम्यक्त्वकौमुदीकथा २५२ राजुलपच्चीसी ६१३, ६२२, ६४३ ६५१, ६८५ ७४७, ७५३ बाहुबलीसज्माय ४४६ शंकराचार्यप्राराधनाप्रतिबोधसार ६५५ शांतिकुशलजिनचौबीसीभवान्तर व शांतिदासरास ५७० प्रनाथोसाघचौढालिया ६८० पहनकचौढालियागीत ४३५ शालिभद्रधर्मपरीक्षामाषा शिखरच दप्रष्टकपूजा शिरोमणिदास ऋषिशियनेमिजोकोमंगल ५६७ नमिजीकीलहरि ७४६, ७७८ शिवजीलाल . विमलकीतिविमलेन्द्रकीति । ग्रंथ एवं अन्यकार ग्रंथ नाम मथ सूची की पत्र सं० बारहभावना ६५ वृन्दसतसई ६७५, ७५.१, ७८५ कवित्त २८२ অৰিহালিৰাৰ্থৰ সুলা ২৪ छंदशतक तीस चौबीसीपूजा ४८३ पद ६२५, ६४३ प्रवचनसारभाषा ११४ मुहूर्तमुक्तावलिभाषा ७६८ अजनारास ३६० अनन्तनाथजा ६६०, ७६५ आदिनाथपूजा ६५ बुद्धिरास तत्वार्थमूत्रभाषा ३० धर्मसार नेमिस्तवन ४०० पर्चासार दर्शनसारभाषा १३३ प्रतिष्ठासार ५२२ संचहणीबालासबोध ४५ कवितचुगलखोरका ७८२ ७५० अष्टाहिकागीत पारती क्षेत्रपालगीत ६२३ विमलविनयरिण विशालकीतिविश्वभूषण पार्श्वनाथ चरित्र ५६६ विनती ६२१ शिनिधानगणि-- हेमारी शिवलालविश्वामित्ररामकवच शिवसुन्दरत्रिसनदास शुभचन्द्रवीरचंद जिनान्तर संबोधसतार वेणीदास [. वेण]- पांचपरवीव्रतकीकथा ६२१ ६८५ ५६७ ३३६ पद ७०२, ७२४ ७७७ Page #989 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मथ एवं ग्रंथकार ] प्रथकार का शोभाचन्द - श्यामदास--- श्याममिश्र - श्रीपाल -- श्रीभूषण श्रीराम- श्रीवर्द्धन - मुनिश्रीसार- संतदास संतराम --- संतलाल - संतीदास - संतोषकवि मुनिसकलकीर्ति नाम शिवादेवी माताको प्राठकों ७२४ क्षेत्रपालभैरवगीत पद तोसीबीसी पद श्यामबत्तीसी रागमाला विषष्ठिला पद अनन्तचतुर्दशी पूजा पद पद गुणस्थानगीत स्वार्थबीसी पद कवित्त सिद्धचक्रपूजा पद विषहरणविधि आराधनाप्रतिबोधसार कर्मचुरवत वेलि पद पार्श्वनाथाष्टक मुक्तावलिगीत सोलहकारण रास की कार का नाम पत्र सं पद सदासागरसदासुखकासलीवाल - अर्थप्रकाशिका ५८३,७७७ ७७७ ७५८ ७६४ ७६६ ७७१ ૬૭૦ ६७० 동 ५६३ ५६० ७६३ ६१९ ६५४ ६६२ ५५४ ७५.६ ३०३ ६५५ ५६२ १६५ ७७७ ६८६ ५६४ ६३६, ७८१ ५८० १ सबलसिंह - सभाचन्द सवाईराम -- समयराज - समयसुन्दर ग्रंथ नान [ २२५ ग्रंथ सूची की पत्र सं० ३७६ ७९६ २६ अकलं काष्टकभाषा ऋषिमंडलपूजा तत्वार्थ सूत्र भाषा दशलक्षण धर्मनि नित्यनियमपूत्रा न्यायदीपिकाभाषा भगवती प्राराधनाभाषा मृत्यु महोत्सव भाषा रत्नकरण्ड श्रावकाचार पीडाकारणभावना पद लुहरि पद पार्श्वनाथस्तवन अनाशमुनि साथ अरहन सज्नाय श्रादिनाथस्तवन फर्म छत्तीसी कुशल गुरुस्तवन क्षमाछत्तीसी गौडी पार्श्वनाथस्तवन ५६ नमिराजपिसज्झाय पंचयतस्तत्रन ve १३५ ७६ ११५. ८२ ६२४ ७२४ ५६० ६६७ ६१८ ६१८ ६१६ ६१६ ७७६ ६१७ ६१७ ६१६ गौतमपृच्छा ६१९ गौतमस्वामी सम्झाय ६१८ ज्ञानपंचमीबृहदुस्तवन ७७९ तीर्थमालास्तव न ६१७ दानतपशील संबाद ६१७ ६१८ ६१६ Page #990 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं प्रन्थकार ६२६ । मथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र संभ - व प्रथ नाम नथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र से पद ५७६, ५८८ ! सुग्वानंद ५८६, ७७७ , सुगनचंदपद्मावतोरानीमाराधना ६१७ पद्मावतीस्तोत्र ६८५ सुन्दरपाइवनावस्तवन पुण्यछत्तीसी फलबधीपार्श्वनाथस्तवन ६१६ बाहुबलिसम्झाय ६१६ | सुन्दरगामिंगचीसविरहमानजकडी ६१७ | सुन्दरदासमहावीरस्तवन ७३५ मेघकुमारसज्झाय ६१८ मौनएकादशीस्तवन ६२० राणपुरस्लवन ६१६ सुन्दरदास--॥ बलदेवमहामुनिसज्झाय ६१६ | सुन्दर भूषण--- विनती ७३२ । सुमतिकीतिशल्जयतीर्थरास ६१५, ७०० श्रेणिकराजासम्झाय ६१६ | सुमतिमागरसझाय पंचमेरपूजा चतुर्विशतितीर्थकर पूजा ४७३ कपडामाला का दूहा ७७३ नायिकालक्षण पद ७२४ सहेलीमीत जिनदत्तरिगीत कवित्त ६४३ ७१० सुन्दरविलास ७४५ सुन्दरश्रृंगार ७६८ सिन्दूरप्रकरणमाषा ३४० पद ५८७ क्षेत्रपालपूजा ७६३ जिनस्तुति ७६३ दशलक्षणवतोद्यापन ७६५ पद प्रत्तजयमाला सइसकीतिसाईदाससाधुकीति यादीश्वररेखता पद ६२० | सुरेन्द्रकीतिसत्तरभेदयूजा ७३५, ७६० जिनकुशलकीस्तुति ७७८ मात्मशिक्षासम्झाय ६१ ७७७ , सूरचंद सूरदास ५८० कवित्त ७७० । सूरजभानयोसबाल- कवित्त ६५६ | सूरजमल--- मादित्यवारकथाभाषा ७०७ जैनबीमूडबद्रोकीयात्रा ३६६ ६२२ सम्मेदशिखरपूजा समाधिमरणभाषा ६.४ सालम--- साइकीरतसाहिबरामसुखदेव सुखरामसुखलाल ७६६, ७६३ परमात्मप्रकाशभाषा ११२ पद ५८१ Page #991 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -. ग्रंथ एव पन्थकार } ग्रंथकार का नाम कविसूरत सेबगराम - सेवाराम पाटनी - सेवारामसाइ सोम सोमदेवसूरिसोमसेन - ● स्योजीराम सौगाणी -- स्वरूपचंद - ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की मंथकार का नाम पत्र सं द्वादशानुप्रेक्षा ७६४ बारहखडी ६६, ३३२, ७१५ ७८८ अनन्तनाथ पूजा श्रादिनाथपूज्य कचित्त जिनगुगपच्चीसो जिनयश मंगल ४४७ पद ४४७७८६ ७६८ निर्वारकाण्ड ७८८ नेमिनाथको भावना ६७४ # ६७० ७७२ ४४७ मल्लिनाथपुरा अनन्ततपूजा ४५७ चतुर्विंशतितोर्थंकरपूजा ४७० धर्मोपदेश संग्रह ६४ चितामपार्श्वनाथ जयपुर नगर संबंधी १५२ हरखचंद - जिन सहस्रनामपूजा त्रिलोकसारखी पई जयमाल ७६२ हलाल— देवराजवच्छराज चौपई २२८ इर्षकवि--- पंचक्षेत्रपाल पूजा लग्नचंद्रिका ऋद्धिसिद्धिशतक ५२, ५११ चमत्कार जिनेश्वरपूजा ५११ ६६३ हंसराज - छठमलदास- चैत्यालयोंकी वंदना ४३८ ५.११ ४:० ५.११ हरचंद श्रमवाल - ७६५ ७५१ हर्षकीत्ति प्र'थ नाम निर्वाणक्षेत्र मंडल पूजा पंचकुमारपूजा पूजापाठ संग्रह मदनपराजय सदावीरस्तोत्र बृहत्गुरावली शांतिमंडल ( चौसठऋद्धिपूजा ) ४७६, ५११ सिद्धक्षेत्रोंकीपूजा ५५३, ७८६ ५११ सुगन्ध दशमीपूजा विज्ञसिरक १६ पद [ ६२७ ग्रंथ सूची की पत्र सं० YεC ७५६ ५११ ३१८ ५११ सुकुमाल चरित्र पंचकल्याणक पाठ सज्जनचित्तवत्सभ चंद्रहं कथा पद जिणभक्ति तीर्थंकरजकी पद पंचमतिवेलि ૩૪ ६२४ ५८३, ५८४ ५८५ २०७ ४०० 966 ३३७ ७१४ ५७६ ४३८ ६२२ ५८६,५८७ ५८८ ५६०, ६२१ ६२४, ६६३, ७०१ ७५० ७६३, ७६४ ६२१ ६६१, ६६८, ७५० ७६५ Page #992 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२] ग्रंथकार का नाम २०४ सुखधड़ी ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की | प्रकार का नाम पत्र सं. যানথিলা बीसतीर्थंकरों की जकही (जयमाल ) ६४४, ७२२ | हीरकषिबोस विरहमानपूजा ५६५ | हीराचंदश्रावककीकरणी ५६५ षट् लेण्याबेलि | हीरानंद हीरालाल५८५, ६२० | हेमराजअर्वतिपार्वजिनस्तवन ३७६ अनन्तचतुर्दशीपत कथा ७६६ अाफाशपंचमीकथा निर्दोषसप्तमीकन्या निशल्याष्टमीकथा कविवल्लभ बिहारीसतसईटीका ६५७ ज्ञानोपदेशबत्तीसी इर्षचन्द्--- हर्षसूरिपांडेहरिकृष्णा पद । प्रंथ एवं अन्धकार मंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र सं० विनती स्तुति ७७६ सागरदत्तचरित्र पद ४४७, ५८१ पूजासंग्रह ५१३ पंचास्तिकायभाषा चन्द्रप्रभपुराए १४६ गरिणतसार गोम्मटसारकर्मकाण्ड द्रव्यसंग्रहभाषा पंचास्तिकायभाषा पद ५६० गावनमारामा नयचक्रभाषा १३४ बावनी ६५७ भक्तामरस्तोत्रभाषा ४१० ५६६,६४८, ६६१ ७०७, ७७४ साघुकीप्रारती ७७७ सुगन्धदशमीकथा २५४ ७६५. आदिनाथगीत ७६४ ७९५ ६५८ हरिचरणदास इरीदास पद ७७० पद हरिश्चन्दहरिसिंह ६४६ ५८२,५८५, ६२० ६४३, ६४, ६६६ ७७२, ७७६, ७६६ मुनिहेमसिद्ध-- Page #993 -------------------------------------------------------------------------- ________________ → शासकों की नामावलि "→ ६२० अकबर ( इकटवर) प्रजपालपवार ५६२ ६, १२२, १६७, ५६१, ५१२ ' चन्द्रगुप्त ६८१,७६७, ७७३ चित्रमदमोडीयै બહ૨ । छत्रसाल ५६२ जगतसिंह ५६१ जगपाल जयसिंह ( सवाई) ३५६, २५६ १७०,१८१, ३६९, ७७६ प्रपहलग्रवाल अनंगपालतु वर अरविंद अलाउद्दीन (अलावदीन) मलावलखां मलाबद्दीनलोदो महमदशाह ५३,७१,९३,६६, १२० १२८, २०४, ३०५, ४८२ ५१५, १२०, ५६१ १५७ / जयसिंहदेव ५६२ ५६ । जहांगीर २१६, ५६१ , जैतसी जैसिंह ( सिंघराव) ६७, ४७८,५५४,६६८ ! जोधावत पालभ ५१२ ५६१ : और गजेब पौरंगसाहि पातसाहि इन्द्रजीत इब्राहीमलोदो इलाहीम (सुलितान) ईसरीसिंह ईश्वर सिंह उदयसिंह उभेसिंह किशनसिंह कोतिसिंह मुशलसिंह केवारीसिंह खेतसी गयासुद्दीन गजुद्दीहबहादुर घड़सीराम ५६२ ५६२ ५६१ ३०१ ४४८ १६४ टोडरमल इंगरेन्द्र तैतबो देवडो नाहरराव ( पवार ) २०६, २५१, ५६१, ५६२ नौरंगजीव दौरंग ५९२ | पूरणमल्ल २६५ | पेरोजासाह ४८ | पृथ्वीराज पृथ्वीसिंह १६० | प्रतापसिंह फतेसिह জাবৰিন্তু १७२ | बहलोलशाह २१६ । ३४७ ७३, १४४,६८३,७६७ २७, १४६, १८६ ४५७, ४६१ ४८० Page #994 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६१ बाबर कीके सुधांसह भगवंतसिंह माटीजैसे भारामल भावसिंह भावसिंह ( हाडा) भोज भोजदेव 58 . मकरधुज मदन महमदखां [ शासकों की नामावलि १६३ | रामस्यंच २२६ रायचद (यमल्ल ३५१ रायसिंह २४६, ३२० लालाह ५२२ लिहमरणयंघ २२६ वसुदेव ४३६ विक्रमसाहि ५६७ विक्रमादित्य २५१, २५३, ६१२ विजयसिंह २८३ विमलमंत्रीश्वर ५६२ विशनसिंह वीदे वीरनारायणा (राजाभोजकापुत्र) ५६२ वीरमदे वीरबल शक्तिसिंह ६-२, ६१८ १०४, १६२, ५५१, ६३९ शाहजहाँ ६३८ । श्रीपाल ३४,१५६, १८४, १८६ धीमालदे २६२, १६६, ३१३ | श्रीराव ५६५ ४७६, ४८० | श्रेरिएक सलेमसाह ७७, २०६, २१२ ५६१, ५६२ १३२ सविलबास सिकन्दर ३५१ सूर्यसेन २९६ १३१,२७१, ३१३ सूर्यमल्ल संग्रामसिंह मोनहारे ७७. २४० ३७८, ५६१,६०३ २७, १४६, २७४, २७५ " महमदसाह महमूदसाहि महाशेरखान माधोसिंह माधवसिंह १६० मानसिंह मालदे मूलराज मोहम्मदराज रणधीरसिंह राजसिंह राजामल्ल रामचन्द्र रामसिंह हमीर Page #995 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Yige १२ * ग्राम एवं नगरों की नामावलि ★ अंजनगीई ___७२६ | प्रागरा १२३, २०१, २५५, ५११ अंबायतीगढ ( मामेर) ४, ३४, ४०,७१,१२० ७४६, ७५३, ४७१ १६३, १८७. १६६, ४५६ | माभानेरी ७४८ अकबरानगर आमेर ३१,७१, १३, ११६, १२० अकबराबाद १३२, १३३, १७२, १४, प्रकबरपुर २५० १८८, १९, २३३, २६४ प्रकीर ३६७ ३३७, ३६४, ३६५, ४२९ अजमेर २१६, ३२१, ३४७, ३७३ ४६२, ६६३, ७५ ४६६,५०५, ५६२, ७२६ भाम्रगत प्रटोरियनगर मालमगंज मणहिलपत्तन (प्रणहिल्न गाट) १७१, ३५१ पावर (आमेर) अमरसर ६१७ ३५ प्राश्रम नगर प्रमरावती इन्दौर (तुकोगंज) ५४७ अवंती ६६, २७६, २६७ ३५८, ३६३ अर्गलपुरदुर्ग ( प्रागरा) २०६, ३४६ बावतिपुर ( मालवदेश में ) परराव यपुर १७ । इंदौखली पलकापुरी ईडर मलवर ईसरदा २७, ३०, ५०३ मलाउपुर (अलवर) उनियावास अलीगढ ( उ. प्र) ३०, ४३७ उज्जैन १२१, ६८३ अवन्तिकापुरी उज्जैणी ( उज्जैन ) अहमदाबाद २३३, ३०५, ५६१ | उदयपुर ३६, १७९, १६६, २४२ २९३, ५६१ अहिपुर ( नागौर) ८६, २५१ ।। एकोहमा नगर भाभी ३७२ । एलिचपूर ११ ग्रंबावती ३७२ | औरंगाबाद ७०, ५६२, ६१७ मावां महानगर १६४ / ककरालाट मावैर । मामेर) १०७ कछोविदा ५६२ ४३५ २४, ५१७ Page #996 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३२ ] कटक कफोतपुर २५० कडीग्राम कनारा (जिला) कर्णाटक करायप करौली २४९ २५१ कलकत्ता कल्पवल्लीपुर कलिंग काडीग्राम कारणोता कानपुरफैट कामानगर कारंजा कालख कालादेरा ( कालादेहरा) [ ग्राम एवं नगरों की नामावलि २५४ | केरल केरवाग्राम ३६७ कैलाश ६८२ १६३ कोटपुतली ७५७ २२ कोटा ६४, २२७, ४५० कोरटा कौशंबी ५६२ कृपावागढ १८३, २२१, २६०, ३१६ १५१ कृष्णाद्रह (कालाडेहरा) २१० ३६३ सण्डार ३६७ खतौली खिरहदेश खेटक गंधार १५५ गऊड २०४ गउकोटा ६३८ ८२ गाजीकाथाना ४५, २१० | गिरनार ३०६, ३७२ गिरपोर ३६२ ग्रीवापुर Y5 ५४, २५३, ५६२ गुजरात २२४ गुज्जर (गुजरात) गुर्जरदेश (गुजरात) गुरूवचनगर गूलर गोपाचल नगर ( बवालियर ) १५५, १७२, २६५, गोलागिरि ३७२ गोवटोपुरी १८१ | गोविन्दगढ २०० | गौन्देर ( गोनेर) १२. किरात ३६७ किशनगढ़ किहरोर कुकुरषदेश कृचामा कु भनगर भलमेरूदुर्ग कुंभलसेस कुरंगण ३७१ कुरूजांगलदेश ३७२ केकड़ी Page #997 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम एवं नगरों की नामावलि ] वालियर घडसोला घाट घाटमपुर १७२, ४५३ / ४७५ ૨૩૨ ४१२ | [ ६३३ ५३, ६१, ६६, ७१, ७२ ७४, ७७, ७६, ८५, ८६, ६२ ६३, ६६ ६८, १०२, १०४ ११०, १२१, १२८, १३० १३४, १४७, १४२, १४५ घाटसल २३८ m . " चन्द्रपुरी ४१, १८, ५३१ चन्द्रापुरी १७, ३०३ चन्देरीदेश ५३, १७१ चपनेरी चम्पावती (चाकसू) ३०२, ३२८ सम्पापुर चमत्कार क्षेत्र चाका २२५,२८७, ४३४, ४६७ ४६८, ५६३, ७८० चान्दनपुर चावडश्य ३७२ पावली (घागरा) ५४७ चितौड २१३, ५६२ चित्रकूट .३६, १३६, २०६ चीतौड़ा १८५, १८६ चूरू ५०२ चोमू जम्बूद्वीप २१८ जयदुर्ग २७३ जयनगर ( जयपुर) १६८, ३०१, ३१६ ( सवाई ) जयनगर ( जयपुर ) १६६, १७५, २६८ | जलपथ ( पानीपत ) ३१८,३३० जहानाबाद जयपुर ( सवाई ) जयपुर ५, १६, २५, २७ ३१ । ३४, ३६, ४२, ४४, ५२ जागरू १५२, १५३, १५४, १५५ १५८, १६२, १६६, १७२ १७३, १०, १२, १८३ १८९, १९५, १६, १६७ १६८, २००, २०१, २०२ २०५, २०७, २२०, २२५ २३०, २३१, २३४, २३५ २२६, २३९, २५०, २५३ २५५, २६२, २७४, २७५ २८०, ३०२, ३०४, ३०८ ३०६, ३४१, ३५०, ३५७ ३६२, ३६४, ३७५, ३८६ ३६४, ४१०, ४११, ४२१ ४४५, ४५०, ४५६, ४६० ४६१, ४६६, ४७२, ४८१ ४८७, ४६४, ४६६, ५०४ ५०५, ५११. ५२०, ५२१ ५२७, ५३३, ५४६, ५७७ ५६१, ६००, ६१५, ६६६ ६८३, ७१५, ७२६, ७४४ ७६८, ७७५, ७७६ ४४० ४१, ७०,६१,१४२ ५५२, ६६८ ३८० Page #998 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जालोर नैसलपुर मैसलमेर मैसिंहपुरा .. ग्राम एवं नगरों की नामावलि १०६, २०५. ५६२ तिलात ३९७ १३२ तुषक ३६७ ५६१, ६२० ३६७ २५, ३१, ६१, ४४६ तोडा दौडा) ५०२, ६०१ | दक्खण ३, ६७ २०५, ३८१, ५६१ प्रविण २६, ३४, ७४, २३१ । दारू २६३, ३०२, ३३३ [ दिल्ली-देहली ३७, १८, १२८, १४० ४५५, ४६१, ४६६ १५६, १७५, १६७, ४८ ४८७, ४६१, ६४४ ४४६,५६१,७५६, ७६७ दिवसानगर (दौसा) ३९७ नोधपुर जीवनेर झालरापाटन ३५५ १७२ ३७२ ३८० १७३, २८६, ३६४ ३०२ ६६ मालारणा मिलती झिलाय १७०,३२६, ४७७ | देघणाग्राम झोटवाडे ३७२ । देवगिरि (दौसा) व्हटडा देवपल्ली टीक ३२, १८६, २०३ देलुली टोडाग्राम १४८, ३१३ | देवल योडीग्राम २६३ दौसा-यौसा डिग्गी द्रव्यपुर ( मालपुरा) दिडवाना द्वारिका ३१६,३२८ घवलक्खपुर मागचात नागरचाल) ३६७ धारणानगर तक्षकगढदुर्ग ( टोडारायसिंह ) धारानगरी १३८, १७५, १८३, २०० नंदतटग्राम २०५, २३६, ३१३, ४६४ नंदपुर तमाल ३६७ नगर २०१ नगरा तारणपुर तिजारा १४४, १५७ | नयनपुर सिलम ३१७ | नरवरनगर १७१, ३२८, ३७२, ३७३ २६२, ४०६ ५६७ २९५ दूढारदेश ३५, १३३, १४५, १७६ ७७४ २२७, ५६२ ४३५ Page #999 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६, २५४ २०० पूरवदेश ६२ ५१० फलोधी माम एवं नगरों की नामावलि ] नरवल २२५ ] पाली नरायणा ११७, ३५३, ३९२, ४१४ पावटा नरायणा ( बड़ा) पावागिरि नसकन्छारा पिपलाइ नलवर दुर्ग पिपलौन नवलक्षपुर | पुन्या मामल पूर्णासानगर नागरचालवेश मागपुरनगर ३३, ३४, ५८, २८०, पैरोजकोट ३८४.४७३, ५४३ रोजापत्तन नागपुर ( नागौर ७३५, ७६१ पोदनानगर नागौर ३७३, ४६६,४८८ फतेहपुर ५६०,७१८,७६२ नामादेश फागपुर निमखपुर निराण (नरायणा) फोफली निवासपुरी ( सांगानेर) २८६ नीमैडा ७६६ बैंगाल नेवटा १९८, २५०,४८४,४८७ | बंधगोपालपुर नैणावा १७, ३४१ | बगरू पइन्तपुर बगरू-नगर पचेवरनगर बराहटा पहन घटेरपुर पनवाडनगर बनारस पलाडा पांचोसास बराम पाटण २३०, ३०४, ३६६, | वसई ( बस्सी) पाटनपुर ४४६ यसवानगर पानीपत You फागी ३७० बंग ४५ ३१५ ७४, २७० ३४२,४४८ ३८७ ४५३ १७ ३९७ १८६, २६६, ४१५ १६५, १७२, ३२०, ४४६ ४८४, ७२१ पालब ६८२ . बहादुरपुर Page #1000 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३६ ] [ प्राम एवं नगरों की नामावलि ४५८ : बागडदेश वारणपुर बापनगर बाराहदरी भालाहेडी बासी बीकानेर ६७, १५४, २३४ । मथुरा .११६ | मधुपुरी ५७६ ! मनोहरपुरा ७२ मलारना २८८ मरुस्थल मसूतिकापुर ५६१,५६२,६८४ | मलयखेड ८४,४०६ महाराष्ट्र ६७,५६४ | महुवा ... २०४ | महेत्रो ४८, १५६, १८३ | माधोपुर माधोराजपुरा ३७१ मारवाड २५४, ३४० · मारोठ . बैराठ मेराड ( बैराठ) बौंलीनगर माहह्मपुरी भडोच भदावरदेश २५३ २५, २६४, ४५५, ४७३ ५६१ २६८ ३३३, ४५५ ४४० १६३, ३१२. ३७२ ३०४, ५६२, ५६३ ___५६१ ४, २८, ३४, ५६, १२२, १३० २३१, २४८, २४६, २६२, ३०१ ३४२, ३४३, ३४४, ४६०, ५६२ ६३६, ७६८ ३५, २०१, ३४०, ३९७ 0 १४३ . ३८९ मालकोट ३७२ मालपुरा AM भरतखण्ड भरतपुर भानगड भानुमतीनगर भावनगर भिण्ड भिरूद भिलोड मैसलाना . २५४ २३७ ३०३ मालपदेश माल्हपुर मिथिलापुरी मुकन्दपुर ३७२ मुलतान ५४३ ७७० १११, ५६२ १७७ १५४, ३७२, ५६ भोपाल भूशुकच्छपुरी मंझोषर मंढानगर मांडोडी मांडीगढ मुबावती मंडलायापुर ३७१ ५६१ मूलतारण ( मुलतान) ७०६ मेहता मेडरग्राम मेदपाट मेवाड़ २५१ । मेवाडा ३७१ ३७२ Page #1001 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { १३५ ३.४५, ६६१ २०. १२९ २३६, ५६, ७०. ६६५ ३७१ ६६८, ७७१ २११ माम एवं नगरों की नामावलि ] मोहनवाडी ४६० । राणवाल मोहा रेनवाल मोहामा १२८ रंवासा मैनपुरी ४६ लखनऊ मौजमाबाद ५६, ७१,१०४, १७४ ललितपुर १६२,२८८, २५५, ४११ लश्कर ४१२,४१६, ४१७,५४३ लाखेरी यवनपुर ३४३ लारणा योगिनीपुर ( दिल्ली) २६४ लावा यौवनपुर सालसो. रातभंवर ( रणथंभौर ) लाहौर लूग्णाकरणसर रणथम्भीरगड ७१२, ७४३ रणस्त भदुर्ग ( रणथंभौर ) २१२ वनपुर रतीय ३७१ वाम रूहितगपुर ( रोहतक) विक्रमपुर विदाघ राजपुर नगर विमल राजगढ़ १७६ राजग्रह २१७, २५४, ३६३ वीरमपुर राजपुरा वृन्दावती नगरी राणपुर ६१८ रामगढ़ नगर १४६, ३७० वृन्दावन रामपुर १३, ३५६, ३७१ वेसरे ग्राम रामपुरा ५६, ४५१ | वैरामर ग्राम रामसर ( नगर) १८१ | वैराट ( बैराठ) रामसरि वोराब ( वोराज नपर रायदेश १६७ खेमलासा नगर रावतफलोधो शाकमड़गपुर राहेरी ३७२ शाकवाटपुर रेवाडी १२, २५१ शाहजहांनाबाद ५६२ २०१ २६४, २२३ ३७५ ५६२ १७८ ५, ३६, १०१, १७८, ४२२ ४, ११०, २७९ ४६, २१० ५६४ ५६१ १५० ४७, १००, ५०२ ६.१ रेणापुरा Page #1002 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ ] शिवपुरी शुजाउलपुर शेरगढ शेरपुर शेरपुरा श्रीपतन श्रीपथ संग्रामगठ संग्रामपुर सांखौरा सांगनार (सांगानेर ) सांगानेर गावती (सांगावर ) सांभर सधारणा नगर सनावद समरपुर समीरपुर सम्मेद शिखर सल्लक्षणपुर सवाई माधोपुर सहारनपुर सहिजानन्दपुर साकेत नगरी ७३५ ५० ६८२, ७७१ ५०, २१२, ३६६ १३६ १३८ सारग्राम सारंगपुर सालकोट साहीवाड १६० सिकंदरपुर ६७८ ८५, ३०५ २१४ ३४१, ५५४ ३४,६३,७३,९३, १३६ १४४, १४८, १४९, १५३ १५६, १६४, १८१, २०२ २०७, २२६, ३०१, २७१ ३८४, ३६५, ४०८, ४२० ४६०, ४८५, ४८८, ७७५ १६५ सागपतन नगर (सागवाडा ) सागवापुर सागवाडा सादडी सामोद सिकंदराबाद सिमरिया सिरोही सौकर सिरोज सौलपुर सीलोरनगर सुपौट सुर्वेट ३७१ २६० सुभोट ३४२ | सुम्हेरवाली बांधी ४८७ सुरंगपत्तन १२७ सुधानगर ३७३, ६७८ सूरत २४३ सूर्यपुर ६३, ७०, १३२, १५४ सेवाणो ३७०, ६१३ सौनागिरि ३३७ २७१ सोमंत्रा ( सोजत ) सौरदेश [ ग्राम एवं नगरों की नामावलि ३ हांसी १५४ ५०८ ६७, १४१ ३१३ ८३ ७ ८५, १२६ ५६६ ४६० ४४ ७७, १४२, १५५, ३६७ ५६५ ५२ ४६६ ४,६१३ २५६ ३४, १२६ ३६७ ३६७ ३६७ ३७२ २८६ ५८१ ६७० ५५६ ५६१ ५५६, ६७४, ७३० १६१ ५६७ १८१ 4. Page #1003 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६३६ हरसौर १४ प्राम एवं नगरों की नामावलि ] हिण्डौन २५०, २६६, ७०१, ७२६ | हाथरस हलिकंतपुर हिगोड हिमाचल (ग) हरसौर ६३६ | हिरणोदा २००, २६६ | हिसार हरिपुर हीरापुर हलसूरि ७३४ | हुडवतोदेश हाडौती १०१ होगीपुर २०२ ३६७ ६४४ ६२, २७८ हरिदुर्ग १७ १सन Page #1004 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * शुद्धाशुद्धि पत्र * MAIL . अशुद्ध पाठ पत्र ए पंकि १४४ Exa अथ प्रकाशिका धिक गोमट्टसार ३०४ शुद्ध पाठ अर्थ प्रकाशिका किघउ गोम्मटसार ३१४ १८४४ तत्वार्थ सूत्र भाषा-जयवंत वे.सं. १९६२ १६x६ १७४१६ ३१४११ ३८४१० तत्वार्थ सूत्र भाषा वे. सं. २३१ वष वर्ष ४४८२४ ४८४२२२ ५०x१२ ५६६ नयचन्द्र कात सह ६४१५ न्योपार्जि नयनचन्द्र काल साह लेक काल न्यायोपार्जित भूधरमिश्र १८०१ बालापत्रोध श्राचार ६४१. मूधरदास १८७१ बालाविवेध आधार श्रीनंदिगण सोनगिर पच्चीसी १४ वीं शताब्दी ७६४१३ EXE १०४४२० १२१४१ सोनागिरपच्चीसी १६ वीं शताब्दी १३४१ अध्यात्म एवं योग शास्त्र धर्म एवं प्राचारशास्त्र Page #1005 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुद्धाशुद्धि पत्र ] । १४१ अशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ पन्न एवं पंक्ति १३१४१ १४०x२८ १४१४७ १४४x७ १७२८ र०काल १०४० सं०१४५ क्र० सं०३०११ मे ३०५८ रह १६५४१ १७१से१७६ १७६४२८ १८१४१७ १४२४६ १९२४१४ ५८२७ १० कालर्स १६६४ ले० काल २०४० सं.१५८५ क० सं० २१०० से २१४६ कवि तेजपाल नाहमल २३१८ भट्टारक १७१५ आकाशपंचमीकथा देवेन्द्रकीति वर्तमानमानम्य ३१२० ३२१८ भट्टार १७७५ प्रकाशपंचमीकथा धर्मचन्द्र बद्ध मानमानस्य २१६४११ २१४६ २६४४१६ ३११.१२ ३१८x१० ३२०४१५ ३३६४१३ ३२८ नेमिचन्द्राचार्य पद्मनन्दि भक्तिलाल ३६८-३७५ कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका ३८५४१ ३८६४५ ३६६४४ भक्तिलाम ३६६-३७६ कल्याणमाला और कनक कुशल भूपाल चतुर्विंशतिटीका हिन्दी भादवासुदी पञ्चगुरुकल्याण पूजा पाटोदी ४५६४२५ ४३४४१२ ५०२४८ ५५७२ भूपाल चतुर्विशति संस्कृत भाद पञ्चगुरुकल्यणा पूजा पाटोंकी Page #1006 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ ] [ शुद्धाशुद्धि पत्र पत्र एवं पति ५७२४१६ ५७४४१२ ५५४४१३ ५७५४१० अशुद्ध पाठ संस्कृत संस्कृत शुद्ध पाठ प्राकृत प्राकृत संस्कृत अपभ्रंश रसकौतुकराजसभा ररुजन धानतराय संस्कृत रसकौतुकरायसभा रकजन छानतराय ६०७४२२. ६१६४२ सोलकारणरास पद्मवतीछन्द पडिकम्मरणसूल सोलहकाररणरास पद्मावतीछन्द पडिकम्मरणमूत्र नानिगरास जग ६.३४२३ ६२३४२४ ६२८x१४ ६२८४२१ ६३५४१० प्राकृत योगिचर्चा अपभ्रंश आ० सोमदेव अपभ्रश स्त्रयम्भूस्तोत्रइष्टोपदेश पंकल्याण पूजा नालिगराम जब अपभ्रंश योगचर्चा प्राकृत सोमप्रभ संस्कृत इष्टोपदेश पंचकल्याणपूजा ६३७४१० रामसेन ६४५४४ ६४६x६ ६४Ex१७ रामसिंह संस्कृत ब्रह्मरायमल्ल कमलप्रभसूरि बधावा जैन पच्चीसी ज्योतिषपटलमाला कल्याणमन्दिर स्तोत्र नन्ददास रायमल्ल कमलमलसूरि पधावा पच्चीसी ज्योतिव्यदमाला कलाणमन्दि स्तोत्र नन्दराम ६७०४१५ ६५१४१२ ६८०४२५ ६.१x६ Page #1007 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 43 शुद्धाशुद्धि पत्र / पत्र एवं पंक्ति 716x6 श्रशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ हिन्दी नन्दराम 73246 73343,4 हिन्दी 738426 750x 754418 755417 ब्रह्मरायवल्ल मनसिंघ अभवदेवदूरि हिन्दी संस्कृत हिन्दी ब्रह्म रायमल्ल मानसिंह अभयदेवसूर अपनश 1663 183