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________________ ७४२ ] [ गुटका-संग्रह ५६३१. गुटका सं०१०१। पय सं० २३ । प्रा०६:४४, इ.। भाषा-हिन्दी। ले. काल x 1 मपूर्ण । सं. ३६३ । . विशेष-कवि सुन्दर कृत नायिका लक्षण दिया हुमा है । ४२ से १५० पब तक है। ५६३२. गटका सं०१०२। पत्र सं०७५-१०१ । प्रा०४७ इ० । भाषा-हिन्दी | विषय-संग्रह। ले. काल XI प्रपूर्ण । वे० सं० ३१४। १. चतुर्दशी कथा मालूराम हिन्दी २० काल १७६५ प्र. जेठ सुदी १० ले. काल सं० १७६५ जेठ सुदी १४ । सपूर्ण । विशेष-२६ पद्य से २३० पद्य तक हैं। मध्यभाग माता एसो हर मति करो, संजम विना जीवन निसतर। दोहा कांकी माता काको बाप, प्रातमराम अकेलो पाप ॥ १७६ ।। प्राप देखि पर देखिये, दुख सुस्त दोउ भेद । आतम ऐक विचारिये, गरमा कह न दे !! १७ !! मंगलाचार कंवर को कोयो, दिख्या लेए कंवर जब गयो । सुवामो आगे जौड्या हाय, दोख्य दोह मुनीसुर नाथ ॥ १५८ ।। अन्तिमपाठ बुधि सारु कथा कही, राजघाटी मुलतान । करम कटक मैं देहरों बैठो पचे मु जाण ॥ २२८ ।। सतरास पञ्चावने प्रथम जैठ सुदि जानि । सोमवार दसमी मानी पूरण कथा वखानि ।। २२६ ॥ खंडेलवाल बौहरा गोत, प्रांबावती मैं वास । डालु कहै मति मौ हंसी, हूं सबन को दास ।। २३० ।। महाराजा बीसनसिहजी भामा, साह्या माल को लार । जो या कथा पढे सुणे, सो परिष मैं सार ॥ १३१ ।। बौदश की कथा संपूर्ण । मिती प्रथम जेठ सुदी १४ संवत् १७६५ २. चौदशकीजयमाल हिन्दी १३-६४ ले काल सं० १७६३ ६४-६६ ३. तारातंबोलकी कथा
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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